Book Title: Jain Dharma me Ahimsa
Author(s): Basistha Narayan Sinha
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 319
________________ ३०० जैन धर्म में अहिंसा २२३ तित्तिक ४० १११ २२७ १८६ १८६ १८८ १४१ ४० १४२, १५७ द्वेष तांबूलविधि २२२ दुष्पक्वौषधिभक्षणता १६२ दृष्टिवाद तुच्छौषधि भक्षणता २२३ देवता तृप्ति १७५ देवतामूढ तेरापंथ १६५ देवयज्ञ तैत्तिरीय संहिता देशावकाशिक त्रस १५६ देशावकाशिक व्रत वसकाय १५२,१५५ द्रव्य वासनक १४७ द्रव्य-अहिंसा त्रिपातना १४५ द्रव्यदया द्रव्यप्राण द्रव्ययज्ञ द्रव्याहिंसा द्राविड़ दंतधावनविधि २१८ दंतवाणिज्य २२४ दया १७५, १८७, २४४ दर्प प्रतिसेवना २०६ धन्ना दशवकालिक १२२ धम्मपद दशवकालिक चूणि १४२ धर्मदान दाता १६० धर्मोपकरणदान दान १८६, १६२, २६० घूत दानशाला धूपविधि दावाग्निदापनता २२४ धृति दिग्वत २१७ दिशापरिमाण १११ दिशापरिमाण-व्रत दीघनिकाय ६० नंदन २२६ नंदा दुर्गतिप्रपात १४६ नंदिनीप्रिय २०७ नमस्कारपुण्य १६२ १६१ १६२ १०२ १६७ २२० १७६ २०० १७६ दुःश्रुति दुर्बल १६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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