Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
Catalog link: https://jainqq.org/explore/001869/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । प्राच्यसाहित्य पुन:प्रकाशन श्रेणि ग्रन्थांक-६ दाक्षिण्यचिह्नाङ श्रीमद् उद्योतनसूरिविरचिता कुवलयमाला अने श्रीमद रत्नप्रमसूरिविरचित कुवलयमाला कथासंक्षेप -: शुभाशीर्वाद :व्याख्यानवाचस्पति तपागच्छाधिपति परमशासनप्रभावक स्व. पहज्यपादाचार्यदेव श्रीमद् । विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा -: प्रेरक :पू. आचार्यदेव श्रीपूर्णचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज पू. आचार्यदेव श्रीमुक्तिप्रभसूरीश्वरजी महाराज -: पुन:प्रकाशक :श्री सिद्धिगिरि चातुर्मास - उपधानतप आराधक समिति महाराष्ट्र भुवन धर्मशाला, तलेटी रोड, - पालिताणा - (सौराष्ट्र) Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राच्यसाहित्य पुनःप्रकाशनश्रेणि ग्रन्थांक- ६ दाक्षिण्यचिह्नाङ्क श्रीमद् उद्योतनसूरिविरचिता कुवलयमाला अने श्रीमद् रत्नप्रभभूरिविरचित कुवलयमाला कथासंक्षेप -: शुभाशीर्वाद : व्याख्यानवाचस्पति तपागच्छाधिपति परमशासनप्रभावक स्व. पहज्यपादाचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा -: सदुपदेशक : परमस्वाध्यायप्रेमी प्रवचनप्रभावक स्व. पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयमुक्तिचन्द्रसूरीश्वरजी पट्टालंकार प्रशमरसपयोनिधि पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयकुंजर सूरीश्वरजी महाराजा -: प्रेरक : पू. आचार्यदेव श्रीपूर्णचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज पू. आचार्यदेव श्रीमुक्तिप्रभसूरीश्वरजी महहराज -: पुन: प्रकाशक : श्री सिद्धिगिरि चातुर्मास - उपधानतप आराधक समिति महाराष्ट्रभुवन धर्मशाला, तलेटी रोड, पालिताणा - (सौराष्ट्र) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *AXXX XXXX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX AX2RXARXAX RURXRXAXRXAXARXA प्रकाशकीय NEEEEEEEEE जिनशासनना महानज्योतिर्धर, सुविशाल सुविहित- मुनिगण गच्छाधिपति, संघस्थविर, संघसन्मार्गदर्शक, संघपरमहितैषी, व्याख्यानवाचस्पति, स्व. पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजानह शुभ आशीर्वादथी सिंहगर्जनाना स्वामी, स्व. पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयमुक्तिचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टालंकार, शासनप्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयकुंजरसूरीश्वरजी महाराजा तथा तेओना विद्वान शिष्यरत्नो समर्थसाहित्यकार पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयपूर्णचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज तथा समर्थप्रवचनकार पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजयमुक्तिप्रभसूरीश्-रजी महाराज आदि ठाणा- वि.सं. २०४७ नुं चातुर्मास शा. केशवलाल पुनमचंद परिवार उंबरीवाला तरफथी सिद्धगिरि महातीर्थे महाराष्ट्रभुवनमां खूब ज जाहोजलाली पूर्वक थयु. आ प्रभावक चातुर्मासमा ३१० आराधको तथा चातुर्मास दरम्यान उंबरीवाला शा. केशवलाल पुनमचंद परिवार आयोजित उपधानतपमा ३४८ आराधको जोडायेल. चातुर्मासमा अनेकविध तपना अनुष्ठानो पूर्वक पर्वाधिराजनी भव्यातिभव्य आराधना थवा पामी हती, तेमज पू. परमगुरुदेव आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना संयम-जीवननी अनुमोदनार्थे ३९ छोडना उद्या सहित भव्य महोत्सव उजवायेल. आराधना-प्रभावनाथी चिर-स्मरणीय बनी रहे, एवा आ चातुर्मासमा थयेल ज्ञानद्रव्यनी उपजमांथी तेओना सौजन्यपूर्वक आ ग्रंथर्नु, सिंधी ग्रंथमाला तरफथी पूर्वे प्रकाशित पुनः प्रकाशन करता श्री सिद्धगिरि चार्तुमास उपधानतप आराधक समिति अतिशय आनंद अनुभवे छे. - श्री सिद्धगिरि चातुर्मास उपधानतप आराधक समिति महाराष्ट्रभुवन, पालिताणा. &ReKGRESURANUSASARAS/ARKESARSUSASUNamasuxxesxesasusaRASIRSASARAS48888888 Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दाक्षिण्यचिह्वाङ्क -श्रीमद्-उद्योतनसूरिविरचिता कुवलयमाला (प्राकृतभाषानिबद्धा चम्पूवरूपा महाकथा) अतिदुर्लभ्यप्राचीनपुस्तकद्वयाधारेण सुपरिशोध्य बहुविधपाठमेदादियुक्तं परिष्कृत्य च संपादनकर्ता डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, एम्. ए., डी. लिट्. प्राध्यापक, राजाराम कॉलेज, कोल्हापुर (दक्षिण) प्रथम भाग - मूल कथाग्रन्थ प्रकाशनकर्ता अधिष्ठाता, सिंघी जैन शास्त्र शिक्षा पीठ भारतीय विद्या भवन, बम्बई विक्रमाब्द २०१५] प्रथमावृत्ति [खिस्ताग्द १९५९ ग्रन्थांक ४५] सर्वाधिकार सुरक्षित [मूल्य रु. १५-५० Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिं घी जैन ग्रन्थ मा ला ....... ......[अन्यांक ४५ ].............. दाक्षिण्यचिहा-श्रीमद्-उद्द्योतनसूरि-विरचिता कुवलयमाला (प्राकृतभाषानिबडा चम्पूखरूपा महाकथा) प्रथम भाग - मूल कथाग्रन्थ SRI DALCHAND OTSINOHU ALLULMILAWALL - - - यो डावना सिंघी का - rrrrrrrrrrrr-a SINGHI JAIN SERIES ................[NUMBER 45]................. KUVALAYAMALA OF UDDYOTANA SURI (A Unique Campū in Prākrit) Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक । ( कुवलयमाला कथाके प्रकाशनकी पूर्व कथा । ) * अनेक वर्षोंसे जिसके प्रकाशित होनेकी विद्वानोंको विशिष्ट उत्कण्ठा हो रही थी, उस दाक्षिण्य चिह्नाङ्कित उद्द्योतन सूरिकी बनाई हुई प्राकृत महाकथा कुवलयमाला, सिंघी जैन ग्रन्थमाला के ४५ मणिरत्नके रूपमें, आज प्रकट करते हुए मुझे अतीव हर्षानुभव हो रहा है 1 इस कथा ग्रन्थको इस रूपमें प्रकट करनेका आजसे कोई ४५ वर्ष पूर्व, मेरा संकल्प हुआ था । विद्वन्मतल्लिक मुनिवर्य श्री पुण्यविजयजी के स्वर्गीय गुरुवर्य्य श्री चतुरविजयजी महाराजने रत्नप्रभसूरिकृत गद्यमय संस्कृत कुवलयमाला कथाका संपादन करके भावनगरकी जैन आत्मानन्द सभा द्वारा (सन् १९१६) प्रकाशित करनेका सर्वप्रथम सुप्रयत्न किया, तब उसकी संक्षिप्त प्रस्तावना में प्रस्तुत प्राकृत कथाका आद्यन्त भाग उद्धृत करने की दृष्टिसे, पूनाके राजकीय ग्रन्थसंग्रह ( जो उस समय डेक्कन कॉलेजमें स्थापित था ) में सुरक्षित इस ग्रन्थकी, उस समय एकमात्र ज्ञात प्राचीन हस्तलिखित प्रति, मंगवाई गई । हमारे स्वर्गस्थ विद्वान् मित्र चिमनलाल डाह्याभाई दलाल, एम्. ए. ने उस समय 'गायकवाड ओरिएन्टल सिरीझ' का काम प्रारंभ किया था । प्रायः सन् १९१५ के समयकी यह बात है। उन्हीं के प्रयत्नसे पूना वाली प्रति बडौदामें मंगवाई गई थी। मैं और श्री दलाल दोनों मिल कर उस प्रतिके कुछ पन्ने कई दिन टटोलते रहे, और उसमेंसे कुछ महत्त्व उद्धरण नोट करते रहे । श्री दलालके हस्ताक्षर बहुत ही अव्यवस्थित और अस्पष्ट होते थे अतः इस ग्रन्थगत उद्धरणोंका आलेखन मैं ही स्वयं करता था । ग्रन्थका आदि और अन्त भाग मैंने अपने हस्ताक्षरोंमें सुन्दर रूपसे लिखा था । उसी समय कथागत वस्तुका कुछ विशेष अवलोकन हुआ और हम दोनोंका यह विचार हुआ कि इस ग्रन्थको प्रकट करना चाहिये। मैंने श्री दलालकी प्रेरणासे, गायकवाड सीरीझके लिये, सोमप्रभाचार्य रचित कुमारपालप्रतिबोध नामक विशाल प्राकृत ग्रन्थका संपादन कार्य हाथमें लिया था; और उसका छपना भी प्रारंभ हो गया था। मैंने मनमें सोचा था कि कुमारपालप्रतिबोधका संपादन समाप्त होने पर, इस कुवलयमालाका संपादन कार्य हाथमें लिया जाय । श्री दलाल द्वारा संपादित गायकवाड ओरिएन्टल सीरीझका प्रथम ग्रन्थ राजशेखरकृत 'काव्यमीमांसा' प्रकट हुआ । इसके परिशिष्टमें, कुवलयमाला के जो कुछ उद्धरण दिये गये हैं उनकी मूल नकल सर्वप्रथम मैंने ही की थी । पूना वाली प्रतिका ऊपर ऊपरसे निरीक्षण करते हुए मुझे आभास हुआ कि वह प्रति कुछ अशुद्ध है । पर उस समय, जेसलमेरकी प्रति ज्ञात नहीं थी । उसी वर्ष जेसलमेर के ज्ञानभंडारोंका निरीक्षण करनेके लिये, स्वर्गवासी विद्याप्रिय सयाजीराव गायकवाड नरेशका आदेश प्राप्त कर, श्री दलाल वहां गये और प्रायः तीन महिना जितना समय व्यतीत कर, वहांके भंडारोंकी ग्रन्थराशिका उनने ठीक ठीक परिचय प्राप्त किया। तभी उनको जेसलमेर में सुरक्षित प्राकृत कुवलयमालाकी ताडपत्रीय प्राचीन प्रतिका पता लगा ! पर उनको उसके ठीकसे देखनेका अवसर नहीं मिला था, अतः इसकी कोई विशेषता उनको ज्ञात नहीं हुई । बादमें बडौदासे मेरा प्रस्थान हो गया । सन् १९१८ में मेरा निवास पूनामें हुआ । भांडारकर ओरिएन्टल रीसर्च इन्स्टिट्यूट की स्थापना काममें, जैन समाजसे कुच्छ विशेष आर्थिक सहायता प्राप्त करानेकी दृष्टिसे, इन्स्टिट्यूट के मुख्य स्थापक Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला विद्वान् खर्गवासी डॉ० पाण्डुरंग गुणे, डॉ. एन्. जी. सरदेसाई और डॉ० एस्. के. बेल्वलकर आदिके आमंत्रणसे मैं पूना गया था। मेरा उद्देश इन्स्टिट्यूटकी स्थापनामें जैन समाजसे कुछ आर्थिक सहायता दिलानेके साथ, स्वयं मेरा आन्तरिक प्रलोभन, पूनाके उस महान् ग्रन्थसंग्रहको भी देखनेका था जिसमें जैन साहित्यके हजारों उत्तमोत्तम ग्रन्थ संग्रहीत हुए हैं । पूनामें जा कर, मैं एक तरफसे इन्स्टिट्यूटको अपेक्षित आर्थिक मदत दिलानेका प्रयत्न करने लगा, दूसरी तरफ मैं यथावकाश ग्रन्थसंग्रहके देखनेका मी काम करने लगा। उस समय यह ग्रन्थसंग्रह, डेक्कन कॉलेजके सरकारी नकानमेंसे हट कर, भांडारकर रीसर्च इन्स्टिट्यूटका जो नया, पर अधूरा, मकान बना था उसमें आ गया था । अहमदाबादकी वर्तमान गुजरात विद्या सभाके वैशिष्ट संचालक, प्रो० श्री रसिकलाल छोटालाल परीख, जो उस समय पूनाकी फर्गुसन कॉलेजमें रीसर्च स्कॉलरके रूपमें विशिष्ट अध्ययन कर रहे थे, मेरे एक अभिन्नहृदयी मित्र एवं अतीव प्रिय शिष्यके रूपमें, इस महान् ग्रन्थसंग्रहके निरीक्षण कार्यमें मुझे हार्दिक सहयोग दे रहे थे। ___सन् १९१९ के नवंबर मासमें, भांडारकर रीसर्च इन्स्टिट्यूटकी तरफसे, भारतके प्राच्यविद्याभिज्ञ विद्वानोंकी सुविख्यात ओरिएन्टल कॉन्फरन्सका सर्वप्रथम अधिवेशन बुलानेका महद् आयोजन किया गया। मैंने इस कॉन्फरन्समें पढनेके लिये महान् आचार्य हरिभद्रसूरिके समयका निर्णय कराने वाला निबन्ध लिखना पसन्द किया । इन आचार्यके समयके विषयमें भारतके और युरोपके कई विख्यात विद्वानों में कई वर्षोंसे परस्पर विशिष्ट मतभेद चल रहा था जिनमें जर्मनीके महान् भारतीयविद्याविज्ञ डॉ० हेर्मान याकोबी मुख्य थे। जैन परंपरामें जो बहु प्रचलित उल्लेख मिलता है उसके आधार पर आचार्य हरिभद्रसूरिका खर्गमन विक्रम संवत् ५८५ माना जाता रहा है। पर डॉ० याकोबीको हरिभद्रके कुछ ग्रन्थगत उल्लेखोंसे यह ज्ञात हुआ कि उनके स्वर्गमनकी जो परंपरागत गाथा है वह ठीक नहीं बैठ सकती। हरिभद्रके खयंके कुछ ऐसे निश्चित उल्लेख मिलते हैं जिनसे उनका वि० सं० ५८५ में वर्गमन सिद्ध नहीं हो सकता । दूसरी तरफ, उनको महर्षि सिद्धर्षिकी उपमितिभवप्रपंचा कथामें जो उल्लेख मिलता है, कि आचार्य हरिभद्र उनके धर्मबोधकर गुरु हैं, इसका रहस्य उनकी समझमें नहीं आ रहा था। सिद्धर्षिने अपनी वह महान् कथा विक्रम संवत् ९६२ में बनाई थी, जिसका स्पष्ट और सुनिश्चित उल्लेख उनने स्वयं किया है । अतः डॉ० याकोबीका मत बना था कि हरिभद्र, सिद्धर्षिके समकालीन होने चाहिये । इसका विरोधी कोई स्पष्ट प्रमाण उनको मिल नहीं रहा था। अतः वे हरिभद्रका समय विक्रमकी १० वीं शताब्दी स्थापित कर रहे थे। जैन विद्वान् अपनी परंपरागत गाथा का ही संपूर्ण समर्थन कर रहे थे। ___मेरे देखनेमें प्राकृत कुवलयमालागत जब वह उल्लेख आया जिसमें कथाकारने अनेकशास्त्रप्रणेता आचार्य हरिभद्रको अपना प्रमाणशास्त्रशिक्षक गुरु बतलाया है और उनकी बनाई हुई प्रख्यात प्राकृत रचना 'समराइच्चकहा' का भी बडे गौरवके साथ स्मरण किया है, तब निश्चय हुआ कि हरिभद्र कुवलयमालाकथाकार उद्दयोतनसूरिके समकालीन होने चाहिये । उद्दयोतनसूरिने अपनी रचनाका निश्चित समय, ग्रन्थान्तमें बहुत ही स्पष्ट रूपरो दे दिया है; अतः उसमें भ्रान्तिको कोई स्थान नहीं रहता । उद्योतनरिने कुवलयमालाकी रचनासमाप्ति शक संवत् ७०० के पूर्ण होनेके एकदिन पहले की थी । राजस्थान और उत्तर भारतकी परंपरा अनुसार चैत्रकृष्णा अमावस्याको शक संवत्सर पूर्ण होता है । चैत्र शुक्ल प्रतिपदाको नया संवत्सर चालू होता है । उद्दयोतनसूरिने चैत्रकृष्णा चतुर्दशीके दिन अपनी मन्थसमाप्ति की, अतः उनने स्पष्ट लिखा Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किश्चित् प्रास्ताविक कि एक दिन न्यून रहते, शक संवत्सर ७०० में यह ग्रन्थ समाप्त हो रहा है। शक संवत्सर ७०० की तुलनामें विक्रम संवत् ८३५ आता है। इस दृष्टिसे हरिभद्रसूरि, विक्रमकी ९ वीं शताब्दीके प्रथम पादमें हुए यह निश्चित होता है। न वे जैसा कि परंपरागत गाथामें सूचित वि० सं० ५८५ में ही स्वर्गस्थ हुए, और न सिद्धर्षिके समकालीन वि० सं० ९६२ के आसपास ही हुए। मैंने इस प्रमाणको सन्मुख रख कर, हरिभद्रसूरिके समयका निर्णायक निबन्ध लिखना शुरू किया था । पर साथमें पूनाके उक्त ग्रन्थसंग्रहमें उपलब्ध हरिभद्रसूरिके अन्यान्य विशिष्ट ग्रन्थोंके अवलोकनका भी मुझे अच्छा अवसर मिला। इन ग्रन्थोंमें कई ऐसे विशिष्ट अन्य प्रमाण मिले जो उनके समयका निर्णय करनेमें अधिक आधाररूप और ज्ञापकखरूप थे। डॉ० याकोबीके अवलोकनमें ये उल्लेख नहीं आये थे, इस लिये मुझे अपने निबन्धके उपयोगी ऐसी बहुत नूतन सामग्री मिल गई थी, जिसका पूरा उपयोग मैंने अपने उस निबन्धमें किया। मैंने अपना यह निबन्ध संस्कृत भाषामें लिखा । और उक्त 'ऑल इण्डिया ओरिएन्टल कॉन्फरन्स'के प्रमुख अधिवेशनमें विद्वानोंको पढ कर सुनाया। उस कॉन्फरन्सके मुख्य अध्यक्ष, स्वर्गस्थ डॉ० सतीशचन्द्र विद्याभूषण थे, जो उन दिनों भारतके एक बहुत गण्य मान्य विद्वान् माने जाते थे। उनने भी अपने एक ग्रन्थमें हरिभद्रसूरिके समयकी थोडीसी चर्चा की थी। मैंने अपने निबन्धमें इनके कथनका भी उल्लेख किया था और उसको असंगत बता कर उसकी आलोचना भी की थी। विद्याभूषण महाशय वयं मेरे निबन्धपाठके समय श्रोताके रूपमें उपस्थित थे। मेरे दिये गये प्रमाणोंको सुन कर, वे बहुत प्रसन्न हुए। मेरी की गई आलोचनाको उदार हृदयसे बिल्कुल सत्य मान कर उनने, बादमें मेरे रहनेके निवासस्थान पर आकर, मुझे बडे आदरके साथ बधाई दी । ऐसे सत्यप्रिय और साहित्यनिष्ठ प्रखर विद्वान्की बधाई प्राप्त कर मैंने अपनेको धन्य माना। पीछेसे मैंने इस निबन्धको पुस्तिकाके रूपमें छपवा कर प्रकट किया और फिर बादमें, 'जैन साहित्य संशोधक' नामक संशोधनात्मक त्रैमासिक पत्रका संपादन व प्रकाशन कार्य, स्वयं मैंने शुरू किया, तब उसके प्रथम अंकमें ही "हरिभद्रसारिका समयनिर्णय" नामक विस्तृत लेख हिन्दीमें तैयार करके प्रकट किया। . मैंने इन लेखोंकी प्रतियां जर्मनीमें डॉ० याकोबीको भेजी जो उस समय, आधुनिक पश्चिम जर्मनीकी राजधानी बॉन नगरकी युनिवर्सिटीमें भारतीय विद्याके प्रख्यात प्राध्यापकके पद पर प्रतिष्ठित थे। डॉ० याकोबीने मेरे निबन्धको पढ कर अपना बहुत ही प्रमुदित भाव प्रकट किया । यद्यपि मैंने तो उनके विचारोंका खण्डन किया था और कुछ अनुदार कहे जाने वाले शब्दोंमें भी उनके विचारोंकी आलोचना की थी। पर उस महामना विद्वान्ने, सत्यको हृदयसे सत्य मान कर, कटु शब्दप्रयोगका कुछ भी विचार नहीं किया और अपनी जो विचार-भ्रान्ति थी उसका निश्छद्म भावसे पूर्ण खीकार कर, मेरे कथनका संपूर्ण समर्थन किया । ___ हरिभद्रसूरिकी समराइच्चकहा नामक जो विशिष्ट प्राकृत रचना है उसका संपादन डॉ० याकोबीने किया है और बंगालकी एसियाटिक सोसाइटी द्वारा प्रकाशित 'बिब्लियोथिका इन्डिका' नामक सीरीझमें वह प्रकट हुई है। इस ग्रन्थकी भूमिकामें डॉ० याकोबीने मेरे निबन्धकी प्रशंसा करते हुए वे सारी बातें बडे विस्तारसे लिखी हैं जिनका संक्षिप्त परिचय मैंने ऊपर दिया है। डॉ० याकोबीके विचारोंको जब मैंने पढा तो मुझे जर्मनीके महान् विद्वानोंकी सत्यप्रियता, ज्ञानोपासना एवं कर्तव्यनिष्ठाके प्रति अत्यन्त समादर भाव उत्पन्न हुआ। मेरे मनमें हुआ कि कहां डॉ० याकोबी जैसा महाविद्वान् , जिसको समग्र भारतीय साहित्य और संस्कृतिका हस्तामलकवत् स्पष्ट दर्शन हो रहा है, और कहां Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला मेरे जैसा एक अतीव अल्पज्ञ और यथाकथंचित् पुस्तकपाठी सामान्य विद्यार्थी जन, जिसको अमी संशोधन की दिशाकी भी कोई कल्पना नहीं है- वैसे एक सिखाऊ अभ्यासीके लिखे गये लेखके विचारोंका खागत करते हुए, इस महान् विद्यानिधि विद्वान्ने कितने बडे उदार हृदयसे अपनी भूलका खीकार किया और मुझे धन्यवाद दिया। मेरे मनमें उसी समयसे जर्मन विद्वत्ता और विद्याप्रियताके प्रति अतीव उत्कृष्ट आदरभाव उत्पन्न हुआ और मैंने उन्हींके प्रदर्शित मार्ग पर चल कर, अपनी मनोगत जिज्ञासा और ज्ञानपिपासाको तृप्त करते रहनेका संकल्प किया। मैं मान रहा हूं कि मेरी यह जो अल्प-खल्प साहित्योपासना आज तक चलती रही है उसमें मुख्य प्रेरक वही संकल्प है। इस कुवलयमालाके अन्तभागमें जहां हरिभद्रसूरिका उल्लेख किया गया है वह गापा पूनावाली प्रतिमें कुछ खण्डित पाठवाली थी। मैंने त्रुटित अक्षरोंको अपनी कल्पनाके अनुसार वहां बिठानेका प्रयत्न किया। इसी प्रसंगमें पुनः कुवलयमालाकी प्रतिको वारंवार देखनेका अवसर मिला और मैं इसमें से अन्यान्य भी अनेक इतिहासोपयोगी और भाषोपयोगी उल्लेखोंके नोट करते रहा जो आज भी मेरी फाईलोंमें दबे हुए पडे हैं। पूनामें रहते हुए स्व० डॉ० गुणेसे घनिष्ठ संपर्क हुआ। वे जर्मनी जा कर, वहांकी युनिवर्सिटीमें भारतीय भाषाविज्ञानका विशिष्ट अध्ययन कर आये थे और जर्मन भाषा भी सीख आये थे। अतः वे जर्मन विद्वानोंकी शैलीके अनुकरण रूप प्राचीन ग्रन्थोंका संपादन आदि करनेकी इच्छा रखते थे। वे प्राकृत और अपभ्रंश भाषा साहित्यका विशेष अध्ययन करना चाहते थे। मुझे भी इस विषयमें विशेष रुचि होने लगी थी, अतः मैं उनको जैन ग्रन्थोंके अवतरणों और उल्लेखों आदिकी सामग्रीका परिचय देता रहता था। उनकी इच्छा हुई कि किसी एक अच्छे प्राकृत ग्रन्यका या अपभ्रंश रचनाका संपादन किया जाय । मैंने इसके लिये प्रस्तुत कुवलयमाला का निर्देश किया, तो उनने कहा कि- 'आप इसके मूल ग्रन्थका संपादन करें; मैं इसका भाषाविषयक अन्वेषण तैयार करूं; और अपने दोनोंकी संयुक्त संपादनकृतिके रूपमें इसे भांडारकर रीसर्च इन्स्टीट्यट द्वारा प्रकाशित होने वाली, राजकीय ग्रन्थमालामें प्रकट करनेका प्रबन्ध करें। इस विचारके अनुसार मैंने स्वयं कुवलयमालाकी प्रतिलिपि करनेका प्रारंभ भी कर दिया। सन् १९१९-२० में देशमें जो भयंकर इन्फ्लुएंजा का प्रकोप हुआ, उसका शिकार मैं भी बना और उसमें जीवितका भी संशय होने जैसी स्थिति हो गई। ३-४ महिनोंमें बडी कठिनतासे स्वस्थता प्राप्त हुई। इसी इन्फ्लुएंजाके प्रकोपमें, बडौदानिवासी श्री चिमनलाल दलालका दुःखद खर्गवास हो गया, जिसके समाचार जान कर मुझे बडा मानसिक आघात हुआ। मैं गायकवाडस् ओरिएन्टल सीरीझके लिये जिस कुमारपालप्रतिबोध नामक प्राकृत विशाल ग्रन्थका संपादन कर रहा था उसमें भी कुछ व्याघात हुआ।श्री दलाल खयं धनपालकी अपभ्रंश रचना भविस्सयत्तकहा का संपादन कर रहे थे। उसका कार्य अधूरा रह गया । सीरीझका इन्चार्ज उस समय जिनके पास रहा वे बडौदाके ओरिएन्टल इन्स्टीट्यूटके क्युरेटर डॉ० ज. स. कुडालकर मेरे पास आये और दलाल संपादित अधूरे ग्रन्थोंके कामके बारेमें परामर्श किया। भविस्सयत्तकहा का काम डॉ० गुणेको सोंपनेके लिये मैंने कहा और वह स्वीकार हो कर उनको दिया गया । महात्माजीने १९२० में अहमदाबादमें गुजरात विद्यापीठकी स्थापना की, और मैं उसमें एक विशिष्ट सेवकके रूपमें संलग्न हो गया । मेरे प्रस्तावानुसार विद्यापीठके अन्तर्गत 'भांडारकर रीसर्च इन्स्टीट्यूट'के नमूने पर गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर की स्थापना की गई और मैं उसका मुख्य संचालक बनाया गया। मेरी साहित्यिक प्रवृत्तिका केन्द्र पूनासे हट कर अब अहमदाबाद बना। मैंने गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर द्वारा प्रकाशित करने योग्य कई प्राचीन ग्रन्थोंके संपादनकार्यकी योजना बनाई। इन ग्रन्थोंमें यह Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किश्चित् प्रास्ताविक कुवलयमाला भी सम्मीलित थी। डॉ० गुणे पीछेसे क्षयरोगग्रस्त हो गये। उनके साथ जो इसके सहसंपादन का विचार हुआ था वह अब संभव नहीं रहा । पर मेरी इच्छा इस ग्रन्थको प्रकट करनेकी प्रबल बनी हुई थी, उसके परिणामस्वरूप मैंने अहमदाबादमें एक उत्तम प्रतिलिपि करने वाले कुशल लेखकसे पूरे ग्रन्धकी प्रेस कॉपी करवा ली। इसी बीचमें ख० पूज्यपाद प्रवर्तकजी श्री कान्तिविजयजीव श्री चतुरविजयजी महाराजके प्रयत्नसे जेसलमेरकी ताडपत्र वाली प्राचीन प्रतिकी फोटो कॉपी उतर कर आ गई । इसके आधार पर अब ग्रन्थका संपादनकार्य कुछ सुगम मान कर मैंने दोनों प्रतियोंके पाठमेद लेने शुरू किये। गुजरात पुरातत्त्व मन्दिरकी ओरसे अनेक ग्रन्थोंका संपादन-प्रकाशन कार्य चालू किया गया था, इसलिये इसका कार्य कुछ मन्द गतिसे ही चल रहा था । इतनेमें मेरा मनोरथ जर्मनी जानेका हुआ और जिन जर्मन विद्वानोंके संशोधनात्मक कार्योंके प्रति मेरी उक्त रूपसे विशिष्ट श्रद्धा उत्पन्न हो गई थी, उनके कार्यकेन्द्रोंका और उनकी कार्यपद्धतिका, प्रत्यक्ष अनुभव कर आनेकी मेरी इच्छा बलवती हो गई । इंग्रेजी भाषाके प्रति मेरी कुछ विशेष श्रद्धा नहीं थी और मुझे इसके ज्ञानकी प्राप्तिकी कोई वैसी सुविधा मी नहीं मिली थी। पर जब मुझे ज्ञात हुआ कि जर्मन भाषामें, हमारी भारतीय विद्या और संस्कृति पर प्रकाश डालने वाला जितना मौलिक साहित्य प्रकाशित हुआ है उसका शतांश भी इंग्रेजी भाषामें नहीं है; तब मेरी आकांक्षा जर्मन भाषाके सीखनेकी बहुत ही बलवती हो ऊठी । मेरे जैसी परिस्थिति और प्रकृति वाले व्यक्तिके लिये, इस देशमें बैठे बैठे जर्मन भाषाका विशेष परिचय प्राप्त करना कठिन प्रतीत हुआ । क्यों कि जर्मन सीखनेके लिये पहले इंग्रेजी भाषाका अच्छा ज्ञान होना चाहिये, उसके माध्यमसे ही जर्मन भाषा जल्दी सीखी जा सकती है । मेरे लिये वैसा होना संभव नहीं लगा, अतः मैंने सोचा कि जर्मनीमें जा कर कुछ समय रहनेसे अधिक सरलताके साथ, जर्मन भाषा सीधे तौरसे सीखी जा सकेगी; और साथमें वहांके विद्वानों, लोगों, संस्थाओं, कारखानों, विद्यालयों. पुस्तकालयों एवं प्रदेशों, नगरों, गांवों आदिका साक्षात् परिचय भी प्राप्त हो सकेगा। मैंने अपना यह मनोरथ महात्माजीके सम्मुख प्रकट किया, तो उनने बडे सद्भावपूर्वक मेरे मनोरयको प्रोत्साहन दिया और मुझे २ वर्षके लिये गुजरात विद्यापीठसे छुट्टी ले कर जा आनेकी अनुमति प्रदान कर दी। इतना ही नहीं परंतु अपने युरोपीय मित्रोंके नाम एक जनरल नोट भी अपने निजी हस्ताक्षरोंसे लिख कर दे दिया । उधर जर्मनीसे मी मुझे प्रो० याकोबी, प्रो० शुबींग आदि परिचित विद्वानोंके प्रोत्साहजनक पत्र प्राप्त हो गये थे-जिससे मेरा उत्साह द्विगुण हो गया । सन् १९२८ के मई मासकी २६ तारीखको मैं बंबईसे P. and 0. की स्टीमर द्वारा विदा हुआ। जर्मनीमें जाने पर प्रो० याकोबी, प्रो० शुबींग, प्रो० ग्लाजेनाप, डॉ० आल्सडोर्प, प्रो० ल्युडर्स और उनकी विदुषी पत्नी आदि अनेक भारतीय विद्याके पारंगत विद्वानोंका घनिष्ठ संपर्क हुआ और उन उन विद्वानोंका स्नेहमय, सौजन्यपूर्ण, सद्भाव और सहयोग प्राप्त हुआ। जर्मन राष्ट्र मुझे अपने देशके जितना ही प्रिय लगा। मैं वहांके लोगोंका कल्पनातीत पुरुषार्थ, परिश्रम और विद्या एवं विज्ञानविषयक प्रभुत्व देख कर प्रमुदित ही नहीं, प्रमुग्ध हो गया। हांबुर्गमें डॉ० याकोबीसे भेंट हुई। उनके साथ अनेक ग्रन्थोंके संपादनसंशोधन आदिके बारेमें बात-चीत हुई। उसमें इस कुवलयमालाका भी जिक्र आया। उनने इस ग्रन्यको प्रसिद्ध कर देनेकी उत्कट अभिलाषा प्रकट की। मैंने जो पूना वाली प्रति परसे प्रतिलिपि करवा ली थी उसका परिचय दिया और साथमें जेसलमेरकी ताडपत्रीय प्रतिकी फोटू कापी भी प्राप्त हो गई है, इसका भी जिक्र किया । मैंने इन दोनों प्रतियोंके विशिष्ट प्रकारके पाठभेदोंका परिचय दे कर अपना अभिप्राय प्रकट किया कि Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला कुवलयमालाकी आज तक ये दो ही मूल प्रतियां उपलब्ध हो रही हैं। तीसरी प्रति अमी तक कहीं ज्ञात नहीं है। ये दोनों प्रतियां बिल्कुल खतंत्र हैं। इनमें जो पाठभेद प्राप्त हो रहे हैं वे ऐसे हैं जो वयं ग्रन्थकार ही के किये हुए होने चाहिये। डॉ० याकोबी इस बातको सुन कर चकित हुए । उनने खयं कुवलयमालाके इस प्रकारके पाठभेद वाले १०-२० उदाहरण देखने चाहे । पर मेरे पास उस समय इसकी प्रतिलिपि थी नहीं । मैंने पीछे से उनको इसके भेजनेका अभिवचन दिया। जैन भण्डारोंमें ऐसे कुछ ग्रन्थ मेरे देखनेमें आये हैं जो इस प्रकार स्वयं ग्रन्थकार द्वारा किये गये पाठान्तरोंका उदाहरण उपस्थित करते हैं। प्रो० वेबरके बर्लिन वाले हस्तलिखित ग्रन्थोंके विशाल केटेलॉगमें से धर्मसागर उपाध्यायकी तपागच्छीय पट्टावलिका मैंने उल्लेख किया, जिसको उनने अपनी नोटबुकमें लिख लिया। प्रो० याकोबीने वार्ता के अन्तमें अपना अभिप्राय पुनः दौराया कि आप भारत जा कर कुवलयमालाको प्रकट कर देनेका प्रयत्न अवश्य करें। ____ हाम्बुर्गमें मैं ३-४ महीने रहा और जैन साहित्यके मर्मज्ञ विद्वान् प्रो० शुबींगके और उनके विद्वान् शिष्य डॉ० आल्सडोर्फ वगैरहके साथ प्राकृत और अपभ्रंश भाषा विषयक जैन साहित्यके प्रकाशन आदिके बारेमें विशेष रूपसे चर्चा वार्ता होती रही। डॉ० ऑल्सडोर्फ उस समय, गायकवाडस् ओरिएण्टल सीरीझमें प्रकाशित 'कुमारपालप्रतिबोध' नामक बृहत् प्राकृत ग्रन्थका जो मैंने संपादन किया था उसके अन्तर्गत अपभ्रंश भाषामय जो जो प्रकरण एवं उद्धरण आदि थे उनका विशेष अध्ययन करके उस पर एक खतंत्र ग्रन्थ ही तैयार कर रहे थे। हाम्बुर्गसे मैं फिर जर्मनीकी जगद्विख्यात राजधानी बर्लिन चला गया । वहांकी युनिवर्सिटीमें, भारतीय विद्याओं के पारंगत विद्वान् गेहाइमराट्, प्रो० हाइनीश ल्युडर्स और उनकी विदुषी पत्नी डॉ० एल्जे ल्युडर्ससे घनिष्ठ स्नेहसंबन्ध हुआ। मैं वारंवार उनके पनिवर्सिटी वाले रूममें जा कर मिलता और बैठता । वे भी अनेक वार मेरे निवासस्थान पर बहुत ही सरल भावसे चले आते। उस वर्षकी दीवालीके दिन मैंने उन महामनीषी दम्पतीको अपने स्थान पर भोजन के लिये निमंत्रित किया था-जिसका सुखद स्मरण आज तक मेरे मनमें बडे गौरवका सूचक बन रहा है। डॉ० ल्युडसकी व्यापक विद्वत्ता और भारतीय संस्कृतिके ज्ञानकी विशालता देख देख कर, मेरे मन में हुआ करता था कि यदि जीवनके प्रारंभकालमें - जब विद्याध्ययनकी रुचिका विकास होने लगा था, उस समय,-ऐसे विद्यानिधि गुरुके चरणों में बैठ कर ५-७ वर्ष विद्या ग्रहण करनेका अवसर मिलता तो मेरी ज्ञानज्योति कितनी अच्छी प्रज्वलित हो सकती और मेरी उत्कट ज्ञानपिपासा कैसे अधिक तृप्त हो सकती । डॉ० ल्युड भारतकी प्राग्-मध्यकालीन प्राकृत बोलियोंका विशेष अनुसन्धान कर रहे थे । मैंने उनको कुवलयमालामें उपलब्ध विविध देशोंकी बोलियोंके उस उल्लेखका जिक्र किया जो प्रस्तुत आवृत्तिके पृष्ठ १५१-५३ पर मुद्रित है । उनकी बहुत इच्छा रही कि मैं इस विषयके संबन्धका पूरा उद्धरण उनको उपलब्ध कर दूं । पर उस समय मेरे पास वह था नहीं, और मेरे लिखने पर कोई सजन यहांसे उसकी प्रतिलिपि करके भेज सके ऐसा प्रबन्ध हो नहीं सका। ___जर्मनीसे जब वापस आना हुआ तब, थोडे ही समय बाद, महात्माजीने भारतकी खतंत्रताप्राप्ति के लिये नमक-सत्याग्रहका जो देशव्यापी आन्दोलन शुरू किया था उसमें भाग लेने निमित्त मुझे ६ महीनेकी कठोर कारावास वाली सजा मिली और नासिककी सेंट्रल जेलमें निवास हुआ । उस समय मान्य मित्रवर श्री कन्हैयालालजी मुन्शीका भी उस निवासस्थानमें आगमन हुआ। हम दोनों वहां पर बडे आनन्द और उल्हासके साथ अपनी साहित्यिक चर्चाएं और योजनाएं करने लगे। वहीं रहते समय श्री मुन्शीजीने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘गुजरात एण्ड इटस् लिटरेचर' के बहुतसे प्रकरण लिखे, जिनके प्रसंगमें गुजरातके प्राचीन साहित्यके Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक विषयमें परस्पर बहुत ऊहापोह होता रहा और इस कुवलयमाला कथाके विषय और वर्णनोंके बारेमें मी इनको बहुत कुछ जानकारी कराई गई । नासिकके जेलनिवास दरम्यान ही मेरा संकल्प और भी अधिक दृद्ध हुआ कि अवसर मिलते ही अब सर्वप्रथम इस ग्रन्थके प्रकाशनका कार्य हाथमें लेना चाहिये। जेलमेंसे मुक्ति मिलने बाद, बाबू श्री बहादुर सिंहजी सिंघीके आग्रह पर, गुरुदेव रवीन्द्रनाथके सान्निध्यमें रहनेकी इच्छासे, मैंने कुछ समय विश्वभारती- शन्तिनिकेतनमें अपना कार्यकेन्द्र बनानेकी योजना की । सन् १९३१ के प्रारंभमें शान्तिनिकेतनमें सिंघी जैन ज्ञानपीठकी स्थापना की गई और उसके साथ ही प्रतुत सिंघी जैन ग्रन्थमालाके प्रकाशनकी भी योजना बनाई गई। अहमदाबादके गुजरात विद्यापीठस्थित गुजरात पुरातत्त्व मन्दिरकी ग्रन्थावलि द्वारा जिन कई ग्रन्थोंके प्रकाशनका कार्य मैंने निश्चित कर रखा था, उनमेंसे प्रबन्धचिन्तामणि आदि कई ऐतिहासिक विषयके ग्रंथोंका मुद्रणकार्य, सर्वप्रथम हाथमें लिया गया। प्रबन्धचिन्तामणिका कुछ काम, जर्मनी जानेसे पूर्व ही मैंने तैयार कर लिया था और उस ग्रन्थको बंबईके कर्णाटक प्रेसमें छपनेको भी दे दिया था। ५-६ फार्म छप जाने पर, मेरा जर्मनी जानेका कार्यक्रम बना और जिससे वह कार्य वहीं रुक गया। मेरे जर्मनी चले जाने बाद, गुजरात पुरातत्त्व मन्दिरका वह कार्य प्रायः सदाके लिये स्थगित-सा हो गया । इस लिये शान्तिनिकेतनमें पहुंचते ही मैंने इसका कार्य पुनः प्रारंभ किया और बंबईके सुविख्यात निर्णयसागर प्रेसमें इसे छपनेके लिये दिया। इसीके साथ ही मैंने कुवलयमालाका काम भी प्रारंभ किया । शान्तिनिकेतनमें विश्वभारतीके मुख्य अध्यापक दिवंगत आचार्य श्री विधुशेखर भट्टाचार्यके साथ इस ग्रन्थके विषयमें विशेष चर्चा होती रही । उनको मैंने इस ग्रन्थके अनेक अवतरण पढ कर सुनाये और वे भी इस प्रन्थको शीघ्र प्रकाशित करनेका साग्रह परामर्श देते रहे। इस ग्रन्थको किस आकारमें और कैसे टाईपमें छपवाया जाय इसका परामर्श मैंने प्रेसके मैनेजरके साथ बैठ कर किया। और फिर पहले नमूनेके तौर पर १ फार्मकी प्रेसकॉपी ठीक करनेके लिये, पूना और जेसलमेर वाली दोनों प्रतियोंके पाठमेद लिख कर उनको किस तरह व्यवस्थित किया जाय इसका उपक्रम किया। पूना वाली प्रति परसे तो मैंने पहले ही अहमदाबादमें उक्त रूपमें एक अच्छे प्रतिलिपिकारके हाथसे प्रतिलिपि करवा रखी थी और फिर उसका मिलान जेसलमेरकी प्रतिके लिये गये फोटोसे करना प्रारंभ किया । जैसा कि विज्ञ पाठक प्रस्तुत मुद्रणके अवलोकनसे जान सकेंगे कि इन दोनों प्रतियोंमें परस्पर बहुत पाठमेद हैं और इनमें से कौनसी प्रतिका कौनसा पाठ मूलमें रखा जाय और कौनसा पाठ नीचे रखा जाय इसके लिये प्रत्येक शब्द और वाक्यको अनेक बार पढना और मूल पाठके औचित्यका विचार करना बडा परिश्रमदायक काम अनुभूत हुआ। इसमें भी जेसलमेरकी जो फोटोकॉपी सामने थी वह उतनी स्पष्ट और सुवाच्य नहीं थी, इस लिये वारंवार सूक्ष्मदर्शक काचके सहारे उसके अक्षरोंका परिज्ञान प्राप्त करना, मेरी बहुत ही दुर्बल ज्योति वाली आंखोंके लिये बडा कष्टदायक कार्य प्रतीत हुआ। पर मैंने बडी साइझके ८-१० पृष्ठोंका पूरा मेटर तैयार करके प्रेसको भेज दिया और किस टाईपमें यह ग्रन्थ मयपाठमेदोंके ठीक ढंगसे अच्छा छपेगा और सुपाठ्य रहेगा, इसके लिये पहले १-२ पृष्ठ, ३-४ जातिके भिन्न भिन्न टाईपोंमें कंपोज करके भेजनेके लिये प्रेसको सूचना दी और तदनुसार प्रेसने वे नमूनेके पेज कंपोज करके मेरे पास भेज दिये । मैंने उस समय इस ग्रन्थको, डिमाई ४ पेजी जैसी बडी साइझके आकारमें छपवाना निश्चित Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० कुवलयमाला किया था। क्यों कि सिरीझके मूल संरक्षक ख० बाबू बहादुर सिंहजी सिंघी, ग्रन्थमालाके सुन्दर आकार, प्रकार, मुद्रण, कागज, कवर, गेट-अप आदिके बारेमें बहुत ही दिलचस्पी रखते थे और प्रत्येक बातमें बडी सूक्ष्मता और गहराईके साथ विचार-विनिमय करते रहते थे। ग्रन्थमालाके लिये जो सर्वप्रथम आकार-' प्रकार मैंने पसन्द किया, उसमें उनकी पसन्दगी भी उतनी ही मुख्य थी। प्रेसने जो नमूनेके पृष्ठ मेजे उसमें से मैंने निर्णयसागर प्रेसके स्पेशल टाईप ग्रेट नं. ३ में ग्रन्थका छपवाना तय किया । क्यों कि इस टाईपमें ग्रन्थकी प्रत्येक गाथा, पृष्ठकी एक पंक्तिमें, अच्छी तरह समा सकती है और उस पर पाठ-भेद और पादटिप्पणी के लिये सूचक अंकोंका समावेश भी अच्छी तरह हो सकता है। प्रेसने मेरे कहनेसे इसके लिये बिल्कुल नया टाईप तैयार किया और उसमें २ फार्म एक साथ कंपोज करके मेरे पास उसके प्रुफ मेज दिये। जिन दिनों ये प्रुफ मेरे पास पहुंचे, उन दिनोंमें मेरा खास्थ्य कुछ खराब था और उसी अवस्थामें मैंने प्रुफ देखने और मूल परसे पाठभेदोंका मिलान करके उनको ठीक जगह रखनेका विशेष परिश्रम किया। खास करके जेसलमेर वाली फोटोकॉपीको, प्रतिवाक्यके लिये देखने निमित्त आंखोंको जो बहुत श्रम करना पड़ा उससे शिरोवेदना शुरू हो गई और उसका प्रभाव न केवल मस्तकमें ही व्यापक रहा पर नीचे गर्दनमें मी उतर आया और कोई २-३ महिनों तक उसके लिये परिचर्याकी लंबी शिक्षा सहन करनी पडी। तब मनमें यह संकल्प हुआ कि कुवलयमालाका ठीक संपादन करनेके लिये, जेसलमेर वाली प्राचीन ताडपत्रीय प्रतिको खयं जा कर देखना चाहिये और उसकी शुद्ध प्रतिलिपि खयं करके फिर इसका संपादन करना चाहिये । विना ऐसा किये इस प्रन्यकी आदर्शभूत आवृत्ति तैयार हो नहीं सकती । इस संकल्पानुसार जेसलमेर जानेकी प्रतीक्षामें, इसका उक्त मुद्रणकार्य स्थगित रखा गया और ग्रन्थमालाके अन्यान्य अनेक प्रन्थोंके संपादन-प्रकाशनमें मैं व्यस्त हो गया । सन् १९३२-३३ का यह प्रसंग है। उसके प्रायः १० वर्ष बाद (सन् १९४२ के अन्तमें ) मेरा जेसलमेर जाना हुआ और वहां पर प्रायः ५ महिनों जितना रहना हुआ। उसी समय, अन्यान्य अनेक अलभ्य-दुर्लभ्य ग्रन्थोंकी प्रतिलिपियां करानेके साथ इस कुवलयमालाकी सुन्दर प्रतिलिपि भी, मूल ताडपत्रीय प्रति परसे करवाई गई। . द्वितीय महायुद्धके कारण बाजारमें कागजकी प्राप्ति बहुत दुर्लभ हो रही थी, इसलिये ग्रन्थमालाके अन्यान्य प्रकाशनोंका काम भी कुछ मन्द गतिसे ही चल रहा था। नये प्रकाशनोंका कार्य कुछ समय बन्द करके पुराने ग्रन्थ जो प्रेसमें बहुत अर्सेसे छप रहे थे उन्हींको पूरा करनेका मुख्य लक्ष्य रहा था । पर मेरे मनमें कुवलयमालाके प्रकाशनकी अभिलाषा बराबर बनी रही। कुवलयमाला एक बडा ग्रन्थ है एवं पूना और जसेलमरेकी प्रतियोंमें परस्पर असंख्य पाठमेद हैं, इसलिये इसका संपादन कार्य बहुत ही समय और श्रमकी अपेक्षा रखता है। शारीरिक खास्थ्य और मायुष्यकी परिमितताका खयाल मी बीच-बीचमें मनमें उठता रहता था। उधर ग्रन्थमालाके संरक्षक और संस्थापक बाबू श्री बहादुर सिंहजीका खास्थ्य भी कई दिनोंसे गिरता जा रहा था और वे क्षीणशक्ति होते जा रहे थे। उनके खास्थ्यकी स्थिति देख कर मेरा मन और मी अनुत्साहित और कार्य-विरक्त बनता जा रहा था। इसी अर्सेमें, सुहृद् विद्वद्वर डॉ० उपाध्येजी बंबईमें मुझसे मिलने आये और ४-५ दिन मेरे साथ ठहरे । उन दिनोंमें, डॉ० उपाध्येने मेरे संपादित हरिभद्ररिके धूर्ताख्यान नामक ग्रन्थका इंग्रेजीमें विशिष्ट ऊहापोहात्मक विवेचन लिख कर जो पूर्ण किया था, उसे मुझे दिखाया और मैंने उसके लिये अपना संपादकीय संक्षिप्त प्रास्ताविक वक्तव्य लिख कर इनको इंग्रेजी भाषनुवाद करनेको दिया । इन्हीं दिनोंमें इनके साप हुवलयमालाके प्रकाशनके विषयमें भी प्रासंगिक चर्चा हुई । कुवलयमालाको सुन्दर रूपमें प्रकाशित Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक ११ करनेका मेरा चिरकालीन उत्कट मनोरथ बना हुआ है पर शारीरिक दुर्बलावस्था, कुछ अन्य कार्यासक्त आन्तरिक मनोवृत्ति और चालू अनेक ग्रन्थोंके संपादन कार्यको पूर्ण करनेका अतिशय मानसिक भार, आदिके कारण, अब इस ग्रन्थका अति श्रमदायक संपादन करनेमें समर्थ हो सकूंगा या नहीं उसका मुझे सन्देह था । अतः डॉ० उपाध्येजी- जो इस कार्यके लिये पूर्ण क्षमता रखते हैं, - यदि का इस भार उठाना स्वीकार करें तो, मैंने यह कार्य इनको सौंप देनेका अपना श्रद्धापूर्ण मनोभाव प्रकट किया । डॉ० उपाध्ये अपने प्रौढ पाण्डित्य और संशोधनात्मक पद्धतिके विशिष्ट विद्वान्‌के रूपमें, भारतीय विद्याविज्ञ विद्वन्मंडलमें सुप्रसिद्ध हैं । इतः पूर्व अनेक महत्त्व के ग्रन्थोंका, इनने बडे परिश्रमपूर्वक, बहुत विशिष्ट रूपमें संपादन एवं प्रकाशन किया है। इसी सिंघी जैन ग्रन्थमालामें इनके संपादित 'बृहत्कथा कोष' और 'लीलावई कहा' जैसे अपूर्व ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । इनके द्वारा 'कुवलयमाला' कहा का संपादन सर्वथा उत्तम स्वरूपमें होनेकी मुझे पूर्ण श्रद्धा थी । अतः मैंने इनको इसका भार उठानेके लिये उत्साहपूर्वक प्रेरित किया । इनने बडी नम्रता एवं आत्मीयता के साथ मुझसे कहा कि 'यदि आपको मेरे कार्य से पूर्ण सन्तोष हैं, तो इस सेवाका सहर्ष स्वीकार करनेमें मैं अपने जीवनका एक बहुत ही श्रेयस्कर कार्य समझंगा' इत्यादि । चर्चाके परिणामस्वरूप इनने बडे उत्साह और सद्भावपूर्वक इस कार्यका स्वीकार किया । कुछ दिन बाद, कुवलयमालाकी जो प्रतिलिपि आदि सामग्री मेरे पास थी, उसको मैंने कोल्हापुर डॉ० उपाध्येजीके पास मेज दी । पर उस समय इनके हाथमें, 'लीलावई कहा' का संपादन कार्य चालू थाजो सन् १९४९ में जा कर समाप्त हुआ । उसके बाद सन् १९५०-५१ में, वास्तविक रूपसे इस ग्रन्थका मुद्रण कार्य प्रारंभ हुआ। बंबईके नि० सा० प्रेसके मैनेजरके साथ बैठ कर, मुझे इसके टाईप आदिके बारेमें फिरसे विशेष परामर्श करना पडा । क्यों कि २० वर्ष पहले जब मैंने ( सन् १९३१ - ३२ में ) इस ग्रन्थका मुद्रण कार्य प्रारंभ किया था तब इसके लिये जिस साईझके कागज आदि पसन्द किये थे उनकी सुलभता इस समय नहीं रही थी । अतः मुझे साईझ, कागज, टाईप आदिके बारेमें समयानुसार परिवर्तन करना आवश्यक प्रतीत हुआ और तदनुसार ग्रन्थका मुद्रणकार्य प्रारंभ किया गया - जो अब प्रस्तुत स्वरूपमें समापन हुआ है । 1 जैसा कि मुखपृष्ठ परसे ज्ञात हो रहा है - यह इस ग्रन्थका प्रथम भाग है । इसमें उदयोतन सूरिकी मूल प्राकृत कथा पूर्ण रूपमें मुद्रित हो गई है। इस विस्तृत प्राकृत कथाका सरल संस्कृतमें गद्य-पद्यमय संक्षिप्त रूपान्तर, प्रायः ४००० श्लोक परिमाणमें, रत्नप्रभसूरि नामक विद्वान् ने किया है जो विक्रमकी १४ वीं शताब्दी के प्रारम्भमें विद्यमान थे। जिनको प्राकृत भाषाका विशेष ज्ञान नहीं है, उनके लिये यह संस्कृत रूपान्तर, कथावस्तु जाननेके लिये बहुत उपकारक है । अतः इस संस्कृत रूपान्तरको भी इसके साथ मुद्रित करनेका मेरा विचार हुआ और उसको डॉ० उपाध्येजीने भी बहुत पसन्द किया । अतः उसका मुद्रण कार्य मी चालू किया गया है। इसके पूर्ण होने पर डॉ० उपाध्येजी ग्रन्थके अन्तरंग - बहिरंगपरीक्षण, आलोचन, विवेचन वगैरेकी दृष्टिसे अपना विस्तृत संपादकीय निबन्ध लिखेंगे जो काफी बडा हो कर कुछ समय लेगा । अतः मैंने इस ग्रन्थको दो भागों में प्रकट करना उचित समझ कर, मूल ग्रन्थका यह प्रथम भाग सिंघी जैन ग्रन्थमाला ४५ वें मणिरत्न के रूपमें विज्ञ पाठकोंके करकमलमें उपस्थित कर देना पसन्द किया है । आशा तो है कि वह दूसरा भाग भी यथाशक्य शीघ्र ही प्रकाशित हो कर विद्वानोंके सम्मुख उपस्थित हो जायगा । ग्रन्थ, ग्रन्थकार और ग्रन्थगत वस्तुके विषयमें डॉ० उपाध्येजी अपने संपादकीय निबन्धमें सविस्तर लिखने वाले हैं, अतः उन बातोंके विषय में मैं यहां कोई विशेष विचार लिखना आवश्यक नहीं समझता । Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ कुवलयमाला यह जो मैंने अपना किश्चिद् वक्तव्य लिखा है वह केवल इसी दृष्टिसे कि इस ग्रन्थको, वर्तमान रूपमें प्रकट करनेके लिये, मेरा मनोरथ कितना पुराना रहा है और किस तरह इसके प्रकाशनमें मैं निमित्तभूत बना हूं । * प्रायः १२०० वर्ष पहले ( बराबर ११८० वर्ष पूर्व) उदयोतनसूरि अपर नाम दाक्षिण्यचिह्न सूरने वर्तमान राजस्थान राज्यके सुप्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक स्थान जाबालिपुर ( आधुनिक जालोर) में रहते हुए, वीरभद्रसूरिके बनवाए हुए, ऋषभदेवके चैत्य (जैनमन्दिर) में बैठ कर, इस महती कथाकी भव्य रचना की। ग्रन्थकारने प्रन्यान्तमें अपने गुरुजनों एवं समय, स्थान आदिके बारेमें जानने योग्य थोडी-सी महत्त्वकी बातें लिख दी हैं। शायद, उस समय इस ग्रन्थकी १०-२० प्रतियां ही ताडपत्रों पर लिखी गई होंगी। क्यों कि ऐसे बडे ग्रन्थों का ताडपत्रों पर लिखना - लिखवाना बडा श्रमसाध्य और व्ययसाध्य कार्य होता था। इस प्रन्थकी प्रतियोंकी दुर्लभता के कारण अनुमान होता है कि पीछेसे इस कथाका वाचन श्रवणके रूपमें विशेष प्रचार नहीं हुआ । कारण, एक तो कथाका विस्तार बहुत बडा है । उसमें पत्तेके अन्दर पत्ते वाले कदली वृक्षके पेडकी तरह, कथाके अन्दर कथा, एवं उसके अन्दर और कथा - इस प्रकार कथाजालके कारण यह ग्रन्थ जटिल-सा हो गया है । दूसरा, ग्रन्थ में इतने प्रकार के विविध वर्णनों और विषयोंका आलेखन किया गया है कि सामान्य कोटिके वाचक और श्रोताओंको उनका हृदयंगम होना उतना सरल नहीं लगता । अतः विरल ही रूपमें इस कथाका वाचन श्रवण होना संभव । यही कारण है कि इस ग्रन्थकी पीछेसे अधिक प्रतियां लिखी नहीं गई । हरिभद्रसूरिकी समराइच्चकहा की एवं उससे भी प्राचीन कथाकृति, वसुदेवहिंडी आदिकी जब अनेक प्रतियां उपलब्ध होती हैं तब इस कथाकी अभी तक केवल दो ही प्रतियां उपलब्ध हुई हैं । इनमें जेसलमेर वाली ताडपत्रीय प्रति विक्रमकी १२ वीं शताब्दी जितनी पुरानी लिखी हुई है और यद्यपि पूना वाली कागजकी प्रति १६ वीं शताब्दीमें लिखी गई प्रतीत होती है, पर वह प्रति किसी विशेष प्राचीन ताडपत्रीय पोथीकी प्रतिलिपिमात्र । ये दोनों प्रतियां परस्पर भिन्न मूलपाठ वाली हैं। हमारा अनुमान है कि ये जो भिन्न भिन्न पाठ हैं, वे स्वयं ग्रन्थकार द्वारा ही किये गये संशोधन- परिवर्तनके सूचक हैं । ग्रन्थकारने जब अपनी रचनाके, सर्वप्रथम जो एक-दो आदर्श तैयार करवाये होंगे, उनका संशोधन करते समय, उनको जहां कोई शब्द विशेषमें परिवर्तन करने जैसा लगा वहां, वह वैसा करते गये। एक आदर्शमें जिस प्रकारका संशोधन उनने किया होगा उसकी उत्तरकालीन एक प्रतिलिपिरूप जेसलमेर वाली प्रति है, और दूसरे आदर्शमें उनने जो संशोधन-परिवर्तन आदि किये होंगे, उसकी उत्तरकालीन प्रतिलिपिरूप वह प्राचीन ताडपत्रीय प्रति है जिस परसे पूना वाली कागज की प्रतिका प्रत्यालेखन किया गया है । प्राचीन ग्रन्थों के संशोधन की दृष्टिसे कुवलयमालाकी ये दोनों पाठभेद वाली प्रतियां बहुत ही महत्त्वकी जानकारी कराने वाली हैं। इन दो प्रतियोंके सिवा और कोई प्रति उपलब्ध नहीं हुई है, अतः यह कहना कठिन है कि कौनसी प्रतिका विशेष प्रचार हुआ और किसका कम । पर इससे इतना तो ज्ञात होता ही है कि इस कृतिका प्रचार विशेष रूपमें नहीं हुआ । ग्रन्थकारको अपनी रचनाके महत्त्वके विषयमें बडी आरमश्रद्धा है । वे ग्रन्थके अन्तिम भागमें कहते हैं कि - " जो सज्जन भावयुक्त इस कथाको पढेगा, अथवा पंचावेगा, अथवा सुनेगा, तो, यदि वह भव्य जीव होगा तो अवश्य ही उसको सम्यक्त्वकी प्राप्ति होगी, और जिसको सम्यक्त्व प्राप्त है, तो उसका वह सम्यक्त्व अधिक स्थिर - दृढ होगा। जो विदग्ध है वह प्राप्तार्थ ऐसा सुकवि बन सकेगा । इस लिये प्रयत्नपूर्वक सब जन इस कुवलयमालाका वाचन करें। जो मनुष्य देशी भाषाएं, उनके लक्षण और धातु आदिके मेद जानना चाहते हैं, तथा वदनक, गाथा आदि छन्दोंके मेद जानना चाहते हैं, वे भी इस कुवलयमालाको अवश्य पढें । Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किञ्चित् प्रास्ताविक १३ जो इन बातोंको नहीं जानते, वे मी इसकी पुस्तक ले कर उसका वाचन करावें जिससे उनको कविताकी निपुणताके गुण ज्ञात होंगे- इत्यादि । जिस भगवती ही देवीने मुझे यह सब आख्यान कहा है उसीने इसकी रचना करवाई है - मैं तो इसमें निमित्तमात्र हूं। यदि इस ग्रन्थके लिखते समय, ही देवी मेरे हृदयमें निवास नहीं करती, तो दिनके एक प्रहरमात्र जितने समयमें सौ-सौ श्लोकों जितनी ग्रन्थरचना कौन मनुष्य कर सकता है।" इत्यादि-इत्यादि । सचमुच ग्रन्थकार पर वाग्देवी भगवती ही देवीकी पूर्ण कृपा रही और उसके कारण आज तक यह रचना विद्यमान रही । नहीं तो इसके जैसी ऐसी अनेकानेक महत्त्वकी प्राचीन रचनाएं, कालके कुटिल गर्भमें विलीन हो गई हैं, जिनके कुछ नाम मात्र ही आज हमें प्राचीन ग्रन्थों में पढने मिलते हैं, पर उनका अस्तित्व कहीं ज्ञात नहीं होता । पादलिप्त सूरिकी तरंगवती कथा, गुणाढ्य महाकविकी पैशाची भाषामयी बृहत्कथा, हलिक कविकी विलासवती कथा आदि ऐसी अनेकानेक महत्त्वकी रचनाएं नामशेष हो गई हैं। प्राकृत वाङ्मयका यह एक बडा सद्भाग्य समझना चाहिये कि ही देवीकी कृपासे इस दुर्लभ्य प्रन्थकी उक्त प्रकारकी दो प्रतियां, आज तक विद्यमान रह सकीं; और इनके कारण, अब यह मनोहर महाकथा शतशः प्रतियोंके व्यापक रूपमें सुप्रकाशित हो कर, केवल हमारे सांप्रदायिक ज्ञानभंडारोंमें ही छिपी न रह कर, संसारके सारे सभ्य मानव समाजके बडे बडे ज्ञानागारोंमें पहुंच सकेगी और सैंकडों वर्षों तक हजारों अभ्यासी जन इसका अध्ययन-अध्यापन और वाचन-श्रवण आदि करते रहेंगे। जिस तरह ग्रन्थकार उद्दयोतन सूरिका मानना है कि उनकी यह रचना हृदयस्थ ही देवीकी प्रेरणाके आध्यात्मिक निमित्तके कारण निष्पन्न हुई है। इसी तरह मेरा क्षुद्र मन भी मानना चाहता है कि उसी वागधिष्ठात्री भगवती ही देवीकी कोई अन्तःप्रेरणाके कारण, इस रचनाको, इस प्रकार, प्रकट करने-करानेमें मैं मी निमित्तभूत बना होऊंगा। कोई ४४-४५ वर्ष पूर्व, जब कि मेरा साहित्योपासना विषयक केवल मनोरथमय, अकिश्चित्कर, जीवन प्रारंभ ही हुआ था, उस समय, अज्ञात भावसे उत्पन्न होने वाला एक क्षुद्र मनोरथ, धीरे धीरे साकार रूप धारण कर, आज जीवनके इस सन्ध्या-खरूप समयमें, इस प्रकार जो यह फलान्वित हो रहा है, इसे अनुभूत कर, यह लघु मन भी मान रहा है कि उसी माता ही देवीकी ही कोई कृपाका यह परिणाम होना चाहिये। यद्यपि इस कथाको, इस प्रकार प्रकाशित करनेमें, मैं मुख्य रूपसे निमित्तभूत बना हूं; परन्तु इस कार्यमें मेरे सहृदय विद्वत्सखा डॉ० उपाध्येजीका सहयोग भी इतना ही मुख्य भागभाजी है । यदि ये इस कार्यको अपना कर, संपादनका भार उठानेको तत्पर नहीं होते, तो शायद यह कृति, जिस आदर्श रूपमें परिष्कृत हो कर प्रकाशमें आ रही है, उस रूपमें नहीं भी आती। मैंने ऊपर सूचित किया है कि जेसलमेर वाली ताडपत्रीय प्रतिकी प्रतिलिपि स्वयं करा लेने बाद, सन् १९४३-४४ में ही मेरा मन इसका संपादन कार्य हाथमें लेनेको बहुत उत्सुक हो रहा था; पर शारीरिक शिथिलता आदिके कारण कभी कभी मेरा मन उत्साहहीन भी होता रहता था । पर डॉ० उपाध्येजीने जब इस भारको उठानेका अपना सोत्सुक उत्साह प्रदर्शित किया तब मेरा मन इसके प्रकाशनके लिये द्विगुण उत्साहित हो गया और उसके परिणामस्वरूप यह प्रकाशन मूर्त स्वरूपमें आज उपस्थित हो सका। डॉ० उपाध्येजीको इसके संपादन कार्यमें कितना कठिन परिश्रम उठाना पडा है वह मैं ही जानता हूं। जिन लोगोंको ऐसे जटिल और बहुश्रमसाध्य ग्रन्थोंके संपादनका अनुभव या कल्पना नहीं है, वे इसके श्रमका अनुमान तक करने में भी असमर्थ हैं। 'नहि वन्ध्या विजानाति प्रसूतिजननश्रमम्' वाली विज्ञजनोक्ति Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ कुवलयमाला 1 1 इसमें सर्वेषा चरितार्थ होती है। पिछले ७-८ वर्षोंसे डॉ० उपाध्येजी इस प्रत्यके संपादन कार्यमें सतत व्यम बने रहे हैं । कई बार इनको इसमें अनुत्साह उत्पन्न करने वाले प्रसंग मी उपस्थित होते रहे । ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा था, उसे देख कर, मैं भी कभी कभी व्याकुल होता रहा हूं कि क्या यह रचना मेरे जीते-जी प्रसिद्धिमें आ सकेगी या नहीं। पर माता ही देवीकी कृपासे आज मेरा चिर मनोरथ इस प्रकार सफल होता हुआ जान कर अन्तर्मन एक प्रकारकी 'कुछ' सन्तोषानुभूति से समुल्लसित हो रहा है' । * १ इस आवृत्तिका अन्तिम फार्म जब मेरे पास आया तब मुझे एकाएक इस ग्रन्थका प्रस्तुत मूलग्रन्थात्मक प्रथम भाग तुरन्त प्रकट कर देनेका विचार हो आया और उसको मैंने डॉ. उपाध्येजीको सूचित किया। इनने भी इस विचारको बहुत पसन्द किया और ता. २९, अप्रैल, ५९ को, मुझे नीचे दिया गया भावनात्मक पत्र लिखा। इस पत्र द्वारा विज्ञ पाठकोंको इसका भी कुछ इंगित मिल जायगा कि इस कथाके संपादन कार्यमें डॉ. उपजको कितना शारीरिक और मानसिक - दोनों प्रकारके कठोर परिश्रमका सामना करना पड़ा है। I obey you and accept heartily your suggestion to issue the Part First of the Kuvalayamald. As desired by you, I am sending herewith by return of post, the face page, the Preface and the page of Dedication. You alone can appreciate my labours on this works: I have tried to be very brief in the Preface. The Notes for the longer Preface were ready, and I just took those items which could not and should not be omitted. If you think that I have left anything important, please give me your suggestions so that the same can be added in the proofs. Dr. Alsdrof, Dr. A. Master and others in Europe are very eager to see the work published. From June I can difinitely start drafting the Intro.; and you will please do your best to start printing of the Sanskrit Text. I have spent great lobour on that too. Unless this text is printed soon, some of my observations in the Notes cannot be sufficiently significant. So let the printing start early. You may approve of the types etc. and send to me the speciman page. I shall immediately send some matter. I send the press copy in instalments, because now and then I require some portion here for reference. I fully understand your sentiments and thrilling experience on the publication of the Kuvalayamala. You know, I paid my respects to Girnar on my way back from Somanith. That early morning Dr. Dandekar, Dr. Hiralal and myself started climbing the hill at about 3 o'clock: If I had seen the height before climbing I would not have dared to undertake the trip. Luckily the dark morning did not disclose the height. Well the same thing has happened in my working on the Kuvalayamälä. If I had any idea of the tremendous labour the text-constitution demanded, perhaps I would not have undertaken it. It is really good that you also did not tell me that, from your own experience. There is a pleasure in editing a difficult text. I enjoyed it for the last six or seven years. The work was heavy, exacting and irritating; still I could do it using all my leisure for the last six or seven years. I really wonder what sustained my spirits in this strenu ous work-at least you know how strenuous it is: it must be something spiritual, perhaps the same Hreedevi behind the scene! I know, the Second Part is still to oome; but I find all that within my reach, within a year or 80. & . Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ किञ्चित् प्रास्ताविक यहां पर यह 'कुछ' शब्दका प्रयोग इसलिये हो रहा है कि यदि आज इस महतीप्रतिष्ठाप्राप्त और युग-युगान्तर तक विद्यमान रहने वाली सिंघी जैन ग्रन्थमालाके संस्थापक और प्राणपोषक ख० बाबू श्री बहादुर सिंहजी सिंघी विद्यमान होते तो उनको इससे भी अधिक आनन्दानुभव होता, जितना कि मुझको हो रहा है । पर दुर्भाग्यसे वे इस प्रकाशनको देखनेके लिये हमारे सम्मुख सदेह रूपमें विद्यमान नहीं हैं। इस लिये मेरी यह सन्तोषानुभूति 'कुछ' आन्तरिक खिन्नतासे संमिश्रित ही है। योगानुयोग, इन शब्दोंके लिखते समय, आज जुलाई मासकी ७ वीं तारीख पड रही है । इसी तारीखको आजसे १५ वर्ष (सन् १९४४ में) पूर्व, बाबू श्री बहादुर सिंहजीका दुःखद स्वर्गवास हुआ था। उनके स्वर्गवाससे मुझे जो आन्तरिक खेद हुआ उसका जिक्र मैंने अपने लिखे उनके संस्मरणात्मक निबन्धमें किया ही है। सिंघी जैन ग्रन्थमालाका जब कोई नया प्रकाशन प्रकट होता है और उसके विषयमें जब कमी मुझे 'यत्किश्चित् प्रास्ताविक' वक्तव्य लिखनेका अवसर आता है, तब मेरी आंखोंके सामने स्वर्गीय बाबूजीकी उस समय वाली वह तेजोमयी आकृति आ कर उपस्थित हो जाती है, जब कि उनने और मैंने कई कई बार सायमें बैठ बैठ कर, प्रन्थमालाके बारेमें अनेक मनोरथ किये थे। दुर्दैवके कारण और हमारे दुर्भाग्यसे वे अपने मनोरथोंके अनुसार अधिक समय जीवित नहीं रह सके । इन पिछले १५ वर्षोंमें ग्रन्थमालामें जो अनेक महत्त्वके ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं और जिनके कारण आज यह ग्रन्थमाला आन्तरराष्ट्रीय ख्यातिको प्राप्त कर, विश्वके अनेक विद्वानों एवं प्रतिष्ठानोंका समादर प्राप्त करने वाली जो बनी है, इसके यदि वे प्रत्यक्ष साक्षी रहते, तो मैं अपनेको बहुत ही अधिक सन्तुष्ट मानता । पर, बाबूजीकी अनुपस्थितिमें, उनके सुपुत्र बाबू श्री राजेन्द्र सिंहजी सिंघी और श्री नरेन्द्र सिंहजी सिंघी अपने पूज्य पिताकी पुण्यस्मृतिको चिरस्थायी करनेके लिये, उनकी मृत्युके बाद, आज तक जो इस प्रन्थमालाके कार्यका यथाशक्य संरक्षण और परिपोषण करते आ रहे हैं, इससे मुझे बाबूजीके अभावके खेदमें अवश्य 'कुछ' सन्तोष भी मिलता ही रहा है । यदि इन सिंघी बन्धुओंकी इस प्रकारकी उदार सहानुभूति और आर्थिक सहायता चालू न रहती, तो यह कुवलयमाला भी, आज शायद, इस ग्रन्थमालाका एक मूल्यवान् मणि न बन पाती । इसके लिये मैं इन सिंघी बन्धुओंका भी हृदयसे कृतज्ञ हूं। मैं आशा रखता हूं कि भविष्यमें भी ये बन्धु अपने पूज्य पिताकी पवित्रतम स्मृति और कल्याणकारी भावनाको परिपुष्ट करते रहेंगे और उसके द्वारा ये अपने दिवंगत पिताके स्वर्गीय आशीर्वाद सदैव प्राप्त करते रहेंगे। अन्तमें मैं कुवलयमालाकारकी अन्तिम आशीर्वादात्मक गाथा ही को यहां उद्धृत करके अपनी इस कुवलयमालाके प्रकाशनकी कथाको पूर्ण करता हूं। इय एस समत्त चिय हिरिदेवीए वरप्पसारण । कइणो होउ पसण्णा इच्छियफलया य संघस्स ॥ अनेकान्त विहार, अहमदाबाद जुलाई , सन् १९५९ आषाढ शुक्ला १, सं. २०१५ -मुनि जिन विजय Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया कुवलय माला ॥ औं नमो वीतरागाय ॥ 6) पढम णमह जिर्णिदं जाए णीति जम्मि देवीमो। उब्वेलिर-बाहु-लया-रणंत-मणि-वलय-सालेहिं । पुरिस-कर-धरिय-कोमल-णलिणी-दल-जल-तरंग-रंगतं । णिवत्त-राय-मजण-बिंब जेणप्पणो विटे । पसि चिरं कुलहरे कला-कलाव-सहिया णरिंदेसु । धूय ब्व जस्स लच्छी मज वि य सयंवरा भमइ ॥ जेण कमो गुरु-गुरुणा गिरि-घर-गुरु-णियम-हण-समयस्मि । स-हरिस-हरि-वासद्धंत-भूसणो केस-पम्भारो॥ तक्-सविय-पाव-कलिणो णाणुप्पत्तीश जस्स सुर-णिवहा । संसार-णीर-णाई तरिय सि पणधिरे तुट्टा॥ जस्स य तित्थारंभे तियस-बहत्तण-विमुक्क-माहप्पा । कर-कमल-मउलि-सोहा चलणेसु णमंति सुर-बइणो ॥ तं पठम-पुहइ-पालं पढम-पवत्तिय-सुधम्म-वर-वक । णिव्वाण-गमण-इंदं पढमं पणमह मुणि-गणिदं ॥ महवा । उभिण्ण-चूय-मनरि-रय-मारुय-विलुलियबरा भणइ । माहव-सिरी स-हरिसं कोइल-कुल-मंजुलालावा ॥ महिणव-सिरीस-सामा आयंबिर-पाडलच्छि-जुयलिल्ला । दीहुण्ह-पवण-णीसास-णीसहा गिम्ह-सच्छी वि ॥ उण्णय-गल्य-पभोहर-मणोहरा सिहि-पुरंत-धम्मिल्ला । उडिभण्ण-णवंकुर-पुलय परिगया पाउस-सिरी वि॥ वियसिय-तामरस-मुही कुवलय-कलिया विलास-दिढिला । कोमल-मुणाल-वेल्लहल-बाहिया सरय-लग्छी वि। हेमंत-सिरी वि सरोद्ध-तिलय-लीणालि-सललियालइया । मल्लिय-परिमल-सुहया णिरंतरुभिण्ण-रोमंचा ॥ अणवरय-भमिर-महुयरि-पियंगु-मंजरि-कयावयंसिल्ला । विष्फुरिय-कुंद-वसणा सिसिर-सिरी सायरं भणइ ॥ 16 दे सुहय कुण पसायं पसीय एसेस अंजली तुज्म । णव-णीलुप्पल-सरिसाएँ देव विट्ठीऍ विणिएसु ॥ इय जो संगमयामर-कय-उउ-सिरि-राय-रहस-भणिो वि । झाणाहि णेय चलिभो तं वीरं णमह भत्तीए ॥बहवा । जाइ-अरा-मरणावत्त-खुत्त-सत्ताण जे दुहत्ताणं । भष-जलहि-तारण-सहे सब्वे चिय जिणवरे णमह ॥ सम्बहा, 8 बुज्झति जत्थ जीवा सिझति य के वि कम्म-मल-मुक्का । जं च णमियं जिणेहि वि ते नित्थं णमह भावेण ॥ ६२) इह कोह-लोह-माण-माया-मय-मोह-महाणुस्थल्ल-मल्ल-णोलणावडण-चमढणा-भूत-हिययस्स जंतुणो तहा-संकिलिट्टपरिणामायास सेय-सलिल-संसग्ग-सग्ग-कम्म-पोग्मलुग्गजाय-षण-कसिण-फरक-पंकाशुलेखणा-नाल्य-भावस्स गुरु-कोह-पिंडस्स The references 1), 2), etc. are to the numbers of the lines of the text, pat on both the wargids. TOP G नमो after the symbol of bhala which looks like Devanagari ६०. 2) नमह, नचंति, , अमि, उम्बिहारवाहु, नालेहि.3)" विम्वं ) महिना, धूम. 5) गुरुगणणियमसमयंमि. -नियम, 'यमि, 'बस्त, 6)णाणप्पत्तीए नाणप्पत्ती. JP निवहा, JP-जीरनार. 8) पवित्तिय, न्याण निवाण.PK or rs, पदम for पणमह, Jom. अहवा. 9) उम्भित्र, Jचभ, J 'यम्बरा भमर । सहरिस वसंतलच्छी कोइल. 10) P भार्यवर 'न, नीसास- 11) धम्मेलन, Pउम्मिन्ननवं'. 12)वाहिया. 13) लीलालि, सललिभालामा, महिमा P निरंतरम्भिन्न. 14) महुअरि, पिअगु, 'रिअ-. 15) नवनील, दिट्रिए विमिपमु. 16) यऊसिरि,शाणाउ P नमह, Jom. अहवा. 17) Pणावत्तरिय(वित्त)स, दुइताण, ।' मधे विय, J चित्र, निमह, P अहवा for सम्बहा। repeats here दे मुहय कुण पसायं पसीय सेस अंजली तुज्झ. 18) J'झन्ति, P A for य, कम, कलि for मल तं च नमि, नमह भत्तीए। 19) J-मढणा. 20) 'णाम खामख्व, पिण'. Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [६२1व जलम्मि झत्ति गरए चेव पडण । तत्थ वि अणेय-कस-च्छेय-ताव ताडणाहोडण-घडण-विहडणाहिं अवगय-बहु-कम्म- किस्स 1 जच्च-सुग्णस्स व अणटू-जीव-भावस्स किंचि-मेत्त-कम्म-मलस्स तिरिय-लोए समागमण । तत्थ वि कोइल-काय-कोल्हुया३ कमल-केसरी-कोसिएसुवग्ध-वसह-वाणर-विच्चुएसु गय-गवय-गंडर-गावी-गोण-गोहिया-मयर-मच्छ-कच्छभ-णक्क-चक्क तरच्छ- १ च्छभल्ल-भलुकि-मय-महिस-मूसएसुं सस-सुणउ-संबर-सिवा-सुय-सारेया-सलभ-सउणेसु, तहा पुहइ-जल-जलणाणिल-गोच्छगुम्म-वल्ली-लया-वणस्सइ-तसाणेय-भव-भेय-संकुलं भव-संसार-सागरमाहिंडिऊण तहाविह-कम्माणुपुव्वी-समायडिओ कह-कह 6 वि मणुयत्तणं पावइ जीवो त्ति । अवि य । ६३) बहु-जम्म-सहस्स-णीरए बहु-वाहि-सहस्स-मयरए । बहु-दुक्ख-सहस्स-मीणए बहु-सोय-सहस्स-णक्कए । एरिसए संसारऍ जलहि-समे हिंडिऊण पावऍहिं । पावइ माणुस-जम्मय जीवो कह-कह वि पुन्व-पुण्णऍहिं॥ * तत्थ वि सय-जवण-बब्बर-चिलाय-खस-पारस-मिल्ल-मुरंडोड-बोक्कस-सबर-पुलिंद-सिंघलाइसु परिभमंतस्स दुल्लह चिय . सुकुल-जम्मं ति । तत्थ वि काण कुंट-मुंट-अंध-बहिर-कल्ल-लल्लायंगमो होइ । तओ एवं दुलह-संपत्त-पुरिसत्तणेण पुरिसेण पुरिसरथेसु भायरो कायव्वो त्ति । भवि य। 12 रुद्दम्मि भव-समुद्दे तुलग्ग-लद्धम्मि कह वि मणुयत्ते । पुरिसा पुरिसत्थेसु णिउणं अह मायरं कुणह ॥ 12 ६४) सो पुण तिविहो । तं जहा । धम्मो अत्थो कामो, केसि पि मोक्खो वि । एएहिं विरहियस्स उण पुरिसस्स। महल्ल-दसणाभिरामस्स उच्छु-कुसुमस्स व णिप्फलं चेय जम्मं ति । अवि य । 15 धम्मस्थ-काम-मोक्खाण जस्स एकं पि णत्थि भुयणम्मि । किं नेण जीविएण कीडेण व दड-पुरिसेणं ॥ एए च्चिय जस्स पुणो कह वि पहुप्पंति सुकय-जम्मस्स । सो च्चिय जीवइ पुरिसो पर-कज-पसाहण-समस्थो॥ इमाण पि अहम-उत्तिम-मज्झिमे णियच्छेसु । तस्थत्थो कस्स वि अणत्यो चेव केवलो, जल-जलण-णरिंद-चोराईणं साहा18 रणो । ताण चुक्को वि धरणि-तल-णिहिओ चेव खयं पावइ । खल-किविण-जणस्स दुस्सील-मेच्छ-हिंसयाणं च दिण्णो 18 पावाणुबंधओ होइ । कह वि सुपत्त-परिम्गहाओ धम्म-कलं पावह काम-कलं च । तेण भत्थो णाम पुरिसस्स मज्झिमो पुरिसत्यो। कामो पुण अणत्यो चेव केवलं । जं पि एवं पक्खवाय-गब्भ-णिब्भर-मूढ-हियएहिं भणियं कामसत्थयारेहिं जहा 'धम्मस्थA कामे पडिपुण्णे संसारो जायइ' ति, तेर्सि तं पि परिकप्पणा-मेत्तं चिय। जेण एयंत-धम्म-विरुद्वो अत्थ-क्खय-कारओ य कामो, 21 तेण दुग्गय-रंडेक्कल-पुसओ विव अटु-कंठयाभरण-वलय-सिंगार-भाव-रस-रसिओ ण तस्स धम्मो ण अत्यो ण कामो ण जसो णमोक्खो त्ति । ता अलं इमिणा सव्वाहमेण पुरिसाणत्येणं ति । धम्मो उण तुलिय-धणवइ-धण-सार-धण-फलो। तहा Aणरिंद-सुर-सुंदरी-णियब-बिंबुत्तंग-पओहर-भर-समालिंगण-सुहेल्लि-णिन्भरस्स कामो वि धम्माणुबंधी य । अस्थो धम्माओ चेव, 4 मोक्खो वि । जेण भणियं । लहइ सुकुलम्मि जम्मं जिणधम्म सम्व-कम्म-णिजरणं । सासय-सिव-सुह-सोक्खं मोक्ख पि हु धम्म-लाभेण ॥ 7 तेण धम्मो चेव एत्य पुरिसत्थो पवरो, तहिं चेव जुज्जइ आयरो धीर-पुरिसेण काउं जे । अवि य। भत्थउ होइ अणत्थउ कामो वि गलंत-पेम्म-विरसओं य । सन्चथ-दिण्ण-सोक्खउ धम्मो उण कुणह तं पयत्तेण ॥ ६५) सो उण गोविंद खद-रुंदारविंदणाह-गईद-णाइंद-चंद-कविल-कणाद-वयण-विसेस-वित्थर-विरयणो बहुविहो लोय. 1) जलंमि ज्झत्ति, P विअ णेयकयच्छेय, 'होडणाघण. 2) P सुवनस्स वाणट्ठ, J तत्थ कोइला, कोल्हुभा. 3) गण्ड',P गाय for गावी, J गोहिआ गोहिय, P तरछाछ. 4) Jमअ, P मूसएस, J सुणउ संपर P ससस उणसंबर, J मुत्र, P सउणेसु सउणसिप्पई , Pणानिल, गोच्छ । गुच्छ. 5) स्सई, उ भवसयभेय, संकुलम्, P om. सागर, I हिण्डि', 'वि तहाविह, समाअट्ठिओ. 6) मणु अन्तणं, अवि अ. 7) Jण ए P नीरए, J बहुसोयमहासमुदए बहुमाणतरंगए संसारए जल हि सम हिण्डि'. 8) F हिंडिऊण य पावइ, माणुस्स, वि पुण्ण पाहिं P वि पुष्यपुन्नएहि. 9) मुरुडोण्डबोकस, दुलहं चेव आरियखेत ति ।। 10) J काणकोण्टमा अन्ध, Pकलल्लला, संपत्तआरियत्तणे पुरिसेण. 12) रुदमि, P लमि, मणुअत्त, P निउणं, तह for अह. 13) सो उण, J एएहि रयिरस पुग. 14) णाहिरा', P जम. 15) Pएकं, भुमणमि P भुयणमि, Jउपुरिसेण. 16) J कहउ पहुप्पनि सुक्य, P मस्स. 17) J मज्झिमे वियारेसु । P om. चेव केवलो, P नरिंद, P 'राईण. 18) J यलगिहितं । तलनिहिओ, बच्चर for पावर, 3 किमिण, दिणं, 19) J धम्मकालं. 20) कामा उण, P केवलम्, J एअं, Pएगंतपक्ववायगंतनिब्भर, हियएहि. 21)J पडिपुण्ण, P संपावह for संसारो जायइ, P om. तेर्सि, J 'कम्मणा, चिअ, जेग एअंतधम्म P जेण भत्थो धम्म. 22) रण्डेकल्ल पुत्तउ वि . has a marginal note thus: विचित्तरुप्पयाम पाठांतरं with a reference to अटूटू, कंट्रया P कंठिया, P न तस्स 23) Pन मोक्खो, ' अलमिमिणा, Jण त्ति ॥ छ ।1, धणप्फलो, सबहा for तहा. 24) Pनरिंद, णिअंब, Pमुहेलि, om. य, J मोक्खो वि for अत्थो, चेय. 25) Jom. मोक्लो वि. 26) कुसलम्मि P सुकलंमि. 'धम्मे, P निज. 27) P om. एत्थ, J धीराण काउं, 28) Here in Jउ looks like ओ. P अत्थो, P अणथओ, विअलंत, पेम्म, दिन्न, मोक्खउ for सोक्खउ. 29) रुंदारविंदणागिंदगईदवंदकविलकणाय, लोअ. Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 84 ] B 1 1 पसिदो ताणं च मझे मणीण व कोरहो, गवाण व सुर-नाओ, समुद्दाण व खीरोवही, पुरिसाण व चकदरो, दुमाण व कण्य- 1 पायवो, गिरीण व सुरगिरी, सुराण व पुरंदरो, तहा सव्व-धम्माणं उवरिं रेहइ जिणयंद-भासिओ धम्मो ति । सो उण चउवि । तं जहा । दाणमइओ, सीलमइओ, तवोमइओ, भावणामइभ त्ति । तत्थ पढमं चिय पदम - तित्थयर-गुरुणा इमिणा चैव चविवह धम्म-कमेण सयल- विमल केवलं वर-णाणं पि पावियं । जेण अविभाविय णिण्णुण्णय-जल-थल - विवराइ-भरियभुवगेणायाल-काल-जलहरेण विय वरिसमाणेण णीसेस-पणइयण-मणोरहन्भहिय- दिष्ण-विहव-सारेण पवत्तिओ पढमं तेलोकबंधुणा 'मो भो पुरिसा दागमइनो धम्मो चि पुणो 'सुर-सिद्ध-गंधव किष्णरोग्य-गर-दइच-पच सम्यं मे पार्व अकर- 0 निति पण्णा-मंदरमातेण पयासिनो लोक-गुरुणा सीहमइभो घम्मो चि पुणो उट्ठम दसम दुवास-मास मास-संवच्छरो ववास परिसंठिएण पयासिमो लोए 'तवोमइभो धम्मो' त्ति । तहिं चिय एगत्तासरणत्त-संसार-भाव-कम्म• वग्गणायाण-बंध मोक्ख-सुह- दुक्खणार- रामर- तिरिय- गहू- गमनागमण धम्म-सुक ज्झाणाहभावणाओ भावयतेण भासिओो भगवया 'भावणामइस धम्मो चि राम्रो ताव अम्हारिसा वारिसेहिं दाण-सील- तवेहिं दूरओ पेव परिहारिया, जेण धनस- संघयण-जिया संपर्क एसो पुण जिणवर वयणाववो जाय-संवेग-कारणो भावणामद्दनो सुद-करणको धम्मो सि । 18 कई । जाव महा-पुरिसाडिव दोस-सय-वयण- वित्यराबद-डोल-वय-पहरिसल्स दुज्जण-सत्यस्स मजा गया पर सम्म-18 मग्गण-मणा चिटुम्ह, ताव वरं जिणयंद-समण-सुपुरिस-गुण- कित्तणेण सहली कयं जम्मं ति । अवि य । 1 जा सुपुरि-गुणवित्थार-मलणा-मेत वावडा होमो । ता ताव वरं जिणयंद- समण - चरियं कथं हियए ॥ 15 इमं च विचिंतिऊण तुब्भे वि णिसामेह साहिज्जमाणं किंचि कहावत्युं ति । अवि य । मा दोसे चिय गेह विरले वि गुणे पयासह जणस्स । अक्ख-पउरो वि उयही भण्णइ रयणायरो लोए ॥ ६६) तभ कहा- बंधं विचिंतेमिति । तत्थ वि कमलावरो व कोसो विलुप्यमाणो वि हुण झीणो ॥ कमलासणो गुणको सरस्सई जस्स बटुकहा || लंबे दिसा करिणो कणो को वास वम्मीए ॥ पालित्तव- साचादण छप्पनय सीह गाय सदेहिं संखुद्ध मुद्ध-सारंगलो व कह ता पर्यदेनि ॥ निम्मल - मणेण गुण- गरुवपुण परमव्य-रवण-सारेण । पालिसपुण हालो हारेण व सह गोट्टीसु ॥ चक्काय- जुवल- सुहया रम्मत्तण-राय-हंस-कय-हरिला । जस्स कुल-पव्वयस्स व वियरइ गंगा तरंगवई ॥ भणि-विलासवइत्तण-चोलिके जो करेइ हलिए वि । कन्वेण किं पउत्थे हाले हाला - वियारे व्व ॥ पण हि कयणेन य भ्रमरेहि व जस्स जाय पणएहिं सवल कलागम-पिछवा सिक्लाविय- कयणस्स मुहर्षदा जे भारह - रामायण-दलिय-महागिरि सुगम्म-कय-मग्गे छप्पण्णयाण किंवा भण्ण कद्र-कुंजराण भुषणम्मि भण्णो विछेय-भणिनो न वि उबजिए जेहिं ॥ लायण्ण-वयण-सुइया सुवण्ण-रयणुज्जला य बाणस्स । चंदावीडस्स वणे जाया कार्यबरी जस्स ॥ जारिस विमलको विमलं को तारिसं लहइ अत्यं । अमय मइयं व सरसं सरसं चिय पाइयं जस्स ॥ ति-पुरिस-चरिय-पसिद्ध सुपुरिस-चरिएण पायडो लोए । सो जयइ देवगुत्तो से गुत्ताण राय-रिसी ॥ बुण सहस्सद हरिवंसुप्यति कारणं पढमं । वंदामि दियं पि हरिवरिसं चेय विमल-पये | हु संणिहिय-जिनवरिंदा धमकदा बंध-दिलिय गरिंदा कहिया जेण सुकहिया सुलोषणा समवसरणं व ॥ ससूण जो जस-हरो जसहर चरिएण जणवए पयडो । कलि-मल-पभंजणो चिय पभंजणो आसि राय-रिसी ॥ 1 18 21 24 97 30 कुवलयमाला 15 18 21 24 27 1 ) P गयो. 2 ) Jम्माण, Pom. मासिओ, Jom धम्मो 3 ) तओम, P°मईओ ( last three ) मंति4) P कम्मेण, Pom. वरणाण. 5 ) P भुयणे काल, विअ, "माणेण सेस P समाणे णीसेस, विविध for विश्व, पढमं तेलोक पढमतेलक. 6 ) J भोहो पु', P पुरिस, P किन्नरोरयणा यर. 7 ) P मंदिर, 'मईओ, पुणो च्छ 8 ) तओ, for तवो, P "मईओ, चित्र P तिय, P सरणता, P सहाव for भाव 9 ) P नरामर, P धम, J झाणाई भावणाउ, यन्तेण, P भाविओ. 10 ) त्ति छ । चेय for चेव 11 ) P संधयं, उण, बोइ for बोहओ, P जाइ, P°मईओ, for सुर सुह, उत्ति छ । 12 ) P राव, P वड्डिय य हरिसदुज्जण. 13 ) 3 चिट्ठम्हं, P ता वरं. 14 ) J गुणु, P वित्थर, J om. ता. 15) च विचिन्ति' P च चिंतिऊणं, P निसा, ‍वत्थु त्ति. 16 ) P पंससद जिणस्स, उअही. 17 ) J कहाबद्धं, om. ति 18 ) P साहलाहण, छप्प, P सद्देण ।, JP गउ. 19 P निम्मलगुणेण, 3 गरुअ ण, P गुरुयएयण. 20)जुअल, P रंम", P कुलपव्व ं, P तरंगमई. 21 ) J भणिई P भणिय, वो (चो) लिके चोकिले, J has a marginal gloss मदिरा on the word हाला. 22 ) P ईहिं, कइअणेण, P "रेहिं, Pन for ण. 23 ) P -निलया, P कइयणो सुमुह, P सणा गुणड्डूा. 24 ) Pom. कय, धम्मीए P वंमीए 25 ) P छप्पन्न, P भन्नइ, P कय for कइ, भुअणंमि P भुवणंमि, P अनो. 26) P लायन्न, P सुयण्ण, P वीणस्स. 27 ) J को अण्णो (हुअणो on the margin) for the 2nd विमलं को, मह व मध्यं चचिय पाययं विय पाइयं. 28 ) P तिउरिस. 29 Jदइअं P हु हरिवंस चेव 30 > सहिय सन्निहिय, P नरिंदा, सुकहियाउ सु, P वा for व 31 ) P जसहरिचरिएहिं P मलयभंजणो, P पइंजणो. J ) 30 . Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 जेहि कए रमणिज्जे वरंग-पउमाण चरिय-वित्थारे । कह व ण सलाहणिजे ते कइणो जडिय-रविसेणे... जो इच्छइ भव-विरहं भवविरह को ण वंदए सुयणो । समय-सय-सत्थ-गुरुणो समरमियंका कहा जस्स। ३ अण्णे वि महा-कइणो गरुय-कहा-बंध-चिंतिय-मईओ । अभिमाण-परक्कम-साहसंक-विणए विइंतेमि ॥ एयाण कहा-बंधे तं णत्थि जयम्मि जं. कइ वि चुकं । तह वि अणतो अत्थो कीरइ एसो कहा-बंधो॥ ६७) तामओ पुण पंच कहाओ। जहा । सयलकहा, खंडकहा, उल्लावकहा, परिहासकहा, तहा परा कहिया ति। 6 एयाओ सव्वाओ वि एस्थ पसिद्धाओं सुंदर-कहाओ । एयाण लक्खण-धरा संकिण्ण-कह त्ति णायव्वा ॥ कत्थई रूवय-रइया कत्थइ वयणेहि ललिय-दीहेहिं । कत्थइ उल्लाहिं कत्थइ कुलएहि णिम्मयिया। कत्थइ गाहा-रइया कत्थइ दुवईहिँ गीइया-सहिया । दुवलय-चक्कलएहिं तियलय तह भिषणएहिं च ॥ कथइ दंडय-रइया कत्थइ.णाराय-तोडय-णिबद्धा । कथइ. वित्तेहि पुणो कथइ रइया तरंगेहिं॥ कत्थइ उल्लाहिं अवरोप्पर-हासिरेहिँ वयणेहिं । माला-वयहिँ पुणो रइया विविहेहि अण्णेहि ॥ पाइय-भासा-रइया मरहट्ठय-देसि-वण्णय-णिबद्धा । सुद्धा सयल-कह चिय तावस-जिण-सत्य वाहिल्ला ॥ 12 कोऊहलेण कथइ पर-वयण-वसेण सक्य-णिबद्धा । किंचि अवभंस-कया दाविय-पेसाय-भासिल्ला । सव्व-कहा-गुण-जुत्ता सिंगार-मणोहरा सुरइयंगी। सब्व-कलागम-सुहया संकिण्ण-कह ति णायन्या। एयाण पुण मज्झे एस चिय होइ एत्थ रमणिय । सम्व-भणिईण सारो जेण इमा तेण तं भणिमो॥ 188 ) पुणो सा वि तिविहा । तं जहा । धम्म-कहा, अत्य-कहा, काम-कहा। पुणो सब्व-लक्खणा संपाइय-तिवग्या.15 संकिण्ण त्ति । ता एसा धम्म-कहा वि होऊण कामत्थ-संभवे संकिण्णत्तर्ण पत्ता । ता पसियह मह सुयणा खण-मेत देह ताव कणं तु । अब्भत्थिया य सुयणा अवि जीयं देंतिं सुयणाण ॥ मण्ण च । 18 सालंकारा सुहया ललिय-पया मउय-मंजु-संलावा । सहियाण देइ हरिसं उध्वूढा णव-बहू चेव ॥ 18 सुकइ-कहा-हय-हिययाण तुम्ह जइ वि हु ण लग्गए एसा । पोढा-रयाओ तह वि हु कुणइ विसेसं पव-वहु व ॥ अण्ण च। णजइ धम्माधम्म कजाकज हियं अणहियं च । सुन्वइ सुपुरिस-चरिय तेण इमा जुज्जए.सोउं ॥ ६९) सा उण धम्गकहा जाणा-विह-जीव-परिणाम-भाव-विभावणथं सब्बोवाय-णिउ गेहिं जिगवीरं देहि चलम्बिहा 1 भणिया । तं जहा । अक्खेवणी, विक्खेवणी, संवेग-जणणी, णिव्वेय-जणणि त्ति । तत्थ अक्खेवणी सणोणुकूलन, विस्खेत्रणी मणो-पडिकूला, संवेग-जणणी णाणुप्पत्ति-कारण, णिव्येय-जणणी उण वेरग्गुष्पत्ती । भणियं च गुरुमा सुहम्म-सामिणा । 24 अक्खेवणि अक्खिता पुरिसा विक्खेवणीऍ विक्खित्ता । संवेग़णि संविरगा गिविण्णा तह चउत्थीए ॥ 24 जहा तेण केवलिणा अरण पविसिऊण पंच-चोर-सयाई रास-णचण-च्छलेण महा-मोह-गहनाहियाई अस्विविवश इमाए चच्चरीए संबोहियाई । अवि य.। 7 संबुज्झह किं ण बुज्झह एत्तिए वि मा. किंचि मुज्झह । कीरड जं करियव्ययं पुण दुका तं मरियम्बयं ॥ इति धुवनं। १ कसिण-कमल-दल-लोयण-चल-रेहंतओ। पीण-पिहुल-थण-कडियल भार-किलंतो । ताल-चलिर-वलयावलि-कलयल-सइओ । रासयम्मि जइ लब्भह जुबई-सत्यमो ॥ 80 संबुज्झह किंण बुज्झह । पुणो धुवयं ति । तो अक्खित्ता। 30 असुइ-मुक्त-मल-रुहिर-पवाह-विरूवर्य । वंत-पित्त-दुग्गंधि-सहाब-विलीणय ।। 1) जेहिं, P न, J जडिअ, 'सेणो. 2) P को न बंधए, ' सुअणो, सवर'. 3) अन्ने, गरुअचिन्तिअमईआ; P अहिमाण, संकवियणे. 4) बद्धे, P नत्थि जयंमि कहावि, 3 कविवि चुकं, कहाबद्धो8) puts numbers atter each kahi, Jखण्ट", P वरकहिय, कहिअ त्ति. 6)P एयाउ सवाउ एत्थ, एआण P पयाण,P सकिन्न, Pत्ति व नायब्वा ॥छ।।. 7)P कत्थय (in both the places), P• वयणेहि, P -दियएहिं ।, adds कत्थइ उहावेहिं on the margin in a later hand [उलालेहिं ], P कुलए हिं निम्मविआ. 8) Pरइआ, दुवतीहिं, Pतियलिय, भिन्न. 9) ण्डय (१), नाराय, J. चित्तेहि वित्तेहिं. 10) Pासिएहिं, J अणेहिं । अन्नहिं. 11) पायय, P-चण्णयणिबद्धा, पाहिला. 12) P निबद्धा, कआ, दो विय. 13)P कलागुण, इअंगी, P संकिन्न, P नायब्वा, भणिमो॥छ ।. 15) संपाडिअ P-संपाईय. 16) कामअस्थ, संकिन्न'. 17) पसिय महह सुअणा P पसियह महासुयणा, P देसु, कण्ण त्ति P कनं तु, सुमणा, जीवं. देन्ति सुअणाण, P अन्नं. 18) मउअ, P मंजुर लावा; P नव, येव for चेव. 19) सुकय, P जय विहुन लग्गए, पोड: नव, P अन्नं. 20) P नजइ, J धम्माहम्मं, हि "हिअं. 21) P सो उण, P नाणा, P विभावणसम्बो, जेण'. 22) भगिआ, संवेयणी, उणिवेयणी।, P निव्वेय, Pमणाणुकूला 23) संवेय, P जण उण, I भणिअं, P सुहंमः 24)" विक्खेवणीय किक्खेवणीए, : निम्विन्ना, संजमइ त्ति for तह etc. 25) 3 अरणं पइसि', अरनं, R नश्वणछलेण, हिआई, P मोहग्गग्गहि. 26 Pहियाणि. 27) JP किण्ण, I एत्तिल्लए, P बुक्कड, मरिअ' 28)- लोयण वकारहंतमो, "पिडुलघणकहियल, कडिअल; किरंतओ. 29) चलिर, P बयलावलि, P रासयंमि, जुअतीसत्थओ. 30) IP किण्ण, Jom. ति, ततो for तमो.311) मंस for वंत, P पित्तं ,P विरूवयं ।। Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -११] पुलयमाला मेय-मज-वस-फोप्फस-हड-करंकयं । चम्म-त्त-पच्छायण-जुवई-सस्थय ।। संबुझह किं ण बुज्झह । तओ विक्खित्ता। कमल-चंद-गीलुप्पल कंति-समाणयं । मूढए हैं उवमिजइ जुवई-अंगये । थोवयं पि भण कत्थइ जह रमणिजयं । असुइयं तु सव्वं चिय इय पञ्चक्खयं ॥ संबुज्झह किं ण बुज्झह । तओ संविग्गा। जाणिऊण एवं चिय एत्थ असारए । असुइ-पेत्त-रमणूसव-कय-वावारए । कामयम्मि मा लग्गह.भव-सथ-कारए । विर - विरम मा हिंडह भव-संसारए ॥ संबुज्झह किं ण बुज्झह । 9 एवं च जहा काम-णिब्बेओ तहा कोह-लोह-माण-मायादी । कुतित्थाणं च । समकालं. चिय सव-भाव-वियाणएण गुरुणा . सम्वण्णुणा तहा तहा गायतेण ताई चोराणं पंच वि सयाई संभरिय-पुब्व-जम्म-वुत्तताई पडिवण्ण-समण-लिंगाई तहा कयं जहा संजमं पडिवण्णाई ति । ता एत्तियं एत्थ सारं । हेहि वि एरिसा चउम्विहा धम्म-कहा समाढत्ता । तेण किंचि 12 काम-सत्थ-संबद्धं पि भण्णिहिइ । तं च मा णिरत्ययं ति गणेज्जा । किंतु धम्म-पडिवक्ति-कारण अक्खेवणि ति काऊण 19 बहु-मयं ति । तओ कहा-सरीरं भण्णइ । तं च केरिसं । ६१०) सम्मत्त-लभ-गरुयं अवरोप्पर-णिन्वर्डत-सुहि-ज । णिव्वाण-गमण-सारं रइयं दक्खिण्णइंधेण ॥ 18 जह सो जाओ जत्थ वजह हरिओ संगएण देषेण । जह सीह-देव-साहू दिट्ठा रणम्मि सुण्णम्मि ॥ जह तेण पुन्व-जम्मं पंचण्ह जणाण साहियं सोउं । पडि प्रणा सम्मसं सगं च गया तवं काउं॥ भोत्तण तत्थ भोए पुणो विजह पाविया भरहवासे । अणोण्णमयाणता केवलिणा बोहिया सव्वे ॥ 18 सामण्णं चरिऊणं संविग्गा ते तवं च काऊणं । कम्म-कलंक-विमुक्का जह मोक्ख पाविया सव्ये ॥ एयं सन्वं भणिमो एएण कमेण इह कहा-बंधे । सव्वं सुबह सुयणा साहिजतं मए एहि॥ एवं तु कहा-करणुजयस्स जह देवयाएँ मह कहियं । तह चित्थरेण भणिमो तीऍ पसाएण णिसुमेह ॥ 4 तस्थ वि ण-याणिमो च्चिय केरिस-रूवं रएमि ता एयं । विं ता वकं रहमो किं ता ललियक्खरं काहं ॥ जेण; मुद्धोण मुणइ वकं छेओ पुण हसइ उज्जुयं भणियं । उ य-छेयाण हियं तम्हा छेउजुयं भणिमो॥ मलं च इमिणा विहव-कुल-बालियालोल-लोयण-कढक्ख-विक वेव-विलास-वित्थरेण विय णिरस्थएणं वाया-पवित्थरेण।। एवं विर्य कहावत्यु ता णिसामेह । अस्थि चउसागरुज्जल-मेहला । 81) अहह, पम्हुटुं पम्हुटुं किंचि, पसियह, तं ता सामेह । किं च तं । हूं, समुहमइसुंदरो चिय पच्छा-भायम्मि मंगुलो होइ । विंझ-गरि-वारणस्स व खलस्स बी हेइ कइ-लोओ। शतेण बीहमाणेहिं तस्स थुइ-चाओ किंचि कीरइ ति । सो व दुजणु कइसउ । हूं, सुगड जइसट, पढम-दस लिया। भसणसीलो पट्टि-मासासउ व्व । तहेव मंडलो हि अञ्चमिण्णायं भसह, मयहिं च मासाई असह । खलो घई मायाहि वि भसइ । चडफडतहं च पट्ठि-मासाई असइ ति । होट काएण सरिसु, णिच्च-करयरण-सीलो छि-पहारि ध्व। 80 तहेव वायसो हि करयरेतो पउत्थ-वड्या-यणहो हियय-हरो, रिड्डेहिं च आहार-मेतं विलुपइ । खलो घई पउल्थ-वइया 30 कुल-बालियाण विज्म-संपयाणेहिं दुक्ख-जणउ,, अच्छिड्डे वि जीवियं विलुप्पइ । जाणिउ खरो जइसउ, सुयण-रिद्धि-दसणे 1) Jमय, J वसप्फों, पच्छाअणजुभती-- 2) किण्ण, P किं न बुज्झहा. 3)P नीलु', 'एहि, जुवती. 4) P भणहर तत्थ जद, नु for तु,J इअ. 5) किण्ण Pकिन बुज्झहा, संविग्गाउ P संकिग्गा. 6)J चित्र पत्य P चियत्व, P रमण्णसवबावारए ।. 7) JP 'यमि,हिण्डह. 8)J om. किं न बुज्झह of' P. 9) P निवेओ, P मायाईणं तु ति, चित्र, विण'. 10) 'ब्दनुणा, न गा एण, ताण चोराण, I om. वि, P सयाणि, I 'रिमः, P-'वनर, P लिंगाणि. 11) P संयम, पवण्णाद त्ति, P पवनार्य ति, ए.तअं,वि एमा. 12) P "सत्थपडिबई, P भणिहिई, Pमा निर', P भाण जा. 14) गरु, निन्व', णेव्वाण Pणि, ३ रइ, र दक्विण्णइद्धेणं P दक्खिन्न । छ।1. 15) Pच for a, Jजह परिओस, Pजह हिओ व सं', J रणम्मिम्मि P रन्नंमि सन्नंमि. 16) पंचन्ह, J "हिजे, वना, P संमत्त. 17)P अन्नोन्नमयासो, बोहिआ. 18)P सामन्नं च कातूण व काऊणं, P पावि. 19) बद्धे, सुक्षणा साहिप्पंतं. 20) Pकहः, तत्थ for तह, द निमुणेसु. 21. P विन, ललिअक्खरं. 22) Pन याणा, तसा, हुं। उज्जुअ-, अहिलं, "उज्जुअं. 23) वि for विड्व, बालि आ', J लोअग, विभP चिअ, P वायार वि. 24) एवं चिरं पत्थुरंथं, Pति निसा ॥छ ।, for ता etc., P सागरजल. 25)Jom. one पम्हुटूं, पसिअह, P निसामेह, P व for च, P९. 26) J चिअ, भावमि P भायंमि, P विज्झ । कयलोओ।. 27) P सो व्व, उina at times looks like ओ, Pणो कइसओ, " , P जइसुओ. 28) P'सालं, तहे मण्ड', Jom. हि, 'चभिण्णाअं 'वभिन्नाइय; 'मयादि समा', धर्य मायहे. 29) फई 'फडताहं, पट्टिमासई, Pसरिसओ निश्च: 30) तहे, 'यरतो, ? बझ्याण होइ हिययरो, Pघl, I. 'वड्या...बालिआण बालियण. 31) P सपयाणेहि, P जणओ (even in Isometimes. उ looks like ओ), जीवि* P जीविय विलुंपओ, P जाणिओ, Pइसइओ, J मुअण. Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ उज्जोषणसूरिविरहया [8११ 1 झिमिलेगे च सर्वे व तदेव रासो हि इमं राम-रिद्धि-महले असिदं ण सीरइ ति चित्तर झिग अविभाविजत-अक्खरं च उल्लवइ । खलो घई भायहो किर एमहल- रिद्धि जायलिय त्ति मच्छरेण झिज्जर, पयड-दोसक्खराला व अवि कालसप्पु जड्सड, छिड़-मगण-वावडो कुडिल- गहू- मग्गो ब्राहेब भुवंगमो हि पर कमाई छिड्डाई मग्गह, सव्वहा पोट्टेणं च कसइ । खलो घई सई जे कुणइ छिड्डाई, थड्डो व्व भ्रमइ । चिंतेमि, हूं, विसु जइसउ, पमुहरसिउ जीयंतकरो वि । तहेव महुरउ मुहे, महुरं मंतेहिं च कीरइ रसायणं । खलो घई मुहे जे कडुयउ मंतर, 6 घडि वि विसंघइ । हूं, बुज्झइ, वट्टइ खलु खलो जि जइसउ, उज्झिय- सिणेहु पसु भत्तो य । तहेव खलो वि वराभो पीजितो विमुक-हु अयाणंतो य पसूहिं खज्जइ । इयरु घई एकपए जे मुक्कणेहु, जाणंतो जे पसु तह विखज्जइ । किं च भग सवा खलु असुर इस विसिद्ध-ण-परिहरनियो परिष्फुड- साबद-सु-मंडली-गिणिगिणाविट व । 9 त सो विवर किं कुणउ अण्णहो जि कस्सइ वियारु । खलो घई सई जे बहु-वियार-भंगि भरियल्लउ ति ॥ सव्वदा 9 मह पत्तिया एवं फुर्ड भणतस्स संसयं मोतुं । मा मा काहिसि मेर्त्ति उग्ग-भुयंगेण व खलेण ॥ जेण, जारज्जा हो दुज्जणहो दुट्ठ-तुरंगमहो ज्जि । जेण ण पुरओ ण मग्गओ हूं तीरइ गंतुं जि ॥ अवि य । 1 अकए जि कुइ दोसे कए वि प्यासेह जे गुणे पयडे विहिपरिणामस्स व दुजगस्स को वा न बीदे ॥ मया । कीर कहा-निबंधो भरमाणे दुखणे नगगिकण किं सुचरि 1 विसंबलो मत-करिणाहो ॥ 12 १२) होंति सुन थिय परं गुण-गण-गरुयाण भाषण लोए मोनू नई-गाई कस्थ व शिवतु रथगाई ॥ 15 तेण सज्जन- सत्यो य एत्थ कहा- बंधे सोउमभिउत्तोति । सो व सज्जो कइसउ । रायहंसो जइसउ, विसुद्धो भय- 16 12 पक्खो पय-विसेसण्णुओ व । तहेव रायहंसो वि उम्भड जलावर-सदेहिं पावइ माणसं दुक्खं सजणु पुन जाग जि खल-जलय सभावाई ॥ 18 तेण हसिउं अच्छइ । होइ पुण्णिमाइंदु जइसउ, सयल-कला-भरियउ जण मणाणंदो व्व । तहे पुण्णिमायंदो वि कलंक- 18 दूसिओ अहिसारियाण मण-दूमिओ व । सज्जणो पुण भकलंको सव्व जण - दिहि-करो व्व । अवि मुणालु जइसउ, खंडिजतो वि अक्खुडिय-ह- तंतु सुसीयलो व, तहेब मुणालु वि ईसि - कंडूल- सहाउ जल-संसग्गि वडिओ ध्व । सजणु पुणु महुरसहावु 21 विय- वडिय - रसो व्व । हूं, दिसागओ जइसउ, सहावुण्णउ अणवरय-पय-दान-पसरो व्व । तहे दिसागभो वि मय- 21 वियारेण घेण्पइ, दाण-समए व्व सामायंत वयणो होइ । सज्जणु पुणि भजाय-मय-पसरु देतहो ब्व वियसह वयण-कमलु । होउ सुत्ताहरु जसउ सहाय- विमलो बहु-गुण-सारो व्व तहेव मुत्तादारो वि-िसय-निरंतरो बनव िव समो 24 पुण अच्छिड-गुण- पसरो णायरउ व्व । किं बहुणा, समुद्दो जइसओ, गंभीर-सहाओ महत्थो व्व । तहेव समुद्दो वि 24 उक्ऋलिया-सय-पडसे चि-कलयला तुच्वेविय-पास जो यदुमाय-कुटुंबही जि अशुहरइ सजणु पुन मंधर- सद्दानो महुमहुर- वयण- परितोसिय- जणवड व्व त्ति । अवि य । - J J 1) दिनजिर सिंग, तहे दिगर सिप वा धर्म गरिन 2) तक्ख, खलु एई, Pom. आयहो, किं एमहल P किर नहल, जायलिअ P जाएलए, P दोसाखरलादुं च. 3 ) P जइसओ, Pom. गइ, J व for , तहे भुअंगमो हि भुगो वि. 4 ) P छिद्दाइ मग्गई, सव्वहं, P पोद्देणं व कसई, P घर सय जे छिद्दर कुणइ ।, P थद्धो, व for व्व, P चिंतेहुं, P जइसओ (in Jउ looks like ओ ) 5 ) P रसिओ, जीअंतकरो वि P जीयंत हरो ब, P मुहरु for मद्दुरं, P व for च, P रसायण, P घयं मुहे जे कडुयउं, कडुअउ मंतउं व 6 ) P घडियई वि विसंघडति, P डो for हूं, Pom. बुज्झइ, P खलो for खलु, Pom. ज्जि, P जइसओ, P सिणेहो, व for य, J तह खलो, Pom. वि, वरउ 7 ) P पीडिजतो, हो, व for य, P एमुहिं for पसूहिं, इअरु P इयरो, घरं घयं P एकपयमुक्कहो, जाणइ जे, ज्जे ए.सु. 8 ) Jom. सम्वहा, P चुलो, P जइसओ, P परहरगिज्जो, "फुड, गद्ध for खुड्डु, मण्डली, J व for व्व. 9 ) P अण्णहेव करसर, विभारु, विआर, भंग भरिल्लउ, भरिअल उ. 10 ) पत्तिआसु, P सुयणा for एयं,' भणन्तस्स, भुअंगेण, P वि ( for व ) खलणेण. 11 ) Jजा अहो, P जेण नरायहो, P जि for ज्जि, P 2nd line thus : द्द ण अग्गिए पच्छिए गंतुं हुं तीरइ - 12 ) Pन for ण. 13 ) P कीर, विद्धो P निबंधो, Pमाणो, उ णाहो ॥ छ ॥ 14 ) होन्ति सुचिय, गरुभाण भाऊण, P निव, P रयाणाई. 15 ) JP चेय, बद्धे, P "मभिगउत्तो, P सोव्व, P कइसओ (in 3 उ and ओ look alike ) P जइसओ 16 ) P ण्णुउ ब्व, तह. 17 ) P माणस, P सब्जी, पुणु, P ने for जि, सहावई सभावाहि. 18 ) JP होउ, मायंदु P माइंदो जइसयल, P हरिओ for भरियउ, J adds जगाण जण, om., P तयपु, माइंदो. 19 ) P अहिसारियाजणदूसिउब्व, P जइसओ. 20) 'डियनरतंतु सुसीतलो, P व्व for व, तईसकंदुलसहावो, उ बढिओ व P वडिउ ब्व, P सज्जगो पुण, P सहावो 21 ) वियड, रसो व P हु, सहाउण्णओ P सहावुन्नउ, J व for व्व. 22 ) विभारेण स for व्व, P सज्जणो पुण, व for व्व, विअसर 23 ) P होइ, P हारो, सओ, P गुणसीरो, व for व्व, 3 तहे, Jom सय, JP निरंतरो, व for व्व. 24 ) P अच्छिदुगुणपयरो णो, वह for व्व किं, J समुद्द, P सहावो, उ व for ब्व, लिया, णिच्चु १ निश्च, P वुवेविपयासजाणो, व for ब्व, P कुटुंबद्दो, Pom. जि, सज्जो, पुष्णिमथिर. J तहे. J 25 ) om. व. 26) . Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 कुवलयमाला 1 सरलो पियंवओ दक्खियो चाई गुणण्णुमो सुहवो । मह जीविएण वि चिरं सुयणो चिय जियउ लोयस्मि ॥ महवा । 1 गुण-सायरम्मि सुयणे गुणाण अंतं ण चेव पेच्छामि । रयणा रयण-दीवे उच्चे को जणो तरह ॥ एत्थं च उण ण कोई दुजणो, उपेक्खह सजणं च केवलयं । तहे णिसुर्णेतु भडरय ति।। १३) अस्थि दढ-मेरु-गाहिं कुल-सेलारं समुद्द-णेमिलं । जंबुद्दीवं दीवं लोए चक्कं व णिक्खित्तं ॥ अवि य । तस्सेय दाहिणद्धे बहुए कुल-पम्वए विलंघेउं । वेयड्डेण विरिकं सासय-वासं भरहवासं ॥ 6 वेयदु-दाहिणेणं गंगा-सिंधूय मज्झयारम्मि । अस्थि बहु-मज्झ-देसे मज्झिम-देसो त्ति सुपसिद्धो॥ सो य देसो बहु-धण-धण्ण-समिद्धि-गग्विय-पामर-जणो, पामर-जण-बद्धावाणय-गीय-मणहरो, मणहर-गीय-रव-रसुकंठियसिहिउलो, सिहिउल-केया-रवाबद्ध-हलबोलुभिजमाण-कंदल-णिहाओ, कंदल-णिहाय-गुंजत-भमिर-भमरउलो, भमरउल9 भमिर-झंकार-राव-वित्तस्थ-हरिणउलो, हरिणउल-पलायंत-पिक्क कलम-कणिस-कय-तार-रवो, तार-रव-संकिउडीण-कीर-पंखा- . भिघाय-दलमाण-तामरसो तामरस-केसरुच्छलिय-बहल-तिगिच्छि-पिंजरिजत-कलम-गोवियणो, गोवियण-महुर-गीय-रव-रसाखिप्पमाण-पहिययणो, पहिययण-लडह-परिहास-हारि-हसिजमाण-तरुणियणो, तरुणियणाबद्ध-रास-मंडली-ताल-वस-चलिर12 वलय-कलयलाराबुद्दीविजंत-मयण-मणोहरो त्ति । अवि य । बहु-जाइ-समाइण्णो महुरो अत्थावगाढ-जह-जुत्तो । देसाण मज्झदेसो कहाणुबंधो व्व सुकइ-कओ ॥ १४) तस्स देसस्स मज्झ-भाए दूसह-खय-काल-भय-पुंजियं पुण्णुप्पत्ति-सूसमेक-बीय पिव, बहु-जण-संवाह-मिलिय15 हला-हलाराबुप्पाय-खुहिय-समुइ-सह-गंभीर-सुव्वमाण-पडिरवं, तुंग-भवण-मणि-तोरणाबद्ध-धवल-धयवडुडुग्घमाण-संस्खुद्ध- 15 मुद्ध-रवि-तुरय-परिहरिजंत-भुवण-भाग, णाणा-मणि-विणिम्मविय-भवण-भित्ति-करंबिजंत-किरणाबद्ध-सुर-चाव-रम्म-णहयलं, महा-कसिण-मणि-घडिय-भवण-सिहर-प्पहा-पडिबद्ध-जलहर-वंद्र, णिय-करयल-ताडिय-मुरव-रविजंत-गीय-गजिय-णिणायं, 18 तविय-तवणिज्ज-पुंजुज्जल-ललिय-विलासियण-संचरंत-विज्जु-लय तार-मुत्ताहलुद्ध-पसरंत-किरण-बारि-धारा-णियरं णव-पाउस-18 समय पिव सव्व-जण-मणहरं सुब्वए णयरं । जं च महापुरिस-रायाभिसेय-समय-समागम-वासवाभिसेय-समणंतर-संपत्तणलिणि-पत्त-णिक्खित्त-चारि-वावड-कर-पुरिस-मिहण-पल्हथिय-चलण-जुयलाभिसेय-दसण-सहरिस-हरि-भणिय-साहु-विणीयपुरिस-विणयंकिया विणीया णाम णयरि ति । ६१५) सा पुण कइसिय । समुई पिव गंभीरा महा-रयग-भरिया य, सुर-गिरी विय थिरा कंचणमया य, भुवर्ण पिव सासया बहु-वुत्तता य, सग्ग पिव रम्मा सुर-भवण-णिरतरा य, पुहई विय वित्थिण्णा बहु-जण-सय-संकुला य, पायाल 24 पिव सुगुत्ता रयण-पदीवुज्जोइया यत्ति । अधि य । चंद-मणि-भवण-किरणुच्छलत-विमल-जल-हीरण-भएण । घडिमो जीए विहिणा पायारो सेउ-बंधो व्व ॥ जत्थ य विवणि-मग्गेसु वीहीओ वियद्भ-कामुय-लीलाओ ग्विय कुंकुम-कप्पूरागरु-मयणाभिवास-पडवास-विच्छडाओ। शकाओ वि पुण वेला-वण-राईओ इव एला-लवंग-ककोलय-रासि-गभिणाओ । अण्णा पुण इन्भ-कुमारिया इव मुसाहल-27 सुवण्ण-रयणुजलाओ । अण्णा ,छइओ इव पर-पुरिस-दसणे वित्थारियायब-कसण-धवल-दीहर-णेत्त-जुयलाओ । अण्णा खलयण-गोट्ठि-मंडली इव बह-विह-पर-बसण-भरियाओ । तहा अण्णाओ उण खोर-मंडलिओ इष संणिहिय-विडामो 1) वउ, दक्खिण्णायचाई, J सुहमओ, च्चिय जिअउ, Jलोमि P लोयंमि, अवि य for अहवा. 2) JP रमि,' सुमणो, JP न, चेय, P पेक्खामि, P उच्चयं. 3Pएत्थ पण, उपेक्खह, केवला, P तह, P निसुणतु, JP त्ति ॥छ। 4) P णाही, P ने मिल, Pचर्क, Pom. अवि य. 5) Pबहविहकल, P अ for विवेयड्रनगवि. 6) I 'यारंभि, J मज्झदेसो, य for सु. 7) पभूत for बहु, गधि गदिय. 8) P'उलासमयकेया, P-निहाओ,P-निहाय,P उर for उल. ) उहरि . 10) पक्वाभिघायदलण, J गोवियणो गोविअण, रसखिप्प'. 11) J पहिअयणो पहिअयण, P हासिज्ज', 'णिअणो, "णिअणा, मण्ड'. 12J'हरो व त्ति, Pमाणहरो. 13)P कब्बाबंधो. कल ॥।. 14) काले, वंचियपुंजिया, P पुण्णप्पत्ति, बीअंपिवा. 15) P'हलहला.J'प्प यह पडिरवा. P संखुद. 16) P भाया, नाणामणिनिम्मविय, विभ,P कराविज्जत, Pणावबद्ध, P नहयला. 17) Pom. महा, J घडिअ, I has adapda after 'प्पहा, P बद्धा for वंद्रं करअल, P ताडियतुरवरगिज्जंत, P निनाया. 18) P"सिणीयण, P लयाJ ताल-, "हलुट्रप', 'णघरवारि, Pणियरा. P महा 10 व. 19iom. सव्व. P मणोहरा, P सुबह नयरी, Pजा य महारिस, P 'सेयमणंतर. 20 Jom. नलिणि of P,P निक्खि,Jom. कर, पढथिअ. 21Pविणीयंकिया. P नाम. P नयरि. 22) P"सिया, समुदो विय, गिरि विभ, P च for य. 23) वुत्ता च, निरं' for विय, P विच्छन्ना. Jom. सय. 24) सगुत्ता, पई, जोश्य त्ति ॥ छ।. 25) Pलंघण for हीरण. Pघडिय व जीय.J ॥छ।. 26)Jom. य. विमणि, वीहिओ विभड़कामुअम्वीहीविड्य त्ति कामुअ, विय, चयणा हिवास, पडिवासविच्छाओ. 27) Pचिय for इव, P कंकोलय, P गत्तणाउ, P कुमारियाउ चिय. 28)P विव for इव, Pदसणस्थ for दंसणे,J विस्थारियअवकसण, P रियायं च कसिण, P नेत्त, जुन P अन्ना. 29) I मण्ड',P मंडलीओ इय, विविहबहुयर for बहु etc., Jयाओ । छ। अन्ना उण, मण्ड,सणि, P सन्निहिय. Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया 1 कच्छउड-णिक्खित्त-सरस-णहवयाओ 'य। मण्णा गाम-जुवईओ इव रीरिय-संख-वलयकाय-मणिय-सोहामो कच्चूर-बयण- 1 णिम्महंत-परिमलाओ य । अण्णा रण-भूमीमो इव सर-सरासणभसं-चक्क-संकुलाओ मंडलग्ग-णिचियाओ य । मण्णा मत्तमायंग-घडाउ इव पलंबत-संख-चामर घंटा-सोहामो ससंदूरामो य । अण्णा मलय-वण-राईमो इव संणिहिय-धिविह-ओसहीओ 3 बहु-चंदणामोय । अण्णा सजण-पीईमोइव सिणेह-णिरंतराओ बहु-खज-पेज-मणोहराओ.य । अण्णा मरहटिया इव उहाम हलिही-रय-पिंजराओ पयड-समुग्गय-पभोहर-मणोहरायो य ।अण्णा णदण-भूमिमो इघ ससुरामो संणिहिय-महुमासामो ति। B ६१६) अवि य । जं पुद्दईऍ सुणिज्जइ दीसइ जं चिंतियं च हियएण। तं सब्वं चिय लडभइ मग्गिजतं विवणि-मग्गे ॥ जय य । जुवईयण-णिम्मल-मुह-मियंक-जोण्हा-पवाह-पसरेण । घर-बावी-कुमुयाई मउलेड णेय चाएंति ॥ मिम्मल-माणिक-सिहा-फुरंत-संकंत-सूर-कतेहिं । दिय-राई-णिव्विसेसाह णवरि वियसंति कमलाई॥ जल-जंत-जलहरोत्थय-णहंगणाहोय-वेलविजंता । परमस्थ-पाउसे वि हुण माणसं जति वर-हंसा ॥ कर-ताडिय-मुरव-खुच्छलंत-पडिसइनाजिउकंठा । गिम्हम्मि-वि हलबोलेंति जत्थ मत्ता घर-मकरा ॥ 12 णेउर-रव-रस-चलिया मग्गालग्गंत-रेहिरा हसा । जुवईहि सिक्खविज्जति जत्थ बाल व्व गइ-मग्गे।। भणिए विलासिणीहिं विलास-भणियम्मि-मंजुले वयणे । पडिभणिएहि गुणेइ व घर-पंजर-सारिया-सत्यो। जत्थ य पुरिसो एकेकमो वि मयरद्धओ महिलियाण । महिला वि रई रइ-वम्महेहि ठाणं चिय ण लद्धं ॥ 18 इय जं तत्थ ण दीसइ तं णस्थि जयम्मि किंचि अच्छरिय । जं च कहासु वि सुम्वइ त संणिहियं तहिं सर्व ॥ भह एक्को चिय दोसो भाउच्छ-णियत-बाह-मइलाई । दइया-मुहाई पहिया दीणाई ण सभरति जहि ॥ १७) जत्य य जणवए ण दीसइ खलो विहलो व । दीसह सजणो समिद्धोध, वसणं जाणा-विण्णाणे च, उच्छाहो 18 धोरणे व, पीई दाणे माणे व, भन्भासो धम्मे धम्मे व त्ति । जत्थ य दो-मुहउ णवर मुइंगो वि । खलो तिल-वियारो वि। 18 सूयभो केयइ-कुसुमुग्गमो वि। फरुसो पत्थरो वि। तिक्खओ मंडलग्गो घि । अंतो-मलिणो चंदो वि । भमणसीलो महुयरो वि । पवसइ हंसो वि । चित्तलओ बरहिणओ वि । जलु कीलालो वि । भयाणो बालओ वि । चंचलो वाणरो वि। परोवयावी जलणो वि त्ति । जत्य य पर-लोय-तत्ती-रय णवर दीसंति साहु-भडरय । कर-भग्गई णवर दीसंति पर करिहिं महहुमई ॥ दंडवायाई णवरि दीसंति छत्ताण य णचणहं । माया-बंचणाई णवरि दीसंति इंदियालिय-जणहं ॥ विसंवयंति णवर सुविणय-जंपियई । खंडियई णवरि दीसंति कामिणियमहो अहरई । ढ-बद्धई णवरि दीसंति कणय-24 संगहेहिं महारयणई । वलामोडिय घेण्पति णवर पणय-कलह-कय-कारिम-कोव-कुविय-कंत-कामिणियणहो बहरई.वियडकामुएहिं ति । अहवा। 7 कह वणिजइ जा किर तियसेहिं सक-वयण । पढम-जिण-णिवासत्यं णिम्मविया सा भउज्झ ति॥ १८) तम्मि य राया दरियारियारण-घडा-कुंभ-स्थल-पहर-दलिय-मुसाहलो । मुत्ताहल-णिवह-दलंत-कंत-रय-धूलि-धवल करवालो। 1) निक्खित्त, P अन्ना, रीरीयाः, J वया- for वयण. 2)निम्म',P अन्ना, सरासणम्भस'P सराणम्भस, मण्ड', Jणिचिआउ P निचिलाओ, P अन्ना. 3) Pचिय for इव, अ for य, P अन्ना, मलअ, राइउ, सणि' ' सन्नि', विविहोस'. 4) Pअन्ना, पीसीओ इव P पाईतो यव, P निरं', पेम्म for पेज, P अन्ना, मरहद्विआ P मरहटियाभो. 5) Jadds य before पयड, समुग for समुम्गय, सण्णिासनि7) हिमपण JP || छU, P जीए च for जत्थ य. 8) जुबईअण P जुईयण, P निम्मल, कुमुआई नेय चायति. 9). मिम्मल, P सैकंतरविकरणोहि।, किन्तेहिं । दिम, F निवि,Jणवर P नवरि, विअसंति. 10) Pणभंगणामोय, P न. 11) P गिम्हंमि, P जत्त- 12) Pउर, 'P'सं for रस, P जुयईहि. 13) विलाण, भणियं पि P वइयंमि, सारिआ. 14) चिम, न. 15) P न, P नस्थि, JP जयंमि, Jण for वि, JP सण्णि'. 16) Pच्चियं, P नियत्तवाह, न. 17) Pब्व for व, F.व for व, बसणु णाणा, P वसणन्नाणे विन्नाणे च, उच्छाहु. 18).पीबी, IP माणे च, J धम्मे । धम्मे च त्ति ॥ छ ।, Pभम्मे चम्मच, P नवर, P तिलवयारो. 19) सूअउ P सूअओ, केअइP केद, Pकुसुम', फरस, अतिक्खड P तक्खयो, ७ मण्ड' P मंडलो वि, सीलु. 20) वरहिणउ P विरहिणो, बालउ बालउ वि, P वि for विचबलु बी (य)गयो वि tor चंचलो eto., P वानरो. 21) Pव for वि,त्ति ॥छ,Jom. य. 22) लोअ, P भरय। P भगई नवर, Pकरदि, Pमहादुमई. 23. Pदंडवायइंनवरि..Jadds on the margin छत्ताण...नवर दीसंति, P नचणई, P वंचणय, नवरा नवरि. 24)" जंपिआई, खण्डिअई, Pगरि, 'णिअणहो, Pणीणहहो, णवर P नवरि. 25) रयणमई, वलसमोडिय पति, P. वलामोढिए, IP नवर, P'म कारियकोव, कुषिभ, कामिणिअणहो P कामिणीअणहो. 26) ति॥छ, "एहि त्ति. 27) वा निम्म',P सा विउ,ति॥छ ॥ Pत्ति॥छ. 28) Pतंमि, Jom. य. 29) वारणापड, निवड, P भूलिचवल. Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ $२१] ९ करवाल-सहा निजि-मई- सामंत-निवायचो पण-उल-मणि- विविध कंत-महा-मउड-घडिय सुपीडो ॥ ॥ तिणवरं पुण ससि-स-संभवो वि होऊन सर्व चेय सो पोरो मुद्र-सह-विलासिणि-हियय-हरणेहिं सर्व पेय पर-कल-मो 3 दरिय-रिव- सिरी- बलामोडिय-समाकड्डुणेहिं, सयं चेय सो वाडो पडिवक्ख गरिंद-चंद्र-वाडणेहिं ति । जो य दोग्गञ्च सीय- 3 संतावियाण दहणो, ण उण दहणो । गियय-पणइणि-वयण- कुमुयायराणं मयलंछणो, ण उण मय-लंछणो । विणिज्जयासेसपुरिस-रूवेणं अणंगो, ण उण अणंगो दरियारि-महिहर महावाहिणीणं जलही, ण उण जलही । सुयण-वयग-कमलायराणं तणो ण उण तबणो ति जो व घण समओ बंधुयण कर्यबयाणे, सरवागमो पणइयण- कुमुष-गहणानं, हेमंतो पडि- 6 वक्ख-कामिणी- कमलिणीणं, सिसिर-समओ णिय-कामिणी - कुंद-लइयाणं, सुरहि-मासो मित्तयण-काणणाणं, गिम्हायवो रिवु - जलासयाणं, कय-जुओ णियय- पुहइ-मंडले, कलि-कालो वहरि णरिंद-रज्जेसुं ति । भण्णं च । 1 1 9 सरलो महुरो पियंको चाई दक्खो दक्खिणो दयालू । सरणागय वच्छलो संविभागी पुव्वाभिभासि त्ति ॥ संतु स ण उण किती सुद्धो गुणेसु ण उण अत्येषु विद्धो सुद्दासिएसु ण उण मेसु सुसिक्सिलो कलासु, ण उण अलिय चाडु-कवड वयणेसु । असिक्खिओ कडुय-चयणेसु, ण उण पणईयण-संमाणणेसु त्ति । अहवा । गहिय-सगाह-दलम्मि तम्मि अण्णए वियड-वच्छे । णंदण-वणे व्व कत्तो अंतो कुसुमाण व गुणाणं ॥ मह सोनिय-सास-खग्ग-मेत परिवार पणय सामंतो-द-वम्मो दढवम्मो णाम णरणाड़ो ॥ 12 कुवलयमाला १९) तस्स य महुमहस्स व लच्छी, हरस्स व गोरी, चंदस्स व चंदिमा, एरावणस्स व मय-लेहा, कोटथुहस्स व 15 पभा, सुरगिरिस्स व चूला, कप्पतरुणो इव कुसुम-फल-समिद्ध-तरुण-साहिया, पसंसिया जणेणं अवहसिय- सुर-सुंदरी-चंद्र- 15 छायन-सोहरस अंतउरिया-जणस्स नग्ले एक चिय विषयमा पिर्वगुसामा नाम सयंवर परिणीया भारिव सि । अह सीए तरस पुरंदर व सईए भुजमाणस्स विसय-सु गच्छ कालो वर्चति दिया य 18 । २०) अह अण्णमि दिवसे अतरोवत्थाण-मंडवमुवगयस्स राइणो कय-मेल-मंति- पुरिस-परिवारियरस पिय- 18 पाणी- समाह-वाम- पारस संकरस्स व सम्य-जण-संकरस्स एक-पए चैव समागया पिहुल-निबंध-तडफदण-विसमंदोल माण मंडला- साह-वामंस देसा बेहदल- णिपय- बाहुला कोमलावलंबिय-वेरालया पडिहारी तीच व पविसिकण कोमल21 करयलंगुली-दल-कमल-मउलि- ललियंजलिं उत्तिमंगे काऊण गुरु-णियंब- बिंब-मंथरं उत्तुंग - गरुय-पओहर भरोवणामियाए 21 ईसि णभिऊन राहणो विमल-कमल-रुण वलयं विष्णतं देवरस 'देव, एसो सबर सेणा युनो सुसेणो णाम । देवरस चेय आणार या मालव-गरिंद-विजयत्यं गओ सो संपर्व एस दारे देवरस चलण- सण-सुई पायेह सिसोठं देवो 24 पमाणं' ति । तओ मंतियण-वयण-णयणावलोयण-पुब्वयं भणियं राइणा 'पविसउ' त्ति । तभो 'जहाणवेसि' त्ति ससंभ्रम- 24 मुट्ठिण तुरिय-पय-णिक्खेवं पहाइया दुवार- पाली उयसपिऊण य भणिओ 'भज्ज पविससु' त्ति । 1 12 7 (२१) तओ पविट्ठो सुसेणो । दिट्ठो य णरवद्दणा वच्छत्थलाभोय-मंडलग्गाहिघाय - गरुय-वणाबद्ध-दीहर-धवल-खोम27 बण-पति, तिवसना इव पोंडरीय वयोवसोहिजो परिस-यस-विर्यभमाण-वयण-सयवतेर्ण साहेतो इव सामिणो जय- लच्छि सेणावइ- सुभो त्ति । उवसपिऊण य पणमिओ णेण राया । राइणा वि 'आसणं असणं' ति भइसमाणेण पसारिय-दीहर- दाहिण-भुया-दंड-कोमल-करयलेणं उर्मि डिविण संमाणिमो तो कम-देवी-पनामो असेस-मंतियण30 कयजद्दारुह - विणओ य उवविट्ठो आसणे । सुहासणत्यो य हिययब्भंतर- घर भरिय उज्वरंत पद्दरिसामय-णीसंद - बिंदु- संदोहं 80 1 P 1 ) J corrects मणि into मण and adds हर on the margin in a later hand, P विणिम्मविय, P सुवीढो. 2) मोहोड, सिमी, निचे 3 दरियारिसिबमाकड कंडो] for वाढो सबमेव वाडो, वडणेहि त्ति, P दोगश्च 4 ) P पणइणी 5 ) P भाषण for रूवेण 6 ) om. त्ति, बंधुअण P बंधूयण, P कयंबाणं, सरयगमो, P गहयाणं. 7) कामिणि, कामिणीणं, P लयाणं. 8 ) P किय, सुत्ति 9 ) P दक्खिन्नो, P पुव्वातिभासी वेत्ति 10 ) P "डो कल", P लुद्धा, J मुद्दासिए, P सुसुक्खिओ 11 ) P अलिया, 3 कवड for कडुय, J पणईणसम्मा, P संमायण 12 ) P संगाह, -फलंमि, P तंमि । अवुण्णए, P नंदणवणं व. 13 ) Pददधम्मो ददधम्मो 14 ) मदुस 15 ) P पहा, P समिद्धा, पव for अब 16 ) P सोहग्गअं", "रियाण, P एक्के चिय, P पिया for पिययमा, उ परिणिया, तीय 17 ) सुहेहि य, P दिहहा, Pom. य. 18 ) P अन्नंसि दियहे, P मंडलमु, P पुरिपरि वारयरस, वियप्पिय for पिय. 19 ) P जणपए, चेय, पिदुण नियंवयदुप्फि, P विसअंदोलण. 20 J देसे, P निययनिभय, Pom. य, सित्तण. 21 ) P करयंगुली, P मउलललियमंगे, P गरुयनियंब, J गुरुय, P भारावणा. 22 ) P अव for ईसि, Pom. कमल, P जुयलं विश्नत्तं, Pom. देवस्स, I om. देव, P वणो उत्तो, P सुसेणे नामा ।, P देवपासे चेव 24 ) पमाणो, om. ति ।, P वयणलीलावणोषणा - Pom. भणियं, P जं आण मुट्ठि पयणुक्खेवं P निक्खे, दुआर, JP उअस P अज्जउत्त. 26) स्थलोभयसमण्ड, P - गुरुय. दिवस, P विससमाण, P वन्नेणं, P विय for इव. 28 ) P वओ तो त्ति, Pom. य, P रायणो वि, आसणट्ठि आई29) *रिया दी दा, भुअदण्ड, करेणं, सम्मा' समा, P देवि 30 ) om. कय, P व for य, P उपविट्ठो, P या for य, Pom. घर, P भरिउग्व, णिसंद 2 25 ) 27 ) P " 7 . Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६२१1 पिव मुंचमाणेणं णिद्ध-धवल-विलोल-पम्हल-चलंत-णयण-जुवलेणं पलोइऊण राहणा 'कुमार, कुसलं' ति पुच्छिओ । सविणयं । पणमिऊण उत्तिमंगेण 'देवस्स चलण-जुयल-दसणेणं संपयं खेमं' ति संलत्तं कुमारेण । ३ ६२२) पुच्छिओ राइणा 'मालव-णारिदेण सह तुम्हाणं को वुत्तो' ति । भणियं सुसेणेण । 'जयउ देवो। इओ 3 देव-समाएसेणं तहिं चेय दिवसे दरिय-महा-करि-तुरय-रह-णर-सय-सहस्सुच्छलंत-कलयलाराव-संघट्ट-घुटमाण-णहयलं गुरुभर-दलंत-महियलं जण-सय-संबाह-रुंभमाण-दिसावहं उइंड-पॉडरीय-संकुलं संपत्तं देवस्स संतियं बलं । जुझं च समाढत्तं । 6 तमो देव, सर-सय-णिरंतरं खग्गग्ग-खणखणा-सद्द-बहिरिय-दिसिवहं दलमाण-संणाह-च्छणच्छणा-संघटुंत-जलण-जाला- 8 कराल-भीसणं संपलग्ग महाजुद्धं । ताव य देव, अम्ह-बलेणं विवडेंत-छत्तयं णिवडत-चिंधयं पडत-कुंजरं रडत-जोहयं खलंत आसयं फुरत-कोतयं सरंत-सर-वरं दलंत-रह-वरं भग्गं रिउ-बलं ति । तओ घेप्पंति सार-भंडारयाई सेणिएहिं । ताणं च मज्झे १एको बालो अबाल-चरिओ पंच-वरिस-मेत्तो तस्स राइणो पुत्तो ससत्तीए जुज्झमाणो गहिमओ अम्हेहिं । तओ देव, एस सो " दुवारं पाविओ अम्हेहिं' ति। राइणा भणियं 'कत्थ सो, पवेसेसु तं' । 'जहाणवेसु' त्ति भणमाणो णिग्गओ, पविट्ठो य तं घेत्तुं भणियं च 'देव, एस सो' त्ति । 128२३) कुमारो वि भविस्स-महा-पंधगओ विय अदीण-विमणेहिं दिदि-वाएहिं पलोएंतो सयलमत्थाण-मंडलं उवगओ 12 राइणो सयासं । तओ राइणा पसरतंतर-सिणेह-णिभर-हियएण पसारिओभय-दीहर-भुया-दंडेहिं गेण्हिऊण अत्तणो उच्छंगे णिवेसिओ, अवगूढो य एसो । भणियं च णरवइणा 'अहो वज-कढिण-हियओ से जणओ जो इमस्स वि विरहे जियई' त्ति। 18 देवीए वि पुत्त-णेहेणमवलोइऊण भणियं 'धण्णा सा जुयई जीए एस पुत्तओ, दारुणा य सा जायस्स विरहम्मि संधीरए 18 भत्ताणयं' ति । मंतीहिं भणिय 'देव, किं कुणउ, एरिसो एस विहि-परिणामो, तुह पुण्ण-विलसियं च एयं । अवि य । कस्स वि होंति ण होंति व अहोंति होति व कस्स वि पुणो वि। एयाओं संपयाओ पुण्ण-वसेणं जणवयम्मि ॥ 18६२४) एत्यंतरम्मि हिययभंतर-गुरु-दुक्ख-जलण-जालावलि-तत्तेहिं बाह-जल-लवेहिं रोविडं पयत्तो कुमारो । तओ 18 राइणा ससंभमेण गलिय-बाह-बिंदु-प्पवाहाणुसारेणावलोइयं से वयणयं जाव पेच्छइ जल-तरंग-पव्वालिय पिय सयवत्तर्य। तओ 'अहो, बालस्स किं पि गरुयं दुक्खं' ति भणमाणस्स राइणो वि बाह-जलोल्लियं णयण-जुवलयं । पयइ-करुण-हिययाए 21 देवीओ वि पलोहो बाह-पसरो। मंतियणस्स वि णिवडिओ असु-वाओ। तओ राइणा भणियं । 'पुत्त कुमार, मा अद्धि कुणसु' त्ति भणमाणेण णियय-पमुसु-अंतेण पमज्जिय से वयण-कमलयं । तओ परियणोवणीय-जलेण य पक्खालियाई णयणाई कुमारस्स अत्तणो देवीय मंतियगेणं ति। २५) भणियं च राइणा 'भो भो सुर-गुरु-प्पमुहा मंतिणो, भणह, किं कुमारेण मह उच्छंग-गएण रुण' ति | 24 तओ एक्केण भणियं 'देव, किमेत्य जाणियध्वं । बालो खु एसो माया-पिइ-विउत्तो विसण्णो । ता इमिणा दुक्खेण रुण' ति। अपणेण भणियं 'देव, तुम पेच्छिऊग णियए जणणि-जणए संभरियं ति इमिणा दुक्खेण रुण्णं' ति । अण्णेण भणियं 'देव, शतहा जं आणियं ति, कत्थ राया देवी य के वा अवत्थंतरमणुभवंति, इमिणा दुक्खेण रुणं' ति। राइणा भणियं 'किमेत्य या वियारेण, इमं चेव पुच्छामो' । भणिओ य राइणा 'पुत्त महिंदकुमार, साहह मह कीस एयं तए रुपणय' ति । तओ ईसि ललिय-महुर-गंभीरक्खरं भणियं कुमारेण । 'पेच्छह, विहि-परिणामस्स जं तारिसस्स वि तायस्स हरि-पुरंदर-विक्कमस्स एयस्स 30 एरिसे समए अहं सत्तुयणस्स उच्छंग-गाओ सोयणिज्जो जाओ त्ति । ता इमिणा मह मण्णुणा ण मे तीरइ बाइ-पसरो रुभि-30 1) णेण निद्ध, P पम्हलं, P नयणजुयलेणं, सविणय पणउत्ति. 2) P has जुयल twice. 4) एसेण, , घेव दियहे, P सहसु, फुटमाण. 5) संवाह, P कड्डमाणदिसी', " देवसत्तियं, जुद्धं. 6) दरल', P सन्नाह, P च्छणसं. 7) " देवम्बलेण, ' om. विवडेंतछत्तयं, P बलितविधयं. 8) P रिपुः, P भंडायाराई, ताणिएहि for सेणिएहिं. 9), चरिउ, ए ससूती. 10) P परियो, . हि त्ति, P पवेससु, P 'वेस त्ति, अ for य which r om. 11) णियं व for भणियं च. 12) Pगंधराओ, विभP विव, P om. दिट्टिवाएहिं, १ पलोयंतो, ह उवागओ. 13) Jom. तओ, राइणा वि, P 'रंत सिणेह, P गिन्हि. 14) Pच राहणा, ' कविणो से. 15) P देवीय, जीय, सा जा इमरस, P तं धीरेष for संधीरए. 16) Pमंतीहि, P विहसियं. 17) PE for वि, वि for a, P अह होंति व कस्स वी पुणो हुंति ।, P पुन्न: 18) 'वली, J तत्तेहि. 19) J वाहाः, P वाहा', 'लोवियं, P वयणं, P तरलजलरंपवा'. 20) J तओ बालस्स अहो किं, P जुयलयं, P पइ for पयइ. 21) देविय, P पलोडिओ पाहु, P निवाओ for वाओ, P ततो, P अद्धियं. 22) P अदंतेण, P om. य. 23) P नयणीइ. 24) पमुहा, I om. मह. 25) वि भणिों, I -पितिवि: 26) " 'भरिए ति, त्ति ता इमिणा. 27) P तहा तंमि समर ण याणीयर कत्थ, देवी वा कं देवी य वा, P अवथंतर अणुहवंति. 28) पुच्छामि, Pom. य, ताय for पुस, साहमहं, Jon. मई, एयन्तए, P रुबह ति, Pइसि. 29) महुयर, P तारिसयस्स, Pom. एयरस- 30) P-गणस्त उत्संग, मन्नुणा, Pom. मे, P भंति for रंभि. Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ $२८] कुवलयमाला ११ 1 ऊणं' ति । तओ राइणा विम्याबद्ध-रस-पसर- त्रिप्पमाण - हियएण भणियं । 'अहो, बालस्स अहिमाणो, अहो सावद्वंभतणं, 1 अहो पण विष्णासो, अहो फुडखलावर्ण, अहो काय विचारणं ति सव्वा विम्हायणीयं एर्यवि अदत्या एरियो-पिरो वयण विष्णासो यति भणमाणेण राइणा पोइयाई मंति-वषणाई तो मंतीहिं भणिये 3 'देव, को एत्थ विम्भो । जहा गुंजाइल-फल-प्पमाणो वि जलणो दद्दण-सहावो, सिद्धत्य- पमाणो वि चइर-विसेसो गुरुसहावो, तहा एए वि महावंस- कुल-प्पसूया रायउत्ता सत्त- पोरुस माण- पमाण-प्पभूय-गुणेहिं संवद्विय- सरीरा एव होंति । [6] क्षणीच देव, ण एए पय-पुरिसा, देवत्तण-चुया सावसेस सुद्ध-कम्मा एव जायंति' ति । तओ राहणा भनिय एवं 0 चिय एयं ण एव्थ संदेहो' त्ति । , ६ २६) मणिनो व सावधं कुमारो राणा 'पुत महिंदकुमार मा एवं चिंतेमु जहा अई तुम्हाणं सजे सर्व 9 आसि ण उण संपयं । जत्तो चेय तुमं अम्हाण गेहे समागओ, तओ चेव तुह दंसणे मित्तं सो राया संवुत्तो। तुमं च मम 9 तोति । ता एवं जाणिऊण मा कुणसु अहिं, मुंचसु पडिवक्ख-बुद्धि, अभिरमसु एत्थ अप्पणो गेहे । अवि य जहा सवं सुंदर होहि तहा करेमि त्ति भणिऊण परिहिओ से सयमेव राइणा रयण-कंठओ, दिण्णं च करे करेणं तंबोलं । 12 'पसाओ' विभणिण गहिये, समय व देवगुरु भगिलो व मंतिणो 'एस ए एवं उपपरियो जदा ण कुरुद 18 संभरति सम्पदा वहा कायमची जहा मम अतस एस पुतो वह सितम कवि का अऊिन समुट्टियो राया आसणाओ, कय दियह-वावारस्स य भइकंतो सो दियहो । २७) अह अण्णम्मि दियहे बाहिरोवत्थाण मंडवमुवगयस्स दरिय-महा-गरिंद-वंद्र मंडली - परिगयस्स णरवइणो 15 सुर-गिरि व कुल-से-मज गवस आगया धोय धवल दुगुल-वलय-पियंसणा मंगल-गीवा-सुतमेचाहरण- रेहिरा बलिय मुणाल-धमकाविया समय-समय- ससि दोसिगापवाद-पूर-पन्या-धवला वनराई सुमंगला नाम राहणो 18 अंतेटर - महत्तरिति । दिट्ठा व राहणा पोड-रायसी विडिय गइ मग्गा अर्गतूण व ताए सविषवं उपरिमत्थत- 18 उद्यवयणाएं वर-वण-किए विवि सत्यत्यवित्थर-सयण्णे दाहिण-कण्णे किं पि साहिये। साहिऊण पिता । तो राया व किंपि विभाविज्ञमाण-हियवमंतर-वियत विषयणा-सु-यण-यो सर्ण मच्छिऊन विसनिवासेष 21 रिंद -लोओ समुट्ठिओ आसणाओ, पयट्टो पियंगुसामाए वास-भवणं । । 15 1 $ २८) वितियं च णरवणा 'अहो इमं सुमंगला साहिब जड़ा किर भज देवीए विधेनुसामाए सुबहु पि रुग्णमाणाए अलंकारो नियम गहियो माहार वित्यरो, अमाणो विय अवलंबिओ चिंता-भारो, परिमलिय-पत-पि विच्छाये 24 वयण-कमल, माणसं पिव दुक्लं अंगीकयं मोणये ति किं पुण देवीए को कारण हवेज' सिलवा सर्प चैव चिंतेम 24 'महिला पंचहि कारणेहिं कोवो संजाय । तं जहा पणवखलणे, गोत-खलगेगे, अविणीय परियणेणं, पवित्रकलणे, सामु विषयति । तथाच पणय णं ण संभाविति । जेण मह जीविवस्स वि एस पेष सामिणी, 22 अच्छर ता धणस्स ति मद गोस-खळणं, पण जेण इमीए चेय गोते सगळमंडरिया-जनम समिति । मह 987 परियणो, सो वि कहिंचि मम वयण- खंडणं कुणइ, ण उण देवीए त्ति । पडिवक्ख-कलदो विण संभाविजइ । जेण सब्बो चेय मम भारियायणो देवयं पिव देवी मण्णइ त्ति, तं पि णत्थि । सेसं सासू-भंडणं, तं पि दूराओ चेव णत्थि । जेण अम्ह 30 जणणी महाराइणो अण्णारुहिय देवी-भूय त्ति ता किं पुण इमं हवेज्ज' । चिंतयंतो संपत्तो देवीए वास-भवणं, ण उण 20 wwwww 21 1 ) P रायणा वयणवि, Jom. रस, P वस for पसर, इमाए व उवत्थारिए एरिसी बुद्धी- 3 ) om. य, P पुलो", रायपुत्ता । संजे पोरुसे । मानप्पभूतीहिं सह संवड्डिय, P चेव for एव, P ता for पुत्त, P अम्हं, J तुम्हाण, JP सत्तु 9 ) जाउ परिवज्ज, अहिर, om. एत्थ, गेहं for गेहे, Jom. अवि य. क्खिप्प 2 ) P विश्वासत्तणं, रालवत्तणं, P वणीयमेयं, P P ततो. 4 ) Pom. हल, P स्थप्प 5 ) उप्पसूता । होति त्ति 1. 63om. ण, J चुआ एव, P सुभ 8 ) चैव तुम्हें अम्हाणं, P मित्तत्तं, P संवुत्तं । 10 ) P अद्वेदुं, P 11) P सव्वसुं, होहि त्ति, करीहामो, ग्राइणा वयणे, करें करेण P करंक 12 ) Pom. त्ति, om. य, [ गणिओ ] added by Ed., P जह णं. 13 ) P इवउ, किंचि. 14 ) J य after आसनाओ, Pom. य, Pom. सो. 15 ) P नरिंद्र चंद्र. 16 ) र for व, P दुगूल, P om. जुवलय. 17 ) Pom. समय, P पच्छालण-. 18) J महंतेउर महंतारिअत्ति ।, Pom. य. 19 ) उदय in J looks like a later correc tion, P दृश्य, P णाए व वर, कोण्डला P कुंडला. 20 ) P किं for वि, J om. वि, विअंभंत omitted by P, P "प्पणसुन्न 21 ) समुवट्टिओ 22 ) इमं मम सु, P भत्त for रुण्ण. 23 ) यमाणो विज P मोणो चिय, Pom. परि, P लेख- 24 ) कर्यमाणत्ति । ता किं जंति, om. चेव. 25 ) संजायद ति । P जाय ।, P क्खलणेण, P क्खल " णीयं. 26) सासविचखलणं P जलणं, P वियर, Pom. वि, P व or व्वेव. 27 ) ता वण्णस्स, P णो for ण, इमीय अहवा for अह. 28 ) J कहवि भम, P देवीउ, P खलणं पि for कलहो वि, संभावी यह 29 ) Pom. चेय, I om. देवी, Pom. त्ति, om. तंपि णस्थि, P नत्थि ससे, दूरओ, P जेणम्द. "राहणा, P अणुरुंभिय, P एयं for इमं, P देवीवास, P तओ r for ण उण. विब्जहत्ति P 30 P ण . Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६२८1 दिदा देवी। पुच्छिया एक्का विलासिणी 'कत्थ देवि' ति। तीए ससंभमं भणियं 'देव, कोवहरयं पविट' त्ति । गओ कोव- 1 इरयं । दिवा य णेग देवी उम्मूलिया इव थल-कमलिणी, मोडिया इव वण-लया, उक्खुडिया इव कुसुम-मंजरी । पेच्छमाणो ४वगओ से समीवं । तो पढेसुय-मसूरद्धंत-णिमिय-णीसह-कोमल-करयला गुरु-घण-जहण-भरुव्वहण-खेय-णीसास-णीसहा । सणियं सणियं अलसायमाणी अब्भुट्टिया आसणाओ। दिण्णं च राइणो णिययं चेय आसणं ति । उवविट्ठो राया देवी य । ६२९) तओ भणियं च राइणा 'पिए पिए अकोवणे, कीस एयं अकारणे चेय सरय-समयासार-वारि-धारा-हयं पिव 8 पल्हत्थं कोमल-बाहु-लइया-मुणाल-णालालीणं समुन्वहसि वयण कमलयं ति । कीस एवं अणवस्य-बाह-जल-पवाह-णयण- 6 'पणाल-णाल-बस-पब्वालियं पिव थणवढे समुवहसि । णाहं किंचि भवराहट्टाणमप्पणो संभरामि त्ति । ता पसिय पिए, साह किं तुभ ण संमाणिओ बंधुयणो, किं वा ण पूईओ गुरुयणो, किंण महिओ सुर-संघो, किं वा ण संतोसिओ पणइवग्गो, अहवाविणीओ परियणो, अहह्वा पडिकूलो सवत्ती-सत्थो त्ति । सव्वहा किं ण पहुप्पइ मए भिश्चम्मि य पिययमाए, . जेण कोवमवलंविऊण ठियासि त्ति । अहवा को वा वियड-दाढा-कोडि-कराल-भीम-भासुर कयंत-चयण-मज्झे पविसिऊण इच्छह । अहवा णहि णहि, जेण तुमं कोविया तस्स सुवष्णद्ध-सहस्सं देमि । जेण कोवायंब-णयण-जुवलं सयवत्त-संपत्ता12 इरित्त-सिरी-सोहियं किंचि णिवोल्लियाहर-दर-फुरंत-दंत-किरण-केसरालं कजल-सामल-विलसमाण-भुमया-लया-भमर-रिछोलि-13 रेहिरं चारु-णयण-कोस-बाह-जल-महु-बिंदु-णीसंदिरं अउव्व-कमलं पिव अदिट्ट-उब्वयं मम दसयंतेण अवकातेणावि उवकयं तेण। 18 ६३०) तओ ईसि-वियसिय-विहडमाणाहरउडंतर-फुरंत-दंत-किरण-सोहियं पहसिऊण संलत्तं देवीए । 'देव, तुहं पसा-15 एण सव्वं मे अस्थि किंतु णवर सयल-धरा-मंडल-णरिंद-बंद्र-मंडली-मउड-मणि-णिहसण-मसणिय-चलण-जुयलस्स वि महा राइणो पिय-पणइणी होऊण इमिणा कजेण विसूरिमो, जं जारिसो एस तीए धण्णाए कीए वि जुयईए पिय-पुत्तओ सिणेह18 भायणं महिंदकुमारो तारिसो मम मंद-भागाए तइयं पि णाहेण णस्थि । इमं च भावयंतीए अत्ताणयस्स उवरि णिव्वेओ,18 तुह उवीरं मम कोवो संजाओ' ति । तओ राइणा हियएण पहसिऊण चिंतियं । 'अहो पेच्छह अविवेइणो महिलायणस्स असंबद्ध-पलवियाई । अहवा, 4 एरिसं चेव अलिया-मलियासंबद्ध-प्पलाविएहिं । हीरति हिययाई कामिणीहिं कामुययणस्स' त्ति ॥ चिंतयंतेण भणियं 'देवि, जं एयं तुह कोव-कारणं, एत्थ को उवाओ । देब्वायत्तमेयं, एत्थ पुरिसयारस्स अवसरो, अण्णस्स वा । भण्णइ य। 24 अत्यो विजा पुरिसत्तणाई अण्णाई गुण-सहस्साई । देब्वायत्ते कजे सन्वाइँ जणस्स विहडंति ॥ ___ता एवं ववस्थिए कीस अकारणे कोवमवलंबसि। ३१) तओ भणियं देवीए 'णाह, णाहमकजे कुविया, अवि य कजे च्चिय । जेण पेच्छह सयल-धरा-मंडलब्भंतरे जोय-जोयणी-सिद्ध-तंत-मंत-सेवियस्स महाकालस्स व तुज्झ देव-देवा वि आणं पडिच्छंति, तह वि तुह ण एरिसी चिंता संपजइ । किं जइ महाराओ उजमं च काऊण किंपि देवयं भाराहिऊण वरं पत्थेइ, ता कहं मम मणोरहो ण संपजइ ति । ता पसीय मम मंद-भागिणीए, कीरउ पसाओ' ति भणमाणी णिवडिया से चलण-जुवलए राइणो । णिवडमाणी चेव अवलं30 बिया दीहरोभय-बाहु-डंडेहिं पीणेसु भुवा-सिहरेसु। तओ वणनाएण व कर-पब्भार कलिया मुणालिणि ब्व उक्खिविऊण 30 1) P पुच्छिया य, Pचेडिया for विलासिणी, भणियं ति, पविटेत्ति. 2) Pom. थल, Pइव चलयणया, P 'डियाउ. 3) om. से, P 'सूरयद्धं, P करलया, Jom. घण, खेय, Pणीसास twice. 4) P"णियमल',णियं, Pom. चेय, , om. ति. 5) om. च, J कोवणे. 6) P -नालालीलं, " कयण, J यन्ति ।, P-प्पवाहप्पवाह. 7)P-cqणाल, P नालयसरपब्वा", P वट्टमुन्व', 'रावि त्ति. 8) तुभ ण P तुहन, J'अणो P जणो for यणो in both places, JP किण्ण, , सुरं, P ता for वा, P पणय-- 9) आउण for अह्वा', अद्द प,P सवत्ति, किण्ण P किं वा ण, Pom. य. 10) om. त्ति, । चियड, P"मज. 11) सुवण्ण: कोवासंयंवण' यंचण', 'जुयलं, P सयपत्त. 12) सिरि, Jहरहर P हरंत for हर, P om. दर, P विमलस', P -नुमयालिया, JP रिच्छोलि. 13) Pकोवसवाइ, P निसं, पुर्व for उब्वयं, J अपकरेंतें P अवकारते'. 15) विहसिय, 'उटुंतर. 16)P किंतु एकं नवर, मण्डव, P नरिंदचंद्र, 'इसणा17) Pवि होऊग, तीस, P की,P जुवईपिय, पियय-. 18) 'दयकु', P तएव for तइयं पि,Pणाहे णित्थि ति, Pom. च. 19) P उवरि, Jom. मम, J संजाओ P जाउ, P अविवे गिगो. 20) Pom. अहवा. 21)P'याहिं कामिणीहि कामअजणस्स यत्ति for the whole stanza: परिसं...त्ति ॥ 22) Pचिंतियं', जंतए एयं, I om. तुइ, P कोव ओवा', Pदेवाय'. 24)J some marginal addition of missing words, P'सत्तणं च अन्नाई. 26) Pom. णाह, पेच्छ, P नंतर. 27) जोयणी P जोयणो, P वि न तुह. 28) Pमहाराउ, Pom. च, P om. वरं. 29) पसिय, P भाइणीप, गणिअडिआ, P निवडिया, P om. से, P जुवयले. 30) डण्डेहिं P दंडे हिं, P भयासिह, करिम्भार, Pउक्खुवि'. वा, पण रावित्ति. 8 नालालीलं, कि दर, विमललवणहः कोपा अइप, इस Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ३३] १३ 1 आरोविया वामम्मि ऊरुयम्मि । तओ ससज्दास - सउकंप- लज्जावणय-वयण-कमला भणिया राइणा । 'पिए, जं तुमं भैणसि 1 तं मए अवस्सं कायब्वं । तेण विमुंच बिसायं, मा कुणसु भद्धिहं, णिग्भच्छेहि सोगं, परिहरसु संतावं, मज्जसु जहिच्छिर्य, ॐ भुज भोवणं ति । 8 0 कुवलयमाला ६ ३२) सव्वहा जइ वि पिए, गिसियासि-प-वारा-गलत-रुद्दिर-लय-हिमिहिमायतं । तिनयण-पुरो हुणिऊण पियय-मंसं भुव-फलिहा ॥ जइ वितिसूल - विडिय महिसोवरि णिमिय- चारु-चलणाए । कच्चाइणीऍ पुरओ सीसेण बलिं पि दाऊण ॥ जइ विदर-द-मालुस-परिस-यस-किलकित-येगाले गंतुं महा-मसाणे चिके महामंसे ॥ बसंत - बहल - परिमल- फुरंत - सिर-सयल - मिसिमिसायंतं । धरिऊण गुग्गुलं सुयणु जइ वि साहेमि भत्तीए ॥ णियय - बहु-रुहिर- विच्छड-तप्पणा तुट्ठ-भूय-सुर-संघं । आराहिउं फुडं चिय रोद्दं जइ माइ- सत्यं पि ॥ इय सुयणु तुज्झ कज्जे पत्थेऊणं पुरंदरं जइ वि । तह वि भए कायब्बो तुज्झं पिय-पुत्तओ एको' ॥ इय णरवइणा भणियं सोऊणं हरिस ब्भिरा देवी । भणिउं 'महा-पसाओ' ति णिवडिया चलण-जुवलम्भि ॥ 12 ३३) तओ समुट्ठिओ राया आसणाओ देवी य । कय-मज्जण भोयणा य संवृत्ता । णरवइणा वि आइट्टा मंतिणो 12 'सिग्यमागच्छद्' ति आएसावरं भागया उबट्टा उबविट्ठा जहारसु नासणेसु सुहासणत्या व भगिया व राइणा 'भो हो सुर-गुरु-पमुद्दा मंतिणो, अज्ज एरिसो एरिसो य वृत्ततो' । देवीए कोव कारणं अत्तणो पइज्जारुणं सव्वं साहियं । 'तभो 15 एयम्मि एरिसे वृत्तंते किं करणीयं ति मंतिऊण साहह तुब्भे किं कीरउ' त्ति । तओ मंतीहिं भणियं 'देव, तण-मेतं पिव कजं गिरि-वर- सरिसं असत्तिमंताणं । होइ गिरी वि तण-समो अहिओय-सककसे पुरिसे ॥ तेण देव, जंतए चिंतिये 18 तं कुवि-कण विहु अण्णहा णेय तीरए काउं । कुविभो वि जंबुभ कुणइ किं व भण तस्स केसरिणो ॥ भण्णइ य देव, जाव य ण देति हिययं पुरिसा कज्जाइँ ताव विहडंति । अह दिण्णं चिय हियवं गुरुं पि कज्ज परिसमत्तं ॥ 21 तभो देव, जं तए चिंतियं तं तह चेय । सुंदरो एस एरिसो देवस्स अज्झवसाओ । जेण भणियं किर रिसीहिं लोय सत्येसु 21 'अस्स गई गन्धि' ति अण्णं च देव, सम्बाई किर कमाई पि-पिंड पाणियाणानि विणा पुलेण न संपदंति पुरिसहा महा-मंदर सिद्दशेयरि-परूढ-तुंग-महावंसो विष उम्मूडियालेस तर तमाङ-साथ-माप-का सा 24 मारुएण विय रिवुयणेण राय-वंसो बहूहिं णाणुण्णामण- वियत्थणाहिं उम्मूलिजद्द, जइ ण पुत्तो दृढ-मूल- बंधण-सरिसो हवइ 24 ति । भण्णइ य । 15 जस्स किर णत्थि पुतो विज्जा- विक्रम-धणस्स पुरिसस्स । सो तह कुसुम-पसिद्धो फल-रहिओ पायओ चेव ॥ 27 ता देव, सुंदरी एस देवस्स परक्रमों, किंतु किंचि विष्णवेमि देवं चिद्वंतु एए ससिसेहर- सामि महामास विरूप- कच्चापणी- 27 समाराहण-मुदा पान-संसय कारिणो उवाया। भन्थि देवस्स महाराय-यस-प्यसूया पुच्च पुरिस-संज्क्षा रायसरी भगव कुल- देवया । तं समाराहिउं पुत्त- वरं पत्थेसु'त्ति । तभो राइणा भणियं 'साहु, हो विमल-बुद्धि साहु, सुंदरं संलत्तं ति । 30 जैन भन्द 80 18 4) J (1) P वामयं मि, सेडकंप. 2 ) J अवस्स, P व्वं ति !, P अधिइं, णिग्भत्थे हि P निम्भच्छेहिं, P सोयं, P जहिच्छं. P दिएन वि5) मच्छिमार्तवंत पुरओम दासगं नियमासमा (1) कलिया 6 ) P निवाडिय, यिय. 7 J वेयालो. 8) Pफुहंत, J सिहर, P - सिमिसिमायतं, P सुयलणु, P वि वामंमि भित्तीए. 9) P नियबाहु, J विच्छडंत, P "हियं, P माणसत्थं- 10 ) कए । for कज्जे 11 ) P जुयलंमि. 12 ) P भोयणो, Pom. य, P “बुत्तो।. 13 ) P गच्छं ति । Pom. उवइट्ठा, P सहास 14 ) P भो for हो, P प्पमुद्दा, P -अज्जरि एरिसो दु, P पइण्णारु Pom. सवं. 15 ) Jom. तुम्भे, P देवा. 16 ) P gives here the verse जाव परिसमत्तं instead of तणमेतं... पुरिसे, Pतिवन्नाणं, होंति गि, P व for वि, P तणसोमो, सहिउब्वस P अहिओगस, P पुरिसो. 17 ) P तओ for वेण. 18) Pom. हु, J अणहा, जंबुओं किं कुणइ किं व भणह, P च for व, om. तस्स P तंसि. 20 ) Phas here the ताई वि. 21 ) P एसो, Pom. एरिसो, J पिति पिई, डंति त्ति पुरि. 23 ) ‍ रिवुअणेण P रिवुजणेणा, P 27 ) P सेण for देव, 28 ) P मारहण, J, ****** verse तणमेत्तं......पुरिसे ॥ instead of जाव.. .. परिसमत्तं ", P य नादंति, "सज्झबसाओ, P सत्येसु जहा अ. 22 ) 3 देव किर सव्वाई कज्जाई, सिहरोअरोअरिपढमतुंग, P रोयरप, वि for विय, P तमालमाल, P पेलय, J कालप्पय 24) नामुनामण, P वियङ्कणाहि, Pom. ण, उ गूढ for मूल. 26 ) P समिद्धो for पसिद्धो, P पावयं चैवसुंदरी देवस्स एस पर, एससिसिर ( some corretion seen ), P सामिहामंस, विकयं कच्चाणि om. [पमुहा, भगवश 29 ) P राहिय, P भणिओयं, om. साहु ( second ). J -.. . Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया पुण्य-पुरिसाचरिये कम्ममादियं दवइ होए। पुत्रेण वि काय तं चिय एसो जणे नियमो ॥ अण्णं च सयल-तेलोक-गरिंद-चंद्र- पत्थणिज्ज-दरिसणाए भगवईए रायसिरीए दंसणं पि दुलहं, अच्छड ता वरो ति । दंसणेण 3 चेय तीए सव्वं सुंदरं होहि' त्ति भणिऊण समुट्ठिओ राया महासणाओ मंतियणो य । 1 15 * ३४) अह अण्णम्मि पूस - णक्खत्त जुत्ते भूय- दियहे असेस-तिय- चउक्क चच्चर - सिंघाडग-सिवाणं खंद-रुंद-गोविंद-चंदतियसिंद-गईद-गाईदारविंदणाहाणं तहा जक्ख- रक्खस-भूय-पिसाय- किंगर- किंपुरिस-महोरगाईण देवाणं बलिं दाऊण 6 तहा चरग-परिवायय-भिक्खभोय- णिग्गंथ-सक तावसाईणं दाउ जहारुहं भत्त-पाण-नियंसणाईयं, तहा दुग्गय-दुक्खिय-पंथ- 6 कप्पडियादीणं मणोरहे पूरिऊणं, तहा सुणय-सउण- कायल-प्पमुहे पुण्ण-मुहे काऊण, आयंत सुइ-भूओ धोय धवल-दुगुलयपिणो सिय-चंद्र-मण-मालादरो पासट्टिय परिषणोधरिय कुसुम बडि पढलय विहाओ पविट्टो राया देवदर वाथ प 9 जहारिहं पूइऊण देवे देवीओ य, तओ विरइओ मणि- कोमियले चंदण-गोरोयणा दोब्बंकुर-गोर-सिद्धत्थ-सत्थियक्खय- 9 सिय- कुसुमोववार- णिरंतरो परम पवितेहिं कुसुमेहिं सत्यरो ति तो पेसियासेस-परिषणो राया जिसण्णो कुस- सत्यरे, सिमिण व कमल-मल-कोमलेहिं अणवस्य महाधणु-जैव-समायण-किक कटिनिएहिं करेहिं अंजलि काउण इमे 12 भु-कुलये पटिउमारदो । 1 12 ३५) जय महुमहच्छत्थल- दारंदोलिर-सत- दुद्धलिए जय कोल्बुद-रयण-विसहमाण- फुड-किरण-विच्छुरिए ॥ जय खीरोय-महो वहि-तरंग-रंगत-धवल-तणु-वसणे । जय कमलायर - महुयर-रणत-कल- कणिर-कंचिल्ल ॥ जय म्याग-निवासिणि णरणाह-सहरस-वच्छ दुखलिए जय कोमल-कर-पंप-गंधाद्रिय-भत-भमरउले ॥ देवि सुसु वयणं कमला लच्छी सिरी हिरी कित्ती । तं चिय रिद्धी णेव्वाणी णिव्वुइ संपया तं सि ॥ ता दायन्त्रं मह दंसणं ति अतरे तिरस्स अहया पडिन्छिन् सी महमंदगाम ॥ -18 त्ति भणिऊण य अवणउत्तिमंगेणं कओ से पणामो । काऊण य णिवण्णो कुस- सत्थरे, ठिभो य रायसिरीए चेय गुण-गण- 18 वाद-हिजो एकमहोरचं इयं जाव तयं पि तद्दय-दिवडे व राहणा श्रदिष्णदंसणामरिस-वस-विलसमाण-करिणकुबिल-भुमया-पुर्ण नावड- मिटडि-भंगुर - भीम-वयणेणं सहिय-विहारिणी-कमल-दल- कोमल-काल-छलियो 21 कवलिओ दीहर-कसिण-कुडिल-कंत-कतल-कलावो, गहियं च पउर-वरि-करि-कुंभ-मुत्ताहलद्दलणं दाहिण-हत्थेण खग्ग-रयणं । 21 भणियं च 'किं बहुणा जड़ सग्गे पायाले अहवा खीरोयदिग्मि कमल-बजे देवि पच्चिसु एवं मह सीसे मैदानो' ॥ श 30 [8 ३३ 24 सि भणिण समुरिसिभ वियय-संधराभोए पहारो ताव व दा-दा-रव- सद्-गभिर्ण कार्ड मित्रो से दाहिणो भुषाको 194 उष्णामिय- वयणेण नियच्छियं राइणा, जाव पेच्छइ चयण-मियंको हामिय-कमलं कमल- सरिच्छ सुपिंजर-थणये । थणय-भरेण सुणामय-ममश-सुराय सुपिहुल-नियं ॥ पिडुल-नियंत्र-समंधर-करं करु-भरेण सुसोहिय-गमणं । गमण- विराविय-उर-कडयं णेउर कढय सुसोहिय-चलणं ॥ ति । भवि य । भसलालि-मुहल-हलबोल-वाउलिजंत-केसरुप्पीले । कमलम्मि पेसियच्छि लच्छी अद्द पेच्छइ णरिंदो || वहूग य अवणउत्तमंगेण कओ से पणामो । 3 15 97 J 1)साणच, Pमंणदियं सहर, P य for वि, P जणो. 2 ) P - तरलोक, P चंद्र, Pom. भगवईए, P वावारो for ता वरो, P णेणं तीए चैव सब्वं 3 ) P होहिइ त्ति, P समुवट्टिओ, ए सीहा' for महा 4 ) P अन्नंमि दियहे पू, P दियहो, P चच्चरे, P खंड, Jom. चंद. 5 ) J गईदारविं भूत for भूय, P देव्वाणं, P दाऊणं. 6 ) P चरयपरिव्वाय भिक्खु, P पाणं, P दुग्ग- 7 ) P °डियाणं, J सुणया, P कायप्प, P परितुट्ठे for पुण्णमुद्दे, सुबीहोउं, दुग्गुलय- P दुगुलनि 8) P हरणो, पास परिअणधरिअ, Jom. य. 9 ) Pom. देवे, P थिरईओ, P गोरोयणो, P व्वंकुरु, P सिद्धसस्थियकय सिय. 10 Jपेसिओ परिक्षणो, P य राया, कुसुम for कुस 11 महाकड्ढण, किणकढि, Jom करेहिं. 13 ) P वत्थल, P -लुलंत, P किरण repeated 14 ) P महोयहि, P -रुणंत 15 )P नाहस्स. 16 ) P कमलच्छी सिरिहिरी तहा कित्ती, णिष्वाणि निव्वुई. 18 ) P भाणिऊण, Pom. य, P निसण्णो, P सत्थरो, Pom. य, सिरी तीए, P चेवागुण. 19 > P तह for तश्य, ग्राइणो, P नरिस for मरिस, रस for रिस. 20) भंगुरु, सिणि, P लाणिद्दण. 21) कवलीओ, P *इलण. 23 ) P सग्गो 25 ) P य नियच्छियं, " जा for जाव 26 ) P मिणयंको ं, P सर्पिजर• 28 ) P सुमंथरकरं. भमरालि, रुप्पीलो 31 J P 24 ) Pom. काउं. 29)P विराश्य 30) अवणवुत्त 30 . Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ६३८] कुवलयमाला । ६३६) भणियं च रायलच्छीए 'भो भो गरिंद, अणेय-पडिवक्ख-संदणुद्दलण-पउर-रिउ-सुंदरी-वंद्र-वेहव्व-दाण-दक्खं । कीस एयं तए खग्ग-रयणं जयसिरि-कोमल-भुय-लयालिंगण-फरिस-सुह-दुल्ललिए णिय-खंधराभोए आयासिज्जद'। तओ णरवइणा भणियं 'देवि, जेण तिरत्तं मम णिरसणस्स तह वि दसणं ण देसि' त्ति । तओ ईसि-वियसिय-सिय-दसण-किरण- 3 विभिजताहर-रायं भणियं रायसिरीए 'अहो महाराय दढवम्म, तिरत्तेणं चिय एस एरिसो तवस्सी असहणो संवुत्तो'। भणियं च राइणा 'देवि, 8 मण्णइ हु तण-समार्ण पि परिभवं मेरु-मंदर-सरिच्छं । को वि जणो माण-धणो अवरो अवरो चिय वराओ'। तओ भणिय रायलच्छीए 'सव्वहा भणसु मए किं कजं' ति । राइणा भणियं 'देवि, सव-कलागम-णिलओ रज-धुरा-धरण-धोरिओ धवलो । णिय-कुल-माणक्खंभो दिजउ मह पुत्तओ एको' तओ सपरिहास सिरीए संलत्तं । 'महाराय, किं कोइ मम समप्पिओ तए पुत्तओ जेणेवं मं पत्थेसि' । भणियं च राइणा 'ण १ समप्पिओ, णिययं चेय देसु' त्ति । लच्छीए भणियं 'कुओ मे पुत्तओ' त्ति । तओ राइणा ईसि हसिऊण भणियं 'देवि, भरह-सगर-माहव-णल-णहुस-मंधाइ-दिलीम-प्पमुह-सव्व-धरा मंडल-पत्थिव-सत्थ-वित्थय-वच्छत्थलाभोय-पलंक-सुह12 सेज्जा-सोविरीए तुह एक्को वि पुत्तो पत्थि' ति । संलत्तं सिरीए 'महाराय, कओ परिहासो। 12 रूएण जो अणंगो दाणे धणओ रणम्मि सुरणाहो । पिहु-वच्छो मह वयणेण तुज्झ एको सुओ होउ' । त्ति भणिऊण असणं गया देवी। 15६३७) णरवई वि लद्ध-रायसिरी-वर-प्पसाओ णिग्गओ देवहरयाओ । तओ व्हाय-सुइ-भूओ महिऊण सुर-संघ, पण-16 मिऊण गुरुयण, दक्खिऊण विप्पयणं, संमाणिऊण पणइयण, सुमरिऊण परियणं, के पि पणामेणं, के पि पूयाए, कं पि विणएणं, के पि भाणेणं, के पि दाणेणं, के पि समालिंगणेणं, के पि वायाए, के पि दिट्टीए, सव्वं पहरिस- णिभरं सुमुहं काऊण 18 णिसण्णो भोयण-मंडवे। तत्थ जहाभिरुह्यं च भोयणं भोत्तण आयंत-सुइ-भूओ णिग्गओ अभंतरोवत्थाण-मंडवं । तत्थ 18 य वाहिता मंतिणो । समागया कय-पणामा य उवविट्ठा भासणेसुं । साहिओ य जहावत्तो सयलो सिरीए समुल्लावो। तमओ भणियं मंतीहिं 'देव, साहियं चेय अम्हेहिं, जहा 1 जावय ण देति हिययं पुरिसा कजाई ताव विहदंति । मह दिण्ण चिय हिययं गुरुं पि कज्ज परिसमत्तं ॥ तं सव्वहा होउ जं रायसिरीए संलत्त' ति। ३८) तओ समुडिओ राया । गओ पियंगुसामाए मंदिरं । दिवा य देवी णियम-परिदुब्बलंगी । अब्भुटिऊण दिण्ण सण, उवविठ्ठो राया। साहियं च राइणा सिरि-वर-प्पयाणं । तओ पहरिस-णिज्भराए भणियं च देवीए 'महापसाओ' ति | 24 तओ समाइटै वद्धावणयं । जाओ य जयरे महुसवो । एवंविह-खज-पेज-मणोहरो छणमओ विय बोलीणो सो दियहो । तावय, कुंकुम-रसारुणंगो अह कत्थ वि पत्थिमो त्ति जाउं जे । संझा-दूई राईएँ पेसिया सूर-मग्गेणं ॥ 7 णिचे पसारिय-करो सूरो अणुराय-णिभरा संझा । इय चिंतिऊण राई अणुमग्गेणेव संपत्ता ॥ संझाएँ समासत्तं रत्तं दट्टण कमल-वण-णाहं । वहइ गुरु मच्छरेण व सामायंत मुहं रयणी ॥ पञ्चक्ख-विलय-दसण-गुरु कोवायाव-जाय-संतावे । दीसंति सेय-बिंदु ब्व तारया रयणि-देहम्मि ॥ 1) P -महलुइलण, P चंद्रलेहब्व. 2) " जयसिरी, P लुय for भुय, फरस, P om. सुह, नियकंधरा : 3) P जेणं, Pom. मम, P तहा वि, P विदसियदसण. 4) विहिज्जंता', Pom. राय, P दढधम तिरत्तेरणं चिय परिसो त सि असहणो जाओ। 6)य for हु, तणय-, P जीवियं for परिभवं, P मंदिर. 7) Pदेवि सुणसु सम्ब. 8) P-धारिओ, P मह पोत्तओ. 9) P कोवि, P तओ for तप, J मर्म for i. 10) चेव, P पुत्तिउ, विहसिऊण. 11) महवि for माइव, I मंधाई Pमंधाय, P दिलीपपमुह. 12) P सेज्जो, P तु for Tr, P om. त्ति, 'हासो। अहवा. 13)P रूवेण, दाणेण धणउरमि, Pवच्छ मज्झव, होहि. 15)P सिरि-. 16)Pकिं for कं (throughout). 17) Jom. के (P किं) पि दाणेणं. 17)P-निम्भरसमुहं काऊण. 180P जहारुहंच भुत्तण भोयण, सुभूई. 19) तत्थ वाहराविता, Pय आसीणा आसणेसु, साहियं च जहावित्त, Pom. सयलो, P सिरिए, सहमलावो. 20) Pom. देव, P चहि Ior चय. 21) P नंदेति, P विय for चिय. 22) ता for , Jon. दि. 23)P समुवट्ठिओ. 25) Pच्छणमओ विय26) I 'रसायणगो 'रसारुणंगे, भकत्थव प, माउं tor णार्ड, P पिसिया सूरि- 27) राई श्यमग्गेणं व. 280 संझासमोसरतं, मुहं for मुई. 29) विलियः, यास जायसंतावा. Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ उज्जोयणसूरिविरइया [९३८ 1 उत्तार-तारयाए विलुलिय-तम-णियर-कसिण-केसीए । चंद-कर-धवल-दसणं राईऍ समच्छरं हसियं ॥ पुन्व-दिसाएँ सहीय व दिण्णा णव-चंद-चंदण-णिडाली । रवि-विरह-जलण-संतावियम्मि वयणम्मि रयणीए ॥ ३ ससियरपंडर-देहा कोसिय-हुंकार-राव-णिस्थामा । अह झिजिउं पयत्ता रएण राई विणा रविणा ॥ अरुणारुण-पीउहिँ आयंबिर-तारयं सुरय-झीणं । द?ण पुव्व-संझं राई रोसेण व विलीणा ॥ इय राई-रवि-संझा-तिण्हं पि हु पेच्छिउं इमं चरियं । पल्हस्थ-दुद्ध-धवलं अह हसियं दियह-लच्छीए॥ ६३९) तओ एयम्मि एरिसे अवसरे धोव-धवल-पडच्छाइए सुवित्थिपणे पल्लंके पसुत्ता दुद्ध-धवल-जल-तरल-कलोल- . माला-पव्वालिए खीरोय-सायरुच्छंगे व्व लच्छी पियंगुसामा देवी सुविणं पेच्छह । तं च केरिसं । जोण्हा-पवाह-णीरोरु-पूर-पसरत-भरिय-दिसियकं । पेच्छइ कुमुयाणंदं सयलं पि कलंक-परिहीणं॥ . मह बहल-परिमलायड्डियालि-हलबोल-णिन्भर-दिसाए । कुवलयमालाएँ दढं अवगूढं चंदिमा-णाई ॥ तमो जावय इमं पेच्छइ तावय पहय-पडु-पडह-पडिरव-संखुद्ध-विउद्ध-मंदिरुजाण-वावी-कलहंस-कंठ-कलयलाराव-रविजतसविसेस-सुइ-सुहेणं पडिबुद्धा देवी । पाहाउय-मंगल-सूर-रवेणं पडिबुज्झिऊण य णियय-भावाणुसरिस-सुमिण-दसण-सवस-पहरिसुच्छलंत-रोमंच-कंचुन्वहण-पहाए देवीए भागंतूण विणओणय-उत्तमंगाए साहियं महाराइणो जहा-दिहँ महा-12 सुविणयं ति । तओ राया वि हियय-ट्ठिय-संवयंत-देवी-वर-प्पसाओ अमय-महासमुद्दे विय मजमाणो इमं भणिउमाढत्तो। 'पिए, जो सो रायसिरीए भयवईए तुह दिण्णो पुत्त-वरो सो अज पूर्ण तुह उदरत्थो जाओ' त्ति । तओ देवीए संलतं । 15'महाराय, देवयाणं अणुग्गहेणं लच्छीए वर-प्पसाएणं गहाणं साणुकूलत्तणेणं गुरुयण-आसीसाए तुह य प्पभावेणं एवं चेय16 एवं इच्छियं मए पडिच्छियं मए अणुमयं मए पसाओ महं' ति भणमाणी णिवडिया राहणो चलण-जुयलए त्ति। ४०) तओ राया कयावस्सय-करणीओ महिऊण सुर-संघं दक्खिऊण य दक्खिणिज्जे पूइऊण पूणिज्जे संमाणिऊण 18 संमाणणिजे वंदिऊण वंदणिजे णिकतो बाहिरोवत्थाण-भूमि, णिसण्णो तविय-तवणिज-रयण-विणिम्मविए महरिहे सीहासणे।18 भासीणस्स य आगया सुर-गुरु-सरिसा मंतिणो, उवविट्ठा कण्ण-णरिंदस्स व महाणारंदा, पणमंति दुग्गइय-सरिसा महावीरा, उग्गाहेति भाऊ-सत्थं धर्णतरि-समा महावेजा, सस्थिकारेंति चउवयण-समा महाभणा, सुहासणस्था वास-महरिसि-समा महाकइणो, विष्णवेति छम्मुह-समा महासेणावइणो, पविसंति सुक्क सरिसा महापुरोहिया । णिय-कम्म-चावडाओ अवहसिय-21 सुर सुंदरी-वंद्र-लायण्णाओ वारविलासिणीओ त्ति । केएत्थ पायय-पाढया, केइत्य सक्कय-पाढया, अपणे अवब्भंस-जाणिणो, अण्णे भारह-सत्थ-पत्तट्ठा, अण्णे विसाहिल-मय-णिउणा, अण्णे इस्सत्थ-सत्थ-पाढया, अण्णे फरावेड-उवज्झाया, अण्णे 24छुरिया-पवेस-पविठ्ठा, अवरे बाणय-सत्ति-चक्क-भिंडिमाल-पास-जुद्ध-णिउणा, अण्णे पत्त-छेज-पत्तट्टा, अण्णे चित्तयम्म-कुसला,24 मण्णे हय-लक्षण-जाणिणो, अण्णे गय-लक्खणण्णू , अण्णे मंतिणो, अण्णे धाउ-वाइणो, अण्णे जोइसिणो, अण्णे उण सउण सत्थ-पाढया, अण्णे सुविणय-वियाणया, अण्णे णेमित्तिय त्ति । अवि य । 27 सा णत्यि कला तं गत्थि कोउय तं च णथि विण्णाणं । जं हो तत्थ ण दीसइ मिलिए अस्थाणियामज्झे । ४१) तो तम्मि एरिसे वासव-सभा-संणिहे मिलिए महत्थाणि-मंडले भणियं राइणा । 'भो भो मंतिणो, मज़ एरिसो एरिसो य सुविणो देवीए दिट्ठो पच्छिम-जामे, ता एयस्स किं पुण फलं' ति। तओ भणिय सुविण-सत्थ-पाढएहिं। 30'देव, एवं सुविणय-सस्थेसु पढिजइ जहा किर महा-पुरिस-जणणीओ ससि-सूर-वसह-सीह-गय-प्पमुहे सुमिणे पेच्छति,30 27 1) P विलुलिसयः, चंद्र थंद, P -दसण. 2) Pसहियं व, चिर for रवि. 3) पंडुर, P णिच्छामा. 4)P पाणोटिं आयंचिर, संझा P संज्झं, P रोसेण वोलीणो. 5) Pउ for हु, P -हच्छीए [-इत्थीए१]. 6) P धोर-, । पडवच्छाइइए, P सुविच्छिण्ण'. 7) P सुमिणं. 8) P-खीरोरु, P सयणं पि. 9) P अइ for अह, P अवऊद. 10) जाव इमं, Jom. पहय, P विउद्धसुद्धमंदिरज्जाणो वावि-- 11) पहाओ य ।, P सरस. 12) P कंचउन्वहणरोहाए, P गंतूण विणयावणउत्तमंगाण. 13) हियअष्ट्रियमहासंवयंत वर',P पसाउ त्ति, P मज्जमाणा, I भणिउं समाढत्तो. 14) भगवईए, . अजुत्तणं, P उअरत्थो, P संलत्ति. 15) अणुग्गहोणं लच्छीय वरप्पहाणेणं महणाणं साणु, गुरूणं आ', चेव. 16) मे for मए, पसाओ ति महं, I om. राइणो, जुवलत्ति. 17) Jom. य, दक्खी णिज्जे,P पूणिज्जे. 18) भूमी, तविणिच्छोः , P विणम्मविद महरिह. 19)P नरिंदसमा महा', Pमहा for महावीरा-20)P आउसत्थं, भणो. महारिसि, om. समा. 22) J वंद्रं विंद, Jणीयण्णाओ, P केइय पाइय, P om. के इत्थ सकयपाढया, P अवभंस. 23) भरह, ईसस्थस्थपाढया, I om. अण्णे फरावेडउवज्झाया. 24) कय for बाण, भिडिला. 25) गयलक्खणं अने, Jom. उण. 26) P-बाढया अन्ने सुविणसत्थ, वीणया for विया, नेमित्तय. 27)P हो जत्थ, P अत्थाणमझमि. 28) P सन्निभे, . मंडवे. 29) Jon. य, P "देवीए पच्छिमजामे दिट्ठो, 'पुण हलन्ति, समिण, - om. सत्य. 30) P सुमिणसत्थे. Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ -४४ कुवलयमाला । तेण एयस्स एरिसस्स सयल-चंद-दसणस्स महापुरिस-जम्मं साहेति' त्ति । राइणा भणियं 'देवीए पुत्त-जम्म-फलं सिरीए । चेव साहियं भगवईए । जो पुण सो ससी कुवलयमालाए अवगूढो तं किंचि पुच्छिमो'। तओ भणियं सुमिण-सत्थ-पाढा 3 'देव, तेण एसा वि तुह दुइया धूया भविस्सइ' त्ति । तओ देव-गुरुणा भणियं 'देव, जुज्जइ एयं, जइ कुवलयमाला 3 केवला चेय दीसेज भिण्णा चंदाओ, ता होज इमं । एसा पुण तं चेय मियंकं अवगूहिऊण ठिया, तेण एसा का वि एयस्स राय-पुत्तस्स पुन्ब-जम्म-णेह-पडिबद्धा कुवलयमाला विय सव्व-जण-मणोहरा पिययमा होहि त्ति । तीए चेय 6 समालिगिओ एस दिट्टो' ति। भणियं च राइणा 'एयं संभाविज्जइ'। तो ठिया किंचि कालं विविह-णरिंद-केसरि-6 कला-कलाव-सत्थ-विण्णाण-विजा-कहासुं। समुदिओ राया कय-दियह-वावारो कय-राइ-वावारो य अच्छिउं पयत्तो। ६४२) अह देवी तं चेय दियह घेत्तूण लायण्ण-जल-प्पड्डिया इव कमलिणी अहिययर रेहिउँ पयत्ता । 9 अणुदियह-पवमाण-कला-कलाव-कलंक-परिहीणा विय चंदिमा-शाह-रेहा सव्व-जण-मणोहरा जाया। तहा परिवड्डमाण-दाण-१ दया-दक्खिण्ण-विजा-विण्णाण-विणय-णाणाभिमाणा सुसंमया गुरुयणस्स, पिययमा राइणो, सुपसाया परियणस्स, बहुमया सवत्ति-सत्थस्स, दाण-परा बंधु-वग्गस्स, सुमुहा पउर-जणस्स, अणुकूला साहुयणस्स, विणीया तवस्सीण, साणुकंपा 12 सव्व-पाणि-गणस्स जाव गभं समुव्वहइ ति। अह ती टोहलो सुंदरी' जाओ कमेण चित्तम्मि । जो जं मग्गइ त चिय सम्वं जइ दिजए तस्स ॥ संपुण्ण-दोहला सा पणइयणब्भहिय-दिण्ण-धण-सारा । लद्ध-रह-प्पसरा वि हु सुपुरिस-गब्भं समुव्वहइ ॥ 18 .३) सव्वहा महा-पुरिस-गब्भमुन्वहिउमाढत्ता । कहं । अंतो-णिहित्त-सुपुरिस-मुणाल-धवलुच्छलत-जस-णिवहो । धवलेइ व तीऍ फुडं गब्भ-भरापंडु-गंडयले ॥ मंदर-गिरि-वर-पारुयं तमुव्वतीय भार-खिण्णाए । अलसायंति अलंबिय-मुणाल-मउया. अंगाई ॥ 18 तुंग समुब्भडयरं तीच वहतीय अप्पणो गब्भं । सामायति मुहाई अणिस-हियाण व थणाण ॥ आपूरमाण-ब्भा अणुदियहं जह पवए देवी । तह सरय-जलय-माल व्व रेहए पुण्णयदेण ॥ अह दल-थवणं पि कयं संमाणिजंत-गुरुयणं रम्मं । णच्चिर-विलासिणीयण-जण-णिवहुद्दाम-पूरंतं ॥ 21 भह तिहि-करणम्मि सुहे णक्खत्ते सुंदरम्मि लग्गम्मि । होरासुदू-मुहासु उच्च-स्थाणम्मि गह-चक्के । वियसंत-पंकय-मुहो कुवलय-कलिया-दुरंत-णयण-जुओ। सरय-सिरीए सरो इव जाओ रुइरो वर-कुमारो ॥ ४४) अह तम्मि जाय मेत्ते हरिस-भरिजंत-वयण-कमलाण । अंतेउर-विलयाणं के वावारा पयर्टेति ॥ 24 'हला हला पउमे, विरएसु मरगय-मणि-भित्ति-स्थलुच्छलंत-कसिण-किरण-पडिप्फलंत-बहलंधयार-पत्थार-रेहिरे मणि-पईवय-24 णिहाए । पियसहि पुरंदरदत्ते, सयं चेव किं ण पडियग्गसि सयल-भवण भित्ति-संकेत-कंत-चित्तयम्म-संकुलाओ पोण्णिमायंदरिंछोलि-रेहिराओ मंगल-दप्पण-मालाओ ति । हला हला जयसिरि, किं ण विरएसि सरय-समय-ससि-दोसिणा-मऊहोहा27 मिय-सिय-मादप्पे महाणील-कोट्टिम-तलेसु णलिणी-दलेसु धरल-मुणालिया-णिवहे व्व भूइ-रक्खा-परिहरंतए । पियसहि 27 इंसिए, हंसउल-पक्खावली-पम्ह-मउइयं किं ताण गेण्हसि चामरं । वयं सि सिद्ध थिए, गोर-सिद्धत्थ-करबियाओ दे विरएसु अहिणवक्खय-गंदावत्त-सयवत्त-पत्तलेहाओ। तुम पुण सुहडिए, रिउ-सुहड-करि-वियड-कुंभयड-पाडण-पडं गेण्हसु बालयस्स 30 देवीए य इमं रक्खा-मंडलग्ग' ति । 30 1) तेणेयरस, Pa for चंद, I om. दंसणस्स, साहइ, J om. त्ति, राणो, जम्महलं. 2) P भगवतीए, P अवऊढो P किंपि, सुविमणयपसस्थ. 3) I देवत्तेणं देवत्तण, P तुह दश्या, जुज्जए. 4) दिसेज, P एसा उण, P चेयं, मियंक P मियंका, ट्ठिया. 5)P-उत्तस्स, P मणहरा, P होहिइ त्ति, I writes त्ति twice, P चेव. 6) Pom. Qस, P संभारिज, कंपि for किंचि. 7) P कहासु, Pराईवावारो- 8) Pचेव, P अयवर. 9) परियडमाग. 11) सत्थस्स य दाण, वरा for परा, P समुहा, ' साधुअणस्स. 12) पाणि अणस्स, Jom. त्ति. 13) Fदोहलो, सुंदरीय. 14) संपत्तदो. 'भइय, P पसरा, P सपुरिस. 15) J तहा for महा, कह. 16) जहा (for जस) corrected as मह, तीय, दुगण्डअले P पंडगंढयरे।. 17) Pom. "य, मउआई समउयाई. 18) P अत्तणो, P भूनिय for ऊणिस. 19" P आऊरमाण, P हे देवी, P जलइ.. 20)P फलट्रवणं व कयं सामाणिज्जंत. 21)P सुहो, P भग्गमि, होरासुद्धमहामं उन्भत्थाणमि गहसत्थे. 22) P -फुरंत, P रुहिरो अह कु, I has three letters after कुमारो॥ which look like the Nos. ६ and ३ with छ in the middle. 23) P बहु for के, P पवटृति. 24) Jथलच्छलंतकिरण, J मणिमईवय. 25) P निवहे, पुरंदरयत्ते, J-भुअण, P कंति, चित्तयम्मस्स संकुला. 26) रंछोलि, P जयसिरी, J ससिणामऊोहामियमाहप्प । 27) P -लएसु for तलेसु, I om. णलिणीदलेसु, I मुणालिया इव्व, भूई. 28) हंसीए, P मऊयं, P किन्न for किं ताण, तु सुरदेहा for दे, I has a marginal note in a later hand : किं न विरएसि रक्खापुट्टलियाओ । पाठांतरं. 29) 'खयणंदावत्ता, Jom. सयवत्त, P वियारण for वियड, पदुयं for पडु. Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 12 १८ उज्जोयणसूरिविरहया [६४५६४५) इय जा विलासिणियणो पडिहारीए णिउंजए ठाणे । वद्धाविया सरहसं उद्धावइ ता णरिंदस्स ॥ कह। । रहसुद्दाम-विसंठुल-मणं गमण-खलंत-सुणेउर-चलणं । चलण-चलतुत्तावल-हिययं हियउत्तावल-फुरिय-णियंब ॥ फुरिय-णियंब-सुवजिर-रसणं रसण-विलग्ग-पओहर-सिचयं । सिचय-पडत-सुलज्जिर-वयण वयण-मियंकुज्जोइय-भवणं ॥ ति । अवि य । 8 वित्थय-णियंब-गुरु-भार-मंथरुव्वहण-खेय-सुढिया वि । उद्धावइ णरवइणो विलया वद्धाविया एक्का ॥ ताव य सा संपत्ता णरवणो वास-भवणं । भणियं च णाए 'देव, पियं पियं णिवेएमि सामिणो, सुह-सुहेणं वो देवी संपयं कुमारं पसूय' त्ति । ताव य राइणो पियंवइया-वयण-परितोस-रस-वस-रोमंच-कंचुओग्वहण-समूससंत-भुयासु सविसेसं गाढइए वि समोयारिऊण सयं चेव विलएइ पियंवइयाए कडय-कंठय-कुंडलाइए आहरण-णिहाए । समाइटुं च राइणा वद्धावणयं । । भाएसाणतरं च, पवण-पहय-मीसणुव्वेल्ल-संचल्ल-मच्छ-च्छडाघाय-मिजत-गंभीर-धीरुच्छलंताणुसद्दाभिपूरंत-लोयंत-संखुद्ध-कीलाल-णाहाणुघोस समुद्धाइयं तूर-सई [तहा] 112 पवर-विलय-हत्थ-पम्मुक्कांधुदुरुडुब्वमाणुल्लसंतेण कप्पूर-पूरुच्छलतेण कत्थूरिया-रेणु-राएण संछण्ण-सूरं दिसा-मंडलं तक्खणं चेय तं रेहिरं राइणो मंदिरं । 16 मय-रस-वस-घुम्मिरं णञ्चमाणाण पीण-स्थणाभोग-धोलंत-हाराण तुटुंत-मुत्तावली-तार-मुत्ता-गलंतेक्क-बिंदु व्व लायण्णय 15 ___णञ्चमाणाण विक्खिप्पए कामिणीण तहा । सरहस-विलया-चलंतावडतेहि माणिक्क-सारंतराणेउरेहिं तहा तार-तारं रणतेहि कंची-कलावेहि ता किंकिणी-ताल-माला रवारद्धांधन्व-पूरंत-सई दिसा-मंडलं ॥ अवि य 118 णचंत-विलासिणि-सोहणय मल्हंत-सुखुजय-हासणयं । गिज्जत-सुसुंदर-मणहरय इय जायं तं वद्धावणयं ॥ ६४६) तावय खग्गग्ग-धारा-जलण-जालावली-होमियाई णीसेस-डड्ढाई वइरि-वंस-सुहुमंकुराई ति । तेण णत्यि बंधणं । तह वि विमुक्काई पंजर-सुय-सारिया-सउण-सस्थाई । दिजंति मय-जलोयलिय-बहल-परिमलायड्डियालि-गुंजत-कोव-21 गुलेगुलेताओ वियरंत-महामायंग-मंडलीओ। पणामिति सजल-जलय-गंभीर-सई हेसा-रवहे हसंतीओ इव दरिय-वर-तुरयवंदुर-मालाओ । उवणिजति महासामंताणं गुरु-चक्क-णेमी-घणघणाराव-बहिरिय-दिसिवहाओ हारि-रहवर-णियर-पत्थारीओ। 24 समप्पिजति सेवयाण महापडिहारेहिं गाम-णयर-खेड-कब्बड-पट्टणाणं पत्तलाओ त्ति । भवि य । 24 सो णत्थि जस्स दिजइ लक्खं ऊणं च दिजए णेय । तह णरवइणा दिणं जह गेण्हत च्चिय ण जाया ॥ तह वि दिजंति महामणि-णिहाए, विक्खिप्पिजति थोर-मुत्ताहले, अवमण्णिजंति दुगुल्लय-जुवलए, उज्झिज्जति रल्लय-कवलए, 7 फालिज्जति कोमले णेत्त-पट्टए, णियसिजति चित्त-पडिणिहाए, पक्खिविजंति सुवण्ण-चारिमे, पसाहिज्जति कडय-काँडले, अवहत्थिजति कणय-कलधोय-थाल-संकरे, कणच्छिजति वाम-लोयणद्धंत-कडच्छिएहिं दीणार-गाणा-रूवय-करंबय-कयारुकेर त्ति । अवि य । 30 ते णत्थि ज ण दिजह णूणमभावो ण लब्भए जं च । ण य दिजह ण य लब्भइ एकं चिय गवर दुव्वयणं ॥ णच्चइ णायर-लोओ हीरइ उवरिल्लयं सहरिसाहिं । अण्णोण्ण-बद्ध-राय रायंगणयम्मि विलयाहि ॥ 1) विलासिणीअणो P विलासिणी य लेणो, P पडिहारी निउंजए ठाणे, Pउट्ठावर ता, I om. कहं. 2), 'सुद्धाम P चरण. 3) हिययुत्ता. 4) सल ज्जिर. 5) कुजोविय-- 6) वद्धावइ. 7) य संपत्ता स नर, पियं only once rom. वो. 8) J पसूअत्तत्ति, ग्राइणा, ' 'तोसवसरसरों', P भुयासविसे समाढइए वि समोआयरि. 9) J विलइए Jom. कडयकंठयकुंडलाइए, P-निवहाए. 11) P भीसण्णूवेल्लसंचसमच्छुत्थडा, P भिज्जंतभंगीरवीर'. 13) विलया, प्पमुक्क P -पमुक, 'माणलसंतेण, I om. कत्थूरियारेणुराएण. 14) PRहिरे राइणा- 15) मयवसरस, P नच्चमाणेण, 'भोयघोलत्त. 16) विक्खिप्पइ. 17) P वडन्ना for चलता, सारंतरं, किंकिर्णि, P ताला. 19)"-सुसुंदरुमणुहरयं. 20) P खग्गयधारा, P भोमियाई, दवाई, 'कुराइ वि।. 21) P तहा वि विमुक्कई पंजरि-, ' जलोआलिय, १ कोवगुणेताउ विय मत्तमहा. 22) जलयर-, P सहसारवहसंतीओ. 23) Pउवणिज्जत. 24)P पडिहारिहिं गामानयर. 25) ? जहा, ' गेण्हते. 26) P विक्खिप्पंति, P कंबलय. 27) कोमल, P नेत्तवट्टए तियसिजति, P चित्तवडि', सुवर्णवारिमे28) कणयकणाहायथालसकारे, रुक्केरोत्ति P-क्यारुकेवंति. 30) P जिज्जइ, 'मभावे, एकच्चिय, नवरि. Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -$४८] कुवलयमाला ६४७) जावय एस वुत्ततो तावय राइणा सदादिओ सिद्धत्थ-संवच्छरिओ। आएसाणतरं च समागओ धवल-जुवलय- 1 णियंसणो वंदिय-सिद्धत्थ-रोयणा-रेहिर-मुह-मियको हरियाल-हरिय-(हरियाले फुडं दुव्वंकुरं)पवित्तुत्तमंगो। आगंतण य उण्णा3 मिय-दाहिण-करयलेणं सत्थिकारिओ राया, वद्धाविओ पुत्त-जम्मब्भुदएणं। उवविटो य परियणोवणीए आसणे ति। तभो । भणियं राइणा 'भो भो महासंवच्छर, साह कुमारस्स जम्म-गक्खत्तस्स गहाणं दिहि' ति। संवच्छरेण भणियं देव, जहाणवेसि त्ति, णिसुणेसु संवच्छरो एस आणंदो, उदू सरय-समओ, मासो कत्तिओ, तिही विजया, वारो बुहस्स, णक्खत्तं हत्थो, 6 रासी कण्णो, सुकम्मो जोगो, सोम-गह-णिरिक्खियं लग्गं, उच्च-ट्ठाण-ट्टिया सब्वे वि गहा। उढ-मुहा होरा, एक्कारस-ठाण-ट्ठिया । सुहयरा पाव-गहय त्ति । अवि य । गह-रासि-गुणम्मि सुहे जाओ एयम्मि एरिसे जेण । होइ कुमारो चक्की चक्कि-समो वा य राय' ति ॥ ४८) अह णरवइणा भणिय 'अहो महासंवच्छर, काओ रासीओ के वा रासि-गुण ति, ज भणसि एरिसे रासि-. गुणम्मि जाओ कुमारो' त्ति । भणियं संवच्छरेणं 'देव, रासीओ तं जहा । मेसो विसो मिहुणो कक्कडो सिंघो कण्णो तुलो विच्छिओ धणू मगरो कुंभो मीणो त्ति । एयाओ रासीओ, संपर्य एयासु जायस्स गुणे पुरिसस्स महिलाए वा णिसामेह । 12 मेसस्स ता वदंते। 12 णिच्च जो रोग-भागी गरवइ-सयणे पूइओ चक्खु-लोलो, धम्मत्थे उज्जमतो सहियण-वलिओ ऊरु-जंघो कयण्णू । सूरो जो चंड-कम्मे पुणरवि मउओ वल्लहो कामिणीणं, जेट्टो सो भाउयाणं जल-णिचय-महा-भीरुओ मेस-जाओ ॥ 16 अट्ठारस-पणुवीसो चुक्को सो कह वि मरइ सय-वरिसो। अंगार-चोदसीए कित्तिय तह अड्ड-रत्तम्मि ॥१॥ 16 भोगी अत्थस्स दाया पिहुल-गल-महा-गंड-वासो सुमित्तो, दक्खो सच्चो सुई जो सललिय-गमणो दुट्ट-पुत्तो कलत्तो । तेयंसी भिच्च-जुत्तो पर-जुवइ-महाराग-रत्तो गुरूणं, गंडे खंधे व्व चिहं कुजण-जण-पिओ कंठ-रोगी विसम्मि । 18 चुक्को चउप्पयाओ पणुवीसो मरह सो सयं पत्तो । मग्गसिर-पहर-सेसे बुह-रोहिणि पुण्ण-खेत्तम्मि ॥२॥ मिटण्णू चक्खु-लोलो पडिवयण-सहो मेहुणासत्त-चित्तो, कारुण्णो कण्ण-वाही जण-णयण-हरो मज्झिमो कित्ति-भागी। गंधब्वे णट्ट-जुत्तो जुवइ-जण-कए भट्ठ-छाओ धणड्डो, गोरो जो दीहरंगो गुण-सय-कलिओ मेहुणे रासि-जाओ। A जइ किर जलस्स चुक्कइ सोलस-वरिसो मरेज्ज सो ऽसीती । पोसे मिगसिर-वारे बुहम्मि जलगे जले वा वि ॥३॥ १ रोगी सीसे सुबुद्धी धण-कणग-जुओ कज्ज-सारो कयण्णू, सूरो धम्मेण जुत्तो विबुह-गुरु-जणे भत्तिमंतो किसंगो। जो बालो दुक्ख-भागी पवसण-मणसो भिच्च-कज्जेहि जुत्तो, खिप्पं-कोवी सधम्मो उदय-ससि-समो मित्तवतो चउत्थे । जइ कह वि वीसओ सो चुक्का पडणस्स जियइ सो ऽसीती । पोसे मिगसिर-सुके राईए अड्ड-जामम्मि ॥ ४॥ माण-माणी सुखती गुरुयण-विणओ मज्ज-मास-प्पिओ य, देसादेसं भमंतो वसण-परिगओ सीय-भीरू किवालू । खिप्पं-कोबी सुपुत्तो जणणि-जण-पिओ पायडो सव्वलोए, सिंघे जाओ मणूसो सुर-गिरि-सरिसो गाण-विज्जाण पुज्जो ॥ 7 जइ जीवह पंचासो मरह वसंते सएण वरिसाणं । णक्खत्तम्मि मघासुं सणिच्छरे पुण्ण-खेत्तम्मि ॥५॥ धम्मिट्ठो वुड्ड-भावे धण-कणग-जुओ सव्व-लोयस्स इट्ठो, गंधब्वे कव्व गट्टे वसण-परिगओ कामिणी-चित्त-चोरो। दाया दक्खो कवी जो पमय-जण-कए छाय-भंसेण जुत्तो, इट्ठो देवाण पुज्जो पवसण-मणसो कण्ण-जाओ मणूसो॥ 30 सस्थ-जलाणं चुक्को तीसइ वरिसो जिएज्ज सो ऽसीती । मूलेणं वइसाहे बुह-चित्ता-पुण्ण-खेत्तम्मि ॥६॥ 30 तो देव, एरिस-गुण-जुत्तो रायउत्तो । एसो ण केणइ पाव-हेण णिरिक्खिओ, तेण जहा-भणिय रासि-गुण-वित्थरं पावइ । जेण सुह-गुण-णिरिक्खिओ तेण अच्चंत-सुह-फलोदमो भवइ' ति। 1) Pom. सिद्धत्थ, I om. च, आगओ P समागतो, P धोयधवलंसुय- for धवल etc. 2) वंदिया, P सिद्धरोवणा, Jहरिताल हरिआले फुडं दुग्वंकुरं । अवित्तुत्त P हरियालहरियहरियालिया फुडं कुरु पवित्तत्त', P एन्नामिय. 3) वणिए. 4) P जहाणवसे त्ति. 5) Fसंवत्सरो, १ उऊ, P कत्तिगोत्तिही, P बुद्धवारो for बुहस्स. 6) सुकम्मो, निरक्खिय, सन्वगहा, P-हाण. 7) P-गह ति. 8) चक्कीममो जहा राय, महाराय for राय. 10) Pसंवत्सरेण. 11) विच्छिओ, त्ति । अवि य । एसो उ रासीओ 12P जा for ता. 13)P धम्मात्थि सहिण यवलिओ P महिणवचलिओ. 14) कम्मो, P जो for सो. 15) ॥ छ । ॥१॥. 16) P लद्ध for दुट्ठ. 17) P तेजस्सी, P जुयइ, I कण्णे खद्धे व for गंडे eto., विध for चिण्डं. 19) मिट्टण्णो, मेहुणासत्तु-, P नयणधरो. 20) I कूए for जुत्तो, P भट्टः, I च्छाओ. 21) जम्मस्स, JP सो सीतो (अवग्रह is put here because I puts it once below), P मियसिर. 22) P कणयः, P मत्तिवंतो. 23) P निच्च for खिप्पं, Pसुधम्मो. 24) Pकिर जम्मरस for कह विधीसओ सो., P पडमेस्स, P सो सीति ।, P पत्तो for पोसे. 25) मांस, P परिगतो. 26) Pसिंहो जाओ, गिरिसुरा नामघेजण for णाणविजाण. 27" वसंतोसतेण. 29)J दक्खेकविज्जो, च्छायभंसेण, P मणुस्सो. 30) Jजएज्ज सोऽसीती (note Juses अवग्रह here) P सोसीई, I वेसाहे, P वुइचिंता. 31) Pगुणो for गुणजुत्तो, I om. रायउत्तो, P निरक्खिरओ, य for जहा, 'रासी ३२) निरक्खिओ, P हवउ for भवइ. Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरहया [६४९६४९) भणियं च राइणा 'अह केण एस एरिसो गुण-वित्थरो भणिओ' त्ति । भणियं च संवच्छरिएण 'देव, आसि 1 किर को वि सव्वण्णू भगवं दिव्व-गाणी, तेण एवं सुसिस्साणं साहियं तेहि वि अण्णेसिं ताव, जाव वंगाल-रिसिणो । संपर्य तेहिं एयं भणियं । तेण एवं वंगाल-जायगं भण्णइ' त्ति । भणियं च राइणा 'सुंदरं एयं, ता सेसं पि उदाहरणं णिसुणेमि' 3 त्ति । संवच्छरेण भणियं 'देव णिसुणेसु । अत्थाणे रोसमंतो फुड-वियड-वओ सोय-दुक्खाण भागी, पत्तटो जो वणिज्जे णिय-घर-महिला सूर-चित्तो विरागी। देवाण भत्तिमतो चिर-सुहिय-महा-मित्त-वच्छल्ल-जुत्तो, णिच्च-क्खंती-पवासो चल-णयण-धणो बाल-भावे तुलाम्म । कुड्राईणं चुक्को वीसइ-बरिसे मरेज्ज सो सीती । जेटे सिव-खेत्तम्मि य अणुराहंगार-दियहम्मि ॥ ७ ॥ कूरो जो पिंगलच्छो पर-घर-मणसो साहसा साहियत्थो, सूरो माणेण जुत्तो सयण-जणवए गिट्ठरो चोर-चित्तो। बालो जो विप्प-पुत्तो जणणि-परिजणे दुट्ठ-चित्तो मणूसो, भागी अस्थस्स जुत्तो पुणरवि विहलो विच्छिए होइ जाओ॥ . अट्ठारस-पणुवीसो जइ चुक्कइ चोर-सत्थ-सप्पाणं । जेटुम्मि सिवे खेत्ते अंगारे सत्तरो मरइ ॥८॥ सुरो जो बुद्धि-जुत्तो जण-णयण-हरो सत्तवंतो य सच्चो, सिप्पी णेउण्णवंतो धण-रयण-धरो सुंदरा तस्स भज्जा। 12 माणी चारित्त-जुत्तो सललिय-वयणो छिडु-पाओ विहण्णू, तेयस्सी थूल-देहो णिय-कुल-महणो होइ जाओ धणम्मि। 19 पढमट्टारस-दिवसे चुक्को सो सत्तसत्तरो मरइ । सवणे सावण-मासे अणसणएण मरइ सुक्के ॥ ९॥ सीयालू दंसणीओ जण-जणणि-पिओ दास-भूओ पियाणं, चाई जो पुत्तवंतो पर-विसय-सुही पंडिओ दीह-जीवी। 16 मण्णे कोऊहलो जो पर-महिल-रओ लंछिओ गुज्झ-भागे, गजेसु जुत्त-चित्तो बहु-सयण-धणो काम-चिंधम्मि जामो॥ 18 वीसइ-वरिसो चुक्को सत्तरि-वरिसो मरेज सूलेण । भद्दवयम्मि य मासे सयभिस-णक्खत्ते सणि-दियहे ॥१०॥ दाया दिट्टीएँ लोलो गय-तुरय-सणो थद्ध-दिट्ठी कयग्यो, आलस्सो अत्थ-भागी करयल-चवलो माण-विजाहि जुत्तो। .8 पुण्णो सालूर-कुच्छी पर-जण-धणदो णिब्भओ णिश्च-कालं, कुंभे जाओ मणूसो अवि पिति-जणणी-विक्किगे सत्तिवंतो॥ 18 सो चुक्को वग्याओ अट्ठारसओ जिएज चुलसीति । रेवइ अस्सिणिमासे आइञ्च-दिणे जले जाइ ॥११॥ सूरो गंभीर-चेट्ठो अइपडु-वयणो सजणाणं पहाणो, पण्णा-बुद्वी-पहाणो चल-चवल-गई कोव-जुद्ध-प्पहाणो। । गव्वेणं जो पहाणो इयर-जणवयं सेवए णेय चाई, मीणे जाओ मणूसो भवइ सुह-करो बंधु-वग्गस्स णिचं ॥ १२॥ ॥ देव, एए गुणा थिरा, आउ-प्पमाण पुण काल-भेएणं जे सुयं ति भणियं । तं तिण्णि पल्लाई, दुवे पल्ले, एक पलं, पुब्व-कोडीमो, पुग्व-लक्खाई, वास-कोडीओ, वास-लक्खाई सहस्साई सयाई वा । णियय-कालाणुभावाओ जं जहा भणियाई तं तहा भवंति । तओ देव, एरिसं एवं वंगाल-रिसी-णिद्दिटुं । जइ रासी बलिओ रासी-सामी-गहो तहेव, सव्वं सञ्च । अह एए ण 24 बलिया कूरग्गह-णिरिक्खिया य होंति, ता किंचि सच्च किंचि मिच्छं' ति । ६५०) तओ भणियं राइणा 'एवमेयं ण एत्थ संदेहो'त्ति । 'ता वीसमसु संपर्य' ति आइटुं च राइणा संवच्छरस्स 7 सत्त-सहस्सं रूवयाण । समुटिओ राया कय-मजणो उवविट्ठो आवाणय-भूमी । सज्जिया से विविह-कुसुम-वण्ण-विरयणा 27 भावाणय-भूमी, सजियाइं च अहिणव-कंदोट्ट-रेणु-रंजियाई महु-विसेसाई, दिण्णाई च कप्पूर-रेणु-परिसप्पंत-धवलाई आसवविसेसाई, पिजंति अहिणव-जाई-कुसुम-सुरहि-परिमलायडियालि-रुयाराव-रुणरुणेताओ णिभर-रसमुकंठियाओ सुराओ 10 त्ति । पाऊण य जहिच्छं संलीणो भोयणस्थाणि-मंडवं । तत्थ जहाभिरुइयं भोत्तूण भोयर्ण उवगओ अत्थाण-मंडवं ति । एवं 30 1) पुण for एस, P संवत्सरेण, I om. देव. 2) कोद, भगवान् P भयवं, Pसुसीसाणं, P साहितेण अन्नेसि, P वंगालं. 3) Pom. एयं, P वंगाल एयं जायंगं भन्नइ ति, Jom.त्ति, P सिसं, उद्दाह. 4) Jom. त्ति, P संवत्सरेण. 5)" अत्योणे, P फुडवयणवचो, परओ for वओ, P सोग, P जो सविज्जो. 6) P भत्तिवंतो, P सुहिद, P निच्चखंती. 7)P कुड्डीदीणं, P वीसतिवरिसो, सीतो सीओ, स for य, P अणुरायंगाए, गारा-- 8) रोज्जो, Pom. घर, सातिभत्यो. 9)P पिय for परि, P मणुस्सो, P जुत्तो for पुत्तो, Pविच्छिए. 10) अट्ठार, जेटुंमि व सिवखेत्ते. 11) धणो for धरो. 12) Jछिद्द (ड्डी) पातो, P-पावो, P होंति जाओ ध'मि. 13) P-दियहे, मरति, Pसुको. 14) कुजणजगपिओ, चाइत्तो पुत्त, P परवसय. 15) P मल्ले कोऊहले, J कोतूहलो, P भावे for भागे बहुजणसुधणो हो। मगरम्मि ।, P कामर्विधेमि. 16)P वीसति,P सत्तरिवासो, Jणवत्त P तक्खत्ते, P दियहो. 17) दिट्ठीय लोलो, Pणसणो घडदिट्ठी. 18) Pधणओ, P मणुस्सो, जपणो णिक्खिवो सत्तवंतो. 19) धम्माओ for वग्धाओ, P रेवति, P "दिण जले जाई. 20)P सूरी, गंभीरकोट्रो, P अतिपडपवणो सेज'. 21) JP सेवते, P मणुस्सो, P सुहयरो. 22) Pएते,थिता for थिरा, P सतंति for सुयं ति, दुच्चे for दुवे, दुवे पलं पुवं. 23) Pom. वासकोडीओ, J सहस्सा सयाई, PM for जं. 24) P भवणं ति, P om. एयं वंगालरिसी, P रासिचलिओ रासीसानीसगहो, J तदेव Pता देव, PM for एए. 25)3 कूरगह, निरक्खिया, I om. य. 26) Pतओ राइणा भणियं, Pom. एवमेयं. 27) Jसयसहस्सं, विरयणी. 28) P om. च, J परिअप्पंत ? धरपंत, P आसविसेसाई पिज्जद. 29) P कुमयसुरद्विपरि', I om. रुया P रूया, रुणुरु',' णिम्भरुक्कठियाओ. ३०) पाऊणयं, P अल्लीणो for संलीणो, भोअणत्थाणमण्डवं ति एवं च ? मडवंमि. Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६५२] कुवलयमाला 1 च विविह-खज-पेज-दाण-विण्णाण-परियणालाव-कह सुंभइकंतो सो दियहो। एएणं चेय कमेण सेस-दिवसा वि ताव जाव 1 संपुण्णो बारसो दियहो । तत्थ राइणा सहाविया वास-महारिसि-समा महा-बंभणा । संपूइऊण भणियं इणा 'एयस्स। बालस्स किं णामं कीरउ'ति । तेहिं भणियं 'जं चेय महाराइणो रोयह'त्ति । भणिय राइणा 'जह एवं ता णिसामेह 3 दियाइणो। कुवलयमाला चंदो दोण्णि वि दिवाइँ जेण सुमिणमि । णाम पि होउ तम्हा कुवलयचंदो कुमारस्स ॥ 6 जेण य सिरीऐ दिण्णो गुरु-साहस-तोसियाएँ रहसेणं । सिरिदत्तो त्ति य तम्हा णाम बिइयं पि से होउ ॥' ६५१) एवं च कय-णामधेओ पंच-धाई-परिक्खित्तो अणेय-णरवइ-विलया-सहस्स-धवल-लोयण-माला-कुमुय-वण-संडमुद्धड-मियंकओ विय वडिउं पयत्तो । अधि य । हत्थाहत्थिं घेप्पइ पिजइ णयणेहि वसइ हिययम्मि । अमयमइओ व्व धडिओ एसो गूणं पयावइणा ॥ अह ललियक्खर-महुरं जं जं कुमरस्स णीइ वयणाओ। सुकइ-भणियं व लोए तं तं चिय जाइ वित्थारं ॥ किं बहुणा, चंकमिएहिं तह पुलइएहिँ हसिएहि तस्स ललिएहिं । चरिएहिँ राय-लोओ गय पि कालं ण लक्खेइ । 13 अणुदियह-वड्डमाणो लायण्णोयर-समुद्द-णीसंदो । अढ़-कलो ब्व मियको अह जाओ अट्ट-वरिसो सो ॥ अह तिहि-करणम्मि सुहे णक्खत्ते सुंदरम्मि लग्गम्मि । सिय-चंदण-वासहरो लेहायरियस्स उवणीओ ॥ जत्थ ण दीसइ सूरो ण य चंदो णेय परियणो सयलो ! तम्मि पएसम्मि कयं विजा-घरयं कुमारस्स ॥ 16 लेहायरिय-सहाओ तम्मि कुमारो कलाण गहणट्ठा । बारस वरिसाई ठिओ अदीसमाणो गुरुयणेणं ॥ मह बारसम्मि वरिसे गहिय-कलो सयल-सत्थ-णिम्माओ । उक्कंठियस्स पिउणो णीहरिओ देव-घरयाओ॥ तो कय-मजणोवयारो धोव-धवल-हंसगब्भ-णियंसणो सिय-चंदण-चच्चिय-सरीरो सुपसत्थ-सुमण-माला-धरो णियय-वेस-सरिस18 पसाहण-प्पसाहिय-गुरु-जण-मग्गालग्गो आगओ पिउणो चलण-जुयल-समीवं कुमारो । उयसप्पिऊण य गरुय-सिणेह-णिभ-18 रुकंठ-पूरमाण-हियय-भर-गरुइएण विय कओ से राइणो पणामो । तओ राइणा वि असरिस-णेह-चिर-विरह-वियंभमाण-बाहजल-णिन्भर-णयण-जुवलएणं पसारिय-दाहिण-बाहु-दंडेण सलत्तं 'उवज्झाय, किं भभिगओ कला-कलाओ कुमारेण ण व' त्ति । भणियं च उवज्झाएण 'देव, फुडं भणिमो, ण गहिओ कला-कलावो कुमारेणं' ति । तओ राहणा गुरु-वज-पहार- 21 णिद्दउद्दलिय-कुंभत्थलेण विय दिसा-कुंजरेण आउड्डिय-थोर-दीहर-करेण भणियं 'कीस ण गहिओ'। उवज्झाएण भणियं 'देव, मा विसायं गेण्ह, साहिमो जहा ण गहिमो'। ६५२) 'आसि किर एस्थ पढम-पत्थिवो कय-धम्माहम्म-ववत्थायारो भयवं पयावई । तेण किर भरह-णरिंद-प्पमुहस्स णियय-पुत्त-सयस्स साहिओ एस कला-कलावो । तेहिं वि महा-मईहिं गहिओ । तओ तेहि वि अण्णोषण-णियय-पुत्त-णतयाणं । एवं च देव, कमेण णरणाह-सहस्सेसु रायपुत्त-सएसु राय-कुमारिया-णिवहेसु य महामईसु संचरमाणो पारंपरेण एस कला1 कलावो एवं कालंतरमुवागओ। तओ अणुदियहं हाणीए कालस्स ण कोइ तारिसो कला-कलाव-गण-धारण समत्थो एत्थ 27 पुहइ-मंडले अत्यि त्ति । तओ देव, असरणेण पलीण-कुल-वंस-णाहेण दुस्सील-महिला-सत्थेण विय कला-कलावेण चेव संपयं सयंवरं गहिओ कुमारो त्ति । तेण णाह, भणिमो ण गहिओ कुमारेणं कला-कलावो' त्ति । तओ सविसेस-जाय-पहरिसेण 30 गहिमो कुमारो राइणा, ठविओ य उच्छंगे, उवऊढो य गेह-णिभरं, चुंबिओ उत्तिमंगे, पुच्छिओ य 'पुत्त कुमार, कुसलं 30 तुह सरीरस्स' । तओ सविणय-पणउत्तमंगेण 'देवस्स चलण-दसणेणं संपयं कुसलं' ति संलत्तं कुमारेणं ति । भणियं च राइणा 'उवझाय, काओ पुण कलामो गहियाओ कुमारेणं' ति । उवज्झाएण भणियं 'देव, णिसुणिजंतु । तं जहा। 1) दिवसो एतेणं चेव, P सेसदियहा. 2) Pमहरिसि, P महावंतणा, P भणिया. 3) चेव सं महा', एयं for एवं 5) Pकुवलयमालाचंदो कुमारस्स for the entire verse कुवलयमाला eto., J नामंमि. 6)P जेणे य सिरीय, P रहसेणा, सिरिपुत्तो वि य, P बीयं for बियं. 7) Pकिय for कय, धाइ, P आणेइनरवई. 9)P हत्थाहत्थाहत्थं, P अमइम',P पयावइणो. 10) P वयणीओ, P च for व, P वित्थरमुवेइ for जाइ वित्थारं. 11) चंक्रमिएहि । वकमि . 12) P वहमाणो लायण्णोदर. 13) प्रवासधरो. 14) परियणे सयणे, P विजाहरहं. 15) Pवासाई for वरिसाई, ट्ठिओ, P असीसमाणो. 16)P बारसमे, कला. 17) धोयवल, गम्भिणि',J सुपसत्थो. P समणमालाहरो, णियपवेस, Pसरियस. 18) पसाहणसमाहियगुरूणमग्गा', Jom. जुयल, कुमारो त्ति उवस, Pom. य, Pगुरुय, णिम्भरकंठ P निम्मरुकंठा- 19) हिययभगएण त्ति य. 20) Pसंलत्तत्तम्, गहिओ for अभिनओ, J कुमारेण त्ति य। 21) कलाओ, पहरनिदलियकुम'. 22) रेण विय आउट्टियं, Pom. थोर, दीह for दीहर, Pकीस न कहिओ. 23)जह for जहा, J गहिआओ. 24)" पस्थिओP पढमस्थिवो, P धम्म for हम्म, 'हम्मधवत्थारो. Pपमहस्स तिययस्स साहिओ. 25) तेहि मित्तेहि मिमहामइग हिओ, P तेहिं मि अन्नाणनियय. 26) Pनरनाह ससोसुरायउत्त, Pमहामासु, परंपरेण, एक for एस. 27) Jएवं for एयं 'मुवगओ, Pन कोड, P धारणा- 28) P दुसील, P कलावे य संपर्य- 30) Jom. उवरूदो य. 31) पणतुत्त, सविणसंपणामिओ उत्तिमंगेण, P कुमारेण त्ति. 