Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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. पंचदशोऽध्यायः
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बायीं ओर से शुक्र रमन करे तो सोर और पाप भागधारियों के लिए कल्याणप्रद होता है । सोम, सोग से उत्पन्न और सोमपार्श्व को हिंसा करता है 11010
वत्सा विदेह जिह्माश्च' बसा मद्रास्तथोरगा:।
पीड्यन्ते ये च तद्भक्ताः सन्ध्यानमारोहेत् यथा ।।102॥ ___ वत्स, विदेह, कुन्तल, बसा, मद्रा, उरगपुर आदि प्रदेश शुक्र के बायीं ओर ___ जाने पर पीड़ित होते हैं ।। 1 02।।
अलंकारोपघाताय यदा दक्षिणतो व्रजेत् ।
सौम्ये सुराष्ट्र च तदा वामगः परिसिति ।।10311 जर शुक्र दक्षिण की ओर से गमन करता है तो अलंकारों का विनाश होता है तथा वायीं ओर से गमन करने पर मुन्दर मुराष्ट्र का घात करता है ।।10311
आर्द्रा हत्वा निवर्तत यदि शुक्रः कदाचन ।
संग्रामास्तत्र जायन्ते मांसशोणितकमाः ॥७॥ यदि शुक्र आर्दी का घात कर परिवर्तित हो तो युद्ध होन है तथा पृथ्वी में रस्त और मास की बीचड़ हो जाती है ।। 104।
तैलिकाः 'सारिकाश्चान्तं चामुण्डामांसिकास्तथा ।
"आपण्डाः क्रूरकर्माण: पीड्यन्ते तादृशेन यत् ॥105॥ उवत प्रकार के शुक से होने में तेली, मैनिक, ऊंट, भंग तथा केंची आदि से कठोर क्रूर कार्य करने वाने पीड़ित होते हैं ।। 18511
दक्षिणेन यदा गच्छेद द्रोणमेधं तदा दिशेत् ।
वामगो रुद्रकर्माणि भार्गव: परिहिंसति ॥106॥ यदि आर्द्रा का घात कर दक्षिण की ओर शुक्र गमन करें तो एक द्रोण प्रमाण जल की वर्षा होती है और वायीं ओर शुक गमन करे तो रोद्रयाम -ऋ र कर्मों का विनाश होता है ।। 1061
पुनर्वसुं यदा रोहेद गाश्च गोजी विनस्तथा।
हासं प्रहासं राष्ट्र च विदर्भान दासकांस्तथा ॥107।। जब शुक्र पुनवंम् नक्षत्र में आरोहण करता है तो गाय और गोपाल आदि में 1. जिह पाश्न म । 2. भीमा । म । 3. गाय ने माने यशा म । 4 मोकाश्चांगा उष्ट्र। माहाकार पथ | P० । 5. पिण: म ।