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नाम.
वर्ग २ जो.
१ मुष्टि व्याकरण २ शाकटायन व्याकरण ३ गणरत्न महोदधि
वर्ग १ लो.
कलाप व्याकरण.
१ कलाप व्याकरण २ वृत्ति पंजिका
४ कृवृत्ति टिप्पन
५
वृत्ति
६ धातुपारायण
७ विशेष व्याख्यान ( न्यास रूप ) ८ उक्तिक
९ कौमारसार समुच्चय १० उणादि वृत्ति ११ प्रमेयरत्न भांडागार १२ नामाख्यातवृत्ति १३ प्रयोग समुच्चय १४ कातंत्रोत्तर
परचुरण
१ षड्भाषा लक्षणपारायण '२ लिंगानुशासन
४ स्यादि समुच्चय त्यादिसमुच्चय त्यादि प्रक्रिया
"
वर्ग २ जो.
१ सारस्वत व्याकरण २ टिप्पनक
३ प्रक्रिया
वर्ग ३ जो.
१ पाणिनि व्याकरण १२ काशिकावृत्ति ३ व्याकरण रत्नकोश
४ पावतारक नामे संक्षिप्त व्याकरण
''जैन कान्फरन्स हेरल्ड.'
श्लोक.
कर्ता.
मलयगिरि
पं. वर्धमान
परसमयि.
कळापऋषि दुर्गसिंह तिळोचनदास
त्रिलोचनदास
विद्यानंद ि
अमरकवि
वामन कृत
अमर कवि
सर्वधर
""
अनुभूति स्वरूप
पाणिनिऋषि
--
पत्र ३६
८०००
| ३१००
| ३२५
३१००
६२५
५००
|३४ | ३४
|३४
|
T
| १२२० १२००
|१८०००
कुळ ३५१७२
[ अक्टोबर.
रिमार्क.
सं. ११९७ मां करेल शाकटायन व्याकरण संबंधी छे.
अनुं बीजुं नाम कातंत्र छे.
वृत्तिना विषमपदनी व्याख्यारूप | सूत्रवृत्ति सहित
धातुसूत्रसूधी त्रणवृत्तिनो उद्धाररूप
| श्लोकरूप उवृत्तिना उद्धारनो संग्रह छे. पांचमां पादनी
| आख्यात तथा कृद्नुं विशेष विवरण. लक्षण तथा केटलाक पदना संग्रह रूप
अनुं बीजुं नाम विद्यानंद छे. ते समास | लगी छे.
अष्टाध्यायिरूप
पाणिनि सूत्रनी लघुवृत्ति रूप | पाणिनीयना संग्रह रूपे समास सूधी के