32) Pउण for पुण, णिसुणेज्ज तुमं for णिसुणिजंतु. Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ उज्जोयणसूरिविरइया [$५२ । मालेख जोइसं च गणियं गुणा य रयणाणं । वागरणं वेय-सुई गंधव्वं गंध-जुत्ती य॥ संखं जोगो वारिस-गुणा य होरा य हेउ-सत्थं च । छंद वित्ति-णिरुत्तं सुमिणय-सत्थं सउण-जाणं ॥ भाउजाणं तुरयाण लक्खणं लक्खणं च हत्थीणं । वत्थु वहा खेड्डे गुहागयं इंदजालं च ॥ दंत-कयं तंब-कयं लेप्पय कम्माई चेय विणिओगो । कन्वं पत्त-च्छेज फुल्ल-विही अल्ल-कम्मं च ॥ धाउवाओ अक्खाइया य तंताई पुप्फ-सयडी य । अक्खर समय-णिघंटो रामायण-भारहाई च ॥ कालायस-कम्म सेक्क-णिण्णओ तह सुवण्ण-कम्मं च । चित्त कला-जुत्तीओ जूयं जंत-प्पओगो य ॥ वाणिजं मालाइत्तणं च खारो य वत्थ-कम्मं च । आलंकारिय-कम्म उयणिसय पण्णयर-तंतं ॥ सव्वे णाडय-जोगा कहा-णिबंध फुडं धणुब्बेओ । देसीओं सूव-सत्यं आरुहय लोग-वत्ता य॥ ओसोवणि तालुग्घाडणी य मायाओँ मूल-कम्मं च । लावय-कुकुड-जुई सयणासण-संविहाणाई ॥ काले दाणं दक्खिण्णया य मउयत्तणं महुरया य । बाहृत्तरि कलाओ वसंति समयं कुमारम्मि ॥' ६५३) तओ भणियं राइणा 'उवज्झाय, एताणं कलाणं मज्झे कयरा पुण कला विसेसओ रायउत्तेण गहिया परिणया 12वा, कहिं वा अहिओ अन्भासो' त्ति । भणियं च उवज्झाएण 'देव, 18 जज दावेइ कलं हेलाएँ कह वि मंथरं राय-सुओ। णजइ तहिं तहिं चिय अहिययरं एस णिम्माओ॥ तह वि सोहग्ग-पढम-इंधं सयल-कला-कामिणीण मण-दइयं । सुपुरिस-सहाव-सुलहं दक्षिण सिक्खियं पढम ॥ तमो देव, 18 णियय-कुल-माण-पिसुणं गुरु-कुल-वासस्स पायर्ड कर्ज । लच्छीऍ महावासं दुइयं विणयं अदुइयं से॥ 16 जाणइ काले दाउं जाणइ महुरत्तणं मउयया य । एकं णवरि ण-याणइ वेसं पि हु भप्पियं भणिउं ॥ सव्व-कला-पत्तट्टे एक्को दोसो णारंद-कुमरम्मि । पणइयण-अमित्ताण य दाउं पि ण-याणए पट्टि ॥' 18 ताव य राइणा 'सुंदरं सुंदरं' ति भणमाणेण जलहर-पलय-काल-वियलंत-कुवलय-दल-ललिय-लायण्णा वियारिया रायउत्त-18 देहम्मि दिट्ठी । दिट्ठो य अणवरय-वेणु-वायणोग्ग-लगर्गत-लंछणा-लंछिओ महासेल-सिहरद्वंतो विय तुंगो वामो अस-सिहरो ति। तहा अणुदियह-बाहु-जुद्ध-जोगा समय-भुया-समप्फोडण-किण कढिणियं दिटुं लच्छीय मंदिरं पिव वष्छयलं, तहा भणवरयसधणुजंत-कडणा-कढिण-गुण-घाय-कक्कसं वाम भुया-फलिहं, दाहिणं पि विविह-असिधेणु-अविसेस-बंधण-जोग्गालक्खिजमाण-1 किणकियं पेच्छइ त्ति । तहा अणवरय-मुरय-ताडण-तरलियाओ दीह-कढिणाओ पुलएइ अंगुलीओत्ति । अणेय-गट्ट-करणंगहार चलण-कोमलाई सेसयाई पि से पलोएइ अंगयाइं । सिंगार-वीर-बीहच्छ-करुण-हास-रस-सूययाइं जयणाणि वि से 24णिज्झाइयाई, अणेय-सत्थत्थ-वित्थर-हेऊदाहरण-जुत्ति-सावटुंभं वयणयं ति । अवि य । दीसंति कला कोसल-जोग्गा संजणिय-लंछणं पयर्ड । पेच्छइ मुणाल-मउयं रायंग मह कुमारस्स। ६५४) दट्टण य णेह-णिब्भरं च भणियं राइणा 'कुमार पुत्त, तुह चिर-विओग-दुब्बलंगी जणणी तुह दसणासा। विमुझंत-संधारिय-हियया दढं संतप्पइ । ता पेच्छसु तं गंतूर्ण' ति । एवं च भणिय-मेत्ते राइणा 'जहाणवेसि' ति भणमाणोश समुडिओ राइणो उच्छंगाओ, पयहो जणणीए भवणं । ताव य पहावियाओ बब्बर-वावण-खुजा-वडभियाओ देवीए वद्धावियाओ ति । ताव य कमेण संपत्तो जणणीए भवर्ण । दिट्ठा य णेण जणणी । तीए वि चिर-विभोग-दसणाणंद-बाइ-भर30 पप्पुयच्छीए दिवो । संमुहं उयसप्पिऊण य णिवडिओ से राय-तणओ जणणीए चलण-जुयलए । तीए वि अवयासिओ सुह-80 सिगेह-णिब्भर-हिययाए, परिउबिओ उत्तमंगे, कयाई सेस-कोउचाई। उयारिऊण य पलोहिओ से पाय-मूले दहि-फल 1) P चूहूँ for गहुँ, P om. च, P वायरणं वेयसुती. 2) PLखजोगो वरिसणगुणा, P वित्ती, समणसत्थं. 3)" आउजाणं तुरअलक्खणं, P वत्थुवड्डाखडे. 4) दंतजालं दंतकयं दंतकर्म तंवकम्म, कयं लेप्पयं लेप्पयक','च्छेज्ज अस्स (लो) कम्मं च फुल्लविहिं धाउव्वायं, P फुलविही. 5) अक्खाइयाई तं', P पुप्फुसडी, पय for समय. 6) सुवन्नकरणं च,-पओगो Pप्पओगा. 7) Jअल for वत्थ, P'कारियंः, पल्लग for qण्णयर. 8) Jणागर for णाडय, P नाडयजोगो कहानिउद्ध, लोअवत्ता P लोगजुत्ता. 9) Jओसोवणी तालूघाडणी, तालुग्घाटणा य पासाओ, Pकुछड. 10) Pबाहत्तरी. 11) om. एताणं, - om. पुण, रायपुत्तण. 12)Pa for वा, अचासो. 13) P हेलाय विकद्द व, P नेज्जद. 14) Pतदो for तओ. 15) नियकुलकम्माण, P लच्छीय, सहावासं, अइदुर. 16) मडझरत्तणं समउ', P नवर न जाणा, वेर्सि पि, अप्पिउं. 17) पत्तट्ठो, पणिईयण " पणई पणमित्ताण,P दाउंचिय नयण एएहि. 18) Pom. ति, लायण्ण, 19) Pवायणलग्गंतलं छग, P वासो for वामो. 20) जज्झजोग्गो, P समलुया समप्फोडणकेण, मंदिरयं, वच्छलयं. 21) कड्डिणा, 'ग्द्याय, J वामभुभादलिह, P भुयाफलिहं, असिधेणुं भविसेस, P पवेस for अविसेस. 22) तदा for तहा, 'मुखताहण, J वलि अउ for तरलिया ओ, P दीहर for दीह, कढिणीओ, P पुलाए, P नट्टकरणमहाबहावरलक्खण. 23)" पि सेसयाई से, पुलएइ, P अंगाइ, P बीभत्स, P सूइयाई,P वि सेस निज्झा'. 24) सत्थर स्था, ' जुत्तीवयणं अत्ति, J om. अवि य. 25)P-मुश्यं रायां अंगं कुमा'. 26) नेय for णेह, J णिम्भरं भणियं च,P विरहविउलिय for चिरविओग. 27) एवं भाणेयमेत्तो. 28) ताविय, वामणयखुज्जा. 29) F विओय. 30 P भरहपणुयच्छीए, पप्फुयच्छीप, समुई, .om. य,P वियवयासिया, 3 अ for सुह. 31)परिचुंबिलो उत्तिमंगे, से for सेस, Pom. य, फळक्खय. Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ -६५६] कुवलयमाला 1 अक्खय-णियरो। तओ कयासेस-मंगलो परिसेस-माइ-जणस्स जहारिहोवयार-कय-विणय-पणामो णिवेसिओ जणणीए णिय- 1 उच्छंगे । भणिओ य 'पुत्त, दढ-वज-सिलिंका-णिम्मवियं पिव तुह हिययं सुपुरिस-सहाव-सरिसं, ता दीहाउओ होहि' । 'माऊण ३ सईणं रिसीणं गाईणं देवाणं बंभणाणं च पभावेणं पिउणो य अणुहरसु' त्ति भणिऊणं अहिणंदिओ माइ-जगणं तु। ६५५) ताव य समागओ पडिहारो गरवइणो सयासाओ । आगंतूण य पायवडणुट्टिएणं विण्णत्तं महा-पडिहारेणं 'कुमार, तुर्म राया आणवेइ जहा किर संगाम-समय-धावण-वहण-खलण-चलण-पडिहत्थ-जोग्गाणिमित्तं थोवं-थोवेसुं चेय 8 दियहेसु णाणा-तुरंगमा आवाहिजति, ता कुमारो वि मागच्छउ, जेण सम चेव वाहियालीए णिग्गच्छामो' ति । तओ 'जं. आणवेइ ताओ'त्ति भणमाणेण पेसिया कुवलय-दल-दीहरा दिट्ठी जगणीए वयण-कमलम्मि । तओ भणियं च से जणणीए । 'पुत्त, जहा मेहावीओ आणवेइ तहा कीरउ' त्ति भणमाणीए विसजिओ, उवागओ राइणो सयासं । भणियं च राइणा । • 'भो भो महासवइ, उय?वेह तुरंगे । तत्थ गरुलवाहणं देसु महिंदकुमारहो, रायहंसं समप्पेह वोप्परायहो, रायसुयं , सूरसेणहो, ससं पुणं देवरायहो, भंगुरं रणसाहसहो, हूणं सीलाइञ्चहो, चंचलं चारुदत्तहो, चवलं बलिरायहो, पवणं च भीमहो, सेसे सेसाण उवट्ठवेह तुरए रायउत्ताण, महं पि पवणावत्तं तुरंगमं देसु त्ति । अवि य 12. कणयमय-घडिय-खलिग रयण-विणिम्मविय-चारुपल्लाणं । तुरियं तुरंगम देह कुमारस्स उयहिकल्लोलं ॥' ताव य आएसागंतरं उवट्ठविओ कुमारस्स तुरंगमो। जो व केरिसओ । वाउ-सरिसओ, गमक्क-दिण्ण-माणसो। मणु जइसओ, खण-संपत्त-दूर-देसंतरो। जुवइ-सहावु-जइसओ, अइणिरह-चंचलो। खल-संगह-जइसओ, अत्थिरो । चोरु-जइसओ, 16 णिचुब्बिग्गो त्ति । अवि य खलु-गरिंद-जइसेण णिशुत्थ द्वेण कण्ण-जुवलुल्लएणं, पिप्पल-किसलय-समेण चलञ्चलतेण सिर- 15 चमरेण, महामुरुक्खु-जइसियए खमखमेंतियए गीवए, परिहव-कृविय-महामुणि-जइसएण फुरफुरंतेण णासउडेण, महादहुजइसएण गंभीरावत्त-मंडिएण उरत्थलेण, विमणि-मग्गु-जइसएण माणप्पमाण-जुत्तेण मुहेण सुपुरिस-बुद्धि-जइसियए 18 थिर-विसालए पट्टियए, वेस-महिल-पेम्म-समेण अणवट्टिएण चलण-चउकेण । अवि य 18 जलहि-तरंग ब्व चलं विजुलया-विलसियं व दुल्लक्ख । गज्जिय-हेसा-रावं अह तुरयं पेच्छए पुरओ ॥ ५६) दट्टण य तुरंगमं भणिय राइणा 'कुमार, किं तए णजए तुरय-लक्खणं' । ताहे भणियं कुमारेणं 'गुरु-चलणसुस्सूसा-फलं किंचि णजइ' त्ति । भणियं च राइणा 'कइवय तुरयाणं जाईओ त्ति, किं वा माण, किं वा लक्खणं, अह 21 अवलक्खणं' ति । कुमारेण भणियं 'देव, णिसुगेसु । तुरयाणं ताव अट्ठारस जाईओ। तं जहा। माला हायणा कलया खसा कक्कसा टंका टंकणा सारीरा सहजाणा हुणा सेंधवा चित्तचला चंचला पारा पारावया हंसा हंसगमणा वत्थन्वय त्ति - एत्तियाओ चेव जाईओ। एयाणं जं पुण वोल्लाहा कयाहा सेराहाइणो तं वण्ण-लंछण-विसेसेण भण्णइ । अवि य । ५ मासस्स पुण पमाणं पुरिसंगुल-णिम्मियं तु जं भणियं । उक्किटुवयस्स पुरा रिसीहि किर लक्खणण्णूहिं॥ बत्तीस अंगुलाई मुहं णिडालं तु होइ तेरसयं । तस्स सिरं केसं तो य होइ अट्ठ विच्छिण्णं ॥ भी चउवीस अंगुलाई उरो हयस्स भणिो पमागण । असीति से उस्सेहो परिहं पुण तिउणियं बेति ॥ तओ देव, एयप्पमाण-जुत्ता जे तुरया होंति सव्व-जाईया । ते राईण रजं करेंति लाहं तु इयरस्स ॥ अण्णं च । रंधे उवरंधम्मि य आवत्ता णूण होंति चत्तारि । दो य पमाण-णिडाले उरे सिरे होंति दो दो य ॥ 10 दस णियमेण एए तुरयाणं देव होंति भावत्ता । एत्तो ऊणहिया वा सुहासुह-करा विणिहिट्ठा ।। 1) परिसमागयस्त जगरस जहारिहोवयाराः, P जणसीए उत्संगे. 2) J वज्जले for वज, हियवयं सपुरिस, दीहाउयं होद. 3) Pसतीणं, J माइजणेण । ताव. 4) P 'रोत्ति नर',Jणरवइसया ) Pom. तुमं, महाराया for राया, Pom. वहण, Jom. चलण, P चचलण परिहत्य. Pथोयथोएस, बिय for चेय. 6) Pवाहयालीए, तहाओ जहाणवेह. 7) J वेत्ति ताओ त्ति, णिवेसिया for पेसिया, Pom दल. 8) Jजहाणवेइ तहा, Jउवगओ, Pराणा सगासं. 9)P अवट्ठवेह तुरंगमे, Pरायहंसु, Jom. रायसुर्य. 10) सेसं for ससं, Pरणसाइसहूण, सिला',P चारुयत्तहो, Pom. च. 11) सेसो सेसाण उवट्ठवेहा, P पवणनेनुं. 12) Pखलणं, 'गमं तु देय कुमररस य उअहिं. 13) J उवट्ठिओ, P जो ताव सो केरिसो वाओ जइसमो. 14) Jसहाउ, Pom. अइ, P संगो for संगर, P अथिरचोरो. 15) Pom. अवि य, जइसेणा P जासएण, P निच्चत्थद्धरणं, P जुवलल', P किसलजइसएणं सीसेण चलचलं', P om, सिरचमरेण. 16) P महामुरुखुरुक्खुजरसिआए खमंखमंतीए गीवाए, J जइसिए, P पुरुपुरतेण, P महदहो. 17) P विवणि, P जुत्तेण अंगेण खु पुरिस, P जइसियाए थिरविलासीए पट्ठीए. 18) महिला, P पेमं for पेम्म, १ चउक्करण. 19) Pचं for ब्व, इसारावं, ' तुरिओ for पुरओ. 20) P नजइ किंचि तुरंगलक्षणं । तओ भणियं, Jom. चलण. 21) P सुस्ससाराहणफलं, P का for कावय, P om. ति. p om. वा before लक्वर्ण, p om. अह. 22) P च त्ति for ति, Pणेसु, तुरियाण, P अट्ठारसु, साला for माला, P भाइला कलाया for हायणा eto. 23) Pसाहजाणा, P सैंधवा, चित्ता', पैरा पैरावत्ता. 24) Pom. एत्ति, P वत्तलंधर्ण, भणति for भण्णद. 25) सण for पुण, P'गुणनिम्मयं, P कर for किर. 26) P तेरसया, Pस for य. 27) Pऊरो. Pय for y'. P अस्सीति.Jom. से. P om. तओ देव. 28) एयपम्माण, P जाईआ. 29)P for य,J has a marginal note प्रपान उपरितनोष्ठ: possibly for the word आवत्ता, उर. 30) एते, P आवत्तो, अहिया वा P ऊणहिया य वसुहा. Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४. उज्जोषणसूरिविरइया पोम्मि लोयणाण व माझे धोणाएँ जस्स भावतो रूस अवस्स सामी अकारणे बंधु-वग्गो व ॥ य-वण-मदाबारे भवतो दो जस्स तुरयस्स सामी पोडय-पालो व तस्स भ ग भजे ॥ णासाऍ पास लग्गो आवत्तो होइ जस्स तुरयस्स । सो सामियं च णिहणइ खलिय- प्पडिए ण संदेहो ॥ जाणूसु जस्स दोसु वि भावत्ता दो फुडा तुरंगस्स । खलिय-पडिएण णिहणइ सो भत्तारं रण- मुहम्म ॥ कण्णेसु जस्स दो वि सिप्पीओ होंति वह गुलोमानो सो सामिवस्स महिले दूमे यत् संदेहो 6 ता देव, एते असुह-लखणा, संपयं सुह-लक्खणेमे णिसामेदिति । 1 8 संघाड जइतिष्णिसु द्विवा रोमचा विडालम्मि जहिं तस्स पडु दुखणेहिं जिथं जयह सामी ॥ उवरंधावा आवतो जस्स छोइ तुरवस्त्र कोपारं धर्म च पट्टणो ण संदेहो ॥ बासु जस्स दोसु वि भवत्ता दो फुडा तुरंगस्स । मंडेइ सामियं भूसणेहिं सो मेहली तुरभो ॥' ५०) जाव व पूर्व पुत्तियं भास-लक्खणं उदाहरद्द कुमारो कुवलयचंदो साब राहणा भणिये 'कुमार, पुणे वि सत्या सुविधामो' ति भणमाणो आरूडो पवणावते तुरंगमे राया। कुमारो वितमिव समुहकलोले वो तुरंगमे । 18 सेसा वि महा-सामंता केइत्थ तुरंगमेसुं, केइत्थ रहवरेसुं, केइल्थ गयवरेसुं, के एत्थ वेसरेसुं, अण्णे करहेसुं, भवरे नरेसुं, 18 अवरे जंपाणेसुं, अवरे जंगएसुं, अण्णे झोलियासुं ति । अवि य । ---जो व बहु-आण सदस्य वाहणाष्ण रावणं विरायह दं पि हु मडह-संचारं ॥ ॥ 15 तो उड-पुंडरीय सोहि वो चलत- सिय- चारुचामरागय-ईस-सणाहो हर हार-संख-फेण-धवल नियंत्रण-सलिल-समोत्यमो सरय-समय- सरवरो विय पयहो राया तुं । तस्स मग्याल कुमार कुवलयचंदो वि तग्म पट्टे से पिउदा तभणिय-पय- णिकखेव चमढणा-भीया णराणं णरा, खराणं खरा, बेसराणं वेसरा, तुरयाणं तुरया, करहाणं करहा, रहवराणं 18 रबरा, कुंजराणं कुंजरा वि पदाविया भीया नियय-हत्यारोहणं ति ताव व फेरिर्सच से दीसितं पयतं बभषि च। 18 मुंग-महानय से चलमाण महानुरंग पवलिंग उपापम्मि व पुडवी मंडल पलियं ॥ तो फुरंत खगायं चलंत जर सुलुंग चाह-विधयं पुढं तुरंगमिवं ॥ सुसेय-छत्त-संकुलं खलंत संदणिल्लयं । तुडंत-हार-कंठयं पहावियं ति तं बलं ॥ भोसरह देह पंथं अह रे कह णिट्ठरो सि मा तूर । कुप्पिहिइ मज्झ राया देह पसाएण मर्ग मे ॥ जा-जाहि तूर पसरसु पयट्ट बच्चाहि अद्द करी पत्तो । उच्छ लिय-कलयल-रवं मग्गालगं बलं चलिये ॥ 21 27 24 तभो एवं च रह-गय-र-तुरय- सहस्स संकुलं कमेण पत्तो राय-मगं । ताव य महाणई-पूरो विय उत्थरिडं पयतो महा-राय- 94 मा-रच्छाओ ति । 30 अह णयरी कलयो परिषद् जिय समुद्र-निम्पोसो कुवलयद-कुमारे चंदम व पीतनि ॥ fiers किर कुमारो जो जत्तो सुणइ केवलं वयणं । सो तत्तो च्चिय धावइ जहुज्जयं गो-गहे व्व जणो ॥ अकोउय-रस-भत-हिय परियलिय--भय-पसरोज भाइ दंसण-मणो णायर-कुल- बालिया-सरधो ताव व कुमारी संपत्तो वाल-सच- सोहिये गायरी मज्जारे रार्वगणाओ । (848 ६ ५८) ताव य को वृत्तंतो णायरिया-जणस्स वहिउं पयत्तो । एक गिय-गई तु न चद्र दार-देसम्म सहवायरस हरसह पटर्म चिप दार परस्य ॥ अण्णा पार्वति चय गरुप बणादार भोष मुडियंगीणीस शिव नवरं पिययम-गुरु-विरह-तविय ब्व ॥ 21 27 1) सुआवत्ता P होइ आवत्तो । P आकरणे. 2) P भुययाणे मज्झयाए, P तो जस्स होइ तु, P बालो for पालो, सज्जेद P अर्जेति 3 ) सासाय ? नाहीए पासग्गो, तो जस्स होइ तु, P तो for सो, Pom. च, P निश्णए. 4) चडिएण. 5 ) P वि सिप्पिओ होति आणुलो, " दूसेइ. 6 ) P सुहलक्खणा मेति निसामेत्ति. 7) P सिंघाढ, ट्ठिता, ता जाण for जण्णेहिं बहु for पडु, P जयति. 8 ) J उवरंगाणं, P आवत्ता, P होंति, P वड्डर कोट्ठायारं, पइण्णो. 9 ) P यस्स, J दुडा for फुडा, P मंडेहिं, P भूसण हिं, तुरगो. 10 ) P एयं च एत्तियं, P उआदर कुमार, P. पुणो बीसत्था. समारूढो for आरूढो, P य for चेव. 11) P 12) Pom. केइत्थ रहवरेसुं, Jom. केइत्थ गयवरेसुं के एत्थ वेसरेसुं 13 ) झोलियासत्ति 14 ) P वारुणान्नं, P वियारह 15 ) P पुंडरिय, P चामररायहंस, समत्थओ 16 ) तम्मि पयट्टो, P सेर्स पसेसं पि. 17 ) P निद्धय, Pom. नराणं, वेगसराणं वेगसरा 18 ) P य for भीया णियय, P इस्थि for इत्था 19) P उपायं पिव पुहईए. 20 ) P खग्गग्गयं, Jom. चलंत कुंजरिलयं. 21) सदिनिलयं P सं gap, तुहंत उत पहावियं तं बलं ति चलति for बलंति. 22 ) P कुप्पिी 23 ) ग्रवो for रवं, 24 ) P संपत्तं for पत्तो, उ महाणइपहो. 25 ) P मग्गच्छाउ रहभरंति, इय for अह 29 ) P सयलसाहिअं नयरिमग्गुद्देसं. P रूस 32 ) P धावंत, P थणाभायभोय. तओ (on the margin) for बलं 26 ) P -कुमारो 27 ) P जुत्तो for जतो. 28) P 30 ) P बड्डिउपयट्टो 31 ) Pन एका नियंबगरुयी तुंगं न, 30 . Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - $५९ ] कुवलयमाला एक्का लज्जाट घरं आणिजइ कोउएण दारद्धं । अंदोलद ब्व बाला गयागएहिं जण-समक्ख ॥ अण्णा गुरुण पुरनो हि चेव जग्गा वाहिं लेप्यमय व जाया भणिषा विण जप किंचि ॥ गुरुयण-वंचण-तुरियं रच्छा-मुह-पुलयणे य तल्लिच्छं । एक्काए णयण-जयलं सुत्ताइद्धं व घोलेइ ॥ गमण-र-ड-द्वारा वणवट्ट-लुवंत मोतिष पवारा अण्णा विमुंचमाणी धाव लावण्ण बिंदु व ॥ पसरिय-गईए गलिया चलणालग्गा रसंत मणि- रसणा । मा मा भगणिय-लजे कीय वि सहिय व्व वारेह ॥ वियलिय- कडि - सुत्तय-चलण-देस-परिखलिय-गमण-मग्गिल्ला | करिणि ब्व सद्दद्द भण्णा कणय- महा-संकलं-दुइया ॥ इव जा तुरंत दर्द शायर-कुल- बालियानो दिवपुर्ण ता जयरि-राय-ममं संपतो कुछयमिको | सावय का विरच्छा-मुहम्म संठिया, का विदार-देसहए, का वि गवखर्सु, अण्णा माल, अण्णा चौपाल, 9 अण्णा रायंगणेसुं, अण्णा णिज्जूहएसुं, भण्णा वेइयासुं, अण्णा कभलवालीसुं, अण्णा इम्मिय-तलेसुं, अण्णा भवण-सिद्दरेसुं, 9 अण्णा धयग्गेसुं ति । भवि य । 1 8 6 जत्तो जो पसरह दिड़ी नइ पुरसुंदरीण वयणेहिं उप्पाउग्गम-ससि-बिंब-संकुले दीसए भूषणं ॥ 18 तभो के उण आलावा सुविउं पयत्ता । 'द्दला हला, किं णोल्लेसि इमेणं दिसा करि-कुंभ- विभमेणं ममं पमोहर-भारेणं' | 18 'सहि, दे आमंच सुपट्टि देसम्म तडुविय सिडि-कलाव सच्छदं केस भारं' । 'भइ सुत्थिए, मणयं वालेसु कणय-कवाडसंपुड- विडं णियंबडं । पसीय दे ता अंतरं, किं तुह चेय एक्कीए कोडयं' । 'अइ अहव्वे, उक्खुडियाए हारल्याए दारुणे 15 मा मोडियाई कय-त-वत्ताई' 'नइ वन मे मुसुमूर कुंडलं' 'दा अवडिय णिग्धिणे, जियत कुमारो भलजिए, 10 संजमेसु थण उत्तरिजं' ति । 18 अह सो एसोचि पुरओ मग्गेण होइ सो चेय । कत्थ व ण एस पत्तो णूर्ण एसो चिय कुमारो ॥ 1 1 इस जा महिला लोगो अप अवरोप्परं तु तुरमानो ता सिरिदत्तो पत्तो वईणं दिट्टि देसम्म ॥ ताव थ एकम्मि अजेयानो सलोणए तम्मि दीवान सरियाम सायरम्भि व समर्थ पडियालो दिट्ठीको ५९) तओ केरिसाहिं उण दिट्ठीहिं पुलइओ कुमार कुवलयचंदो जुनईयणेणं । शिव-सुरय-समागम राई परिजगणा-किलंताहिं विवसंत पाटलापाडला काणं पि सविवारं ॥ दवाणुराय पसरिय-सासय-मएण मचाहिं रप्पल-दल-रचाहिं पुलो करण व विक्वं ॥ पिययम - विदिण्ण-वासय-खंडण - संताव-गलिय-बाहाहिं । पउम-दलायंबिर तंबिराहिं काणं पि दीणाहिं ॥ साहीण-दय-संगम वियार- विगलंत सामलंगीहिं । णीलुप्पल-मालाहिं व ललियं विलयाण काणं पि ॥ इंसि-पसरत-कोय-मण-रसासाय- घुम्ममाणाहिं नव-विवसिय-दुज्जय-दल-माला व कापि ॥ रस-चतुर-धड-विलोलाई पलिलाहिं णव विवसिव-कुंद-समप्यभाहिँ सामान जुवईणं ॥ दिलिदिलियाण पुणो पसरियमासण्ण- कोलाहिं कसगयय-तारय सच्छदाहिं ताविष्छ-सरिसाहिं ॥ एवं च णाणा-वि-वण-कुसुम-विसेस विणिम्मविय मालावलीहिं व भगवं अइट्ठउब्वो विव विरूध विरूविय-रूवो ओमालिभो दिट्टि - मालाहिं कुमारो । भवि य । णीलुप्पल मालिवादि कमल-दलेईि सह वियसिय-सिव- कुसुमहिं हिणव- पाडल सोयं । कुप्पल-विद्द वह कुंद-कुसुम-सोदर्य मचियो णवण कुसुमेहिं व सो मयणो ॥ अंगम्मि सो परसो नवि कुमारस्स बाल मेतो वि भुमया-धनु-प्यमुवा जयण-सरा जम्मि जो पहिया 1 23 तओ कुमार कुवलय चंदं उदिसिय किं भाणितं पयतो सुबह जो एकाए भणिये 'दला इला, रुवेण णन भगंगो कुमारो 38 toore भणियं 'मा विलव मुद्धे, 21 24 30 २५ ) 1 ) P लज्जार, P दारंतं for दारद्धं 2 ) P गुरुयण, P चेव. 3 ) P पुलयणेण तच्छिला, P नमणजलं. 4 ) J (ग) मणिरयण, P for रय, J, P लुटंत, P लावण्ण. 6 ) P विडिय P 'खलियतुरियगमणिला, P करणि, P कणयमदं संखलं. 8 ) P मुहं संठिया, P दारमदेसर्द्धतएसुं, P आलए सुं. 9 ) P रायासण्णेसु, P कवोलवासीसुं, P अभियपलेसुं for हम्मिय, Pom. अण्णा before भवण-- 10 ) Pधयग्गएसु त्ति 11 सुर for पुर, P दीसह भुवणं. 12) Pom. तओ, विभवेणं, Pom. मं. 13 ) देयासुं च P पट्ठदेसंमि, P सुथिए, १ कवाढसंपुडे नियंबयर्ड 14 ) P तांदे for दे ता P जय for चेय, P उक्खडिया हारलया दारुणो मोडियाई कणयवत्ताई 15 P वज्जा मे, " हा हा यवडिया. 16 ) J संजमसु थणुसरिज्जयं वि. 17 ) P चेय for वय 18 ) Pom. तु, P तुरयमाणो, जुवईयण. 19 ) P धवलो. 20 ) पुण पुलाओ दिट्ठीहिं, यण । अविय 21) P परिजग्गिणा किलंतीहिं, कोवं for काणं. 22 ) P मयण for मरण, कोवि व for काण वि. 23 ) P वित्त, गंडण, खलियवासाहिं, काहि for काणं. 24 ) P -विलयंतसामलत्ताहिं विलयाहिं काहिं पि. 25 ) P वियपि काहि for कार्य 26 ) P पहलीलाहिं समप्पहाहिं. 27 दिशिदिवान परिमा कोउवदिसादिकसिगोमतरेय, तापिच्छ 28 ) दिवो विश्ववि30) P कुमुयपहि. 32 ) P य देसो for परसो, उ पम्मुक्का विहसिय 33 ) P जुवईयणो, मए कीए भणियं 34 ) P लव for विलव 4 3 18 21 24 27 30 . Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६५९ 1 होज अर्णगो जइ पहरइ दीण-जुवइ-सत्थम्मि । एसो पुण वइरि-इंद-दंत-मुसुमूरणं कुणइ'। अण्णेकाए भणिय 'सहि, पेच्छ पेच्छ णजइ वच्छत्थलाभोगेण णारायणो' ति । अण्णाए भणियं । 8 'सहि होज फुडं णारायणो त्ति जइ गवल-कजल-सवण्णो । एलो पुण तविय-सुवण्ण-सच्छहो विहडए तेण' अण्णेकाए भणियं 'कंतीए णजइ हला, पुण्णिमायंदो' त्ति । अण्णा ए भणियं । 'हूँ हूँ वडइ मियको सामलि जइ झिजइ जइ य मय-कलंकि यो । एसो उण सयल-कलंक-वजिमो सहइ संपुण्ण ।' 6 अण्णेकाए भणियं 'सत्तीए पुरंदरो य जह' । अण्णेकाए भणियं । ___ 'ओए पुरंदरो च्चिय जइ अच्छि-सहस्स-संकुलो होज । एसो उण कक्खड-वलिय-पीण-दह-सललिय-सरीरो।' अण्णेक्का भणियं 'अंगेहिं तिणयणो णजइ' । अण्णेक्काए भणियं 'हला हला, मा एवं अलियं पलवह । ७ होज हरेण समाणो जइ जुवई-घडिय-हीण-वामद्धो । एसो उण सोहइ सयल-पुण्ण-चउरंस-संठाणो।' अण्णेकाए भणियं 'सहि, णजइ दित्तीए सूरो' त्ति । अण्णाए भणिय । ‘सहि सज चिय सूरो चंडो जइ होज तविय-भुवणयलो । एसो उण जण-मण-णयण-दिहियरो भमयमइलो न्य 12 मण्णाए भाणपं 'हला हला, णजइ मुद्धत्तणेण सामिकुमारो'। अण्णाए. मणिय । 'सच होज कुमारो जइ ता बहु-खंड-संघडिय-देहो । रूवाणुरूव-रूवो एसो उण कक्कसो सहह ॥" इय किंचि-मेत्त-घडिओ देवाण वि कह वि जाव मुद्धाहिं । विडिजइ ता बहु-सिक्खियाहि जुवईहि सिरिणिलो 15 ६ ०) ताव य कुमार-कुवलयचंद-रूव-जोवण-विलास-लावण्ण-हय-हिययाओ किं किं काउमाउत्तानो णायर-तरुण-18 जुवाणीओ त्ति । एक्का वायइ घीणं अवरा वन्वीसयं मणं छिवइ । अण्णा गाथइ महुरं अण्णा गाहुल्लियं पढइ । 18 देइ मुरवम्मि पहरं अण्णा उण तिसरियं छिवइ । वंसं वायइ अण्णा छिवइ मउंद पुणो तहा अण्णा उच्च भासइ अण्णा सहावइ सहियण रुणरुगेइ । हा ह त्ति हसइ अण्णा कोइल-रडियं कुणइ अण्णा ॥ जइ णाम कह वि एसो सई सोऊण कुवलय-दलच्छो । सहसा विलोल पम्हल-ललियाई णिएइ अच्छीणि । तओ कुमार कुवलयचंदस्स वि जत्तो वियरइ दिट्ठी मंथर-धवला मियंक-लेह व्व । अव्वो वियति तहिं जुवईयण-णयण-कुमुयाई ॥ तओ कुमार-कुवलयचंद-पुलइयाओ के अवस्थं उवगयाओ णायरियाओ त्ति। 24 अंगाइँ वलंति समूससंति तह णीससंति दीहाई । लज्जति हसति पुणो दसणेहि दसति अहराई । दसेंति णियंबयर्ड विलियं पुलएंति ईसि वेति । अस्थक्क-कण्ण-कंडूयणाइँ पसरंति अण्णाओ॥ थालिंगयति सहियं बाल तह चुंबयति अण्णाओं। दंसेंति णाहि-देस सेयं गेण्हति भवराओ॥ 7 इय जा सुंदरिय-जणो मयण-महा-मोह-मोहियाहियो । ताव कमेण कुमारो बोलीणो राय-मग्गाओ॥ ति। कमेणं संपत्तो विमणि-मग अगेय-दिसा-देस-वणिय-णाणाविह-पणिय-पसारयाबद्ध-कोलाहलं । तं पि वोलेऊण पत्तों वेगेण चेव वाहियालि । अवि य। 30 सखलिय-आस-प्पसरं समुजय णिब्बिलीय-परिसुद्धं । दीहं सज ग-मेत्ति ब्व वाहियालिं पलोएई ॥ वट्ठण य वाहियालिं धरियं एक्कम्मि पदेसे सयल-बलं । णीहरिओ पवणावत्त-तुरंगमारूढो राया, समुद्द-कल्लोल-तुर्रयारूढो कुमारो य । ताव य 33 धावंति वलंति समुच्छलंति वग्गति तह णिमजति । पलय-पवणवहि-समे महि-लंघण-पच्चले तुरए॥ तमो गाऊण तूरमाणे तुरंगमे पमुक्को राइणा कुमारेण य । णवरि य कह पहाइउं पयत्ता। पवणो व्च तुरिय-गमणो सरो ब्व दढ-धणुय-जंत-पम्मुक्को । धावइ पवणावत्तो तं जिणइ समुहकल्लोलो ॥ 36 सं तारिसं दट्टण उद्धाइयं बलम्मि कलयलं । )। होजगंगो, Pा. 2) Pom. पेच्छ पेच्छ गज्जइ, " सहिच्छस्थलामोपण नजद णारा. 3) Pगवलस्स वनो. 4)P पुणिमाइंदो. 5) " जय अमय, P सयलं. 6) Jom. य. 7) Pहोज्जा. 8) Pनजत्ति, P पलवह अलियं. 9) JP जुवइ, P एसो पुग- 10) Pom. सहि, णजइ दित्तीए etc.to सामिकुमारो । अण्णाए भणियं ।. 11) दीहियरों. 14) Pom. वि after देवाणं. 15) P कुवलयचंदो, p om. हय, Pom. one किं. 16) P जुवई इत्ति. 17) J वायई. J अण्णा for अवरा. 18) 'मुरयंमि, P अण्णाउ तिसरियं, P छिवइ मुद्धा ।, Pom. तहा. 19) P सहावेश, P रुणरुणेति, हो, हति. 20) "निमेइ. 22)। रेह for लेद, जुवइयण. 25) Pसेह, निबतडं, P दुलाएंति, J अस्थकण्डकण्डुअणारे, P कडुयाई पकरेंति, P अबराओ for अण्णाओ. 26) J अण्णाओ for अवराओ. 27) P जाव सुंदरियणो, I om. मोई. मोहिय. 28) विवणि, P अन्ने य, P वणिया, P पणय, J वोले णा, P वेएण, om. चेव. 30) अक्खलिय आसपसरे. मेति वाहयालि. 31) Pom. य, P वाहयालि, J धारि, P से, P सयलंबणनीह', P कलोलयारूढो.33) पञ्चए. 34) Pon, णाऊण, 'तुरमागो, न पहाइयं पयत्तो. 35) Jतिरि- for तुरिय, JP पमुको. 360 Pom. कलयले. Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६६२] कुवलयमाला 1 जय जय जयइ कुमारो कुवलयचंदो समुद्दकल्लोले । लच्छि-सहोदर-तुरए आरूढो तियसणाहो ब्व ॥ ६६१) जावय जय-जय-सह-गम्भिणं जगो उल्लवइ तावय पेच्छंताणं तक्खणं समुप्पइओ तमाल-दल-सामलं मयणयलं तुरंगमो। धावह उप्पइमो विय उप्पइओ एस सञ्चयं तुरओ । एसेस एस वञ्चइ दीसइ भईसणं जाओ । इस भाणिरस्स पुरमओ जणस्स उच्छलिय-बहल-बोलस्स । अक्खित्तो तुरएण देवेण व तक्खण कुमरो ॥ मह णह-लंधण-तुरिओ उद्धावह दक्खिणं दिसा-भाग । पहि-णिवेसिय-चक्की गरुलो इव तक्खणं तुरओ ॥ धावतस्स य तुरिय अणुधावंति ब्व महियले रुक्खा । दीसंति य धरणिधरा ओमंथिय-मल्लय-सरिच्छा। पुरिसा पिपीलिया इव णयराई ता ण णयर सरिसाई । दीसंति य धरणियले सराय-अद्दाय मेत्ताओ। दीसंति दीहराओ धवलाओ तंस-वंक-वलियाओ। वासुइ-णिम्मोयं पिव महा-णईओ कुमारेण ॥ तमो एवं च हीरमाणेण चिंतिय कुमार-कुवलयचंदेण । 'सम्वो जइ ता तुरओ कीस इमो णहयलम्मि उप्पइओ । अह होज कोइ देवो कीस ण तुरयत्तण मुयह ॥ 18. ताजाव णो समुई पावइ एसो रएण हरि-रूवो । असिधेणु-पहर-विहलो जाणिजउ ताव को एसो॥ जइ सञ्च चिय तुरओ पहार-वियलो पडेज महि-पीढे । अह होज को वि अण्णो पहओ पयडेज णिय-रूवं ।' एवं च परिचिंतिऊण कुमारेण समुक्खया जम-जीह-संणिहा छुरिया। णिवेसिओ य से णियं कुच्छि-पएसे पहरो 18कुमारेण । तमो णिवडत-रुहिर-णिवहो लुलंत-सिरि-चामरो सिढिल-देहो । गयणयलाओं तुरंगो णिवडइ मुच्छा-णिमीलियच्छो ॥ थोवंतरेण जे चिय ण पावए महियलं सरीरेण । ता पासम्मि कुमारो मञ्च व्व तेण से पडिओ ॥ 18 तुरओ विणीसहगो धरणियलं पाविऊण पहरंतो । मुसुमृरियंगमंगो समुझिओ णियय-जीएण ॥ सभोतच तारिसं उझिय-जीवियं पिव तुरंगमं पेच्छिऊण चिंतिय कुमारेण । सम्वो विम्बयणीयं जद वा तुरओ कई च णह-गमणो । अहवा ण एस तुरओ कीस विवण्णो पहारेण ॥' ६२) तो जाव एवं विम्य-खित्त-हियओ चिंति पयत्तो, ताव य णव-पाउस-सजल-जलय-सह-गंभीर-धीरोरलि-4 महुरो समुद्धाहो अदीसमाणस्स कस्स वि सहो । 'भो भो, जिम्मल-ससि-वंस-विभूसण कुमार-कुवलयचंद, णिसुणेसु मह क्यणं । गतवं ते मज वि गाउय-मेत च दक्षिण-दिसाए । तत्थ तए दट्टव्वं महट्ट-पुब्वं च तं किं पि॥' इमं च सोऊण चिंतियं कुमार-कुवलयचंदेण । 'अहो, कई पुण एस को वि णाम गोत्तं च वियाणइ महं ति । अहवा कोह एस देम्बो अरूवी इह-द्विमओ विय सव्वं वियाणइ । दिब्व-णामिणो किर देवा भवंति' त्ति । भणियं च इमिणा 'पुरमओ वे 97 गंतवं । तत्थ तए कि पि अदिट्ठ-पुष्वं वढन्वं' ति । ता किं पुण तं अदिट्ट-पुन्वयं होहि ति । दे दक्षिण-दिसाहुत्तो चेय भ वञ्चामि । 'अलंघणीय-वयणा किर देवा रिसिणो य होति' त्ति चिंतियं च तेण । पुलइया गेण चउरो वि दिसि-विदिसी. विभागा, जाव पेच्छद अणेय-गिरि-पायव-वल्ली-लया-गुविल-गुम्म-दूसंचारं महा-विझाडविं ति । जा व कइसिया। पंडव30 सेण्ण-जइसिया, अजुणालंकिया सुभीम ब्व । रण-भूमि-जइसिया, सर-सय-णिरंतरा खग्ग-णिचिय स्व । णिसायरि-जइसिया, 30 भीसण-सिवारावा दव-मसि-मइलंगा व । सिरि-जइसिया, महागइंद-सणाहा दिव्व-पउमासण व्व । जिणिद-आण-जइसिया, महब्बय-दूसंचारा सावय-सय-सेविय व्व । परमेसरत्थाणि-मंडलि-जइसिया, रायसुयाहिटिया अणेय-सामंत ध्व । 33 महाणयरि-जइसिया, तुंग-सालालंकिय सप्पागार-सिहर-दुलंघ व्व । महा-मसाण-भूमि-जइसिया, मय-सय-संकुला जलंत-8 1)P'कलोलो, P सहोयर. 2) Pजाव जयासह. 4)P वच्चइ for धावइ चेय for एस. ) P भामिरस्स, हल for बहल, Pom. व. 6)Pउउद्धावइ, P भायं, P गरुडो. 7) Pवि for य तु, मच्छिय but मंथिय is written on the margin. 8) P पिवीलिया, यव for इव, गरयाई (corrected as नयरा; on the margin)P नयणा, सराय (ह) 11) नहयलं समुप्पइओ, I कोवि, P दिन्वो for देवो. 12) नएण tor रएण, विमलो. 13)P विहलो, P वीढे, कोख. 14) Pजमह for जम, P विवेसिओ सो नियं, P पहारो. 16) ललंत सिअचा', गयणाओ. 17) योयंतरेण इच्चिय २. मच्छु, JP 'त्तेण. 18) P वी for वि, P पहहरत्तो. 19) P जीयं, P om. पिव, P om. चितियं. 20) J ताओ for सा, 4 om. तुरओ. 21) Pएव, Prepeats पयत्तो. 22) Pअदीणमा', Pom. कस्स, P सदा, बीस for वंस, निमुणे सुहवयणं. 24) P तत्थु तप, . अदिट्ठः 25) J कुमारेण for कुमार, P पयं for एस, कोधि for कोह. 26) अरूई रूहट्ठिओ ट्ठवे सन्वं, ' एवंविहा for देवा. 27) Jom. तए, P पुन्वं for पुश्वयं, पति होहिति त्ति, P दक्षिणा for deto. विय for चेय. 28) " अलंघणिय, P देवया for देवा, P य हवंति, Pon. Tण, P om. वि, P दिसीविभाया. 39) पेच्छा किर पायवाणेय, Pom. गिरिपायव, P गुहिलगुंमदुस्संचारा, विज्झाइवि ति, Pom. कइ सेया. 30) सेगो, । अण्णालंकियसुभीमं च P अजुणोलं',P सिरनिरंतर, णिचिरंच तिचय व्व. 31) P सिवाराबदवदमसिमइलंगब्ब, JP सणाह, JP पउमासणं च. 32) दूसंजारव दुस्संचारा, P सा साविया सवियं बा, सेवियं च, सामंतं च. 33) Pहेसागारसीहदुलंघ च, संकुलं च संकुल. Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ उज्जोयणसूरिविरड्या [६६२1घोराणल ब्व । लंकाउरि-जइसिया, पवय-वंद्र-मत-महासाल-पलास-संकुल व्व त्ति । अवि य कहिंचि मत्त-मायंग- 1 भजमाण-चंदण-वण-णिम्महंत-सुरहि-परिमला, कहिंचि घोर-चग्ध-चवेडा-घाय-णिहय-वण-महिस-रुहिरारुणा, कहिंचि दरियहरि-णहर-पहर-करि-सिर-णीहरंत-तार-मुत्तावयर-णिरंतर-रेहिरा, कहिंचि पक्कल-महा-कोल-दाढाभिघाय बाइज्जत-मत्त-वण- १ महिसा, कहिंचि मत्त-महा-महिस-जुज्झत-गवल-संघ-सह-भीसणा, कहिंचि पुलिंद सुंदरी-वंद्र-समुच्चीयमाण-जाहला, कहिंचि दव-डज्झमाण-वेणु-वण-फुडिय-फुड-मुत्ताहलुज्जला, कहिंचि किराय-णिवहाणुहम्ममाण-मय-कुला, कहिंचि पवय6 वंद-संचरंत बुक्कार-राव-भीसणा, कहिंचि खर-फरुस-चीरि-विराव-राविया, कहिंचि उदंड-तडुविय-सिहंडि-कलाव-रेहिरा, . कहिंचि मह-मत्त-मुइय-भमिर-भमर-झंकार-राव-मणहरा, कहिंचि फल-समिद्धि-मुइय-कीर-किलिकिलेंत-सह-सुंदरा, कहिंचि वाल-मेत्त-मुझंत-हम्ममाण-चमर-चामरि-गणा, कहिंचि उद्दाम-संचरंत-वण-तुरंग-हेसा-रव-गम्भिणा, कहिंचि किराय-डिंभहम्ममाण-महु-भामरा, कहिंचि किंगर-मिहुण-संगीय-महुर-गीयायण्णण-रस-वसागय-मिलंत-णिञ्चल-ट्टिय-य-गवय-मयउल . त्ति । अवि य। सललिय-वण-किकिराया तहा सल्लई-वेणु-हिंताल-तालाउला साल-सज्जजुणा-णिब-बब्बूल-बोरी-कर्यबंब-जंबू-महापाडला सोग-पुण्णाग-णागाउला। 9 कुसुम-भर-विभग्ग-फुल्लाहि सालाहि सत्तच्छयामोय-मन्नत-णाणा-विहंगेहिँ सारंग-देहि कोलाहलुद्दाम-झंकार-णिहाय माणेहिँ ता चामरी-सेरि-सत्थेहि रम्माउला । 16 पसरिय-सिरिचंदणामोय-लुद्धालि-झंकाररावाणुबझत-दप्पुडुरं सीह-सावेहि हम्मंत-मायंग-कुंभत्थलुच्छल्ल मुत्ताहलुग्घाय-16 पेरंत-गुंजत-तारेहि सा रेहिरा । सबर-णियर-सह-गद्दब्भ-पूरंत-बोकार-बीहच्छ-सारंग-धावंत-वेयाणिलुद्धय-फुल्लिल्ल-साहीण-साहा-विलग्गावडंतेहि फुल्लेहिंसा सोहिय, त्ति । अवि य । 18 बहु-सावय-सेविय-भीसणयं बहु-रुक्ख-सहस्स-समाउलयं । बहु-सेल-गई-सय-दुग्गमयं इय पेच्छइ तं कुमरो वणयं ॥ ति ६६३) तं च तारिसं पेच्छतो महा-भीसण वर्णतरं कुमारो कुवलयचंदो असंभंतो मयवइ-किसोरमओ इव जाव थोवंतरं शवञ्चइ ताव पेच्छइ खेल्लंति बग्ध-वसहे मुइए कीलंति केसरि-गईदे । मय-दीविए वि समय विहरति असंकिय-पयारे॥ पेच्छइ य तुरय-महिसे सिंगग्गुल्लिहण-सुह-णिमीलच्छे । कोल-वराहे राहे अवरोप्पर-केलि-कय-हरिसे ॥ - हरि-सरहे कीलंते पेच्छइ रणं-दुरेह-मजारे । अहि-मंगुसे य समय कोसिय-काए य रुक्खग्गे ॥ अण्णोण्ण-विरुद्धाइ वि इय राय-सुओ समं पलोएछ । वीसंभ-णिन्भर-रसे सयले वण-सावए तत्थ । तओ एवं च एरिसं वुत्र्ततं पुलोइऊण चिंतियं कुमार-कुवलयचंदेण । 'अब्वो, कि पि विम्हावणीयं एयं ति । जेण १ अण्णोण्ण-विरूदाई वि जाइँ पढिज्जति सयल-सत्थेसु । इह ताई चिय रइ-संगयाई एयं तु अच्छरियं । ता केण उण कारणेण इम एरिसं ति । अहवा चिंतेमि ताव । हूं, होइ विरुद्धाण वि उप्पाय-काले पेम्म, पेम्म-परवसाण कलहो त्ति । अहवा ण होइ एसो उप्पाओ, जेण सिणिद्ध-स्सरा अवरोप्परं केलि-मुइया संत-दिसिट्ठाणेसु चिटुंति, उप्पायए पुण 30 दित्त-सरा दित्त-ट्ठाण-ट्ठिया य अणवरयं सुइ-विरसं करयरेंति सउण-सावय-गणा । एए पुण एवं ति : तेण जाणिमो ण 30 उप्पाओ त्ति । ता किं पुण इमं होज्जा । अहवा जाणियं मए । कोइ एत्थ महारिसी महप्पा संणिहिमओ परिवसइ । तस्स भगवओ उवसम-प्पभावेण विरूद्धाण पि पेम्म अवरोप्परं सउण-सावयाण जायइ'त्ति । एवं च चिंतयतो कुमार-कुवलयचंदो 33 जाव वञ्चइ थोवंतरं ताव अइ-णिद्ध-बहल-पत्तल-णीलुब्वेलंत-किसलय-सणाई । पेच्छद कुवलयचंदो महावर्ड जलय-वंद्र व ॥ 3 1) व for ब्व, P चंदु for वंद्र, संकुलं च. 2) सुरभि, अहह for घाय, om. णिय. 3) Pनियर for णिरंतर, Pom. मत्त. 4)गुंजाफला. 5) घेणुधण for वेणुवण, न कहिं किराय, Pणुगम्ममाणमयउला. 6)चिरि विराय, तडवि, P तहवियढ. 7) Pom. भमिर, J दल for फल, P किलिगिलंत. 8) Pतुरंगमहिसारव. 9) ट्ठियागय. 11) नव for वण, JP किकिराय, P माउला for तालाउला, P सज्जणा. P वम्भूलया, P कयंबव्यहवाड्यासोयपुण्णायनायाउला. 13)Pविहग, 3 फुलेहि, P नच्चंत for मजत, P झंकाराणिदायमणिहहो. 14) Pसरि for सेरि. 15) बुझंतदुप्पुद्धरं, ' मुत्ताहलुप्पाय, P मुत्ताफलुग्घायाफेरंतकुजतारहिं च सा. 16) Jom तारेहिं सा. 17) P बोकाहिं वीभच्छ, वेताणिलुछु, J वलीलया for फुल्लिल्ल, P विवग्गावडं', Pom. फुलेहि, सु for सा. 18) Porm. अवि य. 19) Pसहस्सउ समा',Jom. ति. 20) " कुमारकुर्व, मयमवई किसोरोउविजइ जाव. 22) खेलंति, P मुइया, P मेयदीवएहि समयं, P पयारो. 23) तुरियमहिसो, "लेहणा, P वराहराहे. 24) P कीलंतो, ' दुरेय P दुरेहि, P मंगुसेहि, Pom. य. 25) व for वि, P रायसुयसुयं पलों 26) Jul for एवं, P पुलइऊण, Pइमं ति । तेण for एयं etc. 27) कह for रइ. 28) Pहुं. 29)P एरिसो for एसो, जेण ण, जेणासनिळू', Pट्ठाणे महप्पा, Pom. 'सु चिटुंति, उप्पायए to एत्थ महारिसी. 32) भगवतो, ' सण for सउण, जाय ति, एयं for एवं, विचिंतयंतो. 34) निद्धता; P नीलवेहंत, चंदु ब्व P चंदं व. Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६६५] कुघलयमाला । बद्ध-जडा-पब्भार लंबत-कलाव-कुंडिया कलियं । पवण-वस-थरथरतं तावस-थेरं व वड-रुक्खं ॥ बहु-दिय-कय कोलाहल-साह-पसाहा-फुरंत-सोहिल्लं । बंभाणं व णियच्छइ पढम कप्पाण पारोहं ॥ सओ तं च पेच्छिऊण तं चेव दिसं चलिओ त्ति अचलिय-चलंत-लोयणो राय-तणओ। ६६४)ता चिंतियं च 'अहो इमो वड-पायवो रमणीओ मम णयण-मणहरो, ता एयं चेय पेच्छामो'। चिंतयतो संपत्तो वड-पायव-पारोह-समीवं, जाव पेच्छइ 8 तव-णियम सोसियंग तहा वि तेएण पजलंत च । धर्म व सरूवेणं रूवि पिव उवसमं साहुं॥ अवि य आवासं पिव लच्छीए, घरं पिव सिरीए, ठाणं पिव कंतीए, आयरं पिव गुणाण, खाणि पिव खतीए, मंदिरं पिव बुद्धीए, आययणं पिव सोम्मयाए, णिकेयं पिव सरूवयाए, हम्मिय पिव दक्खिण्णयाए, घरं पिव तव-सिरीए ति । किं बहुणा, • मय-वंकत्तण-रहिए भउब्व-चंदे व्व तम्मि दिट्ठम्मि । चंद-मणियाण व जलं पज्झरह जियाण कम्म-रयं ॥ जावय कुवलयचंदो णिज्झायइ तं मुणिं पुलइयंगो । ताव बिइयं पि पेच्छह दिव्वायारं महा-पुरिसं ॥ णिवण्णेइ यण सो तं पुरिसं वाम-पासमल्लीणं । चंदाइरेय-सोम्म कतिलं दियह-णाहं व ॥ 13 चलणंगुलि-णिम्मल-णह-मऊह-पसरंत-पडिहय-प्पसरो । जस्स मियंको Yणं जाओ लजाएँ रमणियरो॥ ललिउण्णय-णिम्मल-णिक्कलंक-सोहेण चलण-जुयलेण । कुम्मो वि णिज्जिओ णूण जेण वयण पि गुप्पेइ ॥ दीहर-थोर-सुकोमल-जंघा-जुयलेण णिजिओ वस्सं । सोयइ करिणो वि करो दीहर-सुंकार-ससिएहिं ॥ 18 अइकक्कस-पीण-सुवट्टिएण ओहामिओ णियंबेण । वण-वासं पडिवण्णो इमस्स गूणं मयवई वि॥ अइपीण-पिहुल-कक्कड-कणय-सिलाभोय-रुइर-वच्छेण । एयस्स विणिजिओ हामिएण सामो हरी जामओ ॥ पिहु-दीह-णयण-वंत फुरंत-दिय-किरण-केसर-सणाहं । दट्टण इमस्स मुहं लजाएँ व मउलियं कमलं ॥ 18 अइणिद्ध-कसिण-कुंचिय-मणहर सोहेण केस-भारेण । णूणं विणिजिया इव गयणे भमरा विटंति ॥ इय जे जे किंचि वणे सुंदर-रूवं जणम्मि सयलम्मि । अक्खिविऊणं तं चिय सो चिय णूणं विणिम्मविओ ॥ एवं च चिंतयतेण कुमार-कुवलयचंदेण मुणिगो दाहिण-पासे वियारिया कुवलय-दल-सामला दिट्ठी । जाव य 1 भावलिय-दीह-लंगूल-रेहिरं तणुय-मज्झ-रमणिज । उद्धय-केसर-भारं अह सीह पेच्छए तइयं ॥ तक्खण-इंद-विद्दविय-कुंभ-णक्खग्ग-लग्ग-मुत्ताहं । भासुर-मुह-कुहरंतर-ललंत-तणु-दीह-जीहालं ॥ भीसण-कराल-सिय-दंत-कंति-करवत्त-कत्तिय-गइंदं । णह-कुलिस-घाय-पश्चल-पल्हथिय-मत्त-वण-महिसं ॥ * इय पेच्छह सो सीहं कराल-वयण सहाव-भीसणयं । तह वि पसंत-मुह-मणं रिसिणो चलण-प्पहावेण ।। ६६५) तओ तं च दट्टण चिंतियं रायउत्तेण । अहो धम्मो अत्थो कामो इमिणा रूवेण किं च होजाउ । अहवा तिण्ह वि सारं लोयाण इमं समुद्धरियं ॥ थता जारिसं पुण लक्खेमि एयं तं जं भणियं केणइ देब्वेण जहा । गंतव्वं ते अज वि गाउय-मेत्तं च दक्षिण-दिसाए । तत्थ तए दट्टब्वं अदिट्ट-पुब्वं व तं किं पि॥ एत्य य एस को वि महरिसी, दोण्ह वि णरिद मईदाण मज्झटिओ तव-तेएण दिप्पमाणो साहतो विय 30 अत्तणो मुर्णिदत्तण दीसइ । सुब्वइ य सत्थेसु जहा किर देवा महारिसिणो य दिश्व-णाणिणो होति । ता इमं 30 सयल-तेलोक्क बंदिय-वंदणिज्ज वंदिय-चलण-जुवलं गंतूण पुच्छिमो अत्तणो अस्सावहरण । केणाहं अवहरिओ, केण वा कारणेणं, को वा एस तुरंगमो त्ति चिंतयतो संपत्तो पिहुल-सिलावट्ट-संठियस्स महामुणिणो सयासं। आयरिओ य सजल-जलय83 गंभीर-सह-संका उद्देड-तंडविय-सिहंडिणा धीर-महुरेणं सरेणं साहुणा 'भो भो ससि-वंस-मुहयंद-तिलय कुमार-कुवलयचंद, 29 .www.www.www.wwwwwwwun 1) कुलाव, धरेंत. 2) कल for कय, P सीहा for साहपमाहा, पसाहा, मेडलं, P पारोवं. 3) चेय, अतियवलिय for त्ति अचलिय. 4) P om. ता, Jणयणमणोरहो, चिर्तयतो. 6)P धर्म रूवसरूवेण रूवं पिव चउसमसाहू। 7) Pट्ठाण, P आयरयं, P खाणी विय, कित्तीए for खंतीए, P मंदरं. 8) Pणिक्केवणं पिव. 9) मयं, P रहिय. 10) ताव दितियं । ताव य बिइयं, P om. पि. 11) सोम. 12) मउह मयूर. 13) णिवण for णिम्मल, P कम्मो वि णिव्वउत्तण, P गुत्तइ. 14)P for वि, P रसिएहिं. 15) Pसुवंकिएण. 16) J आइपिहुलपीणकक्कड, सिलालोय, P वत्थेण, विज्जिओ हामणाए. 17)P वत्त, P लज्जाए म'. 18) विरुंटुंति P विरुंढेति. 19) एसो for सो, P नूण निम्मविओ. 20) चिंतिय तेण, P चंदेणल for दल, P om. य. 21) नंगूल, तणूय, ' उटुअ P अदुय,' सीहं अह inter. 22) मुत्तोहं, P लुलंत. 23) Pवत्तिय for कत्तिय, P कुलिया, P पम्ह स्थिय. 24) पसरतमणहर रिसिणा, पभावेण. 26) किंच होजाओ किंचि होजाणु, तिण्ण, P सारो, P 'रिलं. 27)P एतं for एयं तं. 28) P सुई for व तं. 29) P महारिसि, P -गइंदाणं, P साहेतो विअत्तणो. 30) Pom. य,P किरि, महि रिसिणा31)Pचलणग्गजुयलं, आसावहरणं, केण अह. 32) Pom. त्ति, चितियं तो, Jom. संपत्तो, आयासिओ.. om. य, Pom. जल. 33) Pउद्दढतद्दविय, सिहिण्डिणा P विहंटिणा, P कुवलय for कुमार. Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० उजायणसूरिविरइया सागयं तुह, आगच्छसु' त्ति । तो णाम-गोत्त-कित्तण-संभाविय-णाणाइसएण रोमंच-कंचुव्वहण-रेहिरंगेम विणय-पणएण । पणमियं ण सयल-संसार-सहाव-मुणिये महामुणिणो चलण-जुयलयं ति। भगवया वि सयल-भव-भय-हारिणा सिद्धिसुह-कारिणा लंभिओधम्मलाह-महारयणं ति। तेण वि दिव्व-पुरिसेण पसारिओ ससंभमं सुर-पायव-किसलय-कोमलो माणिक- ३ कडयाभरण-रेहिरो दाहिणो करयलो। तओ राय-सुएणावि पसारिय-भुय-करयलेण गहियं से ससंभमं करयलं, ईसि विणउत्तमंगेण कओ से पणामो । मयवइणा वि दरिय-मत्त-महावण-करि-वियड-गंडयल-गलिय-मय-जलोल्लणा-णिम्महत-बहल8 केसर-जडा-कडप्पेण उब्वेल्लमाण-दीह-गंगूलेणं पसंत-कण्ण-जुयलेण ईसि-मउलियच्छिणा अणुमण्णिो राय-तणओ। कुमारेण 8 वि हरिस-वियसमाणाए सूइज्जततर-सिणेहाए पुलइओ णिद्ध-धवलाए दिट्ठीए । उवविट्ठो य णाइदूरे मुणिणो चलण-जुवलयसंसिए चदमणि-सिलायले त्ति । सुहासणथो य भणिओ भगवया 'कुमार, तए चिंतिय, पुच्छामि एवं मुणिं जहा केणाई अवहरिओ, किं वा कारण, को वा एस तुरंगमो ति। एयं च तुह सव्वं चेय सवित्थरं साहेमो, अवहिएण होयब्वं' ति। । भणियं च सविणयं कुमारेण । 'भयवं, मइगरुओ आय पसाओ जै गुरुणा मह हियइच्छियं साहिजइ' ति मणिकण कर यलंगुली-णह-यण-किरण-जाला-संवलियंत-कयंजली ठिओ रायउत्तो । भगवं पि 19 अविलंबिओ अचवलो वियार-रहिओ अणुभडाडोवो । अह साहिउँ पयत्तो भव्वाण हियय-णिव्ववर्ण ॥ ६६६) संसारम्मि अणते जीवा तं णस्थि जण पावेति । णारय-तिरिय-णरामर-भवेसु सिद्धिं अपार्वता ॥ जस्स विमओए सुंदर जीयं ण धरेंति मोह-मूढ-मणा । चेय पुणो जीवा देसं दट्ट पिण चयति ॥ 18 कह-कह वि मूढ-हियएण वडिओ जो मणोरह-सएहिं । तं चिय जीवा पच्छा ते चिय खयर व छिदंति॥ जो जीविएण णिच् णियएण वि रक्खिओ ससत्तीए । तं चिय ते बिय मूढा खग्ग-पहारेहि दारेति ॥ जेण चिय कोमल-करयलेहि संवाहियाई अंगाई । सो चिय मूढो फालइ अन्वो करवत्त-जंतेहि ॥ भासा-विणडिय-तण्हालुएहि पिय-पुत्तओ ति जो गणिो । संसारासार-रहट्ट-मामिओ सो भवे सत्त । पीय थणय-च्छीरं जाणं मूढेण बाल-भावम्मि । विसमे भव-कतारे ताण चिय लोहियं पीयं ॥ जो चलण-पणामेहि भत्तीऍ थुओ गुरु ति काऊणं । णिय-पाय-प्पहरेहि चुण्णिो सो चिय वराओ॥ जस्स य मरणे रुग्वइ बाह-भरंतोत्थएहि णयणेहि । कीरइ मय-करणिज पुणो वि तस्सेय मंसेहिं ॥ भत्ति-बहु-माण-जुत्तेण पूइया जा जण जणणि ति। संजाय-मयण-मोहेण रमिया पुस महिल त्ति ॥ पुत्तो विय होइ पई पई वि सो पुत्तओ पुणो होइ । जाया वि होइ माया माया वि य होइ से जाया ॥ " होइ पिया पुण दासो मरि दासो वि से पुणो जणो । भाया वि होइ सत्तू सन् वि सहोयरो होड़। मिच्चो वि होइ सामी सामी मरिऊण हवइ से मिच्यो । संसारम्मि असारे एस गई होह जीवाण इय कुमार, किं वा भण्णउ ! 27 खर-पवणाइद्धं विसम पत्तं परिभमइ गिरि-णिउंजम्मि । इय प्राव-पवण-परिहट्टिमओ वि जीबो परिम्भमह॥ तेण कुमार, इम भावेयम्वं । णय कस्स वि को वि पिया ण य माया गेय पुत्त-दाराई । ण य मिस य सत्तु ण बंधवो सामि-मिचोम॥ 80 पिययाणुभाव-सरिसं सुहमसुहं जे कर्म पुस कर्म । त बेदंति अहण्णा जीवा एएण मोहेण ॥ बति तस्थ वि पुणो तेर्सि चिय कारणेण मूढ-मणा । भव-सय-सहस्स-भोज पावं पावाए बुद्धीए ॥ महवा । जह पालुयाए बाला पुलिणे कीलंति भलिय-क्य-घरया । अलिग-वियप्पिय-माया-पिय-पुत्त-परंपरा-मूबा ॥ 18 कलाई करेंति ते चिय भुंजति पुणो घराधा जति । बाल व जाण बाला जीवा संसार-पुलिणम्मि ॥ TYP कंचउब्वहण, P विणयप्पण. 2) जुवलयं, न सय for भय. 3) धम्मलामिओ for लंभिभो, पम्मकाम. 4) P कडयाहरण, पसारिउभय. 5)P विणिमिउत्त, महवयणा, Pom. गंड. 6) जहाजढप्पेण, दीहरलंगूलेणं पसमंत,, अणुमओ, P कुमारेणा. 7) हरी वियसमाण सूह', पुलोइओ, om. धवलाए, 'दिट्ठाए । उयविदिट्ठो, मुणिणा, जुयलसं. 8) has a marginal note: समीवे-पा. on the word संसिप, P सिलायलए त्ति, P भयवया. 9)Pom. ति, एयंता तुरंगमाहरणापेरंबलंत कयंजली for एयं च तुह सव्वं etc. to संवलियंतकयंजली. 10) चेए for चेय. 11/Pरायपुत्तो, adds something like भगवं पि in later hand. 12) अवलंबिओ, P साहियं, P निन्दहणं. 130: पाबंति, . अपावंता. 14) Pजायं for जीयं. 15) Pom.two lines: तं चिय जीवा to रक्खिओ ससत्तीए. 16) बिय जीवा मूढा. 17) Pom. three lines from य कोमल to गणिओ सं. 20) Pचलयण, पहारेहिं. 21) थपण वयणेण, 22) P जगणजणिणि, P मिहल for महिल. 23) सो for विय, P होई, P से for सो, विय से पुणो जाया. 24) पुण दोसो. 25) सो भवे for हवद से, .om. संसारम्मि to जीवाणं. 27) पक्षणाइंद, वसमं, परिहिडिओ. २३) इमं संभावें. 39) सत्त. 300. वेयंती अन्ने जीवा. 31)P बंधंति. 320 बाले, अणियकयरप, पिcिtor पियः ३3) P भंजंति, घरि घरि जंति, बालोब. Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ -६६९] कुवलयमाला तओ कुमार कुवलयचंद, एयम्मि एरिसे असारे संसार-वासे पुण कोह-माण-माया-लोह-मोह-मूढ-माणसेहिं भम्हहिं चेय जे । समणुमूर्य ते तुम तुरंगावहरण-पेरंतं एगमणो साहिर्जतं णिसामेहि त्ति । ६६७) अत्थि बहु-जण्णवाड-जूय-संकुलो अणवस्य होम-धूम-धूसर-गयणंगणो महिसि-चंद्र-सय-संचरंत-कसिण-च्छवी 3 गो-सहस्स-वियरत-धवलायबिर-पेरतो णील-तण-घण-सास-संपया-पम्हलो लोयण-जुयले पिव पुहई-महिलाए वच्छो जाम जणवो। जत्थ य 8 पवण-पहल्लिर-पुदुच्छु-पत्त-सिलिसिलिय-सह-वित्तत्थ । पसरइ रण्णुदेस मय-जूहं पुण्ण-तरलच्छ॥ पुण्ण-तरलच्छ-दसण-णिय-दइया-संभरेत-णयण-जुओ । अच्छई लेप्प-मओ विय सुण्ण-मणो जत्थ पहिययणों ॥ पहिययण-दीण-पुलयण-विम्हय-रस-पम्हुसंत-काययो । अच्छइ पामरि-संस्थो चल-णिच्चल-धरिय-णयण-जुओ॥ णिचल-णयण-जुयं चिय कुवलय-संकाए जत्थ अहिलेइं । अगणिय-केयह-गंधा पुणों पुणो भमर-रिछोली ॥ महुयर-रिछोलि-मिलत-भमर-रुणुरुणिय-सह-जणिएण । मयंगेण जुवाण-जणों उकंतुलय रुणुरुगइ। इय किंचि-मेत्त-कारण-परंपरुप्पण्ण-कज-रिंछोली । जम्मि ण समप्पइ च्चिय विम्य-रस-ब्भिणा णवरं ॥ जस्य य पिसुणिजति सालि-तृण-महाखलेहिं कलम-रिद्वीओं, साहिजति सुर-भवणं-मंडवेहि जणस्स धम्म-सीलत्तणाई, सीसंति 12 उच्छिट्ठाणिढ-मल्लएहि गाम-महा-भोजाई, उप्पालिजति उद्ध-भय-दंड-जुवर्ल सरिसेहिं केवल-जंतवाएहिं उच्छवण-सामग्गीओ, लघिजति महा-समुद्द-सच्छमेहिं तलाय-बंधेहिं जणवय-विहवई पि, सहजति जत्थ पडिप्पवा-मंडवासत्तायारोहिं दाण16 वहत्तणाई, वज्जरिजति खर-महुर-फरुस-महाघंटा-सद्देहिं गोहण-समिद्धीओ ति । जहिं च दिय-वर-खडियाई दीसंति कमल-16 केसरई विलासिणीयण-अहरयं व, राय-हंस-परिगयाओ दीसंति महत्याण-मंडलीमो दीहियाओ व, कीलंति राय-सुया पंजरेसु रायंगणे व, दीसंति चक्कवायाई सरिया-पुलिणेसु रहवरेसुं व, सेवंति सावया महारण्णाई जिण-भवणई व तिमवि य। 18 सरिया-जल-तरलच्छ सरोद्ध-तिलयं तमाल-धम्मेलं । सुद्ध-दिय-चारु-सोहं व वहइ धरणीऍ तं देसं ॥ ति ६६८) तत्थत्थि पुरी रम्मा कोसंबी सग्ग-णयर-पडिबिंबा । तुंगहालय-मंदिर-तोरण-सुर-भवण-सोहिल्ला ॥ धवलहर-सिहर-काणण-भममाण-पवंग-जणिय-लच्छीए । कीलासेलं ति इमं जीय णिसम्मति गयणयरा ॥ 81 गंभीर-णीर-फरिहा-समुद्द-पायार-वेड्या-कलिया । जंबुद्दीवं मण्णे सहसा दिवा सुरेहिं पि॥ राव-तुरय-गमण-संताव-जाय-मुह-फेण-पुंज-धवलइए । कोडि-पडागा-णिवहे जा मारुय-चंचले वहइ ॥ जम्मि भषणग्ग-लग्ग णह-लंघण-णीसह-णिसम्मतं । भहिसारियाओं चंदं पणय-सगन्भं उवलहंति ॥ - हम्मिय-तलेसु जम्मि य मणि-कोट्टिम-विष्फुरत-पडिबिंबा । पडिसिाह-जायासंका सहसा ण णिलेंति सिहिणो वि।। इय केत्तियं व भणिमो जं जं चिय तत्थ दीसए णवरं । अण्ण-णयरीण तं चिय णीसामण्ण हवइ सव्वं ॥ जत्थ य फरिहाओ वि णत्थि जाउ विमल-जल-भरियो । विमल-जल, जे णथि जाइँ ण सरस-तामरस-बिसियई। सरस-तामरसई जे णत्थि जाइँ ण हंस-कुल-चंचु-चुण्णियई । हसउलई जे णत्थि जाई ण णीलुम्पल-दल-भूसियई ॥ १ णीलुप्पल, जे णत्थि जाइँ ण भमिर-भमरउल चुबियई । भमरउलई जे जत्थि जाह ण कुसुम-रेणु-पिंजरियई ॥ कुसुमई जे णस्थि जाइँ जिम्महंत-बहल-मयरंद-परिमलाई ति । अवि य। जलहि-जलोयरम्मि रेहेज व महु-महणस्स वल्लहा । अहव तिकूट-सेल-सिहरोयरि लंका-णयरिया इमा ॥ अहव पुरंदरस्स अलया इव रयण-सुवण्ण-भूसिया। इय सा अमरएहि पुलइज्जइ विम्हियएहि णयरिया ॥ ६६९) तं च तारिसं महाणयरिं पिय-पणइणि पिव परिभुजइ पुरंदरदत्तो णाम राया। 33 तुंग-कुल-सेल-सिहरे जो पणई-सउणयाण विस्सामो । जह-चिंतिय-दिपण-फलो दढ-मूलो कप्प-रुक्खो ब्व ॥ 33 1) संसारे. 2) तुरंगमापहरण, णिसाहेमि. 3) जन्नबाडुच्छुआसंकुलो. 4) वियलंत, धवलायपिर है धवलापंचिर, बहलो for पम्हलो, जुवलं, पुहर, वच्छा Pवच्छ. 5) Jom.'य. 6) पुण्णुच्छु, सिलिसिय, ' परसद, चुन्न for पुण्ण. "P चुन्न for पुण्ण, २ सुन्नजणो. 8) पुलझ्यः, पामरी. 10) महुरवर, भमिर, उकुट्ठलयं रुणरुणेइ, 12) तत्थ for जत्थ, P तण for तृण (a line is added here on the margin), P सीलत्तणइं. 13)F मलेहिं सि गाम, P भोज्जई, Pउण्फालिज्जति उद्द, P कंबल for केवल, । उत्थुरयणसमग्गिओ संधिज्जति. 14) Pom. पि, J सुणिज्जति, P तत्थ for जत्थ, P मंडवसपायारेहिंतो पावइत्तणई. 15) P वयरिज्जति, P घंट, P जहिं विदियखरखंडियई. 16) F विलासिणी अहरई, dom. , P परिगयओ, P महत्थाणि, P दीहिअउव्व, for व, , सुयसु पंजरोयरेंसु रायंगणेसु. 17) P चकवाइयई, पुलणीसु, P सावयमहारन्नई, om. अवि य. 18) ' सोहब्ब, , मुहं च for व बहा. 19)J कोसंवि. P भवणे. 20) P सिहण 21J दरिहा for फरिहा. 22) धवलाए, P पडाया- 23) 'सारियतो, " उयलहंति. 24) F इंमिययलेसु. 25) P दीसए, P नीसमण्णं वहा. 261 । जत्थ व फरिहउ, I भरियाओ, P विभूसियई. 27) P नवहंसउल, चुगिआई, हंसउलयं, I om. ण,. दलसियइ. 28) P भमर tor भमिर, नव for y. 29) P कसमयं. परिमलयं. 30) P किं होज for रेहेज, तिउह. 31) " रवण for रयण, P पुलइज्ज, विम्हयएण णय.32) पीयपणहणी, 3 om. णाम. 33), पणईधयण सउण',P वीसम्मो, जय for जह, मूढो for मूलो. 30 जा 30 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ उजोयणसूरिविरया [ ६६९ 1 जो भाकड्डिय-करवाल-किरण- जालावली करालो रिउ-पणइणीहिं जलओ सुदुस्सहो पिय-विओयम्मि, दरिय-पुरंदर -करि-कुंभ- 1 विग्भमाण-कलसोवरि मुणाल-मध्य यादा सवा-संदाणिनो नियय-कामिणि-जण, पञ्चक्त्र-मैतु-ण-कप-को- पसायणमासिणीहिं गिय-पवतिय-दान-पसारिय-करो पाईयगेणं, सम्भाव-गेह-परिहास- सत्य-ताल-हसिरो मित मंडलेणं, सव्व- पसाय - सुमुहो भिञ्च वग्गेण, सविणय-भत्ति-पणओ गुरुयणेण । तस्सेय गुण- सायर-परिपयत्त- खेय- सुढिय-पसुत्तेहिं सुविणंतरेसु वि एरिसो एरिसो य दीसइ ति । जस्स य अत्ताणं पिव मंतियणो, मंतियणो इव सहिययणो, सहिययणो वि 6 महिलायो, महिलायगो विय विलासिणियणो, विलासिणियणो इव परियणो, परियणो विय गरिंद-लोभो, रिंद - लोभो इव सुर-सत्थो, सुर-सत्थो इव जस्स सब्व-गओ गुण-सागरो, गुण-सागरो इव जस-प्पभावो त्ति । 6 अह एक्को चिय दोसो तम्मि गरिदम्मि गुण-समिद्धम्मि । जं सुह-पायव-मूले जिण-वयणे णत्थि पडिवत्ती ॥ तस् य राइगो पारंपर- पुण्य-पुरिस-कमागतो महामंती चढविहाणु महाबुदीए समालिंगिय-माणसो सुरु-गुरुगो इव गुरू सम्ब-मंति-सात दिष्ण मद्दामंति-जय-सदो वासको नाम महामंती वं च सो राया देवयं पिव, गुरु पिव, पियरं पिव, मि पिव, बंधुप गई पियमन सि । अवि य I , 18 विजा- विण्णाण-गुणाहियाइ - दाणाइ भूलणु केरे । चूडामणि स्व मण्णइ एवं चिय णवर सम्मत्तं ॥ जिण-पण बाहिरं सो पडिवज कास-कुसुम-रुपवरं मण्णइ सम्महिमिंदर-भाराओ गरुययरं ॥ तरस व राइ ते मंतिणा किंचिद्दीर किंचिदाणे किंचि विक्रमे किंचि साचि भेर्ण किंचि विष्णाच 16 दक्खिणणेणं किंचि उवयारेणं किंचि महुरत्तणेणं सव्वं पुद्दइ-मंडलं पसाहियं पालयंतो चिट्ठइति । ७०) तमो तस्स मद्दामेति वासवत्स अण्णम्मि दिवद्दे कयावत्सव-करणीयस्स हाव-सुईभूदस्य भरता भगतालेोकपूया-गिमितं देवदयं पविसमाणस्स हुवार- देसम्मिताय गाणा-वि-कुसुम-परिमलायालमाळा18 गुंजंत-मणहरेण खंधावलंबिणा पुप्फ- करंडपूर्ण समागओ बाहिरुजाण पालओ थावरो णामं ति । भागंतूण य तेण चलण-पणाम- 18 उग्धादिकण पुण्फ करंडये 'देव, बन्दावियसि सबल-सुरासुर-गर- किंगर-रमनीय-मगोदरो कुसमयाण-पिय-बंधव संपतो वसंत- समजो सिभनमाण मडु-मय-मत-भमिर भमर-लि-खावली-पवन-पत्रिप्यमाणु हुव-रव-जियरा समपिवा 21 महामेतिणो सहचार-कुसुम-मैरिति। अच 'देव, समावासिनो तमिचेदय उज्जाणे बहु-सीस-गण-परिवारो धम्मनंदणो 21 भायरिमो' ति । तं च सोऊण मंतिणा अमरिस-वस-विलसमाण-भुमया-लए आबद्ध भिउडि-भीम-भासुर-वयणेण 'हा भणज' ति भागमाणे अच्छोडिया सचिव विसत-मयरंदबिंदु-नीमंदिर-सयार-कुसुम-मंजरी, णिवडिया व सेव-मोपरि कय24 रेणुणा । भणियच मैतिणा रे रे दुरावार, असवण्णानिन्विषेष सर्व भावरय बासि मे पढमं पहा सावरं च24 वसंत साहसि, भगवंत पुण धम्मगंदणं पच्छा अप्पहाणं अणायरेण साहसि । कत्थ वसंतो, कत्थ वा भगवं धम्मणदणो । जो सुरभि कुसुम-मयरंद--कार-मणहर-रवेण भमरावलीहि हिवयं मयन्गिसगम्भिर्ग कुणइ ॥ 1 97 भगवं पुण तं चिय मयण- जळण-जालावली-तविज्र्जतं । जिब्ववड् णवरि हिययं जिण-वयण-सुद्दासिय-जले ॥ संसार- महाकवार केसरी जो जगह रे राये मूड वसंतोत्थ व कत्य व भगवं जिय-कसानो ॥ ता गच्छ, एयस्स भत्तणो दुबुद्धि-विकसियस्स जं भुजसु फल' ति । 'रे रे को पत्थ दुवारे' । पडिहारेण भणियं 'जिय देव' । 30 मैतिणा भणियं । 'दवावे इमस्स चम्म- हक्सरस] दीनाराण - जेण पुनो वि एरिसंण कुहू' ति भणमाणो 30 महामंत्री चेचून चेय सहचार-मंजार भारुको तुरंगमे, परिथमोप राय-पुरंदरदतरस भवर्ण, कमधि-न-सय-सहस्सेहिं वायगो जाय राहणो सीह-दुपारं तत् व भवो तुरंगाओ। पट्टो य जवच्छ पुरंदरदत्तो। उवसप्पऊण व 33 'कुसुम-रय - पिंजरंगी महुयर- शंकार-महुर-पिल्ला । दूह ब्व तुज्झ गोंदी माहष-लच्छीए पेसविया ॥' 12 15 1) किरिउं for रिउ, Pom. जलओ सुदुस्सहो पियविश्रयम्मि ( which is added in 3 on the margin perhaps lator). 2 ) थणयरसोवरिं, P वाहालिया 4 ) P -समुहो, P परिपयंतक्खेय 5 ) Pomits one एरिसो, P repeata जस्स, सुहिययणो इव 6 ) इव for बिय throughout, P विलासिणिजणो ( in both the places ). 7) सूर (in both the places ), P सम्बंमओ, Pom. गुणसागरो, P जसप भारो. 8 ) P बिय for चिय. 9 > > वि for महा, 10 P मंतिसामंतिसामंत, Pom. मंति, P जं for तं, P गुरुयणं for गुरुं, Padds सहोयरं पिव before मिर्च 11) Pom. बंधुं पिब, Pom. ति. 12) णुकेरो, P नवरि. 13 ) P दिट्ठी, P गुरुय 14 ) Pom. य. 15) J दक्खिणेणं, Pछ for त्रि. 16 ) P om. महा, P व्हाइसुईभूयस्स 17 ) भयवं, P जाब for 18) P पुष्प, P वालओ, P पुष्प. 19 Pom. नर. 20 ) P महुमतयमेत्त, Jom. भमिर, P रिछोलीपक्खावली, 21) P निवासिओ, P चेव for चेहय, P सस्स for सीसगण, P 'नंदणो नाम- 22 ) P वियसमाण, भुमलयालपण. मंगभीना नवरदविनीसंदिरा से लियो for सेवडर 24 ) सविन् पढमं for मं. 25 ) P साहेमि for साहसि, P भगवं, P बप्पहाणेणं अणायणेणं अणा 26 ) P सुरहि, बलीहिय 27 ) P तविज्जति P नयर for णवरि. 28 ) मयनं. 29 ) P पयस्स बुद्धी, Pom. जं, P फलं for फूलयं ति, som (दुवारे. 30) om. मंतिणा भणिय, दवापस P सुरक्खस्स केभारणे अद्ध, om. वि. 31 मेरांचेय P मंजरी, तुरंगमो, Pom. य, P राइणो पुरंदरयन्तस्स. 32 ) Pom. य, P तुरंगमाओ, P पषिट्ठो, Pom, य, P स्वच्छ राया पुरंदरयतो उयस पिऊण या !. 33 ) P दूव्य, P तुज्झ गंदी. ताव. 23 P 27 33 . Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -७१] कुवलयमाला 1एवं भणमाणेण राइणो समप्पिया सहयार-कुसुम-मंजरी । राइगा वि सहरिसं गहिया । भणियं च । 'अहो ___ सब्व-जिय-सोक्ख-जणओ वम्मह-पिय-बंधवो उऊ-राया । महुयर-जुवइ-मणहरो अन्बो किं माहवो पत्तो ॥' भणियं च मंतिणा 'जहाणवेसि देव, एह वच्चामो बाहिरुजाण-काणगं । तत्थ गंतूण पुलएमो जहिच्छं बाल-माहव-लच्छि' ति। 3 राया वि एवं होउ' त्ति भणमाणो समुट्ठिओ, आरूढो य एक बारुआसनं करिगिं । अणेय-जग-सय-सहस्स-संवाह-संकुलं फालेतो राय-मग संपत्तो वेगेणं तं चेय काणणं । तं च केरिसं । 8 सहरिस-गरवइ-चिर-दिपण-दसण-पसाय-गारवग्धवियं । उजाण-सिरी' स सहसा हिययं व ऊससियं ॥ अवि य णञ्चत पिव पवणुव्वेल्ल-कोमल-लया-भुयाहिं, गायतं पिव णाणा-विहंग-कलयल-रवेहिं, जयजयावंतं पिव मत्त-कोइलाराद-कंठ-कूविएहिं, तजंतं पिव विलसमाण-चूएक्क-कलिया-तजणी हिं, सद्दावेतं पित रत्तासोय-किसलय-दलग्ग-हत्थएहिं, पणमंत पिव पवण-पहय-विणमंत-सिहर-महासालुत्तमंगेहिं, हसंतं पिव णव-वियसिय-कुसुमहासेहि, रुयंतं पिच बंधण-खुडिय-9 णिवडत-कुसुमंसु-धाराहिं, पढंतं पिव सुय-सारिया-फुडक्खरालावुल्लाहिं, धूमायंत पिव पवणुदुय-कुसुम-रेणु-रय-णिवहेहिं, पजलंत पिव लक्खा-रस-राय-सिलिसिलेंत-मुद्ध-णव-पल्लवेहिं, उकंठिय पिव महु-मत्त-माहवी-मयरंदामोय-मुइय-रुणरुणेत12 महु-मत्त-महुयर-जुयागेहिं ति । अवि य । उग्गाह इसइ णचइ रूयइ धूमाइ जलइ तह पढइ । उम्मत्तओ व दिवो णरवइणा काणणाभोओ॥ ६७१)तं च तारिसं पेच्छमाणो गरवई पविट्ठो चेय उज्जाणे । वियारिया य गेण समंतओ कुवलय-दल-दीहरा 16 दिट्ठी, जाव माहवि-मंडवम्मि परिमुज्झइ, धावइ बउल-रुक्खए, रत्तासोययम्मि भारोहइ, सजइ चूय-सिहरए, दीहर-15 तालयम्मि आरोहइ, खिज्जइ सिंदुवारए, णिवडइ चंदणम्मि, वीसमइ खणे एला-वणुल्लए । इय णरवइणो दिट्ठी गाणा-विह-दुम-सहस्स-गहणम्मि । वियरइ अप्पडिफलिया महु-मत्ता महुयराण पंति व्व ॥ 18 पेच्छह य णव-कुसुम-रेणु-बहल-मयरंद-चंद-णीसंद-बिंदु-संदोह-लुद्ध-मुद्धागयालि-हलबोल-वाउलिजंत-उप्फुल्ल-फुल्ल-सोहिणो 18 साहिणो । तं च पेच्छमाणेण भणिय वासव-महामंतिणा । 'देव दरियारि-सुंदरी-वंद्र-वेहव्व-दागेक्क-वीर, पेच्छ पेच्छ, एए महुयरा णाणावत्यंतरावडिया महु-पाणासव-रस-वसणा विणडिया । अवि य । 21 उय माहवीय कुसुमे पुणरुत्तं महुयरो समलियइ । अहवा कारण-वसया पुरिसा वकं पि सेवंति ॥ पत्त-विणिरहिये पि हु भमरो अल्लियइ कुजय-पसूर्य । दुजण-णिवहोत्थइया णज्जति गुणेहि सप्पुरिसा ।। चंपय-कलियं मयरंद-वज्जियं महुयरो समलियइ । आसा-बंधो होहि त्ति णाम भण कत्थ णो हरइ ॥ 24 धवलेक्क-कुसुम-सेसं कुंद णो मुयइ महुयर-जुवाणो । विमलेक-गुणा वि गुणण्णुरहि णूणं ण मुंचंति ॥ अल्लीण पि महुयरिं पवणुव्वेलंत-दल-हयं कुणइ । अहव असोए अइणियम्मि भण केत्तियं एयं ॥ चूय-कलियाए भमरो पवणाइद्धाइ कीरए विमुहो । पूर्ण रुंटण-सीलो जुवईण ण वल्लहो होइ ॥ 7 मोत्तूण पियंगु-लयं भमरा धावति बउल-गहणेसु । अहवा वियलिय-सारं मलिण च्चिय णवरि मुंचंति ॥ श भम रे भम रे अइभमिर-भमर-भमरीण सुरय-रस-लुद्धो । इय पणय-क्रोव-भणिरी भमरी भमरं समल्लियइ ॥ एवं साहेमाणो णरवइणो वासवो महामंती । महुयरि-भमर-विलसियं लोव-सहावं च बहु-मग्गं । 30 एवं च परिभममाणेणं तम्मि काणणे महामंतिणा वियारिया सुहमस्थ-दसणा समंतओ दिट्ठी। चिंतियं च वासवेणं । 'सव्वं 30 इमं परिभमियं पिव काणणं, ण य भगवं सो धम्मणंदणो दीसइ, जं हियए परिटविय एस मए इहाणिओ राया। ता कहिं पुण सो भगवं जंगमो कप्प-पायवो भविस्सइ । किं वा सुत्तत्थ-पोरिसिं करिय अण्णस्थ अइक्कतो होहिइ त्ति । ता ण 33 सुंदरं कयं भगवया। 33 1) त्ति for एवं. 2) P सबज्जिय, ऊराया for उऊराया, P जुयइ. 3) P'देव जहाणवेति पहि, रुजाणे, P जहित्यए. 4) P एकं चारुपसजिय करिणी, P om. सहस्स. 5) P वेएणं, Pचेव. 6) दिसणा, J सिरीय समय, 7) पवणुधेलं है पवणुवेह, P लयाहिं, P कलरविहिं, P कोइलाकलाकलाराव. 8) P कोविएहिं तज्जतं, P सदावतं, " हत्थेहि, 9)P वणमंत, रूत, पिव वद्धण. 10) कुसुमंसुएहिं, सूअ-, P 'लाविएहि. 11) I सिलिसेलेंत, P मास for मत्त. 12) P जुवाणएहि त्ति, om. ति. 14) नरवई तमि चिय पविट्ठो उ, Pom. य,P दीहदिट्ठी. 15) माहवमंडवं ति, आगेहइ. 16) विजद for खिज्जइ, P वीसम खणं एलावण्णुल्लए. 17) Pदिट्ठिया, P गहणयंमि, P अप्फडिफलिअया. 18) Jom. णवकुसुम eto. to विणडिया । अवि य उ, मयरिंदचंदनीसंदाः, P बलबोलवाउलिज्जति उफा, P फुलपाहिणो सोहिणो. 19) P पिच्छमाणेण, मंतिणो. 20) महुरा. 21) पुणारुतं, P समुलियइ. 23) Pनाम तण किंच नो, भरद for हरइ. 24) कुंद णा P कुंद तो, जुआगो, गुणा वि twice. 25) पिव महुयरि, P पवणुवेलिंत, P असोए इथ जिंदयंमि. 26) J महुअरो for भमरो, कंटण P5ढण, I चेय for होइ. 27) Pमलिणि, णवर मुचंति. 28) ? सुरयसुरलोलो।. 29) वासओ, P लोय. 30) Jom. च, परिभवमाणेण P परिम्भममा, सुहमसत्य', Pदंसमणा, P सन्चमिर्म. 31) परिभवियं, Jom. पिव, P काणेणं, परिट्ठाविया. 32) Pसुत्तत्तत्थपोसिसी, P होहि त्ति, Pण य सुंदरयं. . Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ उज्जोयणसूरिविरया [803 1 कण्णाण अमय-रसं दाऊण य दंसणं भदेंतेणं । दावेऊणं वर-निहि मण्णे उप्पाडिया अच्छी ॥ 1 भद्दवा जाणिवं मए । एत्थ तण वन्छ- गुम्म वली-वा-संताणे सुपुप्फ-फल-कोमल-दल-किसखयंकुर सगाई बहु-कीवा3 पग- पिवलिया--तस-यावर-तु-संकुले भगवंताणं साधूर्ण ण कप्पर आवासि जे ता तम्मि सव्वावाय विरहिए फाए देखे सिंदूर कोहिम तले सिस्स-गण-परिवारो होहिद भगवंत ते मलो महामंतिणा णरवई । 'देव, जो सो सप कुमार समए सिंदूर-कोहिमासण्णे सहत्यारोविओो असोय-पायवो सो ण-याणियह किं कुसुमिओ ण व' ति | राहणा 6 भणियं । 'सुंदरं संत्तं पयट्ट तहिं चेव, वच्चामो' त्ति भणमाणेण गहियं करं करेण वासवस्स । गंतु जे पयतो णरवई 6 सिंदूर कोहिम, जाय यथोवरमुवाओ ताव पेच्छ साहुणो । ७२) से व केरिखे । धम्म-महोवहि- सरिसे कम्म- महावेल कठिण-कुलित्ये खेति-गुण-सार- गरु उवसग्ग-सहे तरु-समाने ॥ पंच-मवय-फल-भार- रेहिरे गुति कुसुम-पेंचइए सीलंग-पच-कलिए कप्पवरू- रयण-सारिच्छे ॥ जीवाजीव- विहाण कजाकज्ज-फल-विरयणा-सारं । साधूण समायारं भायारं के विज्ञायंति ॥ स-समय पर समचाणं सूरज जेण समय-सम्भावं सूतपदं स्यादं अण्णे रिसिणो अणुगुर्णेति ॥ अण्णेत्य सुट्टिया संजमम्मि निसुर्णेति के वि ठाणं अण्णे पति घण्णा समवाये सम्य-विजाणं ॥ संसार-भाव-मुणिणो मुषिणो भगे विवाह-पणती अमय-रस-मीसियं पिव वयणे चिय णवर चारैति ॥ णाया धम्म-कहानी कति भण्णे उवासग-दसाओ। अंतगढ-दसा भवरे मनुचर-दसा अनुगुर्णेति ॥ जाय-पुच्छे पुच्छ गणहारी खाइए तिहोब-गुरु फुड पण्डा-वागरण पदेति पण्डाइ-यागरणं ॥ बिधरियस-ति-सत्य-सत्य-अन्य-सत्थाई समय-सय-दिद्विवार्थ के वि कथा महिति ॥ जीवाणं पण्णव पण्णव पण्णवैति पण्णवचा सूरिब-पण्णति चिव गुणेति वह बंद-पण ॥ अण्णा व गणहर भासिवाई सामण्ण- केवलि-कवाई। पचेय-सर्वदेहिं विरहवाहँ गुर्णेति महरिसिणो ॥ करथइ पंचावयवं दसह च्चिय साहणं परूवेंति । पञ्चक्खणुमाण- पमाण- चउक्कयं च अण्णे वियारेति ॥ भव-जलहि-जाणवतं पेम्म महाराव णिवल- णिद्दल कम्म-टि-ब अपने धम्मं परिकर्हेति ॥ मोधवार-रविगो पर वाय- कुरंग-दय-केसरिणो णय-सय-सर- हरिले बजे अ वाइणो सत्य ॥ लोपालोग-पयाएं दूरंतर-सह-वधु पोयं केवलि-सुत-पिबई निमित्तमण्णे विचारंति ॥ गाणा-जी उपपत्ती सुचणमणि-रयण घाट-संजोये जागति जगिय जोणी जोगीगं पाहु लगे ॥ अहि-सय-पंजरा इव तव-सोसिय- चम्म मेत्त- पडिबद्धा । आबद्ध - किडिगिडि-रवा पेच्छइ य तवस्त्रिणो अण्णे ॥ इंडिय-वणाथ-सारं सम्यालंकार विडिय सोहं समय-प्यवाद-महुरं अपने कवितेति ॥ बहुत-मंत्र-विज्ञा-विद्याणया] सिद्ध-योग-जोइसिया। अच्छेति भणुगुर्णेता भवरे सित-साराई ॥ मण-वयण-काय-गुत्ता विरुद्ध-णीसास णिञ्चलच्छीया । जिण-वयणं ज्ञायंता अण्णे पडिमा गया सुणिणो ॥ अयि कहिंदि पडिमा गया, कहिंचि शिवम-द्विया, कर्हिचि बीराखण-ट्टिया, कहिंचि कुयासन -द्विया, कहिंचि गोदोह 80 संठिया, कहिंचि पउमासण-ट्ठियत्ति । भवि य । 1 इयपेच्छ सो राया सझाय-र तवस्त्रिणो धीरे णित्थिष्ण-भय-समुद्दे संदेण जिनिंद पोपुर्ण ॥ ०३ ) ता च मझे सम्मान या पिन पुष्णिमार्पदो, रवणाने पिव को भोकंती सुराणं पिव 23 पुरंदरे सत्तीए, तरूणं पिव कप्पपायवो सफलन्तणेणं, सम्वद्दा सव्व-गुणेहिं समालिंगिभ चउ-गाणी भगवं भूय-भविस्स- 88 9 12 18 21 24 27 9 12 18 18 21 24 J 1 ) P सदंसणं for दंसणं, P णिही, अच्छ. 2 ) Pन पत्थ, Jसणाह, कीडपयंग. 3 ) P साहूणं, P आवसिंत, Jom. जे, P सव्वावयर हिया. 4 ) Jom. देसे, P कोट्टिमयलो, ́ यण for गण, JP चिंतियंतेण भणियं. J 5 ) संभमए for समय, P सहत्थरो ं, P न याणइ. 6 ) P पयट्टा, J चेय, Pom. जे. 7 ) Pom. य, थोवंतरं गओ 8 ) P के रिसो. 9 ) P महोयहि, P उय सग्ग. 11) P साहूण, J आयारे. 12 ) P सूयज्जर, P सूयगडं, सूअयडं P सूयगड. 13) ट्ठार्णगं P ठाणामं, P । पदंति अन्ने घणा 14 ) P विवाह, पि for पिव, Pनवरि. 15 ) P कति. 16 ) P जाणइ, त्तिलोय, P वागरण, P पण्हाए 17 ) P सत्यसत्थत्य for सत्थत्थ, P सत्य for अत्थ, P वि वयत्था, J अभिजेंति. 18 ) P पद्मत्तिश्चिय, पति साहारणं for साह, पचाणु पाठकणे. 22 ) निबंध, P वियाति. 24 ) जीवुप्पत्ती, जाणिति. 25 ) बागरण. 19) हि विवाई, P पत्ते महारसिनो. 20) P वाइ for वाय, P -नयरिले, P वाइणा. 23 ) P लोयालोय, P पज्जत, P अट्ठिमय, P पच्छई. 26) P धणयच्छ for वयणत्थ, P निवडिया, P विइंतेति, J has a marginal note: च विरहं पा ( which means that च विरइंति is & पाठान्तर). 27 ) P जोईसा, P अच्छेति अणुगुणेंसा. 28 ) P विरुद्ध for निरुद्ध, P झापंता. 29) Pपडिमंठिया, P नियमं ठिया, P वीरासणं ठिया कहिं उक्कुडियासणं ठिया. 30 ) P पोमासणं ठिया, Pom. सि. 31 ) P सिज्झाय, विच्छिन्नतवसमुद्दे. 32 ) Pom. च, P चेव, P पुण्णिमाइंदो, P कोत्थुहो. 33 ) Pom. सम्बद्दा. 27 80 . Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -७४] कुवलयमाला 1भव्व-वियाणओ दिटो णरवइणा धम्मणदणो णाम आयरिओ। दट्टण य पुच्छियं णरवइणा 'भो भो वासव, के उण इमे 1 एरिसे पुरिसे'। भणियं च वासवेण 'एए सयल-तेलोक-बंदिय-वंदणिज-चलण-जुयले महाणुभावे महाणाणिणो मोक्ख-मग्गमुणिणो भगवते साहुणो इमे' त्ति । भणियं च राइणा 'एसो उण को राया इव सस्सिरीओ इमाण मजा-गओ दीसइ' त्ति । 3 भणियं च मंतिणा 'देव, एसो ण होइ राया देसिओ । कहं । संसाराडवीए जर-मरण-रोगायर-मल-दोग्गच्च-महा-वण-गहणे मूढ-सोग्गइ-दिसि-विभागाणं णिद्दय-कुतित्थ-तित्थाहिव-पावोवएस-कुमग्ग-पत्थियाण कंदुग्घुसिय महा-णयर-पंथ-देसिओ भब्व6जीव-पहियाणं भगवं धम्मणदणो णाम आयरिओ त्ति । ता देव, देवाणं पिबंदणीय-चलण-जुयलो इमो, ता उव- 6 सप्पिऊण बंदिमो, किंचि धम्माहम्मं पुच्छिमो' त्ति । 'एवं होउ'त्ति भणमाणो राया पुरंदरदत्तो वासवस्स करयलालग्गो चेय गंतु पयत्तो। गुरुणो सयासं उर्वगंतूण य मंतिणा कय-कोमल-करयल-कमल-मउलेण भणियं । . जय तुंग-महा-कम्मट्ट-सेल-मुसुमूरणम्मि वज-सम । जय संसार-महोवहि-सुघडिय-वर-जाणवत्त-सारिच्छ॥ जय दुजय णिजिय-काम-बाण खतीय धरणि-सम-रूव । जय घोर-परीसह-सेण्ण-लद्ध-णिद्दलण-जय-सद्द ॥ जय भविय-कुमुय-वण-गहण-बोहणे पुण्ण-चंद-सम-सोह । जय अण्णाण-महातम-पणासणे सूर-सारिच्छ । 12 देव सरणं तुम चिय तं णाहो बंधवो तुम चेव । जो सव्व-सोक्ख-मूलं जिण-वयणं देसि सत्ताण ॥ ति भणमाणो तिउण-पयाहिणं करेऊण णिवडिओ से भगवओ चलण-जुवलयं वासवो त्ति राया वि पुरंदरदत्तो । दरिसण-मेत्तेणे चिय जण-मणहर-वयण-सोम्म-सुह-रूव । सइ-वंदिय-बहुयण-चलण-कमल तुझं णमो धीर ॥ त्ति 18 भणिए, भगवया वि धम्मणदणेणं सयल-संसार-दुक्ख-क्खय-कारिणा लमिओ धम्मलाह-महारयणेण ति । ७४) भणियं च भगवया 'सागयं तुम्हाण, उवचिसह' त्ति । तमो 'जहाणवेह' ति भणमाणो पणउत्तमंगो भगवओ णाइदूरे तम्मि चेय पोमराय-मणि-सरिसुल्लसंत-किरण-जाले सिंदूर-कोट्टिमयले णिसण्णो राया। वासवो वि अणु 18 जाणाविउं भगवंतं तहिं चेय उवविट्ठो । एयम्मि समये अण्णे वि समागया णरवर-चट्ट-पंथि-कप्पडियाइणो भगवते 18 णमोकारिऊण उवविट्ठा सुहासणस्था य । गुरुणा वि जाणमाणेणावि सयल-तिहुयण-जण-मणोगय पि सुह-दुक्खं तह वि लोयसमायारो त्ति काऊण पुच्छियं सरीर-सुह-वट्टमाणि-वुत्ततं । विणय-पणय-उत्तमंगेहिं भणियं 'भगवं, अज कुसलं तुम्ह चलण-दसणेणे' ति । चिंतियं च राइणा । 'इमस्स भगवओ मुर्णिदस्स असामण्ण रूवं, अणण्ण-सरिसं लायण्णं, असमा हि कित्ती, असाहारणा दित्ती, असमा सिरी, सविसेसं दक्खिण्ण, उद्दामं तारुण्णं, महंता विजा, अहियं विण्णाण, साइसयं णाणं । सम्वहा सव्व-गुण-समालिंगण-सफल-संपत्त-मणुय-जम्मस्स वि किं वेरग-कारणं समुप्पण, जेण इमं एरिसं एर्गत-दुक्ख अपवज पवण्णो त्ति । ता किं पुच्छामो, अहवा ण इमस्स एत्तियस्स जणस्स मज्झे अत्ताणं गाम-कूडं पिव हियएणं हसावेस्स' 24 ति चिंतयंतो गुरुणा भणिओ। ___'एत्थ णरणाह णवरं चउगइ-संसार-सायरे घोरे । वेरग्ग-कारणं चिय सुलहं परमत्थ-रूवेणं । श जे जयम्मि मण्णइ सुह-रूवं राय-मोहिओ लोओ। तं तं सयलं दुक्खं भणति परिणाय-परमत्था ॥ तिण्हा-छुहा-किलंता विसय-सुहासाय-मोहिया जीवा । जं चिय करेंति पावं तं चिय गाणीण बेरग्गं ॥ जेण पेच्छ, भो भो णरणाह, 30 जे होंति णिरणुकंपा वाहा तह कूर-कम्म-चाउरिया । केवट्टा सोणहिया महु-धाया गाम-घाया य॥ णरवइ-सेणावइणो गाम-महाणयर-सत्थ-धाया य । आहेडिया य अण्णे जे विय मासासिणो रोद्दा ॥ देति वणम्मि दवग्गि खणति पुहई जलं पि बंधति । धाउं धर्मति जे च्चिय वणस्सई जे य छिंदति ॥ 8 अण्णे वि महारंभा पंचेंदिय-जीव-घाइणो मूढा । विउल-परिग्गह-जुत्ता खुत्ता बहु-पाव-पंकम्मि ॥ 1) आयरिओ त्ति, P इमे केरिप्ला पुरिसा. 2) Pom. च, Pएए तियलोकं सयलं वंदिय, P सोग्गा for मोक्ख. 3)" मज्झे गओ. 4) Pom. णं होइ राया देसिओ। कहं । , Pसंसाराडईए, रोगरयमल. 5) दिसी, निद्धय, P तित्थाहिवोवरस, कडुज्झुसियमहा P कंडुजुयं सिवमहा. 6) Pपयाहिण for पहियाणं, P वंदणिय, J ताओ अवसप्पिऊण, P उस्सप्पिऊण वंदामो. 7)P कंचि धम्माधम्मं, I एवं ति होउ, Pपुरंदत्तो, P करयललग्गो. 8) Pमंतिणि. 9) समा P समं, महोयहि, Pom. वत्त. 10) P खंतीय, रूवा P रूवं, सेण. 11) P समसोहे, सारिच्छा. 12) P वितं for the second तुम. 13) Pतिउणं, J वासओ, Pom. त्ति. 14) Pदसण for दरिसण, P सुयणसोम, सुहरूवे, सई सय. 15) Pom. वि, P धम्मलाभ, Pom. ति. 16) P उवविससु, P जहाणवेतु, पणयउत्तिमंगो. 17) P नारइ दूरंमि चेव, P सरसुलसंत, P जाले कोट्टिमर्सिदूरमयले नीसण्णो. 18) Pचेव, P नरवईचट्ठपंथ, P भगवंतं. 19) Jom. वि after गुरुणा, Pom. जण. 20)P पुच्छिओ, P वट्टमाणी, J पणमुत्त. 21) नरवाणा for राइणा, P असामन्नरूवं, JP अण्ण्ण -, Pom. सरिसं, Pow.हि. 22) हि कन्ती (१), असाधारणा, 3 अविसेसं, कारुणं for तारुण्णं, अविण्णाणं ति, Jom. साइसयं णाणं साइसणं नाणं. 23) समालिंगणं, P दुरुत्तरं for दुक्ख. 24) Pom. त्ति, P पुच्छिमो, Pएयस्सय एत्तियमज्झे अत्ताणयं गामउड, हसएस्सं. 26)P सागरे. 28) तण्हा, P नाणेण. 29) P पिच्छा. 30) कोवद्या सोणिहया. 31) P नरवर मंसासिणो. ३3) दढग्गी for दवरिंग, P खणं च पु,P च for पि,P जे विय वणस्सयं. 33) Pच for वि, P मूला. Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ उज्जोयणसूरिविरइया [६७४1 बहु-कोहा बहु-लोहा माइला माण-मोह-पडिबद्धा । जिंदण-गरहण-रहिया आलोयण-णियम-परिहीणा। एए करंति कम्मं मह कुल-णीद त्ति णिच्छिय-मईया । अवरे भगति वित्ती अम्हाण कया पयावइणा ॥ अवरे वि व्वय-रहिया अवरे धम्मो ति तं चिय पवण्णा । अवरे अवरं दाएंति मूढयं चेय मूढ-मणा ।। जीविय-हेउं एवं करेंति अम्हाण होहिह सुहं ति । ण य जाणति वराया दुक्खमसाहारण णिरए ॥ पिय-पुत्त-भाइ-भइणी-माया-भजाण जा-कए कुणइ । ते वि तडे चिय पहाया भुंजइ एक्लो दुक्खं ॥ गुरु-वेयण-दुक्खत्तो पुरओ चिय सयल-बंधु-वग्गस्स । मरिऊण जाइ णरयं गरुएणं पाव-कम्मेण ॥ ६७५) केरिसा ते पुण णरया । अवि य । णक्खत्त-सूर-रहिया घोरा घोरंधयार-दुप्पेच्छा । अहउपहा अइसीया सत्तसु पुढवीसु बहु-रूवा ॥ कहिंचि मेअ-मज-वस-प्फेप्फसाउला । कहिंचि रत्त-पित्त-पूर-पसरंत-णिण्णया। कहिंचि मास-खेल-पूय-पूरिया । कहिंचि . वज-तुंड-पक्खि-संकुला । कहिंचि कुंभीपाय-पञ्चंत-जंतुया । कहिंचि संचरंत-वायसाउला । कहिंचि घोर-सीह-सुणय-संकुला। कहिंचि चलमाण-चचु-कंक-भीसणा । कहिंचि णिवडत-सत्थवाह-संकुला । कहिंचि कड्डमाण-तंब-तउय-ताविया । कहिंचि 12 पच्चमाण-पाणि-दुग्गंध-गंध-गभिणा । कहिंचि करवत्त-जंत-फालिजमाण-जंतुया । कहिंचि णिवडत-घोर-कसिण-पत्थरा । कहिंचि णरयवालायड्डिय-छुब्भमाण-जलण-जालालुक्खिय-दुक्ख-सद्द-सय-संकुल त्ति । अवि य । जं जं जयम्मि दुक्खं दुक्ख-ट्ठाणं च किंचि पुरिसाणं । तं तं भणति णरय जं जरयं तत्थ किं भणिमो॥ 16 अह तम्मि भणिय-पुव्वे पत्ता सत्ता खणेण दुक्खत्ता । पइसंति णिक्खुडेसुं संकड-कुडिलेसु दुक्खेण ॥ जह किर भवगे भित्तीय होइ घडियालय मडह-दारं । णरयम्मि तह श्चिय णिक्खुडाई वीरेण भणियाई ॥ मुत्त-जल-जलु-सलोहिय-पूय-वसा वच्च-खेल-बीहच्छा । दुइंसण-बीहणया चिलीणया होंति दुग्गंधा ॥ 18 अह तेसु णिक्खुडेसुं गेण्हइ अंतोमुहुत्त-मत्तेण । कालेण कम्म-वसओ देहं दुक्खाण आवासं ॥ अइभीम-कसिण-देहो अच्छी-कर-कण्ण-णासिया-रहिओ। होइ णपुंसग-रूवो अलक्खियक्खो कह वि किंचि ॥ जह जह पूरइ अगं तह तह से णिक्खुडे ण माएइ । जह जह ण माइ अंग तह तह वियणाउरो होइ ॥ कह कह वि वेयणत्तो चल-चलणच्छेल्लयं करेमाणो । अह लंबिडं पयत्तो कुड्ड कुडिच्छाओ तुच्छाओ। ता दिट्ठो परमाहम्मिएहिँ अण्णेहिँ गरय-पालेहिं । धावंति ते वि तुट्ठा कलयल-सई करेमाणा ॥ मारेह लेह छिंदह कह फालेह भिंदह सरेहिं । गेण्हह गेण्हह एयं पावं पासेहिं पाएसुं॥ एवं भणमाण च्चिय एक्के कुंतेहिं तत्थ भिंदंति । अवरे सरेहि एत्तो अवरे छिदंति खग्गेहिं । एवं विलुप्पमाणो कड्डितो वि काल-पासेहिं । णिवडतो वज-सिलायलम्मि सय-सिक्करो जाइ॥ णिवडतो च्चिय अण्णे लोह-विणिम्मविय-तिक्ख-सूलासु । भिजइ अवरो णिवडइ धस त्ति घोराणले पाभो॥ णिवडिय-मत्तं एक सहसा छिदंति तिक्ख-खग्गेहिं । अवरे सरहिं तह पुण अवरे कोतेहि भिजति ॥ मुसुमूरति य अण्णे वजेणं के वि तत्थ चूरेति । के वि णिसुभंति दढं गय-पत्थर-लउड-घाएहिं ॥ जंतेसु के वि पीलंति के वि पोएंति तिक्ख-सूलासु । कर-कर-कर त्ति छिंदंति के वि करवत्त-जंतेहिं । 80 छमछमछमस्स अण्णे कुंभीपागेसु णवर पच्चंति । चडचडचडस्स अण्णे उक्कत्तिजति विलवंता॥ ६७६) एवं च कीरमाणा हा हा विलवंति गरुय-दुक्खत्ता । कह कह वि बुडबुडेता सणियं एवं पर्यपंति ॥ पसियह पसियह सामिय दुक्खत्तो विण्णवेमि जा किं चि । किं व मए अवरद्धं साहह किं वा कयं पावं ॥ 38 दाऊण सिरे पहरं मह ते जंपंति णिट्ठर-सरेण । रे रे ण-यणह मुद्धो एस वराओ समुज्जूओ ॥ 21 कह कह 1) P नयण for णियम. 2) कुलणीति ति, P मईय. 3) Pom. अवरे वि व्वयरहिया, वि वयः,P धम्मं ति, P दाणं ति for दाएंति. 4) हेऊ, एयं, P तम्हान for अम्हाण, P नरए. 5) P for जा. 6) P गुरुएणं पुनः 7)" उण ते for ते पुण. 8) Pउय सीया for अइसीया. 9) Pवसापुष्फसा', मंप (?) खेल. 10) कुंभ for कुंभी. 11) कहि बि बलमाणचंचुकंक, विणिवडत P निवडंत, I तउमय. 12) J पडि for पाणि, P दुहंध, P om. गंध. 13) णरयवालो यंथियछुन्भमाण, P छत्तमाण for छन्भमाण, P सय for सद्द. 15) P निफडेसुं संकल.. 16) Pमडहवार नयरंमि तह चिय निकुडाई वीरेहिं. 17) Pom. वच. 18) P निकडेसुं. 19) Pom. कण्ण, P नपुंसय. 20) निक्कडे ण, मायाइ. 21) Pवेयणिल्लो चलचलवेलयं, P अव for अह, P कुच्छाओ for तुच्छाओ. 22) P अह रोद for अण्णेहि, निरय for गरय, P पावंति ते य तुट्ठा. 23) Pछिंदह for भिंदह, Pएं for एयं, P पाडेसु for पाएसु. 24) P भणमाणे, एककंतेहि, Padds सरे before सरेहि, P om. एत्तो. 25) Pय for वि, P जायइ. 26) P अन्नो for अण्णे, P पावो for पाओ. 27) P 'मेत्तो एक्को, P om. तह पुण, P भिंदंति. 28) P अवरे for अण्णे, P पूरंति for चुरेंति. 29) पीलेंति अवरे, for पीलंति के वि, P पूर्यति for पोएंति, P सूलेस, I करेंति for कर त्ति.. 30) 'छमेति for छमस्स, P कुंभीपापसु नवरि, . परिसंता for विलवंता. 31)P विलति गुरुय. 33) P अवरे for अह ते, सरेहि, JP याणइ for यणा (emended). समुज्जओ P समुजूओ. Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -SUR] कुवलयमाला 1 1 जीवे मारेसि तुमं जझ्या रे पाव णिद्दओ होउं । तइया ण पुच्छसि चिय कस्स मए किंचि अवरद्धं ॥ मंसं खाइस या जीवाणं चडचडरस फाले । तया ण पुच्छसि चिय करस भए किंचि वर अलि पसि जया रे पावय पावण विएणं तया मुद्रण-यागसि भणसि मए कि पा गेहसि अदिण्णयं चिय जझ्या रे मूढ णिग्धिणो होउं । तया ण पुच्छसि च्चिय कस्स कथं किं व अवरद्धं ॥ परदार- मोहिय-मणो जया रे रमसि अण्ण-जुबईहिं तवा मूढ ण वाणसि भणति मए किं कर्म पावे ॥ सि परिग्गदं रे जया असराल लोह-पढिबढो । तया मूढ ण-बाणसि भणसि मए किं कथं पात्रं ॥ रे रे खेलसि जया रतो आहेडयं सराय-मनो । तइया मूढ ण याणसि एकस्स कए बहुं चुक्को ॥ बालप्पा पसचे सुयगे पीडेसि रे तुमं जया तया मूढ ण याणसि एकस्स कए बहुं चुकते ॥ निया-ममोम्मतो जिंदसि रे सेसमं जनं जया तया मूढ ण याणसि एकस्स कए यहुं चुको ॥ रोहाणुबद्ध-चित्तो मारेमि इमं ति परिणभो जइया । तइया जाणसि सव्वं संपद मुद्दो तुमं जाओ ॥ मोचून हरि-हराई जड्या तं भणसि को व सम्वष्णू वया स जाणसि एहि रे मुद्धमो जामो ॥ वेय-विाणवितो जड़या तं भणसि णत्धि सो धम्मो तया सम्बं आमसि हि रे अयाणओ जानो । पावारंभ- यि दिसि ते साडुणो तुमं जझ्या तझ्या तं चिय जाणसि अण्णो पुण अवणओ सच्चो ॥ णय संति के वि देवाण व धम्मं मूढ जंपसे जया तया चिंतेसि तुमं मं मोनुं जयणए अण्णो ॥ 10 मारेह पसुंदारेह महिसवं गत्थि पाव-संबंधो। वइया चिंतेसि तुमं मं मोतं ण-पण अण्णो ॥ विक्षिप्यंति बलीयो मासम्मि सरूहिर-माँसाओ ॥ संगलइ गलिय देहो पारय-रस- सरिस- परिणामो ॥ इस भणमागे चिप फाडे चढवडस्स सम्वंगो सो वि बहु-पाव यसको छिनो खरं व खंडखंडेहिं 1 हा ६ सिविलवाणो भइ जलणम्मि जलिय - जालोले । खर-जलण-ताव-तत्ते सामिय तिसिओ त्ति वाहरइ ॥ अ ते विरय-पाला मागे मागे जति जयंता आणेति संब-त कठमाण- फुलिंग-दुपेच्छं ।। अह तम्मि दिण्ण-मेत्ते गुरु-दाह-जलंत-गलय- जीहालो । अलमलमलं ति सामिय णट्ठा गट्ठा हु मे तन्हा ॥ अह ते विणिरणुकंपा मास-रसो वल्लहो ति जंपता । अक्कमिजणं गलए संडास - विडंबिओट्ठाणं ॥ धगधगधगत-चोरं गलिये गलयम्मि देति ते लोहं । तेण च विलिममाणा धार्यति दिसादिसी तो ॥ सर-जल-गलिय-त-संब-पूरियं तव ताविय दिलं वेयरणिं णाम नई मण्णता सीयल जलोहं ॥ धावंति तत्थ धाविर - मग्गालगत घोर-जम- पुरिसा । द्दण णिक्षण भिंद छिंदह मारे मारे ति भणमाणा ॥ अह वेयरणी पत्ता इस त्ति पाउ देति धावंता । तम्मि विलीना लीणा पुणो वि देहं विद्वेति ॥ तो तम्मि हीरमाणा उज्झता कलुणयं चिलवमाणा । कह कह वि समुत्तिष्णा परिसडिय-लुलंत सब्वंगा ॥ अह जल-ताव-तवियं पेच्छति कलंब-बालुया पुलिणं । सिसिरं ति मण्णमाणा धावता कह चिच्छति ॥ तत्थ वि पडलिजता उब्वत्त-परत्तयं करेमाणा । उज्झति सिमिसिमेंता रेणूए चम्म- खंड व्व ॥ असि चक-सत्ति-तोमर-पत्तल-दल- सिलिसित-सहा जाय य धावंति तहिं सहसा उदाहबो महावाओ अद्द सर- मारुष पदयं मसि-पच-वर्ण चलंत-साहालं टिणकर-चरण- जुवा दो भाइयांत सिर वाला गुरु-वाद- दक्षमाणा पेच्छति तमाळ-सामलं जरूये छायं तिमण्णमाणा असिपत्रायणमि धार्वति ॥ खर-सकर-वेष-पहार- पत्थरूपाय वोमीसो ॥ मुंबई सत्य प्ययरं मिंदंति अंगमंगाई ॥ 1 कांत विणिभिरण-पोडा दीह-तंत- परभारा ॥ किर शिव्ययेह एसो सीयल-जल-सीय रोहेण ॥ 1 3 6 12 18 21 24 27 80 83 ३७ 1 ) P रुह for रे, P has some additional lines after अवरद्धं like this : गेण्हसि अदिन्नयं चिय जर वा रे मूढ निग्धिणो हो । तइया न पुच्छसि चिय कस्स मए किंचि पारद्धं ॥ 2 ) Jom the gāthā : मंसं etc., P फालिउं 3 ) Pom. ten lines from तइया मुद्ध etc. to पीडेसि रे तुमं जश्या 9 ) जाइमयम्मत्तो, P संजणं for सेसयं. 10 ) P मारे सि. 11) हरिहराई, अयाणओ for मुद्धओ. 13 ) P अयाणओ. 14 ) P धम्मो, P तझ्या for जश्या P मम for मं, न यागए. 15 ) ण आणए P न याणए 16 ) P चढचडस्स, P मंसामि for मासम्मि, मांसाओ P मीसाउ. 17 > Pय हु for बहु, P खइरो ब्व 18 ) P जालउले, P तत्तो. 19 ) P आगह आणह जलं, P जंपंति, आणंति तउअ तंबं कढ गलंत for जलंत (emended ), P जीहाला, P सामिय सामिय नट्टाउ मे 21 ) P तह for अह, P भणमाणा for जंपंता, P देती for गलए, P विडिंबि. 22 ) P गलयं, J गलियंमि, ते सित लोहं, P से लोहं, P तेण वि विभिन्न माणा, P दिसादिसिं. P निवह for तंब, P कडिलं for तडिलं, P नेति for णाम. 24 ) P "लग्गंति ज घोर. 25 P निबंधति. 26) ते for तो, उ ललंत for लुलंत. 28 ) : सिमिसिमंता रेणूर मंसखंड वा. पावंति for धावंति, P सरसा, P उद्धावई, Jप्पहार, P वामीसो. 31) P पयारं छिंदंति 32 P सीयजल. 20 ) JP 23 ) णिबंद्धंति Jदेति तावंता, 29 ) P धावंतं. 30 ) P ) P ललंतं च गुरुभारा. 33 ) 1 12 15 18 91 24 27 30 88 . Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ य-पचए गुहाहुना गा । पविसंति गुहा पर भीया पडिव उज्जोयणसूरिविरड्या [६७६1 जाव असि-चक-सोमर-पूरे पूय-वसा-रुहिर-मुत्त विच्छिड़े । अगिंगाला-मुम्मुर-णिवहे मह वरिसए जलमो॥ तह तेण ते परद्धा वेयालिय-पच्चए गुहाहुत्ता । धावंति धावमाणा दीणा सेल्लेहिँ हम्मंता ॥ ३ पत्ता वि तत्थ केई गुरु-वज-सिलाभिघाय-दलियंगा। पविसंति गुहाएँ मुहं बितियं णरयं व घोर-त॥ ६७७) अह पलय-काल-जलहर-गजिय-गुरु-राव-दूसहं सदं । सोऊण परं भीया पडिवह-हत्तं पलायति ॥ तस्थ वि पलायमाणा भीम-गुहा-कडय-भित्ति-भाएहिं । मुसुमूरियंगमंगा पीसंते सालि-पिटुं व ॥ कहकह वि तत्थ चुक्का णाऊण एस पुब्ब-वेरि त्ति । वेउब्बिय-सीह-सियाल-सुणय-सउणेहिँ घेति ॥ तेहि वि ते खजंता अंछ-विच्छं खरं च विरसंता । कहकह वि किंचि-सेसा वज-कुडंगं अह पविट्ठा ॥ अह ते वियण-परद्धा खण मेत्तं ते वि तत्थ चिंतेति । हा हा अहो अकर्ज मूढेहिँ कयं तमंधेहिं ॥ . तइओ चिय मह कहियं णरए किर एरिसीओ वियणाओ। ण य सदहामि मूढो एहि अणुहोमि पञ्चक्र्ख ॥ हा हा भणिओ तइया मा मा मारेसु जीव-संघाए । ण य विरमामि अहण्णो विसयामिस-मोहिओ संतो॥ मा मा जंपसु अलियं एवं साहूण उवइसंताणं । को व ण जंपइ भलियं भणामि एवं विमूढ-मणो ॥ 12 साईति मज्झ गुरुणो पर-दव्वं णेय घेप्पए किंचि । एवमहं पडिभणिमो सहोयरो कत्थ मे दवं ॥ साइंति साहुणो मे पर-लोय-विरुद्धयं पर-कलत्तं । हा हा तत्थ कहंतो पर-लोओ केरिसो होइ ॥ जहणे भणंति गुरुणो परिग्गहो णेय कीरए गुरुओ। ता कीस भणामि अहं ण सरइ अम्हं विणा इमिणा ॥ 16 जहणे भणति साधू मा हु करे एत्तियं महारंभं । ता कीस अहं भणिमो कह जियउ कुडंबयं मज्झ ॥ संपइ तं कत्थ गर्य रे जीव कुडंबयं पियं तुज्झ । जस्स कए अणुदियहं एरिस-दुक्खं कयं पावं ॥ तइया भणति गुरुणो मा एए णिहण संबर-कुरंगे । पडिभणिमो मूढप्पा फल-साग-सरिच्छया एए॥ 18 इय चिंतेति तहिं चिय खण-मेत्तं के वि पत्त-सम्मत्ता । गुरु-दुक्ख-समोच्छइया अवरे एवं ग चाएंति ॥ मह ताण तक्खणं चिय उद्धावइ वण-दवो धमधमेंतो । पवणाइद्ध-कुडंगो दहिउँ चिय तं समाढत्तो॥ मह तत्थ डज्झमाणा दूसह-जालोलि-संवलिय-गत्ता । सत्ता वि सउम्मत्ता भमंति णरयम्मि दुक्खत्ता ॥ अवि य । । सरकांत-समागम-भीसणए दुसहाणल-जाल-समाउलए । रुहिरारुण-पूय-वसा-कलिए सययं परिहिंडइ सो णरए ॥ इय दुक्ख-परंपर-दूसहए खण-मेत्त ण पावइ सइ सुहए । कय-दुक्कय-कम्म-विमोहियया भम रे सुह-वजिययं जियया ॥ सम्व-स्थोवं कालं दस-वास-सहस्साइँ पढमए णरए । सव्व-बहुं तेत्तीसं सागर-णामाण सत्तमए । 84 एयं च एरिसं भो दिढे वर-णाण-दसण-धरेहिं । तं पि णरणाह अण्णे अलियं एवं पर्यपंति ॥ ६७८) अण्णे भणति मूढा सग्गो गरओ व्व केण भे विट्ठो। अवरे भणति णरओ वियव-परिकप्पिो एसो॥ जे चिय जाणति इमं णरयं ते चेय तत्थ वच्चंति । अम्हे ण-याणिमो चिय ण वञ्चिमो के विजपंति ॥ 27 अण्णाणं अण्णाणं ण-याणिमो को वि एस णरओ त्ति । अवरे भणंति अवरा जं होही तं सहीहामो ॥ संसार-णगर-कयवर-सूयर-सरिसाण णत्थि उब्वेओ। किं कोइ डोंब-डिंभो पडय-सहस्स उत्तसह ॥ अणुदियहम्मि सुणेता अवरे गेण्हंति णो भयं चिट्ठा। मेरी-कुलीय पारावय व्व भेरीऍ सद्देणं ॥ 30 णरय-इ-णाम-कम्म अवरे बंधति णेय जाणंति । ता ओदिसंति मूढा अवरे जस्सोवरिं रोसो॥ भवरे चिंतेति इमं कलं विरमामि अज विरमामि । ताव मरंति अउण्णा रहिया ववसाय-सारेणं ॥ दे विरम विरम विरमसु पावारंभाओ दोग्गइ-पहाओ । इय विलवताणं चिय साहूर्ण जंति णरयस्मि ॥ 33 ताणरणाह सयण्णो जो वा जाणाइ पुण्ण-पावाई। जो जाणइ सुंदर-मंगुलाई भावेइ सो एयं ॥ णरए णेरड्याण जं दुक्खं होइ पञ्चमाणाणं । अरहा ते साहेज व कत्तो अम्हारिसा मुक्खा ॥ 1 1)" कुंत for तोमर, P पूर for पूय, P om. मुत्त, P अधिगाला, P नियरे for णिवहे. 3) P गुहाभिमुहं वायंतरये च पोर-- 4) I भीता P भीया. 5) P'यंगवंगी, पिस्सते, P सालिीपडं. 6) F सुयणेहिं for सउणेहि. 7) P तहं मि ते खज्जता अच्छिविअच्छक्खर, P वज्जकुडंगेसु पइसति ॥ वज्ज कुडंगपविद्रा खणमेत्तं तत्थ किंचि चिंतेति। 8) P अहा for अहो, धम्मेहिं for मंधेहि. 9) P तत्तो for तइओ. 10) P संघार्य, विसयाविस, P संते. 11) P मूढ़ for एयं. 12) Pom. 'ए किंचि, सहोअरं. 13) Pom. पर, P भणामो for कहतो. 14) Pनो for णे, परिग्गओ, गरुओ, P तरह for सरह. 15) Pणो for णे, साहू साहुकारे, P जियइ. 17) P सायरससिच्छया एते. 18) P चिंतति, P गुरुदत्तसमो. एतेच्छ", P चायंति. 19)Pउवायद. 20) P"माणो, P संपलित्तंगा, P निरयंमि. 21) Jहीसणए P भीसणाए, पूअसमा P पूइवसा. 22) P पाविय, P भमिरे, P वज्जिय जं. 23) P त्योयं, P सहस्साई मं. 24) एरिसो, दिहि, P नारनाह, Pएयं ति जपंति. 25) वियढपरियपिओ. 26)P वुच्चंते. 27)P होहि त्ति तं. 28)Pनयर, P repeats कयवर, P उब्वेवो, P के वि for कोर, Pपडियसहसउब्वियइ. 29) दवा for चिट्ठा, Pकुलाय पारावह ब्व भीरीय सद्धेण. 30) गई, P ता for ताओ, अइसंति P उदिसंतु, J जस्सोवरी जस्सावरिं. 31) P चितंति इमो, P थिरमामि सकयसंकेया ।, P ववसारेयसारेण. 32) Pom. विरम. 33) जे वा जाणंति, P जो जीणइ, P सो एवं. 34) Pj for जं, मुका. Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ 1 । -६८०] कुवलयमाला ६७९) कह-कह वि आउयंते उन्बहो किंचि-मेत्त-कम्म-मलो। पइसइ तिरिक्ख-जोणि मणुओ वा जो इमं कुणह॥ तव-भंग-सील-भंग काम-रई-राग-लोह-कूडत्तं । कूड-तुल-कृड-माणं फूड टंकं च जो कुणइ ॥ पसु-महिस-दास-पेसा जे य किलिस्संति दुक्ख-तण्हत्ता । पर-लोय-णिरावेक्खा लोयं खाएंति दुस्सीला ॥ एए सव्वे मरिउ अकय-तवा जति तिरिय-जोणिम्मि । तिरियाणुपुग्वि-रज्जू-कडिजता बइल च ॥ तत्थ तस-थावरत्ते संपुण्णापुण्ण-थूल-सुहुमत्ते । वियलेंदिय-पंचेंदिय-जोणी-भेए बहु-वियप्पे । जल-जलणाणिल-भूमी-वणस्सई चेय थावरे पंच । विय-तिय-चउ-पंचेंदिय-भेए य जंगमे जाण ॥ दुवय-चउप्पय-भेया अपयापय-संकुला चउ-वियप्पा । पसु-पक्खि-सिरीसिव-भमर-महुयराई बहु-वियप्पा ॥ जल-थल-उभय-चरा वि य गयण-चराई य होंति बहु-भेया। णरणाह किंचि सोक्ख इमाण सव्वं पुणो दुक्खं ॥ खोडण-खणण-विदारण-जलण-तह-द्धमण-बंध-मोडेहिं । अवरोप्पर-सत्थेहि य थावर-जीवाण ते दुक्ख ॥ छिजति वणस्सइणो वंक-कुहाडेहि णिद्दय-जणेणं । लुब्वंति ओसहीओ जोव्वण-पत्ता दुहत्ता य॥ छुभंति कढयदंते उयए जीवा 3 बीय-जोणिम्मि । मुसुमूरिजंति तहा अवरे जंत-प्पओगेणं ॥ 19 णिय-समत्थ-दढ-बाहु-दंड-पविद्ध-असि-कुहाडेहिं । णरणाह तस्यरत्ते बहुसो पल्हत्थिओ रणे ॥ खर-पवण-चेय-पग्विद्ध-गरुय-साला-णमंत-भारेण । भग्गो वणम्मि बहुसो कडयड-सई करेमाणो॥ पजलिय-जलण-जाला-कराल-उज्झंत-पत्त-पन्भारो । तडतडतडस्स डड्डो णरवइ बहुसो वण-दवेण ॥ 18 कत्थई वजासणिणा कत्थइ उम्मूलिओ जलरएणं । वण-करि-करेण कथइ भग्गो णरणाह रुक्खत्ते । $८०) गंतूणमचाएंतो लोलतो कढिण-धरणिवट्टम्मि । कत्थइ टस त्ति खइओ दुइंदियत्तम्मि पक्खीहिं॥ खर-णर-करह-पसूहि य रद्द-सयड-तुरंग-कढिण-पाएहिं । दिष्टि-विहणो तेइंदियएसु बहुसो णिसुद्धो ई॥ उरग-भुयंगम-कुक्कुड-सिहि-सउण-सएहि असण-कजम्मि । विलवतो श्चिय खइओ सहसाहुत्तो भय-विसण्णो । खर-दिणयर-कर-संताव-सोसिए तणुय-विरय-जंबाले । मच्छत्तणम्मि बहुसो कायल-सउणेहिं खइओ है। बहुसो गलेण विद्धो जाल-परद्धो तरंग-आइद्धो । जलयर-सएहि खद्वो बद्धो पावेण कम्मेणं ॥ 21 मयर-खर-णहर-दाविय-तिक्खग्ग-कराल-दंत-करवत्ते । कत्थइ विसमावत्ते पत्तो णिय-कम्म-संतत्तो। कत्थइ अहि ति दटुं मारे-मारेह पाव-पुरिसेहिं । खर-पत्थर-पहरेहिं णिहओ अकयावराहो वि ॥ कत्थइ सिहीहि खइओ कत्थइ णउलेहि खंड-खंड-कओ । ओसहि-गद्धाइद्धो बदो मंतेहिं उरयत्ते ॥ णिटुर-वग्ध-चवेडा-फुड-णहर-विदारिओ मओ रणे । महिसत्तणम्मि कत्थइ गुरु-दूसह-भार-दुक्खत्तो ॥ हरि-खर-णहर-विदारिय-कुंभत्थल-संगलंत-रुहिरोहो । पडिओ वणम्मि कत्थइ पक्खि-वलुत्तो सउणएहिं ॥ गुरु-गहिर-पंक-खुत्तो सरवर-मज्झम्मि दिणयर-परद्धो । ताव तहिं चिय सुक्को तावस-थेरो ब्व जुण्ण-गओ। कत्थइ वारी-बढ़ो बद्धो घग-लोह-संकल-सएहिं । तिक्खंकुस-वेलु-पहार-तजणं विसहियं बहुसो ॥ अइभारारोहण-णिसुढियस्स रण्णे बइल्ल-रूवस्स । जीय-सणाहस्स वि कोल्हुएहि मासं महं खइयं ॥ कत्थइ विसमावडिओ मुसुमूरिय-संधि-बंधणो दुहिओ । तण्हा-छुहा-किलतो सुसिऊण मओ अकय-पुण्णो ॥ कस्थइ जंगल-जुत्तो सयड-धुरा-धरण-जूरण-पयत्तो । तोत्तय-पहर-परद्धो पडिऊण ठिओ तहिं चेय ॥ डहणंकण-बंधण-ताडगाइँ वह-छेज-णत्यणाई च । पसु-जम्ममुवगएणं णरवइ बहुसो वि सहियाई ॥ हरिणतणम्मि तक्खण वियायई-मय-तणं पमोत्तणं । सावय-सहस्स-पउरे वणम्मि विवलाइयं बहुसो ॥ 83 कत्थइ य जाय-मेत्तो मुद्धत्तणएण जणणि-परिहीणो । दढ-कोडंडायडिय-बाणं वाहं समल्लीणो ॥ 18 1) कह व आउणंते, P परसति, P जोणी, for जो, कुणए. 2) P कामरती, कुटुंतं. 3) जे किलिस्सति । जोइ किलेसेइ, P निरापेक्खा, P खायंति. 4) तिरियाणपुन्विरज्जा. 5) Pथावरत्तो ते पुन्नापुन्न. 6) Pतेय for चेय, विद, P भेएणं for भेए य. 7)Pदुप्पय, अपयापद, P सिरीसवभमरामहुयरबहुविहवियप्पा ।। 8) Pगयणचरा चेय. " P खोहण, P वियारणजालपतधमण. 10) Pस्सइणो कुहाडिधाएण निय, P लुचंति, P वि for य. 11) कढकढेते उदए जीवा तु बीय. 12) पविद्ध, P सिय for असि. 13) P पविद्ध, Pसाला निमंतभावेण. 140P दड्डो. 15)रयेणं, करकरेण. 16) P'चायतो, P वसस्थि for टस ति, विइंदियं तम्मि. 17) P रहसड. 18) P om. भुयंगम, . विवलाइत्तो खइओ. 19) विअर for विरय, P जंबोले, P काइल- 21) Pदारिय for दाविय. 23) Pओसहि गंधाधो, P उयरत्ते. 24) P वियारिओ, P सार for भार. 25) कर for खर, P वियारिय, पत्थिवलुत्तो. 26) P गुरुपग: 27) P कत्थइ वीराबंधो, P तिक्कु साबलपहार, P विसहिउँ पयसो. 28) Pमयं for महं. 29) असिऊण for मुसिऊण. 30) Pनंगलहुजुत्तो, चेव for चेय. 31) Pतहा for वह. 32)P हरित्तणमि, विआयमयतण्णय, P मयतणय, विवला इओ. 33) Pom. य, P कोयंडा, P बाणवाई. Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० उज्जोयणसूरिविरइया [६८०1 गेयस्स दिण्ण-कण्णो कत्थइ णिहओ सरेण तिक्खेणं । कथइ पलायमाणो भिण्णो सेल्लु-प्पहारेहिं ॥ कत्थइ धावतो च्चिय पडिओ विसमम्मि गिरि-वर-झसम्मि । कत्थइ वण-दव-जालावलीहिँ डवो णिरुच्छाहो ॥ णो णिन्भएण चिणं तण पिणो चेय पाणियं पीयं । ण य णिभएण सुत्तं णरणाह मयत्तणम्मि मए॥ सस-संबर-महिस-पसुत्त गम्मि पुरिसेहिँ मंस-लोहेणं । मंसं बहुसो खइयं फालेउं अंगमंगाई ॥ सर-सत्ति-सेल्ल-सव्वल-णिय-णिक्खित्त-सर-पहारेहिं । बहुसो अरण्ण-मज्झे जीएण णिएण वि विमुक्को । सुय-सारिय-सउणत्ते लावय-तित्तिर-मयूर-समयम्मि । पंजरय-पास-महयं बहुसो मे बंधणं पत्तं ॥ तण्हा-छुहा-किलतेहि णवर वच्चं पि वैफियं बहुसो । जो उण णिवसइ गब्भे आहारो तस्स तं चेय ॥ कजाकजं बहुसो गम्मागम्म अयाणमाणेण । णरवइ भक्खाभक्ख परिहरियं णो भमंतेण ॥ अवि य । दुक्खं जं णारयाण बहु-विविह-महा-घोर-रूवं महंत, होज्जा तं तारिसं भो तिरिय-गइ-गयाणं पि केसि चि दुक्ख । छेजे बंधे य घाए जर-मरण-महावाहि-सोगुद्दयाणं, णिच्चं संसार-वासे कह-कह वि सुहं साह मझं जियाण ॥ अंतोमहत्त-मत्तं तिरियतं को वि एत्थ पावेइ । अण्णो दुह-सय-कलिओ कालमणतं पि वोलेइ ॥ 12 तिरियत्तणाउ मुक्को कहं पि णिच्छुब्भए मणुय-जम्मे । मणुओ ब्व होइ मणुओ कम्माइ इमाइ जो कुणइ ॥ ६८१) ण य हिंसओ जियाणं ण य विरई कुणइ मोह-मूढ-मणो । पयइ-मिउ-मद्दवो जो पयइ-विणीमो दयालू य॥ तणु-कोह-माण-माया जीया विरमति जे कसाएसु । मूढ-तव-णियाणेहि य जे होंति य पाव-परिणामा । 16 दट्टण य साहुयणं ण वंदिरे णेय णिदिरे जे य । रंडा दूभग तह दुक्खिया य बंभं धरेमाणी ॥ सीउण्ह-खुप्पिवासाइएहि अवसस्स णिजराए उ । तिरियाण य मणुयत्तं केसि पि अकाम-वसयाण ॥ दारिद्देण वि गहिया धणिय-परद्धा तहा सया थद्धा । सणियाण पडिऊणं मरंति जलणे जले वा वि ॥ 18 जे पर-तत्ति-णियत्ता णवि थद्धा णेय दोस-गहण-परा । ण महारंभ-परिग्गहण-डंभया णेय जे चोरा ॥ ण य वंचया ण लुद्धा सुद्धा मुद्धा जणे ण दुस्सीला । मरिऊण होंति एए मणुया सुकुले समिद्धे य ॥ जे उण करेंति कम्मं णरय-तिरिक्खत्तणस्स जं जोग्गं । पच्छा विरमंति तहिं कुच्छिय-मणुया पुणो होति ॥ 1 मणुयाउगं णिबई पुन्धि पच्छा करेंति जे पावं । ते णरय-तिरिक्ख-समा पुरिसा पुरिसत्थ-परिहीणा ॥ णरणाह इमे पुरिसा तिरिया वा एय-कम्म-संजुत्ता । देवा णेरड्या वा मरि मणुयत्तणे जति ॥ जायति कम्म-भूमीसु अहम-भूमीसु के वि जायंति । आरिय-जणम्मि एके मेच्छा भवरे पुणो होंति ॥ 24 सक-जवण-सबर-बब्बर-काय-मुरुडोडू-गोंड-कप्पणिया । अरवाग-हूण-रोमस-पारस-खस-खासिया चेय ॥ डोंबिलय-लउस-बोक्कस-भिल्ल-पुलिंदंध-कोत्थ-भररूया। कोंचा य दीण-चंचुय-मालव-दविला कुडक्खा य ॥ किक्कय-किराय-यमुह-गायमुह-खर-तुरय-मेंढगमुहा य । हयकण्णा गयकण्णा अण्णे य अणारिया बहवे ॥ पावा पयंड-चंडा अणारिया णिग्घिणा णिरासंसा । धम्मो त्ति अक्खराइं णवि ते सुविणे वि जाणति ॥ एए परिंद भणिया अण्णे वि भणारिया जिणवरेहिं । मंदर-सरिसं दुक्खं इमाण सोक्खं तण-समाण ॥ चंडाल-मिल्ल-डोंबा सोयरिया चेय मच्छ-बंधा य । धम्मस्थ-काम-रहिया सुह-हीणा ते वि मेच्छ व्व ॥ ९८२) भारिय-कुले वि जाया अंधा बहिरा य होंति लल्लाया । रुल्ला अजंगम च्चिय पंगुलया चलण-परिहीणा ॥ 30 धणमंत दट्टणं दूरं दूति दुक्खिया जे य । रूविं च मंद-रूवा दुहिया सुहियं च दट्टणं ॥ णरणाह पुरिस-भावं महिला-भावं च के वि वञ्चति । मोहग्गि-सिमिसिमेंता णपुंसयत्तं च पार्वति ॥ 33 दीहाउया य अप्पाउया य आरोग्ग-सोक्ख-भागी य । सुभगा य भगा वि य अवरे अयसाई पावेंति ॥ 27 1) दिग्णयण्णो, P कत्थर धाययमाणो. 2) Pणइ for वर, P दडो. 3) णिश्चएण for णिग्भएण. ) मांस लोमेण, P मांसं. 5) पहारेहिं, P मजे जीए नीएण. 6) Pसउगत्तो. पासाईयं,Jणे for मे, पत्तो. 7) Pणाम for णवर, P भक्खियं for वंफिय, P जो पुण, P गत्तो for गम्भे. 9) P गमाणं for गयाण. 10) महाबोहिसोगबुयाण. 12) P तिरियत्तणओ चुको, कहिं पि, P पि नच्छुभए, P अणुउ for मणुओ, Pom. होइ. 13) J विरई, न पिर, पयाम्मि मदवो, P निउ for मिउ. 14) अ for तणु, लोहेण कया वि for जीया, णियाणहि. 15)P साहुणयं, रेडायरदुम्भगा दु. 16) P'वासाइयाउ अवसस्स, वि for य. 17) व for वि, Pइदा for थद्धा. 18) परिग्गडमया. 19) Pसुकुले सुमिद्धे. 20) Pजे पुण. 21) मणु आउअं, P पुच्छी पुच्छा करेंति. 23) अकम्म for अहम. 24) J सय for सक, खसखोसिया, चेव. 25) P डोंबय, वोकस P बोकस्स, पुलिध अध, P पुलिंदब्बको चभमररूया, Pय बीण, P कुलक्खा- 26) Pकिकयकराय,P यमुहा गयमुहा, JP तुरया. 27) Pदंडा for चंडा. 28) Pमंदिर. 29) मे for चेय. 30) Jहोति कलाय P हों लल्लाया, J रुलायरामच्चिय, P कल्ला tor रुल्ला. 31) मेह, रूवं for सर्वि. 32) P मोहपि मिसिमिसंता, वञ्चति for पावेंति. 33) Pउ for य in the first two places. Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६८३] कुवलयमाला । सुजा य पंगुला वामणा य अवरे य होंति हीणंगा । मूया बहिरा अंधा केई वाहीहि अभिभूया ।। संजोय-विप्पओर्ग सुह-दुक्खाइं च बहु-पगाराई । बहुसो गरवर जम्मण-मरणाणि बहूणि पार्वति ॥ एयं चिय पजत गरवर वेरग्ग-कारणं पढौ । जं असुइम्मि वसिज्जइ णव-मासे गम्भ-बासम्मि । असुइ-मल-मुत्त-पउरे छिवाडिया-मास-पेसि-समयम्मि । बहुसो अहं विलीगो उवरे चिय पाव-कम्मेहिं॥ बहुसो पवुत्थवइया-गयवइयाणं च गब्भ-संभूओ । खर-खार-मूल-डड्डो गलिओ रुहिरं व णिक्खंतो ॥ अण्णो गब्भ-गओ चिय जणणीऍ मयाएँ जीवमाणो वि । उज्झइ चडफडतो दुसह चिय जलण-जालाहिं ।। अवरो संपुण्णंगो कह वि विवण्णो तहिं अकय-पुण्णो । परिछेइयंगमंगो कडिजइ जणणि-जोणीए॥ कह-कह वि विणिक्खंतो अंतो-संतोस-सासमुझंतो । वुण्णो तत्थ विवण्णो बहुसो रुपणो अकय-पुण्णो ॥ जायतेण मए चिय अणंतसो गरुय-वेयणायल्ला । णीया जणणी णिहणं चलचल्लुब्वेल्लिर-ससल्ला ॥ कत्थइ य जाय-मेत्तो पंसुलि-समणी-कुमारियाहिं च । चत्तो जीवंतो च्चिय फरिहा-रच्छा-मसाणेसु ॥ तत्थ वि विरसंतो च्चिय खइओ बहु-साण-कोल्हुयाईहिं । थणयं च अलभमाणो कथइ सुसिओ तहिं चेय ॥ 12 कथइ जायतो च्चिय गहिओ बालग्गहेण रोहेण । तत्थ मुओ रुयमाणो माऊए रोयमाणीए॥ कत्थइ कुमार-भावं पडिवण्णो पुण्ण-लक्खणावययो । सयण-सय-दिण्ण-दुक्खो विहिणा जम्मंतरं णीओ ॥ कय-दार-संगहो है बहुसो बहु-सयण-मणहरो पुर्वि । दुग्गय-मणोरहो इव सय-हुत्त मच्चणा णीओ। जुवईयण-मणहरणो बहुसो दढ-पीण-सललिय-सरीरो । सिद्धत्य-कंदली विय टस त्ति भग्गो कयंतेण ॥ पर-दार-चोरियाइसु गहिओ रायावराह-कजेण । छेयण-लंछण-ताडण-डहणकण-मारणं पत्तो॥ दुब्भिक्ख-रक्ख-खइए जणम्मि णरणाह मे खुहत्तेण । खइयं माणुस मंसं जण-सय-परिणिदियं बहुसो ॥ बहु-रइय-चीर-मालो उच्छिटाणि?-खप्पर-करग्गो। कय-डिंभ-कलयलो है बहसो उम्मत्तओ भमिओ ॥ खट्या-मोत्थय-पहराहओ वि दीणत्तणं अमुंचतो । सरणं अविंदमाणो जणस्स पाएसु पडिओ है॥ कत्थइ महिलत्तणए दूसह-दोहग्ग-सोय-तवियाए । दालिद्द-कलह-तवियाएँ तीऍ रुण धव-मणाए । वेहब्व-दूमियाए दूसह-पह-णेहमसहमाणीए । उर-पोट्ट-पिट्टण णिरत्थयं तं कयं बहुसो ॥ पिययम-विलीय-दसण-ईसा-वस-रोस-मोहिय-मणाए । णरणाह मए अप्पा झस त्ति अयडम्मि पक्खित्तो॥ दुस्सीलत्तण-चिंध पाव-फलं कुसुम-पल्लवुब्भेयं । णासाहर-कण्णाणं छेयं तह भेयणं सहियं ॥ विसम-सवत्ती-संतावियाएँ पइणा अलीढ-गणियाए । णरणाह मए अप्पा विलंबिओ दीण-वयणाए॥ बहुली व परिगयाए सिसिरे जर-कंथ-उत्थय-तणूए । दुग्गय-धरिणीऍ मए बहुसो तण-सत्थरे सुइयं ॥ वसिय विसमावसे हल्लिर-कल्लोल-वीइ-पउरम्मि । तिमि-मयर-मच्छ-कच्छव-भमंत-भीमे समुद्दम्मि । एयाणि य अण्णाणि य णरवर मणुयत्तणम्मि दुक्खाई । पत्ता. अणंताई विसमे संसार कतारे॥ सिर-दुह-जर-वाहि-भगंदराभिभूएहिँ दुक्ख-कलिएहिं । सास-जलोदर-अरिसा-लूया-विष्फोड-फोडेहिं ॥ णिब्भच्छण-अवमाणण-तज्जण-दुब्वयण-बंध-घाएहिं । फेडण-फाडण-फोडण-घोलण-घण-घंसणाहिं च ॥ 80 साणप्फोडण-तोडण-संकोयण-डहण-झाडणाहिं च । सूलारोवण-बंधण-महण-करि-चमढणाहिं च ॥ सीस-च्छेयण-भेयण-लंबण-तडिवडण-तच्छणाहिं च । खल्लकत्तण-बोडण-जलणावलि-डहण-वियणाहिं ॥ गरवइ णरय-सरिच्छं बहुसो मणुयत्तणे वि णे दुक्खं । सहियं दूसहणिजं जम्मण-मरणारहट्टम्मि ॥ अवि य। 33६८३) दूसह-पिय-विभोय-संताव-जलण-जालोलि-तावियं । अप्पिय-जण-संगमेण गुरु-वजासणिए व्व ताढियं ॥ भइदारिद-सोय-चिंता-गुरु-भार-भरेण भग्गय । भीसण-खास-सास-बाही-सय-वेयण-दुक्ख-पउरय ॥ 27 33 1) य मंगुला, ' अद्धा केई, ' अहिहूया. 2) P संजोग,ओगा मुहुदु, P पयाराई, Pमरणाणि य पावइ पणि । 3) P असुयंमिवतुजइ. 4) P मासपिति, Pउयरे. 5) P परत्यवहआगइवयायाणं, P मूलदडो, P रुहिरं. 6) J जणणीय मयाय १ जणणीइ समाइ. 7) उण्णो for पुण्णो, P कढिज्जइ. 8) संत for सास, P बुब्यो for वुण्णो. 9) वेयणायलो, P चलवेलिर. 10) Pकुमारियागं च, P रच्छा सुसाणे य।. 11) कोल्हुयादीहि, Pचेव. 12) P तत्थ मओ. 14) Pमणहरो चिय सय. 15) P सुललिय, P विय ढस ति. 16) P राहावराह, दहणं'. 17) P जणिम्मि Pणाह रे मे. 18) Pउचिट्ठा'. 19) P खड्डया, P पहगहओ. 20) P परिपूरियाए for तवियाए, J तीय रुण्णं, ग्धवि (१) for धव, Pरुण्णं चिविणोउ।. 21)पक्षणोहम', उरपोदपि दृर्णमनिर'. 22)P निक्खित्तो for पक्खित्तो. 23) पिस for चिंधं, J छेयम छएण मे सहियं, P तह भोयणं. 24) पइयो.25) बहुलीए परिग्गहियाए, कंथरोस्थय. 26) : भीमावन्ने for विसमावत्ते, कच्छभममंति-28) Pजल for जर, P भगंदराहिंभू', Pसूल for सास, P जलोयरहरिसालूयाहिं वि. 29) Pनिभच्छणाव', तह for घण. 30) साडणफोटण, P संकोढण, झाढणाई ज्झोडणाहि, चमढणा किंच. 31) Pच्छेदणभेदण, तत्थहाणि च, P खलकत्तण, P दहण. 32) बहुसो व मणु, Pमए for विणे. 33) जालोलिअतविअयं, P ताविइयं, P वज्जाअस', ताडिअP ताडिअयं. 34)P गिरि for गुरु, सोस for सास, वाहि. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ उज्जोयणसूरिविरइया [६८३ 16 । णरवर एरिस-दुक्खय मणुयत्तणय पि णाम जीवाण । वीसमउ कत्थ हिययं वायस-सरिसं समुद्द-मज्झम्मि ॥ एको मुहत्त-मत्तं सव्व-स्थोवं तु भुंजए आऊ । पल्लाई तिण्णि पुरिसा जियति उक्कोस-भावेण ॥ तम्हा देवत्तणयं इमेहि कम्मेहि पावए मणुओ। तिरिओ ब्व सम्मदिट्ठी सुर-णारइया ण पार्वति ॥ जल-जलण-तडीवडण रज-विस-भक्खग च काऊण । कारिसि-बाल-तवाणि य विविहाइँ कुणति मूढ-मणा ॥ सीउण्ह-खुरिपवासाय सकाम-अकाम-णिज्जराए य । मरिऊण होंति देवा जइ सुद्धा होंति भावेण ॥ 8 जे उण सणियाण-कडा माया-मिच्छत्त-सल्ल-पडिवण्णा । मरिऊण होति तिरिया अहज्झाणम्मि पढेता ॥ तत्थ वि वंतर-देवा भूय-पिसाया य रक्खसा अवरे । जे मणयाण वि गम्मा किंकर-णर-सरिसया होति ॥ सम्मत्त-बद्ध-मूला जे उण विरया व देस-विरया वा । पंच-महन्वय-धारी अणुव्वए जे य धारेति ॥ १ कम्म-मल-विमुक्काणं सिद्धाणं जे कुणंति वंदणयं । पूर्व अरहताण अरहताणं च पणमंति ॥ पंचायार-रयाणं आयरियाणं च जे गया सरणं । सुत्तत्याज्झायाणं उज्झायाणं च पणमंति ॥ सिद्धि-पुरि-साहयाणं संजम-जोएहि साहु-करणाणं । पयईए साहूणं साहूण जे गया सरणं ॥ 12 ते पुरिस-पोंडरीया देहं चइऊण कलमलावासं । दिय-लोय-विमाणेसु मणहर-रूवेसु जायंति ॥ चल-चवल-कोंडल-धरा पलंब-वण-माल-रेहिर-सरीरा । वर-रयणाहरण-धरा हवंति देवा विमाणम्मि ॥ ताण वि मा जाण सुहं सययं णरणाह कामरूवीणं । होइ महंत दुक्खं देवाण वि देव-लोयम्मि ॥ जे होंति णाडइल्ला गोज्जा तह किंकरा य पडिहारा । भिच्चा भडा य भोज्जा अभिओगाणं इमं दुक्खं ॥ भइतिक्ख-कोडि-धारा-फुरंत-जालावली-जलायंतं । तं एरिस-वजहरं वज हरंते सुरा दटुं॥ पच्छायाव-परद्धा हियएण इमाई णवरि चिंतेंति । हा हा अहो अकजं विसयासा-मोहिएण कयं ॥ जइ तइया विरमंतो अविराहिय-संजमो अहं होतो। इंदो व्व होज इहई इंद-सरिच्छो व्व सुर-राया। भवो संपइ एसो किंकर-पुरिसो इमाण हं जाओ । तव-सरिसं होई फलं साहू सच्चं उवासंति ॥ सरिसाण य सम्मत्तं सामण्णं सेवियं समं अम्हे । अज्झवसाय-गुण एसो इंदो अहं भिच्चो ॥ विसयासा-मोहिय-माणसेण लहे जिणिंद-वयणम्मि । ण को आयर-भावो चुक्को एयं विसय-सोक्ख ॥ बहु-काल-संचिओ मे जो वि कओ संजमो बहु-वियप्पो । सो वि अकारण-कुविएण णासिओ णवर मूढेण ॥ लोए पूया-हेउं दाण-णिमित्तं च जो तवो चिण्णो । सो धम्म-सार-रहिओ भुस-सरिसो एरिसो जाओ। तडि-जलण-वारि-मरणे बाल-तवे अजियं च जं धम्म । तं कास-कुसुम-सरिसं भवहरिय मोह-बाएण ॥ स चिय संजम-किरिया तं सीलं भाव-मेत्त-परिहीणं । तं कीड-खइय-हिरिमिथ-सच्छह कह णु णीसारं ॥ विबुह-जण-णिदिएसुं असार-तुच्छेसु असुइ-पउरेसु । खण-भंगुरेसु रज्जइ भोएसु विडंबण-समेसु ॥ भ जीवो उण मणुयत्ते तइया ण मुणेइ विसय-मूढ-मणो । जइ एयं जाणंतो तं को हियएण चिंतंतो॥ इय ते किंकर-देवा देवे दट्ठण ते महिडीए । चिंताणल-पजलिया अंतो-जालाहिँ डझंति ॥ ९८४) जे तत्थ महिड्डीया सुरवइ-सरिसा सुरा सुकय-पुण्णा । छम्मास-सेस-जीविय-समए ते दुक्खिया होंति ॥ 30 कुसुमं ताण मिलायइ छाया परिमलइ आसणं चलइ । विमणा य वाहणा परियणो य आणं विलंघेइ ॥ एरिस-णिमित्त-पिसुणिय-चवणं णाऊण अत्तणो देवो । भय-वुण्ण-दीण-वयणो हियएण इमाई चिंतेइ ॥ हा हंस-गब्भ-मउए देवंग-समोरथयम्मि सयणम्मि । उववजिऊण होहिइ उप्पत्ती गब्भ-वासम्मि ॥ 33 वियसिय-सयवत्त-समे वयणे दट्टण तियस-विलयाण । हा होहिइ दट्टन्वं धुडुकिय पिसुण-वग्गस्स ॥ तामरस-सरस-कुवलय-माले वावी-जलम्मि ण्हाऊण । हा कह मजेयध्वं गाम-तलाए असुइयम्मि ॥ 24 ता . 1) जीवयाण. 2) J मेत्तयं, त्योयं, P आउं. 3) सुरनेरइया न पावंति. 4) तवावि य. 5) 'वासास कामसकामाणि° P°वासाभकामसकाम, Pहियएणं for भावेण. 6) P सल्लपरिभित्ता. 7) P भूया य पिसाय रक्खसा. 8) P विरियन्व, P धारंति. )P विप्पमुक्का जे सिद्धाणं कु. 10) उवज्झायाणं. 11) पुरसाधयाण. 12) पोंडराया, . - रूएसु. 13) P धण for वण. 14) Pसययं य नरनाह कामरूवाणं, P लोगंमि. 15) अभिउयाणं. 16) P भतितिक्ख, P जलयलेंतं. 17) चितंति, विसयाविसमो. 18) णिस्संको for विरमतो, P महं for अहं. 20) सामण्णु. 21) भाओ. 23) पूयाहिउं, तुस for भुस. 24) P तडिजालानलमरणे. 25) हि रिमिच्छ हिरिमंथ, Pणु निस्सार 27) P जीवो पुण, P मोह for विसय. 28) P पज्जलिए, P उज्जल for अंतो. 29) P तो for जे, महिड्डिया. 30) • परियणा. 31) P चलणं for चवर्ण, भयदीणपुण्णवयणो P भयचुनदीणविमणो. 33) F सिय for सय, वियलाणा for विलयाणं, " थुडुंकियं. 34) Pमालो वावी Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला । मंदार-पारियायय-वियसिय-णव-कुसुम-गोच्छ-चंचइए। वसिउं दिव्वामोए हा कह होहं असुइ-गंधो ॥ फालिय-मणि-णिम्मविए जलंत-वेरुलिय-मंडिए भवणे । वसिऊणं वसियव्वं जर-कडय-कए उडय-वासे॥ तेलोक-तुंग-चिंता-दुमे व्व णमिऊण जिणवरे एत्थ। णूण मए णवियव्वं मूढाणं अण्ण-पुरिसाणं ॥ विस्थय-णियंव-पुलिणे रमिउं हंसो ब्व तियस-विलयाण । हा मणुय-लोय-पत्तो होहं महिलो कुमहिलो व्व ॥ घर-पोमराय-मरगय-कक्केयण-रयण-रासि-विक्खित्तो। णूणं किविणो घेच्छं वराडियं धरणिवढाओ॥ गंधब्व-ताल-तंती-संवलिय-मिलंत-महुर-सद्देणं । बुझंतो होही सो संपइ खर-णिट्ठर-सरेहिं ॥ सुर-सेलम्मि पयासं जिण-जम्मण-मंगलम्मि वटुंते । ते तत्थ पच्चियं मे तं केण ण सलहियं बहुसो॥ हा दिणयर-कर-परिमास-वियसियंबुरुह-सरिस-मुह-सोहं । सुरगिरि-सिर-मउड-समं कइया उण जिणवरं दच्छं। 9 दर-दलिय-कुवलउप्पल-विसह-मयरंद-बिंदु-संदुमियं । थण-जुयलं हो सुर-कामिणीण कइया पुणो दच्छं । तियसिंद-विलासिणि-पणय-कोव-पविद्ध-कमल-राइलं । पउम-महापउमाइसु दहेसु मह मजणं कत्तो।। ते णवर खुडइ हियए जं तं गंदीसरे जिणिंद-महे । तीय महं पेसविया दिट्ठी धवलुज्जल-विलोला ।। सुंदरयर-सुर-सय-संकुले वि रंगम्मि णञ्चमाणीए । सहि-वयण-णिवेसिय-लोयणाएँ तीए चिरं दिवो ॥ समवसरणम्मि पत्तो विविह-विणिम्मविय-भूसणावयवो। सुरलोय-णिमिय-लोयण-धवलुज्जल-पम्हलं दिट्ठो॥ हा सुर-गरिंद-गंदण हा पंडय रुद्द-भद्द-सालवण । हा वक्खार-महागिरि हिमवंत कहिं सि दट्ठय्वो॥ 18 हा सीए सीओए कंचण-मणि-घडिय-तीर-तरु-गहणे । हा रम्मय धरणीहर फुरंत-मणि-कंचण-धराणं ॥ हा उत्तर-देव-कुरू हा सुर-सरिए सरामि तुह तीरे । रयणायर-दीवेसुं तुझं मे कीलियं बहुसो॥ इय विलवंतो चिय सो थोवत्थोवं गलंत-कंतिल्लो । पवणाहओ ब्व दीवो झत्ति ण णाओ कहिं पि गओ । मवि य । 18 एवं पलावेहिँ दुई जणेतो, पासहियाणं पि सुराण णिच्छ । वजासणी-घाय-हओ व्व रुक्खो, पुण्णक्खए मधु-वसं उवेद ॥ 18 दस वास-सहस्साइं जहण्णमाउं सुराण मज्झम्मि । उक्कोसं सब्वढे सागर-णामा तेत्तीसं ॥ ६८५) तओ भो भो पुरंदरदत्त महाराय, जं तए चिंतिय 'एयस्स मुणिणो सयल-रूव-जोवण-विण्णाण-लावण्णसंपण्ण-सफल-मणुय-जम्मस्स वि किं पुण वेरगं, जेण एवं एरिसं एयंत-दुक्खं पध्वज पवण्णो' त्ति । ता किं इमं पि एरिसंश संसार-दुक्ख अणुहविऊण अण्णं पि वेरग्ग-कारणं पुच्छिज्जइति । णरणाह सब्व-जीवा अणंतसो सब्व-जाइ-जोणीसु । जाया मया य बहुसो बहु-कम्म-परंपरा-मूढा ॥ एवं दुह-सय-जलयर-तरंग-रंगत-भासुरावतं । संसार-सागरं भो णरवर जह इच्छसे तरिडं ॥ भो भो भणामि सम्वे एवं जं साहियं मए तुज्झ । सद्दहमाणेहिं इमो उवएसो मज्म सोयब्बो ॥ अवि य । मा मा मारसु जीए मा परिहव सजणे करेसु दयं । मा होह कोवणा भो खलेसु मेत्तिं च मा कुणह ॥ भलिए विरमसु रमसु य सच्चे तव-संजमे कुणसु राय । मदिण्णं मा गेण्हह मा रजसु पर-कलत्तम्मि ॥ मा कुणह जाइ-गवं परिहर दूरेण धण-मयं पावं । मा मजसु णाणेणं बहु-माणं कुणह जह-रूवे ॥ मा हससु परं दुहियं कुणसु दयं णिच्चमेव दीणम्मि । पूएह गुरुं णिचं वंदह तह देवए इट्टे ॥ संमाणेसु परियणं पणइयण पेसवेसु मा विमुहं । भणुमण्णह मित्तयणं सुपुरिस-मग्गो फुडो एसो ॥ मा होह णिरणुकंपा ग वंचया कुणह ताव संतोसं । माण-स्थद्वा मा होह णिक्किवा होह दाण-परा ॥ मा कस्स वि कुण णिदं होजसु गुण-गेण्हणुजओ णिययं । मा अप्पयं पसंसह जइ वि जसं इच्छसे धवलं ॥ 33 बहु-मण्णह गुण-रयणे एक पि कयं सयं विचिंतेसु । मालवह पढमयं चिय जइ इच्छह सजणे मेति ॥ पर-वसणं मा.णिदह णिय-चसणे होह वज-घडिय म्व । रिद्धीसु होह पणया जइ इच्छह भत्तणो लच्छी॥ -~~~~~~~ 1)चिंचइए, P वसिओ. 2) तडय for उदय. 3) Pom. तुंग, नमियवं, P अन्नदेवाणं 1.4Jहोहम for होई. OFपउम for पोम, P कंकेयण, P किमिणो घेत्थं वडाणियं. 6) Pबोहिस्सं for होही सो. 7)P साहियं for सल हियं 8) Pदाहिणकर परि* for हा दिणयर कर परि", मुहहोहं, P om. सिर, P समं से कश्याओ जिणवरिंदरथे। 9) दरि for दर Pमिदु' for संदु,P om. हो, P सुरं धरकामि . 10) दूहेसु महु मज्जणं. 11) नरवर for णवर, Pमहं for महे. 12) om. सुरसय, P नच्चमाणीओ, P निमेसिय. 13) 'लोय णिम्मिय. 14) P नंदण for णरिंद, ' णंदण पंढय तरकपभूदसालवणे. 15) सीतोदे, P धरणियरा सोहियफुडकंचण. 16) तुज्झ मए कीलियं. 17) Pथोवंथोवं, Pचि for पि. 18) 'दुहं जुणेतो, वज्जासणि, Pरुस्सो पुणक्खए वचुवसं. 20) Pपुरंदरयत्त. 21) Pपण्णा for संपण्ण, सफलजम्ममणुयरस वि, वेरयं for वेरगर्ग, P एतं for एयं, P पवनो त्ति । तो किं. 22) P अणुभविऊणं अन्नंमि वे. 24) तुरंग, for तरंग, Pतो for भो.25) Jसं for जं, तुम्भं for तुज्झ, मज्ज for मज्झ.26) Pमारेसु जिप, P कोहणाहो खलेहिं. 27. P तह for तव, P अगिन्न for अदिण्णं. 28) Pमाणेणं बहुमायं मा कुणसुरूवे for the 2nd line. 29) Pपयं for पर, दयं णिच्च णिश्च दी, Pगुरू for गुरु. 30) फुड for फुडो. 31) JP -थद्धा. 32) कस्सा कुण णि होज गुण,, गेण्डसु जुओ, Pा सि for जइ वि.33) मण्णय for मण्णह, P पि चितेसु for विचिंतेसु. 34) P लच्छि । 27 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ उजोयणसूरिविरइया [९८५1 अल्लियह धम्म-सील गुणेसु मा मच्छरं कुणह तुब्भे । बहु-सिक्खिए य सेवह जइ जाणह सुंदरं लोए॥ मा कडुयं भणह जगे महुरं पडिभणह कडुय-भणिया वि । जइ गेण्हिऊण इच्छह लोए सुहयत्तण-पडायं ॥ हासेण वि मा भण्णउ णवरं जं मम्म-वेहयं वयणं । सञ्च भणामि एतो दोहग्गं णस्थि लोयम्मि । धम्मम्मि कुणह वसणं राओ सत्थेसु णिउण-भणिएसु । पुणरुत्तं च कलासु ता गणणिजो सुयण-मज्झे ॥ इय णरवइ इह लोए एयं चिय णूण होइ कीरतं । धम्मत्थ-काम-मोक्खाण साहयं पुरिस-कज्जाणं ॥ ता कुणसु आयरं भो पढम काऊण जे इमे भणियं । तत्तो सावय धम्मं करेसु पच्छा समण-धम्मं ॥ ता कलि-मल-सयल-कलंक-वजिओ विमल-णाण-कंतिल्लो । वञ्चिहिसि सिद्धि-वसही सयल-किलेसाण वोच्छेयं ॥ जत्थ ण जरा ण मञ्च ण वाहिणो णेय सव-दुक्खाई । तिहुयग-सोक्खाण परं णवरं पुण अणुवमं सोक्खं ॥ अवि य । ७ संसारे दूर-पारे जलहि-जल-समे भीसणावत्त-दुक्खे, अञ्चत-बाहि-पीडा-जर-मरण-मयाबद्ध-दुक्खाइ-चक्के । मजंताणं जियाणं दुह-सय-पउरे मोह-मूढाण ताणं, मोत्तं तं कवलं भो जिणवर-वयणं णस्थि हत्थावलंबो ॥' त्ति ९८६) एत्थंतरम्मि कहंतरं जाणिऊण आबद्ध-करयलंजलिणा पुच्छिओ भगवं धम्मणदणो वासव-महामंतिणा, भणिय 12 च ण । 'भगवं, जो एस तए भम्ह एयंत-दुक्ख-रूवो साहिओ चउ-गइ-लक्खगो संसारो, एयस्स पढम किं णिमित्तं, जेण एए 12 जीवा एयं परिभमंति' त्ति । भणियं च गुरुणा धम्मणदण । 'भो भो महामंति, पुरंदरदत्त महाराय, णिसुणेसु, संसार-परि भमणस्स जं कारणं भणियं तेलोक-बंधूहिं जिणवरेहिं ति । 18 कोहो य माणो य अणिग्गहीया, माया य लोहा य पवङमाणा । चत्तारि एए कसिणा कसाया, सिंचंति मूलाई पुणम्भवस्स ॥18 ___ अण्णाणधो जीवो पडिवजइ जेण विसम-दोग्गई मग्गे । मूढो कज्जाकजे एयाण पंचमो मोहो ॥ तत्थ कोहो णाम जं केणइ अवर? वा अणवरद्ध वा मिच्छा-वियप्पेहिं वा भावयतस्स परस्स उवरि बंध-घाय-कस-च्छेय18 तजणा-मारणाइ-भावो उववज्जइ तस्स कोहो त्ति णामं । जो उण अहं एरिसो एरिसो त्ति तारिसो त्ति य जाइ-कुल-बल-विजा- 18 धणाईहिं एसो उण ममाहमो किं एयस्स अहं विसहामि त्ति जो एरिसो अज्झवसाओ अहं ति णाम सो माणो ति भण्णा । जो उण इमेणं पभोगेणं इमेण वयण-विण्णागेणं इमेणं वियप्पेणं एवं परं वंचेमि त्ति, तं च सकारण णिक्कारणं वा, सम्वहा भवंचणा-परिणामो जो एसो सम्व-संसारे माया माय त्ति भण्णइ । जो उण इमं सुंदरं इमं सुंदरयरं एवं गेहामि इम ठामि । एयं रक्खामि ति सब्वहा मुच्छा-परिणामो जो सो लोहो ति भण्णइ । तत्थ जो सो कोवो सो चउप्पयारो सध्वहिं भगवतेहिं परूविओ। तं जहा । अणताणुबंधी, अप्पचक्खाणवरणो, पञ्चक्खाणावरणो, संजलणो चेय । तत्थ य - पब्वय-राई-सरिसो पढमो बीओ उ पुढवि-भेय-समो। वालुय-रेहा तइओ होइ चउत्थो य जल-रेहा ॥ पवय-राइ-सरिच्छो कोवो जम्मे वि जस्स जो हवइ । सो तेण किण्ह-लेसो णरवर णरय समल्लियइ ॥ खर-पुढवी-भय-समो संवच्छर-मेत्त-कोह-परिणामो । मरिजण णील-लेसो पुरिसो तिरियत्तणे जाइ। 7 वालुय-रेहा-सरिसो मास-चउक्केण कोह-परिणामो। मरिऊण काउ-लेसो पुरिसो मणुयत्तणमुवेइ ॥ जल-रेहा-सारिच्छा पुरिसा कोहेण तेउ-लेस्साए । मरिऊण पक्ख-मेत्ते अह ते देवत्तणमुर्वेति ॥ माणो वि चउ-वियप्पो जिगेहिँ समयम्मि णवर पण्णविओ। णामेहि पुब्ब-भणिओ जं णाणत्तं तयं सुणह ॥ ण णमइ सेलत्थंभो ईसिं पुण णमह अस्थिओ थंभो। कह-कह वि दारु-घडिओ सवसो च्चिय होइ वेत्तमओ। सेलत्थंभ-सरिच्छेण णवर मरिऊण वञ्चए णरए । किंचि पणामेण पुणो अट्टिय-थंभेण तिरिएसु ॥ दारुय-थंभ-सरिच्छेण होइ माणेण मणुय-जम्मम्मि । देवत्तणम्मि वच्चद्द वेत्तलमो णाम सम-माणो॥ ३३ माया वि चउ-वियप्पा वंस-कुडंगी य मेंढग-विसाणा । धणुओरंप-सरिच्छा ईसिं वकाउ गप्पडिया ॥ 80 1)P अअज्झिहिय for अल्लियह, PF for य before सेवह. 2) Pजणं for जणे, P पढायं. 3) Pa for विनरवर जं. 5) नरवर for णरवइ, चिय होइ गुण कीरतं, P साहसं for सायं. 6) तो for भो, P जइ for जं. 7)P वसई for वसही. 8) P वाहिणा णेय, P तहुयणसोक्खाउ परं. 9) P जल हिसममहाभी',P मयाणेकतिक्खाई. 10) Pd tor तं. 11) Pom. कहंतरं, भयवं. 12) एसो for एस, I om. अम्ह, Pom. एयंतं, P लक्खणं, एपण for एए. 13).om. एयं, पुरंदरयत्त, P परिभवणस्स. 14) Pबंधू for बंधूहि, Pom. 'हिं जिणवरेहिं etc. to अणवरद्ध वा. 15) अणिग्गिहीया, 17) Pघघायतज्जणमा. 18) Pकोवो for कोहो, Pom.त्ति तारिसो ति. 19 कीस for किं. Pom. अहं.विसहमि P विसहामो, एरिस अज्झवसाओ सो माणो. 20) जो पुण, वयणमिन्नासेणं, एयं परवं वमित्ति. 21)P सा for जो एसो, JP संसारमाया, Pइमं न सुंदरं इमं च न सुंदरं एयं, Pठावेमि इमं न देमि एयं. 22) P लोभो, om. भगवंतेहि. 23)" अप्पच्चक्खाणो, Pom. तत्थ य. 24) P विइओ, Jadds उ later, J पुढवीभेय, जलरेहो. 25) राई for राइ, . जस्स नो घटइ।. 26) Pतिरियत्तणं, जाई P जायइ. 27) Pसरिसा सास, P परिणामा, P कोउलेसा, Pमणुयत्तणे जंति।। 28" J जलरेहासरिसो उण पुरेसा कोहेण तउ तेउ, P-सारिच्छा कीलंतपण? कोवसम्भावो। मरिऊण तेउलेसा पुरिसा देवत्तणे जंति। 29" P नामेग for णामेहि, णाणं तं for णाणतं. 30) Pउण for पुण. 31) उणो for पुणो. 32) दारुत्थंभ,. सममाणे. 33) मेढंगवसाणा, P धणउरवसरिच्छा ईसिं च काउ खप्पडिया, ' सरिच्छो ईसी. Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 19 -fa] 18 कुवलयमाला स- कुलंगो कलिय- समान अवस्स जरयम्मि जाइ तिरिए नवरं मय-सिंग समाएँ लेखाए ॥ धणुओरंप- सरिच्छो माया-बंधेहिँ होइ मणुयत्तं । होइ अवस्य देवो ईसी-टंकाऍ मायाए ॥ 8 सोहो पिचड विप्पो किमि-राम्रो होइ नील-राम्रो य कदम-राय-सरिच्छो होइ चडत्यो इलिहि प्य ॥ पदमेण होइ गरये बीएण भणेति णवर तिरियतं तण मणुष जो होइ पठाण देवतं ॥ कोयो उच्चेपण पिव-बंधवणासणो णरवरिंद कोनो संतावयरो सोगाह-पद-रंभओ फोनो ॥ 6 ६८०) अनि य कुविनो पुरसो ण गगे अर्थ माणार्थ, ण धर्म णाधम्मं ण कम्मं णाकम्मे ण जसे नाजसं, ण 8 कित्ती णाकित्ती, ण कज्जं णाकर्ज, ण भक्खं णाभक्खं, ण गम्मं णागम्मं, ण वच्चं णावचं, ण पेयं णापेयं, ण बलं णाबलं, ण दोग्गई ण सोग्गई, ण सुंदरं णासुंदरं, ण पच्छं णापच्छे ति । भवि य । 91 बुदवण- सदस्य- परिणिदियरस पयईऍ पाव-सीडस्सा कोयस्स ण जंति व भगवंते साडुणो तेण ॥ जेण, मिच्छा-विषय-कुषियो कोच महापाव-पसर- पडिवो मारेद भायरं भणिदं पि एसो जा पुरिसो ' भणिदं च णरवणा 'भवर्ष ण-वाणिमो को वि एस पुरियो, फेरियो वा किंवा इमेज कर्प' ति । भणिये च गुरुणा । "जो एस तुझ वामे दाहिण -पासम्म सेटिनो मज्झ भमरंजण- गवलाभो गुंजाल रगवण-जु ॥ तिवलि-तरंग - णिडालो-भीसण- भिउडी - कथंत-सारिच्छो । भुमयावलि -भंगिल्लो रोस - फुरंताहरोह जुओ ॥ द- कठिण-जिहुरंगो बीओ कोवो व एस संपत्तो । एएण कोव गहिएण जं कथं तं णिसामेहि ॥ ६८८) अधि बहु-कणय-परिये फुड-रण- फुरंत विमल कंति दमिळाण कंवि-देव कोडसे एक ॥ उत्त-कणय-मया फरिहा-पावार-रुचिर-गुण सोहा तम्मि पयासा णयरी कंची कंचि व्यईए ॥ सीए वि य महाणयरीए पुग्वदक्खिणा-भाए तिगाउयमेत्ते रगडा णाम संणिवेसो । सो य केरियो । विंझाड जइसओ दरिय18 मत-महिस- संकुलो, हर-जिलओ जइसओ उद्दाम वसह ढेकंत- रेहिरु, मलय-महागिरिजइसओ दीहर-साहि-सय-संकुलु, 18 हंगणाभोड जसको पवड- गहवद सोहिओ सि । अवि य क्षण- घण्ण-साल-कलिलो जन-सय-वियरंत-काणणो रस्मो रगड सिंगियो गोल-सय-मिलिय-गोडपणो ॥ सम्मिय जम्म-दहि बहुलीयत परिगजो पंडो कलाबद-कलयलो सुसम्मदेयो ति यस दिनो ॥ तस्य भसम्भो नाम उत्तो सोच बलन्त चेप पेडो चव असो गरियो बढो जिरो रि-ययणो सम्ब विभाग पेय दुरसो अवराहियो क्ष हिंगे व परितात परिभमइ । तस्स तारिसस्स दण सम्भावं पयई व मेहं 24 कथं णामं चंडसोमो त्ति गुण-निष्कण्णं णामं । ता णरणाह, सो उण एसो । इमस्स य गुरुयणेणं सरिस-गुण-कुल-सील - माण- 24 विश्व-विष्णाण विभाणं भन-कुलाने बालिया वैभग-कण्णया पार्णि गाहिया ते वि तस्सेव कुटुंब भारं गिरिविण मूडलोग बाया-परंपरा-मूढा दूसह दालिए-जिग्नेय- णिग्विण्णा गंगाए तित्ययचा- णिमितं विणिग्गया माया-पियरो थि। एसो बि 27 चंडसोमो कम-शिवय-वित्ती जाव जो समारुतो सा विणी इमस्स महिला तारिसे असण-पाण-पावरण-नियंसणा 97 दिए अपने विधि-बिलासे तदा वि जोम्यण विसङ्गमाण- डायना रेहितं पयता भवि च। भुंजवा सेवा परिजिड जेव तं व मलिने वा भाऊरिय-हाय तारुण्यं सम्यद्दा रम्मं ॥ 30 तभो तम्मि तारिसे जोब्वणे वट्टमाणा सा णंदिणी केरिसा जाया । जसो जसो वियरह ततो तत्तो व कसिण-धवलार्दि अनि गाम-वान-जयन-जीपाली ६८९) तो इमो पंडसोमो तं च तारिसे 33 समुष्व हि उमाढतो । भण्णइ य, ४५ पेच्खमाणो अखंडिय कुछ सीताय वितीय अहियं ईसा मच्छर 1 ) P अहवंगवलियओ वच्चर अवस्स, P जाति for जाइ, P संग for सिंग, P मायाए for लेसाए. 2 ) P घणउरंव, मायाव हो, ईसि- 3 ) राइ for राय, P हलिद व्व. 4) बितिरण for बीएण, P भवति for भणति, P तइए माणुसजोणी. 5) J कोहो, P उब्वेवणओ, रंभओ कोओ. 6) ण अणत्थं १ नणित्थं, Jom. णाधम्मं, Pन कामं for ण कम्मं णाअकम्मं P नोकामं, P नयर्स, Jणा अजर्स P णोयसं. 7 ) उणा अकित्ती, ग् णा अकजं, उ णा अभक्खं, णा अगमं. J 8 ) P सोयई for सोग्गई, न पंथ नापंथं ति. 9) P बहु for बुद्ध. 10 ) मेच्छा मिअप्प, पावपडलपसर डो. 11 ) Pom. केरिसो वा, किमेण for किंवा इमेण. 12 ) JP बामो ( ? ), वासंमि for पासम्मि, P गबलातो for गवलाभो. 13) भुनयावल- 14 ) P रूबी for बीओ, P व्व for व, P हियरण for गहिएण, P निसामेद्द. 15 ) दमिलोण कंपि देस पुहवीय P दमिलाकंति निवेस पु. 16) रुइय for रुचिर 17 ) तीय य कंचीय महा', दक्खिणे P पुव्वभक्खिणा- 18 ) P उम्मत्त for मत्त, P हरिणलओ, P व सभकंतरे हिरो० P सहि for साहि. 19 ) P नहंगनाहोउ. 20 ) P वियरत्त काणरणारामो, P ओल for गोडल. 21 ) P बहुलीव, कलहोवबद्ध 22 > P रुदसोनो for भदसम्मो, P चेव चंडो 23 ) P णो वि अण्णे, Pom. य, P तस्स य तारिसयस्स, P सभावपश्यं च डिमेहि. 24 ) P निष्फनं नामं । P ताण for ता, Pom. य, P सीलनाणविदव विज्जाविन्नाणं. 25 ) P पाणी गहिया, J तस्सेय P तस्सेवि. 26 ) P वाय for वाया, P दारिद्दनिव्वेय, P तित्थयत्तार निमित्तं, P मापियरो. 27 > P सो for सा, P पाणे for पाण णिअंसणादि अ असं 28 ) P वि विहव, P -वोसहमाणलायण्ण रेहिउं पयत्ते ।, Jom. अवि य. 29 ) P भुज्जउ, P परिहिज्जिड ई व वत्थं वा, P रुण्णं for रम्मं 30 > वट्टमाणे, P सो for सा. (31) P वत्तो for the first तत्तो. 32 ) १ मक्खंडिय कुलसीलाय वितीय यहिअयं P कुलसीलयवित्तीय अहियं. 33 ) Jom. भण्ण य. 1 3 12 15 21 30 33 . Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ उज्जोयणसूरिविरइया [६८९1 जे धणिणो होंति णरा वेस्सा ते होंति णवरि रोराणं । दट्टण सुंदरयरं ईसाए मरंति मंगुलया ॥ णरवर, महिओ इमाणं अहम-गर-णारीणं ईसा-मच्छरो होइ । अवि य । ३ अत्थाणाभिणिवेसो ईसा तह मच्छरं गुण-समिद्धे । अत्ताणम्मि पसंसा कुपुरिस-मग्गो फुडो एसो॥ सओ एवं णरणाह, तीय उवार ईसं समुबहमाणस्स वच्चइ कालो। मह धवल-कास-कुसुमो णिम्मल-जल-जलय-रेहिर-तरंगो । सरएण विणिम्मविभो फलिय-महओ व्व जिय-लोभो ॥ 6 जोण्हा-जलेण पञ्चालियाई रेहंति भुयण-भायाइ । पलओव्वेल्लिर-भीसण-खीरोय-जलाविलाई व॥ दर-लुब्वमाण-कलमा दर-कुसुमिय-सत्तिवण्ण-मयरंदा । दर-वियसमाण-णीमा गामा सरयम्मि रमणिज्जा ॥ णिप्फण्ण-सब्ब-सासा आसा-संतुट्ठ-दोग्गय-कुटुंबा । ढेकंत-वसह-रुइरा सरयागम-मुद्दिया पुहई॥ तओ एयं च एरिसं पुहई अवलोइऊण परितुट्ठा णड-गट्ट-मुट्टिय-चारण-गणा परिभमिउं समाढत्ता। तम्मि य गामे एक " णड-पेडयं गामाणुगामं विहरमाणं संपत्तं । तत्थ पहाण-मयहरो हरयत्तो णाम । तेण तस्स णडस्स पेच्छा दिण्णा, णिमंतियं च णेण सव्वं गाम । तत्थ छेत्त-बइल्ल-जुय-जंत-जोत्त-पग्गह-गो-महिस-पसु-वावडाण दिवसओ भणवसरो दवण 12 तेण राईए पढम-जामे पस्संते कलयले संठिए गो-वग्गे संजमिए तण्णय-सत्थे पसुत्ते डिभयणे कय-सयल-वर-वावारा गीय-12 मुरय-सह-संदाणिया इव णिक्खंतु पयत्ता सव्व-गामउडा । अवि य । गहिय-दर-रुहर-लीवा अवरे वच्चंति मंचिया-हत्था । परिहिय-पाउय-पाया अवरे डंगा य घेत्तण ॥ 16६९०) एसो वि चंडसोमो णिय-जाया-रक्षणं करेमाणो । कोऊहलेण णवरं एय चिंतेउमाढत्तो॥ 'अव्वो जइ णडं पेच्छओ वञ्चामि, तओ एसा मे जाया, कहं अह इमं रक्खामि । ता णडो ण दट्टन्यो । मह एवं पिणेज, ण जुजइ तम्मि रंगे बहु-सुंदर-जुवाण-सय-संकुल-णयण-सहस्स-कवलियं काउं जे । सो वि मम भाया तहिं चेव तं गई 18 दट्ट गओ त्ति । ताज होउ त होउ । इमीए सिरिसोमाए भेणीए समप्पिऊण वच्चामि गडं दहें। समपिऊण, कोंटिं 18 घेत्तण गओ एसो चंडसोमो सो । चिर-णिग्गए य तम्मि सिरिसोमाए भणियं 'हला दिणि, रमणीओ को वि एसो णचिउं समाढतो, ता किं ण खणं पेच्छामो'। शंदिणीए भणिय 'हला सिरिसोमे, किं ण-याणसि णिययस्स भाउणो चरिय। चेट्टियं जेण एवं भणसि । णाहं अत्तणो जीएण णिग्विण्णा । तुमं पुण जं जाणसि तं कुणसुत्ति भणमाणी ठिया, सिरिसोमा ] पुण गया तं णडं दट्टणं ति । तस्स य चंडसोमस्स तम्मि रंगे चिरं पेच्छमाणस्स पट्ठीए एक जुवाण-मिहुणगं मंतेउं समाढत्त । भणियं च जुवाणेणं। 4 'सुंदरि सुमिणे दीससि हियए परिवससि घोलसि दिसासु । तह वि हु मणोरहेहिं पञ्चक्ख अज दिवासि ॥ तुह सोहग्ग-गुणिधण-वडिय-जलणावली मह कामो । तह कुणसु सुयणु जह सो पसमिजइ संगम-जलेण॥' एय मंतिजमाणं सुयं चंडसोमेण भासण्ण-संठिएणं । दिण्णं च णेण कणं । एत्थंतरम्मि पडिभणिओ तीए तरुणीए सो जुवाणो भ 'बालय जाणामि अहं दक्खो चाई पियंवओ तं सि । दढ सोहिओ कयण्णू णवरं चंडो पई अम्ह' ॥ ६९१) एयं च सोऊण चंड-सद्दायण्णणा जाय-संकेण चिंतियं चंडसोमेणं । 'णूणं एसा सा दुरायारा मम भारिया। मम इहागयं जाणिऊण इमिणा केण वि विडेण सह मंतयंती मम ण पेच्छइ । ता पुणो णिसुगेमि किमेत्थ इमाण णिप्फण्णं 30 दुरायाराण' ति । पडिभणियं च जुवाण । ___ 'चंडो सोम्मो व्व पई सुंदरि इंदो जमो ब्व जद होइ । अज महं मिलियन्वं घेत्तव्वा पुरिस-बझा वा' । 18 30 1) वेतातो for वेस्सा ते, I inter. णवरि होति, P नवर रोराण, P सुंदरयणं. 2) Pइमाणमहम, Jणारीणं इमाणं ईसा. 3) I अत्याण अभि'. 4) एवं for एवं, P वच्चए. 5) J फलियमइय P फालिहमउ. 6) पज्जालियाई, पलओवेलिर, J ब्व for व. 7) P कलमाणकलमादर कुसुमयसत्तिवण्णे मरदा, णीवा for णीमा. 8) P निप्पन्न, P संतुट्ठदाणयकुडुंगा । ढेंकतवसहिः, गदिया for मुदिया. 9) मुद्धिय for मुट्ठिय, मासे tor गामे. 10) Jणडवेटयं, 'गामवियरमाण, P तम्मि य for तत्थ. 11) च से णेण सव्वगाम,P ते य for तत्य, चालज्जयं । छयल्लजुय, P om. जोत्त, P महिसि-, P अवसरो. 12) पसंते, P वाचारो. 13) ईय for इव. 14) Pपागा for पाया, Pउ for य. 15) P चिंति. 16) P नट for णडं, J कह, Pइमं च रक्खामि, P om. ता, ज्जा. 17) P -जायाणसयसुंकुले, Jou. तहिं चेव. 18) Pसंहोउं for तं होउ, P भइणीए for भेणीए, Pट्ठणं for दहूँ, Jom. समप्पिऊण, कोंगी P कोटि. 19) Jom. सो, Jom. य, P नंदिणी, J को वि च (य?) एसो P को विउ एसो. 20) Pणचिउमाढत्तो, . भाउअस्स चरिमचेट्ठिअं. 21) P जीविएण, J om. पुण, P ट्ठिओ for ठिया. 22) Pउण for पुण, P पट्टी एकं ति जुवाणमिहुणयं मंते समादत्तं (Jadds ए after पट्रि later and it has some letter, not easily identified, between एक and जु', समाढतो. 25) जाला for जलणा', Pमहक्कामो, Pकुण for कुणसु. 26) Pएयंच, मंति, आसण्णट्टिएणं. 27)P बालय जणोमि, P मज्झ for अम्ह. 28) Jom. चंडसहायण्णणा, P जाया से केण. 29) Pमममिहागयं, , इमिणा य नो केग. 30) P om. च, P जुयाणेग. 31) P सोमो, JP जसो for जमो, Pइह होज for जड होग, Padda नो before घेत्तम्बा, Pom. वा. Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६९३] कुवलयमाला 1 1 भणिय च तरुणीए । 'जइ एवं तुह णिच्छओ ता जाव महं पई इह कहिं पि णड-पेच्छणयं पेच्छइ ता अहं णिय-गेहं गच्छामि, 1 तत्थ त मम मग्गालग्गेणं चेय आगंतव्त्रं' ति भणिऊण णिग्गया, घरं गया सा तरुणी । चिंतियं च चंडसोगे 'भरे, स 3 चिय एसा दुरायारा, जेण भणिय इमीए 'पंडो मह पद्दति च इद वेव पेच्छणए सो कहिं पि समागओ ति । ती त्य अहं दिट्ठोति । ता पेच्छ दुरावारा दुल्सीला महिला, पुर्ण चेय खगेणं महंत आप्पालं भाढतं । ता किं एत्थ मए काय' ति । जात्र य इमं चिंतेइ चंडसोमो हियएणं ताव इमं गीययं गीयं गाम-णडीए । जो 'जसु माणुसु चलहउँ तं जह भण्णु रमेइ । जइ सो जाणइ जीवइ व सो तहु प्राण लएइ ॥ 6 ९२) एवं च णिसामिऊण माबद्ध-तिवलि-तरंग-बिरइय- भिउडी - गिडालवणं रोस- फुरफुरायमाणाहरेण अमरिस-वसविलसमाण-भुवया-लणं महाकोव कुविएणं चिंतियं । 'कहिं मे दुरायारा सा य दूसीला वच्चइ भवस्सं से सीसं गेण्हामि' १ ति चिंतें तो समुट्टिभो, कोटिं घेत्तृण गंतुं च पयत्तो । महा-कोव धमधमायमाण-हियओ नियय-घराहुतं गंतून य बद्दलसमोच्छ सबले भूमि-भागे घर-फलिस्त पट्टिमाए आयारिय- कोंटी-पहार-सजो अच्छि समादतो मय उसे पेच्छ सो तस्स भाषा भइणी व घर-फलिय-दुवारेण पविसमाणा दिट्ठा गं चंडसोमेणं द य भवियारिकन पर13 लो, अगणिऊण लोगाचार्य भयाणिऊन पुरिस-बिसे, अरुण णी, किन सुपुरिस-म सम्वहा कोव-विस- 12 1 1 - अंधेण विय पहल कोंकीए सो भाया भइणी वि सिरिसोमा । ते य दुवे वि विडिया धरणिव े । 'किर एसो सो पुरिसो, एसा विसा मम भारिय' चि 'आग' ति भागमा जान 'सीसं छिंदामि ति कोटी आभामिण पहावया 10 य क्षण ति फलिदए लम्मा कोटी तीय व सण विद्धा सा कोय कोणाओ मंदिणी इमरस भारिया भणियं सभमाए 15 सीए 'हा हा दुरावार, किमेवं तर भावसियं' ति घाइया ते नियय- वहिणि नि भावा वि' । तं च सोडणं ससंभ्रमेण णिरूविया जाव पेच्छद्र पाडियं तं भहणीयं ति तं वि भाउ ति । तभ संजाय गरुप पच्छायायेणं चिंतियं णेण । 1 'हा हो मए अकर्म कद णु कयं पाव- कोय-वसपुर्ण मिच्छा-विध्य-कपिय जाया अलिबावराहेणं ॥ 18 21 24 27 30 1 हा बाले हा वच्छे हा पिइ माया-समपिए मज्झ । भह भाउणा वि अंते केरिस संपयं रइयं ॥' यंहा इतोदि विभगमाणो मुडिओ, पडिओ घरणि-वठ्ठे मंदिणी वि बिसण्णा । हा मद्द देयर वल्लह हा बाले मह वयंसि कत्थ गया । हा दइय मुंच मा मा तुमं पि दिण्णं ममं पावं ॥ ९९३) खण - मेत्तस्स य लद्ध-सण्णो विलविडं पयत्तो चंडसोभो । हा हा बालय हा वच्छय कह सि मए णिग्धिगेण पावेणं । भाउंय वच्छल मुद्दो निवाइको मूढ-हियएणं ॥ जो करियल-बूढो बालो खेलाविओ सगेहेणं । कह णिद्दरण सो चिय छिण्णो सत्थेण फुरमाणो ॥ हा भाउय मह वल्लह हा भइणी वच्छला पिउ-विणीया । हा माइ भत्त बालय हा मुद्धय गुण-सयाइण ॥ चलियस्स तिरथयत्तं मग्गालग्गो जया तुमं पिउणो । पुत्त तुमं एस पिया भणिऊण समप्पिओ मज्झ ॥ जणी पुण भणिओ ओ अंतालुहणो ममं एसो । पुत्त तुमे दटुव्वो जीयामो वि वो वसं ॥ ता एवं मज्जा समपियरस तु पुरिएर पेच्छ पिपिय-वच्छ कोय-महारक्स गहिए । वीवाहं वच्छाए कारेंतो संपयं किर अउण्णो । चिंतिय-मणोरद्दाणं अवसाणं केरिसं जायं ॥ । किर भाउणो विवाय रंगय-चीर-बद-विधाटो। परितुट्टो चिस्सं अष्फोटन-सह-दुहलिभो | जान मए चिय एवं कुविएण व पेग्छ कर्म महकम्मे | अण्णट्वें चिंतियं मे घड़िये जन्माए पढाए । ४७ NMAI 1) P कहं for कहिं, P ण for गड, P ताब for ता, णिअअ for णिय, P वच्चामि for गच्छामि 2 ) Jom. घरं गया, 3 अवरे for अरे. 3) P इह पेक्खणए चेय कहिं. 4) P अहमेत्थ for एत्थ अहं, P तो for त्रि । ता, महिलाए for महिला, एमहतं आपालं P महंतं एयं आलप्पालं, P समादत्तं for आढतं. 5 ) J inter. मए एत्थ, P गायनडीए 6 ) P माणस for माणुस, Pom. सो, P वि for व, सो looks like तो, P तो पाण. 7 ) P एवं च, P तिवली-, P विलक्ष्य, JPवद्वेणं, 8) विलस for विलसमाण, P भुमया, P "कोवेण कुविए त्रितियं च । Pom. सा, P दुस्सीला, Pom. से. 9 J P च, P निययघराहुती. [3] कोही कोंडी, Pom. विभाग 10 ) समोत्थई, भूमिभार, J P P कोटी, P अज्जिउं for अच्छिउं, P उक्खिडिए पेच्छणए. 11 ) P भइणीया घरफरिहय, उदट्ठणं अवि, P परिलोयं. 12) Jऊण फुरुफुरा", Pom. चस. Pom. त्ति, चिंतंतो पट्टिकोफी for 18 21 य पुरिस, J अवउज्झिऊण व णीई, P णीहं, P कोवि विसवेयंधण विय. 13 ) Pom. कोकीए, P पहणी for भइणी, P सिरिसेप्एमा, P विनिविडिया, P एस for एसो, P repeats पुरिसो. 14 ) Jom. आ, J अणज्जं ति, कोंकी for कोटी, P आभाविऊण 15 Jom य, P खण for झण, कोंकी for कोटी, Pom. य, om. सा. भरणी त्ति, Jow. भाया वि. 17 ) P पाडियं तं भइणिभायरं ति । मिच्छावियप्पियं पिय जाया. 19 ) P पिय for पिइ, P प्रियं ते for वि अंते, 21 ) इमामा, P दी मए पावं. 22 ) P विलविडं पलविडं पयत्तो. 24) P क्रडियड, P सिणेहेणं, P फरु for फुर. 25 ) J पिउविणीए 27 ) P पुणो for पुण, 3 एसो for वरसं. 29 ) P पुव्वाहं for वीवाहं, 31) Jom. • कयं, P पेच्छह एथं कयंतेग हा अण्णह चिंतिअं घढाविअं अण्णाए (the page has its ink rubbed very much. 24 16 ) P किमयं तर अज्जवसियं, ए for ते, 18 ) P हा हा मए, कथं पेच्छ पाववस एणं । रमियं for रइयं. · 20 ) Prepeats हा. 23 ) हा वाला य, P वच्छ न नाओ निवाडिओ. माए for माइ, P गुणसमाइन. 26 ) J मग्गाभग्गो. अवसारणं. 30 ) चिद्धालो, उ णश्चीसं, P उप्फोडण 27 30 . Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ उज्जोयणसूरिविरइया [६९३1 जइ वि पडामि समुद्दे गिरि-टेके वा विलामि पायाले । जलणे व्व समारुहिमो तहा वि सुद्धी महं णरिथ ॥ कह गोसे च्चिय पढमं कस्स व हलियस्स णवर वयणमहं । दंसेहामि अहण्णो कय-भइणी-भाइ-णिहणं तो, ता गवरं मह जुत्तं एवं चिय एत्थ पत्त-कालं तु । एएसिं चेय चियाणलम्मि अप्पा विछोडूं जे ॥ ___ इय जाव विलविए च्चिय ता दूसह-कलुण-सह-विदाणो । जल-ओदारं दाउं अवर-समुहं गओ चंदो॥ सोऊण रुष्ण-सई महिलत्तण-थोय-मउय-हिययाए । बाह-जल-थेवा इव तारा वियलंति रयणीए ॥ 6 ताव य कोवायंबो दुजय-पडिवक्ख-पडिय-पयावो । पाडिय-चंडयर-करो उइओ सूरो णरवइ ब्व ॥ ६९४) तओ मए इमाए पुण वेलाए णाइदूरमुग्गए कमलायर-पिय-बंधवे चक्काय-कामिणी-हियय-हरिसुप्पायए सूरे समाससिया मुच्छाए तओ भणिओ जगणं । 'मा एवं विलवसु, जइ वि मया इमे' ति। तह वि पच्छायाव-परद्धो जलणं ० पविसामि ति कय-णिच्छ भो इमो चंडसोगो दीण-विमणो मरण-कय-ववसाओ गुरु-पाव-पहर-परद्धो इव णिकतो गामाभो, . गमो मसाण-भूमि, रइया य महंती महा-दारुएहिं चिया। तत्थ य तिल-घय-कप्पास-कुसुंभ-पम्भार-वोच्छाहिओ पन्जलिमो जलिओ जलण-जलावली-पब्भारो । एत्थंतरम्मि चंडसोमो आबद्ध-परियरो उद्धाइओ जलिय चियं पविसि । ताव य 12 गेण्हह गेण्हह रे रे मा मा वारेह लेह गिवडत । इय णिसुय-सह-समुहं बलिय-जुवागेहि सो धरिओ ।। 12 भणियं च णेण 'भट्टा भट्टा, किं मए पाव-कम्मेण जीविएणं । अवि य । धम्मत्थ-काम-रहिया बुहयण-परिणिदिया गुण-विहूणा । ते होंति मय-सरिच्छा जीवंत-मयल्लया पुरिसा ॥ 16 ताण कजं मह इमिणा पिय-बंधव-णिहण-कलुसिएण बुहयण-परिणिदिएणं अणपणा इव अप्पणा' । भणियं च हल-18 गोउल-छल-संवट्टिएहिं पिय-पियामह-परंपरागएकेक्कासंबद्ध-खंड-खंड-संघडिय-मणु-वास-वम्मीय-मक्कंड-महरिसि-भारह-पुराण गीया-सिलोय-वित्त-पण्णा-सोत्तिय-पंडिएहिं 'अत्थेत्थ पायच्छित्तं, तं च चरिऊण पाव-परिहीणो अच्छसु' ति । भणियं च 18 चंडसोमेणं 'भगवंतो भट्टा, जइ एवं ता देसु मह पायच्छित्तं, जेण इमं महापावं सुज्झइ' त्ति । ता एक्केण भणियं । 'अका- 18 मेन कृतं पापं अकामेनैव शुद्धयति । अण्णेण भणियं असंबद्ध-पलाविणा । "जिघांसंतं जिघांसीयान तेन ब्रह्महा भवेत् । अण्णेण भणियं । 'कोपेन यत्कृतं पापं कोप एवापराध्यति'। अण्णेण भणियं । 'ब्राह्मणानां निवेद्यात्मा ततः शुद्धो भविसष्यति' । अण्णेण भणियं । 'अज्ञानाद्यत्कृतं पापं तत्र दोषो न जायते' । 21 ६९५) एवं पुव्वावर-संबंध-रहियवरोप्पर-विरुद्ध-वयणमणुगाहिरहिं सन्चहा किं कयं तस्स पायच्छितं महा-बढरमहिं । सयलं घर-सव्वस्सं धग-धण्ण-वस्थ-पत्त-सयणासण-डंड-भंड-दुपय-चउप्पयाइयं बंभणाण दाऊण, इमाई च घेत्तुं, जय 4 जिय ति अहव अट्टिताई भिक्खं भमंतो कय-सीस-तुंड-मुंडणो करंका-हत्यो गंगा-दुवार-हेमंत-ललिय-भद्देस्सर-वीरभद-१५ सोमेसर-पहास-पुक्खराइसु तित्थेसु पिंडयं पक्खालयतो परिभमसु, जेण ते पावं सुझह त्ति । तं पुण ण-यणते चिय जेण महा-पाव-पसर-पडिबद्धो । मुच्चइ एस फुड चिय अप्पा अप्पेण कालेण ॥ 7 जइ अप्पा पाव-मणो बाहिंजल-धोवणेण किं तस्स । जं कुंभारी सूया लोहारी किं घयं पियउ ॥ सुज्झउ णाम मलं चिय णरणाह जलेण जं सरीरम्मि । जं पुण पावं कम्मं तं भण कह सुज्झए तेण ॥ किंतु पवित्त सय-सेवियं इमं मण-विसुद्धि-करयं च । एत्तिय-मेत्तेण कओ तत्थ भरो धोय-वत्तीए ॥ 30 जंतं तित्यम्मि जलं तं ता भण केरिसं सहावेण । किं पाव-फेडण-परो तस्स सहावो अह ण व त्ति ॥ जह पाव-फेडण-परो होज सहावेण तो दुवे पक्खा । किं अंग-संगमेणं अहवा परिचिंतियं हरइ ॥ जइ अंग-संगमेणं ता एए मयर-मच्छ चक्काई । केवट्टिय-मच्छंधा पढम सगं गया णता ॥ 1) P विसाम for विक्षामि, P महं नत्थी. 2) गोस, P वयणमुई. 3) मह जत्त, P कालंमि।, Pएतेसिं चेव वियालणमि,' विछोडु P विछोढुं. 4) Pजाव बिलबउ चिय ता, जलओयार. 5) Pथोव, P जलत्थेवा, पश्य for इव. 6) P दुज्जण for दुज्जय. 7) पुण for मए, Pपहरिसु for हरिसु. 8) Pसमासासिओ पच्छिओ। तओ. P भणियं for भणिओ,P विलवेसु जीविया इमे, J मेत्ती for इमे त्ति, Pom. तह वि पच्छायाव......पविसामि त्ति. 9Jइय णिक्खतो. 103om. गओ, P भूमी for भूमि, P वारेह for महंती, वोच्छहिओ. 11) Pom, जलिओ, P जलिय for जलण. P उद्धाइयं, चिई पद सिउं. 12) गेण्ह गण्हरे, Pहंती for मा मा, णिसुणिय, न निरायह, J सम्मुह. 13) भद्दा भद्दा, P कमेण. 14) जीयंती मइलया. 15) J इवप्पणो. 16) थल for छल, P संवट्रिएहि, J*गएककोसबद्धगए एकेकासंबंध, P om. खटखट, मणुय for मणु,P मीय. 170 वित्तं, P विडंबणा for वित्तपण्णा, J पडिएदि, Pom. च after भणियं. 18) Pताए for ता, P मे for मह, P repeats महापायच्छित्तं जेण इमं, P तओ for ता. 22) संबद्धेहिं अवरोप्पर, बयणामणगाहिरेहिं P बयणमेतुनाहि रेहि, P वट्ट for बढर. 23) P सयलधर, पत्थ for पत्त, J 'प्पयाईयं 'प्पयादियं. J णिक्खंतो for इमाई च घेत्तुं जय जिय त्ति अहव अद्धिताई भिक्खं. 24) J मुण्ड for मुंढणो, P हत्थे, P ललियाभद्देनरवीरभद्दा- 25) Iom. सोमेसर, पभासपुष्करा', P पिड for पिंडयं, Pएवं for ते, P सुज्झय त्ति. 26) Pनयणंत चिय, P पडिबद्धो. J भंचइ. 27) P बाहिरमलधोअणेण, P जा ror जं, P पियइ।. 28) Pजलेण तं सरीरं ति, Pजेण for तेण. 29) Pom. here the verse किंतु पवित्त etc. but gives it below, included in the foot-notes. 30) J -यरो for -परो. P पहावो for सहावा. 311 सहावो तओ दुवे. 32) Pतो for ता, P चकाया। केवटिया, JP मच्छद्धा. Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लिउडो भत्ति-भराऊरमाण -जयलं करयलेहि, अविनो ॥ -६९६] कुवलयमाला 1 महव परिचिंतियं चिय कीस इमो दूर-दक्खिणो लोओ। आगच्छइ जेण ण चिंतिऊण सम्ग समारहद ॥ भह पावणो त्ति ण इमो विसिट्ठ-बुद्वीऍ होज परिगहिओ। तत्थ वि विसिट्ठ-बुद्धी-परिगहियं होज कृव जलं ॥ अह भणसि होज तं पि हु तित्थे गमगं णिरस्थय होज । मह त ण होज तित्थं पुण होहिह एत्थ को हेऊ ॥ जुत्ति-वियारण-जोगं तम्हा एयं ग होइ विबुहाण । मूढ-जण-वयण-वित्थर-परंपराए गयं सिद्वी ॥ जं पुण मयस्स अंगट्टियाई छुब्भंति जण्हवी-सलिले । तं तस्स होइ धर्म एत्थ तुम केण वेलविओ॥ • ता एत्य णवर णरवर एस वराओ अयाणुओ मुद्धो। पाव-परिवेढिओ ञ्चिय भामिजइ मंद-बुद्धीहिं॥" एयं च सोऊण सव्वं सच्चयं तं णियय-पुग्व-वुत्तंतं, पुणो वि विणय-रइअंजलिउडो भत्ति-भराऊरमाण-सब्भावो । संवेग लद्ध-बुद्धी वेरग से समल्लीणो॥ • उद्धाइओ भगवओ चलण-जुय-हुतं, घेत्तण भगवओ चलण-जुयलं करयलेहिं, अवि य, संवेग-लद्ध-बुद्धी बाह-जलोयलण-धोय-गुरु-चलगो। मुणिणो चलणालग्गो अह एयं भणिउमादत्तो ॥ 'भयवं जं ते कहियं मह दुच्चरियं इमं भउण्णस्स । अक्खर-सेत्तेण वि तं ण य विहडइ तुम्ह भणियाओ॥ 12 ता जह एयं जाणसि तह णूण बियाणसे फुडं तं पि । जेण महं पावमिण परिसुज्झइ अकय-पुण्णस्स ॥ ता मह कुणसु पसायं गुरु-पाव-महा-ससुद-पडियस्स । पणिवइय-वच्छल च्चिय सप्पुरिसा होति दीणम्मि॥' एवं च पायवडिओ विलवमाणो गुरुणा भणिओ 'भमुह, णिसुगेसु मज्झ वयणं । एवं किल भगवंतेहिं सवण्णूहि सम्व16 तित्ययरेहिं पण्णवियं परूवियं 'पुचि खलु भो कडाण कम्माण दुप्पडिकंताणं वेयइत्ता मोक्खो, णत्थि अवेयहत्ता, तवसा 16 वा झोसइत्ता' । तेण तुमं कुणसु तवं, गेण्हसु दिक्ख, पडिवजसु सम्मत्त, जिंदसु दुचरियं, विरमसु पाणि-वहाओ, उज्मसु परिग्गहं, मा भणसु अलियं, णियत्तसु पर-दव्वे, विरमसु कोवे, रजसु संजमे, परिहरसु माय, मा चिंतेसु लोह, अवमण्णसु 18 अहंकारं, होसु विणीओ त्ति । भवि य । एवं चिय कुणमाणो ण हुणवर इमं ति जे कयं पावं । भव-सय-सहस्स-रइयं खगेण सव्वं पणासेसि ॥' । एयं च सोऊण भणियं चंडसोमेण 'भयवं, जइ दिक्खा-जोग्गो है, ता महं देसु दिक्ख' ति । गुरुणा वि णाणाइसएण उवसंतखविय-कम्मो जाणिऊण पवयण-भणिय-समायारेण दिक्खिओ चंडसोमो त्ति ॥॥ ६९६) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मणंद गेणं । 'माणो संतावयरो माणो अस्थस्स णासगो भणिओ। माणो परिहव-मूलं पिय-बंधव-णासणो माणो । माणस्थाद्वो पुरिसो ग-याणइ अप्पणं णाणप्पणं, न पियं णापियं, ण बंधु णाबंधु, ण सत्तुं णासत्तं, ण मिर्स णामित्तं, ण 24 समण णासजण, ण सामियं णासामियं, " भिचं णाभिच्चं, ण उवयारिणं णाणुवयारिणं, ण पियंवयं णापियवयं, ण पणयं णापणयं, ति । अवि य 7 लहुयत्तणस्स मूलं सोग्गइ-पह-णासणं अणत्थयरं । तेणं चिय साहहि माणं दूरेण परिहरियं ॥ माण-महा-गह-गहिमो मरमाणो पेच्छए ण वारेइ । भवि मायरं पिय भारियं पि एसो जहा पुरिसो॥' भणिय च राइणा 'भय, बहु-पुरिस-संकुले ण-याणियो को वि एस पुरिसो' ति । भणियं च धम्मणदणेण । 30 "जो एस मज्झ वामे दाहिण-पासम्मि संठिओ तुज्झ । एक्कुण्णामिय-भुमओ विस्थारिय-पिहुल-वच्छयलो ॥ गब्ब-भर-मउलियच्छो परियंकाबद्ध-उडभडाडोवो । तातो धरणियलं पुणो पुणो वाम-पाएण ॥ उत्तत्त-कणय-वण्णो आयंबिर-दीहरच्छिवत्त-जुओ । रीढा-पेसवियाए तुम पि दिट्ठीए णिज्झाइ ॥ 33 इमिणा रूपेण इमो माणो व्व समागओ इहं होज । एएण माण-मूढेण जे कयं तं णिसामेह ॥ 18 21 2) Pवामणो for पावणो, P बुद्धीय होज्ज, होऊण for होज्ज, तत्थ विसिट्ठा मुद्धी, होउ for होज (sometimes and ज look similar ). 3) Pगंगा for तित्थे, जिरत्यओ, गंगं for तित्थं. 4) P गय, P has here the verse किंतु पवित्तं तियसिंदसेवियं मणविनुद्धिकरयं च । एत्तियमेत्तेण कओ तस्स भरो वो अवंतीए-compare the readings with the verse in J noted above, p. 48, foot-note, 29. 5)पुण एयस्स. 6) Pom. णवर, अयाणओ सुद्धो, परिवेडिओ, पाव for मंद.7)J सवयं P सम्म,P तिययं for णियय, Jom. वि.8J रक्ष्यवि गयअंजलीउडो,J संवेयलद्ध. 9) जुयलहुत्तो, P omits अवि य. 10) संवेय, P om. धोय, P चलणजुयललग्गो. 11) P भगवं, P तेहिं for ते, J मत्तेण for मेत्तेण. 12)P मि for पि. 14)P भ मह सुणेसु मह वयणं, Pकिर for किल, 15) Jदुप्परकंताणं, P वेइत्ता. 16) Ja for वा, जोसइत्ता. 17) P भणेस, P विरज्जसु. 18) अहंकारो. 20) P भगवं, P दिक्खाए जोगो अहंता महं,? om. ति, P नागाइसए उव. 21) P खइय. 22) I तु for च before पुणो. 23) P मूलो, बंधुविणासणो. 24) P माणथद्धो, P अप्पयं नाणप्पयं, P न बंधू नाबंधू, पण सत्तू पासत, 25) P नाउक्यारिण, पिय" for पिय in both places. 27) Pपणनासणं अणत्थकर. 28) Pमारियं for मायर, पिया for पियं. 29) P भगवं. 30) P वामो kor वामे, P एकुन्नामियभमिओवत्थारिय, वत्थयलो. 31) Jखंध for गव्व, उत्तढाडोवो, P-प्पारण.32) Par for वत्त, निज्झायद. 33) इह for इमो, समागमो, होज्जा, निसामेहि. Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 उज्जोयणसूरिविरइया [६९७६९७) भत्थि णर-णारि-बहुलो उववण-वण-पउम-संड-रमणिज्जो । गाउय-मेत्त-ग्गामो गामासण्ण-ट्टिय-तलावो॥ । जो सुसम-पढम-णरिंद-णियय-सुय-दिण्ण-णाम-चिंधालो। छक्खंड-भरह-सारो णाममवंती-जणवओ त्ति ॥ सो य केरिसो अवंति-जणवओ। जत्थ य पहिएहिं परिभममाणेहिं सयले वि देसे दिट्ठई एक्को व दोषिण व तलायई जाई ३ ण घण-घडिय-कसण-पत्थर-णिबद्धई, दोषिण व तिणि व दिट्टई रुक्खइं जाई ण सरस-साउ-महल्ल-पिक्क घण-फलई, तिण्णि व चयारि व दिई गामहं जाईण गणिज्जति योव-बीहियई, चत्तारि व पंच व दिवई देवउलई जाई ण सुंदर-विलासिणी6 यणाबद्भु-संगह-गीयई, पंच व छ व दिउ विलासिणिओ जाओ ण धरिय-धवलायवत्त-माऊर-छत्त-चामराडंबराओ त्ति । अवि य। बहु-रयण-णियर-भरिओ वियरंतुद्दाम-मुइय-संखउलो । णिम्मल-मुत्ता-पउरो मालव-देसो समुद्दो व्व ॥ । तस्स देसस्स मज्झ-भाए धवलहर-णिम्मलभा फुरंत-मणि-विमल-किरण-तारइया । सरए ब्व गयण लच्छी उजेणी रेहिरा णयरी ॥ जा य गिम्ह-समए जल-जंत-जलहर-भरोरल्लि-णिसुय-सहरिस-उदंड-तविय-पायडिजंत-घर-सिहंडि-कुल-संकुला फुड-पोमराय12 इंदोवय-रेहिरि ब्व पाउस-सिरि-जइसिय । पाउस-समए उण फलिह-मणि-विणिम्मविय-घर-सिहरभ-धवला विमलिंदणील-12 फुरमाणी इंदीवर-संकुलं व सरय-समय-सिरि-जइसिय । सरय-पमए उण दूसह-रवि-किरण-णियर-संताविय-पजलंत-सूरकंत जणिय-तिब्वायवा आसार-वारि-धारा-धोय-णिम्मल-सिय-कसिण-रयण-किरण-संवलिय-सिरीस-कुसुम-गोच्छ-संकुल व्व गिम्ह16 समय-सिरिहि अणुहरइ त्ति । जहिं च णयरिहिं जुवइ-जुवाण-जुवलेहिं ण कीरंति सुह-मंडणई। केण कजेण । सहाव-लायण्ण-10 पसरंत-चंदिमा-कलुसत्तण-भएण । जहिं च कामिणियणेण ण पिजति विविहासवई । केण कजेण । सहाव-सुरय-विलास वित्थर-भंग-भएण। जहिं च विलासिणीहिं विवरीय-रमिरीहिं ण बज्झति रणंत-महामणि-मेहलउ । केण कजेण । सहाव18 कलकंठ-कुविय-सद्दामयासा-लुद्धेहि त्ति । भवि य । 18 अइतुंग-गोउराइं भवणुज्जाणाई सिहर-कलियाई । एकेकमाई जीए णयरि-सरिच्छाइँ भवणाई ॥ ९८) तीए य महाणयरीए उन्जेणीए पुव्वुत्तरे दिसाभाग-विभाए जोयण-मेत्ते पएसे कूववंद्रं णाम गाम अणेय-धणधण-समिद्वि-गव्विय-पामर-जणं महाणयर-सरिसं । तत्थ एको पुब्ब-राय-वंस-पसूमो कह पि भागहेज-परिहीणो सयण-1 संपया-रहिओ खेत्तभडो णाम जुण्ण-ठक्कुरो परिवसइ । एरिस चिय एसा मुगाल-दल-जल-तरल-चंचला सिरी पुरिसाणं । अवि य। 4 होऊण होइ कस्स वि ण होइ होऊण कस्सइ णरस्स । पढम ण होइ होइवि पुण्णकुस-कडिया लच्छी ॥ तस्स य एको ञ्चिय पुत्तो वीरभडो णाम णियय-जीयाओ वि वल्लयरो । सो तं पुत्तं घेत्तण उज्जेणियस्स रण्णो ओलग्गिउं पयत्तो । दिणं च राइणा ओलग्गमाणस्स तं चेव कूबवंद गाम । कालेण य सो खेत्तभडो अणेय-रण-सय-संघट्ट-वइरि-वीर27 तरवारि-दारियावयवो जरा-जुण्ण-सरीरो परिसकिऊण असमत्थो तं चेय पुत्तं वीरभडं रायउले समपिऊण घरे चेय चिट्टिा पयत्तो । रायउले वि तस्स पुत्तो चेय अग्छिउँ पयत्तो । तस्स य से पुत्तस्स सत्तिभडो णाम । सो उण सहावेण थद्धो माणी अहंकारी रोसणो विहवुम्मत्तो जोव्यण-गविओ रूव-माणी बिलास-मइओ पुरिसाभिमाणी । तस्स य एरिसस्स सब्वेणं चेय 30 उजेणएण रायउत्त-जणेणं सत्तिभडो त्ति अवमण्णिऊण माणभडो त्ति से कयं णाम । तेण णरणाह, सो उण एसो माणभडो। 30 भह अण्णम्मि दियहे उवविटे सयले महाराय-मंडले णिय-णिय-स्थाणेसु समागओ माणभडो। तओ राइणो अवंतिवद्धणस्स कय-ईसि-णमोक्कारो णिययासण-ट्ठाण-पेसियच्छि-जुओ जाव पेच्छइ तम्मि ठाणे पुलिंद-रायउत्तं उवविटुं। तओ बलिओ तं 33 चेय दिसं। भणियं च णेण 'भो भो पुलिंद, मज्झ संतियं इमं आसणट्ठाण, ता उट्ठसु तुम'। पुलिंदेण भणियं 'अहं भयाणतो 33 1) गामोसण्ण, J तलाओ. 2) J जा for जो, चिद्धालो. 3) Pअवंती, परिभवमा, P सयले चिय दोस दिट्टई, P तलायइम जाई. 4) P कसिणपत्थर सिलोहबद्धई, दोणि वि तिण्णि, Pदो for दोष्णि, ट्ठियई for दिट्टई, सरसाउ, J मह for घण, J फलई. 5) P चत्तारि, गामाई, Jom. जाई, P om. ण, P गणिज्जत, चयरि, पंच वि (for व), व दिट्टई देवउलई P वि देवउलइंन दिट्ठइं. 6) यणबद्धसंगीयई संगईगीय ई, P व छ विणि दि हिउ विलासिणीओ, Pधवयायवत्त, मापूर for माऊर. 8) P सुपर for मुइय, क्यारो for पउरो, Pसालवदेशो. 10) P निम्मलत्ता. 11) P जो for जाय, P सहरिसहरिसउदंड, J उझुंड, तंडविय, J-पीडिज्जत, पोमराइंदोवय P पोमरायसिंदूरोहे च पाउस. 12)व for eव (emended), P जइसिया, Pom. मणि, J धवलविमल. 13) P फुरमाणींदीवरासंकुल, 1 सिरि जइसिया, सूर for सूरकंत. 14) तिब्वायन्व | P तिब्वायव आसारि- सकुलं व. 15)J ति for त्ति, Pom. सुह. 16) कलुसण, P कामिणीयणेण, P om. ण. 17)Pरमरीहि, मेहलाओ. 18) Pसद्दपायलु, लुद्धेहि, Jom. त्ति. 19) गोयराइ, Pणयर. 20) Jतीय य,J om. उज्जेणीए, दिसाभार. 21) PAरिच्छं for सरिसं, पसूओ, न कहिं चि भागधेज, Pसयल for सयण. 22) P खत्तहडो for खेत्तभडो, Jom. परिवसइ, P एरिस, Pएस for एसा, P तरललवचंचला, Jom. सिरी. 24)P होउं न होइ, P कस्सइ न होइ, J पुण्णुकुस, P कुहिआ for कडिया. 25) Jएको चेय, Pपुरित्तो for पुत्तो,Jom. वीरभडो णाम, P निय for णियय, Pघेत्तुं उजणयरस. 26) दिण्णों for दिगं, Pom. य, सो खत्तहडो, Pस for सय. 27) दरिया, P तं चेव, J सत्तिभडं for वीरमर्ड, Pचेव. 28)Pराउले, Jom. वि, Pom. चेय, Jom. तस्स य से पुत्तस्स सत्तिभडो णाम ।. 29) P विवुमत्तो, J भवमाणी for रूवमाणी,J मुइओ P मईओ, P पुरिसाहिमाणी, Pएसियरस- 30) Pom. first त्ति, Pom. तेण. 311 om. दियहे, J महाराइ, P नियनिययठाणेसु, Pराइणा अर्वितिवद्धणस्तय कय 32) Pom. ट्ठाण, Pपेसियच्छीओ तं जाव, P रायउत्ति, P तओ चलिओ. 33) Pom. चेय, Jom इमं, Pआसणत्थाणं. Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तस्थ तयणुप्पयसाहिं सयलं सार-भडाणा कुलउत्तयाए । -६१००] कुवलयमाला 1इहोवविट्रो, ता खमसु संपर्य, ण उणो उवविसिस्सं' । तओ अण्ण भणियं 'अहो, एवं परिभवो कीरइ वरायस्स। चिंतियं 1 च माणभडेण 'अहो, इमिणा मह पुलिंदेण परिहओ को। ताव जीवियं जाव इमाण परिभवं सहिजा त्ति । अनि य। ३ जाव य अभग्ग-माणं जीविजइ ताव जीवियं सफलं । परिहव-परिमलिय-पयावस्स भण किं व जीवेणं ॥ अण्णं च । 3 ताव य मंदर-गरुओ पुरिसो जा परिहवं ण पावेइ । परिभव-तुलाएँ तुलिओ तणु-तणुय-तणाओं तणुययरो ॥' एवं एरिसं चिंतिऊण समुक्खया जम-जीहा-संगिहा छुरिया। ताव य अवियारिऊण कजाकज अयाणिऊण सुंदरासुंदर 6 अचिंतिऊण अत्तणो मरणामरणं 'सब्वहा जं होउ तं होउ' ति चिंतिऊणं पहओ वच्छत्थलाभोए पुलिंदो इमिणा रायउत्तो । त्ति । अवि य। ण गगेइ परं ण गणेइ अप्पयं ण य होंतमहाहोतं । माणमउम्मत्त-मणो पुरिसो मत्तो करिबरो व्व ॥ तं च विणिवाइऊण णिक्खतो लहुं चेव भत्थाणि-मंडवाओ । ताव य गेण्हह गेण्हह को वा केण व मारेह लेह रे धाह । उद्धाइ कलयल-रवो खुहियत्थाणे जलणिहि व्व ॥ ६९९) एत्थंतरम्मि एसो माणभडो उद्धाइओ णियय-गामहुत्तं । कयावराहो भुयंगो इव झत्ति संपत्तो णियय-घरं 12 भणिओ य तेण पिया 'बप्पो बप्पो, मए इमं एरिसं वुत्तंतं कयं । एयं च णिसामेउं संपयं तुम पमाणं किमेत्थ कायवं' ति । 12 भणियं च वीरभदेणं 'पुत्त, जं कयं तं कयं णाम, किमेत्थ भणियच्वं । अवि य । ___ कर्ज ज रहस-कयं पढम ण णिवारिय पुणो तम्मि । ण य जुजइ भणिऊणं पच्छा लक्खं पि वोलीगं ॥ 15 एस्थ पुण संपर्य जुत्तं विदेस-गमण तयणुप्पयेसो वा। तत्थ तयणुप्पवेसो ण घडइ । ता विदेस-गमणं कायन्वं । अण्णहा 16 जस्थि जीविय । ता सिग्यं करेह सज जाण-वाहणं' । सजियं च । आरोधियं च णेहिं सयलं सार-भंडोवक्खरं । पस्थिया य णम्मया-कूलं बहु-वंस-कुडंग-रुक्ख-गुम्म-गुविलं । इमो पुण कइवय-पुरिस-परिकय-परिवारो वारिजतो वि पिउणा कुलउत्तयाए 18 पुरिसाहिमाण-गहिओ तहिं चेव गामे पर-बलम्स थक्को । भवो दुहा वि लाहो रणंगणे सूर-वीर-पुरिसाण । जइ मरइ अच्छराओ अह जीवइ तो सिरी लहइ ॥ एवं चिंतयंतस्स समागयं पुलिंदस्स संतिय बलं । ताव य, एसेस एस गेण्हह मारे-मारेह रे दुरायारं । जेणम्ह सामिओ चिय णिहओ अकयावराहो वि ॥ एयं च भणमाणा समुद्धाइया सव्वे समुत्थ-रिउ-भडा । इमो य आयड्रिय-खग्ग-रयणो कह जुज्झिउं समाढत्तो । वेल उप्पइओ चिय पायालयलम्मि पइसए वेल । कइया विधाइ तुरियं चक्काइटो व परिभमइ ॥ १००) एवं च जुज्झमाणेणं थोवावसेसियं तं बलं इमिणा । तह दूसह-पहरंतो-गुरु-क्खय-णीसहो पाडिभो तेहिं 4 उच्छूढो य तस्स णियएहिं पुरिसेहिं मिलिओ णियय-पिउणो। ते वि पलायमाणा कह कह वि संपत्ता णम्मया-तीर-लग्गे अणेय-वेलुया-गुम्म-गोच्छ-संकुलं वण-महिस-विसाण-भजमाण-वइ-वेदं उद्दाम-वियरंत-पुल्लि-भीसणं एक पर्चतिय-गामं । त चेय दुग्गं समस्सइऊणं संटिया ते तत्थ । इमो य माणभडो गुरु-पहर-पर दो कह कह वि रूढ-वणो संवुत्तो । तत्थ तारिसे 27 पञ्चते अच्छमाणाणं वोलिओ कोइ कालो । ताव य कड्डिय-मुहल-सिलीमुह-दुप्पेच्छो कोइला-कलयलणं । चूय-गइंदारूढो वसंत-राया समल्लीणो॥ अल्लीणम्मि वसंते णव-कुसुमुब्भेय-रइयमंजलिया । सामंता इव पणया रुक्खा बहु-कुसुम-भारेण ॥ रेहइ किंसुयपाहणं कोइल-कुल-गेजमाण-सद्दालं । णवरत्तंसुय-परिहिय-णव-वर-सरिसं वणाभोयं ॥ साहीण-पिययमाणं हरिसुप्फुल्लाई माहव-सिरीए । पहिय-घरिणीण गवरं कीरंति मुहाई दीणाई॥ 33 सुब्वइ गामे गामे कय-कलयल-डिंभ-पडहिया-सहो । विविह-रसत्थ-विरइओ चच्चरि-सद्दो समुट्ठाइ ॥ पिजद्द पाणं गिज य गीययं बद्ध-कलयलारावं । कीरइ मयणारंभो पेसिजद्द वल्लहे दूई ।। 1) अन्नेहिं for अण्णेण, " परिहवो कवरायरस. 2) Pom. च, P परिवो, P ता जीवित जाव, J परिवं परिभवो 3) परिमलयः, J पयावयस्स, P भण करस जीरणं. 4)P मंदरगुरुमओ. परिहव-, P तणुया 3 for तणुयतणाओ. 5) Jएयं च एरिस, Pउक्वया for समुकत्या, J जमजी इसणिह, P अवयारिऊण, मदर नितिकण. 6) सव्यहा जे होउ ति, रायपुत्तो 8) अप्पयं णो य होन्तमहोतं, दांत for होतं, Jमाणमए उम्मत्त माणं मउम्मत्त.. 9) च शिवाइऊण, P रायत्यणे for अत्यागि. 10)J धावा धाय, खुहिमो अस्थाणे. 11) "सो for एसो, । गामाहुत्तो, च्छअंगो for भयंगो, P अत्ति for झत्ति. 12) P on. य, "ण for तेग, P बप्पो बम, om. परिसं, Pएवं न. 13) भणिs for भगियन्वं. 14)P जं कह वि रहसरइयं पढम. 15)P पत्थं पुण, वि एम for विदेस, 'तणुयपवेसो वा. 16)P आहोहियसयलसार, J भंडारवक्खरं 17) Jणम्मयाकुलं, " कुडंग, ' om. परिकय, P कुम उत्तया पुरिमाभिमाग. 18) चेय गामे. 19) Jलाभो, P रणंगणो धीरवीर, I सिरि लहइ. 20) चितियंतस्स, P पुलिदसतेयं. 21) Pom. रे. 22) चिय for च, Pसंमरिनु for समुत्थरिउ, वि for य, " पयत्तो for समाढत्तो. 23) Pइव for चिय, पायालइलमि, J चकारद्धं व. 24) Jom. तं, पयरंतो गुरु, ।' पहरंतो खुरप्पेणं नीसहा पाहिओ तेहिं उन्बूढो तस्स. 25) P om. पुरिसेहि, P मिलिय- for भिलिओ, P तीरं लग्गं. 26) वेसल्या for वेलुया, "नियरंत for वियरंत, पच्चंतियागानं. 27) Pदुर्गे, P for य after इमो), पहरपारद्धो, P तारिसो. 29)J'मुहरपेच्छिओइला. 30)P नवकुसमुच्छेयरइयजलिया. 31) J सुअगहणं, P -गिज्झमाण, P नव. रत्तसुरलसपरिहिय, P वणाभोए. 32) Pसीहीण, पिययमाणीहरिसु, घरिणीर णवर. 33) Pom. कय, Pर्टिभजणपडिड्या, विरईओ, समुद्धाइ. 34) Pom, य, P बलहो. 30 Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 18 उज्जोयणसूरिविरहया [६१०११ ०१) तो एयम्मि एरिसे वसंत-समए तरुवर-साहा-णिबद्ध-दढ-दीह-माला-बक्कलय-दोला-हिंदोलमाण-वेल्लहल- 1 विलासिणी-विलास-गिजमाण-मणहरे महु-मास-माहवी-मयरंदामोय-मुइय-मउम्मत्त-महुयर-रुहराराव-मणहर-रुणरत-जुवल8 जुवइ-जगे सो माणभडो गाम-जुवाण-बंद-समग्गो अंदोलए अंदोलेउमाढत्तो। भणियं च जुवाण-जगेण ताक ऊण 'भो भो । गाम-चोदहा णिसुणेह एक वयण । 'जो जस्स हियय-दइओ णीसंकं अज तस्स किर गोतं । गाएयव्वमवस्सं एत्थ हु सवहो ण अण्णस्स ॥' 8 पडिवणं च सम्वेण चेय गाम-जुवाण-जगणं । भणियं च सहस्थ-ताल-हसिरेहिं रे रे सच्चं सच्चं सुंदर सुदरं च संलत्त । जो । जस्स पिओ तस्स इर अज गोतं गाएयव्वं अंदोलयारूढएहिं ण अण्णस्स । अवि य । सोहग्ग-मउम्मत्ता जञ्चिय जा दूहवाओ महिलाओ । ताण इमाण णवरं सोहग्गं पायर्ड होइ ॥' एवं च भणिए णियय-पियाण चेय पुरओ गाइडं पयत्ता हिंदोलयारूढा । तओ को वि गोरीयं गायइ, को वि सामलियं, . को वि तणुयंगी, को वि णीलुप्पलच्छी, को वि पउम-दलच्छि ति । ६१०२) एवं च परिवाडीए समारूढो माणभडो अंदोलए, अक्खित्तो य अंदोलए जुवाण-जणेण । तओ णियय12 जायाए गोरीए मय-सिलंबच्छीए पुरओ गाइडं पयसो इमै च दुवइ-खंडलयं । परहुय-महुर-सह-कल-कूविय-सयल-वर्णतरालए । कुसुमामोष-मुइय-मत्त-भमरउल-रणत-सणाहए ॥ बहु-मयरंद-चंदणीसंदिर-भरिय-दिसा-विभायए । जुवइ-जुवाण-जुवल-हिंदोलिर-गीय-रवाणुरायए । 16 एरिसयम्मि वसंतएँ जइ सा णीलुप्पलच्छिया पमएँ । आलिंगिजइ मुद्विय सामा विरहूसुएहि अंगेहिं॥ एवं सामाए गोत्तं गिजमाणं सुणिऊर्ण सा तस्स जाया सरिस-गाम-जुवई-तरुणीहिं जुण्ण-सुरा-पाण-मउम्मत्त-विहलालाव जंपिरीहिं काहिं वि हसिआ, काहिं वि णोलिया, काहिं वि पहया, काहि वि णिज्झाइया, काहिं वि गिदिया, काहिं वि तजिया, 18 काहिं वि अणुसोइय ति । भणिया य 'हला हला, अम्हे चिंतेमो तुज्झ जोवण-रूय-लायण्ण-वण्ण-विष्णाण-णाण-विलास-18 लास-गुण-विणयक्खित्त-हियओ एस ते पई अण्ण महिलियं मणसा चि ण पेच्छइ । जाव तुम गोरी मयच्छि च उज्झिउं अण्ण के पि साम-सुंदरं कुवलय-दलम्छि च गाइड समाढत्तो, ता संपर्य तुज्म मरिडं जुजई' त्ति भणमाणीहि णोलिजमाणी। " ते खेल्लाघिउं पयत्ता। इमं च णिसामिऊण चिंति पयत्ता हियए णिहित्त-सल्ला विव तवस्सिणी 'भहो इमिणा मम पिययमेण । सहिययणस्स वि पुरओ ण च्छाया-रक्खणं कयं । अहो णिदक्खिण्णया, महो णिल्लज्जया, अहो णिगेहया, अहो णिप्पिवासया, अहो णिभयया, अहो णिग्घिणया, जेण पडिवक्ख-वण्ण-खलण-पडिभेय कुणमाणेण महंत दुक्ख पाविया । ता 4 महं एवं वियाणिय सोहग्गाए ण जुत्तं जीविउँ । अवि य । परिवक्ख-गोत्त-कित्तण-वजासणि-पहर-घाय-दलियाए । दोहग्ग-दूमियाए महिलाए किं व जीएणं । इमं च चिंतिऊण तस्स महिला-वंद्रस्स मज्झाभो णिक्खमिडं इच्छा, ण य से अंतरं पावइ । ताव य 7 बहु-जुवईयण-कुंकुम-वास-रउद्धय-धूलि मइलंगो । वञ्चइ छणम्मि हाउं अवर-समुद्द-द्रह सूरो । जह जह भल्लियइ रवी तुरियं तुंगम्मि अत्थ-सिहरम्मि । तह तह मग्गालग्गे धावइ तम-णियर-रिवु-सेण्णं ॥ सयल-णिरुद्ध-दिसिवहो पूरिय-कर-पसर-दूसह-पयावो । तिमिरेण परिंदेण व खणेण सूरो वि कह खविभो । 80 अथमिय-सूर-मंडल-सुण्णे णहयल-रणंगणाभोए । वियरइ कजल-सामं रक्खस-वंद्र व तम-णिवह ॥ ६१०३) एयम्मि एरिसे अवसरे दरिउम्मत्त-दिसा-करि-कसिण-महामुहवडे विय पलंबिए अधयारे णिग्गया जुवइसत्थाओ सा इमस्स महिला । चिंतियं च णाए । 'कहिं उण इर्म दोहग्ग-कलंक-दूसिर्य अत्ताणं वावाइर्ड णिव्वुया होई। 33 अहवा जाणियं मए, इमं वण-संड, एस्थ पविसिऊण वावाइस्सं । अहवा ण एस्थ, जेण सर्व चेय अज्ज उजाण-वणंतरालं 33 18 काहि काहिं वि हसिमा सुणिज । 1) तरुयर, P डोला for दोला. 2) मणहरो, Jom. मुदय, मयुम्मत्त, Pमुख्यमणुत्त for मउम्मत्त, JP रुइरावमण', रुणरुणेत. 3) जणो for जणे, P अंदोलिए, P भो भो भो. 4) J गामबोदुहा. )पहियइदइओ, P समहो. 6)Jणायडिवणं for पडिवणं, Pजुवाणवणेण, सहत्थयाल, Pइसिरहि, Jom. च. 7) Pतस्स किर, Pom. अज्ज, P अंदोलयारूढेहि. 8) Pमओम्मत्ता. 9) Pचेव, पवत्ता पयत्तो, हिंदोलयारू द्वो के कोवि गोरिय, कोई for कोवि, गाययइ, Pसामलि. 10) सामलंगि for तणुयंगी. 11)Jom, च, P अक्खित्तओ, J अंदोलउ. 12) P जाए for जायाए, P सिलिंबच्छीए. 13)Pवतरालोए, P भमरालि for भमरउल, J रणतसयसणाहए. 14) P मंदं for चंद, । दिसाविहायए, रवाणुराईए. 15) P जइया for जइ सा. णिलुप्पलच्छिया P नीलुप्पलच्छिया, पयतएण P पयत्तणए for पमएँ (emended), JP मुद्धिया, विरहसएहिं अंगएहिं, Pविहसुएहिं, 16) P एयं च सा, P om. सा, सरिसा- मयुम्मत्त, P पाणमत्तविहलालीव. 17) काहिं वि in a places, P काहिं मि in all places, Pom. काहि वि पहया, P मिज्झाइया,Jom. काहिं विर्णिदिया काहि वितज्जिया. 18) अणुसोचिय,J अम्हे हिं चिंतेमो, P तुह for तुज्झ, P लावण्ण विज्ञाणेण य विलाससालगुणविणयविक्वत्तहियया अन्नं. 