Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
बिजलियों के निमित्तों को उल्ला के निमित्तों के समान ही अवगत करना चाहिए । अब आगे बादलों के लक्षण और फल को बतलाते हैं ।।25।।
इति नग्रन्थे भद्रबाहुनिमित्तशास्त्र विद्युल्लक्षणो नाप पंचमोऽध्यायः । विषम- बिजली के निमिया का विकार किया जा है । रात्रि में चमकने म च के सम्बन्ध में शुभाशुभ अवगत करने के साथ फराल का भविष्य भी ज्ञात किया जा सकता है । जब आकाश में धने बादल छाये हुए हों, उस समय पूर्व दिशा में बिजली कड़के और इसका रंग श्वेत या पीत हो तो निश्चयतः वर्षा होती है । यह फल बिजली कड़कने के दूसरे दिन ही प्राप्त होता है । विशेषता यहाँ यह भी है कि यह फलादेश उसी स्थान पर प्राप्त होता है, जिस स्थान पर बिजली चमकती है। इस बात का सदा ध्यान रखना होता है कि विजनी चमकने गा पल तत्काल और तद्देश में प्राप्त होता है । अत्यन्त इष्ट या अनिष्टमुचक यह निमिस नहीं है और न इस निमित्त बारा वर्ष भर का फलादेश ही निगाला जा सकता है। सामान्य म्हा से दो-चार दिन या अधिक-से-अधिक कम-पन्द्रह दिनों का फलादेश निकालना ही इस निमित का उद्देश्य है। जब पूर्व दिशा में रक्त वर्ण की बिजली जोर-जोर से हक कर चमके तो वायु चलती है तथा अलार वर्षा होती है। गन्द-मन्द चमक के साथ जोर-जोर से कराने का शब्द सुना दे तथा एकाएक आकाश से बादल हट जावे तो अदानी वर्षा होती है और साथ ही ओले भी बरसते है। पूर्व दिशा में करिया रंग की बिजली तेज प्रकाश के साथ नमले तो अगले दिन तेज धूप पड़ती है, पश्चात् मध्याह्नोत्तर जल की वर्षा होती है। जल भी तना अधिक बरसता है, जिसरी पृथ्वी जलमयी दिखलाई पड़ती है।
यादि पश्चिम दिशा में साधारण रूप से मध्य रात्रि में बिजली चमके तो तेज धूप पड़ती है । स्निग्ध विद्युत् पश्चिम दिशा में कड़ाके के फाब्द के साथ चमके तो धुप होने के पश्चात् जल की वर्षा ठोती है। यहाँ इतनी बात और अवगत करनी चाहिए कि जान की वर्षा के साथ तूफान भी रहता है । अनेक वृक्ष धराशायी हो जाते हैं, पशु और पक्षियों को अनेक प्रकार के कस्ट होते हैं। जिला समय आकाग काले-काले बादलों से आच्छादित हो, चारों ओर अन्धकार-ही-अधिकार हो, उरा रामय नील प्रकाश करती हई बिजली चमके, साथ ही भयंकर जोर का शब्द भी हो तो अगले दिन तीन वायु बहने की सूचना समझनी चाहिए । वार्ग तीन दिनों के बाद होती है यह भी इस निमित्त का फलादेश है। फसल के लिए इग प्रकार की बिजली रिनाशकारी ही मानी गई है । पश्चिम दिशा से निकलकर विचित्रवर्ण की बिजली चारों ओर घूमती हुई च के तो अगले तीन दिनों में वर्षा होने की