Book Title: Jain Dharma me Ahimsa
Author(s): Basistha Narayan Sinha
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 306
________________ आधार-अन्य-सूची २८७ श्रावक का अहिंसा व्रत-सं०-६० मुन्नालालजी शास्त्री, प्र०-भावक मण्डल, रतलाम, वि० सं० १९६०. सदर्ममण्डन-आचार्य जवाहिरलालजी, प्र-तनसुखदास फूसराज दूगड़, सरदार शहर, वि० सं० १९८८. सप्ततिका-प्रकरण-सं०-५० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रचारक मण्डल, आगरा, १६४८. समयमाभृत-कुन्दकुन्दाचार्य-सं०-५० गजाधरलाल जैन, भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था, काशी बी० सं० २४४०. समवायांग सूत्र--व्याख्याकार-घासीलालजी. अ० भा० श्वे. स्था० जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १९६२. समवायांग सूत्र- सं.-मफतलाल झवेर चन्द्र, अहमदाबाद, १६३८. समयसार-कुन्दकुन्दाचार्य, हिन्दी अनु०-५० जयचन्द, जिनवाणी प्रकाशन विभाग,रोहतक, वी० सं० २४६८. समीचीन धर्मशास्त्र (रत्नकरण्डउपासकाध्ययन)-समन्तभद्राचार्य, भाष्यकार जुगलकिशोर मुख्तार, वोर-सेवा मंदिर, दिल्ली, १६५५. सागारधर्मामृत-आशाधर, अनु०- मोहनलाल शास्त्री, सरल जैन ग्रंथ भण्डार, जबलपुर, वी० सं० २४८२-८४. सूत्रकृतांग-सं०-५० अम्बिकादत्तजी ओझा, महावीर जैन ज्ञानोदय सोसा यटी, राजकोट, वि० सं० १९९३-६७. सूत्रकृतांग-सं० तथा संशोधक- आनन्दसागरसूरी, गौड़ीपार्श्वनाथ जैन अन्यमाला, बंबई, १९५०. स्थानांग-समवायांग-सं०-५० दलसुख मालवणिया, गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद, १९५५. स्थानांग सूत्र -व्याख्याकार-घासीलालजी, अ. भा. श्वे. स्था. जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, १९६४-६५. Cult of Ahimsa-Shreechand Rampuria, Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha, Calcutta, 1957. Doctrine of the Jainas-Walther Schubring, Motilal Banarasidass, Delhi, 1962. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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