Book Title: Jain Dharma me Ahimsa
Author(s): Basistha Narayan Sinha
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 314
________________ शब्द अंग-प्रविष्ट अंग बाह्य अंगारकर्म अंतरिक्ष-स्थान अंबालाल अकृत्य अक्रियावाद अग्नि अग्निकाय अग्निपुराण अछूत अछूतोद्धार अज अज्ञानवाद अणक्क अणुभाष्य अणुव्रत अतिथि संविभाग अतिथि संविभाग- व्रत अतिभय अतिभार अथर्ववेद अदत्तादान - विरमण अधर्मंदान अनगार अनर्थदंडविरमण Jain Education International अनुक्रमणिका पृष्ठ ५ २४१ १४५ १०७ ५ १५०,१५४ १०१ १०१ अनार्य २२३ अनाश्रव अनुकंपा अनुकंपादान ४४ २५३ २५२ शब्द ३४ १०७ १६२ ५८ अर्थदंड अनेकांत अन्नपाननिरोध अन्नपुण्य अन्नप्राशन अन्याय्य अन्योन्यक्रिया अपक्वौषधिभक्षणता अपध्यान अपध्यानाचरित अपरिग्रह अपरिग्रहव्रत अपवाद २१० १११ अप्काय २२८ १४७ अप्रमाद २१३ अब्दुल्ला ३ अब्रह्मचर्य २१५,२३० अभक्ष्य १६१ अभय ११७ अभयदान १११ अभ्यंगविधि पृष्ठ For Private & Personal Use Only २२५ १४७ १७८ १८७,२४४ १६०, १६२, १५, २६० २०३ २१३ १६३ २० १४७ १०७ २२३ २२६ २२५ २०२,२५८ २३१ २०६ १५०,१५४ ६५, १७६ ६० १६६, १७१, २५७ २२ १८० १६२ २१६ www.jainelibrary.org

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