Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
458
भद्रबाहुसंहिता
शान्ति, गृह, वाटिका विधायक नक्षत्र
उतरायरोहिण्यो भास्करश्च ध्रुवं स्थिरम् ।
तत्र स्थिर बीजगहशान्त्यारामादिसिद्धये ॥ उत्तराफाल्गुनी, उत्तरापाढा, उत्तराभाद्रपद और रोहिणी ये चार नक्षत्र और रविवार, इनकी ध्रुब और स्थिर संज्ञा है। इनमें स्थिर कार्य करना, बीज बोना, घर बनवाना, शान्ति कार्य करना, गाँव के समीप बगीचा लयाना आदि कार्यों के साथ मदु कार्य करना भी शभ होता है।
हाथी-घोड़े की सवारी विधायक नक्षत्र
स्वात्यादित्य श्रुतस्त्रीणि चन्द्रश्चापि पर चलम् ।
तस्मिन् गजादिमारोहो वाटिकागमनादिकम् ।। स्वाति. पुनर्वगु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा में पांच नक्षत्र और सोमबार इसकी चर और नल राज्ञा है । इनमें हाथी-घोड़े आदि पर चढ़ना, बगीचे आदि में जाना, यात्रा मारना आदि शुभ होता है। विषशस्त्रादि विधायक नक्षत्र
पूवं त्रयं याम्यमघे उग्रं ऋरं कुजस्तथा । तरिमन पातानिमात्यानि विगात्रादि सिद्ध्यति । विशाखाग्नयभे मोम्यो मिथं साधारणं स्मृतम् ।
त वाग्निकार्ग मिथं च वृपोन्सर्गादि सिध्यति ।। गिनी, पूर्वापाहा, भाद्रपद, भरणी. मघा ये पांच नक्षत्र और मंगल दिन की क्रूर बार इन राज्ञा है। इनमें मारण. अग्नि-कार्य, धूर्ततापूर्ण कार्य, बिपकाय, अस्त्र- णि एवं उमरावहार करने का कार्य सिद्ध होता है।
विशा', Riका ये दो नक्षत्र और बुध दिन इनकी मिथ और साधारण संज्ञा है। इसमें अग्निहोत्र, साधारण कार्य, पोत्सर्ग आदि कार्य सिद्ध होते हैं । आभूषणादि विधायक नक्षत्र
है प्याभिनितः क्षिला घुगु मस्तदा ।
यि तिज्ञानभूपाशिल्पकलादिकम् ।। हात. नी, 'प, अभिजित् ये चार नत्र और बृहस्पति दिन, इनकी
और आप और गा गंजा है। इनमें बाजार का कार्य. सजी-समाग, स्त्रादि का शान, मागणी का बनवाना और पहनना, जिसकाग, गाना-बजाना आदि कार्य सफ न हो। है।