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पंजाब केसरी कहे जाने वाले गुरूदेव ने बंबई से पंजाब की ओर विहार करने का विचार किया । एक पंजाबी श्रावक को पंजाबीयों के नाम अपना अंतिम संदेश देने हेतु बुलाया। आत्मा और शरीर के शाश्वत् धर्म के समक्ष, उन की आत्मा, 'निजातम संपदा' में विलीन हो गई....
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सरकार की विशेष आज्ञा से भायखला के जैन मंदिर से संलघ्न परिसर में आपका अंतिम संस्कार हुआ। बंबई के आजाद मैदान की सभा में सभी धर्मो की १५० संस्थाओं ने सर पुरुषोत्तम ठाकुरदास की अध्यक्षता में श्रद्धांजलियां अर्पित की। मेयर श्री गणपतिशंकर देसाई ने कहा था कि 'गुजरात ने दो वल्लभ इस देश को दिए हैं पहले वल्लभभाई पटेल और दूसरे आचार्य विजयवल्लभ' 'तू चुप है लेकिन सदियों तक, गूंजेगी सदाए-साज तेरी, दुनिया को अंधेरी रातों में, ढाढस देगी आवाज तेरी ।
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महेन्द्रकुमार २६३ सैक्टर १०, पंचकूला, हरियाना १३४११३ मो. ०९३१६१ १५६७०
आचार्य श्री विजयवल्लभसूरि व्यक्तित्व - कवि काव्य ८७