19) Pतुमं गोरि, Pउज्झिय अन्नं किं पि समासुंदरि. 20) P पयत्तो for समाढत्तो. P नोलि जमाणी खेला'. 21) पत्ता for पयत्ता, मम पिएण सहियायणस्स पुरओ. 22) निदक्खिनया अहो निल्लच्छया. 23) निग्घिणयया. 24) एयं. 26) F निक्विविओ for शिक्खमिउं, P निय for ण य. 27) वासर धूलिमइलंग्गो (note the form of अ), P रइय. 28) Pनिवु for रिवु. 29) अयल for सयल, मरिंदेण, P सूरो कई. 30) Pसुण्ण for सुण्णे, रणंगणोहोए, Pरकावसं. 31)Jom. दरि, P दरियुमत्त, Pमहामुडवडे विलंबिए अधom. अंधयारे,J ताओ before जुवा-- 32)" इ only for इमस्स, विनितियं, P कदं पुण, सिउँ, P हत्ताणं for अत्ताण. ३३) P अवि य for अहवा. om. अन्न, Pom, उजाण. Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१०४ ] कुवलयमाला ५३ 1 ववपि बहु-ण-संकु पुथ मद्द मणोरद्दाणं विग्वे उप्पा तिता घरे चैव वासहरयं पविसि जाव एस एत्थ बहु-परिवारो याद तान अत्तापं पापामितियंती लागया गेहूं उत्थाया पुच्छिवास पुति, 3 कत्थ पड़े' । भणियं च तीए । 'एस आगओ चेय मद्द मग्गालग्गो त्ति' भणमाणी वासहरयं पविट्ठा तथऊण गुरु- 3 दूसह - पडिवक्ख-गोत्त-वज-पहर-दलियाए य विरइओ उवरिल्लएण पासो, णिबद्धो य कीलए, समारूढा य बासणेसुं, दाऊण य अन्तगो गए पापं भणिव इमीए । 6 'भो भो सुह तुभे तुब्भे च्चिय लोग-पालया एत्थ । मोत्तूण नियय-दइयं मगसा वि ण पत्थिओ अण्णो ॥ धवलुलर पैलवण-सहस्साई खलिबाई ॥ पिय-सह-समूह-मज्झट्टियाए गोपं खतेण ॥ कीरह इसे अण्णाएँ साहसं तस्स साहेबा ॥ तुम्ने थिय भगह फुज एवं मए जुवाना पुच्छ वलण अह एरिस पि जं रह 9 ता तस्स गोष-खडत संताच जळण-जलिषाए भणमाणी चतण-तलायं पक्खि आसणं, पूरिभो पासो, लेवि पत्ता, जिगावा जवणया, विरुद्ध णीसासं, कीकया गीवा, आयडियं धमणि-जालं, सिढेिलियाई अंगयाई, जिन्वोलियं मुहं ति । एत्यंतरम्मि इमो माणभडो तं जुवई-वंद्रे 12 अपेच्छमाणो जायासंको घरं आगओ । पुच्छिया य णेण माया 'भागया एत्थ तुह वहु' त्ति । भणिय च तीए 'पुत्त, आगया 12 सोवण पविट्ठा' । गभ इमो सोवणयं जाव पेच्छह दीवज्जोए तं दीर्ण पिव महुरक्खरालाविणी णिय उच्छंग-संग दुललिये बील- फीलवाणी च तारिसिं पेच्छिण सर्व पहाविधो इमो वसोहुमंतून व नेम छरति डिण्णो पासमो 15 छुरियाए । णिवडिया धरणिवट्टे, सित्ता जलेणं, वीइया पोत्तएणं, संवाहिया हत्थेणं । तओ ईसि णीससियं, पविट्ठाहूं 15 अच्छियाई, चाहिये अंगेण वलिये बहुलवाद, फुरिवं हियएणं तनो जीविय ति नाऊण कदकह विसमासया । । 1 १०४) भणियं च णेणं । 18 'सुंदरि किं किं कण व किं व घरद्धं कया तुमं कुविया । कह वा केण व कत्थ व किं व कथं केण ते होज ॥ जेण तर असा विलंबती सुवणु कोवेण भारोवियं तुलसी मज्झ वि जीवं भउण्णरस ' 1 एवं भणियाविषयमे ईसि समुपेक्षमाण मुगल-कोमल बाहुल्याए ईसि विषसंत-रत-पहल-धवल-विलोल लोपच - 21 णाए दट्ठूण पिययमं पुणो तक्खणं चेय आबद्ध-भिउडि-भंगुराए विरजमाण- लोयणाए रोस-वस-फुरमाणाधराए संलत्तं तीए 12 'अब तत्वेन जन्य सा वस कुलदी-लोल लोयना साम-सामलेगी ॥' इमे च सोक भणियं माणभदे । 24 'सुंदरि ण-वाणिमो थिय का वि इमा साम-सुंदरी जुवई कर व दिडा कया कहिं व फेणे व ते कहिये ॥' इमं च निसामिन रोसाणल- सिमिसमेत हियवाए भणिय तीए । 'अह रे ण याणसि चिय जीए अंदोलयावलग्गेणं । वियसंत-पम्हलच्छेण भज गोतं समणुगीयं ॥ ' 27 एवं च भणिऊण महामुष्णारण मुणी विय मोणमवलंबिण डिप सि 'अहो मे कुविया एसा वा हिमेत्य करणीयं । हवा सुकुलिया चिडवई पायवट पावरा ति पडाभि से पासु' चिंतिऊण भणिव च येणं । 1 'दे पसिय पसिय सामिणि कुणसु दयं कीस मे तुमं कुविया एवं माणत्थई सी पाए ते पड़ 80 त्ति भणमाणो विडिओ से चलण- जुवलए । तभो दुगुणयरं पित्र मोणमवलंबियं । पुणो वि भणिया पेण । 'दे सुयणु पसिय पसियसु णराहिवाणं पि जं ण पणिवइयं । तं पणमइ मह सीसं पेच्छसु ता तुज्झ चलणेसु ॥' तओ तिउणयरं मोणमवलंबियं । पुणो वि भणिया णेण । 'दरियारि-मंडला हिपाय-सय- जजरं इमं सीसे 1 मोतृण तुज्झ सुंदरि भण कस्स व पणमए पाए ॥' 33 1 ) P मम for मह, P वासघरयं. 2) जुबईअणपरिअणयाणइ ताव य अत्ता, P परिवारा य ण, तथागया, P सासूए पुरुष for पुति 3) P चेय महालग्गो ति. 4 ) P दलिया इव विर, उवरिलयेण, P खीलए, Pom. य in both places. P पासं गले पर 6) विगह for सुगेद, तुम्मे तुम्भ पनि 7 पर नयण. 8) पिअं Pपियं (पिजं ed.) 9 ) P खरुणुलसंताव, J जवियाए, P कह वि ता for साहसे, साहे जो 10 पक्खि, P आसणं, णिग्गया णत्रणयणया, P निरुद्धो नीसासो । वकीगया. 11 ) P आयट्टियं धणिजालं, धम्मणिजालं सिढिलयाई, P अंगाई, निष्योलि मुहं मि। P निबोलिमहं ति ।, P जुवर, वंदे for वंद्रे. 12 ) Pom. य, P वहुयत्ति, पुराय for पुत, 13) गओ य इमो, महुरालाविणीं गिययुच्छंग, P उत्संग 14 ) P लील for बील, P तारिसं, P पहाइओ P तत्ताहुत्तो, Jom, णेण, P ज्झट for छर, P पासाओ. 15) P वीया पोत्तेणं, P हत्येहिं ।. 16) P अंगेहिं, P बाहुलइयाहिं. 18) J, फरस व किम्व अवरुद्ध, कत्थ वा किं, होज्जा. 19 ) चिलविअतीए, P विलंबयंतीय सुयण कोवेण 20 ) Jom. च, P समुवेलमाण, Pधववल 21 ) P आबद्धा, फुरंतमाणधराए फुरमाणावसाएहराए, Pom. संत्तं तीए 22 ) P तत्थ य for सत्थेव दीहकलोल. 24 ) कत्थ वि दिट्ठा, कहि व्व, P कहं व तेगं. 26) Î याणइ for याणसि, P समणुगोयं • 27 ट्ठियत्ति P मम for मे 28 ) J जुई, णाहिवत्तः त्ति ? नाश्वत्तय त्ति. 29 ) P माणथ, P तं for ते. , 7 30) I om. त्ति, P जुयलए, उ तेग for णेण 31 ) Pom. सुयणु, यं for जं, P पणमह । जं तं for पणिवइयं । जं तं मऊ पुगो 33 ) P तुझा. 32 ) नारे, पणन 18 24 27 30 83 . Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 उज्जोयणसूरिविरइया [६१०५६१०५) ता एवं भणिया न किंचि पह। तओ समुद्धाइओ इमस्स माणो महतो । 'अहो, एसा एरिसी जेण 1 एवं पि पसाइजमाणी वि ण पणाम-पसायं कुणइ । सम्वहा एरिसाओ चेय इमाओ इस्थियाओ होति त्ति । अवि य। ३ खण-रत्त-विरत्ताओ खण-रूसण-खण-पसजणाओ य । खण-गुण-गेण्हण-मणसा खण-दोसग्गहण-तल्लिच्छा ॥ सम्वहा चल-चवल-विजु-लइयाण पिव दुग्विलसिय इमाण । तं वच्चामि गं बाहिं । किमेसा ममं वञ्चतं पेच्छिऊण पसजह ण व' त्ति विचिंतिऊण पयट्टो माणभडो, णिक्खतो वास-घराओ। णीहरतो य पुच्छिओ पिउणा 'किं पुत्त, ण दिण्णं से पडि6 वयणं । णिग्गओ बाहिं गंतु पयत्तो । तओ चिंतियं इमस्स महिलाए 'अहो, एवं वज-कढिण-हियया महं, जेण भत्तुणो तहा 8 पाय-पडियस्स ण पसण्णा । ता ण सुंदरं कय मए । अवि य । अकय-पसाय-विलक्खओं पुणरुत्त-पणाम-सव्वहा-खवियओ वि । अवो मज्झ पियल्लोण-याणिमो एस पत्थिओ कहिं पि॥ 9ता इमस्स चेय मग्गालग्गा वच्चामो' त्ति चिंतिऊण णीहरिया वास-घरयामओ । पुच्छिया य सासुयाए 'पुत्ति, कत्थ चलिया। तीए भणियं । 'एसो ते पुत्तो कहिं पि रुटो पस्थिओ' ति भगमाणी तुरिय-पय-णिक्खेवं पहाइया। तओ ससंभमा सा वि थेरी मग्गालगा। चिंतियं च तेण इमस्स पिउणा वीरभडेण । 'अरे सव्वं चेय कुर्डवयं कत्थ इमं पत्थिय' ति चिंतयंतो 12 मग्गालग्गो सो वि वीरभडो। इमो य धण-तिमिरोत्थइए कुहिणी-मग्गे वचमाणो कह-कह वि लक्खिओ तीए । बहु-पायव-18 साहा-सहस्संधयारस्स पच्चंत-गाम-कूवस्स तडं पत्तो । तत्थ अवलोइयं च णेण पिट्ठभो जावोवलक्खिया णियय-जाय ति । तं च पेच्छिऊण चिंतियमगेण । 'दे पेच्छामि ताव ममोवरि केरिसो इमीए सिगेहो' त्ति चिंतयंतेण समुक्खित्ता एका गाम-कूव16 -संठिया सिला । समुक्खिविऊण य दढ-भुय-जंत-पविद्धा पक्खित्ता अयडे । पक्खिविऊण य लहुं चेय भासण्ण-संठियं 18 तमाल-पायवं समल्लीणो । ताव य भागया से जाया। सिला-सह-संजणिय-संकाए अवलोइयं च इमीए त कूयं । जाव दिद वित्थिण्ण-सिला-घाउच्छलंत-जल-तरल-वेविर-तरंगे । कूर्व तं पिव कूर्व सुव्वंतं पडिसुय-रवेण ॥ 18 तं च तारिसं दट्टण पुलइयाई तीए पासाई । ण य विट्ठो इमो तमाल-पायवंतरिओ। तो चिंतियं । 'भवस्सं एस्थ कूवे मह 18 दइएण पक्खित्तो अप्पा होहिइ । ता किमेत्थ करणीयं । अहवा सो मह पसाय-विमुहो अगणिय-परिसेस-जुवइ-जण-संगो । एस्थ गो गय-जीवो मज्म अउण्णाए पेम्मंधो॥ 1 सय परिभूयाओ दोहग्ग-कलंक-दुक्ख-तवियाओ । भत्तार-देवयाओ णारीओ हॉति लोयम्मि ।' श चिंतिऊण तीए अप्पा पक्खित्तो तहिं चेय भयडे । दिट्ठा य णिवडमाणी तीए थेरीए । पत्ता ससंभमंता । चिंतिय तीए 'अहो, णूण मह पुत्तओ एत्थ कूवे पडिओ, तेण एसा बहू णिवडिय त्ति । 24 हा हा अहो अकज देब्वेण इमं कयं णवर होजा। दावेडं णवर णिहिं मण्णे उप्पाडिया अग्छी ॥ ता जइ एवं, मए वि ता किं जीवमाणीए दूसह-पुत्त-सुण्हा-विमओय-जलण-जालावलि-तवियाए' त्ति भणिऊण तीए थेरीए पक्खित्तो अप्पा । तं च दिटुं अणुमग्गालग्गेण थेर-वीरभहेण । चिंतियं च णेणं । 'अरे, णूणं मह पुत्तो सुण्हा महिला य शणिवडिया । अहो आगओ कुलक्खओ। ता सब्वहा वइरि-गइंद-दंत-मुसलेसु सुई हिंदोलियं मए, उडभड-भड-सहस्स-असि 7 घाय-घणम्मि वि वियारियं, पुणो धणु-गुण-जंत-पमुक्क-सिलीमुह-संकुले रणे । एहि एत्थ दड्ड-दइवेण वसाणमिण णिरूवियं । ता मह ण जुज्जइ एरिसो मञ्चू । तहा वि ण अण्णं करणीयं पेच्छामि' ति चिंतिउण तेण वि से पक्खित्तो अप्पा । एवं च 30 सवं दिट्ट वुत्ततं इमिणा माणभडेणं । तहा वि माण-महारक्खस-पराहीणेणमणिवारियं, ण गणिो पर-लोभो, ण संभरिओ 30 धम्मो, ण सुमरिओ उवयारो, अवहत्थिओ सिणेहो, अवमाणिओ से पेम्म-बंधो, ण कया गुरु-भत्ती, वीसरियं दक्खिण्णं, पम्हट्ठा दया, परिचत्तो विणओ ति । ते मए जाणिऊण संजाय-पच्छायाओ विलविउं पयत्तो। 1) एविं' for एवं, I अहो एरिसा जेण. 2) P कुणइ ति सम्वद्धा, ' चेव इमाइओ अस्थियाओ, Pom. त्ति. 4)? सम्वद्धा, J ता for तं, किमेस. 5) ति चिंतिऊण, P गम्भघरयाओ for वासघराओ, Jom. य, P पुच्छिउणो किं. 6) tor अहं, Jण for जेण, तहा वि पा. 7) मे for मए. 8) पणरुत्त, P सबहु for सब्बहा, P खविओ, अपिएलओ, P एस कयं पि पत्थिओ. 9) J वासहरयाओ, सासूए, पुत्त for पुत्ति. 10) वि से थेरी. 11) Pपिउगो, कुडुंबयं, Pom. कत्थ, P पत्थिय त्ति, Jom. चिंतयंतो मग्गालग्गो eto. to णिययजाय त्ति।. 13) Pपाया for साहा (ed.), P अवलोइउं च णेणापिट्ठिओ, P निययजा त्ति।. 14) Pदे पच्छामि, J om. इमीए, P चिंतिय तेण, एगाम- 15) संसिया for संठिया, Jom. य, P भुया for भुय, P पविट्ठा for पविद्धा, P adds य before अयडे. 16) Pसका for संकाए, J कुवं । जावय दिटुं. 17) Pघायउच्छलंत, तं पि कूवसुब्वत्तयडासुअ-, P सुव्वंतं. 18) तीय, P ए19) पविट्ठो for पक्खित्तो, P होहीई. 20) गयजीओ, पेम्मद्धो P पेमंधो. 21) F देवयाए. 22) चिंतियं for चितिऊण, P तेहि चेव, P दिट्ठो, Pतीय थेरीय, P ससंभंतो चिंतयंती. 23) Pसा for एसा. 24) P दवेण, P दावेकर णवर निही मण्ण उप्पाडिऊण अच्छीणि. 25) Pएव, P om. वि, P जलणजातवियाएउ त्ति, Pom. थेरीए. 26) परिक्खित्तो. 27) ताव for ता. 28) जंतु kor जंत, J जंत मुक्पमोक, दइएण, P वसणमिणं, P निरूवियमहं. 29) Pता हा for तहा वि. 30) Pom. वृत्तंतं, Pमाणमाणरक्खसा पराहीणेण न निवारियं ।। ३ परलोगो. ३1) Fउवयारहरो, पेम्मावो पेमाबंधो. 32) 'चत्तो विणओ ते य मए जाणि'. Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ६१०९] कुवलयमाला ६१०६) 'हा ताय पुत्त-वच्छल जाएण मए तुम कह तविओ । मरण पि मज्झ कजे णवरं णीसंसय पत्तो॥ धी धी अहो अकजं आयर-संवडियस्स मायाए । वुडसणम्मि तीए उवयारो केरिसो रइओ ॥ ३ हा हा जीए अप्पा विलंबिओ मज्झ णेह-कलियाए । तीऍ वि दइयाएँ मए सुपुरिस-चरियं समुब्यूढं ॥ वज-सिलिंका-घडियं णूण इमं मज्झ हियवयं विहिणा । जेणेरिसं पि दटुं फुट्टइ सय-सिकरं ग ॥ ता पुण किमेत्थ मह करणीयं । किं इमम्मि अयडे अत्ताण पक्खिवामि । अहह्वा णहि णहि, 6 जलणम्मि सत्त-हुत्तं जलम्मि वीसं गिरिम्मि सय-हुत्तं । पक्खित्ते अत्ताणे तहा वि सुद्धी महं णयि ॥ ६१०७) 'ता एयं एत्थ जुत्तं कालं । एए मएलए कूवाओ कटिऊण सक्कारिऊणं मय-करणिज्जं च काऊणं वेरग्ग-मग्गावडिओ विसयाओ विसयं, णयराओ जयरं, कब्बडाओ कब्बडं, मडंबाओ मडंब, गामाओ गाम, मढाओ मढं, विहाराओ 9 विहारं परिभममाणो कहिं पि तारिसं तुलग्गेण के पि गुरुं पेच्छिहामो, जो इमस्स पावस्स दाहिइ सुदि.' ति चिंतिऊण तम्हाओ चेय ठाणाओ तित्य तित्थेण भममाणो सयलं पुहई-मंडलं परिभमिऊण संपत्तो महुराउरीए । एत्थ एकम्मि अणाह-मंडवे पविट्ठो। अवि य तत्थ ताव मिलिएल्लए कोडीए वलक्ख खइयए दीण दुग्गय अंधलय पंगुलय मंदुलय मडहय वामणय 12 ठिण्ण-णासय तोडिय-कण्णय छिण्णोट्टय तडिय कप्पडिय देसिय तित्थ-यत्तिय लेहाराय धम्मिय गुग्गुलिय भोया। किं च ॥ बहुणा । जो माउ-पिउ-स्टेल्लओ सो सो सम्बो वि तत्थ मिलिएल्लओ ति। ताहं च तेत्थु मिलिएल्लयहं समाणहं एक्केवमहा आलावा पयत्ता । 'भो भो कयरहिं तित्थे दे चेवा गयाहं कयरा वाहिया पावं वा फिट्टइ' ति । एकेण भणियं । 'भमुक्का 16 वाणारसी कोढिएहिं, तेण वाणारसीहिं गयहं कोढा फिट्टइ' त्ति । अण्ण भणिय । 'हुं हुं कहिओ वुत्तंतओ तेण जंपि- ॥ एल्लउ । कहिं कोढं कहिं वाणारसि । मूलत्थाणु भडारउ कोढई जे देइ उद्दालइजे लोयहुँ ।' अण्ण भणियं । रे रे जइ मूलस्थाणु देइजे उद्दालइजे कोढई, तो पुणु काई कजु अप्पाणु कोढियलउ अच्छइ ।' अण्ण भणिय । 'जा ण कोढिएल्लर 18 अच्छइ ताण काई कज, महाकाल-भडारयहं छम्मासे सेवण कुणइ जेण मूलहेजे फिदृह' । अण्णेण भणिय । 'काई 18 इमेण, जत्थ चिर-परूढ पावु फिट्टइ, तं मे उद्दिसह तित्थं' । अण्ण भणियं । 'प्रयाग-बड-पडियह चिर-परूढ पाय वि हत्य वि फिट्टति' । अण्ण भगियं । 'पाव पुच्छिय पाय साहहि' । अण्णेण भणिय । 'खेडु मेल्लह, जइ पर माइ-पिइ-वह-कयई पि समहापावाई गंगा-संगमे पहायह भइरव-भडारय-पडियह णासंति ।' ६१०८)तं च सुयं इमेण माणभडेणं । तं सोऊण चिंतियं मगेण । 'अहो सुंदरं इमिणा संलत्तं । ता अहं माइ-पिइवह-महापाव-संतत्तो गंगा-संगमे पहाइऊण भइरवम्मि अत्ताणयं संजिमो जेण इमस्स महापावस्स सुद्धी होइ' त्ति चिंतयंतो 24 महुरा-णयरीओ एस एयं कोसंबी संपत्तो ति । ता णरवर ण-याणइ चिय एस वराओ इमं पि मूढ-मणो । ज मूढ-बयण-वित्थर-परंपराए भमइ लोयं ॥ पडियस्स गिरियडाओ सो विहडइ णवर भट्ठि-संघाओ । जं पुण पावं कम्म समय तं जाइ जीवेण ॥ __ पडण-पडियस्स पस्थिव पावं परियलइ एस्थ को हेऊ । अह भणसि सहावो च्चिय साहसु ता केण सो दिट्ठो॥ पच्चक्खेण ण घेप्पइ किं कर्ज जेण सो अमुत्तो त्ति । पञ्चक्खेण विउत्ते ण य अणुमाणं ण उवमाण ॥ अह भणसि आगमेणं तं पुण सम्वण्णु-भासिय होज । तस्स पमाणं वयग जइ मण्णसि तो इमं सुणसु॥ 30 पडण-पडियस्स धम्मो ण होइ तह मंगुलं भवइ चित्तं । सुद्ध-मगो उण पुरिसो घरे वि कम्मक्खयं कुणइ ॥ तम्हा कुणह विसुद्धं चित्तं तब-णियम-सील-जोएहिं । अंतर-भावेण विणा सर्व भुस-कुट्टियं एवं ॥" ६१०९) एवं च णिसामिऊण माणभडो विउडिऊण माण-बंधं णिवडिओ से भगवओ धम्मणदणस्स चलण-जुवालए। 33 भणियं च ण । 'भगवं 1) I महा for कह. 2) घिद्धी, J तहया for आयर. 3) P जीए अप्पो, ? तीय for तीए, P om. मए, सन्दुरिस, Pसमवूई. 4) P सिलंका, P एरिसं, दटुं हुट्टइ, P सियसकरं निय। 5) ता उण, P मओ for मह, P करणीयं ति, तो for किं. 6) P सप्तहत्तं. 7) J जत्तं कालं P जत्तकालं, P कयाओ, Pom. च, P मग्गपडिी . 8) P नरयाओ नरयं. 9) P किं पि गुरुवं पे. Pom. पावस्स. P दाहीय for दाहिइ, Jसद्धि त्ति (3) Pसुद्रि त्ति, तओचेय ट्राणाओ. 10) Pपुहइमंडलं, P तत्थ for एत्थ. 11) मिलियालए, P मिलिएल्लय कोढियबलक्खइए दीणदग्गयं, P मंढहय. 12) नासियताडियकन्नए, देविय for देसिय, P लेहारिय, Pगुम्मलियाभोय. 13) Pमाउपीउ, Pom. सो सो, Pच्चिय for वि, P मिलियलओ, P तत्थ for तेत्यु, J मिलिएलय सहसमाणह, Pएकेकमहं. 14) देवा for दे चेवा, J वाहिं for वाहिया, व tor वा, पिट्टइ. 15) J वाणारसी गयाण कोदु फिट्टर त्ति, Pom. त्ति, कहिं उवउत्तुंतओ तणए जंपिअल्लए. 16)P'त्थाण भराडओ कोढई देश जो, कोढई जे देइ, J उहालि लोअहं, Pलोयहं । अण्णेण्ण. 17)P मूलुद्धत्थाणु, देह उद्दालइज, ता for तो, P पुण, P कज्ज अप्पणु कोढएलउ छ । ताणं काई कज्जउ. 18) महाकालु भडारउ छम्मास, P भढारहयह छम्मासे सेव न कर, P मूलद्दोज्जे. 19) P तत्थ for जत्थ, चिरपरूढ पाउ, तुम्भे for तं मे." तित्थ. P प्रयागवडे पडिहयं चिरं. 20) अरे पाव, P पावे पुच्छिउँ पाए सोहसि. खिदमेलिहजा परमायपियवहकयाई दिपावाई. J माई पिर.21)P फिट्टति before गगा, P पडिहयं, Jणासइ ति. 22) Pस निसर्य, तं च सोऊण, Pता अलं माइपियवापावमहासंतत्ता. 23) Jअत्ताण, अत्ताणयमि भजिमो, P होउ, P चितियंतो. 24) एय for एयं.25) Jइमं विमूढ-26) पडिअस्सा गिरि, महिह (ड्ड) for अट्ठि. 27) Pविस्थिव. 28) J कज्जे, P विउत्तो. 29) P भणि for भणसि, P होज्जा, Prepeats वयणं. 30)P पडणवडियस्स, P जइ for तह, P कह वि for भवइ, Pवि पावक्खयं करह. 31) Pजोगेहिं, Pसम्वं तुसमुट्टियं एये. 3270 एवं च, P विउट्ठिऊण, J माणवध P माणबंधे, P सेस भगवओ. P जवणए. 33) तेण for णेण. Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 6 15 ५६ उज्जोषणसूरिविरहया दुक्ख-सय-गीर - पूरिय-तरंग-संसार सागरे घोरे । भग्व जण जाणवत्तं चलण जुयं तुज्झ भल्लीणो ॥ जे पुण एवं कहिये मदत तर अपुण्णरस से वह सब बुतं ण एत्थ अलिये सण-समं पि ॥ सिय मुणिवर वरणा महायवेण दिष्यंत पाव-महापंक- जलोव हिम्म धारेसु खितं ' मणियं च गुरुणा धम्मद 'सम्मतं णाण तवो संजम सहियाइँ ताइँ चत्तारि । मोक्ख-पह-पवण्णाणं चत्तारि इमाई अंगाई ॥ पडिव सम्मत्तेण जह गुरु-जणेण उव कलाकले जाण णाण-पईवेण चिमणं ॥ जं पात्रं पुण्व कथं तवेण तावेइ त णिरवसेसं । अण् ण तास-पाव-कलिमल - कलेस-परिवजियो जिमो सुद्रो I ण बंधइ संजम - जमिओ मुणी कम्मं ॥ जन्म न दुक्खं ण सुईण वाहिणो जाइ से सिद्धिं ॥ • इमं च सोडण भणिषं भागभदेणं 'भगवं, कुसु मे पसायं इमेहिं सम्मत-णाण-राय-संजमेहिं जइ जोग्गो' सि गुरुणा वि 9 णाणाइसएण उवसंत-कसाओ जाणिऊण पब्वाविभो जिग-वयण भणिय-विहीए माणभडो त्ति ॥ ४ ॥ ११० ) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मणंदणेण । 12 'माया उच्चैरी सजण सत्यम्मि निंदिया माया माया पायुप्पणी बैंक विवेका भुरंगि य ॥ 18 30 [६१०९ 12 माया- परिणाम परिणओ पुरियो अंधो इव बहिरो बिव पंगू इव पसुतो लिय अयाणो विष बालो विष उम्मतो विय भूय - गहिओ इव सव्वहा माइलो । किं च । -सरल-समागम वंषण-परिणाम-तग्गय-मणाए । माषाए तेग मुनिगो णरजाह ण अप्प देति ॥ माया- रक्खसि - गहिओ जस-धण-मित्ताण णासगं कुणइ । जीयं पि तुलग्गं मिव णरवर एसो जदा पुरिसो ॥ भणियं च णरवणा 'भगवं, ण याणिमो को वि एस पुरिसो, किंवा इमेण कथं ति भगियं च धम्मणंदणेण गुरुणा । "जो एस तुग्झ वामे पच्छा-भावम्मि संठिलो मज्झ सं-मद-देहो मंदो कण-यी पावो ॥ जल-य-सम-णय दिले जो कायरो तए छोड़ साह व कम-सलो मारो माया इव एस दीसए जो उ माया-ममेण एएण गोग्य जो कुचिभो ॥ कथं से जिसामेहि ॥ 21 113) भारत महाभोजो भोज-सग्गीय-जय ॥ बहु-गाम-कहिलो उज्जाण वर्णतराख- रमणिय जो य रेहइ निरंतर संठिएहिं गामेहिं, गामहं मि रेहति तुंग-संठिएहिं देव- कुलेहिं, देवउलई मि रेहति धवल -संठिएहिं तलाएहिं, तलायई मि रेहंति पिहुल-दलेहिं पउमिणी-संडेहिं, पडमिणि-संडई मि रेति वियसिय-दलेहिं अरविंदेहिं, 24 अरविंदई पि रेहंति महु- पाण-मत्त-मुइय-महुयर- जुवाणएहिं ति । इस एकम सोहा संपदिय परंपराए रिंडोली जन्मि ण समप्याह थिय सो कासी नाम देसो ति ॥ 1 तम्मिय जयरी भइ-लुंग गोरा कणय-पडिय-वर-भवणा। सुर-भवन-निरंतर-साल-सोहिया सायरि ॥ 27 जहिं च यरिहिं जणो देवणनो अव्य-संग्रह-परो य, कुर्मति विलासिनीको मंडई अमय-वियाई च ण सिक्सविति 27 कुडपण-लनिय गुरुपण भतिजो य, सिक्खविनंति वाणा कहा- कलाई चाणक-सत्थई च। अविव । जा हरस-गय-सुखइ-मउड-महा-रवण-रड्य-चढणस्स वम्मा-सुवस्स जनवरी वाणारसी नाम ॥ 1 15 18 १२) तीय व महाणवरीए बाणारसीए पच्छिम-दक्खिने दिसा-विभाए सालिग्गामं णान गार्म । वहिं च एको 30 वइस्स-जाई परिवस गंगाइच्चो णाम । तम्मि य गामे अगेय-धण-घण्ण हिरण्ण-सुवण्ण-समिद्ध-जगे वि सो वय एको जम्म दरिदो कुमाउ सरिसमसरिस- रुव-पुरिसायने वि सो य एको विरूओ महु-महुर-वयण गाहिरे व जन सो चेय 33 [एको दुबवण-विसो सरब-समय- संपुष्ण-ससि-सिरी- सरिस दंसण-सुहस्स वि जगस्स सो पेय एको उम्मेयणिन-दंसणो | 33 21 1 ) P भवजलहि for भव्वजण 2 ) P अउण्णस्स, P वत्तं for वृत्तं. 3) Pom. मद्दा, जलोयहिअअम्मि, P सुप्पैतं. (5) संजमस मिया 6 ) JP जहा, P गुरुयणेग, P कज्जाकज्शं. 8) सयलकलि किलेस, जीउ, तत्थ for जत्थ, P सुक्ख for दुक्ख 9 ) P भणियं for भगवं, Jom. मे, P नाणसतव, उ जोगो, ए इ for वि. 10) णाणाईसरणं पवाविओ, P माणभडो ति । प्रवजितो माणभट । भणियं 11 ) Pom. च, Pom. गुरुणा 12 ) ऊश्वेवयरी, पावुष्पत्ति 13 ) J अंधो इवा बहिरो विवा पंगू इवा, P बहिरो इव पसू विय पत्तो, P इव for विय thrice, P उम्मत्तओ. 14 ) P भूयगहिलो, P माइलओ किंचि. 16 ) P जीयं च तुलगंमी नरवर. 17) भयवं, P इमे for इमेज. 18 ) JP वामो, P कसिणच्छवी. 19 ) P जिट्ठो for दिट्ठो, 1 पेच्छंतो, P कुंचियग्गीवो 20 ) P मायामरण, P निसामेह. 21) भोजसयागीय, P गोजइणो. 22 ) गामहम्मि, P गामाईमि चिय रहिंति, Jom. रेहंति, P देवउलेहि देवलई चिय रेहति तलसिंठिएवं तलाएहिं तलाई विय रेहति. 23) P संडई वि, P अरवंदेहिं. 24 ) P मध्य for मुझ्य, उ जुवाणेहिं. 26 J रीए P नयरीए for णयरी, गोपुरा. 27 ) P जेहं चिय for जहिं च, P मंढणवं मयणवियारियं च सिक्खति कुल 28 ) P भत्तिउष्व सिक्ख, P जुवाणकला ं, P माणिक for चाणक, Pom. अवि य. 29 ) P नरवर for सुरवर, 3 नामा. 30 ) Pom. य, P दिसाभाए. 31 ) P व सजाई, Pom. य, P अण्णेय, Jom. सुवण्ण, P समिद्धे जिणे सो. P 'गहिरे, P व for वि, Pom. जणम्मि, P सो चिय. 33 ) J सरयसमय सण, P सो चिय 32) P कुसुमसरिस, Jom. "मसरिस, P पुरिसयणो, चेय एको, 24 . Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६११४] कुवलयमाला 1 सरस-सरल-सलाविराणं पि सो ञ्चय एक्को जरढ-कुरंग-सिंग-भर-भंगुर-जंपिरो। तण-मेत्त्वयारि-दिण्ण-जीवियाणं पि मज्झे । सो चेय कयग्यो । सम्वहा सजण-सय-संकुले वि तम्मि गामे सो चेय एक्को दुजणो त्ति । तस्स य तारिसम्स असंबद्ध३ पलाविणो कयस्स णिद्दयस्स णिद्दक्खिण्णस्स णिक्कियस्स गिरणुकंपस्स बहु-जग-पुणरुत्त-विप्पलद्ध-सजास्स समाण-गाम- ४ जुवाणएहिं बहुसो उवलक्खिय-माया-सीलस्स गंगाइचो त्ति अवमण्णिऊण मायाइच्चो कयं णामं । तओ सव्वस्थ पइट्रियं सहासं च बहुसो जणो उल्लवइ मायाइञ्चो मायाइच्चो त्ति । सो उण णरवर, इमो जो मए तुज्झ साहिओ ति । भह तम्मि चेय 8 गामे एक्को वाणियओ पुब्व-परियलिय-विहवो थाणू णाम । तस्स तेण सह मायाइच्चेण कह वि सिणेहो संलग्गो । सो य 8 सरलो मिउ-मद्दवो दयालू कयण्णू मुद्धो अवंचओ कुलुग्गओ दीण-वच्छलो त्ति। तहा विवरीय-सील-वयणाणं पि अवरोप्पर देव-वसेण बहु-सजण-सय-पडिसेहिज्जमाणेणावि अत्तणो चित्त-परिसुद्धयाए कया मेत्ती । अवि य । __ सुयणो ण-याणइ च्चिय खलाण हिययाइँ होति विसमाई । अत्ताण-सुद्ध-हिययत्तगेण हिययं समप्पेइ ॥ जो खल-तरुयर-सिहरम्मि सुवइ सब्भाव-णिब्भसे सुयणो । सो पडिओ चिय बुज्झइ अव पडतो ण संदेहो ॥ ११३) एवं च ताणं सजण-दुजणाणं सम्भाव-कवडेण णिरंतरा पीई वडिउं पयत्ता । अण्णम्मि दियहे वीसस्था12 लाव-जंपिराणं भणियं थाणुणा । 'वयस्स, धम्मत्यो कामो वि य पुरिसत्या तिण्णि णिम्मिया लोए । ताणं जस्स ण एक पि तस्स जीयं अजीय-समं ॥ अम्हाण ताव धम्मो णस्थि चिय दाण-सील-रहियाणं । कामो वि अत्थ-रहिओ अत्थो वि ण दीसए अम्हं ॥ 18 ता मित्त फुडं भणिमो तुलग्ग-लग्गं पि जीवियं काउं । तह वि करेमो अत्थं होहिइ अत्थाओ सेसं पि ॥' भणियं च मायाइच्चेण । 'जइ एवं मित्त, ता पयह, वाणारसिं वच्चामो । तत्थ जूयं खेल्लिमो, खत्त खणिमो, कण्णु तोडिमो, पंथं मूसिमो, गठिं छिपिणतो, कूड रइमो, जग वंचिमो, सव्वहा तहा तहा कुणिमो जहा जहा अत्थ-संपत्ती होहिइ'त्ति । 18 एवं च णिसामिऊण महा-ईद-दंत-जुवल-जमलाहएण विय तरुयरेणं पकंपियाई कर-पल्लवाई थाणुणा । भणियं च णेण। 18 'तुज्म ण जुज्जइ एयं हियएणं मित्त ताव चिंतेउं । अच्छउ ता णीसंकं मह पुरओ एरिसं भणिउं ।' एवं च भणिएण चिंतियं मायाइच्चेगं 'अरे अजोग्गो एसो, ण लक्खिओ मए इमस्स सब्भावो, ता एवं भणिसं'। हसिA ऊण भणियं च णेणं 'णहि णहि परिहासो मए कओ, मा एल्थ पत्तियायसु ति। अत्थोवायं जं पुण तुम भणिहिसितं करेहामो' त्ति । भणियं च थाणुणा । 'परिहासेण वि एवं मा मित्त तुम कयाइ जपेजा । होइ महंतो दोसो रिसीहिँ एयं पुरा भणियं ।। * अत्थस्स पुण उवाया दिसि-गमण होइ मित्त-करणं च । णरवर-सेवा कुसलत्तणं च माणप्पमाणेसु ॥ धाउवाओ मंतं च देवयाराहणं च केसिं च । सायर-तरणं तह रोहणम्मि खणणं वणिजं च ॥ णाणाविहं च कम्मं विजा-सिप्पाइँ णेय-रूवाई । अत्थस्स साहयाई अजिंदियाइं च एयाई ॥ भ ६११४) ता वच्चिमो दक्खिणावहं । तत्थ गया जं जं देस-काल-वेस-जुत्तं तं तं करिहामो' त्ति सम्म मंतिऊण अण्णम्मिश दियहे कय-मंगलोवयारा आउच्छिऊण सयण-णिद्ध-वगं गहिय-पच्छयणा जिग्गया दुवे वि । तत्थ अणेय-गिरि-सरिया-सय संकुलाओ अडईओ उलंघिऊण कह कह वि पत्ता पइट्टाणं णाम जयरं । तहिं च णयरे अगेय-धण-धण्ण-रयण-संकुले महा90 सग्ग-णयर-सरिसे णाणा-वाणिज्जाई कयाई, पेसणाई च करेमाणेहिं कह कह वि एक्केक्कमेहिं विढत्ताई पंच पंच सुवण्ण-सह-80 स्साई । भणियं च णेहिं परोप्परं । 'अहो, विढतं अम्हेहिं जं इच्छामो अत्थं । एयं च चोराइ-उवद्दवेहिं ण य णे तीरइ सएस-हुत्तं । ता तं इमेण अत्थेण सुवण्ण-सहस्स-मोल्लाई रयणाई पंच पंच गेण्हिमो । ताई सदेसं गयाणं सम-मोल्लाई 38 अहिय-मोल्लाई वा वच्चहि' ति भणिऊण गहियं एकेकं सुवण्ग-सहस्स-मोल्लं । एवं च एयाई एकेकस्स पंच पंच रयणाई । 93 1) सरलसरस, J सो चेय, Pou. एको, Pom. भर, P मेतूबयरी, Pom. मज्झे सो चेय eto......to तस्स य तारिसस्प. 3) वंकय निद्द, जिद्दक्खिणस्स, P निरण्णुकंपस्स, P विष्णलुद्ध. 5) Pबहुजगो, J उल्लवइ व माया', सोऊग for सोउण, Pचेब. 6) संपगो. 7)P कुलम्गओ, सीलरयणाणं, P अवरोप्पदरं देववसेण. 8) P अप्पणो चिय पडिसुद्धयाए. 10) Pसुयइ. 11) P कवड for कवडे ग, पीती, Pपडिओ for वडिउ, J विसस्थालाव P वीसत्थालावकवडनिरंतरा पीइं जंपि. 13) P पुरिसत्थो. 14) तम्हा न for अम्हाण. 15) जइ जिअं for जीवियं, P जीविडं for जीवियं, P अत्थो होही. 16) Pom. च, P खेलिमो, P कणं. 17) Pमुसिमो, Pछिदिमो for छिपिगमो, Pom. one तहा, होहिति त्ति. 18) तरुवरेण, P तरुयरेणं एवं पियाई करयलपल्लवालइं. 19) P हियएण वि ताव मित्त चिंतेउं. 20) P भणिऊण, लक्खितो. 21) Iom. त्ति, J अत्थोवार्य जंण पुण तुमं, P एत्योवायं पुण जं तुम भणसि तं. 23) Pएयं सा मित्त. 24) उण. 25) Pमंतं देव', केसि चि for च केसिंच. 26) P-सप्पाइणेग, P साहणाई. Jom. अणिदियाई च.27)P गयाणं जंमं कालदेसवेसजुत्तं तं करीहामो त्ति सम. 28) P सयलनिद्धवग्गो गच्छिहिय, पच्छेया for पच्छयणा, P सिरि for गिरि. 29)P विलंघिऊण, Pनयर्ण for णयर,Jom. णयरे, Pom. अणेय, Jom. धण्ण. 30) J वणिज्जाई, Pवरणिज्जाई कम्मच करेमाणेहि पेसणेण कह. 31) Pom. अहो, P जहिच्छाए for जं इच्छामो, P एवं च चोराउद्दवेहि, P तीरइ विसयाहुत्त- 32) ततो for ता तं, Pom. one पंच, सएसं गयाई, P सरिस for सम, . सममोलाई च वञ्चिहंति. 33) P वची हिंति Jआई for एयाई, Pपंचपं for second पंच. Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ उज्जोयणसरिविरइया [8११४ I 1 1 'को जाणइ पर-पट्टणाण थिई । ता तेण वि एवं भणमाणेण समपिर्थ 1 1 ताईच दोहि मि जहिं दस वि रयणाई एकम्मि पेय मधूली-धूसरे कपडे सुबदाई फर्म च हिं बेस-परिवर्स 1 कयाई मुंडावियाई सीलाई गहियाओ चियाओ चिलु घारवाई कपडाई विगाविया सिक [3] [करका वा विरो दूर-तित्ययसियसो ते य एवं परियत्तिय पेसा मखिया चोरेहिं भलं भ्रममाणा पट्टा 8 कामि काचि सत्तागारे काचि उद्यासु भुजवणा पत्ता एकम्मि संगिवेसे तत्थ भणियं धागुणा 'भो भो मित्त ण पारेमो परिसंता भिक्वं भगिक, ता भन मंडए कारावेठं माहारेमो भविच मायाइ 'जहा पतु पट्ट अहं समुज्जुओ णपाणिमो कय-निक, तुमं पुण जागसि तुरियं च त भगतवं भणिदं थाणुणा एवं होउ, किं पुण रयण-पोत्तडं कहं कीरउ' त्ति । भणियं च मायाइच्चेण मा जयाओ को वि होहि स तु पविटुस्स मह चेव समीपे चिड रवण-कप्प' ति 9 रयण-कप्पर्ड । समप्पिऊण पविट्ठो पट्टणं । चिंतियं च मायाइञ्चेणं । 'अहो, इमाई दस रयणाई । ता एत्थ महं पंच । जइ पुण 0 एवं कर्हिचिता इस वि मई व हवेज' ति चिंततस्स बुढी समुध्यन्ना 'दे घेतॄण पलायामि महवा ण महंती लागयरस, संपर्व पावद्द सि ता जहा ण-याग तहा पाइस्सामि ति चिंतिकण गहिओ णेण रच्छा-लि-धूसरो अबरो 12 तारियो चेय कप्पो बिदाई वाई रवणाई सम्मिय चिरंतने रग-कपडे विदाई तप्यमाणाई बट्टाई इस 19 पादाणाईतं च वारिसं फूड कवर्ड संपदंतस्स सहसा आगओ सो धाणू । तस्स व हलफलेण पाव-मणेन ण णामो काय परमत्व-र-कपडो काम वा अलि-रवण-कम्पको नि तो णेण भणियं 'वयंस, फीस एवं समाउलो मंति 15 भणियं मायाइच्चेण | 'वयंस, एस एरिसो अत्थो णाम भजो चेय पञ्चक्खो, जेण तुमं पेच्छिऊण सहसा एरिसा बुद्धी जाया 18 'एस चोरो' ति ता इमिणा भपूर्ण भई सुसंभंतो' भणियं च धाणुणा 'धीरो होहि' ति तेण भणियं 'वयंस, गेण्डु एवं रयण-कपडे, भहं बीहिमो । ण कर्ज मम इमिणा भएण' त्ति भणमागेण अलिय- रयण-कप्पडो त्ति काऊण सच्च रयण18 कपडो वंचण बुद्धीए एस तस्स समपिओ । तेण वि अवियप्पेण चेय चित्तेण गहिओ । भवि य, 1 मी अलिय मय-सिडिंबस्स अणुधाइ मय-सिलियो मुद्रो वणये विमगंतो ॥ ११५) तो तं च समुज्ज्य हिययं पाव- हियएण वंचिऊण भणियमगेण । 'वयंस, वच्चामि अहं किंचि अंबिल 21 मग आगच्छामि' भिणि गोगनो, ण वि इमेल व जोषणाई बारस-मेसाई दियहं राई च गंतू 1 पिविणेण रयण-कपडे जाव पेच्छ ते जे पाहाणा तत्थ वद्धा किर पंचत्यं तम्मि कप्पटे सो पेय इमो भलिब-रवणकपडो इमो चिनो चिनो इव पयो त्यो इव मतो व सुत्त इव मभो एव तद्दाविहं बणा1 । तं च दट्ठूण ! इव इव 24 यक्खणीयं महंत मोहमुवगओ । खण-मेत्तं च अच्छिऊण समासत्थो । चिंतियं च णेण । 'अहो, एरिसो भई मंदभागो जेण 94 मए चिंतियं किर एवं वैचिम जाव अहमेव चिलो' अवि प 1 जो जस्स कुणइ पावं हियएण वि कह वि मूढ-मणो । सो तेणं चिय हम्मद पच्चुल्फिडिएण व सरेण ॥ 27 चितियेच ण पाव-दिवर्ण 'दे पुणो वि से पंचेमिसमुज्य हवयं वहा करेमि जहा पुणो मगेण मिठाइ चिंतयेतो पयट्टो तस्स मालो इयरो विधा कुडलो तत्थेव व पडिवालतो खणं मुटु भयहरं पहरं दिवई पि जाव ण पत्तो ताव चिंतिउं पयत्तो । । 30 'भब्वो सो मह मित्तो कत्थ गभ णवर होज जीय-समो । किं जियइ मध्ो किं वा किं वा देवेण भवहरिभो ॥" तं च चिंतिऊण अण्णेसिउं पयत्तो । कत्थ । रण्छा-क-तिय-चचरेसु देवल ह तलाए 33 जया एवं पिगवेसमा गेण ण संपत्तो तया विलविडं सुण्ण-धरेसु पवा व भाराम-विहार-गोडेसु ॥ पयत्तो । 1 ) P ताई दोहिं धि जणेहि, P एक्कम्मी, धूलि, P बद्धाई for सुबद्धाई, 3 om. कयं, 3 om. वेसपरियतं 2 ) Pom, कयाई, P मुंडावियं सिरं, छत्तीओ, P दंडग्गे, धाउरत्तया P धाउरत्ता, कप्पढाई च. 3) खो से एवं नोरिहिं Jom. पयट्टा • 4 ) Jom. कहिं चि उद्धस्थासु पयत्ता for पत्ता. 5 ) P मंडवे काराविडं. 6 ) १ पविस तुमं, om. तुमं. J अहमुज्जुओ P समुज्ज ओ. 7) पुण इमं रयण, P रयणपोत्तकप्पडं कह, १ जाणउ परपट्टणाणं का विट्ठीति । 8 ) P को बि तुह होइ तुह. 9 ) P adds य before पविट्ठो, P जर उण अहं कहिचि. 10) वंचेज्जा, P दस वि चैव मह इवेज्ज ति चितियंतस्स. 11 ) Pom. गयम्स, उता for तहा, P पलाइरस ति. 12 ) P चैव कप्पडो । बाई, दसपहाणारं P दसपाहणारं. 13 ) 1 कवडं धर्डेतरस, थाणुं, P हलप्फलेण, पावमाणेण, P on. ण. 14 ) परमत्थकपडो व for वा. 15) ष before माया', Pom. एस. 16 ) P ससंभंतो, P होहिय त्ति, P गेण्ड for वयंस- 17 ) add, ति before अहं, P बीहोमो 18 ) J om. एस. 19 ) अणुद्धा. 20) भणिअं अण्गेण 21 ) P तं गओ जंगओ, गंतू for श्मेण य, P दियहराईए गंतूण 22 ) पेच्छे, P ते पाहणा तत्थ किर बद्धा, P कपडो 23 ) Pom. लुंचिओ इव, Pदड्डो for तत्थो, ओउ इव, अणाविक्खणीयं. 24 ) P महंत, P चिय for च P एरिसं मंद 25 ) P चिंतियं एयं फिर वंचेमि. 26 > हियएण्ण, P केण for कह, P मोहमूद. 27 ) पुणे for पुणो, वंचेमि ति समुज्जाय, P समुब्जय, Padds वि after पुणो28 ) P पट्टो, थाणुं P थाण, J om. य, P पडिवालयंता, P अद्धपहरं. मओ वा. 32 ) J inter. तिय and चउक, P चउकेसु for तलाएसुं. 29 ) P णो for ण. 30 > सो कोइ मद, P जीवह 33 ) Jom.पि. 18 80 33 . Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६११७] कुवलयमाला । 'हा मित्त मित्त-वच्छल छल-वजिय जिय-जियाहि वास-सयं । कत्थ गओ कत्थ गो पडिवयणं देसु तरियं ॥ । भवो केणइ दिवो सरल-सहाओ गुणाण आवासो। मज्झ वयंसो सो सो साहसु वा केण वा दिहो।' ३ एवं च विलवमाणस्स सा राई दियहो य अइकतो । राईए पुण कहिं पि देवउले पडिऊण पसुत्तो । राईए पनि -जामे केण 3 वि गुज्जर-पहियएण इमं धवल-दुवयं गीयं । अवि य । जो णवि विहुरे विभजणउ धवलउ कइ भारु । सो गोटुंगण-मंडणउ सेसउ ब्व जं सारु ॥ इमं च गिज्जमाणं सोऊण संभरिया इमा गाहुल्लिया थाणुणा । पिय-विरहे अप्पिय-दंसगे य अत्थक्खए विवत्तीसु । जे ण विसण्णा ते च्चिय पुरिसा इयरा पुणो महिला॥ ता एत्य विसाओ ण कायब्बो। सव्वहा जइ कहिंचि सो जीवइ तो अवस्सं गेहं आगमिस्सइ । मह ण जीवइ, तो तस्स य 9 माणुसाणं समुप्पेस्सं रयणाणि त्ति चिंतिऊण पयट्टो अत्तणो णयराभिमुहो, वञ्चमाणो कमेण संपत्तो जम्मया-तीरं । ताव सो, वि मायाइच्चो विलक्खो दीण-विमणो भट्ट-देह-लच्छीओ संपत्तो पिट्ठओ दिवो अगेण । दट्टण य पसारिओभय-बाहुणा गहिओ कंठे रोइडं पयत्तो। 12 हा मित्त सरल सजण गुण-भूसण मज्झ जीय वर-दइय । कत्थ गओ में मोत्तं साहसु ते किं व अणुभूयं ॥ 12 ६११६) इमो वि कवड-कय-रोवणो किं पि किं पि अलियक्खरालावं रोइऊण गाढयं च अवगूहिऊण उवविट्रो पुरओ, पुच्छिओ थाणुणा । 'भणसु ता मित्त, कत्थ तुमं गओ, कत्थ वा संठिओ, किं वा कयं, कहं व मज्झ विउत्तो, जेण 15 मए तहा अण्णेसिजमाणो वि ण उवलद्धोति । भणियं च णड-पडिसीसय-जडा-कडप्प-तरंग-भंगुर-चल-सहावेण इमिणा 18 मायाइच्चेणं । 'वर-वयंस, णिसुसु जं मए तुह विओए दुक्ख पावियं । तइया गओ तुह सयासाओ अहं घरं घरेण भम माणो पविट्ठो एक्कम्मि महंते पासाए । तत्थ मए ण लद्धं किंचि । तओ अच्छिउं के पि वेलं णिग्गंतुं पयत्तो जाव पिट्रो 18 पहाइएहिं रोस-जलण-जालावली-मुझंतेहि धूमंधयार-कसिणेहिं भीसणायारेहिं जम-दूवेहिं व खुड्या-पहार-कील-चवेडा- 18 घाय-डंडप्पहारेहिं हम्ममाणो 'किं किमेयं' ति "किं वा मए कयं' ति भणमाणो, 'हा मित्त, हा मित्त, कत्थ तुम गओ, मह इमा अवत्थ' त्ति विलवमाणो तओ 'चोरो' त्ति भणमागेहिं णीओ एकस्स तम्मि घरे घर-सामिणो सगासं । तत्थ तेण भणियं A 'सुंदरो एस गहिओ, सो चेय इमो चोरो, जेण अम्हाणे कोंडलं अवहरियं । ता सबहा इमम्मि उवघरए णिरुभिऊण 21 धारेह जाव रायउले णिवेएमि । तओ अहं पि चिंतिउं पयत्तो। 'भदो, पेच्छह विहि-परिणाम अण्णह परिचिंतियं मए कर्ज । अण्णह विहिणा रइयं भुयंग-गइ-बंक-हियएण ॥ तमो वयंस, ___ण वि तह उज्झइ हिययं चोर-कलंकेण जीय-संदेहे । जह तुज्झ विरह-जालोलि-दीवियं जलइ गिद्धर्म ॥' तभो 'अहो भकयावराहो अकयावराहो' त्ति विलवमाणो णिच्छूढो एक्कम्मि घर-कोट्टए, ण य केणइ भण्णेण उवलक्खिमो 27 तत्थ वयंस, तुह सरीरे मंगुलं चिंतेमि जइ अण्णहा भणिमो, एत्तियं परिचिंतेमो। 27 जइ होइ णाम मरणं ता कीस जमो इमं विलंबेइ । पिय-मित्त-विप्पउत्तस्स मज्झ मरणं पि रमणिज ॥ ६११७) एवं च चिंतयंतस्स गओ सो दियहो। संपत्ता राई । सा वि तुह समागम-चिता-सुमिण-परंपरा-सुह-सुत्थि. 30 यस्स झत्ति वोलीणा । संपत्तो अवरो दियहो । तत्थ मज्झण्ह-समए संपत्ता मम भत्तं घेत्तण एका वेस-बिलया। तीय य 30 मम पेच्छिऊण सुंदर-रूवं अणुराओ दया य जाया । सा य मए पुच्छिया 'सुंदरि, एकं पुच्छिमो, जइ साहसि फुड' । तीए भणियं 'दे सामसुंदर, पुच्छ वीसत्यं, साहिमो' । मए भणियं 'कीस अहं अणवराही गहिओ' त्ति । तीए संलत्तं 'सुय, ३ इमाए णवमीए अम्हं च ओरुद्धा देवयाराहणं काहिइ । तीए तुमं बली कीरिहिसि, चोरं-कारेण य गहिओ मिसं दाऊण' । 33 1) Pom. मित्त, 3 om. छल, Pom. जिय, P पडिवयणं for the 2nd कत्थ गओ.2)P केण वि, P सहावो, inter. सो सो and साहसु. 3) राइ, P उण for पुण, राईप, Pinter. केण & जामे. 4) पहिएण, P दुवहयं. 5) सजणओ (for “ज्ज) धवलओ कट्ठइ भारो।, P मंडणओ सेसओ, P तड्डिय for वं जं (१). 7)P इयरे for इयरा. 8) P पि for चि, आगच्छिस्सिइ, तो तओ तस्स य माणुस्साणं, P om. य. 9) F अब्भणो for असणो. 10) पट्ठीओ for पिट्टओ P पसारिणोभयबाहुणा. 11) P राइ5. 12)P मज्झ हिययदया।, I अणुहूअं. 13) P-रोइणो, रोत्तूण गाढं अव'. 14) P आ for ता, कत्थ व, P कह व. 15) P तहा वि, लद्धो for उवलद्धो, P भडिणियं for भणियं, P पडिसीसया. 16) om. णिसुणेसु, तुई. 17) किं पि कालं निग्गंतुं, जा for जाव. 18) पहाविएहि, मुज्झंत धूम, जमदूरहि, व खड्डया, कीडचवेडपायदंडपहारेहिं हंसमाणो. 20) सयासं. 21) Pएस तए गहिओ, जे गम्हागं, P उवरए निरुभिऊण धारेहि. 23)P विहिपरिणामो. 25) संदेहो, P अह for जह. 26)विलवमाणो for अहो, P om. 2nd अकयावराहो, P घर for घर, P अन्नेण उ उ. 27) Pवितेमो । लइ अन्नहा भणिन्नो, P पर for परि'. 28) Pहोज्ज, P पि वमणिजं. 29) सो for सा, P सुसुस्थियस्स. 30) वोलिणो, P मज्झण्हमए. 31) Pom. सुंदरं, P om. सुंदरि, P पुच्छामो, P adds मह before फुडं. 32) Padds a before कीस, Pom, अहं, अणावराही. 33) Pउभट्ठा for ओरुद्धा, P काहिहीति for काहिद, चोर.. Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० उज्जोयणसूरिविरहया [६११७ 1 तमओ सविसेस-जाय-जीविय-भएण मए पुच्छिया 'सुंदरि, ता को उण मम जीवणोवाओं' त्ति । तीए भणियं । 'णत्थि तुह 1 जीवणोवाओ। सामिणो दोझं ण करेमो । तहा वि तुम्हे मज्झेण मह महतो सिगेहो । ता मह वयण णिसुणेसु । अस्थि ३ एक्को उवाओ, जइ तं करेसि'। मए भणियं 'साह, केरिसो' । तीए संलत्तं 'हिजो णवमीए सम्बो इमो परियणो सह 3 सामिणा हाइडं वच्चीहि त्ति। तओ तम्मि समए एक्कट्टय-मेत्ते रक्खवाले जइ कवाडे विहडे पलायसि, तओ चुक्को, ण अण्णह' त्ति भणती णिग्गया सामए चिंतियं । 'णीहरंतो जहण दिट्रो, तो चुको । मह दिट्ठो, तो धुवं मरण' ति चिंतिऊण तम्मि 6दियहे णिक्खतो । तओ ण केणइ दिवो। तओ मित्त, तम्हा पलायमाणो तुम अण्णेसिंउ पयत्तो। ताव एक्केण देसिएण 6 साहियं जहा एरिसो एरिसो य देसिओ एको गओ इमिणा मग्गेणं । एयं सोऊण तुह मग्गालग्गो समागओ जाव तुम एत्थ दिट्ठो गम्मया-कूले । ता मित्त, एयं मए अणुहूर्य दुक्ख, संपयं सुहं संवुत्तं ति । अवि य । " मित्तेहिं जाव ण सुयं सुहं व दुक्ख व जीव-लोयम्मि । सुयणाण हियय-लग्गं अच्छह ता तिक्ख-सल व॥' एयं च णिसामिऊण बाह-जल-पप्पुयच्छेण भणिय थाणुणा । 'महो ___ अज चिय जाओ हं अर्ज रयणा िणवर पत्ताई । जसब्व-सोक्ख-मूलं जीवंतो अज संपत्तो।' 12 ६११८) एवं च भणिऊण कयं मुह-धोवणं । कयाहार-किरिया य उत्तिण्णा जल-तरल-तरंग-रंगत-मत्त-मायंग-मज-19 माण-मयरेहाहोय-दाण-जल-णीसंद-बिंदु-परिप्पयंत-चित्तल-जलं महाणई णम्मयं ति । थोवंतरं च जाव वञ्चति ताव अणेय वेलि-लया-गुविल-गुम्म-दूसंचाराए महाडवीए पणटो मग्गो भव-सय-सहस्स-गुविल-संचारे संसार कतारे अभवियाण पिव 16 जिम्मलो जिणमग्गो। तओ ते पण?-मग्गा मूढ-दिसिवहा भय-वेविर-गत्ता उम्मत्तगा विय अणिरूविय-गम्मागम्मा + 15 महाडविं पविसिउं समाढत्ता । जा पुण कइसिय । अवि य । बह-विह-कुसुमिय-तरुवर-कुसुमासव-लुद्ध-भमिर-भमरउला। भमिर-भमिरोलि-गुंजा-महुर-सरुग्गीय-मिलिय-हरिणउला 18 हरिणउल-णिञ्चल-ट्ठिय-दसण-धावंत-दरिय-वण-वग्घा । वण-वग्घ-दसणुप्पित्थ-हत्थि-णासंत-वण-महिसा ॥ वण-महिस-वेय-भजंत-सिंग-सण्हावडत-तरु-णिवहा । तरु-णिवह-तुंग-सदुच्छलत-पडिसुत्त-बुद्ध-वण-सीहा ॥ वण-सीह-मुक्त-दीहर-परिकुविओरल्लि-हित्थ-हस्थिउला । हत्थिउल-संभमुम्मुक्तक-भीम-सुकार-कुविय-वण-सरहा॥ 1 वण-सरह-संभम-भमत-सेस-सय-सउण-सेण्ण-बीहच्छा । सउण-सय-सावयाराव-भीम-सुन्वंत-गरुय-पडिसदा ॥ ॥ अवि य । कहिंचि करयरेंत-वायसा कुलुकुलेत-सउणया रणरणेत-रण्णया चिलिचिलेत-वाणरा रुणुरुणत-महुयरा धुरुधुरुतवग्धया समसमेंत-पवणया धमधमेंत-जलणया कडकडेंत-साहिया चिरिचिरेत-चीरिया दिट्ठा रण्णुद्देसया । अवि य । । बह-वुत्तत-पयत्तिय-भव-सय-संबाह-भीम-दुत्तारं । संसाराडह-सरिसं भमति अडई अभविय व्व ॥ ६११९) तओ एवं च परिभमंताण तम्मि समए को कालो पट्टि पयत्तो । अवि य । वित्थिण्ण-भुवण-कोट्टय-मज्झ-गयं तविय-पव्वयंगारं । उय धम्मइ पवणेणं रवि-बिंब लोह-पिंडं व ॥ का सयल-जण-कम्म-सक्खी भुवणभंतर-पयत्त-वावारो। गिम्हम्मि रवी जीए कुविय-कर्यतो ब्व तावेह । एयारिसे य गिम्ह-समए वट्टमाणे का उण वेला वहिउँ पयत्ता । अवरोवहि-वेला-वारि-णियर-तणु-सिसिर-सीयरासत्ता । णहयल-गिरिवर-सिहरं रवि-रह-तुरया वलग्गति ॥ 30 सिसिर-णरिंदम्मि गए दूसह-घण-सिसिर-बंधण-विमुक्को । तावेइ अवर-णिकरे संपइ सूरो परवइ व्व ॥ 30 18 1) सुंदरी, P ता का मम जीवणोउवाउ, P तुम for तुह. 2) om. ण, P वि ममं तुज्झ मज्झेण महतो, P मई. 3) P होजा णवमी सब्बो. 4) सामिणो, वच्चीहिति P वञ्चिहिसि, P तंमि ससए एकंदुयमेत्ते, जइ वाडे विहडाविउं. 5)P मणि for भणंती, I जइ णिक्खतो ता चुको, P om. ति. 6) ता for ताव. 7) सोउं for एवं सोऊण, P तुमं न दिट्ठो एत्थ नम्मया'. 8) Pएवं for एयं. 10)-प्पप्पुअच्छेण, P adds च before थाणुणा. 12) Pएयं for एवं, P कयमुहधावणकयाहारा तुरिया, J जलयरतरंग. 13) Pमयरहाधाय, चितलजला महाणइणम्मय, P मलं for जलं, Pom, च, न तावय, ताव अणय. 14) गुहिल, Pदुस्संचारा महाडईए, पण?मगा, Pom. सय, गुहिल, P संसारे. 15) P तेण for ते, P मूढदिसि बिहाया भयः, उम्मत्तगो विय निरूविय, Pom. तं. 16) Pमहाडई, पुण केसिया. 17) P कुसुमयतस्यर, om. भमिर, P भमिरोल-, P सरग्गीय. 18) Pधोवंत, Pदसणुपिच्छ, मत्त (on the margin) for हत्थि.. 19)P भयभजतसंग, णिवट्ठ for णिवह, P भत्तु for तुंग, P वणसीह. 20) J सभमुमुक्क P संभममुक, सहरा for सरहा. 21) सेस for सेससय, वीरुच्छा for बीहच्छा . 22) करयरंत, I adds कहिंचि before कुलकुलेत, रुणरुणेतभमरया, धुरुधुरेत. 23) कडयडंत, P रणुद्दे सया, I om. अवि य. 24) बुहु for बहु. 26) विच्छिन्नभवण, पिण्डब्व. 27) सयलजल P सयजण्ण, ' जीवे for जीए. 28) Pom. य, P गिण्हसम्ए का उण. 29) अवरोअहि. 30) तावेइ य धरणिधरो संपर, नरिंदो for गरवइ. Jain Education Interational Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १२० ] कुवलयमाला 1 बालोदंसण-सुहवो परिवतो तवे कह सूरो। सञ्चो चिय गुण वणे जोब्वण-समयम्भि दुप्पेच्छो ॥ Q , तो एम्म एरिये समए बट्टमाने ते दुवे वि जणा दूसह रविकिरणवरदा अहो गिम्हवत बालुवा उज्झमाणा दूसराहा3 भर-सूसमान तालुप-तला दीहद्राणसेय परितता हा भर-वाम-गिनोयरा मूड-दिसिहा पणट्टा-भय-वेविरा सिंघ-वग्घ-संभंता मयत हा जल-तरंग-बेलविज्जमाणा जं किंचि णिण्णयं दट्ठण जलं ति धावमाणा सव्वहा अणेय - दुक्ख-सयसंकुले विद्वा तम्भ कंवारे इमं पियाति कवचिमो का वो आगषा, कहिं वा वट्टामो ति । एवम्मि अवसरे 6 बहु-दुक्ख-कावर-हिय भणि वागुणा मित्र- गरुप दुल-भर- पेहिनमाण हियवं भणि पचतो 'ओसरह य मे 6 छुहारा उदरस्यो वि पिणा-बंध या इमं रयण-कप्पड गेण्ड, मम कर्हिचि विहिर ति ता तुमं चेष गे, जेण बिहिनो गमिस्सं' ति चिंतियं च मायाण 'अहो, जं मए करिय से अपना चेय इमिणा कर्ष, 9 समप्पियाई मज्झरवणाई ता दे सुंदरं कथं संपयं इमस्स उपायं चिंतिमो' ति णिरुबियाई पासाई जाव दिझे भय परिस-सप-सस्य-परूड साहा पसाह विधि महंगो बढन्यायको पलिया य तं प्येय दिसं जलं ति काऊन संपत्ता कदकह वि तत्थ, जाव पेच्छति । अवि य, 1 1 1 I 1 सण-निवहोच्छ बं पिचिर मुहं ईसि लक्मा परिवेडं विसम-तदुट्टिय-हस गहिरं पेक्लेति जर कुवं ॥ र पिय पावियं गुण-समिद्धं । अमय र पिई दई मजेति जर कूर्व ॥ 1 पलोइयं च हिं सम्वत्तो जाव ण कर्हिचित र अयं वा भंडयं जेण जलं समाहरंति पाओ तो चिंतिय 15 इमिणा दु-बुद्धिणा मायाइच्चेणं । 'अहो सुंदरो एस भवसरो । जइ एयम्मि अवसरे यं ण णिवाएमि, ता को उण 15 एरिसो होहि अवसरो त्ति । ता संपयं चेय इमं विवाडेमि एत्थ कूवे, जेण महं चेय होंति दस वि इमाई रयणाई' । चिंतण भणिधाणू इमिणा माषादयेणं 'मिस इमं पोएस एत्थ जुष्ण-कूबे के दूरे जलं ति, 18 देही-लया-रज्जू कारेमि ति सो वि तबस्सी उज्जुओ एवं भनिओ समबलोइडं पयतो गुण्ण-कूपोवरं जेण तस्स पमाणं इमिणा विमाया- 18 1 . 12 24 पढमं चिय दारिद्दं पर- विसओ रण्ण-मज्झ-परिभ्रमणं । पिय-मित्त-विप्पभोगो पुण एवं विरइयं विहिणा ॥ गोहिमो है पुरुष विडिओ ता केण उण संणिदियो, ण व कोइ अण्णो संभावीय एवं पुण मम हिवए पडिहायह जदा पेण वि पि अहवा किं एत्य वियधिपुण मायाइयो येष त्य 27 कथं होगा मदासादसं अहया यहि नहि दुड़ मे चितिथं पाव-हियपूर्ण इच्चेण पाव-हियएणं माया-मूढ-मणेणं अणवेक्खिऊण लज्ज, भवमाणिऊण पीई, लोविऊण दक्खिण्णं, अवहत्थिऊण पेम्मं, अयाणिऊण कयण्णुत्तणं, अजोइऊण परलोयं, अवलोइऊण सज्जण-मग्र्ग, सव्वहा मायाए रायत हियएणं णिद्दयं णोलिभो 21 इमिणा सो बराओ विडिओ सो बस ति कृये पतो जलं जाव बहु-रुख-दल-कटु-पूरियं किंचिसेस-जंबाले दुग्गं व 81 थोपसलं पेच्छ बोदरं धाणू विडिओ य सम्म जंवाले, ण पीडा सरीरस्स जाया । 1 २०) तो समासस्येणं चितिथे पेण याना लग्यो, अवि चल मेरु-चूला होज्ज समुद्दे व वारि-परिहीणं । उग्गमद्द रवी अवि वारुणीऍ ण य मित्तो ऍरिसं कुणइ ॥ तारिन् मज्झ पाव-हियस्स, जो सस्य वि मणस्स एवं एरिसं असंभावणी चिंतेमिता केण वि रक्खसेण वा भूषण 30 वा पिसाएण वा देण वा एत्थ पक्त्रित्तो होला एवं चिंतिकण ठिलो पवई चेच इमा समणा । अवि य । 1 मा जाणण जाणइ सजणो त्ति जं खलयणो कुणइ तस्स । णाऊण पुणो मुज्झइ को वा किर एरिसं कुणइ ॥ अवर ति वियाणइ जाणइ काउं पडिप्पियं सुयणो । एक्कं णवरि णयाणइ दक्खिण्णं कह वि लंघेउं ॥ 33 तभ एवं जाणमाणो वि सो मूढो तं चिय सोइउं समाढतो । णोलिमो होज । वा किं मायाइये इमे 1 ) P दंसणसुहओ, P परियहंतो. 3 ) P सूसमाणा, तालुअयला P तालुयतलो, खाम for क्खाम, Pणिक्खोयरा 4 ) P सिंह for सिंघ, Pom. सय. 5 ) inter. तंमि and पविट्ठा, १ न याणंति कत्थ वागया कहिं वा वच्चामो त्ति: 6 ) P गुरुय, P उत्थुरश्य for ओसरइ य. 7 ) J उअरस्स, P दढबंधो, १ गिण्हसु for गेण्ड, P कहं वि गिवडीहर, P चेव. 8 ) पिच्छुअहिअओ, Pom. ति, P जे for जं. 9 )p om. • दे, P चिंतेमि for चिंतिमो. 10) Jom. सय, Pom. य, P तिसं for दिसं, Pom. one कह. 12) P°होत्थश्य, P ईसि for ईसिं, J तदुट्ठिय P तडच्छिय, P पेच्छंति. 13 ) P दिट्ठ for हूं, P लढुं. 14 ) पलोवियं, J सव्वं तो P सव्वतो, उ ण किंचि पेच्छति ताब रज्जुं वा अण्णं P न पेच्छति कर्हिचि रज्जु अन्नं. 15 ) दुट्ठदुबुद्धिणा, P एव for एस, J एयंमि for एयं. 16 ) Pom first चेय. 17 ) P चिंतियंतेण भणियं, थाणु, I om. इमिणा मायाइचेणं eto. to थोयसलिलं पेच्छइ कूवोदरं थाणू ।, P मित्तं. 18 ) P उज्जओ. 20 ) P कयणुत्तगं. 21 ) P सा वराओ 22 ) POLD. 4. 23 ) Pom. . 24 ) P परिवसओ, P परितवर्ण, विधओओ P विप्पओगे, P एवं 25 ) P हिययस्स पडिहाइ जहा केगाव, गोल्लीओ, P om हूं एत्थ to अहं पोलिओ. 26) J किमेत्थ, एय ( १ ) for चेय, P ण कोइ उण्णो संभावियइ. 27 ) P होज्ज, Pom. one नहि. 28) J om. मित्तो. 29 > P मम for मज्झ, P वाए for वा. 30 ) P विक्खित्तो for पक्खित्तो, P ट्टिओ, P चेव. (31)मा जाणमयाण. 32 ) P पडिप्पिउं सुयण्णो, J णवर. 33 ) P तं चैव य सोइउं. 1 12 24 97 80 83 . Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२ उज्जोयणसूरिविरहया [६१२० हा कद मित्तो होहि वसणावडिओ अरण्ण-मज्झम्मि । पिय-मित्त - विष्पहूणो ममो व्व गिय-जूह-पन्भट्ठो ॥ | १२१ ) एवं च सो सजणो जाव चिंतिउं पयत्तो, ताव णरणाह, इमो वि मायाइच्चो किं काउमाढतो । चिंतियं च 8 पेण 'अहो, जै करियग्वं तं कथं । संपयं णीसंको दस वि इमाई रयणाई अत्तणो गेहिमो, फलं च भुंजिमो' । चिंतयंतस्स 3 'इण इण इण' ति 'गेहद गेन्दद्द' ति समुदाइयो महंतो कहलो पुरनो भय-वेविर-हियण व से गिरूविष जाब दो अणेय मिल-परिवारो सबरसेणो णाम पल्लिवई । तं च दट्टण पलाइउं पयत्तो । पलायमाणो य धणु-जैत-पमुक्क-सरेहिं गहिनो निरूवियं चरियन-यो, समधियं च मेहिं चोर-सेणावणो । णिरुविच जे जाब 6 पेच्छइ दस रयणाई महग्घ मोल्लाई । भणियं च णेण 'अरे, महंत कोसल्लियं अम्हाण इमेणं आणियं, ता मा मारेसु, भिऊन परिवह एकम्मि कुटंगे कयं च मेहिं पोर -पुरिसेहिं जाइ । समा 1 1 ६१२२) सो चोर-सेगाव निषय-पली य बाहि पत्ता ता किं इमम्मि पले कहिंचि तो संपतो तमुद्दे तत्थ भगियेच 'अरे अरे, वहाँ भयं च ग चोरेण देव 1 1 प 'पयट्ट, तत्थेव वच्चामो' ति भणता संपत्ता तम्मि पसे । उव -91 - याणीय तत्थ केरिसं जलं ' ति । भणियं च सेणावद्दणा । 18 विट्ठो य वड- पायवस्स हेभो सेणावई । भणियं च णेण 'रे, कड्डूह पाणियं, पियामो' । आएसाणंतरं च वित्थिण्ण-सायवत्तेहिं 12 पलासह व सीवो मोडल दीड-द-बली-लयाओ य संधि का दीदा रज्जू । पत्थर-सगम्भो भोबारिनो पुढओ तम्मि कूत्रे जाव दिट्ठो थाणुणा । भणियं च थाणुणा । 'अहो, केण इमें ओयारियं । अहं एत्थ पक्खितो देव्वेणं । ता 16 मम पि उत्तारेद्द' | साहियं च सेणावद्दणो । 'एस्थ कुत्रे को वि देसिओ णिवडिओो । सो जंपइ 'ममं समाकड्वद्द' ।' सेणाव - 18 इणा मणि' अहं ता जलेगं चेय कद्रुद्द बरायें। उत्तारिनो य सो तेहिं दिट्ठो य सेणावइणा भगिनो च 'भग हो कत्थ तुमं, कहं वा इहागओ, कई वा इह विडिओ' ति । भणियं च णेण । 'देव, पुव्व देसाओ अम्हे दुवे जणा 19] दक्षिणाय गया। तत्य दोहिं वि पंच पंच रथलाई विसाई लम्हे भागच्छमाणा इमे अई संपत्ता, पंथ-पन्भट्टा 18 तण्डा छुड़ा-परिगय- सरीरा इमं देसंतरमागया । तण्हाइएहि य दिट्ठो इमो जुष्ण-कूत्रो। एत्थ मए णिरिक्खियं के दूरे जल ति । तावम विपेन वा पिसावा सेन वा डिओ गवडिओ जुण्ण-कुत्रे संपये तुम्हेहिं उत्तारिमो' ति । इमं च सोऊन भणियं सेणावद्दणा 'तेण दुइएण तु पवित्रत्तो होहिसि। भणियं च धाणुणा 'संतं पार्थ कई सो जयाओ वि वल्लहस्स मज्झ एरिसं काहिह' । भणियं च सेणावइणा 'संपयं कत्थ सो वट्टद्द' त्ति । थाणुणा भणियं 'णयाणामो' । तओ हसियं सव्वेहिं चोर- पुरिसेहिं । 'अहो समुज्जुओ मुद्धो वराओ बंभणो, ण-याणइ तस्स दुट्ठस्स दुट्ठ-भावं 26 वा भयो विद्यमुद्धराविषाणतो भणियं च सेगावद्दमा 'सो चेय इमस्स सुमितो होहि जस्स इमाई रयणाई 34 थदेहिं । तेहिं भणिये सर्व संभावियह' ति भणिनो व 'बंभण, फेरियो सो तुद्द मित्तो भणि च धागा 'देव कसिणो पिंगल- यणो मडहो वच्छ-स्थलम्मि णीरोगो । णिम्मंसुओ य वयगे एरिसओ मज्झ वर- मित्तो ॥ ' तओ सव्वे वि हह त्ति हसिउं पयत्ता चोर-पुरिसा । भणियं च सेणावणा । 'अहो सुंदरो भट्टो दंसण-सुहओ सब्व-लक्खणसंपुण्णो मित्तो तर लद्धो । एरिसो तुम्भेहिं पि मित्तो कायन्वो । सव्वहा बंभण, तेण चिय तुमं पक्खित्तो । ता जाणसि 30 दिट्ठाई अप्पणाई रयणाई' । तेण भणियं 'देव, जाणामि'। दंसियाई से सेणावइणा पञ्चभिण्णाणियाई । तेण भणियं 'इमाणि 30 मज्झ संतियाणि । पंच इमाई तस्स संतियाई । कत्थ तुम्हेहिं पावियाई । ण हु मित्तस्स मे णिवाओ कओ होहिद्द' । तेहिं भणिये । 'वस्त्र इमाई भन्देहिं खिचाई सो य बैचेन कुगे पनिखतो ता गेण्ट्स इमाई अध्यणाई पेच जाई 23 पुणे तस्स दुरायारस्स संतिबाई ताई ण समपिमो' ति भाग पंच समाई भगव वच इमाए बलिगीए 133 | 27 1 संमुई मथि 1) P होही, अजूह P नियजूय. 2) Pon. जाव, P ता for ताव, Pom. वि. 4 ) J भणति for हणत्ति, P गेव्ह J 10 गेण्ड, P समुट्ठाइओ 5 ) P परियरो सबरो नाम, Jom. य, धणुजत्त 6 ) P निवडिउं, J om. च. 7 ) P अम्ह इमेण. 8 ) P बंधेऊण पक्कवह 9 ) P पल्लिए, Pom. च, P अरे रे. ) P ता किमिनं पि परसे किंपि चि वि जलं, P भएणियं for भणियं, Pom. अस्थि, 3 जुण्णकूवं P जुनं कूव न याणिमो य तत्थ- 12) P कन्हह for कडु - 13 ) Jom. महंतो, Pom. य, P पत्थरस्त, उआयरिओ 14 ) P फुडओ फुओ तंमि, P दिट्ठा घु थाणुणा । अहो केण, केण मओसारियं, P दब्वेणं. 15) P om. पि, P इमं for ममं. 16 ) Pom. one अलं, P ताब for ता, P चेव, P भणिहो. 17 ) P वा गइहागओ, P गओ for विडिओ, जाणा for 18 ) P मि for वि, P संपत्तो, पंथभट्ठा 19 ) P तण्हाएहिं, Pom. य, P inter. गिरिक्खियं and के दूरे जलं. 20 ) P om. ति, J तुम्मे for तुम्हे हिं. 21 ) 3 च after भणियं (first ), एत्थ for तुमं, होहिति. 22 ) P जीयवल्लहस्स, Jom. एरिसं. 23 ) P अहो अहो उज्जुओ वराहो मुद्धो बंभणो, P om. दुट्ठस्स, 3 om. P सेणावइणो, P होही, P वयजाई for रयणाई 25 ) P संभावीय त्ति, om. त्ति, Pom. य, केविसो, " तुह सुमित्तो. 27 ) दुइभावं. 24) पिडुल for पिंगल, गिल्लिमो for णीरोगो, P सो for वर. 28 ) P जओ for तओ, वि हह त्थि इत्ति P विय हटह त्ति, P भट्ठा समुहय भद्दलकवा ( letters not clearly readable). 29 ) J तुम्हे हि for तुम्मेहिं, P जेंग for तेणं. 30 > ण इमा मज्झ संताई। पंत्र, Pom भणियं 31 संताई for संतियाई, P कत्थ तुमे पावियाणि, मित्तस्सस्स से णिवाओ, होहिउ] (1). 32 ) J om. अम्हेहिं वि for य, Pinter. पक्वित्तो and कुडंगे, P गेन्ह. ताई ण, JO पंच, Pom. वञ्च, P वत्तणी ए. 33 > Pom. 27 . Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१२४] कुवलयमाला । एक पुण भणिमो। ____जारिसओ सो मितो अण्णो बि हु तारिसो जइ हवेज । उग्ग-विसं व भुयंग दूर दूरेण परिहरसु ॥' त्ति भणिऊण विसजिओ। ६१२३) सो वि थाणू कुडंगे कुडंगेण तं अण्णिसमाणो परिभमइ । ताव दिटो णेण एक्कम्मि कुर्डगे । केरिसो। दढ-वल्ली-संदाणिय-बाहु-जुओ जमिय-चलण-जुवलिल्लो । पोट्टलओ व्ध णिबद्धो अहोमुदो तम्मि पक्खित्तो॥ 6 तं च दट्टण हा-हा-रव-गम्भिणं 'मित्त, का इमा नुह भवत्थ' ति भगमाणेण सिढिलियाई बंधणाई, संवाहियं अंगं, बाई च. वण-मुहाई कंथा कप्पटेहिं, साहियं च णिय-वुत्ततं । 'पंच मए रयणाई पावियाई । तत्थ मित्त, अड्डाइज्जाइं तुज्झ भडाइजाई मज्झ । तह वि पजतं,ण काइ अद्विई कायव्व' त्ति भणमाण ताव णीओ जाव मढई-पेरंत-संठियं गाम । तरथ ताव पडियरिओ जाव रूढम्वणो । तम्मि य काले चिंतियं ण मायाइशेण । 'अहो, हिम-सीय-चंद-विमलो पए पए खंडिओ तहा सुयणो । कोमल-मुणाल-सरिसो सिणेह-तंतू ण उक्खुडह ।। ता एरिसस्स वि सजणस्स मए एरिसं ववसिय । धिरत्थु मम जीवियस्स । भवि य । 12 पिय-मित्त-वंचणा-जाय-दोस-परियलिय-धम्म-सारस्स । किं मज्म जीविएण माया-णियडी-विमूठस्स ॥ ता संपयं किमेत्थ करणीयं । अहवा दे जलणं पविसामि' त्ति चिंतयंतेण मेलिया सव्वे गाम-महयरा । कोउयरस-गम्भिण्ये य मिलिओ सयलो गाम-जणो । तत्थ मूलियं वुत्तत सम्वं जहा-वत्तं साहियं सयल-गाम-जणस्स, जहा णिग्गया घराओ, जहा 15 विढत्ताई रयणाई, जहा पढौ वंचिओ थाणू, जहा य कुवे पक्खित्तो, जहा चोरेहिं गहिओ, जहा पण्णविमो थाणुणा। 16 ६१२४) तओ एवं साहिऊण भणियं मायाइच्चेण । 'अहो गाम-महत्तरा, महापावं मए कयं मित्त-दोझ णाम । ता भई जलियं हुयासणं पविसामि । देह, मज्झ पसियह, कटाइं जलणं च' त्ति । तओ भणियं एक्केण गाम-महत्तरेणं । 18 'एहु एहडं दुम्मणस्पहुं । सन्खु एउ आयरिउ, तुज्न ण उ वंकु चलितउं। प्रारदउं एबु प्रइ सुगति । प्रोतु वर भ्राति संग्रतु ॥" तओ अण्ण भणियं । "ज जि विरइदु धण-लवासाए । सुह-लंपडेण तुब्भई । दुत्थट्ठ-मण-मोह-लुद्धउं । तुं संप्रति बोल्लित । एतु एतु प्रारदु मल्लट 21 तो अपणेण भणियं चिर-जरा-जुण्ण-देहेण । 'एस्थ सुज्झति किर सुवणं पि । वइसाणर-मुट-गतउं । कर प्रावु मित्तस्स बचण । कावालिय-व्रत-धरणे । एउ एउ। सुज्झेज जहि ॥' तमो सयल-दंग-सामिणा भणियह जेट-महामयहरेण । 'धवल-वाहण-धवल-देहस्स सिरे भ्रमिति जा विमल-जल । धवलुजल सा भडारी । यति गंग प्रावेसि तुहुं। मित्र-भोज्यु तो णाम सुज्झति ॥' 7 एवं भणिए सम्वेहिं चेय भणियं । 'अहो, सुंदर सुंदरं संलत्तं । ता मुंच जलण-पवेस-णिच्छय । वञ्चसु गंगं । तस्य पहायतो। मणसणेणं मरिहिसि, तया सुज्झिहिसि तुई पावं' ति । विसजिमो गाम-महयरेहिं । सिणेह-रुयमाणेण य थाणुणा भणुणिजमाणो वि पथिओ सो। अणुदियह-पयाणेण य इहागओ, उवविटो" ति । एवं च साहियं णिसामिळण 30 णिवडिओ चलण-जुयलए भगवमो धम्मणदणस्स । भणियं च ण मायाइर्ण । 'माया-मोहिय-हियएण णाह सर्व मए इमं रह । मोत्तण तुम भण्णो को वा एवं वियागेज ॥ ता सम्यहा माया-मय-रिउ-सूयण-मुरण-गुरु-तिक्ख-कोव-कुंनस्स । सम्व-जिय-भाव-जाणय सरणमिण ते पवण्णो मि॥ 33 ता दे कुणसु पसायं इमस्स पावस्स देसु पच्छित्तं । भण्णह ण धारिमो चिय अप्पाणं पाव-कम्मं वा ।' 33 1) Pभणामो. 4) Pom. कुडंगे, P जाव for नाव. 5) J वल्लि, चाइ, J संजमिय for जमिय.7) गिअ for णिय, P तुह for तुज्झ.8) मग for मज्झ, P तुह for तह, J काई, P अत्यद्धितीया for अद्धिई,J आणिओ for णीओ, P अह for अढई.9)"पडियरओ, कालेण for काले. 11 P विमए जगस्स परिसं विल सेयं । Jom, मए. 12) पाव for दोस. 13) पविसामो, P चितियंते ग. 14)" सम्वहा fir सवं, Jहावित्तं, P जहा पविढत्ताई. 15) घोरेKि for चोरेडिं. 16) मयहरा for महत्तरा. 17)कया for कट्टा. 18) दुम्मणस्साहुं (1), P ५उ पह होउ मणुस्साई सन्बु एउ आयरिउं तुज्झा न उ बंकु नालियां, सर्वज पुंजाअरिद् (letters rubbed) तु ज्झाण वंक चलित्त, पारद्धउं, P प्रारओ एउ प्रई सुगइ प्रोतु वररमा (भ्रा?) ति संप्रतु, भ्रातु वर, संप्र1. 20)J थु जे for जं जि, P विररइओ for विरइदु, पणलव. सातसुहलंप्पडेए, Pom. तुम्भई, 'दु तुद्रमाणमोडिएयु मणुस्से लद्ध, बोझियउं ए.उ एउ पारद्ध. 21) Pजुन्न. 22) Pसुज्झा, J सुवण व वासा', सुवन्नं, ''नरमुगय । रेयु प्रावु, पाउ for प्रा, कामाग्यिवतधरणे एतु पाउ दुज्झे पणाहिय, P वयधरणे, सुज्झेज्ज णाहि. 24) भणियं for भगिइ, on. जेद्रमहानयहरे(रेणी?). 25) देवस्स for देहस्स, P भ्रमती धवल जलधव, विमलजलधवलुज्जलसा, " यदि गंगा, P तुं हुं मित्रुद्रोज्झनो नाम मुज्झइ । एवं च भणिए. 27) | om. one संदर, J५वेसं गि,P निच्छयं, P हो पत्तो for पहायतो. 28) तदा सुजितहित्ति तुह, Jom. ति. 29) Pअणुमणिजमाणो, P एसो for सो, 'य before त्ति, एयंच. 30) Pचलणकमलए. 31)Jinter. इमं and मए, Jom. ता सधदा. 32) मूयण for मूरण, पवन्नोई. 33) P कम्मं तु । Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 १२५ ) इमं च णिसामिऊण गुरुणा धम्मणंदणेण भणियं । 8 1 'जे पिययम-गुरु-विरह जलन- पलटिय-ताब- तबियंगा । कत्तो वा वाणं मोनुं आगे जिनिंदाणं ॥ जे दूसह-गुरु-दारिद्द विदुषा दृडिय-सेख-वण-विहवा को वाणं वाणं मोनुं आगे जिनिंदा ॥ दोगञ्च-पंक-संका-कलंक-मल-कलुस - दूमियप्पाणं । कत्तो ताणं ताणं मोत्तुं आणं जिनिंदाणं ॥ सम्ब-जण दिया बंधु-जणोहसण- दुक्ख तबियाणं । कतो वाणं ताणं मोतुं आगे जिनिंदा ॥ जे जम्म-जरा-मरणो- दुक्ख-राय-भीसणे जए जीवा कत्तो लागे ताणं मोतुं आणं जिजिंदा ॥ जे कण-ताण-वाद-गुरु-दुक्ख-साथरोगाढा कतो वाणं ताणं मोतुं भाणं जिजिंदाणं ॥ संसारम्मि असारे दुह-सय-संबाद बाहिया जे य । मोत्तुं ताणं ताणं कत्तो वयणं जिनिंदाणं ॥ 9 तो एवं सभ्य-जन-जीव-संघायरस सम्ब- दुक्ख-दुक्लियस्स लोके बिच इमे च वयणं आराहिऊण पुणो । ६४ 15 उजोयणसूरिविरहया सासव-सिव-सुद-सो भइरा मोक् पि पाविहिसि ॥' जय गजराण मण वाहिणो णेय सम्बन्दुकलाई ia एवं भणिये णिसामिन भवियं कथंजलिउडेगं मायाइये 'भगवं जइ एवं ता देसु मे जिनिंद-वयणं, जह अरिहो मि' 19 भगवया विधम्मगेण पलोइउण णाणाइसपुर्ण उपसंव-कलाओ चि पन्थाविनो जहा- विहाणेण गंगाइयो सि ॥ ॐ ॥ 24 27 तेलो केवल पायवा पिव जिणाणं आण पोचून सरणं ( १२६) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मणंदणं । 'लोहोकरेइ मेलोड़ो पिय-मि-नासो भणिनो लोदो कम-विणासो लोहो सव्यं विनासे ॥ 1 वि य लोह-महा-गह गहिलो पुरिसो अंधो वियण पेच्छ सर्म व बिसमे था, बहिरो विषण सुनेह हियं अणहिये था, उम्मत्तो वि असंबद्धं पलवइ, बालो इव अण्णं पुच्छिभो अगं साहेइ, सलहो विय जलंतं पि जलणं पविस, झो 18 जलणिहिम्मि वियरइति । [8 १२५ " जो तुज्झ पट्टि भाए वामे जो वासवस्स उवचिट्ठो । मंस-विवज्जिय-देहो उच्चो सुक्को व ताल-दुमो ॥ अहि-मय-पंजरो इव उरंत मेरा-चम्म-पडिबड़ो दीसंत-सुलीभो वगु-दीदर चचल-गीवालो । ॥ सह-चम्म-बयो मरु-कूप-सरिच्छ गहिर-गयण हुआ। अच्छ देवालो इव कम-सज्जो मंस-खंडस ॥ लोड़ो रूपेण णरवर पतो इमो हुई होला। एण लोह-मूडेण जे कथं से जिसमे ॥ इय असमंजस घडणा-समण- परिहार पयड-दोसस्स लोहस्स तेग मुणिगो येवं पि ण देति भवयासं ॥ लोह-परायत्त मणो दव्यं णासेइ घायए मित्तं । णिवडइ य दुक्ख गहणे परिथव एसो जहा पुरिसो ॥" 8 भणियेच राहणा पुरंदरदले 'भगवे बहु-पुरि-संकुलाए परिसाए - वाणिमो को बि एस पुरियो, किंवा इमे कर्म' 21 ति । भणियं च भगवया । 3 15 १२७) सिला णाम णयरी । जा पदम या पत्विगुत-ययावुच्च्छत-जस-भारं धवलद्दर सिहर-संविडिव एवं समुच्चदर ॥ 30 जहिं च यरिहिं एक बिण दीसह मइलु कुबेसो व । एक्कु बि दीसह सुंदर वत्थ-णियस्थो व । बेण्णि ण भत्थि, जो कायरो 80 ताभिभूओ व । दोणि वि अस्थि, सूरउ देयणओ व । तिष्णि णेव लब्भंति, खलो मुक्खु ईसालुओ वि । तिष्णि चोवलमेति विष पीसत्यवति । जहिं च जयरिहिं फरिदाबको सजग-जग अनुहरह, गंभीरतणेण 33 भणवयारत्तणेण व । सज्जण-दुज्जण-समो वि पायारु अखण्ड वंक-वलिय-गमणो व । जहिं च वसिमु दीव-समुद्दजइसभो, 33 असंखेोपमाण-बिश्वरो वति । भवि य । कह सा ण वणिजा वित्थिण्णा कणय घडिय-पायारा । पढम-जिण-समवसरणेण सोहिया धम्म चकंका ॥ 1 ) Pinter. भणियं and गुरुणा धम्मनंदणेण 3 ) Prepeats गुरु 5 ) 3 बंधुजणसयणदुक्ख 6 ) P मरणाण नाह दुक्ख, JP भीसणो, Pom. जए. 7 ) Pदहणंकण, वयणं for आणं. 8 ) बोहिया 9 ) P तिलोक्केकपाय 10 ) P वि य नत्थि ति ।, Pom. वयणं. 11 ) P सासयं. 12 ) P adds इचणं after जइ, त्ति for मि. 13 ) P adds जहाविओ after पव्वाविओ. 16 ) P लोभगहिंओ य पुरिलो. 17 ) P उम्मत्तओ, P साद्दइ सलसो, P पिव for पि, P ऊसो for झसो. 19 ) P थोवं, P' उवयाणं for अवयासं. 20 ) Pom. य, P दुक्खग्गहण 22 > Pom. ति. 23 ) P वामो, P विसज्जियदेहो वच्चो सुक्को व्व ताढदुमो 24 ) P धवल for चवल 25 ) चम्मधमणो, Pमास for मंस. 26 ) P एतेन. 27 ) P जंबुद्दीवे, P मज्झिमे खंडे उत्तरा नाम 29 ) P जो for जा, P संपिंडियन्व तेरियं समु 30 ) P एकु न दीसह एकु दीसह मयलकुचेलो सुंदर, एको वि दीसह सुंदर, P व्व for व. (31) तामिओ तण्हाविभूओ, P सूरो देउणउ वि, P नोवलंभंति, P मुक्खो ईसालुओ व त्ति 32 ) P चोवलंभंति सज्जणो वियट्टो बीसत्थो, चि for च, ए फरिह, बंडो 33 ) P अणोवयार, P om. व, P पायारो अब्वण्णओ, P चि for च, P -जयसजो 34 ) P परिवमाण, वित्थारो 35 ) P सो for सा, P समवसरणोव 18 24 इमम्मि पेय लोए जंबूदीवे भार वाले वेष-दाहिण-मझिम-खंडे उत्तराव णाम परं । तत्थ तन 27 . Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्तण दकि णएण। 'पुत: सु किवणा वापीओ. ... १२९] कुवलयमाला ६५ पाए य णयरीए पच्छिम-दक्खिगे दिसा-भाए उच्चत्थलं णाम गाम, सग्ग-णयरं पिव सुर-भवणेहिं, पायालं पिव विविह-रयणेहिं । गोठेंगणं पिव गो-संपयाए, धणय-पुरी विय धग-संपयाए ति । तम्मि गामे सुद्द-जाईओ धणदेवो णाम सत्यवादउत्तो । तत्थ 8 तस्स सरिस-सस्थवाहउत्तेहिं सह कीलतस्स वच्चए कालो । सो पुण लोह-परो अस्थ-गहण-तल्लिच्छो मायावी चंचो अलिय- 3 वयणो पर-दव्यावहारी । तओ तस्स एरिसस्स तेहिं सरिस-सस्थवाह-जुवाणएहिं धणदेवो त्ति अवहरि लोहदेवो ति से पहटियं णामं । तओ कय-लोहदेवामिहाणो दियहेसु वञ्चतेसु महाजुवा जोग्गो संयुतो । तओ उद्धाइओ इमस्स लोभो बाहिउँ 6 पयत्तो, तम्हा भणिओ य ण जणओ । 'ताय, अहं तुरंगमे घेत्तण दक्खिणावह वच्चामि । तत्थ बहुयं अर्थ विढयेमो, जेण 8 सुहं उवभुजामो' त्ति । भणियं च से जणएण । 'पुत्त, केत्तिएण ते अत्येण । अस्थि तुहं महं पि पुत्र-पयोत्ताण पि विउलो भत्थ-सारो । ता देसु किवणाणं, विभयसु वणीमयाण, दक्खेसु बंभगे, कारावेसु देवउले, खाणेसु तलाय-बंधे, बंधावेसु वावीओ, पालेसु सत्तायारे, पयत्तेसु आरोग्ग-सालाओ, उद्धरेसु दीण-विहले त्ति । ता पुत्त, भलं देसंतर-गएहिं'। भणियं ७ च लोहदेवेणं । 'ताय, जे एत्य निटइ तं साहीणं चिय, अण्ण भपुवं अस्थं आहरामि बाहु-बलेणं' ति । तओ तेण चिंतिय सत्यवाहेण । 'सुंदरो चेय एस उच्छाहो ।कायब्धमिग, जुत्तमिण, सरिसमिणं, धम्मो चेय अम्हाण, जं अउध्वं अस्थागमणं 13 कीरइ ति । ता ण कायव्वो मए इच्छा-भंगो, ता दे वञ्चउ' त्ति चिंतिउं तेण भणिओ । 'पुत्त, जइ ण-टायसि, तओ वञ्च' ।।४ ११२८) एवं भणिओ पयत्तो । सज्जीकया तुरंगमा, सज्जियाई जाण-वाहणाई, गहियाई पच्छयणाई, चित्तविया माडियत्तिया, संठविओ कम्मयर-जणो, आउच्छिओ गुरुयणो, वंदिया रोयणा, पयत्तो सस्यो, चलियाओ बलत्थाउ । 16 तमो भणिओ सो पिउणा । 'पुत्त, दूरं देसंतरं, विसमा पंथा, णिहरो लोओ, बहुए दुजणा, विरला सज्जणा, दुप्परियलं भंड, 16 दुद्धरं जोव्वर्ण, दुललिओ तुमं, विसमा कज-गई, अणस्थ-हई कयंतो, अणवर-कुद्वा चोर त्ति । ता सम्बहा कहिंचि पंडिएण, कहिंचि मुक्खेण, कहिंचि दक्खिगेणं, कहिंचि णिटुरेण, कहिंचि दयलुणा, कहिंचि णिकिवेणं, कहिंधि सूरेण, कहिंचि 18 कायरेण, कहिंचि चाइणा, कहिंचि किमण, कहिंचि माणिणा, कहिंचि दीणेणं, कहिंचि वियड्डेण, कहिंचि जडेग, सव्वहा 18 णिटर-डंड-सिराहय-भुयंग-कुडिलंग-चक-हियएणं । भवियब्वं सजण-दुजणाण चरिएण पुत्त समं ॥' एवं च भणिऊण णियत्तो सो जणओ । इमो वि लोहदेवो संपत्तो दक्षिणावहं केण वि कालंतरेण । समावासिनो सोप्पारए शणयरे भद्दसेट्ठी णाम जुण्ण-सेट्टी तस्स गेहम्मि । तओ केण वि कालंतरेण महग्य-मोल्ला दिण्णा ते तुरंगमा। विढतं महंत भत्थ-संचयं । तच घेत्तूण सदेस-हुत्तं गंतुमणो सो सत्थवाह-पुत्तो ति । तत्थ य सोप्पारए पुरवरे इभो समायारो देसियवाणिय-भेलीए। 'जो कोइ देसंतरागओ वस्थन्वो वा जम्मि दिसा-देसे वा गमओ जं वा भंडं गहिय ज वा भाणियं जवा 24 विढत तत्थ तं देसिय-वणिएहिं गंतूर्ण सवं साहेयवं, गंध-तंयोल-मलं च घेत्तव्वं, तओ गंतवं' ति । एसो पारंपर-पुराण-24 पुरिसस्थिओ त्ति । पुणो जइया गंतुमणो तइया सो तेगेय भइसेटिणा सह तत्थ देसिय-मेलीए गओ त्ति । देसिय-वाणिय मेलिए गंतूण उवधिटो । दिपणं च गंध-मल्लं तंबोलाइयं । श ६१२५) तओ पयत्तो परोप्परं समुल्लावो देसिय-वणियाण । भगियं च णेहिं । 'भो भो वणिया, कत्थ दीवे देसे वाथ को गओ, केण वा किं भंडं भाणियं, किं वा निढत, किं वा पञ्चाणियं' ति । तओ एकेण भणियं । 'अहं गओ कोसलं तुरंगमे घेत्तण । कोसल-रण्णा मह दिण्णाइं महंताई भाइल-तुरंगेहि समं गय-पोययाई । तओ तुम्ह पभावेणं समागमो लख-लाहो' 30 सि । अण्ण भणियं । 'अहं गओ उत्तरावहं पूय-फलाइयं भंडं घेत्तण । तस्थ लबू-लाभो तुरंगमे घेत्तूग भागो' त्ति 180 भपण भणियं । 'महं मुत्ताहले घेत्तूण पुब्व-देसं गओ, तओ चमरे आणिओ' त्ति । अण्ण भणियं । अहं बारवई गओ, तस्थ संखयं समाणियं' ति । अण्ण भणियं । 'अहं बब्बर उलं गओ, तत्थ चेलियं घेत्तूणं, गय-दंताई मोत्तियाई च घेत्तुं 1) तीय य, P om. य, Jणयरीय. 2)P om. धणयपुरी विय धणसंपयाए, P तम्मि य गामे सुइंजाइओ. 3) P वच्चा, सो उण, P अत्यग्गहण. 4) P ति से अव', P लोभदें. 5) 'देवाहिहाणो, J जोगो, P उद्धाश्य. 6) Pom. य, P तुरंगे घेचूण, Pपभूयं for बहुथं, P विढवेमा. 7) P उवभुंजामि, P केत्तिए ते, P-पपोत्तागं विउलो. 8) Pकिमणाण, P विभव सुवणियमयागं, भणा कारा, करावे तु. 9) Pआरोगसालासालाओ. 10) Jom. च, लोभदेवेणं, P जं एयं तं साहीणं चिट्ठइ चिय, आराहामि, Pom. ति. 11) एसो, Jon. जुत्तमि गं, P अम्हाणं अंज अउबअत्या. 12)P त दे for तादे, पितयंतेण, P पुत्ति for पुत्त. 13)P चिंतविया. 14) कंमारयजणो. 15) भणिों से, । पिउणो, P दूरे, P निट्ठवरो. 16)P अणणुरूवी कयंतो. 17) दक्खिन्नेणं कहिं चिय वियद्देणं कहिंचि,P निकोवेणं. 18)P किविणेणं, P om. कहिंचि माणिणा, P वियदेणं. 19) -पंढसिरापायभुयंगकुटिलवंक, P दुजणचरिएणं, सम्मं । एयं. 20) से जणउ ।, P लोभदेवो, Pसेमावासिओ. 21) दित्ता for दिण्णा ते. 22) Pघेतण देसहुत्तं, J उत्तो, Pom. त्ति. 23)कोड देसिओ देसं', P om. वा, जम्मि दिसा देसा वागओ P मि वा जंमि दिसादेसे वा जंगओ. 24) Pinter. साहेयव्वं & सम्बं, Pतंबोनं, घेषणं तओ, ततो for तओ, Jएसा for एसो. 25)P पुरिसत्य इत्ति, P तेण य भसेट्रिणा, P देसिमेलीए, देसियमेलए गंतूण. 26) P उवविट्ठो त्ति, Joun. च. 27) p om. भणियं, P भो भो देसियवणिया. 28) P inter. भंड & किं, तुरंगे घेतूण. 29) Pom. मह, Jom. महंताई, भाइलतुरंगमेहिं, Pसम मयपोत्तयाई, P तुम्हा. 30) पूयफलाई, P भंडें, J घेत्तूं, Pसमागओ for आगओ. 31) । महं मुत्ताफले, तस्य for तओ, आगिय त्ति, P बारवई. 32) Pinter.बम्बरऊलं & अई, P तस्य before गयदंताई, गयदंता मोत्ति, घेत्तूण for घेत्तुं. . Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ उजोयणसूरिविरइया [६१२९ 1 समागओ' ति । अण्णेण भणियं । 'अहं सुवण्णदीवं गओ पलास-कुसुमाइं घेत्तुणं, तस्थ सुवण घेत्तण समागओ' ति।। अण्ण भणिय । 'अहं चीण-महाचीगेसु गओ महिस-गवले घेत्तण, तत्थ गंगावडिओ णेत्त-पहाइयं घेत्तण लव-लको णियत्तो' त्ति । अण्गेण भणियं । 'अहं गओ महिला-रजं पुरिसे घेत्तण, तत्थ सुवण्ण-समतुलं दाऊण आगओ' ति। अण्णेण भणियं । । 'अहं गओ रयणदीवं णिब-पत्ताई घेत्तूण, तत्थ रयणाई लद्धाई, ताई घेत्तूण समागओ' त्ति । एवं च णिसामिऊण सम्वेहिं चेय भणियं । 'अहो, सुंदरो संववहारो, जिंव-पत्तेहिं रयणाई लभंति, किमण्णेण वणिजेण कीरह' ति । तेण भणिय । 'सुंदरो जस्स जीयं ण वल्लहं' ति । तेहिं भणियं 'किं कर्ज' । भणियं च ण । 'एवं तुब्भेहिं भणिय 'किं कर्ज' ति । जेण । दुत्तारो जलही, दूरे रयणदीवं, चंडो मारुओ, चवला वीईओ, चंचला तरंगा, परिहत्था मच्छा, महता मयरा, महग्गहा गाहा, दीहा तंतुणो, गिलणो तिमिगिली, रोहा रक्खसा, उद्धवाषिरा वेयाला, दुल्लक्खा महिहरा, कुसला चोरा, भीमं महासमुई, दुल्लहो मग्गो, सव्वहा दुग्गम रयणदीवं ति, तेण भणिमो सुंदरं वणिज जस्स जीवियं ण वल्लई' ति । तमो . सम्वेहि वि भणियं । 'अहो दुग्गर्म रयणदीवं । तहा दुक्खेण विणा सुई णस्थि' त्ति भणमाणा समुट्ठिया वणिया। ६१३०) इमं च तस्स हियए पइट्टियं लोहदेवस्स । भागओ गेहं, कयं भोयणाइ-आवस्सयं । तमो जहा-सुई 12 उवविट्ठाणं भणियं लोभदेवेण । 'वयंस भइसेट्टि, महंतो एस लाभो जं गिब-पत्तेहिं रयणाई पाविजंति । ता किं ण तत्थ 12 रयणदीवे गंतुमुजमो कीरइ' त्ति । भद्देण भणियं । 'वयंस, जेत्तिय-मेत्तो कीरइ मणोरहो णवर अस्थ-कामेसु । तत्तिय-मेत्तो पसरह ओहदृइ संधरिजंतो ॥ 16 ता विढत्तं तए महंत अस्थ-संचय, घेत्तण सएसं वश्च । किं च, मुंजसु देसु जहिच्छं सुयगे माणेसु बंधवे कुणसु । उद्धरसु दीण-विहलं दब्वेण इमं वरं कज ॥ ता पहुत्तं तुह इमिणा अत्थेणं' ति । इमं च सोऊण भणियं इमिणा लोहदेवेणं । 'अवि य, 18 जइ होइ णिरारंभो वयंस लच्छीऍ मुच्चइ हरी वि । फुरिओ च्चिय भारंभो लच्छीय य पेसिया दिट्टी। आलिंगियं पि मुंचइ लच्छी पुरिसं ति साहस-विहूर्ण । गोत्त-क्खलण-विलक्खा पिय व्ध दइया ण संदेहो ॥ कंजतर-दिण्ण-मणं पुरिसं गाउं सिरी पलोएड । कुल-बालिया णव-वहू लजाएँ पियं व वक्खित्तं ॥ 4 जो विसमम्मि वि कजे कजारंभ ण मुंचए धीरो । अहिसारिय व्व लच्छी णिवढइ वच्छत्थले तस्स.॥ जो णय-विक्कम-बद्ध लछि काऊण कजमारुहइ । तं चिय पुणो पडिच्छइ पउत्थवइय व्व सा लच्छी॥ काऊण समारंभ कजं सिढिलेइ जो पुणो पच्छा । लच्छी खंडिय-महिल व्व तस्स माण समुन्वहह । 24 इय आरंभ-विहूर्ण पुरिसं णाऊण पुरिस-लच्छीए । उझिजह णीसंकं तूहव-पुरिसो व्व महिलाहिं ॥ तओ वयंस, मणिमो 'पुरिसेण सम्वहा कज-करणेक्क-चावड-हियएण होइयब्वं, जेण सिरीण मुंचइ । ता सम्वहा पयह, रयणदीवं वञ्चामो' त्ति । भद्दसेटिणा भणिय 'वयंस, भ 'जइ पायाले वसिमो महासमुई च लंघिमो जइ वि । मेरुम्मि भारुहामो तद्द वि कयंतो पुलोएह ॥ ता सम्वहा गच्छ तुमं । सिज्झउ जत्ता । अहं पुण ण वञ्चामि' त्ति । तेण भणियं 'कीस तुम ण वचसि । भहसेटिणा भणियं । 'सत्त-हुत्तं जाणवत्तेण समुद्दे पविट्ठो । सत्त-हुत्तं पि मह जाणवतं दलिय । ता णाहं भागी अस्थस्स । तेण भणिमो 30ण वच्चिमो समुई' ति । लोहदेवेण भणियं । ___ 'जइ घडिय विहडिजइ घडियं घडियं पुणो वि विहडेइ । ता घडण-विहडणाहिं होहिइ विहडप्फडो देख्यो॥ तेण वयंस, पुणो वि करियव्वो मायरो, गंतव्वं ते दीवं' ति । तेण भणियं । 'जइ एवं ता एक भणिमो, तुम एत्थ जाणवत्ते 33 भंडवई, अहं पुण मंदभागो त्ति काऊण ण भवामि' त्ति । इमेण य एवं' ति परिवण । 30 2)P तत्थ संगावडिओ णेत्तपट्टाइं. 3) P inter. गओ and अहं, पुरिस, P सुवन्नसमतलं, समतुलं दाऊणागमो. 4) om. गओ, P adds गओ after घेत्तूण, ' एयं for एवं. 5) किमष्णेहिं कीरइ. 6) Jom. जेण. १) दुत्तरो, J रयणदीवं, P चवलाओ वीइएओ, P परियच्छमच्छा. 8) P गिलिणो, P उट्ठाविरा. 9) दुग्गमरयण. 10) P तहा दुक्खेहि विणा, I om. वणिया. '1) P लोभदेवस्स, आगया गेहं. 12) लोहदेवेण, P पावीयंति, किण्ण किन्न. 13) रयणदीवं, P गंतुमुज्जम, I om. त्ति. 14) J जत्तिय, P सचरिज्जतो. 15) P गच्छ for वच्च. 16) नवर for वरं. 17) Pता पुहत्तं. P लोइहदेवेणं, P om. अवि य. 18) P आरंभो रंभो लच्छीअ य. 19) P 'यं विमुच्चइ, P बिहीणं । गोत्तलक्खण, विलक्खो. 20) दाउं for गाउं, J बालिआ णववहु P बालिया व नवबहु, P पिय व वजाक्खितं. 21) विसमं वि, , निववडइ. 22) J लच्छी, P पयच्छइ, P सो for सा. 24)-विहीणं, लच्छीअ. 25) कारणेक, P सिरीए न. 27) P आहरुहामो, P पलोएइ. 28) पुण न वच्चामो. 29) Pinter. पविद्धो & समुदं (for समुदे पविट्ठो), P सत्तउत्तं विदलिय जाणवत्तं मह ।. 30) Pom. ण वञ्चिमो, P समुमि । लोभदे ण. 31) Pहोहीति हडप्फडो दिवो। 32) कोयम्बो आयारो,Jadds तं after गंतवं. Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - $१३२ ] कुवलयमाला ६७ 9 १३१) तो रणदीय-कय- माणसेहिं सजाई जागयताई। किं च करिडं समासे पेप्यंति भंडा उचयरिति । पिजामया, गणिजए दिय ठावियं खगं निरूविनंति णिमित्ताई कीरंति अवईओ, सुरितरह देव, 3 भुंजाविज्जंति बंभणे, पूइज्जति विसिद्वयणे, अच्चिजंति देवए, सज्जिजंति सेयवडे, उभिजंति कूत्रा खंभए, संगहिज्जति सयगे, वदिजेति कटु-संच, भरिजति जल-भाषणे ति एवं कुणमाणानं समागनो सो दिवो तम्मि य दिव कय-मजा सुमण-विलेयण-वस्थालंकारिया दुवे वि जणा सारियणा जाणवतं समारूट चाटिये जागव । तमो 6 पहवाई तुराई, पवादिवाइ संलाई पगीवाई मंगलाई, पति बंभण-कुलाई आसीसा, सुमुझे गुरुवणो दीण-मिणो 6 दहयायणो, हरिस- विष्णो मित्यणो, मणोरह-सुमुहो सजण-जणो ति । तयो एवं च मंगल-इ-सय-जय-जया-सह-गद्दम्भपुरंत - दिसिवहं पयहं जाणवत्तं । तभ पूरिओ सेयवडो, उक्खित्ताइं लंबणाई, चालियाई भावेल्लयाई, णिरूवियं कण्णहारेण, लगी जाणवतं वत्तणीए पचाइओ हिवइच्छिओ पचणो तो जल- तरल-तरंग-रंगत-कहोल माला-हेला-हिंदोलव- 9 परंपरारूढं गंतुं पयत्तं जाणवतं । कहं । कहिंचि मच्छ-पुच्छच्छडाह उच्छलंत-जल-वीई-हिंदोलियं, कहिंचि कुम्म-पट्ठि-संठिउच्छ, कहिंचि वर-करि-मयर-यर-करायद्रिय, कहिंचि वणु-तु-गुणाबज्झतयं, कहिंचि महा-बिसहर- पास संदाणिनंतयं 1 [तुं पयकेण वि कातरेण तम्मि रवण-दीवे मां उचिण्णा वणिया गहियं दंसणीवं दिये राया। कमो 12 पसाओ । वट्टियं सुकं । परियलियं भंड । दिण्णा हत्थ- सण्णा । विक्किणीयं तं । गहियं पडिभंड। दिष्णं दाणं । पडिणियत्ता णियय - कूल- हुतं । पूरिओ सेयवडो । लग्गो हियइच्छिओ पवणो । भागया जाव समुद्द-मज्झ-देसं । तभो चिंतियं णेण 15 लोह - मूढढ-माणसेण लोहदेवेण । 'अहो, पत्तो जहिच्छिओ लाहो, भरियं णाणा-विह-रयणाणं जाणवतं, ता तई पत्तस्स एस 15 मजा भागी होहि ति ताण सुंदरं इमे' ति चिंतयंतस्स राई बुद्धी समुप्पा दे एवं एत्थ पत्त-काल मए काय' ति संठावियं हियएणं । समुट्ठिओ लोहदेवो । भणियं च णेण 'वयंस, पावकखालयं पविसामो, जेण विगणेमो भायव्वयं 18 केत्तियं' ति । तं च सोऊण समुट्ठिओ भद्दसेट्ठी, उवविट्ठो णिज्जूहए । तत्थ इमिणा पावेगं लोह - मूढ-माणसेणं अवलंबिऊण 18 णिक्करुणत्तणं, अवमण्णिऊण दक्खिण्णं, पडिवज्जिऊण कयग्धत्तणं, अणायरिऊण कयण्णुत्तणं, अवियारिऊण कज्जाकर्ज, परिचऊण धमाधम्मं दियं णोहिनो णेण भसेट्ठी तायय वोलीनं जाणवतं । 1 ९ १३२) खगेण य ति-जोयण-मेत्तं वोलीणं । तमो धाहावियं णेण । I धा धा धावह धावह एसो इदं मम मितो पडिओ समुद्र-मझे दुत्तरे मयर-पटरम्म ॥ हा हा पुसो एसो गिल्लियो चिय भीसग मयरेणं हा कत्थ जामि रे रे कहिं जो चेय सो मयरो ॥ 24 एवं अलियमलियं पयमाणस्स उडाइयो लामय छोओ परियणो च तेहिं भणिवं 'हृत्य कर सो य विडिओ' | 24 तेण भणियं । 'इहं णिवडिओ, मयरेण य सो गिलिभो । ता मए वि किं जीयमाणेणं । अहं पि एत्थ णिवडामि' त्ति भणमाणो उद्धाओ समुद्दाभिमुहं महाधुत्तो । गहिओ य महल्लएहिं परियणेण य । तेहिं भणियं । 'एक एस विट्ठो, 27 पुणो तुम पि विणस्सिहिसि इमं तं पचलिए राम भारयं पक्खितं । ता सम्बहा ण कायध्वमेयं । अविव । 21 1 ) P च कीरिउं 2 ) P दियो, Jom. ठावियं लग्गं, P बिलिग्गाई for निमित्ताई 3 > P सीयवडे उब्भिज्जं वि कूवार्थभए. 4 ) P जलसंच, J एवं च कुण, P कुणमाणेणं, Pom. सो, P दियउहो, Poun. य. 5 ) J चलियं. 6 ) P पवाश्यार, P समुहो, Pom. दीणविमणो दइयायणो 7 ) P मियत्तयणो दीणविमणो महिलायणो मणोरहसमुहो, P जयजय-, J गब्भ P गंदम्भ. 8) P om. जाणवतं, P सियवडो, P आवल्लयाई, कण्डभारेण 9 ) P पवाओ, P रंगता, P हिंदोलिय. 10) पुंच्छ, P "हयुच्छलंत जलहिंदोलई, P -संट्ठिउ 11) Pom. करि, P करायट्टियं, P - गुणावत्त ज्झत्तयं, वास for पास. 12) दीवे. 13) P सुंकुं, P विक्कीयं तं गहियं । गहियं तं भंई । 14 ) P पुरिओ, त्रितियं च. 15) P लोहमूढेणं for लोहदेवेण, P पत्तो हियहच्छिओ लाभो मरियं om. णाणाविह 16 ) 17 P संट्ठावियं पविसिमो, वि गणिमो, P विगणोमो आथवयं केत्तिय अज्जियं ति 19 ) P निरुक्करुणत्तणं, P कयग्घणत्तं, J कअणुअन्तणं कयण्णुत्तरं. 20 ) P धम्मं for धम्माधम्मं - 21 ) P तिजोयति जोयण, J धाहाविओ य णेण, P अवि य after भविसति for होहिइ. 3 om. मए. 18 ) Jom. समुट्ठिओ, एत्थ for तत्थ P णेण. 22 ) Jom. one धावह, Pथाह पावह पावह, महं for ममं. 23 ) P आ for हा ( कत्थ), P जासि for जामि, कहं for कहि. 24 ) P उद्धा ई य for उद्घाइओ, Pom. परियणो य, Pom. य. 25 ) Pom. य सो, P जीवमाणेणं. 26 ) P उत्थाओ समुद्धाभिमुद्दो, P पि स for एस. 27 ) P पुणो वि तुमं, पि विणिस्सिहि P पि से विणिसिह सि, Pom. • जं, P तणहारं पक्खित्तं 28 ) P अवि जंमकम्मनिहणे. 29) Jom. च, P संटुविओ इमं च गंतुं, अहो जलरासि, P जत्ति for झत्ति, णिमुग्गो, उ उमुग्गो, P inter. तरंग and तरल, J वीई. तुंग 32 ) Pom. मयर. P सोऊण. 30 ) P निडिओ 31 ) P जलतरलतरंग, P कहिं मारूसह पुरिसाणं इमो णओ एस दुण्णओ व्व कओ । अवि जस्स कम्म-विहे पढमं चिय देव्वणिम्मविए ॥' एवं च भणमाणेहिं संडाविनो इमो गंतुं पयचे ते जाणवतं । सो उण भइसेट्टी इमिणा पाव-हि जिजोखिमो 30 विडिओ महोमुह जरासम्म तथो क्षति णिम्मग्गो, खणेण य उम्मणो तभो जल-तरल-तरंग-बी-लोल-माला- 20 हिंदोळयारूडो हीरिडं पयतो तो कहिंचि जड-तरंग-पग्वालियो, कहिंचि बीई-हेलाल, कहिंचि तुंग-तरंगोयरयग्यिरो महा-मयरेण नासाइनो तभो विषद-दादा करालं महा-मयर-यय-कुतरा पवितो थिय असणं पत्तो / 1 1 21 27 . Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ફ્રૂટ उज्जोयणसूरिविरहया [६ १३२ 1 दुजण-जण हत्थ- गओ बिय णिक्खेवो कइयडाविओ णेणं । तओ अकाम- णिज्जराए जलणिहिम्मि महा-मयर-वयण-कुहर-दाढा - 1 ते मओ तो कत्थनेतून उचवण्यो । मुसुर बहु 1 3 १३३) अस्थि स्वमप्यभाए पुडबीए पढने जोयण-सहस्से तत्थ तराणं भवणाई, तेसु अप्यिविभो रक्खसो : समुप्पण्णी पडतं च मे विभंग णार्ग 'महो, केण उण तवेण वा दाणेण वा सीलेन वा इमा एरिया देव-रिद्री मए पाविव ति जान दि रोग असा मवरेण गिलिये दिहुंच जाणवते जाणिव चणेण 'अरे, इमेने अहं पक्खि पुष • लोह-मूढ माणसे' ति तो चिंतिकण पयतो 'अहो चेच्छ पेच्छ इमस्स दुरावारस्स साहसं न गणिनो निको ति । ण मणिओ उपचारिति ण जाणिलो समय सिण सिंतिये सुकर्षति 1 1 इओपिय-मितो -विनो अणुवगय वच्छलो चि । सव्वहा जो मदद दुगो सजण कह-कह वि जइ तुलग्गेण । सो तक्खणं विरजइ तावेण इलिहि-रागो ब्द ॥' इमं च चिंतयंतस्स उद्धाइओ तस्स कोवाणलो | चिंतियं च णेण । 'अरे इमिणा चिंतियं जहा एयं विणिवाहऊण एको चेय येथे गेहामि । ता कई गेण्हह दुराचारो वहा करेमि जहा ण इमस्स, अण्णस्स हव' सि चितिकण समागमो 12 समुई त किं काढमाढतो । भवि य । 1 उच्छलिभो व जलणिही गाई व तरंग-इत्येहिं ॥ सहस थिय खर-फरसो उद्रावर मारुभो धमधमेंतो तो किं जायं । समोत्थरिया मेहा । उल्लसंति कल्लोला । धमधर्मेति पवणा । उच्छलंति मच्छा । उम्मुग्गवंति कच्छभा । मज्जति 16 मयरा । अंदोलइ जाणवत्तं । भग्गं कुत्राखभयं । णिवडति पत्थरा । उत्थरंति उप्पाया । दीसए विजू । णिवर्डति उक्काओ । 15 गए भीमं । फुट्ट अंबरं । जलइ जलही । सम्वद्दा पलय-काल- भीसणं समुदाइयं महाणत्थं । तभ विसण्णो सत्थवाहो, चिमणो परियणो, असरणो जणो, मूढो णिज्जामय-सत्थो त्ति । तमो को विणारायणस्स थयं पढछ । को वि चंडियाए प भगह को वि हरस्स जसे उवाहपद को वि बंभणा भोयर्ग, को बि माईगं, को वि रविगो, को वि विनायगस्स, 18 18 को विखंदस्ल, को वि जक्खस्स को वि रेमंतस्स को वि बुद्धस्स, अण्णा " , सत्यवाहो उन अदष्णो अ-पड-याउरो धूप-कडच्य-त्यो विष्णवे 21 रक्खसोवा, किम हेहिं कथं पावं, किंवा तुमं कुविभो । सब्वहा दिट्ठो कोवो, संपयं पसायं पेच्छिमो' ति । तभ पछाइओ 21 पल-पवण-सं-मगरहर-भीसो महासदो किलकिलेति घेयाला जयंति ओहणीनो पत्ता विहीसिया संपाया। 27 ताणं चाणंतरं 1 24 मुह - कुहर - विणिग्गडग्गिण्ण-जाला करालाचलंतंत- परभार-पश्चित-गंधुकडं दीह-दंतावली - डक्क-रोवंत-डिंभं सिवाराव- भीमं भउब्वे- 24 वियासेस-सोयं महाबाणी-था-दार्स। विरइय-पर-सीसमालावयं तंडयं णचमाणस्स वेयाणिलुद्धूय संघट्ट- खट्टक्खडाराव- पूरंत मुज्झत-वेयाल - जाला वली-रुद्र-संचारमां नई दीसए 27 केक-माळा -महामास-लदार गिजाबलीए समे सेविये । 30 खर-हर-मदा-पदारापहारि बासेस-त-जंतूरवाराच भीमं महा-हास-संसह गम्भ-पूरेत-बीमच्छ पेच्छं मद्दा- रक्खति । 30 ६ १३४ ) तेण य मुह- कुहर - विणिग्गयग्गि- जालावली - संबलिज्जतक्खरं पलय-जलहर-समेण सणं भणियं । रे रे दुरावार पाव क्रूर-कम्म णिव णिक्करुण, भहसेट्ठि वरायं अणवराहं वावादऊण एवं वीसर्थ पत्चिनो' ति भणमाणेण 33 समुक्खितं दाहिण - दीह-भुया-डंडेणं तं जाणवतं । समुद्धाइभ गयण हुत्तं । तभो तं उप्पइयं जाणवतं केरिसं दीसिउं पयतं । च बहुविहं बहुविहे उवाइय-सहस्से भणइ । पवतो 'भो भो देवो वा दानवो वा जखोवा " पहसिय- सिय- भीम- दीहहहायारम्मि णासंतमचत् दी करं KAV 12 J 1 ) P -जलहस्थ- 2 ) P विश्यं, बहुवेयणिज्जं 3 ) 3 प्पहार, P पढमो, P भवणे. 4 ) 3 विहंगं णाणं, Pom. उण, Pom. वा after तवेण 5 ) P brings एत्थ after इमेणं. 6 ) य पत्तो for पयन्तो. 7 ) P अवयारो for उवयारि, P पियमत्तो. 8 ) P अणवराय. 9 ) P घढइ सज्जणो दुब्जणंमि, " जह for जह, विरहज्जर, इलिंदिराओ, P हलिए 10 ) P उठाओ, कोआणलो. 11 ) P जहा हमस्स, इमस्स न अण्णस्स. 13 ) P उच्छिलिओ. 14 ) P वि after तओ, P समोत्थया, P उम्मगंति, कच्छवा 15) P भग्गर कूया -- 16 ) P पुट्टश् य अंबरं । दलइ जलनिही, P महाअणत्थं. 17 णारायणट्ठस्सयं P नारायण सत्ययं. 18 ) J हणइ for भणर, P उवाएइ, J om. को वि before विणायगस्स P विणागयस्स. 19 ) P रेवंतस्स, P भण्णइ 20 Jom. अदण्णो, P अद्ध for अद्द, P विन्नविडं, Jom. जक्खो वा. 21) P पेच्छामो, Jom. त्ति. 22 ) P पयतो 24 ) चा 25 ) महावाणी 20 वसतं श्रेयानिपात 27 ) बीसवे P चलंतपन्नार P P P ।. 28 ) P हासुच्छलंत व द्वेधयारविणात ' 30 ) P कर for खर, P repeats नहर, P खर्जतजियंतजंपूर, P इद्दा हाससंगम. 31 ) P संच लिज्जतिखरपलय. 33 ) १ भुया दंडेणं, J उप्पइउं P समुप्पश्यं, P अवि य after पयन्तं ।. . Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९१३६ ] 1 पायालयलाओं समुट्ठियं व गयणंगणे समुप्पइयं । असुर-विमाण-सरिच्छं व दीसए जाण वरवत्तं ॥ ताव उप्पद्वयं जाय जोवण-सर्व दुरुत्तरं । तभो रोस-दस सिमिसित हियपूण अच्छोडिये कह दीसितं पयते । अवि । वितरण शिवमुत्ता-सोहिनो चुत वयाधव कला-सेलरस खंड व ॥ 8 तं च तारिसं णिद्दय-असुर-कर-णोलियं णिवडियं । आवडियं विस्थिण्णे महा-समुद्दुच्छंगे तं जाणवतं । अवि य । तहतं यावडियं समुद-मज्झम्मि जाण वरवत्तं । णिवडतं चिय दिहं पुणो ण णायं कहिं पि गयं ॥ कुवलयमाला पेच्छ मणि-निम्मल-गुणतम्मि समुहम्मि कत्थ वि विलीणं । अहुव गुण-भूसियाण वि संबंधो गस्थि जलहिम्मि ॥ तओ पली भंड, मया णिज्जामया, विणट्टों परियणो, चुण्णियं जाणवत्तं । एत्यंतरे एस कह कह वि णासग्ग- पत्त-जीविओ जल-तरंग - बीईए किर भंडवई समुद्देण विवजइत्ति । तेण कह-कह वि तरल-जल- पेलण-घोल - णिन्जोलिजतो वि एक्कम्मि 6 मुसुमूरिय- जाणवत-फलयम्मि विलग्गो । गहिये च गेण तं फखहये। कह 12 कोमल - दइयालिंगणफंस- सुहासाय जाय- सोक्खाहिं । बाहाहिँ तेण फलयं अवगूढं दइय-देहं व ॥ च अवगृहिण समात्यो । चितिये च णेण 'अहो, । / ६९ जं जं करेंति पावं पुरिसा पुरिसाण मोह-मूढ-मणा । तं तं सहस्स-गुणियं ताणं देवो पणामेइ ॥ More कत्थ समुद्दे विणिवाइओ भद्दसेठ्ठी, कत्थ व समुदाइओ रक्उस रूवी कर्यतो । ता संपयं ण याणामि किं पावियन्वं' ति चिंतयंतो जल- तरल-तरंगावली- हेला-हिंदोलय- मालारूढो फलहए हीरिडं पयत्तो । ता कहिंचि मच्छ-पुच्छ-च्छडा छोडियो, 15 कर्हिचि] पक्ष-गद्य-संकिओ, कहिंचि तय-तंतु-संजमतो, कहिंचि धवल-संखडाली-विलुलितओ, कहिंचि घण-विद्दुम- 15 दुम-व-विमुतो, कहिंचि विसहर-विस-दुयास-संतावितो, कहिंचि महाकमद- तिक्ख-खाली हो। 3 9 | 1 १३५) एवं च महाभीमे जलणिहिम्मि असरणो अबको अमाणो उज्झिय-जीवियन्त्रो जहा भविस्स-दिष्ण-हियभो 18 सतहिं राईदिएहिं वारदीवं णाम दीर्घ तत्थ लग्यो आसयो सीयले समुद्र-वेळा पवगेणं समुट्टो जान दि पोए 18 तावय गहिओ कसिण- छत्रीहिं रत-पिंगल-लोयहिं बहु मूहिं जम दूय-संगिहेहिं पुरिसेहिं इमेण भणिय किं मर्म गेह' । तेहिं भणियं । 'धीरो होहि, अम्हाणं एस णिओओ । जं को वि एरिसो गेहूं णेऊण मज्जिय- जिमिओ कीरह' ति । 21 एवं भणमाणेहिं णीओ मियय-घरं, भब्भंगिओ मज्जिओ जिमिओ जहिच्छं । उवविट्ठो आसणे समासत्यो । तओ चिंतियं च णेण । 21 'अहो अकारण- वच्छलो लोओ एत्थ दीवे । किं वा अहं सभग्गो त्ति चिंतयंतो च्चिय सहसा उद्धाविएहिं बढो । पच्छा बहुपुरिसेहिं धिय मासलेस पसे छिंदि समादतो मासं च चढचडस्स बढए टिपणं मार्स, पडिच्छियं रुहिरं वियणा24 उरो य एसो चलचल - पेल्लणयं कुणमाणो विलित्तो केण वि ओसह दव्व-जोएणं, उवसंता वेयणा, रूढं अंग ति । एत्यंतर म्मि पुच्छिर्य 24 घासवेण महामंतिणा भगवं धम्मगंदणो । 'भगवं, अह तेण महामासेण रुहिरेण य किं कुर्णति ते पुरिस'ति । भणिय च भगवया धम्मनंददेगे । 'अत्यि समुदोवर-चारी अग्गियओ णाम महाविडो को ऊरुग संदाणी लाउले पाविजइति । 27 तस्स परिक्खा मधुसित्थयं गंधरोहयं च मत्थए कीरइ । तभ तं पगलइ । तं च गेहिऊण ते पुरिसा महारुहिरेण महामंसेण 27 विसेण य चारैति । तत्र एको सो महाविडो सुधं सहस्रसंसेण पाविण हेमं कुणइ सि । तेण भो महामंति, तेहिं पुरिसेहिं सो गहिओ । तओ पुणो वि भक्ख भोज-खज्ज-सएहिं संवडियं तस्स मासं जाव छम्मासे । पुणो पुणो उक्कत्तिय मंसं रुहिरं च 30 गालियं । वेयणतो पुणो वि विलित्तो भोसह दव्वेहिं । पुणो चि सत्थो जाओ त्ति । एवं च छम्मा छम्मासे उक्कत्तिय-मास- 30 खंडो बियलिय रुहिरो अद्वि-सेसो महादुक्ख समुद्र-मज्गलो वारस संवछराई वसिओो । 12 (१३६) अह अण्णम्मि दियहे उकत्तिय देहेण चिंतियं अगेण लोहदेवेण । 'असरणो एस अहं णत्थि मे मोक्खो । ता 83 सुंदरं होइ, जइ मह मरणेण वि इमस्ल दुक्खस्स होज वीसामो' त्ति । चिंतयंतेण पुलइयं णेण गयणयलं जाव विट्ठो 33 2) P उप्पइउं, J सिमिसिमिसिमेंत सिमित, J कई अ दीसिउं 3 ) P -सोहिउं ऊलं । धूयंत, खण्डव्व, P च for व, 4) गिद्द सुरकर, P करु for कर. 5 ) inter. तं & तह, P कर्हि चि. 7 ) P रुंड for भंड. 8) P वीचीए, P भंडव्य तीएस समुद्देण, P पेच्छणुबालनिब्बोलि 10 ) सुहापाप, P जाई for जाय, दलयं for फलयं, P अवरूढं, Pinter. देह and दयं. 11 ) J अवऊहिऊण, P समासत्येण. 12) P करंति, ए देवो पणासेई. 13 ) Jom. व P संपयं न याणिमो पा किं. 14 ) तरंगा ओपनविदुम eto. (portion from below) संतावित दिपमा अरू फलहओ, JP च्छडाच्छोडिओ. 15 ) P कहिं पक्कणक्क, P-तंत. 16 ) P - सलिहिज्जंतओ. 17 ) P जी वियन्वओ भविस्स. 18 > P रायंदिएहिं, P-वेला वणेग. 19 ) Pom. य, J कसण, J वहुद्ध (१) P बद्ध for बहुद्ध (emended ), P सन्निहिं. 20 ) P कोइ for को वि, P मजिओ for मज्जिय. 21 ) P अभिगिय जिमिउं, P उविविट्ठो आसगो, Jom. च. 22) सरुग्गो, P बाहु for बहु. 23 ) P बघेऊण मांसले, P समाढत्ता, Pom. च, J चदुए P वहुए, P मंसं पडिच्छयं. 24 ) Pom. य, P चलु चलवेलणं कुणमाणो. 25 ) P वासवमहारौं, Jom. भगवं before अह, P -मंसेण, Pom. ते. 26 ) P विडो जरुगोजरसं ठाणो. 27 ) P तत्थ for तस्स, P गंधरोह, Pom. तओ. 28 ) P चारंति, सोम for सो, P सुंच for सुव्वं, ए कुर्णति । 29 ) Pom. तओ, P भोजएहिं मंसं, Jom one पुणो, मार्स 30 ) Jom. पुणो, P इन्वेणं ।, Pom. त्ति, Jom. च, मांसं खंतो. 31 ) P वसिउं । 32 ) P अहो अन्नंमि, पेण for अणेग, P एत्थ for एस, मो for मे. 33 ) Prepeats सुंदरं, चिंतियंते . . Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७० उज्जोयणसूरिविरइया [६१३६1 रुहिर-मास-गंधायड्लिो उवरि भममाणो भारंड-महापक्खी। तं च दट्टण आउलमाउले परियणे णिक्खतो बाहिं आयास-तले । दिवो य तक्खणुक्कत्तिय-वहंत-रुहिर-णिवहो भारंड-महापक्खिणा, झड ति णिवडिऊण गहिओ। हा-हा-रव-सद्द-गम्भिणस्स परियणस्स समुद्धाइओ पुरओ चिय गयणंगण-हुत्त । तमो णिसियासि-सामलेणं गयण-मग्गेणं पहाइओ पुव्वुत्तर-दिसा- 3 विभाय । तत्थ किं काउमारद्धो । अवि य । पियइ खणं रुहिरोहं लुपइ मासं पुणो खण पक्खी। भजइ भट्ठिय-णिवह खणं खणं घट्टए मम्मं ॥ 6 एवं च विलुप्पमाणो जाव गओ समुहुच्छंगे ताव दिट्ठो अण्ण भारंड-पक्खिणा । तं च दट्टण समुद्धाइओ तस्स हुतं । 8 सो य पलाइउं पयत्तो । पलायमाणो य पत्तो पच्छा पहाइएणं महापक्खिणा । तो संपलग्गं जुद्धं । णिहर-चंचु-पहर-खरणहर-मुह-वियारणेहि य जुज्झमाणाणं चुको चंचु-पुडाओ। तो णिवडिउं पयत्तो। । णिटुर-चंचु-पहारावडंत-संजाय-जीय-संदेहो । मासासिमो पडतो गयणवहे सीय-पवणेण ॥ णिवडिभो य धस त्ति समुद्द-जले । तओ तम्मि अहिणवुक्कत्तिय-मेत्ते देहे णिहय-चंचु-पहर-परद्धे य तं समुह-सलिलं कह। डहि पयर्स । अविय। 12 जह जह लग्गइ सलिलं तह तह णिमयं बहइ अंग । दुजण-दुव्वयण-विसं सजण-हियए ब्व संपत्त ॥ तो इमो तम्मि सलिले भणोरपारे डझंतो जलेणं, खजतो जलयरेहिं, जल-तरंग-वीई-हत्थेहिं व णोलिज्ज-माणो समुद्देणावि मित्त-वह महापाव-कलुसिय-हियओ इव णिच्छुभंतो पत्तो के पि कूलं । तत्थ य खण-मेत्तं सीयल-समुह-पवण-पहओ ईसि समूससिओ। णिरूवियं च णेणं कह-कह वि जाव पेच्छह के पि वेला-वणं । तं च केरिसं। एला-लवंग-पायव-कुसुम-भरोणमिय-रुद्ध-संचारं । कप्पूर-पूर-पसरंत-बहल-मयरंद-गंध९॥ चंदण-लयाहरेसुं किंणर-विलयाओ तत्थ गायति । साहीण-पिययमाओं वि अणिमित्तुक्कंठ-णडियाओ॥ 18 कयली-वणेसु जत्थ य समुह-मिउ-पवण-हल्लिर-दलेसु । वीसंभ-णिमीलच्छा कणय-मया णिच्च-संणिहिया ॥ ६१३७) तस्स य काणणस्स विणिग्गएण बहु-पिक-फल-भर-विविह-सुरमि-कुसुम-मासल-मयरंद-वाहिणा पवणेण समासासिओ समुट्टिओ समुद्द-तडाभो परिभमिउमाढत्तो तम्मि य काणणे । तओ करयल-दलिय-चंदण-किसलय-रसेण विलित21मणेणं अंग। कयाहारो य संवुत्तो पिक-सुरहि-सुलह-साउ-फलेहिं । दिट्ठो य गेण परिभममाणेणं काणणस्स मज्झ-देसे महंतो । वड-पारोहो । तत्थ गओ जाव पेच्छइ मरगय-मणि-कोट्टिमयलं णाणाविह-कुसुम-णियर-रेहिरं सरय-समए विय बहुल-पओसे णहंगणं । तं च पेच्छिऊण चिंतियं अणेणं । 'अहो, एवं किर सुब्वइ सत्थेसु जहा देवा सग्गे णिवसंति, ताण ते सुंदरासुंदर94 विसेस-जाणया । अण्णहा इमं पएसं तेलोक-सुंदरं परिच्चइडं ण सग्गे णिवसंति'। चिंतयंतो उवविट्ठो तम्मि वड-पायव-सले ५ त्ति । तस्थ णिसणेण य देव-णाम-कित्तणालद्ध-सण्णा-विण्णाणेणं चिंतियमणेणं लोहदेवेणं । 'अहो, अस्थि को विधम्मो जेण देवा देव-लोएसु परिवसंति दिन्व-संभोग त्ति । भत्थि य किं पि पावं जेण णरए णेरड्या अम्ह दुक्खाओ वि अहियं दुक्खमुवहति । ता किं पुण मए जीवमाणेण पुण्णं वा पावं वा कय जेण इमं दुक्खं पत्तो' ति चिंतयंतस्स हियए लग्गो सहस सि 27 तिक्ख-सर-सल्लं पिव भइसेही । तो चिंति पयत्तो। 'अहो, ___ अम्हारिसाण किं जीविएण पिय-मित्त-णिहण-तुट्ठाण । जेण कयग्घेण मए भद्दो णिहण समुवणीभो॥ 30 ता धिरत्थु मम जीविएणं । ता संपर्य किं पि तारिसं करेमि, जेण पिय-मित्त-वह-कलुसिय अत्ताणय तित्थत्थाणम्मि वावाएमि, 30 जेण सव्वं सुज्झइत्ति चिंतयंतो णिवण्णो । तओ सुरहि-कुसुम-मयरंद-बहल-परिमलुग्गार-वाहिणा ममासासिज्जतो सिसिरजलहि-जल-तरंग-रंगावली-विक्खिप्पमाण-जल-लव-जडेणं दक्खिणाणिलेणं तहिं चेय पसुत्तो बड-पायव-तलम्मि । खण-मेत्तस्स 33 य विबुद्धो ईसि विभासिज्जत-खर-महुर-सुहुमेण सरेणं । दिण्णं च णेण सविसेसं कण । 83 1) Pउवरि कमनाणो भारुड, आयासअले IP-तले या. 2) तक्खणकत्तियः, P भारुड, Jinter. महा and भारंड, झस P ज्झड. 3)P गयणांगण-, Pom. पहाइओ, P दिसाभायं. 5) खणं घोट्टए रुहिरं ॥. 6) J विलुपमाणो, P समुद्दच्छंगो ताव दिट्ठो समुद्च्छं गे ताव दिट्ठो अनेन भारुड, P सपुट्ठाई तस्स- 7) Pसंलग्गं, P -पहार-. 8) Pकुहर for मुह, P निवडियं. 9)P.प्पहारा', धुयधरिय for संजाय, P गयणयले सीय-, सीयल-. 10) Pom. तओ, P अहिणवकत्तियः, P नियं, P परद्धेयं, P सलिलं अह दहिउं. 12) Pदहर, P-हिययं व। 13)P अणोर पारो, P पुणो लिज्जfor व णोलिज', समुहोणावि वित्तवह. 14) कलुसिओ इव, P निम्भच्छतो, Pईसी. 17)Pसीहीण, अणुस्सुत्तुकंठ- P अणमित्तकण्ण. 18) P कणेसु for षणेसु, कणयमाया. 19) बहुरपिक्कफलहर, P -सुरहि, मासमयरंददाहिणपवणेण. 20) Pसमुदिओ, करयलयदलियः, P विलित्तमाणेणं. 21) कयामारो, P -प्फलेहिं । JP वणेण for य णेण, Pपरिम्भम. 22) वडयारोहो, P कोहिमयले, P-नियरहिरं, विआ for वियः 23)णेण for अणेणं, P किर after जहा, P निवसति, Pinter. ते and ण. 24)P विस for विसेस, JP परिचइऊण. 25)णिसुण्णेण, दतियमप्पेण, P धमो for धम्मो. 26) P -सभोगो, P नारइया । अहं दुक्खाओ. 27)Pसंपतो for पत्तो, सहस्स for सहस. 28) चिंतियं for चितिउं. 30) Pom. पि, Pom. अत्ताणयं, P अत्थत्थाणमि. 31) Pom. ति, ताओ tor तओ. P-कुसुमयरद- 32) Pom. जलहि, P तरंगारंगा', Pतरेणं for जड़ेणं. 33) Pom. य,P विभाविज्जतखरमुहुर, Padda ताणयंति before दिन्नं च. Jom, ण, Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१३९] कुवलयमाला ७१ 1 ६१३८) आयण्णिऊण य चिंतियं ण । 'अरे, कयरीए उण भासाए एयं उल्लवियइ केणावि किं पि । हूं, अरे सक्कय 1 ताव ण होइ । जेण तं अणेय-पय-समास-णिवाओवसम्ग-विभत्ति-लिंग-परियप्पणा-कुवियप्प-सय-दुग्गमं दुज्जण-हिययं पिव उतिसमं । इमं पुण ण एरिसं । ता किं पाययं होज्ज । हूं, ते पि णो, जेण तं सयल-कला-कलाव-माला कल्लोल-संकुलं ३ लोय-वुत्तंत-महोयहि-महापुरिस-महणुग्गयामय-णीसंद-बिंदु-संदोहं संघडिय-एकेक्कम-वण्ण-पय-णाणारूव-विस्यणा-सह सज्जणवयणं पिव सुह-संगयं । एयं पुण ण सुटू । ता किं पुण अवहंसं होहिइ । हूं, तं पि णो, जेण सक्य-पायओभय-सुद्धा8 सुद्ध-पय-सम-विसम-तरंग-रंगत-वग्गिरं णव-पाउस-जलय-पवाह-पूर-पव्वालिय-गिरि-गइ-सरिसं सम-विसमं पणय-कुविय-पिय- 6 पणइणी-समुल्लाव-सरिसं मनोहरं । एवं पुण ण सुट्ठ । किं पुण होहिइ ति चिंतयंतेण पुगो समायपि। अरे, अस्थि चउत्था भासा पेसाया, ता सा इमा होहि ति । एत्थ वड-पायवोयरे पिसायाण उल्लाबो होहह' ति। 9 ६१३९) 'ता पुण को इमाणं समुल्लावो वट्टइ' ति चिंतयतो ट्रिओ । भणियमण्णेण पिसाएण णियय-भासाए। 'भो एतं तए लप्पिय्यते यथा तुन्भेहिं एतं पव्वय-नती-तीर-रम्म-वन-काननुय्यान-पुर-नकर-पत्तन-सत-संकुलं पुथवी-मंडलं भममानकेहिं कतरो पतेसो रमनिय्यो निरिक्खितो ति। एत्वं किं लपियं । तं अभिनवुब्भिन्न-नव-चूत-मंजरी-कुसु12 मोतर-लीन-पवन-संचालित-मंदमदंदोलमानमुपांत-पातपंतरल-साखा-संघट्ट-वित्तासित-छच्चरन-रनरनायमान-तनुतर-पक्ख- 12 संतति-विघटनुद्धत-विचरमान-रजो-चुन्न-भिन्न-हितपक-विगलमान-विमानित-मानिनी-सयंगाह-गहित-विय्याथर-रमनो विय्या थरोपवनाभोगो रमनिय्यो' त्ति । अण्णेण भणियं । 'नहि नहि कामचार-विचरमान-सुर-कामिनी-निगिय्यमान-दइत-गोत्त 15 कित्तनुल्लसंत-रोमंच-सेत-सलिल-पज्झरंत-पातालंतरक-रत्तुप्पल-चित्त-पिथुल-कनक-सिलंतलो तितस-गिरिवरो पव्वत-राजो 15 रमनिय्यतरो' ति । अण्ण भणियं । कथमेतं लपितं सुलपितं भोति । विविथ-कप्पतरु-लता-निबद्ध-दोलक-समारूढ सुर-सिद्ध-विय्याथर-कंत-कामिनी-जनंदोलमान-गीत-रवाकन्नन-सुख-निब्भर-पसुत्त-कनक-मिक-युगलको नंदनवनाभोगो रमनि18 य्यतरो' त्ति । अवरेण भणियं । 'यति न जानसि रमनिय्यारमनिय्यानं विसेसं, ता सुनेसु । उद्दाम-संचरंत-तिनयन-वसभ- 18 ढेकंता-रवुप्पित्थ-बुझंत-गोरी-पंचानन-रोस वस-वितिन्न-विक्कम-निपात-पातित-तुंग-तुहिन-सित-सिसिर-सिला-सिखरो हिमवतो रमनीयतमो' त्ति । अण्ण भणियं । 'नहि नहि वेला-तरंग-रंगत-सलिल-वेवुद्धत-सिसिर-मारुत-विकिरिय्यमानेला-लवक21 ककोलक-कुसुम-बहल-मकरंदामुतित-मथुकर-कलकलारावुग्गिय्यपमानेकेक्कम-पातप-कुसुम-भरो इमो य्येव वेला-वनाभोगो । रमनिय्यतमो' त्ति । अवरेण भणिय । 'अरे, किं इमकेहिं सव्वेहिं य्येव रामनीयकेहिं । यं परम-रमनीयकं तं न उल्लपथ तुम्भे । सग्गावतार-समनंतर-पतिच्छित-नव-तिभाग-नयन-जटा-कटापोतर-निवास-ससि-कला-निद्धतामत-निवह-मथुर-धवल24 तरंग-रंगावली-वाहिनि पि भगवति भगीरथि उजिझऊन जम्मि पापक-सत-दुटुप्पमो पि, किंबहुना मित्त-वथ-कतानि पि 24 पातकानि सिन्नान-मेत्तकेनं येव सत-सकरानि पनस्संति । ता स च्चेय रमनीया सुरनति' त्ति । तओ सम्बेहिं भणियं । 'यदि एवं ता पयट्टथ तहिं चेय वच्चामो' त्ति भगमाणा उप्पइया धोय-खग्ग-णिम्मलं गयणयलं पिसाय त्ति । इमस्स वि णरणाह, भहियवए जहा दिवाण पि पूयणीया सम्व-पावहारी भगवई सुरसरिया तम्मि चेय वच्चामो जेण मित्त-वह-कलुसियं अत्ताणयं 27 1) Pom. य, P तेण for णेण, J कयलीए, P अणु for उण, P उल्लवीय त्ति केण वि, P९.2) Pतम अ, Pसमासनिवाओवसयविभक्तिः . 3)Jom. ण, पाय for पाययं, P-सकुला. 4) P भहोयही, Pमुहणुग्गया. P संदोह संघ, J संघडिए एके, P-वनपायनाणारूव, P सुहं for सह. 5) P वर्ण for वयणं, किं अवहंस, P अवभंसं होहिई । हुं, P adds त before सक्कय. 6) Jom. विसम, जलयर (butr perhaps struck off), P जलरय for जलय, P पणयकुवियं शिव पण. 7)P तहा for सुट्ट, P सम्मायनियं. 8) P वडपायवे, P om. होहइ त्ति । ता पुण को इमाणं समुल्लावो. 10) एयं for एतं, P लपिप्पते, I om. एतं, J -गणती, P नदी for नती, P om. तीर, Pरम, J वण P चन, P कानतुप्पान, J नकरपत्तदसत्तः, P पुत्तन for पत्तन, J मण्डलं. 11) के किं for केहि, J निरिक्खित्तो P तिरिक्खिदो, लप्पिज्जते for लपिय्यं, P om. तं, P om. नव, भूतपंजरी. 12) -लीणः, J adds पवनसंचालित on the margin which is omitted in P.J'दोलमानामुपात्तयातरुसंघट्ट P'दोलमानन्नवपातपं, तरु for तरल, J om. साखा, P संघचचित्तासित्तच्छच्च'. 13)J-संतती, P विघटनु, JP चुपण, भिण्ण, P भिन्नाहतपंकावि', विय्याधरों'. 14)P रमनिज्जो, P अन्नण, J भणिअं, P कामकामचारविचारमान, P-निच्चमानउदितगोत्त. 15) Pरोमंचा, सेय for सेत, पजरंत, पायालंतरक पातालनका, Pचिन for चित्त, P सिलातले. 16)J रमनिय्यातरो रमनिज्जतरो, P अण्णेण्ण, J भणि, P om. लषितं, पति for ति (in भोति), P विविधः, Jadds तर before लता. 17)P विज्जाधर, 'कन्नाना-, Jणिन्भर, युगलके नंदनो बना"J रमनिय्योतरो रमनिज्जतरो. 18) भणिअं, Pरमनिज्जारमनिज्जाना तासु तेसु विसेसं उद्दाम- 19) Jढेता टेकता, J पंचाननं,J वास for रोस, वितिण्ण P वित्तिन, P-पतित, Jom. सिला, हेमतों रमणीयतमो P हिमवंतो नामनीयतमो. 20) P अन्नण, J भणिअं, लेवुट्टत, P विरूत, मारु for मारुत, P विकरिप्पमानेला लवंग. 21) बहुलमकरंदमतितमधुकराकलाकलाराबुगिप्पमाने, मथुकरतलकलाराबुग्गिय्यमानेकेरूपातकुसुम-22) रमनिय्योतमो रमनिज्जतमो, Pइमं कहिं,Jom. सम्यहि, Pप्पेव for य्येव. 23)P पतीच्छितनभनवः, J भट्टा for जटा, कटाघात for कटापोतर, निहतामननिवह, P मधुर. 24) तरंगा, वाहिनी भगवति भागीरथि P वाहनि पि भगवती भगीरथी उज्झितुन जमि, P रुद्धपसो for दुट्टप्पमो, P कांतानि for कतानि-25) सिज्जानमेत्तकेनं P सिशानमेत्तकेनप्पेवासत, I पतस्संति, P सब्वे य रम्मयासुरतत्ती त्ति, सम्वेहि वि भणियं, जद for यदि. 26) खगनिम्मलं, JP नरनाह. 27) J पृअणीयावहारी, P पूयणीया। सम्वपावहरी भगवती,J adds ता before तम्मि, तामि for तम्मि. Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ उज्जोयणसूरिविरइया [६ १३९ 1 जलियं 1 सोहेमो त्ति चिंतयंतो समुट्ठिओ सुरणई-संमुहो । तओ कमेण आगच्छमाणो इह संपतो, उवविट्ठो य इमम्मि जण संकुले 1 समवसरणेति । इमं च सयल वृत्ततं भगवया साहियं णिसामिऊण लज्जा- हरिस-विसाय-विमुहिज्जतो समुद्रओ विडिओ 3 य भगवओ धम्मणंदणस्स चलण-जुवलए । भणियं च णेण । 'जे एवं ते कहिये भगवे सच्चे पि से वह श्रेय ता भगवे दे अपत्य मधुं किं च वाह काय (१४०) भणियं च गुरुणा धम्मणंदणेणं । 'जलगोड सरीरं जलं पितं चेय वर सोहे देवापिया पुणकसि विरइर्ष पुरा कम्मे एत्थ वर-जस तिल-तुममे पिते अथि ॥ किंवा सुरसरिय थिय महवा अपि पछि ॥ 1 अंगडिया मंजद गिरी विजय निवदियाण ॥ ते परतवेण तप्पड़ णियसा सम्मत-ते ॥ ता उज्झिऊण लोहं होसु विणीओ गुरूण सय-कालं । कुणसु य वेयावचं सज्झाए होसु अहिउत्तो ॥ खेती सुचितं उगीच कुमसुता उगी बिगई परिहर धीरो बिची-खेव कुसु ॥ पालकण वयाई पंच-महासद-पडम- गरुबाई गुरुयण दिद्वेष तथो अणवपुर्ण सुबसु देहं ॥ जण जरा ण म ण वाहिणो जे सम्य-दुखाई सासव-सिव-मुद रोक् अहरा मोव पि पाविहिसि ॥" इमं च णिलामिऊण पहरिस-वियस माण-वयगेण भणियं लोहदेवेणं । 'भगवं जइ वा जोग्गो इमस्स राय-संगमरस ता देसु मिचय मम पार्थ परिसुजाण करणं ॥ 15 भगवया वि धम्मर्णदण पायडियस सुइरे बाद - जलोलिया मइल-गंडा एवं चाणासाउण उवसंत-कसान पावलोव ति ॥ ७ ॥ 18 9 12 बसंत-तिब्वको सामण्यं तेण से दिव्यं ॥ 27 "जो एस तुज्झ दूरे दाहिण-देसम्भि वासवस्स भवे । ण सुणइ भणियं वयणं सुयं वि सम्मं ण-याणाइ ॥ पुरभवद्रिय-कज्जंण पेच्छइ किं पि मउलियच्छीओ। जूय-जिओ जूययरो व ओ अह किं पि चिंतेइ ॥ लेप्पमइउ थ्व धडिओ बाहिर-दीसंत सुंदरावयवो । कजाकज्ज-वियारण विमुद्दो थाणु व्व एस ठिओ ॥ जो सो सुव्वइ मोहो तं च सरूयेण पेक्ख णरणाह । एएण मोह-मूढेण जं कयं तं णिसामेह ॥ १४२) पयासो कोसल-राह-पुत्त-गोको कोसल-जो जाणं कोसल-जन-विह-पूरंतो ॥ जहिं च सूया सालीभो कुटुंबिणीओ व सवाणिय गामाई तंबोल चालाउ वया-मुराई राई च असणसंकुलई वणई भोजई च, दियवराराहिट्टियओ सालीओ वाविओ य, सद्दलई तरु- सिहरई सीमंतरई च, धम्म-मदासा हणुज्जुवा 33 जुवाणा महामुनिंदा यत्ति । अवि य । 30 1 १४) मणि च पुणो वि गुरुगा धम्मणंदणेण । 'मोहो कज्ज-विणासो मोहो मित्तं पणासए खिष्पं । मोहो सुगई रुंभइ मोहो सन्यं विणासह ॥ अविथ मोह-मूद-मगो पुरियो अपि कुछ कर पण कुछ भगमे पि वच्च गम्य पिण बरच, अभवखं पि 21 असइ भक्खं पि णासह, अपेयं पि पियद्द पेयं पि ण पियइ, सव्वहा हियं पि णायरइ अहिये पि भायरइ ति । अवि य । 21 साठवण-उच्छु कलिए तम्म य देसम्म महिषलए अथ पुरी पोराना पवरा पर चक दुघा ॥ तहिं च तुंगई धवलद्दरई ण गुरुयण-पणामहं च दीहरई गम्मागम्म-हियाहिय-भक्खाभक्खाण जस्स ण विवेगो । बालस्स व तस्स वसं मोहस्स ण साहुणो जंति ॥ जेण, भाप कुण भजे जण मारे पेच्छ ईसाए मोद-विमोहय-चित्तो परवर एसो जदा पुरिसो ॥' 24 [भणियं च णरवणा 'भयवं बहु-पुरिस संकुलाए परिसाए - वाणिमो को वि एस पुरियो' ति भणियं च गुरुणा धम्म- 24 पेम्माबंधदं ण कोवारंभई, बैंक -बिवंकइं कामिणी-केस 8 6 12 2 Jसरण त्ति, 5 ) Pom. च. 15 1) P सुरनई, जओ for संमुहो, P इहं, Jom. जग. णिवडिओ. 3 ) P जुवलये. 4 ) 3 या for ते ( after 4 ) 3) जु विनडियाण8 ) Padds जीवेण बहुं before घग, P जतेगं ॥ कासगं, P विगई, रो विरो वित्ती 11 ) P पउमगुरुबाई, ण जरा etc, पावेसि 13 ) P भणियं च लोभदेवेणं. 16 ) 3 जलोलि - P जलोयालि, P उवसंतं तिब्बलोहो त्ति सा, P सो for से. 17) P repeats पव्वाविओ, ति ॥ छ ॥ प्रव्रजितो लोभदेवः चतुर्थो धर्मनंदनाचार्येण । भाजयं eto. 18) P om. fq. 19) P सयल", P विसया for विसाय, Pom. 7 ) P दहर, P कोहोi for सोहेइ, P नवरं 9) गुरु अणस्स सवकालं, अभियुक्त्तो. 10 P खंतीय, अगसरणं. 12 ) तओ तत्थ जत्थ for the first line जत्थ P सुगई. 20 ) Jom. कज्जं पिण कुगइ. 21 ) P असई, Pनासेई, Pinterchanges the places of पेयं and अपेयं, उणा पियर, पि णायरइति । Pom. त्ति. 22 ) P विवेओ 23 ) पिइच्छर जणयं पेच्छर सार. 24 ) Po. धम्मणंदणेणं. 26) Jom, three verses जो एस तुज्झ eto. to थाणु व्व एस ठिओ ॥ 27 ) P पूरओ बेट्ठियं, [ पेच्छई or मउलियअ च्छीओ ] P अह किं किं 29 ) P सु for सो, विसामेहि 31 ) ससून आओ, P व for य. 32 ) P राहिष्ट्रिय ओ P P सालाओ, Ja for य, १ अन्वा for य, P साइणजुवाणमहा 33 ). Pom. जुवाणा, मुर्गिद च त्ति, P मुर्गिद न सि. 35 ) P तुंगाई, Jom. च, Pom. ण कोवारं ६ बैंक for वंकविवं कई कामिणि, केसद (६१) मरई 18 27 30 33 . Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१४३] कुवलयमाला 1 टमरइं ण चरियइं, थिरो पीइ-पसाओ ण माण-बंधो, दीहरई कामिणी-लोयणई ण खल-संगई ति । अवि कामिणियण-मुहयंद-चंदिमा-दुमिय-तुंग-धवलहरा । पढम-पुरी पोराणा पयडा अह कोसला णाम ॥ ३ तम्मि य पुरवरीए कोसलो णाम राया, जो चंडो, चंड-सासणो, विणय-पगिमइय-सामंतो, सामंत-पणय-चलणो, चलण-3 चलंताचालिय-महिवीढो, महिवीढ-णिवजियासेस-महिहरो बजहरो ब्व । अवि य जस्स संभम-पलाण-वण-मज्झ-रोइरे तुरिय-भीय-विमणाहिं । रिउ-पणइणीहि लीवे मूयलिजंति णामेण ॥ 8 सो य राया कोसलो सामण्गेण उडुडो वि पारदारियाणं विसेसओ चंडो। अह तस्स पुत्तो विजा-विण्णाण-गुणातिहि- 8 दाण-विक्कम-णीह-रूव-जोव्वण-विलास-लास-णिब्भरो तोसलो णाम अणिवारिओ वियरइ णियय-णयरीए । वियरमाणो य संपत्तो एक्कस्स महाणयर-सेटुिणो धवलहर-समीवं । तत्थ य गच्छमागेण दिटुं जाल-गवक्ख-विवरंतरेण जलहर-विवर-विणिग्गयं पिव ससि-बिंब वयण-कमलं कीय वि बालियाए । तओ पेसिया णेण कुवलय-दल-दीहरा दिठी रायउत्तेण। तीए वि . धवलायंबिर-रेहिर-कज्जल-कसणुजला वियसमाणी । पेसविया णिय-दिट्ठी माला इव कसण-कमलाण ॥ एत्यंतरम्मि सहसा परदारालोव-जणिय-कोवेण । पंच सरा पंचसरेण तस्स हिययम्मि पक्खित्ता ॥ 18 तओ णिहय-सर-णियर-पहर-वियणा-विमुहेण परिमलिय वच्छयलं दाहिण-हत्थेणं । वामेण य अणभिलक्ख उद्धीकया तजणी- 12 अंगुलि त्ति राय-तणएणं । तीए य दाहिण-हत्थेणं दंसिया खग्ग-वत्तणी । रओ रायउत्तो गंतुं पयतो। चिंतियं च णेणं । 'अहो, रूवाणुरूवं इमीए वणिय-दुहियाए वियड्डत्तण' । चिंतयंतो संपत्तो णियय-धवलहरं । तत्थ य तीए वेयड-रूव-गुण18विण्णाण-विलासावहरिय-माणसो तीए संगमोवायं चिंतिउं समाढत्तो । 16 ताव य कुसुभ-णिग्गयय-राय-रत्तंबरो रवी रुइरो । णव-वर-सरिसो रेहइ सेवंतो वारुणिं णवरं ॥ वारुणि-संग-पमत्तो पल्हथिय-रुहर-कमल-वर-चसओ । भत्थइरि-पीढयाओ रवी समुद्दम्मि कह पडिओ ॥ ताव य, 18 सुपुरिस-पयाव-वियले कुपुरिस-जण-दिण्ण-पयड-पसरम्मि । कलि-जुय-समे पोसे खल ब्व पसरंति तम-णिवहा ॥ 18 १४३) तओ जामिणी-महामहिला-गवलंजण-भमर-कसिण-दीह-विस्थिण्ण-चिहुर-धम्मेल्ल-विरल्लणावडंत-पयड-तारासिय-मलिया-कुसुमोवयार-सिरि-सोहिए गयणंगणे बहले रामंधयारे चिंतियं रायउत्तण । 1 राई बहलं च तम विसमा पंथा य जाव चिंतेमि । ताव वरं चितिजउ दुक्खेण विणा सुहं णस्थि ॥ त्ति चिंतयंतो समुढिओ । कयं णेण सुणियत्थं णियंसणं । णिबद्धा गेण कुवलय-दल-सामला छुरिया । गहियं च दाहिण-हत्थेण वइरि-वीर-सुंदरी-माण-णिसुंभण खग्ग-रयणं । पूरियं पउ? वसुणदयं । सव्वहा को आहिसारण-जोग्गो वेसग्गहो । संपत्तो धवलहरं । दिण्णं विजुक्खित्त करण । बलग्गो मत्त-वारणए । समारूढो पासाए । दिट्ठा य गेण सयल-परियण-रहिया णिम्मलपज्जलंत-लटि-पईवुजोइयासेस-गम्भहरयावराहुत्ता किं किं पि दीण-विमणा चिंतयंती सा कुल-बालिय त्ति । तं च दट्टण सणियं - रायउत्तेण णिक्खित्तं वसुगंदयं वसुमईए, तस्सुवरि खग्ग-रयणं । तो णिहुय-पय-संचारं उवगतूण पसारिओभय-दीह-भुयाशडंडेण ठड्याइं से लोयणाई राषउत्तेण । तओ फरिस-वस-समूससिय-रोमंच-कंचुयं समुव्वहंतीए चिंतियं तीए कुलबालि-27 याए जहा मम पुलइयं अंग, पउम-दल-कोमल-दढिणाईच करयलाई, सहियणो ण संणिहिओ, तेण जाणिमो सो चेय इमो मह हियय-चोरो त्ति चिंतिऊण संलत्तं तीए । 30 'तुह फंसूसव-रस-वस-रोमंचुच्चय-सेय-राएहिं । अंगेहिं चिय सिटुं मण-मोहण मुंच एत्ताहे ॥ :30 इय भणिए य हसमाणेण सिढिलियं णयण-जुवलयं राय-तणएण । भन्भुटिया य सा ससंभम कुलबालिय त्ति । उवविट्ठो राय 1) पिइपसाओ, J माणबद्धो, P संगयं ति. 2) JP अवि य कामिणि, चंद for तुंग, P पुराणा. 3) P transposes राया before कोसलो, वणि for विणय, Jom. पणिमइय. 4) चलंचा", P om. महिवीढ, P-विणिज्जियासेस, P ध्वजहरो, Pom. जस्स. 5) मज्झे, P लावे [लीवे हि]. 6) P सामलेण उग्गदडो वि, J पर for पार, P विनाणगुणाहियादाण. 7) भव for रूव, वारिओ व वियर वियह नियय--8) -सेठिणा, J तत्थ अइच्छमाणेण. 9) तीय वि. 12) Padds व after विमुहेण, उद्धाकया. 13) P रायउत्तेण for रायतणएणं, तीय य, Pom. य, उदाहिणं, हत्थे for हत्थेणं, Pom. गंतुं पयत्तो. 14) P om. इमीए, P वियत्तणं, P तीअ य वियगुण-. 15) विलासालावहरिय, तीय for तीए. 16) P ताव य मलियकुसुंभरायर त्तवरा रवी, णिगयय, रहइ, सेवेतो, P वारुणी नवर. 17)P संगममित्तो, P रुहिरकमलकरवसओ अस्थिहरि. 18) Pरिस, जल for जण, पयर for पयड, P कलिजयसमे पउसो. 19) Pविच्छिन्न for वित्थिण्ण. 20) सि हि for सिरि. 21) चिंतेमो. 22) समुवडिओ, कयण्णेण णियत्थं, Pणेण सुणियस्थ, J सामलफलाछुरिया, Jom. च. 23) P माण for माण, अहिसारि आण, P वेसगणे. 24) किरणं for करणं. 25) P पजलंत," 'पराहुत्ता, P om. पि, I दीणविमणं, J om. सा. 26) निह्य for णिहुय, P om. दीह, I om. भुया. 27) दंडेण, P हरिस for फरिस, J मूसलिअ for सम्पसिय, P कंचुझ्य, P समुन्वहंती विय नि',Jom. चितियं तीए. 28) कोमलकढिणाई P कमलददिणाई, सहियणोऽणिहिओ, Jom. सो. 29)P संलत्तीए for संलतं. 30) Pom. वस, P सेयराहे हिं. Here, after एत्ताहे, P repeats इय भणिए पहसमणेण सिढिलयं नयणजपलयं रायतणएयण । अम्भुट्ठिया य सा ससंभम कुलराहाह अंगेहि सिटुं मणमोहण मुंच एत्ताहे।31)P हसमणेण. 10 Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१४७] कुवलयमाला ७५ 1 1 1पि तहाविह-कम्म-धम्म-भवियन्वयाए तीए उयरे गो जाओ। अणुदियहोवहुत्त लक्खण-दंसणेण गब्मेण य पयडीभूया, 1 जाणिया सहियण, पथडा कुलहरम्मि, वियाणिया बंधुयणेणं । एवं च कण्ण-पारंपरेण विष्णायं णंदसेा । तेणावि संजाय3 कोवेण को एवं मए परिहावह त्तिणिवेइयं कोसलस्स महारण्णो । 'देव, मह दुहिया पउत्थवइया । सा स रक्खिजती वि 3 केणावि अणुदेव उवभुंजिन चितं च देवो दिन्याए दिडीए सिट' त्ति राहणा भणियं वच, अनिसावेमि' । आणतो ती । उबलं च मंतिना दिने लोसलो रायउत्तो गियेयं तेण जहा 'देव, कोसलो रायडतो मए उबलो तितो गुरु- कोय-फुरफुरायमाणादरेणं आइट्टो राहणा मंत्री 'वच सिद्धं तोसले मारेसु' मिंतीच 'जाणवेसि सि भणिऊण रायतं घेतु उवगओ मसाण-भूमिं । तत्थ य कजाकज-वियारणा- पुव्वयं भणिओ मंतिणा । 'कुमार, तुह कुविओ राया, वज्झो आणत्तो, ता तुमं मह सामी, कह चिणिवाएमि । कर्ज च तए । ता वच्च, जत्थ पउत्ती विण सुणीयइ । ण तए साहियन्त्र जड़ा 'अहं तोलो' ति अणि सिजिओ यों वि य कवावरा हो जीविव-भव-भीओ पलाइमो, पत्तो पलयमाणो य पाडलिउत्तं णाम महाणयरं, जत्थच्छए सयं राया जयवम्मो । तत्थ इयर-पुरिसो विय भोलग्गिउं पत्तो 1 १४६ ) इओ य कोसलापुरीए तम्मि सा सुवण्णदेव उवलद्ध- दुस्सीलत्तण- चिंधा परिखिंसिज्जमाणी बंधु-वग्गेण दिज्नमाणी 12 जगेर्ण राय उत्तराय गम्भ-भर- विगडिया चितिर्ड पत्ता 'कथ उन सो रायउचो' सि । तत्र कह कह वि णायें 19 जहा मम दोसेण मंतिणा निवाइमोसि च णाऊण कह वि उलेग णिमाया बाहिं परस्य तओ णयरस्स राईए पच्छिमजामे पाडलिउत्तं अणुगामिओ सत्थो उवलद्धो । तत्थ गंतुं पयत्ता । सणियं सणियं च गब्भ-भर-णीसहंगी गंतुं भचाएंती 15 पिटुलो उशिया सत्यस्स भय-ताल-हिंताल-तमा जुण-कुय कय-बू सब संकुले वर्गतराले। तभो कमेण व बचती 15 मूड- दिसा-विभाया पण पंधा तहाभिभूया छुदा खाम-वयणा गम्भ-भर-मंथरा पह-म-किता सिंघ-सह-विहुया वग्ध-वायविरा पुलिंद-सह-मीया गिम्द-तत- बालुवा पउलिया उपरि-दूसद-रवियर- संताविधा, किं च बहुणा, दुक्ख-सय-समुद्र18 विडिया इत्य-सहाय कायर-हियवतमेण वेवमाणी, धाणुं पि पोरं मण्णमाणी, रुपि गय-वरं विकप्पयंती, हरिण 18 पिवर्थ, ससयं पिसी सिहिणं विदीवियं सम्वद्दा तणिए वि चलिए मारियत्ति पत्ते वि ते गिलियसि भयविरथणहरा विलविउं पयत्ता । " 'हा साय तुज्झ दइया आसि आई बाल-भाव- समयम्मि एहि कीस अण्णा तंसि जाओ विगय-गेहो ॥ हा माए जीयाओं व बलहिया भासि हे तु दया हि मे परिताय विणदिर्ति भरणमि ॥ हा दय करथ सि तुमं जस्स मए कारणे परिचत्तं । सीलं कुलं कुलहरं लज्जा य जसं सहियणो य ॥ हा माए हा भाया हा दइया हा सहीओ हा देवा । हा गिरिणइ हा विंझा हा तरुवर हा मया एस ॥' सि भणमाणी मुच्छिया, धस ति विडिया धरणियले । । 24 तरम्म सूरो मयति णाऊण गरुप दुखतो परिवियलियंसुवाओ अवर-समुद्र-दई पत्तो ॥ | 27 थेरीइ व दिण- लच्छीय मग्ग- लग्गो रवी रहय-पाओ । रतंबर-णव-वहुं व संझं अणुवद्दद्द वरो व्व ॥ तीय य मग्गालग्गा कसणंसुय पाउया पिय-सहि व्व । तिमिरंजणंजियच्छी राई रमणि व्व संपत्ता ॥ 91 21 24 (१४७) तभो एवं च विंश-गिरि - सिहर-कुहरंतराल तरुण-तमाल-मालाणिभे पसरिए तिमिर -महा- गइंद- वंदे एयम्मि एरिसे 30 रवणि- समय नागाविह तरुवर कुसुम-रेणु-मयरंद- बिंदु-मासल-मुह- सीयले समासत्या सुरहि-वण-पवणेणं सा कुरुवालिया 1 30 समासधा य ण या काय वच्चामि कत्य ण वच्चामि किं करेमि किं वा ण करेमि किं सुंदरं किं वा मैले, किं कर्म सुर्व 9 27 J 1) तीय for तीए, P बहुय for "बहुत्त Pom. य ( after गम्मेण ), पयडीहूआ 2 ) J अवियाणिया for विभणिया, P कन्न परंपरेण 3 ) Jom एवं परिहव त्ति निवे कोयं, उपउत्थवई 4 ) P उवभुंज, दिव्या (ए added on the margin) दिट्ठीर, P अणिसामि 6 ) फुरुकुरा, P रायणा, J om. मंत्री वि. 7 भणियं for भणिऊण, वियारिणा, P पुवं तं भणिओ, भणितो. 8 ) तुअं for तुमं, उ कहिं for कह, P न सुनियइत्ति, J adds य before तर. 9 भाणिऊण, Jom, J जीवियभिओ, उ पलाइउं, P पलाइओ पयत्तो ।. 10 ) Pom. य, P पाडलिपुत्तं, P जयधम्मो, पुरिस इव करस उलग्गिउं. 11) P इवओ, Po. य, P inter. तम्नि and कोसलापुरीए, om. सा, सुअण्णदेवा ओलद्धदुसी लत्तणचिट्ठा. 12) P विणिवडिया. 13 ) P गिव्वासिउ त्ति, P पुरस्स for घरस्स. 14 ) पाडलिपुत्त, P सत्यो लद्धो, É तत्थं. 15) J सज्जज्जुगय P सज्जुज्जण, J कयंबजंबू, P जंबुय. 17 ) वालुअपउत्तिभा, Pom. च. 18 )P कायरा Padds चेव before देवमाणी, थाणुं for चोरं, P चियपयंती for विकपयंती 19 ) P पिव for पि, P ससं for ससयं, P पिव दीवयं, P तणे वि चिरिए, P चलेंते. 20 ) P थणाहरावलंबिउं 21 अण्णाए 22 ) Pom. वि, P निवडिज्जंती अरनंमि. 24 ) J ताया for भाया, P गिरणा, हो विंशं तरुवरा P तरुयर 26 ) P नय for मय, P गुरुय. 27 ) थेरीअवि P लच्छीमग्ग, वाओ, P रन्नंवरं, Pom. व. 28 ) P राई मगि- 29 ) हरि for गिरि, मालाणिले. 30 P रुअर for तरुवर, Jom. • रेणु, P मांसल, Pom. य. 31 ) P णयाए, Pom. कत्थ ण वच्चामि P करोमि, Pom. किं वा ण करेमि. . Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ उज्जोयणसूरिविरइया 1 होहिइति । एत्यंतरम्मि गब्भस्स णवमो मासो अइक्कतो, भट्ट य राइंदिणाई। णवम-राई-पढम-जामे तम्मि य समए वट्टमाणे । वियसिय णियवेण, वियणाइयं णाहि-मंडलेण, सूलाइयं पोट्टेणं, थंभियं ऊरु जुयलेणं, चलियं अंगेहिं, उच्छलिय हियएण, मउलियं अच्छीहिं, सचहा आसण्ण-पसव-चिंधाई वहिउँ पयत्ताई । तओ तम्मि महाभीमे वर्णतरे राईए असरणा अचवला 3 भीया विसण्णा परिचत्त-जीवियासा जहा-भवियब्व-दिण्ण-माणसा किमेयं ति पढम-पसूया कह वि कम्म-धम्म-संजोएण दर त्ति लीव-रूव-जुवलयं पसूया । पच्छा जाव पेच्छइ ता एक्का दारिया, दुइओ दारओ त्ति । तं च पेच्छिऊण हरिस6 विसाय-विणडिजंत-हियवया पलविउं पयत्ता । 'पुत्त तुमं गब्भ-गओ तेण विवण्णा ण एत्थ वण-वासे । अण्णह अबला-बालय अबला अबला फुड होइ ।। पुत्त तुम मह णाहो तं सरणं तं गई तुमं बंधू । दइएण विमुक्काए माया-पिइ-विप्पउत्ताए। होइ कुमारीऍ पिया णाहो तह जोव्वणम्मि भत्तारो । थेरत्तणम्मि पुत्तो णत्थि अणाहा फुडं महिला॥ ताव पिउम्मि सिगेहो जा दइओ णेय होइ महिलाण । संपिंडियं पियाओ वि जाए पुत्तम्मि संचरइ ॥' एवं च जाव पलवइ ताव करयरेंति वायसा, मूयलिजंति घूया, चिलिचिलेंति सउणया, बुक्करेंति वाणरा, विरवंति रोद्दा 12 सिया, वियलंति तारया, पणस्सए तिमिरं, दीसए अरुगारुणा पुव-दिसा । णियत्तति णिसियरा, पसरति पंथिया । एयम्मि12 एरिसे समए चिंतियमणाए । 'किं वा मए करियव्वं संपयं । अहवा ण मए ताव मरियव्वं, पडियरियव्वो एस पुत्तो, अण्णहा बाल-वज्झा संपजइ । कयाइ इमाओ चेय इमस्स दुक्खस्स अंतो हवइ त्ति । ता कहिंचि गामे वा गोट्टे वा गंतूणं आसपणे 16 पडियरियव्वं बाल-जुवलय'ति चिंतेमाणीए तोसलि-णामा रायउत्त-णामका मुद्दा सा परिहिया कंठे बालयस्स । बालियाय 13 वि णियय-णामका । तं च काऊण णियय-उवरिम-घण-वत्थद्वंतए णिबहो दारओ, दुइय-दिसाए य दारिया। कयं च उभयवास-पोट्टलयं । तं च काऊण चिंतियमिमीए । 'दे इमम्मि आसण्ण-गिरि-णिज्झरे अत्ताणयं रुहिर-जरु-पूय-वसा-विलितं 18 पक्खालिऊण वञ्चामि' | चिंतयंती तम्मि चेय पएसे तं वासद्धत-णिबई वाल-जुवलयं णिक्खिविऊण उवगया णिज्झरण। 18 ६१४८) एत्यंतरम्मि वग्घी णव-पसूया वणम्मि भममाणी छाउब्वाया पत्ता मासत्थं डिंभ-रूवाण राई-भमण-विउला पसूय-रुहिरोह-गंध-गय-चित्ता। वासोभयंत-बद्धं गहियं तं बाल-जुवलयं तीए । सा य घेत्तण तं ललमाणोभय-पोट्टलं 21 जहागय पडिगया। वचंतीय य तीए वर्णतराले उज्जयणि-पाडलिउत्ताणं अंतराले महामग्गो, तं च लंघयंतीए कहं पि सिढिल-21 गठि-बंधण-बदो उक्खुडिओ सो दारिया-पोट्टलो। णिवडिया मम्गम्मि सा दारिया । ण य तीए वग्घियाए सुय-सिणेहणिब्भर-हिययाए जाणिया गलिय त्ति । अइगया सा । तेण य मग्गेण समागओ राहणो जयवम्मस्स संतिओ दूओ। तेण सा दिट्ठा मग्गवडिया, गहिया य सा दारिया । घेत्तण य णियय-भारियाए समप्पिया। तीए वि जाय-सुय-सिगेह-भर-णिब्भरं 24 परिवालिङ पयत्ता । कमेण य पत्ता सा पाडलिउत्तं । कयं च णाम से वणदत्त त्ति । संवड्विउं पयत्ता। इओ य सा वग्घी थोवंतरं संपत्ता णियय-गुहा, पारद्धि-णिग्गएण दिट्ठा राइणो जयवम्मस्स संतिएण रायउत्त-सबरसीहेण । तेणावि दसणाणतरं 27 वग्यो ति काऊण गुरु-सेल्ल-पहर-विहुरा णिहया, धरणिवढे दिटुं च तं पाहलयं । सिढिलियं रायउत्तेण, दिवो य तत्थ । 27 ___ कोमल-मुणाल-देहो रतुप्पल-सरिस-हत्थ-कम-जुयलो। इंदीवर-वर-णयणो अह बालो तेण सो दिट्ठो॥ तं च दट्टण हरिस-णिभर-माणसेण गहिओ। घेत्तूण य उवगओ घरं । भणिय च तेम । "पिए, एसो मए पाविओ तुह पुत्तो' 80त्ति समप्पिओ, तीए गहिओ । कयं च वद्धावणयं 'पच्छण्ण-गब्भा देवी पसूय' त्ति । दुवालसमे दियहे णाम पि से विरइयं 30 गुण-णिफण्णं वग्घदत्तो त्ति । सो वि तेण बालएण समय सबरसीहो पाडलिउत्तं पत्तो । तत्थ य सरिस-रायउत्तेहिं सम कीलतस्स मोह-पउरस्स से कयं णाम तेहिं मोहदत्तो त्ति । एवं च मोहदत्त-कयाभिहाणो संवडिउं पयत्तो। 1) J राई दिगाई, P राइंदिणा । नवमणई दिणे नवमराई पढमे. 2) P विश्णायं नाभीमंडलेणं, वलियं for चलियं, J उच्चलियं. 3) पसवण for पसव, व (च ?) before वहिउ, P असरणे अचला. 4) कहिं पि for कह वि, Pom. कम्म.5) Pत्ति लीजुबलयपसूया,J om. पच्छा, P adds पेच्छंति before जाव, Pom. पेच्छ ता. 6)P विनडिजंतीहियविया पलविउ पयत्ती. 7) Pगभगवो, विविन्नाण, अबला for बालय P अचला for अबला अबला. 8) P गयं for गई, पिय for पिइ, विष्पमुकाए ॥. 9)Pथेरत्तगंमि पु and repeats महनाहो तं सरणं etc. to जोवर्णमि भत्तारो. 10) ता पिउमित्तसिणेहो जो, I विजाए P.वि जाउ. 11) Pपलवई, करयतंति, ।' धूयया, न बुक्का रेति. 12) वियरंति for वियलंति, P दीरुए for दीसए, P adds णियवो after पुव्व दिसा ।, P om. गियत्तं ति णिसियरा etc. to मरियब्वं पडियरियचो. 14)P बालबज्झा संपज्जति, Pञ्चय for चेय, P गोहे for गोडे, P आसण्णे परिवालियवं. 15)P तोसलिणो राय उत्तस्स नामंका, J बालियावि. 16)P om. गियय after काऊण, P उवरि for उवरिम, Jom. घण, P 'तेण for "तए, P बद्धो for गिबद्धो, .om. य, P om. च. 17)P उभवास, J चितियं इगीए, जर for जरु. 18)P चेव, J वासद्धं बाल', P बालय जुवलयंमि णि, P ओउवगया. 19)P छाउद्धाया, राईभममाण विलोया पसूय. 20)P रुहिरोगंध, P बंध for बv. 21) P पडिहया ।, P तीए वर्णनवणंतराले उज्जयणीपाटलिपुत्ताणं, P repeats महा, J च संघयंतीए, Pचि for . 22) णिवडिओ, Pतीय वग्घी त्य- 23) J -हियाए, P om. य, P जयधम्मस्स. 24)P oin. य in both the places, Jतीय fo: तीए, Pom. -भरणिभरं परिवालि उ etc. to पारद्धिणिग्गएणं. 26) भिद्दिट्ठा for दिट्ठा, P सबलसीलेण ।. 27) दिट्ठिय for दिटुं च, सिढिलयं. 28) P बाहो for मुणालदेहो, ३ सयलचलण for सरि सहत्य, P कय for कम. 29)P हसिंह for हरिस, स for एसो. 30) P समयंपिओ, P om. च. 31)P सबरसीलो पाटलिपुत्त, P om. य, रायउत्तिहिं. 32) Jom. तेहिं, Jadds एवं च मोहदत्तो त्ति ॥ before एवं च. Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१५०] कुवलयमाला 1 ६१४९) इमा य से माया तम्मि वगे आगया णिज्झराओ जाव ण पेच्छइ त बालय-जुवलयं । अपेच्छमाणी । .. य मुच्छिया णिवडिया धरणिवढे । पुणो समासत्था य विलविउं पयत्ता। 3 'हा पुत्त कत्थ सि तुम हा बाले हा महं अउण्णाए । कत्थ गओ कत्थ गया साहह दे ता समुल्लावं ।। एत्थं चिय ते पत्तो कह सि मए दुक्ख-सोय-तवियाए । एत्थं चिय में मुंचसि अब्बो तं कह सि णिकरुणो ॥ पेच्छह मह देव्वेण दंसेऊणं महाणिहिं पच्छा । उप्पाडियाइँ सहसा दोणि वि अच्छीणि दुहियाए । 6 पेच्छह दइय-विमुक्का वणं पि पत्ता तहिं पि दुक्खत्ता । पुत्तेणं पि विउत्ता आढत्ता कह कयंतेग ॥' । एवं च विलवमाणीए दिटुं तं वग्धीय पयं । अह वग्घीय गहियं ति तं जाणिऊण, 'जा ताणं गई सा मम पि' तं चेय वग्धीपर्य अणुसरंती ताव कहिं पि समागया जाव दिढे एक्कम्मि पएसे के पि गोटुं। तत्थ समस्सइया एकीए घरं आहीरीए । तीए वि धूय त्ति पडिवजिऊण पडियरिया । तत्तो वि कह पि गामाणुगाम वञ्चती पत्ता तं चेव पाडलिउत्तं णगरं । तत्थ . कम्म-धम्म-संजोएण तहाविह-भवियब्वयाए तम्मि चेय दूयहरे संपत्ता, जत्थच्छए सा तीए दुहिया। तीए साहु-धूय त्ति काऊण समप्पिया । तं च मजयंती कीलावयंती य तहिं चेय अच्छिउं पयत्ता ता जाव जोब्वर्ण संपत्ता। जोवणे य 12 वट्टमाणी सा केरिसा जाया । अवि य । 12 जं जं पुलएइ जणं हेलाएँ चलंत-णयण-जुवलेणं । तं तं वम्मह-सर-वर-पहार-विहुरं कुणइ सव्वं ॥ १५०) इमम्मि एरिसे जोवणे वट्टमाणीए वणदत्ताए को उण कालो वहिउँ पयत्तो । 10 तरुवर-साहा-बाहा-णव-पल्लव-हत्थ-कुसुम-गह-सोहो । पवणुब्वेल्लिर-हल्लिर-णञ्चिर-सोहो णव-वसंतो॥ तओ तम्मि सुरवर-गर-किंणर-महुयर-रमणी-मणहरे वसंत-समयम्मि मयण-तेरसीए वट्टमाणे महामहे संकप्प-वेहिस्स काम देवस्स बाहिरुजाण-देवउल-जत्तं पेच्छिउँ माइ-समग्गा सहियण-परियरिया तहिं उज्जाणे परिभममाणी मयणूसवागएण दिट्ठा 18 मोहदत्तेण । जाओ से अणुराओ । तीय वि वणदत्ताए दिटो सो कहिं पि पुलइओ। जंभा-वस-वलिउब्वेल्लमाण-गव-कणइ-तणुय-बाहाए । तह तीऍ पुलइओ सो लेप्पय-घडिओ व्व जह जाओ। खणतरं च सुण्ण-णयण-जुयलो मच्छिऊण चिंति पयत्तो । सम्वहा 21 धणो को वि जुयाणो जयम्मि सो चेव लद्ध-माहप्पो । धवलुब्वेल्लिर-णयण जोवणयं पाविहिद मीए॥ चिंतिऊण सदभावं परियाणणा-णिमित्तं च पढिया एक्का गाइल्लिया मोहदत्तेण । 'वयंस, पेच्छ पेच्छ, कह-कह वि देसणं पाविऊण भमरो इमो महुयरीए । रुंटतो चिय मरिहिइ संगम-सोक्ख अपातो ॥' 24 इमं च सोऊण रितियं वणदत्ताए । 'अहो, णिययाणुराओ सिट्टो इमिणा इमाए गाहाए । ता अहं पि इमस्स णियय-भावं 24 पयडेमि' त्ति चिंतयतीए भणियं । ___ 'अत्ता भमर-जुवाणं कह वि तुलग्गेण पाविउं एसा । होंत-विओगाणल-ताविय व्व भमरी रुणुरुगेइ ॥' अतीय य सुवण्णदेवाए अणुहूय-णिययाणुराय-दुक्खाए जाणिओ से अणुराओ । भणियं च तीए । 'पुत्ति, अइचिरं वट्टइ इहाग-१ याए, मा ते पिया जूरिहिइ, ता पयट्ट घरं वच्चामो । अह तुह गरुयं कोउहलं, ता णिव्वत्ते मयण-महसवे णिज्जणे उज्जाणे आगच्छिय पुणो वीसत्थं पुलोएहिसि उजाण-लच्छि भगवंतं अणगं च' त्ति भणमाणी णिग्गया उजाणाओ। चिंतियं च 80 मोहदत्तेण । 'अहो, इमीय वि ममोवरि अस्थि हो । दिपणं च इमीए धाईए महं संकेयं जहा णिवत्ते मयण-महूसवे 30 णिजणे उजाणे वीसत्थं अणंगो पेच्छियब्यो ति । सव्वहा तयिह मए आगंतव्वं इमम्मि उजाणम्मि'त्ति चिंतयंतो सो वि जिग्गओ। सा य वणदत्ता कह-कह वि परायत्ता घरं संपत्ता देहेण ण उण हियएण । तत्थ वि गुरु-विरह-जलण-जालावली33 करालिजमाण-देहा केरिसा जाया । अवि य । 33 श 1) बाल for बालय. 2) Jom. मुच्छिया, P पुच्छिया, Jom. य. 3)P साहसु दे, दे ता अ संल्लावं. 4)P संपत्तो for तं पत्तो, v inter. सोय and दुक्ख. 5) P पेच्छ मह, Pमहानिही, P मि for वि. 6) वर्णमि पत्ता, P पत्तेणं for पुत्तेग. 7)P बग्घीगहियं, P यति for तं, Pचे for चेय. 8) कयिं पि, P कि पि for कं पि, Pएकीय घरं. 9) Pom. वि, न कहिं पि, Jom. तं चेव, P पाटलिपुत्तं, J णअरं, P adds य after तत्थ. 10) P नहावियब्बयाए, भवियन्वताए य तम्मि, P adds गया before चेय, अघरे, P om. संपत्ता, J तीय for तीए in both the places, P om. साहु. 11) P कीलावंती, P ताव for ता, P पत्तो for संपत्ता. 13) P बलंतनयणजुयलेण, P सरपटवियणबिहुरे. 14) P adds य before परिसे, P धणदत्ताए. 15) तरुयर, P-नवसोहा।. 16) Pom. वर, P-विहिस्स कामएवरस. 17) जुत्तं for जत्त, P सहियगिपरिवारिया, P मयणूसवाएण. 18) Pसो for से, " कहिंचि पुलइलं, J adds अवि य after पुलइओ. 19)" कणयवणुय, P-जडियन जहा.'21)P जुवाणो, णयणो, J पाविहिद इमीए, P पाहिही इमीए. 22) F"ऊण य सहावपरियणा निमित्त, P om. one पेच्छ. 23)J इमी (अ) for इमो, P रुंढतो, P मरिहर, P अगवंतो. 24) Pom. इमाए, P om. पि, P नियमावं. 25) Join. त्ति, Pचिंतियं भणियं. 26) P विओयानल, भाविअब्ब for तावि, P रुणरुणेइ. 27) Pवि for य,P -निययाणुरादुक्खाए, P adds राया after से, पुत्त for पुत्ति, 'चिरं च इहागया माए रिया. 28) Pom.मा ते, P जूरिही ता, तुम for तुह, P कोऊहयं निब्यत्ते ता मयण, मयणे. 29) विसाथाए पलों', लच्छी, P अणंगवत्ति, उजाणओ. 30) J धाइए, Pom. महं, जह. 31) Jom.त्ति, Jom. सो. 32) वि वरायत्त. 33) 'जमाणमदेहा. Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरहया [६१५० 8 15 1 ता झाइ हसइ सूसइ सिजइ ता पुलय-परिगया होइ । ता रुयइ मुयइ देहं हुं हुं महुरक्वरं भणइ॥ ता खलइ वलइ जूरइ गायइ ता पढइ किं पि गाहद्धं । उम्मत्तिय ब्व बाला मयण-पिसाएण सा गहिया । ६१५१) एरिसावत्थाए य तीए अइकतो सो मयण-महाकतार-सरिसो मयण-महूसवो । गरुय-समुकंठ-हलहला १ पयत्ता तम्मि उज्जाणे गंतु, ओइण्णा रच्छामुहम्मि । थोवंतरं च उवगया राय-मग्गतराले य वट्टमाणी दिट्ठा पण तोसलिणा रायउत्तेण । देसंतर-परियत्तिय-ख्व-जोवण-लायण्ण-वण्णो ण पञ्चभियाणिओ सुवण्ण-देवाए । सा वि तेण दूर-देसंतरासंभाव०णिज्ज-संपत्ती -याणिया । केवलं तीर वणदत्ताए उीर बद्वाणुराय-गय-दिढिल्लो महा-मयण-मोह-गहिमओ इव ण कजं 6 मुणइ णाकजं, ण गम्म णागम्मं । सन्वहा तीय संगमासा-विणडिओ चिंति पयत्तो । 'अहो, __ सो चिय जीवइ पुरिसो सो चिय सुहओ जयम्मि सयलम्मि । धवलुब्बेल्लिर-लोयण-जुवलाएँ इमी जो दिट्ठो॥ ता कहं पुण केण वा उवाएण एसा अम्हारिसेहिं पावियव्य त्ति । अहवा भणियं च कामसत्थे कण्णा-संवरगे। रूव-जोवण- . विलास-लास-णाण-विण्णाण-सोहग्ग-कला-कलावाइ-सएहिं धणियं साम-भेय-उवप्पयाणएहि य कण्णाओ पलोहिजति । मह ण तहा वसीभवंति, तओ परक्कमेणावि परिणीयवाओ, छलेण बलामोडीए णाणा-वेलवणेहि य वीवाहेयव्वाओ । पच्छा कुल12 मइलणाए तस्सेय समप्पिजति बंधुवग्गेणं । ता सम्वहा जह वि फुलिंग-जलण-जालावलि-भासुर-वज्ज-हत्थय । सरणं जाइ जइ वि अहवा विफुरंत-तिसूल-धारयं ॥ पायालोयरम्मि जइ पइसइ ससि-रवि-तेय-विरहियं । तह दि रमेमि अज पीणुण्णयय थण-भार-सिहरयं ॥ 18 अज्ज इमं मह सीसय इमीऍ बाहु-उवहाण-ललियाए । दीसइ अहवा णिद्दय-खग्गपहाराहय धरणियाए ॥ ता सुंदर चिय इम, जं एसा कहिं पि बाहिरं पइरिक पत्थिया । ता इमीए चेय मग्गालग्गो अलक्खिजमाण-हिययभाय-वव साभो वच्चामि' त्ति चिंतयंतो मग्गालग्गो गंतु पयत्तो । सा वि वणदत्ता करिणि व्व सललियनामणा कमेण संपत्ता उजाणं । 18 पविट्ठा य चंदण-एला-लयाहरंतरेसु वियरिङ पयत्ताओ । एत्यंतरम्मि अणुराय-दिण्ण-हियवएणं अणवेक्खिऊण लोयाववायं 18 गलस्थिऊण लज, अवहत्थिऊण जीवियं, अगणिऊण भय, चिंतिय ण 'एस अवसरो' ति । चिंतयंतो पहाइओ णिकडियासिभासुरो । भणियं च णेणं मोह-मूढ-माणसेण । अवि य । " 'अहवा रमसु मए चिय अहवा सरणं च ममासु जियती। धारा-जलण-कराला जा णिवडहणेय खग्ग-लया ॥' तं च तारिसं वुर्ततं पेच्छिऊण हा-हा-रव-सह-णिभरो सहियणो, धाहावियं च सुवण्णदेवाए। 'अवि धाह धाह पावह एसा केणावि मा ऍमह धूया । मारिजइ विरसंती वाहेण मइ ब्व रणम्मि ॥' 4 एथंतरम्मि सहसा कड्डिय-करवाल-भासुर-च्छाओ । वग्यो व्व वग्घदत्तो णीहरिओ कयलि-घरयाओ॥ भणियं च ण । 'किं भायसि वण-मइ-लीव-वुण्ण-तरलच्छि लच्छि धरमाणे । रिउ-यवर कुंभत्थल-णिद्दलणे मज्झ भुय-दंडे ॥' 27 भायारिओ य ण सो तोसलो रायउत्तो । रे रे पुरिसाधम, वुण्ण-मय-लीव-लोयण-कायर-हियाण तं सि महिलाण । पहरसि अलज लज्जा कत्थ तुम पवसिया होजा ॥ ता एहि मज्झ समुहं'ति भणमाणस्स कोवायबिर-रत्त-लोयगो मयवइ-किसोरओ विय तत्तो-हत्तं वलिओ तोसलो रायउत्तो। 80 भणियं च णेण। 'सयल-जय-जंतु-जम्मण-मरण-विहाणम्मि वावड-मण । पम्हुसिओ च्चिय णवरं जमेण अजं तुम भरिओ॥' ति भणमाणेण पेसिओ मोहदत्तस्स खग्ग-पहारो। तेण य बहु-विह-करण-कला-कोसलेण वंचिओ से पहरो। वंचिऊण य पेसिओ 33 पडिपहारो । णिवडिओ खंधराभोए खग्ग-पहरो, ताव य णीहरियं रुहिरं । तं च केरिसं दीसिउं पयत्तं । अवि य । 33 30 1)P गायइ for झाइ, P ज्झिज्जर for सिज्जइ,J हूं हूं. 2)P बइलइ लइ for वलइ, तो for ता, Pमण for मयण. 3) 'वत्थाअ य, P सो मयणमहाकंतारसरिसो, P हलहला य पत्ता तम्मि. 4)P adds य beforeणेण. 5) पब्विगाणिओ, P सुवन्नदेवयाए. 6) संपत्तीर ण,J -गहिट्ठिल्लो, P inter. मयण and महा, कयं for कजं. 7) Jण कर्ज for णाकज्ज, संगमासायविणडिओ. 8) P जीवो for जीवइ, P च्चद for चिय, P इमीए सो जा दिट्ठो. 9) Pपावियद ति, I om. च, संठाणे for संवरणे 10) Jim. लास, Pom. कला, P कलावाणिसएहि सएहिं धणेहि य साम', P उयप्पयाणेहि, 1 कन्नाओ उपपलोभिज्जति, P अह तहानस्थि अवसीहेंति तओ. 11) परिकमेणावि परिणियबाओ, P परिणीयम्वा, P नाणाविलंबणेहि य विवाहेयब्वा ।. 12) P तस्सेयमप्पि'. 13) P जयण for जलण, P -वजयं, अज्ज for जइ वि, विफुलंत P विप्फुरंत. 14)P पयसति, P विरममि. 15) बाहुवहाणललि भएण, P नियं, 'हय व, ३ धरणिया ।।. 16) J कह पि, P इमाए, P अलक्खिज्जमाणेहिं अश्गया. 17) गंतूर्ण for गंतं, Pउजाणवणं ।. 18) पविद्राओ य, Pom, य, Jadds बंदण after चंदण, P हियएणं अविवेक्खिऊण. 19) उज्जं for लज्जं, ! om. अगणिऊण भयं, तेग for णेण, P निकट्टियासि. 21) " -जणकराला. 22) सुबण्णदेवयार. 23) P धावह for धाइ धाह, P वरिसंती. 24) Pनीहलिओ कयलिहत्याओ. 26) Jमय for मइ,J पुण्ण र चुण्ण, P रितु. 27) J पुरिसाहम. 28) पुण्ण for gण्ण, I हिअयाण, P लज्जो, P पवसिओ. 29) मज for मज्य, I कोवायंबिरत्त, रत्तं न लोयणो मन किसो. 31) जण for जय, ' तु संभरिओ. 32) P कोसलेण जं वाचिओ से पवाणो।. 33) P खग्गपहारो तवयनीहनीहरिय. Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १५३ ] कुवलयमाला 1 खग्ग-पहार - गिरंतर-संपत्तो रत्त-सोणिओंको । हियय-गओ विव दीसह पियाणुराओ समुच्छ लिभो ॥ १५२) तओ तं च विणिवाइऊण वग्घदत्तो वलिओ वणदत्ता-हुत्तं । 8 तीच विपिनो सिकार्ड न जीविय-दायनो सि पडिवो मिट्टे च जोसई विष कुंमंडप व णारी समात्यो सहित्य, तुट्टा सुवण्णदेवा, समासासिया वणदत्ता, भणियं च णेण 'सुंदारे, अज्ज विरुवा, थरहराय हियवयं । ताण अज्ज वि समस्ससहि, एहि इमम्मि पवण-पहल्लिर-कयली-दल- विजमाण- सिसिर- मारुए बाल6 कयली-हरए पविसिउं वीसत्था होहि'त्ति भणमाणेण करयल-गहिया, पवेसिया तम्मि आलिंगिया मोह-मूढ-माणसेण । जाव 6 परमिडसाद साव य उदाइको दीह-मडुरो सहो । अवि य । मारेऊणं पियरं पुरो जणणीऍ तं सि रे मूढ । इच्छसि सहोयरिं भइणियं पि रमिऊण एत्ताहे ॥ ७९ 8 इमं च णिसामिऊण पुलइया चउरो वि दिसावहा । चिंतियं च णेण । 'अरे, ण कोइ एत्थ दिट्ठि-गोयरं पत्तो, ता केण उण 9 इमं भणिय किंपि असंबद्धं वयणं । अहवा होंति विय महाणिहिम्मि घेप्पमागे उप्पाप्न त्ति । पुणो वि रमिउं समाढतो । पुणो विभणिओ । 12 ' मा मा कुणसु अकज्जं जणणी-पुरओ पि पि मारेउं । रमसु सहोयर भइणिं मूढ महामोह-ढयरेण ॥' 12 1 इमं च सोडण] चिंतियं च णेण 'अहो, असंबद्ध-पलावी को वि, कहं कत्य मम पिया, कई वा माया, किं वा कयं मए, ता दे अण्णो कोइ भण्णइ णाई' ति भणमागेणं तं चिय पुणो वि समादत्त । पुणो वि भणियं । 15 'लिए एक अति मारिओ जगतो । एहि दुइबमका सहोयरिं इच्छतु ॥' 16 सोकण सासको कोच कोलाय चित्तो य समुहको खगं घेवून मग्गर्ड पयतो सहानुसारेण जाय जाइबूरे विट्ठो रासोय-पायययले पडिमा संठिलो भगवं पञ्चाक्लो इव धम्मो रावतेपुण पज्जलंतो स्व को विमुनिवरो द य चिंतियं 18 | 'अरे, इमिणा मुणिणा इमं पलत्तं होहिइ त्ति । ण य अण्णो कोइ एत्थ एरिसे उज्जाणे । एरिसो एस भगवं 18 वीरागो विय क्लक्खीव, ण य अटियं मंतेहि दिव्य णाणिनो सच्चयणाय मुंगिवरा फिर होति' चित्रे बगओ मुनिगो सपा अभिदिकण व चलण-जुल विट्टो णाइदूरे मोहदो ति पुयंतरे समागवा सुरण्णदेवा, 21 वणदत्ता, सहियणो य । णमिऊण य चलणे भगवओो उवविट्ठा पायमूले । भणियं च मोहदत्तेण । 'भगवं, तए भणियं जहा 21 मारेऊण पियरं माऊए पुरभो भइणं च मा रमेसु । ता मे कहिं सो पिया, कहिं वा माया, कत्थ वा भइणि' चि । १५३) भणियं च भगवया मुणिणा । 'भो रायउत्त, गिसुगेसु । अस्थिं कोसला णाम पुरी । तत्थ य णंदणो णाम 1 24 महासेट्टी । तस्स सुवणदेवा णाम दुहिया पडत्या दिट्ठा रावरोण खोखलिगा, उपहुचा य णार्य रण्गा जहा य तीव 24 गन्भो जानो । सम्वं जाणिवे मंतिणा । जहा निवासिनो बोसो पालि पो जहा व गुरुद्वारा मुण्णदेवा वर्ग पचिट्ठा, तत्थ बाल-बल पसूया जहा अवदरिलो दारओ दारिया य वग्चीए । पढिया पंथे दारिया, गहिया धुणं, वर्णदत्ता य से 27 ण क । सो विदारओ गहिओ सबरसीहेण पुत्तो त्ति संवद्धिभो, वग्धदत्तो त्ति से णामं कयं । एवं च सव्वं ताव साहियै 27 जव सुवणदेवा मिलिया धूयाए ताव जा मारिओ तोसलो त्ति । रायउत्त, इमा तु सा माया सुवण्णदेवा । एसा उण भइणी सहोयरा वणदत्ता । इमो सो उण तुम्हाणं जणभो । अस्थि य तुद्द तोसलि-णाम मुद्दका एसा मुद्दा । इमाए सुवण्णदेवाए 30 मुका घरि चिटुइ ति ता सम्वद्दा मारिनो ते जगतो संपर्क भइणी अभिलसि चि सम्वदा चिरत्बु मोहस्स' । इमे च 80 सोऊण भणियं सुवणदेवाए । 'भगवं, एवं जं तए साहिये' ति । वणदत्ता विट्टिया महोमुद्दा लजिया । मोहदतो वि णिग्विण्ण-काम-भोगो असुइ-समं माणुसं ति मागतो चेरग्ग-मग्ग-लग्गो अह एवं भणिउमाढत्तो । 1 1) पहाराणंतरं, P सोणियको पंको 1, P विय for विन. 2 ) P वरघदत्तो चलिओ. 3 ) पियो त्ति. 4) P तुह चेव एरु, उरु. 5 समस्ससिपदि P समाससहिएहिं, J वहल्लिर, J दिजमाण - 6 ) JP होहि त्ति, उपवेसियालिंगिया, P. पेसिया for पवेसिया 7 ) Pom. य after ताव. 8 ) P मारेऊण वि पियरं, P सहोयरं. 9 ) P adds से before चउरो, P रिसिवद्दा, Pom. एत्थ. 10 ) P असंबद्धवयण, P रमिउमादत्तो, समादत्ता ॥ 11) J om. fq. 12) P fi पि, भरणी. 13 ) P अणेग for च णेण, P repeats कज्जं जगणीपुरओ etc. to असंबद्धपलावी को वि. 14 ) P देव for दे, P को वि for कोइ, J om. भण्गइ,· P वि आढत्तं 15 ) P निलज्ज कयनकज्जं एक्कं जं मारिओ तर जणओ, P सोयरं. 16 ) P ससंको- 17 ) P रत्तासोयरस पायव उपाययले P पाथवचेले. 18 ) P तेज for णेग, P कोवि एएत्थ, P om. एरिसे, J. om. एस. 19 ) P रागो अउव्वो लक्खीयइ, J विय उवलक्खीअदि, P अलीयं, P repeats सच्च, Jom. किर. 20) P सगार्स, P अभिवंदिनंदिऊण चलणजुययं, JP एत्थंतरं. 21 om. भगवओ, P उवविट्ठो. 22 ) P पुरंऊ for पुरओ, महणी मा, Pom. मे, P मे for सो, Pom. कहिं वा, P adds का वा before भइणि. 23 ) P मुणिणो, p repeats भो, Jom. य, P नंदो for णंदणो. 24 ) J सुअण्णदेवा, I om. दुहिया, वश्यावई दिट्ठा, ग्णाया for णायं, Pom. य before तीय. 25 ) 26 ) P बालजुवलय, P जाव for आ, एमाए P इमीए, अइिलसि त्ति 1 ) P साहियं मुनिणा for जाणियं मंतिजा (Jis correcting मुनिणा into मंतिणा), P पाडलिपुत्तं, Pom. य. I om. य, P दूते, I inter. णामं and से. 27 ) P सवरसीलेग, P संवट्टिउ, Pom. त्ति, Jom. से. 28 • त्ति, P एस सो for इमा, Pom. सा. 29 ) inter. उण and सो, P तोसलो, P मुद्धा for मुद्दा, P सुवन्नदेवा मुद्द् घर चिट्ठा. 30 परि for घरि Padds ता समुद्दा before ता सञ्वहा, Pom. वे, 31) Pom. • सोऊण, P सुवन्नदेवयाए, P एवं मम जं, J om. वि after मोहदन्तो. 32 ) P असुति इमं. 3 om. J 1 . Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६१५३। 'धिकटू अण्णाण अण्णाण चेव दुत्तरं लोए । अण्णाणं चेय भयं अण्णाण दुक्ख-भय-मूलं ॥ ता भगवं मह साहसु किं करियव्वं मए अउण्गेण । जेण इमं सयलं चिय सुज्झइ ज विरइयं पावं ॥' १५४) भणियं च भगवया मुणिणा । 'चइऊण घरावासं पुत्त-कलत्ता मित्त-बंधुयण । वेरग्ग-मम्ग-लग्गो पध्वज कुणसु आउगो॥ जो चंदगेण बाई आलिंपइ वासिणा य तच्छेह । संथुणइ जो य जिंदइ तत्थ तुम होसु समभावो ॥ कुणसु दयं जीवाण होसु य मा णिहओ सहावेण । मा होसु सढो मुत्तिं चिंतेसु य ताव अणुदियह ॥ कुणसु तवं जेण तुभं कम्म तावेसि भव-सय-णिबद्धं । होसु य संजम-जमिओ जेण ण अजेसि तं पावं ॥ मा अलियं भण सव्यं परिहर सच पि जीव-वह-जणयं । वहसु सुई पाव-विवजगेण आकिंचगो होहि ॥ पसु-पंडय-महिला-विरहियं ति वसही णिसेवेसु । परिहरसु कहं तह देस-वेस-महिलाण संबद्धं ॥ मा य णिसीयसु समयं महिलाहिँ आसणेसु सयगेसु । या तुंग-पओहर-गुरु-णियंब-बिंब ति णिज्झासु ॥ मा मिहुगं रममाणं गिज्झायसु कुडु-ववहियं जइ वि । इय हसियं इय रमियं तीय सम मा य चिंतेसु ॥ 12 मा भुंजसु अइणि मा पजत्तिं च कुणसु आहारे । मा करेसु विहूमं कामाहंकार-जणनि च ॥ इय दस-विहं तु धम्मं गव चेव य बंभ-गुत्ति-चेचइयं । इ ताव करेसि तुमं तं ठाणं तेण पाविहिसि ॥ जत्थ ण जरा ण मच ण वाहिणो णेय माणसं दुक्खं । सासय-सिव-सुह-सोक्खं अइरा मोक्खं पि पाविहिसि ॥' 16 तओ भणियं च मोहद तेण । भगवं जइ अहं जोग्गो, ता देसु मह पव्वजं । भणिय च भगवया 'जोग्गो तुम पव्वजाए, 15 किंतु अहं ण पवामिति । तेण भणिय 'भगवं, किं कर्ज ति । भणियं च णेण भगवया 'अहं चारण-समगो, ण महं गच्छ परिग्गहो । तेण भणिय 'भगवं केरिसो चारण-समणो होइ। भगियं च भगवया। 'भद्दमुह, जे विजाहरा संजाय-वेरग्गा 18 समण-धम्म पडिवति, ते गयणंगण-चारिणो पुब्व-सिद्ध-विजा चेव होंति । अहं च पट्टिओ सेत्तुजे महागिरिवरे सिद्धाणं 18 वंदणा-णिमित्तं । तत्थ गयणयलेण वच्चमाणस्स कहं पि अहो-उवओगो जाओ। दिवो य मए एस पुरिसो तए घाइजतो। णिरूवियं च मए भवहिणा जहा को चि एस इमस्स होइ त्ति जाव इह भवे चेव जणओ । तओ मए चिंतियं 'अहो कहूँ, 2. जेण एसो वि पुरिसो जणयमिणं मारेउं पुरओ चिय एस माइ-भइणीणं । मोहमओ मत्त-मणो प्रहि भइणि पि गेच्छिहि ॥ इमं च चिंतयंतस्स णिवाइओ तए एसो। चिंतियं च मए एक्कमकज कयं गोण जाव दुइयं पिण कुणइ ताव संबोहेमि गं । भब्वो य एस थोवावसेस-किंचि-कम्मो । जं पुण इमं से चेट्रियं तं किं कुणउ वराओ । अवि य । णिस्थिष्ण-भव-समुद्दा चरिम-सरीरा य होंति तित्थयरा । कम्मेण तेण अवसा गिह-धम्मे होंति मूढ-मणा ॥ चिंतिऊण अवइण्णो संबोहिओ य तुमं मए' त्ति । भणिधं च मोहदत्तेणं 'भगवं, कहं पुण पव्वज्जा मए पावियब्य'त्ति । 7 भगवया भणियं । 'वञ्च, कोसंबीए दक्खिणे पासे राइयो पुरंदरदत्तस्स्स उजाणे सुद्ध-पक्ख-चेत्त-सत्तमीए समवसरियं 7 धम्मणंदणं णाम आयरियं पेच्छिहिसि । तत्थ सो सयं चेय गाऊण य तुम्ह वुत्तंत पव्वावइस्सइ'त्ति भणमाणो समुप्पइओ कुवलय-दल-सामलं गयणयलं विजाहर-मुणिवरो त्ति । नओ भो भो पुरंदरदत्त महाराय, एसो तं चेव वयग मुणियो 30 गेण्हिऊण चइऊण घराबासं म अषिणसमाणो इहागओ त्ति । इमं च सयलं वुत्ततं णिसामिऊण भगिय मोहदत्तण 'भगवं, 30 एवमेयं, ण एत्थ तण-मेत्तं पि अलियं, ता देसु मे पव्वज' ति। भगवया वि गाऊण उवसंत-मोहो त्ति पव्वाविभो वग्घदत्तो ति ॥७॥ 21 1) किं कहूँ for विकटुं, उ चेय, P लाए for लोए, १ चेव कयं for चेय भयं. 2) सु for साहसु. 4) ते उग्गं for आउत्तो. 5) बाहुं अणुलिंपइ, व for य. 8) P भव for भग, P जगणं ।, P सुई. 9) J पसुमण्डव, P विरहितं ति राईए सन्निवेसेसु ।, P संबंध ॥. 10) लिच्छीतसु for जिसी रतु, पओहरा- 11) P कुटुवचहियं, P तीये. 12) P आहारो, P विभूसं, P जणसं न. 13) P गुत्तिबंचइयं, तुभं ता तट्ठा. 14) Prepeats न जरा, P अई for अइरा. 15) ' ततो for तओ, P भवगवं, जोणा for जोग्गो, Pom. मह, जोगी. 16) Pom. भगवं. 17) P भद्दमुणह, P वेरग्ग. 18) सिद्धवेजा, P पत्थिओ, P सेतुष्मे for सेत्तुंजे. 19) गणयले, P adds मज्झ before वच्चमाणस्स, Jom. अहो, - om. तए. 20) Pom. वि, p inter. इमस्स and एस, Jom. तओ. 21) I एरिसो for एसो, I om. वि. 22) I धेस्थिहिर " घेच्छिहेति. 23) Pसो for एसो, P तेण for tण. 24) J वगओ।. 25) P वित्थिण्ण-, ' चरसरीरय. 26) J om. च, P पज्जावियव्यज्जा for पन्वज्जा, P om. मए. 27) Iom. भगवया भणिय, J दक्खिणेण, P पुरंदत्तस्स, P om. चेत्त. 28) P तुच्छ for तत्थ, I om. य, P वुत्तंतं निसामिऊण तस्स राइणो पव्वावइस्स ति. 29) चेय. 30) Jadds एस before मं, मोहयतण. 31) एयं इमं for एवमेयं, P तिणमेतं, Pताव for ता. Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 कुवलयमाला १ ५५) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मगंदणेण । तओ भो भो वासवमहामंति, जे तए पुच्छियं जहा इमस्स घड- 1 गह-लक्खणस्स संसारस्स किं पढम णिव्वेय-कारणं ति। तत्थ इमे महामल्ला पंच कोह-माण-माया-लोह-मोहा परायतं जीवं ३ काऊण दोग्गइ-पहमुवणेति । तत्थ इमाणं उदय-णिरोहो कायब्वो उदिण्णाणं वा विहली-करणं ति । तं जहा । जइ अक्कोसइ बालो तहा वि लाभो त्ति णवर णायन्यो । गुरु-मोह-मूढ-मणसो जं ण य ताडेइ मे कह वि ॥ मह ताडेइ वि बालो मुणिणा लाभो त्ति णवर मंतन्वं । जे एस गिरासंसो ण य मे मारेइ केणं पि ॥ भह मारेइ वि बालो तहा वि लाहो त्ति णवर णायव्वो। जे एस णिग्विवेओ महन्वए णेय णासेइ । इय पुन्वावर-लाभो चिंतेयन्वो जणेण णिउणेणं । रोद्दप्फलो य कोहो चिंतेयब्वो जिणाणाए ॥ माण पि मा करेजसु एवं भावेसु ताव संसारे । भासि इमो अड्डयरो अहं पि दुहिओ चिरं आसि ॥ 9 मासि इमो वि विभड्डो आसि अहं चेय अयणओ लोए । मासि इमो वि सुरूवो पुहईय वि मंगुलो अहयं ॥ सुकुलम्मि एस जाओ आसि अहं चेय पक्कण-कुलम्मि । आसि इमो बलवंतो अहयं चिय दुब्बलो आसि ॥ आसि इमो वि तवस्सी होहिइ वा दीहरम्मि संसारे । एसो बहुं लहंतो अहयं चिय वंचिओ आसि ॥ 12 होऊण ललिय-कुंडल-वणमाला-रयण-रेहिरो देवो । सो चेय होइ णवरं कीडो असुइम्मि संसारे ॥ होऊण चिरं कीडो भव-परिवाडीए कम्म-जोएण । सो चिय पुणो वि इंदो वजहरो होइ सग्गम्मि ॥ सो गस्थि जए जीवो णवि पत्तो जो दुहाई संसारे । जो असुहं णवि पत्तो णिय-विरइय-कम्म-जोएण ॥ 16 इय परिसं असारं अथिरं गुण-संगम इमं गाउं । ता कयरं मण्णतो गुणं ति माणं समुन्वहसि ॥ माया वि कीस कीरइ बुहयण-परिणिदिय त्ति काऊण । कह वंचिज्जड जीवो अप्प-समो पाव-मूढेहिं॥ जह वंचिओ त्ति अयं दुक्खं तुइ देइ दारुणं हियए । तह चिंतेसु इमस्स वि एस चिय वंचणा पावं ॥ 18 जइ वि ण वंचेसि तुम माया-सीलो त्ति तह वि लोयम्मि । सप्पो ब्व णिब्वियप्पं णिच्चं चिय होइ बीहणओ ॥ __ तम्हा मा कुण मायं मार्य सयलस्स दुक्ख-वग्गस्स । इय चिंतिऊण दोसे अजव-भावं विभावेसु ॥ लोभो वि उज्झियब्यो एवं हिययम्मि णवर चिंतेउं । णाणाविहं तु अत्थं आसि महंत महं चेय॥ वेरुलिय-पउमरायं कक्केयण-मरगयाइँ रयणाई । भासि महं चिय सुइरं चत्ताई मए अवसएणं ॥ जह ता करेसि धम्म साहीणाणिं पुणो वि रयणाई । महवा रजसि पावे एवं पि कडिल्लयं णस्थि ॥ जइ णव महाणिहीओ रज सयलं च भुंजए चक्की । ता कीस तुम दुहिओ पावय पावेण चित्तण ॥ कुणसु य तुम पि धम्म तुज्झ वि एयारिसा सिरी होइ । ता पर-विहव-विलक्खो ण लहिसि णिई पि राईए॥ भालप्पालारंभ मा कुण विहवो त्ति होहिइ महं ति । पुव्व-कयस्त ण णासो ण य संपत्ती अविहियस्स ॥ अह परिचिंतेसि तुम भत्तं पोतं व कह णु होजा हि । तत्थ वि पुन्व-कयं चिय अणुयत्तइ सयल-लोयस्स ॥ 7 महिलायणे वि सुब्वइ पयर्ड आहाणयं णरवरिंद । जेण कयं कडियलयं तेण कयं मज्म वत्थं पि॥ जेण कया धवल चिय हंसा तह बरहिणो य चित्तलया। सो मह भत्तं दाहिइ ण अण्णयारी तणं चरह ॥ इय चिंतिऊण पावं मा मा असमंजसं कुणसु लोहं । पडिहण संतोसेणं तह चेय जिणिंद-वयणेणं ॥ मोहस्स वि पडिवक्ख चिंतेयच्वं इमं सुविहिएहिं । असुई-कलमल-भरिए रमेज को माणुसी-देहे ॥ जं असुई-दुग्गंध बीभच्छे बहुयणेण परिहरियं । जो रमइ तेण मूढो अव्वो विरमेज सो केण ॥ ___ जं गुज्झं देहे मंगुल-रूवं उविजए लोए । तं चेय जस्ल रम्म अहो विसं महुरयं तस्स ॥ 33 जं असइ ससइ वेयइ मउलइ णयणार णीसहा होइ । तं चिय कुणइ मरंती मूढा ण तहा वि रमणिज्जा । 2) Pom. णिवेय, P-लोभ-. 3) P उवइनाणं विहली. 4) P लाहो नि, उ for य, P ताडेय मं कह. 8) मुणिणो लोभो, P मंतव्यो । निस. 8) Pसंसारो, Prepeats अट्टयरो, P om, आसि. 9) Pअयाणओ. 10) Pसुकुलं पि,. चेव, चिय. 11) P होही वा, P बहुं तो अहिय. 12) Pच्चेय. 13) F परिवाड़ीय. 14) P जो यसुहं, णय for णवि, P पत्तो न य वियरइ. 15) P संगम च नाऊणं |, P गुणाभिमाणं. 16) Pom. कीस, P वंचिज्जर. 17) अह for जह, दुहवेइ for तुह देइ, P चितेइ, P पावा ।. 18) P वंचेमि, बि for ब्व. 19) भग्गस्स ।,' विलम्गासु for विभावेसु. 20) लोहो. 21पोमरराए, अमरगए य रयणाई. 22) साहीणाणं साहीणावि, P एवं पि. 23) P तुहं for तुमं. 24) Pकुज्ज for तुज्झ, Pमा for ता. 26) त्तइ सव्वलोगस्स ।।. 28) तह वरहिलो य चित्तयला । 29) P अमंजस, P विमलेण for तह चेय. 30) Pइमं सुबुद्धीहिं।, कलिमल. 31) Pबीभत्सं. 32) P मंगलरूयं च विरमणिज्जाI, Pom. ठविजए लोए eto. to मूढाण तहा वि.33)ज for जं. 11 Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२ उज्जोयणसूरिविरइया [६१५५जण-लजणय पितहा बुहयण-परिणिदियं चिलीणं पि । जसोडीरा पुरिसा रमति तं पाव-सत्तीए॥ जइ तीरइ काउं जे पडिहत्थो विंदुएहिं जलणाहो । ता काम-राय-तित्तो इह लोए होज जीवो वि ॥ 3 कटुिंधण-तण-णिवहेहिँ पूरिओ होज णाम जलणो वि । ता कामेहि वि जीवो हवेज तित्तो ण संदेहो॥ उत्तुंग-पीण-पीवर-थण-भारोणमिय-तणुय-मज्झाहिं । सग्गे वि भए रमियं देवीहिँ ण चेय संतोसो।। माणुस-जोणीसु मए अह उत्तिम-मज्झिमासु णेयासु । रमियं तहा दि मज्झं रोरस्स व णस्थि संतोसो॥ इय असुई-संबंध मुंचसु मोहं ति पाव रे जीव । चिंतेसु जिणवराण आणं सोक्खाण संताणं ॥ इह कोह-माण-माया-लोहं मोहं च दुह-सयावासं । परिहरियव्वं बहु-सिक्खिएण एवं जिणाणाए ॥त्ति । ६१५६) एत्थंतरम्मि सूरो सोऊणं धम्म-देसणं गुरुणो । पच्छायाव-परद्धो अह जाओ मउलिय-पयावो॥ इमाए पुण वेलाए वट्टमाणीए अत्थगिरि-सिहर-संगमूसुएसु दिणयर-रह-वर-तुरंगमेसु अभिवंदिऊण भगवओ चलण-जुवलयं . राया पुरंदरदत्तो वासवो य महामंती पविट्ठा कोसंबीए पुरवरीए । सेस-जगो वि जहागओ पडिगओ। साहुणो वि भयवंते संपलग्गा णियएसु कम्म-धम्म-किरिया-कलावेसु । तओ 12 अथिइरि-णिहिय-हत्यो अहोमुहो गयण-हुत्त-पाइल्लो । मत्थुत्थल्लं दाउं वालो इव ववसिओ सूरो॥ संझा-वह' णज्जइ गयणाहिंतो समुद्द-मज्झम्मि । णिय-कर-रज-णिबद्धो सूरो कुडओ व्व ओयरिओ॥ अह मउलिय-प्पयावो तम-पडलंतरिय-किरण-दिटिल्लो । संकुइय-करोइय-थेरओ व्व जाओ रवी एसो॥ 16 जायस्स धुवो मच्चू रिद्धी अवि आवई धुवं होइ । इय सातो ब्व रवी णिवडइ अत्थगिरि-सिहराओ॥ पाडिय-चंडयर-करो कमसो अह तविय-सयल-भुवणयलो । सहसा अत्थाओ चिय इय सूरो खल-णरिंदो व्व ॥ अह दिणयर-णरणाहे अथमिए णलिणि-मुद्ध-विलयाहिं । पल्हत्य-पंकय-मुहं अव्वो रोउ पिव पयत्त ॥ दट्टण य णलिणीओ रुयमाणीओ व्च मुद्ध-भमरेहिं । अणुरुवइ बालेहि व सुइरं रुइरे जगणि-सत्थे॥ उय मित्तस्स विओए हंस-रवुम्मुक्क-राव-कलुणाणं । विहडइ चक्काय-जुयं अव्वो हिययं व णलिणीण ॥ सूर-णरिंदत्थवणे कुसुंभ-रत्तंबराणुमग्गेण । कुल-बालिय व्व संझा अणुमरइ समुद्द-मज्झम्मि ॥ 1 अवि य खल-भोइयस्स व वहू-पणइयण-पत्थिज्जमाणस्स ईसि अंधयारिजंति मुहाई तम-णिवहेण दिसा-बहूर्ण, मित्त- 21 विओयाणल-डज्झमाण-हियथाई व आउलाई विलवंति सउण-सत्थाई, ईसालुय-णरिंद-सुंदरीओ इव पडिहय-दूरप्पसराओ दिट्ठीभो त्ति । अवि य । अत्थं गयम्मि सूरे तिहुयण-घर-सामिए व्व कालगए । रोवंति दिसि-बहूओ जण-णिवहुद्दाम-सद्देण॥ ६१५७) ताव य को वुत्तंतो पयत्तो भुवणयले । अवि य पडिणियत्तई गोहणई, जिग्गयाइं चोर-वंद्रई, आवासियई पहिय-सत्थई, उक्कंटियई पंसुलि-कुलई, संझोवासणा-वावडई मुणिवर-वंद्रई, विरह-विहुरई चक्कवायई, समूससियई 27 णारी-पुरिस-हियवयई, गायत्ती-जव-वावडई बंभण-घरई । मूएलिहोंति कायल, पसरति घूय, चिलिचिलेंति पिंगलओ, संकुयंति सउणा, वियरंति सावया, किलिकिलेंति वेयाला, पणञ्चति डाीओ, परिकमंति भूया, रडंति भसुयओ त्ति । अचि य । वच्छंतरेसु सउणे णिद्दा-भर-मंथरे णिमेऊणं । कच्छंतरम्मि बाले सोवइ जणणि व्व वण-राई॥ एरिसए समयम्मि के उण उल्लावा कत्थ सोऊण पयत्ता । डझिर-तिल-घय-समिहा-तडतडा-सद्दई मंत-जाय-मंडवेसु, गंभीर-वेय-पढण-रवई बंभण-सालिसु, मणहर-अक्खित्तिया-गेयई रुद्द-भवणेसु, गल्लफोडण-रवई धम्मिय-मढेसु, घंटा-डम१० रुय-सइई कावालिय-घरेसु, तोडहिया-पुक्करियई चच्चर-सियेसु, भगवगीया-गुणण-धणीओ आवसहासु, सब्भूय-गुण-रइयई। 1) P बहुयण- 2) P काओ for काउं, पडहच्छो , P तो for ता, तत्तो. 3) Pणाम जणाम जलणो, मि for वि, P जीवा, P तित्ता. 4) P adds घणपीवर before थणभारो. 5)P अहमुत्तिम, J तहवी, P वि for व, P संदेहो for संतोसो. 6) J असुइमं संबोज्झ मुंच मोहो त्ति, P संबंधो.7) Pलोभ, जिणाणाएं ति.9) Padds य before पुण, Jom. वट्टमाणीए, P दिशवर, P अभिनंदिऊण भगवतो चलणजुयलं. 10) कोसंबीपुर',Jom.वि, Pom. पडिगओ, P भगवंतो संपल याणियएसु. 12) P अत्थगिरि, Pom. मुहो, J मच्छुत्थलं P मछुत्थल, P पवसिओ. 13) संझाववहूणज्जइ, P नियकर केया बद्धो सूरो कडओ, J ओसरिओ ओयरिहो. 14)J -पयावो, पत्थोय for किरण, P repeats करोइय, Pथेरय ब्व. 15)P व for अवि, P उदयत्थ for अत्थगिरि. 17) Pनलणि-, P मुहं अहो रोत्तं पिव. 18) रुइरो जणणिसत्थो. 19) हंसरवमुक्क, चुकाय. 20) P नरिंदत्यमणे, P रत्तंबराणमग्गेण, P अणुसरइ समुज्झमि ।।. 21) होइयस्स, P बहू (बहु?), P पणईयण, दिसावहूं. 22) Jom. आउलाई, Pईयालुनरिंद, I दूरपसराओ, P दूरप्पसरा दिट्ठीओ. 25) पडिनियत्ताई गोणाई, P वंद्रा आवसियाई पह्यणसत्थाई । उकठियाई. 26) F कुलाई, P वावले for वावडई and repeats अवि य पडिनियत्ताई etc. to संज्झोवासणावावडाई. 27)P चोर for णारी, Pगायंति जाव वावडई, P संघाई for घरई, सुयंती for मूएल्लि, Pघूया. 28) P सउणविरयरंति सावय, P परिभमंति, भुसुओ for भसुयओ. 30) सउणा, I भय for भर, P सोयह जइ जणणि. 31) एरिसे य, Pदज्झिर, P सह. 32)P बंभाण सालोतु, J अक्खित्तिआअई, P गेयाई,P गलप्फोडण. 33) P कालालिय, P-चुकरिथई, सिसिवेसु, गुणणवणउ आव, गुणरइ. 24 Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१५८] कुवलयमाला 1 थुइ-थोत्तई जिणहरेसु, एयंत-करुणा-णिबद्धत्थई वयणई बुद्ध-विहारेसु, चालिय-महल्ल-घंटा-खडहडओ कोट्टज्जा-घरेस, 1 सिहि-कुक्कुड-चडय-रवई छम्मुहालएसु, मणहर-कामिणी-गीय-मुरय-रवई तुंग-देव-घरेसुं ति । अवि य ।। ३ कत्थइ गीयस्स रवो कत्थइ मुरयाण सुन्वए सहो । कथइ किं पि पढिजइ इय हलबोलो पओसम्मि ।। कामिणीहरेसु पुण के उल्लावा सुविडं पयत्ता। हला हला पल्लविए, सज्जीकरेसु वासहरयं, पप्फोडेसु चित्त-भित्तीओ, पक्खिवसु मइराए कप्पूरं, विरएसु कुसुम-माला-घरयई, रएसु कोहिमे पत्तलयाओ, विरएसु कुसुम-सस्थरे, संधुक्कसु 'धूव-घडियाओ, संजोएसु महुर-पलावे जंत-सउणए, विरएसु णागवल्ली-पत्त-पडलए, ठवेसु कप्पूर-फडा-समुग्गए, णिक्खिव 8 कक्कोलय-गोलए, ठवेसु जाल-गवक्खए भत्थुर-सेज, देसु सिंगाडए, णिक्खिव वलक्खलए, पक्खिव चकलए, पज्जालेसु पईवे, पवेसेसु महं, कोंतलं काउं सुइरं णिमज्जसु मज-भायणे, पडिमग्गसु मइरा-भंडए, हत्थ-पत्ते कुणसु चसए, णिक्खिय ७ सयण-पासम्मि विविह-खज-भोज-पेज-पडलए त्ति । अवि य । एकेक्कयम्मि णवरं वर-कामिणि-पिहुल-वास-घरयम्मि । कम्मं तो ण समप्पइ पिय-संगम-गारवग्धविए। ६१५८) एयम्मि एरिसे समए को वावारो पयत्तो णायर-कामिणी-सत्थस्स । मवि य । ७ सहि संपइ मज्झ घरं पावइ दइओ त्ति मंडणं कुणसु । महवा भलं ति मह मंडणेण अंगस्स भारेण ॥ दे तूर महं पियसहि तिलए भालं रएसु दइएण । इय विहलक्खर-भणिरी सहियाहि हसिज्जए अण्णा ॥ आसण्ण-दइय-संगम-सुहिल्लि-हल्लप्फला हलहलेति । अण्णा रसण कंठे बंधइ हारं णियबम्मि ॥ होत-जियणाह-संगम-मयण-रसासाय-सुण्ण-हिययाए । महाए चिय रइओ तिलओ अण्णाए घुसिणेण ॥ अण्णा ण जंपइ चिय माणेसु पियं ति दूह-लज्जाए। पिय-वयण-गम्भिणेहिं णयण-पदाणेहिँ पयडेइ ॥ संचारियाएँ अण्णा अप्पाहेती पियस्स संदेसं । अगणिय-मग्ग-विहाया सहसा गेहं चिय पविट्ठा ॥ 18 एहिइ पिभो त्ति अण्णा इमिणा मग्गेण अधयारम्मि । तं चेय णियच्छंती अच्छइ जोइ व्व झाणत्था । अजेक चिय दियह अत्ता वञ्चामि जइ तुम भणसि । भणुदियह पि भणती अण्णा दइयं समल्लियइ ।। पढम चिय पिय-वसही गंतब्वं अजमेव चिंतेती । गुरु-सज्मस-तोस-विसाय-णिभरा होइ अण्णा वि ॥ 1 तम-पडहत्था रच्छा कीय वि जो होइ संभमो हियए । सो होंत-दइय-संगम-सुहेलि-पडिपेल्लिओ गलइ ॥ अणुराओ चेय फरो तस्स गुणा चेय णिम्मलं खग्गं । इय भणिउं एक च्चिय पिय-वसहिं पत्थिया अण्णा ॥ वण्णेति पोढ-महिला किर सो बहु-सिक्खिरो जुवाणो ति । णिव्वडइ त पि भज इयं भणिरी वञ्चए अण्णा ॥ 24 पण्णिजइ महिलाहिं जा रयणाली कुमार-कंठम्मि । तं पेच्छह मह कंठे एव भणती गया अण्णा ॥ कसिण-पड-पाउयंगी दीवुजोयम्मि कुहिणि-मज्झम्मि । वोलेइ अत्ति अण्णा कयावराहा भुयंगि व्व ॥ अण्णा भय-भरियंगी मच्छिच्छोएहि जाइ पुलयंती। णीलुप्पल-णियरहिं व अच्चती पंथ-देवीओ ॥ 27 अण्णा सहियण-भणिया पिय-वसहिं वच्च ताव मंडेउं । चलिय चिय णिय-सोहग्ग-गग्विरी का वि दइयस्स ॥ वच्चंतीय यकीय वि दिट्ठो सो चेय वल्लहो पंथे । मह पडिमग्गं चलिया पिय ति गवं समुवहिरी ॥ द?ण काइ दइयं पियाऍ समयं सुणिन्भर-पसुत्तं । वञ्चइ पडिपह-हुरी धोयंसुय-कजला वरई ॥ अण्णा वासय-सज्जा अच्छइ जिय-णाम-दिण्ण-संकेया । अण्णाएँ सो वि हरिओ भूयाण य वाइओ वंसो॥ इय एरिसे पओसे जुयईयण-संचरंत-पउरम्मि । मयण-महासर-पहर-णीसहा होति जुवईभो॥ 1) थोत्तयं, P-निबदथईवयई बद्धः, P महल्ला, घडहडओ. 2) सिहिएडुचडय, P-गेयमुखरश्यई. 4) को tor के, r repeats के उल्लावा, P om. one हला, सज्जीअरेसु. 5) पक्खि मइराए पक्खिवइ मइराएसु कापूर, मालाघराई, P repeats विरएसु कुसुममालाधराई। रएसु कोट्टिमे पत्तलयाओ, P विएसु कुसुमसत्थरो. 6) Pधूम for धूव, ठपसु, P-फडा. 7) P कंकोलय, ठएसु, P सिंघाडए, ' चक्कलए for वलक्खलए, P om. पक्खिव चक्कलए. 8) Pमहुरकोतलकाओ सहरं, P om. मज्ज, JP have a danda after काउं, J अत्थपत्थेमु. 9) Pमयण, P inter. पेज and भोज. 10) adds वि before ण, 'वग्धविओ. 11) Pपहुत्तो for पयत्तो. 12) P सइ for सहि. 13) सहि अहि सहियाई. 14) Pसंगमसुहलि., I हल्लफला. 16) संदयदाणिहिं for णयणपदाणेहि. 17) P अप्पाहंती, P विभागा. 18) P एही for एहिइ. 19"P अणुदियहमि, समुल्लियइ. 20) पढम चिय वसई चेय गंतव्वं, चिंतंती, P सम्भस. 21)" संहमो, सुहुल्लि. 22) Jखरो for फरो, P भणिय, पियवसई. 23) P अण्ण त्ति for वण्णेति, सिक्खिओ. 24) " महिलाई, रयणीली P रयणावली, J का वि for अण्णा. 25) P पारंगी, Jadds जा before दीवु, I has a marginal note on कुहिणि thes: देशी कुहणी कर्पूरो रथ्था च ।, P-भज्जमि. 26) अण्ण, J अच्छिच्छोहेहिइ, P नयणेहिं व अचेवी, पत्थ. 27) सहि for वसहि, P चविय for चलिय, कियसोहग्गगविणी. 