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જેન કોન્ફરન્સ હેરલ્ડ કપ [ ડીસેમ્બ स्वस्ति श्री पार्श्वजिनं प्रणम्य
महाशुभस्थान पूज्याराय्धे, दृढ धर्मवान, देवगुरु भक्तिकारक, पुण्यप्रभावक, परमप्रीतिपात्र अनेक शुभगुणालंकृत धर्मस्नेही धर्म बंधु श्री
तथा श्री संघ समस्त श्री अमदावादथी ली. श्री संघमास्तमा लेह पूर्वक जयजिनेंद्र अवधारशोजी. अत्र श्री देवगुरु प्रसाढ़े क्षेमकुशळता गर्ने छे. आप श्री संघनी कुशळता चाहीए छीए. विशेष विनंति के परम तीर्थकर श्री महावीर स्वामीनुं शासन सदा जयवंत छे. ए पवित्र शासन सदा जयवंतुं बर्ते एवं श्रीमान महावीर स्वामीना आपणे सर्व उपासकोए ईच्छीने, श्री जिनझामन्ती राज ते मारे आपणी सकळ कोमनी उन्नतिने अर्थ, समस्त हिंदुस्ताननां गर्व स्थलोना प्रतिनिधिओना महामंडळ रुपी कोन्फरन्समां आपणे एकत्र मी स्वपहिलना विचार करवानो प्रयास गयां चार वर्षथी अनुक्रमे भी लोग, मुंबइ, वडोदरा तथा पाटण ए चार स्थळोए आरंजेलो . हेली श्री पाटगती कोल्फन्म समये अत्रेना श्री संघ तरफथी पांचमी बन्वत उक्त महामंडळ
मंत्रण करवामां आव्यु हतुं ते आमंत्रण महामंडले स्वीकारी योजना या संपन्न प्रभारी करेलो छे.
आ पांचमी जैन श्वेतांबर कोन्फान्स नाल बीता फागण शुद्री ४-५ अने ६ वार शनी रवि ने सोम, तारीख १६-१७ अने १४ के आगे सने १९०७ आ त्रण दिवसोमां अत्रे एकत्र करवान मुकरर करें छे. तेथो विनंति के आप अत्रे खास पधारी श्री संघनी भक्ति करबा उत्कटित थएला अत्रेना श्री संघने आभारी करशो, अने तेमनां नाम आ साथेनी प्रतिनिधि पत्रिकामां आ कंकोत्री पहोंचेथी पंदर दिवसमां लखी मोकलया तस्दी लेशोजी.
अत्रेना श्री जिनचैत्योनी यालाना लाभ उवाच प्रतिसादारालाओनां दर्शननो लाभ पण मळशे. बळी समस्त हिंदुस्तानना जैन संघना प्रतिनिधिओ अत्रे पधारशे तेओनां दर्शन-समागमनो पण अलभ्य प्रसंग मळशे.