Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता शेषमीत्पातिकं प्रोक्तं विधानं भास्करं प्रति।
ग्रहयुद्धे 'प्रवक्ष्यालि सर्वगत्या च साधयेत् ॥2॥ अवशेष मूर्य का प्रौपातिक विधान समझना चाहिए। ग्रहयुद्ध का वर्णन कामगा, उनकी सिद्धि गति आदि ग करनी चाहिए ||21||
इति भद्रबाहुविरचिते निमित्त शास्त्र आदित्याचारो नाम
द्वाविंशतितमोऽध्यायः ।। 2241
विवेचन - पुर्वाषाढ़ा, उन राषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, उत्तराभाद्रपद, रेवती, अजिबनी, भरणी, यत्तिका, आर्द्रा, पुनर्वस, पृष्य, आश्लेषा और भया ये 1 4 नक्षत्र 'चन्द्र नक्षत्र एवं पूर्वाभादद, शतागपा, मगशिरा, रोहिशी, पूर्वाफाल्गुनी, उतराकासगुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा और मुल में 13 नक्षत्र गय नक्ष' प्रहलाते हैं। यदि सूर्ण नक्षत्रों में चन्द्रमा और चन्द्रनक्षों में गुर्य हो तो वर्षा होती है। चन्द्र नक्षत्रों में यदि मूर्य और चन्द्रमा दोनों हों तो अल्पष्टि होती है, किन्तु यदि गुयं नाव पर सूर्य-चन्द्रमा दोनों हों तो वृष्टि नहीं होती । सुर्ग नक्षत्र पर मर्य ने आने में वायु चलती है, जिमसे वायु-दोष के कारण वर्षा नहीं होती। चन्द्रमा नन्द्र नक्षत्रों पर रहे तो केबल वादल आच्छादित रहते हैं. वर्मा नहीं होती । कर्क संक्रान्ति के दिन रविवार होने से 10 विश्वा, सोमवार होने से 20 विण्या, मंगलवार होने से 8 विश्वा, बुधवार होने से 12 विश्वा, गुभवार होने में १९ विश्वा, शुक्रवार होने से भी 18 विश्वा और शनिवार होने से 5 विश्वा वर्मा होती है। शक संक्रान्ति के दिन शनि, रवि, बुध और मंगलवार होने में अधिक वृष्टि नहीं होती, शेप वारों में सुवृष्टि होती है । चन्द्रमा के जलराशि पर स्थित होने पर मूर्य कर्क राशि में आये तो अच्छी वर्षा होती है। मेष, वृष, मिथुन और मीन राशि पर चन्द्रमा के रहते हुए यदि सूर्य कर्क राशि में प्रविष्ट हो तो 100 आढया वर्षा होती है। कर्क संक्रान्ति के समय धनुष और सिंह राशि पर चन्द्रमा के होने से 50 आढक बर्षा होती है । मकर और कन्या राशि पर, चन्द्रमा के रहने से 25 आढक वर्षा एवं तुला, वृश्चिका, कुम्भ और कर्क राशि पर चन्द्रमा के होने से साढ़े 12 आहक प्रमाण वर्षा होती है । कर्क राशि में प्रविष्ट होते हुए सूर्य को यदि वृहस्पति पूर्ण दृष्टि से देखे अथवा तीन चरण दृष्टि से देखें तो अच्छी वर्षा होती है। श्रावण के महीने में यदि कर्क संक्रान्ति के समय मेघ खुब छाये हों तो सात महीने तक मुभिक्ष होता है और अच्छी वर्षा होती है । मंगल के दिन सूर्य की कर्क संक्रान्ति और शनिवार को मकर संक्रान्ति
1 च वक्ष्यामि मु० ।