29) F दट्ठण कोइ, P पडिवह, धोइंसुय, P धरई for वरई. 307 P जितणाम, ' हूआणं वाइओ. 31) P जुवईयणसंचरमि मयणमहारहसर, पहरेहि नीसहा. Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ 1 उज्जोयणसूरिविरया [६१५९६१५९) ताव य भइकतो पढमो जामो चउ-जामिणीए । अवि य । मयण-महाहव-वेला-पहार-समयं व पजरंतो ब्व । उद्धाइ संख-सद्दो वर-कामिणि-कणिय-वामिस्सो॥ उपत्थंतरम्मि विविह-रिंद-वंद्र-मंडली-सणाहं पाओसिय अत्थाण-समयं दाऊण समुट्टिओ राया पुरंदरदत्तो । विसजियासेस- 3 परिंद-लोओ पविट्ठो अभंतरं । तत्थ पडियग्गिऊण अंतेउरिया-जण, संमाणेऊण संमाणणिजे, पेच्छिऊण पेच्छणिजे, सवहा कय-कायव्व-वावारो उवगओ वास-भवणं । तत्थ य उवगयस्स समुटिमओ चित्ते वियप्पो । 'अहो, एरिसा बि एसा संपया 6 खण-भंगुरा । एवं सुयं मए अज भगवओ धम्मणदणस्स पाय-मूले । अहो, गुरुणा जणिय वेरग्गं, मसारी-कओ संसारो,8 विरसीकया भोगा, णिदिओ इस्थि-पसंगो । ता पेच्छामि ताव एत्थ मयण-महसवे एरिसे य पोसे किं करेंति ते साहुणो, किं जहा-वाई तहा-कारी आओ अण्णह' त्ति चिंतयंतेण राइणा पुरंदरदत्तेण गहिरं अद्ध-सवण्णं वत्थ-जुवलयं । जस्स य। . मद्धं ससंक-धवलं अद्धं सिहि-कंठ-गवल-सच्छायं । पक्ख-जुवलं व घडिय कत्तिय-मासं व रमणि ॥ परिहरियं च राइणा धवलमद्धं कसिणायार-परिक्खितं । उवरिलयं पि कयं कसिण-पच्छायणं । गहिया य छुरिया । सा य केरिसा । मवि य । 12 रयण-सुवण्ण-कंठ-सिरि-सोहिय-तणुतर-मुट्ठि-गेझिया । वहरि-णरिंद-वच्छ-परिचुंबण-पसर-पयत्त-माणिया ॥ 12 रेहिर-वर-वरंग-सोहा णव-कुवलय-सामलंगिया। रिउ-जण-पणइणि व्व सा बज्झइ कडियलए छुरिल्लिया ॥ सा य उत्थलियए माणिक-पट्टियए दढ-णिबद्ध कयल्लिया। तओ सुयंध-सिणेहो एरिसो य सव्वायर-परियडिओ सीसेण 16धरियल्लओ। तह वि वंक-विवंको पयइ-कसिणो सहावो यत्ति कोवेण व उदो विणिबद्धो केस-ढमर-पन्भारो । तमो णाणा-18 विह-कुसुम-मयरंद-बिंदु-णीसंदिर-कप्पूर-रेणु-राय-सुयंध-गंध-लुद्ध-मुद्धागयालि-रण-रणेत-मुहल परिहिय मुंडे मालुल्लिया । तो भइविमल-मुहयंद-चंदिमा-पूर-पसर-परिप्फलणई कड्डियई उभय-गंडवासेसु बहल-कत्थूरियामयवद्दई । रंजियई च तीय 18 सेसई परियर-वलग्गई पसरंत-णिम्मल-मजहई रयणई । तओ कप्पूर-पूर-पउरई कंकोलय-लवंग-मीसह पंच सोयंधियई 18 तंबोलह भरियई गंडवासई । असेस-सुरासुर-धब्व-जक्ख-सिद्ध-तंत-वत्तियए विरहओ भालवढे तिलओ। बहले वि तमंधयारे रह-रेणुवदंसावएण अंजण-जोएण अंजियई मच्छिवत्तई। पूरियं च पउटे पउर-वेरि-वीर-मंडलग्गाभिघाय-णिवडत। णिटुरत्तण-गुणं वसुणदयं । गहियं च दाहिण-हत्थेण खग्ग-रयणं ति । तं च केरिसं । अवि य । वहरि-गइंद-पिहुल-कुंभत्थल-दारणए समत्थयं । णरवर-सय-सहस्स-मुह-कमल-मुणाल-वणे दुहावहं ॥ जयसिरि-धवल-णेत्त-लीला-वस-ललिउब्वेल्ल-मग्गय । दाहिण-हत्थएण गहियं पुण राय-सुएण खग्गयं ॥ तच घेत्तण णिहुय-पय-संचारं वंचिऊण जामइल्ले, विसामिऊण अंगरक्खे, भामिऊण वामणए, वेलविऊण विऊसए, दिऊण 24 वडहे, सव्वहा णिग्गओ राया वास-घराओ, समोइण्णो दद्दर-सोमाण-पंतीए त्ति । ६१६०) इमम्मि य एरिसे समए केरिसावत्थो पुण वियड्ड-कामिणियणो भगवं साहुयणो य । अवि य । 27 एक्को रणत-रसणो पिययम-विवरीय-सुरय-भर-सिग्गो। वेरग्ग-मग्ग-लग्गो अण्णो काम पि दूसेह ॥ एक्को महुर-पलाविर-मम्मण-भणिएहिं हरइ कामियणं । अण्णो फुड-वियडक्खर-रइयं धम्म परिकहेइ ॥ एक्को पिययम-मुह-कमल-चसय-दिणं महुं पियइ तुट्ठो । अण्णो तं चिय जिंदह भणेय-दोसुब्भकं पाणं ॥ 80 एक्को गह-मुह-पहरासिय-दंतुल्लिहण-वावडो रमइ । अण्णो धम्मज्झाणे कामस्स दुहाई चिंतेइ ॥ एको संदट्ठाहर-वियणा-सिक्कार-मउलियच्छीभो । धम्मज्झाणोवगो अवरो अणिमिसिय-णयणो य ॥ एक्को पिययम-संगम-सुहेल्लि-सुह-णिभरो सुहं गाइ । अण्णो दुह-सय-पउरं भीम णरयं विचिंतेइ ॥ 33 एक्को दइयं चुंबइ बाहोभय-पास-गहिय-वच्छयलं । भण्णो कलिमल-णिलयं असुई देहं विचिंतेह ॥ 2) वेणी for वेला, १ वजरंतो. 3) नरेंद्र, पुरंदरयत्तो. 4) लोतो for लोओ, P अम्मंतरो, अंतेउरिजणं, P समाणणिज्जो. 5) Frepeats वारो उवगओ, तत्थ ववगयस्स, Pom. वि. 7) Jom. एत्थ, P transposes a before किं, करति. 8) F जहावाती,' अण्णहि त्ति, P चिंतियंतेण, पुरंदरयत्तण, अद्धसुवणं अद्धसवनं जत्थ, Pom. य. 93 ससंख-, पक्खजुवलेण घडिओ कत्तियमासो व्व रमणिज्जो।. 10) P परिहियं च, P धवलं मळू कगाइ विपक्खित्तं, P om. फि, गहियं जच्चच्छुरिया. 12) कण्ण for कंठ, सोहिया, Pom. तर, गेण्हिआ।, P नरिंद्रचंद्रपरि. 13) रिउमण, छुरुलिया. 14) Jसार for सा य, P सा च उच्छुल्लियाए माणिकपट्ठियाए, I कडियलिभ । परिवटिओ. 15) Jउबद्धो for व उद्धों, P उद्धो बद्धो केम तस्स तमर पम्भारो. 16) मयरिंद, वंद for बिंदु, Pणीसिंदकप्पूर, सुगंध, P मुद्धासवालि, P परिहिया. 17) P पसरि, P कट्टिअई, रंजियं च, च तिय. 18) Pom. रयण, ककोलय, I repeats लय, Pom. मीसह, पंचासो', Pपंच सुअंधियई. 19) P तंबोलभरियई गंडवासय, रक्खा for जक्ख, P सिद्धतत,J कालवटो P मालवटे 20) रेणुपयंसावरण, P अजियाई अस्थवत्तई, वहरि for वेरि, Pघाया. 21)णिट्टरत्तगुणं, Pom. हत्येण,Jom.ति, 22) Pगयंद, दुहावयं. 23) Pललियुज्वेल्ल, दाहिणत्थएण. 24) हामिऊण for भामिऊण. 25) P वासहराओ इमोइन्नो, ' सोमणपत्तीए वि।. 26) Jom. य, Pउण for पुण, P कामिणीयणो भयवं साहुणो. 27) पिययण, करसिग्गो P भरसित्तो, Pom. मग. 28) P पलावीमम्मण, हणिएहि for भणिएहि. 30) सिदंतुल्लि, धम्मत्थाणे. 31) संदुट्ठाहरविणोयसिकार, P अणिमेसणो जाओ. 32) सुहलि, IP गायइ, Pसंसारपहं for भीमं णरयं, वितेइ. 33)P वास for पास, P कलमल, असुश्देहं विइंतेइ. Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१६१] कुवलयमाला | इय जं जं कामियणो कुणइ पओसम्मि णवर मोहंधो । तं तं मुणिवर-लोओ जिंदह जिण-वयण-दिढिल्लो॥ तो एयम्मि एरिसे समए णिक्खंतो राया णियय-भवणाओ। ओइण्णो राय-मग्गं, गतुं पयत्तो। वच्चतेण य राहणा दिद 3 एक तरुण-जुवइ-जुयलयं । दट्टण य चिंतियं 'अहो, किं किं पि सहास-हसिरं इमं तरुणि-जुवलयं, वञ्चता दे णिसामेमि ३ इमाण वीसत्यं मंतियं' ति । तमओ एक्काए भणिय 'पियसहि, कीस तुमं दीससि ससेउकंप-हास-वस-वेविर-पओहरा'। तीए भणिय 'अम्ह पियसहीए अउव्वं वुत्ततं वुत्त' । तीए भणिय 'सहि केरिसं' ति । 8 ६१६१) तीए भणिय । “मागओ सो पियसहि, एसो वलहो। तेण य समं सही-सत्थो सम्बो पाणं पाऊण 6 समाढत्तो। तओ एवं पयत्ते णितणे पेम्माबंधे अवरोप्परं पयत्ताए केलीए कह कह पि महु-मत्तेण कयं ण वल्लहेण गोत्तक्खलणं पियसहीए । तं च सोऊण केरिसा जाया पियसही। अवि य । . . तिवलि-तरंग-णिडाला वग्गिर-विलसंत-कसिण-भुमय-लया। चलिया रणत-रसणा फुरुप्फुरेंताहरा सुयणू ॥ तमो झत्ति विदाणो सही-सत्थो । माउलीहओ से वल्लहो भणुणेउं पयत्तो। किं च भणिय णेण । 'मा कुप्पसु ससि-वयणे साह महं केण किं पि भणिया सि । अवियारिय-दोस-गुणाएँ तुझ किं जुज्जए कोवो ॥' 12 तं च सोऊण अमरिस-वस-विलसमाण-भुमया-लयाए भणिय पियसहीए। 'अवियाणिय-दोस-गुणा अलज्ज होजा तुमे भणतम्मि । जइ तुह वयण-विलक्खो ण होज एसो सही-सत्यो ।' तमो अम्हे वि तत्थ भणिउं पयत्ताओ । 'पियसहि, ण किंचि णिसुर्य इमस्स अम्हेहिं एस्थ दुवयण' । तीए भणियं । हूं, 16मा पलवह, णाय तुम्हे वि इमस्स पक्खम्मि' । भणिऊण ठइय-वयण-कमला रोविडं पयत्ता । तओ दइएण से पलत्तं। 15 ___'सुंदरि कयावराहो सञ्चं सच ति एस पडिवण्णो । एस परसू इमो वि य कंठो जे सिक्खियं कुणसु ।' ति भणमाणो णिवडिओ चलणेसु । तह वि सविसेसं रोविउ पयत्ता । तो अम्हेहिं कण्णे कहिओ पिययमो किं पि, तो 18 पविट्ठो पलंकस्स हेट्टए णिहुओ य अच्छिउं पयत्तो । पुणो भणियं अम्हेहिं।। 18 'अइ ण पसण्णा सि तुम इमस्स दइयस्स पायवडियस्स । अकय-पसाय-विलक्खो अह एसो णिग्गो चेव ॥ ता अच्छ तुम, अम्हे वि घराहरेसु वच्चामो' त्ति भणमाणीओ णिग्गयाओ वास-भवणाओ, णिरूविडं पयत्ताओ पच्छण्णाभो। A 'किं किं करेइ'त्ति पेच्छामो जाव पेच्छामो णीसई वासहरं जाणिऊण उग्घाडियं वयण, जाव ण स दहओ, ण सहीओ, तमो 21 पच्छायाव-परद्धा चिंति पयत्ता । ___ हा हा मए अहव्वाएँ पेच्छ दूसिक्खियाएँ जं रइयं । ण पसण्णा भग्गासा तह पइणो पाय-पडियस्स ॥ वा कहिं मे सहियाओ भणियाओ जहा 'तं आणेसु, ण य तेण विणा अज जीवियं धारेमि' ति । ता किं करियवं 124 अहवा किमेत्य चिंतियवं' ति दढग्गलं कयं दारं विरइओ य उवरिल्लएण पासो, णिबद्धो कीलए, वलग्गा आसणे, दिण्णो कंठे पासो। भणियं च णाए । अवि य। 7 'जय ससुरासुर-कामिणि-जण-मण-वासम्मि सुट्ट दुललिय । जय पंचबाण तिहुयण-रण-मल्ल णमोत्थु ते धीर। श एस विवजामि अहं पिययम-गुरु-गोत्त-वज-णिद्दलिया। तह वि य देजसु मज्झं पुणो वि सो च्छेय दइओ' ति॥ भणतीय पूरिओ पासओ, विमुक्कं अत्ताणयं । एत्थंतरम्मि 30 मह एसो दिण्णो चिय तुटेणं सुयणु तुज्झ मयणेणं । एवं समुल्लवंतेण तेण बाहाहि उक्खित्ता ॥ तो 'अहो, पसण्णो धण्णाए भगवं कुसुमाउहो' ति भणतीभो अम्हे वि पहसियाओ। विलक्खा य जाया पियसही। अवणीओ पासओ । समारोविया सयणे । समासत्था य पुणो पियसही। 88 तं तेहिं समाढत्तं णियंब-हेलुच्छलंत-रसणिलं । जं पियसहि पाव तुम वाससयं अक्खया मज्म ॥ तमो 'सुई वससु'त्ति भणतीओ पविटाओ अत्तणो घराहरेसुं।" 1) P कामिजणो, J मोहद्धो, P लोतो निंदे. 2) ओयन्नो, P om. य. 3) J जुअइजुवलय, चिंतयं, "पि सहासिरं, 'लयं किं वच्चइ ता, I om. दे. 4) मंय त्ति, " दीससि उपहासवसाखोयवेविर. 5) तीय for तीए, अउर्व, वत्तं for वुत्तं. 6) आगओ पियसहि सो अवल्लहो, • पियसहीए सो, P om. सव्वो, I om. पाणं. 7) णिज्जत्तणे, P पयत्ता केली कहं, " महुमित्तेण, I कयण्णेण P कयन्तेण. 9) P तरंडनिडाला, P रणं व रसणा, IP फुरुफुरें', र सुअण्णू सतणू. 10) P अणुणिउं. 11) Pकुप्पसि, महं किंपि केण किंपि,P कंथ तुहं for तुज्झ किं. 13) अवियारिय, P अज्जालज्ज, तुम for तुमे. 14) एत्य पुब्ववयणं, हुं. 15) P तु अम्हे for तुम्हे, P ठिइय for ठइय, रोइउं, P दइए से. 17) P भणिओ for कहिओ. 18) Pom. पविट्ठो, Pom. य. 19) चेय. 20) अच्छसु, P अम्हे घरघरेस, P निरूवियं, पेच्छन्नाओ. 21) Jom. one किं,Jom. स, Jadds य before सहीओ. 23) Pदुस्सिक्खियाए, P पायवडियस्स. 24) J कह, J soores भणियाओ. 25) Jआसणा. 27) P जइ for जय, P वाससि, दूर for सुटु, P दुछलिया, मोड णमोत्थु ए वीर. 28) Put for एस, P मज पुणो य सो चेय. 30) P दिण्णा. 31) Pom. अहो, ए for धमाए, P भणतीए, J om. विलक्खा य जाया. 32) Pउवणीओ, P समारोया सयणो, पुणो सहि. 34) Pघराघरेसुं. 30 Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ ८६ उजोयणसूरिविण्या [६१६२1 ६११२)चिंतियं च राइणा । 'अहो, णिब्भरो अणुराओ, णिउणो सही-सत्थो, वियड्डो जुवाणो' त्ति । 'सम्वहा रम- 1 णीयं पेम' ति चिंतयंतो गंतु पयत्तो। तम्मि य रायमग्गे बहल-तमंधयारे दिटुं राइणा एक्कं गयर-चञ्चरं । तत्थ य किं किं पि उद्धागारं चचर-खंभ-सरिसं लक्खियं । तं च दट्टण चिंतियं णरवइणा । 'अहो, किमेत्थ णयर-चच्चरे इमं लक्खिज्जह । ३ ता किं पुरिसो आउ थंभो त्ति । दे पुरिस-लक्खणाई थंभ-लक्खणाई चेय णिरूवेमि। ताव चिंतयंतस्स समागमओ तस्थ णयर-वसहो । सो य तत्थ गंतूण अवघसिङ पयत्तो, सिंगग्गेण य उल्लिहिडं । तं च दट्टण राइणा चिंतियं । 'अहो, ण होइ 6 एस पुरिसो, जेणेस वसहो एत्थ परिघसइ अंग ति । ता किं थंभो होही, सो विण मए दिटो दिवसओ । ता किं पुण 8 इम' ति चिंतयतो जाव थोवंतरं वश्चइ ताव पेच्छइ । तव-णियम-सोसियंग कसिणं मल-धूलि-धूसरावयवं । दव-दड्ड-थाणु-सरिसं चञ्चर-पडिम-ट्ठियं साहुं॥ तंच दट्टण चिंतिय राइणा । 'अहो धम्मणंदणस्स भगवओ एस संतिमओ लक्खीयइ । तत्थ मए एरिसा रिसिणो दिट्ट-पुष्वा । . महवा अण्णो को वि दुट्ट-पुरिसो इमेणं रूवेणं होहिइ, ता दे परिक्खं करेमि' त्ति चिंतिऊण अयाल-जलय-विजुज्जलं असिवरं मायवतो पहाइओ 'हण हण' त्ति भणतो संपत्तो वेएणं साहुणो मूलं । ण य भगवं ईसि पि चलिभो । तो 12 जाणियं णरवइणा जइ एस दुट्ठो होतो ता मए ‘हण हण' त्ति भणिए पलायंतो खुहिओ वा होतो । एस उण मंदर-सरिसो 12 णिचलत्तणेणे, सायरो व्व अक्खोभत्तणेण, पुहई-मंडलं खंतीए, दिवायरो तव-तेएण, चंदो सोमत्तणेण ति । ता एस धम्मणदणस्स संतिओ होहिइ । ण सुंदरं च मए कयं इमस्स उवरिं महातवस्सिणो खग्गं कड़िय ति । ता खमावेमि 1 एयं । एवं चिंतिऊण भणियं । 16 'जइ वि तुम सुसियंगो देव तुम चेव तह वि बलिययरो । जइ वि तुमं मइलंगो गाणेण समुज्जलो तह वि ॥ जइ वि तुमं असहाओ गुण-गण-संसेविओ तह वि तं सि । जइ वि हु ण दंसणिज्जो दसण-सुहओ तुमं चेय ॥ 18 जइ वि तुम अवहत्थो झाण-महा-पहरणो तह वि णाह । जइ वि ण पहरसि मुणिवर मारेसि तहावि संसारं ॥ 18 जह वि वइएस-वेसो देव तुमं चेय सव्व-जण-णाहो । जइ वि हु दीणायारो देव तुमं चेय सप्पुरिसो॥ ता देव खमसु मज्झं भविणयमिणमो भयाण-माणस्स । मा होउ मझ पावं तुह खग्गाकरिसणे जति ॥' अभणतो ति-पयाहिणं काऊण णिवडिओ चलण-जुवलए राया। गंतूण समाढत्तो पुणो णयरि-रच्छाए । जाव थोवंतरं वच्चइता 21 पेच्छह के पि इत्थियं । केरिसिया सा । अवि य । कसिण-पड-पाउयंगी भूयल्लिय-णेउरा ललिय-देहा । रसणा-रसंत-भीरू सणिय सणियं पयं देंती ॥ १ ६१६३) तओ तं च तियं रायउत्तेण । 'दे पुच्छामि णं कत्थ चलिया एस' ति चिंतयंतो ठिओ पुरओ । " भणियं च णेणं। 'सुंदरि घोरा राई हत्थे गहियं पिदीसए णेय । साहसु मज्झ फुडं चिय सुयणु तुम कत्थ चलिया सि ॥' भणियं च तीए। 'चलिया मि तत्थ सुंदर जत्थ जणो हियय-वल्लहो वसइ । भणसु य ज भणियध्वं अहवा मग्गं मम देसु॥' भणियं च रायउत्तेण। 80 'सुंदरि घोरा चोरा सूरा य भमंति रक्खसा रोहा । एयं मह खुडइ मणे कह ताण तुम ण बीहेसि ॥' वीए भणियं । 'णयणेसु दंसण-सुई अंगे हरिसं गुणा य हिययम्मि । दइयाणुराय-भरिए सुहय भयं कत्थ अल्लियउ॥' चिंतियं च राहणा। 'अहो, गुरुओ से अणुरामो, सब्वहा सलाहणीयं एवं पेम्मं । ता मा केणइ दुट्ठ-पुरिसेण परिभवीयउ8 1) सहिसत्थो, ' वियट्टो. 2) पेम, बहले, Pom. य. 3) खंभ, P adds a before लक्खियं. 4) किं वा for ता किं, P रे for दे, P om. थंभलक्खणाई, च for चेय. 5) तत्थागंतूण, उल्लहिउं. 6) वसओ,. repeats after एत्थa portion from above beginning with गंतूण व घसिउ पयत्तो सिंगग्गेण उल्लिहिलं eto. upto नेणेस वसओ एत्थ, P होहिई for होही, P हियहओ for दिवसओ. 7) P जाव for ताव. 9) भगवतो, P लक्खियह त्ति. 10) ताहे for ता दे, P जल for जलय. 11)P आइडूंतो, हणं ति. 12) Pमारेह for ता मए, P खुभिओ. 13) Pom. ब्व, पुहई व मंडलं खंतीओ. 14) धम्मणंदणसंतिओ, P adds य before संदरं, P उवरिमस्सिणो खग्गं. 15)F om. एयं. 16) Pससियंगो, Pom. चेव, तह वि धंमवलियरो. 17) Pसंसेवि तह, P सि for हु. 18) संसारे. 19) वईएसवेसो P वइएसवासो, P सब्वजगनाहो, P सि for हु. 20) अयाणणस्स, P खग्गुक्करिसणेणं ति. 21) तिपयाहिणी काऊण, P जुयलए, I adds य after जाव. 22) किं पि इच्छियं, ? केरिसा य सा. 23) Pपाउरंगी मूउल्लिय, P रसंति for रसंत. 24) Jadds च after चिंतियं, देपेच्छामि, डिओ. 25) Jadds अवि य after tणं. 26) Pसुयण तुमं. 28)" चलियाम, P adds भणिय जं before भणियन्वं. 30) P भवंति, Pमणो कह. 32)फरिस for हरिसं, सुकय for सुहय.33) अहो गरुओ, P om. एयं, P केणइट्ठपुरिसिणं परिहविअओ. Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १६४ ] कुवलयमाला ८७ 1 एसा । दे घरं से पावेमि' त्ति चिंतयंतेण भणिया । 'वच्च वच्च, सुंदरि, जत्थ तुमं पत्थिया तं पएसं पावेमि । अहं तुज्झ 1 रक्खो, मा बीहेसु' त्ति भणिए गेतुं पयत्ता, अणुमग्गं राया वि । जाव थोवंतरं वच्चति ताव दिट्टो इमीए सभी एजमाणो 3 सो धेय जिय-दो । भणियं च णेण । 'दइए ण सुंदरं ते रयमि इमी बेलाए। चलिया सि मज्झ वसई अणेय विग्धाएँ राईए 1 ए- एहि, सागयं ते । ता कुसलं तुह सरीरस्स ।' तीए भणियं 'कुसलं इमस्स महाणुभावस्स महापुरिसस्स पभावेण' । दिट्ठो ७ य णेण राया। भगिय च गेण 'अहो, करे वि महासतो पच्छण येसो परिभ्रमइ' ति चिंतते भये जण वाण । - साग से सुपुरिस जीवं पितुज्झ आयतं जेन त म दइया भणहा हो पाविया एत्थ ॥' भणिय च राइणा । 'सुनो रूबी तंचिय बहु-सिक्सिओ वाणाण एट् गुण-पास बन्दा जस्स तु एस धवलच्छी ' ति भागमानो वा तुं पयतो राईए बहले समधवारे णयर-मज्झमि बहुए विष-बाण-बल-पय-इसिमोग्गीयबिलासिए सामंतो संपतो पायारं तं च फेरि अविव । 1 1 तुंग गयण - विलग्गं देवेहि वि जं ण लंघियं सहसा । पायालमुवाएणं फरिहा बज्रेण परियरियं ॥ पेण राजा दिष्णं विश्वितं करणं उप्पइजो गहुंग फेरियो यसो दीसिर्ड पत्तो अवि य विजुक्खि ताइदो दीसइ गयणंगणे समुप्पइओ । अहिणव-साहिय-विजो इय सोहइ खग्ग-विजहरो ॥ 15 ण हु णवर घिनो सो पाया तुंग-म-ह-मग्यो । पहिलो समपाओ थिय फरिहा-वं पि बोले । अणुणो चेय गंतुं पयहो । 12 21 पविट्ठो य अणेय-तरुयर- पायव १६४ ) किं बहुणा संपत्तो तमुज्जाणं, जत्थ समावासिओ भगवं धमगंदणो । 18 बही-लया सविसेस- बहुधवारे उमाणमज्झम्मि उगलो व सिंदूर-कोट्टिम-समीपम्मि दिडा य णेण साहुणो भगवंते 18 कम्मि पुण चावारे वमाणेति । 24 27 1 के पति सण्णा अवरे पार्डेति धम्म-सत्धाई भवरे गुणेति जवरे पुच्छति य संसद् ॥ वक्खाति का अपरे वि सुर्णेति के वि गीयत्था अबरे ति कर अपरे शाणग्मि बर्हति ॥ सुस्सुसंति य गुरुणो वेयावञ्च करेंति अण्णे वि । अण्णे सामायारिं सिक्खति य सुथिया बहुसो ॥ सण-रण अगे पार्लेति य के वि कह वि चारितं । जिणवर गणहर-रइयं अण् णाणं पसंसंति ॥ भवि य । सुतत्थ संसवाह व अवरे पुच्छति के वि तित्येव जय-जुते वादे जे कति अभासवायमि ॥ धम्माधम्म-पर के विनिति हेड-वादेहिं जीवाण बंध मोक्खापयं च भावेंति अण्णे वि ॥ तेलोक्क-वंदणिज्जे सुक्कज्झाणम्मि के वि वर्हति । अण्णे दोग्गइ णासं धम्मज्झाणं समलीणा ॥ मय-माण-कोह-लोहे भवरे दिति दिट्ट माहप्पा | दुह-सय-पउरावत्तं अवरे दिति भव-जलहिं ॥ इय देस-भ-महिला-राय-कहाणत्य-वजिये दूरं सझाय-झा-गिरए अह पेच्छ साहुणो राया ॥ 1 12 15 21 24 तं च दणं चिंतियं राइणा । 'अहो, महप्पभावे भगवंते जहा भणियाणुट्ठाण रए । ता पेच्छामि णं कत्थ सो भगवं धम्म30 मंदणो, किं वा करेइ' त्ति चिंतयंतेण णिरुवियं जाव पेच्छइ एयंते निविहं । ताण तहियस-णिक्खताणं पंचण्ड वि जणाण 30 धम्मक साहेमाणो चिट्टद चिंतिये य राहणा 'दे णिसुमि साथ किं पुण इमानं साहिज' सितो एस्स तरुण- तमाल- पायवस्स मूले उवविट्ठो सोउं पयत्तोति । 1 ) P चिंतियंतेण, P वच्चावच. 2 ) P मंतु for गंतुं. 3 ) P सो चेय नियय 4 ) P सुंदरं तो इयमिणं. 5) Jom. एएहि सागयंते, तीय. 6) P तेण for णेण, P के वि, P चितियतेण, P भणिवमणेण, Pom. जुवाणेण. 7) सुबुरिस. 9 ) P ईय for एइ, J जइ for जस्स. 10 ) Jom. त्ति, P राई बहले, णायरम ज्ामि वियट्ट, P जुवलजंपियहरियं, P om. सिओग्गीयविलासिए etc. to बद्धेण परियरियं 13 ) P | वं च दट्ठण राइणा, P किरणं for करणं. 14 ) P क्खित्ता हट्ठा, P गयगंगणं, P साहियली. 15 ) नवरं, तुंगमग्गणहलग्गो, बंधम्मि. 16 ) P अणुत्तरो चेय, पयत्तो ।. 17 J तरुपायव, P पायवली. 18 ) P बहुलंघयारे, Pom. य, P समीवं, Pom. भगवंते 203 पठंति, सुणंति for गुर्णेति, JP om. य, P संसयं, केई. (21) Pom. कयत्था अवरे वि सुर्णेति, P केइ गीयन्था, रयंति 22 ) P समायारी 23 ) सार्लेति 24 J संसयाई, P तत्येय, P सद्दत्योभयजुत्तो for णयजुत्ते, वादे ये P वादे य, P अब्भासं । 25 ) P केर, P हे उवाएहिं, P मोक्खोगरं च पार्वेति for भावेंति. 26) P बंदणिज्जा. 27 ) P माहप्पे. 28 ) P वज्जिया 30 ) Pom.ति, JP चिति for चित', P अंतो for एयंते, P तहियहदिक्खियाणं पंचण्ह. 31 ) Pom. चिट्ठर, P दे सणियं सुणेमि 32 ) P मूले उवस्स मूले उवः ( some portion written on the margin) P पालंति, Jom. अवि य. 27 . Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 उज्जोयणसूरिषिराया [६१६५६१६५) भणियं च भगवया धम्मणदणेण । 'देवाणुप्पिया, पयर्ड जिणवर-मग पयर्ड णाणं च दंसणं पयर्ड । पयर्ड सासय-सोक्खं तहा वि बहवे ण पावेंति ॥ पुहवी-जल-जलणाणिल-बणस्सई-णेय-तिरिय-भेएसु । एएसु के वि जीवा भमंति ण य जंति मणुयत्तं ।। मणुयत्तणे वि लद्धे अंतर-दीवेसु णेय-रूवेसु । अच्छंति भमंत च्चिय आरिय-खेत्तं ण पार्वति ॥ मारिय-खेत्तम्मि पुणो जिंदिय-अहमासु होति जाईसु । जाइ-विसुद्धा वि पुणो कुलेसु तुच्छेसु जायति । सुकुले वि के वि जाया अंधा बहिरा य होंति पंगू य । वाहि-सय-दुक्ख-तविया ण उणो पावेंति आरोग्ग । आरोग्गम्मि वि पत्ते बाल च्चिय के वि जंति काल-वसं । के वि कुमारा जीवा इय दुलहं आउयं होई ॥ वास-सयं पि जियंता ण य बुद्धिं देंति कह वि धम्मम्मि । अवरे अवसा जीवा बुद्धि-विहूणा मरंति पुणो ॥ मह होइ कह वि बुद्धी कम्मोवसमेण कस्स वि जणस्स । जिण-वयणामय-भरियं धम्मायरियं ण पावेंति ॥ अह सो वि कह वि लद्वो साहइ धम्म जिणेहिं पण्णत्तं । णाणावरणुदएणं कम्मेण ण ओग्गहं कुणइ ॥ अह कह वि गेण्हइ च्चिय दंसण-मोहेण णवरि कम्मेण । कु-समय-मोहिय-चित्तो ण चेय सद्धं तहिं कुणइ ॥ 12 मह कुणइ कह वि सद्धं जाणतो चेय अच्छए जीवो । ण कुणह संजम-जोयं वीरिय-लद्धीऍ जुत्तो वि ॥ इय हो देवाणुपिया दुलहा सव्वे वि एत्थ लोयम्मि । तेलोक-पायड-जसो जिणधम्मो दुल्लहो तेण ॥ भणियं च भगवया सुधम्मसामिणा । 16 माणुस्स-खेत्त-जाई-कुल-रूवारोग्गमाउग बुद्धी । समणोग्गह-सद्धा संजमो य लोगम्मि दुलहाई॥ एक्के ण-यणत च्चिय जिणवर-मग्गं ण चेय पार्वति । अवरे लद्धे वि पुणो संदेहं गवर चिंतेति ॥ अण्णाण होइ संका -याणिमो किं हवेज मह धम्मो । अवरे भणंति मूढा सम्वो धम्मो समो चेय ॥ अवरे बुद्धि-विहूणा रत्ता सत्ता कुतित्थ-तित्थेसु । के वि पसंसंति पुणो चरग-परिन्वाय-दिक्खाओ । भवरे जाणति चिय धम्माहम्माण ज फलं लोए । तह वि य करेंति पावं पुवज्जिय-कम्म-दोसेण ॥ भवरे सामण्णम्मि वि वट्टता राग-दोस-वस-मूढा । पेसुण्ण-णियडि-कोवेहिं भीम-रूवेहि घेष्यति ॥ अण्णे भव-सय-दुलहं पावेऊण जिणिंद-वर-मग्गं । बिसयासा-मूढ-मणा संजम-जोए ण लग्गति ॥ ण य हॉति ताण भोया ण य धम्मो अलिय-विरइयासाणं । लोयाण दोण्ह चुक्का ण. य सग्गे व य कुलम्मि । भवरे णाणत्थद्वा सव्वं किर जाणियं ति अम्हेहिं । पेच्छंत च्चिय डड्डा जह पंगुलया वण-दवेणं ॥ अवरे तव-गारविया किर किरिया मोक्ख-साइणा भणिया । डझति ते वि मूढा धावंता अंधया चेव ॥ इय बहुए जाणता तह वि महामोह-पसर-भर-मूढा । ण करेंति जिणवराणं भाण सोक्वाण संताण ॥' एत्यंतरम्मि चिंतियं णरवइणा तमाल-पायवंतरिएण । 'अहो, भगवया साहियं दुल्लहत्तर्ण जिणवर-मग्गस्स । ता सर्व 27 सञ्चमेयं । किं पुण इमं पि दुल्लहं रज-महिला-घर-परियण-सुहं । एयं अणुपालिय पच्छा धम्म पेच्छामो' त्ति चिंतयंतस्स 7 भगवया लक्खिओ से भावो । तओ भणिय च से पुणो भगवया धम्मणदणेणं । जं एवं घर-सोक्ख महिला-मइयं च जे सुहं लोए । तमणिचं तुच्छ चिय सासय-सोक्ख पुणो णतं ॥ जहा। 30६१६६) अस्थि पाटलिपुत्तं णाम जयरं। तत्थ वाणियओ धणो णाम । सो य धणवइ-सम-धणो वि होऊण 30 रयणहीवं जाणवत्तेण चलिओ। तस्स य वच्चमाणस्स समुद्द-मज्झे महा-पवण-रूविणा देव्वेण वीई-हिंदोलयारूतू कह कद्द वि टस ति दलिय जाणवत्तं । सो य वाणियओ एक्कम्मि दलिय-फलहए वलग्गो, तरंग-रंगत-सरीरो कुडंगद्दीवं णाम दीवं 33 तस्थ सो पत्तो। तत्थ य तण्हा-छुहा-किलंतो किंचि भक्ख मग्गइ जाव दिट्टो सो दीवो। केरिसो । भवि य । 1) Pदेवाणुपिया. 2) बहुए for बहवे. 3) P जलणानिल, मेदेसु, P कि वि जीवा. 4) P अञ्चति भमंतं चिय. 5) निदिययतमा य होति. 6) पंगू या, P वाहिय, P उनको for ण उणो, P om. आरोग्गं. 8) अवरे अवरे for अवसा, होवि P होति for होइ, P कस्सइ जणस्स. 10) कह कह for अह सो वि. 11) कह for अह, P गेहिए for गेण्डा, P सदि. 13) J: for झ्य, ' दुलहं सव्वंमि एत्थ. 15) 'रोग्गमाउयं, - लोयंमि. 16) णयणंति, चियं, चेव, पावेंति, चिंतेति. 18) कुतित्थेसु, चरय for चरग. 19) Fधमा,माण, P पुवक्कियकंम. 20) रायदोस. 21) दुलह, मूढमणो. 22) J भोवाण for लोयाण, य मग्गे सत्तिअकुलं मि. 23) नाणं सव्वं एयं किर, P पेच्छंति य चिय दहा ( ट्टा ?) जह. 24) किरि for किर, P मूढो. 27Jom. पि, Pदुलहरजं. P अणुपालियं, JP प्पेच्छामो. 280 P भावा। ततो भणिय पुणो पि भगवया. 30) P पाटलिउत्त, P वणिओ. 31) P रयणदीवं, Pom. महा, देवेण, P कई कहं पि दस ति स दलिय. 32) P फलिहए विलम्गो, Pकुडंगदीव, गाम दीवं. 33) P तत्थ य संपत्तो, Pom. तत्थ य, JP dapda after मग्गइ. Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - १६७] कुवलयमाला 1 अप्फल-कडुय-कुडंगो कंटय-खर-फरुस-रुक्ख-सय पउरो। हरि-पुल्लि-रिच्छ-दीविय-सिव-सउण-सएहिँ परियरिओ॥ । मल-पंक-पूइ-पउरो भीम-सिवाराव-सुन्वमाण-रवो । दोस-सय-दुक्ख-पउरो कुडंगदीवो त्ति णामेण ॥ 3 तम्मि य तारिसे महाभीमे उब्वियणिजे भमि सो समाढत्तो । तेण य तत्थ भमतेण सहसा दिटो अपणो पुरिसो। पुच्छिओ 3 यसो तेण 'भो भो, तुम कत्थेत्थ दीवे' । तेण भणिय 'मह सुवण्णदीवे पस्थियस्स जाणवत्तं फुडियं, फलयालम्गो य एत्थ संपत्तो' । तेण भणिय ‘पयह, समं चेय परिभमामो'। तेहि य परिभममाणेहिं अण्णो तइओ दिवो पुरिसो। तमो तेहिं 6 पुच्छिओ 'भो भो, तुमं कत्थेत्थागओ दीवे' । तेण भणिय 'मह लंकाउरिं वच्चमाणस्स जाणवत्तं दलियं, फलहयालग्गो एत्थ 8 संपत्तो' ति । तेहिं भणियं 'सुंदरं, दे सम-दुक्ख-सहायाणं मेत्ती अम्हाणं । ता एस्थ कहिंचि तुंगे पायवे भिण्ण-वहण-चिंधं उब्भेमो' । 'तह' त्ति पडिवजिऊण उभियं वक्कलं तरुवर-सिहरम्मि । तओ तण्हा-छुहा-किलंता असणं अण्णेसिऊणं पयत्ता। जय किंचि पेच्छंति तारिसं रुक्खं जत्थ किर फलं उप्पज्जइ त्ति । तमओ एवं परिभमणुव्वाएहिं दुक्ख-सय-विहलेहिं कह-कहं पि. पावियाई घरायाराई तिण्णि कुडंगाई । तत्थ एक्के कम्मि कुडंगे एक्केका काउंबरी । तं च पेच्छिऊण ऊससियं हियएण, भणिऊण य समाढत्ता । 'अहो, पावियं जं पावियव, णिव्वुया संपयं अम्हे, संपत्ता जहिच्छिय सोक्खं' ति भणमाणेहिं विरिकाई तेहिं 12 अवरोप्परं कुडंगाई । पलोइयाणि य तहिं काउंबरीहिं फलाई । य एक पि दिटुं। तओ दीण-विमण-दुम्मणा फुह-मुहा 12 कायल-लीव-सरिसा अच्छिउँ पयत्ता । तओ केण वि कालंतरेण मणोरह-सएहिं णव-कक्कस-सणाहाओ जाया तामओ काउंबरीओ । तओ आसाइयं किंचि-मेत्त-फलं । तहा तत्थ णिबद्धासा तम्मणा तल्लेसा जीविय-वल्लहाओ ताओ काउंबरीओ 15 सउण-कायलोव हवाणं रक्खंता अच्छिउं पयत्ता । अच्छंताण य ज त तेहिं कयं भिण्ण-वहण-चिंधं तं पेच्छिऊण कायम्व-16 करुणा-परिगएणं केणावि वणिएण दोणिं घेत्तण पेसिया णिज्जामय-पुरिसा । ते य आगंतूण तं दीवं अण्णिस्संति । दिट्टा य तेहिं ते तिणि पुरिसा कुडंग-काउंबरी-बद्ध-जीवियासा। भणिया य तेहिं णिजामय-पुरिसेहिं । 'भो भो, अम्हे जाणवत्त18 वइणा पेसिया, ता पयट्टह, तडं णेमो, मा एत्थ दुक्ख-सय-पउरे कुडंग-दीवे विवजिहिह' ति। तो भणिय तत्थ एक्केण 18 पुरिसेण । 'किमेत्थ दीवे दुक्खं, एयं घरं, एसा काउंबरी फलिया, पुणो पच्चीहिइ । एयं असणं पाणं पि कालेण वुढे देवे भविहिइ ति । किं च एत्थ दुक्ख, किं वा तत्थ तीरे अवरं सुहं ति । ता णाहं वच्चामि । जलहि-मज्झे वट्टमाणस्स एवं पिण शहवीहइ' ति भणिऊण तत्थेय टिओ। तो तेहिं गिजामय-पुरिसेहिं बिइओ भणिओ। सो वि वोत्तुं पयत्तो । 'सम्वमिण । दीवं दुह-सय-पउरं, ण एत्थ तारिसं मणुण्णं सुहं । किंतु इमाई उडयाई, इमा य वराहणी काउंबरी फलिया मए परिचत्ता सउण-कायल-प्पमुहेहिं उबद्दवीहिइ त्ति । ता इमाए पिक्काए फलं उवभुजिऊण पुणो को वि णिजामओ एहिइ, तेण समय १५ वच्चीहामि, ण संपडइ संपय गमण' ति भणिऊण सो वि तम्मणो तत्थेव टिओ त्ति । तओ तेहिं तइओ पुरिसो भणि ५ 'पयह, वच्चामो'। तेण भणिय । 'सागयं तुम्हाण, सुंदरं कय जे तुम्हे आगया । तुच्छमिणं एत्थ सोख अणि च । बहु-पश्चवाओ य एस दीवो। ता पयह, वच्चामो' ति भणमाणो पयहो तेहिं णिज्जामएहिं समयं । आरूढो य दोणीए । भगया तडं । तत्थ पुत्त-मित्त-कलत्ताणं धण-धण्ण-संपयाए य मिलिया सुहं अणुहवंति । ता किं । भो, देवाणुपिया एसो दिटुंतो तुम्ह ताव मे दिण्णो । जह एयं तह अण्ण उवणयमिणमो णिसामेहि ॥ १६७) जो एस महाजलही संसारं ताव तं वियाणाहि । जम्म-जरा-मरणावत्त-संकुलं तं पि दुत्तारं ॥ 30 जो उण कुडंग-दीवो माणुस-जम्मो त्ति सो मुणेयन्यो । सारीर-माणसेहि य दुक्खेहि समाउलो सो वि ॥ जे तत्थ तिणि पुरिसा ते जीवा होति तिप्पयारा वि । जोणी-लक्खाउ चुया मणुस्स-जम्मम्मि ते पत्ता ॥ तत्थ वि उडय-सरिच्छा तिणि कुडंगा घरेहि ते सरिसा । काउंबरीओ जाओ महिलाओ ताण ता होति ॥ 33 जाई तत्थ फलाई ताई ताणं तु पुत्त-भंडाई । अलिय-कयासा-पासा तं चिय रक्खति ते मूढा ॥ 1) Pकुड for कड्डय, P फरुसयपउरो, P हरिफल्लिरिंछ. 3) भभिऊण, Pom. सहसा. 4) Pom. य, P अहं for मह, P फलया', Po:0. य. 5)J परिम्भमामो, Pom.य, Jom. तओ. 6Jom. भो भो, Pकत्येत्थ दीवे, मम for मह, P फलहयाविलग्गो. 7) सुंदर, P सुक्ख for दुक्ख, P पच्छा for एत्थ, चिद्धं (?) उधेमो. 8) Pउम्भिउं. 9) रुकं, P उप्पट्ठार, J om. तओ, परिमम', P कहिं for कहकहं पि. 10) P घरागाराई, एकेक पि कुडं मे एकेको, ससियं for ऊससियं. 11) Padds & alter अहो, जहच्छियं न कहिच्छियं, विरिकाया. 12) Jom. य,P विमणा पु. 13) काय for कायल, सरीसा, तेण for केण, J ककसणाहाओ. 14) P कादंबरीओ, P आसाइय, Pom. मेत्त, JP फला, Jom. तह 15) कहि for कयं,चिद्धं. 16) Pदोणी, अण्णिसंति. 17) Pom. तेहि. Jom. ते." कुटुंगा य काउं, Pom. बद्ध, J अम्हेहिं for अम्हे. 18) कुंडग, P विवजिह त्ति. 19) पुणो वच्चिह त्ति, वुट्ठो देवो. 20) P भविहिति त्ति, किं चि, अवर सुह ति, Pन भविहि ति. 21) तत्थेव, बीओ for बिइओ, सव्वं णिमं. 22) Pपउरंग न, Pइमाई वरा'. 23)P उबदविहि त्ति, Jom. त्ति, Pइमीए पक्काए, P निजामए ओहि. 24) P वच्चीहामी, विमणो for तम्मणो. 25) Pतुब्मे, तुच्छ णिमं एत्थ. 26)Pon. ता, पयह, Jon. य. 27) P om. य before मिलिया, Pom. ता कि मो. 28) Pदेवाणप्पिया एस,J तुम्हाणं P अम्इं for तुम्ह (emended). 30) P माणुसेहिं. 31) Pवि भमिऊण जोणिलक्खाउ माणुसर्जमंमि ते पयत्ता ।।- 32) Pय for पि, पुरिसा for सरिसा,जा वि य for जाओ, Pom. ताण. 33) Pकया माया तं चिय. 12 Jain Education Interational Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [६१६७1 दारिद्द-वाहि-दुह-सय-सउणाणं रक्खए उ तं मूढो । ताणं चिय सो दासो ण-यणइ जं अत्तणो कज्ज ॥ जे णिज्जामय-पुरिसा धम्मायरिया भवंति लोगम्भि । जा दोणी सा दिक्खा ज तीरं होइ तं मोक्ख ॥ ३ संसार-दुक्ख-तविए जीवे तारेंति ते महासत्ता । जंगम-तित्थ-सरिच्छा चिंतामणि-कप्परुक्ख-समा ॥ तुच्छा एए भोया माणुस-जम्मम्मि णिदिया बहुसो । ता पावसु सिद्धि-सुहं इय ते मुणिणो परूवेंति ॥ तत्थेक्को भणइ इमं एवं चिय एस्थ माणुसे दीवे । ज सोक्ख तं सोक्खं मोक्ख-सुहेणावि किं तेण ॥ पुत्त-पिइ-दार-बंधू-माया-पासेहि मोहिओ पुरिसो । तं चिय मण्णइ सोक्खं घर-वास-परेण धम्मेण ॥ साहताण वि धम्म तीर-सुहं जह य ताण पुरिसाण । ण य तं मोत्तुं वच्चइ केण वि मोहेण मूढप्पा । सो जर-मरण-महाभय-पउरे संसार-णयर-मज्झम्मि । गड्डा-सूयर-सरिसो रमह च्चिा जो अभन्व-जिओ। बिइमओ वि काल-भविओ पडिवजइ मुणिवरेहि ज कहियं । तीरं ति गंतुमिच्छह किंतु इमं तत्थ सो भण। भगवं घरम्मि महिला सा वि विणीया य धम्मसीला य । मुंचामि कस्स एयं वराइणिं णाह-परिहीणं ॥ पुत्तो वि तीय-जोग्गो तस्स विवाहं करेमि जा तुरियं । दुहिया दिण्ण चिय मे अण्णो पुण बालओ चेय॥ ता जाव होइ जोग्गो ता भगवं पब्वयामि णियमेण । अण्णो वि ताव जाओ ते वि पलासा य ते दिग्धा । णाऊणं जिण-वयणं जं वा तं वा वलंबणं काउं । अच्छंति घरावासे भविया कालेण जे पुरिसा ॥ तइओ उण जो पुरिसो सोऊण धम्म-देसणं सहसा । संसार-दुक्ख-भीरू चिंतेऊण समाढत्तो ॥ वाहि-भव-पाव-कलिमल-कंटय-फरुसम्मि मणुय-लोगम्मि । भच्छेज को खणं पि विमोक्ख-सुहं जाणमाणो वि। घर-वास-पास-बद्धा अलिय-कयासावलंघण-मणा य । गेण्हंति णेय दिक्खं अहो जरा साहस-विहुणा ।। ता पुण्णेहि महं चिय संपत्ता एत्य साहुणो एए । दिक्खा-दोणि-वलग्गा तीर-सुहं पाविमो अम्हे ॥ कणयं पि होइ सुलहं रयणाणि वि णवर होति सुलहाई। संसारम्मि वि सयले धम्मायरिया ण लभंति ॥ ता होउ मह इमेणं जम्म-जरा-मरण-दुक्ख-णिलएणं । पावेमि सिद्धि-वसई तक्खण-भव्वो इमं भणइ ॥ ता मा चिंतेसु इमं एयं चिय एत्थ सुंदर सोक्खं । उंबरि-कुडंग-सरिसं तीर-सुहाओ विमोक्खाओ ॥ ति । १६८) एत्यंतरम्मि भणियं चंडसोमप्पमुहेहिं पंचहि वि जणेहिं । 'जह माणवेसि भगवं पडिवजामो तहेय तं सव्वं । जे पुण तं दुचरिय हियए सलं व पडिहाइ ॥' भणियं च भगवया धम्मणंदणेणं। 4 'एयं पि मा गणेज्जसु जं किर अम्हेहिँ पाव-कम्म ति । सो होइ पाव-कम्मो पच्छायावं ण जो कुणइ ॥ ___सो णस्थि कोइ जीवो चउ-गइ-संसार-चारयावासे । माइ-पिइ-भाइ-भइणीओ पंतसो जेण णो वहिया ॥ ता मारिऊण एको जिंदण-गुरु-गरहणाहिँ सव्वाहिं । लहुयं करेइ पावं भवरो तं चेय गरुएइ ॥ श तुझे उण सप्पुरिसा कह वि पमाएण जे करेउं जे । पावं पुणो णियत्ता जेण विरत्ता घरासाओ । इमं च एत्थ तुम्भेहिं पायच्छित्तं करणीय' ति साहियं किं पि सणियं धम्मणदणेणं । तं च राइणा ण सुयं ति । एत्यंतरम्मि इंदिय-चोरेहिं इमो पडिवजह इय मुसिज्जए लोए । जायम्मि भट्ठ-रत्ते बुक्करियं जाम-संखेण ॥ 30 वाव य चिंतियं राइणा चिंतियं जहा इमम्मि मयण-महसवे किं करेंति साहुणो। ता को अण्णो इमाण वावारो 30 त्ति । अवि य । जंकणयं कणयं चिय ण होइ कालेण तं पुणो लोहं । इय णाण-विसुद्ध-मणा जे साहू ते पुणो साहू ॥ सम्बहा 23 जं जं भणति गुरुणो अज पभायम्मि तं चिय करेमि । को वा होज सयण्णो इमस्स आणं ण जो कुणइ ॥' ति। 33 1) J सो for तं, ' दोसो for दासो, नयणं for णयणइ. 2) हवंति, I लोअम्मि, P जा for जं, P होति त. 3) तारंति, P मे fo" ते, P कप्प for तित्थ, P inter. रुक्स & कप्प. 5) P तत्थेको. 6) P पित्तपियदारबंधू, मायाद for पासे हिं, २ मग्गइ for मण्णइ. 7) तीरसुजं जह. 8) P गत्ता for गड्डा, १ रइमइ for रमइ, उ अहव्व. 9) य for वि, P om. ति. 10) सुच्चामि for मुंचामि, P वराइणी. 11) Pउण for पुण. 12) Pता होइ जो व जोग्गो, यत दिघा. 15) J मणुअलोअंमि, जो for को. 16) J कसायावलंबणमणा या ।. 17) P साहुणा, P विलग्गो. 18) ग्रयणाई णवर. 19) P वसहिं. 20) P मुक्खं for सोक्ख, P कुडुंग. 21) मि for वि. 22) तहेव, Pom. तं after पुण, P दुचरियाई, सहिं. 25) P को वि जीवो, J माइपियि P मायपिय, P अणंतसो for गंतसो. 26) एवं for एक्को, गुरुएइ. 27) तुम्हे for तुब्मे, P नियत्ता for विरत्ता. 28) P भणियं for सणिय, सुतं ति।, Pom. एत्थंतरम्मि. 29) " लोओ. 32) Pom. सव्वहा. 33) Fपहायंमि, P सउण्णो. Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६ १७०] कुषलयमाला मिविय चिंतयंतो राया गंतुं पयत्तो। चिंतियं च णरवइणा । 'अहो, ण-याणीयइ गुरुणा महं जाणिो ण वत्ति इहागमओ।। बहवा किं किंचि भत्थि तेलोके जंग-याणइ भगवं धम्मणदणो । ता किं पयर्ड चिय वदामि । अहवां हि णहि, इमं एवं समुब्भड-भीसणं मुणियण-चरिय-विरुद्ध वेस-गहणं भगवओ दसयामि लज्जणीयं ति । ता माणसं चिय करेमि पणाम। । __ जय संसार-महोवहि-दुक्ख-सयावत्त-भंगुर-तरंगे । मोक्ख-सुह-तीर-गामिय णमोत्थु गिजामय-सरिच्छ ॥' । सिचिंतयंतो णिग्गओ उजाणामो, संपत्तो पायारं, दिणं विजुक्खित्तं करण, लंघियं, संपत्तो रायमगं, पत्तो धवलहरं, पारूढो पासाए, पविटो वासहरं, णिसण्णो पल्लंके, पसुत्तो य । ६१६९) साहुणो भगवते कय-सज्झाय-वावारे कयावस्सय-करणे य खणतरं णि सेविऊण विबुद्धे वेरत्तियं काल काठमावत्ता । एत्थ य अवसरे किंचि-सेसाए राईए, अरुणप्पभारंजिए सयले गयणंगणाभोए, महु-पिंगलेसु मुत्ताहलेसुक वारया-णियरेसु, पढिय इमं पाहाय-दुवइ-खंडय बदिणा । भवि य। भवर-समुह-तीर-पुलिणोयरए परिमंद-गमणिय । विरहुम्वेय-दुक्ख-परिपंदुरियं ससि-चकवाइयं ॥ पुष्पोयहि-तीरयामों संगम-रहसुहीण-देहओ । इच्छह अहिलसिऊण दइयं पिव सं रवि-चक्वायमो॥ 19 जोण्हा-जल-पडिहस्थए गयण-सरे णिम्मले पहायम्मि । मउलइ अरुणाइड तारा-चंदुजयाण सत्थओं वि॥ " णाणा-णयण-मणो-हरिय तड अंगेहिं विलसंत । मेल्लि भडारा णिद्र तुहुं भण्णु विइन्जिय कंत ॥ इम च बंदिणा पढियं णिसामिऊण जंभा-बस-बलिउब्वेल्लमाण-बाहु-फलिहो णिहा-धुम्मिरायंब-णयण-जुवलो समुट्रिओ राया 16सयणामओ। कयं च कायावस्सय-करणीयं । उवगमो अस्थाण-मंडवं जाव जोकारिओ वासवेण । भणियं च राहणा 'भो भो । पासव, कीस ण वश्चिमो भगवओ धम्मणदणस्स पाय-मूल' । भणियं च वासयेणं 'जहा पहू भाणवेइ' ति । पयत्ता गंतु, समारूढा य वारुया-करिणिं, जिग्गया य णयरीभो । संपत्ता तमुजाण । वदिओ भगर्व धम्मर्णदणो साहुयणो य। 18 पुच्छिया य भगवया पउत्ती, साहिया य णेहिं । भणियं चं भगवया । 'भो भो महाराय पुरंदरदत्त, किं तुह वलग 18 किंधि हिययम्मि' । तमो राइणा चिंतियं । "णिस्संसर्य जाणिओ भगवया इहागो' ति चिंतयंतेण भणियं च ण । भगव, जारिसं तए समाइटुं वारिसं सर्व पडिवणं । किंतु इमे कुडंग-काउंबरी-फलाणि मोतुं ण चाएमि। ता इहभट्टियस्स चेय देसु भगवं, किंचि संसार-सागर-तरंडय' ति । भगवया भणियं । 'जइ एवं, ता गेण्ह इमाई पंचाणुष्वयरयणाई, तिण्णि गुणब्धयाई, चत्तारि सिक्खावयाई, सम्मत्त-मूलं च हम दुवालस-विहं सावय-धम्म अणुपालेसु' ति। तेणावि 'जहाणवेसि' ति भणमाणेण पडिवण्णं सम्मत्त, गहियाई भणुष्वयाई, सब्वहा गहियाणुष्वो भणपण-देवो जागो राया पुरंदरदत्तो। वासवो वि तुट्ठो भणिउमाढत्तो । 'भगवं, किं पि तुम्हाणं वुत्तत अम्हे "-याणिमो' । भगवया भणियं । 'इमो चेय कहइस्सइ त्ति । भम्हाण सुत्तत्य-पोरिसीओ अइलमंति । गतवं च अज भम्हेहिं'। इमं च सोउणं मण्णु-भर कंठ-गग्गर-गिरेहिं भणियमणेहिं । भवि य । 27 'अम्हारिसाण कत्तो हियइच्छिय-दइय-संगम-सुहेली । एवं पिताव बहुयं जं दिटुं तुम्ह चलण-जुयं । वा पुणो वि भगवं, पसाभो करियम्बो देसणेणं' ति भणमाणा णिवडिया चलण-जुवलए भगवओ। अभिणविऊण य तिवण पयाहिण काऊण पविट्ठा कोसंबीए पुरवरीए । भगवं पि सुत्तस्थ-पोरिसिं करिय तप्पभिई चं सिव-सुह-सुभिक्स्व-खेसेसु 30 विहरि पयत्तो। भगवं गच्छ-परिवारो। ते वि थोवेणं चिय कालेणं अधीय-सुत्तत्था जाया गीमत्या पंच वि जणा। ताण 30 एग-दियह-वेला-समवसरण-पष्वइयाण ति काऊण महतो धम्माणुराय-सिणेहो जामो ति। १७.) अह अण्णया कयाइ ताण सुहं सुहेण भग्छमाणाणं जामो संलावो। 'हो हो, दुल्लहो जिणवर-मग्गो, ता कई पुण अण्ण-भवेसु पावेयम्वो सि । ता सम्वहा किमेत्य करणीय' ति चिंतिऊण भणिको पाय-पडणुट्टिएहिं बरसोम-20 जेटलो। भविय। 1)Pom.चिंतयतो राया गंतुं पयत्तो। eto. to ता माणसं थिय करेमि पणामं ।. जब संसारमहोयहि दुग्गसयावत, . मोक्खस्स तीर. ) किरण for करणे. 6) वासहरंमि निवष्णो. 7 Jadds वि before भगवंते, Pसोविऊण विबुद्धो वेरग्गियं कालं काउमाढत्तो. 8) Pom. य, P अरुणपहार', अ for व. 9) दुअइखंडलयवंदिगो. 10)P विरहयदुक्खारिपट्टरियंसेसि. 11) P संगमरह, IP 'सुद्दीण, पुच्छइ अहिलिऊण दइयं, चकवाइओ. 12) पडिच्चए पढहच्छए, P अरुणाइट्ठओ, चंदुज्जुयाण. 13) राहणा सयण मणो for णाणा eto., Pator अंगेहि,णि (?), अन्ना वियज्जिय. 14)P जंतावस, P जुयलो. 15) Pom. जाव, जोकारिओ. 16) Pजह, IP पयत्तो. 17) P समारूढो. किरिणि, P साहुणो. 18) Pom. य belore dहिं, Pमहा for महाराय. 19)P निस्संदिटुं जाणिओ, JP चिंतियंतेण. 20) कुडयकाउंबरी, Jadds त्ति after चाएमि. 21)P ट्रिय चेय. 22) Pदुवालसविध. 23) जहाणवेस, P अणजे देवो. 24)तुम्हाणं पुववृत्तंत. 25)P कहिस्सा, P पोरिसीओ. 26) Pom. कंठ. 27)Foun. दझ्य, Pण्य मि ताब. 28) After अमिणंदिऊण व Prepeates 'ट्रं तुम्हचलणजयं eto.to अभिणं दिऊण य. 29)Jrightly restores पविट्ठा । पविट्ठो, Pom. पि, पोरिसी, तप्पभूई, च सुविसुहसुहेकखेत्तेसु. 30) परियालो। अधीद- 31) एक for एग,. पबश्याण काऊण.32)कया, Padds Hिafter मग्गो.33)Pom. ति, Padds य before भणिओ. P पायवरण'. चंडसोम्म 340P-जेठ्ठजो. Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ जोयणविरहया 'जइ थोव-कम्मयाए अण्ण-भवे होज्ज अइसको तुज्झ । ता जत्थ ठिया तत्थ तए संमत्तं अम्ह दायब्वं ॥ पुष् टि एवं अन् सिणेहोववार पक्लेहिं सुविहिय तं परिबल इच्छा-कारेण साहूणं ॥' 8 णिवडिया भणमाणा पाएसु । भणियं च चंडसोमेणं । 1 पंचिदियम्च सन्णी ता पडिवणं ण मण्णत्य ॥' तत्थ तेणावि 'तह' ति परिवर्ण तो रोहिं चहिं मि 1 'जइ दोन भइसको मे तुम्हे वि य होज मणुय-सोगमि रामो तेहिमि चहिमि जहिं भणिनो माणभडो 'इमं चेय' 8 भणिनो मायाइयो । तेणावि 'इथे' ति परिभणियं तनो लोहदेवो, पुणो मोहदत्तो ति एवं अवरोप्यर-कय-समय- संके सम्म संभवय मन्गिरा अच्छिते पयत्ता पूर्व च पचन-किरिया ---वाणं च ताणं वच कालो। किंतु सोसोमो देस सभा व कहिंचि कारणंतरे कोवण्य-सहायो, मायाइयो वि मणयं माया-णियदि कुलि-हियो । 9 सेसा उण परिभग्ग कसाय पसरा पव्वज्जमणुपार्लेति । कालेण य सो लोभदेवो णिययाउयं पालिऊण कय-संलेहणा-कम्मो णाण- 8 दंसण- चार-तवाराहणार चउधार व पाण-परिवार्य काऊन तप्याभोग- परिणाम-परिणय- पुण्य-वद-देव-नाम-गोसो मरिऊण सोहम्मे कप्पे उवगओ । (१७१ ) जं च केरिसं । अवि य । निम्मल-रण-विणिनिमय-तुंग-विमाणोह-रुद्र-गयणवई । रम्म मणिकूड र सिरि-मंदणवणं व ॥ " कर्हिचि सुर- कामिणी- गीय-मणहरं, कहिंचि रयण-रासि-पज्जलिउज्जलं, कहिंचि वीणा-रव-सुव्वमाणुकलयं, कहिंचि तार10 मुक्ताफल, कहिंचि मणि-को हिमुच्छलंय- माणिक, कहिंचि फालि-मणि-विरइय-अस्थादर्थ कर्हिचि पोमराय- 18 मणि- विवि-तामरसे, कर्हिचि] वियरंत-सुरसुंदरी-मेटर- स्वारावियं, कहिंचि मुउम्मच सुर- कुमारफोडण मुख्यमान- परिये, कर्हिचितादिय- मुख्य-रच-रविअंतयं कहिंचि तिवस-विया-वण-विप्यमान- सुर-कुसुम-रवं कर्हिचि] संचरंत-वजदेव18 विज्जोइयं, कहिंचि सुर- जुवाण-मुक्क-सीह णाय-गभिणं, कहिंचि सुर- पेक्खणालोवमाण-ब -बद्ध-कलयलं, कहिंचि चलमाण- 18 वज्जहर - जयजया - सद्द-सुव्वमाण- पडिरवं, कहिंचि सुर- पायव-कुसुमामोय- णिम्महंत गंधयं, कहिंचि दिग्व-थुइ थुब्वमाण-जिणवरं, कहिंचि पवण- पसर- वियरंत पारियाय- कुसुम-मंजरी - रेणु-उद्धुब्वमाण-दिसिवहं ति । अवि य । जं जं णराण सोक्खं सोक्खट्ठाणं व सुब्बइ जणम्मि । तं तं भगति सगं जं सगं तत्थ किं भणिमो ॥ एयम्मि एरिसे इयर - जण-वयण- गोयराईए सुइ- सुहए सग्ग-नगर-पुरवरे अस्थि पउमं णाम वर-विमाणं । $ १७२) तं च केरिसं । अवि य । वर-पोमराय - निम्मल-रण-मऊदोसरंत-तम-विरं वर-मोबाइल-माला-वल-ऊलं ॥ पवणुद्रय-य-यव- किंकिणि माला-रत-सदार्थ वर-वेजति-पंती रेहिर-वर-मुंग-सिहरा ॥ मणि-योमराय वडिये वियसिय-योमं व पोम सच्छायं पठन-वण-संड-कलियं परम-सणाई पर-विमाने ॥ जाल-मालारिं परियरिये ॥ केप्पल दल सण-वरं कोमियम ॥ सम्म य परमसणाने विमाण-मम्मि फलिह-निम्मवियं सलमान मोतिनो वर-वध-पायें मरगय-मणि-वि-पावीढं तस्स य उवरिं रेहइ तणु-लहु-मउयं सुवित्थयं रम्मं । गयणयलं पिव सुहुमं सुइ-सुहयं किं पि देवगं ॥ तस्य उवरिं अण्णं च पिडुले पलंबर से किंपिं देव-दूस खीर-समुदस्स पुलिगं च ॥ अह ताण दोन्ह विवरे आणिजइ कास-कुसुम-मउययरे । देवाणुपुव्वि- रज्जूं-कड्डिजंतो बइलो व्व ॥ 1 कम्मय-तेजोभव- सरीर-सेसो खर्ण अणाहारो संपतो एकेर्ण समपुर्ण लोहदेव जिओ ॥ 12 21 24 30 33 । तत्थ य संपत्तो चिय गेण्हइ वर- कुसुम - रेणु- सरिसाई । वेउब्व-पोग्गलाई अगुरु लहु-सुरहि-मउयाई ॥ जद तेल-मा-पत्तो पूयलओ मेण्डर उसे तेलं पुण मीसो पुण मुंचद एवं जीवो विवाणाहि ॥ [६ १७० 7) 1 ) P कंमताए, JP जत्थडिया. 2) द्विईए P -द्वितीए 3 ) P adds य before भणमाणा. 4 ) तुम्मे, मवलोमि 5) केहि चहिं जिहिं ता for तो चि 6 ) J इच्छंति P इच्छियं, P om. समयP "भुए, J यच्छिउं, P adds च after ताणं. 8 ) P सहावेणं. मन्भुवया पार्लेति, लोहदेवो 10 चरितआराहणार चउखंधाए, for व. 14) विश् नवजो 9 ) P पसाय for कसाय, प्पसरा, P पब्वज्जतप्पओग्ग, P वट्ट for बद्ध. 13 ) Pकुड्डु for कूड, च 15) P मुताइलु', P कोट्ठिमुज्ज घिप्पमाण सुरकुमारयं कुसुमायं, J 19 ) Pom. थुइ. 20 P रेणुरयब्ब Jom.. 21> 22 > गोयराई। तो सुइसुहए णियरा पुरवरे, 3 om. वर. 24 ) मउहों 25 ) P पवणवमुद्धुयधय', P रसंत for रणंत, तुरंग for तुंग. 26 ) P पोमवण, पउमसणामं P पोमसगाई 27 ) P पोमसणामे, इलिह for फलिह, कामिणि, P पज्जलियउज्जलं, J सुव्यमाण कंठुलयं P सुव्वमाणु कंडुलं. 16 ) P उराराव, कुमारफोडण. 17 ) P तालियसुरय, P 18) सुपेणापाणल P मि for व. P मोत्ति उज्जलजाला. 28 written after that ), मऊया. 34 ) P पूलइओ, अणुफल P कक्केयणउप्पउप्पलद लसयण. 29 ) P सुवित्थरं (in र is soured and अ मिव for पिव, P सुइ सुदुमं 31 ) पुब्विरज्जुं P पुरज्जू 32 ) P सरीस for सरीर. 33 ) P एयं, P विजाणाहिं ॥ अखह 18 21 24 27 30 33 . Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१७३] कुवलयमला । अह खणमेत्तेणं चिय आहारण-करण कुणइ पजतिं । अणुममा चिय तस्स य गेण्हइ य सरीर-पजातं । ठावेइ इंदियाई फरिस-प्पमुहाइँ कम्म-सत्तीए । ता अणुपाणं वाउं मणं च सो कुणइ कम्मेणं ॥ भासा-भासण-जोग्गे गेण्हा सो पोग्गले ससत्तीए । इय सो सव्वाहिं चिय पजत्तीहिं हवइ पुण्णो॥ एरथंतरम्मि सम्वं मुहुत्त-मेत्तण अत्तणो रूवं । अंगोवंग-सउण्ण गेण्हइ कम्माणुभावेण ।। भह तं उवरिम-वत्थं उत्थल्लेऊण तत्थ सयणयले । जंभा-वस-बलिउन्बेल्लमाण-बाहाण उक्खेवो ॥ मायब-दीहरच्छो वच्छत्थल-पिहुल-पीण-भुय-सिहरो । तणु-मझ-रेहिरंगो विहुम-सम-रुइर-ओ-जुओ॥ उण्णय-णासा-वंसो ससि-बिंबायार-रुइर-मुह-कमलो । वर-कप्परुक्ख-किसलय-सुटुब्वेल्लंत-पाणियलो॥ कोमल-मुणाल-बाहू चामीयर-घडिय-सरिस-वर-जंघो। ईसि-मुण्णय-कोमल-चलणग्ग-फुरंत-कतिल्लो। पिहु-वच्छत्थल-लंबिर-हार-लया-रयण-राय-चंचइओ । गंडस्थल-तड-ललमाण-कुंडलो कडय-सोहिल्लो॥ कप्पतरु-कुसुम-मंजरि-संताण-पारियाय-मीसाए । आजाणु-लंबिराए वणमालाए विरायतो॥ णिदा-खए विबुद्धो जह किर राई कुमारओ को वि । तह सयगाओ उट्ठइ देवो संपुण्ण-सयलंगो॥ 19 इय जाव सो विबुद्धो ईसिं पुलएइ लोयण-जुएण । ता पेच्छइ सयलं चिय भत्ति-णयं परियणं पासे ॥ भवि य । केरिसं च तं परियणं दिटुं लोहदेवेण । गायति के वि महुरं अण्णे वाएंति तंति-वजाई । णचंति के वि मुइया अण्णे वि पदंति देव-गणा॥ 16 पालेसु जियं जं ते अजियं अजिणसु परम-सत्तीए । विरइय-सिरंजलिउडा थुणन्ति एएहि वयणेहिं । जय जय गंदा जय जय भद्दा अम्हाण सामिया जयहि । अण्णे किंकर-देवा एवं जपंति तुट्ठ-मणा ॥ भिंगार-तालियंटे अण्णे गेण्हंति चामरे विमले । धवलं च आयवत्तं अवरे वर-दप्पण-विहत्था ॥ 18 वीणा-मुइंग-हत्था वत्थालंकार-रेहिर-करा य । अच्छंति अच्छ:-गणा तस्साएसं पडिच्छंता ॥ सब्वहा, अह पेच्छइ तं सवं अदिवउव्वं अउव्व-रमियं च । उब्वेल्ल-बेल्ल-मय-वस-विलासिणी-रेहिर-पयारं ॥ ६१७३) तं च तारिसं अदिउच्वं पेच्छिऊण चिंतिय लोहदेवेणं । 'अहो, महल्ला रिद्धी, ता किं पुण महइमा कि वा अण्णस्स कस्सइ' ति चिंतयंतस्स भणिय देव-पडिहारेण । अवि य । जोयण-सहस्स-तुंग रयण-महा-पोमराय-णिम्मवियं । पडिहय-तिमिर-प्पसरं देवस्स इमं वर-विमाणं ॥ वर-इंदणील-मरगय-ककेयण-पोमराय-वजेहिं । अण्णोष्ण-वण्ण-भिण्णो रयणुक्केरो तुहं चेय ॥ 94 पीणुत्तुंग-पभोहर-णियंब-गरुओ रणत-रसणिल्लो । मयण-मय-घुम्मिरच्छो इमो वि देवस्स देवियणो॥ लय-ताल-सुद्धनीयं सललिय-करणंगहार-णिम्माय । वर-मुरय-गहिर-सई देवस्स इमं पि पेक्खणयं ॥ भसि-चक्क कोंत-पहरण-वर-तोमर-वावडग्ग-हत्थेहिं । देवेहि तुज्झ सेणा अच्छइ बाहिं असंखेज्जा ॥ पल्हत्थेइ य पुहई मुट्ठि-पहारेण चुण्णए मेरुं । आणं सिरेण गेग्हइ इमो वि सेणावई तुज्झ ॥ सुर-सेल-तुंग-देहो गंडस्थल-पज्झरंत-मय-सलिलो । दसण-पलाग-दणुओ इमो वि सुर-कुंजरो तुम ।। मंदार-सुरहि-केसर-कप्पतरू-पारियाय-सय-कलियं । फल-कुसुम-पल्लविल्लं उजाणमिम पि देवस्स ॥ हियइच्छिय-कज्ज-पसाहयाइँ णिच्च अमुक-ठाणाई । तुझं चिय वयण-पडिच्छिराइँ इय किंकर-सयाई । देव तुम इंद-समो बल-वीरिय-रूव-आउय-गुणेहिं । पउम-विमाणुप्पण्णो तुझं पउमप्पहो णामं ॥ इय रिद्धि-परियण-बले पडिहारेणं णिवेइए जाउं । अह चिंतिउं पयत्तो हियए पउमप्पहो देवो ॥ 3 किं होज मए दिण्णं कम्मि सुपत्तम्मि केत्तियं विभवं । किं वा सील धरियं को व तवो मे अणुचिण्णो । इय चिंतेतस्स य से वित्थरिय झत्ति भोहि-वर-णाणं । पेच्छइ जंबुद्दीवे भरहे मज्झिल-खंडम्मि ॥ पेच्छइ जत्थुप्पण्णो तुरए घेत्तूण जत्थ सो पत्तो। चलिओ रयणद्दीवं जह पत्तो जाणवत्तेण ॥ 36 जह भरियं रयणाणं जह य णियत्तो समुद्द-मज्झम्मि । जह भद्दो पक्खित्तो लोह-विमूढप्पणा तेण ॥ 1) Pad': after कुगइ, णं भासभासणजोग्गो गेन्हई तह पोग्गले ससत्तीए ॥, Pचिय, पज्जतं ।। णावे. ३) फरिसयपमुहाई तस्स भत्तीप, P om. ता, P आणुपाणु, वायु , P म गुं, ' कुणइ इकंमेणं. 3) P जोग्गो गेन्हइ तह पोग्गले,. पजंतीहि. 4) रूयं, P सउणं. 5) P वच्छल्लेऊण, P वलिधुव्वेलमाणवाहालिपुक्खेवो. 6) पीयण, P -अट्ठजुओ. 7) बिंबोणयणरुइर, P मुट्ठवेलंतपाणितलो. 8) P समुल्लयकोमला गणग्ग. 9) Pलयालत्तराय, I वर for तह. 10)" संताणय-- 11) विउद्धो, P सबंगो. 12) ईwि for ईर्सि, P भत्तियणं. 14)P वायंति. 16) Pom, one जय, सामिय जयाहि. 17) तालियंटो, P त for च. 18) Pमुयंग, तस्वएस, P om. सव्वहा. 19) P अदिट्ठपुर्व, रमियम्वं ।। 20) अइट्ठउव, P लोभदेवेणं. 23) भिदो for भिण्णो. 24) P पीगतुंग, P रणतरमणिल्लो. 25) गेहं tor गेयं. 29) कल्पतरु, P पारियायसंवलिय।31) विहव for रूव.32) परिहारेणं. 33) व भवे for विमर्व, परिर्ड. 34) चितंतस्स, J वित्धारियं, P ज्झति, P खडिमि. 35) जो for सो. 360 P भरिओ. Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४ उज्जोषणसूरिविरड्या [६१७३। जह फुट बोहित्थं तारद्दीवम्मि जह दुई पत्तो। संपत्तो कोसंबिं जह दिट्टो धम्मणदणो भगवं ॥ जह पब्वजमुवगओ संविग्गो जह करेउमाढत्तो । पंच-णमोकार-मण काल-गये चेय भत्ताणं ॥ 3 णायं तु जहा कम्मं बहुयसुहं सोसियं तु दिक्खाए । पंच-णमोकार-फलं जे देवत्त मए पत्तं ॥ ६१७४) इमं च पेच्छिऊण सहसा वलिय-चलंत-कंत-कामिणी-गुरु-णियब-बिंब-मंथर-विलास-कणय-कमलाली-खलंतमणि-उर-रणरणारावं रसणा-रसंत-किंकिणी-जाल-माला-रणत-जयजयासह-पहरिस-संवलिउच्छलत-सपडिसद्द-पसरत-पूरिय6 खुब्भमाण-सुरयणं समुट्टिओ सयणाओ, अभिगो सत्तटु-पयाई जंबुद्दीवाभिमुहो, विरइओ य सिरे कमल-मउल-सरिसो । अंजली । णिमिय च वामं जाणुयं । मणि-कोट्टिम-तलम्मि भत्ति-भर-विणमिउत्तिमंगेण भणियं च णेण। सुर-गंधब्व-सिद्ध-विजाहर-किंणर-गीय-बयणयं । दणुवइ-वर-णरिंद-तियसिंद-पहुत्तण-लंभ-गरुययं । भीसण-जणण-मरण-संसार-महोयहि-जाणवत्तयं । जयइ जिणिदयाण वर-सासणर्य सिव-सोक्ख-मूलय ॥ तित्थ-पवत्तण-गरुयएँ णिम्मल-पसरंत-णह-मऊहयए । सयल-सुरासुर-णमियऍ पणमामि जिणाण य चलणए । एरिसिया सुर-रिद्धिया दिण्णा रयण-समिद्धिया। जेण महं सुह-कम्मयं तं पणमामि सुधम्मयं । ति । समुढिओ य पणाम काऊण, भणियं च ण 'भो भो मए, किं करियध्वं संपर्य' ति । पडिहारेण विष्णत्तं 'देव, कीला-वावीए 19 मजिऊण देवहरए पोत्थय-वायणं' ति । तेण भणियं । 'पयह, कीला-वाविं वच्चामो' ति भणमाणो चलिओ साहसं । परिहारो ओसारिजमाण-सुर-लोओ संपत्तो मजण-वाविं । 18६१७५)सा पुण केरिसा । मवि य । पेरंत-रयण-कोट्टिम-णाणा-मणि-किरण-बद्ध-सुरचावा । तीर-तरुग्गय-मंजरि-कुसुम-उदय-दिसिचका । मणि-सोमाण-विणिम्मिय-कंचण-पडिहार-धरिय-सिरिसोहा । कलधोय-तुंग-तोरण-धवलुदुत-धयवडाइला ॥ 18 पक्ण-वस-चलिय-किंकिणि-माला-जाला-रणत-सुइ-सुहया । बहु-णिजहय-णिग्गम-दार-विरायंत-परिवेढा ॥ कंचण-कमल-विहूसिय-सिय-रयण-मुणाल-धवल-सच्छाया । फलिह-मउज्जल-कुमुया णिक्ख-विणिम्मविय-सुरहि-कल्हारा। णीलमणि-सुरभि-कुवलय-विसट्ट-मयरंद-विंदु-चित्तलिया। वर-पोमराय-सयवत्त-पत्त-विक्खित्त-सोहिल्ला ॥ 21 वर-इंदणील-णिम्मल-णलिणी-वण-संड-मंडिउद्देसा। विच्छित्ति-रइय-पत्तल-हरिया बहु-पत्त-भगिल्ला ॥ सुर-लोय-पवण-चालिय-सुरदुम-कुसुमोवयार-सोहिल्ला । अच्छच्छ-धवल-णिम्मल-जल-भर-रंगत-तामरसा॥ इय कमल-मुही रम्मा वियसिय-कंदो-दीहरच्छि-जुया। मणिकंचण-घडियंगी दिट्ठा वावी सुर-बहु प्य ।। तं च पेच्छिऊण दिण्णा झंपा वावी-जलम्मि । तस्साणुमग्गओ ओइण्णो सुर-कामिणी-सत्थो । किं च काउमाढत्तो । गावि या तुंग-थणवटु-पेल्लण-हल्लिर-जल-बीइ-हरिय-णिय-सिचओ। कलुसेइ णिम्मल-जलं लजंतो अंग-राएण॥ वित्थय-णियंब-मंथण-धवलुग्गय-विप्फुरंत-फेणोइं । अह मह इमं ति सिचयं विलुलिजइ जुवइ-सत्येण ॥ भवरोप्पर-ओल्लण-सोलणाहिँ णिवढंत-णीसहंगाहिं । पोढ-तियसंगणाहिं दहशो णिहोसमवऊढो॥ पउमप्पहो वि खेल्लइ ससंक-णिवडत-पउम-लहु-पहरो। अच्छोडिय-णिय-कमल-संग-जल-पहर-धाराहि ॥ अंगम्मि तस्स ताव य पहरंति मुणाल-णाल-पहरेहिं । मुद्ध-तियसंगणाओ वलिऊण ण जाव पुलएइ ॥ 30 जा जा मुणाल-पहया होइ ससिक्कार-मउलियच्छीया । तं तं पउम-समाणा पोढा ण गणेइ खेलम्मि ॥ जल-जंत-णीर-भरियं लोयण-जुयलं पियस्स काऊण । चुंबइ दइयस्स मुहं लज्जा-पोढत्तणुप्फालं ॥ इय मजिऊण तो सो तियस-बहू-वर-करेणु-परियरिओ । उत्तरिमओ लीलाए दिसा-गईदो व्व सवियारं ॥ 33 पमजियं च रायहंस-पम्ह-मउएण देव-दूसेण से अंग । समप्पियं च तस्स धोयवत्ति-जुवलयं । तं पुण केरिसं । on अवराम 1) J दुक्खं for दुहं, ' om. संपत्तो, P कोसंबी, भयवं. 2) संवेग्ग, करेउ आहत्तो, चेव व अचाणं. 3) P बहुमसुयं ज्झोसियं, J 'कारहलं. 4) Pom. कंत, P रणरणारसणरसंत. 5)P "सद्दा, I om. पहरिस, 'लंतपडिसहयसरपूरियः 6) रयणाओ for सयणाओ, P adds य before सत्तट्ट, विरइय सिरे, Pकमलउल, सरिस अंजलिं. 7) P निम्मियं, वामजाणु, I कोट्टिमयलं मि, विणेमि P वियणमिउ'. 8) P विज्जाधर. 9) om. भीसण, P जमण, P adds विणास before संसार. 10) Pगरुए, P मयूहए, P नमियपए, P om. य. 11) परिसा. 12) Pom. य,P om. भणियं च णेण. 13) देवहरय (यं?) देवदरयं, J वावणं च त्ति, J कीलावावी, Jom.त्ति, P पडिहारो सारि'. 15) Pजा for सा. 16) रयद्धय, दिसिअका. 17)Pसोपांण, P किलहोय, P धवलुहुद्धत. 18) Pजालमाला for मालाजाला. 19) विगासिय, Jom. धवल, P फलिहविलुज्जकुमुयानिकवि', Pom. सुरहि, P कहारा. 20) सुरहि, Padds मरगयस before सयवत्त, Pom. पत्त. 21) विच्छित्त, पत्तलपत्तलयावत्तपत्त- 22) J अश्वत्थधवल, जलहर. 23) हरिसा for रम्मा. 24) तरसालुमग्गो. 25) ? घणवद्धालण, १ वीइतियसचिंचइओ. 26) विष्फरतफेणारं, P विलुलिज्जति. 27) ॥ नियसमवऊढो. 28) P खेला, P उच्छोडिय निद्दलकमल. 30) होहिदपउमसणामो पओसणामो, पोद. 32) परिओ।, P गयंदो. 33) Pपओगेण for मउएण, om. देव. Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -8800] कुवलयमाला 1 किं होज तूल-मउयं घडियं वा कास- कुसुम-पम्हहिं । किं वा मुणाल तंतू - णिम्मवियं देव-सत्तीए ॥ तं च तारिसं णियंसिऊण कय-उत्तरासंगो पडिहार- दाविय-मग्गो पयतो गंतु, 3 णिओइएण देव घरयस्स । ताच य णिज्जियसेस मऊहा परिपेल्लिय-दूर- पाव-तम-पसरा । दिणयर-सहस्स-मइय व्व झत्ति कंती समुच्छलिया ॥ १७६) ताव य णत्र - वियसिय पारियाय- कुसुम-मंजरी - रेहिरो सुर-मंदार - कुसुम-गोच्छ वावडो कणय-कमल-विसहमाणे6 दीवर - भरिभो सन्वहा दसद्ध चण्ण-कुसुम-पडहस्थ-कणय- पडल- णिहाओ उवट्ठविओ परियणेण । एत्थंतरम्मि पविट्ठो 'नमो 6 जिणा' ति भणमाणो देवहरए पमप्यहो देवो पेच्छ व जिगरं च फेरि अि 1 15 सेय भगवंतेपेण जिणवरे हरिस-वस-वियसमान-गयण-दुबलो पलणे 'नमो सच्च-जिणार्थ ति भणमाणो विद18 डिओ | ताव य दिव्व- सुरहि-जल- भरिए समप्पिए कणय-कलसे अहिसिंचिऊण, विलित्ते दिव्व-देवंगराएण, उप्पाडियं च 12 गोसीस-चंदण-गंध-गभिणं पवर-धूयं । आरोवियाणि य जं-जहावण्ण-सोहा-विष्णास-लायण्णाई जल-थलय कुसुमाई । तभो विरइय- विवि-पूर्व केरिस तं विषस देवदर दीसितं पयते । अधि य । वियसिय- कणय - कमल - सिरि-णिज्जिय- माणस - लच्छि-गेहयं । णव- कंदोह - कुसुम - कल्दार - विराचिय-कंत सोहयं ॥ व-मंदार गोच्छ-संताणय- कुसुम-पइण्ण-राययं । मंदिरयं जिणाण तं सोहइ तत्थ समत्त-पूययं ॥ तं च तारिसं पेच्छिऊण पहरिस-वस-समूससंत- रोमंच-कंचुइओ थोऊण समादत्तो भगवंते जिणवरिंदे । अवि य, 18 24 अण्ण-वण-घडिए णिय-वण्ण- पमाण-माण-निम्माए । उपपत्ति-णास रहिए जिणवर बिंबे पलोएइ ॥ फलिए -मनि-निम्मलयरा के वि जिणा पुसराय-मणि घडिया के वि महानीलमया कल्याण-निमिया के वि ॥ मुत्तादल-तारवरा भवरे परयोमराय सच्छावा अबरे सामल- देहा मरगय-दल-निमिया के वि ॥ जय ससुरासुर- किंगर- मुणिवर-गंध-णमिव-चरण-या जय सयल निम-व-जि-संघ मोतु ॥ जइ देवो णेरइओ मणुओ वा कह वि होज तिरिओ हूं । सयल-जय- सोक्ख- मूलं सम्मन्तं मज्झ देजासु ॥ ६ १७७ ) एवं च थोकण णिवडिओ पाएसु । दिट्ठे च पोत्यय-रयणं पीठम्मि । तं च केरिसं । अवि य, वर-पोमराय गर्न फलि विणिम्मविय-परायं रुद्रं मी लिहिये पोत्यय-रवणं पलोएइ ॥ 21 1 च दण भति-भर-निटभर हियएण गहिये पोत्थवं सिविलियं च उम्बाडिय वाचि पयतो नवि य णमो सच्चसिद्धाणं।" Q अविरहिय जाण सण-वारस पत्त सिद्धि-वर मग्गो सासय-सिव-सुद-मूलो जिण मग्गो पायो जय ॥ संसार - गहिर- सावर- दुतारुसार वरण-कणं । तित्य-करणे- सीला सच्चे विजयंति तिव्ययरा ॥ पज्ज लिय- शाण- हुय वह कम्मिंधण- दाह-वियलिय-भवोद्दा । अपुणागम-ठाण- गया सिद्धा वि जयंति भगवंता ॥ णाणा-लद्धि-समिद्धे सुय - णाण - महोयहिस्स पारगए। आसण्ण- भव्व-सत्ते सच्चे गणहारिणो वंदे ॥ णाण- तव विरिय- दंसण चारित्तायार-पंच-वावारे । पज्जलियागम-दीवे आयरिए चेव पणमामि ॥ सु-सुप्त गुणन-धारण-अयणायक- हिच्छे उवयार करण-सीले वेदामि नई बा पंच-मयय-ति-गुति-गुत्ते विलुत्तमिच्छते। हामि अप्पमते ते साहू संजम पते ॥ इ धम्मार - सिद्धे गणहर-आयरिऍ तह उवज्झाए । साहुयणं णमिऊणं जिणवर-धम्मं पवक्खामि ॥ दु-विदो जिणवर धम्मो हित्य-धन्मो य समण-धम्मो व बारस-विहो गिही समणाणं दस-विहो होइ ॥ 33 पंचाणुव्वय-जुत्तो ति-गुणव्वय-भूसिओ सचउ- सिक्खो । एसो दुवालस-विहो गिहि-धम्मो मूल सम्मत्तो ॥ 27 30 देवहरयं पत्तो य । उग्घादियं च से दारं ९५ 1) P कि होज दूलमईयं, मउअं किं वा विकास, P पडियं वा (emended घडियं वा ), तंतु P तंत. 2 ) P निसेयंसिऊण, P देवघरयं, P उक्खाडियं, om. से. 3 ) P देवहरयं. 4 ) P पडिपेलिय, P कंति. 5) P वियसियाP मंदर. 6 ) J पडलय-, P उवद्धविउ, P repeats नमो. 7 > P पेच्छर यरा के वि जिगा पोमरायमणिघडिया के वि महानील महाकयणरयणनिम्माया। for पेच्छइ य जिणहरं । etc. to कक्केयणणिम्मिया के वि, कयिणि 10 ) P अवरोवर, P मरगयचलनिमया 11 ) P "तिऊण for पेच्छिऊण. 12) P खीरोय for दिव्वसुरहि, Pom. समप्पिए. 13 ) P जहावण्णा, P लावण्णाई, P थल for थलय. 14 ) P विरइयं, Pom. तं, P पयत्ता- 15) P वयण for कणय, P राहयं for गेहयं. 16 ) P राइयं, P adds च before सोहइ. 17 ) व कंचुओ, 18 ) P गण for वर. 19 ) P जय देवो. 20 ) Pom. च after एवं, P पोत्ययं रयणं पीढंमि. 21) विणिम्मिय, दुअ for घुय, P लियं for लिहियं. 22 ) P om. गिब्भर, 3 om. पोत्थयं, P वाइउं. 24 ) P अविर हियर नाण, पायडो जियइ. 25 ) P गहियसायर, P तरुणकज्जेण, P वि जियंति 26 ) P पज्झलियज्झाणहुयवहा, P दाणतावियभवोहा, P अपुणागयट्ठाण, P भगवंतो. 27 ) P मुयणायणमुहोय, P सव्व for भव्व, Pom. सते. 29 > P सुत for सुय, P गणण, अज्झायण', P धारणसज्झावणेक्क. 30 ) Pom. मिच्छत्ते, P अप्पवमत्ते, पत्ता. 31) P सिद्धो, P आयरिय, P साहूणं. 33 ) P य चउ for सचउ, P गिहधम्मो. J 15 18 21 24 27 30 33 . Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरदया [१९७७ 1 खंती य मद्दवजव-मुत्ती-तव-संजमे य बोद्धव्वे । सच्चं सोय आकिंचणं च बंभं च जइ-धम्मो॥ इय एयं चिय अइवित्थरेण अह तम्मि पोत्थए लिहियं । वाएऊणं मुंचह भत्तीऍ पुणो रयण-पीढे॥ अणमिऊण य जिणवरे णीहरिओ देवहरयाओ। पुणो जहासुहं भोए भुंजिउं पयत्तो पउमप्पभो देवो ति । एवं थोएसु चेय ३ दियहेसु वच्चमाणेसु माणभडो वि जहा-समयं पालेऊण आराहिऊण जिण-णमोकारं तेगेय कमेण तम्मि चेय विमाणे अणेयजोयण-लक्ख-वित्थरे देवो उववण्णो। तस्स वि सा चेवावत्था, णवरं पुण णाम पउमवरो त्ति । तओ केण वि कालंतरेण • जहा-संजम-विहीए आउय-कम्म-णिज्जरणे उप्पण्णो तम्मि चेय विमाणे मायाइञ्चो वि, णवरं पुण से णाम पउममारो ति।। तओ ताण पि दियहाणं परिवालिय-संजमो सो वि मरिऊण चंडसोमो वि उप्पण्णो तम्मि चेय विमाण-वरे, णवरं से पुण णाम पउमचंदो ति । तओ केसुइ दियहेसु कय-सामाइय-कम्मो मरिऊण मोहदत्तो तम्मि चेय विमाणवरे उववण्णो, णवरं से णाम पउमकेसरो त्ति । तओ एवं च ते पंच वि जणा पउम-विमाणुप्पण्णा सम-विभव-परिवार-बल-पोरुस-प्पभावा-. उया अवरोप्परं च महा-सिणेह-परा जाणति जहा कय-संकेय त्ति । एवं वञ्चइ कोइ कालो। एत्थंतरम्मि सुर-सेणावह-तालिय-घंटा-रावुच्छलंत-पडिसई । पडिसद्द-पोग्गलुग्धाय-घट्टणाचलिय-सुर-घंटं ॥ 13 घंटा-रव-गुंजाविय-वज्जिर-सुर-सेस-विसर-आउज्जं । आउज्ज-सद्द-संभम-सहसा-सुर-जुवइ-मुक्क हुंकारं ॥ हुंकार-सवण-विम्हिय-दइया-मुह-णिमिय-तियस-तरलच्छं । तरलच्छ-दसणुप्पित्थ-भग्ग-गंधव-गीय-रवं ॥ गीय-रव-भंग-णासिय-ताल-लउम्मग्ग-णञ्चिरच्छरसं । अच्छरसायण-संखुहिय-कलयलाराव-रविय-दिसियकं ॥ 16 इय ताणं सहस ञ्चिय आसण-कंपो सुराण भवणेसु । उच्छलिय-बहल-बोलो जाओ किं-किंचि पडिसहो । पुग्छियं च णेहिं सुरवरेहिं 'भो भो किमेयं' ति । तो तेहिं विष्णतं पडिहारेहिं । 'देव, जंबुद्दीवे भरहे दाहिण-मज्झिल्लयम्मि खंडम्मि । तम्मि य धम्म-जिर्णिदो विहरइ उप्पण्ण-णाणवरो॥ 18 ता तस्स समवसरणे गंतव्वं तिअस-वंद-सहिएण । सुरणाहेण सम चिय भत्ति-भरोणमिय-सीसेण ॥ संच सोऊण कय सम्वेहिं चेय सुर-वरेहिं 'णमो भगवओ सुधम्म-धम्मस्स जिणस्स' त्ति । तं च काऊण पयह सुरिंद-पमुहा। सुरवरा । कह य । अवि य, 21 सहसुद्धाइय-रहवर-बहु-जाण-विमाण-रुलू-गयणवह । परितुट्ठ-तियस-कलयल-हरिस-वसुम्मुक्क-बोल्लिक्कं ॥ तियसिंद-पोढ-विलया-विलास-गिजंत-मंगलुग्गीयं । अवसेसच्छरसा-गण-सरहस-णञ्चत-सोहिल्लं ॥ रयण-विणिम्मिय-णेउर-चलमाण-चलंत-किंकिणी-सई । वर-संख-पडह-भेरी-झल्लिरि-झंकार-पडिसई ॥ १५ णारय-तुंबुरु-वीणा-वेणु-रवाराव-महुर-सहालं। उक्कट्ठि-सीह-णायं कलयल-सदृश्छलत-दिसियकं ॥ इय एरिस-हलहलयं जिणिदयंदस्स समवसरणम्मि । वच्चंति हिट्ठ-तुहा अंगेसु सुरा अमायंता ॥ संपत्ता य चंपा-पुरवरीए । 27६१७८) भणिओ य तियसिंदो पउमसारेण तियसेण। 'देव, जइ तुब्भे अणुमण्णह, ता अहं चेय एको सामिणो धम्म-भ जिणस्स समवसरणं विरएमि' ति । भणियं च वासवेण 'देवाणुप्पिया, एयं होउ' त्ति । भणियमेत्ते किं जायं ति । मवि य । सहस चिय धरणियले उद्धावइ मारुओ धमधमस्स । खर-सकर-तण-सय-रेणु-णासणो जोयणं जाव ॥ ६० पवणुळ्य-रय-संताव-णासणो सुरमि-गंध-रिद्धिल्लो । अद्दिठ्ठ-मेह-मुक्को णिवडइ जल-सीयल-तुसारो॥ मयरंद-बिंदु-णीसंद-लुद्ध-मुद्धागयालि-हलबोलो। वेट-ट्टिय-सुर-पायव-कुसुमुक्केरो पडइ तत्तो॥ तो तस्स परियरेणं णाणा-मणि-रयण-किरण-संवलियं । बद्ध-सुर-चाव-सोहं पायार-वरं विणिम्मवियं ॥ 33 तस्स य बाहिं सहसा बीय वर-तियस-कणय-णिम्मवियं । रयणुजोविय-सिहरं रइयं तियसेण पायारं ॥ 1) P बोधव्वे, P आलिंबणं for आकिंचणं. 2) Pom. अइ, Pमुच्चइ. 3) Pom. य, 1 पउमण्यहो, एयं. P दियह for दियहेसुं, P तेणय. 5)P सा चेय ववत्था, P पुणा for पुण, पउमीरु त्ति Pपउमवरो त्ति, Pकेणावि. 6) P संजमविही आ, P inter. पउमवरो (for पउमसारो) and से णाम, पउमसारो added on the margin, JPति. १) P काणं for ताणं, चेव. 8) Pउण, पउमचंडो, P उप्पण्णो. 9) Pom. से. 10)P सिण्हह for सिणेह, तहा for जहा, ' के वि for कोइ. 11/" सेणावई, Pघंटारयणुच्छ', पोग्गलग्याय, adds सेस before चलिय. 12) गुंजाविया. 13) Padds रव before सवण, समण for सवण, P निहिय for णिमिय, P"गुप्पिच्छगंधब, Prepeata गीयरवं. 14" • भंगाणसिरतालजमग्गणचिर', 'रच्छरयं, P सुहं य for संखुहिय, P दिययकं. 15) Pउच्छलियहलापोला, " किंतिपडिसदा. 17) Jणाणधरो. 18) गर्तव्वन्तिअस, Pतिअमरवंद्र, समयं चिय. 19) चेव, P सुहंमधमजिणस्स, Pप्पमुहा- 30) " कयहा for कह य. 21) Pom. हरिसवसुम्मुक्कचोलिक eto. to उक्कट्ठिसीहणायं. 24) Prepeats कलय. 25) जिणिदइंदस्स, हट्टतुट्ठा. 26) P om. य. 27) Pom. य, P om. तियसेण, चेव. 29) Fमासुओ, खरविकमः, P जोयणे. 30) Pख for रय, Pणासणासुरहि, JP अदिद. 31) " चंद for बिंदु, बेंदु for वेंट. 32) "परियणेणं, Pom. किरण, P चावसाई पायारतयं. 33) Pय बोहिं, P दुइयं for बीयं, P adds कण belore कणय, 'पागारं. Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 -$ १७९1 कुवलर माला 1 थोवंतरेण तस्स य कलधोय-मयं फुरंत कतिल्लं । उत्तंग-सिहर-राह सहसा तइयं पि पायारं ॥ अह तुंग-कणय-तोरण-सिहरोवरि-चलिर-धयवडाइल । मणि घडिय-सालभंजिय-सिरि-सोहं चामरिंद-सुह। वर-मणि-वराल-वारण-हरि-सरह-ससेहिँ संवराइणं । महमहमहेंत-धूयं वण-माला-रुइर-लंबिर-पलंयं: वर-घेजयंति-सोहं मुत्ताहल-रुहर-दीहरोऊलं । तक्खण-मेत्तेग चिय विणिम्मियं दार संघाय ॥ वर-कणय-पउम-राढा वियसिय-कंदोह-कुसुम-चचइया । अच्छच्छ-वारि-भरिया रइया दारेसु वावीओ॥ पवणुव्वेल्लिर-पल्लव-वियसिय-कुसुम-सुरहि-गंधाई। वर-चूय-पयासोय-सार-गरुयाइँ य वणाई ॥ एयस्स मज्झयारे रइयं देवेण मणिमयं तुंगं । कंचण-सेलं व थिरं वरासणं भुवण-णाहस्स ॥ तत्तो पसरिय-किरणं दित्तं भामंडलं मुणिवइस्स । वर-दुंदुही य दीसइ वर-सुर-कर-ताडिया सहसा ॥ कोमल-किसलय-हारं पवणुब्वेलंत-गोच्छ-चंचइयं । बारस-गुण-तुंगयरं असोग-वर-पायवं रम्मं ॥ तत्तो वि फलिह-मइयं तिहुयण-सामित्तणेक-वर-चिंधं । चंदावलि व्व रइयं छत्त-तियं धम्मणाहस्स ॥ पासेहिँ चामराओ सक्कीसाणेहि दो वि धरियाओ । उकुट्ठि-सीह-णाओ णिवडंति य दिव्व-कुसुमाइं ॥ एत्यंतरम्मि भगवं पुव्वद्दारेण पविसए धम्मो । तियस-पउमावलीए ठावंतो पाय-पउमाई ॥ मह पविसिऊण भगवं चेइय-रुक्खं पयाहिणं काउं। णिसियइ पुब्वाभिमुहो थुव्वतो तियस-णाहहिं ॥ तत्तो णिमियस्स य से जाया पडिरूवया तिय-दिसासु । जिपवर-सरिसा ते च्चिय तस्सेव पभावओ जाया । तो तस्स दाहिणेणं णमिउं तं चेय ठाइ गणहारी। तस्साणुमग-लग्गा केवलिणो सेस-साहू य ।। तत्तो विमाण-देवी समणी-सहियाउ ठंति अण्णाओ। बहु-जणवय-सय-कलियं तहा वि रुंद ति पडिहाइ ॥ कत्थइ विमाण-देवा कत्थइ भवणाण सामिणो होति । कत्थइ जोइसिय चिय वंतर-देवा य अण्णत्थ ।। कत्थइ य वंतरीओ कत्थइ देवीओं जोइसाणं तु । कत्थइ णायर-लोओ कत्थइ राया सुरवरिंदो॥ अवरोप्पर-वेर-विवजियाइँ सयलाई सावय-गणाई । पायारंतर-परिसट्ठियाई चिटुंति णिहुयाई ॥ एवं जोयण-मेत्ते धम्म-जिणिदस्स समवसरणम्मि । अजंतणे अविकहे वेर-विमुक्के भय-विहीणे ॥ 21 अह भाणिउं पयत्तो जोयण-णीहारिणीऍ वाणीए । गंभीर-मार-घोसो णमोत्थु तित्थस्स वयणमिण ॥ इय भणियम्मि समं चिय सब्वे वि सुरिंद-दणुवइप्पमुहा । कर-कमल-मउलि-सोहा पणया देवा जिणिदस्स ॥ ___ अह सुर-णर-तिरिएसु य सण्णी-पंचिंदिएसु सव्वेसु । परिणमइ सभासाए एकं चिय सव्व-सत्तेसु ॥ 24 जह बुज्झइ देव-गुरू सयल-महासत्थ-बित्थरुप्फालं । णउलाई वि तह ञ्चिय वियप्प-रहियं जिणाणं ति ॥ १७९) इमाए उण एरिसाए वाणीए सयल-सुरासुर णर-तिारेयामय-पाण-सरिसाए किं भणिउं पयत्तो भगवं धम्म-जिणिंदो। 27 लोयम्मि अस्थि जीवो अस्थि अजीवो वि आसवो अस्थि । अस्थि य संवर-भावो बंधो वि य अस्थि जीवस्स। अत्थि य णिज्जरणं पि य मोक्खो वि य अस्थि णवर जीवाणं । धम्मो वि अस्थि पयडो अत्थि अहम्मो वि लोयम्मि ॥ सहव्व-खेत्त-कालाभावेहि य अत्थि अप्पणो सव्वं । पर-दव्व-खेत्त-कालाभावेहि य णस्थि सव्वं पि॥ जइ वि ण घेप्पइ जीवो अप्पचक्खो सरीर-मज्झम्मि । तह वि अणुमाण-गम्मो इमेहि लिंगहि णायव्वो ॥ उग्गह-ईहापूहा-मग्गण तह धारणा य मेहा य । बुद्धी मई दियका विण्णाणं भावणा सण्णा ॥ अक्खेवण-उक्खेवण-आउंच-पसारणा य गमणं च । आहार-भसण-दसण-पढण-वियारा बहु-वियप्पा ॥ 33 एयं करेमि संपइ एयं काहामि एस-कालम्मि । एयं कयं ति-काले तिणि वि जो मुणइ सो जीवो ॥ सो य ण सिओ ण कण्हो ण य रत्तो णेय णील-कावोओ । देहम्मि पोग्गल-मए पावइ वण्णकम णवरं ॥ ण य दीहो ण य तसो ण य चउरंसो ण वट्ट-हुंडो वा । कोण देहत्थो संठाणं पावए जीवो ॥ 1) कतिले. 2) P चलियधय, P चावरिंद. 3) Pससिहि, F रक्ष्य for रुदर. )P कणयपोमराहा, P repeats रझ्या, J बाईओ. 6)पवणुवेलिर, P धूय for चूय. 7) देवे। मयं. 8) P साहसा for सहसा. 9) राहं for हार, जिण for गुण. 11)P उक्कट्ठिसीहनीहो, P adds वहंति before य. 12) Pठावंते. 13) अह विसि, चेतियरुक्खं, P वुत्तंतो for धुव्वतो. 14) P ततो, विय for चिय, P तस्सेय पहावओ. 15)P नमियं. 16) I रुंदं ब्व पडि'. 17) विमाणा, P भवणाण वासिणो होइ. 18) देवीइ. 1913.ठियाई । संट्ठियाई. 20) P जोव्वणमेत्ते, P य विकहे for अविकहे. 23) P परिणवइ सहासवे एक चिय सव्वसत्थेसु. 25) Pom. वाणीए, P पयात्तो. 27) लोअंमि य अस्थि, P॥ भत्थि जीवस्स । अत्थि निजरणं पि यामोक्खो. 28) P सुहंमोय for अहम्मो वि. 29) P कालाभावे च्चिय अत्थि. 30) P जीवो इय पञ्चक्खो 31) P विअप्पा for वियका. 32) J अउंट, P हसण for भसण, सहण for दंसण, वितारा. 34)P किण्हो, P नीय for णील.. 13 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 6 9 12 15 18 21 24 27 30 33 उज्जोयस रिविरइया वसीयलो ण उण्हो ण य फरुसो पेय कोमलप्फरियो गुरु-ल-सिमिन्द्र-भावे वह देहम्मि कम्मेण ॥ य अंबिलोण महुरो ण य तित्तो कडु कसाय लवणो व्व । दुरही सुगंध-भावं वञ्चइ देहस्स मज्झ-गभो ॥ यसो पो अच्छ देहस्स मज्झयारम्मिन व होइ सम्बन्यायी अंगुह-समो वि व ण होइ ॥ णिय-कम्म- गहिय-पोग्गल - देह-पमाणो परोप्पराणुगओ । णह दंत-केस- वज्जो सेस सरीरम्मि अवि भावो ॥ जकिर तिले अदवा कुसुमम्मि दोह सोर अण्णोष्णाणुरायं चिय एवं चिय देह-जीवाणं ॥ जाहलाइ रेणू अलक्खिनो चेय राहोस- सिमि जीवे कम्मं तह धेय ॥ जयंते जीवच देपि जन्थ सो जाइ तह मुवि कम्मं वच जीवस्स रिसाए ॥ 1 ९८ जह मोरो उड्डीणो वच्चइ घेत्तुं कलाव-पन्भारं । तह वच्चइ जीवो वि हु कम्म-कलावेण परियरिओ ॥ जद कोइ इयर पुरियो स च तं भुंजे वह जीवो व सर्व चिप कार्ड कम्म सर्प भुंजे ॥ जह विष्णम्मि सरे गुंजा वायाको भमेज हो वह संसार-समुदे कम्माइदो भमद जीवो ॥ जह बच्चड़ को वि नरो नीइरिडं जर घराउ णवयम्मि तह जीवो चणं जर देई जाइ देहम्मि ॥ जहर मण-सुगृहिवं पि अंत-फुरंत निलं। इस कम्प-रासि गूढो जीवो वि हुजान किंचि ॥ जह दीवो वर-भवणं मुंगं पिहूदीहरं पि दीने महष-पु-छूढो तत्तिय मेतं पयासेइ ॥ तह जीवो - समुसिये पि देई जगह सजीवं पुण कुंधु-देदोवत्तियमेतेण संतुट्टो ॥ जद गयणयले पण पचतो णेय दीसह जमेण तद जीवो बि भमंदो णवणेहि ण चेप्प भवम्मि ॥ जह किर घरम्मि दारेण पविसमाणो निरंभई वाऊ जी घरे भईदिय दाराई पायस्स ॥ जहद तक जाला मालाउलेण जलणेणं। वह जीवस्स विद कम्मर झान-जोन ॥ वीकुराण व जहा कारण-कलाई य जति इव जीव-कम्मवाणसिह भावो -कालम् ॥ जद्द - पत्थरम्मि सम उप्पण्णम्मि जलण जोएहिं । डहिऊण पत्थर-मलं कीरइ अह णिम्मलं कणयं ॥ तह जीव-कम्मवार्थ अनाइ-कालम्मि झाण- जोएण णिजरिय कम्म-किट्टो जीवो कीरए विमलो ॥ अमिलो मनी झर जलं द-किरण- जोपुण तह जीवो कम्म-मलं मुंबई लक्षण सम्म ॥ जद सूरमणी जल मुंबइ सूरेण तावओो संतो वह जीवो विदु णाणं पावह तब सोसिवप्पाणो ॥ जह पंक-लेव-रहिओ जलोवरिं ठाइ लाउओ सहसा । तह सयल-कम्म-मुक्को लोगग्गे ठाइ जीवो वि ॥ इय जीव-बंध- मोक्खो भासव- णिज्जरण- संवरे सब्वे । केवलणाणीहिँ पुरा भणिए सब्वेहि वि जिणेहिं ॥ एवं च देवाणुपिया । I 1 लोयग्मि के वि सत्ता सिउम्मा हम्म आसत्ता | मरिण जति णस्वं दुक्ख-सथावत-परम्मि ॥ णाणावरदपूर्ण कम्मेण मोहणीय-वडरे । यसट्टा अपने मरिक थावरा होति ॥ मय- लोह-मोह-नाया- कसाय-वसओ जिओ अयाणंतो । मरिऊण होइ तिरिओ णरय-सरिच्छासु वियणासु ॥ कोइ दो देवो विमाण-वासी य वंतरो भो । अण्णो भवन-निवासी जोइसिनो चैव तह दोह ॥ मारंभ सर्व च चरिऊण जिराणाए । कोइ तहिं चिय जीवो तियादो होइ सम्मम्मि ॥ अण्णे गणहर-देवा आयरिया चेव होंति अण्णे वि । सम्मत णाण-चरणे जीवा अण्णे वि पावंति ॥ सयल - जय-जीव - वित्थर-भत्ति-भरोणमिय-संधुयप्पाणो । भव्य कुमुयाण ससिणो होंति जिनिंदा वि के वि जिया ॥ अण्णे मोहावत्तं दुह-सय-जल-वीइ-भंगुर-तरंग । तरिऊण भव-समुद्दे जोवा सिद्धिं पि पार्वति ॥ तम्हा करे तुब्भे तव संजम णाण- दंसणेसु मणं । कम्म-कलंक- विमुक्का सिद्धि-पुरं जेण पावेह ॥ [8 १७९ 1 8 6 12 15 18 21 J P भइ for भ्रमइ. J वड, १ य 2) सुगंध 3) P वि for व नवि for विग 4) परोष्यणुओ केशो से सरीरंगि, भामो P P केसविज्जो 5 ) P कुसुमेसु देइ सोरंमं, P एयं चिय जीव देवाण- 6 ) P सिद्धिो, P अलक्खेओ, P समिद्धे. 7) जायर, पिजिकम्मं. 8 ) Pकलावभारं पि, य for.हु, विहु विहिकम्मकलावपरि° 9 ) Jरद्धेऊ P रंधेसंऊणं. 10 P हडो, 11 ) कोइ परो, नवयंति, P नवतंमि ज किं चि जह दीवो चऊरुणं जह देई. 12 ) P रयणमयणसुगृहियंमि, P रासिमूढो, P'विन याणएइ, Pom. किंनि ॥ जह दीपा etc. to पि देहं जणेइ. 15 ) J जीवो for दीवो. 16 ) P दारे पविस्समाणो, P बाओ. 17 ) P ज्झाणजोगेण 18 ) P बीयंकुराव जाव हा कारण. 19 ) धाउ धाओ, पत्थरंमी, उप्पण्णं पि. 20 ) P अणावि काले वि ज्झाणजोगेहिं, P जीवो अह कीरह अह निम्मलं कणयं, P repeats तह जीवकम्मयाणं etc. to अह कीरए विमलो. J जह for अह, सरइ for झरइ, P किरणसंगेण. 22 ) P नाणं पवई तह सोसि 23 ) P पंकिलेव, P जालोवरिगइलाउओ, P कम for कम्म. 24 ) Padds after इय, मि for वि. 26 ) विसयुन्मत्ता, P सहमि for वहम्मि. 28 ) P repeats मोह, P होति for होइ. 29 ) P चैव तव होया 30 ) P मार्ग निसुंमिऊणं, कोवि तहि. 31) Pinter होति & चेव. 32 ) " संठुयप्पाणो, P व for वि ( first ). 33 ) पाविंति 34 ) P तुम्हा for तम्हा, सिद्धिपुर, P पाविहिति for पावेह. 21) J 24 27 30 33 . Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१८१] कुवलयमाला ९९ 1 1 तो पणया सव्वे वि वासवप्पमुहा देव दाणव- गणा भणिदं च पयत्ता । 'अहो, भगवया कहिया जीवादओ पयत्था । साहिओ जीवो, परूवियाई जीव-धम्माई । पण्णत्रियं बंध- णिज्जरा मोक्ख भावं' ति । ६ १८० ) पुतरम्मि कवरं जानिकन विरजण पुच्छितो भगवया गणहर-देवेण जिनवरो 8 'भव, इमीए ससुरासुर-पर-तिरिब सय सदस्य संकुल परिसाए को पढमं कम्मक्लयं काउण सिद्धि-सहिं पाविहद्द' ति भगवदा भणियं 'देवाचिया, 1 एसो जो तुह पासेण मूसलो पर धूसरच्छाओ संभरिय-पुण्य जम्मो संविगो भर-पयारो || मद दंसण-परितुट्टो आणंद-भरंत बाद जो तय-कण्ण-लो रोमंचइय- सम्यंगो ॥ अम्हण सम्मान वि पढमं चिय एस पाच श्य-मुको पाविद सिद्धि-बसहिं अक्लय सोक्खं गाबाई ' पूर्व च भगवया भणिय-मेचे सयल-गरिंद-चंद्र-तियसिंद-दणुवद-यमुदस्स तियस बलिय-व-कोउय रस- यस विवसमाणाई विवाई रंरस्स उपरि दिट्टि माला-सहस्साई सो य आगंतॄण भक्ति-भर- णिडभरो भगवओ पाववीट- संसिनो महियल - गिमिउत्तमंगो किं किं पि णिय-भासाए भाणिउं पयत्तो । भणियं च तियस-णाहेण । 'भगवं, महंतं मह कोहल 12 जे एस सम्वादम-तुच्छ गाई कोमल-वाचा-थली बिल निवास-दुडिओ रणुदुरो सवा पेय म्हानं पटमं सिद्धि-पुरिं 19 पाविहिइति । कहं वा इमिणा थोव-कम्मेण होइऊग एसा खुद्द जाई पाविय' ति । 3 " " 3 " १८१ ) भगवया भणिय । 'अत्थि विंझो णाम महीहरो तस्स कुहरे विंझवासो नाम संणिवेसो विसमंतो य । तत्थ पंच15 तिमो महिंदो णाम राया। उस वारा णाम महादेवी सीए पुतो ताराचंदो अटु-परिस- मेतो एवम्मि अवसरे डिनोसिणा 15 बद्ध-राणुसपण कोसले रण्णा लोक्वं दाऊण भेहितं संजिवेसं वहिं णिमादो महिंदो जुज्झितं पयो विणिवाइओ । तओ हयं सेण्णं अणागयं ति पलाइउं पयत्तं सब्बो य जणो जीव-सेसो पलाणो । तत्थ तारा वि महादेवी तं पुतं 18 ताराचंद अंगुलीए लाइऊण जणेण समयं पलायमाणी य भरुयच्छं णाम णयरं तत्थ संपत्ता । तओ तत्थ वि ण याणए कस्स 18 सरणं पवज्जाम । ण कयाइ वि कस्सह अणिमित्तु थुकियं मुहं दिट्ठं खलयणस्स । तभ तण्हा-छुहा- परिस्समुब्वेय-वेवमाणहिया काय पचामि कत्थ ण वच्चामि किं करेमि किंवा ण करेमि कथ पविसामि किं पुच्छामि किं वा आठवामि, 21 कई वा विति चिंतयंती तरा सुष्णा रण्ण-कुरंग सिलिंबी विय हिणव-प्यसूवा नियय-जूह-भट्टा बुण्ण-कायर-हिय 31 विया एकमि यर-चचर-सिव-मंडवे पविसितं पयता खगेम व गोयरम्य-निमा साहुजीर्ण बल दिई दण वितिथे तीए 'अहो, एयाओ साइपीओ महाणुभागाओ धम्म-गिरवाओ वतीओ य पुरा मम पेश्यम्मि पुर्याणिलामो । 24 सत्यता इमाम जइ परं मह सरणं काऊण अम्हारिसाण गहू ति चिंतयंती पुतं अंगुली घेण समुट्टिया बंदियाओ पाए 24 साहुणीओ | आसीसिया य ताहिं साणुणयं च पुच्छिया 'कत्तो सि भागया' । तीए भणिय 'भयवइओ विंझपुराओ' । ताहिं भणिये 'कस्स पाहुणीजो' तलो तीच भणिवं 'इर्म पि णयाणामिति । तभो तीय रूपलायण लवणादिसर्व 27 पेच्छतीतिं च वारिस क भासियं सोऊन अणुकंपा जाया सादुणी ताहिं भणियं 'जर तुह इद जयरे कोइ गालि ता एहि पवतिनीए पाहुणी होहि तीए वि 'अणुमा हो'सि भरतीए पडिवणं तुं च पवत्ता मग्गालगा दिय पवतिजीए, चिंतियं च णाए 'अहो, इमाए वि आगितीए एरिसा भावइ' त्ति । तओ असरिस रूव-जोग्वण-लायण्ण-लक्खण-विला. 30 सेहिं लक्खियं पवत्तिणीए जहा का वि राय-दारियत्ति । इमो य से अइसुंदरो पासे पुत्तओ त्ति । तीए वि उवगंतूण वंदिया 30 पवत्तिणी । आसीसिया, तीय पुच्छिया य 'कत्तो आगया' । साहियं च णियय- वुत्ततं पवत्तिणीए । तओ सेजायर - घरे समपिया ते विणियय-धूय व विमय-समा सा कया । सो वि रावतो अयभंगिम्पत्तिय-मजिय-जिमिय-विलितॐ परिहिलो कलो, सुद-णिसण्यो व भणिया पवतिणीए 'वच्छे, किं संपये तर काय' ति तीए भणिवं 'भगवद्द, जो मद्द 38 و 1) P adds या before सव्वे, P देवादाणव, Pom. च, J जीवातिओ P जीवादयो. 2 ) P मोक्खो भावं - 3 ) P विरह अंजलिणा. 4 ) P पाविहित्ति. 5) देवाणुपिया 6 ) P एय for एइ, Jom. धूसरच्छाओ. 7)P भणंतबाहु 8 ) P पढमचिय, P पाविहिसि, सिद्धिवसई, P सोक्खो अणावाहिं. 9 ) 3 बंद for वंद्र, प्पमुहस्स, P ति for तियस, P वियसमणाई. 10 ) P रन्नंदुरस P दिट्ठी, P पायपीट. 11 ) P महिलनिउत्त, Pom. one किं, P नियय, P को उहलं. 12 ) P जाइओ, P थलिनिवास, रणंदुरो, P inter. अम्हाणं & चेय, P सिद्धिफलं पुरि. 13 ) J पाविहि त्ति, P थोय for थोव, P होइऊणा P खुड्ड, जाई. 14 ) महिहरो, कुलहरे for कुहरे, J adds महा before संणिवेसो. 15 ) J तीय, P छिदुमेसेणा 16 ) J ओखंद, P से for तं, P सनिव्वेसं, P निग्ाओ, Pom. य. 17 ) पयत्तो, P जीयसेसो. 18 ) P जाणेण for जणेण 19 ) P अणुमित्त थुकियं, मुलेमाण, वेअमाण हिअविआ. 20) Pon कत्थ ण वच्चामि किं करोमि, Pom. ण before करेमि, P आसाम. 21J om. तरला, P तरलारन कुरंगि सिलिंगी विय, P -पसूया. 23 ) P चिंतयंतीए, P वच्चंतीय, P पूणिज्जाओ. 24 ) Pom. ता, P अम्हारिसा गइ त्ति चितयतीए पोतं. 25 ) P ती ताहिं भणियं धम्मलाभो त्ति for णाए साहुणीओ। आसीसिया य ताहिं साणुणयं च, तीय for तीए, P भयवईओ. 26) ताहिं for तीय, P इमंमि न याणमि । तओ, P रूपलावण्णलक्खणाइसयं पेच्छयंतीहिं. 27 ) P भाणियं, P जाया जुणीणं, Pom. इह 28 ) P होह, तीय, भणंतीय, P लग्गा विद्वायो पवित्तिणी. 29 ) Pom.वि, P अगीतीए, P अवस्थ for आवइ, P विलासाए. 30 ) P पवित्तिणीय, रायादारिय, P अमोसे for इमो य से, P दाओ for पुत्तओ, Jतीय for तीए, Pom. वि. 31 ) पवित्तिणी य धंनलाहिया। तीय, रणिअयं पवित्त (त्ती ? ) जीए P. पवित्तिणी, P सेजायर 32 ) Pom. वि, सायरं दिट्ठा for विगयसमा सा कया, P अब्भंगिय 33 ) P सुयनिसन्ना, P repeats वत्तिणीए before वच्छे, तीय for वीए. 27 . Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६९८२ 1णाहो सो रणम्मि विणिवाइओ। विणटुं विंझपुरं । णट्ठो परियणो । चंडो कोसल-णरिंदो। बालो पुत्तो अपरियणो य । ता 1 णत्थि रजासा । अह उण एत्थ पत्त-कालं तं करेमि, जेण पुणो वि ण एरिसीओ आवईओ पावेमि त्ति । सम्वहा तुम जं आदिससि तं चेय करेमि' ति । तओ पवत्तिणीए भणियं । 'वच्छे, जइ एवं ते णिच्छओ, तो एप ताराचंदो आयरियाणं 3 समप्पिओ, तुम पुण अम्हाण मज्झे पव्वयाहि त्ति । एवं कए सव्वं संसार-वास-दुक्खं छिपणं होहिइ'ति । तीए वि 'तह' त्ति पडिवणं । समप्पिो ताराचंदो भगवओ अणंत-जिणवर-तित्थे अणुवत्तमाणे सुणंदस्स आयरियस्स । तेण वि जहा-विहिणा 6 पव्वाविओ। ६१८२) तओ किंचि कालंतरं अइक्वंतं जोवण-वस-विलसमाण-रायउत्त-सहावो खग्ग-धणु-जंत-चक्कगंधव्व-गट्ट-वाइयविलासो उम्मग्गं काउमाढत्तो । तओ पण्णविओ आयरिएणं, भणिओ गणावच्छेएण, सासिओ उवज्झाएण, संणविमओ साहयणेण । एवं च चोइजमाणो य ईसि-परिणाम-भंग काउमाढत्तो । एत्थ य अवसरे मायरिया बाहिर-भूमि गया । सो य . मग्गओ गओ । तत्थ य अच्छमाणेणं वणस्थलीए रणुदुरा कीलंता दिट्ठा । तमओ चिंतियं गेणं । 'अहो, धण्णा इमे, पेच्छ खेलंति जहिच्छाए, फरुसं णेय सुर्णेति, णेय पणमंति, वियरंति हियय-रुइयं । अब्बो रण्णुंदुरा धण्णा । अम्हाणं पुण परायत्त 12 जीवियाणं मय-समं जीवियं, जेण एको भणइ एयं करेहि, अण्णो पुण भणइ इमं करेहि, इमं भक्खं इमं चाभक्ख, इमं 18 पियसु इमं मा छिवसु, एत्थ पायच्छित्तं, एयं आलोएसु, विणयं करेसु, वंदणं कुणसु, पडिक्कमसु त्ति । ता सव्वहा एक्कं पि खणं णत्थि ऊसासो त्ति । तेण रण्णुंदुरा धण्णा अम्हाहिंतो' ति चिंतयंतो वसई उवगओ। तं च तारिसं णियाण-सलं ण तेण 16 गुरूणं आलोइयं, ण णिदियं, ण पायच्छित्तं चिणं । एवं च दियहेसु वच्चंतेसु अकाल-मथए मरिऊण णमोकारेणं जोइसियाणं 16 मझे किंचि-ऊण-पलियाउओ देवत्ताए उववण्णो । तओ तत्थ एसो भोए भुंजिऊण एत्थ चंपाए पुवुत्तरे दिसा-भाए मोरुस्थलीए थलीए रण्णुदुर-कुले एक्काए रण्णुदुर-सुंदरीए कुच्छिसि उववण्णो । तत्थ य जाओ णियय-समएणं, कमेण य जोव्वणमणुप्पत्तो। 18 तत्तो अणेय-रण्णुंदुर-सुंदरी-वंद्र-परियरिय-मंदिरो रममाणो अच्छिउं पयत्तो । तओ कहिंचि बाहिरं उवगयस्स समवसरण- 18 विरयण-कुसुम-वुट्टिगंधो आगओ। तेण य अणुसारेण अणुसरंतो तहाविह-कम्म-चोइज्जमाणो य एत्य समवसरणे संपत्तो, सोउं च समाढत्तो मह वयणं । सुणेतस्स य जीवाइए पयत्थे पेच्छंतस्स य साहु-लोयं तहाविह-भवियव्वयाए ईहापूह-मग्गणं करेमाणस्स 'एरिसं वयण पुणो वि णिसुय-पुव्वं' ति, 'एयं पुण वेसं अणुहूय-पुवं' ति चिंतयंतस्स तस्स तहाविह-णाणावरणीयकम्म-खओवंसमेणं जाई-सरण उववणं । 'अहं संजओ आसि, पुणो जोइसिओ देवो, पुणो एस रण्णुदुरो जाओ' त्ति । एवं सुमरिऊण 'अहो, एरिसो णाम एस संसारो त्ति, जेण देवो वि होऊण तिरिय-जाईए अहं उववण्णो त्ति । ता आसण्ण भगवओ पाय-मूले गंतूण भगवंतं वंदामि । पुच्छामि य किं मए उंदुरत्तणं पत्त, किं वा पाविहामि' ति चिंतयंतो एस मम सयासं 24 भागओ ति । बहुमाण-णिम्भर-हियो य मम हियएण थुणिऊण समाढत्तो । 'अवि य, ___ भगवं जे तुह माणं तिहुयण-णाहस्स कह वि खंडति । ते मूढा अम्हे विय दूरं कुगईसु वियरंति ॥ भता भगवं, किं पुण मए कयं, जेणाणुभावेण एस एरिसो जाओ मि'। एस पुच्छइ । 'ता भो भो महासत्त, तम्मि काले 27 तए चिंतियं जहा रण्णुंदुरा धण्ण' त्ति । तमो तेण णियाण-सल्ल-दोसाणुभावेण देवत्तणे वि आउय-गोत्ताई रण्णुदुरत्तणे णिबद्धाई। 308१८३) एस्थतरे पुग्छिो भगवया गणहारिणा । 'भगवं, किं सम्मदिट्ठी जीवो तिरियाउय बंधहणव' ति। भणियं 30 च भगवया 'सम्मदिट्ठी जीवो तिरियाउयं वेदेह, ण उण बंधइ । भण्णइ य । 1) P विज्झपुरं. 2) P पत्तयालन्तं, Pom. ण after वि, आवइओ, P adds न before पावेमि. 3) आइससिः Pom. चेय, पवत्तिणीय, P तो for ते. 4) समप्पीयदु समुप्पिओ, होहिति, तीय tor तीर. 5) Pपडिसन्नं, P अणंता: P अणुव्वट्टमाणे, P तेणावि. 7) तओ कंचि, विलासमाण, धणुचक, वातिय. 8) Pगणावच्छेआएण सासिया, Pom, उवज्झाएण संणविओ eto. to अवसरे आयरिया. 10) Pमओ for गओ, वरात्थलीए रनंदुरा. 11) Pन for णेय, सुगति. P विरयंति हियरुइयं, P रणदुरा, P अम्हाण पुणो. 12) Pom. पुण, तमं करेइ for इमं करेहि. 13) P एवं for इर्म before मा, P एवं for एयं, पिण खणण्णत्थि. 14) रनंदुरा, P om. ति, P वसहि, P सिहं न चेय गुरुणोइयं न. 15)" जोति सियाण. 16) पलितावुओ पलियाओउ, Jon. एसो, एत्थं चंप्पाए, न दिसाविभाए मोरच्छलीए रण्णंदुरकूले. 17)" एका रण्गुंदुदुंदरीर कुच्छीए, P रणदुर, P जोम्वणं संपत्तो. 18) तओ for तत्तो, P अणेयरं सुंदरसुंदरी, P परियंदिय, P सवसरणवियरणा. 19) ३ वुट्ठी, on. य. 20) ' जीवातीए पदत्थे, १ तहाविहभविहभविय', भवितब्वताए य ईहा, Pईहापूहयमग्गणं. 21) करमाणस्स, P om. ति, Jom. तस्स. 22) J कम्मखयोव', संजोतो, संज्झओ, जोतिसिओ, Pom. एस, I om. त्ति. 23) Pजेण दोवो वि.24) पावीहामि, P सगासं. 25) Pबहुनाण, Pom. य before मर्म. 26) P खंडेंति, विव दूरं कुगवीसु. 27) P सए for एस, Pom. one भो, J महासत्ता " महासत्तो. 28) Pरगंदुरा, P adds निदिया before णियाण, P रणदुरुत्तणेण. 30) Pएत्थंतरेण, P सम्मदिट्टी, Padds a before बंधइ. 31) सम्मट्ठिी , तेति for वेदेइ, P बंधति, P वा for य. Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१ -६ १८३] कुवलयमाला । सम्मत्तम्मि उ लद्धे ठड्याई णरय-तिरिय-दाराई। जइ य ण सम्मत्त-जढो अहव ण बद्धाउओ पुवि ॥ ता इमिणा देवत्तणम्मि वट्टमाणेण सम्मत्तं वमिऊणं आउयं तिरियत्ते बद्ध' ति । भणियं च तियसवइणा गवं, कह पुण संपर्य एस सिद्धिं पाविहि' त्ति । भणियं च भगवया । 'इओ एस गंतूणं अत्तणो वणस्थलीए व तिहिद हियए। 3 'अहो दुरंतो संसारो, चलाई चित्ताई, चंवला इंदिय-तुरंगमा, विसमा कम्म-गई, ण सुंदरं णिय ग-सलं, अहमा उंदुरजोणी, दुल्लहं जिणवर-मग्ग, ता वरं एत्थ णमोक्कार-सणाहो मरिऊण जत्थ विरई पावेमि तत्थ जाओ' ति चिंतयंतो तम्मि चेय 6 अत्तणो बिल-भवणेक देसे भत्तं पच्चाइक्खिय एवं चिय मह वयणं संसारस्स दुग्गत्तणं च चिंतनो णमोक्कार-परो य6 मच्छिहह त्ति । तत्थ वि से चिटुंतस्स रणुदुर-सुंदरीओ सामाय-तंदुल-कोद्दवाइए य पुरओ णिति । तओ चिंतेहिइ । 'भो भो जीव दुरंत-पंत-लक्खण, एत्तियं कालं आहारयंतेण को विसेसो तए संपाविओ। संपय पुण भत्त-परिच्चाएण तं 9 पावसु जं संसार-तरंडयं ति चिंतयंतो तत्तो-हुत्तं ईसि पि ण पुलएइ । एयारिसं तं दट्टण ताओ रण्णुदुर-सुंदरीओ चिंतिहिंति। 9 'अहो, केण वि कारणतरेण अम्हाणं एस साम-सुंदरंगो कोविओ होहिह । ता दे पसाएमो' त्ति चिंतयतीओ अल्लीणाओ। तओ का वि उत्तिमंग कंडुयइ, अण्णा मंसु-केसे दीहरे संठवेइ, अण्णा रिक्खाओ अवणेइ, अण्णा अंग परिमुसइ । एवं च 12 कीरमाणो चिंतिहिइ । अवि य, 12 __णरओयारं तुब्भे तुब्भे सग्गग्गलाओ पुरिसस्स । संसार-दुक्ख-मूलं अवेह पुत्तीउ धुत्तीओ॥ त्ति मण्णमाणो ण ताहिं खोहिजिहि त्ति । तओ तत्थ तइए दियहे खुहा-सोसिय-सरीरो मरिऊण मिहिलाए णयरीए मिहिलस्स 16 रणो महादेवीए चित्तणामाए कुच्छीए गब्भत्ताए उववजिहिइ । गब्भत्थेण य तेण देवीए मित्त-भावो सब्व-सत्ताणं उवार 15 भविस्सह । तेण से जायस्स मित्तकुमारो ति णामं कीरिहिइ । एवं च परिवठ्ठमाणो कोत्तुहली बालो कुक्कुड-मक्कडए पसु-संबर-कुरंग-घोरुद्दवेहिं बंधण-बंधएहिं कीलिहि त्ति । एवं च कीलंतस्स अट्ट वरिसाई पुण्णाई। समागओ वासारत्तो। 18 अवि य, 18 गजति घणा णञ्चति बरहिणो विजुला वलवलेइ । रुक्खग्गे य बलाया पहिया य घरेसु वञ्चति ॥ जुप्पंति णंगलाई भजति पवाओ वियसए कुडओ। वासारत्तो पत्तो गामेसु घराई छजति ॥ 21 एरिसे य वासारत्त-समए णिग्गओ सो रायउत्तो मित्तकुमारो णयर-बाहिरुहेसं । कीलंतो तेहिं सउण-सावय-गणेनिं बंधण बद्धेहिं अच्छिहिह । तेण य पएसेण ओहिणाणी साहू वञ्चिहिइ । वोलेंतो चेय सो पेच्छिऊण उवओगं दाहिइ चिंतेहिइ य 'अहो, केरिसा उण रायउत्तस्स पयई, ता किं पुण एत्थ कारणं' ति। उवउत्तो ओहिणाणेणं पेच्छिहिइ से ताराचंद-साहु-रूवं, 24 पुणो जोइस-देवो, पुणो रणुदुरओ, तओ एस्थ समुप्पण्णो' त्ति । जाणियं च साहुणा जहा एसो पडिबुज्झइ त्ति चिंतयतो 24 भाणिहिइ । 'अवि य, __ भो साहू देवो वि य रणुदुरओ सि किं ण सुमरासि । णिय-जोणि-वास-तुट्ठो जेण कयत्थेसि तं जीवे ॥' 27 तं च सोऊण चिंतिहिइ कुमारो 'अहो, किं पुण इमेणं मुणिणा अहं भणिओ, साहू देवो रण्णुदुरओ ति । ता सुय-पुव्वं पिवश मंतियं णेण । एवं च ईहापूहा-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स तहाविह-कम्मोवसमेणं जाई-सरणं से उववजिहिइ । णाहिइ य जहा अहं सो ताराचंदो साहू जाओ, पुण देवो, तत्तो वि तिरएसु रण्णुदुरो जाओ ति, तम्हा मओ णमोकारेण इहागओ 30त्ति । तं च जाणिऊण चिंतिहिइ । 'अहो, धिरत्थु संसार-वासस्स । कुच्छिओ एस जीवो जं महा-दुक्ख-परंपरेण कह-कह वि 30 पाविऊण दुल्लहं जिणवर-मग्गं पमाओ कीरइ त्ति । ता सव्वहा संपयं तहा करेमि जहा ण एरिसाई पावेमि । इमस्स चेव मुणिणो सगासे पव्वइउं इमाई तवो-विहाणाई, इमाई अभिग्गह-विसेसाई, इमा चरिया करेमि' त्ति चिंतयंतस्स अउम्व33 करणं खवग-सेढी अर्णत-केवल-वर-णाण-दसणं समुप्पजिहिइ । 33 2) Pच रियसवइणा. 3) Js for त्ति, P चितिहि, Jom. हियए. 4) P तुरंगा. 5) P दुलह, P विरइयं. 6)" चेय for चिय, P संसारदुग्ग', P om. य. 7) से चिटुं च सारंणंदुरदुंदुरीओ, कोइवाईए P कोद्दवायिए, चिंतेइ. 8) वंत for पंत, P निलक्खग for लक्खण, आहारतेण. 9) P तरंडयंतो हुतत्तो तं ईसिं, P एतारिसं च तं, P रणदुर. 10) केणावि, P कालंतरेण, कुविओ होही।. 11) उत्तमंगं, P कंदुइय, P कोसे, अन्ना लिक्खाओ अवणेइ अ अन्ना. 13) Pinter. तुम्मे & नरओयारं, P मुत्तीउ : पुत्तीउ. 14) Pom. त्ति, P खोहि जइ ति, Pom. तओ, P महिलाए नयरीए महिररस. 15) कुच्छीए गम्मे उववन्नो।, Pom. य, P भव्य for सब्व. 16) P जाओ for भविस्सइ, I adds त्ति after भविस्सइ, P से जोयस्स, P कीरहइ, P 'माणकोऊहली, पालो for बालो. 17) P कुरंगमोरुदुरेहि बंधणबद्धण कीलि', Jति for त्ति, P om. च. 19) P विज्जुला चल चलेइ. 21) Pom. य, P गणेणंहि. 22) Pom. अच्छिहिइ, P य तेएसेण य ओहि', P वच्चियइ, I वोलेचेय, P om. चेय, I उवगओगं, P दीहीइ, चिंतेहिं दिअ Pom. चिंतेहि य. 23) J inter. पयई & रायउत्तस्स, P पुण तेत्थ, पेच्छइ से. 24) P रणदुरओ. 26) P रणदुरणो, ' किण्ण P कि दिन्न. 27) P चिंतिहीद, P रगुंदुरतो, P ति for पिव. 28) Pसे उप्पन्नं । जाणियं च णेणं जहा अहं से तारा', " पुणो, P तिरिएसो र[दुरो, Jउ for मओ. 30) J परंपरे. 31) Pसंपयत्तहा, Pinter. एरिसाई &ण, चेअ. 32) सयासे, Jom. तवोविहाणाई इमाई. 33) समुप्पज्जिह त्ति. Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ उज्जोयणसुरिविरइया [६१८३1 एत्यंतरम्मि जं तं आउय-कम्मं ति तेण संगहियं । केवल-णा गुप्पत्ती तस्स खओ दो वि जायाई ॥ एवं च तक्खण चेय तत्तिय-मेत्त-कालाओ अंतगड-केवली होहिइ ति । तेण भणिमो जहा एस अम्हाणं सव्वाण वि पढौ सिद्धिं वचिहिह । अम्हाणं पुण दस-वास-लक्खाउयाणं को वच्चइ ति । ६१८४) इमं च रण्णुदुरक्खाणयं णिसामिऊण सव्वाणं चेय तियसिंदप्पमुहाणं सुरासुराण मणुयाण य महतं कोउयं समुप्पण्णं । भत्ति-बहु-माण- सिह-कोउय-णिभर-हियएण सुरिंदेणं आरोविओ णियय-करयले सो रणुदुरो । भणियं च 6 वासवेण । 'अहो, तं चिय जए कयस्थो देवाण वि तं सि वंदणिज्जो सि । अम्हाण पढम-सिद्धो जिणेण जो तं समाइट्ठो॥ भो भो पेच्छह देवा एस पभावो जिणिंद-मग्गस्स । तिरिया वि जं सउण्णा सिझति अणंतर-भवेण ॥ १ तेणं चिय बेंति जिणा अयं सम्वेसु चेय सत्तेसु । जं एरिसा वि जीवा एरिस-जोणी समल्लीणा ॥' एवं जहा वासवेण तहा य सम्व-सुरिंदेहिं दणुयाणाहेहि य णरवइ-सएहिं हत्थाहत्थिं घेप्पमाणो राय-कुमारभो विय पसंसिज्ज माणो उववूहिजतो थिरीकरिजतो वणिजतो परियदिओ पूइऊण पसंसिओ। अहो धण्णो, अहो पुण्णवंतो, अहो कयत्यो, अहो 12 सलक्खणो, अहो अम्हाण वि एस संपूर-मणोरहो त्ति जो अणंतर-जम्मे सिद्धिं पाविहइ । ण अण्णहा जिगवर-वयण ति।12 एयम्मि अवसरे विरइयंजलिउडेण पुच्छियं पउमप्पह-देवेणं । भणियं च ण 'भगवं, अम्हे भव्वा किं अभव्व' ति। भगवया भणियं 'भव्वा' । पुणो देवेण भणियं 'सुलह-बोहिया दुलह-बोहिय' त्ति । भणियं च भगवया 'किंचि 15 णिमित्तं अंगीकरिय सुलह-बोहिया ण अण्णह' त्ति । पउमप्पहेण भणियं 'भगवं, कइ-भव-सिद्धिया अम्हे पंच वि जणा' 115 भगवया भणियं 'इओ चउत्थे भवे सिद्धिं पाविहह पंच वि तुम्हे' त्ति । भणिय पउमप्पभेणं 'भगवं, इत्तो चुक्का कत्थ उप्पजिहामो' त्ति । भगवया भणिय 'इओ तुम चइऊणं वणियउत्तो, पउमवरो उण रायउत्तो, पउमसारो उण 18 रायधूया, पउमचंडो उण विझे सीहो, पउमकसरो उण पउमवर-पुत्तो' ति । इमं च भणमाणो समुट्टिओ भगवं 18 धम्म-तित्थयरो, उवसंघरियं समवसरणं, पवजिया दुंदुही, उढिओ कलयलो, पयहो वासवो। विहरिउं च पयहो भगवं कुमुद-संड-बोहओ विय पुषिणमायंदो। अम्हे वि मिलिया, अवरोप्परं संलावं च काउमाढत्ता । एक्कमेकं जंपिमो 'भो, A णिसुयं तुब्भेहिं जं भगवया आइ8 । तओ एत्थ जाणह किं करणीयं सम्मत्त-लंभत्य' ति। तओ मंतिऊण सव्वेहिं 'अहो, को वि वाणियउत्तो, अण्णो रायउत्तो, अवरो वणे सीहो, अण्णो राय-दुहिय त्ति । ता सव्वहा विसंतुलं आवडियं इमं कर्ज । ताण-याणामो कहं पुण नोहि-लाभो अम्हाणं पुण समागमो य होज' ति । 'ता सव्वहा इमं एस्थ करणीय' ति चिंतयतेहिं भणिय । 'अहो पउमकेसर, तुम भगवया आइट्ठो, 'पच्छा चविहिसि', ता तए दिवाए सत्तीए अम्हाणं जत्थ तत्थ गयाण 24 सम्मत्तं दायव्वं, ण उण सग्ग-सुंदरी-वंद्र तुंग-थण-थल-पेल्लणा-सुहल्लि-पम्हुट्ठ-सयल-पुव्व-जंपिएण होयवं' । तेण भणियं । 'देमि अहं सम्मत्तं, किंतु तुब्भे मह देंतस्स वि मिच्छत्तोवहयमणा ण पत्तियायहिह । ता को मए उवाओ कायब्वो' ति । तेहिं भणियं । 'सुंदरं संलत्तं, ता एवं पुण एत्थ करणीयं । अत्तणोत्तणो रूवाइं जं भविस्साई रयण-मयाई काऊण एकम्मिा ठाणे णिक्खिप्पंति । तम्मि य काले ताई दसिजति । ताई द?ण कयाई पुव्व-जम्म-सरणं साहिण्णाणेण धम्म-पडिवत्ती वा भवेज' ति भणमाणेहिं णिम्मवियाई अत्तणो रूव-सरिसाई रयण-पडिरूवयाई । ताई च णिक्खित्ताई णेऊण वणे जत्थ सीहो 30 उववजिहि त्ति । तस्स य उवार महंती सिला दिण्ण त्ति । तं च काऊण उवगया णियय-विमाणं । तत्थ भोए भुजता 30 जहा-सुहं अच्छिउँ पयत्ता । तओ कुमार कुवलयचंद, जो सो ताण मज्झे पउमप्पहो देवो सो एक्कपए चेय केरिसो जाओ । अवि य, 1) P,after तस्स, repeats अउब्वकरणं खमगसेढी eto. to केवलनाणुप्पत्ती तस्स. 2) Pom. च, मेत्तकला(त)ओ Jom. त्ति, Pएसो for एस. 3) Pसहस्साउ for लक्खाउ, J वच्चिर P वच्चउ. 5) करयलंजलि (णे?). 8) P सहावो for पभावो, P भवेमु. 9) Pतेयणं for तेणं, P अहिय. 10) P वावेण्ण for वासवेण, I om. य, P नरवरः, P हत्थाहत्थेहि, । रायकुमारो. 11) Pउवगूहिजतो, Pom. वण्णिजंतो (of I?), विपरिअंदिओ, P पसंसिक. 12)P सम्वहा for अहो before अम्हाण, Pसंपन्न for संपूर, जिगवयणं. 13) Padds य before अवसरे, P विरश्य पंजलि'. 14) Pअम्हा for भब्वा after भणिय, Jom. पुणो देवेण मणियं, J दुलहबोधिअ त्ति. 15) P अंगीकरी सु, पउमप्पमेण, कतिभव. 16) Jइतो for इओ, J पाविहिह, तुम्हेहिं । P तुब्मे त्ति ।, Jइदो चुक्का P इत्तु चुया. 17) उप्पज्जीडामो, संपज्जिहामो. Jइतो for इओ, Pom. पउमवरो उण रायउत्तो, P पढमसारो. 18) Pom. उण before विज्झे सीहो (in P), पउमवरस्स पुत्तो, P भणमाणो उवढिओ. 19) P विरिहरिउ, P om. च, पयत्तो । कुमुद. 20) Jadds भगवं after पुण्णिमायंदो. 21) लम्हत्थं ति. 22) P अन्ने रायउत्तो, P दुहिओ त्ति, विसंथुलं. 23) Pता एयं ण, P om. पुण, P on. ति. 24) Pपउमकेसरं, P चविहसि. 25) Padds दाऊण before सुंदरी, थलारूपेलणा. 26) महदिसंतस्स मिच्छत्तों, Pतं for ता. 27) Pom. पुण before एत्थ, P अत्तिणो रूवाई, Pom. जं, भविरसई. 28) Pथाणे निक्खमंति, J णिक्खिम्मंति. 29) P वि for ताई च, P inter. जत्थ and वणे. 30)विमाणे, P भुंजित्ता. 31) Pपउमप्पभो. for ताई च, Pinte.stथ, २ अत्तिणो रूवाई, M. त्यलारूपेलणा. 2631 Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३ -६१८६] कुवलयमाला 1 वियलंत-देह-सोहो परियण-परिवजिओ सुदीण-मणो । पवणाहओ व्व दीवो झत्ति ण णाओ कहिं पि गओ॥ तत्तो य चविऊण मणुयाणुपुव्वी-रज्जू-समायडिओ कत्थ उववण्णो । १८५) इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे दाहिण-मज्झिम-खडे चंपा णाम णयरी । सा य केरिसा । अवि य, धवल-हर-तुंग-तोरण-कोडि-पडाया-फुरंत-सोहिल्ला । जण-णिवहृद्दाम-रवा णयरी चप त्ति णामेणं ॥ तीए णयरीए तुलिय-धणवइ-धण-विहवो धणदत्तो णाम महासेट्री। तस्स य घरे घर-लच्छि व्व लच्छी णामेण महिला। 6 तीए य उयरे पुत्तत्ताए उववण्णो सो पउमप्पभो देवो । णवण्ह य मोसाणं बहु-पडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं 6 सुकुमाल-पाणिपाओ रतुप्पल-दल-भारओ विय दारओ जाओ । तं च दट्ठण कयं वद्धावणयं महासेटिणा जारिसं पुत्त-भस्सुदए त्ति । कयं च से णाम गुरूहि अणेय-उवयाइएहिं सागरेण दत्तो ति सागरदत्तो । तओ पंचधाई-परिवुडो कमेण य जोव्वर्ण संपत्तो । तो जोव्वण-पत्तस्स य ता रूव-धण-विहव-जाइ-समायार-सीलाणं वणिय-कुलाणं दारिया सिरि . ब्व रूपेण सिरी णामा उवभोग-सहा एगा दिण्णा गुरुयणेणं । तो अगेय-णिद्ध-बंधु-भिच-परिवारो अच्छिउं पयत्तो । को य से कालो उबवण्णो । अवि य, 12 रेइंति हंस-मंडलि-मुत्ताहल-मालिया-विहसाओ । आवण्ण-पयहराओ परियण-वइयाउ व ईओ ॥ रेहति वणे कासा जलम्मि कुमुयाइँ णहयले मेहा । सत्तच्छयाइँ रण्णे गामेसु य फुल्ल-णीयाई ॥ एरिसे य सरय-काले मत्त-पमत्ते णचिरे जणवए पुण्णमासीए महते ऊसवे वट्टमाणे सो सागरदत्तो सेटिउत्तो णियय-बंधु-णिद्ध16 परियारो णिग्गओ णयरि-कोमुई दट्टण । एकम्मि य णयरि-चञ्चरे णडेण णच्चिउं पयत्तं । तत्थ इमं पढियं कस्स वि कइणो 18 सुहासियं । अवि य। यो धीमान् कुलजः क्षमी विनयवान् धीरः कृतज्ञः कृती, रूपैश्वर्ययुतो दयालुरशठो दाता शुचिः सत्रपः। 18 सद्भोगी दृढसौहृदो मधुरवाक् सत्यवतो नीतिमान , बन्धूनां निलयो नृजन्म सफलं तस्येह चामुत्र च ॥ 18 तं च वोलंतेण तेण सागरदत्तण णिसुयं । तओ सुहासिय-रसेण भणियं तेण । 'भो भो भरह-पुत्ता, लिहह सायरदत्त इमिणा सुहासिएण लक्खं दायवं' ति । तओ सब्वेहि वि णयरी-रंग-जण-णायरएहिं भणियं । 'अहो रसिओ सायरदत्तो, अहो वियड्डो, शअहो दाया, अहो चाई, अहो पत्थावी, अहो महासत्तो' त्ति । एवं पसंसिए जणेणं, तओ एकेण भणियं खल-णायरएणं 'सच्चं 21 चाई वियड्डो य जइ णियय-दुक्खजिय अत्थं दिणं, जइ पुण पुच-पुरिसज्जियं ता किं एत्थ परदव्वं देंतस्स । भणियं च । 'जो देइ धणं दुह-सय-समज्जियं अत्तणो भुय-बलेण । सो किर पसंसणिज्जो इयरो चोरो विय वराओ ॥' 24 एयं च णिसामिऊण हसमाजेहिं भणियं सव्वेहिं णिद्ध-बंधवेहिं । 'सच सच्चं संलत' ति भणमाणेहिं पुलइयं तस्स वयणं । 24 ६१८६) सायरदत्तो पुण तं च सोऊण चिंतिउं समाढत्तो। 'अहो, पेच्छ कहं अहं हसिओ इमेहिं । किं जुत्तं इमाण मम हसिउं जे । अहवा गहि पहि, सुंदरं संलत्तं जहा 'जो बाहु-बल-समजियं अत्यं देइ सो सत्ताहिओ, जो पुण परकीय 27 देइ सो किं भण्णउ' ति । ता सव्वहा ममं च अत्ताणयं णत्थि धणं. ता उवहासो चेय अहं' ति चिंतयंतस्स हियए सलं पिवश लग्ग तस्स । अवि य, थेवं पि खुडइ हियए अवमाणं सुपुरिसाण विमलाण । वायालाहय-रेणु पि पेच्छ अच्छि दुहावे ॥ 80 तह वि तेण महत्थत्तणेण ण पयडियं । आगो घरं, विरइया सेजा, उवगो तम्मि उवविट्ठो, लक्खिमओ य सिरीए 30 इंगियायार-कुसलाए जहा किंचि उब्विग्गो विय लक्खीयइ एसो। लद्ध-पणय-पसराए य भणिो तीए 'मज तुमं दुम्मणो चिय लक्खीयसि । तेण य आगार-संवरणं करेंतेण भणिय 'ग-इंचि, केवलं सरय-पोषिणमा-महसवं पेच्छमाणस्स परिस्समो 1) P-सोभो, परियज्जिओ. 2) Pom. य, Jचऊण, P रज्जसमा 3) जंबूद्दीवे, P नगरी, केरिसी. " P तोरणुकोडिपडागा-, Pामरया. ) " om. महा, Pom. य. 6) Pतीय उयरे, उवरे, P नवण्हं मासाण, पुण्णाई अनुमाइं राईदियाई सुकु. 7) I om. दल, P adds च after कयं, P 'महसेट्टिणा. 8) पुत्तलंभसुभए ? पुत्तलंसुदए, Jom. कयं च से etc. to सागरदत्तो। P उववाईएहिं सागरदत्तो ति, पंचधावी. 9) तओ for तो, अइ for जाइ ? जाई, राणिय for वणिय, Pदारियं. 10) Jउवभोगमहाइ य दिण्णा, Pom. अणेय. P निबद्ध for णिद, कोलो for को य से कालो. 12) Pविभूसाओ, Pपरिणय for परियण. 13) P फुलिया निंबा, P om. य सरयकाले eto. to णिग्गओ णयरि. 15) नयरचच्चरे. 17) कुलझ for कुलजः, P om. कृतशः, P रूपेश्वर्य', P सत्रपः सद्भागी. 18) P तस्यह वा चमुत्र. 19) ? बोलंतेण, P om. तेण P सायरदत्तेण, P adds च after भणिय, भरह उत्ता, J सायरयत्तं. 20) P सव्वेहिं नयरिः, सागरदत्तो 21) दाता, P repeats अहो before महासत्तो, P जिणाण for जणेणं, ? तओ भणियं एकेण नायरएणं. 22) P on. य, ३ भणिअब्बं । जो. 23) Pइव for विंय. 24) P एवं च निमामिऊण्ड, P ति for Becond सच्च- 25) P सागरदत्तो उण, Jom. च ( later struck off), P दृसिओ for हसिओ, P अम्हाणं for इमाण. 26) परकियं. 27) किं न भन्नउ, Jadds अ before धणं, P हियसलं. 29) वाओलाहय, दुवावेइ. 31) किंपि for किंचि, लक्खीयति P लक्खियति' तीय, P दुमाणा विय. 32) आगारससंवरणं, न किंचि, P adds आसि before महूसवं. Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ उज्जोयणसूरिविरइया [३१८७1 जाओ, णिवजामि' ति भणमाणो णिवण्णो । तत्थ य अलिय-पसुत्तो किं किं पि चिंतयंतो चिट्ठइ ताव सिरी पसुत्ता।। सुपसुतं च तं णाऊण सणियं समुढिओ । गहियं च एक साडयं, फालियं च । एक णियंसिय, दुइयं कंठे णिबद्धं । 3 गहियं च खडिया-खंडलयं । वासहर-दारे आलिहिया इमा गाहुल्लिया । अवि य, ___ संवच्छर-मेत्तेग जइज समजेमि सत्त कोडीओ । ता जलिइंधण-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ त्ति लिहिऊण णिग्गओ वास-घराओ। उवगओ णयर-णिहमणं । णिग्गओ तेण, गंतुं पयत्तो दक्खिणं दिसिवहं । तं च । 6 केरिसं । अवि य, बहु-रयणायर-कलिओ सुरूव-वियरंत-दिव्य-जुवइ-जणो । विबुहयण-समाइण्णो सग्गो इव दक्खिणो सहइ ॥ तं च तारिसं दक्षिणावहं अवगाहेंतो संपत्तो दक्खिण-समुद्द-तीर-संसियं जयसिरि-णाम महाणयरिं । जा य कइसिया। कंचणघडिय-पायार कंची-कलाव-रेहिरा, बहु-रयणालंकारिया, मुत्ताहार-सोहिया, संख-वलय-सणाहा, दिव्व-मउय-सण्ह-णियसण- १ मलय-रस-विलेवण-णाणा-विहुल्लाव-वेयढि-मणोहरा, चारु-दियवर-रेहिर-कप्पूर-पूर-पसरंत-परिमल-सुयंध-धूव-मघमतुग्गार कक्कोलय-जाइफल-लवंग-सुर्यध-समाणिय-तंबोल व्व णजइ वासय-सज्जा विय पणइणि महासमुद्द-णायग-गहिय त्ति । अवि य, 12 विरइय-रयणाहरणा विलेवणा-रइय-सुरहि-तंबोला । उयहि-दइयं पडिच्छइ वासय-सजा पणइणि व्व ॥ 12 १८७) तीय य महाणयरीए बाहिरुद्देसे एक्कम्मि जुण्णुजाणे रत्तासोयस्स हेढा दूर-पह-सम-किलंतो णिसण्णो सो वाणियउत्तो । किं च चिंति पयत्तो। अवि य, 15 किं मयर-मच्छ-कच्छव-हल्लिर-वीई-तरंग-भंगिल्ले । उयहिम्मि जाणवत्तं छोदणं ताव वञ्चामि ॥ किं वा णिद्दय-असि-पहर-दारियासेस-कुंभवीढाए । आरुहिउं कुंजर-मंडलीऍ गेण्हे बला लच्छि ॥ किं वा पयंड-भुय-सिहर-वच्छ-णिच्छल्लणा-रुहिर-पकं । अजं चिय अजाए देमि बलिं मंस-खंडेहिं । किं वा राई-दियह अवहस्थिय-सयल-सेस-बावारो । जा पायालं पत्तो खणामि ता रोहणं चेय ॥ किं वा गिरिवर-कुहरे खत्तं खणिऊण मेलिउं जोए । अवहत्थिय-सेस-भओ धाउब्वायं च ता धमिमो ॥ इय हियउच्छाह-रसो अवस्स-कायव्य-दिण्ण-संकप्पो । जावच्छइ वणिय-सुओ किं कायध्वं ति संमूढो॥ एवं च अच्छमाणेण दिट्ठो एक्कस्स मालूर-पायवस्स पसरिओ पायओ । तं च दट्टण सुमरिओ अहिणव-सिक्खिओ खण्ण-4 वाओ । अहो, एवं भणियं खण्णवाए। मोत्तण खीर-रुक्खे जइ अण्ण-दुमस्स पायओ होइ । जाणेजसु तत्थत्थो अस्थि महतो व्व थोओ व्व ॥ ३ता अवस्सं अत्थेत्थ किंचि । ण इमं अकारणं । जेण भणियं धुवं बिल्ल-पलासयो । केत्तियं पुण होज अत्यो। तणुयम्मि होइ थोवं थूलम्मि य पादवे बहुं अत्यं । रयणीए जल-समाणे बहुयं थोवं तु उम्हाले । ता थूलो एस पादवो, बहुओ अत्थो । ता किं कणयं किं वा स्ययं किं वा रयणे त्ति । हूं, 7 विद्धम्मि एइ रत्तं जइ पाए तो भवेज रयणाई । अह छीरं तो रययं अह पीयं तो भवे कणयं ॥ के-दूरे पुण होजा अत्थो। जेत्तिय-मेत्तो उवरि तेत्तिय-मेत्तेण हेटुओ होइ । ण-याणियइ तं दध्वं पावीयदि एस ण.व ति ॥ आ जइ उवरिं सो तणुओ हेतु उण होइ पिहुल-परिवेढो । ता जाणसु तं पत्तं तणुए उण तं ण होज्जा हि ॥ ताण दूरे, दे खणामि, देवं जमामो त्ति । णमो इंदस्स, णमो धरणिंदस्स, णमो धणयस्स, णमो धणपालस्स' ति । तं, पढमाणेण खयं पएसं । दिट्ठो य णिही । दे गेण्हामि जाव वाया। अवि य, 1) Jadds (on the margin) य before सिरी, P पमुत्ता पसुत्ता पमृत्तं च तं च नाऊण. 2) P समुवढिओ, P साडियं P om. दुश्यं. 3) च खंडिया खंडिया खंडियं, P दारे य लिहिया. 4) जालिंधण'. 5)P नियय for वास, P नयरनिद्धवर्ण, P adds च after पयत्तो. 7) सुरूअ, P सयाइन्नो. 8) तीरं, P संसयं, मगह for महा, P। नाम जाव कइसियं । ) P पार for पायार, रेहिर, J 'लकारिय, J सोहिय, सणाह, J पउज for मउय, P नियंसण. 10) J मणोहर, रेहिरं, P सुर्यवधूव, P om. मघ, 11) कंकोलय, Jadds संग before सुयंध, J सनाणिय P संमाणिय, तंबोल च P तंबोल च, वासवसज्जा वासयसर्ज पिअप्रणइणि, णायगह त्ति P नायगहियत्तिः 12) J रहिअ for रइय. 13) P जेनुज्जाणे, हेढे. 14) P किंचि चितिउं. 15) P कच्छह , P वीची, भंगिलं P भंगिलो, Pउवहिमि, P छोहूणं. 16) आरुहियं, P बलावली. 17) Pपयडी for पयंड, P निच्छगा, P अज्जए देमि, Pमास for मंस. 18) Jinter. सेस and सयल, P जो tor जा. 19) Jखे। for खत्तं. 20)P अन्वरस, P कायञ्च त्ति संमूहो. 21) Pom. च, P सालर, P rapeats पायवस्स पसरिओ, P पांदओ, P अहिणाव, P खण्णवओ. 22) Pएत्तो for अहो, Jखण्णवाते । अवि य P खंनुवाए मोनूण. 23) 3 पातओ, पाइओ, Pथोन्य. 24) P तावस्स, J पिल्लालासयो: P बिलपलासाया, JP अस्थि. 25) Pथोयं, पादये P पायवे, J रयणीय जलणमाणे, थो. 26) Pपायवो, किंवा for ता किं. हूं. 27) J पाते P पावे, P अलह for अह, पीतं. 28) P दूरे उण होज, अस्थि for अत्यो. 29) J जत्तियमेत्तो 'जेत्तियमे ते, सत्तियण याणी ति पावीयदि, P दवं पावियमिगाइ तं दव्वं न वा व त्ति. 30) Jहेट्ठो, P जद for उण, Pon, तं, P ओयणं for उण, तण्ण. 31) P om. देखणामि, Jom. देवं णमामो त्ति, Jणंदस्स for इंदस्स, १ घणयपालस्स for धणयस्स णमो धणपालस्स, एतं for तं. 32)P पढमाए खयं, Jom. य. Jain Education Interational Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४१८९ कुवलयमाला १०५ 1 जल वितए उवलद्धा रक्खिजइ चक्कवटिणा एसा । गेण्हसु य भंड-मोलं थोयं चिय अंजली-मेत्तं ॥ १) एवं च सोऊण गहिया एक्का अंजली रूवयाणं । णिही वि झत्ति पायाले अईसणं गओ। णिबदं च णेण कंठकप्पडे तं पुट्टलयं । तओ चिंतियं वणियउत्तेण । 'अहो, पेच्छ चवलत्तणं देव्वस्स । अवि य, दाऊण ण दिण्णं चिय पुणो वि दाऊण कीस अक्खितं । महिला-हियय-गई विय देव्व-गई सब्वहा चपला ।' तहा वि कयम गेण भंड-मोल्लं । इमेणं चेय समजिउं समथो हं सत्त-कोडीओ । अवि य, 6 एएणं चेय अहं णट-दरिदं कुलं अह करेज । विवरीय-सील चरिओ जइ देवो होज मज्झत्यो॥ चिंततो पविट्रो तम्मि महाणयरी-विवणि-मग्गस्मि । तत्थ य वोल्लंतेण दिट्ठो एक्कम्मि आमणम्मि वाणिवाओ परिणय-वओ मिऊ नदवो उज्जय-सीलो । तओ द?ण चिंतियं । 'एस साहु-बणिओ परिणओ य दीसइ । इमस्स विस्ससणीयस्स समहियामि' त्ति । उवगओ तस्स समीवं । भणियं च ण 'ताय, पायवडण । तेण वि 'पुत्त, दीहाऊ होहि'त्ति । तेणं दिणं 9 भासणं णिसणो य । तम्मि णधरे तम्मि दियहाति महसवो। तो बहुओ जणो एइ, ण य सो परिणय-वो जरा-जुण्ण जजर-गतो ताण दाउं पि पारे । तं च जण-संबट व ण भणियं इमिणा 'ताय, तुम अभितराओ णोणेहि ज भंडं अहं 12 दाहामि जणस्त'। भगमाणो बाउं पयत्तो। तओ एस पं देइ ति तं चेय आवर्ण सम्बो जणो संपत्तो, खणेण य 12 पेसिभोण अमूढ-लक्केण । जाव थोन केला ताव विकीयाई भंडाई, महंतो लाभो जाओ । वणिएण चिंतियं । 'अहो, पुण्णवंतो एस दारो, सुंदरं होइ जइ अम्ह घरं वञ्चइ' ति चिंतयंतेण भणियं । 'भो भो दीहाऊ, तुम को आगओ'। 16 तेण भणियं 'ताय, बंपापुरीओ'। तण भणियं सत्य पाहुणओ' । तेण भणिय 'सजणाणं'। थेरेण भणियं 'अहो, अम्हे 16 कीस सजगा ण होमो' । तेण भणियं 'तुम चेय सज्जणो, को जग्गो' त्ति । तओ तेण वणिएण तालियं आमण, पयट्टो घरं, उवगओ संपत्तो तत्थ य । तत्थ णियय-पुत्तल व कयं णेण सयलं कायव्वं ति । पुणो अभंगिय-मद्दिय-उव्वत्तिय-मजिय18 जिमिय-विलित-परिहियस्स सुह-णिसपणास्स उवट्ठाविया अहिणवुब्भिज्जमाण-पोहर-भरा णिम्मल-मुह-मियंक-पसरमाण- 18 कवोल-कंति-चंदिमा विसट्टमाण-कुवलय-दल-णयणा सव्वहा कुसुमवाण-पिय-पणइणि व्व तस्स पुरओ वणिएण णियय-दुहिय त्ति । भनिओ य पेण थेरेण 'पुत्त, मह जामाओ तुम होहि' ति । भणियं च णेण 'ताय, अम्हं वयं कुलं गुणा सत्तं वा 21ण जाव जाणह ताव णियय-दुहियं समप्पेह तुब्भे'। भणियं च थेरेणं 'किं तए ण सुर्य कहिं चि पढिजतं । अवि य, 1 रूण जइ कुलं कुलेण सील तहा य सीटेण । णजति गुणा तेहि मि णज्जइ सत्तं पि पुरिसाण ॥ ता तुह विणय-रूवेहिं चेय सिट्ठो अम्ह सील-सत्तादि-गुण-बित्थारो । सव्वहा एसा तुझं मए समप्पिय' त्ति । तेण भणियं । 4 'ताय, अस्थि भगियध्वं । अहं पिउहराओ णीहरिओ केण वि कारगेण । ता जइ तं मह णिफण, तो जे तुम भणिहिसि 24 तं सव्वं काहामि । अह तं चिय णस्थि ता जलणं मह सरणं ति । एवं सब्भावे साहिए मा पडिबंध कारेह' । तेण भणियं एवं ववस्थिए किं तुह मए कायव्वं' । तेण भणियं 'एयं मह कायब्वं । पर-तीर-गामुयं इमिणा भंड-मोल्लेण भंडं गहियव्वं, 27 जाणवत्ताई च भंडेयब्वाइं, पर-तीरं मए गंतव्वं' ति । तेण भणिय 'एवं होउ' त्ति । तओ तदियह पेय घेत्तुमारद्धाई पर-तीर-27 जोग्गाई भंडाइं । कमेण य संगहियं भंडं । सज्जियं जाणवतं, गणियं दियह, ठावियं लग्गं, पयडिया णिज्जामया, गहिया आडियत्तिया, संगहियं पाणीयं, वसीकयं धणं । सव्वहा, 30 तिहि-करणम्मि पसत्ये पसत्थ-णक्खत्त-लग्ग-जोयम्मि । सिय-चंदण-वास-धरो आरूढो जाणवत्तम्मि ॥ १८९) तत्थ य से भारतस्स पहयाई पडहयाई, पवाइयाई संखाई, पढिय बभणेहिं, जय-जय-कारियं पणइयणेण। तओ दक्खिऊण दक्खणिजे, पूइऊण समुद्द-देवं, अभिवाइऊण वणियं, जोक्कारिऊण गुरुयगं कय-मंगल-णमोकारो पयहो। 33 तओ चालियाई अवल्लयाई, पूरिओ सेयवडो, पयर्ट पवणं, लदो अणुकूलो पवणो, ढोइओ गइ-मुहम्मि पडिओ समुद्दे । 33 30 1) जइ रक्खवटियो, Pथो, P अंजलामेति. 2) Pएका अंगुली रयणाणं, Padds य before झत्ति, Pom. from कंठकप्पडे तं पुट्टलयं eto. to समीयं । भणियं च णेण.। (in line 9). 9) दीहाउओ, P adds भणियं तेण, after होहि त्ति. 10) P निसण्णो य । तं मिसपणो य । तमि य नयरे तमि य दियहे महूसवो, P जुरजुन्न-. 11) तेणे for ताणं, Pom. गि, P जणसई घट्ट, अम्भतराओ णीणेहि (?). 12) P आयणं for आवर्ण, Jom. य. 13) पेसिओऽणेण, " ताव चिकीयाई. P लोभो for लाभो. 14)P सुंदर, I om. त्ति, P केउ for कओ. 15) Pom. ताय चंपापुरीओ । तेण भणियं, Jon. अहो. 16) 'आवर्ण for आमणं. 17) Pom. तत्थ य, Jadds य before णियय, P निवयपुत्तस्त वणेण कयं सयलं, Jom. ति, Pom. महिय. 18) Jom. सुतजिसण्णस्स, Pउवट्टविया, P पोहरभारा. 19) F कुससुमाउबाण, J दुहिआ. 20) om. त्ति, P भगिओऽणेण, P जामाआ (उ) ओ तुम होदि, Jहोहत्ति, J तेण for णेग, P अम्ह, P गणा for गुणा. 21)P पडिज्जतं. 22) सीलंगं for सीलेण, P तेहिं मि गिज्जइ. 23) दिट्टो P सिद्धा for सिट्ठो, P वित्थरो. 24) नीओ for णीहरिओ, " केणावि, P om. ता, P निष्पन्नं, J भणीहसि. 23) कारेहि।, P एवं वस्थिए. 26) Pगामियं इमिणी. 27)Pच ताडेयब्वाई. 28) Jom. भंडाई, उ गहियं for गणिय, Pom. गहिया. 29) P आध्यत्तिया. 30) P जोग्ग for लग्ग. 31) Pom. य, पढहाई,कारियं, पणईयणेण. 32) Pवणिए. 33) P आवल्याई, अणुकूलओ, P पडिसमुहे. 14 Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणमूरिविरइया 11१८९। ताव य गंतुं पयत्तं पवहण अणेय-मच्छ-कच्छह-मगर-करि-संघट-भिज्जमाण-वीई-तरंग-रंगत-विम-किसलए समुह-मज्झम्मि। 1 थोएण चेय कालेण संपत्तं जवण-दीवे तं जाणवतं, लग्गं चूले, उत्तारियाई भंडाई, दिण्णं सुकं । विणिवट्टियं जहिच्छिएण 3 लाहेण गहियं पडिभंडं । ते च केत्तिय । अवि य, ___ मरगय-मणि-मोत्तिय-कणय-रुप्प-संघाय-गभिणं बहुयं । गण्णेण गणिजतं अहियाओ सत्त-कोडीओ॥ तओ तुटो सायरदत्तो । 'अहो, जह देवस्स रोयइ, तो पूरिय-पइण्णो विय अहं जाओ' ति चलिओ य तीर-हुत्तं । तत्थ य 6 चालियाई जाणवत्ताई, संपत्ताई समुद्द-मज्झ-देसम्मि । तत्य य पंजर-पुरिसेण उत्तर-दिसाए दिढे एक सुप्प-पमाणं 6 कज्जल-कसिण मेह-पडलं । तं च दहण भणियमगेण । 'एयं मेह-खंडं सव्वहा ण सुंदरं । अवि य । कजल तमाल-साम लहुयं काऊण परिहवावडिय । वर्दूतं देइ भयं पत्तिय-कण्हाहि-पोयं व ॥ 9 ता लंबे लंबणे, मउलह सेयवर्ड, ठएह भंडं, थिरीकरेह जाणवत्तं । अण्णहा विणट्ठा तुब्भे' त्ति । ताव तं केरिसं जाय ति। __ अवि य, अंधारिय-दिसियकं विजज्जल-विलसमाण-घण-सई । मुसल-सम-वारि-धारं कुविय-कयंत व काल-घणं ॥ 12 तं च तहा वरिसमाण दट्टण आउलीहूया वणिया । खगेण य किं जायं जाणवत्तस्स । अवि य, 12 गुरु-भंड-भार-गरुयं उवरिं वरिसंत-मेह-जल-भरियं । वुण्ण-विसण्ण-परियणं झत्ति णिवुई समुद्दम्मि ॥ तत्य य सो एक्को वाणिय-पुत्तो कह-कह वि तुंग-तरंगावडणुब्बोल्लं करेमाणो विरिक-तेल्ल-कुरुंठीए लग्यो । तरथ य बलग्गो 15 हीरमाणो मच्छेहिं, हम्मंती मयरेहिं, उल्लिहिज्जमाणो कुम्म णक्खेहि, विलुलिज्जमाणो संखउलेहिं, अण्णिजमाणो कुंभीरएहिं. 15 फालिज्जमाणो सिंसुमारेहिं, भिजतो जल-करि-दंत-मुसलेहिं, कह-कह वि जीविय-मेत्तो पंचहिं अहोरत्तेहिं चंदद्दीवं णाम दीवं तत्थ लग्गो । रथ कह कह पि उत्तिण्णो । पुणो मुच्छा-विणिमीलंत-लोयणो णिसण्णो एक्स्स तीर-पायवस्स अधे समासत्यो। 18 तओ उठाइया इमस्स छुहा । जा य केरिसा । अवि य। 18 विण्णाण-रूव-पोरुस-कुल-धण-गव्वुत्तणे वि जे पुरिसा । ते वि करेइ खगेण खलयण-सम-सोयणिजयरे ॥ १९०) तओ तारिसाए छुहाए परिगओ समुट्टिओ तीर-तरुयर-तलाओ, परिभमिडं समाढत्तो तम्मि चंदद्दीये ।। 1 केरिसे । अवि य, बउलेला-वण-सुहए णिम्मल-कप्पूर-पूर-पसरम्मि । अवहसिय-णंदणा किंणरा वि गायति संतुट्ठा ॥ वच्छच्छाओच्छइए छप्पय-भर-भमिर-सउण-पउरम्मि । कय-कोउया वि रविणो भूमि किरणा ण पावंति ॥ 24 तम्मि य तारिसे चंददीवे णारंग-फणस-माउलुंग-पमुहाई भक्खाई फलाई। तओ तं च साहरिऊण कय-पाणाहुई वियसंत कोउभो तम्मि चेय वियरिउ पयत्तो । भममाणेण य दिट्ट एक्कम्मि पएसे बहु-चंदण-वण्ण-एला-लवंग-लयाहरयं । तं च दट्टण आबद्ध-कोउओ संपत्तो तमुद्देसं, जाव सहसा णिसुओ सद्दो कस्स वि । तं च सोऊण चिंतिउं पयत्तो । 'अहो, सद्दो विय 7 सुणीयइ । कस्स उण होहिइ त्ति । जहा फुडक्खरालावो तहा कस्स वि माणुसस्स ण तिरियस्स । ता किं पुरिसस्स किं वा । सहिलाए । तं पि जाणियं, ललिय-महुरक्खरालावत्तणेण णायं जहा महिलाए ण उण पुरिसस्स । ता किं कुमारीए भाउ पोढाए । तं पि णाय, सलज्जा-महुर-पिओ सह-सुकुमारत्तगेण अहो कुमारीए ण उण पोढाए । ता कत्थेत्थ अरण्णम्मि 30 माणुस-संभवो, विसेसओ बाला-अबलाए त्ति । अहवा अहं चिय कत्थेत्थ संपत्तो । सब्वहा, 30 जंण कहासु वि सुब्बइ सुविगे वि ण दीसए ण हिययम्मि । पर-तत्ति-तग्गएण तं चिय देब्वेण संघडियं ॥' चिंतयंतेण णिरूवियं जाव दिट्ठा कयलि-थंभ-णिउरुंब-अंतरेण रत्तासोयस्स हेतु अप्पडिरूव-दसणी सुरूवा का वि कण्णया 38 वणदेवया विय कंठ-दिण्ण-लया-पासा । पुणो वि भणियमणाए । अवि य । 33 1) मयर, वगत्त for रंगत. 2) J-दीवे P दीवं, P adds कलियाई before दिण्णं, P om. विणिवट्टियं ete. to अवि य. 4) P विधाय for मरगयमगिमोत्तयकणयरुप्पसंघाय. 5) Poin. तुट्ठो, P पूरिपइण्णो वि अहं, Pom. य before तीर. 6) P oim. मज्झ, P पंजयपुरिसेण, P सप्पमाणं. 7)P खंडं for पडलं, P भगियंडणेण. 8) P साणं for साम,J बढतं, किण्हाहि,J बोअम्ब for पोयं व. 9) P मउलेह सयवडे, P तहं for ताब, P om. ति. 11) P विजुल, Pसल for धणस, Pom. मुसल. 12) Prepeats वणिया, Pom. य after खणेण. 13) पुण्ण for वुण्ण. 14) Pom. य after तत्थ, P वणि. यउत्तो, P तुंगतडणवोलं, " कुरंटीए. 15) Pहरमाणो मच्छहि, विलिज्जमाणो. 16) सिसुमारेहिं, P जलकरहिं कह, P पंचेंहि, P चंददीवं, Jणामद्दी. 17) adds य after तत्थ, P पुण्णो, P अहो for अधे. 18) उद्धाइया. 19) P सोयणिजपपरे. 20) तंमि चंददीवो केरिसो. 22) Jउवलेला चउलेला, P कप्परइपूर, किण्णरावि P किन्नरावे. 23) " वत्थच्छा', P पावेंति. 24) चंददीवे नारिंग, P भक्खियाई, P तं च आहारिऊण, P वियसंत मियचेय. 25) P भणमाणेण यदिदिहूँ एकंमिए एकंमि, बहुं. J बंदण for वण्ण. 26) Padds य after जाव, P समुद्दो for सदो विय. 27) गणीयदि P सणियइ, P होहइ, Jadds य after जहा, Poin. ण तिरियरस, Jou. वा. 28) Pतं मि for तं पि, P om. णायं before जहा, Pom. उण, P ताओ for ता. 29) सेलज्जा, P सलिलायमहुरम्मिओसण्हकुमार',J पिउसण्ड, P तओ ण for ण उण. 31) Jजण्ण P जन्न. 32) I थंभणिरूविरेणं । रत्तासोअहेट्ठो, P-विउरुंब, 'रूवं दसणीयरूवं किंपि काणणवणदेवयं. 33) Pलया एसा, Pom. अवि य. Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६१९१] कुवलयमाला १०७ 1 'भो भो वणदेवीओ तुब्भे वि य सुगह एत्थ रणम्मि । अपम्मि वि मह जम्मंतरम्मि मा एरिसं होज । त्ति भनीए पक्खित्तो अप्पा । पूरिओ पासओ, णिरुद्धं णीसासं । अग्ववियं पोर्ट, गिग्गयं वयगेण फेणं, णीहरियाई मच्छियाई, 3 संकुइयं धमणि-जालं, सिढिलियाई अंगाई । एत्यंतरम्मि तेण वणियउत्तेण सहसा पहाविऊण तोडिय लया-पास । गिवडिया ३ धरणियले । दिण्णो पड-वाऊ। अहिणव-चंदण-किसलय-रसेण विलितं वच्छयलं । संवाहिओ कंठो। सटाणं गयाई अच्छियाई । ऊससियं हियएणं । पुलइयं णयहिं । लद्ध-सण्णाए दिलो णाए य धणियउत्तो। तं च दट्टण लज्जा-सज्झस6वसावणय-मुहयंदा उत्तरिजयं संजमिउमाढत्ता । भणिया य णेण ।। ___ 'किं तं वम्मह-पिय-पणइणी सि किं होज्ज का वि वण-लच्छी। दे साह सुयणु किं वा साहसमिणमो समाढत्तं ।' तीए भणियं दीहुण्हमूससिऊणं । . 'णाहं हो होमि रई ण य वणलच्छी ण यावि सुर-विलया । केण वि वुर्ततेणं एस्थ वणे माणुसी पत्ता ॥' तेण भणियं 'सुयणु, साहसु तं मह वुत्ततं जइ अकहणीयं ण होइ' । तीए भणियं 'अत्थि कोइ जणो जस्स कहणीय, जस्स य ण कहणीय' । तेण भणियं 'केरिसस्स कहणीय' । तीए भणियं । 12 'गुरुदिण्ण-हियय-वियणं किं कायच्वं ति मूढ-हियएहिं । दुक्खं तस्स कहिजइ जो कह हियय-सल्लं व ॥' सायरदत्तेण भणियं । 'जइ अहिणव-जंकुर-सिण्हा-लव-लग्ग-चंचलयरेण । जीएण किंचि सिज्झइ सुंदरि ता साह णीसंकं ॥' 18 तीए भणियं 'बोलिओ सब्यो अवसरो तस्स, तह वि णिसामेसु । १९१ ) अस्थि दाहिण-मयरहर-वेलालग्गा सिरितुंगा णाम णयरी । तीय य वेसमण-समो महाधणो णाम सेट्टी। तस्स य अहं दुहिया अच्चंत-दइया घरे अणिवारियप्पसरा परिव्भमामि । तओ अण्णम्मि दियहे अत्तणो भवण-कोट्टिम18 तलम्मि आरूढा णिसण्णा पल्लंकियाए णिद्दावसमुवगया । विउद्धा अणेय-सउण-सावय-सय-धोर-कलयल-रवेण । तमो18 पबुद्धा णिद्दा-खएणं तत्थ हियएण चिंतेमि । 'किं मण्णे सुमिणओ होज एसो' त्ति चिंतयंतीए उम्मिल्लियाई लोयणाई । ताव य अणेय-पायव-साहा-णिरुद्ध-रवि-किरणं इमं महारण, तं च दट्टण थरथरेत-हियविया विलविउं पयत्ता। " हा हा कत्थ गिरासा ताय तए उज्झिया अरण्णम्मि । हा कत्ये जामि संपइ को वा मह होहिह सरणं ॥' ति। । एत्यंतरम्मि 'अहं तुह सरणं' ति भणमाणो सहसा दिग्व-रूवी को वि समुट्टिओ पुरिसो लयाहराओ। तं च पेच्छिऊण । दुगुणयर-लज्जा-सज्झसावणय-वयणा रोइउं पयत्ता । सो य पुरिसो में उवसप्पिऊण भणिउमाढत्तो । अवि य, ५ 'मा सुयणु किंचि रोवसु ण किंचि तुह मंगुलं करीहामि । तुह पेम्म-रसूसव-लंपडेण मे तं सि अक्खित्ता ॥' तीए भणिय 'को सि तुमं, किं वा कारण अहं तए अवरिहय' त्ति । तेण भणियं । 'अस्थि वेयड्डो णाम पव्ययवरो । तस्स सिहर-णिवासिणो विजाहरा अम्हे गयण-गोयरा महाबल-परकमा तियस-विलयाण पि कामणिज्जा । ता मए पुहइ-मंडलं 7भममाणेण उवरि-तलए तुम दिट्ठा, मम हियए पविट्ठा । विजाहरीणं पि तुम रूविणि त्ति काऊण अवहरिया । अहवाश किं रूवेण । सव्वहा, सुंदरमसुंदरं वा ण होइ पेम्मस्स कारणं एयं । पंगुलओ वि रमिजइ वजिजइ कुसुमचावो वि॥ 30 सो च्चिय सुहमो सो चेय सुंदरो पिययमो वि सो चेय । जो संधी-विग्गह-कारिणीऍ दिलीट पडिहाइ । 30 ता सुंदरि, किं बहुणा जंपिएण । अभिरमइ मे दिट्ठी तुमम्मि । तेण पसुत्तं हरिऊण संकंतो गुरूण ण गमओ विजाहर-सेटिं। एत्य उयहि-दीवंतरे णिप्पइरिक्के समागओ त्ति । एवं च ठिए रमसु मए समयं' ति । तओ मए चिंतियं । 'अम्वो, इमे ते विजाहरा जे ते मह सहीओ परिहासेण भणतीओ, मा तुम विजाहरेण हीरिहिसि । अहं च कण्णा, ण य कस्सइ दिण्णा । 33 पुणो वि केणइ लक्खवइएण किराडएण परिणेयम्वा । ता एस विज्जाहरो सुरूवो असेस-जुयह-जण-मणहरो सिणेहवतो य 1)P om. one भो, " तुम्हे निसुणेह, P om. अण्णम्मि वि मह, J होज्जा. 2) Iom. त्ति, पोट्टम, वयणेण हेणं P वयणे फेणं, P अत्थीयाई. 3) P धवणि, P पढाविऊण. 4) P धरणितले, P पडिवाओ, P ररेणय for रसेण, संठाणं. 5)P लोयाणाई for अच्छियाई. P पुलोइयं अच्छीहि, addy अ॥ before दिवो, Pou. णाए य. 6) Padds अवि य after णेण. 7) Pकिंत मह, J कहवि for का वि, साहमु किं. 8) तीअ, P दी कुण्णं ऊससिएणं. 9) Pom. हो, P adds केण विलया before केण वि. 10) Pथण, तीय, Pom. कहणीयं जस्स य. 11) तीअ for तीए. 12) दिण्णविअणहि अयं किं कायवं. 14) P गजंकुरु. 15) Jतीय. 16) P नगरी, Pom. णाम, Padds वेसमणो नाम after सेट्री. 17) Jom. य, Pपरिभमामि. 18) J -यलंमि, निहावसं उबगया. P adds य before अणेय, P साव for सावय, P कललरवेण, J तओ झस त्ति गयं हिअवश्ण तत्थ. 19) किमण्णे, ' होजा एसत्ति. 20)" om. य,P थरथरंत. 22) P अह for अई. 23) J दुगुणयर, P वाणा, रोविडं, I om. मं, P भणिउं समा: 243 णचि, P लंपेडेण तं सि पक्खित्ता. 26) महाबला.. 27) (perhaps) तुमं दिट्ठा तुमं च मम, P स्वणि, om. अवहरिया. 29) Pom. सुंदरम, पंगुलिओ. 30)श्चय, य for वि 31) P अहिरमा दिट्ठी. 32)P निष्पाइरक, P च ट्ठीए, Jadds मए (later) after नितिय, P इमो ते. 33) P हीरइसि, P नइ for णय. 34 केणइ वा लक्खपण, ' सरूवो. Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६ १९१1 में परिणेइ, ता किं ण लद्धं' ति चिंतयंतीए भणियं मए । 'अहं तए एत्थ अरण्णे पाविया, जं तुह रोयइ तं करेसु'त्ति । तमो । हरिस-णिभरो भणिउं पवत्तो 'सुयणु, अणुग्गिहीओ म्हि' त्ति । प्रत्यंतरम्मि अण्णो कड्डिय-मंडलग्ग-भासुरो खग्ग-विजाहरो 3 'अरे रे अगज, कत्थ वचसि' त्ति भगमाणो पहरिउं पयत्तो । तओ सो वि अम्ह दइओ अणुव्विग्गो कड्डिऊण मंडलग्गं 3 समुट्रिओ। भणियं च णेण 'अरे दुटु दुब्बुद्धि कुविजाहर, दुग्गहियं करेमि तुह इमं कण्णय' ति भणमाणो पहरि पयत्तो । तओ पहरंताण य णिद्दय-असि-घाय-खणखणा-रवेण बहिरिजंति दिसि-वहाई । एत्यंतरम्मि सम-घाएहिं खंडाखंडिं 6 गया दो वि विजाहर-जुवाणा । खगेण य लुय-सीसा दुवे वि णिवडिया धरणिवढे । ते य मुए दट्टणं गुरु-दुक्ख-क्खित्त- . हियविया विलविङ पयत्ता । अवि य । हा दइय सुहय सामिय गुण-णिहि जिय-णाह णाह णाह त्ति । कत्थ गओ कत्थ गओ मोत्तुं में एक्कियं रणे ॥ 9 आणेऊण घराओ रणे मोत्तण एकियं एहि । मा दइय वञ्चसु तुम अहव घरं चेव मे णेसु ॥ ६ १९२) एवं विलवमाणीए य मे जो मुओ सो कहं पडिसलावं देइ त्ति । तमो दीण-विमणा संभम-वस-विवसा जीविय-पिया इमाओ दीवाओ गंतु ववसिया परिब्भमामि । सम्वत्तो य भीमो जलणिही ण तीरए लंघेउं जे । तमो मए 12 चिंतियं । 'अहो, मरियव्वं मे समावडियं एत्थ अरण्णम्मि । ता तहा मरामि जहा ण पुणो एरिसी होमि' त्ति चिंतिऊण 12 विरइओ मे इमम्मि लयाहरम्मि लया-पासो । अत्ताणयं च णिदिउं, सोइऊण सव्व-बुहयण-परिणिदियं महिलिया-भावं, संभरिऊण कुलहरं, पणमिऊण तायं अम्मयं च एत्थ मए अत्तार्ण ओबद्धं ति । एत्यंतरम्मि ण-याणामि किं वर्त, केवलं 16 तुर्म वीयंतो पडेण दिट्ठो ति । तुम पुण कत्थेत्थ दुग्गमे दीचे त्ति । साहियं च णिय-वुत्ततं सागरदत्तेण पइण्णारुणं 15 जाणवत्त-विहडणं च त्ति । तो तीए भणियं ‘एवं इमम्मि विसंतुले कजे किं संपयं करणीय' ति । सायरदत्तेण भणियं । 'जह होइ कलिजंतो मेरू करिसं पलं च णइणाहो । तह वि पहण्णा-भंग सुंदरि ण करेंति सप्पुरिया ॥ 18 तीए भणियं 'केरिसो तुह पइण्णा-भंगो' । सागरदत्तेण भणियं । ____ 'संव-उर-मेत्तेणं जइ ण समजेमि सत्त कोडीओ । ता जलिइंधग-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ ममं च एवं समुद्द-मज्झे भममाणस्स संपुण्णा एक्कारस मासा । अवइण्णो एस दुवालसमो मासो । इमिणा एक्कण मासेण 21 कहं पुण सत्त कोडीओ समजेमि । अह समज्जियाओ णाम कह घरं पावेमि । तेणाहं सुंदरि, भट्ट-पइण्णो जाओ।ण य जुत्तं 21 भट्ट-पइण्णस्स मज्झ जीवियं ति । ता जलणं पविसामि' त्ति । तीए भणियं 'जइ एवं, ता अहं पि पविसामि, अण्णेसियउ जलणं' ति । भणियं च तेण 'सुंदरि, कहं तुह इमं असामण्णं लायण भगवं हुयासणो विणासिहिइ' । तीए भणियं । 'हूँ, 24 सुंदरमसुंदरे वा गुण-दोस-वियारणम्मि जच्चंधा । डहणेक्क-दिण्ण-हियओ देबो म्यणो य जलणो य ॥ ता मए वि कियेत्थ रणम्मि कायव्वं' । तओ एवं' ति भणिऊण मग्गिउं समाढत्ता हुयासणं । दिट्ठो य एक्वम्मि पएसे बहु-वंस-कुडंगासंग-संसग्ग-संघासुग्गयग्गि-पसरिभो बहलो धूमुप्पीलो । पत्ता य तं पएसं । गहियाई कट्ठाई, रइया महाचित्ती, लाइओ जलणो, पज्जलिओ य । केरिसा य सा चिई दीसिउं पयत्ता । अवि य, ___णिद्धम-जलण-जलिया उवरि फुरमाण-मुम्मुर-कराला । णजइ रयणप्फसला ताविय-तवणिज-णिम्मविया । तं च तारिसं चियं दट्टण भणियं सागरदत्तेणं । 'भो भो लोयपाला, णिसुणेह। 30 संवच्छर मेत्तेण जई ण समजेमि सत्त कोडीओ । ता जलिइंधण-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ एसा मए पइण्णा गहिया णु धराओ णीहरतेण । सा मज्म ण संपुण्णा तेण हुयासं समुल्लीणो॥' तीए वि भणियं । 33 'दइएण परिच्चत्ता माया-पिइ-विरहिया अरण्णम्मि । दोहग्ग-भग्ग-माणा तेणारं एत्थ पविसामि ॥' त्ति भणमाणेहिं दोहि वि दिण्णाओ झंपाओ तम्मि चियाणले । 1) ममं for में, चिंतयतीय, I om. तए. 2)Pमि for म्हि, Jom. अण्णो, P कढिय. 3) रे for अरे, J ततो सो P कट्रिकण. 4) कुग्विजाहर, इs for इमं, J भणमाणा. 5)J पयत्ता, P-ग्धायखणखणारवेण, खण्डखण्डि P खंडाखडि. 6) P विज्जाहरा। खगेण, P खित्तहियविय. 8) P जियनाम णाह राह त्ति, Pom, one कत्थ गओ. 9) Pइन्हि. चेअ. 10) Pom. य मे, J पडिसलावं,J विवसजीविआ इमाओ. 11) महाजलही for जलणिही. 12) Jom. पुणो. 13) Pसे for मे, P लयाहरंमि पासो, 1 om. च, P निदिऊण सोऊण. 14) P अंबं for अम्मयं, P मए, अत्ता उन्वंधेइ ति. 15) JI भणियं च निययवुत्तंतं सायरत्तेण. 16) I तीय, Pom. किं, Jom. ति, J सायरयत्तेण. 17) P मेरु, करंति. 18) I तीय, P पाइन्ना भन्नो,J सायरयत्तेण. 19)P जालिंधण. 20)Jइमं for ममं, J एत्थ for एवं,Jadds य before मासा, P om. एस. 21) P कह घरं, P नइ for णय. 22) Pom. मज्झ, P पविस्सामि, J तीय, J अण्णिसीनतु P अन्नेसीयउ. 23) P जलणो ति, तुमं for तुह, P भगवं जुयसेणो, पविणेसेहिति, J तीय, P हुं. 24) P°मसुंदरं, न जच्चधो। दहणेक. 25)Jसमाढत्तो, J य एअम्मि. 26) Pकुडंगसंसग्ग, P'मुगयग्गी,"महानीई.27)निती चीई. 28)P मुम्मर. 29) सायरदत्तेण, J लोअवाला. 30)Pता जालिंधणजाउ नलणे पविस्सामि. 31) Pसंपन्ना तेण हुयासगं समल्लीणो. 32) Pom. वि. 33) Pदइएणं परिवत्ता मायापिय, दोहग्गमाणभग्गा, Paddy तेगा before तेजाई. 34)P दोहिंमि दिण्णाओ. Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ६१९४] १९३) तओ केरिसा व सा चिई जाया । अवि य, दीहर- मुणाल-णालो वियसिब-कंदोह-संड-चेचओ जाओ व तक्खणं चिय वर-पंकव-सत्थरो पुसो ॥ 8 तं च दण चिंतियं सायरदत्तेण । 'अहो, कुवलयमाला किं होज भण्ण-जम्मं किं वा सुमिणं इमं मए दिनं । किं इंदयाल-कुहर्य जं जलणो पंकए जामो ॥ एत्यंतरम्मि, गणि-पोमराय- घडियं कणय-महासंभ-निवह-निम्मवियं चाद्दल-भोकलं विद्वे गपणे वर-विमा वर-कणय-मउड-राहो गंडत्थल-घोलमाण- रयणोहो । लंब-वणमाल-सुहभो महिडिओ को वि देव-वरो ॥ तेण व संदर-दसिय विवसमाणाहर फुरंत दंत-किरण-लि-दिसिवई 'भो भो सागरच किं तर इमेजनपिजेवियं हयण-परिनिंदियं अप्प-यई समाउस ति । अवि प । I 12 9 दोहग्ग- भग्ग- भग्गा पड़णो अवमाण- णिवडिया तुक्खे | लहुय हिय्या वराई णवर इमं महिलिया कुजइ ॥ पुण ण एरिसं ति अह भगति 'सत फोडीलो पण सि तापि किं ण बुज्झसि सग्गे वसिऊण वर-विमाणम्मि । अम्हेहिं समं सुहिलो चउहिं पि जणेहिं सोहम्मे ॥ तत्थ त ककेषण- इंदणील- मणि- पोमराय-रासीभो । पम्मोकामुक्काम कोसाहारो इमेहिं पि ॥ सा गेण्ड तुमं णाणं सम्मतं चेय जिणवर-मयम्मि। पंच व मदम्वयाई इमामो वा सस कोडीनो ॥ अह इच्छसि किंचि धर्ण गेन्दसु तिगुणानो सत कोडीओ 15 इमे सोकण से च देव-रिविं गिएकण ईद्दाह-ममाण-गयेसणं परमप्पो, एत्य चविकण उप्पण्णो । एसो उण पडमदेस यत्रो' से संभरमाणेण इमिणा भदं मरणाओं विजियो सि। 'अहो एक पन्नो महो कओववारी, अहो सिणेह-परो, 18 अहो पेम्म-महओ, अहो मिणं । भविव । भारुद विमान-मझे घरं पि पावेमि सा तुरियं ' कुणमाणस्स जाई- सरणं समुप्यच्णं गाये च जहा नई सो 15 भगिलो व मए आसि जहा 'तए नई जिनवर-मग्गे संबो है 1 १०९ 12 जीवत्तम्मि मणुओ सारो मणुए वि होइ जइ पेम्मं । पेम्मम्मि बि उवयारो उवयारे अवसरो सारो ॥" त्ति चिंतयंतेण पणमिश्र णेण । तेणावि भणियं 'सुट्रु सुमरिलो ते णियय-पुब्व-भवो' । भणियं च सायरदत्तेण 'अहो रक्खिओ 21 भई तर संसार-पढणाम अवि य, । ज जलणमि मरतो महा दोगाई नीओ। अच्छर वा जिणधम्मो मणुयरुण वि संदेहो ॥ 1 ता सुंदरं तए कयं । भाइससु किं मए कायष्वं' ति । तेण भणियं 'अज्ज वि तुद्द वारितावरणीय कम्मं अस्थि, ते भुंजिऊण 24 संजमो तर कायम्यो' ति ता कुमार कुवछयचंद, जो सो सागरदतो सो है। तभो समारोविको तेण चिमाणम्मि | 24 गहिया व सा भए बाला मारोविया विमाणम्मि एकवीसं च कोडीको सनो सम्मि य विमाणवरे समारुडा संपता स्वर्ण चेय जयतुंग नयरिं । तत्थ जण्णसेट्टिणो घरे अवइण्णा । परिणीयाओ दोणि वि दारियानो मए । तमो 27 विमारूढा गया चंपा - पुरवरिं । बहु-जण-संवाह- कलयलाराव- पूरंत कोऊहलं भवइण्णा घरम्मि । पूइमा अग्धवन्तेणं । वंदिलो 27 गुरुयो । 2 ) संदर्चेचइओ P सिंडचिचईओ. 1) Pom. अवि य. 3 ) सायरयतेण. 4 ) P अन्नजंमो. 5) P inter. पोम and मणि, मुत्ताहलऊजणदिट्ठे, P मुत्ताफलओ व लंगयणे दिव्वं वर. 6 ) P हारो for राहो. 7) सायरदन्त 8 ) P निसवियं बहुयण, अप्पम्बई. 9 ) P भगलग्गा, अवमाणणाहि निम्बडिया 1. 10 P तुज्झ पुतण. 11) किष्ण P किन, Pमि for पि. 12) पम्मोकं for मुकाओ, मि for पि. 14 तिउणाओ. 15) Padds च after इमं, P कुणस्स for कुणमाणस्स. 16 ) P चश्ऊण. 17 J adds वि before विणियडिओ. 18 ) P पेममश्ओ. 19 ) P जीअत्तणम्मि, P सामे for सारो, P सारो हि ॥ 20 ) Pom. त्ति, मए for से, 22 ) P दोगई, J आ and P ती for ता. 23 ) Pए for तप, PI अहससु. 24 ) Pom. तर, सागरयत्तो, adds य before तेण 25 ) Pom. यू. 26 ) P inter. वेय & खणेणं, P तुंगनयरिं, जुनसेट्टियो, अवइण्णो. 29 ) P तुम् for तुझं, सहस्सारं सव्वाउं, Pom. य. 30 P साहि for 'सामण्णं, Pom. पालेयम्बं eto. to तिहि य सुंदरी 31 ) p पूरियणं. 32 ) P कडओ, P. मगलग्गो 33 ) P संठाविऊण, P बघुयणं for परियणं, दुनिक विषय अनि दिन 34 विष्णणं, कण 35) सायरयतेण. सम्माणिकण व पणश्यणं सम्बो. m. J 18 1 १९४ ) तत्र देवेण भणिवं 'भो भो तुझं दस-यास सदस्से सम्बाक, तमो तिमिण बोलीणाई, पंच थ भए 30 भुजसु, दुवे वास-सहस्साई सामन् पालय' ति भणिऊन जागयं परिगमो इमो सो देवो मए वि उपद्वावियानो 30 एकवीस कोडीभो गुरूणं । तभो गिद्ध बंधूहिं सहिओ तिहि य सुंदरीहिं भोए भुंजिऊण, पणइयणं पूरिऊण, णिग्विण्णकाम - भोभो जाणिय- परमस्थो संभरिय पुष्वजम्मो सुमरिय-देव-वयणो विसुनंत-चारित कंडो वेरग्न-सग्गालग्गो इण 33 भरते, बंद साहूणो, संविऊण बंधु-वर्ग, माणिक परिवर्ण, संमाणिकण पणइयर्ण, अभिवाहून गुरुवर्ण, दक्षिण 33 विष्पवर्ण, पूरिकण भिचवर्ण, सम्पदा कय-कायव्य-वावारो धणदत्त-णामाणं घेरा अंतिए अनगारिवं पब्वजमुवगओ सत्य ध किंचि परिय-सप-सत्थत्यो धोएर्ण चेय काले गहिरो जानो। तभो तव वीरिय भावनाओ भाविन एक 21 . Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० उजोयणसूरिविरइया [९१९४1 विहार-पडिम पडिवण्णो । तत्थ य भावयंतस्स एगत्तर्ण, चिंतयंतस्स असरणतं, अणुसरंतस्स संसार-दुत्तारत्तणं, सुमरंतस्स 1 कम्म-चडुलत्तणं, भावयंतस्स जिण-बयण-दुल्लहत्तणं सव्वहा गुरुय-कम्म-खओवसमेणं झत्ति ओहि-णाणं समुप्पण, अहो जाव ३रयणप्पभाए सव्व-पत्थडाइ उ8 जाव सोहम्म-विमाण-चूलियाओ तिरियं माणुस-णग-सिहरं ति। तओ तम्मि एयप्पमाणे ३ समुप्पण्णे दिटं मए अत्ताणयं जहा। मासि लोहदेवाभिहाणो, पुणो सग्गम्मि पउमप्पभो देवो, तत्तो वि एस सायर दत्तो त्ति । इमं च दट्टण चिंतियं मए । 'अहो, जे उण तत्थ चत्तारि अण्णे ते कहिं संपर्य' ति चिंतियंतो उवउत्तो जाव 6 दिटुं। जो सो चंडसोमो सो मरिऊण पउमचंदो समुप्पण्णो। तत्तो वि सग्गाओ चविऊण जाओ विंझाडईए सीहो ति। 6 माणभडो मरिऊण पउमवरो जाओ। तत्तो वि चइऊण अओज्झ-पुरवरीए राइणो दढवम्मस्स पुत्तो कुमार-कुवलयचंदो ति । मायाइच्चो वि मरिऊण पउमसारो। तत्तो वि चविऊण दक्षिणावहे विजया-णामाए पुरवरीए राइणो महासेणस्स दुहिया " कुवलयमाला जाय त्ति । इमं च णाऊण चिंतिय मए। 'अहो, तम्मि कालम्मि अहं इच्छाकारेण भणिओ जहा । 'जत्थ १ गया तत्थ गया सम्मत्तं अम्ह दायब्वं' ति ।' ता सा मए पइण्णा संभरिया। ताव य आगओ एस पउमकेसरो देवो । भणियं च इमिणा । अवि य, 12 जय जय मुणिवर पवराचरित्त सम्मत्त-लद्ध-ओहिवरा । वंदइ विणएण इमो धम्मायरिओ तुहं चेय ॥ 12 सोऊण य तं वयण, दट्टण य इमं देवं, भणियं च मए 'भो भो, किं कीरउ' त्ति । इमिणा भणियं 'भगवं, पुव्वं अम्हेहिं पडिवणं जहा 'जत्थ गया तत्थ गया सम्मत्तं अम्ह दायव्वं' ति । ता ओ वराया इमेसु मिच्छादिट्टी-कुलेसु जाया, दुल्लहे 18 जिणवर-मग्गे पडिबोहेयव्वा । ता पयट्ट, वच्चामो तम्मि अउज्झा-णयरीए । तत्थ कुमार-कुवलयचंद पडिबोहेमो' । मए 15 भणियं 'ण एस सुंदरो उवाओ तए उवइट्रो । अवि य, जो मयगल-गडत्थल-मय-जल-लव-वारि-पूर-दुल्ललिओ। सो कह भमर-जुवाणो भण सवसो पियइ पिचुमंद ॥ 18 तत्थ य सो महाराया बहु-जण-कलयले दढे पि ण तीरइ । अच्छउ ता धम्म साहिऊण । अह कहियं पि णाम, ता कत्थ 18 पडिवजिहि त्ति । अवि य, जाव ण दुहाइँ पत्ता पिय-बंधव-विरहिया य णो जाव । जीवा धम्मक्खाणं ण ताव गेहंति भावेण ॥ यता तुमं तत्थ गंतुं तं कुमार अक्खिवसु । अहं पि तत्थ वच्चामि जत्थ सो चंडसोम-सीहो । तत्थ य पइरिक्के अरण्णम्मि संपत्त-दुक्खो दिट्ठ-बंधु-विओगो राय-तणओ सुहं सम्मत्तं गेण्हिहिइ ति । इमं च भणिऊण अहं इहागओ । इमो य अउज्झाए संपत्तो । तत्थ तक्खण विणिग्गओ तुम तुरयारूढो वाहियालीए दिट्रो । अणुप्पविसिऊण तुरंगमे उप्पइओ य तुमं घेत्तणं । तए य तुरओ पहओ। इमिणा मायाए मओ विय दंसिओ, ण उण मओ। तुह केवलं आसा-भंगो कओ त्ति । तओ कुमार ४ तुम इमिणा तुरंगमेणं अक्खित्तो इमं च संमत्त-लंभं कजं हियए काऊण मए तुम हराविओ। इमाई ताई पुरंतणाई __अत्तणो रूवाइं पेच्छसु' ति । दिटुं च कुवलयचंदेण अत्तणो रूवं । १९५) कुवलयमालाए सव्वाणं च पुन्व-जम्म-णिम्मियं भूमीए णिहितं साहिग्णाण तं च दंसिऊण भणियं 7 मुणिवरेण । 'कुमार, एवं संठिए इमम्मि कजम्मि जाणसु विसमो संसारो, बहु-दुक्खाओ णरए वेयणाओ, दुल्लहो जिणवर मग्गो, दुप्परियल्लो संजम-भारो, बंधणायारो घर-वासो, णियलाई दाराई, महाभयं अण्णाण, दुक्खिया जीवा, सुंदरो 30 धम्मोवएसो, ण सुलहा धम्मायरिया, तुलग्ग-लद्धं मणुयत्तणं । इमं च जाणिऊण ता कुमार, गेण्हसु सम्मत्त, पडिवजसु 30 साहु-दक्खिण्णं, उच्चारेसु अणुव्वए, अणुमण्णसु गुणव्वए, सिक्खसु सिक्खावए, परिहर पावट्ठागे' ति । इमं च एत्तिय पुश्व-जम्म-वुत्तंतं अस्सावहरणं च अत्तणो णिसामिऊण संभरिय-पुव्व-जम्म-वुत्ततो भत्ति-भर-णिभर-पणउत्तिमंगो पयलंत33 पहरिस-बाह-पसरो पायवडणुट्टिओ भणिउं पयत्तो। 'अहो, अणुग्गहिओ अहं भगवया, अहो दृढ-पइण्णत्तणं भगवओ, 33 1) P om. विहार, तत्थ वयंतस्स एअत्तणं, P चित्तरस for चिंतयंतरस, J असरणत्तणं सरंतस्स. 2)चदुलत्तणं (1)? चउरत्तणं, J वासयंतस्स for भावयंतस्स, सव्वहा तारूवकम्मक्ख'. 3) Fओडू for उर्दू, माणुसगं सिहरं, P एयप्पमाणो. 5) चिंतेंतो उवयुत्तो. 6) 1 दिट्रो for दिट्रं, पउमचंडो, J_inter. जाओ & विऊण. 7) Jadds वि after माणभडो, P पउमसारो for पउमवरो, चविऊग, P दधम्मस्स. 8) P om. वि. P om. पउमसारो। तत्तो वि चविऊण. 9) J इच्छक्कारेण. 10) P adis स after तत्थ, Jom. ताव य. 12) P पवर for पवरा. 13) J इमं च तं देवं, P om. च before मए, P om. one भो. 14) Pता वेरा वराया, P दुलह, 15)P पयट्ट, P अउज्झनयरीए । कुमार. 16) J उवविट्ठो. 17) I गय for गल, P वर for लब, F पिउमंद. 18) J तत्थ सो राया, I दट्टण वि ण,J आ for ता, P धम्मसाहकहियं. 19) P पडिवज्जि हि ति त्ति. 20) Jinter, दुदाई & ण (न in i). 21) Jom. तं, I om. य. 22) दिट्ठबंधवविओओ य रायः, Pom. त्ति, Pom. अहं. 23) Jadds य after तस्थ, Pापविसिऊण, Pom.य. 24)Jइव for विय, J तुहं. 25) Pom. कर्ज, Poin. काऊण, Pपुरत्तणाई. 26) पेच्छा त्ति, P अत्तणा. 27)P सयब्वाणं चिय पुत्वजमानिमित्तं. 28) P एवं पि सट्टिए, Jom. कज्जम्मि, I om. बहु, Jणरयवेयणाओ. 29) P दुपरियल्लो, J 'यारा घरणिवासो. 30)P तलग्गलगं माणसत्तण. 31) Pदक्खिणं, पावद्राणो. 32) Pom. जम्म, P भत्तिभरत्तिभर निब्भर, I पणयुत्तमंगो. 33) Pom पहरिस, पायपडणु, गिहीओ for अणुग्गहि ओ, Jon. अहं, Pom, भगवओ. Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१९६] कुवलयमाला । अहो कारुणियत्तणं, अहो कओवयारित्तण, अहो णिकारण-वच्छलत्तणं, अहो साणुग्गहत्तणं भगवओ। भगवं, सव्व-जग- 1 जीव-वच्छल, महंतो एस मे अणुग्गहो कओ, जेण अवहाराविऊण सम्मत्तं मह दिणं ति । ता देसु मे महा-संसार-सायर3 तरंडयं जिणधम्म-दिक्खाणुग्गहं' ति । मुणिणा भणियं । 'कुमार, मा ताव तूरसु । अज वि तुह अनिय सुह-वेयणिज भोय- 3 फलं कम्मं । तो तं णिजरिय अणगारियं दिक्ख गेण्हहिह त्ति । संपय पुण सावय-धम्म परिवालेसु' ति । इमं च भणिओ कुमार-कुवलयचंदो समुट्टिओ। भणियं च णेण । 'भगवं णिसुगेसु, 6 उप्पह-पलोट्ट-सलिला पडिऊलं अवि वहेज सुर-सरिया। तह वि ण णमिमो अण्णं जिणे य साह य मोत्तण ।। अण्णं च। 8 हंतूण वि इच्छंतो अगहिय-सत्यो पलायमाणो वि । दीणं विय भासंतो अवस्स सो मे ण हतब्बो॥' भगवया भणियं 'एवं होउ' त्ति । एत्तियं चेय जइ परं तुह शिव्वहई ति। उवविठ्ठो य कुमारो। भणियं च मुणिणा। 9 'भो भो मइंद, संबुद्धो तुम । णिसुयं तए पुव्व-जम्म-युत्तंत । ता अम्हे वि तुम्ह तं वयण संभरमाणा इहागया । ता . पडिवजसु सम्मत्तं, गेण्हसु देस-विरई, उज्झसु णिसंसत्तण, परिहर पाणिवह, मुंचसु कूरतगं, अवहरेसु को ति । इमिणा चेय दुरप्पणा कोवेण इमं अवत्थंतरं उवणीओ सि । ता तह करेसु इमो कोवो जहा अण्णम्मि वि भवंतरम्मि ण 12 पहवई' त्ति । इमं च सोऊण ललमाण-दीह-गंगूलो पसत्त-कण्ण-जुयलो रोमंच-वस-समूससंत-खधरा-केसर-पन्भारो समुट्टिओ 12 धरणियलाओ, णिवडिओ भगवओ मुणिणो चलण-जुयलयम्मि, उवविठ्ठो य पुरओ। अदूरे कय-करयलंजली पञ्चक्खाणं मग्गिउं पयत्तो । भगवया वि गाणाइसएण णाऊण भणियं । 'कुमार, एसो मयवई इमं भणइ जहा । महा-उवयारो को 15 भगवया, ता किं करेमि । अम्हाणं भउण्ण-णिम्मियाणं णस्थि अणवजो फासुओ आहारो। मंसाहारिणो भम्हे । ण य कोइ 18 उवयारो अम्ह जीविय-संधारणेणं । ताण जुत्तं मम जीविउ जे। तेण भगवं मम पच्चाहिक्खाहि अणसगं ति।' 'इमं च भो देवाणुप्पिया, कायन्वमिण जुत्तमिणं सरिसमिंग जोग्गमिग ति सव्वहा संबुद्ध-जिणधम्मस्स तुज्झ ण जुज्जइ जीविउ जे' 18 भणमाणेण मुणिणा दिणं अणसग । तेणावि पडिवणं विणओणमंत-भासुर-चयणं । गंतूण य फासुए विवित्ते तस-थावर- 18 जंतु-विरहिए थंडिल्ले उवविटो । तत्थ य माणसं सिद्धाण आलोयणं दाऊण पंच-णमोकार-परायणो भावेतो संसारं, चिंतेंतो कम्म-वसयत्त, पडिवतो जीव-दुस्सीलत्तण अच्छिउं पयत्तो। A १९६) भणियं च कुमारेण 'भगवं, सा उण कुवलयमाला कहं पुण संबोहेयव्वा' । भगवया भणियं । 'सा विA तत्थ पुरवरीए चारण-समण-कहाणएणं संभरिय-पुच्व-जम्म-वुत्तता पादवं लंबेहि त्ति । तत्थ य तुम गंतूण तं पादयं भिंदिऊण __तुमं चेय परिणेहिसि । तुज्य सा महादेवी भवीहइ । तीए गब्मे एस पउमफेसरो देवो पुत्तो पढमो उववज्जीहिह । ता वञ्च 24 तुमं दक्षिणावहं, संबोहेसु कुवलयमालं' ति भणमागो समुट्टिओ भगवं जंगमो कप्प-पायवो महामुणी । देवो वि 'अहं तए । धम्मे पडिबोहेयन्वो' त्ति भणिऊण समुप्पइओ णहंगणे । तओ कुमारेण चिंतियं । एयं भगवया संदिटुं जहा दक्खिणावहं गतूण कुवलयमाला संबोहिऊण तए परिणेयध्व त्ति । ता दक्षिणावहं चेय वच्चामि । कायब्वमिग ति चिंतयंतो चलिओ 7 दक्खिणा-दिसाहुत्तं । दिट्ठो य सो सीहो। तं च दट्टण संभरियं इमिणा कुमारेण कुवलयचंदेण पुन्व-जम्म-पढियं इमं सुत्तरं 21 भगवओ वयण-कमल-णिग्गयं । अवि य, जो में परियाणइ सो गिलाणं पडियरइ । जो गिलाग पडियरइ सो ममं परियाणइ त्ति । सम्वहा, 30 साहम्मिओ त्ति काउंणिद्धो अह पुव्व-संगओ बंधू । एक्कायरियमुवगओ पडियरणीओ मए एसो॥ अण्णहा सउण-सावय-कायलेहिं उबद्दवीयतो रोई झाण अदृ वा पडिवजिहिइ । तेण य णरयं तिरियत्त वा पाविहि ति । तेण रक्खामि इमं जाव एसो देवीभूओ त्ति । पच्छा दक्षिणावह वच्चीहामि त्ति चिंतयंतो कण्ण-जावं दाउमाढत्तो, धम्म33 कहं च । अवि य। 33 जम्मे जम्मे मयवइ मओ सि बहुसो अलद्ध-सम्मत्तो। तह ताव मरसु एम्हि जह तुह मरणं ण पुण होइ॥ 1) Jom. अहो कारुणियत्तणं, P साहु for अहो after वच्छलत्तणं, " जय for जग. 2) P inter. मे एस, अवहरिऊण P अवहराविऊण, P मे संसायरत्तरंडयं जिणधम्मं दुक्खनिग्गहं ति।. 3) Pझूरसु for तूरसु, P भोयप्फलं. 4) Pता तंभि निजरिए. 6) पडिऊणं P पडिकल अवि हवेज्ज सुर. 7)P अन्न हिय. 9) J तुज्झ for तुम्ह, J वयणं भरमाणा. 10) नीसंसत्तणं, P अवहारेसु, P। इति मिणा. 11) Pअवत्वंतरमुव, तहा for तह, Jom. वि. 12) पवइ, I om. पसत्तकण्णजुयलो. 13) जुबलयंमि, Poun. अदूरे ।, P कयकरयंजली. 14) Pमयई इमं. 15) फासुअ अहारो. 16)P om. अम्ह, युतं जुत्तं, P पच्चक्खाहि. 17) जुत्तं णिमं सरीसं णिम जोग्ग', संबुद्धा, जिणधम्म तुज्झ, Pom. तुज्झ. 18) Pदिन्नं । निराया मणविपडियन्नं विणउणमंत. 19) Pथंडिले, तत्थ for य, Pमाणसिद्धाण, चितयंतो. 20) पट्टिवजंतो, ठिओ for अच्छिउं पयत्तो. 22) कुहाणएणं, पाययलंबेहिं तत्थ, P मंतूण for गंतूण, P पाययं. 23) भवीहति । तीय, J om. पढमो, I उववजिहिति Pउववजिहिइ. 24) P भगवं जमपायवो. 25) समप्पइओ नहं । नितिउं । एवं च भगवया. 26) चेव, Pom. ति. 27) P सीहो । दट्ठण तं संभरियं कुवलय', I om, कुवलयचंदेण. 28) I ममं परियाणति, J पडियरति in both places, J परियाणति ति P परियायण त्ति. 30) गज्झ for बंधू, J परिअरणीओ. 31)सावय कायकायलेहिं, I "जिहि ति। तिरियं तिरिअत्तं वा पावीहिति, P तिरियं ति वा. 32)P वच्चहामि चित, दाउं समा, Jom. धम्मकहं च. 34) P चरसु for मरसु, Pज for जह, P inter. पुण and ण (न in P). 30 Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ उजोयणसूरिविरइया [६१९६ 1एवं च धम्मक्रह णिसामंतो तइय-दियहे छुहा-किलंत-देहो गमोक्कार-परायणो मरिऊण सागरोवमट्टिईओ देवो जाभो। तत्थ । भोए भुंजतो अच्छिउं पयत्तो । तओ तं च मयवइ-कलेवरं उज्झिऊण कुमार-कुवलयचंदो गंतु पयत्तो दक्खिग दिसाभाय । 3 कहं । अवि य, तुंगाइँ गयउल-सामलाई दावग्गि-जलिय-सोहाई । अहिणव-जलय-समाई लंघेतो विंझ-सिहराई॥ तओ ताणं च विंझ-सिहराण कुहरंतरालेसु केरिसाओ पुण मेच्छ-पल्लीओ दिवाओ कुमारेणं । अवि य । 6 अहिणव-णिरुद्ध-बंदी-हाहा-रव-रुण्ण-करुण-सद्दाला। सह-वियंभिय-कलयल-समाउलुब्भंत-जुयइ-जणा ॥ जुयई-जण-मण-संखोह-मुक्क-किंकिं-ति-णिसुय-पडिसदा । पडिसद्द-मूढ-तण्णय रंभिर-णेहोगलंत-गोवग्गा ॥ गोवग्ग-रंभिरुद्दाम-तपणउबिब-धाविर-जणोहा । इय एरिसाओ दिट्ठा पल्लीओ ता कुमारेण ॥ 9 दिट्ठाई च कलधोय-धोय-सिहर-सरिसाई वण-करि-महादंत-संचयई, अंजण-सेल-समई च महिस-गवलुक्कुरुडई । तण-मह- " क्खल-समइंच दिट्ठाई चारु-चमरी-पुच्छ-पब्भारई । जहिं मऊर-पिंछच्छाइएल्लय मंडव विरइय-थोर-मुत्ताहलोऊल व त्ति। जहिं च थूरिएल्लय महिसा, मारिएल्लय बइल्ला, वियत्तिएल्लियाओ गाईओ, पउलिएलिय छेलय, पक्केल्लिय सारंग, वुत्थेल्लय 12 सूयर, णिपिच्छिएल्लय सुय-सारिया-तित्तिर-लावय-सिहि-संचय व त्ति । अवि य । सवहा 12 पहरण-विभिण्ण-जिय-देह-णिग्गउद्दाम-रुहिर-पंकेण । जण-चलण-चमढिय तंघिरइजइ कोहिम-तलं व ॥ जहिं च महामुणि जइसय धम्म-मत्त-वावार-रसिय वसंति जुवाणय, अण्णे णारायण-जइसय सुर-कजेक्क-वियावड, अण्णे 15 तिणयण-जइसय सर-मोक्खग्गि-णिडट्ठ-तिउर-महाणयर व, अण्णे पुण मयवइ-जइसय दरिउम्मत्त-महा-वण-गइंद-वियारिय- 16 कुंभयड, अण्णे पुण पुल्लि-समाण मत्त-महा-महिस-णिद्दलणेक्क-रसिय । जहिं च पत्त-साड-समई हत्थ-पाय-छेजई, अंदोलय हेला-सरिसइं उब्बंधपाई, सीहासण-सुहई सूलारोवणई, अंगवालिया-करई करि-चलण-चमढणई, झंपुल्लिया-खेल्लणई गिरि18 तडावडणइं, अहिय-मासावगत्तण-समई कण्ण-णासाहरो?-वियत्तणई, मज्जण-कीला-तुलणाई जल-विच्छुहणई, सीयावहरणई 18 जलण-पवेसणई मण्णंति । अवि य। ___ जज कीरइ ताणं दुक्ख-णिमित्तं ति मारण-छलेणं । तं तं मणति सुहं केण वि पावेण कम्मेण ॥ आ जहिं च पावकम्महं चिलायहं दुहु-घोह-जइसउं बंभणु मारियव्वउ, भत्त-सूह-सरिसओ गामाइ-वहो, ऊसव-सरिसओ परदार-21 परिग्गहो, पुरोडासु-जइसओ सुरा-पाणु, ओंकारो जइसओ चोर-विण्णाणु । गायत्ति-जइसिय बहिणि-गालि । जहिं च सवहई माई से भहिण से पई मारेमि तओ लोहिउं पियमि ति । इमेहिं एरिसेहिं चिलाएहिं दिव्यो ति काऊण ससंभम णमिजतो 24 पयत्तो । केरिसाई पुण ताणं वीसत्थ-मंतियई णिसामेइ । अवि य । 24 हण हण हण ति मारे-चूरे-फालेह दे लहुं पयसु । रंभसु बंधसु मुयसु य पियसु जहिच्छं छणो अज ॥ $१९७) ताओ तारिसाओ विझ-कुहर-पल्लीओ बोलिऊण कुमारो संपत्तो विझ-रण्णे, तम्मि य वञ्चमाणस्स को । 27 कालो पडिवण्णो । अवि य । फरुसो सहाव-कढिको संताविय-सयल-जीव-संघाओ । गिम्ह-च्छलेण णजइ समागओ एस जम-पुरिसो॥ जत्थ य पिय-पणइणीओ इव अवगूहिज्जति गंध-जल-जलदियओ, सहसागओ पिय-मित्तो व्व कंठ-बलग्गो कीरइ मुत्ता30 हारो, पिय-पुत्तो ब्व अंगेसु लाइज्जइ चंदण-पंको, गुरुयणोवएसई व कण्णेसु कीरति णव-सिरीसई, माया-वित्तई जह उवरि- 30 जंति कोहिमयलई ति । अवि य किंच होऊण पयत्तं । वियसंति पाडलाओ। जालइजति मल्लियाओ। परिहरिजति रल्लयई । सेविजति जलासयई। परिहरिजति जलणई। बद्ध-फलई चूयई। वियलिय-कुसुमई कणियार-वणई। परिसडिय-पत्तई 33 अंकोल्ल-रुक्खई ति । अवि य । 33 1) देहे for दियहे, सायरोवमठितीओ. 2) दिसाभो. 3) P कहा for कह. 4) Pगवल for जलय, P लंघतो. 5) Pom. पुण. 6) Pom. रुण. 7) जुई प्रण, Jom. गिय (emended) P निसुइ, रहिरनेहो अणंतगोवग्गा. 8) तंणबुद्धाविर P तन्नउम्बेम्बधाविर. 9) Pom. धोय, P संवयम for संचयई, 'कुरुडयं कुरुडई. 10)P चइ दिट्ठई, P पुंछ, कहिं च मऊर, P 'इपल्लव, J भंडवा, मुत्ताला ऊले. 11) Pथूरपल्लएय, महिसय, 'एलिओ, I'एल्लय, पकेलय, P गुच्छेलय सूयरे वोणि निषछपल्लय. 12) Pसि हिसंक्व त्ति. 13)विभिण्णे, णिग्गयुद्दाम, Pतंबिरज्जद, कोट्टिमयलं व्व. 14) Pवावारसिय, P जुवाणा, Jणारावणु. 15) निद्दड, अणि वणि मयवइ. 16)J कुंभयढ अवि य अणि पणि पुछि. रसिया।, J जाह चं lor जहिं च, P समयं. 17) Pसरिसई उपबंधणई, अंगावालिया, -अरई करचलण, P चमडणई संवुलिया, खेलणई, ' गिरिउढा. 10) मासावगमई, Pकीलातुलई, P"हणयं. 19) पवेस, P पवेसणयं पन्नत्ति. 20)P Pता for ताण, P मारणत्येण ।. 21) Jजाहं च पावकम्म चिला, Pचि for च, चिलाई दुट्ठा, I repeats जइ, बंभण मारियन्वउं, भत्तसूअ-, गोमाइवहो। ऊसवो जइसओ। परदारपरिगहो पुरोडासु जइसओ परदार परियहो। पुरोढासु जइसओ सुरापाणकारो जइसओ। सुरापाणा । उंकारो. 22) P विनाणो, J जाई for जहिं, P सबहि माहि से बहिणि से पद. 23) जे for से before पई. 24) P ताणं कीसत्यमंतियाई. 25) Pom. one gण.३ रुंधम । रुंभK, P जहिन्छच्छणा. 26)P om. तम्मि य. 27Jom. अवि य.29) च for य, P पणइणि उवग',J अवऊहिज्जेति, P जलीओ. कंठलग्गो.30) P वित्तरं जह उनरियज्जति कोट्टिमतलं ति. 31) किं चि होऊग, P जालिज्जति, मलिअओ, P रलियाई । सोविज्जति. 32)P फलय पूर्वई, P रुक्खयं. Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१९८] कुवलयमाला 1 मोत्तूण चूय-सिहरं पइसइ णव-तिणिस-गुम्म-वण-गहणं । हूं हूं ति वाहरंती णिदाह-डड्डा व वणराई॥ केसु पुण पएसेसु किं किं कुणइ गिम्ह-मज्झण्हो । अवि य फुरफुरेइ णीलकंठ-कंठेसु, अंदोलइ मईद-ललमाण-जीहंदोलणेसु, उणीससइ थोर-करिवर-करेसु, पजलइ दवाणलेसु, धूमायइ दिसा-मुहेसु, धाहावइ चीरी-रुएसु, णञ्चइ मयतण्डा-जल-तरंग- ३ रंगेसु, संठाइ विंझ-सिहरेसु, मूयलिज्जइ महाणईसुं ति । अवि य । उग्गाह हसइ गायइ णच्चइ णीससह जलइ धूमाइ । उम्मत्तओ व्व गिम्हो ण णजए किं व पडिवण्णो ॥ । केसु पुण पएसेसु गिम्ह-मज्झण्हं वोलावेंति जंतुणो। अवि य महावण-णिउंजेसु वण-करि-जूहई, गिरिवर-गुहासु । मयवइणो, उच्चस्थलीसु सारंग-जूहई, वच्छ-च्छायासु पसु-वंद्रई, सरिदह-कूलेसु गाम-चडय-कुलई, सरवरेसु वण-महिसजूहई, पेरंत-खजणेसु कोलउलई, जालीयलेसु मोरह वंद्रई, पवा-मंडवेसु पहिय-सत्थई ति । अवि य । । सो णत्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण गिम्हेण । संताविओ जहिच्छं एक चिय रासहं मोत्तं ॥ तम्मि य काले पुरवर-सुंदरीओ कइसियओ जायल्लियो । कप्पूर-रेणु-रय-गुडियओ सिसिर-पल्लवत्थुरणओ पाडला-दामसणाह-कंठओ मल्लिया-कुसुम-सोहओ पओहर-णिमिय-मुत्ता-हारओ कोमल-तणु-खोम-णिवसणओ धाराहर-संठियओ तालियंटपवण-लुलियालयओ विइण्ण-चंदण-डालियओ दीहर-णीसास-खेइयओ साहीण-दइयओ वि णजइ पिययम-विरहायल्लय-12 संताव-तवियओ त्ति । अवि य । किंसुय-लयाओ पेच्छह परिवियलिय-रत्त-कुसुम-जोग्गाभो। गिम्ह-पिय-संगमेणं बद्ध-फलाओ ब्व दइयाओ। 18 दट्टण तमाल-वणं देंत भमराण कुसुम-मयरंदं । उयह विणओणयंगी भमरे पत्थेइ तिणिस-लया ॥ कंद-फलाई पुरओ पासम्मि पिया महुं च पुडएसु । पल्लव-सयणं सिसिरं गिम्हे विंझम्मि वाहाणं ॥ कह कह वि ऐति दियह मज्झण्हे गाम-तरुण-जुवईओ । अवरह-मज्जण-सुहं गामयलायम्मि भरिरीओ ॥ चिंतिज्जइ जो वि पियत्तगेण हिययम्मि णाम पविसेज । हय-गिम्ह-तविय-देहो सो चिय तावेई सुरयम्मि ॥ मज्झण्ह-गिम्ह-ताविय-पवणुद्धय-वालुयाएँ णिवहेण । हिरिमंथए वि जीवे पेच्छह पउलेह कह सूरो॥ इय मंडल-वाउली-धूलि-समुच्छलिय-जय-पडायाहिं । धवलुत्तुंगाहिँ जए गिम्हो राया पइट्टविओ ॥ जहिं च बहु-विडयणोवसेवओ वेसओ जइसियओ होंति गाम-तरुवर-च्छायओ। किमण-दाणइं जइसई तण्हाच्छेय-सहई ॥ *ण होति गिरि-णइ-पवाहई । पिययम-विरह-संताव-खेड्यओ पउत्थवइया-सरिसियओ होंति णईओ । महापहु-सरीरई जइसई असुण्ण-पासइं होंति कुयडयडई। गयवइयओ जइसियओ कलुण-चीरि-विरावेहिं रुयति महाडईओ। जुण्णपरिणियओ जइसियो बहुप्पसूयो होंति सत्तलियओ। जिणवरोवइट्ट-किरियओ जइसियओ बहुप्फलओ हति सहयार 24 रूयओ ति । अवि य। कुसुमाइँ कोट्टिमयलं चंदण-पंको जलं जलहीया । अवरण्ह-मजणं महिलियाण गिम्हम्मि वावारा ॥ १९८) एयारिसम्मि य गिम्ह-समए तम्मि चिंझगिरि-रण्णम्मि वहमाणस्स रायउत्तस्स का उण वेला वहिउँ पयत्ता। मवि य । मयतण्हा-वेलविए तण्डा-वस-कायरे घुरुहुरंते । वियरंति सांवय-गणे कत्थ विणीरं विमगते ॥ भोसरयइ डहणो विभ इंदाएँ दिसाएँ णोल्लिओ व्व रवी । ईसाएँ वारुणीऍ वि वइ दोण्हं पि मज्झम्मि ॥ एयारिसे य गिम्ह-मज्झण्ह-समए तम्मि महारण्णम्मि तण्हा-छुहा-किलंत-सरीरो गंतुं पयत्तो । जत्थ य चिरिचिरेंति चीरिओ, 30 1) Pपइस नवः, हुं हु ति वाहारन्ती निदाहदड्डा व वागराई, णिआह...वणसवई. 2) Pom. one किं, किं पुणइ, , मज्झण्णो, नीलयंठ, Pमंडल for मइंद, P जीहंदोलएसु. 3)P कहावे (for धाहावेइ) भीरीरूत्रेसु, P महतण्हाजलतरंगेसु. 4)" om. संठाइ विंशसिहरेसु, J मूलिज्जइ महारइसु. 5)P किं चि for किंव. 6) केसु उण, P गिम्हण्हं, P पाणिणो for जंतुणो, P om. अवि य, P जूहाई. 7) Pउच्चच्छली सारंगजूहइ, P सिरिङ्कुलेमु गामवियडकुलाई सरोवरेसु रणमहिस, J सरवरोवरेसु. 8) P कोसल उलई, P मोरचंद्रयं ति ( perhaps I too has ति)। 9) जगंमि, P को for जो. 10) P काले खरसुंदरीओ कयसिओ, P कण्णय for कप्पूर, Pगुंडियाउ, पल्लवुत्थुरणओ P पल्लवत्थुरणओ. 11) Pमलिय, P नमिय for णिमिय. 12) P पवणतु लिया, वियप for विइण्ण, P निडालियाओ, खेश्ययओ, P दश्यओ वणिज्जद विययम विरहाइलाय. 14)P केसुय for किंसुय, P बहुप्फलाओ. 15) Par for उयह. 16) F कंदप्फलाई, P जलं for महुं. 17) Pणेंत, भरईओ. 18) P विय for चिय. 19) Jहिरिमत्थएच जीवे, P सूरा. 20) P जमवडा, P धवलुत्तुगाई, J पयट्ठाविओ. 21) 'णोवसेवओ, P तरुयरच्छाइओ। किविण, P जइसययं तण्डाछेय. 22) P गितिन, खेइयपउत्थ, P after नईओ repeats किविणई जइसययं तण्हाछेय सहई न होंति गिरिनई पअओ, Pom. महापहुसरीरई eto. to गयवइयओ. 23) P कलुणवीररावेहि. 24) परिणीओ, P होंति सललिओ. 25) P लयाउ ति. 26) P वावारो. 27) Pom. य, P वट्टमाणराय', Pऊण for उण. 29) वसरकायरे फुरफुरेंते, P वयगते. 30) डहणो सिय इंदाय दिसाथ, P ईसा घारुणीए, ' ईसा (ए. added ater) वारुणी. 31) Pमज्झणसमए, P चिरिचिरेंत चीरियओ झरज्झारेंति ज्झरलीओ। धमधमेति. 15 Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [१९८1 सरसरेंति सरलिओ, धमधति पवणया, हलहलेति रुयरा, धगधगेति जलणया, करयरेंति सउणया, रणरणेति 1 रणया, सरसरेंति पत्तया, तडतडेंति वंसया, घुरुषुरेति वग्घया, भगभगेति भासुया, सगसगेति मोरय ति । अवि य।। 3 इय भीसण-विंझ-महावणम्मि भय-वजिओ तह वितोसो। वियरइ राय-सुओ च्चिय हिययं अण्णस्स फुया। तओ रायउत्तस्स अहियं तण्हा बाहिउँ पयत्ता । ण य कहिंचि जलासयं दीसइ । तओ चिंतियं रायउत्तेण । 'अच्छीसु णेय दीसह सूसइ हिययं जगेह मोहं च । आसंघइ मरणं चिय तण्हा तण्ह व पुरिसाणं ॥ 6 ता सव्वहा अच्छउ गतवं । इमम्मि महारपणम्मि जलं चिय विमग्गामि ।' इमं च चिंतेंतो उवगओ मयतण्हा-वेलविजमाण- 8 तरल-लोयण-कडक्ख-विक्खेवो के पि पएसंतरं। तत्थ य दिट्ठाई एकम्मि पएसे इमिणा वण-करिवर-जूह-पयाई । दट्टण य ताई चिंतियं णेण । 'अहो, इमं हस्थि-जूहं कत्थ वि सरवरे पाणिय पाऊण अरण्णे पविलृ ति । कई पुण जाणीयइ । सोयरिय-कर-सलिल-सीयरोल्लाइं भूमि-भागाई । अह होज मय-जलोलियई । तं च णो । जेण इहेव जाई मय-जलोलियई १ ताई भमिर-भमरउल-पक्खावली-पवण-पब्वायमाणाई लक्खिजति । अद्दद्द-कद्दमुप्पंक-चरणग्ग-लग्ग-णिक्खेव-कलंकियाई दीसंति इमाई । चंचल-करि-कलह-केली-खंडियाई धवल-मुणाल-सामलाई दीसंति । इमाई च ललिय-मुद्धड-करेणु-कर19 संवलिय-मुणालेंदीवर-सरस-तामरस-गब्भ-कमलिणी-कवल-खंडणा-खुडियई मयरंद-गंध-लुद्ध-मुद्धागयालि-हलबोल-रुणुरुणेतई 12 उज्झियई च दीसंति णीलुप्पल-दलद्धई । ता अस्थि जीवियासा, होहिइ जलं ति । कयरीए उण दिसाए इमं वण-करि-जूई समागयं ।' णिरूवियं जाव दिटुं। 'अरे इमाए दिसाए इमं घण-करि-जूह, जेणेस्थ पउर-सलिल-कद्दम-मुणाल-विच्छड्डो दीसइ'त्ति 16चिंतयंतो पयत्तो गंतुं । अंतरेण दिटुंणीलुब्वेल्लमाण-कोमल-सिणिद्ध-किसलयं वणाभोगं । तं च दट्टण लद्ध-जीवियासो सुटुयरं 15 गंतुं पयत्तो। कमेण य हंस-सारस-कुरर-कायल-बय-बलाय-कारंड-चक्कवायाण णिसुओ कोलाहल-रवो । तो 'अहो, महंतो सरवरो' ति चिंतयंतो गंतुं पयत्तो रायउत्तो। कमेण य दिटुं कमल-कुवलय-कल्हार-सयवत्त-सहस्सवत्तुप्पल18 मुणाल-कमलिणी-पत्त-संड-संछाइय-जलं वियरमाण-महामच्छ-पुच्छच्छडा-मिज्जमाण-तुंग-तरंग-संकुलं णाणा-वण्ण-पक्खि-संघ-18 मंडिय-तीरं माणस-सरवर-सरिसं महासरवरं ति । अवि य । वियसंत-कुवलयच्छं भमरावलि-भमिर-कसण-भुमइल्लं । सुद्ध-दिय-धार-हासं वयण व सरं वण-सिरीए ॥ आतच दट्टण ऊससियं पिव हियवएण, जीवियं पिव जीविएण, पञ्चागय पिव बुद्धीए, सव्वहा संपत्त-मणोरहो इव, संपत्त-सुविज्जोरी विव विजाहरो, सिद्ध-किरिया-वाओ विव परिंदो सहरिसो कुमारो उवगओ तं पएसं । तण्हा-सुक-कंठोटो ओयरिउं पयत्तो। तीरत्येण य चिंतियमणेण । 'अहो, एवं आउ-सत्थेसु मए पढियं जहा किर दूसह-तण्हा-छुहा-परिस्सम-संभमायासेसु ण तक्खणं पाणं या भोयणं वा कायव्वं ति । किं कारणं । एए सत्त वि धायवो वाउ-पित्त-सिंभादीया य दोसा तेहिं तण्हाइयाहिं ४ वेयणाहिं ताविय-सरीरस्स जंतुणो णिययट्टाणाई परिचय अण्णोण्णाणुवलिया विसम-हाणेसु वटुंति । इमेसु य एरिसेसु विसमत्थेसु दोसेसु खुभिएसु धाऊसु जइ पाणिणो आहारेंति मजति वा, तओ ते दोसा धायवो य तेसु तेसु चेय पर-ट्टाणेसु भिया होति । तत्थ संणिवाओ णाम महादोसो तक्खणं जायइ त्ति । तेण य सीस-वेयणाइया महावाहि-संघाया 1 उप्पजति । अण्णे तक्खणं चेय विवजंति । तम्हा ण मे जुज्जइ जाणमाणस्स तक्खणं मजिउं।' उवविट्ठो एकस्स तीरतमाल-तरुयरस्स हेटुओ, खणंतरं च सीयल-सरवर-कमल-मयरंद-पिंजरेण आसासिओ सिसिर-पवणेणं । तओ समुट्रिओ भवहण्णो य सरवरे अवगाहिउं पयत्तो । कद्द । अवि य। 30 णिय-थोर-कराहय-जल-वीइ-समुच्छलंत-सद्देण । पूरंतो दिसि-चकं मजइ मत्तो ब्व वण-हत्थी॥ 1) J जलणओ, P करयरंति. 2) P तडतडेति, P भगभंगेति, P रुसुया, J मोरयं P मोरिय. 3) विच्चरह. 4) Prepeats दीसइ. 5) P भूसइ for सूसइ. 6) आगंतव्वं for गंतब्वं, P विमग्गावि, P चितयंतो. 7) P om. तरल, P ट्ठियाई for दिट्ठाई, P वर for वण, P om. य. 8) P चिंतियमणेण, जाणीयति, P जाणियइ. 9)P ओयच्छिय, J सीलोरलाई भूमिभायाई, P जलोलियाई in both places. 10) Prepeats ताई, लक्खिज्जद, कच्चमु P कदमुप्पन्नचरणग्गलगं. 11) P कलकेली, ३ मुद्धकरेणू. 12) Pसंचालियनुणाल इंदीवर, I. खुडियमयरंद, खुहियाई, गंधलुद्धागयालि, P मुहागवालि, J रुणुरणेतरुणतरुणेताई. 13) Pom. उजिझयई च, P दलद्धताई,P हाहिक, P कारीए. 14) - om. णिरूवियं, Jom. इमं वणकरिजूद, पउम for पउर. 15) Jom. गंतुं, Pणीलुवेलमाण, वणाभोरं, सुटूतर. 16) J कुरलकायअपयबलाहय । कुरबयकार्यबदलाय, P कोलाहलवो. 