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दशमश्रेणी
जैव कान्फरन्स इरैल्ड.
[ अमील
संस्कृत—चन्द्रप्रभकाव्य, कलाप व्याकरण पूर्ण, अनुवाद. धर्मं-- कार्तिकेयानुप्रेक्षा.
आङ्गलभाषा -- मिडिल रीडर, मैन्युअल ग्रामर, अनुवाद.
नोट (क)--हिन्दी शिक्षावली तथा आङ्गलभाषाकी रीडरौकी जगह समयानुसार उपयुक्त पुस्तकें परिवर्तन होती रहेंगी. यदि हो सकेतो नूतन जैन पुस्तकें बनाई जाकर काममें लाई जायेंगी. ( ख ) -- ऐतिहासिक व भूगोल सम्बन्धी विषयोंपर मौखिक शिक्षा होगी दशम श्रेणीत भारत वर्षका आधुनिक इतिहास वा भूगोलका उपयोगी ज्ञान हो जावेगा.
श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्स हरैल्डके सम्पादक महाशय समीपे.
महाशय,
विगत फेब्रुअरी संख्यक हरैल्डमें “ विलायति भ्रष्ट खांड " शीर्षक प्रबन्धमें अजमेर 'निवासी श्रीयुत बाबु शोभागमलजी हरकावटने विलायती शक्कर की अपवित्रताके बाबत कइयेके अंगरेजोंका मत उधृत किया हय की जिससे यह बात पूरी तौरसे प्रमाणित किया गया की वह सब चिनीयोके मरिसस, जर्मनी आदि स्थानोंमें प्रस्तुत किया जाती हय हड्डी, खुन आदि अपवित्र पदार्थोसे परिस्कृत होता हय, वो इसमें अफु की मंडी, अरारूट वीगरह शरीर के हानीकारक चिजोंभी मिलाये जाते हय!
मैं बहोत आनन्दित हुं की हमारे जैनि भाइयोंका दृष्टि इस अशुद्ध चिनीके तर्फ आकृष्ट भया हय और उम्मिद रखताहुं की धर्ममे रुचिवान प्रत्येक जैन इस प्रकारके अशुद्ध चिनीको व्यवहार करना तो दूर रहा स्पर्श भी नहि करेगें.
मैं अत्यन्त आनन्दके साथ प्रकाशित करता हुं की बंगालेके प्रसिद्ध धनी मरहूम राय धनपतिसिंह बहादुरके सुयोग्य पुत्र मुर्शिदाबाद - जियागंज निवासी श्रीयुत बाबु महाराज बहादुरसिंहजीने बंगालेके अंतर्गत प्रसिद्ध यशोहर जिल्लेमें शुद्ध चिनी ( शक्कर ) प्रस्तुत करनेके लिये एक चिनीका कामका कार्य आरम्भ किया हय उस कलमें जैनियोंके तत्वावधानमे वो स्वदेशवासियोंके परिश्रम से बहोत उमदी पवित्र चिनी तैयार होता हय और उसकी पवित्रता की' गरान्टि भी उक्त साहेब देते हय !
मैं आशा करता हुं की विलायति चिनी वो निमकं व्यवहार नहि करने के बारेमें इस पत्रमें बराबर चर्चा होती रहेगी.
- श्री पूरणचन्द सामसुर्खा, अजीमगंज.