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________________ ३१० नाम. वर्ग २ जो. १ मुष्टि व्याकरण २ शाकटायन व्याकरण ३ गणरत्न महोदधि वर्ग १ लो. कलाप व्याकरण. १ कलाप व्याकरण २ वृत्ति पंजिका ४ कृवृत्ति टिप्पन ५ वृत्ति ६ धातुपारायण ७ विशेष व्याख्यान ( न्यास रूप ) ८ उक्तिक ९ कौमारसार समुच्चय १० उणादि वृत्ति ११ प्रमेयरत्न भांडागार १२ नामाख्यातवृत्ति १३ प्रयोग समुच्चय १४ कातंत्रोत्तर परचुरण १ षड्भाषा लक्षणपारायण '२ लिंगानुशासन ४ स्यादि समुच्चय त्यादिसमुच्चय त्यादि प्रक्रिया " वर्ग २ जो. १ सारस्वत व्याकरण २ टिप्पनक ३ प्रक्रिया वर्ग ३ जो. १ पाणिनि व्याकरण १२ काशिकावृत्ति ३ व्याकरण रत्नकोश ४ पावतारक नामे संक्षिप्त व्याकरण ''जैन कान्फरन्स हेरल्ड.' श्लोक. कर्ता. मलयगिरि पं. वर्धमान परसमयि. कळापऋषि दुर्गसिंह तिळोचनदास त्रिलोचनदास विद्यानंद ि अमरकवि वामन कृत अमर कवि सर्वधर "" अनुभूति स्वरूप पाणिनिऋषि -- पत्र ३६ ८००० | ३१०० | ३२५ ३१०० ६२५ ५०० |३४ | ३४ |३४ | T | १२२० १२०० |१८००० कुळ ३५१७२ [ अक्टोबर. रिमार्क. सं. ११९७ मां करेल शाकटायन व्याकरण संबंधी छे. अनुं बीजुं नाम कातंत्र छे. वृत्तिना विषमपदनी व्याख्यारूप | सूत्रवृत्ति सहित धातुसूत्रसूधी त्रणवृत्तिनो उद्धाररूप | श्लोकरूप उवृत्तिना उद्धारनो संग्रह छे. पांचमां पादनी | आख्यात तथा कृद्नुं विशेष विवरण. लक्षण तथा केटलाक पदना संग्रह रूप अनुं बीजुं नाम विद्यानंद छे. ते समास | लगी छे. अष्टाध्यायिरूप पाणिनि सूत्रनी लघुवृत्ति रूप | पाणिनीयना संग्रह रूपे समास सूधी के
SR No.536502
Book TitleJain Shwetambar Conference Herald 1906 Book 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchand Dhadda
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year1906
Total Pages494
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Shwetambar Conference Herald, & India
File Size13 MB
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