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१९०६ ]
मि० अमरचंद पी. परमारकाः रजपुताखा का प्रयास.
रायबहादुर शेठजी शोभागमलजी ढढ़ा अच्छे अधिक सेट है में श्रद्धावान है. जैन कोन्फरन्सके प्रोवीन्शीयल सेक्रेटरीका काम बखुबी चलाते हैं. विद्योन्नति ओसवाल सभाके आप अध्यक्ष है. मी० परम्मरक्को, अपने स्थानपुर, दहराकर पूरी खातरू बनने का पाठशालाके लिये परमानंट फंड करनेको उत्सुक है. यदि बीस हजार रुपयोका फंड होवे तो आपने जो पहेले पांच हजार रुपये देने कहेथे सो देकर परमानेंट फंड कायम करेंगे. मी० धनराजजी कांसटीयाभी पाठशाला और परमानंद फंडका पूरा उद्यम करते हैं....चारों. जैन कोन्फरन्समें ये हाजर थे. शेठजी शोभागमलजीके वहां अंदाज १५०० जैन पुस्तकों का पुराना भंडार हैं. अमदाबाद कोन्फरन्स में बहुत महाशय पधारींगे.
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होली में बहुत महाशय श्री दादावाड़ी चले जाते हैं. और स्वामिवत्सल जीमते हैं.. इस लिये होलीकी गाली खेलना वगैरह से बचते है, उपदेशोंका हरदम जानेकी पूरी जरूरत है. श्री रीखब देवजी – उदयपूरसे ४० मैल है. रस्तामें जाते आते चोकीका एक गाडीको रु. ५–६ खरच होते हैं. करीब १८ जगह चोकी देनी पडती है. एकही जगह देनेका प्रबंध किया जाय तो यात्रीको आराम रहें. रस्तेमें धर्मशाला ठीक नही है. बारापाल में एक धर्म शाला बनवानेका शेठ गोकलभाई मूलचंदने मंजूरी दी हैं. श्री केसरी आजी में आमदनी अछीहै. देवस्थानका महकमा - उदयपूर कारवाई करता है. मेनेजर जोषी उँकार लालजी एक ब्राह्मण लायक पुरुष है. चैत्र सुदि १३ को रात्रीको सभा की. दीगंबरी, ढुंढीये, श्वेतांबरी सब मोजुद थे. "यात्रीका कर्तव्य" पर व्याख्यान किया. लोक बहुत खुश हुवे. मंदिरमें आशातना होतीथी सो बताई गई. भील लोकभी द्रव्यपूजा करते है. ४-५ खंडित मूर्तीको भंडारनी चाहिये. भ्रमती में किसी आचार्यकी मूर्ति ( जिसको बौध्ध लोक बुध्धदेव कहते हैं ) होनेसे उसकी पूजा करके फिर लोक भगवानकी पूजा करते हैं.. कितनीक जगह वगैर प्रतिमा खाली बैठक है वगैरह जंगली फूल माली लोक बेचने को बैठते हैं, सो
वहां
दूसरी प्रतिमा बेठाई जावे, करण
यात्री
चढाते हैं, सो दूर करवाया...
बंबा, रं
रखा जावे तो अच्छा है, आदि सब खर्च देवद्रव्य के
मंदिर आरसका है, धुवाना चाहिये गरम पाणी होता है, परंतु अंधेरा बहोत है, दो दरवाजे खुलाये जाना जरूरी है, सदत्रित खाते लिखा जाताहै, सो ठीक नहीं, - हिसाब दीखाते हैं." रुपये पंड्या लोक लेते. है." वासणं छोटे और गोदडे नही भरोसा रखना पडता है, उन लोकोंको खूब देना पडता है. मंदिरकी आमदनी ईससे घटती है. धर्मशाला हवा नही है, भरता है, खूब यात्री एकत्र होता है. गये मेले में जाने आनेके
आदमी हुंदाकर मर गये, धर्मशाला एक नई होने की जरूरत है, वेन्टलेशन जरूरी है.
भंडारकी आमदनी से सेंकडे ३४ होनेसें यात्री को पंडा लोक पर और कोई तीर्थमें मेला जो फॉगण दो दरवाजे नही
मंडे नही है,
बद ८ को होने से तीन
जीसमें बारी और ( अपूर्ण. )