Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
View full book text
________________
430
सहिता
केशी और कृष्ण वर्ग के दीवाली स्त्री का दर्शन या आलिंगन करना देखने से छः माग के भीतर मृत्यु और कृष्ण वर्ण बाली पापिनी आचार्यवहीना लम्बकेशी लम्बे रतन वाली और मैंने वस्त्र परिहितास्त्र और आलिंगन करना
देखने में शीघ्र मृत्यु होती है।
तिथियों के अनुसार स्वप्न का फल -
71
शुक्लपक्ष को प्रतिपदा
मिलता है ।
इस तिथि में स्वप्न देखने पर विलम्ब से फल
शुक्लपक्ष की द्वितीया- इस तिथि में स्वप्न देखने पर विपरीत फल होता है | अपने लिए देखने से दूरी को और दूसरों के लिए देखने में अपने को फल मिलता है।
-
शुक्लपक्ष की तीया उस तिथि में भी देखने में विपरीत फल मिलता है । पर फल की प्राप्ति है।
शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और पंचमी तिथियों में स्वप्न देखने दो महीने मेरी वर्ष तक के भीतर छवि है।
शुक्लपक्ष की षष्ठी, सनम अष्टमी, नवमी और दशमी इन तिथियों में स्वप्न देने से फल की प्राप्ति होती तथा स्वप्न सत्य निकलता है । शुक्लपक्ष की एकादशी और द्वादशी तिथियों में स्वप्न देखने से विलम्ब
से फल होता है।
——
शुक्लपक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी - इन तिथियों में स्वप्न देखने मे स्वप्न का फल नहीं मिलता है तथा स्वप्न विया होते है।
पूर्णिमा- इस विधि के स्वप्न का फल अवश्य मिलता है । कृष्णपक्षको प्रतिपदा- इस तिथि के स्वप्न का फल नहीं होता है ।
कृष्णपक्ष की द्वितीया-इन तिथि के स्वप्न का फल विलम्ब से मिलता है। मतान्तर से इसका स्वप्न सार्थक होता है।
कृष्णपक्ष की तृतीया और चतुर्थी इन तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते हैं । कृष्णपक्ष की पंचमी और वा इन तिथियों के स्वप्न दो महीने बाद और तीन वर्ष के भीतर फल देने वाले होते है। कृष्णपक्ष की सप्तमी इस तिथि का स्वप्न अवश्य मीत्र ही फल देता है। कृष्णपक्ष की अष्टमी और नवमी - इन तिथियों के स्वप्न विपरीत फल देने बाने होते हैं ।
-
कृष्णपक्षको दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी का तिथियों के स्वप्न मिथ्या होते है।
कृष्णपक्षको चतुर्दशी तिथि का स्वराज्य होता है तथा नीघ्र हो फल देता है।