Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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चतुर्दशोऽध्यायः
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जहाँ देश और नगरों में पिणाचं दिसलाई पड़ें वहां अन्य व्यक्ति राजा होता है तथा प्रजा को अत्यन्त भय होता है ।।। 07।।
भमियंत्र नभो याति विशति वसुधाजलम् ।
दृश्यन्ते वाऽम्बरे देवास्तदा राजाधो अनार ।। it! जहाँ पृथ्वी आकाश की ओर जाती हुई मालूम हो अथवा पाताल में प्रविष्ट होती हुई दिखलाई पड़े और आमाण में देव दिखलाई पड़े तो वहाँ राजा का वध निश्चयतः होता है || 1080
धूमज्वाला रजो भस्म यदा मुञ्चन्ति देवताः ।
तक्षा तु म्रियते राजा मूलतस्तु जनक्षयः ।। 1 9911 यदि देव धम, ज्वाला, धुलि और भस्म - राग्न की वर्षा करें ना राजा का । मरण होता है तथा मुला में मनुष्यों का भी विनाश होता है ।। 109||
अस्थिमांस: पशूनां च भम्पनां निनधैरपि।
जनक्षयाः प्रभूतास्तु विकृते वा नृपवधः ।।1100 यदि पशुओं की हड्डियां और मांस तथा भरम का समूह आकाश से बरसे तो अधिक मनुष्यों का विनाश होता है। अथवा उन्नत वस्तुओं में विकार- उत्पात होने पर राजा का बध होता है ।। 1 2010
विकृताकृति-संस्थाना जायन्ते यत्र मानवा: ।
तव राजवधो यो विकृतेन सुन बा ॥1॥ जहाँ मनुष्य विकृत आकार वाले और विचित्र दिखलाई पहें वहाँ राजा का वघ होता है अथवा विकृत दिखलाई पडन ग मुख क्षीण होता हैं ।! ! | !"
वधः सेनापतेश्चापि भयं दुभिक्षमेव च।
अग्नेर्वा हाथवा वृष्टिस्तदा स्थानात्र संशयः ॥12॥ यदि आकाश भ. अग्नि की बर्षा हो तो मेनानि का धर, भय और दुभिक्ष ___ आदि फल घटित होत हैं, इसमें सन्देह नहीं है ।।: 1 2||
द्वारं शस्त्रगृहं वेशम राझो देवगृहं तथा।
धुमायन्दै यदा राजस्तदा मरणनादिशत् ।।।।3।। देवमन्दिर या गजा के महल द्वार, गम्यागार, दासान या रामदे में घरं दिखलाई 'गड़े तो गजा वा मरण होता है ।।।13।।
1. मागविगगुना 4
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