Book Title: Jain Dharma me Ahimsa
Author(s): Basistha Narayan Sinha
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 302
________________ आधार-ग्रन्थ सूची २८३ आवश्यकसूत्र-व्याख्याकार- घासीलालजी, अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १९५८. उत्तराध्ययनसूत्र--सं० रतनलाल डोशी, प्र-अ. भा० साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक संघ, सैलाना ( म०प्र० ), वी० सं० २४८६. उपासक दशांग सत्र-अनु० आचार्य आत्मारामजी, सं०-डा. इन्द्रचन्द्र शास्त्री, प्र०-आ० आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना, १९६४. उमास्वा मिश्रावकाचार-परीक्षा-जुगलकिशोर मुख्तार, वीर-सेवा मंदिर, सरसावा ( जि. सहारनपुर ), १६६४. कर्मप्रकृति-नेमिचन्द्र आचार्य, सं० एवं अनु०-हीरालाल शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १६६४. कर्मवाद - एक अध्ययन-सुरेशमुनि, सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, १६६५. कर्मविपाक-देवेन्द्रसूरि, अनु०प० सुखलाल जी, आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रचारक मण्डल, आगरा, १६३६. कुन्द-कुन्द प्राभृत संग्रह-संग्रहकर्ता-पं० कैलाशचन्द्र , जैन संस्कृति संरक्षक संघ. शोलापुर, वि० सं० २०१६. पोथा कर्मग्रन्थ-देवेन्द्रसूरि, अनु०-५० सुखलाल जी, आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रचारक मण्डल, आगरा, १९२२. जीवानुशासन-देवसूरि, प्र०-हेमचन्द्राचार्य सभा, पाटण, वि० सं० १९८४. - जैनागम • निर्देशिका-सं०-मुनि कन्हैयालाल, आगम अनुयोग प्रकाशन, दिल्ली, १९६६. जैन प्राचार -डा. मोहनलाल मेहता, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी, १६६६. जैनदर्शन-पं. महेन्द्र कुमार, गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रंथमाला,काशी १६५५. जनदर्शन - डा० मोहनलाल मेहता सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, १९५६. जैनधर्म-पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, भारतीय दिगम्बर जैन संघ, तृतीय संस्करण, मथुरा, १९५५. जैनधर्म का अद्वितीय कर्मविज्ञान-भानुविजयजी गणि, सं०-मुनि मित्रा नन्दविजय, वी० सं० २४६३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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