Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
अपनी मृत्यु के दर्शन करता है अथवा अस्त्रों को ही तोड़ देता है उसकी मृत्यु बीस दिन में ही हो जाती हैं 119010
यो नृत्यन् नीयते बद्ध्वा रक्तपुष्पैरलतः।
सन्निवेशं कृतान्तस्य मासादूवं स नश्यति ॥1॥ जो स्वप्न में मृतक के समान लाल फूलों से सजाया हुआ नृत्य करते हुए दक्षिण दिशा की ओर अगने को बांधकर ले जाते हुए देखता है वह एक मास से कुछ अधिनः जीवित रहता है 119।
लैलपरितगर्तायां रक्तकीकसपरिभिः।
स्वं मग्नं वीक्ष्यते स्वप्ने मासार्द्ध म्रियते स वै ।।92॥ जी त्या- म रुधिर, चीं, पीर (पीब), चमड़ा, घी और तेल स भरे गड्वे में गिरवार डूबता हुआ देवता है उसकी निश्चित 15 दिनों में मृत्यु हो जाती है, 119211
बन्धनेऽथ वरस्थाने मोक्षे प्रयाणके ध्र वम् ।
सौरभेये सिते दष्ट यशोलाभं निरन्तरम् ॥93॥ वन में श्वेत गाय बंधी हुई, तथा खुटे स चुनी हुई एवं चलती हुई दिखलाई पड़े तो हमेणा यश प्राप्ति होती है 1193।।
नदीवक्षसरोभभत् गृहकुम्भान मनोहरान् ।
स्वप्ने पश्यति शोकातः सोऽपि शोकेन मुच्यते ॥941 स्वप्न में नदी, वृक्षा, तालाब, गवत, पर नया गुन्दर मनोहर कलश दिखलाई पतो दुःयी व्यक्ति भी य म मुक्त हो जाता है ।1941
शयनाशनज पानं गृहं वस्त्रं सभूषणम् ।
सालंकारं द्विपं वाहं पश्यन शर्मकदम्बभाक् ॥95।। जो स्वप्न में सोना, भोजन-पान, घर, वस्त्रा-भगण, अलंकार, हाथी तथा अन्य वाहन आदि या दर्शन करता है उस सभी प्रकार के सुख उपलब्ध होते है 1195।।
पनाकामसियष्टि च पुष्पमाला सशक्तिकाम् ।
काञ्चनं दीपसंयक्तं लात्वा बुद्धो धनं भजेत् ।।96॥ गगन में मनाया गया, मास, PTETTI आदि को स्वर्णदीपक के द्वारा देखना झुश दियाई पड़े नो धन की प्राप्ति होती है 11961