Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
सायंकालीन सन्ध्या श्वेत या रक्त वर्ण की हो तो सात दिन के उपरान्त वर्षा एवं मिश्रित वर्ण की हो तो बर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा होती है। ज्येष्ठ वृष्ण द्वितीया को प्रात:कालीन सन्ध्या श्वेत वर्ण की हो तो वर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा होती है । ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया प्रातःकालीन सन्ध्या श्वेतवर्ण की हो और पूर्व दिशा से बादल घुमड़कर एकत्र होते दिखलाई पड़े तो आप में वर्षा का अभाव और वर्षा ऋतु में भो अल्प वर्षा तथा सायंकालीन सन्ध्या में बादलों की गर्जना सुनाई पड़े या बंदा-बंदी हो तो घोर भिक्ष का अनुमान करना चाहिए । उक्त प्रकार की सन्ध्यार व्यापार में लाभ सचित करती हैं। सटटे के व्यापारियों के लिए उत्तम फल देती है। वस्तुओं के भाव प्रतिदिन ऊँचे उठते जाते हैं। सभी चिकने पदार्थ और तिलहन आदि का भाव कुछ सस्ता होता है। उपत सन्ध्या का फल एक महीने तक प्राप्त होता है। यह सन्ध्या जनता में रोगों की उत्पनिकारक होती है । ज्येष्ट वृष्ण ततीया या क्षय हो और इस दिन चतुर्थी पंचमी तिथि से विद्ध हो तो उक्त तिथि की प्रातलालीन सन्ध्या अलान्त महत्वपूर्ण होती है। यदि इस प्रकार की सन्ध्या म अधोदय के समय सर्य के चारों ओर नीलवर्ण का मंडलाकार परिवेग दिखलाई पड़े तो भाध और फालगुन माम में भूकम्प होने की सूचना समझनी चाहिए । इन दोनों महीनों में भकम्प के साथ और भी प्रकार की अनिष्ट घटनाएँ घटित होती हैं । अनेक स्थानों पर जनता में संघर्ष होता है, गोलियाँ चलती हैं और रेल या विमान दुर्घटनाएं भी घटित होती है। आकाश में ओले बरसते हैं तथा दुर्घटना द्वारा किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की मृत्यू होती है । एक बार राज्य में क्रान्ति होती है तथा ऐसा लगता है कि राज्य-परिवर्तन ही होने वाला है । चैत्र में जाकर जनता में आत्मविश्वास जपन्न होता है तथा सभी लोग प्रेम और श्रद्धा के साथ कार्य करते हैं । यदि उक्त प्रकार की सन्ध्या का वर्ण रक्त और श्वेत मिश्रित हो तो यह सन्ध्या मुकाल तथा ममया कल वर्षा और अगनचन की सूचना देती है। यदि उस्त प्रकार की सध्या को उत्तर दिणा समेत पर्वत के आकार के बादल उठे और ये गये आसनादित कर लें तो विश्व में शान्ति समझनी चाहिए । सायंकालीन सन्ध्या यदि इरा दिन हंसमुन्न मालूम पड़े तो आपाढ़ में खूब वर्षा और शेती हुई मालग पड़े तो वर्गाभाव जानना चाहिए।
या कृष्णा पाठी को बारलेषा नक्षत्र हो और शायंकालीन सन्ध्या पत्तरणं मास्बर हप हो तो आगामी वर्ष अच्छी दा होने की सचवा समझनी चाहिए। इस सन्ध्याक दर्शन मीन, मन और मकर राशि वाले व्यक्तियों को मारट होता
और अवयष राशि वाले व्यक्तियों का अधं शूर्वया मातीत होता है । प्रातः4. लीन आया इस तिथि की रकम, ए और गीता को म मासी गई है और अाप वण को सन्ध्या हानिकारक होती है । जया कृष्ण मातमी को उदय