17) P om. रायउत्तो, P सयवउसहरसरत्तुप्पल 18) 'भड for संड, सकुलं माणावन्नयपरक्खसंघ. 19) सरसरिसं. 20) J भमरालीभमिर कसिणभुमथिल. 21) दट्ठयण, Pom. पिव, P हियएण, P पद for पिव, पच्छागयं, P विव for' इव. 22) किरिआवातो, नरिंदसरिसो, उवगतं, ओयरिउं तुहत्येण य चितिणेण. 23) Pom. य, P संभमयासु,Jadds य before ण. 24) एते Pएए स सत्त, Pom. वि, धातवो वायुपित्तसेंभादिअमायदोसो तेहिं तण्हातिआदि. 25) परिचयह अन्नोन्नाणुष्वलिया, 'बलिअ विसम'. 26) धातुसु जति P धाउस जइ, P नजति for मजति, P om. वा, J ततो, दोसा वायवो, P om. one तेसु. 27) 'P परिहाणेसु, भिता, सन्निवातो, Pमहादोसा, वेतणादिआ. 28) अम्हा for तम्हा, Pinter. मे & जुज्जर, P जाणरस, - मज्जिऊर्ग, Pउवविढो, 29) Paddy पायवस्स before हेदुओ, हेट्ठाओ, Pत for च, सीयरकमलमयरिद. 30)" om. य before सरवरे. 31) अर्फ P चकं. Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ६२०० ] कुवलयमाला ११५ I १९९) तं च तद्दा मजिऊण कुमारेण पीर्य कमल-रथ-रंजना कार्य सरवर पाणिये, आसाइबाई च कोमल गुणालपाल-सलाई । राम्रो गय-तन्हा भरो उत्तिष्णो सरवरानो तभो तेसु य वीरतरुवर-वा- गुम्म-गुबिसु पएसेसु किंचि वण-पुण्फे फलं वा मग पयतो भ्रममाणेण य दिई एकम्मि तीर-तरुण-तरु लगाइरंतरम्मि मह दिग्वास पडिमं तं च दण गिबि पयतो कुमारो जान सहसा दिन लोह-बंधुणो भगवओो नरहओ मम्मि पडिमा मुतासेल- चिनिम्मविया । तं च गुण इरिस-वस- विवसमाण लोणेण भणि च न भवि य । । 1 1 6 'सब-जय-जीव-बंधन निबर्सिद गरिंद-अवियल सिद्धि-पुरि-पंथ- देसिय भगवं वेत्थ रणमि ॥ भणमाणेण वंदिओ भगवं । वंदिकण चिंतियं भणेण । 'अहो, अच्छरियं जं इमस्स दिव्वस्स जक्ख- रूवस्स मत्थए भगवओ पमिति । हवा किमेत्थ अच्छरियं कायव्वमिणं दिव्वाणं पि जं भगवंता अरहंता सिरेण धारिनंति । इमं पि अरति भगवंता जं दिव्वेहिं पि सीसेहिं धारिजति ।' चिंतयंतो पुणो वि अवइष्णो कुमारो सरवरम्मि । तत्थ मजिऊण गहियाई कमल- कुवलय कल्हाराई सरस-तामरस- फभाराई ताई प पेण गहियं णरिणी-द भरिजण सरो-जलस्स, पाणिमो । भगवं जिनवरिंदो आरोवियाई च कुसुमाई । तओ थुणिउमाढत्तो । अवि य । 12 'जब सोम्म सोम्मदंसण दंसण-परिसुद्ध मुद्ध जियसेस सेस-बिसेसिव तित्थय तित्थ-समोत्यरिव-जिय-होय ॥ जिय-सोय लोष लोयण जिव-णयग-विसहमाण-कंदोह कंदोड़-गम्भ-गोरव गोरोयण-पिंजरोरु जय ॥ गाह तुमं चिय सरणं तं चिय बंधू पिया य माया य । जेण तए सासय-पुरवरस्स मग्गो पद्दट्ठविभो ॥' 15 भावविमो भगवनो चलन चलति । ई २००) तरग्मि उदाइजो महंतो कलथलो सरवरोयरम्मि अनि य 1 उग-योर-गुरु-पर-व-पकलं सहसा आसा करियर-कुंभ व णवाण फभारं ॥ 1 उद्धुदाइय-वीई - हल्लिर-जल- णिवह-तुंग-भंगिलं । वट्टइ णहयल-हुत्तं खुहियं सहस च्चिय सरं तं ॥ 07-18 18 तं च तारिसं सरवरं वलिय-वलंत लोयणो राय-तणओ पलोइऊण चलिओ तत्तो हुत्तो । चिंतियं च णेण । अहो अच्छरियं, याणीयह किं सरवरस्स खोहो जाओ त्ति । इमं च चिंतयंतस्स सरवर- जल-तरंग - फलयाओ णिग्गयं धयण-कमलमेकं । तं च केरिसं । भवि य । 21 वियसंत-णयणवत्तं णासाउड-तुंग-कण्णिया कलियं । दिय-किरण- केसरालं मुद्द-कमलं उग्गयं सहसा ॥ ताणतरं 1 9 ू 12 15 24 तियं कुमारेण 'अहो कि णु इमं दवेज अविव । 1 कमलायरस्स लच्छी होज व किं किं व जक्खिणी एसा । किं वा णायकुमारी णजइ लच्छि व रण्णस्स ॥' इय तिस्सव से कुमारस्य विगार्थ सपर्क सरीरतीय व मग्गालमा दिग्ध-सरस- सरोरुहाणणा कुसुम समाह-पडलय-विया 87 कणय-भिंगार - वावड- दाहिण हत्था य खुज्जा समुग्गया सरवराओ । ताओ दट्ठण चिंतियं कुमारेण । 'अहो, णिस्संसयं दिव्वाओ 27 इमाओ ण उण जाणीव केण कारणेन इहागयामो' बिडियो कुमार-संमुदं तं पण चिंतियं ग 1 महो वलियानो इमामो वा कयाह मर्म बट्टण इत्य-भाव-मुड सज्झसेण अण्णत्तो पाविहिंति ता हमाए व दिव्य30 जक्ख-पडिमाए पिट्टो णिलुक देहो इमाण वावारं उइक्खामि ति णिलुको पडिमाए पट्टि भाए, पलोइउं च पयत्तो जाव 30 समागयाओ दिव्य परिमाए समीवं । दिट्ठो य भगवं दूरओ चिप सरस- सरोरुह माला-परियरिलो तं भणिये सीए 'लाला सुनिए, मन केणावि भगवं उसणाड़ो पहलो कमल-मालाहिं' सीए भणिये 'सामिणि, आमं' वि ' 21 1) रंजणे, पाणिआई, य for च. 2 ) P तन्हामारो, तरुअर, P लयाउगुंम 3 ) P भणमाणे य, P तरुणल्याहरंमि 4 ) Pom. कुमारो, adds सयल before वेलोक 5 ) P विणिम्मिया, P विसमाण 6 ) भव्व for सव्व, चलणा P चलण, P पथं, P भयवं पणमामि तुह चलणे ॥. 7) Pom. भगमादि भगवतिमं पेग विवियनणेण कुं for जं, P भगवंतो. 8 ) 3 अरहतो, Pom. इमं पि अरहंति ete. to धारिज्जंति. 9) Jom. पुणो वि, Pom. कुमारो. 10 ) P कल्हारयाई च सरसरसतामरस, P कमलिनी for णलिणी, P सरसं जरलस्स. 11 ) तओ for च. 12 ) P जय सोम सोमनंदन परिसुद्धविभुद्धमुद्धजयसेस बिसेसविसेमय 13 ) जलोपोलोवणवण, कंदोश, जुना ॥ J 14 ) Pजं for तं, P माया या ।. 15) पडओ for fणवडिओ, Pom. भगवओ, P जुयले सु. 16 ) P उट्ठाइओ, सरवरं मि. 17 ) Jhyo (?) द्वाइय P उट्ठाइय, P खुहियं सव्वं चिय. 18 ) J adds ति । अ before वलिय, Pom. वलिय, 3 अच्छरीअं ण याणीयति P अज्जरियं न याणइ. 19 ) P कमलं एक 20 ) Pom. अवि य. 21 ) P पत्तं for वत्तं. 23 ) 3 वट्टवक्कलं. 24 ) JP किण्ण for किं णु (emended ), P किं न महवेज्जा, Jom. अवि य. 25) किअ for किंव 26 ) P त्रितयंतस्य, P मगलग्गा, सर for सरस, पड(ह)य विहत्था 27 3 ते य for ताओ, P निस्संसियं, दिव्वाइओमाओ. 28) जाणीयंति केण, P चितियमणेण, 29 ) P मं for मम, P भावसलहेण, अण्णहो for अण्णत्तो, र इमे for इमाए, P दव्वजक्खं पडिमा पिट्ठिओ. 30 ) Jom. जक्ख, repeats पडिमाए, P उद्दिक्खामि, P पलोएडं 31 ) 3 adds ता तो before दिव्य, सर for सरस, P परिआरिओ. 32 ) P भगवं तियसनाहो, तीय. 24 . Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ उयणसूरिविरहया [8२०० 3 1 याणीय केण उण पूइओ भगवं' ति । तीए भणियं 'सयल तेलोक्क-वंदिय-वंदणिज्ज-चलण-कमलाणं पि भगवंताणं एवं भणीयइ 1 केण विपति किमेत्य वगाभो ण वियरंति जक्ला, ण परिसकति रक्सा, चिति भूया, ण परिभ्रमति पिसावा, 3ण गायंति किंगरा ण वसंत किंपुरिसा, न पार्वति महोरगा ण उपयंति बिनाहरा, जेण भगवओो विपूया पुच्छियद्दति भाणी वगया पडमाए सगासं । भणियं च तीए 'हला खुज्जिए, जहा एसा पय-पदुई तहा जाणामिण केणइ देवेण अचिओ भगवं, किंतु माणुसेण । खुज्जाए भणियं 'सामिणि, परिसक्कंति एत्थ वणे बहवे सबरा पुलिंदा य' । तीए भणिय 6' मा एवं भण। पेच्छ पेच्छ, इमं पि सहिण-वालुया- पुलिणोयर- णिहित्त-चलण-पडिबिंबं सुणिरूविय-प्पमाणं पमाण-घडियं 6 गुट्टयं अंगुट्टाणुरूव-रुहिरंगुली अंगुली बद-पमान-पडियेि सहा जाणिमो कस्स वि महापुरिसस्स इमं चालण-पडिर्थिवं । क्षत्रिय । वर-पम-सं-सोत्थिय-च-छ-तोर जह दीसह पडिवि तह णून इमो महापुरियो ।' २०१ ) इमे च भणमाणी संपता भगवनो सवासं, नमोकारो भगवंतीए 'जाग' ति भणमाणीए सविनवणीओ कम-कमारो भगवओो सिरानो पहाविओो भगवं विवपूर्ण काय भिंगार-गंधोय पुगरिया 12 पूषा कोमल बिउल-दल-कम-कमल-मरंदणीसंद-बिंदु-संदोह पसरत-लुद्द मुदागवालि-माला वलय- हलबोल- परमाण- दिसि- 12 यहिंद जल-लय-कुसुमेहिं काण निम्भर -भक्ति-भरोगय वयण-कमला थुणिउमादता । अवि य 'जय ससुरासुर - किंणर-र-णारी संघ-संधुया भगवं । जय पढम- धम्म- देसिय सिय- झाणुपण्ण-णाणवरा ॥ जय पदम पुरिस पुरिसिंद-विंद-गादिदिणा जय मंदरगिरि-गश्वायर-गुरु-तव-चरण-दिष्ण-विष्णाणा ॥ याद तुम चिपसरणं तं नाही बंधनो बितं चैव दंसण- णाण समग्गो सिव-मग्गो देसिलो जेण ॥' एवं च थोऊण णिवडिया चलणेसु । समुट्ठिया य गाइउं समादत्ता इमं दुवई - खंडलयं । अवि य । 18 सुरपति मुकुट-कोटि-तट-विघटित - कोमल-पल्लवारुणं सललित- युवति-नमित सुरपादप-निपतित- कुसुम- रञ्जितम् । 1 अभिनव विकसमान जलजामल-दल-लावण्य-मण्डितं प्रथम-जिन चरण-युगलमिदं नमत गुरुतर- भव-भय- हरम् ॥ इमे च लय-ताल-सर-पसणी गुच्छणा-मगहरं गिजमार्ग णिसामिकण गेव-अक्लित्त-माणसस्स पहुई अचार्य कुमारस्स । 21 तो रहसेण भणियं 'अहो गी बहो गीवं भण भण, किं दिश' चि भागमाणो पचडीभूओ तो तं च तारिखं 21 असंभावणीयं मणुय- जम्म- रूय-सोहा-संपयं दट्ठण ससंभ्रमं अब्भुट्टिभो कुमारो जक्ख-कण्णगाए । कुमारेण वि साहम्मियवच्छलत्तणं भावयं तेण पढमं चिय वंदिया । तीय वि ससज्झस-लज्जा भओकंप-वेवमाण थणहराए सविणयं भणियं 'सागयं 1 9 15 24 साहम्मियस्स, एहि, इमं पवत्थुरणं पवित्तीकरेसु अत्तयो सरीर-फंसे ति कुमारो वि सायरं जिसगो पञ्चवत्थुरणे | 24 तओ तीए य तम्मि कालंतरम्मि को उण वियप्प-विसेसो हियए वहुए । भवि य । किं मयणो थिय रूपी किं या होजा शु कप्पवासि-मुरो विवाह व एसो गंधवो चवही या ॥ 30 27 इमं च चिंतयंतीए भणिओ कुमारो। देव, ण-याणामि भहं, मा कुप्पसु मह इय भणतीए 'को सि तुमं, कत्थ व पत्थिभो 27 सि. कदाओ आगओ सि' तो सि-वियलिय-दसणप्पभा विभिनमाणाहरं संल कुमारेण । अविव । 1 , 'सुंदरि अहं मस्सो कधी दलगाव चलियो । आलो न्दि बनाओ एस फुढो मन् परमत्यो || एम्म महारणे कत्थ तुमं कत्थ वा इमो जक्खो । केणं व कारणेणं इमस्स सीसम्मि जिण पडिमा ॥ महिम कुलं । ता सुचणु साह सवं एत्तियमेतं महं कुणसु ॥' इमे च कुमारेण भणियं णिसामिकण ईसि विहसिकण भणियं इमीए । जद सुंदर अस्थि कुलं पिता सुणसु सुंदरं भणियं । रणम्मि जिणस्स जहा जक्तस्स] य होइ उप्पत्ती ॥ 83 15 18 30 2 ) Pom. केण वि, P परिब्भमंति 3 ) P महोरया, P पुच्छियइ. 5) Jom. वणे, P बद्धहवे for बहवे, तीय, P भणह. 6) JP निहनिष्यमाण पनि गुट्टागुरूवरवं रेगुती अंगुलिये अंगुलीमा 1 ) P केणइ for केण उण, तीय, Pom. पि. 4) माणीओ उवगयाओ, Pom. पडिमाए, P पद्धती. मि for पि (emended) गवाया पुगिलोयर, 7)पिणिद्ध for बद्ध. 9 ) P पउमचक्कसत्थिय, तोरणा क्खिले ( ? ) 10 ) सगासं, माणीय सविणयं अवणीयओ. 11) P सिहराओ हाणिओ 12 ) P कोमलदलवियलदल, P कोमल for कमल, J संदोहं. 13 ) Jom. दिव्वेहिं. 14 ) P धम्मदेसयं, P नियज्झाणु 15 ) परिसिंदचलणा इंदवंदियचलना, गुरुयारिगुरुयतव, गरुआयरअतव चरणदिण्णाण 16 ) Pom. वि, P तुमं for तं, P विसुद्धो for समग्गो 17 ) Pom. च, P ओ for य, P गाइओ पत्ता इमं, 3 adds च after इमं, P अक्खित्तियं for दुबईखंडलयं. 18) मकुट, P सुरपति for सललित, जुवति, उ पादपरेणुरजोप रंजितं. 19 ) P जलजामलरेणुरजोघरंजितं प्रथम, लायण्ण for लावण्य, Padds कमल after चरण, Pom. गुरुतर, JP -हरे. 20 ) P व तणामणहरगिज्ज, P गेयक्खित्त. 21 ) P रहासेण, Jom. first गीयँ, P दीयउ त्ति, पायडीहूओ. 22 ) J adds तीए before जक्ख, P कन्नागाए. 23 ) 3 महउकंप P तओकंप, P सावयं for सागयं. 24 ) J पल्लववत्थरणं, P पल्लवुत्थुरणं, P पत्थरणो. 25 J तीअ य P तीय तंमि, P उय for उण 26 ) P किं बीहोज्जा 27 ) चिंतयंतीय, P मज्झ for मह, इमं for इय उव for सि ( after को ) 28 ) Pसि कत्तो हुयाओ सि, P भाविजमाणाहरं. 29 ) 3 आउम्मि 30 ) P केणे for केणं. 31 कुतूहलं, P परिप्फुरह for चुलुचुलेइ. 32 ) P भणियमिमीए 33 ) कुतूहलं मिता सुअणु सुंदर. 33 . Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -$२०२] कुवलयमाला 1 ६२०२) अत्थि इमम्मि चेय पुहइ-मंडले कणयमय-तुंग-तोरणालंकिया पिहुल-गोउर-पायार-सिहर-रेहिरा मायंदी 1 णाम णयरि त्ति । जहिं च तुंगई कुलउत्तय-कुलई देवउलइंव, विमलई सुपुरिस-चरियई धवलहरई व, सिणेह-णिरंतरओ 3वीहिओ सज्जण-पीइओ व, गंभीर-सहावओ परिहओ धरिणिओव, रयण-रेहिरओ पायार-गोउर-भित्तिओ विलासिणिओ व 3 त्ति । अवि य। वियरंत-कामिणीयण-णेउर-कल-राव-बहिरिय-दियंता । देवाण वि रमणिज्जा मायंदी णाम णयरि त्ति ॥ 6ता कुमार, तीय य महाणयरीए अणेय-णरवइ-सय-सहस्सुच्छलंत-हलहलारावाए अत्थि जण्णयत्तो णाम सोत्तिय-बभणो। 6 सो य केरिसो। अवि य। कसिणो दुब्बल-देहो खर-फरुसो रुक्ख-पंडर-सरीरो। दीसंत-धमणि-जालो जम्म-दरिदो तहिं वसइ ॥ 9 तस्स य बंभणी धम्म-घरिणी । सा उण केरिसा । अवि य । पोट्टम्मि थणा जीए पोट्टम्मि ऊरु-अब्भासं । एक णित्थाम चिय बीयं पुण फुल्लिय णयण ॥ तीय य सावित्ती-णामाए बंभणीए तेण जण्ण-सामिणा जायाई तेरस डिभरूवाई । ताणं च मज्झे पच्छिमस्स जण्णसोमो 12त्ति णाम । तस्स जाय-मेत्तस्स चेव समागया अहमा वीसिया । तत्थ य काल-जुत्तो संवच्छरो । तेण य बारस-वासाई 12 अणावुट्टी कया। तीय य अणावुट्टीए ण जायंति ओसहीओ, ण फलेंति पायवा, ण णिप्फज्जए सस्सं, ण परोहंति तणाई। केवलं पुण वासारत्ते वि धमधमायए पवणो, णिवडंति पंसु-वुट्ठीओ, कंपए मेइणी, गजति धरणिधरा, सुव्वंति णिग्घाया, 16 णिवडंति उक्काओ, पलिप्पंति दिसाओ, बारह-दिवायर-कक्कसो णिवडइ मुम्मुरंगार-सरिसो गिम्हो ति । एवं च उप्पाएसु 15 पसरमाणेसु किं जायं । अवि य । उव्वसिय-गाम-ठाण ठाण मुह-करयरेंत-विसर-मुहं । विसर-मुह-बद्ध-मंडलि-मंडलि-हुंकार-भय-जणयं ॥ 18 एरिसं च तं पुहइ-मंडलं जायं । अह णयरीओ उण केरिसा जाया । खर-पवणुद्धय-ताडिय-धवल-धया-खंड-वंस-बाहाहिं । उद्धीकयाहिँ घोसइ अद्धं भलं व दीहाहिं ॥ तओ एवं अणुप्पजमाणासु ओसहीसु खीयमाणासु पुव्व-गहियासु अपूरमाणेसु उयरेसु किं जाय । अवि य । ण कीरति 21 देवच्चणई, वियलंति अतिहि-सकारई, विसंवयंति बंभण-पूयाओ, विहर्डति गुरुयण-संमाणई, परिवडंति पणइयण-दाणई, वियलंति लजियव्वयइं, पमाइजति पोरुसियई, अवमण्णिजंति दक्खिण्णई ति । अवि य । . वोलीण-लोय-मग्गा अगणिय-लज्जा पण?-गुरु-वयणा । तरुणि ब्व राय-रत्ता जाया कालेण मायंदी ॥ 24 उज्झिय-अवसेस-कहा अणुदियह भत्त-मेत्त-वावारा । जीऍ णरा महिला वि य पमोय-रहिया सुदीणा य॥ किं होज मसाणमिणं किं वा पेयाण होज्ज आवासो। किं जम-पुरि त्ति लोए किं जं तं सुव्वए णरयं ।। एवं च हा-हा-रवीभूए सयल-जणवए पोट्ट-विवर-पूरणा-कायरे खयं गएसु महंत-महापुरिस-कुलउत्तय-वणिय-सेट्ठी-कुलेसु सो 27 बंभणो जण्णसामीओ भूरु-भुवस्स-मेत्त-वज्झो जाओ जायणा-मेत्त-वावारो भिक्खा-वित्ती, तं च अलहमाणो खयं गओ सकु-श डंबो । केवलं जो सो बभणो सोमो सव्व-कणिटो पुत्तो सो कहं कह पि आउ-सेसत्तणेण अकय-बंभणकारो अबद्ध-मुंज-मेहलो छुहा-भरुच्छण्ण-सयल-बंधु-वग्गो कहिंचि विवणि-मग्ग-णिवडिय-धण्ण-कणेहिं कहिंचि बलि-भोयण-दिण्ण-पिंडी-पयाणेहिं 30 कहिंचि बालो त्ति अणुकंपाविएण कहिंचि बंभण-डिभो त्ति ण ताडिओ कहिंचि उचिट्ठ-मल्लय-संलिहणेणं कह कह पितं 30 तारिसं महा-दुक्काल-कंतारं अइक्कतो। ताव य गह-गईए णिवडिय जलं, जायाओ ओसहीओ, पमुइओ जणो, पयत्ताई 4 1) तोरणाणंकिया पिउहुल. 2) Pउत्तई कुलयं, JP च for a in both places, P निरंतरुओ. 3) P पीईओ इव, P परिहाओ घरिणीओ, P भित्तीओ विलासिणीओ, Pom. व. 4) Pom. अवि य. 5) P कलवरा. 6) P जयण्णयत्तो. 7) Pom. अवि य. 8) P फरससो. 10) J विदिs for बीयं, P पुल्लियं for फुलियं. 11) Pom. य,P सावित्ती; (3) ओरस for तेरस. 12) P adds य before जाय, चेअ, अह्ववीसिया. 13) F निप्पजए, Jण य रोइंति. 14) J धमधमायाए P धमधमायइ, P वैसु for पंसु. 15) पलिप्पति रसाओ, I adds य atter ककसो, गणितडए for णिवडइ 17) P उप्पुसियगामट्ठाणं ठाणं, P करयरंत, P विरस (for विसर) in both places, मण्डलहुंकार. 18) P नयरं उण. 19) P पवणुट्टयतोडिय, धयखण्ड, P धुयारखंड, P उट्ठीकयाहिं, J उद्धीकयाविघोसइ, ' अच्चम्हण्णं व अद्धं भलं व दीहाई. 20) J उवरसु P उयरेहि. 21) Pतिहिं for अतिहि, J बंभणथूअओ, P गुरुयसम्माणई. 22) Jफरुसिअई P पोरुसई. 23) " अवणियलज्जा, P रायउत्ती, P मायंदा. 24) Pनीसेस for अवसेस, P वावारो, जीभ, I या 1. 25) मसाणमिमं, पुरिस for पुरि. 26) Pom. च, P सयले, P विवरपूरणा कायरेसु खयंगएसु, I सेट्ठिउलेसु. 27) P जन्नदत्तो भूरु, ३ भूरुभुअस्स, P om. मेत्तवज्झो जाओ। जायणा, P भिक्खवित्ती, P सुकुटुंबो. 28) J बंभसोमो, बंभणो सकारो. 29) Pom. हिंचि विवणि etc. to कणेहिं. 30) P बंबणो ति न ताडिन ताडिओ, J उच्चिट्ठामलसंलेहणेणं, P कहं कहिं पि, र om. तं. 31) P दुक्खाल, P गहवईए, P पयआई for पयत्ताई. Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ उज्जोयणसूरिविरद्दया [8२०२ 1 ऊसवाई, परिहरियाई लज्जणाई, उप्फुसियाई च विदाई | इमम्मि य एरिसे काले सो बंभणो सोम- बहुभो थोवूण- 1 सोलस वरिसो जाओ । अनि य । 1 3 सोइ यच-परए उस उचिट्ट मलय-पिहाए । लोएण उपहसिनइ किर एसो बंभणो नासि ॥ सिजेस्स व दिवमाणस्स सिरिजमाणस्स जोन्वण-वास-माणस्स एरिस पिये विषयो जाओ। अवि य । अहो, २०३) तो एवं 6 arat काम जसो य लोयम्मि होंति पुरिसत्था । चत्तारि तिष्णि दोण्णि व एक्को वा कस्सइ जणस्स ॥ वा वाणात्र धम्मो दूरेण चैष मज्जा वोलीणो । अगणिय-कलाको गम्मागम्मष्फलो जेण ॥ अत्यो वि दुरो चिप णत्थि महं सुणय-सउण-सरिसस्स प्यूरोवर-भरनेक-कायरो जेण तहियहं ॥ 1 कामो दूरओ चित्र परिहरद्द व मह ण एत्थ संदेहो संय-ज-जिंदल मंगुलो व विट्टो व भीसणो ॥ यह चिंतेम जसो मे तत्थ विजय पेलिए अयसेण गिय-जोणी करडयाने पिच णिम्मिनो मह्यं ॥ ता हो विरामी इमिणा जीएण दुख-पढरेण जण निवह-निंदणा-सहुइएण एवं असारेण ॥ 12 ता किं परिययामि जीवियं अहवा ण जुचे इमे ण व काळण तीरइ दु सु एवं ता इमे पुण पत्त-काल अविव । 1 21 बहुसो मय हा पाणिण वेवारिये महिस-जुई उप्पल-गुणाल-रहिए सरम्मि पनि पाणियं पियइ ॥ जन्य पहिचान सत्योपासन्धो दुसह गिम्द-मज्झ सयल-जण-कामगिया कलस-पण्णाभोव दिग्ण-सोही पण माण-विष्यमुक्का मुणिय-परा जगम्मि जे पुरिसा ताण सर विएसो वर्ण व लोए ण संदेहो ॥ संपत्तो ता सव्वा विसो मम सरणं तिचं तिक्खणं चेय मायंदी-पुरवरीए चडिलोय दक्तिण-पि 10 दिसाभो । तभो कमेण य अणवरय-पवाणएहिं कुछ-मे-संबलो अकिंचनो भिक्खा-चित्ती महा-गुणिवरो विय चचमाणो 18 सहर-परंत-पट्टि महाविंशादहं जा उण कसिवा उद्दाम-रच-पीय लोहिय-मुह महालास संकुल, वाणरकार-राव-विभमाण-भीसणा, देवेहिं जलंघिय पायया बहु-मय-सय-खजमाण-मयव-आग साहाकिया, सप्यायार18 सिहरा काउरि जसिया जीए अजेयइ भीसणई सावय-कुलई जाह नाम विन जति सम्मि व महावय 18 मम्मि सो भो जसोमो एमाई गंतुं पयतो तस्मि व पचमाणस्स को उण कालो बडिं पयतो अविव । धम-धम- धर्मेत-पवणो सल- हल-हीरंत सुक्क- पत्तालो । धग धग धगेत-जलणो सिलि सिलि-णव- पल्लवुब्मेमो ॥ 1 30 3 12 1 अवरण्डे वि ण मुंह तोय-पया-भंडवं सिसिरं ॥ दहूण पर्व पहिया दद्दयं पिवणिवा होति ॥ 1 1 24 तभो तम्मि तारिसे सयल-जय-जंतु संताव-कारए गिम्ह-मज्झन्ह- समए सो बभसोमो तम्मि भीमे वर्णतराले वट्टमाणो 24 खुदा-खाम वयोव पण्टु मग्गो दिसा-विमूढो सिंप-वग्ध-भय- पेजिरो तहार बाहिरं पयतो सनो चितिवं तेण । 'अहो महंती मह तन्हा ता कर उन पाणियं पावेष' ति चिंतयेतो मग पयतो जान दिट्टो एम्म पसे बहुल-पत्तल27 सिमित वणाभोज चलिनो य दिसं जाव सुनो इंस-सारस-चढवायाणं महंतो कोलाहल सोठण उस-27 सि पिच हियपूर्ण जीविये पित्र जीविए अहिय-जाय-दरिसो तो संपतो तं पएस दिई च तेन सरवरं तं च केरिसं अवि य । वियसंत- कुवलउप्पल-परिमल - संमिलिय- भमिर भमरउलं । भमरउल-बहल-हलबोल - वाउलिज्जत-सयवत्तं ॥ सयवत्त- पत्त- णिक्खित्त-पुंजइज्जत-कंत-मयरंदं । मयरंद-चंद - णीसंद-मिलिय-महु-बिंदु- बोंगिलं ॥ 1 § २०४) तओ कुमार, सो बंभ सोमो ता एरिसं दट्ठूण महासरवरं पत्तं जं पावियन्वं ति ओइण्णो मज्जिभो 33 जहिच्छं, पीयं पाणियं, आसाइयाई मुणाल-खंडाई । उत्तिणो सरं । उववणम्मि छुहा-भर- किलंतो य मग्गिउं पयतो 33 21 1 ) P उप्पुसियाई व चेयणाई, Pom. य, बंभसोम, Pom. थोवूण. 3) P वचहरए. 4 ) P जणेणं निवदिनमागरस जीवनोन्दणवस्नागरस. 5)" 5 ) Pom. अहो. 6 ) P मोक्खो for जसो, P य for व. 7) P फलो. 8 ) P नहि for णत्थि 9 ) परिहरइ त्ति णत्थि संदेहो, P मर for मह, वि for य. 10) विजस for वि जय, P करकटयथाणु. 11) हे for हो, जीवेण. 12 ) Jom य, P पुत्तकालं, 13 ) धणिय for मुणिय. 14 ) क्खिओ. 15) दिसाभागं, P अणन्वरयपयाणेहिं, कुच्छी.. 16 adds अवि य before उद्दाम 17 ) for उकार 'बुक्कार, P वियज्झामाणभासणा, पयावा for पायवा, P आउल एंगमाला, P सपायार. 18) J लंकाउरिजइसिय जीअ य अणेय भीसणई, P सावणयं जाह, P महाडइमज्झमि 19 ) J सो वम्हसोमो, P एक्काकी. 20) Pom. one धम, P सिलेंतनव. 21 ) १ नय for णवि. 22 ) पासंतो for पासत्थो, घोअ for तोय. 24 ) कारये, वट्टमाणे P वट्टमाणा 26 ) P महा तण्हा, P om. ति P पत्तसिद्धिो- 27 तं दिसं, P इंसं, Pom. ऊससियं to जीविविएणं. 28) Jo. अहियजायहरिसो, Pom. तओ, P पत्तो for संपत्तो. 29 ) Padds, after अवि य, वसंत कुबल परिमलसंदिट्ठे च तेण सरवरं । तं च केरिसं । अवि य and then again वियसंत etc. 30 J कुवलयुप्पल, P सयपतं. (31) बहु for महु, P बोगिलं. 32 ) P - सोमो तारिसं, P मज्जिदं. 33 ) P पीयपाणियं, सर्गि आसाइअ तडवडम्मि for 30 . Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयाला 1 फलाई । परिब्भनलेण कथइ अंधे कत्थइ अबाडए थइ णारंगे कत्थइ फणसे कत्थइ पिंडीरए त्ति पाविए । तेहि य कय- । दुप्पूरोयर-भरणो विहरि पयत्तो तम्मि तड-काणगम्मि । तत्थ य रायउत्त, परिन्भममागेण दिटुं एकम्मि पएसे चंदण3 वंदण-लया-एला-लवंग-लयाहरयं । तं च दट्टण उप्पण्ण-कोउओ तहिं चेय पविट्ठो जाव तत्थ तिण मुत्ता-सेल- ३ विणिम्मिया भगवओ सुरासुरिंद-कय-रायाभिसेयरस पढम-जिणवरस्स पडिमा। तं च दट्टण तर खा-भवियव्वयाए भगवओ य सोम्म-दसण-प्पभावेण णिय-कम्माण खओवसमेणं सम्मि चेय जिण-बिंबे बहुमाणो जाओ।चिंतियं च णेण 6 'अहो, दिदै मए मायंदीए एरिसं इमं किंपि देवयं ति । ता जुत्तं इमस्स भगवओ पणाम कार्ड जे, तानामि । धम्मो किर 8 हवइ । चिंतिऊण भणियमिमिणा । अवि य। 'भगवं जे तुह णाम चरियं व गुणा कुलं व सीलं वा । एयंज-याणिमो चिय कह णु थुइं तुज्म काहामो ॥ 9 ता तुह दसण-तुटो णमामि एमेय भत्ति-भर-जुत्तो। तं किं पिहोउ मज्झं जे तुह चलणञ्चणे होइ॥' चिंतयंतो शिवडिओ भगवो पाएसु । पाय-पडणुट्टिएण चिंतिय ण । 'अहो, रम्मो वणाभोओ, मणहरो सरवरो, रेहिरं लयाहरय, फलिया पायवा, सोमो य एस देवो ति । ता मए वि दूसह-दारिदावमाणणा-कलंक-दूसियप्पणा विएसं गंतूण 12 पुणो वि पर-पेसणं कायव्वं । का अण्णा गई अम्हारिसागं अकय-पृथ्व-तवाणं ति । अवि य। ___दूरगओ वि ण मुच्चइ एत्तिय पुरिसो सपुच्च-कम्माग । जइ रोहगम्मि वच्चइ दारिदं भग्ग-रहियस्स ॥ ता सव्वहा णत्थि पुव-विहियस्स णासो त्ति । ता वरं इह चेय विमल-गंभीर-धीर-जले सजग-हियए ब्व मज्जमाणो इमाई 15 च जल-थलय-दिव्च-कुवलय-कल्हार-कुसुमाइं घेत्तणं इमं किं पि देवयं अच्चयंतो कय-कुसुम-फलाहारो, सारंग-विहंग-कय-15 संगो, अणिवारिय-बण-प्पयारो, अकारण-कुवियाई खलयण-मुह-दसणाई परिहरंतो, सुह-सुहेण वण-तावसो विव किं ण चिट्ठामि' ति चिंतयंतस्स इमं चेय हियए पइट्टियं । तत्तो अच्छिउँ एयत्नो । कय-हाण-कम्म-वावारो भगवओ उसभसामिस्स 18 कय-कुसुमच्चणो इमं च णं पढमाणो त्ति । अवि य । 18 भगवं ण-याणिमो च्चिय तुम्ह गुणा जेण संथयं करिमो । तं किं पि होउ मज्झं जं तुह-चलणचणे होइ॥ भणमाणो कय-कुसुम-फलाहारो अच्छिउँ पयत्तो। एवं च अच्छमाण स्स वच्चए कालो । कालंतरेण य बहु-पुप्फ-फल-कयाहार21 किरियस्स पोह-सूल-रूबी उवट्टिओ सम्व-जग-जंतु-साहारणो मच्च । अवि य । जइ पइसइ पायालं अडई व गिरिं तरुं समुहं वा। तह वि ण चुक्कइ लोओ दरिय-महामच्च-केसरिणो॥ तओ कुमार, सो वराओ तत्थ ताए पोट्ट-सूल-वियणाए धणियं बाहिउँ पयत्तो। तओ तेण णायं णत्थि मे जीवियास ति 24 मण्णमाणो णिवण्णो भगवओ पुरओ । तत्थ तओ गुरू-वियणायल्लो णीसहो भगवओ उसम-सामिस्स मुह-पंकयं णियच्छतो 24 भणिउं पयत्तो । अवि य। भगवं ण-याणिमो च्चिय तुज्झ गुगे पाव-पसर-मूढप्पा । जे होइ तुज्झ पणयाण होउ भज्झं पि तं चेय ॥ 27 ति भणमाणो भगवो पायवडिओ चेय णियय-जीविएण परिञ्चत्तो। ६२०५) तभो कुमार, तत्तो य सो मरिऊण कत्थ गओ । अवि य । अस्थि रयणप्पभाए पुढवीए पढमे जोयणसहस्से वंतराणं भवणो, तत्थ य अट्ठ णिगाया होति । तं जहा । जक्खा रक्खसा भूया पिसाया किंणरा किंपुरिसा महोरगा 30 गंधव त्ति । तत्थ पढमिल्लए णिगाए जक्खाणं मज्झे महिडिओ जक्य-राया समुप्पण्णो । तस्स य रयणसेहरो णाम । तत्य 30 समुप्पण्णेण णियच्छियं तेण । 'अहो, महंतो रिद्धि-समुदओ मए पाविओ। ता केण उण तवेण वा दाणेण वा सीलेण वा एस मए पाविओ'त्ति चिंतयंतस्स झत्ति ओहि-वर-णाणं पसरियं । तेण य णागेण णिरूवियं जाव पेच्छह तम्मि वणाभोए 83 सरवरस्स तीरम्मि लयाहरए भगवओ उसभ-सामिस्स पुरओ णिय-देहं उज्झिय-जीवियं ति । तं च दट्टण चिंतियं । 38 91 1) Jon. अंवे कथइ, P अंबोडर, कत्थवि णारंगे, P पावाए. 2) Pom. तङ, चंदबंदण. 3) Pom. बंदण, Pom. लया, P om. च, १ को मो for कोडओ, P संमि for तहिं, P transposes तत्थ after तेण, P दिट्ठो. 4) पडिमं ति. 5) सोमदसणतणेण, Jखयोव, Padds च असुहकम्माणं before तम्मि, वितियं तेण. 6) Jएम for इम, J काउं । दे (for ने), P किर भवइ. 7) I भणियं इमिणा. 10) Pom. गिवडिओ, पायवडणु, वणो भोओ. 11) P पयावा for पायवा, दारिदवमा, " दूसियप्पण. 12) Pom. dि after पुणो, P repeats काथव्वं, J कायण्णा. 13) मुच्च पत्तिग, P कंमोहं । P भाग for भग्ग. 14)ताव पर for ता वरं,J इह चे. विमलं, Pइमाणंच. 15) P repeats विहंग, P विहं: कायसंगो अणवारिय. 16) J om. वण-, J विभ किं. 17) J ओ for तत्तो, P ओसहसामिस्स. 18) I looks like इमण्च, P om. इमं च णं पढमागो ति. 19) Jतुज्झ ior तुम्ह, Pe for तं, P होउ ॥. 20) P कालंतरेयण, J फलाहारकिरियस्त, कयाहारो. 21) जय for जग. 22) P गिरितरूं.24) Pom. णिवण्णो, भवओ for भगवओ, P तत्थ for तओ, P वियणाइलो. 26) J गुणा- 27) F नियजीविएण परिचत्तो. 29) सप for सहरसे, P अट्ठ निकाया, Pकिन्नपुरिसा. 30) Pनिकाए, Jadds य after तत्थ. 31) P adds यbefore णियच्छिय, J समुदयो, I om. ता. 32) P ज्झति,J adds tण before जाव. 33)Pउसहय, Pपुरो उज्झियदेहं निययजीवियं Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [६२०५1'अहो हमस्स भगवओ पभावेण मए एयं पावियं' ति । णमो भगवओ उसम-सामि-जिणवरस्स महह-महप्पभावस्स' त्ति । भणमाणो वेएणं संपत्तो इमं पएसं । दिट्ठो य भगवं उसभणाहो, दट्टण य भत्ति-भरोणमिउत्तिमंग-मउड-रयण-किरण-संवयंत3 तार-मुत्ताहारो थोउं पयत्तो । भवि य । जय सयल-सुरासुर-सिद्ध-कामिणी-विणय-पणय-चलण-जुय । जय भुयइंद-विलासिणि-सिर-मणि-किरणग्ग-चुबियञ्चलणा ॥ जय चंदिंद-मंसिय जय रूंद-भवोह-तारण-समत्थ । जय भुवण-सोक्ख-कारण जय कम्म-कलंक-परिहीणा ॥ 6 भगवं तं चिय णाहो तं सरणं बंधवो तुम चेय । भव-संसार-समुद्दे जिण-तित्थं देसियं जेणं ॥ ति भगमाणो णिवडिओ भगवओ चलणेसु । पणाम-पञ्चुट्टिएण भणियं च ण । 'भगवं, णाम पि ण-याणतो गवरं तुह भत्ति-मित्त-संतुट्ठो। तेणं चिय णाह अहं एसो जक्खाहिवो जाओ। 9 जे उण जाणति तुहं णाम गुण-कित्तणं च चरियं च । तुह वयण-वित्थरत्थे सत्थे य अणेय-माहप्पे ॥ ते णर-सुर-वर-भोए भोत्तूर्ण सयल-कम्म-परिहीणा । सासय-सिव-सुह-मूलं सिद्धिमविग्घेण पार्वति ॥' भणमाणो णिवडिओ पुणो चलणेसु । भणिओ य तेण णियय-परियणो । 'अहो देवाणुप्पिया, पेच्छह भगवओ णमोकार-फलं । 12 अविय। 12 सयल-पुरिसत्थ-हीणो रंको जण-गिदिओ वि होऊण । एयस्स चलण-लग्गो अहयं एयारिसो जाओ ।' महो भगवं महप्पभावो, ता जुत्तं णिच्च भगवंतं सीसेण धारि । जेण एकं ताव सुरिंदाणं पि पुज्जो, बिइयं अलजणिजो, 16 तइयं महाउवयारी, चउत्थं भत्ति-भर-सरिसं, पंचमं सिद्धि-सुह-कारणं ति काऊण सव्वहा विउब्विया अत्तणो महेता मुत्ता- 15 सेल-मई पडिमा । सा य एसा। इमीय य उवरि णिवेसिओ एस मउलीए भगवं जिणयंदो त्ति । तप्पभिई चेय सयल, जक्ख-लोएण रयणसेहरो त्ति अवत्थिय जिणसेहरो से णाम पइट्टियं । तओ कुमार, तं च काऊण महती पूर्य णिम्वत्तिऊण 18 वंदिऊण थोऊण णमंसिऊण य भणियं णेण 'कणयप्पभे कणयप्पभे' त्ति । मए वि ससंभमं करयल-कयंजलिउडाए भणियं 18 'झाइससु' त्ति । तओ तेण अहं भाइट्ठा जहा 'तए अणुदिणं इहागतूण भगवं दिव्व-कुसुमेहिं अच्चणीओ त्ति । मए पुण अट्ठमी-चउद्दसीए सव्व-परियण-परियरिएण इहागंतव्वं भगवओ पूया-णिमित्तं ति भणिऊण उवगओ अत्तणो पुरवरम्मि। तओ कुमार ज तए पुच्छियं 'को एसो जक्खो, किं वा इमस्स मउडे पडिमा, का वा तुम' ति । तं एस सो जक्खराया- 1 इमा य सा पडिमा, तस्स य अहं किंकरी दियहे दियहे मए एत्थ आगंतवं ति । एवं भणिए भणिय कुमारेण । 'अहो महतं अच्छरिय, महप्पभावो भगवं, भत्ति-णिब्भरो जक्ख-राया, विणीया तुम, रम्मो पएसो। सब्वहा पज्जत्तं मह लोयणाणं 24 कण्णाण य फलं इमं एरिसं वुत्ततं दहण सोऊण यत्ति भणिए भणियं कणयप्पभाए 'कुमार, जाणामि ण तुह केणावि किंचि 24 कज, तहा वि भणसु किंचि हियय-रुइयं जं तुह देमि' त्ति । कुमारेण भणियं 'ण किंचि मह पत्थणिज अत्थि' त्ति । तीए भणियं 'तहा वि अवज्झ-दसणा किर देवहर'त्ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, इओ वि उ फलं अण्णेसीयइ त्ति । अवि य । 27 एस भगवं जिनिंदो जिण-भत्तो एस जक्ख-राया य । दिट्टा सि तं च सुंदरि तहावि विहलं ति बाहरसि ॥' ति। 27 'वंदामि'त्ति भणमाणो समुट्टिओ कुमार-कुवलयचंदो। तओ तीए भणियं । 'कुमार, दूरे तए गंतव्वं, बहु-पञ्चवाओ य एस बहु-रण्ण-दुग्गमो मग्गो। ता गेण्ह इमं सयल-सुरासुर-वंतर-णर-किंणर-करिवर-वग्घ-हरि-सरह-रुरु-प्पमुहेहिं पि अलंघणीओ 30 ओसही-वलय-विसेसो'त्ति भणमाणीए करयलाओ समपिओ कुमारस्स । तओ 'महंती साहम्मिय-वच्छल'त्ति भणमाणेण 30 गहिओ कुमारेणं ति । तं च घेत्तण अब्भुटिओ कुमार-कुवलयचंदो, पयत्तो दक्खिणं दिसाभोयं, वञ्चइ य तुंग-विंझइरिसिहराई लंघयतो। वच्चमाणो दिट्ठो य णेय-तरुयर-साहा-बाहा-पवण-पहोलमाण-साहुली-विइजतं पिव महाणइं णम्मयं ति । 1) JP एवं, " उसहसामि, महति. 2) F भगवओ उसहनाहो, ३ उत्तमंग P उत्तिमंगउड. 3) 1 मुत्ताहारेण भगि। अवि य. 4) जुआ, F विलसिणि. 5) बंदिद for चर्दिद, J परिहीणं. 7) Pom. भगवओ. 9) Jणामगुणे, P गुण कि तुह वयण. 10) P inter. वर and सुर, P परिहीणो, P चिरेण for विग्घेण. 11) P repeats पुणो, अणिमओ for णियय. 14)P जुत्तमिमं भगवंतं,J पि पूअणिज्जो । विति. 15) P भरिम्भरसरिसं 7 om. सव्वहा, विउब्धि. 16) radds मओ एस before मउलीए, र तप्पभूई चेअ. 17) Pom. से, " महंतं पूर्य निव्वत्तेउण. 18)P भणि मणेण, ससंभम, P करयलंजलि. 193om. अहं, P अह for अहं, आइट्ठो, P adds न before मए. 20) P परिवारिएण. 21) J को for का. 22) एयस्स for तस्स, P inter. किंकरी & अहं, I adds य after first दियहे, Pom. ति. 23) अच्छरी, P भत्तिभरनिब्भरो. 24) J कण्णेण, P फल मिमं, P तुह वि केण वि. 25) P रुइर for रुइयं, Jणइंचि मह, J तीय. 26) देवा होति ति । देवाहरति, P विय for वि, J अण्णिसीअति प्ति. 28) Jतीय for तीए. 29) बहुरणो, Jom. मग्गो, P सयलसुर, Jom. किंणर, P om. करिवर, Jom. वग्घ, हरिसभररुप्प'. 30) भणमाणीय, P वच्छल्ल तिः 31) Pom. भोय, विज्झसिहराई. 32) वच्चमाणेण य दिट्ठा । वच्चमाणेण दिट्ठो, Pण for णेय, P वियज्जतं. Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -६२०६] कुवलयमालो ६ २०६)जा व कहसिया । णव-जोवणुम्मत्त-कामिणि-जइसिय कुंकुम-रस-पिंजर-चक्कल-चक्कवाय-पओहर-सेला- । लुब्भिज्जमाण-रोमराई-मणहरं च, कहिंचि णव-वहु-जइसिया तड-तरुयर-घण-साहा-लयावगुंठण-णीसद्द गइ-पयारा व, कहिंचि वेसा-विलय-जइसिया हरि-णहर-णिद्दउल्लिहिय-मत्त-मायंग-कामुय-दंत-जुयलंकिय व, कहिंचि वासय-सज्ज-जइसिया : मघमघेत-सुरहि-कुसुम-गंधड्ड-फुरमाण-बिंदु-माहर व, कहिंचि पउत्थवइ-जइसिय पल्हत्थिय-कमल-बयण-आवंडुर-पओहरय त्ति । अवि य। 6 उच्छंगम्मि णिवणं चुंबइ तड-पायवग्ग-वयणेहिं । णवि णजइ किं धूया किं दइया होज विंझस्स ॥ जीए य महामल्ल-सरिसई कर-कत्तरी-घाएहिं जुज्झति मत्त-मायंग-जूहई, कहिंचि दुप्पुत्त-सरिसई महा-कुलुम्मूलण-ववसियई, कहिंचि गाम-डिंभरूय-सरिसई जल-कीला-बावडई, कहिंचि तड-परिणय-पायवडियई जति कुविय-दइया-पसायणोणयई ति । अवि य । ___णवि णज्जह किं दइया सहोयरा होज किं व एयाण । किं जणणि च्चिय रेवा होज व धाई गय-कुलाण ॥ कहिंचि मच्छ-पुच्छ-च्छडा-घाउच्छलंत-पाणिया, कहिंचि तणुय-तंतु-हीरमाण-मत्त-हत्थि-संकुला, कहिंचि महा-मयर-करापाय12 कुविय-मत्त-वण-महिस-कलुसिया, कहिंचि पक्कल-ग्गाह-हिय-गंडयाउला, कहिंचि कुम्म-पट्ठि-उल्लसंत-विहुम-किसलयालं-12 किया, कहिंचि वेला-वसागय-पोमराय-रयण-रजिय-जला, कहिंचि परिप्पयंत-चक्कवाय-जुवलुकंठ-णिजिया, कहिंचि सर-सर सरंत-कंत-सारसाउला, कहिंचि तुंग-तरंग-रंगत-सिप्पि-संपुडा, कहिंचि चंड-पवण-पय-कल्लोल-माल-हेला-हीरमाण-पक्खि15 गणा, कहिंचि मत्त-मायंग-मंडली-मज्जमाण-गंडयल-गलिय-मय-जल-संदोह-बिंदु-वंद-णीसंद-परिप्पयंत-चंदय-पसाहिय त्ति । 18 भवि य। __ धवल-बलाया-माला-वलया-हंसउल-पंति-कय-हारा । चलिया पइहर-हुत्तं णजइ रेवा णव-वहु च ॥ 18 भण्ण च । गायइ व गय-मय-गंध-लुद्ध-मत्त-महुयर-महुरुल्लावेहिं, जंपइ व णाणा-विहंग-कलयलारावेहि, हसइ व हंस-18 मंडली-धवल-दसण-पंतीहि-णच्चइ व पवण-उच्छलिय-तुंग-तरंग-हत्थेहिं, पढइ व जलयर-हीरंत-पत्थर-संघ-खलहलाखलियक्खर-गिराहिं, मणइ व तड-विडवि-पिक्क-फलवडण-दुहुदुहारावेहिं, रुयइ व णिज्झर-झरंत-झरहरा-सद्देहिं । अवि य । उग्गाइ हसइ णच्चइ रुयह व कलुणक्खरं पुणो पढइ । उम्मत्तिय व्व रेवा इमीए को होहिई वेजो ॥ जाइ समुहाभिमुहं रेवा पुण वलइ वेविर-सरीरा । पयइ च्चिय महिलाणं थिरत्तणं गल्थि कजेसु ॥ मोत्तूण विंझ-दइयं तुंग जलहिम्मि पत्थिया रेवा । अहवा तीऍ ण दोसो महिला णीएसु रजति ॥ रयणायरम्मि लीणा विंझ मोत्तण णम्मया पेच्छ । अहवा लुद्धाओ चिय महिलाओ होंति पयईए॥ किं ण सुहओ य दाणे रेवे जेणुज्झिओ तए विंझो । हुं पइणा एक्केणं ण होइ महिलाण संतोसो ॥ अण्णाण वि एस गई तेण समुइम्मि पत्थिया रेवा । होति च्चिय कामिय-कामियाओ काओ वि महिलाओ। 27 उम्बूढा विंझेणं महप्पमाणं च पाविया तेण । मोत्तूण तह वि चलिया अहो कयग्या महिलियाओ॥ जलही खारो कुग्गाह-सेविओ बहुमओ य रेवाए । इय साहेइ समुद्दो वियारणा णस्थि महिलासु ॥ इय जुवइ-चरिय-कुडिलं गंभीरं महिलियाण हिययं व । महिला-सहाव-चदुलं अह रेवं पेच्छए कुमरो॥ 50 ते च तारसं महाणई णम्मयं समोइण्णो रायउत्तो कह तरिडं पयत्तो । अवि य, __णिटर-कर-पहराहय-जल-वीइ-समुच्छलंत-जल-णिवहं । अह मजइ सिरिदत्तो महागइंदो व्व उद्दाम ॥ एवं च मज्जमाणो कुमार-कुवलयचदो समुत्तिण्णो तं महाणई णम्मय ति, गंतु च पयत्तो तम्मि तीर-तस्वर-वल्ली-लया38 गुविल-गुम्म-दुस्संचारे महाडई-मज्झयारे। . 21 83 1) कासिअ, P om. णवजोवणुम्मत्त etc. to मणहरं च कहिंचि, J जइसिअ. 2) नववहुसिया तड, तरुण for तड, P om. घण, " गुंठणानीसद, ३ गयप्पयार व. 3) P वियलिय for विलय, J जइसिअ, J दुल्लिहिअ for उल्लिहिय, P जुयलंकियं कहि चि, जासिय. 4) गंध for गंधड, फरसाण for फुरमाण, P पउत्थवइजइसियपल्लत्थियवयणकमल, आवण्डु P आवंदुरपओहर व ति. 6) Pउत्संगंमि, P तह for तड, P नयणेहिं for वयणेहि, P नज्जिय for णज्जइ. 7) Pवा for य, Pकुलम्मलण. 8) Pभिरुय, पायवडिअई। गज्जद, P पायवडई। नजति. 10) P दयया. P धावी for धाई. 11)P मच्छपुच्छडा, घायुच्छलंतपाणिअ, P तणुतंतु. 12) Jom. वण, I पज्जल for पकल, गंडलाउला. 13) Jom. 'लंकिया, वेलोवसा, P परिपयत, 'जुअलुकुंठ, P सरसरत्तकंत. 14) Jom. कंत, वेण्ड for चंद, माला for माल, Jom, हेला. 15) P बिंदुर्विदणसिंद. 17) P हंसउलं, रज्जर P नज्जर, P नर for णव. 18)P महुयरल्लावेहि. 19)Jinter. धवल & मंडली,Jom. व, चेवछालिय, JP य for व, P जलयलहीरत. 20) P तडवेडसिपिक, दुदुहारवेहि कुहुडारावेहि, P निज्झरुज्झरंतझरासद्देहि, J सरेहिं for सद्देहि. 21) Pणु for 4, Pa for ब्व, P को हाहिई वेज्जा. 22) Pपुण विलइ. 23)तीय for ती', P रच्चंति. 24) P अहवा लडाउ. 25) य दाणो रेवे जोणज्झिओ, हूं. 26) पई for गई. 27) पि for च. 30) महाणम्मयं, P तह for कद्द. 31) सिरिअत्तो. 32) P तरुयर33) गुहिल, दुसंचारे. 16 Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरया [२०७ 1 २०७ ) एवं च वचमाणेण कुमारेण दिट्ठो एकम्म परसे विलगिरि पापवासने बद्दल- सिद्धि-तरुपर-शिवर- 1 संकुले एको उडनो दण चेय दिसं बलिनो चि अचलिय-वर्तत सोवणो राय-तणो कमाइ कोइ एत्थ रिसी जासमे 3 हो तितो संपत्तो से उदयंगणं जाव दिई तरुण-तमाल- पायव पंती-परंपरा-परियरिये अंगणं च कुसुमिय 3 ब- रुपं, सण-पिका-करमदयं, पलंयंत पिंडिएवं सलमान-माउलुंगे, समंतओ कुसुमिय बहु-जाह - कुसुम-मदभमर-रि-रुगुरुणा सह-संगीय मन्दरं पेच्छतो पट्टिो उड दि च पुचजीवय घडिय-रुदक्स माला-वलयं । ● दिट्ठाई च णाणा-सुक-फल-संचयाई दिई च सियडिया-डावियं कमंद दिवासनं तं च दण चिंतिये 6 'अहो को वित्थ महागुणी परिवसति तर्पण दिट्ठा पंसुल-पएसे पय-पंती तं च दट्टण 'अहो, जहा इमाई लहुमउय-कोमलंगुली- ललिय-दलाई व दीसंति चलण-पडिबिंबाई, तेण महिलाए होयब्वं, ण उण पुरिसेण । ता कह तवोवण 'कई वा महिल' ति चिंततो सत्येव उबविट्टो 'दे, पेच्छामि णं को एत्थ परिवस' सि थोव-बेला विडा तेण तावसी। सा केरिसा । अवि य । 6 1 १२२ उम्भ-जया कडप्पा खर- फरसा दीह फेस-गरिष्ठा चल-पीण-पमोहर माईण व भागया एका ॥ 12 तीय य मग्गालग्गा समागया तरुण जुयइ - चंचल-णयण-सम-सोहा-लोयण-जुयला मुख-मया, ताणं चाणुमग्गगओ जुयइ- 12 हिय व पंचला बागर लीवा सा च पुरभो समागम मण-पवण-वेभो क्षति एको महाणील-सच्च्छामो महंतो राय-कीरो सि, तस्थायुमार्ग अण्णे व सुथ-सारिया-विवहा ते च दण चिंतिये राय-राणपुर्ण 'अहो, उवसम-प्यभावो हमीप । 15 तावसीए जेण पेच्छ एए वण-वण-जल-मेरा-संमुद्र-जीवणा भरण- सावय-सउणया विण मुंचति से पास सहा किंवा 15 तवस्सिणो असज्झ' ति चिंतयंतो दिट्ठो तीए राय-उत्तो । दट्ठण य केरिसा जाया । अवि । । I भय-सज्झ स से कंप- कोउहलेहिं विणडिया तो सा । इच्छइ पलाइऊणं को उण एसो विचिंतेंती | 18 से पलायती गुण पहाइको सरसह बरो महाकीरो भणिया व जेण 'सामिनि पुणिए, किं तुमं पलाइ पवता' तीए 18 भवियं 'इमो उण को इमम्मि मज्झ उडयम्मि वण-सावेओ । तेण भणियं 'मा बीहसु, एस एत्थ को वि अरण्ण-मज्झम्मि पंथ - परिभट्ठो पंथिओ इमं पएसं समागओ । ता माणुसो एसो, अहं इमिणा सह भलीहामो त्ति । ता दे पावेसु, तुमं 21 सागर्थ च इमस्स कुसु महाणुभावो विय लक्खीय' एवं भणिया तेल कीरेण समागया सलम-वेवमाण- पोहरा । 21 भागतूण व तीए भणिवं 'सागयं पहियरस, कत्तो आगओ सि, कहिं वा पथिनो सि, किंवा कर्ज' ति तेण भणियं 'आगमो ई महाणवरीजो अउज्झाओ, कजत्थी दक्खिन चलियो' चि तो भणिय कीरेण 'सागयं महाणुभावस्स, 24 उवविस पलवत्थुरणे' तभो उबविडो राव-तणओ पुणियाए विनिक्सिसाई विवि-तर-पर-पिक- साठ-सुरहि-फल- 24 शिवराई सुरहि-कुसुम-पत- पुढ य संहालिए पूर्णतम्म उपविट्टो व जो चिंतिये कुमारेण 'ण याणीयद का वि एसा, कह वा केण वा कारणेण, केण वा वेरग्गेण, कत्थ वा आगय त्ति, ता किं पुच्छामि' । 'दे पुच्छामि'त्ति चिंतिऊण भणियं । 27 अवि य । | 27 'जइ तुम्ह णोवरोहो अकहेयब्वं च कह वि णो होइ । ता साह सुंदरि महं जं ते पुच्छामि ता सुयणु ॥ कल्य तुम बणे कन्दाओ के वा विजेण एतदुकरमिण वणवा जं पचण्णा सि ॥' 30 एवं भणिया समानी महोमुद्दा दिया तो कुमारो वि तीए पविवर्ण उक्तो धोव-वेलं व नासि । 30 तं च दट्ठण भणियं तेण राय-कीरेण । 'भो भो मद्दापुरिस, एस मणयं लज्जइ । ता कया उण तर एसा पत्थणा ण णिरत्यया कायमच चि मई साहेस्स' ति । . J J 1) P पावास repents निवर. 3 ) J तरुतमाल, P परियं for परिपरियं, Jom. अंगणं, Pom. अण्णं च. 4 ) P पिंडीरयं, P adds कुजाइ after जाइ. 5) P रुणरुणासद, सगाई for मणहरं, पुत्तञ्जीवय P पुत्तजीव, फाडिअ for घडिय P रुद्दक्खमालयं. 6 अ for च before ofuit, J om. दिट्ठे च... कमंडलं । Pट्ठावियं, J उवठ्ठयासणं P उवद्दयासणं. 7 ) 3 दिट्ठो पंसुल, लहुमउअ. 9 ) P महिलय त्ति, Jom. णं, थोड़ for थोव. 10 ) Pom. सा, Pom. अवि य. 11) J इरुक्खा, पहरा 12 ) P जुबई, J च मग्गओ. 13 ) हिययं पिव चला, Padds पुरओ उप्फिडंता after लीवा, 3 om. च, P सच्छमो. 15 ) P पेच्छा for पेच्छ, संतुट्ठा, P जीविणो, पासं । सव्वहा किं, P च for वा. 16 ) Padds महंतो after तवस्णिो, Pom. ति, तीय. 17 ) P को उल्लेहिं विणरिआ, Pom. तो, P इत्थए, विहंतेती P विचिते. 18 ) P सरसवइरो, P महाकीरा, Jom. य, P सामिणी, तीय 19 ) Pom. वणसावओ, Pom. एत्थ, P अरनंमि पंथं परिबूढो पंथिओ इमं परिसं. 20 ) एस for एसो. 21) पि for च लक्खीयति, Pom. तेण, सलज्जं 22 > तीय, P कत्तो सि आगओ सि, JP कहं वा, Pom. सि, त्ति for किं वा कज्जं ति. 23 ) J भगयोहं, P अज्जत्थी for कज्जत्थी 24 ) P पलवत्थरणं ति ।, Jom. तओ, एणिआय, तरुयरपक्क 25 ) पुडए संठाविए P पुडए य ठाविर, एअंतम्मि, न्याणीयति. 26) Pom. केण वा before बेरग्गेण, P inter. वा & कत्थ, Pom. ता किं पुच्छामि 28 अकहेयं वा बि कह, आ for ता. 29 ) Pom. तुमं एत्थ, कम्झाउ व केग, P एंतं for एयंत. 30 P अहोमुही, ट्ठिआ, एस, J om. ता, Pom. उण, P ताए for तए J तीय, P थोयवेलं. 31 ) P एसा for 32 ) कायन्वं ति. 9 . Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२०९] कुवलयमाला १२३ 1 ६२०८) अस्थि एयम्मि चेय पुहह-मंडले णम्मया णाम महाणई । अवि य । __ मत्त-करि-कामि-णिटर-घोर-कराधाय-घडण-सयोहा । दंत-जुवलंकिओही पोढा इव कामिणी रेवा ॥ तीए दक्खिण-कूले देयाडई णाम महाडई । जा य कइसिया । बहु-तरुवर-सय-कलिया बहु-सावय-सेविया सुभीसणया । बहु-गिरिवर-सय-सोहा अडई देयाडई णाम ॥ सीए महाडईए मजा-भाए अस्थि महंतो वड-पायवो । सो य केरिसो । अवि य । पत्तल-बहल-विसालो साल-पलबत-चडय-धरयालो । बहु-सउण-सयावासो. आवासो सन्व-सत्ताण ॥ तम्मि य महावडे बहुए कीर-कुले परिवसंति । तत्थ एको मणि-मतो णाम महासुय-वंद-राया राय-कीरो अस्थि । तस्स एकाए रायकीरीए उयरे गब्भो जाओ। सो य अत्तणो काल-कमेण पसूओ अंडओ जाओ। केण वि कालंतरेण फुडियो तओ जाओ मंस-पेसी-सरिसो किंचि विभाविज्जमाण चुचु-खुर-णहावयवो अणुदियहं च पक्खावली-पयावुम्हा-परिपोसिज्जमाण- 3 सरीरो किंचि-समुभिजमाण-मरगय-सामलंकुर-पक्खावली-कयावयवो पाउस-समओ इव मणोहर-च्छाओ। एरिसम्मि समए दर-जाय-पक्खाविक्खेष-डोहलो णिग्गएसु कहिं पि पोट्ट-पूरण-तग्गएसु पिइ-माइ-बंधव-जणेसु समुत्तिण्णो कुलयावासाओ । 12थोवंतरेण य अपरिप्फुड-पक्ख-विक्खेवो गंतुं अचाएंतो गिम्ह-महाताव-तविय-सरीरो तण्हा-सुक्क कठो एक्कस्स तरुण-तमाल-" पायवस्स छायाए णिसण्णो मच्छिउँ पयत्तो। तहा य अच्छमाणस्स भागओ तम्मि पएसे एक्को वाह-जुवाणओ। तेण य तस्सेय तरुयरस्स अहे वीसममाणेण कह पि विट्ठो सो कीरो । तं च दट्ठण पसारिओ गेण कसिणाहि-भोग-भीसणो हत्थो । गहिओ य सो पलायमाणो । घेत्तूण य चिंतियं तेण । 'अहो, एस पाविओ राय-कीरो त्ति । ता सव्वहा ण एस वावाएयन्वो 15 ति य मए देसणीओ पल्लीवइणो होहिइ' त्ति घेत्तण असोय-तरुवर-पत्ताई णिबद्धो पुडए, धणुयर-कोडि-णिबद्धो ललमाणो य संपाविओ घरं, समप्पिो य पल्लीवइणो, तेणावि राय-कीरो त्ति घेत्तणं पंजरए रुद्धो। तत्थ य वहिउँ पयत्तो । ता महो 18 महापुरिस, जो सो कीरो सो अहं । तो अहं च तेण संवडिओ ति। 18 ६२०९) एत्थंतरम्मि भरुयच्छं णाम णयरं । तत्थ भिगू णाम राया। तं च दट्टण उवगओ सो पल्लीवई । तेण य तस्स भई उवट्ठाविओ। ममं च दट्ठण राइणा महतो तोसो उन्बूढो, भणियं च रे रे, को प्रत्थ' । पडिहारीए भणिय 'भाइससु' त्ति 1 'वच्च सिग्धं, वच्छं मयणमंजरि गेण्हिऊण पावसु' त्ति । मापसाणतरं गया, पविट्ठा य मयणमंजरीए सम । श भणियं च राहणा। 'वच्छे मयणमंजुए, एस तए रायकीरो तहा करियन्वो जहा सव्व-कला-पत्तट्ठो हवइ' ति भणतेण समप्पिओ पंजरो। तओ सा य रायसुया ममं सहिं पिव मित्तं पिव बंधुं पिव भायरं पिव सुर्य पिव मण्णमाणी पाढिडं ४पयत्ता । थोएण चेय कालेणं जाणियाई अक्खराई, गहियं ण-लक्खणं, जाणियं विसाहिलं, गहियाई गय-गवय-मय-कुकुडपास-पुरिस-महिला-लक्खणाई । बुझियाई सम्व-सत्थाई । सव्वहा, सव्व-कलागम-कुसलो जिण-वयण-सुणिच्छिओ महाबुद्धी । तीऍ पसाएण अहं बह जाओ पंडिओ सहसा ॥ तमो एवं च अच्छमाणस्स को कालो समागओ । अवि य ।। उण्हो उब्वेवणो दीहर-खर-फरुम-पवण-णीसासो। संताविय-भुवणयलो गिम्हो कालो ब्व येयालो। तम्मि य तारिसे गिम्ह-काले एकस्स मुणिणो आयावर्ण करेंतस्सणीसंगयं भावयंतस्स एगत्तर्ण चिंतयंतस्स असरणत्तर्ण 30 झार्यतस्स सुत्तं अणुगुणेतस्स संसारं जिंदमाणस्स जिण-बयण-दुल्लहत्तर्ण भावयतस्स सुकन्झाणतरियाए वहमाणस्स अउम्ब-30 करणं खवग-सेढीए अर्णतं केवल-वरणाण-दसणं समुप्पणं । सो य रिसी तस्स राइणो पिया अभिसिंचिऊण पध्वइमो, एकल-विहार-पडिम पडिवण्णो। भरुयच्छं समागमो विहरमाणो, तत्य य केवल-णाणं समुप्पण्णं । तमो देवाण उप्पय38 णिवयं दट्टण जणेण साहियं राइणो पिउणो जहा 'महाराय, रिसिणो इहेष भरुयच्छे समागयस्स केवलणाण समुप्पण्ण' ति _ 2) P काम for कामि, कामिणिहारथोर, वत्तण for चहण, जुवलं किउट्ठी, P रेहा for रेवा. 3.3 तीय, P नई for महा डई, ' जा च न जा व. 4) तरुयर, P सेवया, सुभीसणिया, Pय for सय. 5) तीय महाडईमज्झ. 6) घरयाला । Pबहसयणिसयनिवासो. 7) कीरकले P कीलकुले. 80P कालकमेण. 9)Pom. तओ, P चंचखरणुदा, P पयाउम्ह. 10) किंचि अम्भिज्जमाण, सामलकूर P सामलं कुरु, तओ for कयावयवो, समयं पिव मणहरच्छाओ. 11) P पक्खो तओ विक्खेव, J -दोहला, P पिअ for पिइ, P कुलायावावसाओ। थोअंतरेण. 12) अपडिप्फुड P अपरिफुट, P अचायतो, P तरुतमालपालपायनस्स. 13) P सिसण्णो for णिसण्णो, P भस्थिर, वाइजुवाणो. 14) P अहो बीसमाणेण कहिं पि, P कसिणाहभोग, J भोअभीसणो. 15) Jण for तेण, P पायवो for पाविओ, एस विवाए अन्यो, P वावाएयवो मम दंसणो पछी. 16) J होहई, P adds य सोय before असोय, पसाय for असोय, P तरुयरपत्तनिबद्धो. 17) P पल्लीवाणा, तेण वि, P repeats ता सव्वहा न वावाएयव्वो etc. to तेणावि रायकीरोत्ति, I पंजरओ. 18) Pom. तओ अहं च, P संवडिओ. 19) P नगरं for णयर, P inter. सो & उवगओ. 20) Pउवट्टविओ, PM for मर्म, P adds tण before रेरे. 21) P अइससु, P adds च before गया, P पयट्टा, Pom. य, मंजरीय P 'मंजरी । ससंभमं भणियं. 22) होइ for इवइ, Jadds य after भणतेण. 23)" समप्पिउं, सा रायधूया मं सहि, P बंधु पिय. 24) अहिआई for गहियाई, Pom. मय. 25)-सत्थई. 26) कव्व for सम्व, सुणिच्छओ, तीय. 27) Pom. च.28) Pउण्हा. 29) गिम्हयाके, उणीसंग, Jom. एगत्तणं चिंतयंतस्स, P चिंतयंतयंतस्स, ३ असरणअत्तण. 30) Pom. मुत्तं अणुगुणेतरस. 31) रिस्सी for रिसी, P पियाभिर्सिचिऊण. ३3) Pom. इहेब, Pom. ति. Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ उज्जोवणसूरिविरइया [8 २०९ 1 तं च सोऊणं हरिस-वस-विय समाण- लोयण- जुवलो राया भणिउं पयत्तो । 'सज्जेह जाण - वाहणाई, अंतेउरिया जणस्स सम्व - - 1 रिही भगवंता उपन्न केवल वर- वंदामिचि भणिक पपतो बहु-जान-बाण-पूरमाण महिलो संपतो व 3 भगवओ सयासं । थोऊण य पयत्तो। कह जय धम्माण करवाल सूडियासेस-कम्म-रिज सेण जय जय स्वय-नाणमत-जाणिवासेस-परमत्व ॥ ति भणमाणेण वंदिनो भगवं केवली राणा राया विष्णो व पुरनो अण्णे वि व रायाणो भड-भोइया व नायर-जणो व राय-ध्वा विममं पेनुं चैव तत्थ उदगया। मए वि संधुभो भगवं स-बुद्धि-विवे। भवि य | जय विजय-सल परीसदोवसा जय निष-मय-मोह जय मिलिय-दुजय-काम-बाण जय विमल-गाण-घर ॥ त्ति भणिऊण पणमिओ मए वि भगवं केवली । णिसण्णा य राय दुहिया ममं पुरओ णिमेऊण । केवलिणा वि भगवया 9 कय- कायव्य-वावारेणं बोली- लोय मागेण वा वि किंपि कतरं पेमाणेण भणियं । अवि य । 12 27 जर-मरण-रोग-ए-मल-किलेस बहुलम्म नर संसारे तामा कुह पमार्थ देवाणुपिया इमम्मि जिण मग्गे सिर जयम्मि वि धम्मं जिग- देखिये मोजु ॥ संसार-भव-समुहं जइ इच्छद अप्पणा तरि ॥ 1 २१० ) एत्यंतरम्मि समोवइया दोण्णि णील-पीय- वाससा विष्फुरंत मणि-किरण-कणय-भासुरालंकार-सोहिया 12 बिजाहरा । निम्मल करवाल-करा फुरंत मणि- रयण-किरण- सोहिला गयणाओ ओबया सहसा विजाहरा दोणि ॥ 15 ते य भगवंत केवलिं पयाहिणं करेमाणा समोइण्णा । वंदिओ य भगवं सविणय-ओणय - करयल-दल-मडलमंजलिमुत्तिमंगे 15 निमेऊन सिणा व पापमूळे भगवओो । सुद्ध-सिहं भणिये 'भगवं, का उन स' ति भणिय मेते राइना मिगुणा सवेहि य णायर एहिं भणियं । 'भो भो विज्जाहरा, सा उण का जं तुभेहिं भणियं का स' त्ति भणिए, तेहि य पलत्तं । 6 18 'अम्हे बेय-गिरिवराओ सम्मेय सिहर गया। तत्तो सजयं चठिया तत्व वचमाणेहिं विंश-गिरि-सिहर-वर्णतराले भीमे 18 माणुसे भरण-पसे, जत्थ अम्दे वियण गोयरा भीवा शत्ति बोलेमो, जम्मवार दक्खिणे फूले दि म मय-तू । ता च मम्माग्या एका का वि भयलीय- वृष्ण-लोयणा समुभिक्षमाण-पओहर-भरा भन्विगग-लोवणा मयाणं अणुम 21 वांती बाला । तं च दट्ठण चिंतियं अम्हेहिं । 'अहो, महंतं अच्छरियं' चिंतयंता भवइण्णा । भणिया य अम्हेहिं । 'भो भो 21 बालिए, किं एत्थ अरणम्मि तुर्म एक्का, कत्थ वा तुमं भागय' त्ति भणिया य समाणी मुरलारण्ण-मय- सिलिंब - युण्ण-लोलसोयणा महिययरं पलाइ पत्ताण व ते मया तीए उम्बियंति तेहिं पेय समं सा संगयति। तो अम्बे दु 24 चिंता भणमाणाणं चेय महंस गया वर्णवराले तो जम्देहिं चितिये 'अहो, किंपि अकारण, सम्वद्दा को वि 24 असय-गाणी म्हेहिं पुच्छिन्दो' ति । तभो भगव एत्थ दिट्ठो तेग पुच्छिये अम्देहिं 'भगवं, का उण स' चि भणियं राणा पिउणो 'भगर्व, अम्हाणं पि कोडयं जाये ता पसीयसु सासु' ति । २११) भगवं साहिउं पयतो । पिडा पुरीणं लोकम्म विपयत जसद्वारा धवलुलुंगमणहरा उयणी पुरवरी रम्मा ॥ जीव य मणहर-गीय-रव-रम्मई भवणई, भवन- माला-विभावियई रावबहई, रायवद-सोहिनो विपणि-मग्गु विवणि-मा30 रेहिरई गोउरदार, गोउरदार- विराइयई पागार- सिहरई, पागार- सिहर उजिर फरिदा बंधई ति जन्ध व रेहति फरिइड 30 निम्मल-जल-तरंगेहिं, जल-तरंगई पि सोति वियसिय-सुरहि-कुसुमेहिं, कमल विजयंति भमिर- भमरवलेहिं भमर 9 را 6) J for कणय. 1) P मंते for अंते. 2 ) P भगवओ तायरस उत्पन्नं, Pom. य before पयत्तो. 4) बितासेस, P adds अय after जय. 5 ) Pom. राणा, Jom राया, P अन्नो वि, ण for य before नायररायधूअवि, Pom. ममं, P घेतुं 3 चेअ, P om. तस्थ, P बुद्धि for सबुद्धि 7 > P सयमलपरीसहोवसहोवसग्ग, हिमलमय मोहा णाणवर 8 ) णिसण्णो, P मं for ममं. 12) दुण्णि (१) for दोण्णि, I om. किरण, P किणिय 14 ) P उवईया 15 ) Pom. य, P केवलि, सविणओणय, उत्तिमंगे for मुत्तिमंगे. 16 ) नमिऊण for णिमेऊण, I adds r before भणियं, मिउणो for त्रिगुणा 17 ) Pom. one भो, कज्जं for का जं, भणितं का ? भणियं तं का, Jom. य. P सेतुजं. 18) सfor ततो 1993 यपसे तस्य for थ गोयरे, यन्ति [for शान्ति, P P J णम्मयाय. 20 ) P मलयलीव पुनलोयणा समुज्झिज्जमानपओ भरभरा तओम्विग्ग 3 भयुब्विग्ग. 21 ) 3 अच्छरीयं, P तिता 22) Jom. किं, P एक्को, Jom. य. 23) पयतो, om. तीए, समं सा संगया P समं समागय, om. ति, उ. अ. 24) चिंतेता, P भणमाणेणं. 25 ) P दिट्ठ: 26 ) Jom. च, P भि गुणा for पिउणो, Padds अम्हा before अम्हाणं, पसिअसु. 27 ) adds भणिओ before भगवं. 28 ) P तिलोकंमि, P जस्स पम्भारा for जसहारा 29 ) जिअ for जीय, रम्मा भवणाई, P विरवियहं रायनिवहई, Jom. विणिग्गु P विपणिमग्गु विपणि 30 ) Pom. गोउरद्दार, P गोउरदार, विविअ पाया पायार, P छज्जिरवं परिहा, P कत्थ for जत्थ, P फरिहाउ 31 ) मि for पि, कमलेहिं for कुसुमेहिं, J P कमल विय अग्घंति, P भमरभलेहिं भमर कुलई विरायंति 27 . Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - २१२] .1 उलइँ वि विरायंति णव- कुसुम-रेणु-रएणं ति । अवि य । उतुंग धवल-तोरण--पडायच्छलेन भगइ ध्व । उम्मेरें अंगुलिं सा जह अन्ना एरिसा यरि ॥ ति । ३ सम्म य पुरवरीए सिरिवच्छो नाम राया पुरंदर-सम-सन्त-वीरिव विवो तस्स व पुतो सिरिवदणो णाम भूया व एका सिरिमई नाम सा व विजय पुरवणो विजय गराहियस्स पुतो सीहो णाम तेण परिणीया सो व सीदो जोग्वणं संपतो । फेरियो जालो । अवि य । 1 6 मारेइ खाइ लुपइ णिरवेक्खो णिद्दओ णिरासंसो । वण-सीहो इव कुविओो पयईए एरिसो जाभो ॥ 1 1 सेच तारि णाऊण राइणा विजयुग जिविस आणतो सो प राय-पूर्व गियय-भारिवं घेण गिग्गओ बिसयाओ । एकम्मि पश्च-गाने आवासिओ, अप्प-दुइनो छ पत्तो वचेति दिया ताव व एत्येतरम्मि केण वि कालंतरेण सो सिरिषणो रायडत्तो धम्मणो अणगारस्य अंतिए धर्म सोकण दुरुतरं संसार-सागरं जाऊन दुलई भगाओ वय जाणिऊण सासर्य मोक्ख-मुई कलेऊण सम्यद्दा निग्विष्ण-काम-भोभो भणगारो जालो । सो व केण वि कार्यतरेण परिणिफण्ण-सुत्तत्यो एकलप्पडिमं पडिवण्णो एक्को चेय विहरिडं पयत्तो । 12 1 ६२१२) सो य भगवं विहरमाणो तं चेष गामं समागमो जय सो भगिणी -पई भगिनी व तम्मि अवसरे सो 19 भगर्व मास-खमडिओ पारणए य गामं पविट्टो मिक्सत्यं च गोवर परियार बिहरमाणो भगवं तब-तय-देहो खामगियरो कमेण व सम्म भद्दणीए परम्मि संपत्तो तीय व भगिणीए दूरभो चेय विट्टो, दगुण व वितिये च ती 'एस 16 सो महं भाउओत्ति, णिसुवं च मए किल एसो केण वि पासंडिएण वेयारिऊण पब्वाचिओ । ता सम्बद्दा सो चेय इमो' त्ति । 15 तो भाऊरमाण-सिणेहाए माउभो ति णिम्भर बाहुपीलण व्यंभिय- यण-नगर-वयणाए चिर-दिकंडा-पसर-पय- फुरमाणबाहु-लबार अयातो सो रिसी अभिधाविणं कंठे गहिओ, आलिंगियो जाव रोविडं पवत्ता तावागओ तीर भसारो 18 सीहो बाहिरानो दिट्ठो व ते तोच दण चितिये तेण 'अरे, पर-पुरिसो को वि पाखंडियो मह जाब- 18 महिलसह' ति । चिंतयंतो केरिसो जाभो । अवि य । कुवलयमाला ईसाग-पयति दव-मूडो को-रस-गयो । आपण अह रिसिणो पहाड़ निसंसो ॥ 91 तभो गरुय-पहर- हभ णिवडिओ रिसी धरणिवट्ठे । तं च दट्टणं णिवर्द्धतं किं कियं से भइणीए । अवि य । दूसह-गुरु-भाइबह-दंसण-संजाय-तिब्ब- रोसाए कद्वेण पई पदभो जद मुच्छा-भलो जानो 1 विमाणेण णायि किं कर्य। अवि य १२५ 84 गिट्ठर-कट्ट- पहारा वियणा-संताव-गल्य-मुच्छेण । खग्गेण तेण पहया जह जाया दोणि खंडाई ॥ 27 विडियो निवाएमाणो सो वि जीविच विमुको जामो पुनो चंद-सहावयाए महारिसि-वह-पाव-पसर-परायचो पडर्म रयणप्पभं णरयं रउरवे णरयावासे सागरोवमट्टिई णेरइओ उवषण्णो । सा वि तस्स [ मुणिणो ] भइणी गरुय-सिणेह27 मुच्छा-परिणया तक्त्रगुप्पण्ण कोव विशिवाय अत्तार-नि-पाव-संतता, तहिं चेन गरय- पत्थडे उबवण्णा सो उन रिसी भगवं णिद्दय-खग्ग-पहारा वियणायल सरीरो कहं कहं पि उवरभो, उववण्णो य सागरोवम-ट्ठिई सोहम्म-विमाण-वरे 1 तमो चइऊण णिय-भाउक्खएण एत्थ भरुयच्छे राया जाओ । सो य अहं दिट्ठो तुम्हेहिं पञ्चक्खं केवली जाओ 30 सो उण सीहो तम्म महारउरये णरए महंतीभो विपणामो अनुभविक कई कई पि माउक्सर उबहिण मंदिपुरे 30 पुरवरे भगो जानो । तत्य वि गारु पालेक पुग-दंडी जामो तत्व व भासम-सरिसं संजम जोये पालिऊन मरिकण य जोइसियाणं मज्झे देवो उववण्णो । तत्थ य केवली पुच्छिओ नियय भवंतरं । साहियं च भगवया दुइयं पि जम्मंतरं । 33 तोच सोऊन उप्पगो इमस्स कोवो 'बरे, बई सीए णिवय-महिलाए मारिभो । ता कर उन सा दुरावा 33 1 1 21 1) गुर 2 ) P पडायाछलेण, JP उम्मेउ. 3 ) P समू for सम, Pom. य. 4 ) P adds सा after वेण. 7) P om. विजएण. 8 ) Pom. य after ताव 9 ) P राउतो. 10 ) Pकामभोगो, परिणिप्फिण्ण P परिनिष्पन्नो. 11 ) P चेवलो for चेय विहरिजं पयत्तो. 12 ) P परागओ for समागओ, adds तत्थ before भगिणी, P सो पती भगिणीए. 13) माक्लमण, मिस्स P चरिया विरमाणा 14 गोद m. दिट्ठो दण • दिट्ठो दहूण य. 15 ) P महं भाय ति, उति for च, पासण्डिणा, P वियारिकण for वेया, Pom. पब्वाविओ. 16 ) J बाहुप्पील P बाहुपीलण, मण्ण P मणु (for जवण emended), चिरु, सिरतपव्यच. 17) अभिधाहकगं, पक्षा ताव आगओ तीय- 18 ) P P । P om. तं च, om. मह जायमहिलसह 20 ) P ईसानल. 21) पहरंतो विडिओ P धरणिवीढं ।, P निवडियं for निवडतं. 22 ) P भाश्वहं. 23 ) य तेण for तेणावि. 24 ) P पहार, P खंडाई. 25 ) चंद for चंड, महारिसी, परयत्तो 26) नवरे [for गर, मोरवि नरवायासे गरयवासे, सायरोमठिती गारो, १ नेर उवि JP om. [ मुणिगो 1. (27) J चेय. 28) Jप्पहरा, ठिती P द्विती, सोहम्मे- 29 ) Jom. चऊण, P सो हं दिट्ठो तुम्मेहिं, Pom. जाओ. 30 ) P महारोरवे, P आउक्खरण 31 ) P जाओ । तभ वि गारइत्थं, P तवसंजमं for संजमजोयं. 32 ) Jom. य after मरिऊण, Jom. य before केवली, णिअ for नियय. 33 ) J तीय, P निय for णियय. 24 . Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ उज्जोयणसूरिविरइया [६२१२1संपर्य' ति चिंतेमाणेण दिटा सा वि तम्हा णरयाओ उचट्टिऊण पउमणयरं णाम जयरं । तस्य पउमस्स रण्णो सिरीकंता । णाम महिला तीय उयरे धूयत्ताए उववण्णा । तम्मि य समए जाय-मेत्ता । तं च दट्टण जाइ-मेत्तं उद्धाइओ इमस्य रोसो इमाए ३ पुवं ई विणिवाइओ' त्ति । 'ता कस्य संपयं वच्चई' त्ति चिंतयंतो गुरु-कोव-फुरफुरायमाणाहरो समागमओ वेएण। 3 गहिया य सा तेण बालिया । घेत्तण य उप्पइओ भागओ दक्खिणं दिसाभोयं । तत्थ विंझ-सिहर-कुहरंतराले चिंतिउं पयत्तो। किं ताव । अवि य ।। 6 'किं पक्खिमि समुद्दे किं वा चुण्णेमि गिरि-णियंबम्मि । किं खइरं पिव णेमो मलेमि किं वा करयलेहिं ॥ महवा णहि णहि दुटु मए चिंतियं । ण जुज्जइ मह इमं ति । जेण इत्थिय त्ति इस्थि-वज्झा, बाल त्ति बाल-वज्झा, अयाणिय त्ति भूण-वज्झा, असरण त्ति एक्किय त्ति सम्वहा इमम्मि चेव कतारम्मि उज्झामि । सयं चेव एत्थ माणुस-रहिए असेसोवायविरहिया मरिहिइ, महा-पक्खीहिं वा विलुप्पिहिइ, सावएहिं व खजिहिइ' ति चिंतयंतेण उझिया गयणयले कमेण य १ णिवडिया । अवि य। किं विजाहर-बाला मह णिवडइ चंदिमा मियंकस्स । विज व्व धणभट्ठा तारा इव णिवडिया सहसा ॥ 12 णिवडमाणी य भासासिया पवणेण । णिवडिया य तम्मि पएसे महंताए जालीए अणेय-गुविल-गुम्म-कोमल-किसलयाए । जय तीए विवती जाया । तमो णिवडिया लोलमाणी जालिय-मज्झुद्देसे। ६२१३) एत्यंतरे य तहा-विह-धम्म-कम्म-भवियव्वयाए एयम्मि चेय पएसे समागया गब्भ-भर-वियणा-चिम्मलंगी 16वण-मय-सिलिंबी । सा य ते पएसं पाविऊण पसूया। पसव-वियणा-मुच्छा-विरमे य तीए णिरूवियं, दिटुं च तं मय-16 सिलिंबयं बालिया य । चिंतियं च तीए इमं मह जुवलयं जायं ति । मुद्ध-सहावत्तणेण ण लक्खियं । दिणं यणं एक बालियाए दुइयं मयलीयस्स । तओ एएण पओएण सा जीवमाणी जीविया । सा य मई तम्मि चेय पएसे दियहे राईए 18 अच्छिउं पयत्ता। जाव ईसि परिसक्किडं पयत्ता, तो मिलिया मय-जूहस्स, किर मईए एसा जाय त्तिण उब्वियंति सारंगया।18 ण य तीय तत्थ कोइ माणुसो दिट्ठो। तओ तत्थेय मय-दुद्ध-पुट्ठा वडिउं पयत्ता । तओ भो भो विजाहरा, तस्य सा भरण्णम्मि भममाणी जोम्वणं पत्ता । तत्य य अच्छमाणीए कुडंगाई घराई, णिढे पक्खिणो, बंधवे वाणर-लीये, मित तरुयरा, असणं वण-फलाइं, सलिलं णिज्झर-पाणियं, सयण सिलायलाई, विणोओ मयउल-पट्टि-सिहरोल्लिहणं ति । मवि य, गेहं जाण तरु-तलं फलाइ असणं सिलायलं सयणं । मित्तं च मय-कुलाई अहो कयत्या अरण्णम्मि ॥ तो सा मय-जूह-संगया माणुसे पेच्छिऊण मय-सिलिंबी इव उव्वुण्ण-लोयणा पलायइ । तेण भो, जे तुम्भेहिं पुच्छियं 24 जहा का उण एसा वणम्मि परिब्भमइ, ता जा सा मह भइणी पुश्व-भवे आसि सा णरयाओ उव्वट्टिऊण एस्थ उबवण्णा । जय कयाइ माणुसो तीए दिट्ठो, तेण दट्टण तुन्भे सा पलाण ति । एत्यंतरम्मि भणियं विजाहरेहिं गरवइणा प 'अहो महावुत्ततं, अहो कटुं अण्णाण, अहो विसमं मिच्छत्तं, अहो भय जणमो पमामओ, अहो दुरंता ईसा, अहो कुडिला 27 कम्म-गई, अहो ण सुंदरो सिणेहो, अहो विसमा कज-गई। सब्वहा भइकुडिलं देव-विलसिर्य । अवि य। अकयं पि कयं तं चिय कयं पिण कयं अदिण्णमवि दिणं । महिलायणस्स चरियं देव तए सिक्खियं कइमा भणियं च तेहिं 'भगवं, किं सा भव्वा, किं वा अमन्व' त्ति । भगवया भणियं 'भव्वा' । तेहिं भणिय 'कई वा सम्मत पावहिइ'। भगवया भणियं 'इमम्मि चेय जम्मम्मि सम्मत्तं पावेहिइ' । तेहिं भणियं 'को से धम्मायरियो होहिह'130 भगवया भणिय में उद्दिसिऊण 'जो एस राय-कीरो एसो इमीए धम्मायरिओ' ति । तेहिं भणियं 'कह एसो त वर्ण पावेहिइ' । भगवया भणियं 'इमा चेय राय-धूया पेसिहिई' । इमं च वयण णिसामिऊण पियामहस्स राय-धूयाए 33 कोमल-करयलंगुली-संवलंत-णह-मऊहाए भणियं । 'भगवं, समाइससु जह किंचि कज्ज इमेण कीरेणं, किं पेसेमि। 33 1)पिउमनयरे, Pom. णाम णयरं । तत्थ, P सिरीनाए. 2) Pमहादेवीए for णाम महिला तीय उयरे, Jom. य after तम्मि, Pom.च. 3)P पुश्वमहूं. 4) उत्तरं for दक्विगं.5) Jom. किं ताव.6) किं पक्खिवामि P किंवाखिवेमि [वमि], P वइ for खरं, P ता for वा. 7) P मे for मए, om. ति. 8) Pएकिय, चेअ, चेअ, आयससोवायरहिया. 9) मरीहिहापक्खीहिं, P पक्खिहि P विलुं पेइहिद,J वा for a, P गयणे कमेग. 11) Pom. अह, Padds किं before चंदिमा, Pमर्थकरस, 12)Jom. य before आमासिया, Pom. य. P पएस, गहिल. 13)Pसे for तीए. Jom. लोलमाणी. P जालिमज्झदेसे । एत्यंत य. 14) Pom. कम्म, I भविअन्वताए, P विम्हलंगी. 15) Pपयववियण, तीय. 16)P सिलिबिंबालिया, P जुवलं. 17)P मयलीवरस, मती for मई, दिअहे दिअहेराईएण अच्छिउं. 18) Pपरिग्भमिओ सकिया, Pom. पयत्ता, तओ मिलिया etc. to वडिउं पयत्ता । 19) Jom. तओ before भो भो. 20) Pवानरलीवा. 21" वणलाई P वणप्फलाइं, सिरोहिहणंति. 22) तरुअरे मयउलाई कयत्थो. 23) व for इव, P उबुण्ण, Pपलाइ, Pom. भो. 24) काऊण, परिभमइ, P उवट्टिऊग, एत्थोववण्णा. 25) Pom. य, तीय, P तुझे सा पुलाय त्ति. 26) Pom. महा, P वुत्तंतो, J भयावणओ. 27) P कम्मगती, अइकुडिदलं देवविलसियं. 28) देव तइ. 29)P अभवया for अभव्व त्ति, Pom. भगवया, तेण for तेहिं. 30) पाविहिद, पाविहिति । तेहि, P सो for से. 311 अहं for i, P om. एसो इमीए, P adds महिं after तेहि. 32)पावेदहिद, भगिओ, राधूया, पेसिहिति पेसिदिए, P वयणं पियामहस्स संतियं सुणिऊण राय 33) P करयंगुली, मयूहाप, किंपि कजं. , Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७ -६२१४] कुवलयमाला 1 भगवया भणिय 'अविग्धं देवाणुपिए, मा पडिबंध करेसु । कायवमिण भवयाण, किच्चमेयं भबियाणं, जुत्तमिणं भव्वाण, । जं कोइ कत्थइ भब्व-सत्तो मरहताणं भगवंताणं सिव-सासय-सोक्ख-सुह-कारए मग्गम्मि पडिबोहिजइ' त्ति । इमम्मि य ३ भणिए 'जहाणवेसि' त्ति भणमाणीए अइप्पिओ तह वि मत्तीए 'अलंघणीय-वयणो भगवं' ति सिटिलियाई पंजरस्स 3 सलाया-बंधाई । भणिय च तीए । अवि य । वर-पोमराय-वयणा पूस-महारयण-णील-पक्ख-जुया । अब्भत्थिओ सि वर-सुय कइया वि हु देसण देजा ॥ 6 महं पिणीहरिओ पंजरायो । ठिओ भगवओ केवलिणो पुरओ। भणिय च मए । जय ससुरासुर-किंणर-मुणि-गण-गंधव-णमिय-पाय-जुया। जय सयल-विमल-केवल-जाणिय-तेलोक-सडभाव ॥ त्ति भणमाणेण पयाहिणीकओ भगवं पणमिमओ य । आउच्छिओ य णरवई। दिवा य रायधूया। वंदिऊण य सब्वे उप्पइओ धोय-असि-सच्छहं गयणयलं, समागओ इमं वणंतरालं । एत्थ मम्गतेण दिट्ठा मए एसा, भणिया य 'हला हला बालिए। . इमाए य इमं सोऊण ससंकिओव्वेव-भीय-लोयणाए पुलयाई दिसि-विभायाइं जाव दिट्ठो अहं । तओ एस वण-कीरो त्ति काऊण ण पलाइया । तो अहं मासण्णो ठिओ । पुणो भणियं 'हला हला बालिए' ति । इमाए य किं किं पि अम्वत्तं 12 मणियं । तमो मए गहियं एक चंचूए सहयार-फलं । भणियं च मए 'गेण्ह एयं सहयार-फलं'। गहियं च तीए । 12 पुणो मए भणियं 'मुंच इमं सहयार-फलं' । तओ खाइडं पयत्ता । पुणो मए भणिया 'मा खायसु इमं सहयार-फलं' । पुणो मणइ 'किं किं पि अव्वत्तक्खरं तुम भणसि' । मए भणियं एयं सहयार-फलं भण्णइ । तं पुण बाला महिला भण्णसि । अहं राय-कीरो भण्णामि । एसो रुक्खो भण्णइ । एवं वर्ण भण्णइ । इमं गहियं भण्णइ । इमं मुक्कं भण्णइ । एए वाणर-लीव 16 त्ति । एवं च मए बालो विव सम्व-सण्णाओ गाहिया । एवं च इमिणा पओगेण अक्खर-लिवीओ गाहिया । तमो धम्मत्थ-काम-सस्थाई अहीयाई । सम्वहा जाणिय हियाहियं । अवगय भक्खाभक्खं । सिटुं कज्जाकज ति । अण्णं च । 18 जति जेण भावा दूरे सुहमा य ववहिया जे य । ते मि मए सिक्खबिया णिउणं वयणं जिणवराण ॥ 18 साहिओ य एस सयलो वुत्ततो जहा तुम पउमराइणो धूया, वेरिएण एत्थ आणीय' त्ति । भणिया य मए एसा जहा 'एहि, वच्चामो वसिम, तत्थ भोए वा भुंजसु परलोय वा करेसु' । इमीए भणिय 'वर-सुव, किमेत्थ भणियब्वं, । सम्वहा ण पडिहायइ महं वसिमं ति । किं कारणं । जेण दुल्लक्खा लोयायारा, दुरुत्तरा विसया, चवला इंदिय-तुरंगा, 21 गिदिमओ विसय-संगो, कुवासणा-वासिम जीवो, दुस्सीलो लोओ, दारुणो कुसील-पसंगो, बहुए रूला, विरला सज्जणा, पर-तत्ति-तग्गओ जणो, सब्वहा ण सुंदरो जण-संगो त्ति । मवि य। 4 पर-तत्ति-तम्गय-मणो दुस्सीलो भलिय-जंपओ चवलो । जत्थ ण दीसह लोभो वर्ण पि तं चेय रमणिजं ॥ भणिऊण इहेव रण्णुद्देसे परिसडिय-फासुय-कुसुम-फल-कंद-पत्तासणा तव-संजमं कुणमाणी मच्छिउँ पयसा । तओ जे तए पुच्छिय भो रायउत्त, जहा 'कत्थ तुम एत्थ वणम्मि, किं वा कारण' ति तं तुह सव्वं साहियं ति। भ ६२१४) एत्यंतरम्मि ईसि-पणय-सिरो पसारिय-करयलो उद्धाविओ रायतणभो । भणियं च ण 'साहम्मियं क्ष वंदामि' ति । रायकीरेणावि भणियं वदामि साहम्मिय' ति । तओ तीए भणियं 'भणियाए लक्खिओ चेय अम्हेहिं जहा तुम सम्मत्त-सावओ त्ति । किं कारणं । जेण केवलि-जिणधम्म-साहु-संजम-सम्मत्त-णाणाई किरिया-कलावेसु णामेण वि 30 घेप्पमाणेसु सरय-समय-राई-सयल-ससंक-लंछण-दोसिणा-पूर-पसर-पवाह-पन्चलणा-वियसियं पिव चंदुजयं तुह मुहयंदं ति। 30 ____एत्वंतरम्मि सूरो पसढिल-कर-वलय-दि-बलि-पलिभो । मह जोवण-गलिओ इव परिणमिउं णवर माढत्तो॥ इमम्मि य वेले वट्टमाणे भणियं एणियाए 'रायउत्त, अइकतो मज्झण्ह-समओ, ता उट्टेसु, हाइडं बच्चामो' ति 1) P देवाणुप्पिए, J भवआणं 'P भवियाण, after कायन्वमिण भबियाणं किच्च P adds a long passage कालंतरेण परिनिष्पन्नो etc to परपुरिसो को विपास from the earlier context p. 125, 11. 10-18. 2) को वि कत्थ वि भव्व. 3) जहाणवेहि (१)त्ति, P om. तह, Pom. भत्तौए, भत्तीए भगवं अलंघणीओ त्ति सिदिलि', पंजरसणाया. 4) om. अवि य. 5) महारायणील, य वि for वि हु, 6) अह वि णीडिओ, P ट्ठिओ. 7) सभाव. 8) काओ for कओ, Pom. य after आउच्छिओ, दिट्ठा and वंदिऊण. 9). उप्पइओ य धोआसिसच्छमं. 10) Pom. य before इम, P ससंकिओश्विग्गलोयणाए, P दिसिवहाई. 11) P adds आसनो ठिओ before हला, बालिय, Pom. य before किं. 12 चअ for चंचए, Pom. भणियं च मए गेण्ड एयं सहयारफलं.Jadds य before मए. 14) भणिया for भणइ, P अब्बतक्खरं, Padds किं before तुम, P एम for एयं. 16). om. च, पओएण, लिविओ. 17) अहिआई, P सिज्ज for सिटुं. 18) मुहुमा य बायरा जे य । तं पि मए सिक्खकामसत्थाई अहीयाई सब्वहा जाणिय हियाहियं वियानिउणं वयणं जिणवराणं । साहिओ. 19) Pom. य, Pए for एस, " दुत्ततो for वुत्तंतो, जह, तुई for तुम, J बत्थु for एस्थ, आणिय. 20)Jइमीय, वरमय. 21) Pपडिहाइ मह, P लोयायारो, दुत्तरा, चंचला for चवला, तुरंगमा. 22)Jadds संगो before जीवो, दुसीलो. 24) P वर for वर्ण, चेव. 25) Pबहेवारषदेसे, P repeats फासुय, पयत्त त्ति. 26) repeats भो,Jadds कारणं जेण after किंवा, साहिय. 27) Pउट्ठाविओ, साहम्मिय. 28)वीय, Pपणियाए for भणियाए. 29/Jom. जेण, केवल; समत्त- 30) सयलससिल छणजोसिणा, Pom. पवाह, पवालणा, तुइयंदं ति. 31)P बलियलिओ. Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ उज्जोयणसूरिविरइया [६२१४ 1 1 समुट्ठिओ य रायतणओ । उवगया य तस्सासम-पएसस्स दक्खिणं दिसा-भायं । थोयंतरेण दिहं एक्कम्मि ऊसिय- सिय-विंझ- 1 गिरि - सिहर-कुतरालम्मि विमल-मलुकलिया- सरि-सीयल-जलोज्झरं । तत्थ य तीर-तरुवरस्स हेलो संटिओ । संठियाणि 8 मियाई वक्कलाई । कुसुम-पुढयाई गहियाई । फलिहामलिणीय पडियाई सुक्कामलाई रुक्खाइं सिला लम्मि । उल्लियाई 3 उमंगाई मजिया जहिच्छे परिहियाई कोमल धोय धवल-कल-दुलाई गहिये परमिणी पुढ जलं तं च घेण चलिया उत्तरं दिसामोये सत्य एकम्मि गिरि-कंदराभोट दिट्ठा भगवभो पदम-तित्थ-पवत्तगस्स उसद- सामिस्स 6 फलिह - रयणमई महापडिमा । तं च दट्ठण णिब्भर भत्ति भरावणउत्तमंगेण 'णमो भगवओ पढम- तित्थयरस्स' त्ति भणमाणेण 6 कमो कुमारेण पणामो तो दाणिओ भगवं विमल-सलिलेण, आरोवियाई जल-लय-कुसुमाई तो कब-पूया महाविहिणा थोऊण पयत्ता | अवि य । 9 जय पढम-पया- पत्थिव जय सयल-कला-कलाव-सत्थाह । जय पढम-धम्म- देसिय जय सासय-सोक्ख-संपण्ण ॥ सि भणमाणेण णमिए चणे। तभो पुणियाए वि भगिये । 'लंछण-लंछिय- वच्छलाए पीण-समुण्णय-भुय-जुयलाए । मत्त महागय- गइ सरिसाए तुज्झ णमामि पए जिणयंद ॥' 18 सि भणतीए पणमिओ भगर्व बंदिओ व रायतयभो । सुपुण वि भणियं । । 'तिरिया विजे सउण्णयों तुह वपण पाचिकण होमम्मि पार्वति से वि सग्गयें तेण तु पणमिमो पयते ॥' ति इमाए य गीइयाए धुनिऊण विडिओो चलपणेसु कीरो । पुणो बंदियो कुमारो एपिवाए तमो बागया से पर्स 15 जत्थासमं । तत्थ य पडियमायाई मय- सिलिंबाई, संवग्गियाई वाणर-लीचाई, मोजिवाई बसेस सुय-सारिया-सउण- सावय- 15 संघाई | पणमिया च कुमारस्स सुह-सीयल-साउ- सुरहि-पिक्क-पीवर-वण-फलाई । पच्छा जिमियं एणियाए कीरेण य । 1 २१५) तो बात सुई- सत्र्वेदिय-गामाण व विविध-सत्य-कला-कहा- देसि भासा णाण दंसण - चरित - तित्यादिसय18 बेरमा कहासुं अच्छेवार्ण समागर्व एवं पत्त-सबरि-सवर जुवलयं तं च केरिसं । अवि य । कोमल-दीहर-बली बबुद्ध जया-कलाव-सोहिलं जाणा-विह-वण-तरुवर कुसुम-सयाबद्ध चम्मेहं ॥ गिरि-कुहर- विवद सामल - घाट -रसोबलिय- सामलच्छाये सिय-पीय रतवत्सय पचिर-पश्चिक-पइरिकं ॥ अथोर - थणत्थल-घोलमाण- गुंजावली- पसाहणयं । सिय-सिहि-पिंछ विणिम्मिय-चूडालंकार - राइलं ॥ --- दाण-पण यह-रियाले नवशेप्पर-सीबिय पच-वकलुकेर परिणये ॥ ति । अविव । कोलडल-कालय दाहिणइत्यम्मि दीदरं कंटं वामे कत-य-दंड-सच्छदं धनुवरं धरियं ॥ 24 तस्स य सबर - जुवाणस्स पासम्मि केरिसा वर जुवाणिया । भवि य । 1 I 21 बहु-मुत्ताहल-रुहरा चंदण-गय-दंत वावडा सुयणू । सिय-चारु चमर-सोहा सबरी णयरी भयोज्झ ग्य ॥ उवसप्पण य तेहि कमी पणामो रामउत्तस्स पुणियार कीरस्स य णिसण्णा व एकम्मि दूर-सिलावलम्मि । पुच्छिया व एणियाए सरीर-कुसल बट्टमाणी साहिया व तेहिं पणडत्तमंगेहिं ण उण वायारणिक्सिकाल धरणी सुहासणत्था जावा । कुमारेण व असंभावणीय-रूप-सोहा-विरुद्ध-सबर- बेस- कोलुप्फुल- सोयण-गुयलेण च वियच्छि पायमानो जाब सिमी ति चिंतियं चहियण विप, 1 12 30 एकस्स देहि चिहवं रूवं अण्णस्स भोइणो अण्णे । इय देव्व साहसु फुडं कोडिलं करथ से घटियं ॥ ता चिरत्यु भावस्य ण कर्म सक्सहिं विडियाई उक्खणाई, अप्यमाणाई सत्चाई, भसारीकया गुणा, अकारण बेसायारो, सम्पदा सम्बं विवरीयं । अण्णा कत्य इमं रूवं उग-यंजन-भूसिये, कत्य वा इमं इयर पुरिस-विरुद्ध 18 21 1 ) Jom. य before रायतणओ, P पएसस्स पच्छिमद क्खिणदिसा, एकं for एकम्मि, ऊससियं विंश, विंझरि 2) J - जलतरुक्कलियासलहलं सीअल, हेट्टाओ, P संठिया निम्मियाई. 3) Pom. कुसुमपुरवा, फालिभामहिणीयरूपडिया 4) परिहिआ कोमल, J om. पउमिणी. 5 > वलिया for चलिया, Pom. पढम, पवत्तयस्स उसभ J 6) फडिअ for फलिह, om. रयण, भत्तिम्भरावणयुक्त मंगेण, P वणपुत्त मंगेण 7 ) inter. पणामो and कुमारेण, P थलकुसुमाई. 8 ) विहाणाt for महाविहिणा, P थुणिऊण for थोऊण. 9 ) व जय for सयल, Pom. कला, P सत्थाहं ।, P देसय. 10) Pom. तओ, एणिआय P परियार 11 ) P -लच्छिय, P भुयलाए, जिणयंदाए ति 12 ) P सूरण. 13 ) P सवण्णया, P पत्तएण 14 ) Jom. ति, P एमाए, एणिआय P पणियाई, P आगयाइ तं. 15 ) पअिगिआई, सेस for असेस. 16 ) P सीयलाओ साओ, 3 वणहलाई १ वणप्फलाई. 17 ) P देसिहासा, P तित्थाइ सयवरग्ग 19) [दीहरपक्षी बीनबुद्ध तरुपर, समाबद्ध 20 पीन for पी‍तवण 21) राहिलं. 22 Jom. घण, J वट्ठ for वह, 23 ) P वाम 24 ) P वरजुयाणिय. 26 > P य तर्हि, Pom. य. 27 ) पणयुत्त मंगेहिं, om. तं. 28 P रूयं, J देव, P कोहेलं, ए for ते, पढिमं P पडियं. 32) सर्वजण भूि 18 ) P पतं, Jom. सबरि. चचिय, सचिक for पश्चि 25 ) P सुयणु, ग् अयोज्ज्ञ. लोभजुअलेण. 29 ) P सिरगं. 30 ) P देश, 31 ) P रूवस्स for भावरस, कलुणेहिं for लक्खणेहिं, उप्पमाणाई. 24 30 . Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२१६] कुषलयमाला पित्तं सबरत्तण ति चिंतयंतेण भणिय 'एणिए, के उण इमेति । एणियाए भणियं 'कुमार, एए पत्त-सबरया, एस्थ वणे । णिवसंति, अणुदिणं च पेच्छामि इमे एस्थ पएसे' । तओ कुमारेण भणियं 'एणिए, ण होंति इमे पत्त-सबरय' त्ति । तीए मणिय 'कुमार, कह भणसि' । 'भणामि समुद्द-सत्थ-लक्खणेणं' ति। तीए भणियं 'किं सामुई कुमारस्स परिणयं । तेण ३ भणिय 'किंचि जाणामि' । तीए भणियं 'अच्छंतु ताव इमे पत्त-सबरया, भणसु ता उवरोहेणं पुरिस-लक्खणं' ति । कुमारेण भणियं 'किं वित्थरओ कमि, किं संखेवओ' त्ति । तीए भणियं 'केत्तियं वित्थरओ संखेवओ वा' । कुमारेण भणिय 'वित्थरओ लक्खप्पमाण, संखेवओ परिहायमाणं जाव सहस्सं सयं सिलोगं वा' । तीए भणियं 'संखेवओ साहस ।। तेण भणियं । 'गतेर्धन्यतरो वर्णः वर्णान्यतरः स्वरः । स्वराद्धन्यतरं सत्त्वं सर्व सस्वे प्रतिष्ठितम् ॥ एस संखेवो' त्ति। ६२१६) भणियं च तीए ईसि विहसिऊण 'कुमार, एस अइसंखेवो, सक्कयं च एयं, ता मणय विस्थरेण भणसु पायएणं' ति । तेण भणियं 'जह एवं ता णिसुणसु । अवि य । 12 पुव्व-कय-कम्म-रइयं सुहं च दुक्खं च जायए देहे । तत्थ वि य लक्खणाई तेणेमाई णिसामेह ॥ अंगाइँ उवंगाई अंगोवंगाई तिणि देहम्मि । ताणं सुहमसुहं वा लक्खणमिणमो णिसामेहि ॥ लक्खिजइ जेण सुहं दुक्खं च णराण दिहि-मेत्ताणं । तं लक्खणं ति भणियं सम्वेसु वि होइ जीवेसु ॥ 18 रत्तं सिणिद्ध-मयं पाय-तलं जस्स होइ पुरिसस्स ।ण य सेयणं ण वकं सो राया होइ पुहईए॥ ससि-सूर-वज-चकंकुसे य संखं च होज छत्तं वा । अह वुड्ड-सिणिद्धामओ रेहाओ होंति णरवइणो॥ भिण्णा संपुण्णा वा संखाई देंति पच्छिमा भोगा । मह खर-वराह-जंबुय-लक्खंका दुक्खिया होति ॥ 18 बट्टे पायगुटे अणुकूला होइ भारिया तस्स । अंगुलि-पमाण-मेत्ते अंगुटे भारिया दुइया ॥ जह मज्झिमाएँ सरिसो कुल-वुड्डी अह अणामिया-सरिसो । सो होइ जमल-जणओ पिउणो मरणं कणिट्टीए॥ पिहुलंगुटे पहिओ विणयग्गेण च पावए विरहं । भग्गेण णिश्च-दुहिओ जह भणिय लक्खणण्णूहिं॥ दीहा पएसिणी जस्स होइ महिलाहि लंधिो पुरिसो । स चिय मडहा कलहपियस्स पिय-पुत्त-विरह वा ॥ मह मज्झिमा य दीहा धण-महिलाण विणासणं कुणइ । तइया दीहा विजाहिवाण मडहा पुणो कण्णा ॥ जइ दीहा तुंगा वि य पएसिणी पेच्छसे कणिट्ठा वा। तो जगणी जणय वा मारेइ ण एत्थ संदेहो । उत्तुंग-णहा धण्णा पिहुलेहि णरा सुहाइँ पार्वति । रुक्खेहि दुक्खिया विय मायरिस समेहि रायाणो । तंवेहि दिव्व-भोगी सुहिओ पउमेहि णरवई-पुत्तो । समणो सिएहि पाएहि फुल्लिएहिं च दुस्सीलो। मज्झे संखित्त-पायाणं इत्थि-कज्जो महं भवे । णिम्मंसा उक्कडा जे य पाया ते धण-वजिया ॥ 37 जे दीह-थूर-जंघा वराह-जंघा य काय-जंघा य । ते दीह-दुक्ख-भागी अद्धाणं णिच्च पडिवण्णा ॥ जे हंस-आस-वारण-चक्काय-मोर-मयवइ-वसह-समा । ते होंति भोग-भागी गईहि सेसाहिँ दुक्खत्ता । जाणू जस्स भवे गूढो गुप्फो वा सुसमाहिओ। सुहिमओ सो भवे णिच घड-जाणू ण सुंदरो॥ 80 जह दक्खिणेण चलियं लिंग तो होइ पुत्तमो पढम । मह वाम तो धूया भोगा पुण उज्जए होति ॥ दाहिण-पलंब-वसणे पुत्तो धूया य होइ वामम्मि । होति समेसु य भोगा दीहर-बट्टेसु तह पुत्तो॥ जह होति तिणि वसणा सुहमा वा वट्टिया तो राया। उक्खुडुए थोवाऊ होइ पलंबम्मि दीहाऊ। 83 हस्सो पउम-सवण्णो मणि-मझो उण्णो सुही लिंगो। वंक-विवण्ण-सुदीहे णिण्णयले होइ दोहग्गं । रात 1)[पत्तसपरतणं], Pएते for ए. 2) पत्तसबरे त्ति P पत्तस्सवरय ति, तीअ for तीए. 3) Padds सा before समुह, Pom. सत्य, P लक्खणहि त्ति, तीअपरिइ for परिणयं. 4) सत्य, लक्खाह ति, ता, पारRA LOT परिणयः तीअ, Pता for ताव, लक्खणं च ती, ता for ताव ति. 5) विन्थरतो, संखेवतो, ती भणि, वित्थर for वित्थरओ. 6)P जाय for जाव, ती. 8) गते न्य'. JP वर्णः [वर्णो], JP वर्णाद्धन्यतरः IP सत्वं, P सत्वे प्रतिष्ठितमिति. 9) संखेवओ. 10) P adds सि before ईसि, I inter. एअं&च, Jadds एs before ता. 12) J असुहं च for दुक्खं च, ३ एणि इमाई for तेणेमाई, णिसामेहि. 13) उवंगाइ य अंगों'. 15) Pरत्तसिणिर्छ, र होति for होइ. 16) P होइ for होज्ज, बुद्धि. 17) Pसंखाई, P अहि for अह. 18) P अंगुलपमाण. 19) अहमणामिआ सरिसा । ता होइ जमडजणओ. 20)P पिलंगुट्ठो. 21) दीहाए for दीहा, P महिलाई लंघिउं, P विरहो ब्व. 22) om. य. 24) आयरिय- P आयंस. 25) Pदीह for दिव्व, J भागी for भोगी, J पाएहिं for पउमे हिं, रत्ता for पुत्तो, P सिएहिं पीएहिं वम्हहा दुस्सीलो फुलि', om. च, Pom. दस्सीलो. 26) Jम, P कज्जे वहंतवे. 27) Jथूल for थर. 28) P हंसचायढचकामोरायमयवइसमाहि, मयवसह, Pगतीहिं. 29) Pहु before सो. 30)P लिंग विणयं for चलियं लिंग, भोगा उण. 31)P विसणो for बसणे, होति for होइ, अपरसु (corrected as तह पुत्तो) P पूएसु. 32) P विसणा for वसणा, भा for वा, वडिया, उकडए. 33)Pउज्झओ for उण्णओ, P मज्झे, सुदीहो. 17 Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० उज्जोयणसूरिविराया [१२१६'1 जो कुणइ मुत्त-छद्दी बहु-धीय मोत्तियप्प होइ । णीलुप्पल-दहि-मंडे हरियालामे य रायाणो॥ मंसोवइया पिहला होइ कडी पुत्त-धण्ण-लाभाए । संकड-हस्साएँ पुणो होइ दरिदो विएसोय॥ वसह-मऊरो सिंहो वग्यो मच्छो य जइ समा उयरे । तो भोगी वहम्मि य सूरो मंडुक कुच्छी य॥ गंभीर-दक्खिणावत्ता णामी भोगाण साहिया होइ । तुंगा वामावता कुलक्खयं कुणइ सा णाही ॥ पिहलं तुंग तह उपणयं च सुसिणिद्ध-रोम-मयं च । वच्छयलं सुहियाण विवरीयं होइ दुहियाण ॥ सीह-सम-पट्ठि-भाया गय-दीहर-पट्टिणो य ते भोगी। कुम्म-सम-पुट्ठि-भाया बहु-पुत्ता अस्थ-संपण्णा । उबद्ध-बाहुणो बद्धा दासा उण हॉति मडह-बाहुणो पुरिसा । दीहर-बाहू राया पलंब-बाहू भवे रोगी॥ मेस-विस-दीह-खंधो जिम्मंसो भार-वाहओ पुरिसो । सीह-सम-मडह-मंसल-बग्घ-क्खंधे धणं होइ । दीह-किस-कंठ-भाया पेसा ते कंबु-कंठया धणियो। दीहर-णीमस-णिहो बहु-पुत्तो दुक्खिओ पुरिसो॥ पीगोट्टो सुभगो सो मडहोटो दुक्खिओ चिरं पुरिसो। भोगी लंबोटो वि य विसमोठ्ठो होइ मीसणओ। सुद्धा समा य सिहरी घण-णिद्धा राहणो भवे दंता । विवरीया पेस्सा जह भणिय लक्खणण्णूहिं॥ ४ बत्तीसं राईणं एकत्तीसं च होइ भोगीर्ण । मझ-सुहाण य तीसं ए. ऊणा अउण्णाण ॥ भइ-बहु-थोवा सामा मूसय-दंता य ते जरा पावा । बीभच्छ-करालेहि य विसमेहि होति पावयरा ॥ काला जीहा दुहिणो चित्तलिया होइ पाव-णिरयागं । सुहुमा पउम-दलाभा पंडिय-पुरिसाण णायब्वा । गय-सीह-पउम-पीया तालू य हवंति सूर-पुरिसाण । कालो णासेइ कुलं णीलो उण दुक्खओ होइ। जे कोंच-हंस-सारस-पूसय-सहाणुलाइणो सुहिआ। खर-काय-भिण्ण-भायल-रुक्ख-सरा होंति धण-हीणा ॥ सुहओ विसुद्ध-णासो अगम्म-गामी भवे उ छिण्णम्मि । [.......... ................................] दीहाए होइ सुही चोरो तह कुंचियाएँ णासाए । चिविडाएँ होइ पिसुणो सुयणो दीहाएँ रायाणो ॥ सूई-समाण-णासो पावो तह चेव वंक-णासो य । उत्तुंग-थोर-णासा हल-गोउल-जीविणो होति ॥ मयवइ-वग्ध-सरिच्छा णीलुप्पल-पत्त-सरिसया दिट्ठी । सो होइ राय-लच्छी जह-भणिय लक्खणण्णूहिं॥ मह-पिंगलेसु अत्थो मज्जार-सोहि पावओ पुरिसो। मंडल-णिब्भा चोरो रोद्दा उण केयरा होंति ॥ गय-णयणो सेणवई इंदीवर-सरिसएहि पंडियया। गंभीरे चिर-जीवी अप्पाऊ उत्थलेहि भवे ॥ भइकसण-तारयाण अच्छीण भगंति कह वि उप्पाडं । थूलच्छौँ होइ मंती सामच्छो दुब्भगो होइ ॥ - दीणच्छो धण-रहिमओ विउलच्छो होइ भोग-संपण्यो । णिस्सो खंडप्पच्छो भइरत्तो पिंगलो चोरो॥ कोंगच्छो वह-भागी रुक्खच्छो दुक्खिओ णरो होइ । अइविसम-कुक्कुडच्छो होइ दुराराहओ पुरिसो॥ कोसिय-णयगालोए पुजो महुपिंगलेसु सुहयं ति । [........ ..............॥ काणाओ वरं अधो वरं काणो ण केयरो। वरमंधो वि काणो वि केयरो वि ण कायरो॥ एएहि सम सुंदरि पीई मा कुणसु तेहि कलहं वा । पुरिसाहमाण पढमा एए दूरेण वजेसु ॥ सुत्त-विउद्ध व्य जहा अबद्ध-लक्खा अकारणे भमह । रुक्खा गिलाण-रूवा दिट्ठी पावाण णायव्वा । उजयमवलोएंतो तिरियं पुण कोवणो भवे पुरिसो । उटुं च पुण्ण-भागी अहो य दोसालओ होइ॥ हीण-भुमयाहिँ पुरिसा महिला-कजे य बंधया होति । दीहाहि य पिहुलाहि य सुहया ते माणिणो पुरिसा॥ मडहेहि य थूलेहि य महप्पमाणेहि होंति धण-भागी। मूसय-कण्णा मेहाविणो य तह रोमसेहि चिरजीवी। 33 विउलम्मि भालवढे भोगी चंदेण सरिसए राया । अप्पाऊ संखित्ते हुंडे पुण दुक्खिया होंति ॥ 18 27 30 1) मोत्तियं पभP मोत्तियप्पभो. 2) मंसोबच्चिया. 3) मंडूक, कुक्खी य. 5)Jadds य befor रोम, वच्छत्थल, विरायइ for सुहियाण. 6) F पट्टि for पुट्ठि: 7) भोगी for रोगी. 8) P adds होइ after णिम्मंसो, . सामल for मंसल, खद्धे P खंडे, Pोंति for होइ. 9) Jहाया for भाया, धगिणा, णिहून पिवू, दक्खिओ for क्खिओ. 10) Jबीभणओ for भीएणओ. 11) विवरीता, P सेसाणं for पेस्साणं. 12) Jहोति for होइ. 13) थोआ. J मूसादंता, P बीभत्स, विसमेहि य होति. 14) P जीवा सुहिणो, पाव for पाण. 15) पीता, तालुया हवंति, P दक्खिओ. 16) J जो for जे, P सारसमूसय, सहाणुणाइणो, P सुहिओ, P भायणरुक्खयरा. 17) अनंमगामी, तु for उ. 18)dom. होइ, कुंचिताए, P चिविडीए. 19) सुई for सुही, चेंज, वकणासो, Pथोरनासो. 20) सरिसआय जा दिदी. 21) P पिंगुलेसु, P मंडलजुण्हा चोरो, र रोदो, P केयरो होइ. 22)P सेणावई, गंभीरेहि चिर: 23) J अइकसिण, मई for मंती, सावकछो, दुहवो. 24) संपुण्णो, अतिरत्तो. 25) कागच्छो for कोंगच्छो. 26) P -नयणोलाए, J पुज्जामह, P सुहियं. 27) P वर अंधो काणो य वरं न. 28) J एतेहिं, पीर्ति. 29) सुता विडम्ब P सुचविउट्रो ब्व. 30) Pउजुयमबलायती, Jadds उजु before तिरिय, Jom. पुण, Jom. भवे, Pउद्ध. भाई मधोक, P त for य. 31) कज्जेहिं बंधया, Pय कदया, P पुरिसो ॥.33) भालवट्ठो, P सरिसओ. Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -१ २१७ ] कुवलयमाला 1 दीह-वयणा य णीया पिहुले उण होंति के वि कंतारा । चक्कागारे णीया वयणे पुण लक्खणण्णूहिं || वाम दिलाए वामा आयो जसमा दिट्टो कुल-वण-धनिया- रहियो हिंडड वीनो भिक्वं ॥ दाहिण - दिसाए सो आवतो होइ कह वि पुरिसस्स । तस्स धण-धण्ण-सोक्खा लच्छीए भायण होइ ॥ मावतो जह दाहिणम्मि मह दाहिणो व नामस्मि तो हो सोक्स- भागी पच्छा पुरिसो ण संदेहो ॥ होति दोणि सच्चा आता तो भवे पुइ-भत्ता सम्यायो सुमो नाम उन को होइ ॥ उषा गिद्धा हया अगलामा कलह-कारवा होंति केसा रक्खा मलिनाडिया दारवता || उर-मुह-भाला पिहुला गंभीरा सह लत्त - णाभीया । यह दंत-तया केसा सुहुमा पुहईवई होंति ॥ जह णास वच्छ- कंठो पिट्ट-मुहं च भइरण्णयं होइ । अह पाणि-पाय लोयण-जिन्भा रत्ता सुही राया ॥ कंपट्टी लिंग व इति दस्सया एए पिहुला हा पाया दीहाऊ] सुविभो हो । चक्खु-सिणेहे सुदभो दंत-सिगेहे य भोयणं मिट्ट तय-पोहेण व सोक्स पढ़-बेटे दोइ परम-घणं ॥ केस-मेल मलाई भोट भुजेति सव्वा मं हवस सुहाय ॥ तं होइ गईए गौरव दिनीऍ परीसरो सरेण जसो । गोरो सोमो गो होइ पभू जण समूहस्स ॥ दोइ सिरी रथच्छे भयो उन होइ कणय-पिंगम्मि होइ सुहं मासलए पब बाहुम्म इरियं ॥ । पलंब अण्णाजी सुणासो ण वहइ भारं सुसोहिय-क्खंधो। सत्थेण णत्थि सुक्खं ण य मगाइ सुस्सरो किंचि ॥ दोहा मन्दरला जइथूला अइकिला य ले पुरिसा अगोरा अकसिणा सध्ये ते दुक्खया होंति ॥ जे कोसिय-रत्तच्छा कायच्छा होंति दद्दुरच्छा य । अइकायर-कालच्छाये ते पाव-संजुत्ता ॥ तय-रोम-हाईता सा जोड़ा सा पॅ णयसु जगस्थि तेसु हो भमिया मिस्सा वि णो तस्स ॥ पाने उर-विल वह पुत कडी-पिटुटो पिहुल-सिरोपण-पण पि-पाभो पावर दुक्लं ॥ जइ होंति भालबट्टे लेहाओं पंच दीह-पिहुलाओ । तो सुत्थिओ घणड्डो वरिस सयं जीवए यियं ॥ चत्तारि होंनि जस्सय सो णवई जीवए असी वा वि । अह तिष्णि सट्टि वरिसा अह दोणि य होंति चालीसा ॥ अह कह वि होइ एका रेहा भालम्मि कस्ल वि णरस्स । वरिसाइँ तीस जीवइ भोगी घण घण्ण-संपण्णो ॥ ॥ 1 " 1 27 कुसुमेति जाब च्या मयरंदाम-णीसंदा ॥ होइ मसीह अधम्मो बई पुण अंगुठाई मसिनो जो पुरिसो सो राच्छिभ होइ ॥ एसो संवेग कहिलो तु पुरेस- लक्खण-विसेयो जइ वित्यरेण इच्छसि लक्सेहि वि वि पि § २१७ ) तीए भणियं कुमार सुंदर इने, ता किं तए जानिये इमरस पुरिसएस' ते 'ए जहा 24 इमस्स सुहाई लक्खणाई दीसंति, तेण जाणिमो को वि एस महासत्तो पत्त-सबर- वेस-पच्छाइय-जिय-रूवो एत्थ विंशवर्गले किं पिकलेतरं अणुपालयेतो अच्छितं पयतो भनि च । याति किं पि कालं भमरा अनि कुच्छ इमिणा न हो पच-सवरे' ति । इमे च गुणका सवर-पुरिसेग वितिये 'बहो, जागइ पुरिस लक्सर्ग वा ण जुत्तं अम्ह इह अच्छिउं वञ्चामो अम्हे जाव ण एस जाणइ जहा एस अमुगो' त्ति चिंतयंतो समुट्ठिो पत्त-सबरो 20 सवरीय ति त तेसु व गए भणिवं पुणियाए 'कुमार, नहो वा ते महो जानिये ते जे एस तए जानिनो' 30 सि। तेण भणियं जाणिभो सामण्णेने न उण विसेसेण ता के उण इमे कि फुडे मह साहसु' णि । भणियं च एणियाए 'कुमार, एए बिनाहरा' तेन भनि कीस इमो इमिणा रूपेण' तीए भनिये 'इमाणं विजाहराणं जाणहि 23 थिय तु । भगवो उस सामिस्स सेवा- णिमितं तु धरणंदेणं नमिचिणमी बिजाओ बहुप्पयारानो दिण्णानो 133 ' । 1 3 6 9 12 15 18 21 24 27 1 ) P वदणा, P होइंति, P वयणा पुण. 2 ) P वामो, Pom. धण 3 ) inter. कह वि and होइ. 4 ) P दाहिणो वि वामं ति । ते हो. 5 ) P होइ for होंति, पुह for पुहर, P दूरहवो. 6)P कारिया, P महिला for मलिना, P फुडिया for छुडिया. 7) P मुलाला, उ णाभीय. 8) J adds कक्रया before कंठो, पिट्ठ, अतिउष्णयं । अव णिपातलोयण, रता for लोयण. 9 ) कंठं पट्टी, J दीहाउ सुस्थितो. 10) J for, Pai fa, Jg for 3. 11) मोदी, for मुंगंति, मासालं. 12 ) JP गतीए, दिट्ठीय, P गोरवं ट्ठिए नरं सरो, P गोरो सामो, P पहू. 13 ) P सुहं सामलए, Pईसरियं • 14 ) P अन्नागं सुणयंसो न हवइ तारं, दुक्खं for सुक्खं. 15 ) अदिदीहा अदिहस्सा अतिथूला अनिकिता, अतिगोरा अतिकसिणा, दुक्खिता. 16 ) P या अतिकायर. 17) J ओट्ठा उद्धा, भमिता 18 ) उरविलासो, P कडिपिहुलो, विवातो for पिहुपाओ. 19 ) भालवट्टे, P भालवले हाओ P ते for तो 20 तु for य, P सो नउयं, 3 णवर्ति जीवाओ असीर्ति वा J om. अह दोणि य होंति चालीसा 21 ) inter हो and कह वि, P एक्को, जीवति 22 ) होति असीति, रणवर्ति, निच्छओ. 23) J adds तुह after एमो, लक्खेण 24 ) उ तीय, P ति । for ता, P किं तयए, P सुद्द for जहा इमस्स सुहाई. 25 ) णिअय. 26 ) 3 चिट्ठइ for अच्छिउं पयत्तो. 27 ) आउलीय for कुटयवच्छ. 28 Pom. इमिणा ण to सवरेणं तिच सोऊण सबरेण त्रितियं. 29 ) P अम्हाण दहाच्छिउं, P om. अम्हे अमुओ for अमुगो, P अभुट्टिओ for समुट्ठिओ. 31 ) उ केण उण, P om. मह. 32 ) एते, इमेज for इमो, तीय, इमिणा for माण 33वरा बहु १३१ 3 9 12 15 18 21 . Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [६२१७ १३२ उजोयणसूरिविरइया 1 ताणं च कप्पा साहगोवाया, काओ वि काल-मज्जागएहिं साहिजति, काओ वि जलणे, अण्णा वंस-कुडंगे, अण्णा जयर- । चच्चरेसु, अण्णा महाडईसु, अण्णा गिरिवरेसु, अण्णा कावालिय-बेस-धारीहिं, अण्णा मातंग-बेस-धारीहिं, अण्णा रक्खस3 रूवेणं, अवरा वागर-वेसेणे, अण्णा पुलिंद-रूवेणं ति । ता कुमार, इमाणं साबरीओ विजाओ। तेण इमे इमिणा बेसेणं 3 विजा साहिउँ पयत्ता । ता एस विजाहरो सपत्तीओ। असिहारएण बंभ-चरिया-विहागेण एस्थ वियरइ' ति । भणिय च कुमारेण 'कई पुण तुमं जाणासि जहा एस विजाहरो' त्ति । तीए भणियं 'जाणामि, णिसुयं मए कीरेण साहियं । 6 एक्कस्मि दियहे अहं भगवओ उसम-सामियस्स उवासणा-णिमित्त उवास-पोसहिया ण गया फल-पत्त-कुसुमाण वणतरं । .8 कीरो उण गओ । आगओ य दियहस्स वोलीणे मज्झण्ह-समए । तओ मए पुच्छिओ 'कीस तुमं अर्ज इमाए वेलाए भागओ सि । तेण भणि 'ओ वंचियासि तुम जीए ण दिः तं लोयगाण अच्छेरय-भूयं अदिटुउव्वं' ति । तओ एस मए मकोऊहलाए पुच्छिनओ 'वयस्स, दे साहसु किं तं अच्छरिय' । तओ इमिणा मह साहियं जहा 'अहं अज गओ वणंतरं। .9 तत्थ य सहसा णिसुओ मए महंतो कलयलो संख-तूर-भेरी-णिणाय-मिस्सिओ। तओ भए सहसुब्भंतेण दिणं कण्णं कयरीए उण दिमाए एस कलयलो त्ति । जाव णिसुर्य जत्तो-हृत्तं भगवओ तेलोक-गुरुणो उसह-सामिस्स पडिमा । तओ अहं कोऊहला12 उरमाण-माणसो उवगओ तं पएसं । ताव पेच्छामि दिव्वं गर-गारीयण भगवो पुरओ पणामं करेमाणं। 12 २१८) तओ मए चिंतियं इमे ते देवा णीसंसयं ति । अहवा ण होंति देवा जेण ते दिट्ठा मए भगवओ केवलिणो केवल-महिमागया। तागं च महियलम्मि ण लग्गति चलणया ण य णिमेस्संति णयणाई । एयाणं पुण महिवढे संठिया 15 चलणया, णिमिसेंति णयणाई । तेण जाणामो ण एए देवा । माणुसा वि ण होंति, जेण अइकंत-रूवादिसया गयणंगण-15 चारिणो य इमे । ता ण होति धरणीयरा । के उण इमे । अहवा जाणिय विजाहरा इमे त्ति । ता पेच्छामि किं पुण इमेहि एत्थ पारद्धं ति चिंतयतो णिसण्णो अहं चूय-पायवोयरम्मि । एत्थंतरम्मि णिसण्णा सब्वे जहारुहं विज्जाहर-णरवरा विजा18 हरीओ य । तओ गहियं च एकेण सव-लक्खणावयव-संपुण्णण विजाहर-जुवाणएण पउम-पिहाणो रयण-विचित्तो कंचण-18 घडिओ दिव्व-विमल-सलिल-संपुण्णो मंगल-कलसो । तारिसो चेय दुईओ उक्खित्तो ताणं च मज्झे एक्काए गुरु-णियंब-बिंबमंथर-गई-विलास-चलण-परिक्खलण-क्खलिय-मणि-उर-रणरणासद्द-मिलत-ताल-वसंदोलमाण-बाहु-लइयाए विजाहरीए । 21 घेत्तण य ते जुवाणया दो वि अल्लीणा भगवो उसम-सामिय-पडिमाए समीवं । तओ 'जय जय'ति भणमागेहिं समकालं । चिय भगवओ उत्तिमंगे वियसिय-सरोरुह-मयरंद-बिंदु-संदोह-पूर-पसरंत-पवाह-पिंजरिजत-धवल-जलोज्झरो पलोहिओ कणय कलस-समूहेहिं । तओ समकालं चिय पहयाई पडहाई । ताडियाओ झल्लरीओ । पवाइयाई संखाई । पग्गीयाई मंगलाई । 24 पढियाई थुइ-वयणाई । जवियाई मंताई । पणच्चिया विजाहर-कुमारया । तुट्ठाओ विजाहरीओ । उच्च पदति किंपुरिस त्ति 124 तओ के वि तत्थ विज्जाहरा णञ्चति, के वि अप्फोडेंति, के वि सीह-णायं पमुंचंति, के वि उक्कुष्टुिं कुणति, के वि हलहलय, के वि जयजयाति, के वि उप्पयंति, अण्णे णिवयंति, अवरे जुझंति । एवं च परमं तोसं समुम्वहिउमाढत्ता । तो भगवं पिण्हाणिओ तेहिं जुवाणएहिं । पुणो विलित्तो केण वि सयल-वणंतर-महमहंत-सुरहि-परिमलेणं वणंगराय-जोगेणं । 27 तओ आरोवियाणि य सिय-रत्त-कसिण-पीय-णील-सुगंध-परिमलायड्डियालि-माला-वलय-मुहलाइं जल-थलय-दिव्व-कुसुमाई। उप्पाडियं च कालायरु-कुंदुरुक-मयणाहि-कप्पूर-पूर-डज्झमाण-परिमल-करंबिजमाण-धूम-धूसर-गयणयलाबद्ध-मेह-पडल30 संकास-हरिस-उडुड-तडुविय-सिहंडि-कुल-केयारवारद्ध-कलयलं धूव-भायणं ति । एवं च भगवंतं उसह-णाहं पूछऊण णिवेइयाई 30 1) Poin. काओ वि कालमज्जागएहिं सा हिज्जंति, P कोओ वि जलगो. 2) Pom. अण्णा मातंगवेसधारीहिं. 3) Pअन्ना (for अवर) वा नरवेसेणं, Pइमाओ for इमाणं, Pom. इमे. 4) JP पयत्तो, P असिहारणेण, P वियर त्ति कुमारेण भणियं यं कइं. 5) तीय for तीए, Pom. जाणमि, ? कीरसयासाओ for कीरेण साहियं. 6) P adds मि after एक्कम्मि, P उसहJ-सामिस्स. J उवासओसहिया, P om. पत्त. 7)" या for य, वोलीए, Jom. तओ मए पुच्छिओ, J तुमं मज्जं एमाए. 8) P भगिय उवंचियासि, P om. तं, भूतं ?-भूयं. 9) वएस for वयस्स, साह किं पितं अच्छरीअं, v inter. अज्ज & अहं. 10) Pom. मण, णिणाओ। तओ, P तप for तओ, सह मुभतरेण P सहमुत्तंतेण. 11) Pसुणिय for णिसुयं, भगवओ उसभस्स पडिमा। तओ अहं पि कोऊइलह लहलाजामागमाणसो, P कोऊलाऊरमाणसो. 12) जाव for ताव 13) Pदेव निस्संसयं, P writes केवलियो four times. 14)P केवलिम हिमा महियले न, Join. य, P निमिसंति, P एयाएं पुण महिवट्ठा, P संट्टिया. 15) जाणिमो, Pमणुसा, P रूवातिसया. 16) J यारिणो for चारिणो, P मणुया for धरणीयरा, Jadds वा after धरणीयरा. 17) पायवसाहाए।. 18) Pom. विज्जाहरजुवाणएण, P रयणचित्तो. 19) P on. चेय, दुइओ, P अक्खित्तो for उविम्वत्तो, Pom. च, J गिरि for गुरु. 20) गइ for गई, P-खलिय, विज्जाहरीओ. 21) जुवाणेया, P उसहसामियपडिमासमी, I जय जयं ति. 22) भयरंदु । मयरिंद, J पूरवर सपवाह, P जरोज्झरो. 23) कलसमुहेहि, P adds ताई after पडहाई, P पगीयाई. 24) जइआई मंताई, ३ किंपुरिसा सत्ति (शत्ति?), P किंपुरिसा । केह तत्थ. 25) P उकटुिं, P om. के वि हलहलयं । के वि जयजयाति।. 26) P om. च after एवं,' तोसमुन्वदि. 27) हिम्मत for महमहंत, P वर्णगराय, जोपण. 28) J सुअंध. 29) P “क्खंदुरुक, P धूमसूसर, Pपड़ for पडल. 30) P उदंड, J कुले, P केयापार Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२२१] कुवलयमाला 1 केहिं पि पुरसओ णाणाविहाई खज-पेज-विसेसाई । तओ समकल चिय दिवाहिं थुईहिं थुणिऊण भगवंतं कर्य एवं 1 काउसग्ग धरणिंदस्स णाग-राइणो आराहणावत्तियाए, दुइयं जीविषभहियाए अग्ग-महिसीए, तइयं साबरीए महाविज्जाए।। ३ एवं च काऊण णमोक्कार-पुब्वयं अवयारियाई अंगाओ रयणाहरणाई, परिहियाई पत्त-बक्कलाई, गहियं कोदंडं सरं चाबद्धो । वल्ली-लयाहिं उद्घो टमर-केस-पन्भारो पडिवण्णो पत्त-सबर-वेसं ना वि जुवाणिया गुंजा-फल-माला-विभूसणा पडिवण्णा सबरित्तणं । तओ एवं च ताणं पडिवण्ण-सबर-वेसाण साहिया महारायाहिराएण सबराहिवइणा महासाबरी विज्जा कण्णे ताणं 8 जुवाणयाणं । तेहिं पि रइय-कुसुमंजली-सणाहेहिं पडिवण्णा । साहियाणि य काई पि समयाइं । पडिवणं मूणब्वयं ति। । तओ पणमिओ भगवं, वंदिओ गुरुयणो, साहम्मिय-जणो य । ६२१९) तो भणिय एक्केणं ताणं मझाओ विजाहरा आबद्ध-करयलंजलिणा। 'भो भो लोगपाला, भो भो विजाहिवइणो, णिसुणेसु आघोसणं । आसि विजाहराहिवई पुवं सबरसीलो णाम सव्व-सिद्ध-साबर-विजा-कोसो महप्पा १ महप्पभावो। सो य अणेय-विज्जाहर-णरिंद-सिर-माउड-चूडामणि णिहसिय-चलणवट्टो रज पालिऊण उप्पण्ण-वेरग्ग-मणो पडिवण्ण-जिणवर-वयण-किरिया-मग्गो सव्व-संग-परिचार्य काऊ एत्थं गिरि-कुहरे ठिओ। तस्स पुत्तेण सबर-सेणावइ12णामधेएण महाराइणा भत्तीए गुरुणो पीईए पिउणो एत्थ गिरि-हरम्मि एसा फडिग-सेलमई भगवओ उसमस्स पडिमा 12 णिवेसिया । तप्पभूई चेय जे साबर-विजाहिवइणो विजाहरा ताणं एवं सिद्धि-खेत्तं, इमाए पडिमाए पुरओ दायव्वा, एत्थ वणे वियरियव्वं । ताणं च पुन्च-पुरिसाणं सव्व-कालं सव्वाओ विजाओ सिझंतीओ। तओ इमस्स वि सबरणाह-पुत्तस्स 16 सबरिंदस्स सबर-वेसस्स भगवओ उसम-सामिस्स पभावेणं धरणिंदस्स णामेणं विजाए सिणिद्धणं सिज्झाउ से विज ति। 18 भणह भो सम्वे विजाहरा, 'सव्व-मंगलेहिं पि सिज्झउ से कुमारस्स विज' ति। तओ सब्वेहि वि समकालं भणिय । 'सिज्झट से विजा, सिज्झउ से विज' त्ति भणिऊण उप्पड्या तमाल-दल-सामलं गयणयलं विजाहरा । तओ ते दुवे वि पुरिसो 18 महिला य इहेव ठिया पडिवण्ण-सबर-वेस त्ति । ६२२०) तओ कुमार, इमं च सोऊण महं महंतो कोऊहलो भासि। भणियं च मए 'वयंस, कीस तए महंण । पेच्छाविया तं तारिसं दसणीयं । भगवओ पूया रइया, साहम्मिया विजाहरा विजा-पडिवण्णा य । अणाठियं तं तुह स एरिसं ति । तमो इमिणा भणियं 'तीए वेलाए तेण अपुव्व-कोउएण मे अत्ताणय पि पम्हुढं, अच्छसु ता तुम ति । ता संपयंश तुह ते विजा-पडिवण्णे सबर-वेस-धारिणो जुवागे दंसेमि' त्ति । मए भणियं एवं होउ' त्ति । गया तं पएसं जाव ण दिट्टा ते सबरया । पुणो अण्णम्मि दियहे अम्हागं पडिमं णमोकारयंताणं आगया दिवा ते अम्हेहिं । तेहिं पि साहम्मिय त्ति काऊण कओ काएण पणामो, ण उण वायाए । तप्पहुई च णं एए अम्हागं उडएसु परिभममाणा दियहे दियहे पार्वति । तेण 24 कुमार, अहं जाणिमो इमे विज्जाहरा । इमेणं मह कीरेण साहिंय इमं ति । तए पुण सरीर-लक्खण-विहाणेणं चेय जाणिया। महो कुमारस्स विण्णाणाइसओ, अहो कुसलत्तण, अहो बुद्धि-विसेसो, अहो सत्थ-णिम्मायत्तणं । सव्वहा 27 जिणवर-वयणं अमयं व जेण आसाइयं कयत्येण । तं णत्थि जंज-याणइ सुयप्पईवेण भावाणं ॥ ति भणमाणीए पसंसिओ कुमारो त्ति । ६२२१)तओ थोव-वेलाए य भणियं कुमारेण । 'एणिए, 80 एक भणामि वयणं कडुयमणिटुं च मा महं कुष्प । दूसहणिज पि सहति णवर अन्भस्थिया सुयणा ॥' ससंभमं च चिंतिय एणियाए 'किं पुण कुमारो गिट्ठरं कडुयं च भणिहिद । अहवा, 18 1) काणि for केहिं, P थुतीहिं, P कयमेकं. 2) P धरणिदनाग', J णागरण्णो, P आराहणवत्ति', Jom. जीवियम्भहियाए. 3) Pom. च, Pom. परिहियाई, J परिहिहाई हिआई पत्त, I कोडण्इसरं, P च बद्धो वल्लिलयाहिं टमर. 4) Jटामर for टमर, P वंसं for वेसं, सबरत्तणा।. 5)P पडिवणं, P सबराहिवइयो, I महासाबरा, P तत्तो for कण्णे. 6) पडिवण्णो।, Pणवयं. 7) Jinter. गुरुमणो and वंदिओ, J साहम्मिायणी, I om. य. 8) Pएक्कोणं, P लंजलिणो। लोअपाला. 9) अघोसणं, ' सिद्धसबर, P -विज्जो-. 10) P चूडामणिसियचलणव दो, ' 'सिबवलयवट्ठो रज्ज, ३ पाविऊण, । उप्पणवेरग्गमग्गो, 11) पत्थ, P सेणावणा व नाम । तेण महाराइणो. 12) P पीतीए, I हरिस for फलिंग, P उसहस्स. 13)P सबरविज्जा.' वईणो, [either गायवा or पूया दायब्वा, for दायवा]. 14) Iरणे for वणे, P विज्जाओ विज्झंतीओ. 15) Pom. सबरवेसस्स, P उसइ for उसभ, P साणिद्धेणं सिज्जओ, 16) सिजो, मि for वि, P सिज्जउ से विज्झा सिज्झउ, P adds वि after ते. 18) ट्ठिया. 19) Jinter. महं and महंतो. 20) Jom. रइया, J य । एरिसं तुह अणाढिय ति।. 21) तीय, P om. तेण, आ for ता. 22) Pom. ते, P जुवाणए, ' दिदा. 23) णमोकारेयंताणं, P om. ते. 24) P तप्पभई च एए, दिअसे दिअसे. 25) Pom. मह, P उल ण for पुण, विहारण. 26) विण्णाणादिसयो. 27) Pसमय for अमर्य, सुअप्पईरण P सुझ्यप्पईवेण. 28) J मणमाणीय. 29) Pथोयवेलाए. 30) Iच मा हु कुष्पज्जा । दूसभणि..., वि for पि, P नर for णवर. 31 भाणिहि इ. Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६२२१ 1 अवि णिवडइ आचिंगाल-मुम्मुरो चंद-मंडलाहिंतो। तह वि ण जंपइ सुयणो वयणं पर-दूसणं दुसहं ।' ति चिंतयंतीए भणिय 'दे कुमार, भणसु जं भणियवं, ण ए कुप्पामो' ति भणिए जंपियं कुमारेण । ३ 'संतोसिज्जइ जलणो पूरिज्जइ जलणिही वि जलएहिं । सज्जण-समागमे सज्जणाण ण य होइ संतोसो॥ ता पुणो वि भणियव्वं । अच्छह तुब्भे, मए पुण अवस्सं दक्षिणावहं गंतव्वं ति, ता वच्चामि'। एणियाए भणियं 'कुमार, अइणिटुरं तए संलत' । कीरेण भणियं 'कुमार, महंतं किं पि दक्षिणावहे कर्ज जेण एवं पत्थिओ दक्खिणं दिसाहोय' । 6 कुमारेण भणियं 'रायकीर, एम णिमं, महंतं चेय कजं'ति । कीरेण भणियं "किं तं कजं' ति । कुमारेण भणियं 'महंतो एस 8 वुत्तंतो, संखेवेण साहिमो त्ति । अवि य, पढमं अब्भत्थणय दुइयं साहम्मियस्स कजं ति । तइयं सिव-सुह-मूलं तेण महतं इमं कज ॥' ति भणमाणो समुटिओ कुमारो । तो ससंभम अणुगो एणियाए कीरेण य । तओ थोवंतरं गंतूण भणिय एणियाए । 'कुमार, जाणिय चेय इमं महंत-कुल-पभवत्तणं अम्हेहिं तुज्झ । तह वि साह अम्हाणं कयरं सणाहीकयं कुलं एएण अत्तणो जम्मेण, के वा तुझं तुमंग-संग-संसग्गुल्लसंत-रोमंच-कंचुय-च्छवी-रेहिर-चलण-जुयला गुरुणो, काणि वा सयल12 तेलोक सोहग्ग-सायर-महणुग्गयामय-णीसंद-बिंदु-संदोह-घडियाई तुह णामक्खराई, कत्थ वा गंतव्वं' ति भणियो कुमारो 12 जंपिउं समाढत्तो। 'अवस्सं साहेयध्वं तुम्हाणं, ण वियप्पो एत्य कायव्वो त्ति । ता सुणेसु।। ६२२२) अस्थि भगवओ उसम-सामिस्स बालत्तण-समय-समागय-वासव-करयल-संगहिउच्छु-लटि-दसणाहिलास15 पसारिय-ललिय-मुणाल-णाल-कोमल-बाहु-लयस्स भगवओ पुरंदरेण भणिय 'किं भगवं, इक्खु अदसि' ति भणिए 15 भगवया वि 'तह' त्ति पडिवज्जिय गहियाए उच्छु-लट्ठीए पुरंदरेण भणियं 'भो भो सुरासुर-णर-गंधवा, अज्जपभिई भगवओ एस वसो इक्खागो' त्ति । तप्पभिई च णं इक्खागा खत्तिया पसिद्धा ताव जा भरहो चक्कवट्टी, तस्स पुत्तो बाहुबली 18य । तओ भरहस्स चक्कवहिणो पुत्तो आइच्चजसो, बाहुबलिणो उण सोमजसो त्ति । तओ तप्पभिइ च एणिए, एको 18 , भाइच-सो दुइमो ससि-बंसो । तओ तत्थ ससि-वसे बहुएसु राय-सहस्सेसु लक्खेसु कोडीसु कोडाकोडि-सएसु अइक्कतेसु दढवम्मो णाम महाराया अओझापुरीए जाओ । तस्स अहं पुत्तो ति। णामं च मे कयं कुवलयचंदो त्ति । विजयाए Aणयरीए मज्झ पओयणं, तत्थ मए गंतवं' ति । इमम्मि य भणिए भणियं एणियाए 'कुमार, महंतो संतावो तुह जणय-1 जणणीणं । ता जइ तुज्झाहिमयं, ता इमो रायकीरो तुज्झ सरीर-पउत्तिं साहब गुरूण' ति । तेण भणियं । 'एणिए, जइ तरह ता कुणउ एयं । पूणिज्जो गुरुयणो' त्ति भणमाणो पणाम काउं चलिओ पवणवेओ कुमारो। पडिणियत्ता हियय-मण्णुअणिभर-बाह-जल-लव-पडिवजमाण-णयणा एणिया रायकीरो वि। कुमारो वि कमेण कमंतो अणेय-गिरि-सरिया-संकुलं 24 विझाडई वोलिओ । दिवो य णेण सज्झ-गिरिवरो। सो य केरिसो । अवि य। बउलेला-वण-सुहओ चंदण-वण-गहण-लीण-फणि-णिवहो । फणि-णिवह-फणा-मंडव-रयण-विसर्टत-बहल-तिमिरोहो । 7 तिमिरोह-सरिस-पसरिय-सामल-दल-विलसमाण-तरु-णिवहो । तरू-णिवहोदर-संठिय-कोइल-कुल-कलयलंत-सद्दालो॥ कलयल-सद्दद्धाविय-कणयमउक्खुत्त-बाल-कप्पूरो । कप्पूर-पूर-पसरंत-गंध-लुद्धागयालि-हलबोलो ॥ हलबोल-संभमुभंत-पवय-भुय-धूयसेस-जाइ-वणो । जाइ-वण-विहुय-णिवडंत-पिक-बहु-खुडिय-जाइ-फलो॥ १ जाई-फल-रय-रंजिय-सरहर-पज्झरिय-णिज्झर-णिहाओ । णिज्झर-णिहाय-परिसेय-वडियासेस-तरु-गहणो ॥ त्ति 30 इय सज्झ-सेल-सिहरओ गंदण-वण-सरिसओ विभूइयाए दिटो अदिवउवओ उत्कंठुलओ जए कुमारेण । तं च पेच्छमाणो पच्चए कुमार-कुवलयचंदो जाव थोवंतरेण दिवो अगेय-वणिय-पणिय-दंड-भंड-कुंडिया-संकुलो महंतो सत्थो । जो व कइसमो। अमरु-देसु जइसओ उद्दाम-संचरंत-करह-संकुलो। हर-णिवासु जइसओ ढेंकंत-दरिय-वसह-सोहिओ। रामण-रज-जइसओ 33 1) अश्चिन्दाल, I परदुम्मण. 2) Pom. जं, P भणियं ए जपियं. 3) जलणिहिम्मि जलरहिं. 4) ताव for ता. 5) दिसाभोग. 6)P एवमिमं । महंतं चेव, P om. तं, Jom. एस वुत्ततो. 10) कुलप्पभव', ते for एएण. 11) तिमंगसंगसंसग्गुलसंत- P तुमंगमंगसंभमुलसंतंगुलिरोमंच:, I repeats चलण, P जुबलो. 12) सर for सायर, J 'महणीसंद. 13.3om. पत्थ. 14)Pउसह, P समय, ३ करयलाओ संगहियच्छु.. 15) Pom. णाल, P दसि for अदसि. 16)P तहित्ति, गंधव्वा मज्जपभुदि भगवओ. 17) तप्पभिति, P om. णं, Pइक्खागत्तिया. 18) तप्पभूई. 19) कोडाओडीसुपसु. 20)P दढधम्मो, अयोज्झाP आउज्झ, विजयाए य पुरवरीप मज्झं. "21)Pइमं भणिय, P जणाय . 22)" तुम्मेहि for तुज्झाहि, J तुम्भ for तुज्झ, P adds before तरइ. 24) पडिभजमाण P पडिवज्झमाण. 25)P बोलिय for बोलिओ, Pom. य before tण. 26)P फल for फणि, P oin. फणिगिवह. 27)णिवहोअर, P मंजु for कलयलत. 28) P सट्ठाविय, 'भयुक्खुण्ण 'मयूक्खुत्त. 29) धुभासेस P Vयसेस, P om. जाइवण, J_om. विहुय, । बहुफटियजाश्वलो. 30) Pom. णिज्झर in 2nd line, P परिसेस, Pom. त्ति. 31) Pलेस for सेल, P विभूतिआए दिदो ब्वओ, J जाए कुमारएण,P च मेच्छमाणो. 32) Pथो रे दिट्ठो, P महंतो हत्थसत्यो. 33) P हरि for र, P दक्त, दरियवरवसह, P रञ्ज for रज्ज. Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२२३] कुवलयमाला । उहाम-पयत्त-खर-दूसणु । रायंगणु जहसओ बहु-तुरंग-संगमओ। विमणि-मरगु जइसओ संचरंत-वणिय-पवरु। कुंभारावणु । अइसमो भणेय-मंड-विसेस-भरिलो त्ति । मवि थ। 8 खर-पर-करह-सएहिं कलयल-वत-सज्झ-पडिरावं । सत्थं पत्थो पेच्छह सव्वत्तो सत्य-णिम्माओ॥ २२३)तं च दट्टण पुच्छिओ एको पुरिसो कुमारेण 'भो भो पुरिसा, एस सस्थो को आगओ कहिं वा वचीहई' त्ति । तमो भणिय पुरिसेग 'भट्ट, एस विझपुरामो मागओ कंचीउरे वच्चीहिइ' । कुमारेण भणियं 'विजया उण पुरवरी 8 कत्थ होइ, जाणसि तुम । तेण भणिय 'भट्टा, दूरे विजया दाहिण-मयरहर-तीर-संसिया होइ'। तमो कुमारेण । चिंतिय । 'इमेणं चेय सत्थेणं समं जुज्जइ मह गंतूण योवंतरं' ति चिंतयंतेण विट्रो सत्यवाहो वेसमणदत्तो । भणिओ यण 'भो भो सत्थवाह, तुम्मेहिं सम अहं किंचि उद्देसं बच्चामि' त्ति । सत्थवाहेण वि महापुरिस-लक्खणाई पेच्छमाणेण पडिवण्णो । 'अणुग्गहो' त्ति भणमाणेण तओ उच्चलिय। तं सत्यं गंतु पयत्त, तम्मि य सम-गिरिवर-महाडईए संपत्तं मयुदेसे ।। तत्थ भावासियं एकम्मि पएसे महंते जलासए । तम्मि य पएसे भासण्णाओ भिल्ल-पल्लीयो । तेण महंत भय-कारण जाणमाणेण भब्भतरीकयाई सार-भाई, बाहिरीकयाई भसार-भंडाई, विरइया मंडली, माढत्ता आरियसिबा, सजीकया 12 करवाला, णिबद्धाओ असि-घेणूओ, आरोवियाई कालवट्ठाई, णिरूबियं सयलं सत्य-णिवेसं ति। 12 एत्यंतरम्मि सूरो कमेण णह-मंडलं विलंघेउं । तिमिर-महासुर-भीत्रो पायाल-तलम्मि व पविटो। तस्साणुमग्ग-लग्गो कत्थ य सूरो ति चिंतयतो ब्व । उदावइ तम-णिवहो दणुईद-समप्पभो भइरा ॥ 18 तरुयर-तले सुयइ व विसइ व दरीसु वणम्मि पुंजाइमो। उद्धावद गयणयले मग्गइ सूरं व तम-णिवहो ॥ 16 उद्धाइ धाइ पसरद वियरइ संठाइ विसह पायालं । भारोसिय-मत्स-महागओ व बह तज्जए तिमिरो॥ इय एरिसे पोसे तम-णिवस्तरिय-सयल-दिसियके। भावासियम्मि सत्थे इमे णिमोया य कीरति ॥ 18 सामग्गिया जामइल्लया, गुडिया तुरंगमा, णिरूविया थाणया । एवं बहु-जग-संमम-कलयल-हलबोल-बहुला ला राई18 खिजिउं पयत्ता । भवि य, वियलंति तारया, संकुयंति सावया, उप्पयंति पक्खिया, मूयलिज्जति महासउणा, करयरेति चव्य-कुले ति । तम्मि य तारिसे पहाय-समए भणिय पच्छिम-जामइलएहिं । 'भो भो कम्मयरा, उटेह, पल्लाणेसु करहे, चलउ सत्थो, देह पयाणय, विभाया रयणि'त्ति । इमम्मि य समए पहयाई तराई, पगीवाई मंगलाई, पवाइयाई संवाई, उटिओ कलयलो, विबुद्धो लोभो, पल्लाणिडं पयत्ता । किं च सुब्विर्ड पयर्स । भवि य, अरे अरे उट्टेसु, डोलेसु करहए, सामग्गेसु रयणीओ, कंठालेसु कंठालामो, णिक्खिवसु उवक्खरं, संवेल्लेसु पडउडीओ, गेण्हसु दंडीयं, आरोहेसु भंडीय, सप्फोडेसु कुंडियं, गुडेसु तुरंगमे, पल्लाणेसु वेसरे, उढावेसु बहले । भवि य, तूरसु पयट्ट वच्चसु चक्कमसु य णेय किंचि पम्हुटुं । मह सत्थो उच्चलिओ कलयल-सई करेमाणो॥ एरिसम्मि य काले हलबोलिए वट्टमाणे, पयत्ते कलयले, वावडे आडियचिय-जणे किं जाये । अनि य, " हण हण हण त्ति मारे-चूरे-फालेह लेह लुपेह । खर-सिंग-सह-हलबोल-गम्भिणो धाइमो सहो । एस्थाणंतरं च । अवि य, सो णत्थि कोइ देसो भूमि-विभायम्मि णेय सो पुरिसो । जो तस्थ णेय विद्धो अदिट्ठ-मिल्लाण भल्लीहिं ।। 20 तओ तं च तारिसं वुत्तंत जाणिऊण माउलीहभो सत्थाहो, उट्टिया माडियत्तिया, जुज्मिर्ड पयत्ता, पवत्तं च महाजुई। तमो पभूमओ भिल्ल-णिवहो, जियो सत्थो भेल्लिभो य, भिल्लहिं विलुपिउमाढत्तो । सम्बाई घेप्पंति सार-भंडाई। . . 1) पयरत्तखदूसणु, P वियणि for विमणि, P पर for पवर, ' कुंभारावाउ. 3) JP वळुत, P सग्ग for सज्म, Pinter. सत्थो सत्थं, ' सत्यण्णू for सम्वत्तो. 4) वञ्चिति . (5Jom. त्ति, भदा for भट्ट, P किंचिउर, बच्चोहिति । वञ्चिहिय. 6) भद्दा, P मयण for भयर, P संठिया for संसिया, ततु for तओ. 7) P मम गंतु, ग्थोअंतरं, नितिऊण दिट्ठो. 9) Pom. तओ, P उच्चलिओ सत्थो गंत, Jadds a before तं, पयत्तो । पत्तो य गिरिवरमहाडईए मज्झुदेस । तत्थ आवासिओ एकैमि परसे आसनाओ. 11) बाहिरि', असाराई । विरईया, "आयत्तिया. 13) J पायालयलंमि, P पट्ठो. 14) व for य, UP उट्ठावद. 15)J तरुअरयले सुठाइव, P विरयरह for विसइ, Pom. ब, दरिसुंP दीरीस विणमि, P उट्ठावा. 16) Pउट्ठाइ हाइ, P पायालो, आरोसि-, J मह for अह, P अह भजए सूरो. 17) जिओभाणु कीरति. 18) जामइल्लिया, Fलाई for राई. 19) वियरंति, P उप्यायंति, Pमुयलिज्जति, करयरंति. 20) कुलं ति, पच्छिमंजामइल्लेहि, J उट्ठोह, . पहाणेह for पल्लाणेसु. 22). om. विबुद्धो लोभो, न किंचि, सुट्टि , P पयत्ता. Jom. अवि य. 23) P रयणिओ, P संबोले, पडउर्डि, रलियं for दंडीयं, भंडीयं. 24) गुठेसु, I वेअसरे. 25) Jom. य. 26) Pom. काले, Jom. हलबोलिए, हलबोलिय, आवडे for वावडे. 27) P om. लेह, लुंपह निरासं । खर. 29) कोवि देसो, बडो for विडो, अदिटुं भिलभल्लीहिं. 30) सत्यवाहो, आखियत्तिय, पवत्ता पवत. 31) Pom. मेलिओ य, om. भिहादि, 'माढत्ता, पत्थंतरंमि for सन्वाई, सम्व for सार. Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसारेविण्या [६२२४६२२४) एरथंतरम्मि सस्थाहस्स दुहिया धणवई गामा । सा य दिसो-दिस पणट्ठा । परियणे वावाइप-सेसे । गटे य सत्थवाहे भिल्लेहिं घेपमाणी सा वेवमाण-पोहरा महिला-सुलहेण कायरत्तगेण विणडिजमाणी थरहरेत-हियविया 'सरणं सरण' ति विमग्गमाणी कुवलयचंद-कुमारं समल्लीणा ! अवि य, गुरु-थण-णियब-पन्भार-भारिया भिल्ल-भेसिया सुयणू । सग विमग्गमाणी कुवलयचंदं समल्लीणा ॥ भणिय च तीए। . 'दीससि सूर-समो अहं पि भिल्लेहि भेसिया देव । तुज्न सरण पवण्णा रक्खसु जह रक्खि तरसि ॥' कुमारेण वि 'मा भायसु, मा भायसु'त्ति भणमाण एकस्स गहियं भिल्लस्स हढेण धणुयरं । तं च घेत्तण परिसिउमादत्तो सर-णियरं । तो सर-णियर-पहर-परद्धं वलियं तं भिल्ल-बलं । तं च पलायमाणं पेच्छिऊण उढिओ सयं चेय मिल्ल. सेणाहियो । भणियं च णेण । 'अरे अरे, साहु जुज्झियं । मतिय। भासासिय णियय-बलं विणिहय-सेसं पलाइयं सेणं । भारासिय-मत्त-महागओ ब्व दुईसणो वीर ॥ ता एह मम समुहं किं विणिवाएसि कायर-कुरंगे । वीर-सुवण्णय-वण्णी रग-कसवम्मि णिवडा॥' इमं च भणिय णिसामिऊण वलंत-णयण-जुवलेण णियच्छिऊण भणियं कुमारेण । 'चोरो ति जिंदणिजो भिल्लो त्ति ण दसणे वि मह जोग्गो । एएहिं पुण वयहिँ मज्म उभयं पि पम्हुई। छल-घाइ ति य चोरो कत्थ तुम कस्थ एरिसं वयणं । ता पत्तिय होसि तुम मणय म्ह रणंगणे जोग्गो ॥' 18त्ति भणमाणस्स पेसियं कुमारस्स एकं सर-वरं । तं पि कुमारेण दूरओ चेय ठिणं । तो कुमारेण पेसिया समय चिय 18 दोणि सर-वरा । ते हि भिल्लहिवेण दोहिं चेय सरहिं निगा। तो तेण पेसिया चउरो सर-वरा । ते वि कुमारेण विच्छिण्णा । तओ पयत्तं समंजसं जुद्धं । सर-वर-धाराहिं पूरिउ पयत्ता णव-पाउस-समय-जलया विव णहयलं । य एको 18 वि छलिड तीरइ । तओ सरवरा कत्थ दीसिउं पयत्ता । अवि य, 18 गयणम्मि कमति सरा पुरओ ते चेय मग्गओ बाणा । धणियलम्मि य खुत्ता उवरिं सुटंति भमर ब्व ॥ पूर्व च जुज्झमाणाणं पीण-भुया-समायणायासेण दलियाह कालवट्ठाई, उज्झियाई धरणिवठे, गहियं च वसुणदर्य। मंडलग्गाई च, दोहि वि जणेहिं तओ विरइयाई करणाई । बलिउं समाढत्ता । अवि य, 21 खण-वलणं-खण-धावण-उवण-संवेल्लणा-पयाणेहिं । णिहय-पहर-पडिच्छण-वारण-संचुण्ण गेहिं च ॥ ६२२५) एवं पि पहरंताणं एको वि छलिउँ ण तीरइ । तओ णिटुर-पहराहयाई मुसुमूरियाई दोणि वि। अवसुणदयाई, तुहागि य मंडलागाइं । तो ताई विउझि ऊग समुक्खयाओ कुवलय-दल-सामलाओ कुरियाओ। पुणे * पहरित पयत्ता, उद्धप्पहार-हत्यावहत्थ-हुलिप्पहारेहिं अवरोप्प । णय एको वि छलिडं सीरइ । तमो कुमारेण गुरुयामरिसरोस-फुरुफुरायमाणाहरेण आबद्ध-भिउडि-भीम-भंगुर-भासुर-रयगेण दिण्णं से दप्प-सायणं णाम बंध । तमो मिल्लाहिवेण वि शविण्णो पडिबंधो । कह कह पि ण तेण मोइओ भिल्लाहिवेण । तमो चिंतियं च तेण 'महो, को वि एस महासत्तो पिउणयर-27 कला-कोसल्ल-संपुण्णो ण मए छलिउं तीरइ । मए पुण एस्स हत्थाओ म पावेयव्यो । जिमो अहं इमिणा, ण तीरह इमाओ समुन्वरिउं । ता ण सुंदरमिमं । अवि य, 10 बी धी अहो अकज जाणतो जिणवराण धम्ममिण । विसयासा-मूढ-मणो गरहिय-वित्तिं समल्लीणो॥ जं चिय णेच्छंति मुणी भसुहं असुहप्फलं तिहुयणम्मि । वर-जीविय-धण-हरणं स चिय जीवी भउण्णस्स। चोरो त्ति जिंदणिज्जो उब्वियणिजो य सब्ब-लोयस्स । भूष-दया-दम-रुइणो विसेसओ साहु-सत्थस्स ॥ 33 हियए जिणाण आणा चरियं च इमं महं अउण्णस्स । एयं मालप्पालं अन्धो दूरं विसंवयइ ॥ 1) सत्यवाहस्स, Pणवई नाम ।, पण. 2) Pon. य, P थिरहरेंतहियया. ) भारिसारिल्ल भेसिया सुयणु.5" तीय.7) हत्थेण for हढेण, Pom, तं, P वरसिउ* वरिसि आदत्तो. 8)P भिल्लवतं ।. 9) P जुज्झिउं. 10) विणिहा, पलाविअं, वीरो॥ II) एहि, महं for मज्झ, P कारे पुरिसे ।, P रणवसवटुंमि. 12) जुयलेण, P inter. कुमारेण * भणिय. 13) भल्लो for भिल्लो, P दंसगो वि, P जोगो, मज्जा उभयं. 14)P छयघाय त्ति, मयण for मणय, जोगो. 15) Pom. त्ति, P om. कुमारस्स, Pचेव. 16)P (01. हि, P चेव, दछिण्णा for विच्छिण्णा. 17)सरवराहि । सवरधाराहिं, पयतं, Pom. जलया क्वि णयलं । ण य. 18J सरासत्थ for सरवरा पत्थ. 19)P भमंति for कमंति, P मग्गए, Jom. य. 20) Pएवं च जुज्झमाणेणं पीणभुयासत्ता । अवि य गयणमि etc. to भमर ब्व ।। एवं च जुज्झमाणेणं पीणभुयासण्णाकणायासेण विउनियाई कालवट्टाई, P धरगिवट्टे, Pच सुर्णदयं. 21)Jom अवि य. 22) वलणधावण, J उवणसंवेलणापयारेहि, P धारण for वारण. 23) Pएवं वि पि, पहरहयाई, Jom. मुसुमूरियाई. 24) Pवि सुनंदगाई, मुक्तयाओ for समुक्खयाओ. 25) Pउद्भपहर, हत्य',Jहुलिपहरे है P हुलिप्पहारि हिं, P गरुथामरिसफुरफुरा. 26) भिउडी, om. भासुर,J दिण्णं विपसातणं, Pom. वि. 27)। कहकरणेग for तेग, एसो महा. 28) संपण्णो ,' मए उण, P इमरस for एयस्स, P अहमिमिणा, P तीरश्माउ मुरियं. 29) Jता सुंदरं ण इमं । 30P घिद्धी हो अकज ज जाणतो वि जिगवराणमिण, J विती. 31) जं ने छति, P अनुई असुहाण वंघि असुहफलं. 32) सयक for सब्ब ('ल struck off in d), P रहिओ for रुइणो. 33 Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२२६] कुवलयमाला १३७ 1 चिंतेसु ताव तं चिय रे हियवय तुज्झ एरिसं जुत्तं । जं जाणतो चिय ण करेसि पावं विमूढो ब्व ॥ मज चयामि कलं सावजमिण जिणेहिँ पडिरुद्धं । इय चिंतेतो च्चिय से अकय-तवो पाविओ मझुं॥ एवं गए वि जइ ता कह पि चुक्कामि एस पुरिसस्स । अवस्थिऊण सम्वं पध्वज अब्भुवेहामि ॥' त्ति चिंतयंतो मच्छुञ्चत्तेण ओसरिओ मग्गओ ऊणं हस्थ-सय एक्कप्पएसे उज्झिऊण भसिधेणु पलंबमाण-भुयप्फलिहो य णीसंगो काउस्सग्ग-पडिम संठिओ त्ति । अवि य 6 अच्छोडिऊण तो सो असिधेणु णियं धरणिवढे । ओलंबिय-बाहु-जुओ काउस्सगं समल्लीणो ॥ सायार-गहिय-णियमो पंच-णमोकार-वयण-गय-चित्तो। सम-भित्तो सम-सत्तू धम्मज्झाणं समल्लीणो॥ तं च तारिसं वुत्तंत दट्टण, सोऊण य पंच-णमोकार-वयणं, सहसा संभंतो पहाविमो कुवलयचंदो । साहम्मिओ त्ति काऊण 9'मा साहसं मा साहसं ति भणमाणेण कुमारेण अवयासिओ। भणियं च तेण । 'अवि य, मा मा काहिसि सुपुरिस ववसायमिणं सुदुत्तरं किं पि। पञ्चक्खाणादीयं णीसंग-मुणीण जं जोगां ॥ एयं मह अवराहं पसियसु दे खमसु कंठ-लग्गस्स । साहम्मियस्स जे ते पहरिय-पुवं मए अंगे। 12 पावाण वि पावो हं होमि अभन्बो त्ति णिच्छियं एयं । सम्मत्त-सणाहे वि हुजं एवं पहरियं जीवे ॥ जलणम्मि ण सुज्झामो जले ण कत्तो कया वि पडण । जइ वि तवं तप्पामो तहा वि सुद्धी महं कत्तो॥ मिच्छामि दुक्कडं ति य तहा वि एवं रिसीहिं आइण्णं । पुव-कय-पाव-पव्वय-पणासणं वज-पहरं व॥ 16 ता दे पसियसु मज्झ उवसंहर ताव काउसग्गमिण । दीसइ बहुयं धम्म जे कायध्वं पुणो कासि ॥ त्ति $२२६) एवं ससंभम-सविणय-भत्ति-जुत्तं च कुमारे विलवमागे चिंतियं भिल्लाहिवेण । 'अरे, एसो वि साहम्मिओ, ता मिच्छामि दुक्कडं जं पहरियं इमस्स सरीरे । अयि य, . 18 जो किर पहरइ साहम्मियस्स कोवेण दसण-मणम्मि । भासायण पि सो कुणइ णिकिवो लोय-बंधूर्ण ॥ ता अण्णाण इमं किं करोमि त्ति । इमस्स एवं विलवमाणस्स करेमि से वयणं । मा विलक्खो होहिइ । मए वि सायारं पञ्चक्खागं गहियं । ता ऊसारेमि काउसगं' ति चिंतयंतेण गहिओ कुमारो कंठम्मि । 'वंदामि साहम्मिय'ति भणमाणा दो 21 वि अवरोपरं हियय-णिहित्त-धम्माणुराया णेह-णिब्भरत्तगेण पयलंत-बाह-बिंद्र-णयण-जुवला जाया । अवे य । परिहरिय-वेर-हियया जिण-वयणभंतर त्ति काऊण । चिर-मिलिय-बंधवा इव ससिहं रोत्तुमाढत्ता ।। तो खणं एकं समासत्या भणियं च कुमारेण । 4 'जइ एवं कीस इमं अह एवं चेय ता किमण्णेण । जोण्हा-गिम्हाण व से संजोओ तुम्ह चरियस्स ।' भणियं च भिल्लाहिवेण । 'जाणामि सुटू एयं जह पडिसिद्धं जए जिणवरेहिं । कम्मं चोराईयं हिंसा य जियाण सव्वत्थ ॥ 27 किंवा करेमि अयं चारित्तावरण-कम्मदोसेण । कारिजामि इमं भो अवसो पेसो व्व गरवइणा ॥ भत्थि महं सम्मत्तं णागं पि हु अस्थि किं पि तम्मेत्तं । कम्माणुभाव-मूढो ण उणो चाएमि चारित्तं ॥ तुम्ह पहावेण पुणो संपइ तव-णियम-झाण-जोएहिं । अप्पाणं भावेतो णिस्संगो पवईहामि ॥' त्ति 30 भणियं च कुमारेण 'असामण्णं इमं तुह चरियं, ता साहसु को सि तुम' । भणियं भिल्लाहिवेण च । 'कुमार, सम्वहा ण 30 होमि अहं भिल्लो, होमि णं पुण भिल्लाहिवो । इमं च वित्थरेण पुगो कहीहामि कुमारस्स । संपय पुण दारुणं भयं सत्थस्स। विलुप्पइ सत्थो चोर-पुरिसेहिं । ता णिवारणं ताव करेमो' त्ति भणिऊण पहाविओ । भणियं च ण 'भो भो भिल्लपुरिसा, 1) P आ for चिय. 2) P adds चयामि after कलं, J मच्चू. 3) " या for ता, अहं for कह. 4) मछुवत्तण, P एकपएसे, J -हुयफलिहो P -वुयफालिओ नीसंगो काउस्सग्गं पडिमं ठिओ. 6)P om. सो, P धरणिवहे. 7) P adds पंचनमो before पंच. 8) Pom. य, P संकेतो पहाइओ, P after कुवलयचंदो adds साई मित्तो समसत्त धम्मज्झार्ण etc. to पहाविओ कुवलयत्रंदो. 9) Pom. 2nd मा, P अक्यारिओ. 10) P पच्चक्खाणाई यं निस्संग. 11) J पहरिसपुव्वं. 12) हं होंति अभब्वेंति. 13) नवावि for कयावि, P om. वि after जइ. 14) तह वि इमं रिसीहि, P आइचं for आइण्णं. 15) J उवसंघर, P वाव for ताव, धम्मकायव्यं. 16) P एवं च संभमं, सविणस, Pom. च, P कुमारो विलवमाणो, P om. वि after एसो. 18) साहं विभियस्स, Pदसणमिणमि. 19) अन्नाणमिमं. 20) उस्सारेमि. बंदिs for वंदामि, P भणमाणो. 21) Fधमाशुरायनेह, J बाहु for बाइ, P जुयला. 22) P रोवुमाढत्ता. 23) Pinter. एकं & खणं. 24) J एयं for एवं, " संजाओ. 26) " सह, एवं, चोराईहिं. 27) P करिमि, P चारित्तामरणकंमदोसे ।. 28) तंमत्तं, P adds में before कम्माणु. 29) Pपभावेण, P inter. च & भिल्लाहिवेणं. 31) Padda न before होमि (second), P om. णं, P दुण for पुण, P सवित्थर for वित्थरेण. 32) P विलुपद, Pom. ताव.. 18 . Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरइया [६२२६मा विलुपह मा विलुपह सत्य, मह पायच्छित्तियाए साविया तुब्भे जइ णो विरमह' ति । एवं च सोऊण भिल्लपुरिसा । कुड्डालिहिया इव पुत्तलया थंभिया महोरया इव मंतेहिं तहा मंठिया । तो भणियं 'अरे, अण्णिसह सत्थवाह, मं-भीसेह ३ वणिजए, आसासेह महिलायणं, पडियग्गह करहे, गेण्डह तुरंगमे, पडियग्गह पहरते, सकारेसु मइल'त्ति । इमं च आणं 3 घेत्तर्ण पहाइया भिल्ला दिसोदिसं । सत्थवाहो वि तारिसे सत्थ-विन्भमे पलायमागो वणम्मि णिलुक्को परिन्भमंतेहिं पाविभो भिल्लहिं । तओ आसासिओ तेहिं, भणियो य 'मा बीहेह, पसण्णो तुम्हाणं सेणावई' । आणिओ से पासं म-भीसिभो तेण । 6 भणियं च सेणावइणा 'भो भो सत्थवाह, पुण्णमंतो तुम, चुक्को महतीओ भावईमो, जस्स एसो महाणुभागो समागओ 8 सत्थम्मि । ता धीरो होहि, पडियग्गसु अत्तणो भंडं । जं अत्थि तं अस्थि, ज णत्थि तं एक्कारस-गुणं देमि त्ति । पेच्छसु पुरिसे, जो जियइ तं पण्णवेमि त्ति । सव्वहा जं जं ण संपडइ तमहं जाणावेसु' त्ति भणमाणो घेत्तुं कुमारस्स करं करेण समुट्ठिओ 9 सेणावई पल्लिं गतुं समाढत्तो। ६२२७) आढत्ता य पुरिसा । 'भो भो, एयं सत्याहं सुत्येण पराणेसु जत्थ भिरुइयं सस्थवाहस्स'त्ति भणिऊण गओ सज्झ-गिरि-सिहर कुहर-विवर-लीण महापल्लिं । जा य कइसिय । कहिंचि चारु-चमरी-पिंछ-पन्भारोत्थइय-घर-कुडीरया, 12 कहिंचि बरहिण-बहल-पेहुण-पडाली-पच्छाइय-गिम्हयाल-भंडव-रेहिरा, कहिं चि करिवर-दंत-वलही-सणाहा, कहिंचि तार-12 मुत्ताहल-कय-कुसुमोवयार-रमणिज्जा, कहिंचि चंदण-पायव-साहा-णिबद्वंदोलय-ललमाण-विलासिणी-गीय-मणहर त्ति । अवि य, अलया पुरि ब्व रम्मा धणय-पुरी चेय धण-समिद्धीय । लंकाउरि ब्व रेहद सा पल्ली सूर-पुरिसेहिं । 15 तीए तारिसाए पल्लीए मझेण अणेय-मिल्ल-भड-ससंभम-पणय-जयजया-सह-पूरिओ गंतुं पयत्तो । अणेय-भिल्ल-भड-सुंदरी-वंद्र-16 दसण-रहस-वस-वलमाण-धवल-विलोल-पम्हल-सामल-णीलुप्पल-कुमुय-माला-संवलंत-कुसुम-दामेहिं अञ्चिजमाणो भगवं भदिट्ट-पुष्यो कुसुमाउहो व्व कुमारो वोलीणो त्ति । तो तस्स सेणाव इणो दिटुं मंदिरं उवरि पल्लीए तुंगयर-सज्म-गिरिवर18 सिहरम्मि । तं च केरिसं । अवि य, 18 तुंगत्तणेण मेरु ब्व संठियं हिमगिरि ग्व धवलं तं । पुहई विव वित्थिण्णं धवलहरं तस्स णरवहणो॥ तं च पुण कुमार-दसण-पसर-समुभिजमाण-पुलइयं विव लक्खिजइ घण-कीलय-मालाहिं, णिज्झायंतं विव चुंपालय-व21 क्खासण-सयणोयरेहिं, अंजलिं पिव कुणइ पवण-पय-धयवडा-करग्गएहिं, सागय पिव कुणइ पणञ्चमाण-सिहि-कुल-केया-1 रवेहिं ति। ६२२८) तओ तं च तारिसं सयल-जयर-रमणिज पलिं दट्टण भणियं कुमारेण । 'भो भो सेणावइ, किं पुण इमस्स 24 संणिवेसस्स णाम' ति । सेणावइणा चिंतियं । 'दूरमारुहियध्वं, उव्वाओ य कुमारो, ता विणोएयवो परिहासेण'ति चिंतयं-24 तेण भणियं 'कुमार, कत्थ तुम जाओ' । कुमारेण भणियं 'अउज्झापुरवरीए' । तेण भणिय 'कत्य सा अयोज्झापुरवरी' । कुमारेण भणियं 'भरहवासे' । तेण भणियं 'कत्थ सो भरहवासो' । कुमारेण भणियं 'जंबुद्दीवे' । तेण भणियं 'काय त 27 जंबुद्दीवं' । कुमारेण भणियं 'लोए'। तेण भणियं 'कुमार, सव्वं भलियं' । कुमारेण भणिय 'किं कजं' । तेण भणियं 'जेण लोए जंबुद्दीवे भरहे अयोज्झाए जाओ तुम कीस ण-याणसि इमीए पल्लीए णाम तेलोक-पयड-जसाए, तेण जाणिमो सव्वं भलिय' । तओ कुमारेण हसिऊण भणियं 'किं जं जं तेल्लोक-पयड तं तं जणो जाणइ सब्वो' । तेण भणियं 'सुट्ट जाणई'। 30 कुमारेण भणियं 'जइ एवं ण एस सासओ पक्खो' । तेण भणियं 'किं कर्ज' । कुमारेण भणियं । 'जेणं सम्मत्त-णाण-वीरिय-चारित्त-पयत्त-सिद्धि-वर-मग्गो । सासय-सिव-सुह-सारो जिणधम्मो पायडो एरथं ॥ तह वि बहूहि ण णजइ ण य ते तेल्लोक-बाहिरा पुरिसा । तो अस्थि किंचि पयर्ड पि ण-यणियं केहि मि णरेहिं ।' 33 तेण भणियं 'जइ एवं जिओ तए अहं । संपयं साहिमो, इमं पुण एकं ताव जाणसु पण्होत्तरं । अवि य । 33 1) P मा लुपद in both places, J पातच्छित्ति', P इत्ति for त्ति. 2) P कुइलिहिया व पुत्तला, P inter.इव & महोरया, P महोरगा मंतेहिं, तओ भणिआ अण्णिसह, P मंतीसह. 3)P वणिया, महिलायलं, P सकारेह, एवमिमं च for इमं च. 4)J adds अ before पाविओ. 6) सत्थाह कयउण्णो तुम, P महाणुभावो. 7) P अत्तणं, P om. जं before अस्थि, P om. तं after णत्थि, P मुणं for गुणं, P पुरिसो. 8)P पनवेमो, संघडइ, तं महं. 9)P सेणावती, J समाढत्ता. 10) Better [आणत्ता] for आदत्ता, Pom. य. सच्छाहं सत्थेण, P om. सत्याहं, P परायणे, P जहा भिरु', J भिरुईयं, Jom. सत्यवाहस्स त्ति. 11) Jom. गिरि, P om. कुहर, Jलीणं, P जाव कतिसिय, पुच्छ for पिछ, J पम्भारोश्यघरकुट्टीरया. 12)P गिम्हयालंगंडव, रेहिर, P वर for करि, वरहीसणाह. 13) J रमणिज्ज, Pom. अवि य, 14) P अलयाउर त्ति रम्मा, J adds रम्मा before रेहइ. 15) तीअ, P om. भढ, P after ससंभमपणय, repeats धणसमिद्धी य । etc. toमिल्लमसंभमपणय, P दस for सद, P inter. भड & मिल. 16) P विलसमाण for वलमाण, P कुसुमयमेहिं. 19) पुहई पिव. 20) सो य for तं च, P दंसणवसणहसुभिज्ज', पुलइओ इव लज्जिज्जइ घण', 'णिज्जायती विव चुंबलेयरववक्खयाणयणोअरेहिं. 21)P कुण्णइ नच्चमाण. 23) Pसयलनयनरीरम. 24) दूरं आरु,P वि for ति, (partly on the margin) चितयंतेण भणि पलीवश्णा कुमारस्त तुम्हाणं कत्थ जम्मो कत्तो वा आगया। कुमारेण भणिय। अयोज्झापुरवरीओ. 25) Pom. तेण भणियं before कत्थ etc., P अउज्झपुरवरी. 26) P भरहावासे, Jom. तं. 27)" om. कुमारेण भणियं before किं कज, Jom. तेण भगियं, Pom. जेग लोए. 28)P अवज्झाए, adds जइ before तुम कीस, P -पाय- 29)P सव्वं for सम्वो. 31) पत्थ for पत्थं. 32)J तहा वि, P न मज्जर जहते, J ता for तो, P किंपि पयर्ड पि न याणिय केहि नि नरेहिं. 33) जइ (for तेण) भणियं तेण जइ, Pom. पुण. Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 -६२२९] कुवलयनाला १३९ 1 का चिंतिजइ लोए णागाण फणाए होइ को पयडो। जह-चिंतिय-दिण्ण-फलो कुमार जाणासु को लोए॥ कुमारेण चिंतियं 'अरे, को चिंतिजइ । हूं चिंता । को वा णायाण मत्थए पयडो ।हूं मणी । को वा जह-चिंतिय-दिण्ण-फलो । 3 मरे, जाणियं चिंतामणी । किमिमाए पल्लीए चिंतामणी णाम' ति चिंतयंतेण पुच्छिय जाणिय भणिय 'भो चिंतामणि'त्ति । 3 सेणावइणा भणियं 'कुमार, जहाणवेसि' ति । एवं च परिहास-कहासुं आरूढा ते अत्तणो मंदिरं, दिटुं च अणेय-ससंभमवियरमाण-विलासिणी-णियंब-रसणा-रसंत-रव-रावियं । तओ पविट्ठा अभितरं, उघगया देवहरयं । तस्थ य महंत कणय6 कवाड-संपुड-पडिच्छण्ण दिटुं देव-मंदिरं । तत्थ उग्घाडिऊण दिट्ठाओ कणय-रयणमइयाओ पडिमाओ । तओ हरिस-भरिजंत- 6 वयण-कमलेहिं कओ तेलोक्क बंधूर्ण पणामो। णिग्गया य उवविट्ठा महरिहेसु सीहासणेसु । वीसंता खणं । तओ समप्पियाओ ताणं पोत्तीओ। पक्खित्तं च सय-सहस्स-पागं वियसमाण-मालई-सुगंध-गंध-सिणेहं उत्तिमंगे तेल्लं । संवाहिया य 9 अहिणव-वियसिय-कमल-कोमलेहिं करयलेहिं विलासिणीयगेणं ति । तओ उन्वटिया कसाएहिं, पहाणिया सुगंध-सुसीयल- . जलेणं । तओ व्हाय-सुई-भूया सिय-धोय-दुकूल-धरा पविट्ठा देवहरए । तत्थ य पूइया भगवंतो जहारुहं । तओ झाइओ एक खणंतरं समवसरणत्यो भगवं। जविया य जिण-णमोक्कार-चउब्बीसिया । तो आगया भोयणत्थाण-मंडवं, परिभुत्तं च 12 जहिच्छिय भोयणं । तमो णिसण्णा जहासुह, अच्छिउं पयत्ता वीसत्थ त्ति । 12 ६२२९) तो अच्छमाणाणं ताण समागओ धोय-धवलय-वत्थ-णियंसणो लोह-दंड-वावढ-करो एको पुरिसो।। तेण य पुरओ ठाऊण सेणावइणो इमं दुवलयं पढियं । भवि य । 16 'णारय-तिरिय-णरामर-चउ-गइ-संसार-सायरं भीमं । जाणसि जिणवर-वयण मोक्ख-सुहं चेय जाणासि ॥ तह वि तुम रे णिय अलज्ज चारित्त-मग्ग-पन्भट्ठो। जाणतो वि ण विरमसि विरमसु महवा इमो डंडो॥' ति भणमाणेण तेण पुरिसेण ताडिओ उत्तिमंगे सेणावई । तओ महागरुल-मंत-सिद्धृत्य-पहओ विव ओअंडिय-महाफणा-मंडवो 18महाभुयंगो विय अहोमुहो संठिओ चिंतिऊण य पयत्तो । अहो पेच्छ, कहं णिटुरं अहं इमिणा इमस्स पुरओ सुपुरिसस्स 18 पहओ डंडेणं, फरुसं च भणिो त्ति । अहवा णहि णहि सुंदरं चेय कयं । जेण, जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि एत्थ संसारे । मूढा भमंति जीवा कालमणतं दुह-समिद्धा। ताणं चिय जो भब्वो सो वि भउब्वेण कह वि करणेणं । भेत्तण कम्म-गठिं सम्मत्तं पावए पढम ॥ तं च फलयं समुद्दे तं रयणं चेय णवर पुरिसस्स । लभ्रूण जो पमायइ सो पडिओ भव-सयावत्ते ॥ लखूण पुणो एयं किरिया-चारित्त-वजियं मोहं । काय-किरियाए रहिओ फलयारूढो जल-णिहिम्मि ॥ ता जम्म-लक्ख-दुलहं एयं तं पावियं मए एहि । चारित्तं पुण तह वि हु ण ताव पडिवजिमो मूढो । जिण-वयण-बाहिर-मणो ण-यणइ जो जीव-णिज्जरा-बंधे। सो कुणउ णाम एयं मूढो अण्णाण-दोसेण ॥ मह पुण तेलोकेकल्ल-बंधु-वयण वियाणमाणस्स । किं जुज्जइ जीव-वहो धिरत्थु मह जीव-लोगस्स ॥ संसारो अइ-भीमो एयं जाणामि दुलहा बोही । भट्ठा उयहिम्मि वराडिय व दुक्खेण पावस्सं ॥ जाणतो तह वि अहं चारित्तावरण-कम्म-दोसेणं । ण य विरमामि अउण्णो सत्तेण विवजिओ अहमो॥ घिद्धी अहो अउण्णो करुणा-वियलो अलज्ज-गय-सत्तो । खर-णिटर-फरसाणं दूर चिय भायणं मण्णे ॥ 30 इय चिंतंतो चिय सो पव्वालिय-बाह-सलिल-णयणिलो । आमुक्त दीह-णीसास-दुम्मणो दीण-वयाणलो॥ भणिमो य कुमारेण । 'भो भो, को एस वुत्ततो, को वा एस पुरिसो, किं वा कज्जेण तुमं ताडिओ, किं वा अवराहो खमिओ, किं वा तुमं दुम्मणो सि' त्ति भणिए दीह-णीसास-मंथरं भणियं सेणावहणा 'कुमार, महल्लो एस वुत्ततो, तहा वि तुझ । 33 संखेवेणं साहिमो, सुणासु त्ति । 33 A 1) किं for का, णायाण, P भणाहि for फणाए, चिंतियदिअहफलो दिनफलो अरे जाणियं चिंतामणी 1, Pom. कुमार जाणासु को लोए ॥ कुमारेण चिंतिय 'अरे eto. to दिण्णफलो। 3) कि इमाए, Jणाम चिंतयं, Pom. पुच्छियं जाणिय, I om. मणियं, P adds चिंतामणियं भो after भो. 4) जहाणवेहि ति. 5) P वियरमाणे वियासिणी, I रस for रव, ' अभंतरं. 6) परिच्छिन्नं, Jadds च after दिटुं, P adds य after तत्थ, P कणयणयरमतीआउ. 8) सत for सय, सुअंध, Jom. तेलं. 9) नव for अहिणव, P विणा सिणीअणेगं, Pति पदागिया for ण्हाणिया, ' सुअंध, P सुयसीयलेणं जलेणं. 10)Fसुईभूसिय, P दुगूलहरा, I om. य, भगवंता. 11) चउवीसिया, P om. आगया, P भोयत्थाण, I om. च. 13) थोव, धवलनियंसणे. 15)P सागरावत्ते।, P जिणवयणेणं. 16)Pइमो दंडो त्ति. 17)P-पहओ, विव उअंटिअ-, Pom. महा before फणा. 18) अहो for अहोमुहो, Pom. अहो, Pom. अहं. 19) P दंडेण, P om. णहि णहि, I adds अवि य after जेण. 20) णवर for पत्थ. 21)P भोत्तण for भेत्तूण (emended). 23) किरेआए. 24) याब for ताव. 25) Pबंधो।, Pकुणाउ. 26) कवयणं बंधु बियाण', Pमहो for वहो. 27) Pउअहंमि. 29) P दूचिय. 30): चिंतेंतो, P दीणविगणिल्लो, 31) Pom. य, Pom. one भो, J om. वा before अवराहो. 32) महुरं for मंथरं, " तुम for तुज्झ. 33) P निसुणेसु for सुणानु. Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * उज्जोयणसूरिविरया [8230 1 ९ २३० ) अस्थि पुहई-पयासा उववण-वण-संणिवेस-रमणिज्जा । रयणाउरिति णामं जण णिवहुद्दाम-गंभीरा ॥ जहिं च पण कुल पि पवन-पदलमाण कोटि-पाया-पाई भसेस- सत्यत्य-विम्याबाई पंजर- सुब- सारिया- निहायई, 3 विडिय - विरूप-रूप- सोडा-समुदय चकियवाण, विरुव-लावण्ण-विनिजिय-मच्छर-कच्छप णावर बालियर त्ति । अवि य । जं तत् किंचि अह लोए हुये ति परिहवावडिये इयर-जवरीण से चित्र पतिय पदमं गणिनेा ॥ 6 श्रीए णयरीए राया रचणमउडो णाम । 1 जो होइ जो घणो को पसाए सनुपई दीणाण गब्बियाण व पवडे धण-खमा पहरेहिं ॥ सम्माण समत्यो यो तस्स गुणे । तमो तस्स व राहूणो दुबे पुत्ता, तं जहा दप्यफलिहो याहुफलिहो य एवं च 9 तस्स रजे अणुपालयंतस्स एक्कम्मि दियहे अमावसाए परिहरिय-सयल- संणिहिय-पाय-पयत्य-सत्यस्स पभस-समए वासहरयं पविस्स णीसारियल-महिला-बिलासिणीवणस्स लट्ठिप्यईद-सिद्दाए दिट्टी विलग्गा तभो किं-किं पतितस्त्र भागओ सम्म पईये एक पर्यो। सो तं पयसि मलिक इच्छट तओ राइणा पव-अनुपा-सहावेण चिंतियं 'अरे, पराओ 12 अण्णा मोहिओ पडिदिइ इमम्मि पहुंचे, ता मा बरानो जति णि गदिनो करवले, घेत्तृण पक्खितो कबाट- 12 विवरंतरेण । परिवत मेचे चेय पुगो समागओ पुणो वि वितियं णरवणा 'अहो, पेच्छह विहि-विहियत्तणं पगरस' पुणेो भागओ, पुणे महिलो, पक्सित्तो व पुणो वि आगमो तो चिंतियं णरवणा 'अहो एवं लोट सुनीय किर उपाय15 रक्सिओ पुरियो पास-सर्व जीवति वा पेच्छामि किं उपाए मधुनो सयासाओं रक्खा का हवइ, किंवा नव'सि 15 चितले गहिमो पुणो पयंगो। 'दे इमं क्लामि जइ एस इमाओ मधु-मुद्दाओ रखियो होजा, ता जाणिमो अि वेजोस हेहिं वि मरण-परित्ता । अह एस ण जीविहिइ मए वि रक्खिजमाणो, ता णत्थि सरणं माणो त्ति, परलोग-हियं 18 वरति चिंतते पोइयाई पासाई दिई च एवं उग्पादियं समुमी तमो राइणा शति पक्सित्तो तम्मि 18 समुग्गयम्मि सो पयंगो, ठहओ य उवरिं, पक्खित्तो य अत्तणो ऊसीसए। एवं च काऊण एसुत्तो राया, पडिबुद्धो गिद्दा -खए चिंतिउं पयत्तो। 'अहो, पेच्छामि किं तस्स पयंगस्स मह उवाएणं कयं' ति गहिउं समुग्गयं णिरूवियं मणि-पदीवेण जाव पेच्छह 21 कुड्डु-गिरोलियं ति । तं च दट्ठण पुलइयं णिडणं, ण य सो दीसइ । तओ चिंतियं राइणा ' अवस्सं सो इमीए खइओ 21 होदिइ ति अहो धिरधु जीव-सोयरस जेण 1 1 रक्खामि ति सयहं पक्खित्तो एस सो समुग्गम्मि । एत्थ वि इमीए खइओ ण य मोक्खो अत्थि विहियस्स ॥ जेतिय- मेरो कम्मं पु-कथं राग-दोस- लुसेण तेत्तिय मे से देह फलं संदेहो 1 1 वेजा करेंति किरियं ओसह जोएहिं मंत-बल-जुत्ता । णेय करेंति वराया ण कयं जं पुब्व - जम्मम्मि ॥ पच जेण इमो भए पर्वगो समुम्मए छूढो गिलिलो गिरोलियाए को किर मंजूर रक्खेा ॥ साथि कृत्य सरण सयले वि सुरासुरम्म लोयग्मि जं जं पुरतं चित्र भुजाए एवं ॥ ता कीस एस लोओ ण मुणइ पर-लोय-कज्ज-वावारं । घण-राय-दोस- मूढो सिढिलो धम्मासु किरियासु ॥ इयर एवं सहसा वेग-मग्ग-पडियस्स तारूय कम्म-वसमे जम्मं पुणो भरिये ॥ तबो जाए जा-सरणे संभरिओ राहणा भवो पुग्यो जहपाठिय-पवनो दिव-होयं पाविनो तहया सम्हामो वि चुलो भोए भोगून एक उपवण्णो से पुत्र जन्म-पडिये से पि असेसेण संभरिये ॥ 1 24 27 30 24 27 J J J 1 ) P एएसो for पयासा, Jom. वण, रयणपुरि, P लोए for णामं. 2 ) P कुणई, वि for पि, P पि पवयण, णिछाया इं सत्थत्थु - P सत्थनिम्माई पिंजर-- 3) विधियाविरूवसोदा, Jom. लावण्ण पहायचा उर आए. 5 ) Pinter किंचि and तत्थ, P परिहंति वावडियं । अन्न नयरीण, P गणेज्जासु ॥. 6) तीअ रयणाउरी राया. 7 ) P होज for होइ, P कोपरसाद चपणती, पहरा 8 ) Jom. तस्स गुणे, बाहुप्फलिहो, P एवं तस्स य रज्जं. 9) समावासिए for अमावसाए, पाव for पाय. 10) Pom. महिला, P लद्धीपईओ सिहाए, विलग्गो, Pom. one किं. 11 ) P अहिलसिऊणं इच्छा, पयई, P अणुकंपा. J 12) Jom. अण्णाणमोहिओ, P पडीहिइ. 13 ) P मेत्तो, Jom. वि, विविधिअत्तणं P विद्दिविहियं J adds वि in both places after पुणो 14 ) P पखितो, P ततो for तओ, ग्लोए सुणीयति. 15) J रक्खितो, P adds वा before उवएहि. 16 ) P दे रहमं 17 ) P परता, JP जीविहिति P वि खिज्जमाणो 18 ) J चेअ for चेव, P पलोवियाई, P उग्धाडयं, P समुयं for समुग्गं, P मुक्को for पक्खित्तो. 19 ) Jom य, J उसीस, विबुद्धो for पडिबुद्धो 20 ) उगहिअं, मणिपईवेण, P मणिपदीवे जाव पेच्छार, 21) कुण्ड कुडु, P गिरोलयं ति, P राइणो. 22 ) होहिसित्ति, P लोगस्स, P संपयं for जेण. 23 ) P सत्तण्डं, P मे for सो, P om. एत्थ वि इमीए ete. to पुत्रजन्मम्मि 24 ) P जत्तिय 25 ) उ णय for णेय 26) Jगरोलियाए. 27 ) P लोगंमि, P पुब्वरइयं, P भुंजए. 28 ) P लोए for लोओ, J लोअ for कज्ज, P रागद्दोस 29 ) P नरवरणा, P क्खयओव", P जंमो पुणो 30 ) P पुव्वभवो for भवो पुग्दो, P पार्णिय for पालिय. 31 ) P भुओ for चुओ, P य तेण for असेसेण. 30 . Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६-२३२ ] कुवलयमाला १४१ २३१ ) अह चिंतिउं पयत्तो रित्थु संसार वास दुक्खस्स । गय-चारित्तावरणो दिक्खं अह गेण्डए मणसा ॥ कय-पंच- मुट्ठि-लोओ सुमणो परिहरिय-सेस सावजो । गय-पावो गिल्लेवो जाओ सलिलम्मि लउओ भव ॥ 3 एवं च तस्स इमम्मि नवसरे अहा संगिहियाए देवयाए किं कर्म अविव 1 धवलं विमलं सुहयं पसरिय-दसिया मऊह - फुरमाणं । बहु-पाव-रमोहरणं स्यहरणं अप्पियं तस्स ॥ मुह-पोत्तिया य बीया पत्ताईया हूँ सत्त भण्गे वि । इय णव उवहि-सणाहो जाओ पचेय-बुद्धो सो ॥ B साव य पभाया रयणी । पढियं मंगल- पाढए । अवि य, अरुण-कर- शिवर-भरिये गयणवलं णासमान तारा कूपति सारसाई साय-सउणाण सुव्यए सदो पसर कुसुमामोलो वियर दिसामु पाटलाच इय एरिसे पभाए णरवर दे पुणकुण एवं सेच तारिर्स बेदिया पहिये जिसामि भगवे रायरेसी बिहानि का 21 80 83 ओजग्गद् उज्जोओ बियल तिमिरं दस-दिसासु ॥ बिरहोलुमा सरीरं पडियं चाय-बपि ॥ उदाइ कलवल-रको स्वैति सम्बन्ध कुकुडवा ॥ गिड़ा-मोई अह वारिजण परलोग बाबारे ॥ 12 विव गिरिवर - गुहाओ, दिट्ठो य परियणेण । केरिसो । अवि य, कय-केस- लुंचणो सो पत्तय-रय-हरण- रेहिर-करग्गो । च तं च तारिसं पेच्छिऊणं वासहर- पालीए धाहावियं । कहं । अवि य । 15 हा हा माए भावह धावह एसो म्ह सामिओ राया । अजं त्रिय वासहरे अह किं पि विडंबणं पत्तो ॥ I एवं सोण चादारवं णिसामिण पहाइमो अंतेड रिया-जगो संभम-वस-खमाण-पण-गेटर- रणरणासद-मुलो पाइलो वर - बिलासिणि-जणो । तभो ताहिं भणियं । 18 "जिव दय सुत्य सामिव पसिय तु किं व लवक लम्हे जेग से मुंचसितान विवर्ण कार्ड ॥ विलासिणि-कर-संसगावडिया जिसे कय तुझ केसा भवज्जम चिया देण ॥ जे कप्पूर-पूर-चंद्रण-मयणाहि समुग्गएक कलियम्मि । वासहरम्मि करंका कत्थ तए पाविया णाह ॥ दरिवारि-दारण-सई तुह स्वर्ग णाद रेहह करगे उण्णामय-दसियालं एवं पुण पिंड को ' तो एवं पयमाणस्स अतरिया-जणस्स मदिष्ण-पडिलावो गंतुं पवतो तो मुक कंठं धाहावियं तार्दि 'अव चाह घाद बाद एसो लम्हाण सामिको सहसा केण विहीर पुरमो अदिष्ण-संलाब-दिमणाणं ॥ 24 मंच हा-हा-वं णिसामिण संपता मंतिगो तेहिं य दिड़ो से भगवं महामुणिरुवो वंदिकण व भणिये तेहिं 'भगवे 24 को एस बुतो' सि । एवं च भण्णमाणो विणिमानो पेय जयरीओो । तमो तह थिय मग्गाग्गो सेस-परियणो वि संपत्तो उज्जाणवणं । तत्थ य तस थावर - विरहिए पएसे णिसण्णो भगवं रायरिसी । तभो पिसण्णा मंतिणो अंतेउरिया जणो य । 27 लम्हे विदुये वि जमा तस्स पुत्ता दष्यफलिह भुयफलिहा भायरो जिम्मा पिडणो सवासं तत्रो उवविद्वाण व भगवं 27 रायरिसी साहि पयतो अनि य 1 1 1 वास भवणस्त्र गिगाओ सी किसोरजो त व रजं राया सीहो व्व क्खितो ॥ र बहुसो पंच बहुसो पुण सेविये च दोगांचं जह देह विसिद्वाणं इमणि च ज ण भायर अह बंध-बाय-वह मार-परिणओ टु धम्म-वावारो ६ २३२ ) णार तिरिय-नरामर-ठ- गहू- संसार-सावरं भीमं भ्रममाणरण बहुसो अणोरपारं सपा-का ॥ णिव धम्म-कम्म यसो वय-हार्णि पावए जीवो ॥ जइ अनुकंपा परमो ता र को ण पावे ॥ ता बच्चे णरए सादसु को रंभि तरह ॥ सो णत्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण संसारे । पत्तो देवत्त-पयं किमी य असुहम्मि उववण्णो ॥ 1 1) P अहा चिंतिउं पयत्ता, दिक्खा अह. 2 ) P जाओ सरयंमि जलउ व्व. 3 ) J अवसरे जहासणिहि. 5) य बितिआ पत्तातीआई, Pपत्ताईया वि, P पमाणो for सगाहो, P पत्तेयबुद्धो 6 ) Jom य्. 7 ) P नयणयलं तासमाण for गयण' etc., P उज्जोवो. 8 ) P जुयलं. 10 ) P मोहं अवयारिऊन, परलोअ 11 P रायसिरी, विहरिऊण, om. णिग्गओ, P किसोरो 14 ) 3 बासहरयवालीए, Jom. अवि य. 15 ) Jom. one धावह, आ कई for अह किं. 16) F adds च after एवं, J धाहरवं P थाहावरवं, यणो for जणो, खणमाण- 17 ) P वारविलासिणीयणो 18 ) P सुयय, पसीअ, P अम्हे । जे जेणत्थेक्के मुंचसि अत्ताण. 19 Jom. जे, P विसासिणि, P संग्गि for संसग्ग. 21 ) P दरियाविदारण. 22 ) P अंतिउरिया, P कंठं हावियं ताहि । अवि धावह थाह पावह. 23 ) J धावह माए एसोम्ह सामिओ 24 ) P सो for से. 25 ) P चेव नयराओ P तहे व for तह चिय. 26) रहिए for विरहिए, P तओ निसन्नो. 27 P वि दुवे जणा दप्प दप्पप्फलिहो भुयप्फलिहा, १ सगासं, Pom. य. 28) J om. arfa 4. 30 P उण for पुण, P दोहगां for दोग्गचं, P inter. कम्म (कंम) & धम्म, रायहाणि for खयहार्गि. 31 ) P विसिडागं, ग्यारह for आयर, अणुअंपा 32 ) P अह P घाय for मार. 8 12 15 18 21 30 33 . Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ जोयणसउरिविरइया [६२३२सो णथि कोइ जीवो इमम्मि संसार-दुक्ख-वासम्मि । माइ-पिइ-पुत्त-बंधू बहुसो सयणत्तणे पत्तो ॥ सो णत्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण कम्मेण । विसयासा-मूढ-मणो अवरोप्पर-मारण पत्तो ॥ सो णस्थि कोइ जीवो चउगइ-संसार-चारयावासे । अवरोप्पर-कज्ज-मओ जो ण वि मित्तत्तणं पत्तो॥ सो णस्थि कोइ जीवो भममाणो जो ण कम्मजोएण। ईसा-मच्छर-कुविओ जो ण य सत्तुत्तणं पत्तो ॥ सो त्थिं कोइ जीवो चउगइ-संसार-सागरे भीमे । णह-दंत-दलिय-देहो जो य ण आहारिओ बहुसो॥ सो चिय सत्त सो चेय बंधवो होइ कम्म-जोएणं । सो चिय राया सो चेय मिच्छुओ होइ पावेण ॥ ता पत्तियासु एयं ण एत्थ बंधू ण चेय कोइ अरी । णिय-चरिय-जाय-कम्म पत्तिय सत्तुं च मित्तं च ॥ इय जाणिउ अणिचं संजोय-विओय-रज-बंधुयणं । वेरग्ग-मग्ग-लग्गो को वा ण करेज परलोयं ॥ एथंतरम्मि पुच्छिओ विमलबंधुणा मंतिणा। 'भगवं, एस उण को वुत्तंतो वासहरयम्मि जाओ जेण समुप्पण्ण-वेरग्ग- 9 मग-लग्गो इमं लिंग पडिवण्णो सि' त्ति । साहियं च भगवया सयलं पयंग-पईव-समुग्गय-वुत्ततं । तमो तं च दट्टण मए चिंतियं । 'अहो, धिररथु संसार-वासस्स जे एसो पयंगो रक्खिजमाणो विवण्णो । उवाओ ति समग्गए पक्खित्तो, वहि चेव 12 भवाओ जाओ। तं जहा। जइ सेण-तासिओ सो सरणत्थी मग्गए विलं ससओ। अयगर-मुहं पविट्ठो को मल्लो हय-कयंतस्स ॥ ओसह-जोएहि समं जाणाविह-मंत-आहुइ-सएहिं । ण य रक्खिऊण तीरइ मरण-वसं उवगओ पुरिसो॥ 18 एयं णाऊण इमं अणिश्च-भावेण भावियं लोयं । तम्हा करेमि धम्म को साहारो त्थ रजेणं॥ 18 एवं च मम वेरग्ग-मग्गावडियस्स तहा-कम्मक्खओवसमेणं अण्ण-जम्म-सरणं समुप्पण्णं । भासि अहं भवरविदेहे साह, तत्तो य सोहम्मे देवो । तत्तो वि चइऊण अहं इह राया समुप्पण्णो । तओ कयं मए पंचमुट्टियं लोयं । महासंणिहियाए देवयाए 18 समप्पियं रय-हरणं उवकरणं च । तओ णिग्गंथो मुणिवरो जाओ अहं' ति । 18 २३३) एवं च भगवया साहिए समाणे सयले वुत्तंते पुच्छिय विमलेण मंतिणा । 'भगवं, को उण एस धम्मो, कई वा कायव्वो, किं वा इमिणा साहेयवं' ति । एवं च पुच्छिए भणियं भगवया रायरिसिणा । 4 'देवाणुपिया णिसुणेसु जं तए पुच्छियं इमं धम्मं । पढम चिय मूलाओ ण होइ जइ संसओ तुज्झ । 21 धम्माधम्मागासा जीवा अह पोग्गला य लोयम्मि। पंचेव पयत्थाई लोयाणुभवेण सिद्धाई॥ धम्माधम्मागासा गइ-ठिइ-अवगास-लक्खणा भणिया। जीवाण पोग्गलाण य संजोए होंति णव अण्णे ॥ 24 जीवाजीवा आसव पुण्ण पावं च संवरो चेय । बंधो णिजर-मोक्खो णव एए होंति परमत्था । जो चल बलइ वग्गइ जाणइ अह मुणइ सुणइ उवउत्तो । सो पाण-धारणाओ जीवो अह भण्णह पयत्थो॥ जो उण ण चलइण वलइण य जंपइ णेय जाणए किंचि । सो होइ मजीवो त्तिय विवरीमो जीव-धम्माण ॥ 7 अह कोह-लोह-माया-सिणिद्ध-रूवस्स दुट्ठ-भावस्स । लम्गाइ पावय-पंको सिणिद्ध-देहे महि-रओ व ॥ सो आसवो त्ति भण्णइ जह व तलायस्स आगमद्दारो । सो होइ दुविह-भेओ पुण्ण पावं च लोयम्मि । देवत्तं मणुयत्तं तत्थ विसिट्ठाइँ काम-भोगाई । गहिएण जेण जीवो भुंजइ त होइ पुण्णं ति॥ 30 णरएसु य तिरिएसु य तेसु य दुक्खाइँ णेय-स्वाइं । भुंजइ जस्स बलेणं तं पावं होइ णायग्वं ॥ मह पुण्ण-पाव-खेलय-चउगइ-संसार-वाहियालीए । गिरिओ व्व जाइ जीवो कसाय-चोरेहिं हम्मतो ॥ तं जाण-दसणावरण-वेयणिज्जं च होइ तह मोहं । भवरंतराय-कम्म आयुक्खं णाम गोतं च ॥ 33 तं राग-दोस-वसमो मूढो बहुएसु पाव-कम्मेसु । अटु-विधं कम्म-मलं जीवो अह बंधए सययं ॥ 1)Pबंधू हुसो सणयणयत्तणं. 3)P संसारसायरावासे, P कजपमओ. 4)P for जो, P inter. A and ण. 5)" जोइ for कोर, सायरे, P inter. न and य. 6) सो च्चय भिच्चो अह होइ. 7) सतू य मित्तं. 8) P जाणियं, P लग्गमग्गो. 9) वुण for उण, P inter. को & उण, P वुत्तो सहरम्मि य जाओ. 10) मग्गो for मग्गलग्गो, r om. सि, -प्पईच, P समुयय. 11) Pएस पयंगो, Jadds वि before विवण्णो, चेअ. 13) सयणत्थी. 15)P लोग, Pबंध for धम्म, P inter. साहारो and को, P व for स्थ. 16) "विदेहो साहो. 17) Jom देवो, I om. अहं, P om. इह, मे for मए, P 'सन्निहियर, ३ देवताए. 18) रयणहरणं. 19) Pom. समाणे, Jom. सयले, " पुच्छियवियं विमलमंतिणा. 20) पुच्छिएण भणियं. 21) देवाणुप्पिया, ' तुम्हें for तुज्झ. 22) P लोगंमि, I लोआइभवेण P लोयणुभावेण. 23) गतिठिति , P अवगाह- 24) Pसंवरं चैव, winter. बंधो & गिजर, J एते, ' परमत्थो. 25) Prepeats चला, जाणइ इअ हसर उवयुत्तो. 26) P किंपि।. 27) P inter. लोह & कोह, पायव for पावय, I देहो. 28) P वह for व, आगमंदारो, P लोगंमि. 29) J भोआई. 30) Pणेणग for णेय, जस्स हलेणं. 31) पुत्वन्नपाव, P गिलिओ व लाजाब, J -चोराण, Pनिजतो for हम्मतो.32) Pom. होर, P आउक्ख. 33)P अट्ठविहं, सततं. Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२३५] कुवलयमाला १४३ । मिच्छ अविरइ-कसाया-पमाय-जोगेहि बंधए कम्मं । सत्तट्ट-विह छविहमबंधओ णस्थि संसारी॥ एगत-बद्ध-चित्तो कुसमय-मोहिज-माण-सब्भावो । मिच्छा-दिट्री कम्मं बंधइ अह चिक्कणं होई॥ गम्मागम्म-वियप्पो वच्चावच्चाई जो ण परिहरइ । सो अविरय पाव-मणो अविरतओ बंधए पावं ॥ मजं वि महाणिद्दा एए उ हवंति ते पमायाओ। एएसु जो पमत्तो सो बंधइ पावयं कडुयं ।। मय-कोह-माण-लोहा एए चत्तारि जस्स उ कसाया। संसार-मूल-भूएहि तेहिँ सो बंधए पावं ॥ काय-मण-वाय-जोगा तेहि उ दुटेहिं दुटु-बुद्धीए । बंधइ पावं कम्म सुहेहिँ पुणं ण संदेहो । ता जाव एस जीवो एयइ बेयइ य फंदए चलए । सत्तठ-छञ्चगविहं बंधइ णो ण अबंधो उ॥ ता तेण कम्मएणं उच्चाणीएसु णवर ठाणेसु । जीवो इमो भमिजइ कराहो कंदुउ व्च समं ॥ इंदत्तणं पि पावइ जीवो सो चेय णवर किमियत्तं । णरए दुक्ख-सहस्साई पावए सो च्चिय वराओ॥ पुढवि-जल-जलण-मारुय-वणस्सई णेय-भेय-भिगेसु । एग-दु-ति-चउरिदिय-विगलेसु अणेय-रूवेसु ॥ अंडय-पोत्तय-जरजा रसाउया चेय होंति संसेया। सम्मुच्छिमा य बहुए उभिय-उववाइआ अण्णे ॥ 12 सीउण्ह-मीस-जोणिसु जायंते के वि तत्थ दुक्खत्ता । संकड-वियडासु पुणो मीसासु य होंति अवरे चि ॥ पंचेंदियाण पुच्छसि चउरो भेदा उ होंति देवागं । भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-वासी विमाणत्था ॥ विजु-घण-थणिय-अग्गी-सुवण्ण-तह-दीव-दिसि-कुमारा य । वाऊदधी य णागा दस भेया होंति भवणस्था । 15 अह जक्ख-रक्ख-भूया पिसाय तह किंणरा य किंपुरिसा । महउरया गंधवा भट्ट-विहा वंतरा एए॥ चंदा सूरा पढम गहा य णक्खत्त-तारया अवरे। एए पंच-विह चिय जोइस-वासी सुरा होंति ॥ वेमाणिया य दुविहा कप्पाईया य कप्पमुववण्णा । कप्पोववण्ण-भेया बारस एए णिसामेसु ॥ सोहम्मीसाण-सणकुमार-माहिंद-बंभ-लोया य । लंतय-सुक्क-सहस्साराणय-पाणय य दिय-लोया ॥ भारण-अञ्चय-भेएहिँ संठिया बारस-विहाओ । एए कप्पोवण्णा देवा अह होंति सम्वे वि ॥ कप्पाईया दुबिहा गेवेजाणुत्तरा य पंच-विहा । एएसु कोइ वञ्चइ बहु-क्रय-पुण्णो हु जो पुरिसो॥ ६२३४) मणुया वि अणेय-विहा कम्मय-भूमा [अकम्म-भूमा] य । अंतर-दीवा अण्णे सबरादी बडबरा अण्णे ॥ १ तिरिया असंख-भेया दुपया अपया चउप्पया चेव । पक्खी सपाईया पभूय-पय-संकुला. अण्णे ॥ गरए वि सत्त णरया पत्थर-भेएण ते विभिजति । भीमा उब्वेवणया बहु-दुक्खा णिच-काल पि ॥ 24 अमर-णर-तिरिय-णारय-भव-संसारम्मि सागर-सरिच्छे । भट्टविह-कम्म-बद्धा भमंति जीवा ण संदेहो । मह एल्थ मणुय-लोए जीवो चिय सुकय-पुण्ण-पत्भारो । उप्पजइ तिस्थयरो अंतयरो सयल-दुक्खाण ॥ से साहइ सच्चमिणं दिग्वण्णाणेण जाणि भगवं । सोऊण य तं जीवा केई वञ्चति सम्मतं ॥ अण्णे पाव-परद्धा संसारे बच्चहरय-सरिसम्मि । अच्छंति दुक्ख-तविया ण तस्स वयणं अवि करेंति ॥ जे पुण करेंति एवं ते पुरिसा णवर एत्थ गेण्हंति । सम्मईसण-णाणं चरगं चिय तिण्णि परमत्था ॥ जे जह जीवाईया भावा परिसंठिया सभावेण । सहइ ते तह च्चिय भह एवं दसणं होई ॥ गम्मागम्मं जाणइ भक्खाभक्ख च वञ्चमविवञ्च । जाणइ य जेण भावे तं जाणं होइ पुरिसस्स ॥ परिहरइ पाव-ठाणं संजम-ठाणेसु वट्टए जेण । तं चारित्तं भगण महब्बए पंचय होंति ॥ जीवाणं अइवाय तह य मुसावाय-विरमण दुइयं । अदिण्णदाणा-मेहुण-विरई पडिचाओं सव्व-दम्वाण ॥ 18 1)मिच्छाअविरती, जोए हिं, Jछविहं बंधओ णेत्थ संसारी. 2) एयंत दुट्टचित्तो, JP कुसुम , सुहा अई, चिक्कणे भोए.3) Pom. ण, P अविरओ. 4) मज विगहार्णिदा एते तु हमति ते पमत्तातु । एतेसु जो अमतो, पावर्ग. 5) मोहा for लोहा, एते, J भूतेहिं. 6)J जोआ तेहि देहि. 7)Jएतइ बेतहJP सत्तट्र, P छवेगविह, बंधा अणोणं अहं होंतु ॥. 9) चेव, p om. णवर. 10) णेय भिण्णभिण्णेस, विअलेसु. 11) अण्डपोत्तय, पोयय, I जरसा, संसेता, ओवातिआ. 12) J जोगिय for जोणिसु. 13) भेता तु होति, Pय for 3, भवणवतिवाणवंतरजोतिसवासी, P भवणवणवाण, P जोविस. 14)Jथणितअग्गीआसण्णदीतह, J दिसकुमारा, J वाट. उदधी जागा, P वाऊदही, Jom. य, J मेता. 15) जह for अह, P जक्खारक्खस, भूता, महोगा य गंधञ्चा, J एते. 16) अन्ने for अवरे, JP एते, -विध, जोतिस. 17) तु for य, दुविधा कप्पातीता य, P कप्प उववण्णा, J-मेता, J एते. 18) Pom.लंतय, J"स्सार आणतपाणतो य दियलोओ, Pस्सारायणपाणया य दिसियलोया. 19) J अच्चुतमेतेहि, , मेए हिं, J -विधातु ।, P कप्पोचवण्णा. 20) कप्पातीता, पंचविधा। एतेसु, 13 for हु. 21) P अणेग, कम्माभूमा, the second pada may be read thus: कम्मय भूमा अकम्म-भूमा य.. दीवा, P सबराई. 22) J यसंखमेता दुपता अपता चउप्पता, न पक्खा अप्पाईया, सप्पातीआ, J पसूअपत-- 237P पत्थडमेएहि ण ते, मेतेण ते, P विभज्जति. 24)J सायर, कम्मबंधा- 25)P सुकयभीमसंसारे।. 26) Jसो for से, Pसे सोहए. 27) P ववहरय. 29) J जो for जे, J जीवातीआ P जीवाएया, परिसंठिता, P परिसंठिया सयावेण, होति for हो. 30) गंमार्गमा न याणा, P वञ्च for बच्चगविबच्च, P भावो तं. 31)P-ट्ठाण, P-ट्ठाणेसु, J बच्चए for वहप, पंचतं. 32) अतिपात, ' मुसावात, ' दुतिरं । दुईयं, दाण, विरती, P विरझ्यपरिचाउ पंचमय।. Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ उज्जोयणसूरिविरइया [६२३४1 सुहुमं वा बायरं व जीवं मण-वयण-काय-जोगेहिं । ण वहइ ण वहावइ य वहयंत णाणुजाणाइ ॥ भय-हास-कसाएहि य अलिय मण-वयण-काय-जोगेहिं । ण भणइ ण भणावेइ भणमाण णाणुजाणाइ ॥ गामे णयर अदिणं मण-बय-काएहि तिबिह-जोएहिं । ण य गेण्हे गिण्हावे गेण्हतं णाणुजाणाइ । दिग्वं माणुस-तिरियं इथि मणो वाय-काय-जोएहिं । ण य भुंजइ भुंजावए भुंजंतं णाणुजाणेजा ॥ थोव-बहुं सावज परिग्गरं काय-वाय-जोएहिं । ण कुणइ ममत्तं कारेइ णेय ण य भणह तं कुणसु॥ एया पंच पइण्णा घेत्तु गुरु-देव-साहु-सक्खीया। राई-भोयण-विरई मह सो छटुं वयं कुणइ ॥ एया परिवालेंतो अच्छइ तव-संजमं करेमाणो । अह तस्स संवरो सो पावट्ठाणेसु जं विरओ ॥ एवं च संवरेणं संवरियप्पा वि णिजरं कुणइ । दुविहेण तवेणेयं अभितर-बाहिरेण पि ॥ अणसणमूणोदरया वित्ती-संखेव-रस-परिच्चागो । काय-किलेसो संलीणया य बज्झं तवं भणियं ॥ पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं तओ समाधी य । सज्झाय-चरण-करण एवं अभितरं होई॥ एएण पओएणं पुग्व-भव-कोडि-विरइयं कम्मं । खेयेण णिज्जरिजइ णिज्जरणा होइ सा जाण ॥ 12 ता संजम-णिज्जरणं काऊग इमं स जीव-सत्तीए । वच्चइ धम्मज्झाणं सुक्कझाणं तओ जाइ। आरुहइ खवग-सेदि खविडं कम्मा ताई चत्तारि । केवल-णाणमगंतं अह पावइ दसण चेव ॥ तो संभिण्ण पासइ लोयमलोयं च सम्वओ सव्वं । तं णत्थि जण पासइ भूयं भवं भविस्सं च ॥ 18 तत्तो वि आउगते संबोहेऊण भब्व-कमलाई । खविऊण णाम-गोत्ते सेलेसिं पावए भगवं॥ काय वायं रंभइ मण-रहिओ केवली सुहुम-जोगी । अह सयल-जोग-रहिओ सिद्धिपुर पावए जीवो ॥ जत्य ण जरा ण मन्यू ण वाहिणो णेय सव-दुक्खाई । सासय-सुहं अणतं अह भुंजइ णिरुवम जीवो ॥ 18 ता एस एस धम्मो इमेण सज्झं च सासयं ठाणं । तेणुज्झिऊण रज पव्वजं अह पवण्णो हं ॥' ६२३५) भणियं च भगवया रायरिसिणा । 'भो भो दप्पप्फलिह-भुयप्फलिहा मंतिणो राइणो य भणिमो। एस दुरुत्तरो संसारो, महंतं दुक्खं, अणंतं कालं, परिणइ-विरसा भोगा, कडुय-फलं कम्म, मूढो बहु-जणो, तुलग्गेण पावेयन्वं 21मणुयत्तणं,ण पाविजंति खेत-जाई-कुल-रूवारोग्गाई, थोवं आउयं, विरला धम्मायरिया, दुल्लहो जिणवर-धम्मो । दुक्रो किरिया-१ कलावो, ण तीरइ मण-णिरोहो, सम्वहा दुक्खं संसारत्तणं ति । तेण णियय-जीयं पिव रक्खह पाणिगो, अश्वत्तम्वमिव मा भणह भलिय-वयण, तणं पिव मा गेण्हह पर-धणं, मायरं पिव मण्णह परदार, सतुं पिव कलेह परिग्गह, पडिवजह 24 इमं । अवि य। 24 जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि णवर संसारे। णस्थि सरणं जयम्मि वि एक मोत्तण जिणवयणं ।' ति भणमाणो समुट्टिओ भगवं रायरिसी, णीसंगो विहरि पयत्तो। तओ कुमार, अम्हे तप्पभुइं सम्मत्त-मेत्त-सावगा जाया । पइट्टियं च हियए जहा अम्हेहि वि एवं अवस्स कायब्वं ति । आगया आवासं । तत्थ मंतीहिं पेसिओ दूओ। अम्ह पिउणो १ भाया दढवम्मो महाराया अयोज्झाए, तेण य आणत्तं जहा दप्पप्फलिहो पढमपुत्तो रजे अभिसिंचसु त्ति । 'तह' ति पडिवण्णं रायलोएणं । एक्को मंती वेजो य एक्को भुयप्फलिह-जणणीय य मंतियं । भगणिऊण पर-लोयं, अवमण्णिऊण 50 जण-वयणिज्ज, अवहत्थिऊण लोगायारं, अवलंबिऊण पावं, संजोइयं जोइयं, कालंतर-विडंबणा-मरण-फलं दिण्णं च मम 30 पाणं । तओ कुमार, वियंभिडं पयत्तो मज्झ सो जोओ। किं च जाय । थोवं पेच्छामि अच्छिएहिं, ण फुडं सुणेमि सवणेहिं, ण-याणामि गंध णासियाए, ण संवेएमि फरिसं सरीरेण, ण विंदामि सायं जीहाए । णासए मई, पणस्सए बुद्धी, विणस्सए पण्णा । वियलियं सील, णिग्गया लज्जा, अवगया दया, अवहरियं दक्खिण्णं, पलाणं पोरुसं, परिहरिओ रईए, णिग्गच्छिमओ 33 विण्णाणेण, पम्हुट्ठो संकाए, अवहत्थिओ विवेएणं ति । भवि य । 1) Jom. वा, । दातरं, JP वा for a, P वयजोगेहिं, J 'जोए हिं, J वहेर ण व होइ, P वहावेयं, Pom. य. 2) जोएहिं. 3) I गामणगरे व दिण्णं मणवर-, Pण्हे न य गिन्हावेइ गेण्हितं. 4) Pजोगेहि, inter. णय भुंजावर and ण भुजइ, P न भुंजए न भुंजावेई. 5)P न कुणइ ममत्तकारे, Jom. णेय, Pom. य. 6)JPएता, P घेत्तुं, Pराती, विरति, P कुणति. 7)JP एता, J विरतो. 8) संवरितप्पा, दुविधेण, P वि corrected as पि. 9)Pण मोणो यरिया, परिच्चाओ, संलीणता, J भणितं. 10) J ततो, P समाही, J एतं. 11) एतेण, भुव्वं for पुच, P निज्जरज्जा, होहिइइमा जाण 12)P तओ जीइ ।। 14)P पासइ लोगं च, J लोअमलोवं, सञ्चतोवरस । P repeats the line तं नत्थि eto., भूतं. 15) संवोहेत्तूण सम्बजीवाओ।. 16)P सिद्धिपुर. 17) Pसुहमणतं. 18) पवज्जोहं. 19) P'रिसिणो, P दप्पफलिहा, P om. भुयप्फलिहा. 20) सलुग्गपावे'. 21) Pमाणुसत्तणं, P जाती, P दुलहो. 22) मणो for मग, P दुस्वं संसारो । तेण, P अन्वत्त पिव. 24) Jom. अ वि य. 25)P एके, P जिणवयणमि ।।. 26) Pom. भगवं, तप्पभूति तप्पभूइ, P om. मेत्त, सावया. 27)P अम्हेहिम्मि, पेसिया दूआ,P पिउणा. 28) P दढधम्मो, P अउज्झाए, P दप्पहो, पढमउत्तो, P om. तह त्ति. 29) पडिवण्णे, Pinter. एको and विज्जो, Pom. य, P भुयफलिह. 30) Pom. जण before वयणिज्ज, लोआयारं, J जो for जोश्य, P विडविणा, मरणप्फलं. 31) थो, सुमि समणएहि. 32) ण संवेवेसि प्फरिसं सरीरएणं, P फरस, सातं for सायं, J मती. 33) Pवियलए सीलं. Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२३६] कुवलयमाला १४५ 1 विण्णाण-णाण-पोरस-दाण-दया-बुद्धि-गुण-सयाई पि । दारिद्देण व जोएण तेण सहस त्ति पटाई ॥ । केवलं पियं-भाणिरं पि भप्पियं भणामि पणमंतं पि ताडेमि त्ति । एरिसं च में पेच्छिऊण राय-लोओ 'हा हा कटुंति भणिऊण 3 देवं उवालहिय ठिओ। अहं पुण कहिंचि गायतो कहिंचि णच्चमाणो कहिंचि रुयमाणो कहिंचि हसमाणो कहिंचि णिवडतो 3 कहिंचि पहावेतो रच्छा-कय-चीर-विरइय-मालो धूलि-धवल-सरीरो णिम्मल-बद्ध-मुंड-मालो गहिय-खप्पर-करग्गो कइया वि परिहिओ, कइया विणियंसणो, कइया वि कहिं पि परिभममाणो इमं असंबद्धक्खरालाव-रइयं चञ्चरियं णञ्चमाणो । 6 मवि य । यदि कश्चिविपश्चि न जातु सखे यदि सर्करसर्करला न भवेत् । यदि चन्द्रमुनीन्द्रमनङ्ग चितः यदि सोऽस्ति नमोऽस्तु नमोऽस्तु ततः॥ एवं च वञ्चमाणो कय-बाल-परियारो गामागर-णगर-पट्टणाराम-देवउल-सर-तलाय-तिय-चउक्क चच्चर-महापह-पहेसु परिब्भम- 9 माणो इमं विझगिरि-सिहर-कुहरंतरालेसु पत्तो । तओ तण्हा-छुहा-किलंतो, एक-गिरिणई-पवाह-पत्थर-विवरंतरालम्मि पाणियं अणेय-बिल्ल-सल्लई-तमाल-हरडय-बहेडयामलय-पत्त-फल-पूर-णिज्जास-कासाइयं, तं च दट्टणं पीयं जहिच्छाए । 12 णिसण्ये छायाए । तमो थेव-वेलाए चेलावस-समुच्छलिय-सलिल-सागर-तरंग-रंगत-सरिसो उदरभंतरो जाओ । विरिको 12 उडे अहेण य । तओ णीहरि पयत्तो। पुणो पीय, पुणो विरिकं । पुणो पीयं जाय सव्व-दोसक्खओ जाओ ति। ६२३६)तओ पञ्चागयं पिव जीविएणं, उइयं पिव दिवायरेणं, उग्घाडियाई व दिसि-मुहाई, आगयं पिव बुद्धीए, 16 संपत्तं पिव सुमरणाए, पावियं पिव विवेगेणं, उद्धाइयं पिव वेयणाए, सव्वहा पढमं पिव सत्थ-चित्तो जाओ अहं । तओ 15 चिंतिय मए । 'अहो, किमेयं मम वुत्तंतं जायं । णिग्गओ विव महाकंताराओ, णीहरिओ विव पायालाओ, उत्तरिओ विव समुद्दाओ, णिवुओ संपर्य जाओ म्हि । ण-याणामि किं पि अहं आसी, किं ता पसुत्तो हं, किं वा गब्भ-गओ हं, किंवा 18 मत्तो हं, किं उम्मत्तगो, सम्वदा जे होइ तं होउ । भुक्खिमओ ई, ता अण्णसामि एत्थ पुकं वा, फलं वा' चिंतेमागेण पलोइयाई 18 पासाई । जाव दिट्ठो अगेय-भिल्ल-परिवारो एक्को पसत्य-रूव-वंजणायार-संपुण्यो पुरिसो। तेण य ममं पेच्छिऊण पसरमाणतरसिणेह-गम्भिणं भणिय 'सागयं तुह मह भाउणो, कत्तो सि आगओ'। मए भणिय 'अहं पुन्व-देसाओ आगओ' । तेण 21 भणियं । पयह, वञ्चामो गाम' ति भणमाणो गंतुं पयत्तो, आगओ य इमं महापल्लिं। आरूटा एत्य मंदिरोयरे। तओ तेण 21 आणत्तो विलासिणियणो 'आणेसु पोत्तिए दोण्हं पि' । तओ अभंगिय-उध्वट्टिय-मजियाणं पविट्ठो देवहरयं । तत्थ 'णमो भरहताण' णिसुए अहं पि हरिस-वसुल्लसंत-पुलओ पविट्ठो । वंदिया य मए भगवंतो। चिर-दिडं पिव बंधु मण्णमागेण भणिय ५ तेण पुरिसेण । 'पणमामि साहम्मियं, अहो कयत्थो हं, पसंसणिजो हं धण्णो हं कय-पुण्णो अई' ति । तओ मए वि सहरिसं 24 सविणयं च पणमिओ। तओ कमेण उवविट्ठा भोयण-मंडवे । तत्थ जं जहा-रुइयं भोत्तुं भोयण तओ सुहासणस्थाण य भणियं तेण । 'साहसु, कत्थ तुम, कहं वा एयं देसंतरं पाविओ। कत्थ वा इमम्मि णरयामर-तिरिय-मणुय-भव-भीम-पायाल27 किलेसे महाकोव-धगधगेंत-कराल-जालाउल-वाहवाणले जर-मरण-रोग-संताव-करि-मयर-जलयर-वियरमाण-दुरुत्तारे बहु-विह-27 कम्म-परिणाम-खार-णीसार-णीर-पडहत्थे हत्य-परियत्तमाण-संपत्ति-विवत्ति-मच्छ-पुच्छ-च्छडाभिजमाण-तुंग-कुल-तरंग-भंगिल्ले राय-रोस-वेला-जल-पसरमाण-पवाहुम्मूलिज्जत-वेला-वण-पुण्ण-पायवे संसार-सायरम्मि सिद्ध-पुरि-पावयं जाणवत्तं पिव भगवं30 ताणं वयणं पावियं' ति। 30 1)त्ति नहाणं ॥. 2) P पियं भगिओ वियप्पियं, P om. म. 3) Pउवालहि ढिओ, P repeats कहिंचि नञ्चमाणो, P नडतो for णिवडतो. 4) पभावेतो, P पहावंतो, P निम्मलबुद्धमुंडेमालो. 5)P चच्चरं. 6) अपि च for अवि य. ) P कश्चिद्विपश्चित्, J सर्वर सर्कर न भवेत् , P भवे. 8) चंद्र, चंद्रमतिंद्र', 'मनागतितयदि, सोस्तु । सोस्ति. 9) च णच्चभाणो, P om. सरतलाय, महापहेनु. 10)P सिहरंतरालं पत्तो, गिरिनई. 12) बिल्लईतमाल, " हरडइबहेडओमत्तय, " कसाइयं, Jadds तओ before तं च. 12) Jथोव for थेव, वसमुच्छलिय, सायर, " सागरतरंगत, उरम्भतरो, P उदब्भरो, विरिके. 13)P adds सो जाओ पुणो पीयं between पयत्तो। and | पुणो, जा for जाव. 141 दिसिवहाई. 15) संमत्तं for संमत्तं, J उद्घाइतं P उट्ठाइयं, वेतणाए, J जाओ हं. 16) " उद्दरिओ इव.. 17) त्ति for म्हि, Pमह for पि अहं, आसि, गमगतो P गम्भो .. 18) किं वोमत्तगो, J मुक्खितो, व for वा after फलं. 19) संपण्णो, P मंते for य ममं, 'माणतन्तर. 20) P गम्भिणंगभणिय, P भायत्तोणो for भाउणो, P om. आगओ after देसाओ. 21)Pइम पलिं, J मंदिरोरो. 22) P विलासिणीयणो, P पोत्ती दोण्हं, P आन्भंगिय, " उव्वत्तिअ, P तओ for तत्थ. 23) अरिहंताणं, सुध for णिसुए, P दिटुं. 