Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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एकोनविंशतितमोऽध्यायः
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में दुगुनी वृद्धि एवं उत्तर भारत के निवासियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है । कुम्भ के मंगल में खण्डवृष्टि, मध्यम फसल, खनिज पदार्थो की उत्पत्ति अत्यल्प, देश का आर्थिक बिकास, धार्मिक वातावरण यी वृद्धि, जनता में सन्तोष और शान्ति रहती है। मीन राशि के मंगल में एकः महीने तक समस्त भारत में सुख-शान्ति रहती है। जापान के लिए मीन राशि का मंगल अनिष्टप्रद है, वहाँ मन्त्रिमण्डल में परिवर्तन, नागरिकों में सन्तोष, खाद्यान्ना की कमी एवं अर्थ-संकट भी उपस्थित होता है। जर्मन के लिए मीन रशिया मंगल शुभ होता है। रूस और अमेरिका में ५२: महानुभाव इसी मंगल में होता है । मीन राशि का मंगल धान्यों की उत्पत्ति के लिए उत्तम होता है । स्वनिज पदार्थो की कमी इसी मंगल में होती है। कोयला का भाव ऊंचा उठ जाता है। पत्थर, सीमेण्ट, चूना आदि के मुख्य में भी वृद्धि होती है । मीन शणि का मंगल जनता के स्वास्थ्य के लिए नाम नहीं होता। ___ नक्षत्रों के अनुसार मंगल का फल.... अश्विनी नक्षत्र में मंगल हो तो क्षति, पीड़ा, तण और अनाज का भाव तेज होता है। समस्त भारत में एक महीने के लिए अशान्ति उत्पन्न हो जाती है। चौपायों में रोग उत्पन्न होता है। देश में हलचल होती रहती है 1 सगी लोगों को किसी-न-विमी प्रकार का नष्ट होता है । भरणी नक्षत्र में मंगल हो तो ब्राह्मणों को पीडा, गादों में अनेक प्रकार के कष्ट, नगरों में महामारी का प्रकोप, अन्नाभाव तेज और रस पदाथों का भाव सस्ता होता है। प्रवेणी के मूल्य में वद्धि हो जाती है तथा चार के अभाव में भवेणी को कष्ट भी होता है । कुत्ति । नक्षत्र में मगन्न क होने में तपस्वियो । पीड़ा, देश में उपद्रव, अराजकता, बीरिया की वृद्धि, अनंतिर.ता एवं भ्रष्टाचार का प्रसार होता है । रोहिणी नक्षत्र में मंगल के रहने में यक्ष और पयशी यो कष्ट, कपास
और मूत के व्यापार में लाभ, धान्य का भाव मस्ता होता है। मंगगिर नक्षत्र में मंगल हो सो कपास का नाश, जप वस्तुओं की अनही उत्पनि होती है। इस नक्षत्र पर मंगल के रहन से दश का आर्थिक विकास होता है। उन्नति के लिए विये गये सभी प्रयास सफल होते हैं। तिल, तिलहना की कामी रहती है तथा भैगों के लिए यह मंगल बिना कारक है । आर्द्रा नक्षत्र में मंगल य. रहने में जल की वर्मा, मुभि और धान्य का भाव गाता होता है। पुनर्वसु नक्षत्र में मंगल का रहना देगा का लिए मध्यम फलदायक है । बुद्धिजीवियों के लिए यह मंगन उत्तम होता है। शारीरिक श्रम करने वालों को मध्य म रहता है । रोना में प्रविष्ट हुए व्यक्तियों का लिए अनिष्टकर होता है। प्य नक्षत्र में स्थित मंगल से चोर भय, शस्त्र'भय, अग्निभय, राज्य को शक्ति । लास, रोगों का विकास, धान्य का अभाव, मधुर पदार्थों की कमी एवं चोर-गुण्डा का उत्पात अधिक होने लगता है । आपलेषा नक्षत्र में मंगल क स्थित रहन से शस्त्रधात, धान्य II नाश, वर्षा का अभाव, बिमैले जान्नों का