Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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पंचमोऽध्यायः
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दिसलाई पटेलो सभी प्रकार की धाओं में मूल्य में वृद्धि होती है। विशेष रूप से जूट, मीमन्ट, कागज एवं विदेश ग आने वाली बस्तु अधिक महंगी होती हैं। चीनी, गुड़, शहद आदि मिट पदार्थों के मून्य गिरने हैं। यदि उक्त प्रकार का सूर्य-परिवेष दिन भर रह जाय नो इसका फल व्यापार के लिए अत्यन्त लाभप्रद है। वस्तुओं का मूल्य चौगुने बन जाते हैं और म्यापारियों को आरिमित लाभ होता है। बाजार में यह स्थिति अधिक से अधिक पांच महीनों तक रह सकती है। आरम्भ के तीन माह महेंगाई और अबणेप दो महीने साधारण महंगाई के होते हैं।
पंचमोऽध्यायः
अथात: संप्रवक्ष्यामि विद्यतां नामविस्तरम् ।
प्रशस्ता या प्रशस्ता च याथवदनुपूर्वतः ।। अब मायागार विस का बिजली का विस्तार गे पिम्पण करना है। थियन (बिजली) दो प्रकार की होती है-प्रशस्त और अप्राररा ।।।।।
सौदामिनी च पूर्वा च कुसुमोत्पलनिभा शुभा। निरभ्रा मिश्रकेशो च क्षिप्रगा चानिस्तथा ॥2॥ एतासां नामभिर्वर्ष ज्ञेयं कर्मनिरुक्तिता।
भयो व्यासेन वक्ष्यामि प्राणिनां पुण्यपापजाम् ॥3॥ गौशामिनी और पूर्वा बिजली यदि कमल के पुत्र के समान हो तो वह शुभअन हाल देने वाली होती है। वह बिजली निरमा बादलों में रहित, देवांगना पः ममा गिमिशी, शी गमन करने वाली और वन के समान हो तो अशनि नाम । ही जाती है 1 बापापा कारण है, अत: यह वर्ष भी वाही जाती है। इस बिजली बना सकती किया निरुपित से अवगत कर लेना चाहिए। अब पुन:
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। 2. कामामोपला, मा। 3 TETम ।
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