Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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नवमोऽध्यायः
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पूर्णिमा को आधे दिन दोपहर तक पूर्वीय वायु चलता रहे तो श्रावण और भाद्रपद में अच्छी वर्षा होती है । पूरे दिन पूर्वीय पवन चलता रहे तो चातुर्मास पर्यन्त अच्छी वर्षा होती है और एक प्रहर पूर्वीय पवन चले तो केवल श्रावण के महीने में अच्छी वर्षा होती है । यदि उक्त तिथि को दोपहर 3. उपरान्त पुर्वीय पवन चले और आकाश में बादल भी हों तो भाद्रपद और आश्विन इन दोनो महीनों में उत्तम वर्षा होती है । यदि उक्त तिथि को दिन भर मुगन्धित वायु चलता रहे और थोड़ी-थोड़ी वर्षा भी होती रहे तो चातुर्मास में अच्छी वर्मा होती है। माघ महीने का भी इस प्रकार का पवन वर्षा होने की सूचना देता है। यदि आपाढ़ी दुणिमा को दक्षिण दिशा का वायु चले तो वर्षा का अभाव सूनित होता है । यह पवन सूर्योदय से लेकर मध्याहन बाल ताः चले तो आरम्भ में वर्ग का अभाव और मध्याहतातर चले तब आन्तम महीनी में वर्षा का अगाव गमाना नाहि । यदि आधे दिन दक्षिणी पवन राधे दिन पूर्वीय या उत्तरीय जनता पारा में वर्षाभाव, अनन्तर उत्तम था तथा आरम्भ में उस बी, अनन्तर मार अवगत करना नाहिए । वर्षा की स्थिति पूर्वाधं और उत्तराध पर अबलम्बित समझनी चाहिए। यदि उक्त तिथि को पशिचनीय पया चले, आकाश में बिजली तड़के तथा भगों की गर्जना भी हो तो साधारतः अच्छी वर्ग होती है । इस प्रकार की स्थिति मध्यम वर्षा होने की सूचना देती है। पशिचमीय पवन यदि सूर्योदय से लेकर दोपहर तक चलता है तो उत्तम वर्षा और दोपहर के उपरान्त चले तो मध्यम वर्षा होती है।
श्रावण आदि महीनो पवन का फलादेश 'डाक' निम्न प्रकार बताया
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सांओन सवा भादव पुरिया गिर ब सान । कातिकः कन्त। मिकियोंने गोले, यहाँ तक रखवह धान !! माओन पछवा बह दिन चारि, चूल्हीचा पाला उपजै सारि। वरिम रिमझिम निगिदिन वारि, कहिगल वचन 'पाक' परचारि ।। सांओन पुरिवा भादव पवा आसिन बह नैऋत। कातिकः कान सिकियोन डोले, उपजै नहि भरिबीत ।। सांओन पुरिक्षा बह रविवार, चोदा मडुआया होय बहार । खोजत गेट नहि थोड़ी अहार, वाहत वैन यह 'डाव' गावार ।। जो साँओन पुरवा बहै, शाली लागु करीन । भावपछवा जी बहै होहि क नर दीन । समोर वर जी यांगा, श्री का
धामा । सांओन जो वह पुरर्थया, वडद चिके कोनह गया ॥