Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता अनिष्टकर है, इससे जीवन में अनेक प्रकार की विपत्तियों की सूचना समझनी चाहिए । खोई हुए, भूली हुई या चोरी गई वस्तु के समय में गुरुवार की मध्यरात्रि में दण्डाकार उल्का पतित होती हुई दिखलाई पड़े तो उस वस्तु की प्राप्ति की तीन मास के भीतर की सूचना समझानी चाहिए। मंगलवार, सोमवार और शनिवार उल्कापात दर्शन के लिए अशुभ हैं, इन दिनों की सन्ध्या का उल्कापात दर्णन अधिक अनिष्टकर समझा जाता है । मंगलवार और आश्लेषा नक्षत्र में शुभ उल्कापात भी अशुभ होता है, इससे आगामी छः मासों में कष्टों की सूचना समझनी चाहिए । अनेन्ट उल्न.... यो वर्ष र चिलाकण पाश्वनाथ का पूजन करने से आगामी अशुभ की शान्ति होती है।
राष्ट्रघातक उल्कापात-जब उल्का चन्द्र और सूर्य का स्पर्श कर भ्रमण करती हुई पतित हो और उस समय पृथ्वी कम्पायमान हो तो राष्ट्र दुसरे देश के अधीन होता है । मुर्य और चन्द्रमा के दाहिनी ओर उल्कापात हो तो राष्ट्र में रोग फैलने हैं तथा ग'ट्र की वनसमातिविशेषरूप से नष्ट होती है । चन्द्रमा से मिलकर उल्का मामने आने तो राष्ट्र के लिए विजय और लाभ की सूचना देती है । श्याम, अरुण, नील, रक्त, दहन, असित, और भम्म के समान का उल्का देश के शत्रओं के लिए बाधा होती है। रोहिणी, उत्तराफाल्गनी, उपरापाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद, पशिस, चित्रा और अनुराधा नक्षत्री उल्का घालित करे तो राष्ट्र को पीड़ा होती है मंगल और रविवार को अजेयः व्यक्ति मध्य रात्रि में उल्कापात देखें तो राष्ट्र के लिए भय सूत्रक समझना चाहिए ) पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वापाढ़ और पुर्वाभाद्रपद, मघा, आर्द्रा, आपा, ज्येष्ठा और मूल नक्षय को उल्का ताडित पारे तो देश के व्यापारी वर्ग को कष्ट होता है तथा अग्विनी, पुष्य, अभिजित्, कृतिका और विशाखा नक्षत्र सो उल्का ताटिा करे तो कलाविदों को कष्ट होता है । देव मन्दिर या देवमूर्ति को उन्मात हो तो राष्ट्र में बड़े बड़े परिवर्तन होते हैं, आन्तरिक संघषों के साथ विदेशीय शक्ति का भी मकाबला करना पड़ता है। इस प्रकार उत्पादन देश के लिए महान् अनिष्टकारक है। मशान भूमि में पतित उमा प्रशासकों में भय का संचार करती है तथा देश या राज्य ग नवीन परिवर्तन उत्पन्न करती है । न्यायालयों पर उल्कापात हो तो किसी को नेता की मृत्यु को गुनना अवगत करनी चाहिए । भ, धर्मशाला, तालाब और अन्य पवित्र भूमियों पर उल्कापात हो तो राज्य में आन्तरिक विद्रोह, बराओं का भंहगा एवं देश के नेतालों में फूट होती है। संगठन के अभाव होने से देश या राष्ट्र को महान् क्षति होती है। वेल और पीत वर्ण की मुख्याकार अनेक जला फिगी रिक्त स्थान पर पनि हो तो दग या राष्ट्र के लिए शुभ १.१... समझना चाहिए । राष्ट्र के HTो बीच भल-मिलापको सूचना भी लपत प्रकार के उल्कापात में ही सम्