Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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एकादशोऽध्याय:
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अभाव तथा चातुर्मास में भी कुल सत्ताईस दिन वर्षा; घुटनों को स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो सामान्यतया सभी महीनों में वर्षा, फसल उत्तम जनता का आर्थिक विकास, कला-कौशन की वृद्धि; पेट का स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो साधारण वर्षा, श्रावण और भाद्रपद में अच्छी वर्षा, फसल साधारण, देश का आर्थिक विकास, अग्निभय, जलभय, बाढ़ आने का भय; कमर स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो परिमित वर्षा, शान्य की सामान्य उत्पत्ति, अनेवः प्रकार के रोगों की वृद्धि, वस्तुओं के भाव महंगे; पाव का स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो श्रावण में वर्षा की कमी, अन्य महीनों में अच्छी वर्षा, फसल की अच्छी उत्पत्ति, जो और गेहूं की विशेष उपज एवं जंघा का स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो अनेक प्रकार के धान्यों की उत्पत्ति, मध्यम वर्षा, देश में समृद्धि, उत्तम फसल और देश का सर्वांगीण विकास होता है । प्रश्न काल में यदि मन में उत्तेजना आये, या किमी कारण से क्रोधादि आ जाये तो वर्ग का अभाव समझना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को प्रशासन में रोते हुए देखें तो वश में छ: वर्षा होती है, किन्तु फसल में कमी रहती है। व्यापारियों के लिए भी यह वर्ष उम नहीं होता। प्रश्नकाल में यदि काना व्यक्ति भी वहां उपस्थित हो और वह अपने हाथ से दाहिने कान को खुजला रहा हो तो घोर दुभिक्ष की सूचना समझनी चाहिए। विकृत अंग वाला किसी भी प्रकार का व्यक्ति यहाँ रहे तो वर्षा की कमी ही समझनी चाहिए । फसल भी साधारण ही होती है । सौम्य और सुन्दर व्यक्तियों का वहाँ उपस्थित रहना उत्तम माना जाता है ।
एकादशोऽध्यायः अथात: सम्प्रवक्ष्यामि गन्धर्वनगरं तथा।
शुभाशुभार्थभूतानां निर्ग्रन्थस्य च भाषितम् ॥१॥ अब गन्धर्व नगर का फलादेश कहता है, जिस प्रकार पूर्वाचार्यों ने प्राणियों के शुभाशुभ का निरूपण किया है, उसी प्रकार यहां पर भी फल अवगत करना पाहिए ।
1. नग्रन्थे निपुणे यथा भु० ।