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जैन धर्म में अहिंसा मांस शब्द का अर्थ है आध्यात्मिक श्रेय ( Spiritual good ) एवं खन का अर्थ है सत्य ( Truth ) । कहीं-कहीं पर उन्होंने अपने मांस को रोटी और खून को मदिरा कहा है।' फिर भी ईसाई परम्परा में मांसादि अधिकांशतः खाया जाता है जो आर्थिक या शारीरिक लाभ से सम्बन्ध रखता है, धर्म से नहीं।
इस प्रकार ईसाई-परम्परा अहिंसा के निषेधात्मक पक्ष से प्यार, दान आदि विधेयात्मक पक्ष पर अधिक बल देती है।
इस्लाम-परम्परा:
इस्लाम का केन्द्र स्थान अरब है । इससे पहले वहाँ पर बहुदेवतावाद (Polytheism) एवं घोर मूर्तिपूजन (Gross idolatry) से लेकर दढ़ अदेवतावाद ( Rigid atheism) का प्रसार था। किन्तु मुहम्मद साहब, जिनका जन्म मक्का में अब्दुल्ला और अम्ना के पुत्र के रूप में २० अप्रैल ५७१ ई० को हुआ था, ने वहाँ के जनजीवन को अपने एक नए धार्मिक-विचार से प्रकाशित किया और उन्हीं की दी गई ज्ञान-ज्योति इस्लाम के नाम से जानी गई। इस्लाम धर्म के सिद्धान्तों की जानकारी प्रमुखतः चार ग्रन्थों से होती है
१. कुरान ( The Quran ), २. सुन्ना ( The Sunna), ३. इज्म ( The Ijma ), ४. किअस ( The Qias)।
इस धर्म ने ईश्वर में विश्वास करने, धर्म-पथ प्रदर्शकों के विचारों पर आस्था रखने, गरीबों और कमजोरों के प्रति दया-भाव व्यक्त करने की सीख दी है। इसमें गाली ( abuse ), क्रोध ( anger ), लोभ (avarice ), चुगली खाना ( back-biting) खून-खराबी ( blood-shedding ), रिश्वत लेना ( bribery ), झूठा अभियोग ( calumny ), बेईमानी (dishonesty ),
1. True Christian Religion, p. 746. 2. G.W.R., pp. 201-202.
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