Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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चतुर्दशोऽध्यायः
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यदार्यप्रतिमायां तु किञ्चिदुत्पातजं भवेत् ।
चौरा मासा त्रिपक्षाद्वा बिलीयन्ते 'रुदन्ति वा॥711 यदि सूर्य की प्रतिमा में कुछ उत्पात हो तो एक महीन या तीन पक्ष - डेढ । महीने में चोर विलीन हो जात-नष्ट हो जाते हैं या विलास करते हुए दु ख को ( प्राप्त होते हैं 171॥
यद्युत्पातः श्रियाः कश्चित् त्रिमासात् कुरुते फलम् ।
वणिजां पुष्पबोजानां वनितालेख्यजीविनाम् ॥721 यदि लक्ष्मी की मूर्ति में उत्पात हो तो इम उत्पात का फल तीन महीने में प्राप्त होता है और वैश्य .. व्यापारी वर्ग, पुष्प, बीज और लिवनार आजीविका करने वालों की स्त्रियों को करट होता है ।।721
बीरस्थाने श्मशाने च यथुत्पात: समोर्यते ।
चतुर्मासान् क्षुधामारी पांड्यन्त च अतस्ततः ।।73|| वीरभूमि या श्मशानभूमि में यदि उगान दिखलाई पड़े तो चार महीने तक क्षुधामारी-भुखमरी से इधर-उधर की गभस्त जनता पारित होती है ।1731
यद्युत्पाता: प्रदृश्यन्ते विश्वकर्माणमाश्रिताः ।
पीड्यन्ते शिल्पिना सर्व पञ्चमासात्परं भयम् ।।7411 यदि विश्वका में किसी भी प्रकार का रूपात दिसलाई पड़े तो सभी १ शिल्पियों को पीड़ा होती है और नम उत्पात के पांच महीने के अगन्न ।य होता । है 17411
भद्रकाली विकुर्वन्ती स्त्रियो हन्तीह सुबताः ।
आत्मानं वृत्तिनो ये च पण्मासात् पीडयेत् प्रजाम् ।।75॥ यदि भदकाली की प्रतिमा म यिार उत्तानो नो गुवला स्त्रियों का __नाश होता है और इस उत्पान के छः महीन अचान प्रजा का पीला होती है 11751
इन्द्राण्याः समुत्पातः कुमाय: परिपीडयेत्।
त्रिपक्षादक्षिरसेगेण कक्षिकर्णशिरोज्वरैः ॥7611 यदि इन्द्राणी की मूलि में उत्पात हो तो मारिमा को तीन पक्ष- देह महीने के उपरान्त नेत्ररोग, कुदिक्षरीग, कर्णरोग, निररोग और जबर की पीड़ा से पीड़ित होना पड़ता है -कष्ट होता है ।17 (6।
I जI-TH. 2. अनयम... | 3 भाग। मुः ।