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- जैन कान्फरन्स हेरल्ड.
[सष्टम्बर मोज़द थे. मंडपके वास्ते वह ही चांदनी जोधपुरसे मंगवाई गई थी कि, जिसमें प्रथम कोनफरेन्सका जलसा हुवा था परन्तु बारिशके होनेसे मंडप बेकार रहा जलसा खुले मैदानमें किया गया कि जिसमें जयपूर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, सिरोही, नागोर, सोजत, पाली, जैतारण, बीलाडा, पीपाड, मेडता, पोकरण फलोधी, बुसी, बाबरो, नयाशहर, कुंचेरा, पादू, कोटा, बदनोर, रय्यां, बागोर, गोगेलाच, खजवाणा, सुजाणगढ, नीबडी, मादलीया, हरसोलाव, अरांई, कुडी, रास, बाजोली, बारणी, बासणी, गिडी, लाम्बीया, केकीदडा, बावडा, गोदाणा, भारूदा, जसवंताबाद, मेडास, लाडगढ, हरनोवी, धनेरीया, फालका, चांदारूण, बरू, खाडली, बडलू, सारूडा, उदयसर, केकिंद, मूंडवा, कालू, बाबडी, बगडी, सादडी बडी, सादडी छोटी, सीओणी, रय्यांशेर सिंघजी, पूना ( दक्षिण ), लसणगांव जिला नासिक, बुगरला, सेवर, आसोप, पीचीपोक, भीनार, पडलाद, रैण, ईडवो, वालो, बम्बई, लोटोती, लाडोली, जालना जिला हैदराबाद, कुचामण, खडोरा, कोटरला जिला धुलिया, कीतलसर, खेजडला, दहली, लोवाट, रोईसा, आमलनेर जिला खानदेश, फागणी जिला खानदेश, घाणीराव, खाटू कलां, खाटू खूर्द, धीनाब, गोटण, वुटाती, नोका, खूडीकलां, मालपुरा, वगरह करीब २०० शहरों, कस्वों और गांवोंके करीब २५०० स्त्रीपुरुष दो दिनतक हाजिर होकर कोनफरेन्सकी कारवाईको बहूत उमंगके साथ पार पटका. इस साल इस उत्सवपर कुल मर्द औरतकी संख्या १५,००० यात्रियोंसे कम न थी. कोई रेलवे टेनसे कोई बैलगाडीमें कोई उंटपर सवार होकर आये थे. मन्दिरके चारों तरफका गढ ऊंटो और बैलगाडीयोंसे और मनुष्योंसे भर गया था. कई मनुष्य इस गढके अंदरके पके मकानात मे ठहरे थे कई मनुष्य, डेरा, तम्बू, छोलदारी, चान्दनी वगरह चोकमें खडी करके ऊनमें ठहरे थे, कई मनुष्य श्री शान्तीनाथजीके मन्दिरके कम्पाऊंडमें ठहरे थे, कई मनुष्य बीकानेर वालेकी धर्मशाला और स्टेशनपर ठहरे थे, कई मनुष्य गांवमें मकानातों को किराये पर लेकर ठहरे थे, मेडता वगरह कीरेलोंकी संख्या बढा दी गई थी हरवक्त चारों तरफसें रेलगाडीया चिकार भरी हुई आतीथी. सभाकी तरफसे वालंटीयर लोग और उनके इन्स्पेक्टर सोजत निवासी हिरालालजी और उनके सुपरिंटेंडेंटें अजमेर निवासी कांसटीया धनराजजी स्टेशनपर हर ट्रेनपर मोजूद रहते थे. आनेवालोंको स्टेशनपर अथवा राहदारीकी कुछ तकलीफ नही होतीथी. नोकर वगरह सब मोजद रखे जातेथे.
__ आसोज धुदि ९ की सायंकालको मामूली सभाका जलसा हुवा जिसमें जो काम डाईरक्टरीका कोनफरेन्सकी तरफसे हीरालालजीने अबतक किया है उनका हाल सुनाया गया और ऐक्यताके बारेमें हीरालालजी तथा कोनफरेन्स उपदेशक मिस्टर टोकरसी नेणसीने भाषण दिये. इस सभामें करीब ५०० मनुष्य हाजर थे.
__ आसोज वुदि ९ तारीख १२ सैपटम्बर सन १९०६ की सायंकालको काररबाई प्रान्तिक सभा की शुरू हुई, बजते बजते करीब २५०० स्त्री पुरुष सभामें शामिल हुवे जयपूर निवासी सेठ लखमीचंदजी ढढ्ढा, गुलाबचंदजी ढड्डा, गुलाबचंदजी ढोर, गंगारामजी श्रीमाल, महादेवजी श्रीमाल, चांदमलजी कवाड; बीकानर निवासी सेठ सेंसमलजी सावण सुखा, कुंबर दीपचंदजी सावण सुखा, सेठ रतनलालजी ढढ्ढा, अजमेर निवासी सेठ हीराचंदची सचेती, सेठ कस्तूरमलजी भडगतीया, कुंवर कल्याणमलजी ढढ्ढा, सेठ केसरीमलजी लूणीया, धनराजजी कांसटीया, हीराचंदजी धाडीवाल, जोधपुर निवासी सेठ कानमलजी पटवा, शिवराजजी महता, रतनराजजी महता, फोजराजजी महता, फलोधी निवासी सेट फूलचंदजी गोलेछा, शालणा निावसी सेठ कनयालालजी चंडालीया वगरह अनेक सदगृहस्थ मोजूद थे,