Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भंद्र बाहुसंहिता
वानी होती है । नेताओं में मतद, भट और कलह रहने से जनसाधारण को मी कष्ट होता है । बांग्लादेश के लिए वृप का मंगल अनिष्टप्रद होता है। खाद्यान्न का अभाव होने के साथ भयंकर बीमारियाँ भी उत्पन्न होती हैं । मिथुन राशि में मंगल के स्थित होने से अच्छी वर्षा होती है। देश के सभी राज्यों और प्रदेशों में सुभिक्ष, शान्ति, धर्माचरण, न्याय, नीति और सच्चाई का प्रसार होता है। अहिंसा और सत्य का व्यवहार बढ़ने से देश में शान्ति बढ़ती है। सभी प्रकार के अनाग सगघं रहते हैं। सोना, चाँदी, लोहा, तांग, काँसा, पीतल आदि खनिज धातुओं के व्यापार में साधारण लाभ होता है। पंजाब में फसल बहुत अच्छी उपजती है। फल और तरकारियाँ भी अच्छी उपजती है। कर्क राशि में मंगल हो तो भी शुभिक्ष और उत्तम बर्षा होती है। उत्तर प्रदेशा में काशी, कान्नौज, मथुरा में उत्तम फरास नहीं होती है, अवशेष स्थानों में उत्तम फसल उपाती है । सिंह राशि में मंगल के रहने से सभी प्रकार ने धान्य महंगे होते है। वर्षा भी अनजी नहीं होती। राजस्थान, गुजरात, मध्य भारत में साधारण वर्षा होती है । भाद्रपद मास में भर्ग का योग अत्यल्प रहता है। आश्विन मास वर्षा और फराल के लिए उत्तम गने जाते हैं। सिंह राशि के नंगल में क्रूर कार्य अधिन होते हैं, युद्ध और सार्थ अधिक होता है। राजनीति में परिवर्तन होता है। साधारण जनता को भी काट होता है। आजीविका साधनों में कमी आ जाती है । कन्या २f के मंगल में वृण्वप्टि, धान्य रास्त, थोड़ी वर्मा, देश में उपद्रव, क्रूर कार्यो में प्रवृत्ति, अनीति और अत्याचार का व्याप, ए से प्रचार होता है । बंगाल और पंजाब में नाना प्रकार के पाय होते हैं। महामारी का प्रकोप आसाम और बंगाल में होता है। उत प्रदेश और मध्यप्रदेश के लिए कन्या गशि का मंगल अछा होता है। तुला राशि न: मंगल में किसी बड़े नेता या व्य वित की मृत्यु, अमन-शान की वृद्धि, माग में यचारों का विशेष उपद्रव, अराजकता, धान्य का पात्र महंगा, रस का भाव रास्ता और सोना-चाँदी का भाव कुछ महंगा होता है । गापारियों को हानि उठानी पड़ती है । वृश्चिक राशि के मंगल में पारण यापा, मध्यम माम, देश का आर्थिक विकास, ग्रामों में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रयोग, पहाड़ी प्रदेशों में दुकाल, नदी के तटवर्ती प्रदेशों मुभिक्ष, नतालों में संबटन की भावना, विदेशों से व्यापारिक सम्बन्ध का विकास, राजनीति में उथल-पुथल एवं पूर्वीय देशों में महामारी फैलती है । धनु राशि में मंगल में सामानुकल यथेष्ट वर्ग, मुनिक्ष, अनाज का भाब सस्ता, दुग्ध-वा आदि पदार्थों की कमी, चीनी-गुट्ट आदि मिष्ट पदों की बहुलता एवं दक्षिण : प्रदेशों में उत्पात होता है । मकर राशि मंगल में धान्य पीड़ा, फायल में अनेक रोगा की उत्पनि, मवेशी को बष्ट, चारे का अभाव, व्यापारियों का असा लाभ, पश्चिम के व्यापारियों को हानि; गहें, गुड़ और मशाले के मूल्य