24) Pom. पुरिसेण, P धणो for घण्णो, Pon. हं, हं for अहं. 25) च, P उवविट्ठो, P जहारुयंयं भोत्तूण [भोत्तं भोयणं ।]. 26) पावि, इमम्मि नरयामरयामर. 27) P कलसे for किलेसे, P वडवानले, मरणारोग, P दुत्तरे for दुरुत्तारे. 28) Pखाएर for खार, P पडिहत्थे, विपत्तिमच्छपुंछ, रंगिलो for भंगिहे. 29) पसरमाणयवाहुमूलि', Pरण for वण, पापियं तेण । जाण'. 30) Padds पिव before वयण. 19 Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया ६२३७ ) मए भणियं । 'रयणपुरे रयणचूडो णाम राया। तस्स पुत्तो हं दप्पफलिहो णाम ति । धम्मो उण तेणेय । भगवया पचेय-बुद्धेण होऊण साहिओ। उम्मत्त-जोएण य परव्वसो एल्थ अरण्ये पाविमो' त्ति । एवं च साहिए समाणे भणियं तेण। 'किं तुम सोमवंस-संभवस्स रयणमउडस्स पुत्तो। दे सुंदरं जायं, एको अम्हाण वंसो। तुम एत्थ रजे 3 होसु संपर्य' ति भणमाणेण सहाविया सव्वे सेणावइणो । ताण पुरओ सिंहासणस्थो अहिसित्तो भहं । तेण भणिया य ते सेणावइणो । 'भो भो, एस तुम्हाणं समयट्टियाणं राया पालओ। अहं पुण जे रुइयं अत्तगो तं करीहामि' भणिए तेहिं 8 'तह'त्ति पडिवणं । तओ जिग्गओ तक्खग चेय सो राया। तस्स य मग्गालग्गा अम्हे विणीहरिया। तओ थोयंतरं 8 गंतूण भणिय ण 'सेणावइणो, वच्चह, णियत्तह तुन्भे । खमियब्वं जं किंचि मज्झ दुब्विलसियं । परियालेयवाओ ताओ सुम्भेहिं पहण्णाओ पुथ्व-गहियाओ'त्ति भणमाणो गंतुं पयत्तो । ते वि भूमि-णिवडिया उत्तिमंगेण गलमाण-णयणया णियत्ता सेणावणो । अहं पि थोयं पएसंतरं उवगभो तेण भगिओ 'वच्छ, दे णियत्तसु । केवलं एए मिच्छा जइ समयाई 9 पालयति पुग्व-गहियाइं । तओ तए पालेयन्वा, अहवा परिचएयव्व ति । अण्णं च, __ संसार-सायररिम दुक्ख-सयावत्त-भंगुर-तरंगे । जीवाण णत्थि सरणं मोत्तुं जिण-देसियं धम्मं ॥ 12 तम्मि अपमाओ कायब्वो' ति भणमाणो पवसिओ । ण उण केणावि णाओ कहिं गओ त्ति । एवं पुण मए विगप्पियं गंतु 12 अणगारियं पव्वजमभुववण्णो'त्ति । तप्पभुइं च कुमार, पेच्छामि इमे मेच्छा ण मारेंति तण-जीवाणं, पसु ण धाएंति अघायमाण, ण हणति पलायमाणं, ण भणति कूड-सक्खेज, ण लुपंति अप्प-धगं पुरिसं, ण मुसंति महिलियं, ण छिवंति 16 अवहत्ययं, मुसिऊण वि पणामेंति थोय, ण गेण्हंति अणिच्छं जुवइयं तं पडिवजंति भगवंतं भव-विणासणं देवाहिदेवं ति ।15 तओ कुमार, कालेण य बञ्चमाणेण अकायच्वं पि काउं समाढतं, जेण महतो मोहो, गरुओ कोवो, महामहलो माणो, दुजओ कोहो, विसमा कुसील-संसम्गी, सव-कम्म-परायत्तणेणं जीवाणं । अहं पि तं चेय चोर-वित्तिं समरिसओ त्ति । दिट्ट चिय 18 तुब्भेहिं । तओ चिंतिय मए । 'अहो, अकल्लाणो एस मेच्छ-पसंगो । ता मज्झ एस मेच्छ वावार-विणडियस्स एवं पि 18 मगेय-भव-परंपरा-पवाह-पूर-पसर-हीरमाणस्स कुसमयावत्त-गत्तावडियस्स इमं पि पम्हुसीहिइ भगवओ वयणं ति। तेण मए माणत्तो एस पुरिसो जहा 'अ लोहेण इम एरिसं अवत्थं पाविओ, तेण लोह-दंडेण ताडेयम्बो दियहे दियहे इम भणमाणे'ति । ता एत्यंतरे पुच्छियं तए जहा 'को एस पुरिसो, किं वा तुम पि इमिणा पहओ' ति । तुह पुण पुरो ताडियस्स । महतो महं उव्वेओ जाओ'त्ति । २३८) तओ भणियं कुमारेण । 'महो महतो वुत्ततो, महासत्तो रयणमउडो, महातिसओ पञ्चेय-गुद्वो, दुल्लहो 24 जिणवर मग्गो, महंतो उवयारो, णीसंगा रिसिणो, महंत बेरं एग-दन्वाभिलासित्त, दुजओ लोह-पिसाओ, णिव्विवेगा 24 पाणिणो, पयईए अणुवगय-बच्छला महापुरिसा, परिचयति चक्कवहिणो वि रज, होइ च्चिय साहम्मियाण सिणेहो। परिवाति मेच्छा वि किं पि कस्सइ वयगं ति । अवि य, 27 ण य अस्थि कोइ भावो ण य वुत्तंतो ण यावि पजाओ। जीवेण जो ण पत्तो इमम्मि संसार-कतारे ॥ ता संपयं परिहरसु णिक्करुणत्तणं, मा भणुमण्णह चोर-वित्ति, उजमसु तव-संजमम्मि, अब्भुटेसु जिणवर-मग्गे, उज्झसु चंचलं लाञ्छि । अवि य। 30 रज-सिरीओ भोगा इंदत्तणयं च णाम अणुभूयं । जीवस्स णस्थि तुट्ठी तम्हा उज्झाहि किं तेण ॥ एवं च कुमार-कुवलयचंदेण भणिए, जंपियं दप्पफलिहेणं 'एवं च एयं ण एत्थ संदेहो त्ति । अह उण कुमारस्स रूव-विण्णाण_णाण-कला-कलाव-विणय-णय-सत्त-सार-साहस-दक्खिण्णाईहिं गुणेहिं साहियं जहा महाकुल-णयल-मियंको महापुरिसो ति। * इमं पुण ण-याणामि कयरं तं कुलं, किं वा कुमारस्स सम्व-जण-हियय-सुहयं णाम ति । ता करेउ अणुग्गहं कुमारो, जाणिउं 33 1) भणियं । रयणाचूडो णाम रयणपुरे अस्थि राया।. 2) भगवया पुत्तयबद्धेण, पारम्बसो, P एत्थारने. 3) संभमो त्ति रयण. 4) सिंघासणत्थो, J अभिसित्तो. 5) Pसेणावणा, P adds एक्को before भो भो, J तं कीरीहामि. 6) थोवंतरं, 7) Jणेण + तेण for णे ग, P om. मज्झ, P परिव्वाले.' 8) J पइण्णाइ पुन्वगहिआहि भण', P-निवडिओत्तिमंगा. 9)" थोवंतरं पसं उवगतो, Jom. भणिओ, JP एते for एप, J समायाई वालयंति. 10)पालेभन्बो P पालियन्वा, J परिवएतब्ब. 11)P सायरंमी. 12) P अप्पमाओ, P पवेसिओ, P है कि वि for कहि, P एयं पुण, J विअपि. 13) J पन्वज्जा अन्भु', JP तप्पभूई, J पेच्छा for मेच्छा, Pमारंति, तणजीवणं, Pघायंति. 14) Jom. ण हणंति पलायमाणं, P सखेज्ज, लुप्पंति, P अत्तधणं. 15) पणामंति, P थोवयं, अगेण्हंति for ण गेण्हंति, P अणिच्छियजुवई, Jom. सं, भगवंतं रूव विण्णासदेवा. 16) Pom. कुमार कालेण य etc. to लोहो विसमा. 17) परअत्तणेणं, P चोरयवित्तं. 19) P कुसुमयावत्त, पम्हुसी हि ति, P भगवया. 20)Pजहालोएण इम, P adds त्ति | after पाविओ, भणमाणएणं ति. 21) Pएयं तए for एत्यंतरे, P ति for तए, I om. पि. 22) J मह उव्वेगो, P उन्वेवो. 23) Pमहं for महंतो, Pमहाइसओ पत्तेय'. 24) Jसंगा for णीसंगा, J दबाहिलासित्तं. 25) J संति for पयईए, ' repeats महा, J परिचयति, P om. वि, P साइंमियाणमि. 27) P कोबर for कोड, P जोग for जो ण. 28) Padds पि after संपयं, Jom. मा, ' उन्भुढेसु. 30) J भोगे for भोगा, उज्जाहि. 31) भणियं for भणिए, Pom. च, Jहण for उण.32) Jom. य, Pom. सार, दक्षिणा तीहिं,J साहिउ, Pइयं for इमं. 33) Pom. तं, P inter. कुमारो & अणुग्गइं, P जाणिउमिच्छामित्ति. J0 Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२४०] कुवलयमाला १४७ इच्छामिति । तओ कुमारेण भणियं 'अच्छड ता सयल जपियध्वं । पुच्छामि पुच्छियव्वं किंचि तुम्हे' । तेण भणियं 'पुच्छउ । कुमारो'। कुमारेण भणियं 'जो सो दढवम्मो जाम राया अयोज्झाए पुरवरीए तुज्झ पित्तिको, तस्स किं कोइ पुत्तो अस्थि, किं वा णत्थि'त्ति । तओ तेण दीहं णीससिऊण भणियं 'कुमार, कत्तो एत्तियाई पुण्णाई। एक पुण मए एकस्स देसियस्स 3 वयणाओ सुयं जहा दढवम्म-महाराया सिरिं आराहिय पुत्तवरं पाविओ। पुणो ण-याणामि किं तत्थ वत्तं । को वा एस्थ मज्झ-गिरि-सिहर-विवरंतराल-महागहणेसु सायत्तो पइसइ'त्ति । कुमारेण भणियं 'अहं सो जो सिरिप्पायओ लद्धो दढवम्मराइणो पुत्तो, णामं च महं कुवलयचंदो'त्ति । एवं च उल्लविय-मेत्ते अभिधाविऊण भाउमो त्ति काउं कंठे गहिऊण रोइडं 8 पयत्तो, तओ परियण संठविया, गहियं च णयण-धोवणं जलं, उवविट्ठा आसगेसु । तओ पुच्छियं दप्पफलिहेणं 'भणसु, केण उण वुत्तंतेण तुमं एगागी एत्थ य संपत्तो, किं कुसलं इणो दढवम्मस्स, कहं दढा देवी सामा, अवि थिरं रज' । 9 एवं च पुच्छिए साहिय सयलं वुत्ततं कुमारेण । संपयं पुण विजयणधरीए कुवलयमाला संबोहेयव्व त्ति । एवं च पिय-कहालाव- 9 जंपिएहिं अच्छिऊण दोण्णि तिषिण दियहाई, भणियं च कुमारेण 'ताय, जह तुम भणसि, तओ वच्चामि अहं विजयपुर वरि'ति । 12६ २३९ ) इमं च सोऊण भणियं दप्पफलिहेण 'कुमार, कत्थ गम्मए एरिसेसु दिय हेसु, किं ण पेच्छसि, दव-दड्ड-12 विंझ-पन्वय-सिहर-सरिच्छाई वड्डमाणाई णव-पाउसम्मि, पेच्छसु सुहय, णवब्भाई दीसंति । कोमल-तमाल-पल्लव-णीलुब्वेल्लंत-कोमलच्छाया । कत्थइ गय-कुल-सरिसा मिलंति मेहा गयण-मग्गे ॥ 1 कत्थइ वण-सर-हिक्कास-कास-बहलद्ध-लग्ग-मइलंगा। वण-महिस ब्व सरहसं वियरंति य मेह-संघाया। अणुमग्ग-लग्ग-भंगुर-जरढ-महापत्त-पत्त-सच्छाया । करि-पयर व्व सरोसा कत्थइ जुज्झति वारिहरा ॥ पलउम्वेल्लिर-हल्लिर-समुद्द-वेला-तरंग-रंगता । पवण-वसुच्छलमाणा कत्थह जलयावलि-णिहाया ॥ 18 डंडाहय-कुविय-भुयंग-भीम-भिंगग-सामलच्छाया । वियरंति कत्थइ णहे असुर व्व सकामिणो जलया । इय सामल-जलय-समाउलम्मि णव-पाउसस्स वयणम्मि । को मुंचइ दइय-जणं दक्खिण्णं जस्स हिययम्मि ॥' __ एवं च भणिओ समाणो ठिओ कुमारो । तम्मि य काले केरिसो पवणो वियरिंउ पयत्तो । अवि य, श गव-पच्चमाण-सहयार-गंध-पसरंत-परिमलुग्धाओ । वियरइ वणंतरेसुं कत्थइ पवणो धमधमेंतो॥ पढमोवुढ-महीयल-जल-संगम-संगलंत-गंधड्डो । वायइ सुरही पवणो मय-जणओ महिस-बंद्राणं॥ धूली-कयब-परिमल-परिणय-जरढायमाण-गंधिल्लो । सिसिरो बियरइ पवणो पूरंतो णासिया-विवरे ॥ 4 इय पसरमाण-खर-फरूस-मारुया वेय-विहुर-धुय-पक्खा । रिट्ठा करेंति णटुं कह कह वि कलिंच-णिवहेहिं ॥ पढमोबुट्टे य पुहइ-मंडले किं जायं । अवि य उभिजति णव-कोमल-कंदल-णिहायई । णचंति बरहिणो गिरिवर-विवर-सिह-24 रेसु । दीण-विमणओ पावासुय-घरिणीओ । उभिज्जमाण-णवंकुर-रेहिर पुहइ । आउलीहोंति जणवया । सज्जति पवा-मंडवा। र हल-लंगल-वावड हलिय । णियत्तति पंथिय । जति गामेसु घरई। णिय-चंचु-विरइय-घरोयरे संठिय चडय । कीरंति मट्टिया-गहणई भगवेहिं । बझंति वरणाबंधई कासएहिं । जलं जलं ति वाहरंति बप्पीहय-कुला य । कलिंचय-वाबड-विसर-27 मुह-धम्मलाभ-मेत्त-लद्धावलद्ध-वित्ति-परवसइ संठिय तव-णियम-सोसिय-सरीर-सज्झाय-ज्झाण-वावड साहु-भडरय त्ति । 30 णव-पाउसम्मि पत्ते धाराहय-धोरगेहिँ तूरंतो । को य ण करेइ गेहं एक ञ्चिय कोइला मोर्नु । ६२४०)तओ एरिसे णव-पाउसम्मि किं कुणंति पउत्थवइयाओ । अवि य।। सुरयावसाण-चुंबण-समय-विदिण्णम्मि ओहि-दियहम्मि । लेहा-विगणिय-पुण्णम्मि णवरि जीयं विणिक्खित्तं ॥ 33 सहि-दंसगेहि दियहं राई उण सुविण-विप्पलभेहिं । दइया-दिण्ण-दिणं पिव गये पि मुद्धा ण-याणाइ ॥ 33 __1) Jआसवलं for ता सयलं, Jom. पुच्छामि पुच्छियव्वं, तुमे for तुम्हे. 2) P & for जो, P ददधम्मो, P om. अयोज्झाए पुरवरीए. 3) P कुओ for कत्तो, P देसिवयणाओ. 4) Jणिसुयं for गुयं, JP दढधम्मो, J महाराणा, J पुत्तवरो, J पत्तं for वत्तं, Pको विएत्थ सज्झसिरि. 5)J सिहरकहरंतराल, Jadds को before सायत्तो. 'साइत्तो. Pou. जो, P सिरिपसायलद्धो, J adds before लद्धो, JP दधम्म- 6) Jadds सो अई before णामं, मेत्त for मेत्ते, P भाउगो. 7) Jadds य before संठविया, J -धावणं, P दफलिहेगा. 8) P om. य, JP ददयम्मस्स, P महादेवी for दवा देवी. 9) पुच्छिए सवतं पि साहिय वुत्तंतं. 10) P जपिरेहिं, Pदो for दोण्णि, J विजयं पुरवरि. 12)Pदढएफलिहेण. 13) Pसमाणाई for सरिच्छाई, P नवाई. 14) J गय उलसरिसा P कुलगइसरिसा मिलते. 15) बहलदलग्ग, Pतण for वण, P सहरिसं for सरहसं. 17) पल्लवु', रंग ब्व रंगं वा ।. 18) कुवियमहाभुअंगभिगिंग. 19)P पाउसवयस्स. 20)Pom. च. 21) गरु for गंध, पलिमलग्रामओ. 22) वर & P बुद्ध for बुट्ट. 23)P जहारमाणगंधल्लो, J गंडिल्लो. 24) "निच्च for णहूं, Pom. वि. 25) P पढमो बुद्धो य, पहिणगिरिवरदीग. 26) J उज्जति, P भजति for सजंति( emended), P मंडब. 27)। नंगल for लंगल, P ग्गामे for गामेम, Pघरोयरसंठिय,' वियट for चाडय. 28) P बंधंति, P बग्घेहि for कासएहिं,J जलजलं, P कलिंचवावडविहं मुह-. 29)J धम्मलाभ-, Jom. लद्धाव, Jom. वित्ति, । सज्झाण,J बावडसाधुणभटयर च त्ति, P-वडरय त्ति ।, Jadds अविय after त्ति. 30) J धारामरधोरणी हि दुरंतो, Pन, for य. 31) Jएरिसम्मि for एरिसे, J पउत्थाय उ. 32) J भुवर्ण for चंबण, J विइण्णमिन, P लाभा for लेहा, Jणवर जी, P जीवा विणिक्खित्तो. 33) महिदसणेहि, J राईजण मुझण, J दइअट यादिण्णदिणं गय. Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 १४८ उज्जोयणसूरिविरइया [६२४०अणुदियई पि गणेती तं दियह णेय जाणए मुद्धा । भीमेहि रक्खसेहि व हिय-हियया काल-मेहेहिं ॥ अणुसमय-रुयंतीए बाह-जलोयालि-महल-वयणाए । पेच्छह जलओ जलओ गय-लज्जो गजए उवरि ॥ मा जाण ण वज्झाई मा ए मलिणाई विंझ-सिहराई । सहियायण-वेलविया मुच्छा-विरमे समूससिया॥ गजसि अलज विजुज्जलो सि दे गज जलय मा उवरि । झीण-सिरिएण तेणं उज्झिय-झीणाएँ बालाए। इय णव-जलहर-माला-मुहल-मिलतेहिं को ण जूरविओ । तव-संजम-णाण-रयं साहु-जणं णवर मोत्तणं ॥ तमो तं च तारिसं लक्खिऊण अहिणव-मलिण-जलय-माला-संवलंतुम्वेल्लमाण-बलायावली-कय-कवाल-मालालंकारे झसि 8 तहय-णयणग्गि-विलसंत-विजुलए गजिय-भीमट्टहास-णचणाबद्ध-केली-वावड-हर-रूव-हरे मेघ-संघाए गजंत-मेह-सह-संका लुएसु पलायमागेसु माणस-सरवर-माणसेसु मुद्ध-रायहंस-कुलेसु चिंतियं कुमारेण । अवि य । * कसिणाण विजु-पुंजुज्जलाण गर्जत-भीम-णायागं । मेहाण रक्खसाण व को चुक्कइ णवर पंथम्मि ॥ ता ण जुज्जइ मह पहं पडिवजिऊण । एवं च पडिवण्णे णव-पाउस-समए तेण भाटणा सह अणुदियहं वड्डमाण-सिणेह-भावो मच्छिउँ पयत्तो । तओ कमेण य संपत्तेसु इंदमह-दियहेसु कीरमाणासु महाणवमीसु होंत-मणोरहेसु दीवाली-छण-महेसु 12 पयज्ञासु देवउल-जत्तासु वोलिए बलदेवूसवे णिप्फज्जमागेसु सव्व-सासेसु बद्ध-कणिसासु कलमासु हलहल-वडिरेसु 12 पुंडेच्छु-वणेसु वियसमागेसु तामरस-संडेसु कय-कंदो-कण्णपूरासु सालि-गोवियासु ढेकंतेसु दरिय-वसहेसु कोमल-बालमुणाल-वेल्लहल-बाहुलइयालंकार-धवल-वलयावली-ताल-वस-खलखलामुहलालाव-गीय-रास-मंडली-लीला-बावडेसु गामंगण18 गोट-जुवाण-जुवल-जणेसु चिंतियं कुमारेण । 'गंतव्वं मए तेण कज्जेणं । अवि य । तं णारहंति कजं जं ण समाणेति कह वि सप्पुरिसा । आढत्ते उण जीयं वयं व णियमा समाणेति ॥ ताण जुत्तं मज्झ असमाणिय-कजस्स इह अच्छिउं' ति चिंतयंतेण भणिओ दप्पफलिहो । अविय। 18 'जायस्स केण कज्ज अवस्स णरणाह सव्व-जीवस्स ।' णरवइणा भणियं । __'जइ सीसइ तुम्ह फुडं जायस्स तु मञ्चुणा कजं ॥' A कुमारेण भणिय 'अहो जाणिय, अण्णं पि पण्हं पुच्छिमो' । अवि य । 'इटस्स अणिटुस्स व संजोए केण कह व होयवं ।' भणियं च सेणावइणा। 4 'को व ण-याणइ एयं संजोए विप्पोएणं ॥' ६२४१) इमम्मि य णरवइणा उल्लविए समाणे जंपियं कुमारेण सहासेण । 'जाणियं तए संजोए विप्पओएण होयब्वं, ता वच्चामि अहं तेण कारणेण'ति । णरवइणा भणियं 'किं अवस्सं गंतव्वं कुमारेण । जइ एवं, ता अहं पि सयलं परिच्चइऊण रज वच्चामि के पि पएस । तत्थ अणगारियं पव्वजमब्भुवेहामिति भणमाणा णीहरिया ताओ पल्लीओ । भणियं च 27 जरवाणा 'अहं सब्व-बल-वाहणो चेव तुह सहाओ तं विजयपुरवरिं वच्चामि' । कुमारेण भणियं 'ण एवं, केण किं कर्ज । जेण दुग्गमो देसो, दूरं विसयंतरं, बलवंता णरवइणो अणुबद्ध-वेरा, तुब्भे थोवं बलं ति, तेण एको चेय सत्त-सहाओ तं 30 कज साहेहामि । तेण भणियं 'जइ एवं ता अभिप्पाय-सिद्धी होउ कुमारस्स'। कुमारेण वि भणियं । 'एवं होउ गुरूणं पसाएण'ति 30 भणमाणेण समालिगिओ। एडिओ पाएसु कुमारो, पणमिओ य साहम्मियस्स । 'वंदामि'त्ति भणमाणो चलिमओ कुमारो दक्खिणं दिसाभोगं । तओ णरवई वि ठिओ पलोएंतो कुमार-हुत्तं ताव जा अंतरिओ तरुण-तरुवर-वण-लया-गुम्म-गहणेहिं 1) गणती तं दिवहं, महिला सा for व हियहियया. 2) P अणवरय रुवंतीए बाहजलोरल्लिधोयनयणाए।. 3) बहाई for वज्झाई, P । मयसहियण. 4) P जलय मा एवं । उवरिम्ह वारिएणं विओयज्झीणीए बालाए ।.5) J साहुअणं. 6) जलिय, P वेलमाणा, I -पलायावली. 7) J णाबंधः, I केवली for कैली, P संकालएसु. 8) पलाय', I repeats मुद्ध, हंसउलेसु. 9) भीममायाण ।, P महाण for मेहाण. 10) Pom. च, P समं for सह, अणुदिअहा, JP वट्टमाण सिणेहोवयारो वोलाविउ पयत्तो. 11) Pom. य, P adds बोलिए बलएवजसवो after दियहेसु, कीरमाणेसु, P दीवालियः- 12) जुत्तासु for जत्तासु, P om. वोलिए बलदेवूसवे, P निप्पज्जमाणेसु, सव्वसस्सेस. 13) पुण्णच्छरणेसु P पुन्नच्छुवणेसु, वणेस for संडेसु, I -जलासु for पूरासु, I साल-, P सालिणावियासु ढेंकतेसु, -वसभेसु. 14) तालवसलामुहलाराव, रोसय for रास, ग्ला & P कीला for लीला. 15) P गोह for गोढ, P जुयलजलेसु. I adds त्ति before चिंतियं. 16) तण्णारहंति P तं नारुदंति, P समाणंति, J वडं for वयं, P ति for 4, P समाणंति. 17) J दप्पफलिहो. 18) जीअस्स for जायस्स. 20) तुज्झ for तुम्ह, J जातस्स, Pउ for तु. 21) जाणिय अ अगं पि मज्झ पुच्छिमो. 22)P कह वि for कह व. 23) om. च. 24) Prepeats एयं, Pविप्पओगेणं. 25) Pएमि for इमम्मि, P विप्पओगेण.27) F कि पि for कंपि, Fओ for ताओ. 28) विजयपुरि सरस वचामि, Jom. केण. 29) P तुझे थोवं. 30) साहेसामि, J adds तुहं before होउ, P om, ति. 32) दक्खिणदिसिभाग, दिसाभोअं, Jom. कुमारहुत्तं, P जाव for जा, P तरुयरवणालया. Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२४३] कुवलयमाला १४९ ति । तओ आगओ गेहं । दक्खिऊण दक्खिणिजे संमाणिऊण संमाणणिजे संठाविऊण पणइयणं काऊण करणिज दाऊण 1 दायव्वं भोत्तण भोजं तक्खणं चेय णीहरिओ। अभितर-घर-वियरमाण-विरह-जलण-जालावली-तविजंतुब्वत्तमाण-णयण-पलाल3 माल-सकज्जल-बाह-जल-पवाह-पूर-पसर-पव्वालिज्जत पलोइज्जतो दीण-विमणेणं विलासिणियगेणं णीहरिओ सो महासत्तो। 3 ६२४२) कुमारो वि कमेण कमंतो अगेय-गिरि-सरिया-महाडईओ य वोलेमाणो णाणाविह-देस-भासा-दुल्लक्ख-जंपियब्वयाई बोलेमाणो अणेय-दिव्व-विजाहर-मणुय-वुत्तते पेच्छमाणो संपत्तो तं दाहिण-मयरहर-वेला-लग्गं विजयापुरवरी-विसयं । 6 दिटं च तं कुमारेण । केरिसं । अवि य, बाण-खेव-मेत्त-संठिय-महागामु । गामोयर-पय-णिक्खेव-मेत्त-संठिय-णिरंतर-धवलहरु।। धवलहर-पुरोहड-संठिय-वणुजाणु। वणुजाण-मज्झ-फलिय-फणसणालिएरी-वणु। णालिएरी-वण-वलग्ग-पूयफली-तरुयरु । तस्यरारूढ-णायवल्ली-लया-वणु । वणोत्थइयासेस-वण-गहणु । वग-गहण-णिरुद्ध-दिणयर-कर-पब्भारो यत्ति । अवि य । 9 चंदण-णंदण-एला-तरुयर-वण-गहण-रुद्ध-संचारो । साहा-णिमिय-करग्गो वियरइ सूरो पयंगो ब्व ॥ जहिं च सुह-सेवओ तरुयर-च्छाओ सुपुरिस-पाय-च्छाहिओव, वहंति कीर-रिछोलियउ लोयय-उत्तमो व, महिजंति सज्जणसमागमई इटू-देवयई व, उण्णयई तरुयर-सिहरई सप्पुरिस-हिययई व। धावंति तण्णय पामर ब्व, गायति जुवाणा 12 माहवी-मयरंद-मुइय-मत्त-महुयरी व त्ति । जहिं च सीयलई सकजई ण परकजई, मणति पहिय-वंद्रई ण पुत्त-भंडई, 12 पसंसिर्जति सीलई ण विहवई, लंघियवइयई उच्छु-वणई ण कलत्तई, जलाउलई वप्पिणई ण जण-संघयई ति । जहिं च मयल-धुम्मिरायवुलोयण जंगल-वियावड य बलदेवु जइसय पामर, अणि पणि बाल-कालि णारायणु जइसय रंभिर-गो15 वग्ग-तण्णय-वावडा गोव-विलासिणी-धवल-वलमाण-णयण-कडक्ख-विक्खेव-विलुप्पमाण व, अण्णि पणि संकर-जइसय भूई-16 परिभोग-ढेक्कंत-दरिय-वसहेक्क-वियावड व त्ति । अवि य । बहु-सुर-णियर-भमंतर-दिव्व-महा-तरुवरेहिँ उच्छइयं । बुहयण-सहस्स-भरिय सगं पिव सहइ तं देसं ॥ 18 तं च तारिसं देस मज्झ-मज्झेण अणेय-गाम-जुवइयण-लोयणेदीवर-माला-पूजतो गंतु पयत्तो । तओ कमेण य दिट्ठा सा 18 विजया णयरी । केरिसा। ६२४३) अवि य । उत्तुंग-धवलहरोवरि-पवण-पहय-विलसमाण-धवल-विमलुजल-कोडि-पडाया-णिवह-संकुला, Aणाणाविह-वण्ण-रयण-विण्णाण-विण्णास-विणिम्मविय-इम्मिय-सिहरग्ग-कंचण-मणि-घडिय-पायार-वलय-रेहिर-विदुम-मय- 21 गोउर कवाड-मणि-संपुड त्ति । जा य लंकाउरि-जइसिय धीर-पुरिसाहिट्ठिय ण उण वियरत-रक्खसाउल, धणय-पुरि-जइसिय धण-णिरंतर ण उण गुज्झय-णिमियत्थ-वावार, वारयाउरि-जइसिय समुद्द-वलय-परिगय ग संणिहिय-गोविंद । जहिं च ण 24 सुव्वंति ण दीसंति वयणई बहुयणहो खलयणहो व । जहिं च दीसंति रमिजति य दोलई लायलई च धवलहरेसु कामिणी. 24 वयणेसु त्ति । किं बहुणा, सिरि-सोहा-गुण-संघाय-विहव-दक्खिण्ण-णाण-भासाण । पुंज व विणिम्मविया विहिणा पलयग्गि-भीएण॥ 47 तीए णयरीए उत्तरे दिसि-विभाए णीसहो णिसण्णो राय-तणओ चिंतिउं पयत्तो । 'अहो एसा सा गयरी विजया जत्थ सा 27 साहुणा साहिया कुवलयमाला । तो केण उण उवाएण सा मए दटुब्वा । अहवा दे पुच्छामि के पि जणं ताव पउत्ति। को उण एवं वियाणइ । अहवा पर-तत्ति-तग्गय-वावारो महिलायणो, उद्ध-रच्छा-जीवणो चट्ट-जणो य । ता जहा सललिय-सहिण30 मिदु-मुहुमंगुली-सणाह-चलण-पडिबिंब-लंछिओ मग्गो दीसइ एसो, तहा लक्खेमि इमिणा उदय-हारिया मग्गेण होयन्वं । 30 2) अभंतर, तविज्जमाणणयणथलाणणाल,P न्वत्तमाणानयण-3)P बाहलपवाह, 'प्पवाह, पब्वालिज्जतोअवलो. इज्जतो, P विलासिणीनीहरिओ. 4) Pगिरियाः, J दुलक्खा दुल्लक्खं. 5) Padds जणव्वयाई after जंपियन्वयाई, P trans. poses i after लग्गं. 6) Pom. तं,Jom. केरिसं, गवाणक्खेब, Pमहागाम, गामोअरपाणखेवमेत्त, P धवलहरा । धवलपुरो'. 7) परोहड, P मंडिय for सठिय वणुज्जाणु, P om. फलिय, P-नालिएरिवण ।, णालिएरिवणः, P पूयप्फलीतरुयर. 8)" लयाजणु, J गहणरुद्ध, P पब्भार,JP व for य. 9.)Jचंदण for णंदण, P एया for एला, J पवंगो. 10)च्छाहिओ. P सुबुरिस, पायच्छाहिअओ, P om, वहंति कीररिंछोलियउ लोअयउत्तओ व, सज्जणएसमागमई. 11) Pतरुअसिहरई, हिययं व धावंति तणुयपामर च धायंति आवाणा माहवी.' 12) मउय for मुइय, महुअर व, महिअ for पहिय. 13) सीयलई ण, उच्छुरणई,Jom. ण कलत्तई, P जिण for जण, संघाय, जहिं च पामरसयणघुम्मुराणं यं च लोयणणंगर- 14)JP व for य, P अन्ने पुण बालकालनाराशु, बालकलिनारा" रंभिरा'. 15) 1 तणुअवावड, P धवलदलमाण, Pom. विक्खेव. P P अण्णे पुणु, संकर- 16)P वसभेक. 17) Pबहुसुरहिवणनिरंतर, तरुवणेहिं, उ for ते. 18) Jom. तं च तारिस देस, P देसमज्झं, J जुवइजणेदीवर P जुबईयणलोयणदीवर, P om. य. 20) I धवलहरोअर, P विमलुबज्जल, P संकुलं'. 21) P विण्णास for विण्णाण, P विणम्मविय, पायाल for पायार. P रेहिरे.. 22) जच्च for जा य. P विरयरंत. P धरियपुरिसजइजइजसिय. 23)P गुज्झयनमिअत्थ, P जइसिया, सन्निहिया, P जहिं च दीसंति न सुवंति वययई बहुवयणहो. 24)Jadds च after वयणई, च for a, P रमिज्जंति चंडायलइंद्रायलई च. 26) Jएण for णाण, विमिम्मविभ, P पलयग्गभीएण. 27) तीय, P दिसाविहाए निस्सहो निसन्ना, P एस्थ for जत्थ. 28) J repeats साहुणा, Pता है तो, न कि पि for कं पि, P repeats वट्टजणो for चट्टजणो, Pता जललिय. ३०) मिद for मिदु, Jलंछितो, उअय, उदयाहारिया. Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० उज्जोयणसूरिविरइया [६२४३ ता फुडा होहिह एत्य मे पउत्ती, ता इमिणा चेव वञ्चामि त्ति चिंतयंतो समुट्टिओ कुमारो। जाव थोवंतरं गमओ ताव पेच्छइ । णायरिया-वंद्र जल-भरियारोविय-कुडयं । तं च दट्टण तस्स य मग्गालग्गो णिहुय-पय-संचारो गंतुं पयत्तो । भणियं एकाए Bणायरियाए 'मा, एसा उण कुवलयमाला कुमारिया चेय खयं जाहिइ, ण य केणइ परिणावेहिइ' । अण्णाए भणिय 'किं ण रूवं । सुंदरं । किं तीय ण विहिणा विहिया वीवाह-रत्ती, जह' णाम स्व-जोवण-विकास-लास-लोहग्ग-मडप्फर-ब्विया कुल-रूव. विहव-संपुण्णो वि णेच्छइ णरणाहउत्तो' । अण्णाए भणियं 'केरिसं तीए रूवं जेण एरिसो मडप्फरो' । अण्णाए भणियं कि तीए ण स्वं सुंदर सुंदरेण मोर-कलाव-सरिसेण केस-पब्भारण, कमल-दल-णिलीण-भमर-जुवलेण व अच्छिवत्तएण,तेल-धारा-6 समुजायाए णासियाट, पुण्णिमायंद-सरिसेणं मुहेणं, हत्थि-कुंभ-विभमेणं थणवट्टेणं, मुट्टिनोउझेणं मज्झ-देसेण, कणय-कवाडसरिसेण णियंबयडेण, मुणाल-णाल-सरिसेणं बाहा-जुवलेणं असोय-पल्लवारगेणं चरण करयलेग कित्तीए रूवं वण्णीयइ'। 9 अण्णाए भणियं 'हूं केरिसं तीए रूवं, जा काला काल-वण्णा णिक्किटु-भमर-वण्णा' । अण्णाए भणिय 'सच्चं, सच्च' । ताए . भणिय 'लोमओ भणइ, काला किंतु सोहिया' । अण्णाए भणयं 'अगेय-मुत्ताइल-सुवण्ण-रयणालंकार-चंचइया अहं तीए माणं खंडेमि' । अण्णाए भणियं 'ण एत्य रूवेण ण वा अण्णेण, महादेव-देवी पसण्णा, तीसे सोहग्गं दिणं' । अण्णाए भणिय 12 'एरिसं किं पिउववुत्थं जेण से सोहग्ग जाय' । अण्णाए मणिय ज होउ तं होउ अस्थि से सोहग्ग, कीस उण ण परिणि-12 जइ' । अण्णाए भणियं 'किर केण वि जाणएण किं पि इमीए साहियं तप्पभुइं चेय एस पादओ लंबिओ' । 'तं किर कोइ जह भिंदिहिइ सो मं परिणेहिइ, अण्णहा ण परिणेहिइ ति वेणी-बंध काऊण सा ठिय'त्ति भगतीओ ताओ भइकताभो। 16 कुमारो वि सहास-कोऊहल-फुल-णयण-जुयलो चिंति पयत्तो । 'अहो, लोगस्स बहु-वत्तवालावत्तगं। ता धडइ तं रिसिणो 18 वयणं जहा पादयं लंबेहिइ त्ति । तेण णयरिं पविसामि । सविसेस से पउत्तिं उवलहामि चिंतयंतो उवगओ के पि पएस। दिटुं च महंत मद । तत्थ पुच्छिओ एक्को पुरिसो 'भो भो पुरिसा, इमो कस्स मंदिरवरो' ति । तेण भणिय 'भट्टा भट्टा 18 होइ इम मंदिरं किंतु सब्व-चट्टाणं महें' । कुमारेण चिंतियं 'अरे, एत्थ होहिइ फुडा कुवलयमाला-पउत्ती । दे मढं चेय 18 पविसामि। पविट्ठो य मढं । दिट्ठा य तेण तम्मि चहा । ते य केरिसा उण । अवि य । लाडा कण्णाडा वि य मालविय-कणुज्ज-गोल्लया केइ । मरहट्ट य सोरट्ठा ढका सिरिअंठ-सेंधवया ॥ 21 किं पुण करेमाणा । अवि य । धणुवेओ फर-खेडं असिघेणु-पवेस-कणय-चित्त-डंडं च । कुतेण लउडि-खं बाहु-जुझ णिउद्धं च ॥ मालेक्ख-गीय-वाइय-भाणय-डोंबिल्लिय-सिग्गडाईयं । सिक्खंति के वि छत्ता छत्ताण य णञ्चणाई च ॥ 24६ २४४) ते य तारिसे दरिउम्मत्त-महाविंश-वारण-सरिसे पलोएंतो पविट्ठो कुमारो। दिटामो य तेण वक्खाण-24 मंडलीओ। चिंतियं कुमारेण 'भए, पेच्छामि पुण किं सस्थं वक्खानीयइ । तओ अल्लीणो एक वक्वाण-मंडलिं जाव पयइ पञ्चय-लोवागम-वण्ण-वियारादेस-समासोवसग्ग-मम्गणा-णिउग वागरणं वक्खाणिजइति। अण्णत्थ रूव-रस-गंध-फास-सह27 संजोय-मेत्त-कप्पणा-रूवत्थ-खण-भंग-भंगुरं बुद्ध-दरिसणं वक्खाणिज्जइ । कथइ उप्पत्ति-विणास-परिहारावत्थिय-णिच्चेग-सहावा- 27 यस्व-पयइ-विसेसोवणीय-सुह-दुक्खाणुभवं संख-दरिसर्ण उग्गाहीयइ। कथइ दव-गुण-कम्म-सामण्ण-विसेस-समवाय-पयस्य. रूव-णिरूबणावटिय-भिण्ण-गुणायवाय-परूवणपरा वइसेसिय-दरिसणं परूचेति । कहिंचि पञ्चक्खाणुमाण-पमाण-छक-णिरू30 विय-णिच्च-जीवादि-पत्थि-सव्वण्णु-वाय-पद-चक्कप्पमाणाइवाइणो मीमंसया। अण्णत्थ पमाण-पमेय-संसय-णिण्णय छल-जाइ- 30 1) P तप्फडा होइमे पउत्ती. 2) P नयरिया, P कुडई, . च for एकाए, Pएकोए. 3) Pमाए पसा Jom. किमरूवं संदर, P किं मरूवं. 4) P om. तीय, P adds य befor, विहिणा. Jinter. विहिआ विहिणा. P विहिया विह दियएसु वोलिए बलदेवूसवेस etc. (the pas3age repeated here as on p. 148 line 12 to p149 line 1) to पणइयणं, Pवाह for वीवाद, रती for रत्ती, Jadds किम विहिआ before जइ, Pom. लास. 5)P संपुन्ने, Jणरणाहपुत्तो, तीअ,वीय रूवं सुंदरसुंदरेण. 6)P ने for ण, जुवलेण धवलच्छीवत्तएण जुवलेण व अच्छिवत्तणं 7) समुज्जअए, मज्झेण, P चक्कायारेण for कवाडसरिसेग. 8) P बाहुजयलेयर्ण,चलण, J कित्तीय P किं तीए, वत्रीयति. (originally perhaps पुच्छीयति)P पुच्छइ for वण्णीयइ.9)P९, तीय, P कालवन्न. 10) तीय. 11) खंडीए for खंडेमि, P स्वेग वा अन्नण वा सहदेवी पसत्ता तीसे. J तीय से for तीसे. 12) Pउववत्वं, Jउववुत्थं किं अपुण्णाए जेग से सोदम्ग। अण्णाए, कीस पुण. 13)JP तप्पभूई, P पाईओ लंबिउँ।. 14)जो for जर, भिदिहिति P निदिहिइ [विदिहि १), J परिणिहिति P परिणेहित्ति, परिणेहिति परिणेति, PR forसा, P भगंतीओ अइकनाओ. 15) Pकोऊ लुप्फुल, P पयत्ता, लोअस्स, Jएअं तस्स for तं. 16)P पायायं for पादयं,J लंबेहिति, Pom. त्ति, Pom.से, पउत्तिमुव, मुगवओ for उगवओ. 17)Pon. इमो. 19)Pinter. संमि & तेण, P adds य after चट्टा, ते या केउगा. 20)Pमालविया कभुज, कुडुक for कणुज्ज, P करय for केर, टक्का सिरिअंठसेंध" Pढका किरिअगसेंध'. 21)P करेमाणो. 22) Pफरुर्खेदं असिधणु, P चित्तदं च । कुतेग, कुंतो लउडीजुझं णिउद्धं च ।, P बाहुजुद्ध निजुद्धं च. 23) गीतवाइत, नाणयाडोंबिलयासेंग्गढाईया। णिक्खंति के वि छत्ताण. 24) Pom दरि, सविसेस for सरिसे, P दिट्ठा ठ तेग. 25) अरे पुच्छामि, Jadds कम्मि before पुण, वक्खाणीयति P वक्खाणियद, Pom एक, पयति- 26) P -विगारा', P om. त्ति, P संजोयनिमित्तकम्मणा. 27) Jखल for खण,J वक्खाणीयति, J सहावातरूवपयहि- सहावासरूव.. 28) P-सह दुक्खाणभवं,J रुवं for भवं, उग्गाहीयति है उग्गाहें ति. 29)i om. रूब, P निरूवणाठितिभिन्न. गुणातवात:, Pom. पमाण. 30) P "जीवाद:. सव्ययण् गुवातपततवकप्पमाणातिवातिणो, P मिम्मंसणया, -पमेय, समय for संसय, जाति-- . Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२४५] फुषलयमाला 1णिम्गहत्थाण-वाइणो णइयाइय-दरिसण-परा । कहिंचि जीवाजीवादि-पयस्थाणुगय-दन्बढ़िय-पज्जाय-णय-णिरूवणा-विभागो-1 वालद्ध-णियाणियाणेयंतवायं परूवेति । कत्थइ पुहह-जल-जलणाणिलागास-संजोय-विसेसुप्पण्ण-चेयण्ण मजग-मदं पिव भत्तणो णत्थि-वाय-परा लोगायतिग त्ति। ६२४५) इमाई च दट्टण कुमारेण चिंतियं । 'महो, विजया महापुरी जीए दरिसणाई सव्वाई पि वक्खाणीयति । मह णिउणा उवज्झाया। ता कि करेमि किंचि से चालगं, अहवा ण करेमि, कजं पुणो विहढइ । ता कारेयव्वं मए कज' 6ति चिंतिऊण अण्णत्व चलिओ राय-तणओ । अवि य । तत्थ वि के वि णिमित्त अवरे मंत जोगं च अंजण अण्णे । कुहयं धाउब्वाय जक्खिणि-सिद्धिं तह य खत्तं च । जाणंति जोग-मालं तत्थं मिच्छं च जंत-मालं च । गारुळ-जोइस-सुमिण रस-बंध-रसायणं चेय॥ छंदवित्ति-णिरुतं पत्तच्छेज तहेंदयाल च । दंत-कय-लेप्प-कम्मं चित्तं तह कणय-कम्मं च ॥ विसगर-तंतं वालय तह भूय-तंत-कम्मं च । एयाणि य अण्णाणि य सयाई सस्थाण सुवति ॥ तमो कुमारेण चिंतियं । 'अहो साहु साहु, उवज्झाया गं बाहत्तरि-कला-कुसला चउसटि-विण्णाणब्भतरा स एए' त्ति 12चिंतयतो वलिओ अण्णं दिसं राय-तणओ । तस्थ य दिट्ठा अणेए दालि-वहा केवल-वेय-पाढ-मूल-बुद्धि-विस्थरा चट्टा । से उण केरिसा । अवि य। कर-घाय-कुडिल-केसा णिय-चलण-प्पहार-पिहुलंगा। उण्णय-भुय-सिहराला पर-पिंड-परूढ-बहुमंसा ॥ 15 धम्मत्थ-काम-रहिया बंधव-धण-मित्त-वजिया दूरं । केइत्य जोवणत्या बाल च्चिय पवसिया के वि ॥ 16 पर-जुवइ-दसण-मणा सुहयत्तण-रूव-गम्विया दूरं । उत्ताण-वयण-णयणा इट्टाणुग्घट-मट्ठोरू॥ ते य तारिसे दालि-बट्ट-छत्ते दट्टण चिंतियं । 'अहो, एत्य इमे पर-तत्ति-तग्गय-मणा, ता इमाणं वयणामो जाणीहामि 18 कुवलयमालाए लंबियस्स पाययस्स पउत्तिं । अल्लीणो कुमारो । जंपिओ पयत्तो। 'रे रे आरोह, भण रे जाव ण पम्हुसइ ।18 जनार्दन, प्रच्छहुं कस्य तुम्मे कल्ल जिमियल्लया। तेण भणियं 'साहिउं जे ते तओ तस्स वलक्खएलयई किराडहं तणए जिमियालया। तेण भणियं 'किं सा विसेस-महिला वलक्खइएल्लिय' । तेण भणियं 'महहा, सा य भडारिय संपूर्णशस्खलक्खण गायत्रि यहसिय' । अण्ण भणियं 'वर्णिण कीदृशं तत्र भोजनं । भण्गेण मणियं 'चाई भट्टो, मम भोजन 21 स्पृष्ट, तक्षको है, न वासुकि' । अण्णेण भणियं 'कत्तु घडति तउ, हद्धय उल्लाव, भोजन स्पृष्ट स्वनाम सिंघसि' । भण्ोण भणियं 'अरे रे वड्डो महामूर्ख, ये पाटलिपुत्र-महानगरावास्तव्ये ते कुस्था समासोक्ति बुज्झति । भण्णेण भणियं 'अस्मादपि इस अमूखंतरी'। अण्णेण भणियं 'काई कज' । तेण भणियं 'भनिपुण-निपुणाथोक्ति-प्रचुर। तेण भणिय 'मर काई मां मुक्त, अम्वोपि विदग्धः संति' । अण्णेण भणिय 'भट्टो, सत्यं स्वं विदग्धः, किं पुणु भोजने स्पृष्ट माम कथित । तेण मणिय 'अरे, महामूर्खः वासुकेर्वदन-सहस्रं कथयति'। कुमारेण य चिंतियं । 'अहो, असंबद्धक्खरालावत्तणं बाल-देसियाणं । महवा को 1) J -वातिणो, P नइवाइय, JP 'जीवाइ, J 'पदत्थाणुगत, P "णुगतदव्बढि 2) P 'निच्चाणय, 'णेअंतवातं, P°वायं रूवेंति,J 'जलणणिला', विसेसुप्पण्णुचेतण्णु, P मयं for मदं. 3) चात, परलोयगायगित्ति. 4) P.trans. दरिसणाई after पि, J वक्खाणियंति. 5)Jinter. करेमि & किंचि. 7) J जोर्थ,P जक्खणः, I तहेच, P खनं. 8) जोधमालं, मित्थं च जेत्तमालं, P गारुडमाइसमुमिणं, जोतिस- 9) छंदविति, तहेय इंदा तहेदयालं, Jom. the line दंतकय eto. 10) भूत-Jएताणि,J सताई. 11) Pउवज्जाया, P बाहुत्तरिकाला, विण्णाणरु (भ?) त्तरा य एपंति. 12)P चलिओ for वलिओ, P दिसंतराय, Jom. य, अणेये दालिविट्टा, P अणेय, P वेयपाय: Pom.बुद्धि, ते पुण. 14) अन्नय for उण्णय, Pबहु मासा. 15) जण for धण. 16)P सुवत्तणरूव. 17) P तारिस, पदालिवि, inter एत्थ& इमे, P जाणिहामि. 18) पातअस्स, जंपिउं P जंपियउं, P जाव न पमुहुसह. 19) पुच्छह कत्थ, भगिओ, Pom. ते, वलक्खइएल्लयह, I om. किराडहं. 20) JP विसे for विसेस. The passage अहहा to कथयति (lines 20-26), is found only in 33; it is given in the text mostly as it is with the restoration of य-श्वति. 21) भट्टो or रुट्टो. 22) हच्चय or हद्धयः 23) ते is added below the line. 24) मरका or नरकाई. Instead of the passage est to fa found in J and adopted in the the text above, p has the following passage which is reproduced here with minor corrections : 'अहह रुंह मुंड-सूनिहलकल्लोल-माल भडारिया दुत्तरिय सरस्वतिजासिया' । तेण भणियं 'अरे, दुचारिणी सा' 'अहह इमं कुअक्षर-नवक्खप्फ मात. भडारिया गंगादेवि जइसिया भस्मीकरेजा'। तेण मणियं 'अरे त्वं मुंज्यमान्या सा सस्य हेहिं दीर्घ-धवलेहिं लोचनेहिं निरकृति' । तेण भणियं हुं हुं मसल्य-चालि-निरीकृति काई वररुद्दो सति ब्रह्मपुवर्णढिब मि । तहिं दीर्घ-धवल-लोचनेहिं ग्रसतीव पिबतीव लुपतीव विलुपतीव अक्षिएहिं निरिक्ष्यति । तेण भणियं 'अरे, तया मणिय सा दुश्वारिणी न होति । अथ च त्वं सरपृहं निरीक्ष्यति । परस्पर विरुद्धं एहु वचनु' । तेण भणियं 'अरे न-याणाहि कामशास मदीयगुरुपदिछ । यदि भवति मात सीतसती व दमयंती अप्सर तदपि क्षुमति'. In the following conversational passage the readings are exhaustively noted and the passage is faithfuly reproduced as in one or the other Ms. 26) Pom. य, चिंति, 'क्खरालायत्तणं बालदेसिआणं |, 'लावत्तणं मुरुक्खबडुयाणं ।। Jain Education Interational Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 19 १५२ उज्जोयणसूरिविरदया [8 1अण्णो वावारो इमाणं पर-पिंड-पुटु-देहाणं विजा-विण्णाण-णाण-विणय-विरहियाणं चट्ट-रसायणं मोत्तूर्ण' चिंतयंतस्स भणिय । भण्णेणं चट्टेणं 'भो भो भट्टउत्ता, तुम्हे ण-याणह यो राजकुले वृत्तांत' । तेहिं भणिय 'भण, हे व्याघ्रस्वामि, क वार्ता राजकुले' । तेण भणियं 'कुवलयमालाए पुरिस-द्वेषिणीए पायओ लंबितः' । इमं च सोऊण अप्फोडिऊण उढिओ एको ३ चहो । भणियं च णेणं 'यदि पांडित्येन ततो मई परिणेतव्य कुवलयमाल' । अण्णेण भणियं 'अरे कवणु तउ पाण्डिस्यु'। तेण भणियं 'षडंगु वेउ पढमि, त्रिगुण मन्त्र पढमि, किं न पाण्डित्यु' । अण्ण भणियं 'अरे ण मंत्रेहिं तृगुगेहिं परिणिज्जइ । जो सहियउ पाए भिंदइ सो तं परिणेई' । अण्णेण भणिय 'अहं सहियओ जो ग्वाथी पढमि । तेहिं भणियं 'कइसी रे । व्याघ्रस्वामि, गाथा पठसि त्वं' । तेण भणिय 'इम ग्वाथ ।। सा ते भवतु सुप्रीता अबुधस्य कुतो बलं । यस्य यस्य यदा भूमि सर्वत्र मधुसूदन । . तं च सोऊण अण्णेण सको भणियं 'भरे अरे मूर्ख, स्कंधकोपि गाथ भणसि । अम्ह गाथ ण पुच्छह' । तेहिं भणियं 'वं. पठ भट्टो यजुस्वामि गाथः' । तेण भणियं 'सुट्ट पढमि, आई कजि मत्त गय गोदावरि ण मुयंति । को तहु देसहु आवतह को व पराणइ वत्त ॥ 19अण्णेण भणियं 'भरे सिलोगो अम्हे ण पुच्छह, ग्वाथी पठहो । तेण भणियं 'सुटु पढमि । तंबोल-रहय-रामो अहरो दृष्ट्वा कामिनि-जनस्स । अम्हं चिय खुभइ मणो दारिद्र-गुरू णिवारेह ॥' तो सम्वेहि वि भणियं 'अहो भट्ट यजुस्वामि, विदग्ध-पंडितु विद्यावंतो ग्वाथी पठति, एतेन सा परिणेतव्या'। अण्णेण भणिय मरे, केरिसो सो पायो जो तीए लंबिओ। तेण भणिय 'राजांगणे मइं पढिउ आसि, सो से विस्मृतु, सम्वु लोकु 16 पढति' ति। २४६) इमं च सोऊण चट्ट-रसायणं चिंतियं रायउत्तेण । 'अहो, अणाह-वट्टियाणं असंबद्ध-पलावत्तणं चाणं ति । 18 सम्वहा इम एत्थ पहाणं ज रायंगणे पायओ लंबिओ त्ति पउत्ती उवलद्धा । ता दे रायंगणे चेव वश्चामि ति चिंतेतो णिक्खतो 18 रायतणमओ मढाओ, पविट्ठो गयरीए विजयाए। गोउर-दुवारे य पविसंतस्स सहसा पवाइयाई तूराई, बाहयाई पडहाई. पवज्जियाई संखाई, पढियं मंगल-पाढएण, जयजयावियं जगेण । तं च सोऊण चिंतियं कुमारेण 'अरे काय एसो जय. जयासहो दूर-रवो य' जाव दिढे कस्स वि वणियस्स किं पि कज ति । तओ तं चेय सउग मणे घेत्तुंग गंतुं पयत्तो जावश थोयंतरे दिलृ इमिणा अणेय-पणिय-पसारियाबद्ध-कय-विक्य-पयत्त-पवढमाण-कलयल-रवं हह-मग्ग ति । तत्थ य पविसमाणेण विट्ठा भणेय-देस-भासा-लक्खिए देस-वणिए । तं जहा। त कसिणे णिट्टर-वयणे बहुक-समर-मुंजए अलज्जे य । 'अडडे' त्ति उल्लवंते अह पेच्छइ गोल्लए तस्थ ॥ णय-णीइ-संधि-विग्गह-पडुए बहु-जपए य पयईए । 'तेरे मेरे आउ'त्ति जपिरे मझदेसे य॥ णीहरिय-पोह-दुब्वण्ण-मडहए सुरय-केलि-तल्लिच्छे । 'एगे ले'-पुल्ले मह पेच्छइ मागहे कुमरो॥ कविले पिंगल-णयणे भोयण-कह-मेत्त-दिण्ण-वावारे । 'कित्तो किम्मो' पिय-जंपिरे य अह अंतवेए य ॥ उतुंग-थूल-घोणे कणयम्वण्णे य भार-वाहे य । 'सरि पारि' जपिरे रे कीरे कुमरो पलोएड् ॥ 1) Pइमाण, बुद्ध for पुढ, P om. पुट्ठ, देहबद्धाणं for देहाण, P विनाणनाण, विरहिआण, भणियमण्णेण. 2) Pअन्नेण, P तुब्मे for तुम्हे, नयाणह, P वृत्तांतः (१), P हो for हे, P का for क. 3) राजकुलो, P पुरुष-, पातओ, संविओ, P अप्पोडिऊण, J inter. एकोउदिओ. 4) P भट्टो for चट्टो, P om. च, ण, P ततो भं परिणेतज कुवलयमाला। अन्नेण, P कमणु तओ, P पांडित्यु. 5) मणि, P सडंग, om. वेउ, विगुणमत्र घडमि किं न P तिउणमंत कडूमि किन्न, पांडित्यं । अन्नेण, न, गुणेहि P त्रिगुण रहिं. 6) J सहितौ P सहिअउ, पाती for पाप, परिणेति, सहितउज्जोग्गाथी, भणिअं. 7) व्याघ्रसामि गाथः, J on. पठसि त्वं, भणि, इम ग्गाथ Pइमा ग्वाथा. 8) Instead of the verse सा ते भवतु eto. P has the following: अनया जघनाभोगमंथरया तया । अन्यतोपि ब्रजेत्येमं हृदये विहितं पदं ।।. 9) P अन्नण, J भणि, Pमुक्खा , P पि ग्वाथा, P गाथ न पुच्छह, J भणि,P चव for वं पठ. 10) यज्ञस्वामि (१),P आथ for गाथ:- 113 आए कप्पे for आई कब्जि, P गया गोयवरि न, P को तह के देसह, I आवतति P आवइ, अपराणति वात्त P पराइ वत्त नेण भणिय. 12) भणि, P adds एसो before अम्हे, न, P पढहुं तेहिं भणियं पढहो । तेण भणियं सुट्ठ, I भणि in both places. 13) 3 अहरो कामिनि दृष्ट्वा अम्हं चिअ P अहरो पृष्टा कामिनी [Better read दळूण for दृष्ट्वा], क्खुभइ शुभइ, दालिद्द, P निवारेइ. 14)Pसम्वेहि मि भणियं, भणि, यज्ञस्वामि (?),P विदग्धपांडित्यविजमंतो, F अन्नेण. 15) Pom. अरे, J पातओ, J तीय, भणिओ, राइंगणे, पठितु P पढिउं, P आसि सा विसुतु सब्बो लोकु. 17) P वह for चट्ट, P अहो वेपपायमूढबुद्धीणं असंबरपलावित्तणं छत्तवट्टाणं ति. 18) पातओ, पतित्ती for पउत्ती, ते for ता, Pom.दे, रायंगणं, चेअ, चिंतयंतो. 19) नयरीओ, दुकारे, P om. य, adds ओ before सहसा, पडढयाई पवजिआई.20Jवाढएणं, P एसो जयासहो, P om. य. 21) विवाहो त्ति for किं पिकजं ति, P om. तं, सउणमणेण.22) Pथोवंतरे, P अणियवणिय, पणियपसारया, विमाण-24) Pकसिणा निहर, P अरडे. 25) Jणीति, J पटुए, J-जंपिरे य पयतीए. 26) Pदुवन्न, P एसे ले [पशेले, जंबुल्ले, मागधे कुमारो. 27) लोयणकह दिन्नमेत्तवावारे, P किं ते किं मो, जिय for पिय, P जंपिरो, Pom. अह, अंतवेते P अत्तए. 28)वणे 'वने, वारि, for पारि, P अवरे for रे, P कुमारो. Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६ २४८ ] कुवलयमाला 1 दक्खिण्ण- दाण- पोरुस - विष्णाण- दया-विवज्जिय-सरीरे । 'एहं तेहैं' चवंते ढक्के उण पेच्छए कुमरो ॥ सललिय- मिड-महषए गंधव-पिए सदेस-गय-चित्ते 'चउदय मे' भणिरे सुहए वह सेंधवे दिट्टे ॥ जडे य ज बहु-भोई कठिण पीण सूजंगे। 'अप तुप्पों' भणिरे अह पेच्छद्र मारुए तत्तो ॥ ध-लोणिय-गे धम्म-परे संधिविग्गा-गिट 'गत रे भलर्ट' भणिरे अइ पेच्छ गुजरे भवरे ॥ हा ओलिस-विलिते कय-सीमंते सुसोहिय-सुगते । 'अम्हं काउं तुम्हें' भणिरे अह पेच्छए लाडे ॥ तणु- साम-मड- देहे कोवणए माण-जीविणो रोद्दे । 'भाउय भइणी तुम्हे' भणिरे अह मालवे दिट्ठे ॥ उक्कड - दप्पे पिय- मोहणे य रोहे पयंग-वित्ती य । 'अडि पॉंडि मरे' भणिरे पेच्छइ कण्णाडए अण्णे ॥ कुप्पास पाउयंगे मास- हई पाण-मयण तलिच्छे । 'इसि किसि मिसि' भणमाणे अह पेच्छह ताइए भवरे ॥ सच-कला-पट्टे माणी पिय-कोषणे कठिण-देहे 'ज तह ले' भणमागे कोसलए पुलइए अपरे ॥ -मह-सामलंगे सहिरे महमासीले व 'दिष्णले महियले' उल्लविरे तत्थ मरहट्टे ॥ पिय- महिला - संगामे सुंदर-गते प भोयणे रोहे । 'अटि पुटि रर्टि' भणते अंधे कुमरो पलोएह ॥ इम महारस देसी भासाउ पुलकण सिरिदत्तो क्षण्णाइय पुरुषई खस-पारस-चैम्बरादीए ॥ 1 3 0 9 12 15 १५३ ६ २४७ ) तस्स व तारिसस्स जण-समूहस्स मज्झे के उण आलावा सुब्बिर्ड पयन्त्ता । भवि य । - देहि देहि रोयह सुंदरमिणमो ण सुंदरं वच । ए-एहि भणसु तं चिय अहव तुई देमि जह कीयं ॥ सस गया तिणि चिया सेसं अई पण पादेण वीसो व पदवीसो वयं च गणिका कणिसवाया ॥ भार- सयं मद्द कोडी-लक्स चिय होइ कोडि-सयमेगं । पछ-सय-पलमद्ध-पलं करिसं मासं च रती य ॥ एयाण उपरि मासा एए अद्द देमि एएहिं ॥ होइ धुरं बडो गोपण सह मंगलंच सुती य 18 कह मै संवरिये गेण्हल सुपरिक्खिऊण वच्च तुमं । जह खज्जद कह वि कवड्डिया वि एगारसं देमि ॥ पूर्णकुमार-कुपदो विनिमय वचमाणो भए बनिया उहावे निसुर्णेतो गंतुं पयतो कमेण संपतो बणेबनायर-विद्या-धवल-विलोल सोयण- मालाहिं पोतो रायंगणे, जं च अगेय-गरणाइसस्स उड-डविय सिडि-कळाब21 विम्मिवियत संकुलं सत्य सवो घेव णरवइ-जणो करयल-निमिव-गुद-कमलो किंपि किंपि पितो कविषणो विव21 दीसह । तं च दट्ठण पुरिछओ णरणाह-पुसो कुमारेण 'भो भो रायउत्त, कीस णरवइ-लोओ एवं दीण-विमणो दीसह ' सि । तेण भणिय 'भो भो महापुरिस, ण एस दीणो, किंतु एत्थ राहणो धूया कुवलयमाला णाम पुरिसद्देसिणी, तीय किर 94 पायो णिमो जहा 'जो एयं पायं पुरेहिह सो मं परिणेहि' ति । ता तं पादयं एस सम्वो चेव णरवइ-लोभो चिंतेइ प' 24 सि। कुमारेण भणियं 'केरियो सो पाओ'। तेण भणिये 'एरिसो सो' अवि व 'पंच वि पडने विमाणम्मि ।' 1 1 18 15 ६ २४८ ) कुमारेण भणियं 'ता एस पायभो केणह कम्मि भणिए पूरिओ ण पूरिमो वा कहूं जाणियब्वो' । तेण 87 भजिये 'सा वेष जाणइ कुवलयमाला, ण य भण्णो' । कुमारेण भणियं 'कहं पुण । पचओ होइ जहा सो चेय 27 इमो पायनो जो कुवलयमाला इमस्स पायस्स पुम्बमेव अभिमनो' । तेण भणियं । 'अयि पञ्चमो कई 1) ते P तेहं, J टक्के, कुमारो. 2 ) सललितमिदुमंदबए, Pसएस, P वंसे दइणो for च (व) उडय मे of J, P सुइसे अह दिट्ठो. J 3 > J वंकि P कंबे, P -रूगंगे, अप्पा तुप्पा P अप्पां तुप्पां, J मारुए P कारुए. 4 ) 3 लोलिय. P विग्गहे. 5 ) P सीमंते सोहियं गते, आदम्ह काई तुम्हें मित्त भणिरे for अम्हं eto. Jom. अह, P अच्छद for अह 6 ) P - जीवणे, P भाश्य, P तुम्मे for तुम्हे, दिट्ठो. 7 ) एय for य ( before रोहे), अद्रि पोण्डिमरे P अडिपांडिरमरे8 ) Ps for रुई, P असि for इसि, P मणि for मिसि, P भणमाणो 9 ) सत्य for सञ्च, पत्तट्ठो P पग्भट्ठे, देहो. 10 P सहिए अहमाण, P दिनले, J रा ( ठा? ) हिल for गद्दियले ( written twice in P ). 11 ) P गोते for गते, भोरणे, P भायणे रोहे । अट्ठिमविभणति अबरे अंधे कुमारो, रर्टि भणते रंध्रे कुमारो 12 ) सिरिअत्तो, P सिरिदत्ते । अश्य पुलपती जबसपारस, अण्णाईय पुरुष, पव्वरादीए P बब्वरातीए 13 ) 3 जणस्समुहस्स सज्झे काऊण अलावा, १ केण उण. 14 ) P देहेहि, P स for ण, P एएहि, कीतं. 15 ) 3 तस्स गता for सत्त गया, धिरा सेसं, P पऊण पारण बीसो भवसो, कणिसवाता P गणिसवाया. 16) Jसतं, P adds होइ after अह, P च for चिय हो, कोडिसतमेकं । पलसतप, रतीया रतीसं. 17) On the verse होइ eto. we have a marginal note (in 3 ) like this (with numerals below the words ): कणियउ / 21 महेसरु / २ | सलु / ५ पविती / ७। उवणु९| आंगुलु / १०१ पूंखाल / १००१८ उ. The text_of J numbers घुरं as 2, वहेडो 83 6, गोत्थण as 4 and सुत्तीय 88 20. J उवदिसंसा एते, एतेहिं. 18) म संवरितं, र एआरसं. 19 ) Pom. च, P उल्लानें. 20 >P नारय for णायर, Pom. जं, P adds केरिस before भणेय, P उड तण्डवितविय 21) P - निम्मिय, 3 om. one किंपि P वि for विव. 22 ) P नरनाहउत्तो, रायउता, adds एस after कीस, Pom. एवं 23 ) P inter. ण (न) & एस, P रायणो, P पुरिसवेसिणी, P यय for तीय. 24 ) पातओ, पाठयं पूरेहिति, ति for प्ति, Pपाययं, अ, विहंतेश ति. 25) Pom. सो, पातओ for पाओ, J writes twice पंच वि पउमे चिमाणमि. 26) पातओ, र भणिते ? भणिअर, पूरितो ण पूरितो. 27 ) Pom. य. 28 ) J पातओ, पावयरस for पायस्स. 20 18 . Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरल्या [६२४८1 तिणि पादे इमाए काऊण गोलए पक्विविय मुदिऊण महामंडारम्मि पक्खित्ते । तेण कारणेण पदिय ति जो पमाण जं 1 पुण तीए रइयं तं तत्थ पादए घडिहि ति तो तं परिणेहिई' ति । इमं च सोऊण चिंतियं रायउत्तेणं 'महो, सुंदरं जायं जेण सुपरिक्खिओ पादओ पूरेयम्वो त्ति । ता दे चिंतेमि, महवा किमेत्थ चिंतियइ । 'पंच वि पउमे विमाणम्मि'। ३ 'भम्हे तम्मि पउमे विमाणम्मि उप्पण्णा तवं च काऊण । किं पुण ताए एत्थ पादए णिबद्ध-पुष्वं' चिंतिऊण, ई अस्थि, कोसंबि-धम्मणदण-मूले दिक्खा तवं च काऊण । कय-संकेया जाया पंच वि पउमे विमागम्मि ॥ अहो णिव्वडियं मायाइच्चत्तणं मायाइञ्चस्स जेण केरिसो पादय-वुत्तंतो कुडिल-मग्गो कमओ, इमीए कुवलयमालाए ओलंबिमो। ताव य उद्धाइओ समुद्द-सह-गंभीरो कलयलारावो जणस्स रायंगणम्मि । किं च जायं। पलायति कुंजरा । पहावंति तुरंगमा । ओसरंति णरवइणो। पलायति वामणया। णिवडति खुज्जया। वित्थक्कंति धीरा । वलंति वीरा । कंपति कायरा । १ सव्वहा पलय-समए ब्व खुभिओ सम्वो रायंगण-जणवओ ति । चिंतियं च कुमारेण । 'को एसो अयंडे चेय संभमो' ति।. पुलोइयं कुमारेण जाव दिट्ठो जयवारणो उम्मूलियालाण-खंभो पाडियारोहणो जण मारयंतो संमुहं पहाविमो त्ति । अवि य। तुंगत्तणेण मेरु व्व संठिओ हिमगिरि ब्व जो धवलो । हत्य-परिहत्य-वलिओ पवणं पिजिणेज वेगेण । तमो, 12 रणत-लोह-संखलं झरंत-दाण-वेब्भलं खलंत-पाय-बंधणं ललंत-रज-चूलयं । चलंत-कण्ण-संखयं फुरंत-दीह-चामरं रणत-हार-धंटयं गलत-गंडवासयं ॥ दिटुं तं जयकुंजरं । अवि य। 16 संवेल्लियग्ग-हत्यो उण्णामिय-खधरो धमधमेंतो । मारेंतो जण-णिवहं भंजतो भवण-णिवहाई॥ दाण-जल-सित्त-गत्तो गंधायड्डिय-रणत-भमरउलो । पत्तो कुमार-मूलं अह सो जयकुंजरो सहसा ।। ६२४९)तं च तारिसं कुविय कयंत-सच्छहं दहण जण जंपियं । 'बप्पो बप्पो, ओसरह भोसरह, कुविओ एस . 18 जयहत्थी । तं च तारिसं कलयलं भायण्णेऊण राया वि सतेउरो आरूढो. भवण-णिजहए दढे पयत्तो । कुमारस्स य 18 पुरमओ दट्टण राइणा भणियं 'भो भो महापुरिस, अवेह भयेह इमामो महग्गहाओ वावाइजसि तुम बालमो' ति । तमो तहा-भणंतस्स राइणो जणस्स य हा-हा-कारं करेमाणस्स संपत्तो कुंजरवरो कुमारासणं । कुमारेणावि A संवेलिऊण वत्थं भाइदं तस्स हत्मिणो पुरओ। कोवेण धमधमेतो दंतच्छोहं तहिं देइ ॥ हत्थं-परिहत्थेणं ताव हो करयलेण जहणम्मि । रोसेण जाव पलिमो चलिभो तत्तो कुमारो वि॥ पुण पहओ मुट्ठीए पुण वलिओ करिवरो सुवेएण । ताव कुमारो चलिमो पच्छिम-भाए गयवरस्स ॥ . 24 तावलइ खलइ गजइ धावइ उद्धाइ परिणो होइ । रोसेण धमधमेंतो चक्काइद्धं पुणो भमइ ॥ जाव य रमिउवाओ णिप्फुर-कर-धरिय-कण्ण-जुयलिल्लो। दंत-मुसलेसु चलणं काऊण ता समारूढो ॥ तस्थ य समारुहंतेण भणियं कुमार-कुवलयचंदेण। 7 'कोसंबि-धम्मणद्रण-मूले दिक्खा तवं च काऊण । कय-संकेया जाया पंचवि पउमे विमाणम्मि॥' तं च सोऊण 'अहो पूरिओ पायओ' त्ति भणतीए पेसिया मयरंद-गंध-लुद्वा गयालि-हलबोल-मुहलिया सिय-कुसुम-वरमाला आरूढा य कंधराभोए कुमारस्स । राइणा वि भणियं पुलइयंगेण 'साहु साहु, कुवलयमाले, अहो सुवरियं वरिय, महो 30 पूरिओ पायओ । ताव य जयजयावियं रायलोएण 'अहो दिव्वो एस कोइ, अहो ण होइ मणुओ' ति । ताव य 30 णिवडिया उवरि दिव्वा अदीसमाण-सुर-पेसिया सुरहि-कुसुम-वुट्टी। जावं च तं पएसं जयजया-सह-मुहलं ति । एत्थंतरम्मि पहाइओ महिंदकुमारो जयकरिणो मूले । भणियं च णेण 'जय महारायाहिराय परमेसर सिरिदत्वम्म भ 1)Pपाए, P लोगए for गोलए, P भंडारे, पढित, णो for जो, जो पुयमाणं. 2) तीए रुझ्य, Pom. तं, P पायए, J घडिहिति ततो तं, J परिणेहिति । P परिणेहियत्ति, P कुमारेण for रायउत्तेणं. 3) सुपरि क्खिय पाईओ प्रओ ति, पूरेतब्वो, नवितेति, चिंतयति, Jadds पंच वि पउमे विमाणे before अम्हे eto. 4) Pom अम्हे तम्मि पउमे विमाणम्मि, J ता for ताए, पायप. 5) J कोसंमि. 6) P पाययः. P काउं for कओ. om. ओलंबिओ। ताव य. 7) J उच्छादओ, Padds जरावो before जणस्स. 8) P विकत्थंति वीरा कंपति. 9) वंजणवओ, P om. च, । अयंडो संभमो त्ति चिततेण पुलोश्य, पुलइयं. 10)J थंभो for खंभो, P समुई समुहं पाविओ त्ति । 11) Jआगत्तणेण कुंगत्तणेण,P पवर्णभि जिणेज एण ॥Jadds य after तओ. 12) P-संकलं, भलं. रज. 13) UP संखयं [- पंखयं ?], P भार for हार, घंटणं. 14) Pom. दिटुं तं जयकुंजर. 17)P सच्छम, बप्पा for बप्पो बप्पो. 19) P om. one. भो, P om. one अवेह, P बालो for बालओ. 20) Padds य before राइणो, P करेणस्स संपत्तो, ३ कुमारेण वि. 21) P आइहूं, P दंतच्छोहिं. 22)Pताप for ताव. 23) P पुण पहओ, Pसुरेवेण,J adds yि after कुमारो. 24)P चकाइट्रं. 25) Prepeats चलणं. 26) Pतत्य समारूण भणियं. 28) Padds सि after पूरिओ, पातो त्ति भणतीय, P सेय for सिय. 29) Jom. वि, I adds त्ति after second साहु, कुवलयमाला एवं ते सुचरियं । अहो. 30) पातओ, Pom. एस, P एसो for अहो, P माणुसो त्ति, P 4 निवडियावरि अदिस्समाणा. 31) P adds विय before सद्द. 32) P महिंदकरिणा मूळे, P om. सिरिदढवम्मणंदण eto. to साहसालंकार. Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२५० ] कुवलयमाला १५५ 1 ण कुमार कुवलयचंद इक्खागुर्वस- बालंकुर सोम- साहा - णहयल मियंक भओझा पुरवरी-तिलय णरवर-पुंडरीय साहसाल - 1 कार विजा-परिवार धरणीकंप पर बल खोह माण-घण कला-कुलहर दक्खिण्ण महोयहि विणयावास दाण-वसण पणइ3 जण - वच्छल जय कुमार' ति । इमं च सोऊण लीला-वलंत-धवल-विलोल लोयणेणं णियच्छियं रायनपुणं । 'अहो को 8 रथ तायस्स पायानं णामं गेन्दइ सि जाय पेच्छ भणेय णरणाह पुत्त-परिवारं जेई सहोदरं पिव महिंदकुमारं ति । तमो से च दण पसरमार्गतर सिने सम्भाव-भाव-परिस-वसुलसंत- रोमंच-कंचुयंगेण पहिलो मम्म-परसे जयकुंजरो, तमो 6 सिणो, आरूढो य महिंदो, पसारिय-भुएण य समालिंगियं अवरोप्परं । पुच्छिओ य 'अवि कुसलं महाराइणो, दढ सरीरा देवि सि, सुंदरं तुमं' ति ताय य णरचणा वि बिजण चिंतिये 'अहो, अच्छरी इर्म एवं ताज इमं देव इमस्स रूवाइसर्य, दुइवं असामण्ण-जय-कुंजरायणग्यवियं महासतं, इयं णरणाह सहस्स पुरओ पाद-पूरणं च पुन दिवेहिं कुसुम-परिस-सूयणं, पंचमं महाराइणो एडवग्मस्स पुतो ति अहो, पावियं जं पावियध्वं बच्छाए कुवलयमालाए । साहु पुति कुवलयमाले, निव्वाहियं तए पुरिसद्देसित्तणं इमं एरिसं पुरिस-सीहं पावयंतीए । अहवा ण जम्मंतरे वि मुणिणो अलिये मंतयति' । भणिओ व णरवणा कुमारो 'समप्येह जयकुंजरे हत्यारोहाणे, आरुह मंदिर' ति । एवं च भणिनो 12 कुमारो | 'जद्दानवेसि सि भगमाणो ओयरिलो जयकुंजराम्रो, आरूदो व पासायं महिंद दुइओ, अवयासिनो राइण 12 ससिणेहं । दिण्णा भासणाई पिसण्णा जहासु पेसिया य राइणा कुवलयमाला, ससिणेह च पुलवंतीणीहरिया व सा २५० ) राइणा भणियं को एस वुत्ततो, कहं तुमं एक्को, कहं वा कप्पडिय-वेसो, किं वा मणि- कुचेलो प्रत्थ 16 दूर-देसंतरं पाविभो' ति । कुमारेण भणियं 'देव जाणसि थिय तुमं । अचि य । 1 जं ण सुमिणे वि दीसइ चिंतिय- पुष्वं ण यावि सुत्र-पुब्वं । विहि-वाउलीए पहओ पुरिसो अह तं पि पावेइ ॥ तेण देव, कहं कपि भ्रममाणो देव अर्ज चिय संपर्क एस पतो' ति राणा भवियं 'महिंद, किं एसो सो जो 18 व पुच्छि दवम्म-पुत्तते पुत्य पत्तो ण न ति महिंद्रेण भणियं 'देव, जहाणबेसि' ति 'एस सो' सि कुमारेण भणियं 18 'महिंदकुमार, तुमं पुण कत्थ एत्थ दाहिण-मयरहर - वेलालग्गं विजयपुरवरिं पुग्वदेसाओ संपत्तो सि' । तेण भणियं 'देव णिसुणेसु । अस्थि तइया वाहियालीए समुद्दकल्लोल-तुरएणावहरिओ तुमं । भविम । 21 भाव उप्पल इव उप्पइलो पोय सययं तुरलो। एसेस एस बच्चइ दीखइ पत्तो ॥ तो दादा-र-द-म्भिरस्स रायलोयस्स अहरियो तुम तो वाहिणो राहणा तुरभो मुज्झाणुमा हग्गो सेस-गरबह जणेण य । तो य दूरं संतरं ण य तुज्झ पडत्ती वि सुणीयइ । तभ गिरि-सरिया संकुले पएसे णिवडिओ पवणावत्त94 तुरंगमो । तो राया वि तुज्झ पडत्ती असंभावतो विडिओ मुच्छा-वेब्भलो जाओ, आसासिनो य अम्हेहिं पडत-वाएहिं । 24 ओ' हा पुत्त कुवलयचंद, कहिं मं मोतुं वच्चसि' त्ति भणमाणो पुणो मुच्छिभो । तभो आसासिओ विलविडं पयत्तो । हा पुत कम वचसि मोतृण ममं सुरुक्लियमणा । हा देव करथ कुमरो जिसस ते जयहिओ सहसा ॥ किंबहुना परायत्तो विष, उम्मत्तगो विय, गहना हिलो बिव गटु-सण्णो विव, पटु-चेषणो विव, सव्वहा गय-जीविओो 27 विवण चल, ण वल, ण अपद, ण फंदह, ण सुणेइ, ण वेयपू, ण चेतति । तं च तारिसं दण मरणासंक-चेभलेण मैतियण साहिओ से जहा 'सगर-चकोि सहि-सहस्य-पुत्ताणं धरणिंद-कोव-विस-हुयास लावली-होमिमार्ग महण80 चुतो तहा विण दिण्गो लोगस्स तेण अत्ताणो । ता महाराय, कुमारो उण केण वि दिग्वेणं अक्खित्तो किंपि कारण 80 गणेमाणेण सा अवरसं पाव पडती । पुच्छामो जाणए गर्णेतु गणया, कीरंतु परिणामो, सुबंतु नवसुइनो, दीसंतु 3 , 2 ) P धरणीकंपाप रबजलखोहमाणहणकयाकुलहर, 3) Padds to after 6 ) P भुए हिं, P कुलर्स for 8 ) रुवातिसयं, P जयजंजय10 ) णिव्वडियं उ for भणति for मंतयंति, P कुंजहरं, दाणवसाण, P पणदीयलबच्छल. विलोल, P लोयणमेगं. 4 ) P परियरियं जेट्ठसहोय रं. 5 ) P सम्भावत हरिस, वसूच्छलंत ஓடுக். 7) देवीप त्ति । सुंदरो, P अच्छरियं, Pom. इमं P एवं ताव, चेअ· कुंजणव्यवियं पुरहो, पायपूरणं. 9) ददधम्मस्स, Judds ति before वच्छाए. णिव्वाहियं, तए, P पुरिसवेसित्तणं, adds च after इमं, P om. पुरिस, पावयंतीय. 11 इत्रोदात्थारोहण, ति for सि. 12) पार्थ 13 जिसणी, ती 14 कम्पीय ) P पडवेसो तत्थ दूरसंतर पाविओ, P जेव for देव. 16 ) र सुइणे, P मेत्तं for पुव्वं before ण, हओ and P पुहई for पहओ. 17 ) P मामाणो दिव्व, Padds वसेणं before संपयं, पुत्तो for पत्तो, Pom. सो जो. 18) JP दढधम्म-, Pom. एत्थ पत्तो, P माहिंदे, सो for एस. 19 Pom. तुमं पुण, P कत्येत्थ 20 ) P तुरणावहरिओ 21 ) P एस for चेय, P पुत्तो for पत्तो. 22 ) Pज्झा for तुझा, मग्गं सेस 23 ) Pom. य after तओ P तुज्झा, संकुलपए से. 24) P -विव्वलो (व्व looks like च ), Jom. य. 25 ) P भणमाणो पुच्छिओ पुणो आसासिभ ततो विलविउं, P adds अवि य before हा पुत्त. 26 ) हा देव्व 27 ) P नह for ण्डु, विय for विव, तहा for सम्वा 28 ) P सुण न वेय त्ति । तं च. 29 ) जब for जहा, P सहस्सा for सहस्स, P कोववस. 30 ) J inter. सोअ (for ग) स्स & वेण, Pom. पि. 31> P p पुच्छामि जाण, गणंतु, गणयं, P अवसुईओ J 15 21 . Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५8 उज्जोयण सूरिविरहया [8 २५० सुमिया, णिच्छंतु मित्तिया, पुच्छितु जोइणीओ सार्हेतु कण्ण-पिसाइयाओ, सम्वद्दा जहा तहा पाविज्जइ कुमारस्स 1 सरीर-पडती, पीरो होहि ' एवं मंतियमेण भणिओ समा समासधो मणये राया देवी उण खर्ग मासासिया, खर्ण 8 पदसिया, खर्ग विहसिया, खगं णीसहा, खणं रोइरी, खणं मुच्छियति । सम्वहा कहं कहं पितुति-मेस- 8 बस आसासिज अंतेडरे 'हा कुमार, हा कुमार' चि विहाय सदो केवलं नि । २५१ ) णयरीए उण तिय-च-पचर-महापह-रच्खामुद गोउरेसु 'हा कुमार, वेण णीनो, कत्थ गयो, क e पात्रिओ, हा को उण सो तुरंगमो दारुणो त्ति । सव्वहा तं होहिड़ जं देवयाओ इच्छंति' त्ति । तरुणियणो 'हा सुदय, हा 6 सुंदर, हा सोहिय, हा मुदड, हा वियव, हा कुवलय चंद कुमार कत्थ गओ ति । सव्वहा कुमार, तुह विरहे कायरा इव उत्थवइया । णयरी केरिसा जाया । 9 उवसंत- मुख्य-सद्दा संगीय-विवजिया सुदीण जगा झीण विकासासोहा पडत्यवयव सा गयरी ॥ तभ कुमार, एरिसेसु य दुक्ख बोलावियन्वेसु दियहेसु सोय-विहले परियणे णिवेइयं पडिहारीए महाराइणो 'देव, को वि सराय-मणि-पुंज समो पोमराय-मधि-वयणो किंपि पिये व भगतो कीरो महह देवं ॥' 1 12 तं च सोऊण राइणा 'अहो, कीरो कयाइ किं पि जाणइ त्ति दे पेसेसु णं' उल्लविए, पहाइया पडिहारी पविट्ठा य, 18 मग्गग्गो रायकीरो उवसपिऊण भणियं रायफीरेण । अवि य । "भुजख पुणो भुजसु उपहि-महामे पुद्द बसि तदा वि वसु णरणाह जसेण धवले ' 18 भनिए, णरवणा भडव-सणायण्णण-विन्दय-यस-रस-समूससंत-रोम कंयच्छविणा भणिर्य 'महाकीर, तुम कमो, 18 फेण वा कारगेण इदागओ सि सि भणियं च रायपुर्ण 'देव, बसि कुवलयचंद कुमार पडसीए' ति भणियमेते राणा पसरतंतर-सि- गिभर हियण पसारियोभय-बाहुडेण गहिओ फरवलेग, ठाविनो उच्छंगे। भणियं च राहणा 18 'बच्छ, कुमार-पडती संपायण कुमार जिविसेस इंस तुमं वा दे साद मे कुमारस्य सरीर बङ्गमाणी । कत्थ तर दिडो, 18 कहिं वा कालंतरम्मि, कत्थ वा परसे, केच्चिरं वा दिट्ठस्स' त्ति । एवं च भणिए भणियं कीरेण 'देव एत्तियं ण याणामि, जं पुण् जाणामि ते साहिमोवि 21 २५२ ) अन्थि इमो लइदूरे जम्मया नाम महाणई तीय व दाहिणे फूले देयाउ णाम महावई। ती देयाईए मझे णम्मयाए णाइदूरे विंझ-गिरिवरस्स पायासण्गे अय-सउण सावय-संकिण्णे पएसे एणिया णाम महावावसी दीपू आसम-पए अम्हे वि चिट्ठामो एवं च परिवसंतस्स हो थोए चेय दिवसुं युगागी समेत परिवारो 24 संपत्तो तम्म आसम-पएसम्म कुमारो । तओ अम्हेहिं दियो । तत्थ य सम्भाव-गेह-गिब्भरालावो पयत्तो । पुणो गंतुं 84 समुट्ठिओ पुच्छिओ अम्हेहिं जहा 'कुमार, किं तुज्झ कुलं, किं वा णामं, कत्थ दा गंतुं ववसियं' ति । तभो तेण भणियं । 'सोम-स-संभवोचम्म- महारानी भयोजसाए परिचसई तस्स पुत्तो आहे, कुवलयदो मह नार्म, गैतम् च मए भगवभो 27 मुणिणो समाएसँग विजयार पुरवरी कुवलयमाला पलंचियस्य पादवस्स पूरणेण परिगे संबोदणेणं चति एवं मणिऊण गतं दक्खिणं दिसं कुमारो भणियं च तीय तावसीय 'कुमार, महंतो उच्चेको तुद्द गुरूणं, ता जद्द तुमं भणसि ता साहेउ एस कीरो गंतूणं सरीर-पउत्ति' त्ति । भणियं च तेण 'को दोसो, पूयणिज्जा गुरुणो, जइ तीरइ गंतु, ता वञ्चड, 30 साउ गुरूणं पठति सायनच मज्झ वयगेणं पाववडणं गुरु' ति भमाणो पत्निो मन-पवण-येो कुमारो' सि 1 ) P पुच्छियंतु, P पिसाईआओ, P कुमार तस्स. 2 ) P होही, Jom. समाणो, P ओ for उण, P मुच्छिया for सव्वहा अहं कहं, P पउत्तिमेत्त निससबद्ध 6 ) P होइ for होहिर, P om. त्ति, 4 ) Jom. तरुणीअणो आसासिया, Jom. खणं पहसिया. 3 ) रोहणी for रोइरी, 2nd हां, विलव- 5 ) J तीयचक्क, P महापहारच्छामुहा उण हा सुहयसुंदर. 7)विय for इव. 8) 'adds अवि य before उवसंत 9 ) J उअसंत-, P सुदीणमणा, P मोहा for सोहा. 10) Pom. कुमार, P आ दुक्ख for य दुक्ख, P वियले for विहले, P देवि for देव. 11 ) [ मणि- सच्छम-वयणो ] 12) P adds अवि य before तं च, P कहीर for कयाइ, Pom. णं, Jom. य. 13 ) मग्गालग्गा रायकीराओ समपिऊण य भणियं. 14 ) P भुंजसु पुणो, P लच्छी । 15 ) P सजिए for भणिए, J णरवइणो, P दंसणायत्तण, Pom. रस, J कंचअच्छविणो भणियं च रायसुरण, Jom. भणियं महाकीर etc. to इहागओ सि त्ति, Padds राइणा भणिओ before महाकीर16) P सुत्ति for सित्ति, Pom. च, Pom. कुमार. 17 ) J पसारिओ भुअडण्डेण. 18) J om. पउत्तीसंपायणेण कुमार, P साद कुमार सरीरसङ्घमा दिट्ठो कई व कंनि व कालंतरं मि. 19 Jow च, देवि for देव, उ किं पुण जं for जं पुण. (21) दाहिणकूले दीहिणे कूल तीय आढई मज्झे 22 ) Pom. णम्मयाए णाइदूरे 23 ) P अम्ह, P om. वि, च परिसवंतस्स, P रिवासो. 24 ) P आसमपए कुमारो, JP भरालावे, P पयते. 25 J adds य before अम्हेहि. 26 JP संभमो, P ददधम्म, उवज्झाए for अओज्झाए, P हं for अहं, Pom. मद्द. J P"मालालंबियरस पादस्स पादस्स पूरणेण, पातयस्स, P परिणेओ, P संबोइणं ति 1. 27) P मुनिया, P विजयपुर, 28) J adds f after gan, P om. वीय, P तावणीए, Padds गुरूणं before तुमं. 29 ) P साहउ, P पडओ त्ति, Jom. त्ति, P पूर्याणिज्जो गुरुयणो. for ज्झ, om. पायवडणं, P पुच्छिओ for पत्थिओ. J 30) P मयण 30 . Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -६२५४] कुवलयमाला ६२५३) इमं च सोऊण राइणा तक्खणं चेय सदाविया दिसा-देस-समुद्द-वणिया, पुच्छिया य 'भो भो वणिया, । जाणह तुम्भे सिय-पुब्वा दिट-पुव्वा वा विजया णाम णयरी दाहिण-समद-वेलाऊलम्मि। तेहिं भणि 'अस्थि देव सयल३रयणाहारा णयरी विजया, को वा ण-याणइ । तत्थ राया महाणुभावो तुज्झ चरियाणुवत्ती विजयसेणो सय णिवसए, देवो वि . से जाणइ चिय जइ णवरं पम्हुटो' ति । इमं च सोऊग राइणा भणियं । 'वच्छ महिंदकुमार, पयट्ट, वच्चामो तं चेय णयरिं' ति भणमाणो समुटिओ राया । तओ मया विण्णविओ । 'देव, अहं चेव वच्चामि, चिट तुम' ति भणिए राइणो 6 पोम्मरायप्पमुहा आणत्ता राय-तणया। 'तुमहिं सिग्धं महिंदेण सम गंतव्वं विजयं पुरवीर' ति भणिए 'जहाणवेसि' त्ति 6 भणमाणा पयत्ता । अम्हेहि वि सज्जियाई जाण-वाहणाई । तओ णीहरिया बाहिं णयरीए । संदिट्टं च राइणा। __ 'मुच्छा-मोहिय-जीया तुझ पउत्तीहि भाससिजती । ता पुत्त एहि तुरियं जा जणणी पेच्छसि जियंती ॥' देवीय वि संदिटुं। ___ 'जिण्णो जराए पुत्तय पुणो वि जिण्णो विमोग-दुक्खेण । ता तह करेसु सुपुरिस जा पियरं पेच्छसि जियंतं ।' इमेय संदेसए णिसामिऊण आगया अणुदियह-पयाणएहिं गिम्हयालस्स एक मासं तिण्णि वासा-रत्तस्स । तओ एत्य संपत्ता। एरथ य राइणो समप्पियाई कोसल्लियाई, साहिया पउत्ती महारायसंतिया, पुच्छिया य तुह पउत्ती जहा एस्थ महारायपुत्तो12 कुवलयचंदो पत्तो ण व त्ति, जाव णस्थि णोवलद्धा पउत्ती। तओ पम्हुट्ठ-विज्जो विव विजाहरो, विहडिय-किरिया-वाओ विव गरिन्दो, णिरुद्ध-मंतो विव मंतवाई, विसंवयंतो विव तंतवाई, सव्वहा दीण-विमणो जाओ। पुणो राइणा भणिय 'मा 10 विसायं वच, को जाणइ जइ वि एत्य संपत्तो तहावि णोवलक्खिजई' । अण्णं च 'अज वि कह वि ण पावई' ति ता18 इह-टिओ चेय के पि कालं पडिवालेह । दिण्णं आवासं । कयाई पसायाई । दियहे य दियहे य तिय-चउक्क-चच्चर-महापह देवउल-तलाय-चढ-मढ-विहारेसु अण्णिसामि । तओ मज पुण उट्टेमाणस्स फुरियं दाहिणेणं भुयाडंडेणं दाहिण-णयणेण य।। 18 तमो मए चिंतियं 'अहो सोहणं णिमित्त जेण एवं पढीयइ । जहा, सिर-फुरिए किर रज पिय-मेलो होइ बाहु-फुरिएण । अच्छि-फुरियम्मि वि पियं अहरे उण चुंबणं होइ॥ उम्मि भणसु कलह कण्णे उण होइ कण्ण-लंकरणं । पियदंसो वच्छयले पोट्टे मिटुं पुणो भुजे॥ लिंगम्मि इत्थि-जोगो गमण जंघासु आगमो चलणे । पुरिसस्स दाहिणेणं इत्थीए होइ वामेण ॥ अह होइ विवज्जासो जाण अणि च कह वि फुरियम्मि । अह दियह चिय फुरण णिरत्थयं जाण वाएण ॥' ता कुमार, तेण बाहु-फुरिएग पसरमाण-हियय-हरिसो किर अज तुम मए पावियव्यो त्ति इमं रायंगणं संपत्तो जाव दिट्ठो तुम इमिणा जयकुंजरेण समं जुज्झमाणो ति। ६२५४) तओ इमं च णिसामिऊण राणा भणियं । 'सुंदरं जाय जे पत्तो इह कुमारो तुमं च ति । सम्वहा अण्णा अम्हे, जेण दढवम्म-महाराइणा सम संबंधो, कुवलयमालाए पुन्व-जम्म-होवलंभो, अम्ह घरागमणं कुमारस्स, भउद्दाम-जयकुंजर-लंघण, दिव्व-कुसुम-बुट्टि-पडणं, पादय-पूरणं च । सव्वं चेय इमं अच्छरियं । सव्वहा परिणाम-सुह-फलं 7 किं पि इमं ति । तेण वञ्चह तुब्भे आवासं, वीसमह जहा-सुहं । अहं पि सदाविऊण गणयं वच्छाए कुवलयमालाए वीवाहमास-दियह-तिहि-रासि-णक्खत्त-वार-जोय-लग्ग-मुहुतं गणाविऊण तुम्हें पेसेहामि' ति भणमाणो राया समुट्टिओ आसणाभो। 80 कुमारा वि उवगया आवासं कय-संमाणा। तत्थ वि सरहसमइमग्ग-पयत्त-गइ-वस-खलंत-चलणग्ग-मणि-णेउर-रणरणा-सणाह- 30 मेहला-सह-पूरमाण-दिसिवहाओ उद्धाइयाओ विलासिणीओ। ताहिं जहा-सुहं कमल-दल-कोमलेहिं करयलेहिं पक्खालियाई संख-चकंकुसाइ-लक्खण-जुयाई चलणयाई, समप्पियाओ य दोण्हं पिपोत्तीओ । अवि य।। 33 होयग्गिय-देहा सुपुरिस-फरिसोगलंत-रुहरंगी। पोती रत्ता महिल ग्व पाविया णवर कुमरेण ॥ तमो सय सहस्स-पाएहिं बहु-गुण-सारेहिं सिणेह-परमेहिं सुमित्तेहि व तेल्ल-विसेसेहिं अभंगिया विलासिणीयणेण, उवट्टिया खर-फरुस-सहावेहि सिहावहरण-पटुएहिं खलेहिं व कसाय-जोएहिं, ण्हाणिया य पयइ-सत्थ-सीय-सुह-सेब्व-सच्छेहिं 2) P वेलाउलमि, Pदेवा for देव. 3) Pom. णयरी, जत्थ for तस्थ, ३ चरियवत्ती. 4) Jणयाणइ for आणह.5)J मए frमया, चअ for चेव. P om. ति. राणा for राइणो. 6) J पोप्प P चोप्परायपमुहा, P विजयपुरवरि. J भणिआ for भणिए. 7) P अम्हे किंचि सज्जियाई । ताओ, P adds अवि य before मुच्छा. 8) आससिज्जति, P त: कुणसु पुत्त एन्हि जा जणणी पेसुच्छसु जियंती. 10) विओअ. 11Pसंदेसे, I एकमास. 12)P य राइण, I संहिआ for साहिया, P पयत्ती महा, महाराय उत्तो. 13)विणडिय किरियावाडो. 14) विरुद्ध for णिरुख, ' मंतवाती, J om. विसंवयंतो विव तंतवाई, तंतवई. 16) कालं पडिवज्जेहं, P पासायाई, Pom. य दियहे य, महापई. 17)P अन्नसामि, Pom. तओ, P दाहिणं, P भुयादंडेणं, P om. दाहिण-. 18) पढीयति. 19) अच्छिफुरणंमि. 20) . कन्नलंकारं । फियफसो. 21) Jइस्थिजोओ. 23) तओ for ता. 24)" ति for त्ति. 25) एअव for इमं च, संपतो for जे पत्तो. 26)P दढधम्ममहाराणो,J संबद्धो. 27) Pपाययपूरणं, अच्छरीयं. 28) Pविवाह.. 29) दिअहं, P गणामिऊण. 30सरहसगइमग, वइस for वस, P रणरणो. 31)Pउट्ठाइयाओ, Pom. जहा, I om. दल. 32) Pom. लक्खणजुयाई, P चलणाई, Pom. य. 33)Jहो, Pमुरेस, फरिसोअलंत, P adds त्तीरत्ता after रत्ता. 34)Pपणिया for परमेदि, Pom. समित्तेहि व eto. toपहाणिया. 35) JP सच्छसीअ.. Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ उज्जोयणसूरिविण्या [६२५६1 कलंकावहारपहिं सजण-हियएहिं व जलुप्पीलेहि, दिण्णाणि रा सुरहि-परिमलायड्डिय-गुमुगुमेंत-भमर-बलामोडिय-चरण- 1 चुंबियाई गंधामलयाई उत्तिमंगे। तओ एवं च कय-इट्ठ-देवया-णमोकारा, भोत्तण भोयणं सुह-णिसण्णाणं पासणेसु किं-कि पिचिर-विओय-संभरंताण समागया एका राय-कुलाओ दारिया। तीय पणाम-पञ्चट्ठियाए साहियं । 'कुमार, वच्छाए । कुवलयमालाए गणिए गह-गोयरे गणएण ण ठवियं सुज्झमाणं लग्गं अज वि वीसत्य, ता मा तूरड कुमारो हियएण। णियय चिय कुमारस्स इमं गेहं ता जहा-सुहं अच्छसु' त्ति भणिऊण णिक्खता दारिया । तओ महिंदेण भणियं 'कुमार, 6 मज वि दीह इम, संपर्य महाराइणो लेहं पेसेम्ह तुह संगम-पउत्ति-मेत्तेणं मत्थेणं' ति भणिऊण विणिक्खंतो महिंदो। कुमारो . य चिंतिउं पयत्तो 'अहो, लंधिया मए असंखा गिरिवरा, पभूया देसा, बहुयाओ णिण्णयामओ, महंताओ महाणईमो, अणेयाओ महादईओ, पावियाई अणेयाई दुक्खाई, ताई च सम्वाई कुवलयमाला-मुहयंद-चंदिमा-गलत्थियाइं तम-वंद्राइ व पणट्ठाई । संपयं पुण इमिणा पडिहारि-वयणेण अण्णाणि वि जाइ लोए दुक्खाई ताई मज्म हियए पक्खित्ताई ति । मण्णे है । सव्वहा कत्थ अहं कस्य वा सा तेलोक सुंदरी । अवि य । आइटुं जइ मुणिणा पूरिजह णाम पायओ गूढो । तेलोक सुंदरीए तीए उण संगम कत्तो ॥ 12 अच्छउ ता तीऍ समं पेम्माबंधो रयं च सुरयम्मि । हेलाए जो वि दिट्ठो ण होइ सो माणुसो मण्णे ॥' ६२५५) इमं चिंतयंतो मयण-सर-गोयरं संपत्तो । तमो किं चिंति पयत्तो । अवि य । अहो तीए रूवं। चलणगुलि-णिम्मल-णह-मऊह-पसरंत-पडिहयप्पसरं । पंचमियंदं कह णेमि णवर-णक्खेहि उवमाण ॥ 16 जह वि सिणिद्धं मउय कोमल-विमलं च होइ वर-पउमं । लजति तीऍ पाया उवमिजता तह वि तेण॥ सामच्छायं मउयं रंभा-थंभोवम पि ऊरु-जुयं । ण य भणिमो तेण सम बीहेंतो अलिय-दोसस्स ॥ सुरयामय-रस-भरियं महियं विबुहेहिं रमण-परियरियं । सग्गस्स समुहस्स व तीय कलत्तं अणुहरेज ॥ 18 चिंतेमि मुहि-गेज्झो मझो को णाम सबहे एयं । देवा वि काम-रुइणो तं मण्णे कत्थ पार्वति ॥ . मरगय-कलस-जुयं पिव थण-जुयलं तीऍ जइ भणेज्जासु । असरिस-समसीसी-मच्छरेण मह णाम कुप्पेजा ॥ कोमल-मुणाल-ललियं बाहा-जुयलं ति पत्थि संदेहो । तं पुण जल-संसग्गिं दूसिययं विहडए तेण ॥ . 1 कंतीऐं सोम्म-दंसित्तणेण लोओघरोह-वयणेहिं । चंद-समं तीऍ मुहं भणेज्ज णो जुज्जए मज्झ ॥ किं धवलं कंदोर्ट सप्फ रत्तं च णीलयं कमलं । कंदोद्द-कुमुय-कमलाण जेण दिट्ठी अणुहरेज ॥ घण-णि-मउय-कुंचिय-सुसुरहि-वर-धूव-वासियंगाण । कज्जल-तमाल-भमरावलीउ दूरेण केसाण ॥ - इय ज ज चिय अंग उवमिजइ कह वि मंद-बुद्धीए । तं तं ण घडइ लोए सुंदरयर-णिम्मियं तिस्सा ॥ ६२५६) एवं च चिंतयतो दुइयं मयणावत्थं संपत्तो कुमारो, तत्थ संगमोवायं चिंतिउं समाढत्तो। केण उण। ठवाएण तीए दंसर्ण होज । अहवा किमेत्थ वियारेण । 8 रइऊण इत्थि-वेसं कीय वि सहिओ सहि त्ति काऊण । अंतेउरम्मि गंतुं तं चंदमुहिं पलोएमि॥ अहवा गहि णहि । सुपुरिस-सहाव-विमुहं राय-विरुद्धं च णिदियं लोए । महिला-वेस को णाम कुणइ जा भत्थि भुय-डंडो॥ 30 किं पुण करियव्वं । हूं, माया-वंचिय-बुद्धी भिण्ण-सही-वयण-दिण्ण-संकेयं । तुरयारूढं हरिऊण णवर राईए वच्चामि ॥ बहवा ण एरिसं मह जुत्तं । ३ सय कहिं वच्चइ कस्थ व तुरएहि हीरए बाला । चोरो त्ति जिंदणिजो काले बह छण होई॥ ता किं पुण कायव्वं । हूं, 1) सज्झाण and P सज्जर हियए for सज्जग, P गुममुमेंत. 2)-नमोकारो. 3) पम्भुट्ठियाए. UP गणए (perhaps गणएँ) for गणएण (emended), P द्ववियं for ठवियं, J 'माणलगं, P तूरओ कुमार. 6) Pinter. इमं & दीहं, ३ पेसेसु for पेसेम्ह, P -पउत्तमेत्तेणं अत्थेविणं, Pom. ति भाऊग. 7)P विय for य, P om. महंताओ महाणईओ. 8) -मुहलंदिवागलवत्थियाई, 4 इव P वंदा इव. 9)P पणटुं ।, P पडिहार, P जाणि for जाइ.. 10) करवाई. 11)P मुणिणो पूरिज्जउ. 12) Jआ तीय for ता ती, पेम्माबद्धो P पेम्माबंधा. 13) Pमरण for मयण, P पत्तो for संपत्तो,, om. तओ किंचितिउं पयत्तो. 14) मयूह, परिय.' 15) तीय. 16) P ऊरुजयं, P इमं for सम, P बीहतो. 17) समुदव, अणुहरेजा अवहरेज. 19) Jतीय, P कुप्पज्जो. 20) Pपुण खलजणसंसम्गिदूसियं, दूसि. 21) कंतीय, सोम, तीय मुहं मणेज्ज. 22)Pकिंदोमु, P om. सत्थं रत्तं, P कुमुया, अणुहरेज्जा. 23) P कुंचियरहित 24)से for अंगं,J सुंदरयरअम्मि तिस्साए ॥. 25)Pचिंतयते, Jadds after तत्थ, Pउण वाण. 26)तीय, होजा, : किमित्थ. 29) Pom. णाम, P adds नवर before जा, जो for जा. 31) P राई न for राईए. 32)" अहवा न जुत्त मह परिर्स I, P om. मह जुत्तं. 33) कहं for कहिं, P कुले | for काले य. Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२५८] कुवलयमाला १५९ B 1 भवहत्थिऊण लज समुहं चिय विष्णवेमि रायाणं । उपिज्जउ अज चिय कुवलयमाला पसाएण॥ तं पिणो जुज्जइ । कह। 3 अवहत्थिय-लज्जो मयण-महासर-पहार-विहलंगो। ठाहामि गुरूण पुरो पियाए णामं च घेच्छामि ॥ ता एक्को उण सुंदरो उवाओ । अवि य ।। णिक्कड्रियासि-विसमो णिवाडियासेस-पक्क-पाइको। दारिय-कार-कुंभयडो गेण्हामि बला जयसिरिं व ॥ २५७ ) एवं च चिंतयंतस्स समागमओ महिंदकुमारो। तेण य लक्खिओ से हियय-गओ वियप्पो । भणियं च 8 सहासंणेण 'कुमार कुमार, किं पुण इमं सिंगार-वीर-बीभच्छ-करुणा-णाणा-रस-सणाई णाडयं पिव अप्पगयं णञ्चीयइ'त्ति। तमो ससज्झस-सेय-हास-मीसं भणियं कुमारेण 'णिसण्णसु भासणे, पेसिओ तायस्स लेहो'। महिंदेण भणियं 'पेसिओ'। कुमारेण भणिय 'सुंदरं कयं, अह इओ केत्तिय-मेत्ताई जोयणाई अओज्झा पुरवरी। महिंदेण भणियं 'कुमार, किं इमिणा अपत्थुय- . पसंगेण अंतरेसि जं मए पुच्छिय' । तओ सविलक्ख-हास-मंथरच्छिच्छोहं भणियं कुमारेण 'किं वा अण्णं एत्थ पत्थुय-पुन्वं। महिंदेण भणियं 'णणु मए तुम पुच्छिओ जहा किं पुण इमं अप्पगयं तए णडेण व णच्चिं य समाढत्तं' । तओ कुमारेण 12 सविलक्ख हसिऊण भणिय 'किं तुहं पि अकहणीयं अस्थि । जं पुण मए ण साहियं तं तुह विण्णाणं परिक्खमाणेण । किं । 12 जद्द मह हियय-गय लक्खेसि तुमं किं वा ण 'त्ति । महिंदेण भणिय 'किं कुमार, महाराय-सिरिदढवम्म-परियणे अस्थि कोइ जो जणस्स हियय-गयं -याणइ'त्ति । कुमारेण भणिय 'अल परिहासेण । सव्वहा एवं मए चिंतिय जहा आगया 16 एस्थ अम्हे दूरं देसंतरं किर कुवलयमाला परिणेयव त्ति । गहिओ जयकुंजरो, पूरिओ पायओ, दिट्ठा कुवलयमाला, किर संपर्य 16 णिध्वुया जाय त्ति जाव इमाए पडिहारीए साहियं जहा अज वि कुवलयमालाए गह-लग्ग-जोओ ण सुंदरो, तेण 'कुमार, ण तए जूरियव्वं वीसत्थो होहि' एवं किर राइणा संदिट्ट ति । तेण मए चिंतियं जहा 'एस एरिसो छलो जेण गह-लग्ग 18 दियहो वा ण परिसुज्झइ त्ति । सव्वहा कुवलयमाला-थण-थली-परिमलण-पकलं ण होइ अम्ह वच्छयलं । अवि य। 18 अइबहुयं अम्ह फलं लहुयं मण्णामि कामदेवं पि । तीऍ पेसिया मे धवल-विलोला तहा दिट्री॥ ताण सा में वरेउ' त्ति इमं मए चिंतियं । 21 $२५८) महिंदेण भणियं 'अहो, जं तं सुब्बइ लोए पयर्ड आहागयं परवरिंद। पंडिय-पढिओ वि णरो मुज्झइ सव्वो सकजेसु ॥ जेण पुन्व-जम्म-सिणेह-पास-बद्वा मुणिवर-गाणोवएस-पाविया जयकुंजर-लंधण-घडत-मुणि-वयणा लंबिय-पादय-पूरण-संपुण्ण" पइण्णा सयल-णरिंद-वंद-पञ्चक्ख-दिण्ण-वरमाला गुरुयण-लजावणय-वयण-कमल-वण-माल-ललिय-धवल-विलोल-पसरंत-१६ दिट्टि-माला वि कुवलयमाला वियपंतरं पाविय त्ति । अहो मूढो सि, इंगियाई पिण गेण्हसि । किं पुण एंतो ण पुलइओ सि । किं पुलइज्जंतीए ण लज्जियं तीए । किं ण पयडिओ अंस-भाओ। किं जयकुंजर-लंघण-बावडो ण पुलइओ तं 27 जहिच्छं । किं किं पि गुरु-पुरमओ विण भणियं अम्बत्तखरं । किं ओयंछिय-वयणा ण जाया। किं पिउणा 'वच्छे, भ वञ्चसु' त्ति भणिए ण अलसाइयं । किं दूरे ण तुह दिण्णो अच्छिच्छोहो । किं ण मउलियाई आसपणे णयणाई । किं ण अण्ण-बबएसेहिं हसियं तीए । किं कण्ण-कंड्रयच्छलेण ण वूढो रोमंचो। किं ग पीडिए णियय-थण-मुहे । किं ण गहियं 30 बहरं दियवरेहिं । किं ण केस-संजमण-मिसेण देसियं थणतरं । किं ण संजमियं अलिय-ल्हसियमुत्तरिजयं । किं तुर्म 30 दटुंण पुलइयं अत्ताणयं । किं अहं ण पुलइओ गुरुयणो विव सलज । किं अलिय-खेय-किलत-जंभा-बस-वलिउब्वेल्लमाण-बाहालयाए ण णिक्खित्तो अप्पा सहीए उच्छंगे ति, जेण भणसि जहा णाई रुइओ कुवलयमालाए'त्ति । इमं च सोऊण भणिय 1) समुहे, P पसाएसणं. 2) अह for कह. 3) P दाहामि, P पुरओ for पुरो, P घेतूण for घेच्छामि. 5) निव्वडियायेस, जयसिरिब्ध, P च for व. 6) हिअवगओ P हिओयथगओ. 7) Pinter. tण (णेयण) & सहासं, P om. one कुमार, P बीभत्सकारुणः, J सणाहणाडयं. 8) समुज्झससेअहास- P सज्झस, Jणीसम्मसु. P निसम्मसु, P तायतस्स, भणिउं. 9)P अइ for इओ, J अयोज्झा P अउज्शा, अप्पत्थुअ-. 10) P पुच्छिओ, सिंथरछिछोहं, अण्णं कत्थ एस्थ अपुवं. 11) Jणचिउ. 12) P अहणीयमस्थि, Pom. कि. 13)P लक्खसि, P दढधम्म- 14) न for जणस्स, P जणस्स जाणs for णयाणइ. 15)J पातओ. 16) जायन्ति, P विवा: for गह. 17) Pinter. चितियं मए. 18) • om. वा before ण, om. त्ति, Pघणत्थली for थणथली, P om. पक्कलं. 19) अपफलं, तीय. 20) मम for मं,P वरउ, Jadds ति after चितियं. 22)Jएअं तं जे सुब्वइ पयर्ड आहाणयं जणे सयले | for the first line जं तं etc. " पंडिये, व for वि, P inter. सव्वो & मुज्झ (ज्झा) इ. 23) Jadds संबद्ध before सिणेह, P सिणह, P पाययपूरण. 24) P om. दिण्ण, Pom. विलोल. 25) P इंगि पि, ' किं पुलयतो न. 26) Iom. ण लज्जियं तीए, J पडिओ for पयडिओ, P"कुंजरलंघण, Jom. सं. 27) Pगुरू, J अब्भतरक्खरं, कि उअच्छिय-- 28) Padds त्ति after अच्छिच्छोहो. 29) किं अन्नावपसेहिं न हसियं, तीय, P किं वा कनकंदुय', कुट्ठो for बूढो, पंडिए for पीडिप, P निययमे-- 30)" दसणेहिं for दियवरेहि, P संजममिसेण. 31) दहण न पुलइयमत्ताणयं, P जंतावस-- 32) P om. ण, P सही for सहीए, P om. जहा before णाई, Pएवं for इमं. Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० उज्जो वणसूरिविरइया [8 २५८ 1 कुमारेण 'अहो, गुरु-पुरको पदम-बिज़रेहा इव दिपड़ा एकते एसिए भाचे पदसिए कत्थ वा त सक्सिए' ति । । तेण भणिवं 'कुमार भट्टो पंडिव-मुक्खो तुमं, जेण 3 इसियं पि ण हसियं पित्र दिहं पि ण दिट्ठमेव जुवईण । हियय-दइयम्मि दिट्ठे को वि भउव्वो रसो होइ ॥ 1 1 कुमारेण भणियं एवं तुमं पुण जाणसि, मए उण ण किंचि एत्य लक्वियं 'ति । महिंद्रेण भणियं 'तुमं किं जणासि मय- जलोयलंत-गंडयलो लेहड-भसलावली-कलप्पला वाउ लिजंत-जय कुंजर-लंघण वावड-मणो, अहं पुण तीए तम्मि समए तुह दंसण6 पहरित रोमंच-पसाह पसाहियायार-भावण्णेस-माओ, तेण जाणिमो' सि जं च तपु भालंकि महाराव विजयसेणो 8 बहु-दियद्द-लग-गण-च्छलेन दाहिह वालियं तिनं पिणो को पुण अण्णो खुद सरिसो कुछ-विव रूव-जोग्वणविष्णा-पाण-सत्त-कला-कलावेहिं जस्स तं दाहिइ । ता मिच्छा वियप्पो तुह इमो'त्ति भगमाणस्स समागया एक्का दारिया । 9 तीए चलण-पण्णाम-पतुट्टियाए विण्णत्तं । 'कुमार, भट्टिदारियाए सहत्य-गंधिया इमा सिरिमाला तुई पेसिया एसो य पारि- 9 या मंजरी - सिरीस-कय- कारिम-गंध-लुद्ध मुद्धागयालि-माला-हल बोल- बाउलिज्माण-कारिम-केसरो कण्णऊरओ पेसिओ' ति भणमाणीए पणामिभो कुमारस्य कुमारेणावि सुह-संदोह मोयहि-मंथणुगाओ विव सावरं गहिलो सि पुल तेहिं $ २५९ ) भणियं च महिंद्रेण 'कुमार, सुंदरं कृष्णपूर, किंतु मणये इमस्स इमं णालं धूल' कुमारेण वि 18 भणियं 'एवमिमं किं पुण कारणं दे णिरूवेमि' । दिट्ठे च भइतणुय भुज्जवत्तंतरियं पत्तच्छेज - रायहंसियं । उग्वेल्लिया य कुमारेण दिट्ठा असरिसा विय रायलिय ति कुमारेण भणिये 'वयंस, जाण ताब फेरिसा इमा हंसिय' ति महिंदेण भणिय 'किमेत्थ जानिय भुज-विणिम्मिया' । तनो सहासं कुमारेण भणिवं 'जुई भावं पुच्छामि' महिंदेण भणिर्य 15 'केरिसो इमाए अचेतणाए भावो' । कुमारेण भणियं 'अलं परिहासेण । णणु किं एसा भीया, किं वा उब्बिग्गा, किं वा दीणा, किंवा पमुद्दया, भाउ पिय- विरह-विहुरा होउ साहीण-दइय- सुरयासाय -लालस' त्ति। महिंद्रेण भणियं 'ण इमाण 18 एका वि, किंतु भहिणवदिट्ठ गट्ट- दइया-सह-संगम - लालसा एसा' । कुमारेण भणिय 'भण, कहूं जाणीयह' । महिंद्रेण 18 भणियं 'किं वा एत्थ जाणियव्वं । अवि य । 12 तक्खन-वि-पिययम-पसरिय-गुरु-विरह- दुक्ख सिटिलंगी उऊंटिय पसरिय- लोड-लोयणा दीस जेन ॥ । 1 पुलते व भणियं 'वस, दुवे इमी 21 कुमारेण भणिष एवं जिम जिउ च गिरिं पयतो जाव पेच्छ अवरडिवी-लिदियाई सुडुमाई अक्सराई पुण लिहियं तत्थ । अवि य । पुढा' विहाडिया 21 भणिवं च तेण 'अहो, भक्खराणि वदीसंति' वाइडं पयत्ता किं अहिणवदिट्ठ-दइय-सुह-संगम-फरिस रसं महंतिया । दूसह विरह दुक्ख-संताविया कलुणं रुवंतिया ॥ 2 तरलिय-वण-बाद-ज-पूर-जलजल नियंतिया दइया हंसएण मेलिजह इह वर-रायईसिया ॥ तो कुमारेण भणिर्व 'अहो पिउणचणं कहासु कुवलयमालाए, जेण पेच्छ कारिम-कण्णपूरलो तस्स मुणाले रायइंसिया, 27 सा वि जिय-भाव-भविया, तीय व मझे इंसिया-भाव-विभावर्ण इमे दुबइति सव्वदा से तदा जहा तुमं भणसि' | 27 महिंद्रेण भणियं 'तुमं पुण असंबद्धं पलवसि, जेण इमं एरिसं रायसिं अण्णा संभावेसि' ति । ताव व । माहीरद रायरसा पण-धनिया- विव-पुत्त-भंडेहिं धम्मेन विणा सम्यं करिये जाम-संखेण ॥ 30 इमे च सोऊन सहसुत-विलोल-पत-पहल-गयो भनि पयतो 'अहो अत्यंग दिनवरो, परिलो चड दिय- 30 जाम संखोता संपयं करणीयं किंचि करेमो ता या तुमं साहस कुवलयमालाए 'सम्यं सुंदरं, अहो णिउणा तुमं'ति । यमो 'जाणवेसि' ति भणिक पगिया सा दारिया 1 24 दिट्ठमे जुबईण. 4 ) 5 ) J तीय- 6) 3 जस्स तं दाहिति । P दारियो. (1) विज्जुहं पिव, P दिट्ठनट्ठा एकत्तो, Pom. तए 2 ) P मुद्धो for मुक्खो, J om. जेण. 3 ) Pom.पुण, उचि, Pom. एत्थ, P inter. किं & तुमं P मजलो अलंतगंडयलले हडसलावलीकिलप्प. सोहि आयार भावणे सण, P जो णिमो न्ति, Padds त after तए, Padds तं before महाराय. 7) दाहिति जालिअं ति, P को उण, P विविधव 8 ) ती पट्ठिताए पट्टियाए मदारियाए P गुच्छा for iथिया, Pom. तु. 10 ) P कन्नेऊरउ पेसि3 11 ) भणमाणीय, P कुमारेण वि, Pom. त्ति 12 ) Pom. च after भणिय, P कन्नेऊरयं, J om. किंतु मणयं, इमण्णालं, Pom. वि. 13 ) J om. एवमिमं अतितणुय, P चुज्जवुत्तं. 14 ) Pom. जाण, Jom. इमा, P हंसिया ।. 15 ) भिड for भुज्ज, Pom. महिंद्रेण भणियं 'केरिसो eto. to कहूं जाणीयह. 18) जाणीअति. 20 ) P पणट्ठ for विषहू, P 021. पसरियगुरु etc. to पुलयंतेन. 213 एवणिर्म P एवेण for य before भणियं, पुडे विहडिया. 22 ) P अक्खराई च. 23 ) Pom. अवि य. 24 ) -रसम्मतिआ, Pom. विरह, P संताविय, करुणं रुअंतिआ. (25) बालपूरपूजयं निरंतिमा, देवा for दहया, मेणि 26) J णिउत्तणं, जोण for जेण, कण्णऊरओ, विआले P मुणाल for मुणाले. 27 ) P विणीय, P adds विभाव before विभावणं, दुइअखण्डलयं P दुइयखंडयं. 28 ) J पर for युग, P adds of after पुण, P अहण्णहा. 29) P मोहीरह-रायहसा, P सव्वं थुक्करियं. 30 ) P सहसुव्वत्त, महल, P - नयणा, P पयत्ता, अह for अहो, P transposes जाम after चउ. 31 ) P सहाय for साहसु, णिउणो. 32 ) P परिगया, P चेडिया for दारिया. J 24 . Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६१ - २६१] कुवलयमाला 1 $२६०) कुमारा वि कय-पहाण-कम्मा उवगया अब्भतरं । तत्थ वि कुमारेण जविया जिण-णमोकार-चउम्वीसिया, 1 झाणेण य झाइओ समवसरणस्थो भयवं जय-जीव-बंधवो उसभणाहो। पढियं च । ३ जय ससुरासुर-किणर-णर-णारी-संघ-संथुया भगवं । जय सयल-विमल-केवल-ललिउजल-णाण-वर-दीव ॥ मय-माण-लोह-मोहा एए चोरा मुसंति तुह वयणं । ता कुणसु किं पि तं चिय सुरक्खियं जह इमं होइ॥ त्ति भणिऊण कओ मण-वियप्पियाणं भगवंताणं पणामो त्ति । तओ सुहासणस्था संवुत्ता। भणियं च महिंदेश 'कुमार, 6 कीस तए कुवलयमालाए ण किंचि संदिट्ट पेम्म-राय-संसूयणं वयण' । कुमारेण भणियं 'ण तुम जाणसि परमत्य । । पेच्छामो इमिणा संदेस-विरहेण किं सा करेइ, किं ताव संगमूसुया आयल्लयं पढिवज्जइ, किं ता विष्णाणं ति करिय अम्हाणं पेसिए कण्णऊरए ण कजं तीए संदेसेणं' ति । महिंदेण भणियं 'एवं होउ, किंतु होहिइ कुवलयचंदो चंदो ५व्व सकलंको' । कुमारेण भणियं 'केण कलंकेण' । महिंदेण भणियं 'इत्थि-वज्झा-कलंकेणं' ति । तेण भणियं 'कहं भणसि'। . महिंदेण भणियं 'किमेत्थ भणियध्वं ति । ण दिण्णो तए पडिसंदेसो । तओ सा तुह संदेसायण्णणुकंठिया दूइ-मग्ग पलोयण-परा चिट्ठइ । पुच्छियाए दूईए ण य किंचि संदिढे ति सुए गिम्ह-समय-मज्झण्ड-दिणयर-कर-णियर-सूसमाण12 विरय-जंबालोयर-कडुयालय-सहरुल्लिय व्व तुह विरह-संताव-सोसिजती उब्वत्त-परियत्तयं करेऊण मरिही वराई कुवलयमाला 12 पुणो पभायाए रयणीए जत्थ दीससि भमंतो तत्थ लोएण भणियब्वो, अहो एसो बाल-वहओ भूण-वहओ इस्थि-वहमओ ति, तेण भणामि कलंकिजसि' त्ति । कुमारेण भणियं 'अहो, तुम सवहा पहसण-सीलो, ण तुह पमाणे वयण' ति । 15६ २६१)एवं विहसमाणा के पि कालं अच्छिऊण णुवण्णा पल्लंकेसु, पसुत्ता सुइरं । ताव य पढियं पाहाउय-15 पाढएण । अवि य। णिम्मल-फुरंत-रुहरप्पमेण रुहिराणुरंजियगेण । अरि-तिमिरं णासिजह खग्गेण व तुज्झ सूरेण ॥ 18 लोयालोय-पयासेण विमल-दीसंत-देव-चरिएण । ओयग्गिज्जइ भुवणं तुज्झ जसेणं व अरुणेणं ॥ सूरोअग्गण-मइलेण गलिय-देहप्पहा-णिहाएण। अरि-णिवहेण व तुझं वियलिजइ उडु-णिहाएण॥ वण-राइ-परिगएण दूरुण्णय-दुक्ख-लंघणिज्जेणं । पयडिजइ अप्पाणो वीरेण व सेल-णिवहेण ॥ A मंगल-भणिएण इमं लंघिय-जलणाह-दूर-पसरेण । आसा-णिवहेण तुमं वियसिजइ संपयं वीर ॥ इय तुज्झ चरिय-सरिसं सव्वं चिय णाह आगयं पेच्छ । मुह-दसणं च दिजउ णरणाह णरिंद-वंदाण ॥ इमं च णिसामिऊण णमो तेलोक्क-बंधूणं'ति भणमाणो जंभा-वस-बलिउज्वेल्लमाण-बाहा-पक्खेवो समुटिओ पल्लंकामो कुमारो "महिंदो वि । ताव य समागया अप्प-दुइया एका मज्झिम-वया जुबई । सा य केरिसा । अवि य । ___ अणुसीमैतं पलिया ईसि-पलबंत-पीण-थण-जुवला । सिय-हार-लया-चसणा ललिय-गई रायहंसि व्व ॥ सभो तीय य दारियाए पुरओ उवसप्पिऊण भणियं 'कुमार, एसा कुवलयमालाए जणणी धाई पियसही किंकरी सरीरं भहिययं जीवियं च' त्ति । तओ कुमारेण ससंभमं 'आसणं भासणं' ति भणमाणेण भन्भुटिया, भणियं च 'अजे, पणमामि । तीय य उत्तिमंगे चुंबिऊणं 'चिरं जीवसु वच्छ' ति भणतीए अभिगंदिओ कुमारो । णिसण्णा य मासणम्मि । भणियं च 'कुमार, अम्हाणं तुम देवो सामी जणओ सहा मित्तं बंधवो भाया पुत्त-भंडं अत्ताणयं हिययं वा, सव्वहा वच्छाए 30 कुवलयमालाए तुहं च को विसेसो ति, तेण जं भणामि तस्स तुमए अणुण्णा दायब्वा । अण्णहा कत्थ तुम्हाण पुरमो 30 अणेय-सत्थस्थ-वित्थर-परमत्थ-पंडियाण अम्हारिसाओ जुवइ-चंचल-हियय-सहावाभो वीसत्थं जंपिड समारइंति । ता सम्बहा खमसु जे भणिस्सं । 1) अम्हंता for अभंतरं, जिणे for जिग, P चउवीसिया- 2) Pउसहनाहो. 3) P-दीवा ।।. 4) Pमयण for लोह, P एते चोरा, Pकुणमु तं पि किं पितं चियं. 6) J इंचि for किंचि. 7) P करेत्ति for करेइ, J संगमूसुआ पलयं, संगमूसिया. 8) Pकनारूरणए, तीय, होहिति, P होहित्ति. 9) om. इत्थिवज्झा to महिंदेण भणियं, J इस्थिवज्जा' 10) P त for तए, ' संदेसायणुणुकंठिया पुणो दूइ, J दूई. 11) चिट्ठति, J पुच्छिया दूई, P णिसुए for सुए, P -दियर, P om. करणियर, सुसमाण. 12) P जंबालोयरि, P सफरियलयब, J-परत्तयं, Jadds वि before वराई, P वराती 13) पभाया रयणीए, भणितब्वो, ' एस for एसो. 15) निवण्णा लंकेसु, सुरं for सुइरं. 17) P रुहिराणरंजियंगेण, P om. य, J य जुज्झ. 18) अरुणाणं. 19) P सूरोअम्गेण, ' महिलेण, J उउ for उडु. 20) परिअएण, र अप्पाणं. 21) I तुई for तुमं. 23) Pom. च, P - वलीयुब्वेलमाण, I लयुक्खेको for पक्खेवो, P मुडिओ for समुट्ठिओ. 24) जुवती. 25) पलंपत, I-जुअला ।, P हरि for हार, J गया P गती for गई. 26) P अवसप्पिऊण, P धाती. 27) " हितयं, हिअयं जीअव्वं ति ।, P repeats व, P ततो, P om. one आसण. 28) P वीए for त्ति, ३ भणतीय, P अहि दिऊण, भणि तीय कुमार. 29) Pसहा मित्तो. 30) दातवा. 31) अत्थत्थ for सत्थस्थ, . अम्हारिसीओ जुवईसहावचंचल, सहिययः, P वासत्थं for वीसत्थं, P समाहरंति. 32) Jखमेज्जम जे भणि. 21 Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 २६२ उजोयणसूरिविरइया [६२६२६२६२) अस्थि इमा चेव पुरवरी तुमए वि दिट्ठ-विहवा विजया णाम, इमाए चेय पुरवरीए विजयसेणो णाम राया।। इमा चेय तस्स भारिया रूवेण अवहसिय-पुरंदर-घरिणी-सत्था भाणुमई णाम । सा य महादेवी, ण य तीए कहिं पि किंचि पुत्त-भंड उयरीहोइ । तमो सा कत्थ देवा, कत्थ दाणवा, कत्थ देवीओ, कत्थ मंताई, कत्थ वा मंडलाइं, सब्वहा बझंति 3 रक्खाओ, कीरति बलीउ, लिहिजति मंडलाइ, पिजति मूलियाओ, मेलिजंति तंताई, आराहिजति देवीओ। एवं च कीरमाणेस बहुएसु तंत-मंतोवाइय-सएसु कहं-कहं पि उयरीभूयं किं पि भूयं । तओ तप्पभूई च पडिवालियं बहुएहिं मणोरह-सय6सएहिं जाव दिटुं सुमिणं किर पेच्छइ वियसमाणाभिणव-कंदोट्ट-मयरंद-बिंदु-णीसंद-गंध-लुद्ध-भमर-रिंछोलि-रेहिरा कुवलय-8 माला उच्छंगे । तओ विबुद्धा देवी भाणुमई । तओ णिवेइए राइणा भणियं 'तुह देवि, तेलोक-सुंदरी धूया भविस्सइ' त्ति । तओ 'जं होउ तं होउ' त्ति पडिवण्णे वच्चंतेसु दियहेसु पडिपुण्णे गब्भ-समए जाया मरगय-मणि-बाउल्लिया इव सामलच्छाया बालिया। तओ तीए पुत्त-जम्माओ वि अहियं कयाई वद्धावणयाई। एवं च णिवत्ते बारह-दियसिए णाम से , णिरूवियं गुरु-जणेणं, कुवलयमाला सुमिणे दिट्ठा तेण से कुवलयमाल ति णाम पइट्टियं । सा य मए सब्ब-कजेसु परिवटिया । तओ थोएसुं चेय दियहेसु जोव्वर्ण पत्ता। तओ इच्छंताग पि पिऊणं वरं वरेताणं पिणेय इच्छा, 12 पुरिसद्देसिणी जाया । तओ मए बहुप्पयारेहिं पुरिस-रूव-जोधण-विलास-विषमाण-पोरुस-वण्णगहिं उवलोभिया जाव 12 थोवत्थोवं पिण से मणं पुरिसेसु उप्पजइ त्ति । तो विसगो राया माया मंतियगो य कह पुण एसो वुत्ततो होदिइ ति । एरिसे अवसरे साहिय पडिहारेण 'देव, एरिसो को वि विजाहर-समणो दिव्य-णाणी उज्जाणे समागओ, सो 16 भगवं सव्वं धम्माधम्म कजाकजं वञ्चावच्च पेयापेयं सुंदरासुंदरं सव्वाणं साहइ ति, तीतागागत-भूत-भव-भविस्स-वियाणओ 18 य सुब्वइ, सोउं देवो पमाण'ति । तओ राइणा भणियं 'जइ सो एरिसो महाणुभावो तो पेच्छियवो भम्हेहिं । पयट्ट, वञ्चामो तं चेय उज्जा' ति भणमागो समुट्टिओ आसणाओ । तओ कुवलयमालाए वि विण्णत 'ताय, तए समयं अहं पि 18 वचामि' । राहणा भणियं 'पुत्त, बच्चसु' ति भणमाणो गंतुं पयत्तो। वारुया-करिणिं समारुहिऊग संपत्ता य तमुजाण ।18 दिट्रोय सो मुणिवरो, राइणा कओ से पणामो, आसीसिओ य तेग, णिसण्यो पुरओ से राया। ६२६३) तओ सो भगवं साहिउं पयत्तो। भणियं च णेण । 4 लोयम्मि दोणि लोया इह-लोओ चेय होइ पर-लोओ। परलोगो हु परोक्खो इह-लोओ होइ पञ्चक्खो ॥ जो खाइ जाइ भुजह णचह परिसक्कए जहिच्छाए । सो होइ इमो लोओ परलोगो होइ मरिऊग ॥ लोगम्मि होंति अण्णे तिण्णि पयत्था सुहासुहा मज्झ । हेओयादेय-उवेक्षणीय-जामेहिं गायब्वा ॥ 24 ता इह-लोए हेया विस-कंटय-सत्थ-सप्पमादीया। एयाइँ होंति लोए दुक्ख-णिमित्तं मणुस्साण ॥ कुसुमाई चंदणं अंगाण य दव्वा वि होंति आदेज । जेण इमे सुह-हेऊ पञ्चक्खं चेय पुरिसाणं॥ अवर उवेक्षणीय तण-पग्वय-कुहिणि-सकरादीयं । तेण सुहं ण य दुक्खं ण य चयणं तस्स गहण वा ॥ ता जह एयं तिविहं इह-लोए होइ पंडिय-जणस्स । तह जाणसु पर-लोए तिविहं चिय होइ सव्वं पि॥ पाणिवहालिय-वयणं अदिण्ण-दाणं च मेहुणं चेय । कोहो माणो माया लोहं च वंति हेयाई ॥ एयाई दुक्ख-मूलं इमाई जीवस्स सत्तु-भूयाई । तम्हा कण्हाहिं पिव इमाई दूरं परिहरासु ॥ 30 गेण्हसु सञ्चमहिंसा-तव-संजम-बंभ-णाण-सम्मत्तं । अजव-मद्दव-भावो खेती धम्मो य आदेया॥ एयाइँ सुहं लोए सुहस्स मूलाई होति एयाई। तम्हा गेण्हह सब्वायरेण भमयं व एयाई ॥ सुह-दुक्ख-जर-भगंदर-सिरवेयण-वाहि-खास-सोसाई। कम्मवसोवसमाई तम्हा विक्खाई एयाइं॥ 33 तो एयं णाऊणं भादेये कुणह आदरं तुन्भे । हेयं परिहर दूरे उवेक्खणीयं उवेक्खेहि ॥' . . .... .. . . 1Jचेअ, Padds पुरव before पुरवरी, Jचेव. 2) P भज्जा for भारिया, P भाणुमती,कीय for तीए, P om. पि. Pचि for किंचि. 3)Pउयारीहोति ।, Pमंतीइ, P मंगलाई for मंडलाई in both places. 4)P कीलंति, Jadds मूला before मूलियाओ. 5)J उअरीहूअं P उदरीभूयं, P तप्पभूयं, मणोरहोसय, सतसरहिं. 6) Pताव for जाव, P मयारदबिंदनीसंद. 7) P भाणुमती, P धूया हविस्सइ. 8) Pज होउ for जं होउ तं होउ, J om. त्ति, P adds गरभसमये before वञ्चते, Pom. पडिपुण्णे गब्भसमए, पाउलिया P पुत्तलिया for बाउलिया. 9) Jतीय for तीए, Padds च after कयाई, P गिबत्ति बारसमे दिवसे णामं. 10) गुरुअणेणं, Pकुवलयमाला णाम. 11)P वढिJ चेअP-चिय, P जोव्वणं संपत्ता, P च for पि before पिऊणं, P om. पि, Pइच्छत्ति पुरिसहोसिणी. 12) Padds रस before रूव, विलासलो- P विन्नणेहिं उवलोहिया जाव थोवं पि. 1.) मंतिणा for मंतियणो, होहिति. 14)P अवसरि. 15). सोहति for साहा, " तीतीणागत, P भवियस्स. 16)P adds त्ति after सुब्बा, पेच्छितन्वो. 17)P om. ति,J 'माला विय विण्णत्तं, P सम for समयं. 18) P चाम्मो, भणनाणा गंतुं पयत्ता, P तारु for वारुया, तं उज्जाणं. 19) Pon. सो, P om. य P inter. से & पुरओ. 20)Pसोहि for साहिउं. 21) Pinter. होईचेय,J परलोओ उ परोक्खो. 22)P खाति भुजति णपति, J परलोओ. 23) Jलोअम्मि, P होति, हेओआदेयउ वेक्ख, P हेऊआदेयउवेक्खणे अणालोमेहि. 24) P कंटइ, P सप्पमाईयI, Pवुका for दुक्ख. 25) दन्वादि होइ, P आएज, मुहहेउं P साहेऊ. 26) P वच्चं य for पव्वय, P धरणं for चयणं. 27) Pहोति सवं. 28) एआइंहेताई. 29) सत्थभूताई,P दूरेण परिहरसु. 30)Pएयाई for आदेया. 31) Jएताई in all places, सहस्स for सुहस्स. 32) Pom. the verse सुहदुक्ख eto.,J सोसाती, 3 एताई.33)Pएते for एय,J उवक्खेहि,P उवेक्खाहि. Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -६२६५] कुवलयमाला ६ २६४) एवं च भणिए भगवया तेण जुणिणा सव्वेहिं चेय णरणाहप्पमुहेहिं भणियं 'भगवं, एवं एयं, ण एत्य । संदेहो' त्ति । एत्थंतरम्मि णरवइणा पुच्छियं 'भगवं, मम धूया इमा कुवलयमाला, एसा य पुरिसहेसिणी कुल-रूव-विहव3 विण्णाण-सत्त-संपण्णे वि रायउत्ते वरिजते णेच्छइ । ता कहं पुण एसा परिणेयव्वा, केण वा कम्मि वा कालंतरम्मि' ति 3 पुच्छिए णरवइणा, भणियं च भगवया मुणिवरेण । अस्थि कोसंबी णाम णयरी। तत्थ य तम्मि काले पुरंदरयदत्तो णाम राया, वासवो य मंती। तत्थ ताणं उजाणे समवसरिओ सीस-गण-परियारो धम्मणंदणो णाम आयरिओ । तस्स पुरभो सुणे6 ताणं ताणं धम्म-कहं कोह-माण-माया-लोह-भोहावराह-परद्ध-माणसा पंच जणा, तं जहा, चंडसोमो माणभडो मायाइचो लोह- 6 देवो मोहदत्तो त्ति । ते य पव्वज काऊण तव-संजम-सणाहा, पुणो कमेण कय-जिणधम्म-संबोहि-संकेया भाराहिऊण मरिऊण कत्थ उववण्णा। अवि य। अस्थि सोहम्मं णाम कप्पं । तत्थ य पउमं णाम विमाणं । तत्थ वि पउमसणामा पंच विजणा उववण्णा तहि पिजिणिंद-बयण-पडिबुद्ध-सम्मत्त-लभब्भुदय-पावण-परा संकेयं काऊण एत्थ चेय भरहे मज्झिम-खंडे उप्पण्णा । एको वणिय। 9 उत्तो, अवरो रायउत्तो, अवरो सीहो त्ति । अवरा वि एसा कुवलयमाल ति। तत्थ ताणं मज्झाभो एक्केण एसा परिणेयव्वा । धम्नं च पावेयव्वं ति। भणियं च णरवइणा 'भगवं, कहं पुण सो इहं पावेहिइ, कहं वा एल्थ अम्हेहिं णाइयन्वो' त्ति । 12 भगवया भणियं 'सम्हारिय-पुब्व-जम्म-वुत्तो कायव्व-संज्ञेय-दिग्ण-माणसो इमाए चेय पडिबोहण-हेउं इह वा पावीहइ 12 त्ति, तं च जाणसु । सो चेय इमं तुह उम्मत्तं तोडिय-बंधणं जयकुंजरं रायंगणे गेण्हिहिइ, पुणो कुवलयमाला-बियं पायर्य भिंदिहिइ, सो चेय जाणसु हर्म परिगेहिइ, ण अण्णह' ति भणतो समुप्पइओ मुणी। तमओ कुमार, उप्पइयम्मि 15 तम्मि मुणिवरे आगओ राया पुरवार । इमा कुवलयमाला तप्पभूई चेय किं-कि पि हियएण चिंतयंती अणुदिणं सूसिउं 15 पयत्ता । ता इमाए एस पुष्व-जम्म-सरण-पिसुणो एस पायओ लंबिओ। अवि य 'पंच वि पउमे विमाणम्मि' । इमो य ण केण वि भिंदिउं पारिओ ताव जाव एस जयकुजर-संभम-कलयलो । तओ पुच्छिए राइणा मणियं 'पुत्ति कुवलयमाले, 18 पेच्छ तं अत्तणो वरं, [जो] एत्थ इमं जयकुंजरं गेण्हिहिइ, सो त पादयं पूरेहिह । इमं मुणिणा तेण भाइ8' ति । ता 18 पेच्छामु णं को पुण इमं गेण्हई' त्ति भणमाणो णरवई समारूढो पासाद-सिहरं, कुवलयमाला य । अहं पि तीए चेय पास-परिवत्तिणी तम्मि समए। तओ कुमार, तए अप्फालण-खलण-चलणाहिं णिप्फुरीकए जयकुंजरे सीह-किसोरएण शव लंघिए पूरिओ सो पादओ । इओ य पूरिओ पायओ त्ति दिण्णा वरमाला । इमिणा ओघुट्टिए दढवम्म-पुत्तो ति तुह णामे । उम्बूढो पहरिसो राइणा । कुवलयमाला उण तुमए दिट्टम्मि किं एस देवो, किं विज्जाहरो, अह सिद्धो, उओ कामदेवो, किंवा चकवट्टी, किं वा माणुसो त्ति । पुणो घेप्पंते य जयकुंजरे, केरिसा जाया । अवि य। 24 वलइ वलंतेण सम खलइ खलंतम्मि शिवडइ पडते । उट्ठाइ उल्ललते वेवइ दंतेसु आरूढे । २६५) जइया पुण कुंजरारूढो संमुहं संठिओ तइया किं चिंतिउं पयत्ता । अवि य । आयबिर-दीहर-पम्हलाई धवलाई कुसुम-सरिसाई । णयणाई इमस्स वणे णिवडेजंगेसु किं मज्झं ॥ 27 विहुम-पवाल-सरिसं रुहरं लायण्ण-वत्ति-सच्छायं । अहरं इमस्स मण्णे पाविज्जइ अम्ह अहरेण ॥ पिहु-पीण-ललिय-सोहं सुर-करि-दंतग्ग-मूरण-समत्थं । वच्छयलं किं मण्णे पाविजइ मज्झ थणएहिं ॥ दीहे उण्णय-सिहरे दरिय-रिऊ-काल-दंड-सारिच्छे । एयस्स बाहु-डंडे पावेज व अम्ह अंगाई ॥ 30 मासल-पिहुलं रुइरं सुरय-रसासाय-कलस-सारिच्छे । एयस्स कडियलं णे पावेज व अम्ह सयणम्मि । पूरेज एस पादं देज व अयं इमस्स वरमालं । इच्छेज व एस जुवा होजम्ह मगोरहा एए॥ होज इमस्स पणइणी कुप्पेज व णाम अलिय-कोवेण । कुवियं च पसाएजा अहवा कत्तो इमं मज्झ ॥ 1) P om. च, P भणिया, P ते मुणिणो, नरनारिप्प, P पतं for एयं 2)F नरवश्या, Jom. इमा, P 'देसिणी. 3) P संपत्त for संपण्णे, Pणेच्छत्ति ।, Pom. कह, P adds कहि after एसा. 4)P for च, J सयले for काले, P पुरंदत्तो. s) Pom. ताणं. 6) P transposes लोह after कोह, मोहोवराहपहरद्ध-, लोहभडो. 7) मोहदत्ता, ' कया, जिणधमं, P मरिऊण. 8) Pसोधम, Pom. य, P य for वि after तत्थ. 9)P adds धम्म before जिणिंद, सम्मत्तंलग्भम्भूतयः, P-लंभुदयः, P उववन्ना for उप्पण्णा, वणिअपुत्तो. 10)Jom. अपरा वि एसा कुवलयमाल त्ति, Pएगेण. 11)J भगवं पुण को इहं पावेहिति ।, Pइह पाविहित्ति । भगवया भणियं संभावियपुन्वर्जुम- 12) कायचो, पडिबोहणाहेउं इमं पाविहित्ति. 13) Pजो for सो, खुहिय for तोडिय, गेण्डिहिति । गेण्हिहित्ति, पातयं. 14) भिदिहिति । भिंदहित्ति, चेव, परिणेहिति । परिणेहि त्ति, P अण्णहि. 15) Pom. तम्मि, P चेव, सुसि. 16)Pइमा एस, पातओ. Pom. वि पउमे. 173 केणइ भिदिउं, भिदिओ, पारओ, P पुच्छिओ, पुच्छिए for पुत्ति, P कुवलयमालो पेच्छं, 18) P जयकुंजरो गेण्हइ त्ति, गेण्हिहिति, P पाययं पूरेहित्ति, J पूरेहिति, Jom. तेण, P ता पुच्छामु. 19) Pणरवती, P पासाय:, P वि for य. 20) पाद for पास, P om. तए, Pणिप्फरिकए. 21)Pपुरओ सो पायओ, पातओ त्ति ।, JP ओघट्टिए दढधम्म- 223 adds तम्मि after दिट्ठम्मि, उतो, तओ for उओ. 23) Jय कुंजरे, ह य जकुंजरे, I om. जाया. 24) P खलति, 3 उद्धाइ, P आरूढो. 25) तउआ. 26) P अयंचिर for आयंबिर, P पंभलाई,P पुणो for वणे. 27) पलास for पवाल, P लाइन्न-28)Pपिहुणल लिय-- 29) दीओ for दीहे, J-रिउ, P-सारिच्छो, बाहुदंडे. 30) P मंसलं, कडिअलण्णे, P कहिं अन्ने पावेजह अम्ह. 31) पायं for पादं, जुआ, Pएस जवा हो जम्ह, P एते. 32) कोवेण, कत्ता. Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ उज्जोयणसूरिविरहया [६२६५1इमं च चिंतयंतीए पूरिओ पायओ। तं च सोऊण हरिस-चस-समूससंत-रोमंच-कंचुय-रेहिरंगाए दिण्णा तुहं वरमाला, तमो 1 अवलंबिया तुह खंधराभोए । तं च दट्टण कुमार, तए पेसिया धवल-विलोल-लोला चलमाणा पम्हला दिट्ठी। तीय य दिट्ठीय पुलइया केरिसा जाया। अवि य, वियसिया इव कमलिणी, कुसुमिया इव कुंदलया, विहडिया इव मंजरी, मत्ता इव करि-3 णिया, सित्ता इव वेल्लिया, पीयामय-रसा इव भुयंगिया, गय-घणा इव चंदलेहिया, सुरय-उसुया इव हंसिया, मिलिया इव चक्किय त्ति । सन्वहा 8 अमएण व सा सित्ता पक्खित्ता सुह-समुद्द-मझे ब्व । अप्पाणं पुण मण्णइ सोहग्ग-मयं वणिम्मवियं ॥ एरिसे य अवसरे तुम राइणा भणिओ जहा 'समप्पिय कुंजरवरं आरुह इमं पासायं' ति । तो तुह दंसणासायणा-सज्झससेउकंप-कुतूहलाऊरमाण-हिययाए समागओ तुमं । पिउणा य भणिय 'वच्छे, वच्च अंतेउरं' ति । तओ मैताहया इव भुयंगिया अंकुसायट्ठिया इव करिणिया उम्मूलिया इव वणलया उक्खुडिया इव मंजरी दीण-विमणा कह-कहं पि अलंघणीय-वयणो . ताओ ति अलसायंती समुट्ठिया, गया आवासं सरीर-मेत्तेणं ण उण हियएणं । अवि य, दुलह-लंभ मोत्तूग पिययम कत्थ वचसि अणजे । कुविएण व पम्मुक्का णियएण वि णाम हियएण ॥ 12 अवरोप्पर-लोयण-वाणिएहि कलियम्मि सुरय-भंडम्मि । हिययं रयण-महग्घं संचक्कार व से दिण्ण ॥ 12 ६२६६) तओ एवं च कुमार, तम्मि संपत्ता णियय-मंदिरम्मि, तत्थ गुरु-सज्झस-णियंब-भरुव्वहण-खेय-णीसहा णिसण्णा पलंके संवाहिउँ पयत्ता। तओ समासत्था किं-कि पिचिंताभर-मंथरा इव लक्खिया मए । तओ भणिया 'पुत्ति 16 कुवलयमाले, किं पुण इमं हरिसट्ठाणे ठियप्पा चिंताए दिण्णो, किं तुह ण पूरिओ पायओ, किं वा ण पडिच्छिया वरमाला, 15 भामओ विहडियं मुणिवर-वयगं, किं वा णाभिरुइओ हिययस्स, किं वा ण सत्तमंतो सो जुवाणो, किं वा ण पुलइया तेणे, किंवा तुह हियय-उव्येयं ति । ता पुत्ति, फुड साहिजउ जेण से उवाओ कीरइ' त्ति संलत्ते भणियं तीए 'माए, ण इमाणं एक 18पि । किं पुण वमह-पडिबिंब-समो सुर-जुवईणं पि पत्थणिज्जो सो। इच्छेज ममं दासिं ण व ति चिंता महं हियए ।' इमम्मि य भणिए, अम्हेहिं भणियं 'ओ माए, किं एवं अलियमलियं असंबद्धं उल्लवीयइ । कीस तुम सो ण इच्छा। किं तेण ण लंघिओ सो जयकुंजरो, किं वा ण पूरिओ पायओ, किं ण पेसिया तुह दिट्ठी, किं ण पडिच्छिया वरमाला, किं 21 ज जाओ से अंगम्मि पुलउग्गमो, किंण मण्णिओ तेण य गुरु त्ति महाराया, किं ण साहिओ मुणिणा । सव्वहा मा एवं वियप्पेसु, जेण तुम दिट्ठा अस्थि सो ण अण्णत्थ अभिरमइ त्ति । अवि य। 24 मा जूरसु पुत्ति चिरं दट्टण तुमं ण जाइ अण्णस्थ । तं चिय ठाणं एहिइ माणस-हंसो व्व भमिऊणं ।' तो एवं पि भणिए ण सद्दहयइ अइपियं ति काऊण । अवि य । ___जं होइ दुल्लहं वल्लहं च लोयस्स कह वि भुयणम्मि । तं कप्पिय-दोसुकेर-दुग्गमं केण सद्दहियं ॥ 7 तो अम्हेहिं भणिया 'वच्छे कुवलयमाले, जइ तुम ण पत्तियसि ता कीरउ तस्स जुवाणस्स परिक्खा । तओ तीए भणियं 27 'मत्ता, किं च कीरउ तस्स' । मए भणियं 'पेसिजउ दुई सिरिमालं अण्णं वा किंचि घेत्तण तओ तस्स भावो जेण घेप्पह' त्ति । तओ तीए कह-कहं पि लज्जा-भर-मंथराए सेउल्ल-वेविर-करयलाए कपिया सा रायहसिया। पुणो तीय उवरि लिहिय 30 कहं-कहं पि दुवइ-खंडलयं । अवि य । अह तस्स इमो लेहो अणुराउच्छलिय-सेय-सलिलेणं । लिहिओ वि उप्पुसिजइ वेविर-कर-लेहणि-गएण ॥ एवं पेसिया तुह भाव-गहणत्थं दुई। 18 30 1) पूरिओ य पातओ, P कचुइरेहि', उ (or ओ) for तओ. 2) खंधराए ।, P-लोलवलमाण, दिट्ठीये for दिट्ठी,Pom. तीय य दिट्ठीय. 3)P कुंदुलया, विहरिया, P करणिया. 4) Pइव वल्लिया, JI for रसा, सुरयूसुआ. 6) ओ for ब्व, सोहग्गवियं विणि'. 7)Pसमप्पिऊग, P आरुहइ, P तुज्झ for तुह, दंसणायामणा सज्झस P दंसणासामज्झस. 8)Pकुतूहरमाण, P वि for य, Prepeats वच्छे. 9) यथिआ Pइडिया, P adds उम्मूलि before उम्मूलिया, P कहं कहम्मि ३ चयणा. 11) दुलभः, P कुविएण विप्पमुक्का, Jणाह for णाम. 13) इमं for एवं, एत्थ for तत्थ, सज्जस. 14). संवाहिऊण, Jadds च before पयत्ता, P किंपिं किंचि. 15) हरिसिद्धाणे विअप्पा, पातओ, P किं पाण पडच्छिया. 16) सत्तवतो, Pom. सो, Paddy ति after तेणे. 17)P repeats तुह, P उब्वेवं, Pसलतं, ती. 19) P वमह, परिबिंब, P जुवतीणं, Pom. सो, Pण व ती. 20) Jए for एयं, 'मलिअअसं', उल्लवीयति, inter. ण & सो. 21" पातओ, किण्णा पेसिआ. 22) Jए for य. 24) तुम for चिरं, ' एहिति P एहित्ति समुदकाउच भणिऊणं.. 25) भणियए ण सहायइ अइपियंयंति, J अपियं. 26) P भुवर्णमि, P किंपिअ for कप्पियः 27) P भणिय, पत्तिययीसि (१)P पत्तिआसि, P कीरओ, तीय. 28) Pपेसिजओ दूती. 29) om. त्ति, P ततो, तीय, P करतलाए, ' उवरे, 30) Pom. one कहं, दुश्य for दुवइ. 31) Pइमो लोहो अणुरायच्छलिय, अणुरायचलिअ , - वि ओप्फसिज्जद, विवेर for वेविर, ? करलेहिणगएण. 32) दूती. For Private & Personal use only . Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२६८] कुवलयमाला १६५ 1 ६२६७) ताव य समागओ महाराय-सगाताओ कंचुई। तेण य भणियं जहा कुवलयमालाए 'गणियं गणएणं अज 1 वि वीसत्यं विवाह-लग्ग-जोगो' त्ति । तं च सोऊण विसण-मगा संवुत्ता कुवलयमाला, हंसिय ब्व वजासणि-पहया कुलवहु उच्व गोत्त-खलणेण दूमिया जाया । तओ अम्हेहि चित्तं जाणिऊण भणिया 'वच्छे, मा एवं वियप्पेसु । शिसुसु ताव तस्स 3 जुवाणस्स अच्चंताणुराय-सूययं के पि वयणं । तओ जं तुज्झाभिरुइयं तं करीहामि' त्ति भणमाणीहिं कह-कह पि संधारिया । एत्यंतरम्मि समागया सा दूई तुह सयासाओ दीण-विमणा किं-किं पि चिंतयंती। तओ ससंभमाहिं पुच्छिया अम्हेहिं 8'किं कुसलं कुमारस्स' । तीए भणियं 'कुसलं, किं पुण कोइ ण दिण्णो पडिसंदेसो, केवलं भणियं, अहो कला-कुसलत्तणं 6 कुवलयमालाए' त्ति । इमं च सोऊण तो हया इव महादुक्खेण, पहया इव महामोह-मोग्गरेणं, विलुट्टा इव विरहग्गिजालावलीहिं, ओवग्गिया इव महावसण-सीहेणं, गिलिया इव महामयरद्धय मगरण, अकंता इव महाचिंता-पन्चएणं, गहिया इव महाकयंत-वग्घेणं, गसिया इव महाविग्ध-रक्खसेणं, उल्लूरिया इव महाकयंत-करिवर-करेहि, सव्वहा किं वा १ भण्णउ कुमार,पञ्चमाण पिव महाणरए, डज्झमाण पिव वडवाणलेण, हीरमाण पिव पलयाणलेण, वुज्झमाणे पिव जुयंताणिलेण, जिम्मजंतं पिव महामोह-पयालेणं, उक्कत्तिजतं पिव महाजम-करवत्तेणं अत्ताणं अभिमण्णइ । तओ तं च तारिसं दट्टण तं 12 कुवलयमालं मालं पिव पव्वायमाणि 'हा, किं णेयं जाय'ति भणमाणीहिं गहिया उच्छंगए, भणिया य । 'पुत्ति कुवलयमाले' 12 किं तुह बाहई' त्ति पुणो पुणो भण्णमाणाए 'हूं' पडिवयणं । तओ कुमार, एवं च पेच्छमाणाणं अक्खित्तं सुहं दुक्खेणं, विणिज्जिया रई अरईए, भल्लिया मई अमईए, पडिहयं विष्णाणं अण्णाणेणं, अवहरियं लायणं अलायण्ण, वसीकयं सुंदरत्तण भसुंदर16 तणेणं, सव्वहा कलि-काले व्व तीय सरीरे सव्वं विवरीयं जाय । उम्हायइ चंदण-पंकओ, धूमायइ कुसुम-रउकेरओ, जलइ व 15 हारओ, डहइ व णलिणी-पवणओ, दीवेंति व काम-जलणय पुणो पुणो मुणाल-णाल-वलय-हारयाई, पुणो पुणो पजलंतीव बउलेला-लयाहरयाई ति। केवलं कुमार, णीससइ व णीसासओ, उससइ व ऊसासओ, दुक्खाइजइ दुक्खयं, उत्कंपिजइ 18 उकंपओ, सेमाइजइ सेयओ, पुलइजइ रोमंचओ, मोहिजइ मोहओ वि । किं वा कुमार, बहुणा जपिएणं । 18 हिययभंतर-तुह-विरह-जलण-जालावली-तविज्जतं । णीहरइ य विरहुव्वत्त-तत्त-सलिलं व से बाहो॥ विरहग्गि-हित्थ-पत्थिय-पय-चंपियं व हिययाओतीय तूरंतं । दीहर-णीसास-पयाणएहिं जीयं वणिक्खमई॥ मयलंछण-कर-गोरे उज्झइ वण-वट्टिए त्ति चिंतेती। तुहिण-कण-फंस-सिसिरे चंदण-हारे मुणालं व ॥ णिय-दुक्ख-दुक्खियं सा सवम्महं सहियण पि कुणमाणी । अणलक्खियक्खरं महुयरि च्व दियहं रुणुरुगेइ ॥ पुलइजइ हसइ खणं तसइ पुणो दीहरं च णीससइ । तुह-संगम-विमुहासा सा सामा सुहय सूसंती ॥ 24 झाऊण किं पिहूँ हूँ ति जंपिरी सहरिसं समुढेइ । लज्जावणामिय-मुही मुच्छा-विरमे पुणो रुयइ ॥ . इय जीवियं पि वञ्चइ सीसइ तुह हो फुर्ड तह करेसु । जह सा वि जियइ पयडं च जणवए होइ दक्खिण्णं ।' २६८) भणियं च महिंदेण 'इमम्मि य एवं ववथिए, साहह किं कीरउ' ति । तीए भणियं 'इमं कर्ज, एवं भसंठियं, तीए उण दसमी कामावस्था संपयं पावइ । जेण 27 विरह-भुयंगम-डक्का अइरा य विसोयलंत-विहलंगी। आसासिजइ मुद्धा सुहय तुहं गोत्त-मंतेण ॥ संपयं पुण तीय ण-याणामि किं वह'त्ति । आसंकियं हियएण भणियं च कुमारेण 'तह वि तुमं आउच्छणीया, किं तत्थ । 30करणीयं संपर्य' ति । तीए भणियं । 'कुमार, जइ मम पुच्छसि ता भइकंतो सम्बोवायाणं अवसरो । एत्तिय पुण जइ सुम्मे 30 राइणो भवणुजाणं वञ्चह, तओ अहं कुवलयमाल कह-कहं पि केणावि वा मोहेण गुरुयणस्स महिलयाणं च तम्मि उज्जाणे मि । तत्थ जहा-जुतं दसण-विणोइय-मयण-महाजर-वियणा होहिइ बालिय' ति । तओ महिंदेण भणियं । 'को दोसो, 1) Pom. महारायसगासाओ. 2) विवाहगहलग्गजोओ, J विमणमणा, P विमण्यमण्णा संजुत्ता, हंसि व्व. 3)'खलणेण, खलणदसिया. 4)P जुवाणयरस, J तो जं तुज्यभिरुइयं, P करिहिसि. J संवारिआ P संधारया. 5)P दती. ततो ससभमा ठिया पुच्छियं. 6)तीय Pतए, तुह for पुण, Jom. ण, Padds न after दिण्णो,Jadds न दिण्णो (on the margin) before केवलं. 7)PS for इम, P पिलुद्धा for विला. 81 ओअग्गिआ, Pमयरेण, P inter. चिंता and महा. 9)P इव हि महावियप्परक्लसेणं. 10) P पलयाणले बुब्भमाणं, Jom. वुज्झमाणं पिव etc. to महामोहपयालेणं. 11)Padds णिम्मजंतं पिव जुअंताणिलेणं before णिम्मज्जत, Pमहाजमक्खत्तणं. 12) Pom. मालं पिव, न कुवलयमालं दब्वायमार्ल पिव माये हा, Pउच्छंगे, Pom. य. 13) पुणो भिण्णप्पमाणाए, P हुं. 14) Pरती अरतीए, Pमती अमतीए, Pपडिहअं अन्नाणं विनाणेणं. 15) अम्हायइ P रम्हाइ. 16)Pारो, य for a after दीवेंति, P कामजलगया, Pom. पुणो पुणो मुणालणालावलयहारयाई, om. पुणो पुणो पज्जलती to लयाहरयाई. 17) F कुमारी ससइ, Pदखातिजइ, P दुक्खयं चकंपिज्जति. 18)Pसेताइज्जइ, Pom. सेयओ पुलइज्जइ, Pom. वि, P बहुणो. 19)P विजंत for तविजतं, Pom. तत्त, सलिलणिवहो ब्व से बाहो. 200P हत्यि for हित्थ, J पयविअ for पयचंपियं व, चंपयं व हीयआउ, J दूरंत for तूर, P णिक्खमए. 21)व णिवट्टिए, J वडिअ for वड़िए, Pमुणाल ब्व ।।. 22) Pa for पि, P दियहं रुणेति ॥. 23) पुलआयर हसयखणं, P दीहरै समूससइ, Pom. सामा. 24)P सोऊण for शाऊण, P हूं हूं, Pसमुहेइ, P रुतइ. 25)P वमुव्वद for वच्चइ, P जिणबुहो for च जणवए. 20, Pom. य,Jom. एवं. 27) Pकामावत्थी, Jadds ण before संपयं28) Pom. य, वसोअलंत विसोतलंत, अद्धा for मुद्धा, गोममतेहि. 29) Jवकृति ।.30) तीय, P जती for जह, ती for ता. 31)Pom. अहं, Pकुवलयमाला, P गुरुजणस्स महलयाणं. ३2)विणोइP विणोइयं, P विणयण for वियणा,होहिति पालिअ त्ति, Pबालिया य त्ति. Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ उजोयणसूरिविरइया [६२६८1एवं होउ'त्ति भणिए समुट्टिया सा भोयवई, पडिगया आवासं । भणियं च महिंदेण 'कुमार, मए विण्णतं आसि जहा 1 कुवलयचंदो सकलंको इस्थि-वज्झाए होहिइ, को अम्हाणं दरिदाणं पत्तियइत्ति । कुमारेण भणियं 'अलं परिहासेणं, संपर्य किं कायव्वं अम्हेहिं । महिंदेण भणियं 'जं चेय मयरद्धय-महारायाहिराय-कुलदेवयाए जुण्ण-कोणीए आणतं तं चैव ३ कीरउ, तम्मि चेय राइणो मंदिरुजागे गम्मड'त्ति । कुमारेण भणियं 'किं कोइ ण होही सय-विरोहो, भासंका-ठाणं ण संभावइस्सइ, ण होहइ कुल-लंछगं अणभिजाय ति, ण होहइ गणणा-विरुद्धं लोए, ण कायरो त्ति आसंका जणस्स होहइ'त्ति । महिंदेण भणिय 'अहो एरिसेणावि धीरत्त गेण विहिणा पुरिसो ति विणिम्मिओ' । कुमारेण भणिय 'किं तए भीरु त्ति अहं 6 संभाविओ' । महिंदेण भणियं 'ण, ण कोइ तं भीरु ति भणई' । कुमारेण भणियं 'अण्णं किं तए लवियं' । महिंदेणं भणियं 'मए लवियं सत्त-ववसाय-रहिओ'ति । कुमारेण भगियं 'मा एवं भणह । अवि य। 8 जइ पइसइ पायालं रक्खिजइ गय-घडाहिँ गुडियाहिं । किं कुणउ मज्झ हत्थो कयग्गहायडणं तीय ॥ महवा सच्च सच, भीरू । कहं । जेण एत्तिय-मेत्ते भुयणे असुरासुर-गर-समूह-भरियम्मि । संते वि सत्त-सारे धणियं भयसस्स बीहेमि ॥' 12 महिंदेण भणियं 'अहो अइमुद्धो तुमं । को एत्य अयसो, किं ण कारण परिसक्कइ जणवओ, किं कोऊहलेण ण दीसह 12 उजाणं, किं णिहोस-दसणाउ ण होंति कण्णाओ। किं ण होसि तीय सम्व-कार गेहिं अणुरूवो वरो, किंण वरिओ तीए तुम, जेण एवं पि संठिए अयसो त्ति अलिय-वियप्पणाओ भावीयंति ति । ता दे गम्मउ त्ति' भणंतेण पयत्तिओ कुमारो 16 महिंदेण । संपत्ता य तमुजाणं अणेय-पायव-वल्ली-लया-संताण-संकुलं । जच चंदण-वंदण-मंदार-परिगयं देवदारु-रमणिज । एला-लवंग-लवली-कयली-हरएहिँ संछण्णं ॥ चंपय-असोग-पुण्णाग-णाग-जवयाउलं च मज्झम्मि । सहयार-महुव-मंदार-परिगयं बउल-सोहिल्लं ॥ 18 मलिय-जूहिय-कोरंटयाउलं कुंद-सत्तलि-सणाहं । वियइल-सुयण्ण-जाई-कुज्जय-अकोल्ल-परिगय रम्मं ॥ पूयय-फलिणी-खजूरि-परिगयं णालिएरि-पिंडीरं । णारंग-माउलिंगेहिँ संकुलं णायवल्लीहिं । ६२६९)तं च तारिसं उजाणं दिटुं रायउत्तेण । तओ तम्मि महुमास-मालई-मयरंद-मत्ता महुयरा विय ते जुवाण परिब्भमिउमाढत्ता। पेच्छंति य मरगय-मणि-कोट्टिमाई कुसुमिय-कुसुम-संकंत-पडिबिंब-रेहिराई पोमराय-मणि-णियरचणाई च।। कहिंचि सच्छ-सुद्ध-फलिह-मयाई संकेत-कालीहरय-हरियाई महाणील-रयण-सरिसाइं । तओ ताणि अण्णाणि य पेच्छमाणा उवगया एक अणेय-णाय-वल्ली-लया-संछण्णं गुम्म-वण-गहणं । ताणं च मज्झे एक अइकडिल्ल-लवली-लयाहरयं । तं च दट्टण 24 महो, रमणीय' ति भणमाणा तत्थेव परिव्ममिउं पयत्ता जाव सहस त्ति णिसुओ महरोअव्वत्तो कल-कूविय-रवो। तो महिंदेण १५ भणियं 'कुमार, कत्थेत्थ रायहंसा जाणं एसो महुरो कल-कूविय-सहो । कुमारेण भणियं 'किमेत्य णत्थि दीहियाओ, ण संति वावीभो, ण संभमंति कमलायरा, ण दीसंति गुंजालियाओ, ण वियरंति घर-हंसा, जेण एत्थ रायहंसाणं संभावो पुच्छीयइ 27 जाव य इमं एत्ति वियप्पेंति ताव मासणीहूओ कलरवो। भणियं च महिंदेणं 'कुमार, ण होइ एसो हंस-कोलाहलो,' 27 णेउर-सहो खु एसो। कुमारेण भणियं 'एवं एयं, जेण हंसाणं घग्घर-महुरो सरो जायइ । इमो उण तार-महुरो, ता णेउराण इमो' ति भणमाणाणं संपत्ता णाइदूर-देसंतरम्मि । तओ महिंदेण भणियं 'जहा लक्खेमि तहा समागया सा तुह 80 मयण-महाजर-विपणा-हरी मूलिया कुवलयमाला' । कुमारेण भणिय 'किं संभावेसि मह एत्तिए भागधेए'त्ति । मर्हिदेण 30 भणियं । 'धीरो होहि, अण्णं पि ते संभावइस्सं' ति भगमाणेहिं णियच्छियं बहल-लयाहरोयरंतरेण जाव दिट्ठा सा कुवलयमाला सहीणं मझगया कल-हंसीण व रायहंसिया, तारयाण पिव मियंक-रेहिया, कुमुइणीण व कमलिणी, वणलयाण 33 व कप्पलया, मंजरीण व परियाय-मंजरी, अच्छराण व तिलोत्तमा, जुवईण व मयरद्धय-हियय-दइया रइ'त्ति । तं च तारिस 33 1)P भोगवती, Pom. च. 2)इस्थिवज्झए होहिति ता को, P अम्ह for अम्हाणं, पत्तिआए. 4) कोवि ण, होइ, P om. ण. 5) J संभावइस्सति P संभायरसत्ति, P होही for होहई, जाणभिआअ ति. P होहिइ गणाणणे विरुद्धं, Pआसंका र्ज जस्स होहिय ति. 6)P एरिसेण धीर',P विणिम्मविओ. 7) Pणण को तं,J om. तं,J अलं for अण्णं. 8) Pसत्त, एय. 9) पयसइ, उत्थो P हत्थि for हत्थो, P ती for तीय. 10) Pom. one सच्चं,Jadds ति before भीरू,P भीरु. 11) Pत्तिय for पत्तिय,P मेत्ते सुयणे मणुयसुरासुर, Pom. णर. 12)J काणणेण P कारणे, P om. किं, P adds किं belore ण. 13) Pom. तीय, P तीय. 14)Pसतिए for सठिए, P writes अयसो thrice, I भाविअति त्ति, P गमउ, भणितेण, P पयडिओ for पयतिओ. 15) Pसंपती तमु, अणिय for अणेय, P om. जं च. 16) P नंदणमदारपरिगत, संछिन्न. 17) Jअसोयपुण्गायणाय-, । जंबुयाउलं, Pउव for महुव (emended),J बउल, परिययं, P सोहलं. 18) P कोरटियाउं, P विअइलसुवण्णजातीकुज्जयः, J -अगोल, JP परिगरि (P), p om. रम्मं. 19) J पूअफलिणी. 20) P रायउत्ते, J मासलपहह for महुमास, J मत्त, J तो for ते. 21)परिभमि, पच्छति,Jom. य, Pom. च. 22P कहचि. 23)Pएक, Jom. णाय, P गुम, P अश्कुटिलयवल्ली-. 24)P तत्थेय, P सहत्त for सहस त्ति, अहुरो for महुरो, P अवत्ती, रसो for रवो. 25) किं पत्थ. 26) दीसंति कुंजालियाओ, विअलंति, संभवो, पुच्छीयति P पुच्छीअत्ति. 27) J om. जाव य इमं, P आसन्नीभूमो. P adds भो before कमार.28) रउर. Pघरेषरे for घग्घर, P जायति. 293 णाइदूरे,Jom. तओ 30Pसम्म भावेसि, Pमहा for महJ भागधेये. Pति 31Jए for ते, Padds संभावर before संभावइस्स, P om. णियच्छियं Pलयाहरोअंतरेण. 32) Jसहीण, P मज्जगया हंसीण, व for पिव Pom. मिर्यकरेहिया eto. toतं च तारिसं. 33) Pसिय for तारिसं. Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२७०] कुवलयमाला १६७ 1 दट्टण चिंतिय कुमारेण 'अहो, सच्च जं लोए सुणीपइ किर थेरो पयावई। जइ थेरो ण होइ, ता कह एरिसं जुवई विणिम्म- 1 विऊण अण्णस्स उवणेइति । अहवा णहि णहि, ण होइ थेरो, जेण थेरस्स कत्तो एरिसं दिटि-कम्मं णिव्वडइ त्ति । ते सपहा धष्ण तं पुहइ-मंडलं जत्थ इमं पाय-तल-कोमलंगुलीयं चलग-पडिविवं इमाए संठिय'ति चिंतयंतस्स भयि कुवलयमालाए। अवि य । पेच्छेज व तं पुरिसं अत्ता सो वा ममं णियच्छेज । एत्तिय-मेत्तं अब्भत्थिओ सि हय-देश्य दे कुणसु ॥ 6 कत्थेत्थ सो जुवाणो अत्ता कवडेण वंचियाओ म्ह । सम्भाव-दिण्ण-हिययाण तुम्ह किं जुजए एयं ॥ २७.) इमं च सोऊण महिंदेण भणियं 'एसो को वि धण्णो इमाए पत्थिजइ जुवाणो' । कुमारेण भणियं 'अस्थि पुहईए बहुए रूव-जोव्वण-सोहग्ग-सालिणो पुरिसा' । महिंदेण भणियं 'अवस्सं सुहओ पत्थिज्जइ, जइ असुहओ वि पत्थिजह ता तुमं ममं व किं ण कोइ पत्थेइ'त्ति । तभो सहासं भणियं कुमारेण 'दे णिहुओ चिट्ठ, पेच्छामो किं एत्थ एयाओ कुणति' । ' भणियं च भोगवईए 'पुत्ति कुवलयमाले, मा जूरसु, आगो सो एत्थ जुवाणो । जइ इमे संख-चकंकुस-सयवर्तकिए दीसंति चलण-पडिबंधए तहा जाणिमो आगओ' । 'इहं चेय मग्गामो'त्ति भणतीओ पहाइयाओ सब्वामओ चेय दिसादिसं चेडीओ। 12 ण य उवलद्धा ते, तओ साहियं ताहिं 'सामिणी, ण कोइ एत्थ काणगे लक्खिो अम्हेहिं भमंतीहिं पि'। तमो भगियं ।। भोगवईए 'वच्च पुणो कयलीहरेसु चंपय-वीहियासु लवली-वणेसु अण्णिसह जाव पाविओ'त्ति भणिए पुणो वि पहावियाओ तामो सम्वाओ विलासिणीओ । भोगवईए भणिय 'पुत्ति कुवलयमाले, अहं सयं चेव इमाए पय-पदईए वच्चामि, सर्य 16 चेव उवलहीहामि, तुमए पुण एयम्मि ठाणे अच्छियवं'ति भणमाणी सा विणीहरिया भोगवई । चिंतियं च कुवलयमालाए 15 'महो सब्वो एस कवडो, किर दुटो सो जुवाणो, तेण इम इमं च भगिय, दिगो संकेओ इमम्मि उज्जाणे । ता सव्वं भलियं । ण एत्थ सो जुवाणो, ण य पय-पंतीओ, णेय अण्णं किंचि । सबहा कत्थ सो देवाण वि दुल्लहो जुवागो मए पाविओ, 18 कालेण जाव ताओ ममं परिणावेहिइ ताव को जीवइ त्ति । ता संपर्य चेय तहा करेमि जहा पुगो एरिसागं दोहग्गागंण 18 पावेमि गोयरे त्ति । देव्वं उवालहिय, वणदेवयाओ विष्णविय, तायं पणमिय, अंबं अभिवाइय, तं पुरिसं संभरिय, भगवंत मयण विण्णवेमि जहा पुणो वि मह सो चेय दइओ दायचो त्ति । पुणो लया-पासं बंधिऊण भत्ताणयं उब्बद्धिय वावाइस्सं शति । ता तं च इह महं ण संपजइ, संपयं सहीओ पावंति। तेग इमम्मि धण-तरुवर-लबलि-लयाहरंतरम्मि पविसिय अत्तणो 21 भत्थ-सिद्धिं करेमि'त्ति चलिया तं चेय लयाहरंतरं जत्थच्छए कुमारो। दिट्ठा य कुमारेण संमुह चलिया। तम्मि य समए कुमारो लजिओ इव, भीओ इव, विलक्खो विव, जीविओ इव, मओ विवासि । सव्वहा अणाचिक्खगीयं के पिअवत्थंतरं पाविओ, 24 दिट्ठो य तीए सो । तओ एक्किय त्ति भीया, सो त्ति हरिसिया, सयमागय ति लज्जिया, एस मे वरिओ ति वीसस्था, कत्थ 24 एसो त्ति संकिया, एसो सुरुवो त्ति ससझसा, वियणे पाविय त्ति दिसा-पेसिय-तरल-तारया-दिट्ठी । सव्वहा तं के पि ससज्झस-सेउकंप-दीण-पहरिस-रस-संकरं पाविया जं दिव्व-णाणीहिं पि मुणिवरेहिं दुक्खमुवलक्खिजइ त्ति । तम्मि अवत्यंतरे 27 वट्टमाणी कुमारेण अवलंविऊण साहसं, ववसिऊण ववसाय, धारिऊण धीरत्तण, संभरिऊण कामसत्योवएसं, ठविऊण पोढत्तण,7 भवहस्थिऊण लज, उज्झिऊण सज्झसं, सव्वहा सत्तमवलंबिऊणं भणियं । 'एहि सुंदरि, सागयं ते' भणमागेण पसारि ओभय-बाहु-डंडेण अंसत्थलेसु गहिया। तो कुवलयमालाय वि ससास-सेउकंप-भयाणुराय-पहरिस-णिन्भरं ईसि-धवलं 80 चलमाण-लोयण-कडच्छ-विच्छोह-रेहिरं भणियं 'मुंच मुंच, ण कर्ज सन्वहा इमिणा जणेणं लोगस्स' । कुमारेण भणियं। 30 _ 'पसियसु मा कुप्प महं को वा तुह मंतुयं कुणइ मुद्धे ।' तीए भणियं । 38 'परिवयणं पिण दिण्ण भण किं मह मंतुयं थोयं ॥ 1) सुणीयति, P पयावती, जुवई, P जुवई णिम्मिऊण. 2) ता सम्वहा.. 3) खंडलं for मंडलं, ' लोय for पाय. 5) J पेच्छज्ज, P आ for अत्ता, P अह for ह्य देव. 6)Pinter. जुवागो & सो, कवडेहिं वंचिओ अम्हे। 7) एवं for इमं, पत्थिजओ, P पयडिज्जइ जुवणो. 8) P बहुरूत, P सालिएणो, P अवस्स, P पढिजद, I om. वि. 9) गम, P पत्थेय, , adds दे before चिट्ठ. 10) P भोगवई, Pom. पुत्ति कुवलयमाले etc. to भणियं भोगवईए. 13) P उणो for पुणो,J om. लवलीवणेसु, J पहाइओ. 14)सन्वा, चेअ, पयबद्धईए P पयपद्धतीए. 15)P तुमए उण तंमि ठाणे, I भोगमई P भोगवती. 16) दिट्ठो for दुट्ठो, P inter. दुट्ठो & सो, P जुवा, P adds य before इमं, संकेयो, P उज्जाओणे, I om. ता सव्वं अलियं. 17, सो वाणो, I om. ण य, उपयंपंतीओ, ' देवाणं, P om. वि. 18) परिणावेहिंति, 'हित्ति, P जीवति. 19) देवं, Jउवालहीअं, वण्णविय for विण्णविय, पणमिया, P अभिवाश्या, संभरिअं. 20) Pचेव, तओ for पुणो, लतासं, P उवट्ठिय for उब्बद्धिय. 21) Pण पज्जद ता संपयं, J सहीओ, Pइम for इमम्मि, P तरुयर, लयली, P लयाहरंमि. 23) Judds कंपिओ व before विलक्खो. मयो इव. 24)तीय, P एकिय, सह रिसा for हरिसिया, P वीसत्थी. 25) P adds संकिय before ससज्झसा, पेसि P पेसिया, Jom. दिदी, तं किं पि. 26)P सम्भस for ससज्झस, जि for जं. P on. पि, P दुक्खमुवयल'. 27) Pom. ववसिऊण ववसाय, ठाविऊण. 28) उज्झिणससज्झसं, P परिसाउभयवाहुदंडेण. 29) Pकुवलयमाला वि, सेओकंप, Pणिन्भरइर इंसि- 30Jom. चलमाण, J लोअस्स. 31)P मंतु. 33) I भण किं ता मह मंतु भणि थो। किं नामं तुम थोअं ।. 33 Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरहया [६२७०1कुमारेण भणिय। 'एत्तिय-मत्तं भूमि पत्तो हं सुयणु जाणसे किं पि'। तीए भणियं । ___'जाणामि पुहइ-मंडल-दसण-कोऊहलेणं ति॥ कुमारेण भणियं । 'मा एवं भणसु, 6 किं सुमरसि गेय तुमं मायाइश्चत्तणम्मि जे भणियं । इच्छक्कारेण तुमे सम्मत्तं मम्ह दायब्वं ।। तं वयण भणमाणो मुणिणा संबोहिओ इहं पत्तो । ता मा जूरसु मुद्धे संबुज्झसु मज्झ वयणेण ॥' ६२७१) जाव एस एत्तिओ आलावो पयत्तो ताव संपत्ता भोगवई । 'वच्छे कुवलयमाले, राइणा वंजुलाभिहाणो कण्णतेउर-महलओ पेसिओ जहा अज्ज वच्छा कुवलयमाला राईए दर्द भसत्य-सरीरा मासि, ता कस्य सा मज परिभमह 9 सि सिग्धं गेण्हिय आगच्छसु ति भणमाणो इहं संपत्तो । मंदमंद-गइ-संचारो संपर्य पावेइ, ता तुरियं भवकिम इमामो पएसाओ, मा अविणीय त्ति संभावेहिह' ति। तं च सोऊण सयल-दिसा-मुह-दिण्ण-तरल-लोल-लोयण-कडक्ख-विक्खेव-रेहिर 12 चलिया कुवलयमाला । तओ कुमारेण भणियं । 'सव्वहा 12 किं जंपिएण बहुणा किं वा सवहेहि एत्थ बहुएहिं । सच्चं भणामि पत्तिय जीयाउ वि वल्लहा तं सि ॥ कुवलयमाला वि 'महापसाओ पडिवण्णो एवं भम्हेहिं' ति भणमाणी तुरिय-पय-णिक्खेवं णीहरिया लवली-लयाहरंतरामो। 18 विट्ठो य सो वंजुलो कण्णतेउर-पालओ। तेण य खस्-णिटर-कबसेहिं वय गेहिं अंबाडिऊण 'पेच्छ, पेच्छ, एका चेय कहं पाविय' 15 ति भणमाणेण पुरओ कया 'वच, तुरिय अतेउरं' ति । तओ कुवलयमालाए वि चिंतियं 'माए, पेच्छ पुरिसाण य अंतरं । एको महुर-पलावी सुंदर-भणिएहि हर हिययाई । अण्णो मिट्ठर-मणिरो पावो जीयं पिणासेइ॥ 18 दीसंतो भमय-ममओ लोयण-मण-गंदणो इमो एक्को । विस-दल-णिम्मिय-देहो एसो उण दूहवो अण्णो॥ 18 इमं चिंतयंती समागया कण्णतेउर। कुमारो वितं चेय पणय-कोव-कय-भंगुर-भुमयालंकियं वयणं हियय-लग्ग पिव, पुरमओ णिमियं पिव, घडियं पिव, पासेसु ठवियं पिव, उरि णिक्खित्तं पिव, महियलम्मि उपेक्खतो तीए य य ताई सवियार-पेम्म-कोव-पिसुणाई संभरमाणो वयणाई कयत्थं पिव अप्पाणं मण्णमागो तं महिंद अण्णेसिर्ड पयत्तो। दिट्टो । एक्कम्मि पायवोयरे कुसुमावचयं करेमाणो । तओ भणियं कुमारेण 'वयंस, एहि वञ्चामो आवासं, दिढे जे दट्टष्वं' । तेण भणियं 'कुमार, भण ताव किं, तए तत्थ मयण-महासरवर-णियर-संकुले रणंगणे किं ववसियं' । कुमारेण भणियं 'वयंस, * दिटुं अदिट्ठउव्वं तीए लायण्ण-मंडणं वयणं । वयणोयर-मंडल-भूसणाई सामाएँ णयणाई ॥ महिंदेण भणियं 'कुमार, ते वयणं ताणि य लोयणाई पढम तए वि दिट्ठाई । तं किं पि साह मां जं अभहियं तए रहयं ।' कुमारेण भणियं 'कुओ एत्तियाई भागधेयाई । तह वि लायण्ण-महागिरिवर-सिहरेसु व तीय अंस-देसेसु । हत्या अमय-विहत्या वीसत्थं सुत्थिया ममं ॥ तो महिंदेण सहासं भणियं 'एरिसो तुमं । अण्णहा, 30 बहु-दियह-मणोरह-पत्त-संगमाल-दुलह-पइरिका । वण-करिवरेण लिणि व पाविया सा कह मुका।' कुमारेण भणियं 'वयंस, मा एवं भण । गुरु-देव-दियादीहि करग्गहं जा ण पाविया पढमं । जालोलि-जलिय-भीम मण्णामि चिई व तं जुवई ।' 33 महिंदेण भणियं "एवं एय, अण्णहा को विसेसो सुकुल-दुकुलाणं' । 'ता पयट्ट वच्चामो भावासं' ति भणमाणा णीहरिया , 2) Pसुयण, P किं वि।. 4) Padds दंसणसण before मंडल, Pom. दंसण. 6) Pइच्छाकारेण, तुम for तुमे. 7)इहं, Pइह संपत्तो, P संवुज्झ वयणेण. 80P भोगवती, राइणे, Pरायणा, वंजुलाहिहाणो. 9)P कन्नंतउर, P रातीर, परिम्भमइ. 10) om. सिग्छ गेण्यि आगच्छसु त्ति, गई. 11) Iom. संभावेहिइ ति, P संभावेहिय त्ति, P मुहकन्नंतरलोयलोयणा, P विखेवरेरेहिरा. 12) Jadds वि after कुमारण. 14) Pकुवलयमालाए वि,Jom. एवं. 15) P ते for तेण, P adds ककस before णिहर, P एक च्चिय. 16)P भणमाणे पुरओ, om. वि. 17) पलाविर, सुंदरिहियएण हरह, भणिओ. 18) विसमभो for दूहवो. 19)Pइमं च चिंतेंवी, Pom. पणय, P भुमयालंकर्य- 200P णिम्मियं, P ठिइ for ठविअं, Pउवेक्खतो, पतीय चेअ. 21)P कोह for कोव, महिंद अन्नसिउ, adds य after दिट्ठो. 22) पायवे कुसु', आवासं जं दिटुं तं दट्टब्बं । कुमार भणियं तेणं भण ताव किं. 23) संकुल, Padds व्व before किं,. वयस्स. 24) अदिटुं उव्वं, ? -महल, वयणायमंडण-,J मण्डलाइसणार, P समाए. 26) तव for तं, P लोवणार, अम्भव 27) Pom. कुओ. 28) Jom. व, P तीययंस, हत्थ. 29)हणियं for मणियं, P एसो for एरिसो. 30) Pदियर, for दियह, P adds अनहा before पत्त, दुक्ख for दुलह, वरेणे for 'वरेण,P कहिं for कह. 31) P भणह for भण. 32) देवदियादि, जालोलियभीम. 33) अण्णह को. Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -२७२] कुवलयमाला । उजाणाओ, संपत्ता भावासं । तत्थ य महाराइणा पेसियाओ अणेयाओ सिगेह-कारा जल-कलस-सुर्यध-ण्हाणनगंध-वण्णय- 1 तंबोल-वावडाओ वारविलासिणीओ । तओ ताहिं जहाविहि मक्खिय-उचट्टिय-हाविय-जिमिय-परिहिय-विलित्ता कया । तो सुहासणस्थाण य संपत्ता एका विलासिणी । तीय उग्घाडिऊण कणय-मय-पक्ख-संजोइयं तंबोल मच्छयं पणामियं ३ कुमारस्स । भणियं च इमीए 'इम केण वि जगेण पेसियं तंबोलं' । तओ कुमारेण गहियं, णिरूवियं च जाव णियय-णव णक्ख-विणिम्मवियं तंबोल-पत्तेसु पत्तच्छेजे । तस्स य उवीर पत्तक्खराइं, सिरिकुवलयचंदस्स णाम लिहियं । तओ तं च 6 वाइऊण कुमारेण भणियं 'अहो, णिउणत्तणं कस्स वि जणस्स' । गहियं तंबोलं । तओ कुमारेणावि एकम्मि पसे गह-मुहेहिं । रइयं सहस-सारस-चक्कवाय-णलिणि-सयवत्त-भमर-रिंछोलि-रेहिरं सरवरं । विरइया य इमा गाहुल्लिया। मवि य । हियय-दइयस्स कस्स वि णिययण-दुक्खत्त-भत्ति-चित्तलियं । पेसिजइ केण वि किं पि कारणं सरवरं एयं ॥ २७२) तओ एवं च अण्णम्मि दियहे तेगेय कमेण णाणा-भोयणादीयं, पुणो कइया वि तंबोलं, कहया वि पत्तछेज, कइया वि वीण, कइया वि आलेक्ख, कइया वि पागं, कइया वि गंध-जोओ, कहया वि किं पि तहाविहं णियय उण्ण-सिणेह-सम्भाव-पिसुण पेसिजइ कुमारस्स । एवं च ताणं कुमाराणं णियय-रज्जे व सुहंसुहेणं मुंजमाणाणं रज-सिरि 12 पति दियहा। कमेण य को उण कालो वहिडं पयत्तो। अवि य। अग्धंति जम्मि काले कंबल-घय-तेल्लरल्लयग्गीओ। अच्छह पाउय-देहो मंदो मंदो व्व सव-जगो॥ किं च दीहरीहोंति णिसाओ, झत्ति वोलेंति वासरा, दूहवीहोति चंद-किरणाई, परिहरिजति जलासयई, णिक्खिप्पंति 1 मुत्ताहार-लट्ठीभो, सिढिलिजति हम्मिय-तलाई, अणायरिजति चंदण-पंकयई, घेपति रल्लयई, संगहिजंति इंधगई, विरह-18 जति वेणीओ, मक्खिजति मुहई, अजिजंति मच्छिवत्तई, णियसिजति कुप्पासयई, चमढिजति सव्व-धण्णई, उभिजति खजंकुर-सूईओ, णियत्तति णियय-दइया-णियंबयड-बिंब-पओहरुम्हा-सुहई संभरमाण पहिय त्ति । भवि य । 18 घण-बंधण-पम्मुक्को तुलग्ग-लग्गो य पत्त-धणु-चंसो। उय सूरो सूरो इव अह जाओ मउलिय-पयावो॥ . गहिय-पलाला मय-धूलि-धूसरा खंध-णिमिय-कर-जुयला । दीसंति मल्लियंता पहिया गामम्मि हेमंते ॥ विरह-भुयंगेण हमओ खंडाखडि कमो व सिसिरेण । एसो पसु ब्व पहिओ पञ्चइ अग्गिम्मि रयणीए । A दीसंति के वि पहिया कर-जुवल-णियंसणा फुडिय-पाया। गोसे मग्गालग्गा वाएंता दंत-वीणाओ। 'बाहोगलत-णयणा रहसुब्वेलंत-बाहुणो केइ । चिर-दिट्ठ-बंध पिव धम्मगि कह समल्लीणा ॥ मल-खउरियंगमंगा तणुया णिकिंचणा मइल-वासा । दीसंति के वि रिसिणो ब्व धम्म-रहिया परं पहिया ॥ समवि य । जम्मि य काले हिम-सत्तु-णिहय-सीसं सयलं दट्ठण काणणं सहसा । सिय-कुसुम-दसण-सोहं खलो ब्व कह विहसिमो कुंदो॥ . किच । मंजरिजति पियंगु-लयड, वियसंति रोद्ध-वल्लरीओ, विसति तिलय-मंजरीओ, उवगिजति महुर-मयरंद-वंद-पीसंदपाण-मय-मत्त-मउय-मणहर-गीयाबद्ध-मंडली-विलास-महुयरी-भमर-जुवाणेहिं मघमर्पत-मल्लियउ ति । सव्वदा 27 कालम्मि तम्मि को वाण भरह धणिभोवऊहण-सुहागं । णागंकुस-रुद्ध-मगे एके पर साहुणो मोत्तुं । सम्मि य काले को कत्थ समल्लीणो ति । कालायरु कुंकुम-सुगंध-सयणोयरेसु ईसर-जुवाणया, धम्मग्गि-धमण-पयावण30 तप्परा पंथ-कप्पडिया, जर-मंथर-कथा मेत्त-देहया जुण्ण-धम्मिया, तण-पलाल-खल-एक-सरणा कासया, खल-तिल-कथा-30 जीवणाओ दुग्गय-घरिणीओ, मुम्मुर-करीसग्गि-समाकडण-चावडई दरिद-डिंभरूयई, थोर-थणव-कलत्त-वच्छपल-संपुर. सुह-पसुत्तई पुअंड-मंडलई ति । अण्णं च पंचग्गि-ताव-तवियंग-महामुणि-जइसिय जर-डोंब-थेरय, सिसिर-पवण-पइय-विमल 1rom. य, Pom. अणेयाओ, सणेह, Pom. कारा, Jom. जल, P सुगंध, I om, गंध. 2) P वागओ, P तेहि मक्खियउवट्टियण्ह विय. 3) कणगमयमक्ख, पूल for तंबोल. 4) णिययकरणिक्खनिम्मलवियतंबोलपत्ते. 5)Pom य. 6) कस्सइ जणस्स, Pणकं पि मि for एकम्मि, णस for णह. 7)P सार for सारस. 8) P -दुइयस्स, अणियलहुकंततरुत्ति, चित्तेलियं, P a for वि. 9) P तेण य, P ण्हाण for णाणा. 10) गंधजोए । बंधुजोओ, JP कंपि for किंपि. 13) जंसि काले, P कंबलयतेलरलयंगीओ, P पाउदेहो. 14)गिसभो संति बोलेंति, P बोलंति, किरणा, ' जलासयाई, मिक्खिपंति. 15) Jलंठिओ, हम्मियवट्ठई, -पंकई, P रलयाई, इंधणयं ? इंदणई. 16). I वेगिओ, P कुप्पासयाई. 17) Jखज्जंकुड । गज्जंकुर, णिअदइया संभरमाणदइअयत्ति. 18) पम्मुक्को पयपत्त, P om. one सूरो. 19)" मल for मय, खंधणमिय, 20) Pe for व, P अग्गंमि. 21) Pणियंसणे, ' गोसग्गिमगलग्गा वायंता. 22) बाहोअलंत, केवि ।. 23) P णिकंचणा. 24) Pom. जम्मि य काले. 25) Jom. सयलं, P व्व कुहविलसिओ कंदो. 26) मंजरिज्जत, पियंगुलयाओ, P उचग्गीजति. 27) मणहर, महुरीभवणजु, मधमति मल्लियाओ. 28) पणिओवगृहणाणाण, , रुद्धमणो, P पुण for पर. 29) य का कत्थ, सुअध, रमियइ for ईसर, जुआणया, P धम्मत्थिधमण. 30) ' जरकंथर, J मेत्तदेवया, P देहया अजाहम्मिया, P कासवा, कत्थ for कंथा. 31) करिसम्गि, J समाकडवाबडई. समायणवावार,. डिभभूअ P डिंभरुयई, वच्छयला वच्छयर- 32) मंडलयं, तविअयमहा, P सय for जइसिय. 22 Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० उज्जोयणसूरिविराया [२७२। जल-पहल्लमाण-धीई-तरंग-भंग-भंगुर-वियरत-मच्छ-पुच्छच्छडाघाउल्लसंत-मुत्ताहल-हइस्-जल-लवालंकिय दीसंति सरवर, । भाविय-एयत्तासरणत्त-संसार-महादुक्ख-गहण-विउडण-सज्झायज्झागेक वावड पमुक्क-वरिसा-कप्पायावण-संठिया आयाति 3 साहु-भडरय व त्ति । मवि य, सिसिरेण को ण खविओ सिसिर-पवायंत-मउय-पवणेण । पर-मंस-पिंड-पुढे जंबुय-सुणए पमोत्तण ॥ ६२७३) इमम्मि एरिसे काले सुहंसुहेण अच्छमाणाणं कुवलयमाला-कुवलयचंदाणं अपम्मि दियहे सहाविमो 6 राइणा संवच्छरो 'भो भो गणियं तए कुवलयमालाए विवाह-लग्गं' ति । तेण भणिय 'देव, तद्दियह गणेमाणेण इमं सोहियं। 6 तं जहा । इमस्स जम्म-णक्खत्तस्स उवचयकरो सीयकिर गो, सुवण्णदो सहस्सरस्सी, पुत्त-लाभयरो वहस्सई, भोग-करो बुधरायपुत्तो, कुटुंब-विजय-करो धरणीसुओ, णिव्वुइयरो उसणसो, भूमि-लाभयरो सणिच्छरो त्ति । अण्णं च णिवत्तं उत्तरायणं, बलियं लग्गं, सयल-देटिणो सोम्मा, पाय-दिटिणो पावा, ण पीडियं गब्भादाण, अणवहुयं जम्म-णक्खस, अपीडियं . जम्म, सुकम्म-णिच-जोओ। सन्वहा ण विरुद्धं अट्ठत्तरेणावि चक्कसएण णिरूविजतं । चुकं च जइमिमं लग्गं ता दुवालसाणं वासाण मज्झे ण एरिसो लम्ग-जोओ सुज्झइ ति । जारिसो एस फग्गुण-सुद्ध-पक्ख-पंचमीए बुधवारे साती-सुणक्खत्ते 19राईए वोलीणे पढम-जामे दुइय-जामस्स भरियासु चउसु घडियासु पंचमाए णालीए दोसु पाणियवलेसु पाऊण करिसा-18 हिएसु वोली सिंघे उयमाणे कपणे पूरीए मए संखे परिणीया दारिया जइ तओ दीहाऊ से भत्ता, चिरं अविहवा, सुहया वसीकय-भत्तारा, धणं कोडी-गणणाहिं, एक्को से पुहइ-सारो पुत्तो, भोय-भाइणी, पच्छा धम्म-भाइणी, 10 पढम भत्तारो मरणं ण अण्णह' ति भणिए गणएणं, णरवइणा वि तह' ति पडिवज्जिय 'कल्लाण' ति भणमाणेण 15 णिवेइयं तं कुमारस्स । 'कुमार वच्छ, बहुयं कालंतरं तुद कुवलयमालाए णियय-विण्णाण-सत्त-सहाव-पुष्य-जम्मज्जियाए वि विओग-दुक्ख-वित्थरो कओ। ता संपर्य इमीए पंचमीए गेण्हसुपरम-कल्लाण-मंगलेहिं गुरूण भासीसाए देवाणं पहावेणं से करें 18 करेणं बालियाए' त्ति । कुमारेण भणियं 'जहा महाराओ आणवेइ'त्ति । णिवेइयं कुवलयमालाय वि तओ हियय-दइय-18 सम-सुहल्लि-वयणायण्णण-पहरिस वसूसलंत-रोमंच-कंचुइजंत-सललिय-गुणाल-णाल-ललिय कोमल-बाहुलया चिर-चिंतियसंवयंत-मणोरहाऊरमाण-हियय-हलहला भुयणे वि माइउं ण पयत्ता । किंचि तम्मि रायउले कीरिउ पयत्तं । भवि य मुसुमूरिजति धण्णाई, पुणिजति सहिण-समियाओ, सकारिजति खंड-खज्जाई, उयक्खिजति भक्खाई, आहरिज्जति । कुलालई, कीरति मंच-सालाओ, विरइजति धवलहरई, रइज्जए वर-वेई, कीरति उल्लोयई, परिक्खिजति रयणाई, उप्पिजति तुरंगमा, पणामिजंति करिवरा, णिमंतिजए रायलोओ, पेसिजंति लेह-वाहयए, आमंतिज्जए बंधुयणो, मंडिजए भवणोयर, धवलिजति भित्तीओ, घडिज्जए कलधोय, वविनंति जवकुरा, णमंसिजति देवयामओ, सोहिति ॥ जयर-रच्छाओ, फालिजति पडीओ, सीविजंति कुप्पासया, कीरति धयवडा, रइजति चार-चामरी-पिच्छ-पन्भारई ति । सव्वहा 7 सो पत्थि कोइ पुरिसो महिला वा तम्मि णयर-मज्झम्मि । जो ण विहल्लप्फलओ कुवलयमाला-विवाहेण ॥ भ सो को वि णस्थि पुरिसो कुवलयचंदो ण जस्स हिययम्मि । णय सा पुरीए महिला कुवलयमाला ण जा भरइ ॥ २७५ ) एवं च होंत-विवाह-महूसव-वावडस्स जणस्स संपत्तो सो दियहो । केरिसो। 30 कणय-घडिओ व्व एसो अमय-रसासाय-वडिय-सरीरो । सोहग्ग-णिम्मिओ इव विवाह-दियहो समणुपत्तो॥ तम्मि य दियहे कुवलयमाला-जणणीए होंत-जामाओ य गुरु-सि गेह-पसर-रसुच्छलत-रोमंच-सेय-सलिल-राहाए पमक्खियो कुमारो। तबो कयं से जहा-विहीए सिद्धत्थक्खय-सस्थिय-मंगलोयारणयं । कयाणि य से णियय-वंस-कुल-देस-वेस-समयट्ठाई 1) Pom. जल, P वीइच्छ डाघायुलसंत 'च्छडाहयुल्लसंत, "लवालंकित, सरवरा । अवि य भाविया. 2) सल्झायज्झाणक, I वावरपम्मुक, P पमुका, कप्पायावणासंठियायाति साहुण भडरय च त्ति. 4) Pपयायत्तमउयवणेण । परमासवसापुढे एवं चिय जंबुयं मोत्तुं ।।.5) कंडाविओ for सद्दाविओ. 6) गणित, P om. तेण भणियं, देव अद्दिअहं, गणमाणेग. 7)" m. तं, P सहस्सरासी, " बुहरसती, P भोगयरो बुहरायउत्तो कुटुंब. 8) बुधरायापुत्तो, Pणेश्वुझ्यरो, उसिणसो. 9) सोमा पातट्ठिणो, P पीडितं गब्भदाणं, I अणवट्ठतं P अगुवतं, JP अपीडितं. 10)Fसुकम्मा, P अट्ठत्तरेणावी, P जई संलग्गं, Jom.लग्गं ।. 11) Pinter. एरिसोण (न), Pफयणद्धपक्ख. साती पक्खत्त रेवतिणक्खत्ते. 12) दतिअजामस्स, P पंचमाराएणाली, पाणियलेमु पाउण. 13)J उअमाण, P पूरिए संखे,P दीहाओ, P भत्तारे. 14)Pअवहिवासीकयभत्तारो धणकोडीण गणाहिं, P-सारो पत्तो पच्छा, P1 'nsposes भोगभाइणी before पढम. 15) मारणं. 16) Pom. तं, I om. कुमारवच्छ, सत्तसुहाव. 17) J विउअ for विओग. 18)P जइ महाराय, P कुवलयमालाइ वि. 19)P वमुच्छलंत, सयल for सल लिय Pom. णाल. 20)P सयवत्त for संवयंत, P हलाहला, माइओ ण, ३ किंच for किंचि. 21)P मुणिजति for पुणिजति.. P-समिओ सक्कारजंति, खज्जई, P खंडकज्जादि उयकिज्जति, भक्खयं. 22)P वियलिज्जति धवलहर इज्जएवेती। रइजवरबई, Pउल्लोवई, रयणई. 23) लेहवाहया. 24) Pसवणोयरं for भवणो, P मित्तीए, P कलहोयं, Pठविज्जंति, गजकुरा for जंबकुरा, देवया, P सोहरि जंति देवयाओ'णयर-25)P पयडीओ, चमरी पिछे. 27) P को वि पुरिसो, णयरि- 28) inter. ण (न) स्थि and कोवि, J पुरीय, P महियला, P कुवलयमाला ण. 29) Pमहुस्सव. 30) Pणिम्मि इव, विआह31) P, Riter तम्मि य दियहो, repeats केरिसो। कणय etc. to दियहे as above, P सहए पमक्खित्तो. 32) जहा विद्धीए, मंगला आरयणं, P यय for णियय, वेसमय',P-समय द्विती. Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२७५] tr 1 मंगल-कोठयाई, तओ व्हाय-सु-धोय धवल-वलय-पियंसणो सिव-चंदण- चचिय-सरीरो वंदिय-गोरोयण सिल्वर-तिरुमो । खंधरावलंबिय- सिय- कुसुम- सुरहि-दामो महिंदाणुगय-मग्गो भल्लीणो विवाह मंडवं । कुवलयमाला वि कय-काव्य-वावारा 3 सिय-सण्ह-वसण-णियंसणा मंगल- मोत्ताहरण- रेहिर-सरीरा अल्लीणा वेदि-मूलं । तओ संपत्ताए वेलाए, पाविए लग्गे, अग्गि- 3 होत्त-सालाए जलणं आणियं छीरवच्छ-समिहा-घय-संधुक्खियं काऊण, समक्खीहूयाणं सव्व-कुल-जुण्ण महत्तराणं, पञ्चक्खे राहणो, मज्झट्ठियरस भजेव-देव-समय- सत्य- पारवस्स दुबाइणो, आमंतिय छो-पाले, णामं गेण्यि राइनो ददवम्मस्स, दिष्णाभो सायंजलीओ। समनिया व तरस करंजली कुवलयमालाए । गहिया य कुमारेण । उभय- विरइयंजलीउडेहिं करय लेहिं ताव य 6 पगीयाओ अविहवाओ । पवाइयाई तूराई । पूरियाई संखाई । पहयाओ झल्लरीओ । पढंति बंभण- संघाई । जयजयावंति महासामंता । भासीसा-समुद्दा कुल-महलया, मंगल-पढण-वियावड गाणायरियत्ति । एवं च तेण दुयाइणा होमिउं पयतं । 'इक्खागु-स-पभयरस सोमवंस-कुलालंकारस्स मदारावाहिराय वम्म- पुत्तस्स कुमार कुवलय चंदस्स विजयसेण दुहिया - रूपमाका एसा दिण्णा दिव्य सिजाय पिसुर्णेति सयक तेलोक सक्सगो भगवंता लोयवाला परिच्छद छायंजली भगवं एस सुरासुर-मणुय- तिरिय- लोयालोयणो जलगो' ति । इमिणा कमेण पढमं मंडलं । दुइयं पि पक्खित्ता लायंजली। आहूया लोग12 वाला वह मैडलं पुणो तेणेय कमेण दिष्णं दायव्वं । तदा चड मंडलं तमो जय जय सि भणमाणा जरा-दुष्ण-देहा 12 । वि परिस-वसुच्वेलमाण बाहुल बावली वळवा चिठं पता कुछ गुण्ण-महिलय सि कुवलयमाला-जणणी वि सरहसुब्बेशमाण बाहुलया-कंचण-मणि-वलय-वर- तरल-कल-ताल-वस-पय-निक्खेव रेहिरा मंथरं परिसकिया। सेसो वि विलासिनियो 10 मय-वस- घुम्ममाणखत-चलन चलिय-मणि-जेडर रणरणाराव रेहिरो पचिनो जहिच्छे जयजयासह-पूरमाण-दिसिवहानो। 15 विति अदि-करवलंजलि-विमुकाम णाणाविह-वण्णाओ गंध-- मुद-भ्रमरोलि-माला मुलाभो दिव्य-कुसुम-पुडीमो गंध-लुद्ध प्ति । अवि य, 1 91 27 गिनंत सुमंगल मदर संत-विलासिनि सोद्दणए महंत मुद्दासण- वामणपु वर्जत-पयत्तय-तूर- रवे ॥ सोर्भताबल-जिर-तुरं तुर-रसंत- पणश्चिर-खोरं । खोरपणचिर-वचरि-सई चरि-सह-मिलव-जगोहं ॥ मिलिय-जो- सुकलव-रावं कळवल-राव-निर्वभिय-तोसं तोस-वियंनिय वग्गर-मलं यग्गिर-मह-पचिय- कच्छे ॥ लंबिय-कच्छ-लत-सचू चू -लत-मंचर-ताल ताल-तप्फोटन - सर्व सद् वियंनियपूरिय-होयं ॥ ति । भषि व वर-रव-गहिर-सई आऊरिय-संख-राव-गंभीरं । उव्वेलं व समुदं वियाह-वद्धावणं जायं ॥ | तो बतेय बाय किं जायें। संमाणिनंति संमाणनिजे, पूर्जति पूराणिजे, तोसिजति तोसणिजे, मंडिति मंडि 24 दिए पणईणं, पणामिज्जइ राईणं, उवणिज्जइ गुरूणं, पक्खिज्जए जणवयाणं, अपिज्जए अंतेउरियाणं, पेसिज्जए णायरियाण, 94 विजह य अगणणिज्जं जहाभिलसियं धणं दीण-वणीमय- किमिण-पणईणं ति । अवि य । कुवलयमाला दिज्ज दे परिच्छ हसु पक्खिवसु दे पडिच्छाहि । मग्गसु भणसु जहिच्छं इय हलबोलो वियाहम्मि ॥ § २७५) तो पिन्वते वदावन महिए सुर-संघे सुपए गुरुयजे सम्यदा कए तकाल पाउलो करणी विरइया कुमारस्स वासहरए मद्दरिहा सेज्जा । अवि य । रयण-विणिम्मिय-सोहा मुत्ताहल - नियर - रेहिरा धवला । खीरोदहि बेला इव रहया वर-विद्दुमा सेज्जा ॥ wwww कुन 1) कोड हासु हुई सचि for चचिय, गोरोवणो. 2) सुरहिरदामो (१) महिंदाजावमगो आछीनो P वावार. 3 ) P वेईमूलं. 4 ) P आणिरच्छीर, J adds महु after घय, P संधुक्कियं, J समक्खीहू अणेसद्धकुल, P समक्खयाणं, P for 'जुण्ण, P पञ्चकखं. 5 ) P मज्झिट्ठियस्स, P अणेयअवेय, ग् यत्थ for सत्थ, P दियाइणो, P राहणा दढधम्मस्स दिन्ना, दढधम्मदिण्णाओ. 6) Pom. य before तरस, P विरइइयंजली 8) विआवडणआयरिय, P णागायरिय for गाणायरिय (emended ), P दियारणा, J होइउं ? होमियं 9 ) P प्भवस्स, JP दढधम्म-, Pom. कुमार, P विजसेणस्स दुहिया. 10) repeats दिण्णा, J om. जाव before गिसुर्णेति, P तेलोक, भगवतो लोगवाला, P परिच्छिओ, र भयवं, P एस सतुरासुर. 11 ) P लोयलोयणो, JP मंगलं for मंडलं, P लायंजलायाभूता, आहूता 12 ) J adds पि after तश्यं, P मंगलं in both places (for मंडलं), P तेण च, P दातं. 13 ) P बाहुललमाणवलीलया णच्चिउं, उ महलयं ति, 3 om. वि सहरसूवेल P वि रसुवेल. 14 J P चलयचलतरकल तारवस, विलासिणीयणो. 15 ) Prepeats चलण, माण for मणि, Pom. जहिच्छं, सई 16 ) P अवि करयंजली, P - बुद्धीओ. 18 ) P गिज्जंति, हलंत P महंत, P वज्जंति- 19 ) P खोरुत्तावज्जिरतरत्तररसंते पणच्चियखोर, P पणच्चिय. 20 ) Pom. मिलियजणोह, P वग्गियमेलं वग्गिय, पलंबिर 21 लंछिय for लंबिय, P सुचूलं, तुमच्छ (त्थ १ ) रतालं. 23 Porn. • तओ वत्ते य वद्धावणए किं जायं, P पूइणिज्जे, P मन्निज्जति मन्नणिज्जे 24 ) दिज्जउ, P पणतीणं, P पणामिब्जपरादीणं उवणिज्जए, P पक्खिणिज्जए, P उपिज्जएं, P णायराणं दिजए अगणिज्जं 25 ) विज्जर for दिब्जए, P साहिल सियं. 26) देसु पयच्छसु. (27) P वित्ति बद्धावणिए, P -संघे पूर, गुरुअणो, P पाउग्गकरणीए. J 28 ) P वासहरे, J महरिआ, P inter. सेज्जा and महरिहा 29 ) P खीरोयहि. . 18 . Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 १७२ उजयणसूरिविरइया [६२७५तिम्मि च सजा महोदही-पुलिणोवरे व्व रायहंस-जुवलयं पिव णिविटुं कुमार-जुवलयं ति कयाणि य आरतियादीणि मंगल-। कोउयाणि । च्छि ऊण य के पि कालं परिहास-हसिर-लोयण-जुवलो सहियायणो अलिय-कय-वक्खेवो सहर-सहरं णीहरिडं पयत्ता बना। ___ अलिय कर वाडतण-विक्खेवो दिण्ण-महुर-संलावो । अवरोप्पर-कय-सण्णो णीहरिमो से सही-सत्थो। तओ कुवलयमालाय वि भणियं । 6 'मा भा -सु एत्थं पियसहि एक्कल्लियं वण-मइ ठ ।' ताहि भणि। 'इय एकिकाओं सुइरं पियसहि अम्हे वि होजासु ।' तीय भणियं । 'रोमंच कैपि सेण्णं जरियं भा मुंचह पियसहीओ!' ताहि मणिय । 12. 'तुज्झ पइ चिय वेजो जरय अवणेही एसो॥' २७६)तओं एवं च भणिया समाणी लज्जा-ससज्मस-वेवमाण-पओहरा एसा 'अहं पि वञ्चामि' ति भणमाणी चलिया, गहिया य उवरि-वत्थढ़ते कुमारेण भणिया य 'कस्य वचसि ।' तीय भणिय 'मुंच, सहियणेण सम वच्चामि। 1[कुमारेण भणियं] 15 - 'चञ्चसु सुंदरि बच्चसु वञ्चती को व रुंभए एहि । एकं पुण मह कीरउ जं गहियं तं समप्पेहि ।' तीय ससंभम भणियं 'किं पुण मए गहिय' । कुमारेण भणियं । 18 'तुह-चिंता-रयण-करंडयं च विण्णाण-बुद्धि-पडहत्थं । हिययं मह चोरि हियं मा वञ्चसु जाव णो दिण्णं ।' वीर भणियं । 'हरियं वे ण हरियं वा हिययं अण्णं च एत्य को सक्खी । ण हु वयण-मेत्त-सिद्धा होइ परोक्खा हु ए किरिया ॥' कुमारेण भणियं । 'एयाउ चिया तुझं सव्वाउ सहीउ मह पमाण ति।' तीय भणियं । 24 'आणेसु ता इमाओ सुहय तुहं उत्तरं देमि ॥' . कुमारेण चिंतियं ! 'अहो, सुंदरो उवण्णासो मए कओ इमीए चेय पुटुओ एस ववहारो' चिंतयंतो । तीय भणिय 'किं इमं । चिंतियइ, आगेसु पिय-सहीओ जाम उत्तरं देमि, अहवा मुंचसु मए' त्ति । कुमारेण भणियं 'मा वच्च सुंदरि, सद्देमि ए शपिय-सहीओ' ति भणतेणे कओ ताणं सहो । 'आइससु' ति भगतीमओ समागयाओ । भणिय च वाहिं 'कुमार, को अम्हाणं27 णिउत्ति' । कुमारण भणियं 'अम्हं ववहारो दट्टब्वो' । ताहिं भणियं 'केरिसो, हुण्णिप्पउ पुग्व-पक्खो' । तेण भणियं 'एस! तुम्ह पियसही चलिया गंतु, हिययं समप्पेसु त्ति मए वारिया, इमीए मित्तत्तीकर्य तत्थ तुब्भे पमाण' ति । 30 ताहि भणिय 'पियसहि पियसहि' किं एरिसो पुव्वंतर-पञ्चवाओ'। तीय भणियं 'एत्तिओ एस ववहारो' त्ति । ताहि 30 भणियं 'अहो, महंतो एस ववहारो, जइ परं सिरिविजयसेण-णरवइणो णयर-महल्लयाणं च पुरओ गिवडह' ति । कुवलयमालाए भणिय 'तुब्भे च्चिय महप्पमाण ति जइ किंचि इमस्स मे गहिय' ति । कुमारेण भणियं 'सुंदर सुंदर' दे 83 भणह तुभ पमाणं ति । अवि य । 33 ___ मा कुणह पियं एयं मा वइएस्सं ति कुणह मा एसं । चम्मह-गुरु-पायच्छित्तियाऍ धम्मक्खरं भणह ॥' ताहि भणिय । 'जह फुडं भणामो ता सुणेह, 38 एएण तुज्झ हरियं तुज्झ वि एयाए बल्लहं हिययं । अवरोप्पर-जूवय-थेणयाण जै होइ त होइ ।' 86 इमम्मि भणिय-मेत गहियाओ वत्थदंते । 'कुमार, तुम लंपिको' त्ति भगतीए तेण वि 'तुम कुसुमालि' ति भणमाणेण संवाए गहिया । तओ किं जायं । अवि य । 39 एस गहियो ति कलमो अरहइ ए बंधणं कुमारेणं । भणेए मज्झ सि त चिय तेण वि सा तक्खणं भणिया ॥ 1) 10. मम्मिय सेजा, P महोदहीपुलिणोअरे, P जुवलं, मंगलकोउ before मंगल. 2) P कोउयाइ, P om. य, हरिस सिर, जुअलो सहिअगो, J वअ for कय, कयविक्खेवो (१), सरवर for सदर, सहरण्णीहरि P सयरयणीहरिउं 4) सल्लावा, ।' repeats सही. 5) Pom. तओ कुवल मालाय विete. to ववहारो पडुओ उत्तरवाइ त्ति on p. 173,1. 17 This passage is reproduced here with ninor corrections like ya-sruti etc. 10) Better मयह for {चह. 12) Better अपगे हेइ य एसो. 14) Jचडिया for च लेया- 20) Jवण्ण for व ण. 22) पमाण त्ति (१). 34) Better ण्य f ul 37) J भणमाणोण संपाए (१). Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२७८] कुवलयमाला १७३ 12 1 एवं अवरोप्पर-विवयमाणा सहीहि भणिया मासा करण-समक्खं असमंजसं भणह, ज भम्हे भणामोतं कीरउ' ति।। तेहिं भणियं 'सुटू ए भणह किंचि धम्मक्खरं 'ति । सहीहि भणियं । 'जइ अम्हे पमाणं ता भणिमोण अण्णह' त्ति भणिए, ३ तेहि भणिय ‘पमाणं पमाण' ति । ताहि भणियं 'जइ पमाणं ता सुणेह । अवि य । मुद्धे पिजइ से हिययं च कुमार ओप्पेसु । अवरोपर-पाविय-हिययवाग अह णिवुई तुब्भ ॥' भणिय-मेत्ते कुमारेण भणियं । 6 'सुयणु इमं ते हिययं गेण्हसु हिययं ति मा वियारेसु । एयं पि मज्झ दिजउ जइ मज्झत्था पमाणं ति ।' भणमाणेणावयासिया । एवं च कए गुरु-कोव-फुरुकुरायमाणाहराए चिलसमाण-कुडिल-चारु-चंचल-भुमया लयाए भणियं च तीए 'अब्दो माए इमिणा अलिय-कय-कवड-पंडिय-णड-पेडय-सरिसेणं दुजणी-सत्थेणं इमस्स अणाय-सील-सहावस्साहियस्सावयासणं दवाविय' ति भणमाणी परहुत्ता संठिय त्ति । तओ ताहि भणियं । ____ 'मा सुयणु कुप्पसु तुम किं कीरउ एरिसो चेय । णिकरुगो होइ फुड मयण-महाधम्म-ववहारो॥ ता सुंदरो एस ववहारो जो संपर्य पत्तो'। तीय भणियं 'ण सुंदरो'। ताहि भणियं 'अण्णं सुंदर विरएमो'। तीय 12 भणियं ‘ण कज मह इमिणा वि जो संपयं रइओ' । ताहि भणिय । 'मा कुमर वंचसु इमं अम्हं कवडेण बालियं मुद्धं । उप्पज्जड से संपइ जंतुह एयाए तं दिणं ॥' कुमारेण भणियं । 18 'जइ दाऊण सयं चिय पच्छायावं समुब्वहसि मुद्धे । मा होउ मज्झ दोसो गेण्हसु अवयासणं णिययं ॥' 16 ति भणमागेण समवलंभाहिणव-सिणेह-भरा णिद्दयमवयासिया। तओ पहसिओ सहि-सत्थो 'अहो, एरिसो अम्हसंतिओ धम्माहिगरणो ज एरिसाई पि गूढ-ववहारई पयडीहोंति ति अहो सुसिलिटो ववहारो पडुओ उत्तरवाइ' ति । 18६ २७७) तत्थट्टियाण तेसिं सुह-सुहेण वोलिया रयणी । ताव य पडु-पडह-पडिहय-पडिरव-संखुद्ध-मुद्ध- 18 मंदिरुजाण-वावी-कलहंस-सारस-कंठ-कूइय-कलयलाराव-रविजंत-महुरो उद्धाइओ पाहाउओ य तूर-रवो । पढियं च मंगलपाठएहिं पाहाइय-मंगलं । उग्गीयं मंगल-गायणीहिं मंगल-गेयं । समागया तो वारविलासिणीओ। पणामियं मुह-धोवणं देव-धावणं च । तओ पयंसियं अयं च भायणत्थं । पलोइयं तत्थ मुहयंदं । उग्गीय-मंगल-गायणीहिं पणामियं विमल-दप्पण, तह दहि-सुवत्त-णंदावत्त-अक्खयाणि य । वंदिया गोरोयणा । सिय-सिद्धत्थएहिं विरहओ भालवट्टे तिलओ कुमारस्स। तमओ एवं च कय-देवयाहिदेव-पणामो पच्छा विविह-कला-कोसल्ल-विण्णाण-णाण-सत्थत्थ-कहासु संपत्तो मज्झण्इ-समओ । भुतं जहिच्छियं भोयणं । पुणो तेणेय कमेण संपत्ता रयणी । तीय रयणीए केण वि वियड्ड-पओयणतरेण किंचि उप्पाइयं । वीस-२५ मंतरं सहाविया अंगमंग-फरिस-रसं दिण्णा मुद्दिया । पसारिओ कणयमय-घडिय-णालो विव कोमल-बाहु-दंडो करतलोणीविदेसंतरम्मि । एवं च कयावस्सय-करणीओ समुट्रिओ सयणाओ । ताव दुइया वि रत्ती । तओ तेणेय कमेण संपत्ता तइया भराई अणुराय-पवड्डमाण-णिब्भर-हिययाणं पिव । तओ तइय-रयणीय य णिवत्तिय-वीसंभेण तेणं केण पि लज्जा-सज्झस-सह-7 रिस-सुहमुप्पायएण पोएण कयं किं पि कजं तं । अवि य। __ जुवईयण-मण-मोहं मोहं मूढाण सव्व-जीवाणं । होइ पसूहि वि रमियं परिहरियं दिन्च-भावेहि ॥ 30 णिवत्ते य तम्मि जुवइयण-मण-मोहणे मोहणे कयाई वद्धावणयाई । दिण्णाई महादाणाई । २७८) एवं च कय-कायब्व-वावार। अण्णम्मि दियहे समारूढा हिमगिरि-सिहर-सरिसं पासाय-तलं । तत्थ य मारूढेहिं दिटुं तेहिं विजयपुरवरीए दक्षिण-पायार-सेणी-बंधं धुयमाणं महारयणायरं । तं च केरिसं । अवि य । 33 गयणंगण व रुंदं धवलं कलधोय-धोय-पत्तं व । दुत्तार-दूर-तीरं खीर-समुदस्स बिंब व ॥ . कहिंचि परिहत्थ-मच्छ-पुच्छच्छडा-छडिउच्छलंत-पाणियं, कहिंचि गिट्ठर-कमढ-पटि-संठिउल्ललंत-बिद्दम-पल्लवं, कहिंचि कराल-मयर-करग्ग-वगंत-सिप्पि-संपुडं, कहिंचि पक्क-णक-चक-करवत्तुकंत-माण-मीणयं, कहिंचि दुग्गाह-गाह-हिय-विवस 1) समक्ख. 3) ताहे for तेहि, तेहि for ताहि. 4) Better हिययं तं for च, and कुमर for कुमार, J हिअंग वाण . 6) मि for पि, J मज्झत्थ. 7) माणाहरए, चंचलङ्मया. 8) J सहवस्सोहि 9) तेहि for ताहि. 15) सउवहसि. 17) अहो ससिलिट्ठो. 18) Jom. तत्थट्ठियाण etc. to रयणी, न तेंसी, " वोलिओ, J पडिरवर- 19) कलहंसरस हंससारसबंकरइय, ३ कुविय for कूश्य, रविजुत्त, बाहुओ P पाहाओ for पाहाउओ, P adds ताव य before पदिय, Pय for च. 20/i om. पाहाइयमंगलं, P पाहायअमंगलं उयीयं, J om. मंगलगेयं समागया eto. to देसंतरम्मि 1. 26 below. 21) P अधयं च, P उयीयं for उग्गीयं. 22) P तदहिसुवनणंदा', P भालवतु. 25) P अंगमंगमंगफरिस, P पसारियाओ. 26) Jएयं for एवं, P om. कयावस्सय etc. to सयणाओ। ताव, P हुइया वि राती for दुइया वि रत्ती, P तेणय. 27) Pराती, P तझ्याः , P om. य, P विसंभेणं, P सज्जाससरिस- 28) सुहप्पयाएण, Jom. पओएण, P कयं कपि जैतं. 29) Pजुवतीयण, पसूहिमि रमियं, P विसरिसंप रिहरियं दिछिभावेहि. 30) जुवईयण, Jom. दिण्णाई महादाणाई. 31) Pom. कायब्व, हिमहिगिरि. 32) J सेणीय«. 33) Fगयणगयं व, P धवलकलहोय, P दुत्तारदुरं. 34) छडिउच्छडंत, P छोडिओच्छलंतपालियं, P कमठपट्ठिसंठिउल्लसंतबिडसंपलवं कलिहिंचि. 350 करग्गमगंत, Pom, चक, Pणीणयं for मीणय,गह for गाह, गहित Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ उज्जोयणरिविरहया [१२७८हीरमाण-वणचरं, कहिंचि धवल-संखउल-लोलमाण-कमल-राय-यण-दित्ति-चित्तलं, कहिंचि भिण्ण-सिप्पि-संपुडल्लसंत-कस- 1 मुत्ताहलुजलं, कहिंचि जल-वडिय-जल-विद्दुम-दुमनाहण-राय-रंजिय, कहिंचि तणुय-तंतु-तुलिय-हीरमाण-वण-करिवरं, कहिंचि मरगय-मणि-सिलायल-णिसण्ण-भिण्ण-वण्ण-दीसंत-मच्छ-जुवलयं, कहिंचि जल-करि-दंत-जुधल-भिजमाण-जल-माणुसं, ३ कहिंचि उब्वत्तमाण-महाभुयंग-भीम-भोग-भंग-भासुरं, कहिंचि जल-मणुय-जुयाण-जुवलय-पयत्त-सुरय-केली-हेला-जल-बीइसंकुलं, कहिंचि मजणावइण्ण-दिसा-गईदावगाहमाण-गंडयल-गलिय-मय-जल-संदोह-बिंदु-णीसंद-पयड-पसरंत-वेलावली-वलंB तुलसंत-चंदय-चित्तल जलं ति । अवि य। २७१) पवण-पसर-चेअ-संखुद-बीई-तरंगग्गहिजंत-तंतूहि संदाणियासेस-मच्छच्छडा-घाय-बेउल्लसंतेण णीरेण संखावली-खोह-दीणाणुणायाणुसारागयाणप्पसप्पेहि पम्मोक-दाढा-विसुब्वेल-दिप्पंत-जालाउल । जल-करिवर-रोस-णिभिण्णदेतग्ग-वेवंत-कुम्नेहि णक्खकुसा-बाय-विसंत-मम्माहउक्कत्तियासेस-कुंभस्थलुच्छल्ल-मुत्ताहलुग्घाय-मजत-कंतप्पहा-भिण्ण- . दीसंत-वण्णण्ण-माणिक-संचाय-रस्सीहिं तं संकुलं । वर-मयर-करग्ग-संलग्ग-णक्खावली-घाय-उच्छलुच्छल-कीलाल-सेवाल- . संलग्ग-मुत्तावली-लोह-णिद्धाइयाणेय-णीरंगणा-जुद्ध-संस्खुद्ध-पायाल-भजंत-माणिक्क-भक्खुल्ल-संतुट्ठ-मुद्धागउलरियाणेय-दीसंत12 सप्पल्लवं । पसरिय-जल-पूरमाणुलसंतग्गि-पूरंत-पायाल-संमेलियासेस-खुब्भंत-जंतू-जवावत्त-संवत्तणी-संभमुकंत-णायाणुसकुछ- 12 संतुटु-णचंत-देवंगणामुक्त हुंकार-वाउन्जलुब्वत्त-दिप्पंत-सब्वाडवं ति ॥ अवि य । ___णचंत-तरंग-सुभंगुरयं वियरंत-समीण-महामयरं । दिप्पंत-समुजल-मणि-रयणं दिटं च समं रयणायरयं । 18 तं च दट्ठण वेला-महिलालिंगियं महाजलहिं भणियं कुवलयमालाए । 'अजउत्त, पेच्छ पेच्छ, 16 गंभीर-धीर-गरुओ होइ महत्थो वि अमय-णीसंदो । सामण्ण-दिण्ण-विहवो तुह चरियं सिक्खइ समुद्दो ।' कुमारेण भणियं । 'पिए तुम पि पेच्छ, 18 फुड-मुत्ताहल-दसणा फुरंत-णव-विहुमाहरा सामा । वेविर-तरंग-मज्झा तुझ णु सरिसा उयहि-वेला ।' ६२८०) तओ कुवलयमालाए भणियं । 'अज उत्त, अलं इमिणा बुहयग-परिणिदिएण इयर-बहुमएण अत्तणो पसंसा-वयण-वित्थरेण, ता अण्णेण केण वि वियदृ-बुद्धि-परिकप्पिएण विणोएण अच्छामो'त्ति । कुमारेण भणियं 'पिए, सुंदर 21 संलतं, तत्थ वियव-परिकप्पियाई इमाइं विणोय-कारणाई । तं जहा । पहेलिया बूढाओ अंतिमक्खराओ बिंदुमईओ भट्ठा- विडयं पण्हुत्तराई पढाई अक्खर-चुययाई मत्ता-चुययाई बिंदु-चुत्ताइंगूढ-चउत्थ-पाययाई भाणियब्वियाओ हिययं पोम्हं संचि. हाणयं गाहद्धं गाहा-रक्खसय पढमक्खर-विरय ति । अण्णाणि य महाकवियर-कप्पियाई कवि-दुक्कराई पोयाई' ति।कुवलयमालाए मणियं 'अज्जउत्त, जाई तए भणियाई इमाई लक्खणं किं किं पि वा सरूवं' ति । कुमारेण भणियं । 'मुद्दे, सुणेसु पहेलिया अंतिमक्खर-बूढामो गोवाल-बालेसु वि पसिद्धाओ णज्जति । सेसाणं पुण णिसुणेसु लक्षणं । अवि य । जत्थक्खराइँ कीरति बिंदुणो माइमंतिम मोत्तुं । अत्यो उण साहिज्जइ सा बिंदुमइ त्ति णायव्वा ॥ तं जहा । तं कि ... ... कि. 6ि कि . कि .। ०० की.. .. . ना कि नी . .. कि॥ 27 1) 1 हीरममाण, P जलकरिवरं for वणचरे, P लोलमाणकोमयराय, 1 सप्पुडुल', सैपबुलसत, कंतर forत. 2) वट्टिअ, Jom. जल, P रहियं for रंजियं, I लिहिअ for तुलिय, बर for वण. 3) Pणियन्त्रभिन्न, Jom. भिण्ण, जुअलयं, करिदंतजुअल. 4) भोअ for भोग, P जलदुमाणुसजुयल, जलवीई P जलवीयि. 5) मज्जणवइण्ण, P दिसामयंदावगाहण, J गिलिय for गलिय, J पयपसंतकदावलाविता for पयडपसरंतवेलावली. 7) J पसरंत for पसर, P वीचीतरंग, J 'गहिज्जत P 'ग्गमिजत. 8) P -दीयाशुणाया', 'णायागुसारागयाण', I 'प्पेहि पमुक्कपमोकदाढा , पमोकदाढा, विसुवेल्ल P विसवेल, रोसविणि भिण्ण. 9) णवत्तसंधाविइज्जत, विज्झं तं च माहयुक त्ति असेस, मुत्ताफलु', मुत्ताहलुपाय, P कंदपहा. 10) संघायरासीहिं, Pणकावली, Pघायतेलुच्छलुल्ल. 11) Pसंसग्ग, लोभ,. 'इयाणेयाणीरंगणाकूहसंखुद्ध, P पायालभिज्जतमाणि करकलसंतुट्ठ, संखुद्ध for संतुट्ठ, गल्लरियाणेय. 12) सपल्लवं P सपल्लव, सम्मेलिया, संतमुकंतणायाणुसदूल्लसंतुद्ध. 13) संतुद्धवच्चत, P हुंकारवाकुऊलुवत्तः, वाउजलब्बत: P सञ्चाडवेत्ति. 14) णच्चततरंतभंगुरयं,J समंगुरयं, Pom. महा. 15) Padds च after भणियं. 16) Prepeats धीर, P तरुओ for गरुओ. 17) Pom. पिए, Jom. पि and repeats पेच्छ. 18) दंसगा, मण (partly written between lines). for णव,P कुज्झण for तुज्श गु. 19) P इयरमहुएण. 20) Jom. ता, P बुद्धिपक्खिकप्पिएण, I repeats विणोएण 21)P वियट्टपरियप्पियाई, Jadds करि (or परि) before कप्पि, बुद्धाओ for बूढाओ, अट्ठाविअडं अट्ठाविडयं. 22)" पढेंट्ठाइP पधाई, अक्खर च्भआई मत्ताचूअआई गूढ, P अक्खरचुतयाई मत्ताचुत्ताई बिंदुवुत्ताई, Jom. बिंदुनुत्ताई, गूढचतुपादाई, J भाणिएविआओ P भागेय द्धियाओ द्धिययं पोम्हं. 23) पढमक्खरं, p om. अण्णाणि य eto. सरूवं ति. 24) मुझे निरणेसु. 25) संतिमक्ख बूढाओ, P चूलाओ for बूढाओ. 26) J करेंति for कीरं ति, I आश्अंतिपमोत्तूणं 1. 27) The Mss. J & p bave irregularly presented the symbols of bindus and vowels, so they are not reproduced here. It may be noted that s does not give the Sirorekhä or serifs but p gives it. In the text the e are duly represented in the light of the verse for which they stand, Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७५ -६२८०] कुवलयमाला 1 मइ उण लद्धा तई सा एसा पढिजह । तमि महं बहु-जण-वल्लहमि तं किं पि कुणसु सहि जेण । असईयण-कण्ण-परंपराएँ कित्ती समुच्छलइ ॥ ३ बत्तीसं-घरएसु वत्थ-समत्थेसु छुब्भइ सिलोओ। अहवा खप्परियासु सो भण्णइ अट्ठविडओ ति ॥ तं जहा । लेखितव्यमित्यनन्तरमेव । ल्या णा 18 जह पुण बुद्धीए जाणियं तहमा पाढो पढिजए। सर्व-मंगल-मांगल्यं सर्व-कल्याण-कारणं । प्रधानं सर्व-धर्माणां जैन जयति शासनं ॥ .. चत्तारि दोणि तिण्णि व चउयाओ जत्थ पुच्छिया पहा । एक्केण उत्तरेण भणति पण्डुत्तरं तमिह ॥ 18 किं जीवियं जियाणं को सद्दो वारणे वियड्डाणं । किं वा जलम्मि भमराण ताण मंदिरं भणसु भातततं ॥ 12 जह जाणइ तो 'कमलं'। इमं पुण पण्हुत्तरं दइए, होइ बहु-वियप्पं । एक समत्थय, अवरं वस्थय, पण समस्थ वत्ययं, एक्कालावयं । पुणो लिंग-भिण्णं, विभत्ति-भिण्णं, काल-भिषण, कारय-भिण्ण, वयण-भिण्णं ति । पुणो सकयं, पाययं, 16 भवन्भंसो, पेसाइयं, मागहिय, रक्खसयं, मीसं च । पुणो आइउत्तरं बाहिरुत्तरं च ति । को णिरवसेसं भणिंउ सरह । गूदुत्तरं ।। साहेमो। ... पण्हं काऊण तो गूढं जा उत्तरं पि तत्थेय । पर-मइ-वेचण-पडयं तं चिय गूढत्तरं भणियं ॥ तं जहा । 18 कमलाण कत्थ जम्मं काणि व वियसंति पोंडरीयाई । के काम-सराणि चंद-किरण-जोण्हा-समूहेण ॥ जया पुण जाणियं तया कमलाणं कत्थ जम्म । के, जले । वियसंति पोंडरीयाई । काई, सराणि । तस्थ समस्थ-समत्व-उत्तरं ।। के सराणि । ॥ जे पुढे तं दिज्जइ अंधो विय णेय जाणए तह वि । तं पयड-गूढ-रइयं पट्ट8 भण्णए अण्णं ॥ तं जहा। केण कर्य सम्वमिणं केण व देहो अहिटिभो वहइ । केण य जियंति जीया साहसु रे साहियं तुज्झ । जइ जाणसि, केण कयं सम्वमिणं । पयावइणा । कः प्रजापतिरुद्दिष्टः । क इत्यात्मा निगद्यते। सलिलं कमिति प्रोकम् । 24 अत्तो तेण कयं सव्वं । ति । 24 1) P adds & before जद, पुण for उग, पढिज्जए. 2) Pकुण साहि जेण, P असतीयणकन्नैपरंपराणं कित्ती, समु. च्छलई. 3) P बत्तीसु, P वत्थमवस्थेसु, छुम्भए, J खप्परिआसु खप्पडिआसुं. 4)P तं जहा । लेखितव्यनिस्सनन्तरमेव । 'मित्यानंतरमेव. 5) It is uncertain from the Mss. that at what place the diagram is to be put. In the diagram and also in the subsequent verse & is often written as in both the MBS. Some syllables are wrongly written in the diagram. 9) Fadds तं जहा before जइ पुण, दाऊण for पुण, rom. पढिजए. 10) Pसब्ब for सर्व in both places, J सासनं P शासनं. 11) has योजनीयः before चत्तारि; possibly the diagram acoording toJ would oome after योजनीयः, Jom.व, वुज्झिआ for पुच्छिया, तंति for तमिह, Jadds तं जहा atter तमिह. 12) किं जीवं णं जीवाणं, वारण, : किं च जलंमि भमंताण मताण मंदिरं होइ भमराणं for the second line. 13som. जइ जाणइ तओ कमलं, P om. दइए, P बहुविहं अध, I om. अवरं वस्थयं. 14) Pom. एकालावयं, विहत्तिभिन्नं, Prepeats कालभिन्नं, P कारयतिनं, P adds सबभिन्नं before ति, सकयं पुणो पायं. 15) अवभंसो P अवम्भसं, P आति उत्तरं, चेति for चत्ति, P णिरविसेस, P तरई। गूढत्तरं साहामो. 17) Pगूढत्तरं, Jom. तं जहा. 18) Jउ for , P पोररीयाणि, P कामरसाणिचं तं किर जोन्हासमूहेण ॥. 19) तदा for तया, P काइ, I om. तत्थ etc. to केसराणि. 21) ज पटुं दंसिजइ, पटुंनं पट्टद्धं. 