Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पंचविंशतितमोऽध्यायः
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पूर्णिमा को आकाश स्वच्छ हो, वादलों का अभाव रहे, निर्मल चाँदनी वर्तमान रहे तो मुभिक्ष होता है, साथ ही अनाज में साधारण लाभ होता है। बाजार सन्तुलित रहता है, न अधिक ऊंचा ही जाता है और न नोचा ही। जो व्यक्ति ज्येष्ठ पूर्णिमा की उपत स्थिति में धान्य, गुड़ का संग्रह करता है, वह भाद्रपद और आश्विन में लाभ उठाता है। गेहूँ, चना, जी, तिलहन में पौष के महीने में अधिक लाभ होता है । यदि इस पूणिमा को दिन में मेघ, वर्षा हो और रात में आकाण स्वचल रहे तो व्यापारियों को माधारण लाभ होता है तथा मार्गशीर्ष, माघ और फाल्गन में वस्तुओं में हानि होने की सम्भावना है। रात में इस तिथि को बिजली गिरे, उल्कापात हो, भूकम्प हो, चन्द्र का पग्नि दिखलाई गहे. इन्द्रधनुष लाल या काले रंग का दिखलाई पड़े तो अनाज का संग्रह करना चाहिए। इस प्रकार नी स्थिति में अनाज में कई मुना लाभ होता है । गोना, चांदी के मूल्य में माधारण तेजी आती है। ज्याठी पूर्णिमा को मध्य रात्रि में चन्द्र परिवेप उदास-सा दिखलाई पड़े और स्थार रह-रहकर बोलें तो अन्नसंग्रह की सूचना समदाना चाहिए। चारे का भाव भी तेज हो जाता है और प्रत्येक वस्तु मलाम होता है। घी का भाव कुछ सस्ता होता है तथा तेल की कीमत भी गस्ती होती है। अगहन और पौष मास में सभी पदामों में लाभ होता है। काम का महीना नाम लिए उतम है । यदि ज्याठी पूर्णिमा को चन्द्रोदय या चन्द्रास्त गम्य उल्लापात हो और आकाश में अनेक रंग-बिरंगी तागाएं चमकती हुई भूमि पर गिरें तो सभी प्रकार के अनाजों में तीन महीने के उपरान्त लाभ होता है। तांबा, पीतल, यांसा
आदि धातुओं में और मयाले में कुछ त्राटा भी होता है। ___ आपाढी पूर्णिमा को आकाश निर्मल और उबन्न चाँदनी दिवसायी पड़े तो सभी प्रकार के अनाज पांच महीने के भीतर तंज होते हैं। नानिक महीने में ही अनाज में लाभ होना प्रारम्भ हो जाता है । गोन का भाव माघ के महीन ग महंगा होता है । सट्टे के व्यापारियों को साधारण लाभ होता है। मृत, बापदा और जूट के व्यापार में लाभ होता है; किन्तु इन वस्तुओं का व्यापार अस्थिर रहता है, जिगसे हानि होने की भी गम्भावना रहती है। यदि आपाही गिगा को मध्य रात्रि के पश्चात आकाश लगातार निर्मन रहे तथा मध्य गनिन; गहल आकाश मेघानान्न रह तो ती फमन पं. अनाज में लाभ होता है। अगहनी और भदई फराल के अनाज में लाभ नहीं होता । गाधारणतया बस्तुओं भाव ऊँन आने हैं। घी, ग्ड, लेन, नांदी, बारदाना, गुवार, मटर आदि वनक्षी का रुम भी नेजी नी ओर रहता है । शेयर के बाजार में भी हीनाधिक-पटर-ट्री होती है। लोहा, रबर इन पदार्थों में बनी बस्तुओं की व्यापार में लान होने की गम्भावना अधिया रहती है। यदि आपाढी पूर्णिमाको दिन भर बा हो और गत में चांदनी न निकले, बुवा-बूंदी होती हो तो अनाज में लाभ होने की सम्भावना नहीं