Book Title: Jain Dharma me Ahimsa
Author(s): Basistha Narayan Sinha
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 325
________________ जैन धर्म में अहिंसा वैशेषिक व्यवसाय ४८ १०२ १७८, १६२ व्याध १३३ शिवपुराण १७६ शीतोष्णीय १६२ शील १४६ शीलगृह शुचि शु-लियांग-हो व्युपरमणं १७८ १८० ६४ १३३ शैव शंकर शौकरिक श्रमण श्रमणधर्म २५६ शुक १६२ २२४ २२८ २०६, २२८ श्रमणाचार २३ १०७ १६३ १२२ २१०, २५६ २०६, १३० স্বান্ত श्रावक श्रावकाचार श्रीभाष्य श्रुतांग श्रेणिक श्रौत २२२ १७५ १०६ शकटकर्म शतपथब्राह्मण शब्द शयनपुण्य शय्यंभव शय्यासन शय्यषणा शस्त्रपरिज्ञा शांडिल्योपनिषद् शांति शांतिदेव शांतिपर्व शांतिसूरि शाकविधि शाकुनिक शाटियर शालिनीप्रिय शालिभद्र शिंतो शिक्षाव्रत शिव ३ षटकाय १४६ षडावश्यक ११४ २२१ १६२ स १४४ ११४ संकल्पी १११ संक्षेप १६२ संग्रहदान ६८ संघ २२६ संडासी १७८ संधिकरण १४६ १६० २०७ १६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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