Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुमंहिता
की उन्नति होती है। नवीन साहित्य के सृजन के लिए वह उत्तम अवसर है । यदि परम्परानुसार ग्रहों के आगे सौभ्य ग्रह स्थित हो तो वर्षा अच्छी होती है, साथ ही देश का आर्थिक विकास होता है और देश के नये मन्त्रिमण्डल का निर्वाचन भी होता है। धारा सभाओं और विधान सभा के सदस्यों में मतभेद होता है | विश्व में नवीन वस्तुओं का अन्वेषण होता है, जिससे देश की सांस्कृतिक परम्परा का पूरा विकास होता है। नृत्य, गान और उसी प्रकार के अन्य कलाकारों को साधारण सम्मान प्राप्त होता है। यदि शुक्र, शनि, मंगल और बुध खे ग्रह बृहस्पति से युत या दृष्ट हों तो सुभिक्ष होता है, वर्षा साधारणतः अच्छी होती है । दक्षिण भारत में फसल उत्तम उपजती है । सुपाड़ी, नारियल, चावल, एवं गुड़ का भाव तेज होता है। जब क्रूर ग्रह आपस में युद्ध करते हैं तो जन-साधारण में भय, आतंक और हिंसा का प्रभाव अंकित हो जाता है। शुभ ग्रहों का युद्ध शुभ फल देता है ।
पंचविंशतितमोऽध्यायः
नक्षत्रं ग्रहसम्पत्या कृत्स्नस्यार्थं शुभाशुभम् । तस्मात् कुर्यात् सदोत्थाय नक्षत्रग्रदर्शनम् ॥
समस्त तेजी-मन्दी नक्षत्र और ग्रहों के शुभाशुभ पर निर्भर करती है, अत: सर्वदा प्रातः उठकर नक्षत्रों और ग्रहों का दर्शन करना चाहिए ||
सर्वे यदुत्तरे काष्ठे ग्रहाः स्युः स्निग्धवर्चसः । तदा वस्त्रं च न ग्राह्यं सुसमासाम्यमर्धताम् ॥21
यदि स्निग्ध, तेजस्वी ग्रह उत्तर दिशा में हो तो वस्त्र नहीं लेना चाहिए: क्यों कि वस्त्रों के मूल्य में समता रहती है, मूल्य में च-बढ़ी नहीं होती ॥2
क्षीरं क्षौद्र यवाः कंगुरुदाराः सस्यमेव च । दौर्भाग्य चाधिगच्छन्ति नंवा निचया यद्बुधः ॥३॥
दूध, मधु, जौ, गुरु, धान्य आदि पदार्थ बुध की स्थिति के अनुसार तेज और