22) देहो अभट्टिओ, P जीयति जिया साहसु मे याहितं तुज्झ. 23) Padds तमो before केण, P'पतिरुपदिष्टः । कात्यात्मा, प्रोक्तं । अतो, केण tor कयं, कः प्रजापतिः eto., obviously three padas of a floka, Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसरिविरइया [६२८० जत्थ सिलेसो विहडइ चालिजतेण अक्खरेणेय । घडि पुण घडिय चिय तं भण्णइ अक्खरख्ययं ॥ तं जहा । पञ्चग्ग-धूय-गंधा सेविजंती सुरेहि जूडेहिं । गिम्हे वि होइ सिसिरा सा वउलावली रम्मा ॥ जह जाणसि, ता सा देवकुलावली रम्मा। जस्थ य लुप्पह किरिया मत्ता-भावेण होइ तब्भावो । तं चिय मत्ता-चुययं बिंदुच्चययं पि एमेव ॥ पयइ-धवलाई पहिमओ पवास-पञ्चागओ पिययमाण । तरलच्छाइँ सयण्हो सरए वयणा व जलाई ॥ 6 जइ पुण जाणसि, पियइ वयणाई व जलाई ति । बिंदु-चुययं जहा। असुईण जं असुइ दुग्गंधाणं च होइ दुग्गंधं । बुहयण-सहस्स-परिणिंदियं च को जगलं खाइ । लइयम्मि जगलं ति। • गूढ-चउत्थय-पायं णामेणं चेय लक्खणं सिटुं। आइम-पएसु तीसु गोविज्जइ जत्थ तुरिय-पयं ॥ गूढ चउत्थ-पायं जहा। सुण्णो भमामि एसो आसणं मच्च-लिंग-पत्तो हु । कण्णं दे सुण वयणं 12 किंतु गूढो चउत्थो पाओ । जइ पुण णजद एत्थेय चिट्टइ । 'सुभए थालिंगणं देसु' । सेसाणं पुण लक्खणं णामेण चेय । णायन्वं । भणिएविया जहा । जइ धम्मिएण भणियं दारे ठाऊण देसु मिक्खं ति । ता कीस हलिय-धूया तुरियं रच्छाए णिक्खंता ॥ 15 मिक्खा-विणिग्गए धम्मिए मढे संकेओ त्ति । हियय-गाहा जहा । गोसे चिय हलिय-बहू पढम चिय णिग्गया घरदारं । दटुं कलंब-कुसुमं दुहिया रोत्तं समाढत्ता॥ संकेय-भंगो दइएण साहिण्णाणं कलंबं ठवियं ति हिययं । पोम्दं जहा। 18 ण कयाइ तेण रमिया सयणे सुयणे वि णो अहं वसिया । णाम पि णेय गहियं कीस पउत्थं तयं भरिमो॥ म्हं पुण। सो चेय मए रमिओ वसिया वच्छत्थलम्मि मह तस्स । दइयं ति जो भणतो सो चेय महं भरउ णाहो ॥ ति । गाहद्धं ति । जहा। अवहस्थिऊण लज गेण्हसु कंठम्मि किं व ण सुयं ते । अब्भत्थिओ ण लब्भइ चंदो ब्व पिओ कला-णिलओ। एत्थं पुण अण्णं गाहद्धं । ५ दिवो णयणाणंदो णिव्युइ-जणणो करेहिं वि छिवंतो। अब्भत्थिओ ण लडभइ चंदो ब्व पिओ कला-णिलमो ॥ ति। 4 संविहाणयं जहा। भइ भणसु तं अलज परलोय-विरूद्धयं इमं काउं । घोरे तमम्मि णरए गंतव्वं संबलि-वणम्मि ।। 7 एत्थं संविहाणयं । केण वि दूई पेसिया पत्थेउं । णाइया कुविया पडिवयणं देइ । किर परदार-गमणेण णरए कूड-सिंबली-वणे श छुटभइ त्ति । इओ ताए पुण तस्स संकेयं दिणं । परलोभो एस दुई । इमिणा कजेण गंतव्वं तए एत्थ संबली-वणे । काए पुण वेलाए । घोरे तमम्मि । अरे पुरिस ए तए त्ति, अहं तत्थ वच्चीहामि त्ति । एत्तिओ संविहाणो त्ति । गाहा-क्खसं जहा। 30 एत्तियमेत्तं चिय से भणमाणो मुच्छिओ पहिलो॥ इमं च पच्छिमद्धं । जा काइ भुयणे गाहा, तीय रक्खसो इव सम्वत्थेसु लग्गइ त्ति । पढमक्खर-रइयं जहा। दाण-दया-दक्खिण्णा सोम्मा पयईए सव्व-सत्ताणं । इंसि ब्व सुद्ध-पक्खा तेण तुम दंसणिज्जासि ॥ 1) J सिलोसो, J चालिज्जंतोण, P विडजतेणं अक्सरेणय, P अक्खर जुययं. 2) I पच्छक्खचूअ, P गंधो सेविजंता, Pom. जूडेहिं which is added on the margin in I, P गिम्हेहिं होति. 3) P देववलावली. 4) लुप्पति, होति, I तम्भावे, चिव, P बिंदुचुतयं पि येमेय ॥. 5)P पियइमाण, P सयण्हा, J मऊलई for व जलाई. 6) जे for जइ, P जाणासि, P वयणाइ जाणाई ति बिंदुचुतयं जहा. 8) P जंगलं for जगलं, ' om. लइयम्मि जंगलं ति. 9) चउत्थपादेणं चेअ. 11) P adds आ after एसो. 12) कित्ता (?) for किंतु, " चतुत्थपादो।, P एत्थयं, P सुहए, P सेसाण उण. 13) भणिएचिया, P भणिएव्वे जहा, - om. जहा. 14)P धम्मिऊण, ठाऊ देसु, P तुरिया 15).विगिम्गएण. 16)" घरदारं, दट्ठण P दटुं, रोत्तु. 17) Pinter. दइएण and साहिण्णा (ना) ण, P हितयं, पम्हं for पोम्हं. 18) P गहितं कीसं, P भणिमो. 19) पुम्हं for पोम्हं, P पोम्हमुण. 20) चेव, P दइतं, " भण तो सो थेय, Pom. ति. 22) P कंटमि कि च ण सुअते, " च कउकलाणिउणो. 24) "णिवत्ति व जणणो, P मि for वि, P व्व कलापिउउणो ।. 25) सविहाणयं. 26) J अह for अइ, P अलज्ज, - om. इम- 27) सविहाणयं, Jom. पत्थेउं । णाइया, P पडिक्यण न देइ, " पर दाराः, ' कूडसबलावणे छुभइ. 28) Jom. त्ति, Pom. इओ, Iom. ताए, P सकिय दियं दिन्नं ।, Pom. परलोओ एस eto. to संवाहाणो संवाहाणो (1, for सविताणो). 30) Pएत्तियमेत्ते, P पुच्छिओ for मुच्छिओ. 31om. च, पच्छवं, J repeats जा, JPrepeat तीय, रइतं. 32) सोमा पयतीय सब्बभत्ताणं । Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७७ ६२८२] कुवलयमाला । तत्थ य पाय-पढमक्खराइं 'दासो' ति कामयतेण लिहिऊण पेसिया गाहा । एवं इमाई एवं अण्णाइ मि होंति बहु-वियप्पाई। छप्पण्णय-बुद्धि-वियपियाइँ मइ-वित्थर-कयाई ॥ ३ ता साहसु पिए, इमाण मज्झे केण विणोएण चिट्ठामो त्ति । कुवलयमालाए भणियं । 'अजउत्त, सव्वाई चेय इमाई सुंदराई, ३ ता चिटुंतु ताव इमाई । अण्णं किंचि देवं विष्णवेमि, जइ देवो पसायं करेइ' । कुमारेण भणियं 'पुच्छ बीसत्थं, णस्थि ते अणाइक्खणीय' । कुवलयमालाए भणियं 'अजउत्त, एत्तियं साहसु । कहं तए जाणिओ एस पायय-वुत्तो, कहं इम देसंतरं 6 पत्तो, कहं वा पायओ पूरिओ'त्ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, णिसामेसु । ६२८१) अस्थि अउज्झाए दढवम्मो णाम राया। सामा देवी। तीय पुत्तो अहं । दिव्च-तुरयावहरिओ वणं पत्तो तस्थ य दिट्ठो महारिसी, सीहो, दिव्व-पुरिसोय । तेण रिसिणा साहियं पुब्ब-जम्मं पंचण्ह वि जणाणं । तं जहा। चंडसोमो कोव जणिय-वेरग्गो उवसंतो धम्मणंदणस्स पायमूले कोसंबीए पुरवरीए । माणभडो वि । एवं चिय मायाइचो, लोहदेवो, मोहदत्तो . तमो एवं च तवं काऊण कय-जिणवर-धम्म-संकेया कालं काऊण पउमे विमाणे समुप्पण्णा । तत्थ वि धम्म-तित्थयर-पंबोहिया कय-सम्मत्ता पुणो समागया जंबुद्दीवं । तत्थ य जो सो लोहदेवो सो इह चंपा-पुरवरीए वणिउत्तो जाओ। तम्मि जाण12 वत्ते विणिग्गओ पउमकेसरेण देवेण संबोहिओ, पव्वइओ, ओहि-णाणी जाओ । तेण वि णिरूवियं जाव चंडसोमो सीहो 12 जाओ, माणभडो अउज्झाए अहं जाभो । तमो अवहरिओ पउमकेसरेण मोहदत्तेण, रिसिणो य पासं संपाविओ। तेण य भगषया साहिओ एस सव्वो वुत्तंतो। गहियं च मए सम्मत्तं, जहा-सत्तीए किंचि देस-विरइय-वयं च । तत्थ य सीहेण 16 कयं अणसणं । पुच्छिओ य मए भगवं 'सो उण मायाइञ्च-देवो कत्थ ववण्णो संपयं' । साहियं च भगवया। 'दाहिण-समुद्द-16 वेला-वण-लग्गा विजया णाम पुरवरी । तत्थ य विजय-राइणो धूया कुवलयमाल' त्ति । भए भणियं 'भगवं, तीय को होही उवाओ सम्मत्त-लंभे ति । भगवया भणियं 'तुमं चेव पडिबोहेसि । मए भणियं 'भगवं, किं मम सा वयर्ण 18 करेइ' । भगवया भणियं 'तए सा परिणेयव्वा' । मए भणियं 'केण उवाएण' । भगवया साहियं 'तीय पुरिस-देसिणीए 18 अण्णो मुणिवरो सयलं पुव्व-भव-वुत्ततं साहेइ सुय-णाण-पभावेणं । ता ताणं पंचण्हं जणाणं एका एसा । अण्णे चत्तारि भण्णस्थ उववण्णा । ताणं च मज्झे एकेण परिणेयव्वा, ण अण्णेण । तओ सा तप्पभिई पाययं लंबेहिइ पुग्व-भव-वुत्तंतसूययं । तं च तुमं एक्को जाणिहि सि, ण उण अण्णो, तेण तुमं तं परिणेहिसि । पुणो संजाय-पीह-वीसंभ-परूढ-पणयाए । संभरिऊण पुब्व-जम्म-वुत्तंतं, काऊण धम्म-कह, जणिऊण चेरग्गं, जिंदिऊण संसार-वासं, पसंसिऊण सम्मत्तं सव्वहा तम्मि काले पोय-पुव्वयं तहा करणीयं जहा णाइवत्तइ सम्मत्तं' ति । तओ मए पुच्छियं 'भगवं, एस पुण पउमफेसरो देवो कत्थ उववजिहिइ' ति । भगवया भणियं 'एस तीए चेव कुवलयमालाए पुत्तो पुहइसारो णाम होहिइ ति 24 तओ तुम्हेहि पडिबोहेयब्बो' ति । तं च सोऊण पिए, इमं देसंतरं संपत्तो किर तुम पडिबोहेमि त्ति । एवं च भिण्णो पायो । परिणीया एत्थ तुम ति । ता पिए, संपयं इमं जाणिऊण पडिवजसु सम्मत्तं । २८२) तं च केरिसं । अवि य। दुत्तार-दूर-तीरे फुडिए जाणम्मि वुज्झमाणस्स । पुरिसस्स उयहि-मझे जह फलहासायणं सरणं ॥ तह संसार-महोयहि-दुत्तारुत्तार-विसम-दुह-सलिले । जीवस्स होइ सरणं सम्मत्तं फलहयं चेव। 30 बहु-जोयण-विस्थिपणे अडई-मज्झम्मि भीरु-पुरिसस्स । भीयस्स अयंडे चिय सत्थो पुरओ जहा होइ ॥ संसाराडइ-मज्झे बहु-दुक्ख-सहस्स-सावयाइण्णे । जीवस्स णत्थि सरणं मोनुं सत्थं व सम्मत्तं ॥ . जब कंटय-रुक्ख-समाउलम्मि गहणम्मि णटु-मग्गस्स । अवियाणिय-देस-दिसी-विभाग-मूढस्स वर-मग्गो॥ 33 तह जीवस्स वि सुइरं कुसत्थ-मग्गेसु मूढ-हिययस्स । सिद्धि-महापुरि-गमियं मग पिव होइ सम्मत्तं ॥ . 1)P for ति, J कामयतो P भावयंतेण. 2) Jadds विह after बहु, मतिवित्थर, कराई॥. 3) साहसु प्पिए Padds ति before भणियं. 4)Pता for ताव.5)P अणाविक्खणीयं, Padds वा before इमं 7)Jadds अण्ण after अस्थि, P दधम्मो महाराया, "तुरियावहरओ वणसंपत्तो. 8) Pतत्थारेट्ठो, रिसिणासीहियं, P को for कोव. 9) वेरियो. कोसंबीपर'. 10) Pom. च, Pom. काऊण after कालं. J om. वि. P तित्थरय बोहिया कयसमत्ताण. 11)P जंबुयदीवं,J om. य, लोहदेसो सो श्य, P वणियउला जाओ, P तम्मि य जाणवत्त वि. 12)P सवोहिओ, P सोहो for सीहो. 13) Pom. जाओ after अहं, P रिसिणो य, P संपाइओ, Pom. तेण य भगवया साहिओ. 14) अबो for सम्बो, Pom. च, किंच न किंपि, J देसविरईवयं. 15) Jadds य before कयं, J सोऊण for सो उण, Pउबवण्णो for ववण्णो, I om. संपयं, भणिय for साहियं. 16) पुरी for पुरवरी, भय, P adds य before को. 17) Jहोहि P होति, Pउवाय,J "लम्भो, P तुमं वियपा बोहेसु, J कयणं for सा वयणं. 18) Padds भगवं before केण, हेसिणीय. 19) साहेहिति । साहेति, पभावेणं, Jom. ता. 20)Padds एके before एकेण, P अन्नोण, तप्पभूई, Jलंबेहिति P बेहिति, P बुत्ततं. 21)P जाणहसि, P om. तं, JP पीति-22)Jom. पुन्वजम्मवुत्तंतं काऊण,J धम्मस्स कह, Pवेरयं for वेरगं. 23J णाइवंतइ सा सम्मत्त, Pणातिवत्तं , J भयवं P भगव, P एस for पुण. 24)JPउववजिहिति, Jom. त्ति, चेय कवलय', repeats पुत्तो. 25) तत्थ for तओ, J तुम्मेहि P तुम्हेवि, चेय for च, पत्तो for संपत्तो, P पडिबोहेयवति ।. 26) Jom. एत्थ, पिs for पिए, J पडिवज्ज सम्मत्तं. 27) P& for तं, Padds से after च, Pom. अवि य. 280P मज्जमाणस्स।, Pउहिमज्झे, P फलयायणं. 29)P महोमहिदुत्तारो विसमदुहसयासलिले।, सुह for दुह, P चेय. 30P भडमझं मि, सत्थं for सत्थो. 32)P अधियाणयदेसदिसाविहायः, P-मग्गे. 33) कुमग्गलग्गे for कुसस्थमग्गे. 28 Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 6 9 12 15 18 21 27 १७८ उज्जोयणसूरिविरद्दया जद होइ मरुत्थली सुँ तरहा-वस-सूसमाण कंठस्स । पहियस्स सीयल-जलं होइ सरं पंथ-देसम्म ॥ तह संसार - मरुत्थलि - मज्झे तण्हाभिभूय जीवस्स । संतोस-सीयल-जलं सम्मत्तं होइ सर-सरिसं ॥ जह दुकाले काले असण-विहीणस्स कस्सइ णरस्स छायस्स होइ सहसा परमण्णं किं पि पुण्णेहिं ॥ तह दूसमाए काले सुहेण हीणस्स एस जीवस्स । दुहियस्स होइ सहसा जिण-वयणं अमय-णीसंदं ॥ जह णाम कोइ पुरिसो सिसिरे पवणेण सीय-वियणतो । संको इयंगमंगो जलमाणं पेच्छए जलणं ॥ 1 २८३ ) इमं च परि जाणिदइए, किं काय फलयं व गेण्ड्सु इमं लग्गसु अवलंबणे व्व णिवडती। चिंतामणि व गेण्ड अहवा उवसप्प कप्परक्तं वा 24 तमो पिए, केरिसं च निण-वर्ण सम्य-धम्माणं मण्णसु जह लोहान सुवर्ण नाणघण घणाण रयणाई 30 33 चेय । तद व एसजीयो कम्म- महासिखिर- पचण-विषणत्तो दुख-विमोक्खं सहसा पावद्द जरुणं व जिण-वर्ण ॥ जह एत्थ कोइ पुरिसो दूराह- दारिद्द-सोय-भर- दुहिओ । हेलाए चिय पावद्द पुरओ चिंतामणि रयणं ॥ तह णारयादि-दारिद्द - दूसिओ दुक्खियो इमो जीवो। चिंतामणि व पावद्द जिण-वयण कोइ तत्थेय ॥ यह कोई हीरमाणो तरह-तरंगेण गिरि-इ- कह कह वि जीय-सेसो पावद्द तद-विद्रव-पालवं ॥ वह राग-दोस-गिरि-पवाह-दीरंत दुक्खो जीवो पावद कोइ सउण्णो जिण व तरुवरालं ॥ जह कोंत-सति-सम्वतसर-वर- खाप्यहार-विसमम्मि पुरिसस्स होइ सबरे निवारण ताण संणाहो ॥ जिण-वर्ण संणादो निवारण सम्ब- दुक्खाणं ॥ अंधो अच्छा णरो समुग्ामो जाब जो सूरो ॥ करतो दंसण-सोक्खं मोनुं सूरं व जिण-वर्ण ॥ ' 1 तह दुक्ख-साथ-रे संसार- रणगणम्मि जीवरस जड़ दूसह -तम-भरिए बालोम्मि कोइ भुवणम्मि अण्णाण महातम संकुलम अंचरस तह य जीवस्स जद्द स्थल-जलि-हुव-जाला मालाउलम्मि गुवि विषण्णं होइ सरे सहसा पुरिसरस भीररस ॥ तह चैव महामोहाणलेण संतावियस्स जीवस्स । सब्वंगणेव्वुइ-करं जिण-वयणं अमय-सर-सरिसं ॥ जह दूर-क-हिणे कह वि पमाण निवडमाणस्स जीवस्स छोइ सरणं तड-तस्वर-मूळ-पाव ॥ नवलंबो होइ जियस्स वर मूलं व सम्मतं ॥ सरण-रहियस्स सरने किंचि व णो दीन-विमणस्स ॥ जीवरस गत्थि सरणं मोतुं जिग-सासणं एवं ॥ । नविव । सलिलं व पियसु एवं ओयर पंथम्म व पणट्ठा ॥ णिय-जीविर्य व मण्णसु अह जीवासो मरुययरं ॥ अविव । रयमाण काम-रपणे सहेच धम्माण जिणधम्मो ॥ जह गंदणं वणाणं दुमाण सिरिचंदणं मुणीण जिणो । पुरिसाण चक्कवट्टी तहेय धम्माण जिणधम्मो ॥ नागाणं णाईदो चंदो णक्खत तारयाणं च । असुराणं असुरिंदो तब धम्माण जिणधम्मो ॥ देवानं देबिंदो जहव गरिंदाण गरवरो सारो जह मपवई मयागं सारो धम्माण जिणधम्मो ॥ पावणो गया सारो सीरोयही समुदाणं होइ गिरीण व मेरू सारो घम्माण जिधम्मो ॥ जवण्णा सेनो सुरही गंधाण होइ वरवरभो फरियानं मिड-फरिसो धम्माण वि एस जिणधम्मो ॥ अण्णं च दइए, एस स जिणवर-धम्मो केरिसो । भवि य । I 1 1 वह दूर-श्व- पडणे पमाव दोसेहिं विदमाणस्स इव जद सयले भुवणे सम्ब भए पि होइ पुरिसस्स तह र तिरिय-र-देव- जम्म-सय-संकुलम्म संसारे जद होइ जल जलणस्स पेरियं हथिणो य जह सीहो तह पायस्स वि एसो जिणधम्मो होइ पडिवो ॥ जद्द जलगो कट्टा मयते मच्छाण होइ णिण्णासो जह मववई पसूर्ण एवं पावाण जिणधम्मो ॥ [ २८२ 2 12 15 18 21 24 27 80 for कम्म. 1) सूसमाणस्स, a writes कंठस्स on the margin and ठ is just a fat zero. 2 ) P मरुत्थली, P संतोसवसीय लयजलं. 3) P वि for करसइ. 4 ) P सुहण, P सहस्स for सहसा 5 ) P को वि पुरिसो, P संक्रोतियंगमंगो. 6) P जंम 7 ) P inter. कोइ & एत्थ हेलाय, P चिंतामणी. 8 ) P णरयाइदारिद्दभूमिओ दुक्खिओ जिओ दीणो ।, P कोति तत्थिय ॥. 9 ) J सरळ for तरल, P जह for कह, विअड-पालंब, P पालब्वं ॥ 10 ) P तह को हरायदोस, P -गतिः, P हीरं 'दुत्थिओ, P सउणो, P तरुयरालंब. 11) P नह for जह, कोंति P खग्गहारविसमंति, P समरे for सवरे 14 इंसेण सोक्खं, P व्व for व. 15) P विउलंमि for गुविलम्मि, विच्छिण्णं, P सहसा ण भीयस्स. 16 ) P चेय, P -णेम्बुइयरं, J रस for सर. 17) P दूरकंटा4, P जह for तड, P सालंब for पालंबो, P has an additional verse here, and it runs thus : तह दूरणरयवडणे पसमाय दोसेहिं णिवडमाणस्स । जीवस्स होइ (?) सरणं जह तरुवरमूलसालंब ॥. 18 ) P चढणे, देसेहिं. 19 ) Pइ for इय, Pणे for णो. 22 ) 3 adds मूलं व before गेण्हसु, J व्व for व, P पिबसु, JP उयर for ओयर, J यणट्ठा for पणट्ठा. 23) P चिंतामणि ब्व, उअसप्प, P कप्पं रुक्खं व, अहवा for अह, P जीवाउगुरुययरं. 25 ) P सुअ गाण, P तहहो for तहेय, P जिणवयणं ॥ 26 ) P जह चंद, P तद्देव, P जिणधमो ॥ 27 ) णायाणं, P गोविंदो for णाएंदो, P तहेव. 28 ) P गरिंदाणराणवरयरओ, P मयवती. 30 ) P जह विवाणं से तो सुरही, P वरवरओ, P मिऊ, 31) J om. स, 1 जिगधंमो, Pom. केरि सो. 32 ) 3 om. य, जहा, P leaves & gap of two letters and has एस for होइ. 33 ) P मयवती, धम्माण for पावाण. J 38 . Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२८४] कुवलयमाला १७९ 1 जह गरुलो सप्पाणं मज्जारो मूसयाण जह करी । वग्यो इव वसहाणं तह ओ पावाण जिणधम्मो॥ सूर-तमाण विरोहो छाया-धम्माण जह य लोगम्मि । एसो वि तह विरुद्धो कम्माण होइ जिणधम्मो॥ तावेण पारय-रसो ण वि णजइ के दिसं समल्लीणो। जिण-वयण-ताव-तत्तं पावं पि पणस्सए तह य ॥ जह णिय-वज-पहार-पडण-दलिओ गिरी वि भिजेज । तह जिणवरोवएसा पावं पि पणस्सए वस्सं ॥ जलण-पहओ वि रुक्खो पुणो वि सो होज किसलय-सणाहो । जिण-वयण-जलण-दड्वस्स कम्मुणो णस्थि संताणं ॥ 6 मुक्को वि पुणो बज्झइ णरवइ-चयहिँ कोइ णियलेहिं । जिण-वयणेण विमुक्को बंधाओं ण बज्झए जीवो ॥ पजलइ पुणो जलणो धूलि-कलिंबेहि पूरिओ संतो। जिण-वयण-जलण-सित्तो मोहग्गी सव्वहा णस्थि ॥ मण्णं च पिए, एरिसं इमं मण्णसु जिण-धम्मं । अवि य। जह करि-सिरम्मि मुत्ताहलाई फणिणो य मत्थए रयणं । तह एयम्मि असारे संसारे जाण जिणवयणं॥ जह पत्थराओं कणयं घेप्पइ सारो दहीओं णवणीयं । संसारम्मि असारे गेण्हसु तह चेय जिणधम्मं ॥ पंकाउ जहा पउमं पउमाउ महू महूउ रस-भेउ । णिउणं गेण्हइ भमरो गेण्हसु लोयाओं सम्मत्तं ॥ 12 गजकुराओ कणयं खार-समुद्दाओ रयण-संघाभो । जह होइ असाराउ वि सारो लोयाओ जिणधम्मो ॥ ६२८४) अण्णं च पिए, भवणम्मि जह पईवो सूरो भुवणे पयासओ भणिओ । मोहंधयार-तिमिरे जिणधम्म तह वियाणासु ॥ एरिसोय 16 अस्थाण होइ अत्थो कामो एयाण सव्व-कामाण । धम्माण होइ धम्मो मंगलाणं च मंगल्लं । पुण्णाण होइ पुण्ण जाण पवित्ताण तं पवित्तं ति । होइ सुहाण सुहं तं सुंदरयाणं पि सुंदरयं । अच्चम्भुयाण अञ्चन्भुयं ति अच्छेरयाण अच्छेरं । सेयाण परं सेयं फलं फलाणं च जाणेज्जा ॥ 18 तमो पिए, धम्मं तित्थयराण, जह भाउराण वेज्जो दुक्ख-विमोक्खं करेइ किरियाए । तह जाण जियाय जिणो दुक्खं अवणेइ किरियाए॥ जह चोराइ-भयाणं रक्खइ राया इमं जणं भीयं । तह जिणराया रक्खइ सम्ब-जणं कम्म-चोराण ॥ जह रुंभइ वञ्चंतो जणओ अयडेसु तरलयं बालं । जिण-जणओ वि तह च्चिय भव्वं रुंभे अकजेसु॥ जह बंधुयणो पुरिसं रक्खइ सत्तहि परिहविजतं । तह रक्खइ भगवं पि हु कम्म-महासत्तु-सेण्णस्स ॥ जह जणणी किर बालं थणयच्छीरेण णेइ परियट्ठि। तह भगवं वयण-रसायण सव्वं पि पोसेइ । - बालस्स जहा धाई णिउणं अंजेइ अच्छिवत्ताई । इय णाण-सलागाए भगवं भव्वाण अंजेइ ॥ दइए, तेण तं भगवंतं धम्म-देसयं कई मण्णह । अवि य । मण्णसु पियं व भायं व मायरं सामियं गुरुयण वा। णिय-जीवियं व मण्णह भहवा जीवाओ अहिययरं ॥ अधिय। 7 हिययस्स मज्ज्ञ दइओ जारिसओ जिणवरो तिहुवणम्मि । को अण्णो तारिसओ हूँ णायं जिणवरो चेय॥ सम्बहा। जइ म मण्णसि मुद्धे कज्जाकजाण जाणसि विसेसं । जइ इच्छसि अप्प-हियं सुंदरि पडिवज जिण-वयणं । जइ जाणसि संसारे दुक्खाइँ अणोर-पार-भीमाई । जइ णिब्वेओ तुम्हं सुंदरि ता गेण्ह सम्मत्तं ॥ जइ सुमरसि दुक्खाई मायाइञ्चत्तणम्मि पत्ताई। जइ सुमरसि णिवेभो सुंदरि ता गेण्ह सम्मतं ॥ जइ सुमरसि कोसंबि जइ जाणसि धम्मणंदणो भगवं । जइ सुमरसि पव्वजं सुंदरि पडिवज जिणधर्म ॥ जइ सुमरसि संकेओ भवरोप्पर-विरइभो तहिं तइया । सम्मत्तं दायव्वं ता सुंदरि गेण्ह तं एवं ॥ 3 जइ सुमरसि अप्पाणं पउम-विमाणम्मि देवि परिवारं । ता सम्व-सोक्ख-मूलं दइए पडिवज जिणधर्म । श 2) J कयोप्पम्माण for छायाधम्माण, लोअम्मि, P जहा for वि तह. 3) P तोवेण परियः, पावं मि विणासए. 4) दलिरो, P वि भज्जेज्ज, जिणवरोवएस पहवं पावं, ३ वस्स ॥. 5) P जलणेण कट्ठरुक्खो, P किलयसणाहो, P किं पुणो for कम्मुणो. 6) Pinter. पुणो & वि, P णरवयः, मुको for विमुक्को, P बंधए for बज्झए. 7) जणवयणजलयसितो. 8) PR for इमं. 9) P-सिरिमि, P repeats संसारे, Pom. जिण, धम्मो for वयणं. 10)P for तह. 11)महअ, परसहेऊ P रसमेओ. 12) P असारो तो वि. 14) P तह वियाणा . 15) P अत्थीण, P धम्मा for धम्माण. 16) सुहयं for सुहं तं. 19) P आउरा वेज्जो दुक्खं करेइ. 20) चोराति- P चोराउभय, P भव्वजणकम-- 21)जहरुमा, चिय भयवं रुम्हे अयजेसु. 22) " पुरिसो, P सत्तूण. 23) Pणेय परियट्टि ।, P रसायणेण भव्य पि पासेइ. 24) थाई, P-सिलागाए भगव. 25) Pom. धम्म, P om. कहं, P वण्णह for मण्णह. 27) Pहिअस्स, P जारिसो, तिभुवर्णमि, . है. चेव. 28) जइ इम, P om. one कज्जा, P विसिस, P धम्म for वयणं. 29) Jभीआई। 30 समर सि तं दुक्खं मायाइचवणं पिजं पत्तं ।, Pom. second line जइ सुमरसि etc. 31) J धम्मनिंदणो भयवं ।। 32 संदर गेण्हतं. Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० उज्जोयणसूरिविरइया [३२८४1 जइ तं जाणसि मुद्दे दिट्ठो चंपाए धम्म-तित्थयरो । णिसुओ धम्माधम्मो पडिवजसु ता जिणाणं ति ॥ सम्वहा । जइ जाणसि सुंदरमंगुलाण दिवाण दोण्ह वि विसेसं । ता सयल-लोय-कल्लाण-कारणं गेण्ह जिणवयणं । ति । ३ इमं च णिसामिऊण कुवलयमालाए संलत्तं । तं णाहो तं सरणं अज चिय पावियं मए जम्मं । अजं चेय कयत्था सम्मत्तं जेण मे लई ॥ ति भणिऊण णिवडिया कुमारस्स चलण-जुदले । कुमारेण भणियं । 6 उण्णमसु पाय-पडिया दइए मा जूर इयर-जीओ व्व । लद्धा तए जिणाणं आणा सोक्खाण संताणं ॥ ति भणमागेण उण्णामियं वयणयं । भणियं च कुवलयमालाए। 'जयइ जय-जीव-जम्मण-मरण-महादुक्ख-जलहि-कतारे । सिव-सुह-सासय-सुहओ जिणधम्मो पायडो लोए॥ जयइ जिणो जिय-मोहो जेण इमो देसिओ जए धम्मो । जं काऊण सउण्णा जम्मण-मरणाउ मुश्चति ॥ जयह य सो धम्म-धणो धम्म-रई धम्मणंदणो भगवं । संसार-दुक्ख-तवियस्स जेण धम्मो महं दिण्णो ॥ मूढो महिला-भावे दियलोग-चुओ परोप्पर-विउत्तो । अन्ह जिओ पडिबुद्धो जिणधम्मे तुम्ह वयणेहिं ॥' 12ति भणतीय पसंसिओ कुमारो त्ति ।। २८५)जाव य एस एत्तिओ उल्लावो ताव समागया पडिहारी । णिवेइयं च तीए 'देव, दुवारे लेह-वाहओ चिट्ठइ' । कुमारेण भणियं । 'लहुं पेसिहि'त्ति भणिए णीहरिया पडिहारी, पविट्ठा य मह तेणेय । पणमिओ लेह-वाहओ, 16 पुच्छिओ य कुमारेग 'कओ आगओ' । भणियं च तेण 'आओज्झा-पुरवरीए । 'अवि कुसलं तायस्स, दढ-सरीरा अंबा' | 16 तेण भणियं । 'सव्वं सव्वस्थ कुसलं' ति भणमाणेण पणामिओ लेहो, वंदिओ य उत्तिमंगेण, अवणीया मुद्दा, वाइड पयत्तो । अवि य। 18 'सत्थि । अउज्झापुरवरीओ महारायाहिराय-परमेसर-दढवम्मे विजयपुरीए दीहाउयं कुमार-कुवलयचंद महिंदं च ससिणेहं 18 अवगूहिऊण लिहइ । जहा । तुह विरह-जलिय-जालावली-कलाव-करालिय-सरीरस्स णत्थि मे सुह, तेण सिग्घ-सिग्घयरं अवस्सं आगंतव्वं' ति । "णिसुयं कुवलयमाले', भणियं च कुवलयचंदेण, 'एस एरिसो अम्ह गुरुसंतिओ आदेसो, ता 21 किं कीरउ' त्ति । कुवलयमालाए भणिय 'अजउत्त, जे तुह रोयइ तं पमाणं अम्हाणं' ति। तओ सद्दाविओ महिंदो, दंसिओ 21 लेहो। उवगया णरवइ-सयासं । साहिओ लेहत्थो । णरवइणा वि वाइओ लेहत्थो, साहियं जहा। लिहियं मम पि राइणा । अवस्सं कुमारा पेसणीय त्ति । ता वञ्च सिग्धं' ति भणमा गेण सद्दाविया णिओइया, भणिया य 'भो भो, सज्जीकरेह 24 पुब्व-देस-संपावयाई दढ-कढिणाई जाण-वाहणाई, सज्जीकरेह वर-करिवर-घडाओ, अणुयट्टह वर-तुरय-वंदुराओ, दंसह 24 रहवर-णियर-पत्थारीओ, सज्जेह पक्क-पाइक-संघे, गेण्हह महारयणाई, आणवेह ते महाणरिंदे जहा तुम्हेहिं पुन्व-देसं गंतव्वं' ति । आणत्ते य सव्वं सज्जीकयं, गणिय संवच्छरेण लग्गं । ताव य हलहलीहुओ परियणो, खुहिया णयरी, 27 सोय-वियणा-विहुरा कुमारस्स सासू, हरिस-विसण्णा कुवलयमाला, उत्तावलो सहि-सत्थो, वावडो राया। एएण कमेण 27 कीरंतेसु पाधेएसु, पक्कितेसु संभारेसु, रुविजंतासु कणिक्कासु, दलिजंतेसु उरुपुल्लेसु संपत्तो लग्ग-दियहो । संपत्ता कुवलयमाला, गुरुयणं परियणं सहियणं च आउच्छिउं ववसिया। ताव गया रुक्ख-वाढियं । द?ण य बाल-रुक्ख-वाडियं 30 पसरंततर-सिणेह-भर-पसरमाण-बाहुप्पील-लोल-लोयणाए भणियं । अवि य । अइ खमसु असोय तुमं वर-किसलय-गोच्छ-सत्थ-संछण्ण । चलण-पहारेहि समं दासो व्व तुम मए पहओ ॥ भो बउल तुम पि मए मइरा-गंदूस-सेय-पाणेहिं । सित्तो सि अलज चिय जइ रुसिओ खमसु ता मज्झं ॥ 1)णिसु धम्मा',P repeats सु before ता. 2) दिट्ठोण, P लोव for लोय. 4) I तण्णाहो. 5) जुअले ? जुवलेसु. 6) P णयवडिया for पायवडिया. 8) Fजलहिसंतारो, P सासयहओ जिणधम्मे. 9) जइ for जयइ, P जयमोहो सिओ for जए, J सउण्णो, मुंचंति. 10) P धम्मरुती, धन्नो for धम्मो. 11) दिअलोअ-- 13) P तुलावो for उल्लावो, तीय for तीए, P लेहवाडओ चिटेइ. 14) लहुं पवेसेहि ( later correction), P तेण । पणामिओ लेहो पु (the reading accepted is a marginal correction in I). 15) Pom. य, अयोज्जा, P वि for अवि. 16) लोहो for लेहो, P om. य, I अवणिआ य मुद्दा P अविणीया मुद्धा. 18) P अत्थि for सत्थि, 'पुरवरीए, 'हिरायायपर', JP दढधम्म विजय, विजयपुरबरीए, Jom. दीहाउयं, P om. कुमार. 19)P अवऊहिऊण, लिहियं for लिहर, P जलण for जलिय,J सिग्धविग्घयरं, P तेण विसिग्घाघविसिग्घतरं. 20) अवस्स, Pवलयमालाए,P कुवलयचंदउत्तण एस, P adds य before आदेसो, Jआएसो. 21) Pom. अम्हाणं, Jom. ति. 22) Jom. वाइओ लेहत्थो. 23) अवस्स कुमारो पेसणीओ त्ति, पेसणिय, बच्चह, P सद्दाविया य पिइया, नियोइआ. 24) संपावियाई, P करिघडाओ. 25) P अणवेह for आणवेह, I om. ते,' तुब्मेहि for तुम्हे हिं. 26) J ताव for आणत्ते य, P adds ताव य before सव्वं. 27)P विमणा, Pom. विहुरा, P सासुया for सासू, याणो for सत्थो, P एतेण. 28) कीरतेणसु P कोरंतिसु पाहेएसु उअकिजंतेसु संसारेसु, सुंभारेसु, रुचिजतासु, दलजंतेसु, र ऊरुफुल्लेसु P उरसुलेसु. 29) Pसहिजणं च आउच्छिओ, Pom. ववसिया, Jom. ताव गया, P-चाडीय. 30)" om. भरपसरमाण. 31) P असोग, P adds कुसुम before गोच्छ, P om. सत्थ, P संच्छन्ना । 32) अलिज्जं. Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६ ] कुवलयमाला 1 भो भो तुमं पि चंपय दोहल-कजेण चुंबिओ बहुसो । मा होज मज्झ दोसं खमसु य तं परिभवं एकं ॥ विलं कुसुम-वाहोद दुम्मणा मन्झ गमण-सोपूण आउछवा सि पियसहि कुंदलए दूर-गमणाए ॥ अणुवत णिवय-दइयं एवं सहयार पाय जुवाणं पइ-सरणा महिलाजो भणिया जोमालिए खमसु ॥ तं रोविया मए चिय पुणो वि परिणाविया तमालेण । धूए माहवि एहि ण-याणिमो कत्थ दट्ठन्वा ॥ भो भो पियाल-पायव दिष्णा मे जूहिया सिणेहेण । एयाऍ तं कुणेजा जं किं पि कुलोइयं तुज्झ ॥ सत्यं चिय पुष्णागो जाग तुमं एत्थ संदेहो जिससे चिय सयंवरं माविलयाहिं ॥ रेणाय तुम पि पुणो बहुसो विनिवारिमो मए आसि मा विसु कुंदलइयं हि ते खमसु दुब्वयणं ॥ हिंताल खमसु एहि बहुसो जं णिङ्कुरं मए भणियं । किसलय-करग्ग- णिहुयं वियंगु-लइयं फरिमाणो ॥ भो भो कयं तं पिहु अणुयत्तसु पाढलं इमं वरई । छेए वि हु सप्पुरिसा पडिवण्णं णेय मुंचति ॥ अन् वि ण दीसह थिय र कुसुमं इमाए बंधू मा तूरेचसु पंपय जणस्स कालो फलं देव ॥ हे हे पिगु-लए वारिती विचमा ददयं। एसो असोय-रुक्खो पेम्मेण ण हीरह कमाई । जाइ-विमुद्रासि तुमं पय-दइये चसे जेण कुलबालियानो लोए होति श्चिय सुद्ध-सीलाओ ॥ इय एवं भणमाणो चिर-परिइय-पायचे खमावेंती । उव्वाह बाहु-णयणा रोत्तुं चिय सा समादत्ता ॥ ६ २८६ ) संठाविया व सा सहिय गेणं समागया जिय-भवणं तत्प व दिट्ठाई भाणाविहाई घर-सउण सावय 16 समूहाई, भणिउं च पयत्ता, भवि य । मुद्रेण जीवसि बिय मिय-रहिया व मई तुमं मइया ता पसरतु यच्चामो भाउ जो सिदटुवो ॥ सारसि मरसि सरंती मुंचामि कहं इमो य ते दइओ । दोण्णि वि वञ्चह एसो आवडिओ अंध-वृत्तंतो ॥ अणं रुइर-कलावं मोरं तुह मोरि वरिहिमो अम्हे । धीरा मा रस-विरसं परिहासो मे कओ मुद्धे ॥ ईसिणि सरस-विणे निय-हंसं भणसु हास-सस-सरिसं वच्चामु सामिणीए समयं सम- दुक्ख-सोप्साए ॥ चक्काइ तुमं स्यणिं दइय-वियोगम्मि सि मह पासे । ता वच्चसु मा णिवडउ विओोय-वजासणी तुज्झ ॥ मा होंतु विसेण व ते चओरि णयणाइँ पिययम - विओए । गुंजाफल-सरिसाई वच्चसु समयं पि दइएण ॥ पढ कीरि किंचि भणिया दइय-विओयम्मि पढिहिसि अलक्खं । पत्थाण-वजणिज्जं अणुहव-सरिसं विरह-वज्रं ॥ आप तो जइ वि तए साहिलो म्ह दहचस्स पिसुणे पुत्रिया बह मुंचामि ह सारिए कस्स ॥ इव कीरि- मोरि-सारंगि सारिया एक सारसि चभरिं भणमाणी सा वियर सोउरा चारु-तरलच्छी ॥ एवं उच्छये कुर्णतीय समागया लग्ग-वेला तत्कर्ष चवलदरस्स बहु-मज्दा-देस-भाए सम्ब-घण्ण-विरूद्धंकुरा चाउरंतयं । तत्थ य दहि-अक्खय- सुवण्ण- सिद्धत्थय- दुब्वं कुर- रोयणा-सत्थिय वद्रुमाणय-णंदावत्त-पत्त-छत्त- चमर-कुसुममहाराणा जयपुर-पडमादिए सम्ये दिव्य-मंगले णिवेसिए ताणं च मझे महिणव-पव-किसलवालेकिय तित्योदय-भरिये 27 कणव पडम पिदा चंदण-पथिक-पथिवं निबद्ध-मंगल- रक्खा-सुत्त कराय-कलर्स टावियं । तो तत्थ य संठिया दोणि वि पुग्वाभिमुदा, वंदिया रोवणा, कवाई मंगलाई । एत्येतरम्मि गाव व संप लगे पुरिलो संखो भणियं 30 संयच्ठरेण 'सिद्धि'त्ति ताव व उच्चाडिओ दाहिणो पाओ कुमारेण यमाहाय वि वाम चलणं चाहिये। पयच- 30 गंतु, णिक्खता बाहिं । संख-भेरी-तूर- काहल-मुइंग-वंस- वीणा सहस्स- जयजयासह णिब्भरं गयणयलं आसी । समुहस्स गुरुयणस्स संपत्तारायंगणं । ताव य सज्जिओ जय-कुंजरो | केरिसो । अवि य । । वो पव-विसामो सिय-कुसुमाभरण-भूसिमो लुंगो। जस-कुंजर-पुंजो इन पुरओ जय-कुंजरो विहो || 1 3 9 12 18 21 24 33 १८२. पर 2 ) दुम्मणो. 3) पसरणं, अनिमाल ) 1) पोल, सहसा for बहुसो, P दोसो for दोर्स 4 ) J चिअ बाला परिणामिआ 5 ) P मे दूहिया, P कुणेज्जासु जं. 6 ) P पुन्नाणतुमणं, P लयाएं ॥ 7 ) P छिदसु for छिवसुPता for तं. 8 ) P लिहियं for णिहुयं, P फरुसमाणो 9 P adds भो भो कथं फरुसमाणो before भो भो, P पाडलिं 11 ) P देहे for हेहे, P व for वि, माइमयं ।, P पेमेण ण हीरति 12 ) जार्मि for जेण, P सुद्धशीलेण ॥. 13) खमावेंति, P रोत्तं. 14 ) P समा गया, Jom. जिय, P दट्ठाई, P घरसवणसावश्य- 16 ) P बुद्धे for मुद्धे, Jom. चिय, P चियर, हिता य, J मइए, Padds मए before तुमं, ता परसु. 17 ) पदइणु for ते दइओ, P दोंन्नि, विवञ्चसु 18 ) P तुह पुत्ति मोरि परिहानी मुद्धो ॥. 19 ) P सरसिसिणेहे, P सुह for सम 20 ) P चक्काय, विओअम्मि. 21 ) P मा होओ विमेण विते चउरिणयाणाई, विसणवरे चउरिणयसाई विजयन, गुंजाहल, P मुंचसि तइयं for वच्चसु समयं 22 ) P inter. किंचि & कीरि, P दय for दइय, P पथाण, मणुहव J for अणुहव. सारआ, P चक्कसारसचउरी, Jom. सा, दाभदायकुरुप उमादिया P परमप्पहाणं, Jom. चंदण, P - चक्कियं. P - मुयंग, P गयणं आती। सा समुहस्स, मुमुहस्स गुरुअस्स. J 23 ) P य for वि, 1 पितुणि, P adds वि before अहयं, P अहियं. 24 ) रसिर for स. 25) सभाम26) सिद्धत्यदुवं कुरुरोपणा, P 27 जायंकुर for अकुर, पडमातीए ने for दिव्य 28) 29 ) मंगलाई, P संपतं. 30 ) P चालिओ for घालियं. 31 3 बहु for बाहि 33 ) Pधववलविण्णो सिय, विसालो for विसाणो, जय for जस. 1 3 6 12 9 15 18 21 24 33 . Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ર उज्जोयणसूरिविरश्या 1 आटा व जय-कुंजरं दुवे वि वाया केरिसा य दीसिउं पयता जगणं । अवि य । कुवलयचंदो रेहह कुवलयमालाय कुंजरारूढो । इंदो इंदाणीय व समयं एरावणारूढो || ६२८०) एवं च णी िपयता अहिदिनमाना य जण-समूहेन वियपिता णायरिया हो रण । अनि यम, कोय-रस-भरित-हिवय-पूरंत गेह-हुमाणो अह जंपर पीस णायर कुलवालिया सत्थो । एक्का जंपर महिला भणह हला को व्व एत्थ अभिरुवो । किं कुवलयमाल च्चिय अहवा एसो सहि कुमारो ॥ 6 तो अण्णाए भणियं । გ 9 एयरस सहइ सीसे करणो अह कोंतलाण पब्भारो । कज्जल-तमाल-पीलो इमाऍ अह सहइ धम्मेल्लो ॥ संपुण्ण बंद-मंडल-लायण सोहर इमीए | एयस्स सइइ वय सरयु अह त्रियसिये व सववत्तं एयस्स गयण-जय कुवलयदल सरिसवं सहद्द मुद्दे रेहद्द इमस्स पिवसद्दिवच्छ पीवरं पिहुलं तक्खण- विषसिय- सिय-कमल-कंनि-सरिसं इमीऍ पुणो ॥ उग्भिनमाण बणहर विरावियं रेहद इमीर ॥ 12 सोदइ मईद-रुदं नियंव-विवे इमस्स पेजालं । रह-रहसाब भरिये इमीए महि पिराएजा ॥ ऊरू-जुयलं पि सुंदरि इमस्स सरिसं करेण गयवइणो । रंभा थंभेण समं इमाऍ अहियं विराएज ॥ ति । अण्णाए भणिये 'हलाला, एत्थ दुवे वि तर अण्णोष्ण-रूवा साहिया, न एत्थ एकरस विविसेसो साहिमो' । सीए भणिये 'हुला जइ एत्थ विसेसो अरिथ तो जामे दंसीयद, जो उण णत्धि सो कत्तो दंसीवह' चि । अण्णाए भणिये 10 'किं विसेसो णत्थि नरिथ से विसेसो अविव । 12 1 प्याऍ नियंयय रेहह महिला असमार्ण ॥ " वच्छ वियद हमस्स असम जयम्मि पुरिसेहि अण्णाए भणियं 'अलं किमण्णेण एत्थ पुरिसंतरेण महिलंतरेण वा । इमाणं चेय अवरोप्परं किं सुंदरयरं ' ति । तीए भणियं 'अवि इमाणं पि अंतरं वाहिं भणियं किं अंतरं' अवि च । 'पुरियाण एस सारो एसा उण होइ इरियाणं साहिं भणिये कि इमिणा इत्य-पुरिसंतरेणं, अण्णं भण' एस कुमारो रेहइ एसा उण सहइ रेहद्द कुमारी । तमो वाहिं भणिवं 'अहो एकाए वि जायरियाए लक्खिओ' । तीय भणियं णिसुणेसु, अवि य । 24 'मरगय-मणि- णिम्भविया इमस्स अह सहद्द कंठिया कंठे एयाए उण सोहर एसा मुतावली कंठे ॥' तमो ताहिं इसमाणीहिं भणियं 'अहो, महंतो विसेसो उबलक्खिओ, जं रायउत्तस्स अवदाय वण्णस्स मरगय-रयणावली सोहर, एमाए पुण सामाए मुतावलिति । अण्णं पुच्छियाए अण्णी सादियं ति भण्नाए भणियं । " धणयाण दोह को वा रेहइ अच्छीण भणसु को कइया । इय एयाण वि अइसंगयाण को वा ण सोहेजा ॥ ताहिं भणियं 'ण एत्थ कोइ विसेसो उवलब्भइ, ता भणह को एत्थ धण्णाणं घण्णयरो' । तओ एक्काए भणियं । 'धण्णो एत्थ कुमारो जस्स इमा हियय-वल्लभा जाया । धण-परियण-संपण्णो विनओ राया गुरुयणं च ॥ 30 अण्णाए भणियं 'णहि नहि, कुवलयमाला धण्णयरा । धण्णा कुवलयमाला जीए तेलोक्क-सुंदरी एसो । पुण्णापुण्ण-विसेसो णजइ महिलाण दइएहिं ॥' अण्णा भणियं सव्वहा कुमारो घण्णो कुवलयमाला वि 'घण्गो जयम्मि पुरियो जस्सेसो पुरानो जए जानो 21 27 33 [६२८६ एसो चेय विसेसो एसा महिला इमो पुरिसो ॥" अण्णाए भणियं 'जइ परं फुढं साहेमो अवि य जइ सहइ य रेहद्द दोण्ड वि सद्दा पयर्हति ॥ ' मोविसेसो ताहिं भणिये 'पिवसदि, साद को विसेसो त 18 18 21 94 27 30 पुष्णवद सि को इमाणं विसेस करे तरह 'ति । अपरा िभणिये । महिला दिसा कयत्था जीप इमो धारिलो गम् ॥' 33 कुवलयमाला कुं, JP कुंजरारूढा, इंदाणीअ P इंदाणीइ. 3 ) P 10 ) P 13) 1) Pom. य after आरूढा, P य दंसिउं 2 ) यतो आनंदिज्ज माणा, P वियप्पियंता णायरलोएण. 4 ) Padds the verse कोउयरहस etc. to सत्यो and further adds एक्का जंता णायरलोपण अवि य अइ before the verse कोउय etc., परन्त for पूरंत 5 ) P अभिरुइओ, P कुवलयमाला च्चिय 7 ) P एतस्स, P कसिणो, P अहरेश धम्मेलो, 8 ) P एतरस, P सरिसं for णरए 9 ) P कुवलयदय वच्छलयं for वच्छलं. 11 ) P जहंण for अहियं. 12 ) P ऊरुजुवलं पि सुरिसरिसं, P रंधा for रंभा, P विराएज्जंति. P साहियं for साहिओ 14 ) Jतीय, P अओ for हला, P णो for तो, दंसीयति P दंसियर, जो पुण, दंसीयति, Pom. अण्णाए भणियं किं etc. to असमाणं ॥ 17 ) P adds वा after पुरिसंतरेण, P सुंदररयरं, तीय. 18 ) Pom. अंतरं, P ताहे for ताहिं 19 ) P एसो उण होइ इत्थियणाणं ।. 20 ) अह for ताहि. 21) P सहइ रेद्द कुमारो । छज्जिर सहिइ, P दोन्नि सदा पहंति, सदो पयत्तंति 22 ) J एक्काय. 24 ) P -निम्मरया, P अहइ कंठिया, एताए, पुण, Padds J एसा. 25 ) P हसमाणीए, अवदात 27 ) P को वा वा ण सोहेज्जा. 28) P को विसेसो उवल इ. qण्णो, P वलहा, संपन्नो 30 ) P कुवलयमाली. 31 ) P एसु । ६ after 29 ) P धम्मो for 32 ) P विसेसो. 33 ) P जाय इमो जारिभो. . Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२८९] कुवलयमाला १८३ 1अण्णाओ भणंति। 'धण्णो विजय-णरिंदो जस्स य जामाइओ इमो सुहओ । अहवा स चिय धण्णा इमस्स सासू जए जा सा ॥ अहवा, ३ अम्हे चिय धण्णाओ जाण इमो णयण-गोयरं पत्तो । रइ-वम्महाण जुवलं केण व हो दिटु-पुव्वं ति॥' एवं च वियप्पिजमाणो णायरिया-कुलबालियाहिं, अहिणंदिजमाणो पुर-महल्लएहिं, पिजंतो तरुणियण-णयण-मालाहिं, उद्दिसिजतो अंगुलि-सहस्सेहिं, दाविनंतो विलया-बालियाहिं, पविसंतो जुबइयण-हिययावसहासु, जणयंतो मयण-मोहं 6 कामिणीणं, करेंतो मुणीण वि मण-वियप्पंतर सव्वहा णीहरिओ पुरवरीओ। आवासिया य तहाविहे एक्कम्मि पएसंतरे। 6 ६२८८) ताव य एयम्मि समए केरिसो वियप्पो पुरिसाण महिलाण य। धण्णा कुवलयमाला जीऍ इमो वल्लहो त्ति महिलाण । पुरिसाण इमं हियए कुवलयचंदो सउण्णो त्ति ॥ एवं च समावासिओ कुमारो गयरीए, थोवंतरे सेस-बलं पि गय-तुरय-रहवर-पाइक-पउरं समावासियं तत्थेय । तत्थ । समए णीहारिजंति कोसल्लियाई, उवदंसिज्जति दसणिजाई, संचइजति णाणा-वत्थ-विसेसाई, ठाविजति महग्घ-मुत्ता-णियराई, मोवाहिजति महल्ल-कुलई, उवणिमंतिजति बंभण-संघई, कीरति मंगलई, अवणिजति अवमंगलई, जंपिजति पसत्थई । 12 कुमरो वि 'णमो जिणाणं, णमो सव्व-सिद्धाण' ति भणमाणो भगवंतं समवसरणत्थं झाइऊण सयल-मंगल-माला-रयण-भरियं 12 घउम्वीस-तित्थयर-णमोकार-विज झाएंतो चिंतिउं पयत्तो । 'भगवइ पवयण-देवए, जइ जाणसि जियंतं तायं पेच्छामि, रजं पावेमि, परियड्डए सम्मत्त, विरई पालयामि, अंते पध्वजं अन्भुवेमि सह कुवलयमालाए, ता तह दिब्वेणं णाणेणं 18 माहोइऊण तारिसं उत्तिम सउणं देसु जेण हियय-णेवुई होइ' त्ति चिंतिय-मेत्ते पेच्छइ पुरओ उड्ड-पोंडरीयं । तं च 15 केरिसं। मणि-रयण-कणग-चित्तं सुवण्ण-दंडुलसंत-कंतिल्लं । लंबिय-मुत्ताउलं सियायवत्तं तु सुमहग्धं ॥ 18 उवणीयं च समीवे, विण्णत्तं च पायवडिओट्टिएण एक्केण पुरिसेण । 'देव, इमस्स चेय राइणो जेठो जयंतो णाम 18 राया जयंतीए पुरवरीए, तेण तुह इमं देषया-परिग्गिहियं छत्त-रयणं पेसियं, संपयं देवो पमाणं' ति । कुमारेण चिंतिय 'अहो, पवयण-देवयाए मे संणिज्झं कयं, जेण पेच्छ चिंताणतरमेव पहाणं सब्व-सउणाण, मंगलं सव्व-दव्व-मंगलाणं, इमं आयवत्त-रयणं उवणीयं ति ता सन्वहा भवियव्वं जहा-चिंतिय-मणोरहेहिं ति चिंतिऊण साहियं कुवलयमालाए A __'पिए, पेच्छसु पवयण-देवयाए केरिसो सउणो उवणीओ । इमिणा य महासउणेण जं पियं अम्हेहिं मणसा चिंतियं तं . चेय सर्व संपजइ' त्ति। ५ ६२८९) कुयलयमालाए भणियं 'अजउत्त, एवं एयं, ण एत्थ संदेहो । अह पत्थाणे काणि उण सउणाणि 24 ___ अवसउणाणि वा भवंति' । कुमारेण भणियं 'संखेवेण साहिमो, ण उण वित्थरेणं । अवि य । दहि-कलस-संख-चामर-पउम-महावड्डमाण-छत्तादी । दिवाण सव्वओ चिय दसण-लाभाई धण्णाई ॥ 17 दसण-सुहयं सव्वं विवरीय होइ दसण-विरूयं । ज कण्ण-सुहं वयणं विवरीयं होइ विवरीयं ॥ एवं गंधो फरिसो रसं च जा इंदियाणुकूलाई । तं सव्वं सुह-सउणं अवसउणं होइ विवरीयं ॥ वश्वसु सिद्धी रिद्धी लद्वी य सुहं च मंगलं अस्थि । सदा सउणं सिद्धा अवसउणा होति विवरीया ॥ पहाओ लित्त-विलित्तो णर-णारि-गणो सुवेस-संतुट्टो । सो होइ णवर सउणो अवसउणो दीण-मलिणंगो॥ समणो साहू तह मच्छ-जुवलयं होइ मंस-पेसी य । पुहई फलाइँ सउणं रित्तो कुडओ य अणुगामी ॥ छीतं सव्वं पि ण सुंदरं ति एक्के भणति आयरिया। अवरे समुहं मोत्तुं न पिट्ठओ सुंदरं चेय ।। 1) J भणियं for भणति. 2) Pजामाओओ, P जा या for जा सा. 3) जुअलं, दिट्ठउब्वं. 4)I विअप्पिज्जमाणणो, P अभिणंदिज्जमाणो पुरमहिल्लएहिं, 'लएहिं पुइज्जतो आणिअणयण. 5) अंगुली, विसंतो for पविसंतो, P-हिययसेहासु जइणंतो मयणमोहं. 6) Pom. विमण-, J कम्मि for एकम्मि. 7) Jतावया एअम्मि. 8) जीअ, P हियाए, P सउ for सउण्णो. 9) Pच समारोणरीए थोवंतरे, थोअंतरे, समत्थोसिअंतत्येय समए णीहाविज ति. 10)F ज्जाई for दंसणिज्जाई, P संवाइज्जति for संचइजति, P विसेसई, पणिभराई गियरइं. 11) अवहिज्जंति, Pउवणमंतिमज्जति बम्द यंघइ, Jom. अवणिज्जति अवमंगलई. 12)J सम्वजिणाणं ति. P रयणसरिसं चउवीस. 13) P विज्श ज्झायंतो चितिय,P तातं. 14)P पधज्जमम्भुमि, तहा for. तह. 15) Pसउर्ण दिसु, Pणेब्बुई होय त्ति, P उइंड. 17) J गणय for रयण, P कणय, J सुअण्ण, I लंपिअमुण्णजलं. 19) Pजयंतीपुरवरीए, P देवतापरिग्गहियं, 20) सण्णज्झं P सन्नेझं. 21) P आयवत्तयण, P तो for ता, P om. जहा चितिय etc. to चिंतियं तं. 23) Padds tण जं before चेय. 24) Poin. अज्जउत्त, एत्थपणे for पत्थाणे, P om. उण. 25)Jom. अवसउणाणि, P om. वा. Jadds दइए after अवि य. 26) 1 कमल for कलस, P'वद्धमाण, छत्ताती।, J दिवाण देवाण. 27)Jadds समुणं P adds सब्बउणं after सन्वं, P विवरीय होंति, विरूवं ।, J विवरीतं ॥. 28) विवरीतं ॥. 29) प्रसिद्धि रिद्धी, Pसउणसिद्धा. 30) Pणरणारयाणो, P परितुट्ठो for संतुट्ठो, J om. होइ णवर, P सणो for सउणो. 31) मच्छजुअलं, मुहई P पुहइ, P फलाई साउणं, J उडओ for कुडओ, P आगामी for अणुगामी. 32) Jण मिट्टओ. Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ उजोयणसूरिपिरहया [६२८९साणो दाहिण-पासे वामं जइ वाइओ भवे सिद्धी । अह वामो दाहिणओ वलह ण कर्ज तणो सिद्धं ॥ जह सुणओ तह सवे णाहर-जीवा भणति सउणण्णू । अण्णे भगंति केई विवरीयं जंबुओ होइ॥ मउयं महुरं वामो लवमाणो वायसो भवे सोम्मो । उत्ताल-णिटर-सरा ण देंति सिद्धिं भयं देंति ॥ गोरूयस्स उ छीतं वजेज्जा सम्वहा वि जीय-हरं । मजारस्स वि छीयं पत्तिय-जीयं विणासेइ ॥ सारस-रडियं सव्वत्थ सुंदरं जइ ण होइ एक्कस्स । वामं भणति फलयं जइ सो य ण दीसए पुरओ॥ इंदग्गेई जम्मा य णेरई वारुणी य वायब्वा । सोम्मा ईसाणा वि य अट्ट दिसाओ समुट्ठिा ॥ भट्ट य जामा कमसो होंति अहोरत्त-मज्झयारम्मि । जत्थ रवी तं दित्तं तं दिसि-दित्तं वियाणाहि ॥ जं मुक्कं तं अंगारियं ति आधूमियं च जं पुरओ। सेसाओ दिसाओ पुण संताओ होंति अण्णाओ। दित्तेण तक्खणं चिय होइ फलं होहिइ त्ति धूमेणं । अंगारियम्मि वत्तं जइ सउणो रवइ तत्थेय ॥ सूराहिमुहो सउणो जइ विरसं रवइ दित्त-ठाणम्मि । ता जाण किं पि असुहं पत्थाणे कस्स वि णरस्स ॥ सर-दित्तं सुइ-विरसं सुइ-सुहयं होइ जं पुणो संतं । संतेण होइ संतं दित्ते पुण जाण दुक्ख ति ॥ 12 पासाण-कट्ठ-भूती-सुक्य-रुक्खेसु कंटइल्लेसु । एएसु ठाण-दित्तं विवरीयं होइ सुह-ठाणं ।। दियह-चरा होंति दिया राइ-चरा होंति तह य राईए । सउणा सउणा सव्वे विवरीया होंति अवसउणा ॥ एस संखेवेणं सुंदरि, जं पुण सिवा-रुतं काय-रुतं साण-रुतं गिरोलिया-रुतं एवमाईणि अण्णाणि वि विसेसाई को साहिउँ 15 तरह त्ति । सब्वहा, एयाणं सव्वाणं अवसउणाणं तहेय सउणाणं । पुवकय जे कम्मै होइ णिमित्तं ण संदेहो ॥ तम्हा जिणवर-णामक्खराइँ भत्तीऍ हियय-णिहियाई । संभरि भगवंतं पाव-हरं समवसरणम्मि ॥ 18 तस्स य पुरओ अत्ताणयं पिझाएज्ज पायवडियं ति । जइ जाइ तेण विहिणा अवस्स खेमेण सो एइ ॥ चमराई आयवत्तं होइ असोओ य कुसुम-वुट्ठी य । भामंडलं धयं चिय महासणं दिव्व-णिम्मवियं ॥ , एयाइँ मंगलाई उच्चारतो जिगं च झाएंतो। जो वच्चइ सो पावइ पुण्ण-फलं णत्थि संदेहो। एवं च साहिए पडिवणं कुवलयमालाए 'अजउत्त, एतं चेय एयं ण एत्थ संदेहो' ति । ६२९०) अण्णम्मि य दियहे दिणं पयाणयं मइतेण खंधावारेणं । तओ केत्तिय-मत्त पि भूमि गंतूण भणियं कुमारेण 'भो भो पउरा, णियत्तह तुम्हे कज्जाइं विहडंति तुम्हाणं एवं भणिओ णियत्तो पउरयणो पज्झरंत-लोयण-जलप्पवाहो । तमओ के अपि पएसं गंतूण भणिओ कुमारेण राया 'ताय पडिणियत्तसु, जेण अम्हे सिग्घयरं वच्चामो तायं च पेच्छिमो' त्ति । एवं च 24 पुणो पुणो भणिओ णियत्तो कुवलयमालाए जणओ जणणी य । एवं च कमेण कुमारो संपत्तो तं सम-सेल-सिहरब्भासं, भावासिओ य एक्कम्मि पएसे । साहियं च पुरिसेहिं 'कुमार, इमम्मि सरवर-तीरे सुण्णाययणं, तत्थ कामो व्व सरूवी, 27 इंदो ब्व पञ्चक्ख, सूरो व्व कोइ स्व-सोहाए अहियं पयासमाणो मुणिवरो चिट्ठई' । कुमारेण भणियं 'अरे, को एस 7 मुणिवरो, किं ताव तावसो, आउ तिदंडी, आउ अण्णो को वि' । तेहिं भणियं 'देव, ण-याणामो तावसं वा अण्णं वा । लोय-कय-उत्तिमंगो सिय-वसणो पिच्छएण हत्थम्मि । उवसंत-दसणीओ दीह-भुओ वम्महो चेय ॥' 30 कुमारेण चिंतियं । 'अहो कत्थ भगवं साहू, ता चिरस्स अत्ताणथं बहु-पाव-पंक-कलंकियं णिम्मलीकरेमि भगवओ 30 दसणेणं' ति भणमाणो अब्भुट्टिओ समं कुवलयमालाए । भणियं च ण 'आदेसह मह तं मुणिवरं' । संपत्तो तं पएसं । दिट्ठो य मुणिवरो । चिंतियं च ण । 'अहो मुणिणो रूवं, अहो लायणं, अहो सुंदरत्तगं, अहो दित्ती, अहो सोम्मया । ता 33 सव्वहा ण होइ एस माणूसो। को वि दिन्वो केण विकारणेण मुणि-वेसं काऊणं संठिओ' त्ति चिंतयंतेण णिरिक्खियं जाव णिमिसंति 33 1) Pसाहो for साणो, J जति वलति, P चलण for वलइ, दाहिणतो वलति, वणति, P सिद्धी. 2) अह for जह, P inter. सन्चे and तह, P-जीयो, सवणण्णू P सउणंणू।, J विवरीतं. 3)P लवमाहो, सोमो।. 4) गोऊअस्स च्छीतं । गोरूवसओ लच्छी तं वज्जेज्जा, बज्जेज्जो, जीवहरे, छीतं, छीतं for जीय, P जीतं विणासेंति. 5) Pउण for य ण.6) Pइंदग्गेतीजमायणेरुती वारुणी, P सोमा. 7) Jअट्टा य, PR for तं before दित्तं, P दिसितं. 8) Pआहूमियं, P पुणो सत्थाओ. 9) दित्ते तक्खणं, JP होदिति ति, P रवति. 10) Pसूराभिमुदो, विरइ for विरसं, I रमइ for रवइ, Pom. रव, , दित्तट्ठाणंमि ।। 11) P दिन्नं ति सुविरसं सुति, P दित्त पुण. 12) P रक्खेसु, JP एतेसु, Pट्ठाणः, JP विवरीतं, Pट्ठाणं ॥. 13) Pरायचरा, Pरातीए, P सउगो सउणो, 'सउणाओ ।।. 14) Pएते for एस, Pom. जे पुण, एवमातीगि, P अन्नाण विसेसाई. 16) Jणाणं च तह य. 17)J सत्तीय for भत्तीए, Pसंभरियं, P समवसरंमि. 18) जति जाति तेण दिहिण, P एति ॥. 19) Jआतवतं. 20Pज्झायंतो, P पावति, पुण्णहले. 21) Padds भणियं after कुवलयमालाए, P चेय एतं णत्थि संदेहो. 22) P खंधायारेण, Pom. पि. 23) Pणियत्तब्भे कजाई, P तुम्हा for तुम्हाणं, P जुयल for जल. 24) P तय for ताय, P जिणम्हे for जेण अम्द, P adds त्ति after वच्चामो. 25) कुवलयमालाजणी , संपतो वंच सजसेल. 26) Jom. च, P कुमार मंमि सरवतीरे, सुण्णायतणं, सरूई. 27) J अधिय, P पुणिवरो चिट्ठति ।. 28) " आउसन्नो को वि, Jadds वि after अण्णो, J तावसं व अपच. 29) P-थुमोठंमहो चय।। P कुमारे चितियं. 30) J adds yि after कत्थ, Padds हिम्मलीकयं after कलंकियं. 31) Pण दसेंमि महतं. 32) J दिट्ट् for चितिय, Pom. अहो दित्ती, पाया. 33) माणुसो, P om. वि कारणेण, समुट्ठिओ for संठिओ, Pom. त्ति, चिंतयंतो णिरिक्खइ जाव. Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२९२ ] कुवलयमाला १८५ 1 यणाई, फुसंति पाया महियलं । तभो चिंतियं 'ण होइ देवो, विहडंति दिव्व-लक्खणाई । ता सुव्वत्तं विज्जाहरो होहिद्द ति । 1 एसो य जहा अहिणव-कय-सीस-लोओ अज्ज वि भमिलाण देहो उबलक्खीयइ तहा लक्खेमि ण एस आइसंजओ, संपर्यं 8 एस पब्वइओ, वेसो वा विरहओ । ता किं वंदामि । अहवा सुट्टु वंदणीयं भगवंताणं साहूणं दिट्ठ- मेत्तं चैव लिंग ति । जो 3 होउ सो होउ त्ति साहु त्ति उवसप्पिऊण कुमारेण कुवलयमालाए य ति-पदाहिणं भत्ति-भर- विणमित्तिमंगेहिं दोहि वि वंद साहू | भणियं च मुणिणा 'धम्मलाभो' त्ति । तओ उवविट्ठो कुमारो महिंदो य । पुच्छित्रं च कुमारेण 'भगवओ, कतो तुमं एत्थ रणुद्देसे, कत्थ वा तुम्भे इहागया किंवा कारण इमाए रूप-संपयाए विष्णो' सि । $ २९१ ) तेण भणिदं 'जइ सच्चे साहेब ता णिसुणेसु वीसत्यो होऊणं ति । ई-पवासो देसो देसाण लाड देसो ति । णेवत्य- देसभासा मगोहरा अथ रेहति ॥ तम्मिय पुरी पुराणा णामेण व वारयाउरी रम्मा तत्थ व राया सीहो अथि महा-दरिय- सीहो व तस्स ओहं पडो भाणू णामेण पढमओ चेय । अइवल्लहो य पिउणो वियरामि पुरिं विगय-संको ॥ ममं च चित्तम्मे वसणं जायं । अनि य । 9 21 12 रेहा-ठाणय-भावेहिँ संजुयं वण्ण-विरयणा-सारं । जाणामि चित्तत्यम्मं णरिंद दुहुं पि जाणामि ॥ 12 एवं च परिभममाणो भण्णम्मि दियहे संपत्तो बाहिरुजाणं । तत्थ य वियरमाणस्स आगओ एक्को उवज्झाओ । तेण भणियं । 'कुमार, मए चित्तवडो लिहिभो, तं ता पेच्छह किं सुंदरों किं वा ण व' त्ति भनिए, मए भणियं 'दंसेहि मे 15 चित्तयम्मं जेण जाणामि सुंदरं ण व'ति । दंसिओ व ते पडो दिए तं हईए स्थि तस्य न लिड़िये जंच 15 तत्थ णस्थि तं णत्थि पुहईए वि । तं च दट्ठण दिव्व-लिहिययं पिव अइसंकुलं सव्व वृत्तंत- पञ्चक्खीकरणं पुच्छियं मए विम्हिण 'भो भो, किं एत्थ पडे तए लिहिये इमं । तेण भणियं 'कुमार, णणु संसार-चक्कं' । मए भणियं 'किं अणुहरह 18 संसारो चक्कर' तेण भणियं 'कुमार, पेच्छ । मणुयन्तणाहिलं जीवाणं मरण- दुक्ख मिलं ६२.२) तो मए भणियं 'बिसेसओ साहिम सोणार- लोगोए उण होइ मनुय-सोबो सि दंडग्गेणं पदंसिउं पयन्तो । जो होइ अधिय-पावो सो इह णरगम्मि पावए दुक्खं जो वि य बहु-पुण्य-कम सो सग्गे पावह सुहाई ॥ जो किंचि- पुण्ण- कलिओ बहु-पावो सो वि होइ तिरियंगो । जो बहु-पुण्णो पावं च थोवयं होइ मणुओ सो ॥ यासुंच गई कुमार सब्वासु केवलं दुक्खं । जं पेच्छ सन्चओ च्चिय दीसंते दुक्खिया जीवा ॥ जं एस एस राया बहु-कोन परिग्ाहेर्हि संपुष्णो बहुये बंध पावं थोवं पण पाय पुण्णं ॥ जीवाण करे वह अलियं मंतेइ गेण्हए सब्वं । णिच्चं मयणासत्तो वच्चइ मरिऊण णरयम्मि ॥ माहेड उवगणो एसो सो नरवई इमं पेच्छ जीव-वध-दिष्ण-चिसो धाव तुरवम्मि आरूदो ॥ तुरो विएस वरचो हिय-कस धाय-वेविर सरीरो धाव परयो चिय कह व सुहं होउ एयस्स ॥ पुरभो विएस जीवो मारिजामिति वेवर सरीते निय-जीविय- दुक्ख-भो पावद सरणं मम ॥ पुरभो वि एस वरभो हलबोलिज्जइ जणेण सव्वेण । ण य जाणंति वराया अप्पा पावेण वेदविभो ॥ एसो चि को वि पुरिसो गहिओ चोरेहिँ णिद्दय-मणेहिं । सरणं अविंदमाणो दीणं विकोसह वराभो ॥ एए करेंति एवं फिर लग्छ होइ कह वि इसे अत्ये तेण व पाने सह भोवणंच अण्णं सुद्धं दोही । 1 1 1 24 27 30 33 संसार पाय पकं भामिनइ कम्म- पचणेण ॥' के तत्थ लिड़िये' तेण भणियं 'देव, पेच्छ पेच्छ । एसो उ देव-लोभो एवं तं छोड़ लोकं ॥ 1 ) P णयाणाई, Padds मि after महियलं, adds अहो before ण होइ, P होति for होइ, adds ति before देवो, P विडियाs for विहडंति, P सव्वं for सुव्वत्तं, उता सुव्वंति विज्जाहरे होइति ।, P होहित्ति सोय. 2 ) अहिणवयसीस, विज्झानि for अज्जवि, P अनिलाण, JP उवलक्खीयति, आदिसंजतो. 3 ) P विरईओ, P दिट्ठिमेत्ते. 4 ) Pतिपयाहिणं, विणउत्तिमंगेहि, P दोहिं विं. 5 ) J वविट्ठो for उबविट्ठो, P कुमारेणा, P भगवं कओ तुमं. 6 ) P एत्थमुद्देसं कत्थ, P णिब्विण्ण ति 7 ) J साहिअब्बं P साहेतव्वं 8 ) P पुहतीपयासो, J om. देसो, P repeats देसो, वेसभासा for देसभासा, P मणाहार, P रेहं ॥ तम्मि पुरी पोराणा 9 >r om. य after णामेण, P रायायी अस्थि. 10 ) P विअइरामि- 11 ) १ च चिंतयंतस्स बसणं. 12 ) P रेहागणयपावेत्ति संजयं 13 ) P अगंमि. 145 पेच्छ for पेच्छह, किम्वा for किंवा P भणिसांए for भणिए. 15) P repeats नेण, P जं for तं, P ण for णत्थि, P णं for ण. 16 ) तण्णत्थि पुयं वि, P पुहई वि, P लिहिय, अतिसंकुलं, P युत्तंतं, J adds च before मए 17 ) विभिएण, Pom. पडे, P पडिलेदियं for लिहियं, P ते for तेण, P कुमारे, Pom. किं 18) संसारचकस्स. 19 जीवार, P वीस for पाय, P भामिज्जई कंम- 20 ) P एत्थ for तत्थ 21 ) P एसो रयलो ओो, तु for उ, P उद्देव, JP एतं. 23 ) P अहिय, P इह यरंमि, P कयो सो मग्गे 24 > P वि होति तिरियं वा । उ थोअअं. 25 ) P एयसु चउगतीसुं, P चिय. 26 ) P संमत्तो for संपुण्णो, P बहुतं बंधइ. 27 ) Padds कण before करेइ, P मंतेहिं, P सवं । गोययणासत्तो. 28 ) P नरवती इम पेच्छं ।, P वह for वध, P धावति 29 ) Pधार परायत्तो, P होइ एयस्स. 30 ) उ भयो. 31 ) P पुरओ for वरओ, P तुट्टेण for सव्येण. 32 ) P दीणं वक्कोसर. 33 ) P एते करेंति एतं किर अम्ह होहिं ति इमं अस्थि, अम्हं होहिई ।, J inter. इमं कह वि, पर्ण पट्ट for पाणं अह. 1 24 9 18 21 24 27 30 33 . Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ जोयणसूरिविरद्दया य चिंतयंति मूढा इह जम्मे धेय दुत्तरं दुक्खं । फालण-लंबण-भेयण- छेयण- करि-चमढणादीणं ॥ पर लोए पुदुक्खे गरम-गया महाफलं दोड़ एवं अयाणमाणा कुमार चोरा इमे लिहिया ॥ तच्छा-राय-सरतो परिग्गाहारंभ-दुखतो एसो वि जो मुसिजह बेच्छ एवं पि एरिसं लिहियं पावर परिम्हाओ एवं अह परिभवं ण संदेदो न मुंछ कह विपरिग्गाहं पिता जिग्युलो होइ ॥ सो पपिहरंतो इमेहिं घेवून मारियो वरओ मा को वि इमं पेच्छे खिलो अयम्म पावेहिं ॥ । २९३ ) एए विलियउता लिहिया मे जंगले वाता । अम्हाण होदिइ सुदं मुदा दुक्खं न क्लेति ॥ एए वि एव जुत्ता परवत्ता कडिऊण त्यासु संधारोचिय-ज्या गलय- बिद्धा बलीवदा ॥ हिरोगलंत देहातोय पहरेहिं दुक्ख-संतत्ता पुण्य-कप-कम्म- पायव-फला विरसाई जति ॥ सा वि धरणी फागण तिक्खेण पुन्य कयं चित्र वेयह बंध हलिमो विपि ॥ पुई जलं च वार्ड वणस्सई बहु-बिहे य तस-जीये दलयतो मूढ-मणो वह पार्व अनंत पि ॥ एसो वि मए लिहिओ पर कम्मयरो कुटुंबिओ मूढो । पुत्त-कलत्ताण कए पावेतो गरुय दुक्खाई ॥ 12 छेतण ओसहीओ फुल्लिय- फलियाओ मुग्ग-सालीओ । चमढेद्द बद्दल्लेहिं गलए मेत्री बिद्वेहिं ॥ 1 जह होइ बहुं धणं जीवेल कुटुंब पिये मज् ण य चिंतेइ भो काम कहिं अहये ॥ सो सो थिय लिहिजो जर वियणा- दुक्ख-सोय-संतत्तो । डादेण उज्झमाणो उम्बतो हम सबने ॥ एयं पितं कुटुंबं दीणं विमणं च पास पडिवर्ति । किं तुह बाहइ साहसु किं वा दुक्खं ति जं पतं ॥ जं किं पितरस दुखे का सत्ती तत्तियं च अयजेर्ट एकेगे चिय रहयं एको चिप भुज तया ॥ मह-त-ह-जोए एसो वि को वि सो देइ कतो से तस्य समं जाव ण भुतं तयं पावं ॥ हु २९४ ) एयो सो चे मोल करेऊण मरणंत-देवणाए किं कर्म हो मह तस्स एस जीवो पुण्णं पावं च णवर घेतूण । कम्माणुभाव-जणियं णरयं तिरियं च भल्लीणो ॥ एसा विरुद्द दइया हा मह एएण आसि सोक् ति तं किंपि सुरब- कर्ज संप तं कत्थ पावेमो ॥ अपूर्णच एस दास चियम किंपि कर्मविप्त करतो हा संपद को व तो ॥ को मद्द दाहिद व कोपा असणं ति को व फजाई एवं चि वर्तती एसा लिहिया स्वंती मे ॥ एए वि हु मित्ताई रुयंति भरिऊण दाण-माणाई । संपइ तं णो होहिह इय रुयमाणाइँ लिहियाई ॥ I ॥ 24 एसो सो श्चिय घेत्तुं खंधे काऊण केहिँ मि णरेहिं । णिज्जंतो सव-सयणं अम्हे लिहिओ विगय-जीवो ॥ एसो अकंदतो बंधुयणो पिटुओ य रुयमाणो । तण-कटु-अग्गि-हत्थो धाहाधाई करेमाणो ॥ 1 3 8 15 18 2) 27 30 33 हा बंधु याह सामिय वह जिय-गाह पवसिनो कीस काथ गजो तं विसरण- वि वि मोनू ॥ एए ते च्चिय लिहिया विरता बंधवा चितिं एत्थ । एसो पक्खित्तो च्चिय कुमार अग्गी वि से दिष्णा ॥ यस्य पेच्छ वरं चिवाए मम्मि किंचिज अस्थि । जं दुक्सेहिं वित्तं तं स चिह्न परम्मि ॥ सर-पय-दीविय अलंत जालोलि-संकुडे एत्थ एकं चिय से वासं भण भर्ण कत्य दीसेन ॥ अणुविह- सुर-पोक्खेहिं हालिया बद-गेह-सम्भावा शेवह दया पासे डसह एकलभो जरुणे ॥ जेण य मणोरहेहिं जाओ संवडिओ य बहुएहिं । एसो सो से जणभ रुयमाणो चिट्ठए पासे ॥ भइ पुत्त वच्छला सा एसा माया वि एत्थ मे लिहिया । दट्ठण उज्झमाणं पुत्तं अह उवगया मोहं ॥ जेहिं समं अशुदिई पी पीयं च हतेहिं नह एको थिय बचाइ एप से अंति घर-दुर्ग ॥ [ 8३९२ 12 15 18 21 24 27 J 1 ) P जम्मो, दुक्करे दुक्ख, मेतण छेतण, P भोयण for मेयण, J चमढणादीअं. 2 ) P देइ for हो. 3) P मिfor पि, P रायसरते, P दुखतो. 4 ) P मुब्बइ for मुंचर, P व for वि, Pता णिन्भुओ. 5 ) P मं for मा P पेच्छ खितो. 6 > P एते, P मे लंगण, P मुहं for सुहं, P लक्खंति. 7 ) P कट्टिऊण. 8) रुहिरोअलंत, तोतूय, पहराहिं, Pom. विरसाइँ, Padds वसहाओ after भुजंति 9 ) J वेदर, P बंधर हिलिओ 10 ) पुहई, J वणरसई, P बहुविहे य तसजीवा, P मूढमणा, अनंतंमि. 11) for वि, P कुटुंबिओ, P पावेंतो गरुया-- 12) P मुग्गसीओ | चमढेहि . 13) P बहू, P कुटुंबयं, P कुटुंबं, P सयणं for अहयं. 14 ) P सो च्चेय, J इमे, P सयणो ॥ एतंम्मियं कुटुंबं 15 ) पडिवत्ति P परिवर्त्ति, P कंमा for किं बा, Pom. ति, P जयंता for जं पत्तं. 16 ताण तंति for तत्तियं च १ भुजंग for भुजए. 17 ) अनंत सहजो उवरसो से for सो. 18 ) P सोय, P चलें, P किं पि हु न कयहो कुटुंबणे. 19 ) P कंमाणभाव 20 ) दय for दश्या, P एसेण, अस्थि for आसि, पावे ॥ 21 P दोसो for दासो, जं किं चि for किं पि, को व्व, व पोतव्यो ॥. 22 > P दाही for दाहिर, P adds इय् befor एयं, Pom. चिय, रुअंती 23 ) P एते, P रुयंति सरिऊण 24 ) Pom. सो, कारण रेहिं सवसणं, P जीडोओ for जीवो. 26 ) P जियणाम. 27 ) P एते, P विरयतो बंधवा, P विती for चिर्ति. 28) पेच्छ णरवर चिताए. 29 ) P पवय 30) P सुक्खेहिं लालिया वडाणहसत्ताव। रोयइ. 32 ) Padds तं सव्व before माया, उसे for मे. 33 ) P अणुदियो, J adds पिअं in between two पीयं णेहसंजुत्तेण १ हजुसाहिं, P तं for ते. J P 80 33 . Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६२९६] कुवलयमाला 1 बहु-असमंजस घडणा-सएहिं जं भजियं कह वि अर्थ जाि सुट्ट दहया पुता धूया व हिवय चलहिया एवि पुणो लिहिया कई भामेड असो सीसं एयं ते भणमाणावर गंगति से वरेिं रोग पर्व पिण दिष्णं गेहे क्षिय संडिर्य सम्वं ॥ हा वावन्ति भणती एसा मह वा घरम्म ॥ सुकं तुह कई चिय अपच्छिमो होस् भन्हाणं ॥ एवं किर होहिइ से करो काम र भीए ॥ विदेति तू तस्स पुण्गेहिं बम्हण कुलार्ण किर तरस होइ एवं एसो डोयस्स छडमरयो || 1 8 २९५ ) एयं कुमार लिहियं अण्णं च मए इमं इहं रइयं । पेच्छसु कुणसु पसायं विद्धं किं सोहण होइ ॥ एसो को विजुवाणो एयाऍ समं जुवाण-विलयाए । वियसंत-पंकय मुद्दो लिहिभो किं-किं पि जंपतो ॥ लज्जोणमंत वयणा पार्यगुट्ठय- लित-मद्दिवट्ठा। दइएण किं पि भणिया हसमाणी विलिहिया एत्थ ॥ ● एसो को वि जुवाणो फंसूसव-रस-वसेण हीरंतो । आलिंगंतो लिहिभो दद्दयं अमए स्व णिम्मवियं ॥ णय जाण बराओ एसा मल- रुहिर-युत-श्रीमच्छा असुई कलिमल-लिया को एवं छिवह हरयेहिं ॥ सुई इमं सरीरं विदुहेहिं य निंदियं महापायं तह यि कुर्मति जुवाणा विसमो कम्माण परिणामो ॥ पि मए लिहिये सुरयं बहु-करण-भंग-रमणिनं जंच रमेति जुषाणा सारं सोक्खं ति मता ॥ एए कुमार मूढा अवरोप्परयं ण चेय जाणंति । एवं अलज्जयम्मं अप्पाण- विडंबना - सारं ॥ उसस सस वेवर णयणे मडलेह दीणयं कणह दीइ सिय-सह-विद्धा कुछ मरंति व सुरयग्मि ॥ जं जैसे गुज्झयरं रक्खिज्जइ सयल-लोय-दिट्ठीओो । विणिगूहिज्जइ सुइरं दिट्ठम्मि ससज्झसो होइ ॥ मरुद्दिर-मुत्तवाडोसयशिया असुइ-वाहिणी पावा जो तं पि रमह मूढो णमो नमो वस्त्र पुरिस || सुरण सुंदरं चिय अंते काऊण लजए जेण । असुइं पिव असिऊणं तेण ण कज्जं इमेणं पि ॥ एवं पिए लिहिकीय वि महिलाए मंगल-सएहिं कीरह से फल-उवणं वजिर-तूरोह-सणं ॥ I 8 6 12 16 18 ซ जाति वराय जं ता अम्हेहिं किं पि एयंते । कुच्छिय-कम्मं रइयं तं पयर्ड होइ लोयस्मि ॥ ६ २९६ ) एसो वि जणो लिहिओ णचंतो रहसतोस भरिय-मणो । ण य जाणए वराभो भत्ताण-विटंबणं एयं ॥ सो पुण गातो लिहिमो णिम्बोलिएण दवणेणं ण य जागए वराओ एवं पविए सम्वं ॥ एसो वि सहइ पुरिसो हा हा पयडाए दंत-पंतीए । जं पि हसतो बंधइ तं रोवंतो ण वेएइ ॥ एसो वि रुयह पुरिसो अंसु-पवाहेण मउलिबच्छीओ । भण्णं बंधइ पावं अपूर्ण वेएइ पुग्व-कथं ॥ पुसो वि भाइ पुरिसो तुरिये कति किं पिचितो ण य जाणए वरानो मधू तुरियं समलियइ ॥ सो मए सुतो लिहिलो वह चिलेहिं अंगेहिं किं सुयसि रे अज्जिर मधू ते जीविये हर ॥ एसो वि मए लिहिलो महो अप्फोडणं करेमाणो सारीर-क्लुम्मतो इंदिय-विसपूर्हि मह हो ॥ एसो विरूवमंतो अच्छइ अत्ताणयं नियच्छंतो । ण य चिंतेइ भउष्णो खणेण रूवं विसंवयइ ॥ 1 I सो वि धणुम्मतो कंठय-कडएहिं भूखिय सरीरो न व बिगणेह अयानो कत्थ धर्म कत्थ वा अम्हे ॥ एसो कुछ-मब-मतो अच्छइ माणेण थलो पुरिसो ण य चिंतेह वरानो कामो वि इमो हवइ जीयो ॥ 80 एसो वि मए लिहिभो लोहुम्भत्तो महं किर लहामि । ण य चिंतेइ भउण्णो कम्म-चसा होइ एयं पि ॥ एसो पंडिया लिहिलो बक्लान- पोत्यय-करो। जाणतो वि जयाह किं जाणं सील- परिदी ॥ एसो तब-मब-मतो मच्छर उद्वेण बाहु-डंडेण काढण हणइ मूढो गन्वेण सवं ण संदेहो ॥ एसो वि कोइ पुरिसो कहिय कोदंड-भासुरो लिहिलो मारेंतो जीबाई भगतो गरय-वियणाभो ॥ 88 * 1 ) P घट्टण for घडणा- 2 ) P जे for जा, पत्ता for पुत्ता, १ जीव for हियय, P वा वाभति भणता एए ते जंडंति ए हु for the 2nd line. 3 ) P एते, P कद्धे भोमेउ अप्पणी, भामेउं अत्तणीसेसो, P तह for तुह, तिय for चिय. 4> एवं J J असझसो for ससज्झ 16 ) सुइर ठमणं Pट्ठवणं. 19) ते for ता, जं एयं चि भणमाणो, P वारि । एतं किर होहिति से कछुट्टो, P णेरय. 5 ) एते, J म्हेण for ब्रम्हण, ‍किरतस्स होई एसो P होति एतं एसो, उम्मच्छो for छउमत्थो. 6) 3 inter. इमं & मए, Jom. इहं, P रईया । 7 जुआणो, एताए, जुआण, P सुहो for मुद्दो 8 ) लअणमंतवयणो पायंगुट्टायलिहितमहि-, P किम्मि for किं पि, P विहिलिहिया. 9) J जुआणी. 10 ) P जाणार, उ विभच्छा, P अनुई किलमल. 11) P वि for य. 12) P एतंमि for एवं पि, करणिभंगरसणिज्जं ।, जुआणा, P सारसोक्ख 13 ) P एते, P अवरोप्परं. 14) मउलेउ दीणहं, P भणs for कणइ. 15 ) for असुर, P तंमि for तं पि. 17 ) सुंदर चिय, Pइमेणमि ॥. 18 ) Pएयंमि मट, त कम्हे कर्त ति एयं ते. 20 > P रोस for रहस 21 ) णिग्वोलि रण, P जाणे, P एतं. 22 > P वि सदर, रोअंतो. 23) JP वेतेश 24 ) P किम्मि for किं पि चिंतेंतो, जागई. 25 ) P अह निव्विलहिं ए for ते, P वर for इरइ. 26 P इंदियवसएहिं अह निहिओ. 27 वि रुमत्तो, P, णिच्छंतो, P ण इ चितेर, Pखणेण्ण. 28 ) तु for बि, P कणय for कंठय, P चिंतेs for विगणेह, २ अयणओ for अयाणो, P वर्ण for वर्ण. 29 ) P घट्टउ for थडओ P चिंते. 30 ) P inter. मए & वि, P कम्मवो होंति एयं मि ॥. 31 पंडिय यातं P पंडिय वाती, P करायो for करग्गो, विण जाणइ, P सीण्ण for सील. 32 ) P बाहुदंडे, P इ for द्वणइ, P तब ण- 33 ) JP को वि for कोइ ( emended ), P कोदंड, P मारतो, P अगणतो, वियणाई ॥. 3 12 16 18 21 24 27 30 83 . Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 3 9 १८८ एसो वि पहरह थिय कडिय करवाल भीसणो पुरिसो जइ कद वि जिओ कर्ज से कत्थ पावि होइ वि कुमार मए लिहिया सुप सारिया व पंजरए एसा वि का वि महिला वियणा-वस-मउलमाण-णयणिला । पसव के पि विभायं सारिच्छ मिणं मए लिहियं ॥ जो पसवद इद बालो सो संदेहम्मि हुए वरभो । संकोदियंगमंगो जीवेक मरेज वा पूर्ण ॥ एसा वि एत्थ महिला दोहाइत गुज्झ विषणाए । खर- विरसाइ रसंती पीडिह सरस-पोति ॥ एसा विलिहिया का विवाण चेप बीहरिवं । अण्णाएँ मयं वा मयाई अह दो विभवराई ॥ 12 15 18 21 24 27 30 83 उजोषणसूरिविरइया ण व चिंतेद् अण्णो खणेण किं मे समादते ॥ जद कद वि एस णिनो संबद्धो मज्झ पायेण ॥ पुत्र-कर्य देवता अयंचगणिबंधंता ॥ [६२९६ २९७) परिणिनं तो हिद्दिनो अह पेच्छ कुमर बेदीए तूर-रव-मंगलेहिं चिर-महिला बिलासेहिं ॥ णय जाणए वराओ संसारो एस दुक्ख-सय-पउरो । हत्थेहि मए गहिओ महाए महिल ति काऊण ॥ णचंतिते वि तुट्ठा कर परिणीयं ति मूढया पुरिसा । ण य रोयंति अघण्णा दुक्ख समुद्दे इमो छूढो ॥ एसो वि मए लिहिओ कुमार उत्ताण-सायओ बालो । आउं ति परं भणिरो अण्णं वरओ ण-याणाइ ॥ एसो सोधि अण्णो कीलइ अह कीलणेहि बालो त्ति । असुई पि असइ मूढो ण य जाणइ कं पि अत्ताणं ॥ एवं सोच्चि कुमरो कुक्कुड सुय-सारियाय मेसेहिं । दुल्ललिओ अह वियरद्द अहं ति गब्वं समुव्वहिरो ॥ एसो पुणो वि तरुणो रमइ जहिच्छाए कण्ण-जुवईहिं । कामत्थेसु पयत्तद्द मूढो धम्मं ण याणाइ ॥ एसो सो चेय पुणो मज्झारो बाल-सत्थ-परियरिओ । अणुविद्ध-पलिय-सीसो लग्गइ ण तहा वि धम्मम्मि ॥ एसो सो चेय थेरो लिहिओ अह वियलमाण- वलि वलिओ । बालेहिं वि परिभूओ उब्वियणिज्जो य तरुणीहिं ॥ एसो विभम मर्क्स दीगो अह नियय-कम्म-दोसेन एणि कुइ धम्मं पुणो वि न होहि दरिदो ॥ एसो वि को विलिहिलो रोरो घेरो य सत्थर- णिवण्णो चीवर-कंधोय पुत्र-कर्ष चेय देतो ॥ एसो वि को वि भोगी कन्य-गुण्णो अचार सुद्ध-सिणो। अण्णे करैति भाणं पुग्न अण्णान दोसेहिं ॥ 1 २९८ ) एसो वि को वि लिहिओ राया जंपाण-पवहणारूढो । पुरिसेहिं चिय वुज्झइ जम्मंतर पाव- चहएहिं ॥ वि मए लिड़िया संगामे पहर मेहिं जुता व जार्गति वराया अवस्य र इमेति ॥ सो वि इ-नाहो अच्छा सहाय सुद्द सिणीसेसिव सामंतो मत्तो मागेण व पत्तो ॥ एयस्स पंच कवला ते च्चिय वासाई दोण्णि काई चि । एक चिय से महिला असरालं वढए पावं ॥ एसो वि को विपुरिसो लोह-महम्माह-परिमाहायलो पइसइ भीमं उयहिं जीयं चित्र असणो मोनुं ॥ एसो वि को विपुरिसो जीविय हेऊण मरण-भय-रहिओ । कुणइ पर-दव्व-हरणं ण य जाणइ बहुयरं मरणं ॥ सोविएत्थ लिहिजो महद भीम-काल-बीभच्छो पुरियो चिय गेन्तो जाले मच्छ-संचाए ॥ व्यय जान उण एवं का कत्थ तवं किं धोवं किं बहु किं वप्य-हिये पर हियं वा ॥ एए वि एत्थ वणिया सच्चं अलियं व जंपिडं अत्थं । विढर्वेति मूढ-मणसा परिणामं णेय चिंतेंति ॥ एए वि के विपुरिसा वेरग्ग- परा घराई मोत्तूण । सार्हेति मोक्ख-मग्गं कह वि विसुद्धेण जोएणं ॥ एयं कुमार लिहियं मणुयाणं विद्ध-ठाणयं रम्मं । संखेवेणं चिय से वित्थरओ को व साहेजा ॥ ६२९९ ) एवं पिवेच्छ पत्थव तिरिय-समूहस्स जं मए लिहिये सोहणम सोहणं वा दिमाइ विद्वी पसाएण ॥ सुणितं चित्त कामु मु निम्माओ से दे दिहिं खर्णतरं सा वर-पुरिस | सीहेण हम्मद गओ गएण सीहो ति पेच्छ णरणाह । एस य मभ मईदेण मारिभो रण्ण - मज्झमि ॥ 1 1 12 15 18 21 24 27 10) P 1 ) P अउणो खणेण किमे. 2 ) P णिहिओ, om. कत्थ, P सव्वद्धा मज्झ सावेण ॥. 3 ) P एते, P सउणया for सारिया, वेर्तेता for वेयंता, P अण्णं च णयं निबद्धता 4 ) P मउलमालण, P पसवइ किं पि. 5) J वट्ट, वराओ P घरओ, P "अंगसंगो 6 ) मुज्झ for गुज्झ, P पीहिलिज्जइ, पोत्ती व्व. 7 > or inter. एत्थ & वि, P को for का P मएयं for मयं. 8 ) कुमार वेईएP कुरवेदीए 9 ) P गइ जागइए बराओ, संसारवि for संसारो, P हत्थेण मए, Pom. महाए. रोवंति अउण्णा- 11) उत्ताणसोयओ, P आउत्ति, P भणिओ रो, अगा P अणं. 12 ) र सोद्धि for सो धि, P एसो सोयम्बे पुणो कीलइ, P असुइम्मि असुइ ढोणय, P किं पि. 13 ) P एसो for एवं 14 ) Pकंनजुवतीण ।. 15) P सोय. 16 P repeats अह, P वलओ, परिहूओ P परिभूओ व्वियणिज्जो. 17 ) P इयर for नियय, दोसेहिं, P अ for अह. 18) P om. चेव वेतो. 19 ) P पुव्वय अण्णाण 20 ) P चिय, र बुब्भइ for बुज्झर, P पावपवाहेहिं. 21 ) P एते, P जुता, Pणय ज्झाणंति, P इमेहिं ति. 22 ) P सामन्नो मन्नो माणेण परयत्तो ॥ 23 ) P काई वि, P एक विय, P असाल. 24 ) P पयसरइ भीमओअहि जीयं. 25 ) हेतूय P हेऊण, P भीओ for रहिओ. 27 ) P अउणो, थोअं. 28 ) P एते, वण्णिया, मणसो. 29 ) P एते, J सार्वेति P साइंति, P जोगेणं. 30 ) १ सो for से, को व्व साहेज्ज ॥. 31)P एवं च for एवं पि, लिहिउं ।, P om. सोहणमसोद्दणं वा etc. to ताव वरपुरिस 33 ) P सोहण for सीहेण, P गएत्ति सीहो, P repeats एस. T 80 83 . Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३०१ कुवलयमाला 1 वग्येण एस वसहो मारिजह विरसयं विरसमाणो । एसो उण भिण्णो चिय वग्यो सिंगेण वसभस्स ॥ एए वि मए लिहिया महिसा अवरोप्परेण जुझंता । रागद्दोल-वसट्टा सारंगा जुज्झमाणा य ॥ ईसा-वसेण एए अवरोप्पर-पसार-वेर-बेलविआ। जुज्झंति पेच्छ पसवो अण्णाण-महातमे छूढा ॥ आहारट्ठा पेच्छसु इमिणा सप्पेण गिलियओ सप्पो । मच्छेण पेच्छ मच्छो गिलिओ मयरो य मयरेण ॥ विहएण हओ विहओ ईसा-आकार-काणा कोइ । सिहिणा य असिजतो भुयंगमेसो मए लिहिओ ॥ एयं च पेच्छ सुंदर चित्तं चित्तम्मि चिंतियं चित्तं । मच्च-परंपर-माली जीवाण कमेण णिम्मविया ॥ एसा मए वि लिहिया वणम्म सर-भारएण भमगाणी । लूया तंतु-णिबद्धा गहिया एयाएँ लूयाए । एसो वि य कोलियओ भममाणीए छुहा-किलंतीए । घरहारियाएँ गहिओ पावो पावाए पावेण ॥ घरहारिया वि एसा कह वि भमंतीए तुरिय-गमणाए । सामाए इमा गहिया चुका को पुव-कम्मस्स ॥ एसा वि पेच्छ सामा सहसा पडिऊण गयण-मग्गाओ। ओवायएण गहिया पेच्छसु णरणाह कम्मस्स ॥ मोवायओ वि एसो णिवडिय-मेत्तेण जाव उठेइ । ता रण्ण-बिरालेणं गहिओ लिहिओ इमो पेच्छ । 12 एसो विपेच्छ पावो रण्ण बिरालो बला णिवडिएण । कोलेणं गहिओ चिय सुतिक्ख-दाढा-करालेणं ॥ कोलो वि तक्खणं चिय आहारट्ठा इमेण पावेण । हम्मइ य चित्तएणं पेच्छसु चित्ते वि चित्तेणं ॥ अह एसो वि हु दीवी दाढा-वियराल-भीम-बयणेण । लिहिओ हि खलिजंतो खर-णहरा-वज-धाएहिं ॥ एसो वि तक्खणं चिय पेच्छसु बग्यो इमेण सीहेण । फालिजंतो लिहिओ कर-करवत्तेण तिक्खेण ॥ एसो वि पेच्छ सीहो जाव ण मारेइ दारुणं वग्छ । ता गहिओ भीमेणं सरहेण पहाविणा पेच्छ । इय अवरोप्पर-सत्ता सत्ता पावम्मि णवर दुक्खत्ता । रायबोस-वसत्ता सम्मत्ता भमंति इहं ॥ 18६३००) एयं पि पेच्छ णरयं कुमार लिहियं मए इह पडम्मि । बहु-पाव-पंक-गरुया झस ति णिवर्डति जस्थ जिया ॥18 एए ते मे लिहिया उववजंता कुडिच्छ-मज्झम्मि । बहु-पूय-बसामिस-गडिभणम्मि बीभच्छ-भीसणए । एत्थ य जाय चिय से णिवडता एत्थ मे पुणो लिहिया। णिवडंता वज-सिलायलम्मि उय भग्ग-सव्वंगा ॥ अह एए परमाहम्मिय त्ति पावंति पहरण-विहत्या । हण-लुंप-भिंद छिंदह मारे-चूरेह जंपंता ॥ एए ते तेहिं पुणो घेत्तूणं जलण-तत्त-तउयम्मि । छुब्भंति दीण-वियणा विरसा विरसं विरसमाणा ॥ एए मिति पुणो दीहर-तिक्खासु वज-सूलासु । जेहिं पुरा जीयाणं बहुसो उप्पाइयं दुक्खं ॥ एए वि पुणो जीवा विरसं विरसंति गरुय-दुक्खत्ता । एयाण एत्थ तंबं मुहम्मि अह गालियं गलियं ॥ एए पुण वेयरणि धावंता कह वि पाविया तीरं । डझति तत्थ वि पुणो तउ-ताविय-तंब-सीसेहिं॥ एसा वि वहइ सरिया वेदरणी तत्त-जल-तरंगिल्ला । एत्थ य झंपावडिया झत्ति विलीणा गया णासं ॥ 27 अह पुण संगहिय च्चिय भीम-महाकसिण-देह-भंगिल्ला । एत्य विभिजति पुणो वणम्मि असि-ताल-सरिसम्मि॥ एए वि मए लिहिया फालिजंता बला य बलिएहिं । करवत्त-जंत-जुत्ता खुत्ता बहु-रुहिर-पंकम्मि ॥ एए वि पुणो पेच्छसु अवरोप्पर-सिंघ-वग्घ-रूवेण । जुज्झति रोद्द-भावा संभरिओ पुन्व-वेरि त्ति ॥ 30 एए वि पेच्छ जीवा णरए वियणाएँ मोह-मूढ-मणा । विरसंति पुणो दीणं खर-विरसं मीसणं सहसा ॥ 30 एत्थ य कुमार एए णरए बहु-दुक्ख-लक्ख-लक्खम्मि । तेत्तीस-सागराइं भमंति णिचं ण संदेहो॥ ६३०१) एयं पि मए लिहियं कुमार सगं सुओवएसेण । जत्थ य जति सउण्णा बहु-पुण्ण-फलं अणुहति ॥ 33 ता पेच्छ ते वि णरवर सयणिज्जे दिव्व-वत्थ-पत्थरिए । उववजेता जीवा मणि-कुंडल-हार-सच्छाया ॥ 1) Pसिंहेण वसहस्स. 2) Pएते, P महिआ, JP वसड्डा (?). 3) एणा P एते for एए, पोस पसर for पसरवेर, उपसओ. 4) J इमंमि for इमिणा, लिहिओ for गिलिओ. 5) Pकारणे को वि ।, P भुयंगमो एस मे लिहिओ. 6)मुचित्त for चितं after सुंदर, P परंपरमाणीए, P om. जीवाण कमेण etc. to भममाणीए. 7) Jलूता, लूताए. 8) I घरहारिअए,P repeats पावो. 9 P भमतीए तु तुरियगमणाए ।, P गिलिया for गहिया. 10) Jओवातएण, P ओवारण. 11) JP ओवातओ, P मेत्ते ण. 13) Pम for य, Pचितेवि चितेग. 14Pविकराल, Pom. लिहिओ हि ख,Jom. हि, P लिज्जतो खरणरहावज्जथाएत्तिं ।। as the 2nd line. 15) P पीलिज्जतो,J काकरवंतेण. 16) Pमहावणे for पहाविंणा. 17) P writes सत्ता thrice,J दुक्खता, P रागहोस, P सत्तुसत्ता, J भवति इह. 18)P पहु for बहु, ज्झड for झस. 19> P एते ते, I उवविजंता Pउवडज्झता, वस for वसामिस. 20) उवदग्गसव्वद्धा. 21)P अह पत्ते परमाहम्मिए त्ति, पार्वति for पावंति, P हणलुपछिंदह मारे तूरेह. 22) Pएतेहिं पुणो धक्कूण णारया जलण, P वयणा for विमणा. 23) Pएते for एए, P जीवाणं, P उप्पाइओ दुक्खं. 24) Pa for अह, J अह गलियं, Pom. गलियं.25) Jउण.26Jय for वि,P वेयरणी, P नाम for तत्त, P ज्झडत्ति for झत्ति, Pपासं for णासं. 27) Pसंगलिय, P महाकसण,P वि छिजति. 28) Pएते वि, बहुमरुहिर. 29) Pएते वि गुणो, P वग्यवेण |, संभरि उं, P वेर त्ति. 30)Pएते, P repeats वियणाए, J मूढवणसण्णा , Pणो for पुणो. 31) Pom. य, एते, Pom. एप, दुक्खा, P भर्मति णचं. 32) Pएर्य मि मए, I एत्थ for जत्थ, P सउणा, J बह for बहु. 33) P सिलायले for सयणिज्जे ( which is a marginal correction of the former in Jalso), Pom. वत्थ, P वत्थरिए । Pउववनंती. Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९० उजोपणसूरिविरश्या एए उण उववण्णा दिव्वालंकार-भूसिय-सरीरा । सोहंति ललिय-देहा दिव्या दिव्वेहिँ रूवेहिं ॥ एसो देव कुमारो रेहइ देवी -सएहिं परियरिओ । भरण्ण-मत्त-मायंग सच्छमो करिणि- जूहेहिं ॥ 8 एसो उण सुरणाहो अच्छछ अध्यान-मझवारम्मि बहु-देवीयण देवीहिं परिगल माण- पडिवो ॥ एसो पुण आयो उपरिं एरावणरस दिव्वस्स विजन-जाला लामालाई दिप्तो ॥ । पढिबद्धो परिवेता एसो वि को वि देवो हि सुर-पेलणं पलोऐतो होव पार-सरहस-दाविर-भावान देवीको ॥ एयाओ पुण पेच्छसु मंथर-गमणाओ पिहुल-जहणाओ । तणु-मज्झेण य थणयल - रेहिरंगीओ ललियाओ || या पुण विलयाओ गायंति सुहं सुहेण तुट्टानो अच्छछ थंनिय-मणसो गीएण इमो वण-गओ व्व ॥ गाणवि कुमार दे पेच्छ विलिडिया एए किश्वितिया नाम खुरा किंकर-सरिसा इमे महमा ॥ वेदेति णन्धि संदेहो । एसो एष महणा आहे उण किंकरा जाया ॥ एसो बि को विदेवो चवर्ण नाऊन असनो भइरा परिदीयमाणकंती मिळाण महो दुई पचो ॥ अण्णो विएस जीवो विकणं सुदीण-मण-जुत्तो हा हा अहं उण्णो संपद पडिहामि असुम्मि ॥ 12 एसो वि को वि देवो विलवंतो चेष देवि-मज्झाओ । पवणेण पईवो च झति ण णाओ कहिं पि गओ ॥ एयं कुमार सव्वं देवत्तणयं मए वि लिहिऊण । एसो पुणो वि लिहिओ मोक्खो अच्छंत-सुभ-सोक्खो ॥ एथ ण जरा ण जम्मं ण वाहिणो णेय मरण-संतावो । सासय-सिव-सुह-ठाणं तं चेय सुहं पि रमणिज्जं ति ॥ 10 एवं कुमार, तेण साहिए तम्मि तारिसे संसार चक्क पडम्मि पच्चक्खीकए चिंतियं मए । 'अहो, कट्ठो संसार-वासो, दुग्गगमो 15 मोक्ष- मग्गो, दुखिया जीवा, भसरणा पाणिणो, विसमा कम्म-गई, मूढो जणो, ोह-णियलिओ लोभो, असुइयं सरीरं, दारुणो विलओवभोओ, चवलं चित्तं, वामाई अक्खाई, पच्चक्ख-दीसंत- दुक्ख महासागरो गाढ-हियओ जीव-सत्थो त्ति । 18 अवि य । 18 1 6 9 24 27 मणुयाण धि सोक्खं तिरियान ण वा ण यावि देवान गरए पुण दुक्तं चि सिद्धीए सुदं णवरि एकं ॥ चिंतयतेण भणियं मए 'अहो तर लिहियं चित्तव सम्पदा ण तुमं मणुओ, इमेण दिव्य-चित्तयम्म-पढप्पयारेण 21 कारणं किंपि चिंततो दिव्यो देवलोपालो समागनो'ति । एवं भले गए तस्स एक-पसे अण्णं चित्तयम्मं । 21 1 भनि च म 'अहो उपाय एवं पुण इमानो संसार-चकानो अइरितं ता इमं पि साहिन मति । 30 33 , ९३०२ ) इमं च सोऊणं दंसिउं पयत्तो उवज्झाभो । कुमार, एपि मलिहि छ सुविभत रुव सविभावं । काणं पि दोष परियं भवंतरे आणि जं वर्त्त ॥ एसा प ति पुरी डिहिया पण-रवण-कणय सुसमिदा दीसंति जीव एए पासाया रयण-योंगिता ॥ दीसइ नायर - लोओ रयणालंकार-भूसिभो रम्मो । दीसह य विवणि मग्गो बहु-घण-संवाह-रमणिजो ॥ एसो वि तत्थ राया महारहो णाम पणइ दाण-परो । अच्छ तं पालेंतो लिहिओ से मंदिरो एत्थ ॥ एथ य महामहप्पा धणदत्तो णाम बहु-धणो वणिओ । देवी य तस्स भजा देवि व्व विलास-रूवेण ॥ वाणं च दोन्ह पुता दुवे वि जावा मणोरद्द-सहिंताणं चित्र णामाई दोण्ड वि कुलमित्त-धणमिणा ॥ ताने जाया चिव गण से पाविमो पिया सहसा सचिव से परिगयमाणं गये लिहणं ॥ मिक्षण-विवखार परिवियलिय सयल होय-वावारा परिहीण-परियणा ते दोगार्थ पाविया बनिया ॥ एका वा माया अवरो से ताम णत्थि धुवणो अकय विवाहा दोणि वि कमेण अह ओवर्ण पत्ता ॥ भणिया ते जणणी पुत मए बाल-भाव-मुडबरा तुम्हे जीवावियया दुखिय-कम्मा काउण ॥ [8३०१ 1 12 24 27 30 J 1 ) JP एते, P "लंकारभूविलासरूवेण । and further adds ताणं च दोण्ह पुत्ता etc. to हिणं । निशीसियसरीरा before सोहंति etc. as at ll 29-31, p. 190, दिव्वे for दिव्वा. 2 ) P देविकुमारो, P सच्छिमो करणि 3 ) P उण सरणाहो, P देवी उण, P पडिगओ 4 ) Jएसो उन, P om. दिव्वस्स, वज्जुज्जलजलावलि, P दिप्पंता. 5 ) होवहारसहरिस-, P जेवार, P हाविरहावाउ 6 ) JP पुणो, ए पेहुलजघणाओ, जगाओ। थणमज्झेण, adds स before रेहिरं 7 एता P एयाओ, P उठाओ, P वणमउ व्य. 8 ) P एया वि, P विलहिया एते । 9 ) P एते, J परिवेयंता, P वेति णस्थ, P एडसो, rather [ अण् ] उप- 11 ) P अण्णे, P अउणो. 12 ) J चेव 13 ) P inter. वि & पुणो, सुह, P -साक्खो. 14 ) Pom. f after जरा, Pवाहिणा, P संततावो । सासंब सिवं ठाणं, उ सुहं परमणिधं ॥ इति ॥ 15) P adds after एवं, P चक्के पडमि, 3 om. मए । अहो. 16 ) P लोहो for लोओ. 17 ) विसयोवभोओ, Pom. चवलं चित्तं अक्खरं, P पञ्चकखं, आढ for गाढ, P तिथ for त्ति. 19 वि ताब for ण वाण यावि, P देवेण । and further repeats णरए वामाई अक्खाई etc. to ण यावि देवेण ।. 20 ) P चितियं तेण, Pom. मए, P चित्तियंमपडसारेण 21 ) देवलोगाओ, तप्पएसे, P अन्नं चितयमं. 22 ) एअं पुग, JP अतिरित्तं, P सादिज्जओ मज्झत्ति 23 ) अज्झाओ. 24 ) P पयं मि मए, पेच्छअ for पेच्छ, र रूवयविभायं-, P ताणं for काणं, 3 हवंतरे for भवंतरे. 25 ) P रयणगिला. 26) Jadds वर before रयणा, विमणि 27 ) P एत्थ for तत्थ, P पालतो, P लिहिओ मे मंदिरे. 28 ) धणमित्तो णाम बहुधणो घणिओ. 29 ) Jom. च, दोन्हं, P inter. धणमित्त and कुलमित्त (त्ता ) 30 ) P हिणं स पिया सहसा, परिगमाणं. 31) P निज्जीण, P दोगचं. 32 ) P एकाण ताण माया, P वियाहा. 33 ) P वियाय for वियया. 33 . Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 -६३०३] कुवलयमाला 1 एहि जोवण-पत्ता सत्ता दाऊण मज्य आहारं । ता कुणह किं पि कम्म इय भणिरि पेच्छ माय से ॥ एए वि मए लिहिया लग्गा णिययम्मि वणिय-कम्मम्मि । तत्थ वि य णत्थि किंचि विजेण भवे भंड-मोल्लं ति ॥ ३ अह होइ किंचि तत्थ विज चिय गेण्हंति भंड-जायं ति । जं जं घेप्पड दोहि वि तं तं एक्केण विक्काए । जं एरण गहियं मग्गिजह तं पुणो वि अरेण । अर्तण जे पि किणियं वच्चइ तं ताण पाएणं ।। इय जाणिउं वणिज णस्थि अउण्णेहि किंचि लाई ति । ताहे लग्गा किसि-करिसणम्मि कह-कह वि णिम्विण्णा ॥ ६३०३) एए ते मे लिहिया हल-जंगल-जोत्त-पग्गह-विहत्था । अत्ताणं दममाणा गहिया दारिद-दुक्खेण ।। जं किंचि घरे धर्ण सव्वं खेत्तम्मि तं तु पक्खितं । मेहा ण मुयति जलं सुकं तत्थेय तं धणं । महते तं चहऊणं लग्गा धोरेसु कह वि दुक्खत्ता । एए मए वि लिहिया आरोविय-गोणि-भरयाला ॥ एए वि ताण थोरा तिलय होऊण वाहिया सब्वे । णीसेसं ते वि मया तत्थ विभग्गा अउण्णेण ॥ वित्तीए संतुट्टा पर-गेहे अच्छिउं समाढत्ता । एत्थ वि एसो सामीण देह वित्ती अउण्णाण ॥ एए पुणो वि ते च्चिय वेरग्गेगं इमं परिचइडं । अण्णस्थ पुरवरीसुं उवागया जाय-णिग्वेया ॥ 12 एस्थ वि एए भिक्खं भमति घरयंगणेसु भममाणा । ण लहंति तत्थ वि इमे दे.ण वि कम्मेण असुहेणं ॥ एवं च ते कमेणं पत्ता णिब्वेय-दुक्ख-संतत्ता । रयणायरस्स तीरं अस्थं परिमम्गिरा वणिया । ताव य को वि इमो सो परतीरं पत्थिओ इहं वणिओ। घेत्तण बहुं भंडं जाणं भरिऊण वित्थिणं । एसो सो तेहि समं वणिओ भणिओ वयं पि वञ्चामो। देजसु अहं वित्ती जा तुह पडिहाइ हिययस्स ॥ वणिएण वि पडिवणं एवं होउ ति वञ्चह दुवे वि । दाहामि अहं वित्ति अण्णाण वि जं दईहामि ॥ एयं तं पोयवरं कुमार एयम्मि सलिल-मज्झम्मि । पम्मोक्कियं जहिच्छं धवलुब्वत्तंत-विजयाहिं ॥ . 18 एवं समुद्द-मज्झे वच्चइ जल-तरल-बीइ-हेलाहिं । सहसा अह फुडियं चिय लिहियं तं पेच्छ बोहित्थं ॥ एए वि वणियउत्ता दुवे वि सलिलम्मि दूर-तीरम्मि । कह कह वि णिबुडूंता फलयारूढा गया दीवं ॥ तरिक्षण महाजलहिं एए पुच्छंति एस को दीवो । एसो इमेहि कहिओ केहि मि जह रोहणो णाम ॥ A एवं सोऊण इमे लटुं जाय ति हरिसिया दो वि । अवरोप्पर-जंपंता एए मे विलिहिया एस्थ ॥ एयं तं दीववरं जत्थ अउण्णो वि पावए भत्थं । संपह ताव खणामो जा संपत्ता रयणा ॥ ६३०४) एवं भणिऊण इमे खणिउं चिय णवर ते समाढत्ता। दियह पि अह खणता ण किं चि पावंति ते वरया ॥ 4 मह तत्थ वि णिग्विण्णा अल्लीणा के पि एरिसं पुरिसं । धाउब्वाय धमिमो त्ति तेण ते किं पि सिक्खिविया ॥ तथ वि खणंति गिरि-कुहर-पत्थरे णट्ठ-सयल-पुरिसत्था । ते च्चिय धर्मति सुहरं तत्थ वि छारो परं इत्थें । तत्य वि तेणुब्विग्गा लग्गा भह खेलिउं इमे जूयं । एत्थ वि जिणिऊण इमे बद्धा सहिएण ते वणिया॥ कह-कह वि तस्य मुक्का लग्गा ओलग्गिउं इमे दो वि । तत्थ वि एसो जाओ संगामो पाडिया बद्धा ॥ एस्य वि चुका मुका अंजण-जोएसु णेय-रूवेसु । अंजंति य जयणाई उवधाओ जाव से जाओ। मह पुण ते चिय एए के पि इमं गहिय-पोत्थय-करग्गा । पुरओ काउं पुरिसं बिलम्मि पविसंतया लिहिया ॥ 30 एत्थे किर होहिइ जक्खिणि त्ति अम्हे वि कामुया होहं । जाब विगराल-वयणो सहसा उद्धाइओ वग्यो। एए ते चिय पुरिता मंतं गहिऊण गुरुयण-मुहाओ । मुद्दा-मंडल-समएहि साहणं काउमाढत्ता ॥ एस्थ वि साहेंताण सहसा उद्धाइओ परम-भीमो । रोद्दो रक्खस-रूवी पुन्व-कओ पाव-संघाओ ॥ सब्वहा, 38. जं जं करेंति एए पुन्व-महा-पाव-कम्म-दोसेण । तं तं विहडइ सम्वं वालुय-कवलं जहा रइयं ॥ 1)सदा for सत्ता. 2) Pएते वि माइभणिया लग्गा, P किंची जेण. 3) Jinter. तत्थ & किंचि, Jadds ता before जं चिय, भंडमुलं पि ।, P om. वि, rom. one तं, विकाई for विकाए. 4) J तत्थाण for तं ताण. 5) ता tor ताहे. 6) P एते ते, P गहिता दारिद्दरक्खेग. 7) Pणं सम्बं. 8) लग्गा धोरेसु, P व for वि, Pएते. 9)P एते, P ताण घोरा, P सत्यो for सब्वे, Pणीसंसे for णीसेर्स. 10) Pमी for सामी, P देति. 11) एते, P परिवाओ। 12) Pएते, घरपंगणेसु. 14)इमा सा परवीर, P बहु. 15) Prepeats भणिओ. 16)P दाहामि तुहं वित्ती. 17) JP एतं, पोतवरं पायवां, एतमि, P धवलधुन्वंत.. 18) P पतं, P वीतिहेलीहि, P अह for तं. 19)Pएतेवि, Pom. one कह, विणिउत्तता फलरूढा. 20) Pएते, Pइमोण for इमेहि, P केहम्हि जह. 21) Pएतं, P लद्धं, P पते, विलिया. 22) P एतं, P तत्थ अतन्नो for जत्थ अउण्णो. 23) P पत्ता ए for चिय णवर, Pता गं for ताण, ताण इंचि. 24)अलीणा किंपि, P पुरि for पुरिसं. 251 चिर for थिय, P हत्थो. 26) 'विग्गा अढत्ता खेलिउं इमे. 27)P चुका for मुक्का, Pइसो for एसो. 28) P तत्थ for एत्थ, जोएसु णायरूवेसु । अंजोति, उवग्घतो. 29) एते कि पि अहं, P इमं महियः, करगं, पुरिस पिलंमि, P पसंतया. 30) Pएत्य किर होहिति, विराल. 31) पते, P.गुरुयमुहाओ. 32) सार्धताणं । साहताणं. 33) Pएते, P विहडसब्बं. Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९२ उज्जोयणसुरिविरइया [६३०४ 9 भह एए एयं जाणिऊण णिविण्ण-काम-रह-भोगा । देवी पाय-वडिया चिटुंति इमे सुह-णिवण्णा ॥ एत्थ वि सा हो देवी कत्थ वि अण्णत्थ पवसिया दूरं । एए वि पेच्छ वरया सेलत्थंभोवमा पडिया ॥ ३ दियहेहिँ पुणो पेच्छसु सयलाहारेण वजिय-सरीरा । अद्विमय-पंजरा इव णिविण्णा उढ़िया दो वि॥ ६३०५) कह कह वि समासस्था एए भणिउण इय समाढत्ता । अन्वो देब्वेण इमो रोसो अम्हाण णिब्वविभो ॥ जं जं करेसु अम्हे आसा-तण्हालुएण हियएण । तं तं भंजइ सव्वं विहिदालो पेच्छ कोवेण ॥ 6 अम्हाण घिरत्थु इमं घिरत्थु जीवस्स णिप्फलं सव्वं । घडियम्हे देब्वेणं हो ण जुत्तं इमं तस्स ॥ किं तेण जीविएणं किं वा जाएण किं व पुरिसेणं । जस्स पुरिसस्स देब्वो अम्हाण व होइ विवरीओ॥ दीसंति केइ पुरिसा कम्मि वि कम्मम्मि सुत्थिया बहुसो । अम्हे उण गग-पुण्णा एक्कम्मि वि सुत्थिया णेय॥ ता अम्ह हो ण कजं इमेण जीवेण दुक्ख-पउरेण । आरुहिउँ अहवा गिरियडम्मि मुच्चामु अत्ताणं ॥ एयं चेय भणंता पत्ता य इमे चउर-सिहरम्मि । एयं च चउर-सिहरं लिहियं मे पेच्छ णरवसहा ॥ एत्थारुहंति एए पेच्छसु णरणाह दीण-विमण-मणा । आरूढा सिहरम्मि उ अत्ताणं मोत्तुमाढत्ता ॥ 12 भो भो गिरिवर-सिहरा जइ तुह पडणो वि अस्थि माहप्पो। तो अम्हे होजामो मा एरिसया परभवम्मि ॥ इय भणि समकालं जे पत्ता घत्तिउं समाढत्ता । मा साहसं ति भणियं कत्थ वि दिवाए वायाए । सोऊण इमं ते च्चिय दुवे वि पुरिसा ससज्नसा सहसा । आलोइडं पयत्ता दिसाओ पसरंत-णयणिल्ला ॥ 18 केणेत्थ इमं भणियं मा हो एवं ति साहसं कुणह । सो अम्ह को वि देवो मणुओ वा दसणं देह ॥ एत्थंतरम्मि णरवर पेच्छसु एयं तवस्सिणं धीरं । परिसोसियंगमंग तेएण य पजलंतं चा॥ एएण इमं भणियं बलिया ते तस्स चेय मूलम्मि । अह वंदिऊण साहू भणिओ दोहिं पि एएहिं ।। ६३०६)भो भो मुणिवर सुब्वउ कीस तुमे वारियम्ह पडणाओ । णणु अम्ह साहसमिणं जं जीवामो कह वि पावा ॥18 भणियं च तेण मुणिणा वर-पुरिसा तुम्ह किं व वेरग्गं । भणिओ इमेहिँ साहू दारिदं अम्ह वेरग्गं ॥ तेण वि ते पडिभणिया कुणह य अत्थस्स बहुविह-उवाए । वाणिज्ज किसि-कम्मं ओलग्गादी बहु-वियप्पा॥ तेहि वि सो पडिभनिओ भगवं सब्वे वि जाणिया एए । एक्केण वि णो किंचि वि तेण इमे अम्ह णिविण्णा ॥ मुणिणा पुणो वि भणियं एए तुम्हेहि णो कया विहिणा । जेण अहं तुह भणिमो करेह तेणं विहाणेणं ॥ भणियं च तेहि भगवं आइस दे केण हो उवाएण । अत्थो होहिइ अम्हं सुहं च परिभुजिमो बहुयं ॥ भणियं च तेण मुणिणा जइ कर्ज तुम्ह सव्व-सोक्खेहिं । किसि-कम्म-वणिज्जादी ता एए कुणह जत्तेण ॥ कुणसु मणं आमणयारयं ति देहामणेसु वित्थिण्णे । पुण्णं गेण्हसु भंडं पडिभंडं होहिइ सुहं ते ॥ मह कह वि किर्सि करेसि, ता इमं कुणसु । 7 मण-णंगलेण पूए सुपत्त-खेत्तम्मि वाविए बीए । सयसाहं होइ फलं एस विही करिसणे होइ ॥ मह कह वि गोवालणं कुणसि, ता इमं कुणसु । ३०७) गेण्हसु आगम-लउड़ वारे पर-दार-दष्व-खेत्तेसु । इंदिय गोरुययाई पर-लोए लहसि सुह-विति ।। 30 अह कम ता करेसि, ता इमं कुणसु। जं जं भणाइ सामी सवण्णू कुणह भो इमं कम्मं । तं तं करेह सव्वं भक्खय-वित्तीय जइ कर्ज ॥ मह वह जाणवत्तेण, ता इमं कुणसु । 33 कुण देव जाणवत्तं गुणरयणाणं भरेसु विमलाणं । भव-जलहिं तरिऊणं मोक्खदीवं च पावेह ॥ 1) Pएते एतं, तं for एयं, P णिव्वन्नकामरइअभोगा, Pसुहनिसन्ना ।।. 2) Pom. हो, P विरया for वरया, वडिया for पडिया. 3) P अट्रिमयं. 4) Pपते, Pदेवेण,णिव्वरिओ. 6) Pom. इमं घिरत्थु, पडिअम्हो P घडिओ म्हे, देवेणं. 7)Pदेवो, P वि for व. 8) P केवि for केइ, कंमं वि. 9)J जीएण, P आरुह्यं, J अह for अहवा, मुबम्ह for मुच्चामु. 10) एतं, पउर for चउर, P वर for च चउर. 11) Pएते, दीप for दीण, Jom. उ. 12)P पडणा वि,P परिभवंमि. 13) जाअंता for जं पत्ता, P पत्ता घेत्तिउ, Pom. भणियं, Padds भणिया after वि. 14) Pसंज्झसा, P आलोइयं, पयरत-- 15) P वि दोवो, Pदेओ for देह. 16) पेच्छह एतं तवसिणं, परिसेसि. 17) Pएए इम, P भणिया, P एयस्स for ते तस्स, साहू, दोहं पि. 18) Pपव्वओ for सुब्बउ, P वारिया अम्ह. 19) Pinter. किंव (P किम्ब) & तुम्ह, P तुह for तुम्ह, Pइमेण साहू. 20) P बहुविहओवाओ। वाणिज्जकिसी, Pओलाग्गादी. 21) तेहि मिसो पडिभणिमो, P पते ।, Pणा for णो.. 22) J करेसु. 23)P आइस ढेकोण, P होही अम्हं, J पडिभुजिमो. 24) Jom. तेण, P अत्थे for सञ्च, P कम्मविणिज्जाती ता, Jएते कुणसु. 25) Pकुपेसु for कुणमु, J अमणयारयं ति P आमणआयरंति, Pदेहामाणे, धुन्नं for पुण्णं,P भई हो हो पएण सोक्खं तो || for भंडं etc. 26) वि कहिं करेंसु, किसि करेसि. 27) J पूते सुपयत्त, P पूसुपत्त, Pठाविए for वाविए, Pसयसोह, करिसणा. 28) Pगोबालत्तणं, Pom. कृणसि ता इम. 29) Pगोरुवाई,P लहसु. 31)P adds होइ before कुणह, Pi for भो इमं. 33) कुण जाणवत्त देहं, P तरेसु for भरेसु, P मोक्खं दीवं पि पा. Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३०८] कुवलयमाला अह खणसि रोहणं, ता इमं कुणसु । णाणं कुण कोद्दालं खण कम्मं रोहणं च वित्थिण्णं । अइरा पाविहिसि तुमं केवल-रयणं अणग्घेज ॥ 3 बह कुणह थोर-कम्म, ता इमं कुणसु। मण-थोरं भरिऊणं आगम-भंडस्स गुरु-सयासाओ । एयं हि देसु लोए पुण्णं ता गेण्ह पडिभंडं ॥ अह मिक्खं भमसि, ता कुणसु । 8 गेण्हसु दसण-भंड संजम-कच्छं मई करकं च । गुरु-कुल-घरंगणेसुं भम. मिक्खं णाण-भिक्खट्टा। अण्णं च जूयं रमिय, तं एवं रमसु । __ संसारम्मि कडित्ते मणुयत्तण-कित्ति-जिय-वराडीए । पत्तं जइत्तणमिणं मा घेप्पसु पाव-सहिएण ॥ मह धाउब्वायं ते धमियं, तं पि तव-संजम-जोएहिं काउं अत्ताणयं महाधाउं । धम्मज्झाण-महग्गिए जइ सुज्झइ जीय-कणयं ते ।। किं च राइणो पुरओ जुज्झियं तुम्हेहिं । तत्थ चि, 12 भोलग्गह सम्वण्णू इंदिय-रिउ-डामरेहिँ जुज्झसु य । तव-कड्डिय-करवाला जइ कजं सिद्वि-णयरीए । अह मल्लत्तणं कुणसु। ___संजम-कच्छं अह बंधिऊण किरिया-बलम्मि ठाऊण । हणिऊण मोह-मलं जय-णाण-पडाइयं गेह ।। 16 किं च अंजणजुत्ती तुम्हेहिं कया, तं पि सुणेसु । संजम-दसण-जोय-णाण-सलायाए अंजियच्छि-जुओ। पेच्छसि महाणिहाणे गरवर सुर-सिद्ध-सुह-सरिसे। अण्णं च असुर-विवरे तुब्भे पविट्ठा.आसि । तत्थ वि, 18 णाण-जलंत-पदीवं पुरओ काऊण किं पि आयरियं । विसिउं संजम-विवरे गेण्हह सिद्धिं असुर-कण्णं ॥ ६३०८) किं च मतं साहिउँ पयत्ता, तं च इमिणा विहाण साहेयव्वं । अवि य। समयम्मि समय-जुत्तो गुरु-दिक्खा-दिण्ण-सार-गुरु-मंतो। सिद्धतं जवमाणो उत्तम-सिद्धिं लहसि लोए । शअण्णं च देवया आराहिया तुब्भेहिं सा एवं भाराहेसु । सम्मत्त-णिच्छिय-मणो संजम-देवंगणम्मि पडिऊण । जइ ते वरेण कजं दिक्खा-देवि समाराहे ॥ एयाई वणिजाई किसि-कम्माइं च एवं कीरमाणाई उत्तिम-बहु-णिच्छय-फलाई होति ण अण्णह त्ति 'ता भो वणियउत्ता, 4मा णिब्वेयं काऊण पाण-परिच्चायं करेह । जइ सव्वं दुग्गश्च-णिन्वेएण इमं कुणह, ता किं तुम्ह इह पडियाण दोहग्ग 24 अवसप्पइ, णावसप्पड़ । कह। पुश्व-कय-पाव-संचय-फल-जणियं तुम्ह होइ दोग्गचं । ता तं ण णासइ चिय जाव ण णटुं तयं पावं ॥ 27 एवं च तस्स णासो ण होइ जम्मे वि पडण-पडियस्स । अण्णम्मि वि एस भवंतरम्मि तह चेय तं रइयं ॥ ता मा होहिह मुद्धा अयाणुया बाल-मूढ-सम-सरिसा । अत्ताण-वज्झयारा पावा सुगई ण पावेह ॥ तमो तेहिं भणियं 'भगवं, कई पुण जम्मंतरे वि दारिदं पुणो ण होइ' ति । भगवया भणियं । 30 'जइ कुणह तवं विउलं दिक्खं घेत्तण गरुय-वेरम्गा । ता हो पुणो ण पेच्छह दारिदं अण्ण-जम्मे वि।' तओ एवं णिसामिऊग इमेहिं भणियं 'भगवं, जह एवं ता दारिद्द-भय-विहलाण सरणं होहि, देसु दिक्ख' ति । तमो कुमार, दिण्णा दिक्खा ताणं तेण मुणिणा, इमे य ते पव्वइया, मए लिहिया तवं काऊण समाढत्ता । कालेण य इमे ते चेय 33 मरिऊण देवलोग पाविया । पुणो तम्मि भोए भुंजिऊण एसो एक्को ताणं चविऊण देव-लोगाओ बारवई णाम जयरी तत्थ 33 2) व for च, P अणग्धेय. 4) मणघोरं भणिऊण आमम, एअम्मि Pएतं हो for एयं हि. 6) Pईसणदंड संड जमसमिई तवं करकं च. 7) Pजूयरमियं, एअं for एवं. 8) कडत्ते, P कत्ति for कित्ति. 9) Pधाउवायं ते धमिउं त. 10) P धम्महा for महा', Pमहग्गी जय सुज्झइ जीयऋगयं. 11)P किं चि राइणो, P जुज्झिओ, तुब्मेहिं. 12) सव्वग्ध for सव्वण्णू, P रिओडामएहिं जुज्झसि, डामरेहिं जुज्झसु आ ।. 13) मलत्तणं कुणह, P मल्लणं. 14) Pकिरिय-- 15) । किंचि अंजगजुत्तीउ, J तुम्मेहि, सुणसु. 16) Pदसणजोगं, सिद्धि, P-सरिसो. 17) Pमुह for असुर. 181 पईवं. 19) किं चि, साहितध्वं. 20) Pom. समयम्मि, P -गुरमंतो।, P-सिद्धी लहसु. 21) Jom. च, P.देवता, -तुम्मे सा. 22) Jए for ते, P-देवी समाराह। 23) P एताई, एआई अवणिज्जइ किसिकम्मादीणि एवं कीरमाणा अत्तमढहर णिच्छिअफलाई, P adds जाइ लोयंमि । before एवं, P adds च after एवं, "त्ति भो भो वणिउत्ता. 24)माणब्वे । दोहग्गं for दुग्गच्च, P तुम्हाण इह, दोरगच्च for दोहगं. 26) 3जलियं तुब्भ, P दोगच्छं । तं दाण, P तवं for तयं. 27) P om. वि, चेव. 28) Pहोहि मुद्धा, P अत्तावज्झायारो पावा सुगयं ण पावेति ॥. 29) JP ततो, P हि for तेहिं, P inter. पुण & कहं, P adds दा वि after वि, P होहि ति. 30) F कुणसि for कुणह, P दुक्खं for दिक्ख, ' गुरुयः, तम्हा for ताहो, अण्णजम्मम्मि 1. 31) Pom. च, Pदारिई, Pदोदि for होहि, Pom. ति. 32) P दिक्खियाणं for दिण्णा दिक्खा ताण, Pमुणिणो दिण्णा इमे य, P repeats जई एवं ता etc. to मए लिहिया । तवं and adds च before काऊण. 331 देवलो, तम्मि अ भोज मुं', देवलोआओ, P बारक्ती. 25 Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ उज्जोयणसूरिविरया [६३०८ 1 सीह-रण्णो पुतो भाणू णाम जाओ । सो एत्थ उज्जाणे वहद्द, तुमं जो पुण दुइओ से भाया सो अहं एवं पडं लिहिऊण 1 तुम्ह पडिबोहणत्थं इहागओ । ता भो भो भाणुकुमार, पडिवुज्झह पडिबुज्झह । भीमो एस संसार वासो, दुग्गमो मोक्ख3 मग्गो, तरलाओ संपयाओ, हत्थ- पत्ताओ विवत्तीओ, दूसहं दारिहूं, सो से एस जीवो, असासयाई पयत्थाई । अवि य । 3 णाऊ इमं सम्बे संसार महष्णवे महादुत्रं बुझसु भाणुकुमारा मा मुज्झ बिसय सोक्खेहिं ॥ ति । इमं च सोऊण ईहापोह-मग्गणं करेमाणो धस त्ति मुच्छिओ भाणुकुमारो । ताव य उद्धाइया पास-परिवत्तिणो वयंसया । ● तेहि व आसासिनो सीपले कवली-दल-पवणे समासत्येण य भणियं भाणुकुमारेण । 6 'सेनाहो से सर से चित्र अह बंधयो महापुरिस जेण व मूढो एसो सुमराविमो हि ॥ 9 सम्यं सरियं जम्भे पुर्व अम्हे जे कर्व आसि तं एवं सव्वं चिय चरिये अम्हे अजुहू ॥ 1 ३०९) एवं भयमानो अहं विडियो चलमेसु पनाम-बुद्धिजो य पेच्छामि तं उवज्झायं । भवि व वर- वेजति माला परिवरिए स्वण-किरण-विच्छुरिए दिव्ये विमाण-रवणे मज्झ गयं रयण-व ॥ वर-हार-मउड-राई वणमाला-पोळमाणसच्छायं मणि-कुंडलसंत दिसी पयातं ॥ 1 देवेनं 'भो भो भाणुकुमार दिझे तर एस संसार महाचक वित्थरो जायं तु बेरी, संभरिया जाई, अम्हे 12 सहोयरा वणिय दारया, पावियाई इमाई दोम्गच्च दुक्खाई । पुणो तेण रिसिणा संबोहिया, तभी एसा तव्य व तुर्म एको विकण समागनो ता दुसदे मनुवत्त, पत्थणीयाई सुहाई, परिहरणीयाई 10 णस्य दुखाई, तुला पावणीचं जिणवर-बम्मे, ता सव्वा ण कर्म माहिं भोगेहिं दिवसे पडिवन भगवंताणं साहू 15 संतियं जेण व पावेसि तुमं । अनि य । । 12 [भणिवं च ते ते दोणि वि रिन्दी पणा जत्थण जरा ण मच्चू ण वाहिणो णेय सव्व- दुक्खाईं । सासय-सुहं महत्यं तं सिद्धिं पावसे जेण ॥' 15 एवं च कुमार, ते देवे भणिए समाणे मए उम्काई सक्थेय आभरणाई, कथं सयं चैव पंच-मुट्टिय होय उतिमंगे, 18 उवणीयं च तेण य दिग्वेणं स्वहरण-मुहोत्तिया-पडिमहादीयं उवगरणं, णिक्लंतो उज्जाणाओ ताब व दादा-रव-मुइलो वयंस- भिच्च सत्थो उद्घाइओ सीह-रण्णो सयासं । भहं पि तेग देवेण तम्हाओ पदेसाओ अवहरिय इह पदेसे मुक्को। संपयं पुण 21 के पियरिये मणिस्सामि जस्स मूळे पच्चर्ज करेमि ति ता इमिणा युतंतेण पुग्ध बणे अहं इमिणा व पब्वइओ सि । 21 इमे च निसामिण भणियं च कुमारेण 'अहो, महंतो तो सुंदरी एस संसार-चक्र-पोलो, णिउनो व भाषा दिव्यो । कर्म तु भाउवत्तर्म तेण पुण्णवंतो तुमं जेणं इमे पावियेति । इमं च सोडण महिंदकुमारेण वि गहिये सम्म 24 पडिवण्णा अणुम्बयाई भणियं च महिंदेण 'महो, एरिखो तुम अम्हाणं जिन्हो जेण भगवमो धम्मं णाभिविखर्य 124 कुमारेण भणियं । 'महिंद पुब्ब-चिहिये पूर्व विव-परिणामेण पाविजइति भणिण बंदिऊण साई उबगया आवासंति भणियं च कुलदेश 'अहो एरिसो एस विरमग्गो दुमामो जेण बहुए जीवा मिच्छा विषप्य यामूढा परिब्भमंति 27 संसारे, ण उण सयल-तेलोक्क-पयड-रूवं पि इमं जिणधम्मं पार्वति । ता ण याणामो किं कम्माणं बलवत्तप्पर्ण, भादु 27 जीवस्स मुवर्ण, किं वा जिण-मगारस दुखभचणं किं वा विहाणं एरिसं चेय सयह-जग-जीव-पवत्थ-विव्थरस्स 'ति पूर्व भणमाणा केवल-जिण साहु-धम्म-सम्मत कहासुं महिंदकुमारस्य दर्द सम्मत परिणाम जाणेमाणा संपत्ता 30 निवे तत्थ कप-कायव्य-यावारा पडियग्गिय सवल सेगिय-जणा पसुता राईए वि पुणो विमले गयणंगणे निवडमाणे 30 तारा- नियरेसु, संचरमाणेसु हरि-णउलेसु गुहा- मुहेसु, राई - खेय-णीसहेसु मयवईसु, चरमाणेसु महाकरि- जूहेसु, करयरेंसु वायस - सउणेसु, णिलुक्कमाणेसु कोसिय-संघेसु, सव्वहा धावार कुंकुम वारसा सूरं दयं व मग्गए तं पुष्य-दिसा महिला इव 33 यल-सवर्ण समारूया ॥ 1) adds य after सो and च after तुमं, J adds सो and r adds सोऊण before जो पुण, P इमं for एयं. (2) P भाणकुमार, Pति for second पढिबुज्झह, भो भो for मीमो, दुग्गे for दुग्गमो. 3) Pom. पताओ विवत्तीओ etc. to महादुक्खं । बु. 5 ) ईहापूह, P विमग्गणं for मग्गणं, मुद्धाइया P उद्धाश्य, P परियत्तणो, वयंस तेहि . 6 ) Jom. कयलीदल, J adds ति after भाणुकुमारेण 7 ) 3 मह for अह, P एण्हं. 8 ) Pom. जम्मं पुब्वं अम्हेहिं, om. तं, Jom चिय. 9 ) P पणामि पन्भुट्टिओ. 10 ) P कणय for किरण. 11) P सोहं for राहं. 12) P जाती. 13 ) Jom. वि, P पवियाई, P दोगच्च, Pom. तेण 14 ) Pom. य, P चविओ समाउगओ, P माणुसत्तणं. 15 ) Pom. णरय, P णु for ण. 16 > Pom. अवि य. 17 P णेय माणुसं दुक्खं सासय सुहपरमत्थं तं. 18 ) P कुमारेणं देवेणं, P समाणो, P सयं वे मुट्ठियं लोवे उत्तिमंगे, उत्तमंगे. 19 ) P दिव्वेयं, उपरिग्गहादीअं उवकरणं णिक्खताओ, P हा for हा हा. 20 ) P om. भिच, P परसाओ, P पएसे 21 ) Pपुण किं पि, Pom. अहं इमिणा य. 22 ) P च णेसा मिऊण, Pom. बुतो, Jom. चक्क, P ओतो. P य साया दिव्वा. 23 पुण्णमंतो, P एवं for इमं कुमारेणावि 24 ) 3 धम्म, P णाविक्खियं. 25 ) जिय साहू, 26 Jom भणियं च कुवलयचंदेण, P परिभमंति 27 ) Padds ताण धम्मं पावंति after पार्वति P बलवत्तरणं, P आउ for आदु. 28 ) Poun किं वा जिणमग्गस्स दुलभत्तगं, 3 जय for जग, J om. पयत्थ. पत्तो तं खण्णवार, खंधारणिवेसं. 30 3 adds य after तत्थ, P inter. पुणो & वि, रातीसु for राईखेयणी सहेसु मयवईसु, P करयरंतेसु. 32 ) वायसउलेसु. 33 ) 29 ) P भणमाणो, P जाणेमाणो संत्ता adds वि after पुणो 31 ) P रायारश्यासूरं, P दश्य त्ति, P एतं I J स्यलं. J 33 . Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३११] कुवलयमाला १९५ । ६३१.) एरिसम्मि य समए दिण्णं पयाणयं ताव जा संपत्ता कमेण विझ-सिहरासण्णं, तत्थ य समावासिया । तो । कय-दियह-सेस-परियारा कय-राई-वावारा य णिसण्णा सयणिजेसु । तओ कय-सयल-वावारो उवविट्ठो सयणयले कुमारो कुवलयमाला य । तत्य य अच्छिऊण के पि कालं वीसंभालाव-णिब्भरा, पुणो कय-अरहंत-णमोकारा कय-जहा-विवक्खिय- ३ पश्चक्खाणा य णिवण्णा सयणयले, पुणो सयल-खेय-णीसहा पसुत्ता । थोव-घेलाए य विबुद्धो कुमारो जाव तीए राईए दियई जाम ति पलोयंतेण गयणयलं दिट्ट एक्कम्मि विंझ-गिरिवर-कंदरालंतरम्मि जलणं जलमाणं । तं च पेच्छिऊण वियप्पिड 8समाढत्तो कुमारो। 'अहो, किं पुण इमं, किं ताव एस वणदेवो। सो ण होइ, तेण वित्थारेण होयच्वं, इमं पुण एकत्थ पएसे।8 मह होज वसिम, तं पि एत्य णस्थि । मह चिति होज, सा विण संभावीयइ। दीसंति य एत्थ पासेसु परिब्भममाणा के वि पुरिसा । किं वा ण होति पुरिसा, रक्खसा पिसाया वा एए । ण मए दिट्ठा रक्खसा पच्चक्खं । ता किं ण पेच्छामि के एए। किं वा एत्थ पजलइ' त्ति चिंतिऊण सुइर णिहुयं समुट्टिओ कुवलयमालं मोत्तुं पलंकाउ त्ति । णिबद्धा छुरिया । गहियं । खग्ग-रयणं वसुणंदयं च । णिहुय-पय-संचारं वंचिऊण जामइले गंतुं पयत्तो, तं जलणं थोय-वेलाए य पवण-मण-वेओ कुमारो संपत्तो थोवंतर-संठियमुद्देसं थोवंतरेण य णिहुओ ठिओ कुमारो, दे किं वा एए मंतयंति, के वि रक्खसा वा पुरिसा 12वति । तओ ते य जंपिठं पयत्ता । 'अरे लक्खह जलण-जालाओ। किं ताव पीतामो, भादु लोहियाओ, किं वा सुकिलामो, 12 किं वा कसिण' ति । तओ अण्णेण भणियं 'अरे, किमेत्थ लक्खियव्वं । इमं जालाए लक्खणं । तं जहा। तवम्मि होइ रत्ता पीता कणयम्मि सुकिला रयए । लोहे कसिणा कंसम्मि णिप्पभा होइ जालाओ॥ 15 जइ आवर्ट दव्वं ता एसा होइ अहिय-रेहिल्ला । अह कह वि अणावको स चिय मउया य विच्छाया ॥ अण्णे उण भणति । लक्खेह भग्गियम्म णिउणा होऊण सव्व-बुद्धीए । राहावेह-समाणं एवं दुल्लक्खयं होई॥ 18 जइ मउयं ता का खर-जलणे होइ फुट्टणं कणयं । मउयं वंग-विहीणं भज वि बहुए ण जाणंति ॥' भण्णेण भणियं । 'किमेत्थ जाणियवं, जह दीसह अग्गि-समा मूसा-अंतो कदंत-धाउ-रसा। जह य सिणिद्धा जाला तह कालो होइ वावस्स ।' स एवं च जंपंता णिसुया। ६३११)कुमारेण चिंतियं च। 'अहो धाउवाइणो इमे तण्हा-वस-विणडिया बराया पिसाय व्ध अडईए गिरि-गुहासु य परिभमंति । ता किं देमि से दसणं, अहवा ण दायव्वं दसणं मए इमाणं । कयाइ कायर-हियया एए मं दट्टणं दिव्यो त्ति संभाविऊण भय-मीया दिसोदिसं पलाइस्संति विवजिस्संति वा । ता इहट्टिओ चेय इमाणं वावारं पेच्छंतो अच्छिस्सं' 24 ति ठिओ । भणियं च तेहिं 'अहो, एस अवसरो पडिवावस्स, दिजउ पडिवावो णिसिचउ धाऊ-णिसेगो' त्ति । भणमाणेहिं सब्वेहिं चेय पक्खित्तो सो चुण्ण-जोगो मूसाए । अवसारिया मूसा । पक्खित्ते जिसेगे थोय-वेलाए य णियच्छियं जाव 27 तंबयं जायं । तो वजेणेव पहया, मोग्गरेणेव ताडिया, जम-डंडेणेव इंडिया विमणा णिरासा सोयाउरा 'घिरत्थु 27 जीवियस्स'त्ति भणिऊण अवरोप्पर-वयणावलोवण-विलक्खा जंपिउं समाढत्ता 'भो भो भट्टा, कहि भणह सामग्गीए जोओ ण जाओ, जेण कषयं ति चिंसियं सुम्वं जाय' । तओ एक्केण भणियं । "दिट्ठ-पञ्चओ एस जोगो, सुपसिद्धं खेतं, कुसलो 30 उवज्झाओ, णिउणा गरिंदा, सरसाओ भोसहीओ, सोहणं लग्ग, दिण्णाओ बलीओ। तह वि विहडियं सव्वं । णस्थि 30 पुग्व-पुण्णो अम्हाणं । को अण्णो संभवो एरिसस्स वि विहडणे, ता एवं गए किं संपर्य करणिज' ति । तओ तेहिं भणिय 'पयट्टह वच्चामो गाम, किं भवरं एत्य करियवं' ति भणमाणा चलिया । भणिया य कुमारेण 'भो भो परिंदा, मा 1) Pमए for समए, Pom. य. 2) आगया for कय (before राई), P रोती for राई; णिसण्णो, P adds सन्ना before सयणिज्जेसु. 3) णमोकारा. 4) Jom. सयल, णीसहो पसुत्तो थोअवेलाए, P उवविट्ठो for विबुद्धो, Jom. तीए, Pरातीए दिवड्डजायं. 5) पलोएंतेण, P विअप्पिअं. 6) Jom. अहो, Jom. किं before ताव, P एकत्थ. 7) वो for होज्ज, संभावीयति P संभावीअत्ति, P परिभममाणा. 8) JP एते, Jadds ता and Padds ए before ण मए, P किं for के, JP एते. 9) वा एतं एत्थ पज्जाला (ओ?), J सदरं for सुइरं, Pमोत्तूर्ण for मोतं. 10) रयणी for रयणं, P वि for च, P पयसंचारो, Pजलमालं for जलणं, J repeats तं जलणं, J थोव-- 11) Jadds तं before थोवंतर, J संठि उद्देस । सद्धियमुद्देसी, थोअंतरेण, P ट्ठिओ, Pom. दे, JP पते. 12)वच्चंति for व त्ति, P जंपियं, P पयत्तो, P लक्खेह, P repeats अरे लक्खेह जलणजालाओ, P आउ for आद, लोहिताओ. 13) Pततो, P एकेण for अण्णेण, P adds इमं जालाए लक्खियव्वं । before इमं जालाए etc. 14) Pरयते।, P कसिण त्ति कंसमि णिपिहा होइ. 15) Jएस होह, Pom. कह, P अणावहासि ब्वय मउआ य. 16) Jom. उण. 17) Pणिऊण होऊण, P सब बुद्धाए, P वहस्स माण. 187 Pतो for ता,P मउयवगविहीण. 20) सणिद्धा जा तह, झाला for जाला. 21) P जंपतो. 22) धाउब्वाइणो, P अडतीए. 23) P om. मए इमाण, Pए for पते. 24) भयभीता, P दिसादिसं, P repeats पलाइरस, विवजिअंति, P "ट्ठिओ. 25) P दिजइ, J -णिसेगित्ति. 26) P जोग्गो, I अवसरिआ, पक्खित्तो, P तं for य. 27) Pतंब जायं, P बजेण व हया, P मोमारेण व, जमडंडेण व P जमदंणेव मंडिया, Pसाआउरा. 28) P जीवियस त्ति, P वयणावलोवलक्खा, J भट्टो for भट्टा, P om. कहिं, भग, P adds किं after भणह. 29) PK for सुव्वं, जोओ, Pसुपसिद्धक्खेत. 31) Pपुवपुन्नाइ अम्हाण, P एरिसस्स वि.32) Pपट्ट वच्चामो, अपर, Pणरिंद, P writes मा वचह thrice. Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६३११ 1 वञ्चह, मा वञ्चह' त्ति । इमं च णिसामिऊण संभम-वस-पसरिय-दिसिवह-लोल-लोयणा भीया कंपंत-गत्ता पलाइउं । पयत्ता । तओ भणिय कुमारेण 'भो भो मा पलायह, अहं पि गरिंदो कुतूहलेण संपत्तो, ण होमि रक्खसो। 'मा 3 पलायह' त्ति भणिया संठिया। संपत्तो कुमारो । भणिया य कुमारेण "सिद्धि सिद्धि' ति । पडिभणियं तेहिं 'सुसिद्धि : सुसिद्धि सागयं महाणरिंदस्स, कत्तो सि आगओ' । कुमारेण भणियं 'अहं पि गरिंदो चेय, एयं चिय काउं इह समागओ अयोज्झाओ' त्ति | तेहिं भणियं 'सुंदरं एय, किं अस्थि किंचि सिद्ध णिवीयं अहवा होइ रस-बद्धो 6 अद्धकिरियावसिद्धो पाओ अहवा विउक्करिसो। कुमारेण भणियं ।। ___'जइ होइ किंचि दव्वं होति सहाय व णिउणया केइ । भोसहि-जोयउ अक्खर ता सिद्ध णत्थि संदेहो ॥' तओ सन्चेहि मि भणियं ‘एवं एयं, ण एत्थ संदेहो । किंतु तुह किंपि सिद्ध भत्थि' । कुमारेण भणियं 'कहं जाणह जहा मह सिद्ध'तेहिं भणियं 'अत्थि लक्खणाई सिद्ध-पुरिसस्स' । कुमारेण भणियं केरिसाइं सिद्ध-पुरिस-लक्खणाई, 9 भणह' । तेहिं भणियं 'सुणसु, जो सव्व-लक्खण-धरो गंभीरो सत्त-तेय-संपण्णो । भुंजइ देइ जहिच्छं सो सिद्धी-भायणं पुरिसो॥ 12 इमाई च लक्खणाई सव्वाई तुज्झ दीसंति । ता साहसु किं तुह सिद्ध, किं ता अंजण, आउ मंतो, आउ तंतो, किं व 12 जक्खिणी, किं धा काइ जोइणी, किं वा रक्खसी पिलाई वा। किं वा तुमं, को वि विजाहरो देवो वा अम्हे वेलवेसि दुक्खिए । ता साहिजउ, कीरउ पसाओ' त्ति । भणियं च कुमारेण 'अहं माणुसो गरिंदो, ग य मम किंचि सिद्धं' ति । तेहिं 18 भणियं 'सव्वहा अवस्सं तुह किं पि सिद्ध, तेण एत्थ महा-विंझ-कुहरंतरे सरस-मयणाहि-दिव्व-विलेवण-पसरमाण-परिमलो 15 अहिणव-समाणिय-तंबोलो दिव्व-कुसुम-विसट्टमाण-कय-मुंड-मालो तक्खण-सूइजत-बहल-दइया-दिव्व-परिमलो झत्ति इहं संपत्तो जिम्माणुसे अरण्ण-देसे' त्ति। 18 ३ १२)चिंतियं च कुमारेण । 'अहो, इमाण गरुओ अणुबंधो, तं जं वा तं वा उत्तरं देमि' ति चिंतयंतेण भणियं । 18 'जइ एवं ता णिसुणेसु । अस्थि दक्खिण-समुद्द-वेला-लग्गं विजयं णाम दीवं । तत्थ य कुवलयमाला णाम जक्खिणी, सा महं कह पि सिद्धा, तीय एसो पभावो परिमलो य' त्ति । तओ तेहिं भणिय 'अहो, एवं एयं ण एत्थ संदेहो, केण उण 21 एरिसं मंतं तुह दिण्ण' ति । कुमारेण भणियं 'अण्णण हामुणिणा दिण्णो' त्ति । तेहिं भणिय 'अहो, महप्पभावो मंतो॥ जेण आगरिसिया तए जक्खिणि' त्ति । कुमारेण भणिय 'तुम्हे उण किमेत्थ काउमाढत्तं' । तेहिं भणिय 'अउण्ण-फलं' ति । कुमारेण भणियं 'तह वि साहह मे, केरिसो जोओ एसो समाढत्तो' । तेहि भणियं 'जइ फुडं सीसइ ता णिसुणेसु । 24 एत्थ विंझ-गिरिवरे एवं खेत्तं एयम्मि पएसे तं च अम्हेहि धमिउमाढत्तं । तं च ण सिद्धं सुलुब्वं णिव्वडियं, कणयं तु A पुस्थए लिहिय । कुमारेण चिंतियं । 'ता ण-याणीयइ केरिस-दब्वेहिं वावो पडिबद्धो णिसेओ वा कओ इमेहि' ति चिंतयंतेण भणियं 'अहो, इमं ताव खेतं, ता इमस्स कहं पिंडी बद्धा, कहं वा पडिवाग-णिसेए कए' । तेहिं 27 सव्वं कहियं 'इमं इमं च दवं' ति । तओ कुमारेण चिंतियं 'अहो विरेयणाई दवाई, तह वि ण जाय कणगंभ ति । ता किं पुण इमाणं एरिसं जायं ति । हूं, अस्थि अवहरियं तं इमाणं' । चिंतयंतेण भणियं कुमारेण 'अहो, गेण्हह सजेह दव्वं, धमह तुब्भे अहं पडिवायं देमि । जइ अस्थि सत्ती रक्खसाणं वंतराणं वा अवहरंतु संपर्य' ति 30 भणमाणस्स सव्वं सज्जीकयं , धमिउं समाढत्ता । थोव-वेलाए य जाणिऊण जाला-विसेसं कुमारेणं अवलंबिऊण सत्तं । णमोक्कारिया सव्व-जय-बंधवा जिणवरिंदा, पणमिया सिद्धा, गहियं तं पडिवाय-चुण्णं, अभिमंतियं च इमाए विजाए । अवि य णमो सिद्धाणं णमो जोणी-पाहुड-सिद्धाण इमाणं' । इमं च विज पढ़तेण पक्खित्तं मूसा-मुहम्मि, धग त्ति य 1) J भीभकंपत. 2) Pमहा for मा. 3) P भडिभडिणियं सुद्धित्तिरतेहिं य सागयं for पडिभणिय etc. 4) J एयं चि काउं, P चेव पयंचियं. 5) Pom. अयोज्झाओ, I adds ति after णिवीयं, J अहवा होराइ रसांधो, P अद्धकिरियावसिद्धा पाउ णहवा. 6) I पातो for पाओ. 7) J जं किंचि अत्थि दब्बं for जद etc., P अखरसिद्धि. 8) P वि for मि, P तु for तुह. 9) मम " महा for मह, P सिद्धि ।, P पुरिसस्स लक्ख. 11) Jहरो for धरो, Pसंपुन्नो।. 12) Pतायंजणं, Jआतु, om. आउ तंतो, Pरंतो for तंतो. 13) किं रक्खसी पिसाती, P वेलमि. 14) दुक्खए, Pअहो for अई, सिद्ध त्ति। 15) P मज्झ विझकुडूतर, P दिवेविलेव पसर'. 16) "कयकुंडमालो. 18) Pइमाण गुरुयाणुबंधो, अणुबद्धो ताजं, चिंतियतेण. 19) Jसमुद्दे, Jom. य, P जा for सा. 20) Pएस भावो परिमलो व त्ति, Pom. ण. 21) J महापभावो. 22) J तुब्भे for तुम्हे. 23) Jom. कुमारेण भणियं, J om. मे, J एसमाढत्तो. 24) Jधभि समाढत्तै P मिउमाढत्त, P च णिसुद्धं सुव्वं णिवत्तियं. 25) Pपढियं for लिहियं, Join. ता, Jणयाणसि केरिस, P पडिबंधो, णिसिओ वा कतो. 26) 1 तेण for चिंतयंतेण, Pom. भणियं, P पडिबंधो for पिंडी बद्धा, Jom. पटियाग, जिसेते कते तेहिं असचं. 27) Prepeats दव्वाई, कणयन्ति- 28) Jom. चिंतयतेण भणियं कुमारेण, P चिंतियंतेण, Pom. अहो, Jom. गेण्हह. 29) सज्जोहा धंमह तुम्हे अहं,J वाव देमि, P om. जइ, P om. वा. 30) सज्जीवकयं धमिउमाढत्ता, अविलंबिऊण. 31) पणमिता, P अहमंतिय. 32) सिद्धादि for इमाणं. Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३१३] कुवलयमाला 16 पिजलिया मूसा ओसारिया य, णिसित्ता णिसेएण थोव-वेलाए णियच्छियं जाव विजु-पुंज-सच्छयं कणयं ति। ते च दट्टण ! सब्वे पहरिस-वसुलसंत-रोमंचा णिवडिया चलणेसु कुमारस्स, भणिउं च पयत्ता । 'णमो णमो महाणरिंदस्स । महो अच्छरियं । तं चेयं खेतं, तं चेय चुण्णं, सो चेय णिसेओ । अम्हं तंबं जाय, तुह पुण हेमं ति । अत्थि पुरिस-विसेसो , त्ति। ता साह, एस को विसेसो' ति भणिए संलत्तं कुमारेणं 'भो भो तुम्हे सद्धाभिसंकिणो सत्त-मंत-रहिया। मए पुण सत्तं अवलंबियं, पणमिओ इट्ट-देवो, मतं पढिय, तेण मह सिद्ध एय, ण उण तुम्हाणं' ति । तेहिं भणियं 'देसु अम्हाणं 6 तं मंत, साहसु य तं सिद्ध-देव-सुयं ति' । कुमारेण भणियं । एत्थ अधिकय-देवओ भगवं सवण्णू जेण एयं सव्वं जोणीपाडं. 8 मणिय, ता तस्स णमोकारो जुज्जइ । मंतो ‘णमो अरहताणं णमो सव्वसिद्धाणं' ति भणंतो समुट्टिओ कुमारो 'वचामि अहं' ति । तओ तेहिं ससंभमं पायवडिएहि भणिओ 'देव, पसीदसु करेसु पडिवजसु ओलग्गं ति । तुब्मे उबझाया, अम्हे चट्ट' त्ति । कुमारेण भणियं 'दिण्णा मए तुम्हाणं विजा । संपयं जं चेह कुणह तं चेय सिज्झइ ति । पडिवण्णा य, मए ओलग्गा । जइया कहिंचि कुवलयचंदं पुहईवई सुणेह तइया आगंतव्वं' त्ति भणमाणो पत्थिओ कुमारो मण-पवण-वेगो तं चेय दिसं जत्थागओ, संपत्तो कडय-संणिवेसं उवगओ सयणीयं जाव कुवलयमाला विउद्धा ससंभम-पसारिय-लोल-लोयणा 1ण य तं पेच्छह । कुमार अपेच्छंती य चिंतिउं पयत्ता 'कत्थ मण्णे गओ मह दइओ, किं कत्थइ जुयइ-वियप्पेण, महवा 12 मंत-साहणेणं, अह विजाहरीहिं अवहरिओ, किं णु एवं' ति चिंतयंतीए झत्ति संपत्तो पुरओ । तओ सहरिसाए गहिलो कंटे वीसत्यो य पुच्छिओ। 'देव, जइ कहणीयं ण होइ, ता साहिजउ कत्थ देवो गओ' त्ति । कुमारेण भणियं । 'किं 15 तमथि जे देवीए ण साहिज्जई' त्ति भणिऊण साहिओ सयलो धाउवाइय-वुत्तंतो त्ति। ३१३) भणियं च कुवलयमालाए 'देव, सव-कला-पत्तट्ठा किल अहं, एयं गुरुणो समाइसंता, इमं पुण णरिंद-कलं ज-याणिमो । ता कीस मम ण होसि तुम उवज्झाओ'त्ति । कुमारेण भणियं 'सुंदरि, कीस उण सयल-कला-कलाव-पत्तट्टाए 18 वि होऊण एयं ण सिक्खिय' ति । तीए भणियं 'अजउत्त, किर एत्थ णस्थि फलं, वादो चेय केवलं'। कुमारेण भणियं 'मा18 एवं भणह । अवि य ।। ___अवि चलइ मेरु-चूला सुर-सरिया अवि वहेज विवरीया । ण य होज किंचि अलियं जं जोणी-पाहुडे रइयं ॥' तीए भणियं 'जइ णाह, एवं ता कीस एए धाउब्वाइणो णिरत्ययं परिब्ममंता दीसंति' । कुमारेण भणियं । 'अस्थि णिरत्थया णरिंदा जे सत्त-परिहीणा सोय-परिवजिया अबंभयारिणो तण्हाभिभूया लुद्धा मित्त-बचणपरा कयग्घा अदेव-सरणा मंत-वजिय देहा असहाया अयाणुया अणुच्छाहिणो गुरु-णिदया असद्दहमाणा अलसायंति । अवि य । ४ जे एरिसा णरिंदा भागम-सत्तेहिँ वंचिया दूरं । रंक व्व चीर-वसणा भमंति भिक्खं खल-परिंदा ॥ जे उण विवेगिणो उच्छाहिणो बंभयारिणो जिइंदिया अलोलुया अगब्विया अलुद्धा महत्था दाण-वसणिणो मित्त-वच्छला गुरु भत्ता देव-पूयया अभिउत्ता मंतवाएसु ताणं णीसंसय सिद्धि त्ति । अवि य । 7 जे गुरु-देवय-महिमाणुतप्परा सयल-सत्त-संपण्णा । ते तारिसा णरिंदा करेति गिरिणो वि हेममए॥' कुवलयमालाए भणियं 'जइ एवं, ता कीरउ पसाओ साहिजउ मज्झ इम' ति । कुमारेण भपिायं । 'किरियावाइ गरिंदा धाउव्वाई य तिणि एयाई। लोए पुण सुपसिद्ध धाउब्वाई इमे सब्वे॥ 30 जो कुणइ जोय-जुर्ति किरियावाई तु सो भवे पुरिसो। जो उण बंधइ णिउणो रसं पि सो भण्णइ परिंदो॥ जो गेण्हिऊण धाउं खेत्ताओ धमइ खार-जुत्तीए । सो किर भण्णइ पयडं धाउब्वाई जणे सयले ॥ किरिया बहू वियप्पा णिब्बीया होइ पाय-वीया य । अद्ध-किरिया य पयडा पाओ तह होइ उक्करिसो॥ 33 सा हेम-तार-भिण्णा दुविहा अह होइ सा वि दुवियप्पा । कट्ठ-किरिया य पढमा दुइया सरसा भवे किरिया ॥ 33 1) Pपज्जलियाओ मूसाओ, जिसेएत्थोअ, Pणिसेतेश, Jadds य before णियच्छियं, P विज्जपुंज. 2) P सव्वपहारिसवसूलसंतरोमंच, वसूसलंत, P कुभणियं for भणिउं. 3) P हेमन्ति. 4) तुम्मे for तुम्हे, P om. सद्धाभिसकिणो, Iom. सत्त. 6) Padds हसु after साहत, देवयं for देवसुयं, Pom. कुमारेण भणियं । एत्थ etc. to अम्हे चट्ट! त्ति । अधिकअदेवतो. 9) Jचति. 10)Jओ for वेगो. 11) सणियं for सयणीयं, P पसरिय. 12) Pom. य before चिंति,P कण्ण for कत्थ, P कत्थ वि जुबइ. 13) किण्ण P किण्णु एत त्ति, चिंतयंतीय, P तह for तओ, सहरिसाय. 14) P जइ कहणीयं ण होत्ति ता, किमेत्य for किं तमत्थि. 15) J सयलधा',JP धाउव्वातिय. 16) Pदिव्व for देव, एतं, Pom. एयं. 17) JP पत्तट्ठा य वि. 18) Pय for एयं, तीअ, P om. णत्थि फलं, वातो for वादो, P केवलो णस्थि फलं । कुमारेण. 19) Jभण for भणह. 20) Pमूरचूला, P अवि हवेज. 21) I तीय, P धाउव्वाइणा, णीरत्थय, P परिभमंता. 22) Pजे स परिवज्जिया, तण्हाभिभूता लद्धा मित्तवथेग परा, JP यदेव for अदेव, P सन्नि for मंत. 23) अलसत्ति । अवि य. 24) Pजे पुरिसा णतरिदा, रंकवच्चीर, P तिवं for भिक्खं. 25) Pom. उच्छाहिणो बंभयारिणोर जितिं दिया, I om. अलोलुया, अणुद्धा, P दाणवणवससिणो, वच्छलो. 26) I मंतवातेसु. 27) Pगुण for गुरु, P महिमाणतप्परा, Pom. सत्त, हेममये. 29) JP किरियावाति, Pणरिंदो, धाउव्वाआ धाउव्वाती, JP एताई, धातुधाती, Pघाउब्वाओ इमो सम्बो. 30) किरियावाती, Pउ for तु, P रसं मि सो. 31) Jखेत्तातो, धातुन्वाती धाउब्वाती, P सयलो. 32) P होति, J पादवीआ य, J पातो तह. 33) Pहोति सा वियप्पा अद्धकिरिया पढमा, दुतिया. Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A उजोगणसूरिविरइया सह या निहिं दध्वेणेकेण दव्य-जोएहिं तह घाउ-मूल-किरिया कीरह जीवहिं अण्णा वि ॥ एवं बहू वा किरिया सत्थेसु सुंदरि पसिद्धा ते सारोदाहरणे वाहिष्यते जिसामेहि ॥ 1 ा गंध सुव्वं घोसं तह तार- हेम तिक्खाई। सीस-तउ तंब कंसं रुप्प - सुवण्णाइँ लोहं च ॥ रंगा पसिद्धं सूपकुण्डीय तालयं चेष णाइति-भ्रमराईवं एसा भासा गरिंदाणं ॥ एसो धाउन्वाओ सुंदरि वोच्छामि संपयं एयं । सयलं गरिंद-वार्य अहवा को भाणिउं तरइ ॥ 6 ३१) साय पहु-प-परिय-सं-विउ-वण- सायय-सहस्स-परियुच्छ लेत बदल- इबोल-लाउरमाण 6 दस दिसं पहयं पाहाउय-मंगल-तूरं । ताव य णिवडंति तारया, गलियप्पभो जिसाणाहो, ऊसारिज्जति दिसि-मुहाई, वए गयणयलं, पणस्सए तिमिरं, अरुणारुणा पुव्व- दिसा, पलवंति वण-कुक्कुडा, पलायंति रिच्छा, पविसंति गुहासु मईदा, गुविल• महिषेति वग्धा, करवति सणया मुद्दति पूया, करवरंति रिट्ठा। दिणयर-नरवर-कर-नियर-विलुप्यणा भीव व्यझीण ● विमणा पईव कुटुंबिणो ति । एत्थंतरम्मि पढियं बंदिणा । अवि य । 1 8 12 1 नासतो तिमिर पि विछाय ससि-वियं विमलंतो दिसि मुद्दाई अंचीकरे पूय ॥ विहडेंतो संगमाई मेलेंतो चक्कवायए । अलग्गइ भुयणम्मि दिणयर-कर- पब्भारओ ॥ इस एरिसे पभा णिई मोत्तृण णाह दइयं व कीरंतु इमं च पटियं णिसामिऊण कुमारेण भणियं । गुरु देवय- पणइ कमाई ॥ सुंदरिए पभाया रयणी संपवें गुरु देव-बंधु कलाई कीरंति इमाई पणे अच्छड पासत्य-उलावो ॥' भणमाणा निम्मल-जल- विमलिय- वयण- कमला पविट्ठा देवहरयं । ' णमो जिणाणं' ति भणमाणा पणमिया भगवंताणं कमलकोमलेस चलण-वसु । तभो पुण भणिउमादत्ता । सुप्रभातं जिनेन्द्राणां धर्मबोधिविधायिनाम् । सुप्रभातं च सिद्धानां कर्मोंघघनघातिनाम् ॥ सुप्रभातं गुरूणां तु धर्मव्याख्याविधायिनाम् । सुप्रभातं पुनस्तेषां जैनसूत्रप्रदर्शिनाम् ॥ सुप्रभातं तु सर्वेषां साधूनां साधुसंमतम् । सुप्रभातं पुनस्तेषां येषां हृदि जिनोत्तमाः ॥ 21 एवं कथं काय ताव य सज-लय-गंभीर पीर-परिसद संका- विद्दाण- सरोबर रायस-कुल-कल-मुद्दला 21 अण्कालिया पवाणय-दखा । तेण य सण जय-जयाद-मुद विदो सम्बधायार परियणो सामग्रिं पयतो सव्वभंडोक्राइं । किं च कीरिडं पयत्तं । अवि य कच्छिनंति गईदे, पलाणिजंति तुरंगमे, भारिजंति करहे, 24 भरिजंति बद्दल्ले, जुप्पंति रहवरे, जोइजंति सयडे, उट्ठाविजति भारिए, संभाविज्जंति जंपाणिए, संभारिजंति कम्मयरए, 24 संजमिति भंडवरे, संर्जिति पढडडीओ, परिहिर्जति समायोगे, पेप्यंति य सर-सरासण-स-पत्र कोतासि-विदे पफल पाइक विणं ति । 15 18 27 [६३१३ 30 1 जहा कुमारी संपति च सोई राया वि सहरिस बस समुच्छलंत रोमंच-कंचुलो णीहरिको सपरियणो संमुई गं पयत्तो । पहाइओ कुमारस्स वद्धावओ जहा महाराया संपत्तो त्ति । । 3 12 उट्ठेसु वच्च तूरसु गेहसु परिसक्क तह पयट्टाहि । उच्छलिए बहल बोले गोसग्गे तं बलं चलियं ॥ कुवलयमाला विसमारूढा वारुयं करिणं । कुमारो वि विविह-तुरय-खर- खुरग्गुद्दारिय-महियलुच्छलंत-रय-नियर-पूरमाणदस - दिसामुह- णिरुद्ध दिणयर-कर-पसर-पसरियंधयार-दुद्दिण-संकास- हरिस-तंडविय- सिहंडि-कलाव- रेहिरं वर्णं खर्णतो गंतुं पयतो अणवश्य पधानहिं संपत्ती असणो विषय-संधि | ताव व महिंद्रेण पेसिलो सिरि-दडम्मराइणो बदायमो 30 15 18 J 3 1) P णिसागेहिं, धातु, अण्णे वि. J 2 ) P सव्वे सुंदर, P ते सागेता हरणे साहित्यंते णिसामेह ॥ गंध, तिक्खत्ती P तिक्खाती, P तंबा 4 ) J सूतय, P तालसंचेया, भवगातीयं P भमरादीतं. 3 ) P वंगं for for वोच्छामि, P अहवा भणिडं. 6 ) 3 adds पंडिअ hefore पडु, P संखुब्ब, मुद्ध for विउद्ध, Pपडिराबुद्धलंद-7) 5 ) धातुव्वातो, पेच्छामि गलिअप्पमे, P ऊरिसारिज्जंति, Pबट्टए 8 ) रच्छा तिरिच्छा for रिच्छा, P गुहासु सिंघा गुव्विसंतिमलियंति. 9) करयरंति, करयति before रिट्ठा, दीस for भीय, P भीय नज्झीणविमाणा पतीवकुटुंबिणो 11 ) तिमिरचयं, P विच्छाइयससि 3 puts danda after विमलं, J अंधीअरेइ P अधीकरेइ. 12) P विडंतो, J चक्कायए, P ओलगाई उअग्गह, भुअणयम्मि, 13 ) P भाइए, जिंद for निदं, P कीरओ सच्चक्खेवयं, P पणयकज्जाई. 14 ) P inter. भणियं & कुमारेण 15 एसा भाया, देवय for देव, P बंधकज्जाई, P जाव संलावो for पासत्य उल्लावो. ति. 17 ) Jजुअलेसु P जुवणे, उभाणिउमादत्ता । भणिउमादत्तो. 16 ) Po. जल, P. विमल for विमलिय, Jom. for गुरूणां 20 सर्वेषां साधुसंमताम्, P येषां हृदि शि जिनोत्तमः ॥ 18 ) P धर्मे बोधवि". 19 ) P जिनेंद्राणां for ताव य, Pom. one जल, J adds सद्द after परिस६, P निदाण for विद्दान, P हंसराय for रायहंस, कल for कलयल(21) वयं कय for कर्य, अवि य 22 Jपयाणयपयढक्का, P सद्देण जयासदमुहलो, P खधावार, P सामग्गिड पयत्तो. 23 ) किं चि for किं च, पत्ता, P पलालिज्जति. 24 ) P adds, after जोइज्जति, भरिडं पयत्तं । etc. to जोइज्जति, P उठविज्जंति, संभारिज्जति जंपाणिए, P भंडागारे for मंडयरे. 25 ) Padds जंति after संवेलिजंति, P समायोगो, Pom. य, om. सर, P सज्झस for झस. 27 ) P उद्धसु वृच्चपु तूरसु, गेण्हसु परसुव्व चक्कम पयट्ट, उच्छलियबद्दल बोलो, P उउच्छलिए ह बोलो.. J 28 वारुअकरिणि, J P करिणीं, तुरयं, P र्णिय for गियर. 29 ) Pom. इस, ए दिसिसामुह, P दियर, Pom. पसर, P दुद्दिणासंकास, Pom. हरिस, P तडविय, कलकरेहि खणंतो, P ता जणूंतो for खणतो. 30 ) 3 अत्तो P अणनो for अन्तगो, P पाइणो for राइणो. 31 ) P सोऊण for सोउं वि हरिसव्वस, ए वियस for वस. 32 ) J य after कुमारस्स. 27 . Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३१६] १९९ 1 (३१५) तओ कुमारो वि पहरिस-बस-वियसमाण- कुवलय-दल-दीह-लोयण- जुवलो 'सागयं तायस्स' त्ति भतो उत्तिष्णो तुरयाओ । सरय-समउग्गय दिणयर कर - परिमास - वियसि यंबुरुह- सरिस-चलण-जुवलो चलणेहिं चेय गंतुं पयत्तो । 3 तावय वेणं संपत्तो महाराया । दिट्ठो य णेण कुमारो देव कुमारो व्व णयण-मणाणंदणो। कहं । अवि । सेच कमले दिrयरो इच अहवा कुमुएण चंदिमा-पाहो । सिहिणा घणो व्व अह कोइलेण चूओ व्व महुमासे ॥ सरह पसारिय दीह बाहु-फलिहेन आलिंगिजो कुमारो राणा हियययभंवर-पर-भरि उच्चरंत-परिस-वस6 णीहरंत - बाहुप्पील- लोल लोयणा दोण्णि वि जाया । पणाभिओ य पाएसु महाराया । माया वि चिर- विरह- दुब्बलंगी 6 दिट्ठा कुमारेण तीए सिणेह-पिडभरं अवगृदो रोडं च पयता, संडाविया य परियणेण दिष्णं यय-वण-धोवर्ण गंधोदय उचविट्टा तम्मि चेष डा कुमारो वि गहिलो उच्छेगे देवीए बिओ उत्तिमंगे, भणिनो व 'पुत, दड-कठिणहियओ सि तुमं जम्हे उण पुत्त-भंडणेह णिम्भर पसरमाण- विरह- जालावली चूमिया मयं पिव अन्ताणं मण्णामो । ता जीवेसु चिरं, अइबहुयं अम्ह इमं जं जियंतो दिट्टो सि' त्ति । भणियं च राइणा । पुत्त, 12 तया अम्हाण तुमं देण हम तुरंग-रूवेण करथ गमो करम ठिलो कह चुको तं तुरंगाओ ॥ कह गमिओ ते कालो कत्थ व परिहिंडिओ अणाहो व्व । कह व मणि-पूस वण्णो कत्थ व सो पूसभो दिट्ठो ॥ कह व तुमं संपत्तो बेलाउलम्मि कहं समुहस्स । वच्छेण वच्छ इमिणा कह व महिंद्रेण संपत्तो ॥ कहव तर परिणीयं कह णाओ विजयसेण णरवइणा । किं तत्थ ठिया तुम्भे केण व कज्जेण कालमिणं ॥ कह आगओ कह गओ कद वा दुक्खाई पुरा पसाई साहिल मह एवं जेण दुिई होइ ॥ पुच्छ समानो चलणे पणमिण साहिउं पयतो साहियं च सयलं दुतं संलेवेणं ति । ताव व । उनमह धम्म-कले मा बह मेह-नियल-पासहि हो चि णाम ढ भणियं माह-डंडाए ॥ 1 18 सभी जो माण्डो जाओ ति कय-मनण-मोयणा संयुता। पुणो मुहासणत्या जाया, विवि-देस कला-कलाव-कदासु 18 चिरंठिया गणि गणएहिं कुमार-गह दिन लगा-वेला-पवेसस्स समयं जुबरायानिसेक्स्स व तो हरिस-तोसभिरेहि य समाइत्साह य यदावणवाई । धवल धयवडाडोव मंडिया कीरए भोझा पुरवरी सनीफर्य सपर्क 21 उवगरणं । वोलीणो य सो दियहो ति । ताव य । किं अच्छहवीसत्या दुबइ कालो सि कुण काय । उय जाम संख-सदो कुविष तस्स हुंकारो ॥ तं च सोऊण समुट्टिया सव्वे धम्म- कज्जाई काउं समाढत्ता । पाओसियवयं अत्थाणि-मंडलं दाऊण पसुत्तो कुमारो । णिसा24 विरामे य पढ़िये बंदिणा । अवि व 15 कुवलयमाला पडणम्मि मा विसूरह मा गव्वं वहह उग्गमे पुरिसा । इय साहेंतो व्व रवी अत्थमिओ उग्गओ एहि ॥ इमं च सोऊण समुट्टिया सयल- महारायप्पमुहा णरिंद-वंदा । तओ कय- कायन्वाणं च वच्चंति दियहा । 27 ३१६) पुणो समागम कुमारस नगर-पवेस-दिवो 83 8 1 ) Pom. वस, जुअलो, P adds य after जुवलो. 2) P सर्यमउग्गंत P परिफंस for परिमास, जुअलो. 3) J चेय before संपत्तो. 4 ) P व for इव १ घणा व्व, P सूत्र for चूओ 5 सहरिस पसरिअ, घरि for घर. 6 ) P बाहुलोल, Pom. माया, व विरहिर for चिरविरह. 7 ) P णिन्अंतर अवऊडो 1, Jom, च, P संट्ठाविया, P वयणे. 8 ) J गंधोअयं, P उवत्रिट्ठो, ए च्छाणे for ठाणे, Pom. द. 9 ) P डभ for भंड, दुमिया 10 जीवसु, Pom. इ. 11 अम्हण, ए for हओ, P राओ for गओ, ए डिओ, र कत्थ चुको, P तह for . 12) कह य गमिओ, J om. ते, Jom. and व्व ।. 13) वेलाजलम्मि किं समुद्दस्स, P वेलाउलं कहं, P मज्झं for वच्छ, P कह वि महिं. 14 ) Pकह वितए, Jom. णाओ, P दिया. 15) Pom. कह गओ, मए एअं. 16) P चलने यन्तो संसलेवे 17 व टेढ़ for इ. 18) कयभोयणमज्जणा P कयम सहभोयणा- 19 > Jom. च and adds गणियं on the margin, P adds after जुगराबा" जुनरायाहिसदरस व om. व rather [कुमारस्स गर्दिन पर जुबरायाभिसेयरस य]. 20) p adds घवणयाईं after वद्धावणयाई, J अयोज्झा. 22 ) P दुक्कयकालो, P उ for त्ति, ए च उ for उय 23 ) P धम्मे for धम्म, पाउसिअवयं अत्थाणि P पाओसिअं च अत्याणि. 24 ) Pom. य before पढियं. 25 ) P वहह मगव्वं च मंगव्वं उग्गसे पुरिसे. 26) समुट्ठिता सयले महारायपमुहा गरिंदवदा ।, 3 om. च. 28 ) Pom. रच्छा मुहाई etc. to भूसिज्जंति 29 ) P वरमूले, JP चिंतिज्जति राय-- 30 J सिंगवडए, P repeats सिंघवडए वित्थारिज्जति वित्परिज्जति, " चंदावे, विहडिज्जति पेटीए 31 ) P पडिओब्मिज्जति पट्टपडाओ, P कडसुत्तर. 32 ) दामोजले, P हलहलाइ, P दंसण्णूसव, परमाणुकंठ P पसरसाणुकंठो, P लोय त्ति. 12 15 अभोझा पुरवरीए पोसावियं च राणा जहा कीरत नवरी सारो ति किं कीरिडं समादतं । अवि व सोहिमेति रच्छा-मुहाई, अवणिति कयार करे, सिचंति गंधोदन रावत्र बति वंदणमालाओ, विरइति कणय-तोरणे, भूसिर्जति धवलहरे, मंदिति वार-मूले, चित्तिअंत राय सभाओ, पूजेति चच्चरे, समाढप्यति पेच्छणए, पत्थरिनंति सिंघडण, विधारिजति चंदोयने, विहादिति 80 पडिओ, उब्भिजंति पट्ट पडायाओ, लंबिजंति कडि सुत्तए, पयडिज्जति महारयणे, विक्खिप्पंति मुत्ताहले, कीरंति कुसुमदामोकले, हलहलाइ कुमार-सय-परमाणुखंड- णिग्भरो नायर- लोमो ति । अयि । मणि- रयण-भूसियंगी पिययम- दट्ठव्व-पसरिउक्कंठा । वासय सज्ज व्व पुरी अच्छइ कुमरं पडिच्छंती ॥ 21 24 33 . Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० उज्जोयणसूरिविरइया [६३१६ 1 एत्थंतरम्मि कुमारी वि सह राइणा समारूढो जयकुंजरं पविसिउं समाढत्तो अयोज्झा-पुरवरीए । ताव य पूरिजंति संखाई । जयजयाचियं बंदिय-जणेणं । पविसंते य कुमारे सव्वो य णयर-णायरियायणो कोउय-रसाऊरमाण-हियओ पेच्छिउँ 3 समाढत्तो । कमेण य वोलीणो कुमारो रायमगं, संपत्तो रायदारं । वोलीणे य कुमारे किं भणिउं समाढत्तो णायर-जणो। ३ अधि य । धम्मं करेह तुरियं जइ कजं एरिसीएँ रिद्धीए । मा हीरह चिंताए ण होइ एयं अउष्णाण ॥ 6 कुमारो वि रायउले पेच्छह परियणं । केरिसं । अवि य । रज्जाभिसेय-मंगल-समूह-करणेक वावड-करग्गं । हियउग्गय-हलहलयं वियरंतं परियणं पुरओ ॥ ३१७) पविट्ठो य अस्थाण-मंडवं कुमारो, णिसण्णो य णाणा-मणि-किरणुलसंत-बद्ध-सुरचाव-विम्भमे कणय9 महामइंदासणे । णिसण्णस्स य मंगल-पुन्वयं जयजया-सह-पूरमाण-महियलं उक्खित्ताई महाराय-पमुहेहिं महासामंतेहिं . णाणा-मणि-विचित्ताई कणय-पउम-प्पिहाणाई कोमल-किसलय-सणाहाई कंचण-मणि-रयण-कलस-संघायाइं । तेहिं जय-जयासह-णिब्भरं अहिसित्तो कुमारो जोयरज्जाभिसेयम्मि, जोक्कारिओ य महाराय-दढवम्मप्पमुहेहिं । णिसण्णा सब्वे 12सीहासणस्स पुरओ । भणियं च महाराइणा । 'पुत्त कुमार, पुण्णमंतो अहयं जस्स तुमं पुत्तो। इमाई च चिर-चिंतियाइं 12 मणोरहाई णवरं अज संपुण्णाई । ता अजप्पभुई घण-धण्ण-रयय-मोत्तिय-मणि-रयण-जाण-वाहण-पवहण-खेड-कब्बड-णयर महाणयर-गाम-गय-तुरय-णरवर-रह-सय-सहस्सुद्दामं तुज्झ दे रजभरं दिण्णं । अहं पुण धम्माधम्म-णिरूवणत्थं के पि 16 कालंतरं अच्छिऊण पच्छा कायव्वं काहामो' त्ति । कुमारी वि एवं भणिओ सविणयं उढिऊण णिवडिओ राइणो 15 चलण-जुयले 'महापसाओ' त्ति भणिय, 'जं च महाराओ आणवेइ तं अवस्सं मए कायग्वं' ति । दसिया कुवलयमाला गुरुयणस्स । कओ पणामो । अभिणंदिया तेहिं । एवं च अवरोप्पर-वयण-कमलावलोयणा-सिणेह-पहरिस-णिब्भराणं 18 वच्चह कालो, वोलेंति दियहा । अण्णम्मि दिणे राइणा भणियं । 'पुत्त कुमार, णिसुणेसु ।। जं किंचि एत्थ लोए सुहं व असुहं व कस्सइ णरस्स । तं अप्पण चिय कयं सुहमसुहं वा पुराकम्मं ॥ . मा हो जूरह पुरिसा असंपडतेसु विहव-सारेसु । जंण कयं पढम चिय कत्तो तं वास-लक्खेहिं ॥ 21 ता जइ सुहेण कजं इह जम्मे कुणह आयरं धम्मे । कारण-रहियं कजण होइ जम्मे वि लोगम्मि। तओ कुमार, इमं णाऊण धम्मे आयरो कायन्यो । कालो य एस ममं धम्मस्स, ता ते चेय करिस्सं' ति । कुमारेण भणियं । 'ताय, जं तए समाणत्तं तं सव्वं तहा, सुंदरो य एस धम्म-कम्म-करण-णिच्छओ, एक 'पुण विण्णमि 'सो धम्मो जत्थ 24 सफल-किलेसो हवई' त्ति । राइणा भणियं । 'कुमार, बहुए धम्मा, ताणं तो जो चेय एको समाढत्तो सो चेय सुंदरो' त्ति 124 ६३१८) कुमारेण भणियं 'ताय, मा एवं आणवेह, ण सव्वो धम्मो समो होई' । तेण भणियं 'कुमार, णणु सव्वो धम्मो समो चेय' । तेण भणियं 'देव, विष्णवेमि । अवि य।। 27 किं पुहईऍ गईदा होंति समा गयवरेहिँ अवरेहिं । अहव तुरया तुरंगेहि पव्वया पब्वय-वरेहिं ॥ किं पुरिसा पुरिसेहिं अहवा तियसा हवंति तियसेहिं । किं धम्मेहँ वि धम्मा सरिसा हु हवंति लोयम्मि ॥ जह एयाण विसेसो अस्थि महतो जगेण उवलद्धो । तद धम्माण विसेसो अह केण वि देव उवलद्धो ॥' 30 णरिदेण भणियं। 'जइ अस्थि कोइ धम्मो वरयरओ एस्थ सव्व-धम्माणं । ता कीस सव्व-लोओ एक्कम्मि ण लग्गए एसो॥' कुमारेण भणियं । 33 'जइ एक्को णरणाहो सब्व-जणेहिं पि सेविओ होज । धम्मो वि.होज एक्को सब्वेहि मि सेविओ लोए ॥ पेच्छंता णरवसह सेवंते गाम-सामियं के वि । संति परमत्थ-रहिया अण्णाण-भयाउरा पुरिसा ॥ एवं एए मूढा पुरओ संते वि धम्म-सारम्मि । तं काउं असमत्था अहव विवेगो ण ताण इमो॥ .. 1) P एत्थंतरे कुमारो, P अउज्झा', p तुराई for संखाई. 2) J बंदिअणेणं, J रहसाऊरमाण, P कम्मेण. 3) Pom. य, रायमग्गो, Pom. संपत्ती रायदार, P वोलिणो कुमारे, P भणिय, जयरजणी. 5)P जयकव्यं, एरिसीय. 7) हिअयुग्गया, P हिय उग्गमहलहयं विरयंतं. 8) Pom. य after पविट्रो. 9) महामहिंदासणे,J -प्पमुहे हि. 10)P पउमप्पहाणाई कोमले किंमयल- 11) Pअतिसित्तो, J जोरजा जयरजा',P जोकारिओ, Jom. य, " य मेहरायः,JP दढधम्म, Jadda य before सब्वे. 12) Pom. च. 13) P अज्ज पुन्नाई, अजप्पभु P अजपत्तई, रयतमुत्तिय, P रयण for रयय, Pणयरा. 14) Pom. णरवर,J-सहस्सुहन, Jom.दे, रज्जहरं दिव्वं ।। 15) Pom. ति. 16) JP भणिय, P महाराणो आणवेइ, P अवस्स. 17) Jगुरुअरस, अहिणंदिआ, P अवसेप्परवरोप्परवयण- 18) दिअहे for दिणे. 19)P होइ for एत्थ. 20) Padds एवं च before मा हो जूरह, J असंपुडंतेमु, जण्ण for ज ण,J पढमं चिअ. 21) Pसुहेहि, अह for इह, P adds कुण before कुणह, P रज्जं for कज्ज, Jलोअम्मि. 22) Padds | before एस. 23) Jधम्मकारणगिच्छओ, J काय for जत्थ.24) Pसफल, Pom. ताण. Jom. तो. 25) Pom, ण सब्बो. 27)P युहतीए, P समागयावरेहिं, P कुरया for तुरया, Pom. पब्बया पचयवरेहि. 28) Jadds किं after पुरिसा, धम्मे हि मि धम्मा. 29) P एयाविसे. 31) Pल for ण. 33) P-जणहिं, Pहोज for होज, P repeats सब्वेहि. 34) Pणरवसहे,' णाम for गाम, P भवाउयाउरा. 35)P मूढारओ. Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३२०] कुवलयमाला २०१ 16 तेण भणियं 'कुमार, कहं पुण धम्मस्स वरावरत्तणं लक्खिजइ'त्ति । कुमारेण भणियं 'देव, फलेण'। गरवणा भणियं 1 'कुमार, 3 पञ्चक्ख-णुमाण-चउकयस्स को प्रत्य वावडो होइ । किं उवमाण अहवा वि आगमो फल-उवेक्खाए । पञ्चक्खं धम्म-फलं ण य दीसइ जेण होइ पर-लोए। पञ्चक्खं जत्थ ण वा तत्थ कहं होइ अणुमाणं ॥ उवमाणं दूरे च्चिय अहवा किं भणह आगम-पमाणं । धम्मागमा सम च्चिय सफला सब्चे वि लोगम्मि ॥ 8 ता कत्थ मणं कुणिमो कत्थ व सफलो त्ति होहिइ किलेसो । कत्थ व मोक्खं सोक्खं इय घोलइ मज्झ हिययं ति ॥ 6 कुमारेण भणियं 'ताव देव को उवाओ' । राइणा भणियं 'एक्को परं उवाओ। पुच्छिज्जउ को वि णरो पंडिय-पढिओ जयम्मि सवियड्ढो । को एल्थ धम्म-सारो जत्थम्हे आयरं करिमो॥ 9 कुमारेण भणियं । 'देव, को एल्थ किं वियाणइ अह जाणइ राय-दोस-वस-मूढो । अण्णह परमत्थ-गई अण्णह पुरिसो वियप्पेइ ॥ ईसाएँ मच्छरेणं सपक्खराएण पंडियप्पाणो । अलिय पि भणंति णरा धम्माधम्म ण पेच्छंति ॥ ३१९) णरवरेण भणियं ‘एवं ववथिए दुग्गमे तत्त-परिणामे को उण उवाओ भविस्सई' ति । कुमारेण 12 भणियं 'देव, एक्को परं उवाओ मह हियए फुरइ णिच-संणिहिओ। परमत्थो तेण इमो गजइ धम्मस्स पञ्चक्खं ॥ इक्खागु-वंस-पभवा गर-वसभा के वर्णत-संखिल्ला । णिन्वाणमणुप्पत्ता इह धम्मं कं पि काऊण ॥ आराहिऊण देविं मंगल-पुव्वं तवेण विणएण । पुच्छिजउ कुल-धम्मो को अम्ह परंपरायाओ। एवं कयम्मि जं चिय तीए कुलदेवयाएँ आइटुं । सो चेय अम्ह धम्मो बहुणा किं एत्थ भणिएण ॥ 18 इमं पडिवण्णं राहणा भणियं च । 'साहु कुमार, सुंदर तए संलत्तं, ता णिब्बियारं इमं चेय कायव्वं' ति भणमाणो 18 समुट्ठिमो राया, कायब्वं काउमाढत्तो । तओ अण्णम्मि दियहे असेसाए गंध-कुसुम-बलि-पईव-सामग्गीए पविट्रो देवहरयं राया । तत्थ य जहारुहं पूइऊण देवे देवीओ य पुणो थुणिऊण समाढत्तो । अवि य। " जय विजय जयंति जए जयाहि अवराइए जय कुमारि । जय अंबे अंबाले बाले जय तं पिए लच्छी॥ इक्खागु-णरवराणं को कुल-धम्मो पुराण-पुरिसाण । साहिजउ मज्झ इमं अहवा वज्झा तुमं चेय ॥ इमं च भणिऊण णरवई णिसण्णो कुस-सत्थरे, ठिओ एक्कमहोरत्तं । दुइय-राईए य मज्झिम-जामे उट्ठाइया 24 मागासयले वाया। भो भो णरवर-वसभा जइ कर्ज तुम्ह धम्म-सारेण । ता गेण्हसु कुल-धम्मं इक्खागूणं इमं पुवं ॥ इमं च भणंतीए समप्पियं कणय-सिलायलं णरिंदस्स कुलसिरीए । तं च पाविऊण विउद्धो राया जाव पुरओ पेच्छा 27 कणय-सिलायलं । तं च केरिसं । अवि य । ललिउब्वेलिर-मत्ता-वण्णय-पट्टत-पत्तिया-णिवहं । बंभी-लिवी लिहियं मरगय-खय-पूरियं पुरभो ॥ तं च दहण हरिस-वस-समुच्छलंत-रोमंचेण सद्दाविओ कुमारो भणिओ य । 'पुत्त कुमार, एसो दिण्णो कुलदेवयाए अम्हाण 80 कुलधम्मो, ता णिरूवेडं वाएसु इम' ति । कुमारेण वि 'जहाणवेसि' ति भणमाणेण धूव-बलि-कुसुमवणं काऊण सविणयं 80 भत्तीए वाइडं पयत्तं । ६३२०) किं च तत्थ लिहियं । अवि य । 33 देसण-विसुद्धि-णाणस्स संपया चरण-धारण चेय । मोक्खस्स साधयाई सयल-सुहाणं च मूलाई ॥ जत्थ ण हम्मद जीवो संतुट्ठो णियय-जोणि-वासेण । ण य अलियं मंतिजा जियाण पीडायरं हियए॥ 1)कह पण धम्मवरावरवरत्तणं, Pom. त्ति. 3) पक्खाउमाण पमाणचउक्कयस्स, - om. वि. 4) Pom. य. 5) Pवि भणंति for किं . ह,P सफलो, लोअम्मि. 6) "होति , P हियति . 7) तह वि for ताब, J पर for परं. 8) पुच्छिज्जद, कोइ णरो, P सविअढो. 10) परमस्था, " गती. 11) पंडिअप्पाणा. 12) Pणरवइणा for णरवरेण, P एवं वथिए, P परिणामो, को उण. 14) Pएको महिहरपकओ यए फुरइ, सण्णिहिओ P सन्निहिओ. 15) पभावा णरवसहा, कवि अणंत- for केवणंत, P संखेज्जा for संखिल्ला, P धम्मं कि पि. 18) Pom. च, Pom. चेव. 19) Jom. गंव, J.प्पईव P-पतीव. 20) P om. य after तत्थ, Pom. पुणो थुणिऊण etc. to को कुलधम्मो. 21) जए जायाहि अवराईए. 22) P वझं for वज्झा, P च for चेय. 23) ' om. इमं च, Pom. जरवई, Pणिवण्णा for णिमण्णो, P adds परती before कुस, P ट्रिओ, ' दुइअ य राईए मज्झिमजामे उद्धाइया. 25) J चसहा, P कब्ज, ' कुलधम्मो, P इक्खागकुलाइयं पुब्वं. 26) J भणतीय, P om. पुरओ. 27) Pom. तं च केरिसं. 28) P'मत्तावण्णपयतिपत्तिया , बंभीलिवाए, P पूरिउ for पूरियं. 29) P हरिसवसुच्छलंतः, P कुलदेवत्ता अम्हाण. 30) "णिरूवेह, P वारसुद्ध इमं ति। कुमारो वि, P भणमाणो, कुसुममञ्चणं. 31)पयत्तो।.32) Pलिहितं. 33)P विसुद्ध, P साहणाई सयणसुहाणं. 34) Pणं हंमद, P पीडाकर. 26 24 Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 18 २०२ उजोयणसूरिविरइया [६३२०1 णय घेप्पई अदिण्णं सरिसं जीएण कस्सइ जणस्स । दूरेण जत्थ महिला वजिजइ जलिय-जलगं व ॥ अत्थो जत्थ चइजइ अणत्थ-मूलं जयम्मि सयलम्मि । ण य भुजद राईए जियाण मा होज विणिवाओ॥ तं गरवर गेण्ह तुम धम्म अह होइ जत्थ वेरग्गो । परियाणसु पुहइ-जिए जलम्मि जीयं ति मण्णेसु ॥ अणिलाणले सजीए पडिवज वणस्सई पि जीवं ति । लक्खिजह जत्थ जिओ फरिसेंदिय-मेत्त-वावारो॥ अलस-किमिया दुइंदी पिवीलियाई य होंति तेइंदी । भमराई चउरिंदी मण्णसु सेसा य पंचेंदी ॥ णर-पसु-देव-दइच्चे सव्वे मण्णेसु बंधवे आसि । सवे विमए सरिसा सुहं च इच्छंति सव्वे वि ॥ णासंति दुक्ख-भीरू दुक्खाविजंति सत्थ-पउरेहिं । सव्वाण होइ दुक्ख दुव्वयण-विसेण हिययम्मि ॥ सव्वाण आसि मित्तं अहयं सव्वाण बंधवो आसि । राब्वे वि बंधवा मे सब्वे वि हवंति मित्ताई ॥ इय एवं परमत्थे कह पहरिजउ जियस्स देहम्मि । अत्ताण-णिव्विसेसे मूढा पहरंति जीयम्मि ॥ जंज पेच्छसि जीयं संसारे दुक्ख-सोय-भय-कलियं । तं तं मण्णसु णरवर भासि महं एरिसो चेय॥ जं जं जयम्मि जीवं पेच्छसि सिरि-विहव-मय-मउम्मत्तं । तं तं मण्णसु णरवर एरिसओ आसि अयं पि॥ जीएसु कुणसु मेत्तिं गुणवंते कुणसु आयरं धीर । कुणसु दयं दीण-मणे कुणसु उवेक्खं च गम्वियए। असमंजसेसु कायं वायमसन्भेसु रंभ वयणेसु । रंभसु मणं अयजे पसरत सव्व-दम्वेसु ॥ काएण कुणह किरियं पढसु य वायाए धम्म-सत्थाई। भावेसु भावणाओ भावेण य भाव-संजुत्तो ।। कुणसु तवं सुविसुद्धो इंदिय-सत्तुं णिरंभ भय-रहिओ। कोवम्मि कुणह खंति असुई चिंतेसु कामम्मि ॥ माणम्मि होसु पणओ माया-ठाणम्मि अज्जवं कुणसु । लोहं च अलोहेणं जिण मोहं णाण-पहराहिं ॥ अच्छसु संजम जमिओ सीलं अह सेव णिम्मलं लोए। मा वीरियं णिगूहसु कुण कायन्वं जयं भणियं ॥ मा कुणसु पाग-किरियं भिक्ख भमिऊण भुंजसु विहीए । मा अच्छसु णिचिंतो सज्झाए होसु वक्खित्तो ॥ णिज्झीण-पाव-पंको अवगय-मोहो पण?-मिच्छत्तो । लोयालोय-पयासो समुग्गओ जस्स णाण-रवी। संभिण्णं सो पेच्छइ लोयमलोयं च सव्वओ सव्वं । तं णस्थि जण पासइ भूतं भव्वं भविस्सं च ॥ सो य भगवं किं भण्णइ । तित्थयरो लोय-गुरू सव्वण्णू केवली जिणो अरहा । सुगओ सिद्धो बुद्धो पारगओ वीयरागो य॥ सो अप्पा परमप्पा सुहमो य गिरंजणो य सो चेव । अव्वत्तो अच्छेजो अब्भेजो अक्खओ परमो॥ जं जं सो परमप्पा किंचि समाइसइ अमय-णीसंदं । तं तं पत्तिय णरवर तेण व जे दिक्खिया पुरिसा ॥ भलियं अयाणमाणो भणइ णरो अह व राग-दोसत्तो । कह सो भणेज अलियं भय-मय-रागेहिँ जो रहिओ। तम्हा णरवर सव्वायरेण पडिवज सामियं देवं । ज किंचि तेण भणियं तं तं. भावेण पडिवज ॥ सुहमो सरीर मेत्तो अणादिम अक्खओ य भोत्तादी । णाण-किरियाहि मुञ्चह एरिस-रूवो जहिं अप्पा ।। एसो गरवर धम्मो मोक्ख-फलो सन्व-सोक्ख-मूलं च । इक्खागू-पुरिसाणं एसो चिय होइ कुल-धम्मो॥ जं जं एत्थ णिरुत्तं तं तं णरणाह जाण सारं ति । एएण विरहियं पुण जाण विहम्मं कुहम्मं च ॥ 20 एयं भवमण्णता णरवर गरयम्मि जंति घोरम्मि । एयं काऊण पुणो भक्खय-सोक्खाइँ पार्वति ॥ ६३२१) एवं च पढिए इमम्मि धम्मे णरवइणा भणियं । 'अहो अणुग्गिहीया अम्हे भयबईए कुलदेवयाए । ता सुंदरो एस धम्मो, ण एत्थ संदेहो । एयं पुण ण-याणिजइ केरिसा ते धम्म-पुरिसा जाण एरिसो धम्मो' त्ति । कुमारेण 33 भणिय 'देव, जे केइ धम्मिय-पुरिसा दीसंति ताण चेय दिक्खं घेत्तूण कीरए एस धम्मो' त्ति । राइणा भणियं 'कुमार, मा 1) Pघेप्पड, P जियस्स for जणस्स, P जलण for जलिय. 2) P वइ for चइजर, P जलंमि for जयम्मि, P भुजति रातीए. 3) Pधमं जह होइ, Prepeats जद्द होइ, P हर जए for पुहइ जिए, पीs for जीयं. 4) Pसुजीए for सजीर, P जीवं पि ।, P फरिसेहियमेकवावारो. 5) अलसा-, P दिइंदी for दुइंदी, Jom. पिवीलियाय होंति तेइंदी।, P पिवीलियाती, भमराती चउरेंदी, P पंचिंदी. 6) P अब्वे वि for सब्वे वि, P सा for सरिसा. 7) Pदुखाविजंति, P पहरेदि, विसेए for विसेण. 9) पहरिजइ. 10) Padds त after अहं. 11) P जीवे for जीवं, I •मपुमत्तं. 12) P मित्तं for मेत्ति, गुणमंते, P कुणतु अवेक्खं. 13) P वायमसत्तेसु, Jom. रुंभ, P सव्वेसु for सञ्चदम्बेसु. 14) Pभाएसु भायणाओ. 15) " इंदियसेत्तुं, णिसुंभ Pणेरुंभ, P खंती अमुर्ति, P देहंमि for कामम्मि. 16) Pमायमि for माणम्मि. 18) पाव for पाग, Pणिबिन्नो for णिचितो, P आउत्तो for वक्खित्तो. 19)णिज्झाण, P लोगालोग. 20) पेच्छ लोगमलोग, सब्बतो, । पेच्छ for सव्वं,J जण्ण पासति भोत्तुं सव्वं, P भूतस. 22) J सुगतो णिद्धो, वीतरागो. 23) अप्पा वरमप्पा, चेभ, सम्वत्तो for अश्वत्तो, P अमेज्जओ, अक्सरो परमो. 25) रागरोसत्तो, भममय, P भयममरोगेहि. 27) P अणाइम, अक्ययभोत्तादी।, किरियादी, Padds मुन्बा before अप्पा. 28) Jom, च. 29) णिहित for णिरुतं. 31) F भयवतीए. 32) Pइमं for एयं, P एसो for एरिसो. 33) P दिक्खा, I कीरउ, Pom. मा. Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ना पुणो देव, सावित । राणा भणिय डिभो, समाइट्ठो रात -६३२२] कुवलयमाला २०३ 1 एवं भण । णाणाविह-लिंग-वेस-धारिणो धम्मपुरिसा परिवसंति पुहई-तले। ते य सम्वे भणंति 'अम्हं च उ धम्मो 1 सुंदरो,' अण्णो वि भणइ 'अम्हं च उ धम्मो,' अण्णो वि 'अम्हं च उ' ति । एवं च ठिए कस्स सदहामो कस्स वा 3ण वत्ति । कुमारेण भणियं 'ताय, जइ एवं ता एक्को अस्थि उवाभो । जो कोइ पुहईए धम्म-पुरिसो सो सम्बो पडहएण 3 माधोसिजइ जहा, राया धम्म पडिवजह जं चेय सुंदरं, ता सव्वे धम्म-पुरिसा पच्चक्खीहवंतु, साहेंतु य मप्पणो धम्माई जेण जं सुंदरं तं गेण्हा त्ति । पुणो देव, साहिए सयले धम्म-वित्थरे जो चेय एयस्स दिण्णस्स देवयाए वियारिजंतो 6 घडीहिइ, तम्मि चेय भायरं काऊण दिक्खं पडिवजीहामोत्ति । राइणा भणियं 'एवं जद परं पाविजइ विसेसो ति । ता माणवेसु पडिहारं जहा पाडहियं सहावेसु । आएसाणंतरं च समाणत्तो पडिहारो, संपत्तो पाडहिओ, समाइटो राइणा जहा इमिणा य अत्थेण घोसेसु सव्व-णयर-चञ्चरेसु पसहयं' ति । तमो 'जहाणवेह' त्ति भणमाणो णिग्गओ पाडहिमओ घोसिड च पयत्तो । कस्थ । अवि य। सिंगाडय-गोउर-चञ्चरेसुपंथेसु हट-मग्गेसु । घर-मढ-देवउलेसुं आराम-पवा-तलाएसुं॥ किं च घोसि पयत्तो। अवि य । 19 जो जं जाणइ धम्म सो तं साहेउ अज्ज गरवइणो। जो तत्थ सुंदरयरो तं चिय राया पवजिहि ॥ एवं च घोसेंतेण 'ढं ढं द ' ति अफ्फालिया ढक्का । किं च भणिउं पयत्ता । अवि य । अप्फालिया वि ढक्का छज्जीव-णिकाय-रक्खणं धम्मो । जीय-दया-दम-रहिओ ढंढ द ति वाहरइ ॥ 16 तभो इमं च घोसिज्जतं तिय-चउक्क-चच्चर-महापहेसु सोऊण सम्वे धम्म-पुरिसा संभता मिलिया णियएस धम्म-विसेस 15 संघेसु अवरोप्परं च भणिउं पयत्ता । भवि य । भो भो सहधम्मयरा वञ्चह साहेह राइणो धर्म । धम्मम्मि पुहहणाहो पडिबुज्झइ किंण पजतं ॥ " एवं च अवरोप्परं मंतिऊण जे जस्थ णिगाए ससिद्धंत-कुसला ते समुटिया धम्मिय-पुरिसा, संपत्ता राममंदिरं । राया 18 विणिक्खतो बाहिरोवत्थाण-मंडवं दिट्ठो सम्वेहिं जहाभिरूव-दसणीयासीसा-पणाम-संभासणेहिं । णिविट्ठा म णियएसु भासणेसु । भणिया य राइणा 'भो भो धम्मिय-पुरिसा, गहियत्था तुम्हे अम्हाभिप्यायस्स । वा भणह कमेण अत्तणो ॥ हिययाभिरुइए धम्म-विसेसे।' $३२२) एवं च भणिया समाणा परिवाडीए साहिउँ पयत्ता । एक्केण भणियं । अवि य । जीवो खण-भंगिल्लो अचेयणा तरुवरा जगमणिचं । णिव्वाणं पि अभावो धम्मो अम्हाण णरणाह ॥ 4राइणा चिंतियं । जीवो अणाइ-णिहणो सचेयणा तरुवरा वि मह लिहिया । मोक्खो सासय-ठाणे मह दूरं विहाए एवं ॥ अण्णेण भणिय। सव-गओ बह जीवो मुबह पयईए झाण-जोएहिं । पुहइ-जल-सोय-सुद्धो एस तिदंडीण धम्मवरो॥ राइणा भणियं । सम्ब-गमो जइ अप्पा को झाणं कुणइ तत्थ सोयं वा । पुहइ-जलाउ सजीवा ते मारेउं कई सुद्धी॥ 30 भण्णेण भणियं । सम्वनाओ इह अप्पा ण कुणइ पयडीए बज्झए णवरं । जोगब्भासा मुको इह चेय णिरंजणो होइ। राइणा चिंतिर्य। - अप्पा सरीर-मेत्तो णिय-कम्मे कुणइ बज्झए तेणे । सम्व-गए कह जोमो विवरीयं वहए एयं ॥ अण्णेण भणियं । एको चिय परमप्पा मूए भूयम्मि वहए णियय । णिचाणिच-विरहिलो भणाइ-णिहणो परो पुरिसो॥ 36 राइणा चिंतिय। 1)P भणह for भण, विसेस for वेस, Pपारिवसंति पुहतीयले। 2) Jom. धम्मो before अण्णो, P adds भणइ before अम्हं, Pसदहामि. 4)Pघोसिज्जद for आघो',Padds तं गेण्हह for ता, दोंतु for 'हवंतु, यप्पणो.5) Pom.जं, P तस्स धम्मस्स for एयस्स. 6) घडीहिति Pण वाही ति, दिक्खं पवजीहामो, राइण भणिय, एयं, पाविज विसेसो.'7) om. संपत्तो पाडहिओ. 8) इमम्मिणा for इमिणा, Jणरथ for णयर, पडिहयं, जहाणवेहि. 10) सिंघाडगोउरचचरे पत्थेसु हहमयेसु ।. 11) पयत्तं. 12) P धम्मे, साहेइ, ता for जोकिय for चिय, परिजिहिति परिवजिहि ति. 13)Pom. च, P om. ति, P भाणिउं. 14) Pढका जिणधम्म्मो सुंदरो त्ति लोगंमि । अन्ने उण जे धम्मा हूँ eto. 15) P घोसिज्जति तिय, बच्चरेसु महा', "णिययधम्म- 16) सामेसु for संघसु, भणियं, P om. अवि य. 17) 'णाहो पडिवज्जइ किण्ण पग्वज ॥. 18) Pजत्य णिकापसु सिद्धति कुसला. 19) Pबाहिरअत्थाग, दंसणीया । सीसा, पिविट्ठाय णिआएसु, Pणियए आसणेसु. 20) तुम्मे for तुम्हे, Pom. ता. 21) Pहिययाहिसइए धर्म. 22) Pom. च, P साहिओ. 23) ब्वाणं. 25) Pतवेयणा for सचेयणा, तरुअरा, P मोक्खसासयं ठाणं. 26) Jom. अण्णेण भणियं । सम्बगो अहजीवो etc. ending with कई सुद्धी ।।. 27) पयइएज्झाण. 29)P सोयम्वा. 30) Pom. अण्णेण भणिय (after कहं सुद्धी॥) सम्बगो इह etc. ending with वट्टए एय॥.33) JUtor एवं ॥ 35) Pपुरो for परो. Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ उज्जोयणसूरिविरदया [$३२२* रको चिय अप्पा कह सुह-दुक्खाई भिण्ण-रूवाई। एकेण दुक्खिएणं सम्वे ते दुक्खिया होंतु ॥ भणियं। भव्वावारं दिजइ पसुमो मारिजए य मंतेहिं । माई-पिइस्स मेहं गो-मेहो वा फुडो धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । जं दिजइ तं सारं जं पुण मारिजए पसू गो वा । तमधम्म मह लिहियं देवीए पहए सम्वं ॥ अण्णेण भणियं । काय-बलि-वइस-देवो कीरइ जलणम्मि खिप्पए अण्णं । सुप्पीया होति सुरा ते तुट्ठा देंति धम्म तु॥ राइणा चिंतियं। 9 को णेच्छह काय-बलिं जं पुण जलणम्मि खिप्पए भत्तं । तं तस्स होइ भण्णस्स वा वि एवं ण-पाणामो॥ अण्णेण भणिय। चहऊण सध्व-संग वणम्मि गंतूण वाल-णियस्थो । कैद-फल-कुसुम-भक्खो जइ ता धम्मो रिसी तेण ॥ 12 राइणा चिंतियं । सारो जइ णी संगो जं पुण कंदप्फलाई भुजति । एसो जीव-णिकामो जीव-दया वहए धम्मो॥ भण्णेण भणियं। 16 दिजइ बंभण-समणे विहले दीणे य दुक्खिए किंचि । गुरु-पूर्ण पि कीरइ सारो धम्माण गिहि-धम्मो॥ परवइणा चिंतियं । जंदाणं तं दि8 भणत-धामो ग पेच्छह घरम्मि । एसो विधइ बाल चुका हथिस्स कंडेण ॥ 18 भण्णेण भणियं । भक्खाभक्खाण सम गम्मागम्माण अंतरं णस्थि । दैत-वाय-भणिमो धम्मो भम्हाण णिक्खुदो। राइण चिंतियं । एच लोय-विरुद्धं परलोय-विरुद्धयं पि पचक्ख । धम्मो उण इंदिय-णिग्गहेण मह पए लिहियं ॥ अण्णेण भणियं । विण्णप्पसि देव फुड पंच-पवित्तेहिं भासण-विहीय । सइइत-वाय-भणिको धम्मो भम्हाण णिक्युदो। 24 राइणा चिंतियं । लोमसहारे जिभिदियस्स भणुलमासणं फंसे । धम्मामो इंदिय-णिग्गहेण एसो विधम्मो ति॥ भण्णेण भणियं । 7 धम्मट्टियस्स दिजइ णियय-कलतं पि भत्तणो देहं । तारेइ सो तरंतो मलावु-सरिसो भव-समुई। राइणा भणियं । जइ भुंजइ कह व मुणी मह ण मुणी किं च तस्स दिण्णेण । भारोविया सिलोपरि कि तरह सिला जले गहिरे॥ 30 मण्णेण भणियं । जो कुणइ साहस-बलं सत्तं भवलंबिऊण णरणाह । तस्स किर होइ सुगई मह धम्मो एस परिहाइ । राइणा चिंतियं । 33 वेय-सुईसु विरुद्धो अप्पवहो णिदिलो य विबुहेहिं । जइ तस्स होइ सुगई विसं पि ममयं भवेज्जासु ॥ भणेण भणियं। गंतण गिरि-वरेसुं भत्ताण मुंचए महापीरो । सो होइ एस्थ धम्मो महवा जो गुग्गुळ भरह ॥ 38 राइणा चिंतियं । 1)तिणि for भिण्ण, होति ।।. 3)मारिजएहि मंतेहिं ।, P फुडो धमो1.4)Pवि भणिय for चितियं. " मारिजई, एयं चिलायकर्म एस विहंमो जए जाभो ॥ for the second line तमधम्म etc. 7 वैस for वइस, सुप्पीता, मुग्गीया, ३ देंतु. 9)Prepeats को नेच्छइ, जं पुण लोगंमि निक्खिवे भत्तं । तं तस्स तस्स ण बेवयाण छारो पर हत्थे ।।. 13)P एसो जीवाण बहो कह कीरओ कुच्छिओ धम्मो || for the second line. 15)P दिब्जओ, समण, पूषणं पि, गिधम्मो. 17) -घातो-नाघो, P after कंडेण | omits अण्णेण भणियं । भक्खा' etc. ending with पट्टए लिहिये ।।. 19) अदेतवात- 21) Jafter लिहियं ।।, omita अण्णेण भणियं । विण्णप्पसि etc. ending with धम्मो ति. 23)F विणप्पसि, वातभणितो, P णिखुदो. 27) P सरिसं. 29) कह व मुंणी, व मुणी निंब तस्स, P सिलोयरि, • सिकायले. 31) सामस for साइस, P सुणती. 33) Pजलणं जलं च जीए तस्स बहो अप्पधाइओ पुरिसो for the fiirst line बेयसुईस eto. P सुगवी, अमयं हवेज्जासु. 35)Pमेवगिरि for गिरिवरेसुं, महाबीरो, गुग्गलं. Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०५ २०५ -5३२२] कुवलयमाला । अत्ताणं मारेंतो पावइ कुगई जिओ सराय-मणो। एवं तामस-मरणं गुग्गुल-धरणाइयं सव्वं ॥ अण्णेण भणियं । 3 खाणे कूव-तलाए बंधइ वावीओं देह य पवाओ । सो एस्थ धम्म-पुरिसो णरघर सम्हं ठिओ हियए । राइणा चिंतियं । पुहई-जल-जलणानिल-वणस्सई तह य जंगमे जीवे । मारेंतस्स वि धम्मो हवेज जइ सीयलो जलणो॥ 6 अण्णेण भणियं। गंगा-जलम्मि पहाओ सायर-सरियासु तह य तित्थेसु । धुयइ मलं किर पावं ता सुद्धो होइ धम्मेण ॥ णरवइणा चिंतियं । 9 भागीरहि-जल-विच्छालियस्स परिसडउ कह व कम्मं से । बाहिर-मलावणयणं तं पिहु णिउणं ण जाएजा ॥ अण्णेण भणियं । राईण रायधम्मो बभण-धम्मो य बंभणाणं तु । बेसाण वेस-धम्मो णियओ धम्मो य सुद्दाण ॥ राहणा चिंतिय। धम्मो णाम सहावो णियय-सहावेसु जेण वदृति । तेणं चिय सो भण्णइ धम्मो ण उणाइ पर-लोओ ॥ अण्णेण भणियं । 15 णाय-विढत्त-धणेण जे काराविति देव-भवणाई। देवाण पूयणं अच्चणं च सोय इह धम्मो॥ राइणा चिंतियं । कोण वि इच्छइ एयं जं चिय कीरंति देवहस्याई । एत्यं पुण को देवो कस्स व कीरंतु एयाई॥ 18 अण्णेण भणियं । काऊण पुढवि-पुरिसं डझइ मते हि जस्थ जे पावं । दीविजइ जेण सुहं सो धम्मो होइ दिक्खाए । राइणा चिंतियं । 1 पावं डज्झइ मतेहि एस्थ हेऊ ण दीसए कोइ । पावो तवेण डाह झाण-महग्गीए लिहिय मे॥ अपणेण भणियं । झाणेण होइ मोक्खो सो परमप्पा वि दीसए तेण । झाणेण होइ सगं तम्हा झाणं चिय सुधम्मो ॥ 4राइणा चिंतिय। झाणेण होइ मोक्खो सच्चं एवं ति ण उण एक्केण । तव-सील-णियम-जुत्तेण तं च तुब्मेहि णो भणियं । भण्णेण भणियं । 97 पिउ-माइ-गुरुयणम्मि य सुरवर-मणुएसु अहव सब्वेसु । णीयं करेइ विणयं एसो धम्मो परवरिंद ॥ णरवइणा चिंतियं । जुजइ विणओ धम्मो कीरंतो गुरुयणेसु देवेसु । जं पुण पाव-जणस्स वि भइयारो एस णो जुत्तो ॥ 30 अण्णेण भणियं। णवि अस्थि कोइ जीवो ण य परलोओ ण यावि परमत्थो। भुंजह खाह जहिच्छं एत्तिय-मेत्तं जए सारं ॥ राइणा चिंतियं । 33 जइ णस्थि कोइ जीवो को एसो जपए इमं वयणं । मूढो थिय-धाई एसो दट्ट पि णवि जोग्गो॥ अण्णेण भणियं। गो-भूमि-धण्ण-दाणं हलप्पयाणं च बंभण-जणस्स । जं कीरइ सो धम्मो णरवर मह वल्लहो हियए । 36 णरवहणा चिंतियं । 1) कुगई, गई for जिओ, P जिओ राइमणो । एयं तामस. 3)खणेइ for खाणे, तालाए, बावीए, Pउ for य P अम्हडिओ. 5) दुविहो त्थ होइ धम्मो भोगफलो होइ मोक्खधम्मो य । दाणं ता मोक्खफलं ता भोगफलो जइ जिजाणं ण पीड यरो ॥ for the verse पुहई जल etc., P repeats जल, P विमो. 7) Fसारय for सायर, P तो for ता. 9) जइ होइ सुद्धभावो आराहइ इट्ठदेवयं परमं । गंगाजलतलयाणं को णु विसेसो भवे तस्स ।। for the verse भागीरहिजल eto., P -मलावणयलं तं 11)Pरायाण,J सुद्धाण. 13)J धम्मे, Pणातियंदावो, धम्मइ for भण्णइJ उणाए. 15)Pकारविज्जति,चे अ. 17) एकं for एत्थं, P को इह for पुण को. 19)Pइह इ for पुढवि, P तेण for जेण. 21)P कोति for कोइ, मुड-जल चेलवणो पासंडो एस तो रइओ for the line पावो तवेण etc. 22) Jom. भगिय. 23) विदीसते तेण, जाणं for झाणं, adds सुअ before सुधम्मो, P सुधम्मा. 25) P जुत्ते for जुत्तेण. 27) माउ for माइ, P गुरुजणमि, Jom. य. 29) J धम्म, P गुणवएसु देवेसु, Pज for जं, अतियारो. 31) एत्थ for अत्थि. 32) को वि जीवो. 330P को एस जपए, Jणस्थियवाती, दट्ठम्मि विणिजोग्गो. 35)J धम्मदाणं । धणदाणं. Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ उज्जोयणसूरिविरइया [६३२२1 देइ हलं जीयहरं पुहई जीयं च जीवियं धणं । अबुहो देइ हलाई अबुहो च्चिय गेण्हए ताई ॥ अण्णेण भणियं। ३ दुक्खिय-कीड-पयंगा मोएऊणं कुजाइ-जम्माई । अण्णस्थ होति सुहिया एसो करुणापरो धम्मो॥ राइणा चिंतियं । जो जत्थ होइ जंतू संतुट्ठो तेण तत्थ सो सम्वो । इच्छइ ण कोइ मरिडं सोउं पि ण जुज्जए एयं ॥ 6 अण्णेण भणियं । सहल-सीह-रिच्छा सप्पा चोरा य दुट्ठया एए । मारेति जियाण सए तम्हा ताणं बहे धम्मो ॥ राहणा चिंतियं । १ सम्बो जीवाहारो जीवो लोयम्मि दिट्ठ-परिणामो । जइ दुटो मारिजइ तुम पि दुट्ठो वह पावं ॥ अण्णेण भणियं । दहि-दुद्ध-गोरसो वा घयं व अण्णं व किं पि गाईणं । मासं पिव मा भुजउ इय पंडर-भिक्खभो धम्मो॥ 12 राइणा चिंतियं । गो-मासे पडिसेहो एसो वजेइ मंगलं दहियं । खमणय-सीलं रक्खसु मा विहारेण विण कज ॥ अगणेण भणियं । 16 को जाणइ सो धम्मो णीलो पीओ व सुकिलो होज । णाएण तेग किं वा ज होहिह तं सहीहामो॥ .. राइणा चिंतियं । णजइ अणुमाणेणं णाएण वि तेण मोक्ख-कज्जाई । अण्णाण-मूढयाणं कत्तो धम्मस्स णिप्फत्ती॥ 18 अण्णेण भणियं । जेण सिही चित्तलिए धवले हंसे कए तह म्हे वि । धम्माहम्मे चिंता काहिह सो अम्ह किं ताए। राइणा चिंतियं । 21 कम्मेण सिही चित्तो धवलो हंसो तुम पि कम्मेण । कीरउ त चिय कम्मं तस्स य दिव्यो विही णाम ॥ अण्णेण भणियं । जो होइ धम्म-पुरिसो सो चिय धम्मो पुणो वि धम्म-रओ। जो पुण पावम्मि रओ होइ पुणो पाव-णिरो सो॥ 24 राइणा चिंतियं। जइ एको चिय जीवो धम्म-रओ होइ सब्व-जम्मेसु । ता कीस णरय-गामी सो च्चिय सो चेय सग्गम्मि । अण्णण भणिय। 7 जो ईसरेण केण वि धम्माहम्मेसु चोइओ लोगो । सो श्वेय धम्म-भागी पत्तिय अण्णो ण पावेह॥ परवइणा चिंतिय । को ईसरो त्ति णाम केण व कजेण चोयणं देइ । इट्ठाणि?-विवेगो केण व कजेण भण तस्स ॥ 30 अण्णेण भणियं । धम्माधम्म-विवेगो कस्सइ पुहवीए होज पुरिसस्स । मूढ-परंपर-माला अंधाण व विरइया एसा॥ णरवइणा चिंतियं । 38 धम्माधम्म-विसेसो अवस्स पुरिसस्स कस्स वि जयम्मि । तेण इमे पब्वइया अण्णह को दुकरं कुणह॥ अण्णेण भणियं । णाऊण पंचवीसय-पुरिसं जइ कुणइ बम-हच्चाओ। तो वि ण लिप्पइ पुरिसो जलेण जह पंकय सलिले ॥ 36 राइणा चिंतियं । 1)P देइ बलं जीयहरं पुह विजीवं च, P ताई for ताई. 3) Pमो मो ए for मोएऊणं, P अन्नत्थ, करुणो परो, Pधमो।. 5)Pहो for सो, P सोउ पिण जुए एयं. 6)Padds पुणे before भणिय. 7)P-रिंछा, P चोरा या एए । एते। Pमारंति जिणणसए. 9 P लोगंमि, P मारिजरु तुमं, तुम पि दिट्ठो वध, P पावा for पावं ।।. 11)किं पि काईणं, P भुजउ इय पिंडरवभिक्खयो धमो. 13)P वखमणय. 15) Pजो for को, पीहो व्व सु', P होज्जा।, P होहिति तं. 17)J-भब्जाए for -कज्जाई. 19) चित्तिलिते, P तहेवे for तहम्हे, P धम्मोधम्मे, P काही सो. 20) Pom. राइणा चिंतिय before कम्मेण चिण्णा for चित्तो, देवे for दिव्वो. 23) Pजो होघद, P after धम्मपुरिसो repeats अम्ह किं ताए । कमेण eto. ending with जो होइ धम्मपुरिसो, Pom. धम्मो, होज्ज रओ for धम्मरओ, सो उण पावरओ सो होइ for जो पुण eto. 250 तो for ता, Pचे for चिय. 27) Pधमाधमेसु, गाहिओ लोगो for चोइओ लग्गो, चेअ, पत्तिअण्णो P पत्तियणो. 29) Pईसर त्ति, Jलोमं for णामं, चेअणं for चोयणं, P - विओ, P भणंतस्स. 31) धम्माधम्मविवेओ कस्सव पुहवीए, माली for माला. 33)P-विसउवस्स पुरिसस्स, Ja for वि, P दुकर कुणह. 35)P पंचवीसय, P पंकयसलिले. Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३२३] कुवलयमाला २०७ 1 जाणतो खाइ विसं कालउडं तेण सो णवि मरेज । ता जइ होज इमं पि हु ण य तं तम्हा हु धम्मोयं ॥ अण्णेण भणियं । ३ पाणि-वहालिय-वयणं अदिण्णदाणं च मेहुणं अत्थो । वजेसु दूरओ च्चिय अरहा देवो इमो धम्मो ॥ राइणा चिंतियं । पावट्ठाण-णियत्ती अरहा देवो विराग-भावो य । लिहियम्मि तम्मि धम्मे घडइ इमो णस्थि संदेहो ॥ 6 ६३२३) इमं च जाव णरवई चिंतिउं समाढत्तो ताव य । - सम्मत्त-जाणवत्तं अह एसो णरवई समारुहइ । आरुहइ जस्स कजं पुंकरियं जाम-संखेणं ॥ तं च मज्झण्ण-संख-सई सोऊण णियय-धम्म-कम्म-करणिज-वावड-महिं पुलइयाई दस वि दिसिवहाई धम्म-पुरिसेहिं । 9 णरवइणा वि गहिय-सव्व-धम्म-परमत्थेण भणिया सव्य-धम्म-वाइणो 'वञ्चह तुब्भे, करेह णियय-धम्म-कम्म-किरिया-कलावे' त्ति । एवं च भणिया समाणा सव्ये णिययासीसा-मुहला समुट्ठिया अस्थाणि-मंडवाओ । साहुणो उण भगवंते राइणा भणिए 'भगवं, तुब्भेहिं कत्थ एरिसो धम्मो पाविओ' ति । साहहिं भणिय 'अम्हेहिं सो महाराय, आगमाओ' त्ति । 12 तेण भणियं 'को सो आगमो' त्ति । गुरुणा भणियं 'अत्त-वयणं आगमो' त्ति । राइणा भणियं 'फेरिसो अत्तो जस्स वयणं 12 आगमो' त्ति । गुरुणा भणियं । ___ 'जो राय-दोस-रहिओ किलेस-मुको कलंक-परिहीणो। णाणुज्जोइय-भुयणो सो अत्तो होइ णायब्बो ।' 15 राइणा भणियं। सो केण तुम्ह दिवो केण व णिसुओ कहं कहेमाणो । केण पमाणेण इमं घेप्पउ अम्हारिसेहिं पि॥ गुरुणा भणियं। 18 अम्हेहिँ सो ण दिट्ठो ण य णिसुओ किंचि सो कहेमाणो । आगम-गमएहिँ पुणो णजइ इह अस्थि सधण्णू ॥ राइणा भणियं । जइ ण णिसुओ कह तो कह भणसि महागमेण सव्वण्णू । जो ण सुओ ण य दिट्ठो कह तं अम्हाण साहेसि ॥ 21 गुरुणा भणियं । जइ वि ण सुओ ण दिट्ठो तहा वि अण्णेहि दिव-पुन्चो त्ति । गुरव-परंपर-माली-कमेण एसो महं पत्तो। जह तुम्ह इमं रजं पावइ पारंपरेण पुरिसाण । तह अम्ह आगममिणं पावइ जोग्गत्तण-विसेसो ॥ 24 राइणा भणियं 'कहं पुण एस सुंदरो त्ति आगमो णजई' । गुरुणा भणियं । जीवाजीव-जहट्टिएँ य कम्म-फल-पुण्ण-पाव-परिकहणे। पुधावराविरुद्धो अणुहव-पच्चक्ख-गम्मो य॥ अणुमाण-हेउ-जुत्तो जुत्ती-दिटुंत-भावणा-सारो । अणवज्ज-वित्ति-रइओ तेणेसो आगमो सारो॥ भराइणा भणियं । 'सुंदर सुंदरयरं इमं, जइ पुण इमस्स आगमस्स उवएसं जहा-भणियं करेइ पुरिसो, ता किं तस्स फलं 7 हवइ' त्ति । गुरुणा भणियं । सव्वण्णु-वयण-वित्थर-भणिए जो सद्दहइ सयल-भावे । विहि-पडिसेह-णिरूवण-परो य सो भण्णए साह ॥ 30 सो तव-संजम-सीले काउं विरई च णाम संपत्तो । णिविय-सब्व-कम्मो सिद्धिपुरि पावए अइरा ॥ जत्थ ण जरा ण मच्च ण वाहिणो णेय सव्व-दुक्खाई । सासय-सिव च सोक्खं तं सिद्धिं पावए सहसा ॥ साहिए भगवया गुरुणा तओ किं किं पि अंतोमुहं ससीसुकंपं पहरिस-वस-वियसमाण-वयण-कमलेण पलोइऊण कुवलय33 चंदं भणियं । 'कुमार, णिरुत्तं एस सो मोक्ख-धम्मो त्ति । अवि य । एसो हि मोक्ख-धम्मो धम्माण वि एस सारओ धम्मो । एसो वि देवि-दिण्णो इक्खागूण च कुल-धम्मो ॥' 1) P विसं तालउडं तिण सो, P होइ for होज, J इमंमि हु, P तं तंमा कुधम्मो य॥. 3) पाण for पाणि, P मेहुणे अस्थि ।। 5) P विरागधम्मो य, इमं स्थि. 6) Pणरव चिंतिउमादत्तो. 7) P सामन्न for सम्मत्त, P णरवती, P कज्ज बुक्करियं. 8) Pसंखद सोऊण, I om. करणिज्ज, P om. वि. 10) भगिया सम्वे, Jom. णियया, P अस्थाणमंदवाउ. 11) P भणिय for भणिए, Jom. अम्हेहिं सो. 12) Pom. को सो आगमो etc. ending with णायन्यो । राइणा भाणियं । 16) P तुम्हे दिट्ठो, ' इथं घेप्पर, P अम्हारिसेहिम्मि।. 18) / inter. सो & ण, radds कई before कहेमाणो. 20) कई रे for कहं तो, P भणासि, सुए for सुओ, Pom. य. 22) Pom. सुओ ण, Padds अम्हे before तहा, P गुरुएस for गुरव, P एसा महं पत्ता. 23) पुरिसेण ।, " आगमेणं for आगममिण, P जोगत्तण. 24) Pinter. ति आगमो. 25) जहस्थिय, J कम्मफलो, P परिकहणा । पुवापरा. 26) 1 बित्तिरहिओ तेण य सो. 27) P सुंदरमसुंदर'. 29) P सयलरूवे, जो for सो. 