Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
वर्षा, धान्य का भाव तेज, प्रजा में भय एवं मीन राशि में चन्द्रमा के रहने से सुखसम्पत्ति और सभी प्रकार के अनाज सस्ते होते हैं । वंशाग्य या ज्येष्ठ में चन्द्रमा का उदय उत्तर की ओर हो तो सभी प्रकार के धान्य सस्ते होते हैं। मेघ का उदय एवं वपंण उत्तम होता है।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को सूर्यास्त के समय ही चन्द्रमा दिखलाई पड़े तो वर्ष पर्यन्त मुभिक्ष रहता है । चन्द्रमा का शृग उत्तर की ओर हो तो सुभिक्ष और दक्षिण की ओर होने में दुर्भिक्ष तथा मध्य का रहने से मध्यम फल देनेवाला होता है। कृतिका, अनुराधा, ज्येष्टा, चित्रा, रोहिणी, मघा, मृगशिर, मूल, पूर्वापाढ़ा, विशाखा ये नक्षत्र चन्द्रमा के उत्तर मार्ग वाले कहलाते हैं । जब चन्द्रमा अपने उत्तर मार्ग में गमन गरता है तो मुनिक्ष, सुबर्ण, शान्ति, प्रेम, और सौन्दर्य का प्रसार होता है। जनता में धर्माचरण का भी प्रसार होता है। दक्षिण मार्ग में चन्द्रमा का वितरण कारमा अशुभ माना जाता है । शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन मेष राशि में चन्द्रमा का उदय हो तो ग्रीटम में धान्य भाव तेज होता है।
वष में उदय होने से उद्द, तिला, मंग, अगम आदि का भाव तेज होता है। मिथुन में कपास, सूत, अट आदि का प्राव महंगा होता है। कर्क राशि के होने में अनावृष्टि, तथा कहीं-कहीं मुण्डव प्टि; सिंह राशि में चन्द्रमा के उदय होने मे धान्य भाव तेज होता है। सोना-चाँदी आदि का भाव भी महंगा होता है । कन्या में चन्द्रमा का उदय होने से पशुओं का विनाश, राजनीतिक पार्टियों में मतभेद, संघर्ष होता है। तुला राशि के चन्द्रमा में उदय होने मा व्याधि, व्यापारियों में विरोध बृश्चिक राशि के चन्द्रमा में धान्य की उत्पनि, धनु और गकार में चन्द्रमा का उदय होने में दान वाले अनाज का भाव महंगा .म्भ राशि में चन्द्रमा का उदय होने से तिल, तेन. तिलहन, उड़द, मूंग, मटर आदि पदार्थों का भाव तेज और मीन राशि में चन्द्रमा के उदय होने में सुभिक्ष, आरोग्य, क्षेम और समृद्धि होती है।
__ उदय काल में प्रकाशमान, उज्ज्वल चन्द्रमा दर्शक और राष्ट्र की शक्ति का? विकास करता है। यदि उदयकाल में चन्द्रमा रयतवर्ण का मन्द प्रकाश युक्त मालूम | पड़े तो धन-धान्य का अभाव होता है ।