Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
लाभ होता है। यदि काक घोड़े के ऊपर स्थित दिखलाई पड़े तो भूमिलाभ, मित्रलाभ एवं धनलाभ करता है। देवमन्दिर, ध्वजा, ऊँचे महल, धान्य की राशि, अन्न के ढेर एवं उन्नत भूमि पर बैठा हुआ काक मुंह में सूखी खास लेकर चबा . रहा हो तो निश्चय यात्रा में अर्थ लाभ होता है। इस प्रकार की यात्रा में सभी प्रकार के सुख साधन प्रस्तुत रहत हैं । यह यात्रा अत्यन्त सुखकर मानी जाती है। आगे-पीछे काक गोबर के ढेर पर बैठा हो या दूध वाले–वट, पीपल आदि पर स्थित होकर बीट कर रहा हो अथवा मुँह में अन्न, फल, मूल, पुष्प आदि हों तो अनायास ही यात्रा की सिद्धि होती है । यदि कोई स्त्री जल का भरा हुमा कलश लेकर आये और उस पर काक स्थित होकर शब्द करने लगे तथा जल के भरे हुए घड़े पर स्थित हो काक शब्द करे तो स्त्री और धन की प्राप्ति होती है। यदि शय्या के ऊपर स्थित होकर काक शब्द वारे तो आप्तजनों की प्राप्ति होती है। गाय की पीठ पर बैठकर या दुवा पर बैठकर अथवा गाबर पर बंठकर काक चाच घिसता हो तो अनेक प्रकार के भोज्य पदाथों की प्राप्ति होती है। शान्य, दूध, दही, मनोहर अंकुर, पत्र, पुष्प, फल, हरे-भरे वृक्ष पर स्थित होकर काक बोलता जाय तो सभी प्रकार के इच्छित कायं सिद्ध होते है । वृक्षों के ऊपर स्थित होकर याक शान्त शब्द बोले तो स्त्रीप्रसंग हो, धन-धान्य पर स्थित होकर शान्त शब्द कर तो धन-धान्य का लाभ हो एवं गाय की पीठ पर स्थित होकर शब्द करे तो स्त्री, धन, यश और उत्तम भोजन की प्राप्ति होती है। ॐट की पीठ पर स्थित होकर शान्त शब्द कर, गदहे की पीठ पर स्थित होकर शान्त शब्द करे तो धनलाभ और सुख की प्राप्ति होती है। यदि शूकर, बैल, खाली घड़ा, मुर्दा मनुष्य या मुर्दा पशु, पापाग और सूखे वृक्ष की डाली पर स्थित होकर यानक शब्द करे तो यात्रा भ ज्वर, अहानि, चारा द्वारा धन का अपहरण एवं घात्रा में अनेक प्रकार के कष्ट हात है। यदि का दक्षिण की ओर गमन कर और दक्षिण की ओर ही शब्द बार, पीछ से सम्मुख आये, कोलाहल करताहों और प्रतिलोम गति करके पीठ पीछ की और चला जाय तो यात्रा में चोट लगती है, रक्तात होता है तथा और भी अनेक प्रकार कष्ट होत हैं। बलिभोजन करता हुआ काक बायीं ओर शब्द करता हो और वहाँ से दक्षिण की और चला आये एवं वाम प्रदेश में प्रतिलोम गमन करता हो तो यात्रा म अनेक प्रकार के विघ्न होते हैं । आर्थिक हानि भी होती ह । यदि गमनवाल म काक दक्षिण बोलकर पीठ पीछे की ओर चला जाय तो किसी की हत्या सुनाई पड़ती है। गाय की पूंछ या सर्प के बिल पर बैठा हुआ वाक दिखलाई पड़ता माग में सर्पदर्शन, नाना तरह के संघर्ष और भय होत है । यदि का आगाठोर शब्द करता हुआ स्थित हो तो हानि, रोग; पीठ पछि स्थित हो कठोर शब्द करे तो मृत्यु एवं खाली बैठकर शब्द कर रहा हो तो यात्रा सदा निन्दित है। सूख काट काट्रक को तोड़कर चोच क अग्रभाग में