Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 595
________________ 508 भद्रबाहुसंहिता 222 489 468 443 414 271 466 319 ।।3 पुलिंद्रा कोंकणा भोजाः पुष्करिण्या तु पस्तीरे पुष्पं पुष्पे निवध्येत् पुष्पाणि पीत रक्तानि पुष्यं प्राप्तो द्विजान् पुष्येण मंत्रयोगम पुष्ये हते हत पुष्पं पुष्यो यदि द्विनक्षत्रे पूजितः सानुगंगण पूर्व दिशि तु यदा हत्वा पूर्वत: भीर मलिंगान् पूर्वत: समचारेण पूर्वरायपरिवषापूलिगानि वेतना पूर्ववातं यदा हत्यात् पूर्ववातो या पूर्वमन्ध्यां नागराणां पूर्वसन्ध्या यदा वायु पूर्वसन्ध्यारामुरातः पूर्वसरे यदा घोर पूर्वाचार्यैस्तथा पोस्त पूर्वाफाल्गनी गवना पुर्वा फाल्गुनी गुभदा पूर्वाभाद्रपदायांतु पूर्वामुदीचीमंशानी पूर्वार्धदिवस ज्ञेयो पूर्वण विंगक्षामि पूर्वोदय फलं यत पूर्वोवाल: समतः पृष्ठतः पग्लम्माय पृप्टतो वपनः धार पौग नानदा TIT पौरेया अग्गनाथ प्रर्यायवाभावी 393 प्रकृतेर्यो विपर्यासः 432 प्रक्षालितकरयुगल2:0 प्रक्षालितनिजदेहः 202 प्रक्षिप्यति य शस्त्र: 286 प्रजानामनयोोर191 प्रजापत्यमाषाहां 321 प्रज्वलद्वासधूम वा 320 प्रतिलोमोऽनुलोमो188 प्रतिलोमो यदानीके 357 प्रतिसूर्यागमस्तत्र 266 प्रत्युद्गच्छति आदित्य 291 प्रत्युपे पूर्वतः शुनः 87 प्रथम च द्वितीयं च 363 प्रथांग पहले शुत्रो 119 प्रदक्षिणं नु क्षस्य 111 पशि कुर्बीन 50 प्रदक्षिण तु नक्षत्र 1. प्रदक्षिणं प्रयातस्य 163 प्रदक्षिणं यदा याति 142 प्रदक्षिण यदा बान्ति 462 प्रदक्षिणे प्रयाणे तु 28 प्रद्य म्ने वाऽथ उत्पाती 456 प्रपानं य गिवत् पानं 123 प्रभूनवरत्रदाशियनी 165 प्रयाण निमनल्का 106 प्रयाणे ममा बापि 292 प्रयातं पाथिवं पत्र 299 प्रयातास्त गनाया13) प्रयाता यदि वा राजा 332 प्रवरं पातयंदात्यय १६ पवाग्नि सवंतो वाता372 प्रवा दक्षिण मार्ग 394 प्रत्रामामृदय व 16 प्रवाशाः पंचशुक्रस्य 355 277 265 216, 275 308 324 324 287 278 JH0 280 234 434 49 ।86 190 189 ] 190 111 3011 31140 218

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