Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
हर्ष, मध्यरात्रि के पश्चात् एक बजे रात में उक्त प्रकार का उल्कापात दिखलाई पड़े तो सामान्य पीड़ा, आर्थिक लाभ और प्रतिष्ठित व्यक्तियों से प्रशंसा प्राप्त होती है। प्रायः सभी प्रकार की उल्काओं का फल सन्ध्याकाल में चतुर्थांश, दस बजे षष्ठाण, ग्यारह बजे तृतीयांश, बारह बजे अर्ध एक बजे अर्धाधिक और दो बजे से चार बजे रात तक किंचित् न्यून उपलब्ध होता है । सम्पूर्ण फलादेश बारह बजे के उपरान्त और एक बजे के पहले के समय में ही घटित होता है । उल्कापात भद्रा - विष्टि काल में हो तो विपरीत फलादेश मिलता है 1)
प्रतनुपुच्छा उल्का सिर भाग से गिरने पर व्यक्ति के लिए अरिष्ट सूचक, मध्यभाग से गिरने पर विपत्ति सुचक और पुंछ भाग से गिरने पर रोगसूचक मानी गई है। साँप के आकार का उल्कापात व्यक्ति के जीवन में भय, आतंक, रोग, शोक आदि उत्पन्न करता है। इस प्रकार का उल्कापात भरणी और आश्लेषा नक्षत्रों का घात करता हुआ दिखलाई पड़े तो महान् विपत्ति और अशान्ति मिलती है । पूर्वाफाल्गुनी पुन, धनिष्ठा और मूल नक्षत्र के योग तारे को उल्का हनन करे तो युवतियों को कष्ट होता है। नारी जाति के लिए इस प्रकार का उल्कापात अनिष्ट का सूचक है । शुकर और चमगीदड़ के समान आकार की उल्का कृतिका, विशाखा, अभिजित्, भरणी और आश्लेषा नक्षत्र को प्रताड़ित करती हुई पतित हो तो युवक-युवतियों के लिए रोग की सूचना देती है | इन्द्रध्वज के आकार की उल्का आकाश में प्रकाशमान होकर पतित हो तथा पृथ्वी पर आते-आते चिन गारियाँ उड़ने लगे तो इस प्रकार की उल्काएं कारागार जाने की सूचना सम्बन्धित व्यक्ति को देती हैं। गिर के आर पतित हुई उल्का चन्द्रमा या नक्षत्रों का घात करती हुई दिखलायी पड़े तो आगामी एक महीने में किसी आत्मीय की मृत्यु या परदेशगमन होता है । सामने कृष्णवर्ण की उल्का गिरने से महान कष्ट, धनक्षय, विवाद, कलह और झगड़े होने की सूचना मिलती है । अश्विनी, कृत्तिका, आर्द्रा, आम्लेषा, मघा, विशाखा, अनुराधा, मूल, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढा और पूर्वाभाद्रपद इन नक्षत्रों में पूर्वोक्त प्रकार की उल्का का अभिघात हो तो व्यक्ति के भावी जीवन के लिए महान कष्ट होता है। पीछे की ओर कृष्णवर्ण की उल्का व्यक्ति को असाध्य रोग की सूचना देती है । विचित्र वर्ण उत्का मध्यरात्रि में च्युत होती हुई दिखलाई पड़े तो निश्चयतः अर्थहानि होती है । धूम्रवर्ण की उल्काओं का पतन व्यक्तिगत जीवन में हानि का सूचक है। अग्नि के समान प्रभावशाली वृष्णाकार उल्कापात व्यक्ति की उत्पत्ति का सूचक हैं। तलवार की
ति समान उल्काएँ व्यक्ति की अवनति सुचित करती है । सूक्ष्म आकार वाली उल्काएँ अच्छा फल देती है और स्थूल आकार वाली उल्काओं का फलादेश अशुभ होता है । हाथी, घोडा, बैल आदि पशुओं के आकार वाली उल्काएँ शान्ति और
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