Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पविशतितमोऽध्यायः
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के मत से 7 महीने में), नीमरे प्रहर में देखे गये स्वप्न तीन महीने म, चीधे प्रहर में देखे गये स्वप्न एक महीने में (वराहमिहिर के गत ने 16 दिन में), ब्राह्म गृहर्त (उषाकाल) में देखे गये स्वप्न दस दिन में और प्रातःयाम सूर्योदय से कुछ पूर्व देग गये स्वप्न अतिशीघ्र फल देन हैं । अब नान ज्योतिषशास्त्र या आधार पर कुछ स्वप्नों का फल उद्धत किया जाता है
अगुरु-जैनाचार्य भद्रबाहु के मन में- काल रंग का अगुरुदखने गनिसन्देह अर्थ लाभ होता है। जैनाचार्य सेन मुनि के मत में, गुरुख मिलता है। वराहमिहिर के मत , धनलाभ के साथ स्त्रीलाभ भी होता है। बहस्पति के मत रा. -ट मित्रों के दर्शन और आचार्य मयुख एवं दैवज्ञचर्य माणापति रे मत अर्थला के लिए विदेश-गमन होता है। ____ अग्नि-जैनाचायं चन्द्रमेन मुनि के मत से धूम युक्त अभियान में उत्तम काति, वराहमिहिर और पाण्डेय ने मत प्रज्वलित का दाग कार्यामद्धि, दवज्ञ गणपति का गम गे अग्निभाण नादम्वन भनिना। य गाय स्त्री रन की प्राप्ति और वह पति के गत में जायल्या जननी । ...Anur होता है।
अग्निन्दग्ध-जो मनुष्य आमन, पाय्या, या रवान पर वयं धित हो कर अपने शरीर को अग्नि दग्ध होते हए दखनी, मतान्तर अन्य को जन्नता हा देखे और तत्क्षण जाग उठे, तो उसे धन-धान्य की प्राप्ति होती है। अनि में जन कर मत्यू देखने में रोगी पृरुप की मत्यु और स्वस्थ पुरुष बीमार पड़ता है । मह अथवा दूसरी वस्तु को जलने हुए देखना शुभ है । वराहमिहिर के मत से अग्निलाभ भी शुभ है।
अन्न- अन्न देखने में अर्थ-लाभ और सन्तान सी प्राप्ति होती है। आचार्य चन्द्रमेन के मन में प्रवेत अन्न देखने ग डाट मित्रों की प्राप्ति, लान अन्न देखने में रोग, पीला अनाज देखने में हर्ष और कृष्ण अन्न देखने में मृत्यु होती है ।
अलंकार--- अलंकार देग्वना गभ है, परन्तु पहनना कष्टप्रद होता है।
अस्त्र---अस्त्र देखना शुभ फलप्रद, अस्य द्वारा शरीर म साधारण चोट लगना तथा अस्त्र लेकर दूसरे का सामना करना विजयप्रद होता है।
अनुलेपर-श्वेत रंग की वस्तुओं का अनुलेपन शुभ फल देने वाला होता है। वराहमिहिर ने मत से लाल रंग के गन्ध, चन्दन तथा पृष्ठमाला आदि का द्वारा अपने को शोभायमान देदे तो शीत मृत्य होती है।
अन्धकार--अन्धकारमय स्थानों में अति रन, भूमि, गुफा, मुरंग आदि स्थानों में प्रवेश होते हुए देखना रोगमुचक है।
आकाश-भद्रबाहु के मत से निर्मल आकाश देखना शुभ पलप्रद, लाल वर्ण की आभा वाला आकाश देखना वाटप्रद और नील सणं का आकाश देखना