Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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चतुर्दशोऽध्यायः
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के हाथ भंग होने में तीसरे महीने में और नाय भा होने से सातवें महीने में ___ कष्ट होता है। हाथ और पाँव के भंग होने का फल नगर के साथ नगर के प्रशासक,
मुखिया एवं पंचायत के प्रागुम् को भी भोगना पड़ना है। प्रतिमा का अचानक भंग होना अन्यन्त अगा है । यदि रखी हुई प्रतिमा स्वयमेव ही मध्यान या प्रात:काल में भंग हो जाये तो उस नगर में तीन महीने के उपरान्त महा रोग या संशामक लेग फैलते हैं। विजेपासना, पलंग एवं इनफ्युएंजा की उत्पत्ति होती है । पशुओं में भी भेग उत्पन्न होता है।
यदि स्थिर प्रतिभा अपने स्थान मे हरयार दुराली जगह पहुँच जाय या चलती हुई मालूम पड़े तो सोगरे गहीने अचानक विपनि आती है। इस नगर या प्रदेश के प्रमुख अधिकारीको मृत्यु तुल्य काट गोगना पड़ता है । जगसाधारण जो भी आधि-गाधिजन्य काट उठाना पता है। यदि गतिमा विहामन मे नीचे उतर आये अथवा मिशन में नीचे गिर जाये तो उग प्रदेश के प्रसन्न की मृत्यु होती है । उस प्रदेश में बाल, महामारी और बांगाव रहता है। यदि उपयुक्त उत्पात लगातार सात दिया गन्द्र दिन तक हो तो निश्चात प्रतिपादित पाल की प्राप्ति होती है। यदि का दिन 3ास हो र गान्त हो गया तो पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। यदि प्रतिमा जोग निवालकर पाई दिनों तक रोती हुई दिखलाई गई तो नगर में ग्रह पटना घटती है, उग नगर अत्यन्त उपद्रव होता है। प्रशासक और प्रशाम्यों में वागड़ा होता है। धन-धान्य की क्षति होती है। चोर और डायना पद्रव अधिक बढ़ता है। मंत्राग, मारकाट एवं गंगा की स्थिति बढ़ती जाती है। प्रतिमा का रोना गजा, मन्त्री या पि.मी महान् नेता की मृत्यु का सूचना; हंगना पारम्प विद्वेष, संरगं कलह कानुनमः; चलना और कांपना योगाती, गंध, कलाई, चिपा, आदमी पाट एवं गोला।र चक्कर काटना भय, बिदेश, सम्मान हानि या देगी धन- जन-हानि का गुना है। प्रतिमा का हिलना सथा रंग बदलना अनिष्टसूच ।। एवं तीन महीनों में नाना प्रकार के काटों का मन बगत करना चाहिए। प्रतिमा ना! पनी जना अग्निभय, चोरभय एवं महामार्ग का सूचक है। धुओं सहित प्रतिमा ग पसीना नियाले तो जिरा प्रदेश में यह घटना घटित होती है, उसके गौ कोग की दुरी जनारों ओर धन-जन की क्षति होती है। अतिवृष्टि या अनाकृष्टि के कारण जनता को महान् कष्ट होता है।)
तीर्थकर की प्रतिमा म पसीना निकनमा धामि विद्वेष एवं शंपर की गुचना देता है । गुनि और श्रावक दोनों पर किसी प्रकार की विपन्न जाती है नथा दोनों को विधर्मियों द्वारा जपनग महान करना पड़ता है। अकान और अवर्षण की स्थिति भी उत्तपन्न हो जाती है। यदि किसी प्रतिभा 'मीना निकले तो ब्राह्मणों को काट, वे की प्रतिभा ग पसीना निकल तो वैश्यों को ट, कामदेव