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जैनेतर परम्परागों में अहिंसा यदि बच्चे को काफी तन्दुरुस्त बनाना हो तो तित्तर का मांस देना चाहिए। इसी प्रकार चंचलता या चपलता लाने के लिए मछली, लम्बी उम्र की प्राप्ति के लिए कृक्षा पक्षी का मांस, पवित्र कान्ति लाने की कामना हो तो आति नामक पक्षी का मांस और यदि इन सभी गुणों की कामना हो तो अभी बताए हुए सभी मांसों को खिलाना चाहिए।'
अर्घ-पित, देवता या अन्य किसी व्यक्ति के प्रति आदरस्वरूप दिये गये तर्पण की संज्ञा "अर्घ' होती है। पारस्कर के अनुसार शादी के समय छः व्यक्तियों को अर्घ देना चाहिए-गुरु, शादी कराने वाला पुरोहित, कन्यादाता पिता, राजा, मित्र तथा स्नातक। किन्तु अघं मांस के बिना नहीं होना चाहिए (स्वेवामा सोर्घः)। शादी-संबंधी नियम निर्धारित करते हुए आपस्तम्ब ने कहा है कि सभी शुद्ध नक्षत्रों में शादी होनी चाहिए। मघा नक्षत्र में अर्घस्वरूप शादी के समय एक गाय और गृह में भी एक गाय देनी चाहिए। प्रथम गाय से वर के निमित्त अर्घ तैयार करना चाहिए तथा दूसरी गाय से वर को चाहिए कि अपने पूज्यलोगों को अर्घ दे। इस प्रकार गायों को मारने के प्रमुख समय ये सब हैं-अतिथि का आगमन तथा अष्टक बलियां जो पितृ एवं शादी के निमित्त होती हैं। इसी तरह बौधायन, हिरण्यकेशी तथा खादिर गह्य सत्रों में भी अर्घ-संबंधी नियम प्रस्तुत किए गए हैं। १. षष्ठे मासेन्नप्राशन ॥१॥
श्रेतेर्भारद्वाज्या मांसेनवाक्प्रसारिकामस्य कपिज्जलमांसेनान्नाद्यकामस्य मत्स्यैर्जवनकामस्य कृकवायास्याठ्या " ... ७-११, पारस्कर गृह्यसूत्र, काण्ड १, काण्डिका १६, सूत्र १, ७-११. सांखायनगृह्यसूत्र, प्र. १, खं० २७, सूत्र २८८-२६१. प्राश्वलायन गृह्यसूत्र, अ० १, कां० १६, सूत्र १-३.
आपस्तम्ब गृह्यसूत्र, पटल ६, खं० १६, सूत्र १२. २. पारस्कर गृह्यसूत्र, काण्ड १, काण्डिका ३, सूत्र २६, ३. प्रापस्तम्ब गृह्यसूत्र, पटल १, खण्ड २, सूत्र १३,१४.
" " " " "१-६. ४. बौधायन गृह्यसूत्र, प्रश्न १, प्र० ३, सूत्र ५२,५३.
हिरण्यकेशी , १, पटल ४, खण्ड १३, सूत्र १३.
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