Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
मनग्य यो धान की प्राप्ति होती है तथा जमका दुव नष्ट हो जाता है ।10311
बन्धनं बाहुपाशन निगडैः पादबन्धनम् ।
स्वस्य पश्यति य: स्वप्ने लाति मान्यं सुपुत्रकम् ।।1040 जो म्यान म अान हाथ और पाय को बँधा हुआ देखता है उसे पुत्र की प्राप्ति होता है ।।1041
दृश्यते श्वेतसर्पण दक्षिणांगं पुमान् भुवि ।
महान् लाभो भवेत्तस्य बुध्यते यदि शीघ्रत: 105। जो ब्यक्ति स्वप्न में अपनी दाहिनी ओर हवेत गांप को देवता है और स्वप्न दर्शन नात् तत्काल 35 है. जो अत्यन्त लाम होता है |
अगम्यागमनं पश्येदपेयं पानकं नरः।
विद्यार्थकामलाभस्तु जायते तस्य निश्चितम् ॥106 जो व्यक्ति बन में आगगा बी के साथ म मगम वारी हा देशाता है तथा र सम्भा को गाना देवता है, उस विद्या, विषयमच और अर्थ लाभ होता है।।100
सफन पिति क्षीर रोप्यभाजनसंस्थितम् ।।
धनधान्यादिसम्पतिविद्यालाभस्तु तस्य वै।।110711 जो व्यक्ति स्वग्न गं चांदी के बर्तन में स्थित फेन महित दूध को पीते हुए देवता है, गनिन्चयग धन-धान्य आदि सम्पत्नि की प्राप्ति तथा विद्या का लाभ होता है 111400
घटिताटितं हम पीतं पुष्पं फलं तथा ।
तस्मै दत्ते जनः कोऽपि लाभस्तस्य सुवर्णज: ।।।०४। जो व्यक्ति वा न म वर्ण जयना स्वर्ण व आभूषण तथा पीत पुष या फल को अन्य किगी व्यक्ति द्वारा ग्रहण करते हुए दखता है, उसे स्वर्ण की, स्वर्णाभूषणों की प्राप्ति होती है ।। 108||
शुभं वृषभवाहानां कृष्णानामपि दर्शनम्।
पाणां कष्णद्रव्यागामालोको निन्दितो बुधः ।।10911 PAT में कृष्ण वर्ग बन, हाश्री आदि वाहनों का दर्शन शुभकारक होता है तशा अन्य [ अर्थ की वस्तुओं का दन बिहानी द्वारा निन्दित कहा गया है ।।109।।