Book Title: Jain Sahityana Akshar Aradhako
Author(s): Malti Shah
Publisher: Virtattva Prakashak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 641
________________ उनका संपूर्ण जीवन साहित्यसेवा में व्यतीत हुआ । विद्वान पुरुष मरते नहीं है । वे युगोयुगों तक अपने अक्षरदेह स्वरूप अमर रहते हैं | जैनसाहित्य में उनका नाम सुवर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा । कर्म करते जाना और फल की आशा न रखना यही संतपुरुषों का लक्ष्य होता है, उनका जीवन परोपकार के लिए ही होता है । वे पुण्योपार्जन करके अमरत्व को पा जाते हैं और जगत को भी यही रास्ता दिखा जाते हैं । मेरा यह मंतव्य है कि हमें जीवन में लक्ष्य बनाना है और उस उच्च लक्ष्य को साधने के लिए ऐसे आदर्श उच्च साहित्यकार को अपना आदर्श बनाना चाहिए जिससे यह मानवजात हम सार्थक कर सकें। जीवन तो सभी मनुष्य जीते हैं पर ऐसे युगपुरुष बहुत कम होते हैं । I उन्होंने जैन परिभाषा का एक शब्द 'ढूंढिया' को अपने खोज कार्यों द्वारा सिद्ध किया है । 'ढूंढिया का एक अर्थ खोज करनेवाला भी होता है । जो कि साधु शब्द का पर्याय है 'ढूंढिया' । उनके पुस्तकों में विपुल ज्ञानभंडारों से खोजे हुए अनेक दस्तावेज प्राप्त होते हैं । उनकी ज्ञान की ज्योत से जैनसाहित्य की दीपशिखा मदा प्रज्वलित रहेगी। हमारे साहित्यरत्न आचार्य श्री देवेन्द्रमुनि सदा एक दिव्य किरण बनकर जैनजगत को प्रकाशमान करते रहेंगे । डॉ. हंमा उमरशी गाला ६०१, आविष्कार इम्प्रेस, चितलं पथ, दादर (पश्चिम) मुंबई : ४०००२८ मो. ९२२४४५५२६२ ૫૯૨ + ૧૯મી અને ૨૦મી સદીના જૈન સાહિત્યનાં અક્ષર-આરાધકો

Loading...

Page Navigation
1 ... 639 640 641 642