Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पंचविंशतितममोऽध्यायः
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संक्रान्तिवाहनफलबोधक चक्र
लागर वाणाचाee
करण यन्त्र गालव कौनव नतिल| गर वणिज विष्टि शनि चतः ना किस्तुर स्थति नही ही सही मोती बैठी वडी ही सोती बड़ा |सातो बड़ी फल मध्यम मध्यम महर्ष समर्ध मध्यम मह महर्घ मह समर्थ समर्थ महर्ष वाहन सिंह याघ्र राह गर्दभ हस्ती महिषा घोडा कुना काल कुक्कुट]
गज अश्व बल मेंढा गर्दभ ऊँट सिंह शार्दूल महिप व्याघ्र यानर
फल भय भय पास मुभित लवमी क्लेश स्त्र मुभिमनश स्थैर्य मृत्यु ।
समापनेत
लिएर मागाला निम्न कम्बल नग्न घनवणे,
आयुध भुशुढी गदा | ग्वन दण्ड धनुष नामार कन्न पाश | अंकुश
वाण
पात्र सुवर्ण रूपा नाम्र कस्थि लोह का पत्र वस्त्र कर भूमि काष्ठ गय अन्न पायस भचय पक्काम पय विधि चित्रामगड पर मन गाय लेपन कस्तुरी कुम चन्दन भाटी लाहरुदा मामा चन्द्र अगर कार | वर्ण दर भूल सर शु मृग नक्षत्री वश्य र मिन अन्यज पुष्प गुग आयो बकुल किनको बलमaai मलिका भूषण नपुर कंकण पोला मना मुकुटमणि गुजाकोसी कीलक पुमाग सुवर्ण कंचुकी विचित्र पूर्ण हरिन भुजपपा। वेतनाल रञ्जन |वश्कल पार वय वाला मागताना धौदा जावया
"बन्ध्या वती ।