Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Author(s): Gulabchand Dhadda
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 439
________________ (९) मुंबई ओफीस. संवत १९६१ नी साल दरमीयान जुदा जुदा खाताओने अंगे नीचे प्रमाणे काम करवामां आव्युं हतं. वडोदरा खाते कोनफरन्स मली ते पहेलां जीर्णोध्धार खातुं "र. कलकत्ता ओफीसने हस्तक हतुं. परंतु वडोदरा खाते दरेक जनरल सेक्रेटरीने पोतपोताना विभागमा स्वतंत्र रीते काम करवानी सत्ता आपवामां आवी हती. पुर्वनी कल्याणक भुमीओना उद्धार- कार्य बाबु राय कुमारसींगजीने सोंपवामां आव्युं हतुं. परंतु आपणा सर्वेना जाणवामां छे के मारवाड अने मेवाडमा जीर्णोद्धारनी खास जरुर छे, अने ज्यां आपणा पूर्वजोए बंधावेलां सेंकडो भव्य देरासरो जीर्ण अवस्थामां आवेलां मालम पडयां छे अने जे काम पाटणना परोपकारी गृहस्थ मी. ललुभाइ जेचंद लगभग १२ वर्ष थयां जुदा जुदा खाताओ अने गृहस्थोनी मददथी धीमे धीमे करता हता ते कार्य मोटा पाया उपर चलाववानी योजना करवान उर्चात धारवामां आव्युं अने ते प्रमाणे मुंबइ शहरमांना देरासरोमांथी एक टीप करवामां आवी जेमां आशरे रु. ४००० अकठा थया हता; अने कोन्फरन्स तरफथी पण तेमां रु. २००० भरवामां आव्या. आ सीवाय शेठ ललुभाई ज्यां ज्यां कामो शरु करता त्यां त्यांथी पण बनी शक्या प्रमाणे मदद मेळवता हता, अने ते प्रमाणेनी एकत्र मददथी मेवाडना जीर्णोद्धारचं काम चालतुं राग्ववामां आव्यु हतुं, जेनो टुंक रीपोर्ट आ ओफीस तरफथी प्रगट थतां श्री जैन श्वेतांबर कोन्फरन्स हरैल्डना प्रथम पुस्तकना ९ मा अंकमां आपवामां आवेलो छे. वळी मारवाड माटे पण उपर प्रमाणेनी व्यवस्था चालु वर्षमा करवामां आवी छे, अने तेने अंगे मारवाडमां पण केटलांएक कामो शरु थयां छे; सीवाय ओशीया नगरी, ध्रांगध्रा, टेरा, अने जसपुरना देरासरोनां जीर्णोद्धार माटे मदद करवामां आवी हती; तथा मेवाडनां देरासरोनी पुजा वगेरेनो योग्य बंदोबस्त ५वा सारु पण मदद करवामां आवी हती. जीर्णोद्धारना संबंधमां ताप तडकानां पुष्कळ कष्टो सहन करी अने जंगलो वेठी शेठ ललुभाई जेचंद जे श्रम लेछे ते माटे तेमनो अमे अत्रे उपकार मानीए छीए अने आशा राखीए छीए के तेमना जेवा बीन स्वार्थी लागणीथी काम करनारा बीजा पण गृहस्थो बहार आवशे... जीवदया. जीवदयाना विषयने अंगे प्रथम प्रगट करवामां आवेली योजना अनुसार जीवदयाना ज्ञाननो फेलावो करवान कार्य आ वर्ष दरमीयान हाथ धरवामां आव्युं हतुं अने ते प्रमाणे आखा

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