Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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प्रयोदशोऽध्यायः
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दवाकर रखा हो और बायें भाग में स्थित हो तो नृत्यु या नाना प्रकार के कष्ट होते हैं। यदि चोंच में काक हड्डी दवाये हो तो अशुभ फल होता है 1 वाम भाग में सूखे वृक्ष पर काक स्थित हो तो अतिरोग, खाली या तीखे वृक्ष पर बैठा हो तो यात्रा में कलह और कार्यनाश एवं काँटेदार वृक्ष पर स्थित होकर रूखा शब्द करे तो यात्रा में मृत्यु होती है।
मानशरण के वृक्ष पर स्थित काक कठोर शब्द करता हो तो यात्रा में धनक्षय, कुटुम्बी मरण एवं नाना तरह से अशुभ होता है । यदि छत पर बैठकर काक बोलता हो तो यात्रा नहीं करनी चाहिए। इस शकुन के होने पर यात्रा करने से बज्रपात-बिजली गिरती है। यदि कड़े के ढेर पर या राख-भस्म के ढेर पर स्थित होकर काक शब्द करे तो कार्य का नाश होता है। अपयश, धनक्षय एवं नाना तरह के कष्ट यात्रा में उठाने पड़ते हैं। लता, रसी, कण, मुखी लकड़ी, चमड़ा, हड्डी, फटे-पुराने चिथड़े, वृक्षों की छाल, रुधिरयुक्त वस्तु, जलती लकड़ी एवं कीचड़ काक को चोंच में दिखलाई पड़े तो यात्रा में पापयुक्त कार्य करने पड़त हैं, यात्रा में कष्ट होता है, धनक्षय या धन की चोरी, अचानक दुर्घटनाएं आदि घटित होती हैं। आयुध, छत्र, धड़ा, हड्डी, वाहन, काप्ट एवं पाषाण चोंच में रखे हुए काक दिखलाई पड़े तो यात्रा करने वाले की मृत्यु होती है । एक पांव समेटकर, चंचल चित्त होकर जोर-जोर से बठोर शब्द करता हो तो काक युद्ध, झगड़े, मार-पीट आदि की सूचना देता है। यदि यात्रा करते समय काक अपनी बीट यात्रा करने वाले के मस्तक पर गिग दे तो यात्रा में विपत्ति आती है । नदी तट या मार्ग में काक तीव्र स्वर वोले तो अत्यन्त विपतिकी सूचना समझ लेनी चाहिए । यात्रा के समय में यदि का रथ, हाथी, घोड़ा और मनुष्य के मस्तक पर बैठा दौड़ पड़े तो पराजय, कष्ट, चोरी और बागड़े की सूचना समझनी चाहिए। शास्त्र, ध्वजा, त्रि पर स्थित होकर आकाश की ओर देख रहा हो तो यात्रा में सफलता मिलनी चाहिए। ___ यात्रा में उल्ल का विचार यदि यात्रा काल में उल्लू बायीं ओर दिग्बलाई पड़े तथा उल्लू अपना भोजन भी गाथ में लिये हो तो यात्रा सफल होती है। यदि उल्लू वृक्ष पर स्थित होकर अपना भोजन संचय करता हुआ दिग्यलाई पड़े तो यात्रा करने वाला इस यात्रा में अवश्य धन लाभ कर लौटता है। यदि गमन करने वाले पुरुष के वाम भाग में उल्लू का प्रगान्तमय शब्द हो जोर दक्षिण भाग में असम शब्द हो तो यात्रा में मफलता मिलती है। किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है । यदि यात्रा कर्ता के बाग भाग में उल्लू शब्द करता हुआ दिखलाई पड़े अथवा बायीं ओर से उल्लू वा शब्द सुनाई पड़े तो यात्रा प्रशस्त होती है। यदि पृथ्वी पर स्थित होयर उल्लू शाद कर रहा हो तो धनहानि; आमाण में स्थित होकर शब्द कर रहा हो तो कलह; दक्षिण भाग में स्थित होकार द कर रहा