Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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परिशिष्टाध्यायः
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जो रोगी सूर्य और चन्द्र-बिम्ब को वाणो गे छिन्न-भिन्न या दोनी के बिम्ब के मध्य काली रेखा देग्नता है अयया दोन विम्ब के टुकड़े होते हुए नग्नता है, उसकी आयु छह महीने की होती है ।।3।।
रात्रो दिन दिने रात्रि य: पश्येदातुरस्तथा ।
शीतला वा शिखां दीपे शीघ्र मृत्यं समादिशेत् ।।39।। जो गेगी रात्रि में दिन का अनुभव नारता है और दिन में नाविना तथा दीपक गोली को शीतल अनुभव करता है, उस रोगी को शीन मृत्यु होती है ।139।।
तन्दुम्रियते यस्यालिस्तेषां भक्तं च पच्यते ।
जहीत्यधिकं तदा चूर्ण भवतं स्याल्लघुमृत्यवः ॥७॥ एक अनलि चाबल लेकर भात बनाया जाय,दि 'If जाने तर भान 3ग प्रगति प|माण ग अशा या I.तो उसी निकट पत्यु समानी चाहिए।-
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अभिमन्यस्तत्र तनुः तच्चरणपियेच्च सन्ध्यायाम् ।
अपि ते पुन: प्रभाते सूत्रे न्यूने हि मासमायुष्कम् ।।41॥ "ॐही गमो रिहत्ताणं कमल कपने विमने-बिमा उदरदवाव इटि मिटि पुलिन्दिनी म्वाहा" इग मन्त्र न भूत को मन्त्रित कर चमगे मायंकान गगी व गिर गलकर परत नापा जाग और प्रातःयान पुनः उगी मुरा में गिर स पर तक ना जाग यदि पान हाल नागने पर मुला छोटा होगा वह व्यक्ति अधिक में अधिमा माग जीवित 114 111
नेता: कृष्णा: पीताः रक्ताश्च येन दृश्यन्ते दन्ताः।
स्वस्य परप्य ३ मुकुरे लघुमृत्युस्तस्य निर्दिष्टः ।।2।। यदि कोई का दगा में नया अन्य कामिन न दाँता यो माना, गाद, नाल या पीला रंग ! देवो तो गमिट मागमा पनी नाहि ।।4211
द्वितीयाया: शशिबिम्वं पश्येन विशृंगपरिहानम्।
उपरि सधूमन्छायं खण्ड वा तस्य गतमायुः ।।3।। मन काकी लीया को यदि नोमा Hai नाव नाण क या बिना बाणि कदम बानि भ! म यो ताग व्यायाम गरण होगा है।।4311