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आचार्यश्री देवेन्द्रमुनि (एक साहित्यकार)
. हंसाबहेन गाला
સાહિત્ય અને સંશોધનક્ષેત્રે રસ ધરાવનાર શ્રી હંસાબહેન ગાલાએ આચાર્ય શ્રી દેવેન્દ્રમુનિજીના સાહિત્યનો તલસ્પર્શી અભ્યાસ કરીને આ લેખમાં ખૂબ જ વ્યવસ્થિત રીતે તેઓના જીવન અને કવનને આવરી લીધું છે. – સં..
जन्म : उदयपुर, सन् १९३१ (संवत् १९८८) पिताजी : जीवनसिंह वरडिया माताश्री : तीजादेवी दीक्षा : वाडमेर - सन् १९४० (संवत् १९९७) आचार्यपद : उदयपुर : १९९३. दिवंगति : सन् १९९९ - विक्रम संवत् २०५५
श्रमणसंघ के तृतीय पट्टधर आचार्य श्री देवेन्द्रमुनि का जन्म मेवाड की राजधानी उदयपुर में विक्रमसंवत् १९८८, कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी (धनतेरस) दिनांक आट नवम्बर सन् १९३१ के शुभदिन हुआ था । उनके पूज्य पिताश्री का नाम जीवनसिंह कन्हैयालाल वरडिया था। उनकी माताश्री पू. महासती प्रभावतीजी मूलनाम तीजादेवी था । उनकी वडी वहन पूज्य सार्वाश्री पुष्पवतीजी जिनका मूलनाम सुन्दरी कुमारी था । उनकी माताश्री तथा वहन ये तीनों श्री श्रमणसंघ (स्थानकवासी सम्प्रदाय) में दीक्षित हुए हैं । आचार्यश्री का जन्म धनतेरस को होने के कारण तथा जन्म से ही परिवार में धनधान्य की वृद्धि होने से उनका नाम धन्नालाल रखा गया ।
विक्रम संवत १९९१ की एक घटना है । आचार्यश्री जवाहरलालजी महाराज जो युगप्रभावक महान आचार्य थे, वे उस समय उदयपुर के पंचायती नोहरे में विराजमान थे । आचार्य देवेन्द्रमुनि धार्मिक परिवार से थे । नित्य दर्शन-श्रवण के लिओ उनके दादाश्री आचार्यों के प्रवचन सुनने जाया करते थे, तव बालक धन्नालाल
भी उनके साथ जाया करते थे, यह उनके पारिवारिक संस्कारों व पूर्वजन्म की धर्म सुलभता के कारणवश ही रहा होगा । एक दिन प्रातःकाल प्रार्थना के समय आ. जवाहरलालजी ध्यानपूर्ण करके श्रावकों को मंगलपाट सुना रहे थे, तव वालक धन्नालाल जो उनके दादाश्री के साथ वहाँ पधारे थे, वे व्याख्यान स्थल पर रखे
૫૮૨ + ૧૯મી અને ૨૦મી સદીના જૈન સાહિત્યનાં અક્ષર-આરાધકો