Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 562
________________ परिशिष्टाध्याय: स्वप्न में समस्त जंघा का टूटना देखने से दो वर्ष में मृत्यु, और कन्धे का भंग होना देखने स दो पक्ष में मृत्यु एवं उदर भंग दबने से एक पक्ष में मृत्यु होती है। स्वप्नदर्शक मन्त्र का प्रयोग कर तथा स्वच्छ और शुद्धतापूर्वक जब रात्रि में शयन कारता है तभी स्वप्न का उक्त फल घटित होता है ।। 8411 छत्रस्य परिवारस्य भी दृष्टे निमितवित् । नृपस्य परिवारस्य ध्र वं मृत्यु समादिशेत् ॥85।। स्वप्न में राजा के छत्र का नंग देखने में मजा व परिवार के. मि.मी व्यक्ति को मृत्यु होती है 118541 विलयं याति य: स्वप्ने भक्ष्यते ग्रहवायसै । अथ करोति यदि मासयुग्मं स जीवति ॥86। जो व्यक्ति स्वप्न में अपना विनयन तथा गर्मी का आभाग अपना मांस भक्षगा देखता है एवं चीं का वमन करते हुए देवताह उगकी दो महीन की आयु होती है 118611 महिषोष्ट खरारूढो नीयत दक्षिणं दिशम् । घृततैलादिभिलिप्ता मासमेकं स जीवति ।।87|| स्वप्न में घृत और नल में स्नान व्ययिता महिए (भसा), ऊंट और गधे के पर सवार हो दक्षिण दिशा की ओर जाता हआ दिवमा गडेना गहीन यो प्रायु समझनी नाहि! 118711 ग्रहणं रविचन्द्राणां नाशं वा पतनं भुवि । रात्री पश्यति य: स्वप्ने विपक्षं तस्य जीवनम् ॥88।। यदि रानि में गाय बन में , चन्द्र आदि ना . विनाण अथवा पृथ्व। पर पलन दिखलाई पई, तो तीन पक्ष की आयु समाना चाहिए ||SHI गृहादाकृष्य नोयेत कृष्णमत्यर्भवप्रदैः। काष्ठायां यमराजस्य शीनं तस्य भवान्तरम् ।।४।। यदि र वन में कृष्ण वणं भय व्यक्ति पर सभी नकार दक्षिण दिला की ओर ले जाते हुए दिखलाई पड़े तो शीनही मरण होता ।।5911 भिद्यते यस्तु शस्त्रेण स्वयं बुद्ध्यति कोपतः । अथवा हन्ति तान् वपने तम्घायुदिनविशतिः ॥७॥ जो म्वान में अपने को किगी अम्बाका नाता है अथवा अभाग

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