Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पचविंशतितमोध्यायः
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मन्दे होते हैं । अर्थात् उस्त पदार्थों की स्थिति बुध पर आथित है ।।3।।
पष्टिकानां विरागाणां द्रव्याणा' पाण्डुरस्य च ।
सन-कोद्रव-कंगनां नीलाभानां शनैश्चरः ।।। साठिका चावल, श्वेतरंग से भिन्न अन्य रंग के पदार्थ, मन, कोद्रव, कंगन और समस्त नील पदार्थ शनैश्चर के प्रतिपुद्गल हैं ॥६॥
यव गोधूम-बीहोगा शुक्लधान्य-मसूरयोः ।
शूलीनां चैव द्रव्याणां शुक्रस्य प्रतिपुदालाः ॥5॥ जौ, गहूँ, चावट, ज्वेत रंग के अनाज, मसूर, गूलर आदि पदाथं शुक्र के प्रति पुद्गल है ।।51
मधु-सपि:-तिलानाञ्च क्षीराणां च तथंव च ।
कुसुम्भस्यातसीनां च गर्भाणां च बुधः स्मृतः ।।6।। मधु, धी, तिल, दूध, पुष्प, केसर, तीसी, गर्भ आदि बुध के प्रतिपुद्गल हैं ।।6।।
कोशधान्य सर्षपाश्च पीतं रक्तं तथाग्निजम्।
अंगारकं विजानीयात् सर्वेषां प्रतिपुद्गलाः ॥7॥ कोश, धान्य, सपंप, पीत-रक्त वर्ण के पदार्थ, अग्नि में उत्पन्न पदार्थ मंगल के प्रतिगुद्गल हैं !17|
महाधान्यस्य महतामिक्षणां शर-वंशयोः ।
गुरूणां मन्दपोतानामयो यो बृहस्पतिः ॥8॥ मोटे धान्य, इक्ष, बंश नया बड़े-बड़े मन्द पोले पदार्थ बृहस्पति के प्रतिपुद्गल है ।।81
मुक्तामणि-जलेशानां सूर-सौ वीर-सोमिनाम् ।
शृषिणामुदकानां च सौम्यस्य प्रतिपुद्गला: ॥9॥ नुक्ता-मणि, जल उदान्न पदार्थ, सोमलता, वर या अन्य सुटे पदार्थ, कांजी, गी पदार्थ और समस्त जलीय पदार्थ पन्द्रमा के प्रति पुदगल है 11911
उद्भिजानां च जन्तूनां कन्द-मूल फलस्य च । उष्णवीवियाकस्य रवस्तु प्रतिगुद्गलाः ॥10॥
1. पाय ॥12. !
. । 3. मालाना भु । 4.
निजग म ।