Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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परिशिष्ट
दिखलाई पड़े और स्वप्न दर्शन के अनन्त र निद्रा टूट जाय, उसके धन का विनाश होता है ।।। 221
रक्तानां करवीराणामुत्पन्नानामुपानहम्।
लाभे वा दर्शनं स्वप्ने प्रयातस्य विनिदिशेत् ॥1231 यदि स्वप्न में लाल-लाल तलवार धारण किये हुए वीरपुरुषों के जून का दर्शन या लाभ हो तो यात्रा की सफलता समझनी चाहिए 1 1 2 3॥
कृष्णवाहाधिरूढो य: कणवासो विभूषितः ।
उद्विग्नश्च दिशो याति दक्षिणां गत एव स: ॥1240 स्वप्न में कृष्ण सवारी पर आरूद, कृष्ण बस्त्रों में विभूषित एवं उद्विग्न होता हुआ दक्षिण दिशा की ओर जाते हुए देखे तो मृत्य समझनी चाहिए ।। | 24॥
कृष्णा च विकृता नारी रौद्राक्षो च भयप्रदा ।
कर्षति दक्षिणाशायां यं ज्ञेयो मत एव सः ।। 125॥ स्वप्न में जिस व्यक्ति को काली कालूटी विकृत वर्ण की भयानक नारी दक्षिण दिशा की ओर लींचनी हुई दिखलायी पड़े उमकी निश्चित रूप से मृत्य समझनी चाहिए 11250
मुण्डितं जटिलं रूक्षं मलिनं नीलबाससम्।
रुष्टं पश्यति य: स्वप्ने भयं तस्य प्रजायते ॥1261 जो स्वप्न में मुगिरत, जटिल, रूक्ष, मलिन और नील वस्त्र धारण किये हुए हाट रूा में आने को देखता है उसे भय की प्राप्ति होती है ।। 1 2611
दुर्गन्धं पाण्डुरं भीमं तापसं व्याधिविकृतिम् ।
पश्यति स्वप्ने (...) ग्लानि तस्य निरूपयेत ॥1271 रवाल में जो दुर्गन्ध एक्त, नोने एवं भयंकर व्याधिकयुक्न तापवी को देखता है उमे ग्नानि होती है ।।12711
वक्षं वल्ली छपगुल्मं वल्मीकि निजांकगाम ।
दष्टवा जागति य: स्वप्ने ज्ञेयस्तस्य धनक्षय: ॥12॥ जो बन में 7. लता, लोटे-छोटे गुलम या कमीकि-बाँबी को अपनी गांदी में देता है और म्वन दर्शन के पश्चात भाग जाता है उगा धन का विनाश होता है ।।।2811