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दीक्षा दाताः चारित्र चक्रवर्ती १०८ आ. श्री शांतिसागरजी के प्रथम पट्टाधीश 'चारित्र चूडामणि' आ. श्री वीरसागरजी महाराज
साहित्यिक कृतित्वः अष्ट सहस्री, समयसार, नियमसार, कातंत्रव्याकरण, पटखण्डागम् आदि ग्रंथो की संस्कृत टीका और / अथवा हिंदी टीका अनुवाद, अनगिनत संस्कृत / हिंदी स्तोत्र एवं पूजा विधान आदि ३०० से अधिक रचनायें
'न्याय प्रभाकर' : वी.सं. २५०० सन् १९७४ में दिल्ली में।
D. Lit : डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद द्वारा मानद D.Lit की उपाधि वी. सं. २५२१ -सन् १९९५ में।
द्वितीय D. Lit: तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद द्वारा पुनः मानद् D.Lit की उपाधि वी. सं. २५३८ सन् २०१२ में।
तीर्थ निर्माण प्रेरणाः हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप, तेरहद्वीप, तीनलोक आदि रचनाओं के निर्माण, तीर्थंकर जन्मभूमियों का विकास, शाश्वत तीर्थ अयोध्या का विकास एवं जीर्णोद्धार, प्रयाग-इलाहावाद (उ.प्र.) में तीर्थंकर ऋपभदेव तपस्थली तीर्थका निर्माण, जम्बूद्वीप स्थल पर भगवान शांतिनाथ - कुंथुनाथ - अरहनाथ की ३१-३१ फुट उत्तुंग खडगासन प्रतिमा, मांगीतुंगी में निर्माणाधीन १०८ फुट उत्तुंग भगवान ऋपभदेव की विशाल प्रतिमा आदि।
महोत्सव प्रेरणा : पंचवीय जम्बूद्वीप महा-महोत्सव, भगवान ऋपभदेव अंतर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव, अयोध्या में एवं प्रयाग में भगवान ऋपभदेव महाकुंभ मस्तकाभिषेक, कुण्डलपुर महोत्सव, भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव, दिल्ली में कल्पद्रुम महामण्डल विधान का ऐतिहासिक आयोजन इत्यादि। २१ दिसम्बर २००८ में जम्बुद्वीप स्थल पर विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन का आयोजन - तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पार्टील द्वारा उद्घाटन।
महेन्द्र मोतीलालजी गांधी
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૨૮૦ + ૧૯મી અને ૨૦મી સદીના જૈન સાહિત્યનાં અક્ષર-આરાધકો