30) P सीलो काओ विरयं, Pण for णाम, संपुण्णो for संपत्तो, Pणिढवियसकमो सिद्धिपुरी. 31) Pणेय दुक्खसवाई. 32) F ससीसकंप. 33) Jom. अवि य. 34) Pहु for हि, P adds ति before धम्माण, P एसो देवी दिण्णी. 30 33 an Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 6 ६ ३२४ ) कुमारेण भणियं । विष्णप्पसि देव फुडं जझ्या हरिओ तुरंगमारूढो । देवेण बोहणत्थं इमम्मि धम्मम्मि णरणाह ॥ 3 दिट्टो रण्णम्मि मुणी सीहो देवो य पुग्न संगड्या पुच्धं पि एस धम्मो अहे कार्ड गया सभी ॥ तेहिं पुणो मह दिष्णो एस धम्मो जिंदिवर-चिहिओ तेहिं चिय पेसविओ कुवलयमालाएँ बोहथं ॥ वचतेण य णरवर अद्ध-पहे देव-दाणव-समूहा । विज्जाहरा य जक्खा दिट्ठा मे तत्थ धम्मम्मि ॥ जेण य सुरण कहिया अम्ह पडत्ती गयाण तं देवं । तेण सयं चिय दिट्ठो सन्वण्णू एत्थ धम्मम्मि ॥ इंदो वर्ष बंद हरिमुष्कुलंत होयण बिहाओ रच-हरणं जस्स करे पेच्छ बहु-पाव-रव-दरणं ॥ देव देवचणमि दिझे लम्हे बिय आखि धम्मवित्यरो असुरिंद-परिंदा आइसमाणो इर्म धम्मं ॥ ते वि सुरा असुरिंदा वंतर विज्जाहरा मणुस्सा य । कर-कमल-मउल-सोहा दिट्ठा धम्मं णिसामेति ॥ दिट्ठा य भए रिसिणो इमम्मि धम्मम्मि सोसिय-सरीरा । उप्पाडिऊण णाणं सासय-सिद्धिं समणुपत्ता ॥ ता सामिय विष्णप्पसि एसो धम्मो सुधम्म- धम्माण । चूडामणि व्व रेहइ चंद्रो वा सव्व-तारणं ॥ अण्णं च । वजिंद-पील - मरगय-मुत्ताहल- रयण-रासि चेंचइयं । पाविज्जइ वर-भवणं णरवर ण उणो इमो धम्मो ॥ सवंग- लक्खण- सुहं सुहेण पाविजए महारयणं । सिद्धि-सुह-संपयगरो दुक्खेण इमो इहं धम्मो ॥ पीत्तुंग-पओहर-पिहुल-गियंबो रसंत-रसणिल्लो । होइ महिलाण सत्थो सुहेण ण उणो इमो धम्मो ॥ सु-पय-सय-भरियं सुहेण पानिए जए रर्ज दुक्खेण एस धम्मो पाविजह णरवर विसालो || सम्गमिव सुरभवणे पाविजइ सयल-भोष संपत्ती एसो उण जो धम्मो पत्तो पुण्णेहिं धोवेहिं ॥ तो मरणाह तुमे चित्र अडयो इमम्मि संसारे दो जिउ इगो संपइ इद नावरं कुण ॥' 18 त्ति भणिए पडिवणं णरवइणा । 'अहो सच्चं एवं जं एस उदो एचियं कातरं ति । दुलहो मग्गो । जेण अम्हे पलिय-उत्तिमंगा जाया तहा विण 18 12 २०८ 15 उद्घोषणसूरिविरइया [ ६३२४ 12 । । ९ ३२५) भणियं च णरवइणा सप्पणामं 'भो भो गुरुणो, कत्थ पएसे तुम्हाणं भावासो' सि । गुरुणा भणिर्य 21 'महाराव, बाहिरुगाणे कुसुमदर-णामे पेयहरे' ति णरवणा भणियं वचद सहाणं, कुण काय, पभाषाए 21 रयणीए नई चेइयहरं चेय भागमिस्सामि' ति भणमानो समुद्धमो णरवई कुमारो व साहुणो य धम्मलाभासीसाए अभिवद्धिऊण णिग्या उज्जाणं णियय-किरिया-कलावेसु संपलग्गा । णरवई वि संमाणिऊण संमाणणिजे, पूइऊण पूयणिज्जे, 24 दिण वैदणिजे, पेडिग पेच्छणिजे, रमिण रमणिने, भाउच्छिण आउच्च्छणिने, काळण कायम्चे, भक्ऊिण 24 भविय सम्वद्दा जहाजु पुत-मित-क-भि-भड भोय गरिंद-मंदस्य का तो निरूविर्ड पयतो मंडायारे जाव अक्खयं पेच्छइ अत्थ-संघायं । तओ किमेएणं पुइ-परिणामेणं कीरइ त्ति, इमेण वि को वि सुहं पावइ त्ति, आदिट्ठा 27 सम्वाहियारिया 'अहो महापुरिसा, पोसेसु तिय-चटक-चथर-महापहेतु सिंगाडय-यर-रच्छामुहेसु उज्जाण देवउत-मद- 27 तलाय - वावी - बंधेसु । अवि य । तं जहा । जो जं मग्गइ अजं जीयं मोचूण संजम सहायं । तं तं देइ णरवई मग्गिजउ जिन्भयं पुरिसा ॥ 15 30 एवं च घोसाविण, दाऊण व जं जहामि दाणं जणरस, हाय-सु-विलिप्त-सुबंध-विलेवण-विसेसो सम्वालंकार- 30 रेहिर-खरीरो सुकुसुम-महादाम-मणहरो पहय-देवया विष्ण-धम्म-स्वणो मारुढो सिथिया स्वर्ण णरवई, गंतून व पवझे। अय-यावर विया दाविनमाणी पसर-मणोहरो किं-को-थ इवासेस गरिंद-लोओ संपतो कुसुमहरं जाणं 33 तत्थ य अवइण्णो, पाए गंतुं पयत्तो । दिट्ठो य तेण सो मुणिवरो अणेय-मुनि-सय-परियारो णक्खत्त-सहस्स-मज्झाभ 33 1 3 3 ) P पुव्वसंगमिया । पुव्वंमि एस 4 ) P दिण्णा एसो, लिहिओ for विहिओ, कुत्रलयमालाय, P कुवलयमाए बोहेत्थं 5 ) P व ते णरवर अहवहे, अद्धवओ for अद्धपहे, P एत्थ for तत्थ 7 ) P तयं तंदर हरिफुलंततलोवण, हरिसफुलंत. 8 ) P एस for आसि. 9 ) P मउलि for मउल, P णिसामेत्ता 10 ) P रिक्षिणा 11 ) P एसो धंमो सुधमो धमधम्माण ।. 12) P मरगल-, Pom. मुत्ताहल, J वरभुवर्ण, P -भवण, P ण उणा, इमं धम्मं. 13 ) Printer. मुहं & लक्खण, Jom. महा, P संपयकरो 14 ) पिहुलुत्तुंगपओहर, P णिउणो for ण उणो. 15 ) J - सुहभरिये P - सतभरियं, P पाविज्जर णइ णरवर. णरवर for णरवर 16 ) P सलभोगसंपत्ती, P कत्तो for पत्तो. 17 ) ता for तो, अड् for इह. 18 ) Padds जं before सचं, जेणम्हे वलिअउत्तिमंगो जाओ. 19 J उअलद्धो. 21 ) P णोम for णामे, J चेतिअहरे, inter. कुणह & कायव्वं, पभाए. 22 ) J चेतिभहरं चेअ गमिस्सं ति, P चेई हरं, Pom. चेय, Pom. त्ति. 23 ) P अभिणदिऊण, P णरवती. 24 > Jom. वंदिऊण to पेच्छ णिज्जे. 25 ) Padds पायन्त्रे before सञ्चहा, P तओ विरूवयं, P भंडायारो. 26 ) Pom. त्ति, J adds जइ before इमेण, उ कोइ for कोवि, P आयट्ठा. 27 ) सव्वा वि आरिआ " सव्वाहि आयरिया, Pom. घोसेसु, P सिंघाडय. 28 ) P बंधिसु, P om. तं. 29 ) P णरवती. 30 ) Pom य, P व्हाइसुइ, P सुगंध. 31 0 सरीरो कुसुमदाममण, P - महामणोहरो, पूइअवयाविश्ण्ण, P णरवइ, Pom. य. 32 तो for पयट्टो, मणहरो, P कुसुमहरउज्जाण. 33 ) P परिवारो. . Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३२६] कुवलयमाला २०९ । विव सस्य-समय-सस्सिरीओ ससलंछणो अलंकणो त्ति बंदिओ भगवं राइणा कुमारेहिं महिंदप्पमुहेहि य सम्व-णरवई हिं।। भणियं च परवडणा बद्ध-करपलंजलिणा 'भगवं, णियय-दिक्खाए कीरउ भम्हाणं पसाओ' त्ति । गुरुणा भणिय 3 'भो भो णरणाह, किं तुह पडिहायइ हियए एसो धम्मो जेण दिक्खं गेण्हसि' त्ति । राइणा भणियं 'अवस्सं मह 3 दिययाभिमओ तेण दिक्खं पध्वजामो' ति । भगवया भणियं 'जइ एवं, ता अविग्धं देवाणुप्पिया, मा पडिबंध करेसु।' णिरूवियं लग्गं जाव सुहयरा पावग्गहा, सम-दिट्टिणो सोम्मा, वट्टए जिणमती छाया, अणुकूला सउणा । इमं च 6 दह्रण गुरुणा पुलइयाई सयल-परिंद-मंति-महलय-वयणाई । तेहिं भणियं । 'भगवं, एसो अम्ह सामी, जं चेय इमस्स 6 पडिहायइ तं अम्ह पमाणं' ति भणिय-मेत्ते गुरुणा सज्जावियं चेइहरं, विरइया पूया, असियाओ धयाओ, णिम्मज्जियं मणि-कोट्टिमं, पहाणिवा तेलोक्क-बंधवा जिणवरा, विलित्ता विलेवणेणं, आरोवियाणि कुसुमाणि, पवज्जियाई तराई, 9 जयजयावियं जगेणं । 'अह गरवई पबजमन्भुववजई' त्ति पय-हलबोल-बहिरियं दिसियकं ति । तओ णरवइणा वि १ मओयारियाई आहरणयाई, णिक्खित्तं पढेंसुअ-जुवलय, विरइओ तकालिओ महाजइ-चेसो, परिसंटिओ जिणाणं पुरओ। पणमिए भगवंते उप्पियं बहु-पाव-रओ-हरणं रयहरणं, उप्पाडियाओ कुडिल-तरंग-भंगुराओ माया-रुवाओ निणि 12 केसाण भट्ठाओ, उच्चारियं तिण्णिवार भव-सय-पावरय-पक्खालणं सामाइयं ति । भारोविओ य मंदर-गिरि-गरुययरो 12 पन्वजा-भारो त्ति । पणमिओ मुणिवर-पमुहेहिं बंदिओ य कुवलयचंदप्पमुहेहिं सब-सामंत-मंति-पुरोहिय-जण-सय सहस्सेहिं, उवविठ्ठो गुरू रायरिसी सन्चो य जणवओ। 15६३२६) सुहासणथस्स य जणस्स भणियं गुरुणा । अवि य।। चत्तारि परमंगाणि दुल्लभाणीह जंतुणो । माणुसत्तं सुई सद्धा संजमम्मि य वीरियं ॥ कहं पुण दुलहं मणुयत्तणं ताव । अवि य । 18 जह दोण्णि के वि देवा अवरोप्पर मंतिऊण हासेणं । एको घेत्तुं जूयं अवरो समिलं समुप्पइओ । जो सो जूय-करग्गो वेगेणुद्वाइमो दिसं पुग्वं । समिलं घेत्तण पुणो भावइ अवरो वि भवरेण ॥ जोयण-बहु-लक्खिल्ले महासमुद्दम्मि दूर-दुत्तारे । पुम्वम्मि तओ जूयं अवरे समिलं च पक्खिवइ ॥ 21 पक्खिविऊणं देवा समिलं जूयं च सायरवरम्मि । वेगेण पुणो मिलिया इमं च भणिउं समाढत्ता ॥ पुब्बम्मि तडे जूयं अवरे समिला य अम्ह पक्खित्ता । जुग-छिड्डे सा समिला कइया पविसेज पेच्छामो ॥ भह पेच्छिउं पयत्ता सा समिला चंड-वाय-वीईहिं । उच्छालिजइ बहुसो पुण हीरइ जल-तरंगेहिं ॥ 24 उज्वेल्लिज्जइ बहुसो णिव्बोला जाइ सायर-जलम्मि । मच्छेण गिलिय-मुक्का कमढ-णहुक्कत्तिया भमइ ॥ गीलिजइ मयरेणं मयर-कराघाय-णोल्लिया तरइ । तरमाणी घेप्पइ तंतुएण तंतू पुणो मुयइ॥ सिसुमार-गहिय-मुक्का पइसाइ कुंभीरयस्स वयणम्मि । कुंभीर-दंत-करवत्त-कत्ति-उक्कत्तिया गलइ ।। भ गलिया वि मच्छ-पुच्छच्छडाहया धाइ गयण-मग्गेण । गयणावडणुल्ललिया घेप्पइ भुयगेहि विसमेहि ॥ विसम-भुयंगम-डक्का घोर-विसालुखणेण पजलिया। विज्झविया य जलेणं हीरइ पवणेण दूरयरं ॥ हीरंत चिय वेवइ अणुमग्गं हीरए तरंगेहिं । मुज्झइ विद्दम-गहणे घेप्पइ संखेहि विसम-कयं ॥ 30 धावइ पुब्वाभिमुहं उद्धावह दक्खिणं तडं तत्तो। वञ्चह य उत्तरेणं उत्तरओ पच्छिमं जाइ ॥ तिरिय वलइ सहेलं वेलं पुण वग्गिरा तरंगेसु । भमइ य चकाइद्धं मज्जइ आवत्त-गत्तासु ॥ इय सा बहु-भंगिल्ला गह-गहिओम्मत्तिय ब्व भममाणी । जलमय-जीव-लोए सायर-सलिले य पारम्मि ॥ ___ अच्छेज भर्मत चिय किं पावह णिय-जुवस्स तं छिडूं। सा सयलं पि हु स्वुटुं देवाणं आउग ताणं॥ 1) ससिलंछणो. 2) J करयंजलिणा, P-दिक्खए, अम्ह for अम्हाणं..3) P पडिहायए, गेहहि त्ति, P अवस्स. 4) पवज्जामो, P विद for अदिग्धं,J मा बंध. 5) पावगहा सम्मदिट्ठिणो सोमा वट्टए जिगसमती. 6) P द?ण गुणा पलोइयाई. 7) P पडियाइ, भणिए मेत्ते, P सिजावियं चेईहरयं. 9) Pणरवइ पब्धयमभु', P हलबोलं विहरिय. 10) P ओयावियाई आहरणाई, Pणिक्खंतं for णिक्खित्तं, J जुअलयं, P adds णियत्थं हंससारसमं वत्थजुवलयं before विरहओ.. 11) P पणामिए, P अप्पियं, बहुपावरयंसुअजुवलयं । णियत्वं हंससारसमं वत्यजुवलयं । विराओ तकालिओ महाजइवेसो एरिसं ठिओ जिणार्ण पुरओ पणामिए भगवंति अप्पियं बहुपावरयं ओहरणा for बहुपावरओहरणं, उप्पाडिओ, P om. कुडिल, मायासवाओ. 12) P तिण्णिवाराओ भव, P पावरयहरपक्खालणं, आराविओ, P गरुयरो. 13) मुणिवरमुहेहिं, P om. कुवलय', परोहियजणसएहि, 14) Padds नि। before सम्बो. 15) P जणत्थरस for य, P भणितं. 16) P परंपरमंगणि, J दलभाणि अजंतणो. Pदुलहाणीह, सत्था for सद्धा. 17) Pमाणसत्तणं for मण्यत्तणं. 18) Pदोदि. 19) P दिसिं पुदि. 20) च क्खिवर. 21) P भणिउ. 22) Pतओ for तडे, J जूअच्छिदे, Pएसज्ज for पविसेज्ज. 23) P पेच्छिओ, P चीतीहिं. 24.) Pउन्बोलिजइ, P णिबोल. 25) Jणीलिज्जर, P मगरेणं, P मुणा for पुणो. 26) J पविसंइ, P भमइ for गलइ. 27) Pom. मच्छ, गयणावरणलज्जिया, J भुअएहिं विसमवयणेहिं ।।. 28) P विज्झावियजलेणं. 29) P हरत्ति for हीरत, P मिससंक for विसमकयं.30P पुजाहिमुह, Pom. तर्ड, ' उरओ for उत्तरओ, P जाओ for जाइ. 31)P तिरिय, J वेलं, P तरंगेत्तासु, P om. 2nd line भमइ etc.32) F repeats य. 33) Jजुअलरस for णियजुवस्स, P has blank space for सा सयलं पि हु खुटुं. 27 . Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 6 9 12 २१० उजोयणसूरिविरइया एसो तुह दिहंतो साहिज अवुह बोहणद्वाए। जो एस महाजलही एसो संसार वासोति ॥ जा समिला सो जीवो जंजू होतं मणुतं जे देवा दोग्नि इमे रागद्दोसा जियस्य भवे ॥ अह तेहिं चिय समिला उखिता वर मणुय-हिडाओ परिभवइ कम्म-पवणेरिया व वरं भव-समुदमि ॥ अह राग-दोस-वसभो चुक्को मणुयत्तणाओ सो जीवो। चउरासीति सहस्से सयाण मूढो परिब्भमइ ॥ मणुयत्तणाउ चुको तिरिक्ख-जोणीसु दुक्ख लक्खासु । भमइ अणतं कालं णरएसु य घोर-रूवेसु ॥ अह राग-दोस-दाल दुक्ख संतान हिण्णासो कम्म-पचणेण जीवो भामिलाइ कहिय समिल व ॥ काले अर्पण विसा समिला जहा पाए ति मणुपत्तण- चुको जीवो ण य जाइ मणुष ॥ 15 18 21 24 27 30 83 ६ ३२७ ) भणियं च गुरुणा । जह समिला पट्टा सायर-सलिले भोरपारम्मि पविसेचा जुग-षि संसद् मनुय-भो ॥ पुग्यंते होज जुयं अवरंते तस्स होज समिला उ । जुय हिड्डुम्मि पवेसो इय संसइओ मणुय-लंभो ॥ साढवायची- पोलिया मेण व मामो चुको जीवो पुण माणुस लहइ ॥ 1 अह मणुयत्तं पत्त आरिय-कुल- विहव- रूत्र संपण्णं । कुसमय मोहिय-चित्तो ण सुणइ जिण-देसियं धम्मं ॥ कहं | जह काय-मणिय- मज्झे वेरुलिओ सरस-विहव-संठाणो । इयरेण णेय णजइ गुण-सय-संदोह - भरिभो वि ॥ एवं कुधम्म- मज्झे धम्मो धम्मो त्ति सरिस उल्लावो । मोहंधेहिँ ण णज्जइ गुण-सय-संदोह भरिओ वि ॥ जलवेणु-ब कह विलग्गेण पावलो उच्छू ण-वर्गति के वि वाला रस-सार-गुर्ण अलता तह कुसमय- वेणु-महावणे व जिणधम्म-उच्छु- वुच्छेलो मूदेहिं णेय मुह-रस-रस- रसिय-रसिओ वि जह बहु-तस्वर-महणे वियं णानि कप्पतरु रयणं पुरिसेहिं जेवण कप्पिय-फल-दान-दुरालियं ॥ तह कुसमय-तरु- गहणे जिणधम्मो कप्प- पायव-समाणो । मूढेहिँ णेय णजइ अक्खय-फल-दाण-सुहओ वि ॥ जमलेता तो बहु-सिद्धि-सिद्ध-माहप्पो असवण्णेहिं ण णन सरिसो सामण्ण-मंतेहिं तह कुसमय-मंत-समूह-मज्झ परिसंडिजो इमो धम्मो असयण्णेहिं ण णजद सिद्धि-सर्वगाह-रिदियो । ज सामण्णे धरणीयसम्म अच्छ निहित अर्थ अहो जयागइ बिय इह बहुये अच्छइ विहाणं ॥ तद धम्म-धरणि-निहिये जिणधम्म-विहाण इमे सारं अयुदो ण-याइ थिय मण्णद सरिसं कुतित्येहिं ॥ इस नरवर जिणधम्मो पो विनिगूहिलो भण्णा दिहं पिब पच्छद् ण सुणइ साहिजमाप ॥ मणिर्य हो कई पित विसर्जन सो कुणइ मिच्छा-कम्म-विमूढोण या जं सुंदर लोए ॥ जह पित्त- जरय-संजाय - डाह - डज्ांत-वेविर सरीरो । खंड-घय मीसियं पि हु खीरं अह मण्णए कडुयं ॥ वह पाव-पसर-संतान-मूड-हियो य अवणनो कोइ पायस-संद-सम-रसे जिन बम कहुये ॥ जद तिमिर-रुद्र-दिडी गयगे संते वि पेच्छ संते वि सोण पेच्छ फुड-विवडे घडय-पद-रूवे ॥ तह पाय तिमिर मूढो पेच्छ धम्मं कुतित्थ-तिरथेसु पवई पि णेय पेच्छ जिणधम्मं किं कुणिमो ॥ जह कोसिय-पविख- गणो पेच्छइ राईसु बहल- तिमिरासु । उयम्मि कमलणाहे ण य पेच्छह जं पि अत्ताणं ॥ तह मिच्छा - दिट्ठि जणो कुसमय- तिमिरेसु पेच्छए किं पि । सयलुजोविय-भुयणे जिणधम्म- दिवायरे अंधो ॥ जम्मि सिज्ांति बहुयरा गुग्गा कंकदुषा के पि तर्हि मग पण लिझिरे कठिणा ॥ वह धम्म-कहा- जळणेण तविष-कम्मरस पाव-जीवरस कंकदुवस्य व चितं मणये पि ण छोड़ मडययरं ॥ जह मुद्दायनो दुक वग्धी जणणि संकाए । परिदर पुणो जननी मुझे मोहेण णानि ॥ 1 रूपे [8] ३२६ 1 य. 6 ) P दो सद्दालिद, adds ताव after संताव om इय संसओ मनुयभो eo to पोलिया 12 ) P संपुण्णं । J कह for कहूं. 1) P संसारे वासो 2 ) P सा for सो, P तु for खु, सदभावा for भत्रे. 3 ) जीअ P जीय for चिय, उत्थाणिआ for उक्खित्ता णवर, Jom. 2nd line परिभवइ etc., Rather त्रिरं for व वरं. 4 ) P परिभनइ 5 ) P - लक्खेसु, P त for 7 ) P कह वि for जह ण, अन्त ॥ 9 ) P सागर, J पविसेज मेज जु ॥ 10) पुव्वतो, समिला तु . 13 ) P कह for जह J वेरुलिआ सरिसवयणसंठाणा - रसभर, P अलक्खे वा ॥ 3 11 ) चंडवात, 14 ) कुद्धम्म P जह for तह, 18)P कुसुमय अच्छए अत्थं ॥ P सरिसओलाओ, J मोङ्घेण 15 ) P विओ for पाविओ, उच्छं, 16 ) J adds हो after तह, P कुसुमय, विच्छेओ P वुच्छोओ, Pom. रसिय. 17 ) P तरुयर, P कप्पतरुरयं 1. 19) P om. ण before णज्जइ. 20 ) P कुसुमय 21 ) J adds अ before णिहित्तयं, P अइ for इह, 22 ) Prepeats धम्म, P repeats the line अबुहो न याणइ चिय अइ बुहथं अच्छर निहाणं || after इमं सारं । 24 ) P होति कहं, J adds अ before सद्धं, P सर्द, Pण इ for ण सो कुणइ, P जह for जं. 25 ) P जय for जरय, डोहडज्ांत्ति, P मीसयं, हु छीरं. 26 ) P संताप for संताव, Pom. य, J P अयाणुउ कोवि (27) JP गयणे संते, P पेच्छर, Pow संते वि सोण etc. to पि णेय पेच्छइ. 28 ) P तुसिमो for कुणिमो. रूवे ! 29 ) P पक्खिगमो, P तिमिरेसु. 30 ) P कुसुमय, P- भुयुगो 31 ) P तत्तो, किंकदुवा, मणायं सिज्झिरे कढिणे, better सिज्जंति, सिज्जिरे. 32 ) किंकदुयरस P कंकडवरस, उवि for व, P मणुयं 33 ) J मुद्धडयालसओ, वग्घीय, P जणणीं, मेहेण for मोहेण. 3 12 15 18 21 24 27 30 33 . Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ३२८ ] तह सुद्रो कोह जिमो कुसमय-बग्घी टुकद सुदरी इय गरवर केंद्र जिया सोडण व निवारें वयणाहं 3 मह कह विकम्म विचरेण सहाणं करेज एस जिओ 1 9 12 I जह अमड-डे पुरिसो पपलाय मुणइ जड़ पडीहामिण व वच्च सम-भूमिं अलसो जा विडिओ तत्य ॥ वह णरय कूत्र-तड- पडण-संठिओ कुणइ पाव-पयलाओ । तत्र णियम समं भूमिं ण य वच्चइ विडिओ जाव ॥ अह सगल-जणिय-काणण-वण-दय-त-भीसणं जणं दहून जाणइ णरो सो न य पछाइ ॥ वह सनु-मित्त घर-वास-लय- जालावली- विलुडो वि जाण सामि नहं ण य णासह संजमं तेण ॥ अह गिरि-गहू-बेय-विषाणु वि मज गिरि-इ-जलम्मि हरिण जाणमानो णिज दूरं समुदम्मि ॥ तह पाव-पसर-गिरि-इ-जल-रव-हीरंतये मुणइ जीयं ण प लाइ संजम-वस्वरम्मि जा विडियो जरए | जद कोइ परो जान्ह एसो चोरेहिं मूसए साथो ण व धावह गामंतो जा मुसिनो दु-चोरेहिं ॥ तह इंदिय-चोरेहिं पेच्छद पुरभो मुसिनए लोए खाणइ अहं पि मुखिनो संजम गामं ण महिय वह कोइ चोर-पुरियो जान कइया चि होइ मह मरणे ण व सो परिहरइ त जानतो पाव-दोसेण ॥ वह पाव-परिवार गो जीवो विषाणए दुक्खं जाणतो वि ण विरमइ जा पावद्द नरवणिगाणं ॥ इथ णरवर को पावर मणुयते पाविए वि जिग-बवणं णिसुए वि कस्स सदा कत्तो वा संघ लहइ ॥ तेण णरणाद एवं दुलई भव-सापरे भर्मतस्स । जीवस्त संजमे संजमम्मि अह पीरियं दुलई ॥ तुम पुण संपत्तं सम्मत्तं संजमं च विरियं च । पालेसु इमं णरवर आगम-सारेण गुरुवयणं ॥ धम्मम्म होसुरसो किरियाए लगाओ रभो झाणे जिण-वयण-रज नरवर किरलो पायेसु सध्धे ॥ 18 होसु दढव्वय-चित्तो णित्थारग-पारगो तुमं होसु । वसु गुणेहिँ मुणिवर तत्रम्मि अजओ होसु ॥ भावेसु भावणाओ पालेसु वयाइँ रयण-सरिसाईं । कुण पावकम्म-खवणं पच्छा सिद्धिं पि पावेसु ॥ ति । ६ ५२८ ) एवं च मिसामिकगं भगवे दडवम्म-राय-रिसी हरिस-वसुसंत-रोमंचो पणमिको चलगेसु गुरुगो, सजिये 21 'भगवं अवि य 15 कुवलयमाला परिहरइ जिगाति जननि पिव मोक्ख-मग्गस्स ॥ ण व सहति मूढा कुणति बुद्धिं कृतित्वे ॥ अच्छ सहहमाणो ण प लगाइ णाण-किरिवासु ॥ २११ 1 ) को वि, P कुसुमय, वग्घीय, P जिणाणत्ती जगणि, P मोक्खसारस्स. 2 ) P इय नर को वि, बुद्धी. 3) सहणं जह करेज 43 सुणइ for मुणइ, एत्थ for तत्थ. 5 ) P नयर for णरय 6 ) P तण for दव, Pom. three lines दहूण जाणइ णरो etc. to संजमं तेण ॥. 8 ) P वियाणओ. 9 ) P सुणइ for मुणइ, P तरुयरंमि. 11) adds पुर before पुरओ, P -गाम. 12) P पावदोसेहिं. 13) जीओ, विरश् for विरम, P - णिग्गमणं. 14) J पावि for पाविए, P सिद्धा कत्ता 15) P दुलहं भवसागरे, P वीरियदुल्लहं. 16 ) P च विरईयं ।. P ज्झाणे, inter. णरवर & विरओ, P पावसु17 > Pom. रओ, 18 गिरा, 20) भय, रोमियो पणामिओ, P गुरुणा, Pom. भणियं च. 22 ) आउ for जाओ, P ट्ठिओ, P अधियं च जाएम पव्यइओ 23 ) J तुम्मेहिं for तुम्हेहिं, P आयसेयव्वं, P जं च न करणिज्जं, उ परिसिज्झह पडिसिद्ध ह 24 ) J हवतु, ए हणिए for भणिए, J -पणामभुट्टिओ, P पणामे पब्भुट्ठिओ य बंदिओ य सयल, J णावरजणेहि कय 25 ) P अभिनंदिऊग, P नरिंद्रलो, J om. वि, P आहो for अहो, J दढवम्मदेवो, P दढधम्मो 26 ) पत्ता, adds तं before तओ, P कारिओ तकालिय किरियव्वं, P करंण्णो for करतो. 27 ) Pom. भणतो भणियव्वाणि, Jom भणियव्वाणि अभगतो, P वज्र्ज्जती, J om. भुंजतो भाखाणि, P भुज्र्जतो for भुंजतो (emraded) 28 for अपेाणि for बंदतोयाणि Prepents 31) अतो for अम. 29) दर के पिरिय for 1 12 अज्जेय अहं जाओ अज्ज य संवडिओ ठिलो रजं । मण्णामि कयत्थं अप्पयं च जा एस पव्वइभो ॥ जं जं मह करणिजं तं तं तुम्हेहिं आइसेयब्वं । जं जं चाकरणिजं तं तं पडिसिज्झह मुणिंद ॥ ति । 24 1 24 गुरुणामणि 'एवं वड' ति भणिए चलण-पणामे अब्भुडियो बंदियो सयल-सात चक्रेण कुमारेण ष णावर-जणो वि कय-जय-जय-सो अभितो भागको नयरिं गरिंद-लोजो वि 'महो महासत्तो महाराया दढवम्मो' ति भतो मागंतु पयतो तो गुरुणा वि महाराया काराविनो तालियां करियध्वं ति । एवं च करतो कायमचाई, परिहरंतो अकापण्याई, 37 मतो भणियाण, भ्रमतो ममणियम्वाई तो गम्मानि वर्जेतो गम्माण, मुंगंतो भक्यानि भुंजतो अभक्वाणि- 27 पितो पेयाणि परितो भपेयाणि इच्छतो इद्वाणि वर्णेतो भणिद्वाणि सुतो सोचग्वाणि अवमण्णंतो असोयम्याणि पसंतोपसंसनिमाण, उपेक्खतो अपसंदितो जाण, वर्जितो भनि ति संसार वार्स, पर्स, 30 संतो जिनिंद-पर-मति । नवि । 30 कजाकज-हियादिय-गम्मागम्माई सच्च कमाई जार्थतो थिए बिहाइ किंचित-परिस-कम्मंसो ॥ ति । 15 18 21 . Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ 12 उज्जोयणसूरिविरइया [६३२९६३२९) एवं च तस्स मुणिणो वच्चइ कालो कुवलयचंदस्स । पुण असेस-णरिंद-वंद-मंडली-मउड-कोढि-विडंक- 1 मणि-णिहसमाण-मसिणिय-चलण-पट्टस्स वोलीणाई सत्त-वास-लक्खाई रजं करेंतस्स । एत्यंतरम्मि पउम केसरस्स देवस्स को वुत्तंतो वहिउँ पयत्तो। अवि य । जायइ भासण-कंपो छाया परियलइ गलइ माहप्पो । विमणा य वाहणा परियणो य आणं विलंघेइ ॥ तओ तं च जाणिऊण तवक्खयं खणमेकं परिचिंतिऊण दीण-विमण-दुम्मण-हियएण वियारियं हियए। १ मा होह रे विसण्णो जीव तुर्म विमण-दुम्मणो दीणो । ण हु चिंतिएण फिट्टइ तं दुक्खं जं पुरा रइयं ॥ जइ पइससि पायालं अडई व दर गुदा समुदं था। पुव्व-कयाउ ण मुंचसि अत्ताणं खायसे जद वि॥ जइ रुयसि वलसि वेवसि दीणं पुलएसि दिसि-विदिसियके । हा हा पलवसि विलवसि चुकसि कत्तो कयंताओ। जइ गासि धासि दुम्मण मुज्झसि अह लोलसे धरणिवढे । जंपसि मूओ ब्व ठिओ चुक्कसि ण वितं कयंताओ॥ जं चेय कयं तं चेय भुंजसे णस्थि एत्य संदेहो । अकयं कत्तो पाविसि जइ वि सय देव-राओ त्ति ॥ मा हो जूरह पुरिसा विहवो पत्थि ति अम्ह हियएण । जं पुव्वं चिय ण कयं त कत्तो पावसे एम्हि ॥ 12 मा हो मजह पुरिसा विहवो अम्हं ति उनुणा हियए । किं पि कयं सुकयं वा पुणो वितं चेय भे कुणह ॥ होऊण अम्ह ण हुयं मा दीणा होह इय विचिंतेह । काउण पुणो ण कयं किं पि पुरा सुंदरं कम्मं ॥ ता एत्तिय मए चिय सुकयं सुकयं ति अण्ण-जम्मम्मि । एत्तिय-मेत्तं कालं जं भुत्तं आसि दिय-लोए॥ 18 जेहि कयं सरिसेहिं पुब्व-तवं धम्मणदण-समक्खं । ते सम्वे मह सहया पुन्वयरं पाविया पडणं ॥ . ता मज्झं चिय विहवे चिरयरयं आसि काल-परिणामं । एवं ठियम्मि किं जह अप्पाणं देमि सोयस्स ॥ ६३३०)ता जं संपइ संपत्त-कालं तं चेय काहामि त्ति आगओ अयोज्झा-पुरवरिं, दिवो राया कुवलयचंदो, 18 कुवलयमाला य । साहियं च ताण जहा 'अहं अमुग-मासे अमुग-दियहे तुम्ह पुत्तो भवीहामि त्ति । ता इमाई पउमकेसर- 18 णामंकियाई दिव्वाई कडय-कोंडल-कंठाभरणादीयाई आभरणाइं गेण्हह । इमाई च मह पसरमाण-बुद्धि-वित्थरस्स परिहियव्वाई। जेण इमाई बहु-काल-परिहियाई पेच्छमाणस्स मह जाईसरगं उप्पज्जइ त्ति । पुणो जेण उप्पण्ण-पुव्व-जाई-सरणो संजाय-वेरग्गो ण रज-सुहे सुट्ट वि मणं करिस्संति । किंतु भव-सय-सहस्स-दुलहे जिण-मग्गे रई करेमि' त्ति भणमाणेण ॥ समप्पियाइं आभरणयाई । उप्पइओ य णहयलवहं संपत्तो सगं । तत्थ य जहा-तव-विहवं पुणो वि भोए भुंजिउँ पयत्तो, एवं च वच्चंतेसु दियहेसु तम्मि चेय पउमकेसर-देव-दिपणे ओहि-दियहे उउमईए कुवलयमालाए उप्पण्णो गब्भो। 24 जहासुई च मणोरह-सय-सएहिं संवडिओ । णिय-काल-मासे य संपुण्ण-सयल-दोहलाए सुकुमाल-पाणि-पाओ जाओ24 मणिमय-चाउल्लओ विय दारओ ति । सो य परिवाडीए वड्डमाणो गहियासेस-कला-कलावो पसरमाण-बुद्धि-वित्थरो जाओ । तओ तस्स य से णामं पुव्व-कयं चेय मुणिणा पुहइसारो त्ति । तओ तस्स समोपियाई ताई भाभरणाई । ताणि 27य पेच्छमाणस्स 'इमाई मए दिट्ठ-पुब्वाई' ति ईहापूह-मग्गण-गवेसणं कुणंतस्स झत्ति जाईसरणं समुप्पण्णं । तो संभरिय पुन्व-दुक्खो मुच्छिओ पडिओ धरणिवट्टे । ससंभमं पहाइएण य सित्तो चंदण-जलेण सहयर-सत्थेणं ति । तओ आसासिओ चिंतिउं पयत्तो । 'अहो, तारिसाई सग्गे सुहाई अणुभविऊण पुणो वि एरिसाई तुच्छासुइ-णिदियाई अइ मणुय-सुहाई 30 जीवो अभिलसइ त्ति धिरत्थु संसारवासस्स । अहवा धिरथु जीवस्स । अहवा धिरत्थु कम्मस्स। अहवा धिरस्थु 30 रायद्दोसाणं । अहवा धिरत्थु पुणो वि इमस्स बहु-दुक्ख-सहस्साणुभव-णिविलक्खस्स णिय-जीव-कलिणो, जो जाणतो वि दुक्खाई, वेएंतो वि सुदाई, बुझंतो वि धम्म, वेयंतो वि अहम्मं, पेच्छंतो वि संसारं, अणुभवतो वि वाहि-वियारं, वेवंतो 1) मुर्णिदो वच्चए, P णियसेस for पुण असेस, J कोडी- 2) णिहसणामसिणीअयचलणक्टुं वोलीणाई. 3) वद्धि for वहिउँ, Pom. अवि य. 4) P विमणो, P परियणा वि आणं विलंघेति. 5) एवं for तं, हियएणावि आविअहिअए. 6) होभि for होह, दिट्ठइ for फिट्टर, Pइयं for रइयं. 7) पयससि,गुहं, Pमुंचणि for मुंचसि, P खाइसे. 8)" दस- for दिसि विलवसि for पलवसि. 9) P वासि for धासि, P om. अह, P लोलसि, J अउ for मूओ, कत्तो for ण वितं. 10) P चिय कयं तं चिय मुंजसि, पावs for पाविसि. 11) विहओ णत्थि, मज्झ for अम्ह, J inter.तं कत्तो, P पावसे इन्हि ।।. 12) Pम हो गवह पुरिसो, अ for अम्हं, P अतुणो for उनुणा, J सुकयं हो पुणो वि. 13) विईतेह. 15) Pजे कहि, सयरया for सहया. 16) Pविवो चिरयर, आसि परिमाण, अत्ता. 17) Pजं तं for ताजं, P adds कायव्वं before तं चेय, चेय कहामि, P आउज्झापुरवरि. 18) Pim. च, Jadds य before तुम्ह, Pom. त्ति, I om. ता, I adds च after इमाई, P पउमसारणामंकियाई किं दिवाई. 19) कणय for कडय, P om. 'भरणा', आहरणाई. 20) P om. जेण इमाई, जातीसरणं, जाइसरणं उज्जइ त्ति, J जातीसरणो य जातवेरग्गो ण रजसु सुहेसु ठाइ मणं करइस्सं किंतु सयसयसहस्स दुहंमे, P जातिसरणो. 21) P जिणमग्गो, P भणमाणे समप्पियाइ आभणयाई. 22) Pom. उप्पइओ य णयलवहं etc. to समोप्पियाई ताई आभरणाई. 23) Jउउमतीए. 24) कुसुमाल for मुकुमाल. 27) P दिट्ठा पुब्वाई त्ति, P करेंतस्स for कुर्णतस्स, Pom. झत्ति, J जातीसरणं 28) J धरणिवढे, ससंभमपभाइएण, पहाइएणमि सित्तो. 29) पुत्तेणो for पुणो, Jom. वि, तुच्छासुई वच्छातुति, Pom. अइ, P गणुसुहाई. 30)अहिलसर. 31) Pरागदोसाणं, P सहसाणुभव, Pणियजीवस्स वलिणो जोणतो वि. 32. वेणंतो वि, Jon. वेतो वि अहम्भ, J वापिपियार, Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३३१] कुवलयमाला २१३ 1 वि महाभय, तह वि पसत्तो भोएसु, उम्मत्तो विसएसु, गन्विओ अत्थेसु, लुद्धो विहवेसु, थद्धो माणेसुं, दीणो अवमाणेसु, । मुच्छिओ कुटुंबेसु, बद्धो सिणेह-पासेसु, गहिओ माया-रक्खसीए, संजमिओ राय-णियलेहिं, पलित्तो कोव-महाजलणेण, ३ हीरतो आसा-महाणइप्पवाहेणं, हिंदोलिजंतो कुवियप्प-तरंग-भंगेहिं, दिण-पक्ख-णक्खत्त-करवत्त-दंतावली-मुसुमूरिमो ३ महाकाल-मधु-वेयालेणं ति । ता सन्वहा एवं ठिए इमं करणिज, पव्वज घेत्तूर्ण उप्पण्ण-वेरग्गो तव-संजमं करेहामि त्ति चिंतयंतो भणिओ वयंसएहिं । 'कुमार, किं णिमं सत्थ-सरीरस्स ते मुच्छा-वियारों' त्ति । तेण भणियं 'ममं आलि उयरे 6 अजिण्ण-वियारो, तेण मे एसा भमली जाय' ति ण साहिओ सम्भावो वयंसयाणं ति । एवं च वच्चंतेसु दियहेसु अणिच्छतो वि अहिसित्तो जोयरजाभिसेए कुमारो, कुवलयचंद-राइणा भणिओ 'पुत्त, तुम रजे, अहं पुण तुज्झ महल्लओ त्ति ता करेसु रज' ति। कुमारेण भणियं 'महाराय, अच्छसु तुम, अहं चेव ताव पब्वयामि ति । राइणा भणियं 'पुत्त, सुमं अज्ज वि बालो, रज-सुहं भणुभव, अम्हे उण भुत्त-भोगा । इमो चेय कुलकमो इक्खागु-वंस-पुब्ध-पुरिसाणे जं जाए पुत्ते अभिसित्ते . परलोग-हियं कायग्वं ति । एवं भणियं सन्च-महल्लएहिं । ठिओ कुमारो।राया वि णिबिण्ण-काम-भोगो पम्बजामिमुहो संजम-दिण्ण-माणसो मच्छिउं पयतो कस्स वि गुरुगो आगमणं पढिच्छंतो ति। 12 ३ ३१) एवं च अण्णम्मि दिणे दिण्ण-महादाणो संमाणियासेस-परियणो राया कुवलयमालाए सम किं-किं पि12 कम्म-धम्म-संबद्धं कहं मंतयंतो पसुत्तो। पच्छिम-जामे य कह-कह वि विबुद्धो चिंतिड पयत्तो । अवि य । कइया खणं विषुद्धो विरत्त-समयम्मि काय-मण-गुत्तो। चरण-करणाणुयोग धम्मज्झयणे अणुगुणस्सं ॥ 18 कइया उवसंत-मणो कम्म-महासेल-कढिण-कुलिसत्थं । वजं पिव अणबज काहं गोसे पडिक्कमणं ॥ कइया कय-कायग्बो सुमणो सुत्तस्थ-पोरिसिं काउं। वेरग्ग-मग्ग-लग्गो धम्मज्झाणम्मि वहिस्सं ॥ कइया णु असंभंतो छ?हम-तव-विसेस-सूसंतो। जुय-मेत्त-णिमिय-दिट्ठी गोयर-चरियं पवजिस्सं ॥ 18 कइया वि हसिजतो णिदिजतो य मूढ-बालेहिं । सम-मित्त-सत्तु-चित्तो भमेज भिक्खं विसोहेंतो॥ कइया खण-वीसंतो धम्मज्झयणे समुट्टिओ गुणिडं । रागहोस-दिमुक्को भुंजे सुत्तोवएसेण ॥ कइया कय-सुत्तस्थो संसारेगत्त-भावणं काउं । सुण्णहर-मसाणेसुं धम्मज्झाणम्मि ठाइस्सं ॥ कइया णु कमेण पुणो फासु-पएसम्मि कंदरे गिरिणो । आराहिय-चउ-खंधो देहच्चायं करीहामि ॥ इय सत्त-सार-रहिमो चिंतेइ च्चिय मणोरहे णवरं। एस जिओ मह पावो पावारंभेसु उज्जमइ ॥ चण्णा हु बाल-मुणिणो बालत्तणयम्मि गहिय-सामण्णा । अणरसिय-णिव्विसेसा जेहिं ण दिवो पिय-विभोओ ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो अकय-विवाहा भणाय-मयण-रसा । अहिट-दइय-सोक्खा पन्बज जे समल्लीणा ॥ घण्णा हु बाल-मुणिणो अगणिय-पेम्मा भणाय-विसय-सुहा । अवस्थिय-जिय-लोया पब्वजं जे समल्लीणा ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो उज्जय-सीला आणाय-घर-सोक्खा । विणयम्मि वद्दमाणा जिण-वयणं जे समल्लीणा ॥ 7 धण्णा हु बाल-मुणिणो कुटुंब-भारेण जे य णोत्थइया । जिण-सासणम्मि लग्गा दुक्ख-सयावत्त-संसारे ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो जाणं अंगम्मि णिव्वुडो कामो। ण वि णाओ पेम्म-रसो सज्झाए वावड-मणेहिं ॥ धण्णा हु बाल-मुणिणो जाय चिय जे जिणे समल्लीणा । ण-यणति कुमइ-मग्गे पडिकूले मोक्ख-मग्गस्स। 30 इय ते मुणिणो धण्णा पावारंभेसु जे ण वहति । सूडेंति कम्म-गहणं तव-कडिय-तिक्ख-करवाला ॥ भम्हे उण णीसत्ता सत्ता विसएसु जोव्वणुग्मत्ता । परिवियलिय-सत्तीया तव-भारं कह वहीहामो ॥ पेम्म-मउम्मत्त-मणा पण?-लजा जुवाण-कालम्मि । संपइ वियलिय-सारा जिण-वयणं कह करीहामो॥ 33 सारीर-बलुम्मत्ता तइया अप्फोडगेक-दुललिया। ण तवे लग्गा एण्डि तव-भारं कह वहीहामो॥ 1) Pपमत्तो for पसत्तो, P विम्मत्तो for उम्मत्तो. 2) कुटुंबेसु, P सिणिह, रक्खसीसु, रायणिअणेसु. 3) महाणईपवाहेणं, P वियप्प for कुवियप्प, J बरकरणत्त-. 4) P मधून एवं ट्ठिए. 5) P चिंतियंतो, किंणिमिश्र, Pकिण्णिमसत्थः, Jए for ते, P अउरे for उयरे. 6) अजिण्णे, वयंसाण त्ति ।, Jom. 'न, Jom. अणिच्छतो वि. 7)" अभिसित्तो, 8) Jom. अहं चेव ताव पब्वयामि त्ति राइणा भणियं पुत्त तुमं, P _ for तुमं. 9) भत्तभोआ, Pom. पुब्व, Jadds य after अभिसित्ते. 10) परलोअहि, Jom. ति, भणिओ for भणियं, Padds त्ति after कुमारो. 13) P om. कम्म, Pom. य, P कई विबुद्धो, P चिंतयंतो पयत्तो. 14) पिबुद्धो for विबुद्धो,J धम्मज्झाणो. 16) Pom. सुमणो. 17) यंभंतो for असंभंतो, P दिमिय for णिमिय. 20) P संसारे गंत भावणा कर्ड, Pट्ठाइस्स. 22) सन्वसार. 23) P adds उज्जायसीला अणेय before बालत्तणयम्मि, P repeats बालत्तणयंमि गहिय साम(मि)ण्णा, P अणरिसिय P पिओ for पिय. 24)विआहा, "नयणरसा।, P अदिट्रकदइय, जेण for जे. 25Jom. four lines from धण्णा बालमुणिणो अगणियपेम्गा eto. to जे समलीणा, P-जेथलोया, अणेयधारसोक्खा. 27)P कुटुंब, Jणो छ।आ. 28) J णिवुओ. 20) कुमतमग्गे. 30) बटुंता. 31) P ववभार for तवभारं, 32) J -गयुम्मत्तमणा, P जुयाण, करीकामो. ३३) अप्पोडणेक, P जरमरणवाहि विहुरा for ण तवे लग्गा एहि. . Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ उज्जोयणसूरिविराया [$३३१1 अगणिय-कजाकजा रागहोसेहि मोहिया तइया । जिणषयणम्मि ण लग्गा एहि पुण किं करीहामो॥ जइया घिईए वलिया कलिया सत्तीए दप्पिया हियए । तइया तवे ण लग्गा भण एहि किं करीहामो ॥ ३ जइया णिहर-देहा सत्ता तव-संजमम्मि उज्जमिडं । ण य तइया उज्जमियं गम्हि पुण किं करीहामो॥ जइया मेहा-जुत्ता सत्ता सयलं पि आगमं गहिउं। ण य तइया पव्वइया एम्हि जड्डा य वडा य ॥ इय वियलिय-णव-जोव्वण-सत्तिल्ला संजमम्मि असमत्था । पच्छायाव-परद्धा पुरिसा झिजंति चिंता ॥ जइ तइया विरमंतो सम्मत्त-महादुमस्स पारोहे । अज्ज-दियहम्मि होतो सत्थे परमत्य-भंगिल्लो ॥ जह तइया विरमंतो सुय-णाण-महोयहिस्स तीरम्मि । उच्चतो अज्ज-दिणं भव्वाइँ य सेस-रयणाई॥ जइ तइया विरमतो आरूढो जिण-चरित्त-पोयम्मि । संसार-महाजलहिं हेलाए चेय तीरंतो । जह तइया विरमंतो तव-भंडायार-पूरियप्पाणो। अज्ज-दिणं राया हं मुणीण होतो ण संदेहो ॥ जइ तइया विरमंतो वय-रयण-गुणेहिँ वढिय-पयावो । रयणाहिवो ति पुजो होतो सव्वाण वि मुणीणं ॥ जइ तइया विरमंतो रज-महा-पाक्-संचय-विहीणो । झत्ति खवेतो पावं तव-संजमिओ अणतं पि॥ जइ तइया विरमंतो तव-संजम-णाण-सोसियावरणो । णाणाण कं पिणाणं पावेतो अइसयं एहि ॥ इय जे बालत्तणए मूढा ण करेंति कह वि सामण्णं । सोयंति ते अणुदिणं जराएँ गहियाहमा पुरिसा ॥ ता जइ कहं पि पावइ अम्हं पुण्णण को वि आयरिओ। ता पम्वयामि तुरियं अलं म्ह रजेण पावणं ॥ 16६ ३३२) इमं च चिंतयंतस्स पढियं पहाउय-पाढएणं । अवि य । हय-तिमिर-सेण्ण-पयडो णिवडिय-तारा-भडो पणटु-ससी । विस्थय-पयाव-पसरो सूर-णरिंदो समुग्गमह॥ इमं च सोऊण चिंतिय राइणा 'अहो, सुंदरो वाया-सउण-विसेसो । अवि य । 18 णिजिय-गुरु-पाव-तमो पण?-गुरु-मोह-णरवइप्पसरो । पसरिय-णाण-पयावो जिण-सूरो उमगओ एहि ॥ चिंतयतो जंभा-वस-वलिउध्वेल्लमाण-भुय-फलिहो, 'नमस्ते भोग-निर्मुक्त नमस्ते द्वेष-वर्जित । नमस्ते जित-मोहेन्द्र नमस्ते ज्ञान-भास्कर ॥ इति भणंतो समुट्टिओ सयणाओ । तओ कुवलयमाला वि 'णमो जिणाणं, णमो जिणाण' ति भणमाणी संभम-बस-सलमाणखलंतुत्तरिजय-वावडा समुट्ठिया। भणिो य णाए राया 'महाराय, किं तएं एत्तियं वे दीहुण्ह-मुक्क-णीसासेणं चिंतियं आसि' । राइणा भणियं "किं तए लक्खियं ताव तं चेय साहेसु, पच्छा अहं साहीहामो' ति । कुवलयमालाए भणियं । 24 "महाराय, मए जाणिय जहा तइया विजयपुरवरीए णीहरतेण तए विण्णत्ता पवयण-देवया जहा 'जइ भगवइ, जियंत १५ पेच्छामि णरणाह, रजाभिसेयं च पावेमि, पच्छा पुत्तं अभिसिंचामि, पुणो पव्वजं अंते गेण्हामि । ता भगवइ, देसु उत्तिम सउण'ति भणिय-मेत्ते सव्व-दब्व-सउणाणं उत्तिमं मायवत्त-रयणं समप्पियं पुरिसेणं । तओ तुम्हेहिं भणियं 'दइए उत्तमो 7 एस सउणो, सब्व-संपत्ती होहिह अम्हाण'ति । ता सव्वं संजायं संपइ पव्वजा जइ घेप्पइ' त्ति । इमं तए चिंतियं' ति । णरवइणा भणियं 'देवि, इमं चेय मए चिंतियं' ति । मवि य । पुहईसार-कुमारो अमिसित्तो सयल-पुहइ-जम्मि । संपइ अहि सिंचामो संजम-रनम्मि जइ अम्हे ॥ 30 कुवलयमालाए भणियं । 'देव, जाव इमं चिंतिजइ अणुदियह सूसमाण-हियएहिं । ताव वरं रइयमिण तुरिओ धम्मस्स गइ-मग्गो ॥' राइणा भणियं । 'देवि, जइ एवं ता मग्गामो कत्थ वि भगवंते गुरुणो जेण जहा-चिंतियं काहामो' ति भणतो राया। २३ समुट्टिओ सयणाओ, कायव्वं काऊण समाढत्तो। 33 1) J रायबोसेहि, मोहिय तईया, P करीहार for करीहामो and then repeats four lines from बलुम्मत्ता तश्या etc. to एहि पुण किं करीहामो, Jadds a line जश्या मेहंजुत्ता सत्ता सयलं पि आगमं गहिउं which ocours at its place below (line 4). 2) पितीय P वितीए for घिईर, वलिया for कलिया, दूणिया for दप्पिया. 3) Pउज्जमियं, P तश्या उज्जमिया. 4) सयलंमि आगमं, P एहिं जड्डा. 5) P परद्धा परिम्महिज्जंति. 6) भंगिले. 7) Pom. य,P सीस for सेस. 8) P सइया for तइया, पोतम्मि. 9) पूरियप्पण्णो. 10) रयणायरो त्ति पुरिसो होतो. 11) संचिय, P ज्झत्ति, "अणंत मि. 12) Pसोहियाभरणो. 13) P सामणं ।। 14) P कोइ for को वि, JP अलम्ह. 16) Jom. णिवडियतारामडो, P निपडिय', J विणियप्पावपसरो for वित्थयपयावपसरो. 17) Pराइणो. 19) चिंतयं भावसलिलि-. ओवेल्लमाणुभुय. 21) Jom. णमो जिणाणं ति, P संभवः,P ललमाणंतुत्तरिज्जय. 22)J'तुत्तारे जंतय. 23) Pरायणा, Pi चिय, साहिमो त्ति. 24) Jom. महाराय मए जाणियं, बिजयपुरीए. 25) P अभिसंचयामि, वित्तिमं for उत्तिम. 26) Pom. दव्य, P उत्तमं, P repeats उत्तमं आयवत्तरयणं, तुरमेहि for तुम्हे हिं, P चइए, for दइए. 27) Pहोही for होहिद, , सम्वत्तं जार्य संपयं पन्वज्जा, Judds च before तए. 28) Jadds y before देवि. 29) P असहि सित्तो सुयलपुरज्जमि. ३1) Pवितिजंति, P गतिमग्गो.32) Pदेव for देवि, J कत्थइ for कत्थवि. Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 -६३३४] कुवलयमाला २१५ ६३३३) एवं च अच्छमाणेण तम्मि चेय दियहे वोलीगे मज्झण्ह-समए पडिणियत्तेसु सेस-समण-माहण-वणीमय- 1 किमिग-सस्थेसु भुत्त-सेस-सीयल-विरसे आहारे जणवयस्स णिय-मदिरोवरि णिजूह-सुहासणस्थेण दिढे साहु-संघाडयं णयरिअरच्छा-मुहम्मि । तं च केरिसं । अवि य। ___ उवसंत-संत-वेसं करयल-संगहिय-पत्तयं सोम्म । जुय-मेत्त-णिमिय-दिर्टि वासाकप्पोढिय-सरीरं ॥ तं च साहु-संघाडयं तारिसं पेच्छिऊण रहस-वस-समूससंत-रोमंच-कंचुओ राया अवइण्णो मंदिराओ। पयट्टो य गयवर-गमणो 6 चेय दिसं जत्थ तं साहु-जुवलय । तम्मि य पयट्टे पहाइओ सयल-सामंत-मंडल-संणिहिओ राय-लोओ सयलो य पक्कल- 8 पाइक-णिवहो । तओ तुरिय-तुरियं गंतूण राया तम्मि चेय रच्छा-मज्झयारे तिउणं पयाहिणं काऊण णिवडिओ चलणेसु साहूर्ण । भणिउं च पयत्तो। . चारित्त-णाण-दसण-तव-विणय-महाबलेण जिणिऊण । गहियं जेहि सिव-पुरं णमो णमो ताण साधूर्ण ॥ भणमाण पुगो पुणो पणमिया गेण साधुणो । उबूढो य चूडामणि-किरण-पसरमाण-दस-दिसुजोविएण उत्तिमंगेण बहु-भव सय-सहस्स-णिम्महणो मुणि-चलण-कमल-रओ त्ति । मुणिवरेहिं पि 12 सम-मित्त-सनु-चित्तत्तणेण सम-रोस-राय-गणगेहिं । विम्हय-संभम-रहियं अह भणिय धम्मलाभो ति॥ भणिया य भत्ति-भरावणउत्तमंगेण राइणा भगवंतो समणा । अवि य। तव-संजम-भार-सुणिब्भरस्स सुय-विरिय-वसभ-जुत्तस्स । देह-सयडस्स कुसलं सिद्धि-पुरी-मग्ग-गामिस्स ।। 18साधूहिं भणियं 'कुसलं गुरु-चलणप्पभावेणं' ति । राइणा भणियं 'भगवंतो, अवि य, . गुरु-कम्म-सेल-वजं अण्णाण-महावणस्स दावग्गिं । किं णामं तुह गुरुणो साहिजउ अह पसाएणं । साहूहिं भणिय । 'महाराया, है इक्खागु-वंस-जाओ पाविय-गुरु-वयण-सयल-सस्थत्थो। कंदप्प-दप्प-फलिदो दप्पफलिहो ति आयरिओ'. राइमा भणिय । 'भयवं, किं सो अम्ह भाया रयणमउडस्स रिसिणो पुत्तो दप्पफलिहो किं वा अण्णो' त्ति । साहिं भणियं । 'सो चेय इमो' त्ति भणिय-मेत्ते हरिस-वस-वियसमाण-लोयण-जुवलेण भणियं 'भगवं, कम्मि ठाणे आवासिया शगुरुणो' ति । तेहिं भणियं । 'अस्थि देवस्स मणोरमं णाम उजाणं, तत्थ गुरुणो' त्ति भणंता साहुणो गंतुं पयत्ता । णरवई । वि उवगओ मंदिरं । साहियं च कुवलयमालाए महिंदस्स जहा पत्तं जं पाचियव्वं, सो चेय अम्ह भाया दप्पफलिहो संपत्तो आयरियत्तण-कल्लाणो इहं पत्तो । ता उच्छाई कुणह तस्स चलग-मूले पव्वजं काउणं' ति । तेहिं भणियं । 'ज महाराया 21 कुणइ तं अवस्सं अम्हेहिं कायव्वं'ति भणमाणा काऊण करणिज, णिरूविऊण णिरूवणिज, दाऊण देयं, उच्चलिया कोउय-स सिणेह-भत्ति-पहरिस-संवेय-सद्धा-णिब्बेय-हलहलाउरमाग-हियवया संपत्ता मणोरम उजाणं । तत्थ य दिट्रो भगवं दप्प फलिहो, वंदिओ य रहस-पहरिस-माणसेहिं । तेणावि धम्मलाभिया पुच्छिया य सरीर-सुह-वट्टमाणी, णिविट्ठा भासणेसु । 27६३३४) पुच्छियं च राइणा । 'भगवं, तइया तुम चिंतामणि-पल्लीओ णिक्खमिऊण कत्थ गओ, कत्थ वा दिक्खा 27 गहिया, किं च णामं गुरु-जणस्स' ए पुच्छिओ भगवं साहिउं पयत्तो । महाराय, तइया अहं णीहरिऊण संपत्तो भरुयच्छं णयरं ति। तत्थ साहुणो अण्णेसि पयत्तो । दिवो य मए भगवं महामुणी, वैदियो मए जाव तेणाई भणिओ 'भो भो 30 दप्पफलिह रायउत्त, परियाणसि मम । मए भणियं । भगवं 30 पंच-महव्वय-जुत्तं ति-गुत्ति-गुत्तं तिदंड-विरय-मणं । सिवउरि-पंथुवएसं को वा तं -यणए जीवो।' तेण भणियं 'ण संपयं पुव्वं किं तए कहिंचि दिट्ठो ण व' त्ति । मए भणियं 'भगवं, ण मह हिययस्स मई अस्थि जहा मए विट्ठो सि' त्ति । तओ तेण भणिय 'केण उण चिंतामणी पल्ली तुह दिण्ण' त्ति । मए भणियं 'भगवं, किं तुम सो' ति । तेण 33 1) P तंमि य चेय हे वोलीणे, P सेसयणवाहणवलीमयकिसिणसत्येसुत्तसेसे-- 2) P निजूहिय for णिज्जूह. 3) Pom. तं च केरिसं. 4) पत्तं य सोम, P -दिट्टी, P वासाकप्पोठिया. 5) J समूसलंत, P अवइमो महिमंदिराओ. 6) Padds य atter जत्थ, पयट्टो, P मंडव for मंडल. P om. लोओ, P लो for सयलो, पक for पक. 9) संमत्त for चारित्त, णियम for विणय, P साहणं. 10) Pणे for second पुणो, Pom. fण. P साहयो, Pउछढो य चुडामणी, P दसु for दस, J सय for भव. 11) Jom. मुणिवरेहिं पि. 12)चिलणेण, Pसमरोररायगणेणेहि, तह for अह. 13) On this page the writing in Jis very much rubbed, J भत्तिभारावणयुत्तमंगेण, P समाणा. 14) Jसुत for सुय, P तिरिय for विरिय, P देव for देह. 15) P साहहिं, गुरूण चलण', P भयवंतो. 16)J मोह for कम्म, P वयं for वज, J किण्णाम P किनाम, अम्ह for अह, J पसंएणं. 17) J देव for महाराया. 18) Pइगु for इक्खागु, P विणय for वयण, P सुत्तत्थो, JP दपफलिहो. 19) Pरायणा, P किं एसो, P रिसिणो दप्पपुत्तो फलिहो. 20) F वियमाण, 'जुअलेण, Iom. भणिय before भगवं. 21) Pom. देवरस, मणोरमनामुज्जाणं, Pणरवत्ती विगओ. 22)Jadds य before जहा, P अप्पम्ह for अम्ह, P संपत्तायरियत्तणो इह. 24) P adds वि before कायवं. 25) P हलहलाकरमाण, P om. य. 26) P वंदिओ य रहरिसमाणसेहिं तेहिं वि धम्मलाहिया, P संरीस for सरीस. J वदमाणिं णिबिंद्रा, णिविट्ठामासणेसु. 27) Pom. भगवं, चिंतामणी. 28) P किंचि णाम, गुरुअणस्स. P om. ए. नीहारिऊण. 29) Pom. ति, Jinter. भगवं महामुणी, J adds य before मए. 31) तिडण्ड, 32) Jहिअयसम्मत्ती, Pमती. 33) Pom. मए भणियं भगवं किं eto. to आम ति । Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ उज्जोयणसूरिविरड्या [६३३४भणिय 'भाम' ति । मए भणिय 'भगवं, तए मह रजं विण' । तेण भणिय 'भासि'। मए भणिय 'जा एवं ता भगवं । रयण रायरिसि-संपर्य पि देसु मे संजम-रज्ज' ति। तेण भणियं । 'जह एवं ता कीस विलंबणं करेसि' ति भणतस्स तस्स कर्य मए पंच-मुट्ठिय लोयं । भगवया वि कयं मम सर्व कायव्वं । तो जहारिहं अज्झावयतेण सिक्खाविमो समलं . पवयणसारं । णिक्सित्तो गच्छो, विहरिडं पयत्तो। भगवं ति-रयणयरणाहिवो विहरमाणो संपत्तो अयोज्झाए। तत्यय णिक्खंतो तुज्न जगमो महाराया वनवम्म-रिसी। सो य भगवं मासक्खवणेहि पारयंतो कम्मक्खय काउमाढत्तो । तमोतं च एरिसं जाणिऊण गुरुणा णिक्खिसो भम्ह गच्छ-भारो। एवं च काऊण घेत्तण दढवम्म-रिसिं सम्मेय-सेल-सिहरे । बंदण-वत्तियाए संपत्तो। तस्य य जाणिऊण अप्पणो काल, कयं संलेहणा-पुब्वयं कालमासे अउम्बय करणं खवग-सेडीए केवल-णाणं माउत्खयं च । तमो तगड-केवली जाया भगवते दो वि मुर्णिद-वसहे ति। ६३३५)एवं च सोऊण कुवलयचंदप्पमुहा सब्वे वि हरिस-बस-संपत्ता णारिदा । तमो भगवया भणियं । 'सावग, . सो चिय एको पुरिसो सो चिय राया जयम्मि सयलम्मि । हंतूण मोहणिज सिद्धिपुरी पाविया जेण ॥' भणियं च सब्वेहिं । 'भगवं, एवं एयं ण एत्थ संदेहो । ता कुणह पसार्य, अम्हं पि उत्तारेसु इमामो महाभव-समुद्दामो' 12त्ति। भगवया वि पडिवणं । 'एवं होउ' ति भणमाणस्त भगवओ राइणा ओयारियाई आभरणाई महिंदप्पमुहेहिं कुवलय-12 मालाए वि भणेय-णारीयणेण परियालियाए । पवयण-भणिय-विहाणेण य णिक्खंता सम्वे वि। समप्पिया य कुवलयमाछा पवत्तिणीए । तत्थ जहा-सुई भागमाणुसारेण संजमं काऊण संपुण्णे णिय-आउए संपत्ता सोहम्मं कप्पं दु-सागरोवमट्टिईमो 15 देवो जाओ ति। कुवलयचंद-साधू वि गुरूवएसे वट्टमाणो बहुयं पाव-कम्म खपिऊण कालेण य णमोकारमाराहिजण 18 वेरुलिय-विमाणे दु-सागरोवम-द्विईओ देवो उववण्णो त्ति । सीहो उण पढम अणसणं काऊण विझाडईए संपत्तो तं चेय विमाण-वर-रयणं ति । सो वि भगवं मोहिण्णाणी सागरदत्त-मुणी संबोहिऊण सब्वे पुग्व-संगए काले य कालं काउण 18 देवत्तण-बद्ध-णाम-गोत्तो तम्मि चेव विमाणम्मि समुप्पण्णो त्ति । अह पुहईसारो वि के पि कालंतरं रजं काऊण पच्छा 18 उप्पण्ण-पुत्त-रयणो संठाविय-मणोरहाइच-रज्जाभिसेओ संभंतो संसार-महारक्खसस्स णाऊण असारत्तर्ण भोगाणं सो वि गुरूण पाय-मूले दिक्खं घेत्तण पुणो कय-सामण्णो तम्मि चेय विमाणे समुप्पण्णो त्ति । एवं च ते कय-पुण्णा तम्मि 21 वर-वेरुलिय-विमाणोयर-उववण्णा अवरोप्परं जाणिऊण कय-संकेया पुणो णेह-णिभर-हियया जंपिउं पयत्ता । 'भो सुरवरा, A णिसुणेह सुभासियं। जर-मरण-रोग-रय-मल-किलेस-बहुलम्मि णवर संसारे । कत्तो अण्णं सरणं एक मोत्तण जिण-वयणं । 4 तिरिय-गर-दणुय-देवाण होति जे सामिणो कह वि जीवा। जिण-वयण-भवण-रूवाण के पि पुव्वं कर्य तेहिं । जं किं पि कह वि कस्स वि कत्थ वि सोक्खं जणस्स भुवणम्मि।तं जिण-वयण-जलामय-णिसित्त-रुक्खस्स कुसुमं तु ॥ सम्बहा, किं सोक्खं सम्मत्तं किं व दुहं होइ मिच्छ-भावो ति । किं सुह-दुक्खं लोए सम्मामिच्छत्त-भावेण ॥ 27 सम्मत्तं सग्ग-समं मिच्छत्तं होइ णरय-सारिच्छे । माणुस-लोय-सरिच्छो सम्ममिच्छत्त-भावो उ॥ सम्मत्तं उड-गई अहर-गई होइ मिच्छ-भावेण । तिरिय-गई उण लोए सम्मामिच्छत्त-भावेण ।। सम्मत अमय-सम मिच्छतं कालऊड-विस-सरिसं । अमय-विस-मीसियं पिव मण्णे उभयं तु लोगस्स ॥ सम्मत्तं जय-सारो मिच्छत्तं होइ तिहुयण-असारो । सारासार-सरिच्छो सम्मामिच्छत्त-भावो उ॥ जं जं जयम्मि सारं तं तं जाणेसु सम्म-पुव्वं तु । जं जं जए असारं तं तं मिच्छत्त-पुग्वं तु ॥ एरिसं च तं जाणिऊण भो भो देवाणुप्पिया, अणुमण्णह जं अहं भणिस्सं ति । तओ सम्वेदि वि भणियं को वा 38 भम्ह ण-याणइ जं सव्वं सम्मत्त-पुब्वयं ति । एवं ठिए कि भणियब्वं तं भणह तुम्मे ति । तेण भणिय 'एत्तियं भणियम्वं 33 1) रिज for रज्ज, Jom. जइ, Pi for ता. 2) रयणंगयरिसी संपयं, P करिसि. 3) मम for मन्स, Jom. कायव्वं. 4) Pपयुत्तो। रयणंगणरयणाहियो, P अउज्झाए. 5) तुम्भ or तुम्ह for तुझ, P महाय for महाराया, JP दहधम्मरिसी, मासखमणेहि, तब for तंच. 6) Pनिक्खिअम्ह गच्छभरो, JP दढधम्मरिसिं, P संमेतसेलसिहर बंदण. 7) P om. कयं, ३ अउब्वं. 8) J•भगवंतो, JP वसहो त्ति. १)विसण्णा for वससंपत्ता, देव for सावग.. 10) Pसेको for एको, जलंमि for जयम्मि, P मोहर जं, P पावया. 11) P कुणह पिसायं, P om. भव. 12) J om. वि, ओयारियाओ आहरणाद. 13) Pवियणेणारीयणपूरियालिआए, Jणारित्तणेण, P यणिक्खित्ता, P om. वि. 14) Jएत्थ for तत्थ, य for णिय, ठितीओ P ट्ठिती. 15)P साह, बहुपाव, काले य. 16) वेरुलिया, दुरसागरोवमठितीओ उववण्णे P दुसागर. ट्ठिईओ, Pउण सर्ण काऊण. 17) P ओहिणाणी. 18) Pदेवत्तबद्ध, चेय विमाणे, P अहं for अह. 19) रज्जामिओ, जाणिऊण for णाऊण. 20) Jप्पणो for पुणो, कयसंपूण्णा Pकयपन्नो. 21)Pविमाणायरे उवणायरे उण्णा, पुणो णियन कमर. 22) Pसुहासियं, Jadds अवि य before जरमरण eto. 23) P किमल for मल, I om. एकं, जिर्णिवर for जिण. 24) Pतिरिनरदणसुदेवाण, J होति जो सामिणो, P adds रूव before रूवाण. 25) Pom. कत्थ वि, Pसोक्खं तु जणस्स होइ मुवर्णमि, P मूलं for कुसु. 26) Pहोति. 27) Pom. the verse सम्मत सम्गसम etc. to भावो उ॥, तु for उ. 28) Pinter. verses सम्मत्तं उडगई eto. & सम्मत्तं अभयसमं etc., Pउड्रगती, P तिरियगती.29) Jविसमीसय, पि for तु. 30) Padds जय before हो, हो संसारो। सोरासार-Jr for उ. 31) Pom. तु,ण सारं for असारं. 32) Padds इर्म च before एरिस, Pom. च तं, Poin. one भो. देवाणपिआ, P भविस्सं ति, om. तओ सन्वेहि वि भणिय. 33) Pom. भणियन्वंतं. 30 Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३३६] कुवलयमाला २१७ जं दुत्तारो संसार-सागरो, विसमा कम्म-गई, अणिचं जीवियं, भंगुरो विसय-संगो, चंचला इंदिय-तुरंगा, बंधण-सरिसं । पेम्म, उम्मायणो मयण-बाण-पसरो, मोहणं मोहणीय-कम्म-महापडलं ति। ता तुलग्ग-पावियं पि सम्मत्त-रयणं एस्थ १ महोयहि-समे संसारे अक्खिप्पइ महाराय-मच्छेहिं, उल्लूरिजइ महारोस-जल-माणुसेहि, पल्हथिजइ महामाया-कम- 3 ढीए, गिलिजइ महामोह-मयरेणं ति । तओ इमं च जाणिऊण पुणो वि सयल-सुरासुर-णर-तिरिय-सिद्धि-सुह-लंभ-कारणे भगवंताण वयणे आयरं कुणह पावियब्वे । तेहिं भणियं 'कहं पुण पावियन्वं' ति । तेण भणियं 'पुणो वि गेण्डह समायाणं 6 जहा जत्थुप्पण्णा तत्थ तुम्हाण मज्झे केण वि अइसय-णाणिणा सम्वे संबोहणीया जिणधम्मे' त्ति । तेहि वि 'तह' ति 8 पढिवणं । तं च तारिसं समायाणं काऊण वीसत्था भोए भुंजिउं समाढत्ता। ६३३६) एवं च भुंजताणं भोए वच्चइ कालो जाव भुत्ताई दोणि सागरोवमाई किंचि-लेसाई । इमम्मि य जंबुद्दीवे दाहिण-भरहे बोलीगेसु तिसु कालेसु किंचि-सेसे चउत्थे काले सिद्धिं गएसु इहावसप्पिणी-वट्टमाणेसु उसभाइसु पास- 8 जिण-चरिमेसु तित्थंकरेसु समुप्पण्णे ति-लोय-सरोयर-महापंकए ब्व महावीर-जिणिदे त्ति। एरिसे य अवसरे सो कुवलय चंद-देवो णिय-आउयं पालिऊण देव-लोगाओ चुओ समाणो कत्थ उववण्णो । अवि य । अस्थि कायंदी णाम णयरी। साय 12 केरिसा । अवि य । 12 तुंगट्टालय-तोरण-मंदिर-पुर-गोउरेहि परियरिया। तिय-चञ्चर-सुविभत्ता जग-धण-मणि-कंचण-विचित्ता॥ तम्मि य महाणयरीए कंचणरहो णाम राया। 18 रिउ-कुंजराण सीहो जो य रवी मित्त-पंकय-चणस्स । पणइ-कुमुयाण चंदो वासारत्तो ब्व धरणियले ॥ 15 तस्स य महिलाए इंदीवर-णामाए सुपुत्तो मणिरहो णाम समुप्पण्णो । सो य संवडिओ बहुएहिं मणोरहसएहिं परिवठ्ठ माणस्स कई कह पि तारूव-कामोदएणं पारद्धि-वसणं समुप्पण्णं । तओ दियहं राईए य अवीसंतो आहेडयं वच्चइ 18 पडिसेहिजंतो वि गुरुयणेणं, णिदिजतो वि वयंसएहिं, णिरुज्झंतो वि मंतियणेणं, वारिजतो वि परियणेणं ति । अण्णया 18 य तस्स तम्मि अवसरे पारद्धिं अरणं पविट्ठस्स को वुत्ततो जाओ । अवि य । णर-सुर-दइच्च-महिओ थुन्वंतो थुइ-सुहासिय-सएहिं । उप्पण्ण-णाण-सारो पत्तो वीरो तिलोय-गुरू ॥ 21 तस्स य भगवओ महइ-महावीर-वड्वमाण-जिणयंदस्स विवित्ते पएसे विरइयं देवेहिं मणि-सुवण्ण-रयय-पायार-तियं, ठावियं ॥ दिव्वं वियड-दाढा-कराल-वयण-सीहाहिट्टियं आसण-रयणं, णिम्मविओ मउय-सिसिर-सुरहि-पवण-चलमाण-साहा-समूह-पेरंत णव-वियसिय-सुरहि-कुसुम-गोच्छ-रिंछोलि-णिलीण-महु-मत्त-भमर-रणरणाबद्ध-संगीय-मणहरो रत्तासोय-पायवा । तस्स य 24 अधे णिविट्ठो भगवं सुरासुर-णरिंद-बंदिय-चलण-जुयलो संसार-महोवहि-णिमन्जमाण-जंतु-सहस्स-हत्थावलंबण-दाण-दुललिओ 24 महावीरो । तत्थ य इंदभूइप्पमुहाणं एगारसण्हं महामईणं गणहर-देवाणं सोधम्म-जाहस्स महिंदस्स य अण्णाणं च भवण वइ-वाणमंतर-जोइस-विमाण-वासीणं सुराणं कंचणरहस्स य राहणो सपरियणस्स सम्मत्त-मूलं भव-भय-विणासणं दुविहं 27 धम्म साहिउँ पयत्तो। अवि य । णारय-तिरिय-णरामर-भव-सय-संवाह-दुग्गम-दुरंते । संसार-महा-जलहिम्मि णस्थि सरणं सिवाहितो।। सम्मत्त-णाण-दसण-तिएण एएण लब्भए मोक्खो। जीवस्स गुणा एए ण य दव्यं होइ सम्मत्तो ॥ सम्मं भावो सम्मं जहुजयं णस्थि किंचि विवरीयं । धम्माधम्मागासा-पोग्गल-जीवेसु जो भणिओ ॥ अहवा । जीवाजीवा आसव-संवर तह बंध-णिज्जरा मोक्खो। एयाई भावेणं भावेतो होइ सम्मत्ते ॥ अहवा । जं चिय जिणेहिँ भणियं पडिहय-मय-दोस-मोह-पसरेहिं । तं सव्वं सव्वं चिय इय-भावो होइ सम्मत्तं ॥ 33 अरहा जाणइ सव्वं अरहा सव्वं पि पासइ समक्खं । अरहा भासेइ सच्चं अरहा बंधू तिहुयणस्स ।। 1)P कंमगती. 2) Pमोहणियः, Pत्ति for पि, P adds त्ति before एत्य. 3) P."समें संसारि, P महारायकमढिणा. 5) समायारं जहा जत्थु. 6) जं हो for जहा, " य for वि, J अतिसय, Pom. जिणधम्मे त्ति, I तेहि मि तह. 7) Jom. तारिसं. 8) P बच्चएइ, P किंच-, Pइमं पिय जंबुदीवे. 9)P किंचसेसे, P सिद्धि, Pइहावओरसम्पिणीए- Pउमभाइपासजिणवहेसु तित्थंकरेसु. 10) Pइव for व्च, Pकुवलयचंदो णिय-. 11) देवलोआओ. 13) गोअरेहिं, P सुविहत्ताजणधणिमणि. 14) J करणरहो for कंचणरहो. 15) Pरत्तो व धरपियले ॥. 16) Jणामाए पुत्तो रयणरहो णामो, P संवडिओ. 17) Pरुणे for रूव, J adds से before समुप्पणं, P रातीए, J वीसंतो अविसंतो. 18) P गुरुतरेणं, P निरंभंण्णो for णिरुज्झतो, Pom. वारिज्जतो वि परियणेण. 19) अण्णता, J inter. तस्स तम्मि, P पारद्धिए रणे. 21) P. om. य after तस्स, ३ वद्धमाण, ' रयत । रइय, J तिसं for तियं. 22) J-सिहाहिट्ठियं, P णिमिओ for णिम्मविओ. 23) F -निलीणमररणरणाबत्तसगीय. 24) Pअधि for अधे, Pom. परिंद, Pमहो for महोवहि, P जंतुह्त्यालंबण. 25) P तस्स for तत्थ य, JP इंदभूति', महामंतीणं गण', ' सोहमनाहत्स, Jom. च. 26) J जोतिस, P वासीसुरागं. 27) P adds जिणो before धम्म. 28) Pदुग्गदुरंते, जिर्ण मोतुं for सिवाहितो. 29) Pतिणएतेण, P एतेण दिव्वं होत्ति सम्मत्तं. 30) जहुहुहुत्त for जहुजुयं, Pinter. णस्थि & किंचि, धम्माभासा, सो for जो. 31) जीवासव, P भावे च तो अब होइ सम्मत्तं. 32) P भणियं हयरागदोस, P adds, after होइ सम्मत्तं ॥, अरहा जाणइ सव्वं सवं चिय इय भावो होइ संमत्तं । 33) Pजाणं for सव्वं before पि. 28 27 30 Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [६३३६। भरहा भासह धम्मं अरहा धम्मस्स जाणए भेयं । अरहा जियाण सरणं भरहा बंधं पि मोएह ॥ अरहा तिलोय-पुज्जो मरहा तित्थंकरो सुधम्मस्स । अरहा सयं पबुद्धो अरिहा पुरिसोत्तमो लोए । ३ अरहा लोग-पदीवो अरहा चक्खू जयस सम्वस्स । अरहा तिण्णो लोए मरहा मोक्ख परूवेह इय भसी भरहते कुणइ पसंसं च भाव-गुण-कलिओ। साहण भत्तिमंतो इय सम्म मए भणियं ॥ तं जिण-वयण-रसायण-पाण-विबुद्धस्स होइ एकं तु । दुइयं पुण सहसच्चिय कम्मोवसमेण पुरिसस्स ॥ 8 एवं तिलोय-सारं एयं पढमं जयम्मि धम्मस्स । एएण होइ मोक्खो सम्मत्तं दुल्लहं एयं ॥ ६३३७) एवं च तिलोय-गुरुणा साहिए सम्मत्ते जाणमाणेणावि अबुह-बोहणत्यं भगवया इंदमूहणा गणहारिणा आबद्ध-करयलंजलिउडेण भणियं 'भगवं, इमं पुण सम्मत्त-रयणं समुप्पण्णं भावओ कस्सइ जीवस्स कई गज्जह जहा एस सम्मट्टिी जीवो' ति । भगवया भणियं । उसम-संवेगो चिय जिब्वेओ तह य होइ अणुकंपा । अस्थित्त-भाव-सहियं सम्मत्ते लक्खणं होइ॥ महवा, मेत्ती-पमोय-कारुणं ममत्थं च चउत्थयं । सत्त-गुणवंत-दीणे अविणए होंति सम्मं ॥ 12 खामेमि सम्व-सत्ते सव्वे सत्ता खमंतु मे । मेत्ती मे सम्व-भूएसु वेरै मज्झ ण केणइ ॥ सम्मत्त-णाण-दसण-जुत्ते साधुम्मि होइ जो पुरिसो। ठिइ-वंदण-विणयादी करेइ सो होहिइ पमोओ। संसार-दुक्ख-तविए दीणाणाहे किलिस्समाणम्मि । हा हा धम्म-विहीणा कह जीवा खिजिरे करुणा ॥ दुट्ठाण मोह-पंकंकियाण गुरु-देव-जिंदण-रयाण । जीवाण उवेक्खा एरिसाण उवरिम्मि मज्झत्थं ॥ अहवा वि जय-सभावो काय-सभावो य भाविओ जेण । संवेगो जेण तवे वेरग्गं चेय संसारे ।। सव्वं जयं अणि णिस्सारं दुक्खहेड असुइं च । मह तम्हा णिव्येो धम्मम्मि य भायरो होइ॥ वेरग्गं पुण णिययं सरीर-भोगेसु उवहि-विसएसु । जाणिय-परमत्थ-पओ णवि रजइ धम्मिओ होइ। एएहि लक्खणेहिं णजइ अह अस्थि जस्स सम्मत्तं । उवसम-विराग-रहियं णज्जइ तह तस्स सम्मत्तं ॥ ६३३८) एवं च सुरासुरिंद-गुरुणा साहिए सम्मत्त-लक्खणे भणियं गोयम-सामिणा 'भगवं, इमं पुण सम्मत्त-महासचिंतामणि-रयणं केण दोसेण दूसियं होइ, जेण तं दोसं दूरेण परिहरामो' त्ति । भगवया भणियं । दीहाऊ गोयम इंदभूइ अह पुच्छियं तए साहु । सम्मत्तं रयण-समं दूसिज्जइ जेण तं सुणसु ॥ संका-कंखा-विइगिच्छ। होइ चउत्थं च कुसमय-पसंसा । पासंडियाण संथव पंच इमे दूसण-कराई ॥ ४ जीवादीऍ पयत्ये जाणइ जिण-वयण-णयण-दिटिल्लो। किं होज इमं अहवा ण व त्ति जो संकए संका॥ कंखइ भोए अहवा वि कुसुमए कह वि मोह-हय-चित्तो । माकंखा मिच्छत्तं जो पुरिसो तस्स सा कंखा ॥ एत्थं पि अस्थि धम्मो एत्थ वि धम्मस्स साहिओ मग्गो । एवं जो कुणइ मणं सा विइकिच्छा इहं भणिया। 27 इह विजा-मंत-बलं पञ्चक्खं जोग-भोग-फल-सारं । एयं चिय सुंदरयं पर-तित्थिय-संथवो भणिओ॥ एए णिउणा अह मंतिणो य धम्मप्परा तवस्सी य । पर-तित्थ-समणयाणं पासंडाणं पसंसा तु ॥ जह खीर-खंड-भरिओ उडओ केणावि मोह-मूढेण । मेलिजइ णिब-रसेण असुइणा अह व केणावि ॥ 30 एवं सम्मत्तामय-भरिओ जीवाण चित्त-घडओ वि । मिच्छत्त-वियप्पेणं दूसिज्जइ असुइ-सरिसेणं ॥ तम्हा भणामि 'तुम्हे पडिवजह सम्मतं, अणुमण्णह सुय-रयणं, भावेह संसार-दुक्खं, पणमह जिणवरे, दक्खेह साहुणो, भावेह भावणं, खामेसु जीचे, बहु मण्णह तवस्सिणो, अणुकंपह दुक्खिए, उवेक्खह दुढे, अणुगेण्डह विणीए, वियारे। 33 पोग्गल-परिणामे, पसंसह उवसमे, संजणेह संवेग, णिविजह संसारे, परूवेह अस्थिवाय, मा कुणह संकं, अवमण्णद ३३ . 1) जाणई मेयं, J जिणाण for जियाण, P सचरणं for सरण, P बद्धं विमोएइ. 2) P तिलोए, ' सुबुद्धो for पबुद्धो, P adds पुरिहा before पुरिसों',P पुरिसोत्तिमो. 3) Jलोगपईवो, P तिसो for तिण्यो, P पदीवेह !!. 4) J भत्तिवतो. " दुतियं. 6) J परमं for पढम. 7) इंदभूतिगग.8) Jadds च after भणियं, JP भावतो. 10) JP चिय, अस्थेत्तिभाव, P समत्ति for सम्मत्ते. 11) पमोत, P मज्झत्वयं च चत्ययं ।, संगुणवंतदीत्रणयं तह विणए होति, अविणाए, समं P सम्मं तु. 13) Pसार्दुमि, P जो हरिसो,J थिति P ठिति, विणयावी, J सो हेहि ति पमोतो, P adds त्ति after पमोओ. 14) P दीणाणाहि, कीलेसभावंमि, P जीवो किजरे. 15) Pबुट्ठाण for दुट्ठाण, Pउन्वेक्खा. 16) Jजए सहावो Pमणसम्भावो, कायसहावो, J संवेओ, J भवे for तवे, Pचे for चेय. 17) तण्हा for तम्हा, P होहित्ति for हो. 18) Irepeats वेरगं, P नियर for णिययं. 19) F कह for तह. 20) गोतम, P सम्म for सम्मत्त. 21) Jom. चिंतामणि, सेण. 22) दीहाओ, गोतम, JP इंदभूति, P पुच्छिउं, P सुणेसु. 23) JP वितिगिच्छा,Pथेवं for संथव. 24)जीवातीए अत्ये जाणति, P जीवादीण, P om. जयण, संकते. 25) J कंखति P कंखत्ति, J अधवा, P कुसमये, J कहवि लोहमोहहियचित्तो। आकंखति, मीछत्त, Pसो for सा. 26) JP वितिकिच्छा, P इमं for इहं. 27) ३ बल for फल, तित्यं for तित्थिय. 28) P एते, P अभि for अह, अह संतिणो पारम्पयरा, P ओ for तु. 29) Pinter. खंड & खीर, [कुडओ or घडओ for उडओ]. 30) 'मयसरिओ जीआण, P चित्तपडिओ, P वियप्पे जीवेणं दूसिजद. 31) ' तुम्मे for तुम्हे. 32) ' om. उवेक्खा दुढे, P अणुगेण्ह. 33) Pसवेग्गं, अस्थिवातं. Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 6 12 18 18 21 24 27 -६ ३४१ ] कंखं, विगिचेह विइकिच्छं, पमाएह कुसमय-पससं । सम्मत-सार- रहिए मा सह उत्त पर कुमिच्छ भी हो यहा पापाले पनि गिरिम्स टेम्मि जटिल का बि सिरेमा मुंह तह विजय ॥ ति । २३९ ) एवं सण-रवणं जाणं पुणभुणसु मए भणि एकारसंग चोट्स-पुव्वं भविव्धरियं ॥ एक्कमिव जम्मि पदे संवेयं कुणइ वीयराग-मए । तं तन्स होइ णाणं जेण विरागत्तणमुवेइ ॥ किंबहुना वि एणं किं वा बहुणा विपणिं मिता पम्मि बहुए गया सिद्धं ॥ तदा करे जसे सण-वरणे सव्वभावेणं दंसण चरहिं विणा ण सिसिरे णाण-सहिया वि ॥ ९ ३४० ) जागेण होइ किरिया किरिया कीरड् परस्स उवएसो । चारित्ते कुणह मणं तं पंच मद्दव्वए होइ ॥ पाणिवहालिय-वयणं अदिण्णदाणं च मेहुणं चेय । होइ परिग्गह-सहियं एएसु य संजमो चरणं ॥ एयाई पावयाई परिवजेतो करेसु विरहं तु । इह परलोए दुह-कारयाइँ वीरेण भणियाई ॥ जो हिंसभी जियाणं णि उध्येय-कार पाछे । अमुदो घेराबंधी वरेण ण मुच कथा वि ॥ निंदिजद सजणे बह-बंधं घाय-दुक्ख-मरणं या पावइ इर्द थिय गरो पर छोए पाए र ॥ सब्वं च इमं दुक्खं जं मारिज्जद्द जिओ उ रसमाणो । जह अप्पा तह य परो इच्छइ सोक्खं ण उण दुक्खं ॥ जह मम णपियं दुक्खं सोक्खत्थी जह अहं सजीयस्स । एमेव परो वि जिभो तम्हा जीवाण कुण अभयं ॥ ६३४१) एवं च साहिए भगवया तित्थवरेण पुच्छि गणहर-देवेण 'भगवं, कदं पुण हिंसा भन्न 15 भगवया भणियं । अवरे विहियं ति इमं इमस्स जायस्स मरण-जम्मं वा । तं होज अवस्यं चिय मिस-मेत्तो मज्झ अवराहो ॥ अवरे भणति विद्दिणा एसो अह पेसिओ महं वज्झो। तस्सेव होउ पुण्णं पावं वा मज्झ किं एत्थ ॥ अण्णे पुण पविणा कम्म यसो कम्म-बोड्यो जीवो कम्मेगं मारिजइ मारेद व कम्म-परयत्तो ॥ 1 इय एवमाइ अण्णाण बाणो जे भणेति समनुं तं स लिये चिष जीव-बड़े होंति दोाई ॥ जीवो अगाइ-पिणो सयं देवरम्मि संकम देदानो से ण सुई चिज होइ दुर्क्स से ॥ ऊसास-इंदियाई भिंतर बाहिरा इमे पाणा ताणं विभोय करणं पमत्त-जोएन सा हिंसा अद तेहिँ विजेतस्स वस्स जीवस्स दुस्सहं दुखं जं उप्पन तिल-तेलाण परोष्परमणुगय सरिसस्य जीव देहव्स एवं सादिए सुरासुर-गुरुणा पुच्छिवं भगवया गोवम- सामिप्त दुखं 33 केरिसेण पुरिसेण रक्खिर्ड तीरह' ति । भगवया अणियं । 30 कुवलयमाला देवर-संक्रमणं कीरह करें णाम तस्सेव ॥ 1 जीवो जणादि-गणो सो कद मारिए जग हे एक्के भणति एवं भण्णे उण वाइणो जहा सुहुमो । ण यं सो केणइ जीवो मारिज्जइ णेय सो मरइ ॥ अणे भगति पुरिसा सम्यगय एस तस्स कह पात्रो अग्ने पुण पडिवण्णा अणुमेतो केण सो बदिओ ॥ अवरे भांति एवं उड गई किर जिओ सभावेण । अच्छइ देह-निबद्धो जो मोयइ धम्मिओ सो अवरे भणति कुमइच्छूढो अह एस अच्छइ वराओ । अह जोणि-विप्पमुको वच्च सुगईसु आवेओ ॥ अपणे भणति मूढा पुराण-घरयाउ पइसइ णवम्मि । को तस्म होइ पीडा देहंतर-संकमे भणसु ॥ अण्णे भणति पुरिसा एएणं मारिओ अहं पुवि । तेण भए मारिज्जद्द दिज्जइ तस्सेय जो देइ ॥ हु ॥ २१९ देहे वह पावो तस्स सो भनियो । विमोनो कीरह जो कुणद सो पावो ॥ चि भगवे, इमं पुण पाणाइवाय चेरमर्ण महावय-स्वर्ण 3 भवे for इमे, P ताओ for ताणं, अमत्तजोरण. 32 ) Pपुच्छिउं उ गोतम, गोयमगणJom. पुरिसे . 6 12 18 21 24 33 1) P विगिच्छेद, J विगिच्छं, P कुसुमय 2 ) सामत्थं व for मा सज्जह, परकुडिच्छे ।, P सो for भो, P कणं for कथं, P om. तुम्हा3 ) P पायालो, J पण्हेछिज्जह, P कई वि. 4 ) 3 पुण भणसु, P पुच्छं for पुव्वं, J अण्णं for अस्थं 5 ) P एक्कमि जो पयमी संवेगं वीतरागमते P वीयमए, ता for तं, उ जोण for जेण. 6 ) J om. वि before एत्थ. 7) P करेसु जुत्तं, P चरण, दंसणचरणेसु विणा 8 ) 3 om. one किरिया, P की रस्सर, P उवएसा. 10) पवित ति for 3, P दुह काई वीरेण वीरेहिं. 11) हिमओ for हिंसओ, P उब्वियकारणो, अहो रोदाबंधो, कयाइ ॥. 12 ) 3 adds or before वहबंधं, वहबंधधाय णरओ for रवं 13 ) J जयंमि for 3, P वि for य, सोक्खे. 14) अभयं, 15 ) तित्थंकरेण, गणधर P inter. कह & पुण. 17 ) P अणाइ, P सो किर माणिज्जए जणिण इहं, J जाण माग for जऍ णाम, P जय for जए. 18) पुण for उण, P वारणा, P क्खेण वि for केगर, Padds त्ति after मरइ. 19 ) P को for कह, P अतरे उण for अण्णे पुण, अणुमेत्ता 20 ) P एयं ढगती, P सहात्रेण, P जो मायाइ, P साहू for सो हु. 21 ) कुई, विपत्तो, P मुच्चइ for वच्चउ, P सुगई सुयात्रेयो. 23 ) " पु०नं, Pom. दिज्जर, P वेइ for देइ. 24 ) जीवरस for जायरस, होइ for होज्ज 25 ) तरसेय तस्सव, जोओ for होउ. 26 ) P उण for पुण, P पडिवन्नो, P परियत्तो. 27 ) एवमाति अण्णाणवातिणो । अन्नाणवाणो भणति, P होइ for होति. 28) संभमइ for संकमइ, P सोणय अहं सो ण सुहं for से सुहं ( emended ) 29 ) P इंदियाई भवति भतरा इमे 30 > Pom. तस्स. 31 ) P तिलतेलाण, सरिसं जिअरस देहरस P जं for जो हारिणा, पाणातिवात विरमण महावयणरयणं, पाणातिपात, P महावइरयणं. 33 ) 27 30 . Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० उज्जोयणसूरिविराया [६३४१। इरिया-मण-समिईओ एसण-पडिलेह तह य मालोयं । पढमस्स वयस्स इमा समिईओ पंच विष्णेया ॥ जुगमेत्त-दिण्ण-दिट्टी जंतू-परिहरण-दिण्ण-णयण-मणो । आवासयम्मि वच्चइ इरिया-समिओह सो पुरिसो॥ सव-णियम-सील-रुक्खे भजंतं उपहेण वच्चंतं । णाणंकुसेण रुंभइ मण-हत्थि होइ मण-समिओ ॥ असणं पाणं वत्थं व पत्तयं संजमम्मि जं जोग । एसंतो सुत्तेणं मग्गइ जो एसणा-समिओ। सेज्जा-संथारं वा अण्णं वा किंचि दब्व-जायं तु । गेण्डइ जइ वा मुंचइ पडिलेहेङ पमजेउं ॥ गहियं पि पि भत्तं पाणं वा भोयणस्स कालम्मि । आलोइऊग भुंज इ गुरुणो वा तं णिवेएड ॥ एयाहिं पंच-समिईहिँ समियमओ जो भवे कह वि साधू । सो सुहुम-जंतु-रक्खं कुणमाणो संजओ भणिमो॥ पाणाइवाय-विरमणमह पढमं इह महन्वयं भणियं । संपइ भण्णइ एवं मुस-वयण-णियत्तणं बिहयं ॥ ६३४२) असवाय-कवलियं मि उ अलियं वयणं ति होइ मुसवाओ। तस्विरमण णियत्ती होह मुसावाय-विराति. अलियं जो भणह जरो जिंदिय-अहमो इहं दुसद्धेओ। अह चप्फलो त्ति एसो हीलिज्जइ सव्व-लोएण॥ .. दुक्खेहि ठवेइ जिए अब्भक्खागेहि भलिय-वयणेहिं । ताणं पि सो ण चुक्ता पुन्वं मह बंध-वेराण ॥ 12 मारण-लुंपण-दुक्खे पावइ जीहाएँ छेयणं लोए । मरिजण पुणो वच्चइ णरए अह दुक्ख-पउरम्मि ॥ जं मज्म इमं दुक्खं अलियब्भक्खाण-पडिवयस्स भवे । तह एयस्स वि तम्हा कुणह णियत्तिं तु अलियस्स। एवं परूविए तिहुयण-गुरुणा पुच्छियं गोयम-गणहारिणा 'भगवं, केरिसं पुण अलिय-वयणं होई' ति । भगवया भणियं । 16 सम्भाव-पडीसेहो अत्यंतर-भासणं तहा जिंदा । एवं ति-भेय-भिण्णं अलियं वयणं मुणेयत्वं ॥ सम्भाव-पडीसेहो आया णथि त्ति णस्थि पर-लोओ। अब्भुय-भणणं माया तंदुलयंगुटुमेत्तो वा ॥ जो हत्थिं भणइ खरं एसो अत्यंतरो उ अलियस्स । पेसुण्ण-भाव-जुत्तं भरहा तं भण्णए अलियं ॥ 18 फरुसं णिदियमहर्म अपच्छियं कोव-माण-संवलियं । सच्चं पि जइ वि भण्णइ अलियं तं जिणवर-मयम्मि॥ सच्चं पि तं ण सच्चं जं होइ जियाण दुक्ख-संजणयं । अलियं पि होइ सच्चं जियाण रक्खं करेमाण ॥ एये अलियं वयणं अह कुणइ इमस्स विरमणं जो उ । दुइयं पि हु धरह वयं दिण्ण-महा-सह-पुरुवं तु॥ एवं च परूविए भगवया तियसिंद-वंदिएणं पुच्छिय गोयमसामिणा 'भगवं, कई पुण एवं मुसावाय-वेरमण-महब्वय-रवणंभ रक्खणीय' ति । भगवया भणियं । अणुवीइ-भासणं कोह-माय-लोहं च णिब्भर-पयारो। हासञ्चाओ य तहा पंचेए भावणा होंति ॥ एयम्मि मए भणिए वयहिँ होज ताव चिंतेमि । जंतूण सुहं दुक्खं होजा अणुवीइ-भासा तु॥ कोवेण किंचि भण्णइ अलियं वयणं ति केण वि गरेण । तम्हा पञ्चक्खाणं कोवस्स करेह हियएणं॥ लोह-महा-गह-गहिओ को वि णरो कि पि जंपए अलिय। दूरेण त अहिक्खिव मुणिवर संतोस-रक्खाए॥ 27 इह लोयाजीव-भएण कोइ पुरिसो भणेज्ज अलिय पि । सत्तविहं तं पि भयं परिहर दूरेण मुणिवसभा। होइ परिहास-सीलो को वि गरो वेलवेइ हासेणं । तं पिणं जुज्जइ काउण सच्च-संधाण साधूर्ण ॥ एयाओं भावणाओ भावेतो रक्ख संजयं वयणं । एयाहि विणा मुणिवर सञ्चं पि ण सच्चयं होइ ॥ 30 $३४३) तह तेणो वि हु पुरिसो पर-दव्वं जो हरे अदिण्णं तु । सम्वत्थ होइ वेस्सो जण-संपवणं च पावेज 30 बंध-वह-घाय-छेयण-लंबण-तडिवडण-सूल-भेयादी । पावइ अवस्स चोरो मओ वि णरयं पवजेज ॥ जइ इट्ठ-दव्व-विरहे होइ विओओ महं तह इमस्स । एयं चिंतेऊणं कुणह णियत्तिं पर-धणस्स ॥ एवं च समाइटो भगवया संसार-महोयहि-जाणवत्तेण भणियं च गोयम-मुणिवरेणं 'भगवं, इमं पुण अदिण्णदाण-विरमण-33 1) JP समितीओ, P अलोया।, Pom. वयस्स, JP समितीओ. 2) Jआवस्सयंमि, J समितो. 3) Pरुक्खो, रमद मणहत्थी, J मणसमितो. 4) J-समितो. 5) Pकि पि for किंचि, JP दवजातं, Pमुच्चर, पडिलेहेतु वमज्जेतु. 7)" पताहिं पंचसमितीहि समितओ, P समिदमो जइ भवे, P साहू, संजतो भणितो. 8) पाणातिवात, Pom. भण्णइ, Pएवं, JP वितिये. 9) मासवाकुअलिअम्मि तु अलियं, P असइवाय, मुसवातो, मुसाबातविरति, P-विरए ति. 10) Padds हि before इहं, P अह तिफलो. 11) Pठवेवि, P वंक for बंध. 12) P लंछण for लुंपण. 13) Pजह for जं, P अलियउभक्खाणगडिगयरस, P निवति. 14) Jadds च after एवं, P पुच्छिओ, गोतम, Pinter. पुण & केरिस. 15)P पडिरसेहो, P -भावणं. 16) Pपडिरसेहो, अभयभणमाया. 17) Pहवी, तु for उ,P गरहा for अरहा, 183 सुपच्छिमं P अपच्छिम. 19) P संजगणं P करेमाणो. 20) तु for उ, दियर्स for दुश्यं, सो for पि हु. 21) गोतम', गोयमगणहारिणा, पुण ए मुसावात-. 23) P कोहवायलाभं च गिम्भय, पंचेते, Pom. पंचेए. 24) होई अणुवीति भासाओ॥. 25) किभएण for हियएणं. 26) के वि for कोवि, I अभिक्खिव. 27) लोगाजीव, परिहरब, J मुणिवसहा ।।. 28) Pकि पि for वेलवेइ, P काउं सच्च-, J संधारण, P साहूणं. 29) एताओ, P सम्वयं for संजय, P एताहि. 30) परेदवं, P हरेइ दिन्नं तु, P वेसो जणजंपवणं. 31) पंन for बंध, पाय for पाय, पण, सूलमताई, P पविजेज. 32) नियत्ती. 33) महोवहि, som. च, गोतम. Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९३४५ ] 1 मद्दव्यय-रयणं कई पुण सुरविखर्य साहुणो हव' ति अणुवीह य भरवण एसियेति साहम्मिडमा हो चेय 3 देविंदराव सामंत-ग्गहो वह कुटुंबिय जणस्स अणुवीह निवारे मग्गज जस्प जो सामी ॥ क्सिको मार्टि होन दिनो कया विकेमावि मग्गिए य मिले अवगो तेण कलेण ॥ इद सुगंध इद तपाई एवग्मि होज मे उबही अविव मा होहि अवमाहो एत्तिको अहं ॥ पासयोसण्ण- कुसील- संजया हो सख्या वा वि सं जाऊ तुइ साम्मियो पुसो ॥ ऊसस - णीसस - रहियं गुरुणो सेसं वसे हवइ दव्वं । तेणाणुण्णा भुंजइ अण्णह दोस्रो भवे तस्स ॥ एयाओं भावणाओ कुणमाणो तत्तियं वयं धरइ । एत्तो वोच्छामि भहं मेहुण-विरह त्ति णामेण ॥ 1 | 1 ६ ३४४ ) काम- महागह महिलो अंधो बहिरो व्य अच्छ सूओ उम्मत्तो वि होइ वनिखत-चित्तो य ॥ भिम-कच्छ-सिरो अभिन्युमो अनि यतो गलियंस व मत्तो होइ मधो गयवरो ॥ अलिये पि सइ लोए सविवारं अपने पलोह उम्गाइ हरिसिय-मणो खणेण दीणत्तणं जाइ ॥ विसिज को एसो सोनंदिन जगणं कजाक ण-यह मोहेण व उत्नुणो भन्ह ॥ परदारगमन- दोसे बंधण-वह चलिंग-छेदं च सब्बस्स-हरणमादी बहुए दोसे व पावे ॥ मरिण व पर-सोए बच्च संसार सागरे घोरे तन्हा परिहर दूरं इत्थीर्ण संगम साहू | सुहस्स हेक से तं धम्म फर्क होइ ॥ 21 अह कोइ भइ मूढो धम्मो सुरएण होइ लोगम्मि । इत्थीणं सुह-हेऊ पुरिसाण य जेण तं भणियं ॥ आहार पिन जुन रिसिणो दाई चण्डिर्ड चे एयं पिमा गणेजसु दुक्खं तं दुक्ख कारणं पढमं । तं काऊण अउण्णा उवेंति कुगई गई जीवा ॥ दुक्खं च इमं जाणसु वाहि-पडीयार कारणं जेण । पामा-कंडुयणं पिव परिहर दूरेण कुरयं तं ॥ असुहं पिसुहं मण्णइ सुहं पि असुहं ति मोहिओ जीवो । दुक्ख-सुह- णिन्विसेसो दुक्खं चिय पावए वस्सं ॥ पामा - कच्छु- परिगभ जह पुरिसो कंडुय-रह- संतत्तो । णह कटु सक्कराहिं कंडुयणं कुणइ सुह-बुद्धी ॥ वह मोह-कम्म-पामा विपनाए कुलचुर्खेत-सगे सुर-मुहास- मनो असुदं पि हु मण्णइ सुई ति ॥ एवं च भगवा विवाद- रिंद बंद सुंदरी बंदिय-चलणारविंदेण साहिए समाणे भगवया पुच्छियं गोयम-गणहारिणा 'भगर्व इसे पुण मेण वेरमण-मध्यय-महारयणं कहं पुण सुरक्खियं होइ' सि अनियं च भगवया । सहि-कहा- महिदय-पुण्यणुसरणं पणीय-रस-भुती युवाओं परिहरेतो रक्खइ मिटुणवयं पुरसो ॥ इपि-पंड निषाएँ वसही अच्छा णीसंगो सज्झाय-ज्ञाण-जिरओ इव बंधे भावणा पदमा ॥ इय देवानो तालो जायरियाओ चलंत जयणानो किडिकिंचिय-सुरवाई इमीगंज साहू थण-जहण-मणहराओ पेच्छामि इमाओं चारु जुवईओ । इय बंभचेर विरओ मा मा आलोयणं कुणसु ॥ इय हसिये इव रमियं तीय धर्म मा हु संभरेनासु धम्मशाणोवगओ इवेज मिर्च मुणी समए ॥ मा भुंजेज पणीयं घय- गुड-संजोग जोइयं बहुयं । जइ इच्छसि पालेडं बंभव्वयमुत्तमं धीर ॥ 1 एवानों भावणाम भावैतो भ्रम भाव-पम्बो संप वोच्छामि भई परिमाडे होंति जे दोसा ॥ 6 12 15 18 24 27 30 33 कुवलयमाला भगवया भणियं । अणुणाव-भत-पाणो भुजण तामो समिईओ ॥ ९ ३४५) कुणइ परिग्गह-सारं जो पुरिसो होइ सो जए लोभी । अग्गि व्व इंधणेणं दुप्पूरो सायरो चेव ॥ लोभाभिभूय-चित्तो कमाकमाई व चिंते । अर्जेक्स्स व दुखं दुक्खं चिव रक्खमाणस्स ॥ दो सि एस होए दिन परिभवं च पावेद सु होइ दुखे तदा वोसिरसु परिगहनं ॥ 1) P सुक्खियं, 2 ) अणुत्री अभक्खणं P अभिक्खाण, P भत्तपाणे भुंजणाए, समितीओ P समिता. 3) सामं for सामंत, Jom. वग्गहो. 4 ) विक्खित्त, P मालेहिं for माणेहिं. 5 ) P मताई for मंतयाई, होहिति P होहित्ति. 6 ) संजता, २२१ 9 ) 12) P P अट्टया for सड्ढया, P ते for तं. 7 ) P तेणाणुसोयं for तेणानुण्णा, P हवइ for भवे. 8 ) तत्तियं वतं P तश्ययं वयं. होई होति. 10 ) विम्म, Pकडक्ख, P अणिच्छओ, J अणिहिओ 11 ) P लोएइ for सवियारं अप्पयं पलोर. निंदओ. 13 ) P छेयं, हरणमाती, P सो for दोसे, पावेति. 14 ) P पलोए वच्च संसायरे, P परिहरइ. 15) P सुरते कहं न for सुरएण होइ, ग्लोअंमि. 16 ) Padds, after जुज्जइ, पुरिसा एएणं जो देइ ॥ अवरे विहियंति, हेउं तं. 17 ) P कुगई गई. 18 P वाहीपडियार, पि, सुई for अहं 20 पारिओ कंजरति केंद्रयणं. विअणाय चुलुलुलेंत. 22 ) गोतम, P गणहारिणो. 24 ) P रसभोई, एताए for एयाओ. 25 ) 26) Padds य after ताओ, P किलकिंची सुरयादी. P धम्मज्झाणावगओ. 29 ) संजोअ, P इच्छह, P वीर for धीर. before संपद. 31 से for सो, चेय. 32 ) JP भूतचित्तो, J अजंतस्स. 33 ) P परिहवं. मारिओ अहं पुन्वं । तेण मए मारिज्जर तरसेय पतीआर 19 ) P च for पि सुहं, Pom. 21) ि 23 ) मेहुणं वेरमण, P वेरमणं महव्वयं, P पुण रक्खियं भवइति । इत्थीपसुपंडिय, वसईए अच्छ णीसंको, P निरसंगो, P एगंते for इय बंमे. 27 ) P थणहरनमणथराओ, J आलोवणं. 28 ) P ओ for हु, 30 ) एताओ, P भातो for भावेंतो, P adds संपश्ओ 1 12 15 18 21 24 97 30 33 . Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 6 9 पंच इंद्रियाणं विसर मा कामसु द्द सुरू य असु मा दुइ समिईपंच परिगड़ने ॥ ति । इ पंच- महन्वय-जुत्तोति गुत्ति-गुत्तो विदंड- विरय-मणो । साहू खवेइ कम्मं अणेय भव-संचियं जं तु ॥ पुणो, जण जरा ण म ण वाहिणो णेय सब्ब दुक्खाई नासयमकारिमं चि वर सुदं जाइ से सिद्धिं ॥ या वयाण पुणो भैया दो होति जिणवर-मएण अवय-महव्यवाई गद्दियो मुणिणो य सो भेदो ॥ एए मुणिणो कहिया जावज्जीवं हवंति सब्बे वि । गिहिलो उण परिमाणं अणुब्वए ते वि वुचंति ॥ अण्णं च । कुणइ दिसा परिमाणं अणुदियहं कुणइ देस परिमाणं । नेणु विरभो सो लब्भइ सव्येसु अत्थेसु ॥ तयं भणवं उपभोगं असणो परिहरेता सेसेसु होइ विरओ पावद्वासु सच्चे ॥ सामाइये चउथे एवं कालंतरं महं जाव समणो ध्व होमि विरभो सावजाणं तु जोगाणं ॥ पोसह उपवासो विय पच्चे अमि- चउदसीय अण्णवरे उपवासो होइ तहिं विरहें सावन-प्रोगाणं ॥ घर-भोग जान वाहण सायन- जियाण दुपवमादीण परिमाण-परिच्छेदो पिरई उपभोग- परिभोगे ॥ जाणवित खाणं पाणं च वत्थ पत्तं वा साहूण जा ण दिलं ताथ भुजामि विरमो हूं ॥ तिष्णि व गुणव्यपाई पठरो सिक्खावया अण्णाई पंच व अणुब्वाई मिहिधम्मो बारस-विहो उ ॥ च । मरणंतरिम पवज्जइ छट्ठम-तव-विसेस सूसंतो । समणो व सावओो वा मरणं संलेहणा-पुन्वं ॥ 1 ३४६ ) एवं च तियसिंद- सुंदरी-चंद्र- रहस -पणमंत पारियाय-मंजरी -कुसुम-रथ-रंजिय-चलणारविंदेश साहिए जिणि18 देण भणियं गणहर-देवेणं 'भगवं, इमाणं पुण बारसण्डं वयाणं संवेग-सद्धा-गहियाणं गिहिणा के अइयारा रक्खणीय' सि । 18 भगवया भणियं । 12 16 21 24 27 उजोषण सूरिविरहया [६३४५ मरिण जाइ र आरंभ-परिग्गहेहिं जो जुतो । तस्स ममते पावं ममं ति अप्प ब्व संकुणइ ॥ पूर्वच सयल विमल केवललोय-होयाडोण परुविए भणिदं गोषम-गुणिणा हे 'भगवं इर्म पुण परिग्गह- वेरमण- मद्दव्यय-रयणं कई सुरखिये इवह त्ति | भगवया भणियं । 30 २२२ एकेके पंच जहा भइयारा होंति सव्व-वय-सीले । तह भणिमो सब्धे श्चिय संखेवत्थं णिसामेह ॥ बंध-बद्दच्छवि-दो अभारारोवणं पडथे तु पाणण्ण-गरोधो वि व अइयारा होंति पदमरस ॥ मिच्छोदेस करणं रहसम्भवखाण कुड-लेहो व णासावहार करणं अलि मंतस्स भेदं च ॥ ते-पजण आहि-गहणं विरुद्ध-रनं वा उमाहिय-मार्ग चिय पढिरुवं तेगिया होति ॥ परप्याहो इतर परिम्हे गमण होइ पर महिला कीर अर्णग-कीडा तिष्यो वा काम-महिलासो ॥ खेत- हिरणे घण्णे दासी दासेसु कुप्प-भंडेसु । होइ पमाणाइकम अइयारो होइ सो वस्सं । खेत्तादिकम-सीमा- वइक्कमो तद्द हिरण्ण-अइचारो। खेत्तस्स वुद्धि-सहअंतरं व पंचैव य दिसाए ॥ सव्वाणयणं पेस-पभोगो य सह-पाडो य । रूवाणुवाय-पोग्गल-पक्स्वेवो होइ देसस्स || कंद कुकुर मोहरिए देव होइ असमिक्या उवभोगो वि य अधिमो अमदं मया ॥ मण-वण-काय-जोगे दुष्पणिहाणे अणादरो पेय व सुमर तिय-कालं सामाइऍ होंति अइयारा ॥ उच्छग्गो भायाणं संथारो वा भजोइए कुणइ । ण य आदरो ण भरह पोसध-धम्मस्स अइयारा ॥ " 3 48 15 21 1) P जोइ for जाइ, adds य before ममत्ते, पाव, ममहि अपव्य संकुण ॥. 2 ) P लोइया लोयालोए J (लोआ) सोमण for लोवालोएण, गोतम, गोममुनि 4 मुद्दे सुरज्ज्जा आहे व समिती परिम्यद्देगे, om. इय 6 ) P मच्छू, P ण य for णेय, P चिय नवरं अह जीइमं तं सिद्धी. 7) r अणुव्वय. 8) उण मरियाणं, तु for वि, P विमुञ्चति 9 ) J तेणत्थं for तेणुङ्कं विरतो सो P परिओसो. 10 ) P अणत्थदंडं, P परिहरितो, विरतो P विरतो. 11 ) P repeats एयं महो P मह for महं [ =अहं ], P सन्त्रण, विरतो. 12) J पोसध, अट्ठमी चउदसीय P अट्टम्म चउदसी. P छोति, JP विरती 13 ) दुपतमातीण, P परिच्छेओ, विरती 14 ) तत्थ for वत्थ, P विनं for दिष्णं, P विरतो 15) P बारसविहाओ ॥. 16) संजतो for सावओ. 17 ) एतं for एवं Pom. वंद्र, P परियाय, J कुसुमरयंजि. 18) 3 adds च after भणियं, P भणियं for भगवं, P गहिताण, JP अतिथिारा 20 ) Padds एकेके पंच पंच जहा अतियारा. होति रक्खणीय त्ति | भगवया भणियं before एकेके, P चिय, P निसामेदा. 21) P बंधं वहं च छेओ, P निरोदा वि, अतियारा. 22 ) P मिच्छोवएस, P रइस्सभक्खाण कूडलोहो य, P भेयं. 23 ) पर्यु गयाहित, P -आहित, होइ for होति. 24) P परिविवाहो इत्तर, उत्तर for इत्तर. 25 ) P खेत्त हिरसे सुवन्ने धणधन्नदासिदासे कुप्प, पमाणातिक्रम अतिआरो, P होइ सव्वरसं26 ) खेत्तातिकम्म, वतिक्कमो P वइक्कमे अश्यारो P अतिचारी, सतिअंतरं P . स्सइअंतर. 27) सदो दब्वाण परं पेससट्टा दयावदातसाद गुपात स्नायुपाय, होति. असमिको उपभोगा, जहियो अगस्थ अतिआरो 29 ) जोए गयादरी अगावरे चेन सुमरति 30 ) उवसग्गो for उच्छो, अजोय 3 उ चेr P for अनोर, आरो for आदरो भई भरेर पो अचारो P 28) कंद, P P 24 87 80 . Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 -६३४७] कुवलयमाला २२३ । सञ्चित्ते संबन्द्वो मीसो सञ्चित्त-अभिसव-दुपक्को । आहारेंतो पुरिसो अइयारं कुणइ उवभोगे ।। सञ्चित्ते णिक्खेयो अधवा पिडणं परस्स एवं ति । देह व मच्छर-जुत्तं अधवा काले भइकते ॥ 3 संलेहणाएँ जीविय-मरणे मित्तागुराग-सुह-हियो । कुणइ णियाणं एए मरणते होंति अइयारा॥ हय सम्मत्त-महन्वय-वय-सील-गुणेसु रक्ख अइयारे । णर-सुर-सिद्वि-सुहेहिं जइ कजं तुम्ह भव्वजिय ॥ ति । ६३४७)एवं च संसार-महोवहि-कम्म-महापवण-पहय-दुक्ख-सहस्स-तरंग-भंग-भंगुरे णरय-महामयर-करवत्त-कराल6 दाढावली-मुसुमूरणा-चुक्कस्स जहिच्छिय-तीर-गामिए जियस्स जाणवत्ते ब्व साहिए समण-सावय-महाधम्म-रयणे जिणिंदयदेणं 8 ति भवसरं जाणिऊण बहु-जीव-वह-पावासंकिरण पुच्छियं कंचणरहेण राइणा 'भगवं, मणिरह-कुमारो किं भव्वो, किं वा अभवो' ति । भगवया तिलोय-गुरुणा भणियं 'महाणुभाव, ण केवलं भवो चरम-सरीरो वि' । कंचणरहेण भणियं 'भगवं, जइ चरम-सरीरो ता कीस णिरुझंतो वि पारद्धि-वसणी जाओ'। भगवया भणिय 'किं कीरउ एत्थ एरिसा तस्स 9 कम्म-भवियन्वय' त्ति । राइणा भणिय ‘भगवं, कहं पुण कइया तस्स बोही जिण-मग्गे होहिइ' त्ति । भगवया भणियं 'देवाणुप्पिया, पडिबुद्धो वि एत्तियं वेलं उवसंत-चारित्तावरणो जाव जाय-णिब्वेओ पत्त-संवेगो इहेव पत्थिओं' ति । राइणा 12 भणियं भगवं केण उण वुत्तंतेण से संवेगं जाय' ति । भगवया भणियं 'अस्थि इओ जोयणप्पमाण-भूमि-भाए कोसंबं णाम 12 वर्ण। तत्थ बहुए मय-संबर-वराह-सस-संघाया परिवसंति। तस्य पारद्धि-णिमित्तं संपत्तो अज मणिरह-कुमारो। तत्थ भममाणेण दिढे एक्कम्मि पएसे मयउलं । तं च दट्टण अवलयं अवलएण संकमंतो उवगमो समीवं । केरिसोय सो। भवि य। 16 आयण्ण-पूरिय-सरो णिञ्चल-दिट्ठी णिउँचियग्गीओ। णिम्मविओ लेप्प-मओ ब्व कामदेवो कुमारो सो॥ सो वि कह-कह पिणियय-मंस-विलुंपणा-भय-चकिय-लोल-दस-दिसा-पेसिय-कसिण-तरल-तारएहिं दिट्ठो मुद्ध-मय-सिलिंबेहिं। तं च दट्टण सहसा संभंता पणट्ठा दिसोदिसि सव्व-मया । ताणं च मज्झे एक्का मय-सिलिंबी तं कुमारं दद्रूण चिरं णिज्झाइ18 उण दीहं णीससिऊण णिप्पंदिर-लोयण-जुयला सिणेह-वस-पम्हु-णियय-जीय-विलुंपण-भया पफुल्ल-लोयणा उप्पण्ण-हियय-18 वीसभा सव्वंग-मुकणीसहा तं चेय आयण्ण-पूरिय-सरं कुमारं महिलसेइ ति । तं च तारिसं दट्टण कुमारेण चिंतियं । 'अहो, किमेयं ति । जेण सव्वे मया मईओ मय-सिलिंबा य दिसोदिसं पणट्ठा, इमा पुण मयसिलिंबी ममं दळूण चिस्याल-दिट्ठशदइयं पिव अवयासण-लालसा अभिमुहं उवेइ' त्ति चिंतयंतस्स संपत्ता तं पएसं । कुमारो वि संपत्तो । तओ दिट्ठो य तीय अणेय-सावय-जीवंतयरो अद्धयंद-सरवरो । तह वि, दइयं पिव चिर-दिहं पुत्तं पिव पाविया पियं मित्त । अवगय-मरण-वियप्पा कुमरं अह पाविया मइया ॥ 4 तं च तहा दटूण सिणेह-णिरंतरं पिव दइयं वण-मय-सिलिंवि कुमारेण 'आ अणज्जो अहं' ति णियं भग्गं तं सरवर, चलणग्गेण य अक्कमिऊण मोडियं तं अत्तणो चावं । तओ मोडिय-कोडंडो अच्छोडिय-असि-घेणुओ इमं भणिउं पयत्तो। अविय। 27 जो मह पहरइ समुहं कड्डिय-करवाल-वावड-करग्गो । तं मोत्तण रण-मुहे मज्झ णियत्ती पहरि जे॥ 27 जो पहरह जीवाणं दीणाणं असरणाण विमणाणं । णासंताण दस-दिसं कत्तो भण पोरिसं तस्स ॥ मारिज दुटु-मणो समुहं मारेइ पहरण-विहत्थो। जो उण पलाइ भीओ तस्स मयस्सावि किं मरइ । 30 मा होह गब्विय-मणा अम्हि किर विणिया जिया रणे । एएहिं चिय बहिया तुम्मे एवं वियप्पेसु ॥ एए अम्हेहि जिया एकं वारेति विणिहया रणे । अम्हे पुण एएहिं अणतसो मारिहिजामो॥ अहमो चिलीण-कम्मो पावो अह विट्टलो णिहीणो य । जो भवराह-विहीणे पहरइ जीवम्मि पाव-मणो॥ सच्चित्ता अभिसवदुप्पको, P अभिसवहुथक्को । आहारतो, P अश्यारो, P उपभोगो. 2) P अहव पियाणं, Pएतं ति, अहवा. 3) जीवित, P मित्ताणुराय, कुणइ मिताणं च एते, P मरणं तो, J अतिआरा. 4) Pसमत्त Pरय for वय, वसु for गुणेसु, अतिआरे P अतियारे, कज्जा, JP मनजिय. 5)P महोयहिकममहपवण, P om. भंग. 6) जिरस for जियस्स, P साहिते, 7) P पावासार्कएण, Pरायणा. 8) P केवलो, . om. वि, P कंचणरथेन भणितं. 9) Pनिरुभंतो वि, P after पारद्धिवसणीजाओ repeats the further portion, namely, भगवया भणियं देवाणुपिया etc. to संवेग जायं ति, Jadds अ before किं, J repeats एत्थ, एरिसो. 10 om. भगवं, P om. कहं. 11) देवाणुपिया, P एत्तियवलं, Jom. जाव, Pom. जाय,J पयत्त for पत्त. 12) Pom. से, वेग for संवेग, पमाणे भूभाए. 13) तत्य य बहुमय, Pमणोरहकुमारो. 14)संकतो, Pउवगतो. 15)Pणिउब्धियग्गीओ. 16) नियमासः, भूय for भय, JP चकित. 17)" सहा for सहसा, दिसादिसं, Jom. मयः. 18)" om. दीई णीससिऊण, P सिणह, Pणयजीविया विलुप्पणभया वप्पफुल, वप्फप्पु.ल. 19) Pच for चेय, अहिले त्ति, Pom. अहो किमयं ति. 20) Jadds य after मईओ, P दिसादिसि पयट्ठा, P उण for पुण,Jadds एका after पुणो, P चिरकाल. 21) P अहिमुहं, P चिंतियंतस्स. 22) Jजीअंतरो अङ्कयंद, P जीवंतपरो अद्धयंदस्स वरो तहे वि. 23) Pकुमार, Pinter. अह* कुमार, P मतिया. 24) Pinter. तहा & तं च, Pवणमयासिलिंबी, P भयं for भग्ग. 25) मोडितं अत्तणो, कोदंडो, ससिवेणुओ. 27) Jom. तं, P रणमुहो, जो for जे. 28) P भीयाणं for दीगाणं, P कत्तो पुण पारुसं. 30)P गब्जियगणो अम्हि किर विणहिया, P repeats जिया, P विड्या for वहिया, P वियप्पेओ।. 31) Pएते, " उण for पुण. 32) Pविणिणो for विट्टलो, P विहीणो. Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया [ ६ ३४८ ६ ३४८ ) एवं च चिंतयंतेण उप्पण्ण-मित्त-करुणा-भावेण छित्ता करयलेहिं सा मय- सिलिंबी । अवि य । जह जह से परिमास अंगे मझ्या विषयं कुमरो पणव कलहे व तह तह दहयाए गलति अच्छीणि ॥ 3 कुमारस्स वितं दट्ठणं वियसिय- लोयणेहिं उब्बूढो अंगेसु रोमंचो, पसरिओ हियए पहरिसो, णायं जहा 'का वि एसा 8 मम पुत्र-जम्म-संबद्ध चि । भवि य । २२४ जाईभराई मध्ये इमाई जयगाई होति लोया विनति पियम्मजणे बच्चो मडलेति वेसम्म ॥ । ० स एयं पुण ण-याणिमो कग्मि जम्मंतर म्म काममा आसि पि चिंतयंतर टियं दिए 'अ किर ताम्र गोसे चेय पाठार उपगओ फिर तत्थ भगवे सब्वण्णू समवसरण -संडिल, तस्स वंदना निमित्तं ता अपि तत्थ गमिस्सं जेण पुच्छामि एवं 'का एसा मय वह आसि नम्ह जम्मंतरे' ति चिंतयंतो चलिओ संपर्क पदमए समोसरण- पायार9 गोउरंतरे वहद, मय - सिलिंबी वित्ति भणतस्स भगवओ पुरओ मणिरह - कुमरो ति-पयाहिणं च काउं भगवंतं वंदिउं 9 पयत्तो । 'जय जय जियाण बंधव जय धम्म-महा-समुद्र-सारिच्छ जब कम्म सोल-दारण जय णाणुनोविय मुणिंद ॥ ति । 12 भणमाण पणमिजो चलणे पणाम-पचुडिएण भणियं 'भयवं, संधि ण पाणसि होगालोगम्मि सम्ययुतो वा मह साहस एवं का ऐसा आखि मह मइया ॥' एवं च पुच्छि भय णाय-कुल-तिनो जय-जीव-पंचको बहुयाण जिय-सहस्साण पडिबोहण णिवय-जाय पध्व 10 वषार्ण साहिउं पवतो । 1 15 १ ३४९ ) भो भो देवाणुप्पिया, अस्थि इओ एक्कम्मि मह जम्मंतरे सागेयं नाम नगरं । तत्थ मयणो नाम राया । तस्य पुत्तो अहं, अणंगकुमारो य महं णामं तम्मि काले आसि । एवं च अच्छमाणस्स तम्मि णयरे को वुत्तंतो आसि । 18 अवि य । आसि वेसमणो णाम महाधणो सेट्ठी । तस्ल स पुत्तो पियंकरो णाम । सो य सोम्मो सुहओ सुयणो सुमणोहरो 18 चाई कुलो विणीओ पिचओ दयालु दक्षिणो संविभागी पुन्याभिभासी यति । तस्स व एरियरस समाण-जन्म- काला सह-संवडिया सहज्झय घरे पिउ-मित्तस्स धूया णामेण सुंदरिति । सा वि रूवेण मणोहरा मुणीणं पि भावाणुरता य । 21 1 तस्स पियंकरस्स तं च तारिसं दट्ठण तेण पिउणा तस्सेय दिण्णा, परिणीया य । धणियं च बद्ध-णेह सम्भावा भवरोप्परं 21 स्वणमेतं पिवर असुया होंति । एवं च ताणं महिणव- सिणेहे नव-जोग्वण-यस-पसरमाण- सिणेह पेम-राय-रसाणं वच कालो । अण्णवा व तहा भवियन्त्र कम्म दोस्रेण देवणी पुण अपटु सरीरो सो पियंकरो जाओ। अप सरीरस्स सासुंदरी 24 महासोगाभिहया ण भुंजए ण सुयए ण जंपए ण अण्णं कायव्वं कुणइ, केवलं संभाविय-दइय-मरणा हिययब्भंतर- घरुन्वरंत- 24 संतावताविय-णयण-भायणुव्वत्तमाण- बाह-जल-लवा दीण-त्रिमणा सोयंती ठिया । तभो तहाविह कम्म-धम्म-भवियब्वयाए आय-कम्ममक्खययाए य ममो सो वणिय पुत्तो । तओ तं च मयं पेच्छिऊण विसण्णो परियणो, सो य विमणो पल- विडं 27 पयत्तो । अवि य । 12 ' हा पुत्तय हा बालय हा मुड-गुण-गणाण आवास । करथ गओ सि पियंकर पडिवयणं देसु मे तुरियं ॥ करणियं विणिम्मिविषे मय जाणवतं तमो तत्थ कोड , P एवं च पाव-म्भिरे घर-जणवर हलबोलीहूए परिवणे कयं 30 माढत्ता तोच तारिखं दण सुंदरी पढाइया 'भो भो पुरिसा, किं पूर्व तुम्मेहिं समादर्स' तेहिं भणियं । 'बच्छे 30 एस सो तुह पई विष्णो, मसाने नेऊन सिका कीर' ति णिसुए कोष विरजमाण लोयणाए बद्ध-तिवली-भंगुर डिलवाए भणियं 'अवेह, णिक्करुणा पावा तुब्भे जं दइयं मयं भणह, इमरस कारणे तुम्भे चेय मया पडिहया ढड्ढा य, 1 ) P वितयंती, कलुण for करुणा, P छिक्का for छित्ता, P महर्सिलिबी. 2) P परिमुसती अंगे मझ्या णिहुययं । दइआय. 3 ) P उच्छूढो अंगे य. 4 ) Jom. पुव्वजम्म, Pom. अवि य. 5) P जाईसराई मने, P जमे for जणे, J वेस्सम्मि. 6) P जंजतरंमि, P ट्ठियं, P गोसो चेय चपाउरी आगवो. 7) समवसरिओ तस्स, P वंदण, Pom. पि. 8 ) P एतं, P inter. आसि & अम्ह, P समवसरण. 9 ) P वŻति, Pom. त्ति. 11 ) Pom. one जय, दारुण 12 ) P पणामिओ, P पणामएवुट्ठिएण 13 ) P जं न जाणसि, लोआलोअम्मि. 14 ) भगवं, repeats जय, पहूण for बहुयाण, णिअअजातयवत्तं. 16 ) देवापिया, सागतं. 17 ) P अहं for य महं. 18 ) P adds a before महाघणो, Jom. य before पुत्तो, P सोमो. P सुणा. 19 ) P कुसली, Pभागी पुभासी वत्ति, ३ च for य before त्ति, P om. य एरिसरस, समाणकम्मकलासह, P जंमकालसमाणसंवडिया. 20) सयज्झय P सयज्झिय, P पिय for पिउ, Pom. पि. 21 ) J. तेण से पिउणा तस्स य, Padds परिना before परिणीया, P वद्धणे for बद्धणेह- 22 ) 3 om. पि, adds तओ before एवं सिणेह, पेम्मरायवसाण. 23) J अण्णत्ता, I adds य before वेयणी, P अपटु- in both places, Pom. सा. 24) सोगाहिया, 3 adds न हसए after सुयए, Padds त्ति after कुणइ, J "हिअन्नंतर P हिययम्मंनंतर 25 ) P सं for संताव, ट्ठिया, भविअवतार 26 ) P कंमक्खयाए, P बणियउत्तो वि पुगो for विसण्णो. 28 ) P पुत्त महा, 3 गुणमणाणभयणया ।. 29 > J कयं च जं करणीयं विणिम्मियं मयनाणं ।, P मयज्जाणवत्तं, तत्थ वोढुं पयत्तो तत्थ छोढुमाढत्ता, 3 om. तओ. 30 P किमेयं, (31) P तुह पती, पाऊण for णेऊण, P नयणाए for लोयणाए 32 ) J -पट्ठाए for वट्टाए, P repeats वट्टाए, J om. पावा J रड्डाए P बट्टाइय for ढड्डा य. J 27 . Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 -३४९] कुवलयमाला 1ण कयाई एस मह वल्लहो मरीहिइ डज्झिस्सइ' ति । तओ तेहिं चिंतियं 'अरे, एस गेह-गह-गहिया उम्मत्तिया पलवइ । वराई'। 'गेण्हह एयं कलेवरं, णिक्कासेह मंदिराओ' त्ति भणमाणेहिं पुणो वि उक्खिविउं पयत्तं । तो पुणो वि अभिधावि३ ऊणं लग्गा सुंदरी । 'भो भो दुट-दुब्बुद्धिय-पुरिसा, कत्थ मम इमं दइयं धेनुं चलिय' त्ति । अवि य । 'पेच्छह पेच्छह लोया एसो मह वल्लहो जियतो वि । हीरइ कहिं पि माए किं एस अराउलो देसो ॥' त्ति भणंती णिवाडिया उवरिं, तं च सव्वंगियं आलिंगिऊण ठिया। तओ य ते सयणा सव्वे किं-कायव्व-विमृहा विमणा 6 दुम्मणा चिंतिउं पयत्ता । भणिया य पिउणा 'सुंदरि वच्छे, एस ते भत्ता मओ, मा एयं छिवसु, मुंचसु, डझइ एसो' । त्ति । तीए भणियं 'एयस्स कए तं चिय डझसु' ति । तओ जणणीए भणियं ।। 'कीस तुमं गह-गहिया एयं परिरक्खसे विगय-जीयं । मा होह पुत्ति मूढा एस मओ डझए एहि ॥' तो तीए भणियं । 'भत्ता, ___णाहं गहेण गहिया गहिया रक्खेण तं चिय अकज्जा । जा मझ पियं दहयं डज्मह एसो ति वाहर सि ॥' एवं च ससुरेण अण्णेण य गुरुयणेण सही-सत्थेण भणिया वि 12 पेम्म-महा-गह-गहिया मयं पिसा णेच्छए पियं मोत्तुं । रागेण होंति अंधा मण्णे जीवा ण संदेहो॥ तमओ विसण्णो से जणी गारुल्लिए भूय-तंतिए अण्णे य मंतिवादिणो मेलेइ, ण य एक्केणं पि से कोइ विसेसो को त्ति । तमो गस्थि को वि उवाओ त्ति पम्मोक्किया, सम्मि चेय अच्छिउँ पयत्ता । तो दुइय-दियहे जीय-विमुकं तं कलेवरं । 15 सुजिउं पयत्तं । पुणो अपण-दियहे य उप्पण्णो पोग्गलाण वि गंधो। तह वि तं सा मडयं आलिंगइ बाहाहिं गुललइ हत्थेहिँ चुंबइ मुहेण । कीयंत-सुरय-लील तं चिय सा सुमरए मूढा ॥ तो णिदिजमागी परियगेणं वारिज्जमाणी सहीहिं इमं भणिउं पयत्ता । भवि य। 18 'एहेहि मज्झ सामिय वच्चामो बाहिरं वर्णतम्मि । जस्थ ण पेच्छामो चिय अप्पिय-भणिरं इमं लोग ॥ पेच्छ इमो गह-गहिलो लोगो इह भणइ किर मओ तं सि । इय गिट्ठर-वयणाणं कह मज्झे अच्छिउं तरसि ॥ किर तं पिय मय-कुहिओ एसो भह जंपए जणो धट्ठो। एयस्स किं व कीरउ अहवा गहनाहियो एसो॥ " मम जुज्जइ एयं सामिय तुह जिंदणं सहेउं जे । तम्हा वच्चामो च्चिय जत्थ जणो णत्थि तं ठाणं ॥' ति भणमाणीए उक्खित्तं तं करकं आरोविउं उत्तिमंगे ओइण्णा मंदिराओ पयत्ता गर्नु रच्छा-मुहम्मि विम्हय-करुणा-हासबीभन्छ-भय-भावेण जण दीसमाणी णिग्गया णयरीओ। केरिसं च घेत्तुं कलेवरं कुहियं । सिमिसिमेंत-अंतो-किमि-संकुलं भिणिभिणेत-मच्छिय सडसडेंत-चम्मयं फसफसेंत-फेसयं कलकलेत-पोट्टयं उब्वमंत-दुग्गंधयं दीसंत-हड्य फुरत-पवणय १४ तुर्दृत-अंतयं फुडत-सीसयं वहंत-मुत्तयं पय-पुस्वयं खिरंत-लोहयं वमंत-पित्तय किरंत-मजयं ति।। अंतो असुइ-सयभं बाहिर-दीसंत-सुंदरावयवं । कंचण-कलस-समाणं भरियं असुइस्स मज्झम्मि ॥ शतं पि तारिसं भीभ दुईसणं पेम्म-गह-गहिया घेत्तुं उवगया मसाणं । तत्थ खंधारोविय-कंकाला जर-चीर-णियंसणा धूलि-27 पंडर-सरीरा उद्ध-केसा मलिण-वेसा महा-भइरव-वयं पिव चरंती भिक्खं भमिऊण जं तस्थ सारं तं तस्स णिवेएइ । भणइ य। 10 'पिययम एवं भुंजसु भिक्खं भमिऊण पावियं तुज्झ । सेसं पि मजा दिजड जं तुह णवि रोयए एत्थ ।' 30 एवं च जं किंचि भुंजिऊण दियहे दियहे कयाहारा कावालिय-बालिय ब्व रक्खसी वा पिसाई व तस्सेय रक्षण-वावडा मच्छिउं पयत्ता तम्मि महा-मसाण-मज्झम्मि । 1)J मरीहइ, इज्झिस्स त्ति P इज्झिसह त्ति, P ओमत्तिया बिलवर. 2) गेण्ड एयं कडेवरं, P पुणो उवक्खिलं, भओ for तओ. 3) भो भो बुद्धिपुरिसा. 4) Pकहं पि. 5) Pom. ति, om. य after तओ, P विमणदुम्मणा चिंतापरा अच्छिउं पयत्ता. 6) P सुंदरी, Jए for ते, J मा एवं, Pom. मुंचमु. 7) तीय, पडझासु P डझस, P माया पलविउं पयत्ता for जणणीए भणियं (on the margin in J). 8) P एतं. जीवं ।। P एहि for एहि. 10) Pom. one गहिया. अणजे for अल ज्जा. 11) Pom. वि. 12) Jराएण, जीआ. 13) Pगारुलीए भूते, ३ भूततंतिए, J मंतवातिणो मेलेति ण य एको पि, Pम for ण य,P सो for से. 14) Pतं उ for तओ, कोइ for कोवि, Pषुणो for तओ before दुश्य, Jadda i before जीय. 1s) Pसुज्झिउं, J यो for गंधो. 16) गोलs for गुललइ, P हत्येण, P जायंत for कीयंत. 17) Pसहियणेण इमं भणिय पयत्ता. 18) Padds च्चिय after वच्चामो, P भणियं इम, लो. 19) लोओ किर भणह किर, P तरह।. 20) Pम for मय, धेट्ठो।. 21) Pतुह निदणं पि सोउं जे।, P जणे णस्थि. 22) भणमाणीय, उत्तमंगे P उत्तिमंगो. 23) Pराय for भय, Pom. कलेवरे, किमिकुलं. 24) Pफसफसेंते. 25) तुदंत for तुईत,. adds फुटुंत अंतर्य after अंतयं, फुरत P फुहृत for फुडत, P पूब्वयं, किरंतलोहियं, Padds रसतबंधयं पयंतमेत्तय after पित्तयं, P किरयंत. 26) सरिस for कलस. 27) P भीमा, P रोवयं for मसाणं, P खंधाधारो विय, P भूली-. 28) om. तं before तस्स, P तत्थ for तस्स- 30) पाविया एयं ।, P तुझ for तुह, Pन for ण वि. 31) Pom. जंकि चि, कावालिणि ब्च रक्खसी, वा Pय tor a after पिसाई, P बहुब्ब for तस्सेय रक्खणवावडा. 32) Pom. महा. 29 Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोय णसूरिविरइया [ ६३५० 1 । ६३५०) पुणो तेण ती चिडणा विण्णत्तो सम्ह ताओ जहा 'देव एरिसो बुतो, अम्ह भूवा गहनागहिया, सा ज कोइ पडिबोहेइ तस्स जं चेय मग्गइ तं चेय अहं देमि त्ति दिज्जउ मज्झ वयणेण णयर-मज्झे पडहओ' त्ति । एवं 3 [व] तायस्य विष्णवं णिमुवं मए तो चिंतिये गए 'अहो, मूढा बराई पेम-पिसाएण ण उण अण् ति ता अहं बुद्धीए एयं पडिबोहेमि' त्ति चिंतयंतेण विण्णत्तो ताओ। 'ताय, जइ तुमं समादिससि ता इदं इमस्स वणियस्स बोहेमि वं पूर्व'ति । एवं च विष्णविपुण तारण भणियं । 'पुत्त, जड़ काऊन तरस ता जु इमं कीरह वणिवाण 6 उपयारो' ति भणिए चहिजो अहं मसाण-संमु जानिया भए कम्मि ठाणे सा संपर्क जाणि निवारियासेस-परियणो 6 एगामी गहिय-चीर माला-निर्यणो धूली-सर- सरीरो होऊण संधाविषयकंकालो उपगभो तीए समीवं । णय मए किंचि सा भणिया, ण य अहं तीए तो जा जसा तरस असो कंकालरस कुणइ अपि विय-कालस्स 8 करेमि ति तो वर्धते दिवस तीए भणिमो भई 'भो भो पुरिसा, किं तए एवं कीर' ति मए भणियं किं इमाए तुझ कहाए' । तीए भणियं 'तह वि साहिज्ज को एस वृत्तंतो' त्ति । मए भणियं 'एसा अम्ह पिया दइया सुरुवा सुभगा । इम व मणये अपडु सरीरा संजाया ताव व जो उलवइ 'एसा मया, मुंच एवं रसद ि जो नलिओ बलिमो व ता इमिणा 12 पुयं च निसामिकण तीए भणिवं 'सुंदरं म पि एसो थिय बुतो' ति । ता भट्टणी, एस य भट्टणी, किंच 16 तं 1 12 तनो बई ते जमेन गह गहओ व कमो गए वि चिंतिये 'अहो, एस ण किंचि मज्झति घेण दद्दये सत्य वच्चामि जब गधि जणो' ति कथं जंगीहरिओ पिये पेण, एस जगो अलिय भणिरो, इमिणा न कर्ज ति 15 अन् सम-सहाय-वसणाणं दण्डं पि मेसी जाया भए वि भणिदं 'तुम्हें मम इमस्स ना ति सीए साहियं 'पियंकरो' चि 'नुह महिलाए किं नामं मए भणिर्य 'मायादेवि' ति एवं कप-परोप्पर सिनेहा अण्णमने अच्छेति । याउन आवस्य निमित्तं जडपाण-निमित्तं वा वच तया व मर्म 18 मणिण वच एस तर मह दइओ ताव दथ्यो' चि भणती तुरिये च मंतूण पुणो पडिणियन्तइति । नई पि जड़या 18 वच्चामि तइया तं मायादेविं समपिंऊण वच्चामि झत्ति पुणो आगच्छामि'ति । एवं च उप्पण्ण-वीसंभा अण्णं पुण दिय मम समपिऊण गया आगया य । तओ मए भणियं 'भइणि सुंदरि, अज्ज इमिणा तुह पइणा किं पि. एसा मह महिला 21 भणिया च मए जाणियं' ति तीए भणियं । 'भो भो दहय, तु कारणे मए सच्वं कुलहरे सहियो व परिचत्तो 21 तुमं पुण एरिसो जेण अ मदिलंतर अहिल्स' सि भणिऊण ईस-कोचा ठिया पुणो जन्मम्मि दियहे मह समप्पिण गया काम भए वि घेणे दुवे वि करंका कुवे पश्खिता पक्सिचिन व तीय चेय मग्गालग्यो अहं पि उबगनो। 24 दिट्ठो य तीए पुच्छिओ । 'कस्स तए समप्पियाई ताई माणुसाई' ति । मए भणियं 'मायादेवी पियंकरस्स समोप्पिया, 24 पियंकरो वि मायादेवीए ति । अम्हे वि वच्चामो चेय सिग्धं' ति भणमाणा काऊण आवस्सयं संपत्ता संभंता जाव ण पियंकरो ना मागादेवि चि २२६ 27 30 ३५१ ) त तं सुण्णं पएसं दट्टण मुच्छिओ अहं खणं च समासत्थो धाहाविउं पयत्तो । वे य, धाव धावह मुसिओ हा हा दुद्रेण तेण पुरिसेण । जीवाओ वि चल्लहिया मायादेवी अवहिया मे ॥ धावद धावद पुरिसा एस भणाहो नई इई मुसिओ अयाजय- सील-गुण मध्झ भइणी दहणं ॥ भइणी सुंदरि एहि साहस अह कब सो तुई दहलो घेतृण मज्झ जाया देसाओ विणिमाओ होज ॥ किर सि म भइणी सो उण भइणीव ति वीसत्थ तं तरस समप्पे पिय-दहये कि । जाव तुह तेण पणा सील-चिह्नणेण णटु-धम्मेण । साल-महिल हरंतेण सुंदरं णो कथं होजा ॥ 1 1) तीय, I om. ता. 2 ) Pom. मज्झ वयणेण, 3 om. णयरमज्झे, 3 इमं for एवं 3 ) तातस्स, P च तस्स विनप्तं, तओ for अहो, P वराती पिम्म- 4 ) P ताहं for अहं, Pom. एयं, om. ताओ, जदि तुमं समादिससि ता इमस्स अह वणिअस्स, P समाइससि 5 ) P जुत्तमिगं कीर‍ बयारो ति. 6) P हूं for अहं, P समुहं, P ट्ठाणे. 7 ) P चीरमला, P -सीरीरो, om. दुश्य 8 ) तीय, P जं for जा, P repeats तं, P om. पि. 9 ) तीय, Pom. मए भणियं. 10) P g for तुज्झ, तीय, P तहा वि, अहं. 11) सुहया for सुभगा, Pon य P मणुयं for मगयं, P अपटुसरीरा, J जाया for संजाया, Jom. य, P एतं. 12 ) Pom. इव कओ, Pom. बि, P अलिय for अलिओ, Jom. वलिओ. 13 ) र तत्थ for जत्थ, Pom. च, तीय. 15) Jom तुम्हं, P य रुविणीवइओ. 16 Pom.ति, Jतीय 17 ) P अण्णमण्णुं इच्छंति, J पुण for उण, Pom. थ, मं for ममं. 18 ) Pom. च. 19 ) समोविऊण, P -विसंभा 20 ) P समपिऊ गया, भइणो, Pom. पि. 21 J adds ण after मए, Pom. ति, तीय, P सव्वकुसलहरं, Jom. य, P व्व for य. 22 ) अभिलससि, P मम for मह. 23) P गय, P पक्खविऊण तस्सेय मग्गा, पिव for पि. 24 Jतीय, adds य after पुच्छिओ P ताई for तए, P समप्पिया. 25 ) P मायादेवी इ त्ति, Pom. चेय, P भणमाणो ण सुहंकरो णा. 26) Pom. ना. 27 ) inter. अहं & रूणं, Jom. च, P सहाविउं for घाहाविडं, Pom. भवि य. 28 ) P मो for मे 29 ) अविय ॥ णिय-, J भइणीय, Padds, after दणं ॥ भवणि सुंदरि एस अणाहो अहं इहं मुसिओ । and repeats the line अवियाणय etc. 30 ) भद्दणो P भणि, P साहह अह, P सो द तुह दइओ, P जाये, P अज्ज for होज्ज 31 ) ममं for महं, तीय for तस्स, 32 ) P सालमहलं. पिअ दुश्यं 27 30 . Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३५२] कुवलयमाला २२७ 16 1 तइय चिय मे णाय जदया अवरोप्परेण जंपंता । किं-किं पि विहसमाणा जह एस ण सुंदरो पुरिसो॥ ता संपइ कत्थ गओ कत्थ व मग्गामि कत्थ वच्चामि । जो चोरिऊण वञ्चइ सो किर ओवलभए केणं ॥ ति भणमाणो पुणो पुणो वि अलियमलिय-दुक्ख-भर-मउलमाण-णयण-जुवलो विमुक्कणीसह-वेवमाण-सव्वंगो णिवडिमो. धरणिवढे । पुणो वि सो विलविङ पयत्तो। हा दइए हा मह वल्लहिए हा पिययमे अणाहो है । कत्थ गया वर-सुंदरि साहसु तं ता महं तुरियं ॥ ति । अविय।। 6 तुझ कएणं सुंदरि धण-जण-कुल-मित्त-बंधवे सब्वे । परिहरिए जीयते तुमए पुण एरिसं रइयं ॥ इमं च अलिय-पलवियं सोऊण मुद्ध-सहावाए चिंतियं वणिय-दारियाए जहा 'किर तेण मह पदणा इमस्स महिला उच्चालिऊण अण्णत्थ णीया होजा। ता एरिसो सो भणज्जो णिकिवो णिग्विणो णिद्दओ मणप्पणो कयग्रो पावो चंडो चवलो चोरो चप्फलो पारदारिओ भालप्पालिओ अकज-णिरभो त्ति जेण मह माउणो महिलं वलविङण 9 कहिं पि घेत्तण पलाणो त्ति । अवि य । तुज्य कए परिचत्तो घर-परियण-बंधु-वग्ग-परिवारो । कह कीरउ एत्ताहे अणज भण विप्पियं एकं ॥ 12 दइओ ति इमी' अहं मरद विमुक्का मए त्ति णो गणियं । अह कुणइ मज्झ भत्तिं भत्तो अवहत्थिो कह णु ॥ मह एस मह विणीया तुमए गणियं ण मूढ एयं पि। मोत्तण ममं णिद्दय का होहिइ एरिसा महिला ॥ एस महं किर भाया एसा उण साल-महिलिया मज्झ । गम्मागम्म-विवेगो कह तुह हिययम्मि णो फुरिओ॥ 15 ता जो एरिस-रूवो माइल्लो कवड-कूड-णिपणेहो । किं तस्स कएण अहं झिज्जामि असंभला मूढा ॥ ६३५२) जाव य इमं चिंतिउं पयत्ता ताव मए भणियं । 'सुंदरि, एरिसे ठिए किं कायन्वं' ति । तीए भणियं 'णाई जाणामि, तुमं जाणासि किमेत्य करणीय' ति । भणियं च मए । 'सुंदरि, 18 को णाम एस्थ दइओ कस्स व किर वल्लहो हवइ को वा। णिय-कम्म-धम्म-जणिओ जीवो अह भमइ संसारे॥विय। 18 सव्वं इमं अणिचं धण-धणिया-विहव-परियणं सयलं । मा कुणसु एत्य संगो होउ विओगो जणेण समं ॥ सुंदरि भावेसु इमं जेण विओगे वि ताण णो दुक्खं । होइ विवेग-विसुद्धो सम्वमणिचं च चिंतेसु ॥ जह कोइ मय-सिलिंबो गहिओ रोद्देण सीह-पोएण । को तस्स होइ सरणं वण-मज्झे हम्ममाणस्स ॥ तह एस जीव-हरिणो दूसह-जर-मरण-वाहि-सिंघेहिं । घेप्पद विरसंतो चिय कत्तो सरणं भवे तस्स ॥ एवं च चिंतयंतस्स तस्स णो होइ सासया बुद्धी । संसार-भउव्विग्गो धम्म चिय मग्गए सरणं॥ एस मणादी जीवो संसारो कम्म-संतति-करो य । अणुसमय स स बज्झइ कम्म-महाकसिण-पंकेण ॥ णर-तिरिय-देव-णारय-भव-सय-संबाह-भीसण-दुरंते । चक्काइडो एसो भमइ जिओ णथि से थामं ॥ ण य कोइ तस्स सरणं ण य बंधू णेय मित्त-पुत्तो वा । सब्बो चिय बंधुयणो अव्वो मित्तं च पुत्तं च ॥ सो णस्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि जो ण जीयाण । सव्वाण आसि मित्तं पुत्तो वा बंधवो वा वि ॥ होऊण को वि माया पुत्तो पुण होइ दास-रूवो सो । दासो वि होइ सामी जण दासो य महिला य ॥ होऊण इत्थि-भावो पुरिसो महिला य होइ य णपुंसो। होऊण कोइ पुरिसो गर्बुसर्य होइ महिला वा ॥ 30 एवं चउरासीई-जोणी-लक्खेसु हिंडए जीवो। रागहोस-विमूढो अण्णोणं भक्खणं कुणइ॥ अण्णोण्णं वह-बंधण-घाउब्वेवेहि पावए दुक्खं । दुत्तार-दूर-तीरं एयं चिंतेसु संसारं ॥ एवं चिंतेतस्स य संसार-महा-भएण गहियस्स । णिब्वेभो होइ फुडं णिविण्णो कुणइ धम्म सो ॥ 1) तइउ, " पि वहसमाणी. 2) P गओ जत्थ व, P ओवलंभए ण के त्ति. 3) om. one पुणो, 'जुअलो. 4) om. वि सो. 5)P दयए, Pom. हा मह, I adds हा before अणहो, कत्थ गयासि तुमं । अवि य. 6) जाण for जण, रतियं. 7) वलवियं (विलवियं ?), जह किर. 8) Pउद्दालिऊण अणस्थ, Pom. कयग्यो. 9) Pinter. चंडो & चवलो, P परदारिओ आलपालिओ, J अयजणिरओ, P भाइणो. 11) Pom. परिचत्तो धर, परिआरो, I एयाए for एत्ताहे. 12) P दह त्ति इमीए है, P भग्गो for भत्तो. 14)Pसा for साल. 15) J तउ for ता, Pमाइण्णो, P inter. कूड & कवड, महं for अहं, P असंभलाढा. 16) Pमए भणिओ ।, P ट्ठिए, I तीय. 18) z inter. णाम & एत्थ. 19) Pधणवणिया, ' होह विओओ. 20) विआप for विओगे, P विवो for विवेग, J "णिचं ति चितेइ. 21) P को वि. 22) Pसिंघेण ।. 23) JP om. तरस, सासता, ' भवुधिग्गो, धमो चिय. 24) अणाई, संततिकरो P संततिरो. 25) J माणुस for णारय, सो for से. 26) को वि तस्स, J तत्थ for तस्त, Pणेय पुत्त मित्तो वा, J सम्बो for अब्बो. 27)" को वि lor कोइ. 29) पुरुसो, P होइ अणुपुरिसो।, Pणपुंसयं. 30) J चउरासीती । चउरासीतिजोणि. 31) J घायुवेहिं घाउखेवेहि, र एवं for एय. 32) निद्धेओ होइ पुर्ड, से for सो. Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२८ उज्जोयणसूरिविरइया [६३५२ 12 18 । एक्को च्चिय एस जिओ जायह एको य मरइ संसारे । ण य हं कस्सइ सरणं मह अण्णो णेय हो भत्थि ॥ ण य मज्झ कोइ सरणं सयलो सयणो ब्व परजणो वा वि । दुक्खम्मि णस्थि बिदिओ एक्को अह पञ्चए गरए । 3 एवं चिंतेंतीए भाविय-एगत्तणाए तुह एहि । सयणेसु अवेइ फुड पडिबंधो सुट्ट वि पिएसु ॥ ण य परजणेसु रोसो णीसंगो भमइ जेण चित्तेण । पारंपरेण मोक्खो एगत्तं चिंतए तेण ॥ अण्ण इम सरीरं अण्णो हं सव्वहा विचिंतेसु । इंदिय-रहिओ अप्पा सरीरयं सेंदियं भणियं ॥ अण्ण इमं सरीरं जाणइ जीवो वि सव-भावाई । खण-भंगुरं सरीरं जीवो उण सासओ एत्थ ॥ संसारम्मि अणते अणत-रूवाई मज्झ देहाई । तीयाणि भविस्संति य अहमण्णो ताणि अण्णाणि ॥ एवं चिंतेंतीए इमम्मि लोगम्मि असुइ-सरिसम्मि । ण य होइ पडीबंधो अण्णत्तं भावए तेण ॥ अह भणसि कहं असुई सरीरमेयं ति तं णिसामेहि । पढमं असुइय जोणी बिइयं असुइत्तणं च तं अंते । असुइय-भायणमेयं असुई-संभूइमसुइ-परिणामं । ण य तं तीरइ काउं जेण सुइत इमं होइ॥ पढम चिय आहारो पक्खित्तो वयण-कुहर-मज्झमि । उल्लज्जइ सेंभेणं सेंभट्ठाणम्मि सो असुई। तो पावइ पित्तेण अंबिल-रस-भाव-भाविओ पच्छा । पावइ वायुट्ठाणं रस-खल-भेदे य कीरए तेण॥ होइ खलाओ मुत्तं वचं पित्तं च तिविह-मल-भेओ । रस-भेओ पुण भणिओ सो णियमा तीय सत्त-विहो । जो तत्थ रस-विसेसो रत्तं तं होइ लोहियं मासं । मासाओँ होइ मेओ मेयाओ अट्रिओ होंति ॥ 18 ___ अट्ठीओ पुणो मजा मज्जाओ होइ सुक्क-भावेण । सव्वं च तं असुइयं संभादी सुक्क-पज्जतं ॥ णह-दंत-कण्ण-णासिय-अच्छी-सल-सेय-सेंभ-वच्चाणं । असुई-घरं व सुंदरि भरियं राओ कहं होउ । असुईओ उप्पण्णं असुई उप्पजइ त्ति देहाओ। गम्भे व्व असुइ-वासे असुई मा वहसु सुइ-वार्य । उदु-काल-रुहिर-बिंदू-गर-सुक्क-समागमेण पारद्धं । कललव्वुद-दवादी-पेसी संबद्धए एवं ॥ बाल-कुमारय-जोव्वण-मज्झिम-थेरत्त-सम्व-भावेसु । मल-सेय-दुरहि-गंधं तम्हा असुई सरीरं तु ॥ उन्बट्टण-ण्हाण-विलेवणेहिँ तह सुरहिनांध-वासेहिं । सव्वेहि वि मिलिएहिं सुइत्तणं कत्थ तीरेज ।। सब्वाई पि इमाइं कुंकुम-कप्पूर-गंध-मल्लाई । ताव च्चिय सुइआईं जा देहं णेय पावेंति ॥ देहम्मि पुणो पत्ता खणेण मल-सेय-गंध-परिमिलिया। ओमालयं ति भण्णइ असुइत जति सम्वे वि॥ तम्हा असुइ सरीरं सुंदरि भावेसु जेण णिव्वेओ । उप्पजह तुह देहे लग्गसि धम्मम्मि णिण्णेहा ॥ चिंतेसु आसवाई पावारंभाई इंदियस्साई । फरिसिंदिय-रस-विवसा बहुए पुरिसा गया णिहर्ण ॥ फरिस-सुहामय-लुद्धा वेगसरी गेण्हए उ जा गभं । पसवण-समए स चिय भह दुख पावए घोरै ॥ बह-करिणी-कर-कोमल-फरिस-रसासाय-दिण्ण-रस-लोलो । बज्झइ वारीबंधे मत्त-गो फरिस-दोसेण ॥ इह लोए चिय दोसा परलोए होइ दुग्गई ताण । फासिं दिय-लुद्धाणं एत्तो जिभिदियं सुणसु॥ मय-हत्थि-देह-पविसण-रुंभण-वासोह-पत्त-उयहि-जले । जह मरद वायसो सो धावंतो दस-दिसं मूढो॥ हेमंत-थीण-घय-कुंभ-भक्खणे मूसओ जहोइण्णो। गिम्हम्मि विलीयते मरइ वराओ रसण-मूढो। 30 गोटासण्ण-महद्दह-वासी कुम्मो जहा सुवीसत्थो । रसणेदिय-लोल-मणो पच्छा मारिजइ वराभो॥ जह मास-पेसि-लुद्धो घेप्पइ सेणो झसो ग्व बडिसस्स । तह मारिजइ पुरिसो ममो य मह दोग्गई जाइ। घाणिदिए वि लुद्धो ओसहि-गंधम्मि बज्झए सप्यो । पललेण मूसओ वा तम्हा मा रज घाणम्मि ॥ 33 रूवेण पुणो पुरिसा बहुए णिहणं तु पाविया वरया । दीवेण पयंगो इव तम्हा रूवं पि बजेसु ॥ 1) P जायति, Pण for य, P अह for मह. 2) rinter. मज्झ & कोइ, P om. सयलो, 'सुयणो for सयणो,' सुवणो for ब्व परजणो, P बीओ for बिदिओ. 3) Pएग for एगत्तणार, P सुयणेसु, र पडिबद्धो P पडिबुद्धो, सुहं वि, पएसु. 4) P परजणेय रोसो, P भणइ जेण, Pएगंत. 5) सेंदों P संदियं. 6)J अयणं for अण्ण; J repeats after सासओ एत्थ ।।.. verse from above ण य परजणेसु रोसो etc. to चिंतए तेण and some other portion. 7) Pom. अणते. तीताणि, J अह अण्णो ताणं अणाईणि, P अहमने. 8) लोअंमि, पडीबद्धो Pपडिबंधो. 9) असती सरीरमेत्त, सरीरमेतं, वितियं, Pचितिइ for बियं, Pom. च तं. 10) Pअसुई भोयणमेत्तं असुती,J-संभूतअसइ, J जोण for जेण. 11) Pसंमेणं संभट्टागंमि, जो असुई । सो असुती. 12) P अंबरसंभाव, भावितो, P पावइ असुइट्ठाण, रसविलभेतेण कीरए. 13) Pमुत्तुं वचं, मलमाति for तिविहमलभेओ, Jom. a line रसभेमो पुण eto. 14) लोहिआ, मेज्जो मेताओ, P अहिए. 15) पणों मिज्जा मिज्जाओ, J सकसंवेण + मुकभावे. 16) J-मासिअ-, Poin. अच्छी, सेतसैभवचार, Pसेंत for सेंभ, P-घरर्य संदरि, Pराउ, P होइ. 17) P असुतीओ, J उप्पज्जति, P गम्भो, P-वासो असुती, J सुइवातं. 18) Pउवकाल, कललम्मदवहादी P करललंबुदब्वदादी. 1971 कुमार-, J पेरंत for येरत्त, गंधे. 20) सम्बेहि मि मिलिएहि मि, J मलेहि for मिलिएहिं. Pकुंकुर-, चिय असुइअई, P जावेहं...22) परिमलिआ. 23) Pom. जेण णिन्वेओ eto. to णिण्णेहा ।। चिंतेस, विरया for विवसा. 24)P इंदियस्सीई. 25) P सुरहामय, J वेगसरीरगेण्हए, तु for उ. 26) Pबहुकरिसरसायदिनारस, P बझति. महागओ. 27)P दुगगती. 28)P-वासोयपत्त, Pदसदिसि. 29) Pजहोइण्णा. 30) लोलमणो. 31)" घेप्पर सयणो, पटिसरस P बडियस्स, P वि for य. 32) तम्हा मारेज. 33) Pपुरिसो, पावया, पतंगो. Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३५४] कुवलयमाला सवर्णिदियम्मि लोला तित्तिरय-कवोय-हरिणमादीया । पार्वति अप्प-णिहणं तम्हा परिहरसु दूरेण ॥ एवं आसव-भावं सुंदरि भावेसु सम्व-भावेण । पडिरुद्ध-आसवो सो जेण जिभो मुच्चए तुरियं ॥ ३ चिंतेसु संवरं चिय महन्वए गुत्ति-समिइ-गुण-भावे । एएहि संवुतप्पा जीवो ण य बंधए पावं ॥ चिंतेसु णिजरं चिय णरए घोरम्मि तिरिय-मणुएसु । अवसस्स होइ दुक्ख पार्व पुण बंधए णिययं । जइ पुण सहामि एम्हि परीसहे भीसणे य उवसग्गे। ता मज्झ होइ धम्मो णिजरणं चेय कम्मस्स ॥ एहि च रम्मए च्चिय थोयं दुक्खं ति विसहिय एयं । मा णरय-तिरिय-मज्झे डहणकण-बंधण-सएहिं ॥ एवं चिंतेतीए परीसहोवहवेहि णो चलसि । धम्मम्मि घडसि तुरिय णिज्जरणं भावए एवं ॥ पंचत्थिकाय-मइयं पोग्गल-परिणाम-जीव-धम्मादी-। उप्पत्ति-णास-ठाणं इय लोग चिंतए मतिमं । ७ एवं चिंतेतस्स य लोए तत्तं च पेहमाणस्स । संजम-जोए बुद्धी होइ थिरा णाय-भावस्स । एसो अणादि-जीवो संसारो सागरो ब्व दुत्तारो। णर-तिरिय-देव-णारय-सएसु अह हिंडए जीवो ॥ मिच्छत्त-कम्म-मूढो कइया विण पावए जिणाणत्तिं । चिंतेसु दुलहत्तं जिणवर-धम्मस्स एयस्स ॥ 12 ३ ५३) एवं च भो सुरासुर-णरवरिंदा, मणिरह-कुमार तुम च णिसुणेसु । एवं च साहिए सयल-संसार-सहावे 12 समो भागय-पुव्व-बुद्धीए जाया अवगय-पेम्म-राय-महग्गहा जपिउं पयत्ता । तं णाहो तं सरणं तं चिय जणओ गुरू तुम देवो । पेम्म-महा-गह-गहिया जेण तए मोइया एहि ॥ 16 भणमाणी णिवडिया चलणेसु । मए वि भणिया 'सुंदरि, एरिसो संसार-सहावो किं कीरउ त्ति ता संपयं पितं कुणसु 16 जेण एरिसाणं संसार-दुक्खाणं भायण ण होसि' त्ति भणिए सुंदरीए भणियं । वा पसिय देव मज्झं आएसो को वि दिजउ असंकं । किं संपइ करणिज्ज किं वा सुकयं कर्य होइ॥ 18 ति भणिए मए भणियं । सुंदरि गंतूण धरं दिट्ठीए ठविऊण गुरुयण सयलं । जिणवर-कहियं धम्म पडिवजसु सव्व-भावेण ॥ पडिवजसु सम्मत्तं गेण्हसु य महब्वए तुम पंच । गुत्तीहिँ होसु गुत्ता चारित्ते होसु संजुत्ता ॥ A जाणेण कुणसु कजं सीलं पालेसु कुणसु तव-जोग । भावेसु भावणाओ इय कहिओ भगवया धम्मो॥ एवं काऊण तुमं सुंदरि कम्मेण विरहिया तुरियं । जत्थ ण जरा ण म तं सिद्धि पावसे अइर ॥ ति । एवं च भो मणिरह-कुमार, संबोहिया सा मए सुंदरी घरं गया । कओ वणिएण महसवो । पयहो य जयरे वाओ 2. 'महो कुमारेण पडिबोहिया एस' त्ति । ता भो भो मणिरह-कुमार, जो सुंदरि-जीवो सो तम्मि काले लद्ध-सम्मत्स-बीओ 24 मरिऊण माणभडो जाओ, पुणो य पउमसारो, पुणो कुवलयचंदो, पुणो वेरुलियप्पभो, पुणो एस मणिरह-कुमारो ति । जो उण सो वणियउत्त-जीवो सो इमं संसारं भमिऊण एस वणे वणमई जाओ ति। तुमं च दहण कह कह पि 7 जहा-णाणेण तुह उवरि पुव्व-जाई-णेहो जाओ' ति । ६३५४) एवं च भगवया सयल-जय-जंतु-जम्म-मरणासेस-वुत्तंत-सक्खिणा साहिए विण्णत्तं मणिरह-कुमारेण । 'भगवं, एवं णिमं, ता ण कर्ज मह इमिणा भव-सय-रह-घडी-सरिसेणं जम्म-जरा-मरण-णिरंतरेण संसार-वासेणं ति । 30 देसु मे सिव-सुह-सुहयं पवजा-महारयणं' ति भणमाणेण कयं पंच-मुट्टियं लोयं । दिक्खिनो भगवया मणिरह-कुमारो ति । 30 एयम्मि अवसरे पुच्छियं भगवया गोयम-गणहरेणं 'भगवं, संसारि-जीव-मझे को जीवो दुक्खिो ' त्ति । भगवया भणियं 'गोयम, सम्मादिट्ठी जीवो अविरओ य णिचं दुक्खिओ भणिओ। गोयमेण भणियं 'भगवं, केण उण कज्जेणं' ति। 23 भगवया भणियं । 27 33 1) सवणिदिअंपि लोला P सवणिदि लोला, तित्तिरय कवोतहरिणयादीया, Pतित्तरकाओयहरिण, P अप्पहणिणं प तम्हा परिहरसू. 2) सव्वहावेण. 3) JP तिय for चिय, P adds तुरियं before गुत्ति, J समिति, P समित्ति, J एतेहिं. 5)P होउ for होइ. 6) J अण्णे ब्व रंभई विय for एहि etc., P दहणं . 7) Pएवं च चिंतेंती परी', Jए for एवं. 8) परिमाणजीब, J धम्माती, P-ट्ठाणं, J लोअं. 10) P अणाइ, णावर for णारय, P आ for अह. 11) P दो for मूढो, । जिणाणं ति।. 12) P नरिंवारेंदा, J adds य after णरवरिंदा, मणिरहकुमार,J om. तुमं,Jom. च after एवं, P सयले,P -सहावो. 13) Pom. तो आगय-पुध eto. to एरिसो संसारसहावो before कि कीरउ. 15) Pom. तं before कुणसु. 16) Pएरिसारं, inter. भायणं ण, होमि. 17) Pसंकं for असंकं, कहं for कयं. 19)P पितीए for दिट्ठीए. 20) Pगुत्तीसु, P गुत्तो. 21) J तवजोअं. 22) P दूर for तुरियं, P तत्थ for जत्थ, P पावर, अइरा ॥ इति ।. 23) F om. च भो, Poin. य, र ततो for वाओ. 24) कुमारा जो सुंदरीजीओ, Padds सो before सुंदरि'. 25) I पउमप्पभो for पउमसारो, कुवलचंदो, P मणिरकुमारो. 26) वणियउत्तो P वणिउत्तः, Pom. इम, Pमयी for वणमई. 27) P जहाणेण, P-जाती-- 28) P यंम for जम्म, P-सक्खिणो. 29) Pमिर्म for णिमं, J भवसयरहघडो- P भवसायरअरहट्टघडी,. मरणे. 30) Pमि for मे, Pसिवसुयं. 31) Jadds पुणो before पुच्छिय, Jom. गोयम-, P-गणहरिणा, P संसारे जीवाण मज्झे जीवो. 32) Pगोयम संगमद्धिही अविरओ निचं, अविरतो, उ for उण. Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० उज्जोयणसूरिविरड्या [६३५४1 'जो होइ सम्मदिट्टी जाण णर-तिरिय-मणुय-वियणाओ। पेच्छइ पुरभो भीमं संसार-भयं च भावेह ॥ ___णय कुणा विरह-भावं संसार-विमोक्खणं स्वर्ण पि णरो। अणुहवह णरय-दुक्खं अणुदिण-व९त-संतावो ॥ 3 एएण कारणेणं अविरयओ सम्मदिट्टि-जीवो उ । सो दुक्खियाण दुहिओ गोयम अह भण्णइ जयम्मि । गणहारिणा भणियं 'भगवं, सुहियाण को जए सुहिओ' त्ति । भगवया भणियं ।। सुहियाण सो सुहिमओ सम्मट्टिी जयस्मि विरओ य । सेसा उण जे जीवा ते सव्वे दुविखया तस्स ॥ 8 गणहरेण भणिय 'भगवं, केण कजेण' । भगवया भणियं । 'जो होइ सम्मदिट्टी विरओ सब्वेसु पाव-जोगेसु । चित्तेण होइ सुद्धो ग य दुक्ख तस्स देहम्मि । जिणवयणे वहतो वट्टइ जह-भणिय-सुत्त-मग्गेण । अवणेइ पाव-कम्म णवयं च ण बंधए सो हु॥ संसार-महाजलहिं तरियं पिव मण्णए सुचित्तण । भत्ताणं पुण पत्तं सिद्धि-पुरि मण्णए सहसा॥ सारीरे वि हु दुक्खे पुव्व-कए णत्यि एत्य अण्णं तु । ण य भाविज्जइ तेहिं ण य दुक्खे माणसे तस्स ॥ इय गोयम जो विरओ सम्मादिट्ठी य संजयप्पाणो । सो सुहिओ जीवाणं मझे जीवो ण संदेहो ॥ भणियं च । 12 देव-लोगोवमं सोक्खं दुक्खं च भरओवमं । रयाणं अरयाणं च महाणिरय-सारिसं ॥ ति । एवं बहुयाई पहावागरण-सहस्साई कुणता भविय-सय-संबोह-कारए अदूर-ववाहिय-अंतरिय-सुहम-तीयाणागय-वट्ठमाण वुत्तताइं साहिऊणं समुढिओ भगवं सम्ब-जय-जीव-बंधवो महति-महावीर-वड्डमाण-जिणिंदयंदो ति। 18 ६३५५) ताव य उवगया णियय-ठाणेसु देव-दाणव-णरवरिंदा, अण्णे उण उप्पण्ण-धम्माणुराय-परमत्था अणुगया 15 सुरासुर-गुरुणो जिणवरिंदस्स । भगवं पिणिढविय-अट्ठकम्मद्ध-समुप्पण्ण-णाण-धरो विहरमाणो सावत्थिं पुरवरि संपत्तो। अण्णम्मि य दियहे समोसरिओ भगवं, तेणेय समवसरण-विरयणा कमेण समागया सुरासुर-मुणि-गणिंदा। णिग्गओ 18 सावत्थी-वत्थब्वओ राया रयणंगओ साहिउं च समाढत्तो संसार-महासागर-तीर-पारयं धम्म । एवं च साहिए सयले 18 ___ धम्मे जाणमाणेणावि अबुह-जण-बोहणत्थं पुच्छिओ भगवया गोयम-रिसिणा तित्थयरो त्ति । भणियं च तेण । सो चिय वञ्चइ णरयं सो चिय जीवो पयाइ पुण सग्गं । किं सो च्चिय तिरिएK सो चिय किं माणुसो होइ॥ A सो चेय होइ बहिरो अंधो सो चेय केण कम्मेण । होइ जडो मूओ वि हु पंगू अह ईसर-दरिदो । सो चिय जीवो पुरिसो सो चिय इत्थी गपुंसओ सो य । अप्पाऊ दीहाऊ होई अह दुम्मणो रूवी॥ केण व सुहओ जायइ केण व कम्मेण दूहवो होइ । केण व मेहा-जुत्तो दुम्मेहो कह रो होइ॥ 24 कह पंडियओ पुरिसो केण व कामेण होइ मुक्खत्तं । कह धीरो कह भीरू कह विजा णिप्फला तस्स ॥ केण व णासइ अत्थो कह वा संगलइ कह थिरो होइ । पुत्तो केण ण जीवइ केण व बहु-पुत्तो होइ ॥ जच्चंधो केण गरो केण व भुत्तं ण जिजइ णरस्स । केण व कुट्ठी खुजो कम्मेण केण व असत्तो।। ___ केण दरिदो पुरिसो केण व सुकएण ईसरो होइ । केण व रोगी जायइ रोग-विहूणो हवइ केण ॥ संसारो कह व थिरो केण व कम्मेण होइ संखित्तो। कह णिवडइ संसारे कह बद्धो मुच्चए जीवो ॥ सव्व-जय-जीव-बंधव सवण्णू सव्व-दसण-मुणिंद । सव्वं साहसु एवं कस्स व कम्मस्स कजमिण ॥ ६३५६) इमं च पुच्छिओ भगवं तियसिंद-सुंदरी-वंदिजमाण-चलणारविंद-जुयलो साहिउँ पयत्तो । अधि य। गोयम जे मे पुच्छसि प्रक्को जीवो इमाई सव्वाइं । पावेइ कम्म-वसओ जह तं कम्मं णिसामेसु ॥ जो मारओ जियाण अलिय मंतेइ पर-धणं हरइ । परदारं चिय वञ्चइ बहु-पाव-परिग्गहासत्तो॥ 33 चंडो माणस्थद्धो मायावी णिहरो खरो पावो । पिसुणो संगह-सीलो साहुणं जिंदओ अधमो॥ 1) Pसम्मदिट्ठी, P-वियणातो, भावेति. 2) कुणति विरतिः, P सइतावो for संतावो. 3) एतेण, अविरतओ। अविरओ, Pसंमदिट्ठी जो जीवो, तु for उ, गोतम, P जगंमि 1. 6) Pom. केण कजेण, Pया for भगवया. 7), संमदिट्ठी, जोएसु. 8) P वढंतो, भणित, P मग्गेणे, P बंधते साहू ॥. 9) सचित्तेण, P सित्तिपुरि. 10) P कए पत्य नत्थिन्नं तु, P माणसो. 11) गोतम सो विरतो संजमदिट्ठीय संजतप्पाणो ।, P समद्दिट्टी. 12) देवलोगोयम देवलोउवमं,' णरयोवर्म ।, रताण अरतार्ण च महाणरय सरिसं ।, -सरिसं. 13) सहस्साहि, ववहित P-ववह रिय for ववहिय, सुहमतीताणागत, P-तीताणागय. 14) महती, Pवद्धमाण. 15) P -हाणेसु. 16) जिणिदरस ।, P निट्ठबिए, P om. अट्ठ, P कम्मसमुप्पन्न,J -णाणवरो. 17) Pom, य, P तेणेव, P समोसरयणाकमेण, J विरयाणा-. 18) P“वत्थतुव्वओ, Pराया हरणंगओ साहिउं समाहा सागरतीर-,J साले for सयले. 19) P जीणमाणेणावि,ज्यबुह for अबुह, Poin. जण, P भगवं for भगवया, J गोतम, P om. गोयमरिसिणा तित्थयरो त्ति । मणिथं च तेण. 20/Jadds भयवं before सो चिय. om. सो चिय before जीवो, P पयाति. 21) Pसो चिय, सोचेभ कजेण ।, Pचेय केम्मेणं, Pमुओ, पंगू दोसो य सो जीवो. 22) होइ. 23) दृहओ, P होति. 24) Pपंडिओ य पुरिसो. P होइ दुक्खतं. 25) संमिलइ, P व for ण. 26)1 जिब्जए, J कुज्जो for खुज्जो, केण अवसत्तो. 27) केण व कंमेण दुबलो ईसरो होति ।. 28) P-संक्खित्तो, P बुद्धो for बद्धो. 30) Jadds वंदिs after वंदिजमाण. 311गोदम, om. पावेद, P निसामेह. 32) Pमारेओ. 33) माणी धट्टो मायाबी, गणिट्ठरक्खरो, P निंदिओ अहम्मो. Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३५६] कुवलयमाला आलप्पाल-पसंगी दुटो बुद्राएँ जो कयग्यो य । बह-दुक्ख-सोय-पउरे मरि णरयम्मि सो जाह। कजत्थी जो सेवइ मित्तं कय-कजो उज्झए सढो कूरो। पिसुगो मइ-दुम्मइओ तिरिओ सो होइ मरिऊण ॥ अजव-मद्दव-जुत्तो अकोहणो दोस-वजिओ सज्झो । ण र साधु-गुणेसु ठिओ मरि सो माणुसो होइ॥ तव-संजम-दाण-रओ पयईए मद्दवो किवालू य । गुरु-विणय-रओ णिचं मओ वि देवेसु सो जाइ । जो चवलो सढ-भावो माया-कवडेहिँ वंचए सुवणं । ण य कस्सइ वीसत्थो सो पुरिसो महिलिया होइ ॥ संतुट्टा सुविणीया य अजवा जा थिरा हवइ णिचं । सच्चं जंपइ महिला पुरिसो सा होइ मरिऊण ॥ आसं वराह पसुं वा जो लछइ वद्धियं पि हु करेइ । सो सव्वाण विहीणो णपुंसओ होइ लोगम्मि ॥ मारेइ णिहय-मणो जीवे परलोयं णेय मण्णए किंपि । अइ-संकिलिट्ठ-कम्मो अप्पाऊ सो भवे पुरिलो ॥ मारेह जो ण जीवे दयावरो अभप-दाण-परितुद्यो । दीहाऊ सो पुरिसो गोयम भणिओ ण संदेहो। देइ ण णिययं संतं दिण्ण हारेइ वारए देंतं । एएहिँ कम्मएहिं भोगेहि विवजओ होइ । सयणासण-वत्थं वा पत्तं भक्खं च पाणयं वा वि । हियएण देइ तुट्टो गोदम भोगी गरो होह ॥ भगुणो य गविओ च्चिय जिंदद रागी तवस्सिणो धीरे । माणी विडंबओ जो सो जायइ दुहवो पुरिसो॥ गुरु-देवय साधूणं विणय-परो संत-दसणीओ य । ण य के पि भणइ कडुयं सो पुरिसो जायए सुभगो॥ तव-णाण-गुण-समिद्धं भवमण्णइ किर ण-याणए एसो। मरिऊण सो अउण्णो दुम्मेहो जायए पुरिसो॥ जो पढइ सुगइ चिंतइ अण्णं पाढेइ देइ उवएसं । सुद-गुरु-भत्ती-जुत्तो मरिउं सो होइ मेहावी ॥ जो जंत-दंड-कस-रज-खग्ग-कोंतेहिँ कुणइ वियणाओ। सो पावो णिक्करुगो जायइ बहु-वेयणो पुरिसो ॥ जो सत्ते वियणत्ते मोयावइ बंधणाओ मरणाओ । कारुण्ण-दिण्ण-हियओ थोवा अह वेयणा तस्स ॥ मारेह खाह पियह य किं वा पढिएण किं व धम्मेण । एयं चिय चिंतेंतो मरिऊण काहलो होइ । जो उण गुरुयण-सेवी धम्माधम्माई जाणिउं महइ । सुय-देवय-गुरु-भत्तो मरि सो पंडिओ होइ ॥ विज्जा विण्णाणं वा मिच्छा-विणएण गेण्हिउँ पुरिसो। अवमण्णइ आयरियं सा विजा णिप्फला तस्स ॥ बहु मण्णइ आयरियं विणय-समग्गो गुणेहिं संजुत्तो। इय जा गहिया विजा सा सहला होइ लोगम्मि ॥ देमि त्ति ण देइ पुणो आसं काऊण कुणइ विमुहं जो । तस्स कयं पि हु णासइ गोयम पुरिसस्स अहमस्स ॥ जं जं इटुं लोए तं तं साहूण देइ सव्वं तु । थोवं पि मुणइ सुकयं तस्स कयं णो पणस्सेज ।। जो हरइ तस्स हिजइ ण हरद जो तस्स संचओ होइ । जो जं करेइ पावं विवरीयं तस्स तं होइ॥ पसु-पक्खि-मणूसाणं बाले जो विप्पउंजइ सकाम । सो अणवञ्चो जायइ अह जाओ तो विवजेज ॥ जो होइ दया-परमो बहु-पुत्तो गोदमा भवे पुरिसो। असुयं जो भणइ सुयं सो बहिरो जायए पुरिसो ॥ अद्दिढ़ चिय दिई जो किर भासेज कह वि मूढप्पा । जनधो सो जायह गोदम एएण कम्मेण ॥ जाइ-मउम्मत्त-मणो जीवे विक्किणइ जो कयग्यो य । सो इंदभूइ मरिउ दासत्तं वच्चए पुरिसो॥ जो उण चाई विणओणओ य चारित्त-गुण-सयाइण्णो । सो जण-सय-सम्माओ महिडिओ होइ लोगम्मि । जो वाहेइ णिसंसो छाउब्वायं च दुक्खियं जीयं । सीयंत-गत्त-संधि गोदम सो पंगुलो होइ॥ महु-धाय-अग्गि-दाहोदहणं जो कुणइ कस्सइ जियस्स । बालाराम-विणासो कुट्ठी सो जायए पुरिसो॥ गो-महिस-पसु करहं अइभारारोवणेण पीडेइ । एएण गवरि पावेण गोदमा सो भवे खुज्जो ॥ उच्छिमसुंदरयं पूहं जो देह अण्ण-पाणं तु । साहूण जाणमाणो भुत्तं पिण जीरए तस्स ॥ 24 7 33 1) J बुद्धीय, P वहुसोगदुक्खपउरे, P जायइ ।।. 2) Pउन्मए, मयगुम्मदओ. 3) उजुय for अज्जव, P दीस for दोस, साधुगणेसु, P सुट्ट for साधु, P ट्ठिओ. 4) P भद्दओ for मद्दवो, ' जायइ for जाइ. 5) Pसुथणो . 6) सुविणीता.. om. य, अज्ज विजा, J अस्थिरा for जा थिरा, P सो for सा. 7) आसवसहं, वुद्धिों for वद्धिय, सम्वाण णिहीणो' लोअम्मि. 8) Pom. जीवे. 9) गोदम. 10) एतेहिं, P कमेहि. 11) भत्तं च पाणियं, J देइ दुट्ठो, Pom. गोदम, P सोगी for भोगी. 12) अगुणे विगधिओ, Pधीरो।, मोणी for माणी, दूहगो. 13) P साहूर्ण, १ सुहओ. 15) सुयगुरु. 16) दण for दंड. 17) J थोआ. 18) P मारेयह, P खाह पीयह किं, rom. चिय. 21) " सफला, लोयंमि. 22) Pत्ति न देमि, . गोतम. 23) Pदेइ दवं तु, Pपणासेज्जा. 25) P माणुसाणं, विप्पयुंजर विप्पिउंजइ, P विवजेजा. 26) Pगोयमा, असुतं, सुतं. 27) अदिद, किर for चिय, P गोयम, Pएतेण. 28) मयुम्मत्तमणो Pमणीमत्तमाणो, विक्खिणइ, इंदभूती. 29) Pउण चादी विणओ य, I विणओणतो, उण for जण, P सयसमहमओ, लोयंमि. 30) सीतंत, P संधी गोयम. 31 -थात, P को for जो, " कस्स वि.32) पसू करभ, गोयम एसो. 33) Pउचिट्ठम', पूर्ति, पुवं for पूई, P भत्त for अण्ण, पिन जिज्जए. Jain Education Interational Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ उज्जोयणसूरिविरइया [६३५६लहु-हत्वदाएँ धुत्तो कूड-तुला-कूड-माण-भंडेगं । ववहरइ णियडि-बहुलो तस्सेगं हीरए अंग ॥ कुक्कड-तित्तिर-लावे सूयर-हरिणे य अहव सव्व-जिए । धारेइ णिच्च-कालं णिञ्चविग्गो हबइ भीरु॥ 3 ण य धम्मो ण य जीवो ण य पर-लोगो त्ति णेय कोइ रिसी। इय जो जपइ मूढो तस्स थिरो होइ संसारो ॥ 3 धम्मो वि अस्थि लोए अस्थि अधम्मो वि अस्थि सव्वण्णू । रिसिणो वि अस्थि एवं जो मण्णइ सो ण संसारी ॥ सम्मत्त-णाण-दसण-ति-गुहिँ इमेहिँ भूसिय-सरीरो । तरिऊण भव-समुदं सिद्धि-पुरिं पावए अइरा॥ 6. ६३५७) एवं च साहिए भगवया तियसिंद-सुरिंद-परिवंदिय-चलणारविंद-जुयलेण तो सब्वेहि मि कर-किसल- 8 यंजली-घडिय-भालवटेहिं भणियं तियसिंद-परिंद-पमुहेहिं । 'अहो, भगवया साहिओ सयल-जय-जंतु-जम्म-जरा-मरण अरहट्ट-घडी-परिवाडी-कारण-वित्थरो' ति । एत्यंतरम्मि समागओ पलंब-दीह-भुयप्फलिह-मणोहरो पिहल-वच्छत्थलं9 दोलमाण-मुत्ताहल-हार-रेहिरो बबुद्ध-कसिण-कंत-कोतल-कलावो गंडयल-विलसमाण-मणि-कुंडल-किरण-पडिप्फलंत-दिणयर- . कर-संघाओ, किं च बहुणा, वेलहल-ललिय-बाहू वच्छत्थल-रेहमाण-हारिल्लो । समवसरणे पविट्ठो देवकुमारो ब्व कोइ णरो॥ 12 तेण य 'जय जय' त्ति भणमाणेण ति-पयाहिणी-कओ भगवं छज्जीव-णिकाय-पिय-बंधवो जिणिंदो। पायवडणुट्टिएण भणियं 12 तेणं । 'भगवे, दिढे सुयमणुभूयं रयणी-मज्झम्मि जं मए अजं । तं साहसु किं सुमिण महिंदजालं व सच्च वा ॥' 16 भगवया भणियं । 'देवाणुपिया सव्वं सञ्चं ति जं तए दिटुं । जोगिंदयाल-कुहयं णरवर सुविण पि हु ण होइ॥' एवं च भणिय-मेते गुरुणा तक्खण चेय तुरिय-पय-णिक्खेवं णिग्गओ समवसरणाओ दिट्ठो य तिय-बलिय-वलंत-कुवलय18 दल-दीहराहिं दिहि-मालाहिं तियसिंदप्पमुहेहिं जण-समूहेहिं । एत्थंतरम्मि जाणमाणेणावि भगवया गणहारिणा पुच्छिओ 18 भगवं महावीरो । 'भगवं, को एस होज पुरिसो किं वा दिढे सुर्य व राईए । जं पुच्छइ मह साहसु किं सुमिणं होज सच्चं वा ॥' 21 इमम्मि य पुच्छिए सव्वेहिं सुरिंदप्पमुहेहिं भणियं 'भगवं, अम्हाणं पि अस्थि कोऊहलं, ता साहउ भगवं, करेउ । अणुग्गह' ति भणिय-मेत्ते गुरुणा भणियं । ३५८) 'अस्थि इओ णाइदूरे अरुणाभं णाम पुरवरं, जं च विस्थिण पि बहु-जण-संकुल, अणंत पि रम्मोववण24 पेरंतं, महंत पि फरिहा-वलय-मज्झ-संठियं, थिरं पि पवण-चंचल-धयवर्ड ति । तम्मि य णयरे रणगइंदो णाम राया। 24 सो य सूरो धीरो महुरो पञ्चलो दक्खो दक्खिण्णो दया-दाण-परायणो त्ति । तस्स य पुत्तो कामगइंदो णाम । सो य कामी काम-गय-मणो कामत्तो काम-राय-रह-रत्तो। कामेण कामिज्जइ काम-इंदो सहावेण ॥ 27 तस्स य बहूणं पि मज्झे महिलाण वल्लहा एका राय-दारिया पियंगुमदी णाम । अह अण्णरित दियहे रायपुत्तो य मजिय-जिमिय-विलित्तो महादेवीए सह मत्त-वारणए णिसण्णो आलोएंतो शयर-जण-विहव-विलासे अच्छिउं पयत्तो। तेण य तहा अच्छमाणेण एक्कम्मि वणिय-घरोवरि-कोहिमे एक्का वणिय-दारिया कुमारी कंदुव-कीला-वावडा दिट्ठा । तं च 30 दटूण चिंतियं कामगइंदेण । 'अहो, पेच्छ पेच्छ वणिय-धूयाए परिहस्थत्तणं । जेण __ता वलइ खलइ वेवइ सेय-जलं फुसइ बंधए लक्खं । सुरय-पडुय व्व बाला कंदुय-कीलाएँ बहती ॥ एवं पेच्छमाणस्स काम-महाराय-वसयस्स गुरुओ से अणुराओ समुप्पणो। अवि य । 23 होइ सुरुवे पेम्म होइ विरूवे वि कम्मि वि जणम्मि । मा होह रूव-मत्ता पेम्मस्त ण कारणं रूवं । 33 तओ पासट्टिय-महादेवीए बीहमाणेण कयं आयार-संवरणं । तीय य त सयं लक्खियं तस्स पेम्म-चित्तं । तो तस्स रायउत्तस्स तं झायंतस्स हियए उन्चेवो जाओ, ण य पुच्छिओ वि साहइ । पुणो तीए चिंतियं । 'किं पुण इमस्स 1) P हत्थयाइ धत्तो. 2) Pतित्तिलावे, P अहर for अह, P णिचं, P भवइ for हवइ. 3) P जीवो नयरलोगो. 4) P अहम्मो. 5) P सिद्धिपुरी. 6) P जुलेण, Pom. मि, ' करयंजली. 7) JP भालवढे हिं, J -प्पमुहेहिं, " मययल, Pom. जम्म. 8) P अरिहट्टघटी, P दीहरंतभुयफलिह, मणोहर. 9) Jom. हार, कुंतला-, Pगंडल, Pom. मणिकुंडलकिरण, P-परिफलंत. 11) P बाहुवच्छलरेहिमाणहारिरिल्लो, को विरो. 14) J सुतमणभूतं, Pतं कहयसु किंसु कि सुमिणं अदि दियालं व, 16) Pसुविणं मिहु. 17) P तक्खणं चिय, I om. य, P तिवलिय-. 18) P पमुहि हिं जणेहिं. 20) Pinter. एस. होज्ज, रातीए. 21) Pइमं पुच्छिए, अस्थि कुतूहलं, P साहह, P करेह. 22) P भयणियमेत्ते. 23) Jइतो, J अरणाहं, P पुरवं for पुरवर, P रम्मोववणा-. 24) Pरयणगइंदो, J om. धीरो. 25) Jom. दया. 26) P कामगयणो कामतो कामराया, कामगयंदो. 27) Pom. य, P पियंगुमती णामा, P रायउत्तो. 28) Pजिमियवलित्तो, P आलोयंतो णरजण. 29) P तह for तहा, J वणिदारिया. 30) P कामगयंदेण, वणिअधूताप, परिहत्थणं. 31) P पटुय. 33) P सुरूवपेम्म, P अकारणं for ण कारणं. 34) सयलं for सयं, P adds तं before पेम्म. 35) ज्झायंतस्स, P उब्बोओ, P साहहिइ, I तीय. Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३५९] कुवलयमाला २३३ 1 उब्वेय-कारणं होज । अहवा जाणियं मए सा चेय कंदुय-रमिरी वणिय-दुहिय त्ति । ता दे जवणेमि से उब्वेवं'ति । चिंतिऊण पियंगुमईए सहाविया तीय दारियाए माया । सा तीए भणिया 'रायउत्तस्स देसु धूदं' ति । तीय 3 वि दिण्णा, उबूढा य। तो तुट्टेण कामगईदेण भणिया महादेवी 'अहो, लक्खिओ तए भावो मम, ता भण 3 भण किं ते वरं देमि' । तीए भणियं 'जह सच्चं देसि, ता भणामि । तेण भणियं । 'भण णीसंकं, अवस्स देमि' त्ति भणिए, तीए भणियं । 8 'जं किंचि तुम पेच्छसि सुणेसि अणुहवसि एत्थ लोगम्मि । तं मज्झ तए सव्वं साहेयव्वं बरो एसो ॥' तेण भणियं 'एवं होउ' ति । तओ एवं च ताणं अच्छमाणाण अण्णम्मि दियहे समागओ एक्को चित्तयर-दारओ। तेण य पडे लिहिया समप्पिया चित्त-पुत्तलिया । सा य केरिसी । सयल-कला-कलाव-कुसल-जण-वण्णणिज्ज त्ति । तं च दहण भणियं कामगइंदेण 'अहो, सच्चं केणावि भणियं । त्रीण्येते नरकं यान्ति राजा चित्रकरः कविः।' 9 तेण भणियं 'देव, किं कारण' । राइणा भणियं ।। पुहईएँ जे ण दीसइ ण य होहिइ णेय तस्स सम्भावो । तं चेय कुणइ राया चित्तयरो कवियणो तइओ॥ 12 अलियस्स फलं णरयं मलियं च कुणति तिणि ते पुरिसा । वञ्चति तेण गरयं तिण्णि वि एए ण संदेहो ॥ तो चित्तयर-दारएण भणियं । 'देव, विण्णवेमि । राया होइ सततो वच्चउ गरयम्मि को णिवारेइ । जे चित्त-कला-कुसलो कई य अलिय पुणो एयं ॥ 16 सत्तीए कुणइ कव्वं दिट्ट व सुयं व अहव अणुभूयं । चित्त-कुसलो वि एवं दिढ चिय कुणइ चित्तम्मि ॥' ६३५९) भणियं कामगइंदेण। 'जइ दिटुं चित्तयरो अह रूवं कुणइ ता विरुद्धमिणं । कत्थ तए दिट्टमिण जे एवं चित्तियं पडए ।' 18 तेण भणिय 'णणु देव, दिहें मए लिहियमिणं' । राइणा भणियं 'कहिं ते दिटुं। तेण भणियं । उजेए राया अस्थि अवंति सि तस्स धूयाए । दट्टण इमं रूवं तइउ च्चिय विलिहियं एत्थ ॥' तं च सोऊण राया पुणरुत्तं पलोइडं पयत्तो जाव पेच्छा णिई पिव मण-णयण-हारिणी, तिलोत्तमं पिव अणिमिस21 दसणं, सत्तिं पिव हियय-दारण-पच्चलं, सग्गपुरि पिव बहु-पुण्ण-पावणिज, सुद्ध-पक्ख-पढम-चंदं पिव रेहा-विसुद्ध, महाराय-रज-वित्तिं पिव सुविभत्त-वण्ण-सोहिय, धरणि पिव ललिय-दीसंत-वत्तिणी-विरयग, विवणि मग पिव माण-जुत्तं, जिणाणं पिव सुपइट्टिय-अंगोवंग सुंदरि त्ति । अवि य। 24 मंतूण मयण-देहं मसिणं मुसुमूरिऊण अमएण । चित्त-कला-कुसलेणं लिहिया णूणं पयावइणा ॥ 24 तं च दद्रुण राया खणं थंभिओ इव झाण-गओ इव सेलमओ इव आसि । पुणो पुच्छियं 'महो एसा किं कुमारी'। तेण भणियं 'देव, कुमरी' । राइणा भणियं । 7 'भुमय-धणु-कालवट्ठा सिय-पम्हल-दीहरच्छि-बाणेहिं । मारेती भमइ जणं अहो कुमारी ण सा मारी।' 7 भणमाणो राया समुट्टिओ। कयं कायवं पुणो। दंसिया महादेवीए, भणियं च तेण 'सुंदरं होइ, जइ एसा कुमारी पाविजई' त्ति । पुणो मंतीहिं भणिय । 'देव, णियय-रूवं चित्तबडए लिहावेसु, तेणेय चित्तयरएण पुणो तं चेय पेसेसु तत्थ जेण 30 राय-धूया तं दट्टण सय चेय तं वरेहिइ' त्ति भणिए मतीहिं तं चेय णिरूवियं । लिहिओ कामगइंदो। णिग्गओ 30 चित्तयर-दारओ, संपत्तो उज्जयणीए, दंसिओ राय-दुहियाए, अभिरुइओ हिययस्स । साहियं रण्णो अवंतिस्स जहा 'अभिरुइओ इमीए पुरिसद्देसिणीए रायधूयाए कामगइंदो णाम रायउत्तो'। इमं च सोऊण अवंतिणा 'अहो, सुंदरं 33 जाय जं कत्थ वि चित्तस्स अभिरुई जाया' । दिण्णा तस्स । जायं वद्धावणयं । 'एहि परिणेसु' ति संदिट्ठो पयहो 33 1) P कंडुय, परमिणी. 2) P पियनुमतीए, J माता, ती for तीए, र भणिया उत्तस्स, P धूय ति. 3) Pom. one भण. 4) तीय, P om. भणियं, निरसकं. 5) तीय. 6) Pom. सुणेसि, लोअम्मि, J साहेतव्वं P सायवं. 7) एकओ for एको. 8) P पडिलेहिया, P om. कला, Pकुसला, Pवण्णणिज्जत्ति. 9) तृण्येते, यांति. 10) Pom. देव. 11) पुहईअ, Pinter. पुहईए & जं, होहिति, Pom. णेय, P adds होइ after तस्स, संभवो ( followed by जस्स written on the margin), चेव, P कइयणो. 12) F कुणंति नि त्ति पुरिसा, एते. 14) P होति, P वच्चर, adds वि after को. 15) P भत्तीए for सत्तीए, ' मुतं, अणुभूतं. 17) Pइह for अह, P विरुद्धमण. 18) P कई ति दिटुं. 19) Pinter. राया & अस्थि, धूताए, धूणइ # for धूयाए, Pom. दट्ठण इम, J तत्थ for एत्थ. 20) या for राया, पलोइतुं, P मणिरयणहारिणी, P अणमिस- 21Pसत्तं for सर्ति, P दारुण, I om. पक्ख. 22) Fसुवित्त, पि for पिव, J वत्तणी. 23) अंगोवंग अंगोवंगु. 24) Pइंतूण for भंतूण, P पयाविहिणा. 25) P ज्झाणगो. 27) P भुमर, P पत्तल for पम्हल, P वाणेणि । मारंदी, P कुमीरी. 29) "णियरूवं, Pचित्तपडए, P लेहाविय तेणय चित्तयरेण पुणो, P adds तं after जेण. 30) वरेहित्ति, P वरेहिति, चेय नियरूवं गहिओ कामगइंदो. 31)चित्तयरओ, P उज्जेणीए, माहिउं. 32) अहिरुइओ अभिरूविओं, रायधूताए. 33) F कत्थइ चित्तत्तस्स अभिरुती. 30 Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ उज्जोयणसूरिविरइया [६३५९1 कामगइंदो तं परिगेउं समं महादेवीए बबू-खंधावारेण य । इओ णाइदूरे समावासिओ। ताव य अत्थं गओ बहु- । जण समूहेक लोयणं सूरो। तओ राईए कय-कायब्व-वावारो खंधावार-जणो बहुओ पसुत्तो, को वि जामइल्लो, को ३ वि किं पि गायइ, अण्णो अण्णं किं पि कुणइ ति । एवं च राईए दुइए जामे पसुत्तो राया पल्लंके समं महादेवीए ३ जाव विउद्धो केण वि अउव्व-कोमल करयल-फरिसेणं, चिंतिउं च पयत्तो । 'अहो, एरिसो मए फरिसो ण भणुहूयपुवो त्ति । सव्वहा ण य कोइ इमं सामग्णं माणुस-फरिसं' ति चिंतयंतेण विहडियाई णियय-लोयणेदीवराई जाव पेच्छा 6 दुवे कुमारीओ पुरओ ठियाओ। ६३६०) केरिसाओ पुण ताओ। अवि य। एका रणत-णेउर-णच्चिर-चलणग्ग-रेहिर-पयारा । अण्णा णिहित्त-जावय-रस-राय-मिलत-कतिल्ला ॥ 9 एक्का कोमल-फयली-थंभोर-जुएण जियह तेलोकं । अण्णा करि-कर-मासल-लायण्णप्पीण-जंघिल्ला ॥ एक्का णियब-गरुई रणत-रसणा मणं वियारेइ । अण्णा पिहुल कडियला घोलिर-कंची-कलाविल्ला ॥ एक्का मउंद-मज्झा तिवलि-तरंगेण रेहरा सुयणू । अण्णा मुहिग्गेज्म अह मज्झं वहइ रहसेण ॥ 12 एक्का णाभी-वेढं महाणिहाणस्स वहइ वयणं व । अण्णा लायण्णामय-वावि-सरिच्छं समुन्वहइ । एक्का मालूर-थणी किंचि-समुब्भिण्ण-रोम-राइला । अण्णा कविट्ठ-सरिसा पयहर-जुवलेण रेहिल्ला ॥ __एक्का मुणाल-कोमल-बाहु-लया सहइ पल्लव-करिल्ला । अण्णा णव-लय-बाहा पउम-दलारत्त-पाणिला ॥ एका मियंक-बयणा रुइराहर-रेहमाण-वयणिल्ला । अण्णा सयवत्त-मुही कुवलय-दल-वियसमाणच्छी ॥ एक्का पियंगु-वण्णा रेहइ रयणेहिं भासरच्छाया । अण्णा वर-चामीयर-णिम्मविया णजए बाला ॥ इय पेच्छह णरणाहो संभम-कोऊहलेक तल्लिच्छो । दोण्हं पि ताण रूवं कामगइंदो रह-दिहीणं ॥ 18६३६१)चिंतियं च णरवणा । 'अहो किं होज रइ-दिहीओ किं सिरि-हिरि-रंभ-उठवसीओ ब्व । किं वा सावित्ति-सरस्सईओ अब्वो -याणामो ॥' हम च चिंतिऊण भणिय राइणा । अवि य । A 'किं माणुसीओ तुम्भे किं वा देवीओ किंगरीउ व्व । किं वा विजाहर-बालियाओं साह मह कोउयं एस्थ ॥' ताहिं भणियं । 'विजाहरीओ अम्हे तुह पास भागयाओ कजेणं । ता पसिय कुणसु कजं आसा-भंगो ण कायम्बो ॥' 4 राइणा भणिय । __'आसंघिऊण घरमागयाण पणईण कज-हिययाण । सुंदरि आसा-भंगो ण कओ म्ह कुलम्मि केणावि ॥' ताहिं भणिय। 27 'जइ ण कओ तुम्ह कुले आसा-भंगो कह पि पणईण । ता भणसु तिण्णि वयणे कजं तुम्हाण कायव्वं ॥' राइणा चिंतियं । 'ण-याणीयइ किं ममाओ इमे पत्थेहिति । अहवा जंण पणईण दिजइ भुजइ मित्तहिँ बंधु-वग्गेण । मा सत्तमम्मि वि कुले मा हो अम्हाण तं होउ ॥ 30 सत्तेण होइ रज लब्भति वि रोहणम्मि रयणाई । णवर ण कहिं पि कत्थ वि पाविजइ सजणो पणई ॥ विजाहर-बालाओ महुरा मुद्धाओ गुण-समिद्धाओ। कं पत्थेति इमाओ में चिय मोत्तण कय-पुण्णं ॥ ता जइ मग्गंति इमा धण-रज विहव-परियणं बंधु । सीसं व जीवियं वा तं चिय मे अज दायव्वं ॥ 33 ति चिंतयंतेण भणियं णरिंदेण 'सुंदरि इमं तुम्हेहिं भणियं जहा भणसु तिणि वयणे त्ति । अवि य। जइ पढम चिय वयणं होइ पमाणं णिरस्थया दोणि । महज पढम पमाणं णिरस्थय सेस-लक्ख पि॥ सम्वहा भणह तं कर्ज' ति 1)P कामगयंदो, P बधकंधावारो णीहरिओ णाइदूरे, I इतो, 2) Pरातीए, वउउ for बहुओ. 3) P अन्नं पि, P एवं रातीए, J सुत्तो for पसुत्तो. 4)विबुद्धो, उ फरिसेणं, फरिसो अणुभय- 5) Jom. य, P adds कि पि before इमं. माणसइरिसं, P लोवर्णिदीवराई. 6) Pपुरट्ठियाओ. 7) Jom. केरिसाओ पुण ताओ. 8) P-कुंतिहा. 9) Pजुयेण, जिणेइ for जिया, P मंसललायन्नापीण, I 'प्पील. 10) गरुइ, 'मयं for मण,P कलत्ता for कडियला. 11) 3-मज्जा, P तरंगेण रेदिरे अगा। अन्नाए मुद्रिगिज्झं,J अप्पज्जं for अहमज्झ, P inter. अहमशं. 12) Pणाहीवेद. 13) समत्तिण्ण Pसुभिन्न for समुभिण्ण, पयर for पयहर, Pपओहरजुवेण. 14) Pअण्णाण्णव, P-वाहो पउदलारत्त. 15)P रेहिमाण, P कुवलयदलयदलवियससमालच्छी ॥. 16) Pभासुरच्छाया. 17) P कामइंदो. 19) Pom. किं before सिरि, रंभउसीउच्च P रभव उव्वसीउ, P सावत्ति, Jadds सवत्ति after सावित्ति. 21) किं विज्जाहरवालिआ सोहह मह, P साहह मह. 24) Pरायणा. 25) P केलावि . 27) तुम्ह for अम्ह. 28) Pणताणियह कि ममाओ ममच्छेहि ति।. 29) P ज ण पणदीण दिजइ, P मित्तेण. 30) Pविराहणंमि, ता भण for गंवर ण, P ममं च for म चिय. 32) Jइमे (or इम) for इमा, P बंधू, P जीविसं वा. 33) P चिंतियतेण, तुम्मेहि, P तिणि वयणे. 34) Pom. ण पढमं. Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 15 भाजपा -६३६३] कुवलयमाला २३५ ६३६२) ताहिं भणियं । 'जह एव ता सुणसु । अस्थि इओ उत्तर-दिसा-भाए सब्ब-रयण-णिम्मिओ पज्झरंत- 1 __ कंचण-धाऊ-रसा पिंजर-कडएक-देसो दरि-मुह-रममाण-विजाहर-मिहुण-सुंदरो वाजिंदणील-मरगय-भूसिय-कडो सिद्ध3 भवणोवरि-विहण्ण-धवल-धयवड-रेहिरो णाणा-विह-पज्जलंत-दित्तोसही-सय-मंडिओ वेयड्डो णाम पव्वय-वरो । तत्थ 3 य दोणि सेढीओ, उत्तर-सेढी दाहिण-सेही य । तत्थ विज्जाहराणं णिवासो। तत्थ रायउत्त, उत्तर-सेढीए सुंदराणंदमंदिरं णाम णयरं । तं च कुमार, बहु-मंदिर-सुंदरं बहु-पुरिस-सेवियं बहु-महिलायण-मणहरं बहु-रयण-रेहिरं बहु-जलासय-परिगयं 6 बहु-कुसुमिओववणं, किं बहुणा, बहु-वयण-वण्णणिज-सरूवं । तत्थ य राया पुहइसुंदरो णाम, सो य बहु-वण्णणिजो। 6 तस्स य महिला महादेवी मेहला णाम । तीय धूया समुप्पण्णा, तीए णामं बिंदुमती । सा उण चउरा महुरा दक्खा दक्खिण्णा दयालू रूविणी सोहग्गंत-विण्णाण-णाणा-कला-कोसलेणं सव्वहा असरिसा पुहईए महिलायणेण बहु-वास9 कोडि-जीवणेहिं पि पंडिय-पढिय-पुरिसेहिं अलद्ध-गुण-समुद्द-पार त्ति । ता कुमार, किं बहुणा जंपिएणं, सा य १ पुरिसद्देसिणी जाया, रूव-विहव-विलास-पोरुस-माहप्प-जुत्ते वि णेच्छइ विजाहर-बालए । पुणो जोव्वण-वसं च वट्टमाणी गुरु-जणेण भणिया। 'अहो गेण्हसु सयंवरं भत्तारं कं पिजं पावसि' त्ति भणिया भमिउं समाढत्ता । तत्थेक्कम्मि 12 दियहे तीए भणियं 'हला वयसीओ, एहि, दाहिण-सेढी-दाहिण-संसिए उववणाभोए परिभमामो' त्ति । अम्हे वि 12 'एवं होउ' ति भणंतीओ समुप्पइयाओ धोय-खग्ग-णिम्मल गयणयलं, अवइण्णाओ य एक्कम्मि गिरि-वर-कुहर-काणण तरम्मि । तत्थ रममाणीहिं णिसुयं एक किण्णर-मिहुणयं गायंतं । तं च णिसामिऊण दिणं सविसेसं कणं जाव । 10 तेहिं गीया इमा गीदिया। अवि य। __ रूवेण जो अणंगउ संगय-वेसो जसेण लोयम्मि । कत्तो कामगइंदउ लब्भइ दटुं पि पुण्ण-रहिएहिं ॥ ६३६३) इमं च सोऊण पियसहीए भणियं 'हला हला पवणवेगे, पुच्छसु इमं किण्णर-जुवलं को एस, कत्थ 18 वा कामगइंदओ, जो तुम्हेहिं गीओ' ति । अहं पि 'जहाणवेसि' त्ति भणिऊण उवगया पुच्छियं च तं किण्णर-जुवलयं 18 'को एस कत्थ वा कामगइंदओ जो तुम्हेहिं गीओ' त्ति । तओ तीए किण्णरीषु भणियं । किं विजाहर-बाले सुसि कण्णेहि पेच्छसे किंचि । जइ सम्वमिणं सच्चं कामगइंदो कह ण सुओ ॥ मए भणियं। ___'तण्णाया सि वियड्ढा इमिणा परिहास-वित्थरेगेय । ता सहि साहसु मज्झं कामगइंदो कहिं होइ॥ तीए भणियं 'जइ तुह कामगइंदेणं कजं, ता पुच्छसु इम' ति। पुच्छिओ किण्णरो। तेण भणियं । 'अस्थि रयणाई १५ पुरं । तत्थ रणगइंदस्त पुत्तो कामगइंदो णामं । सो एरिसो जेण तस्स चरिय-णिबंधाई दुवई-खंड-थढ-जभेट्टिया-चित्त- 24 गाहा-रूवयाई संपयं सयल-किण्णर-पागेण गिजंति । इमं च सोऊण रायउत्त, णिवेइयं मए बिंदुमईए । तप्पभूई च सा केरिसा जाया । अवि य सरवरुत्तारिय ब्व कमलिणी, थल-गय व सफरुल्लिया, मोडिया इव वण-लया, उक्खुडिया 7 इव कुसुम-मंजरी, विउत्ता विव हंसिया, गह-गहिया इव चंदलेहिया, मंताया इव भुयंगिया, ण कुणइ आलेक्खयं, 27 ण गुणइ णट्टयं, ण मुणइ गीययं, ण पढइ वागरण, ण लिहइ अक्खराई, ण पेच्छइ पोत्थयं, ण वायइ वीणं, ण जवह विजं । केवलं मत्ता इव परायत्ता इव सुत्ता इव गह-गहिया इव मया विव भणिया वि ण भणइ, दिट्ठा वि ण 30 पेच्छइ, चलिया वि ण चलइ, णवरं पुण अकारणं वच्चइ, आलेखं णियच्छइ, अकजं कुणइ, णिहयं उट्ठइ, विभणं 30 उद्धाइ, अमणं झायइ, दुम्मणं गायइ, दीई णीससइ, सहियणं जिंदइ, परियणं जूरइ, गुरुयणं हसइ । किं च कइया वि हसइ, कहया वि रुवइ, कइया वि धावइ, कइया वि गाइ, कइया वि चलइ, कइया वि वलइ, कइया वि सुणइ । 33 कइया वि कणइ त्ति । किं च बहुणा । 33 1) सव्वरयदमणिचित्तो. 2) I धातूरसा धाओ रसो, P हरि for दरि, P वजंदनील, भूसियकडगु. 3). पिइण्ण for विइण्ण, P दित्तोसहि, सम for सय. 4) P राय for रायउत्त. 5) P महियणमणहरं. 6) कुसुमिउववयणं, repeats बहु, वन्नणिज्जं, पुहईसुंदरो, बहुदिअहवण्णणिज्जो. 7) Pमहिला for मेहला, J धूता. 8) Pom. दक्खिण्णा, सोहग्गरण्णविण्णाण, Pom. णाणा, P om. सचहा, J असरिस, P पुहतीए. ) Pपढिय, समुई. 10) Pमाप्प for माइप्प, P बालाए, Pom. च. 11) गुरुयणेण, I भणि भणिय for भणिया, P भत्ताई । किं पि, भणि for भमिउ, P तत्थेकंमि. 12) Pom. एहि दाहिणसेढी, P adds न before उववणा'. 13) P गयणयत्तं. 14) रममाणाहिं. 15) तेहि गीईया श्मा गीया।. 16) Pअणंगओ संसयवेसो, P कामगइंदो. 17) P पवणवेए, P किन्नरजलयं । सो एस. 18) P तुमेह, P भमिऊण गया, P जुवलयं । को एस कामगरंदो त्ति । तओ. 20) J बाला, P सुणेमु, P पेच्छसि, सुणमु for ण सुओ।।. 22) J वियड्ढो, P वित्थरेणय ।। 23) P कामगंदेण. 24) रणगरं इंदस्स, P जेणस्स चरिय निबद्धाई, P दुवइखंडवढतेहि य वित्तगाहा. 25) Jसयलकिण्णरयणे गिजा त्ति । सयले किन्नरगणगणेण, J बिंदुमतीए, J तप्पभूई च. 26) Padds य before केरिसा, P सरुवरत्तारिय, P वया for वणलया, उक्कडिया P उखुडिया. 27) Pom. विउत्ता, P मंतहया, Pकुणझ्यालक्खयं ण कुणइ. 28) P वायरण. 29) Pमत्ता विव, I परयत्ता, P पराइत्ता विव, मया इव. 30) Pom. पुण, P वच्चाइ, om. णियं उदइ, Pom. विभण उद्धाइ. 31Pउझायइ दुमणं, किं च कइया- 32) अs for रुवइ, Pद्धाइ for धावर, Pom. कश्या वि वलइ, J मुणे for सुगइ. 33) Pकर वि भणइ ति, Pom. च. . Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोगणसूरिविरहया I साव व नूर सोएण पारंगवा होइ भीय व्व सुदव-मुद्धा कामगईदस्स नामे ॥ वो मए जाणिदं इमाए कामगो वाही, कामगइंदो थिय ओसई । अविव । 3 जो फिर सुरंग को डंके अद तस्स दिजए महुरं एसा जगे पडती विसस्स बिसमोस दोइ ॥ त्ति चिंतयंतीए मए भणिया माणसवेगा इमा 'हला, इमीए कामगद्वंदो परं वेज्जो पियसहीए' । तत्तो कामगइंदो सि सहायण्णण केरिसा जावा । अवि य । २३६ · उकंड- दिण्ण-हियया कामगदस्य सुहय-संदेण खंडविय-कण्ण-वण- इस्थिणि ततो- मुदी जाया ॥ तमोमय-मंजु-महुरखराला ती पललं । नवि य 1 पिसह अस्थि विसेस इमिणा मंतेण मम य वाहिस्स । पीयक्खराई जं मे कामगहंदो त्ति ता भणसु ॥ 9 तम राउत, अम्हेहिं मंति हिषाणुकूलत्तणं कीरतीहिं विरइओ इमो अलियक्सरालावो मंतो अवि व ओं । सरलो सुहओ दाया दक्खो दयालु दक्खिण्णो । अवणेउ तुज्झ वाहिं कामगइंदो ति हुं साहा ॥ तो कुमार इमिणा व संत-गोत-किसणेण फेरिस जाया पियसही । भविव । 12 सुक्कोदय-तणु-खंजण- कडुयालय बलिय व्व सा सुहय । तुह सूर-गोत्त-किरणेहिं ताविया मरद व फुडंती ॥ तं च तारिसं दहूण द चिंतियं अम्हेहिं । सव्वहा, 27 [६३६३ कामगईद गरुड मंतेहिं जद् नवरं ॥ काम-भुगमटका अड्काय-विसोबत बिलंगी । धीरिज 15 इमं च चिंततीहिंसा भणिया 'पिवसहि, तुम अच्छसु अम्हे गंतॄण तत्थ जो सो कामगदो तं अब्भस्थिऊण इहाणेमो 15 जेण पियसहीए वाही अवणे' ति तीए सणिय-सणियं भणिवं । अवि य । " 30 'वच्चह दुवे वि वच्चह एक्को दूभो ण जाइ वेज-घरे । दाऊण वि णिय-जीयं करेह तह तं जहा एइ ॥' 1 18 तो इमं च वयणं सोऊन अम्हेहि 'वह' ति पडिवणं रानो एकग्मि विगड- गिरिवर- कुदर सिलावलम्मि निवि-चंदन- 18 कप्पतस्वर-साहाव्याहरए विरइओ सत्यरो सरस-सरोरुद्र-दहिं तत्य णिक्खिविण समुप्पइयाओ कुवलय भंवर-दणीलं गयणयलं । तओ कुमार, पेच्छंतीओ विविध-णगरागर-इ-गाम-तरु-गण- गोउल - जलासयं पुद्दईयले ति संपता य 21 इमं पए तो ज-याणिमो कत्थ सा जवरी जत्थ तुम होद्दिसि कत्थ वा तुमं पावेयव्यो ति । इमस्स व अत्यस्स 21 जाणणार्थ आहूया भगवई पण्णत्ती णाम विजा, विष्णविषा व 'सासु कत्थ उण कामगहंदो अम्देहिं दवो' चि भगवईयचि आणतं जहा 'एस अहो, संधावार-नियेसे संपर्क' ति । इमं च निसामिकण अम्हे भवइष्णाओ 24 संपदेवाय पियसीए जीविर्य' ति तो कामगईदेण चिंतियं 'अहो, अगस्या कामावस्था पराईए' | 24 भणियं च मए जहा 'अवरसं कर्ज तुम्हा का ति तिर्यतेण भणिये 'ता संपयं भणद को एत्थ उवाओ, जेण ए पिय-सही जीएज' । ताहिं भणियं । अवि य । 1 'एक पर उचानो काम करेणूए सुंदरं होज कामगद करालिद्दण-फरिस खुद्द - संगमोवानो ॥ तामा विलंब, उसु संपर्क जकड़ वि जीर्यति पेच्छसि पिचसहि अविव । तुम्हारा हुवद-जाळाला सा विलुडुंगी एलिय मे वेलं मुदा जह दुवरं जिय ॥' 9 12 ३५४) कामगईदेण भणिये 'जइ अवस्सं गंतव्वं ता साहेमि इमीए महादेवी' । तत्रो ताहिं भणियं 30 'रिसो तुम राया सब-णी कुसलो लोयं पालेसि जेण महिलाण रहस्वं साइसि किं ण सुनो ते जणम्मि एसो तक्ख पसिलोभो । नवि य । 27 for J 1) P बलइ for खलइ, P जूव 'जूरह, P सेएण for सोरण 2 ) P मे for मए मए for इमाए, P वही for वाही. 3) दंसे for डंके, उपयुक्ती 4 ) P चितयंतं, om. भए, इमाए for इमा, P वर for परं, P पियसहिए, तओ कामगइंद त्ति सहायण्णेण 6 ) P अव for सुहाय, P तडुट्ठियकन्न. 7) P मंजुर for मंजु. 8 ) J इमय P इमस्स for मम य (emended ), P बीइक्खराइ जं मि क्खामगइंदो, जम्मि for जं मे 9 ) Jom. कीरंतीहिं, अलिअक्खालावो, P क्खरलावो, ओ for. 10) JP दाता, JP दया उनओ for अवणे, वाही कामरंदो खाहा ॥ 12 मुखेदयत ) P सा सुया, फुरंती ॥ 16 ) P बाहिं, तीय, Pom. सणिय सनियं. 17 ) दूतो, P वेजहरे, करेसु. 19) P साहलयाहरए, Ptrans. सत्थरो after दलेहिं, P दलं for दलंतणीलं. 20) णगणअरा for नगरागरा P पुहतीयलं, P संपइत्ता इमं 21 ) Padds कत्थ व तुमं होहसि after तुमं दोहिसि, P व for वा, उपावेयब्व त्ति, Pom. य. 22 ) आहूता, P भगवती, Pom. कामगइंदो अम्देहिं दट्ठव्वो etc. to जीवियं ति । तओ. 24 ) वरातीए 25 ) जहावरसं, P तेण for चितयंते . 26 ) P पियसहीए, उ जीएज्जा. 27 ) P कामगई दक्खफल्लिहणफरिस 28 ) P जीयंती, पेच्छसि पेय सही 29 > विलुर्हती. 31) गीति P निती, किष्ण P तेन for किं ण. 32 तक्खा य preceded on the margin by पंचतं (in & later hand). . Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३६५] कुवलयमाला २३७ 1 'नीयमानः सुपर्णेन नागः पुण्डरिको ऽब्रवीत् । यः स्त्रीणां गुह्यमाख्याति तदन्तं तस्य जीवितम् ॥' ता मा साहसु णारीणं रहस्सं ति । तेण भणियं 'सञ्चमिणं, किंतु अत्थेत्य कारणं, कहिं पि कारणतरे तहा-तुटेण मए ३ बरो इमीए दिण्णो जहा 'ज किंचि सुविणं पि तं मम साहेयव्वं । मए 'तह' त्ति पडिवणं । ता एस महंतो वुत्तंतो। 3 विजाहर-लोय-गमणं अवस्सं एस साहेयम्वो' ति । ताहिं भणियं 'जइ एवं ता साहसु, किंतु अवस्सं गंतव्वं' ति। पडिबोहिया महादेवी । तीए साहियं सयलं वुत्ततं । 'ता दइए, संपय वञ्चामि अहं तत्थ' । तीए भणियं “जारिसं 6 चेय महाराइणो रोयह तारिसं चेय कुणउ, को पडिबंध कुणइ देवस्स । केवलं इमाओ दिवाओ विष्णवेमि'। 8 बद्ध-करयलंजलीए भणियं देवीए । अवि य । ___'विजाहरीओ तुब्भे देवीय व विष्णवेमि ता एकं । एसो तुझं णासो अप्पेजसु मज्झ दीणाए ॥' त्ति पडिया पाएसु । 'एवं होउ' ति भणमाणीहिं आरोविमो विमाणम्मि। उप्पइया तमाल-दल-सामलं गयणयलं। . देवी वि उप्पाडिय-फणि-मणि-रयणा इव फणा, उक्खुडिय-कुसुमा इव कुसुम-मंजरी, उड्डीण-हंसा इव णलिणिया, अचंदा इव रयणिया, दिणयर-कर-विरह-विओय-विमणा इव चक्काय-बालिय त्ति सुविण पिव, इंदयाल पिव, कुहयं 12 पिव, चक्खु-मोहणं पिव, परलोग पिव, दिटुं पिव णिसुयं पिव अणुहूयं पिव मण्णमाणी चिंति पयत्ता । 'कस्स 12 साहामि, किं भणामि, किं मा भणामि, किं करेमि, किं वा ण करेमि, कत्थ वञ्चामि, को एस वुत्तंतो, कहं गओ, किं गमओ, काओ ताओ, एरिसा मणुस्सा, विसमा विसयासा, भीसणो णेह-रक्खसो, रोदो विरह-भुयंगमो, एरिसाओ 16 कवड-बहल-पत्तल-दल-समिद्धाओ होंति महिलाओ महाविस-वल्लीओ त्ति । अवि य । किं होज इमं सुमिणं दिट्री-मोहं व किं व अण्णं वा । कइया पुण पेच्छामो अवहरिओ माएँ देवीहिं ।' ३६५) जाव य इमाई अण्णाणि महादेवी विइंतेह नाव य थोवावसेसिया रयणी जाया। अवि य । 18 जह जह झिज्जइ रयणी दइय-विउत्ता वि मुद्धड-कवोला। तह तह झिज्जइ देवी गयण-मुह-दिण्ण-दिट्ठीया ॥ 18 तओ एवं च गयणंगण-दिण्ण-णीलुप्पल-दल-सरिस-दीहर-दिट्ठीए दिटुं देवीए विमाणं । तओ णलिणी-वण-दसणेण व रायहंसिया, अहिणव-जलय-वंद-हरिसेण व बरहिण-वालिया, अवर-सरवर-तीरागमेण व रईगस्स रहंगिय त्ति । तं पेच्छमाणीए भोवइयंतम्मि पएसंतरम्मि दिट्ठाओ ताओ सुंदरीओ कामगइंदो य, ओइण्णो विमाणाओ, णिसण्णो सयणवढे | A भणियं ताहि विजाहरीहिं । अवि य । _ 'देवि इमो ते दइओ णिक्खेवो अम्ह जो तए णिहिओ। एस सहत्थेणं चिय पणामिमो मा हु कुप्पेज ॥' 2" ति भणतीओ समुप्पइयाओ धोय-खग्ग-सामलं गयण-मग्गं । राया घि दिट्ठो देवीए भणहय-सरीरो। तमो किं सो किं 24 वा अण्णो त्ति चिंतयंतीए पुलइयाई असाहारणाई लक्खण-बंजणाई जाव जाणियं सो चेय इमो त्ति । चिंतियं च देवीए। 'संपर्य एस दीण-विमणो विव लक्खीयइ' ति । 'ता किं पुच्छामि । महवा दे पुच्छामि' ति चिंतयंतीए पायवडणुट्टियाए भ सविणयं पुच्छिभो कामगइंदो। 'देव, भणह कई तस्थ तुमं गमओ, कई वा पत्तो, किं वा दिहें, किं वा अणुहूर्य, कहं वा सा 27 विजाहरी पाविया । बहु-कोऊहल-संकुलो य विजाहर-लोभो, ता पसीय सव्वं साह मज्ज्ञ ति भणिए राया साहिलं समाढत्तो । अस्थि इभो समुप्पइया अम्हे मुसुमूरियं जण-पुंज-सच्छमं गयणयलं । तो देवि, अउन्व-णयल-बामण-रहस30 पसरमाण-गमणुच्छाहो विमाणारूढो गंतु पयत्तो । तमो इमम्मि सरय-काले राईए गयणयल-गमण-वेएणं किंचि 30 दीसिउं पयतं । अवि य । 1) नीयमानो सुवर्णेन राजा नागाधिपो नवीत्, J सुपर्णेन, तदंतं जीवितमिति. 2) Padds मि after कारणं, I om. कहि पि, P कारणे for कारणंतरे, I om. तहा-- 3) दिण्णो तहा जं किं पि सुविण मि तं. 5) तीय, I inter. साहियं & सयलं, तावइए, 'तीय, 6)P च for चेय, P को वि पडिबंध, J करेइ for कुणइ, P om. दिवाओ. 7) करयंजलीए. 8) देवीसु व, मित्थं for एक, P उप्पेजसु. 9) आरोवितो, P आरोविओ माणमि. 10) Jहणा for फणा, P उक्खडिया इव, I om. कुसुम. 11) P रयणीय, Pom. विओय, I om. कुहयं पिव, P repeats कुहयं पिव. 12) I चक्खुम्मोहणं, चिंतयं पयत्ता. 13) कं भणामि कण्ण भणामि, P adds वा before करेमि, Jom. किंवा ण करेमि, किच्छ वा न करिमि. 14) Pजओ for काओ. 15) Pवह for बहल, P-वेल्लीओ. 16) मोहं व किण्णमण्णं वा।, P कइया उण, माय, देवेहि. 17) Pइमाणि, महादेवी ति चिंतेइ. 18) Pom. one जह, विसुत्ता, Pom. one तह, P गय से मुह. 19) P om. दल,' दिट्ठिआ. 20) Pरायहंसीया, P हरिसेणेव, P तीरागमेणे, Pom. रहंगस्स, Pom. तं, पेच्छमाणीय. 21) P ओवयंतंमि,' adds य after दिट्ठाओ, J om. सुंदरीओ, P निसण्णा सयणे निविट्ठो। भणिय. 23) Jए for ते, लिहिओ।. 24), अणहसरीरो. 25) P पुलोइयाई, Pom. जाव, P जाणिउ, चेय P विय. 26) Jom. पायवडणुट्टियाए. 27) Pom. सविणर्य, र भण आव for भणह, P कत्थ for कहं तत्थ, J अणुहूतं, P कहिं for कह. 28) Pबहू, य जाहरलोआ ता पसिय. 29) Jइतो for इओ, मुसुमूरियं जसच्छम. 30) किंच दीसिई. Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ 1 3 ३६६) तो सरय-समय- ससि दोसिणा फेरिसा मए विषप्पिया हियएर्ण अवि य ब व धरणिदर-सिदरेसु वित्थारिज्जइ व जल-तरंगेसु, हसइ व कास-कुसुमेसु, अंदोलह व धयवडेसु, णिसम्मइ व धवल-घरेसु, पसरइ व जालधाव व वेळापदेसु, वग्ग व समुद्र-कहोलेसु निवड व ससिमणि-मय घडिय पणाल-णाल मुणामय-ज 9 वत्ति । भवि य । 12 उज्जोयणसूरिविरइया गण-सरे तारा-कु-मंडिए दो सिणा मलुप्पीले सेवा पिव तिमिरं ससिहं सो सहह भमिका ॥ गिरि-रुक्ख-सणाहाणं गामाणं मंदिराहूँ दीसंति । जोण्हा जलद्दर पडिपेल्लियाइँ कीडोयराई च ॥ कास- कुसुमेहिं पुई गयणं ताराहि दसद्द अण्णोष्णं दद्दूण सराई पुणो कुमुपर्हि समं प‌सियाई ॥ जायमि अडरते णलिणी-महिलायगे पसुत्तम्मि । फुल-तरूहिं हसिज्जद्द जलेण सह संगया जोन्हा ॥ तेल्लोक-मंथणीए जोण्हा तक्केण अद्व-भरियाए । दीसंति महिहरिंदा देवि किलाड व्व तरमाणा ॥ 1 16 18 कामईंद गईं दो एसो रण्णम्मि पेच्छसु पसुत्तो । कामि स्व करिणि- कुंभत्थलम्मि हत्थे णिमेऊण ॥ पेच्छ कुए समर्थ द इसमाणित व ताराको सस-छजेण महल करे मुद्र-मण्डले चंदो ॥ धवल - सुरहीण वंद्र गोहंगणयम्मि पेच्छ पासुतं । रे अणिया-छिण्णं पिव सेरीसि-सिरं पिहु-पिडम्म ॥ एवं पिपेच्छ वरं जामय पूरंत संख-घोराहि सु पिच पसंत-कलकलारावं ॥ एवं च पेच्छ गोई अविभाब-मंडली बंधे रासय सरस-साला लावल-कलवारावं ॥ जोहा - चंदण-परिधूसराओं चक्काय-सह- हुंकारा । किं विरहे किं सुरए पेच्छसु एयाओं सरियाओं ॥ एसो वचद दो तारा-महिला पण इमे पेनुं त्याहो व सरहर्स अवर-समुदस्य तिरथेसु ॥ एवं जातानो वर्धतीनो पम्मि सोति ता पत्ता पूर्ण दद्द तं ताण भावासं ॥ तोच मिक-कर-च्छण महादेव गिरिवरं भणियं साहिं विजाहर बाहियाहिं अधिव एसो बेय-गिरी एस णियंवो इमो वणाभोभो । एसो सो धवल संपत्ता सक्ख महे ॥' ति भगतीलो पविद्वानो तम्मि विषट-गिरि-गुदा-भवण-दारम्मि दिप मणि-पई-पवलं तुजविष दिसिय भवणोवरं । तत्थ य णलिणी-दल- सिसिर-सत्थरे णिवण्णा दिट्ठा सा विज्जाहर-राय-कुमारिया । केरिसा उण दइए । अवि य । कोमल-मुगाला चंदन- कप्पूर-रेणु-धवलेगी। कयली- पत्तोच्छवा कावालिनिय व सा बाला ॥ 21 1 24 इय बहु-तरुवर - जोहा - गिरि-चंद-सराइँ पेच्छमाणो है । वच्चामि देवि देवो व्व सरहसं गयण-मग्गेण ॥ पुणो ताभ कुमारियाओ भणिउं पयत्ताओ । अवि य । [8] ३६५ हा देव हा हा हा पिय-सहि हा हये महाकडे हा कामगर्हद इमा पेच्छ सही केरिसा जाया ॥ तो दइए, अहं पितं तारिसं पेच्छतो गरुय-मण्णु-थंभिजमाण - बाहुप्पीलो 'हा किमेयं' ति ससंभ्रमं जंपतो पलोइउं www. रोसव, रासव सारइस 1) P मंडिदोसिणी-, J सो अहह असिऊण ॥, P हसति for सहइ. 2) जलयर, कीडोअराइं P खीरोअरा. 3)P कासवकुसमेहिं, P पुणो कुमरेण समं पहसिंह 5 ) P महहरिंदा लोणियपिंड व्व तर माणा. 6 ) J दोसिणा 7 ) Pom. कासकुसुमेसु, अंदोलइ व, P धवलद्दरेसु, P वेलायलेसु. 10) णहतरुवर P बहुतरयर, Pom. व्व. 12) P कामगइंदो, करणि-, P मिमिकणा. 13 ) P पेच्छसु for पेच्छ, P समं for समयं, P ससि - 14 ) P गोटुंगयणंमि, P रे यणआ, P सिरीसि for सेरीसि, P पिडंति. 15 ) P णर्य for णयरं, पलंत for पसंत, P जलकलारावं. 16 ) 17 Jकाओ, P य इमाओ for एयाओ 18 ) P सत्थाउ for अत्थादो 19 ) Pom. च, P सहिति । 20 Jinter. वेयड्ड & महा. 21 वणाहोउ. 22 ) Jom. त्ति, P -हरण for भवण, P दिसायकं भवणोयरं. 23 ) Pom. य, P विवण्णो for णिवण्णा. Pदए for दइए 24 ) P करली. 25 ) Jom तारिसं, J om. ताओ. 26 ) P उट्ठेह लहुं. 27 ) Pण वलंति तओ अंगवाई, P inter. झत्ति तओ, सासं काहि. 28 ) P दिट्ठार्य, P कंदोट्ठ, संभंताई, Jom. ण, Pom. . 29 ) P हा हा हिन्ति, P तं for णिहितं. 30 J सम्वर मिणिप्फरा सीअलिहूआई, Pom. मि, P णपुराएं, P repeats सीअलीहूआई, P घाहा for घाहावियं, P बालियाई P दव्व for देब्व, J हा इयम्ह हा कट्टु, P कामबंद इहं पेच्छ इमा केरिसा. 32 ) 3 - स्थभिज्जमाण. 31 12 I I 27 ९३६७) तभो तं च तारिसं दट्ठण सहरिसं उवगयाओ ताओ बालाओ । भणियं च ताहिं । अवि य । 'पिय- सहि उट्ठेसु लहुं लग्गसु कंठम्मिं एस तुह दइभो । संपत्तो अह भवणं जं कायव्वं तयं कुणसु 27 एवं भणमाणीर्ति अवणीवाई वाई गडिगी-दलाई पेच्छति जान ण चलति अंगाई तमो शति ससंकाहिं पुलयाई यणाई जाव दिट्ठाई मउलायमाण-कंदोह सच्छमाई । ताई व दट्ठण संभंताहिं दिष्णं हियए कर पल्लवं जाव ण फुरइ तं । तो हा हा ह भितीहि णिद्दिवं वयण-पंक कर जायस ऊसासो परासियाई सबलाई मम्मट्ठाणाई । 30 सम्वाइँ मिणिकुराई सीयलीहूयाई ति । तओ दइए, तं च पेच्छिऊण ताहिं धाहावियं विज्जाहर बालियाहिं । अवि य । 30 15 18 21 24 . Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -३६६] कुवलयमाला । पयत्तो जाव पेच्छामि चंदग-पंक-समलं शिञ्चलंगी विणिमीलिय-लोयण णिञ्चलंगोवंग · दंत-विणिम्मियं पिव वाउल्लिय ति।। ता दइए, सं च तारिसं दट्टण मए वि भणियं । अवि य । ४ हा मह दइए हा हा बाले हा अयाणुए मुद्धे । हा मह विरह-विवण्णे हा देव ण एरिसं जुत्तं ।। ति भणमाणो मोहमुवगओ खणं च विबुद्धो णिसुणेमि ताण विलावे । अवि य । हा पियसहि कीस तुम पडिवयणं णेय देसि अम्हाणं । कि कुवियासि किसोवरि अइ-चिर-वेला कया जेण ॥ 6 किं वा पियसहि कुविया जं तं अम्हाहिँ णिय-मणाहिं । हा एकिय त्ति मुक्का तुमए चिय पेसिया भम्हे ॥ हा देव " ए जुत्तं तं सि मणूसो जयम्मि पयडयरो । एसा महिला बाला एक्का कह परिहयं कुणसि ॥ हा हा तिहुयण-कामिण-जण-मण-वासम्मि दूर-दुल्ललिया । काम ण जुज्जह तुम्हें अबलं एयाइणी इंतुं ।। वहसि मुह चिय चावं हा णिजिय-तिहुयणेक-खंभ व । हा त सब्ब-जसं चिय धिरत्थु तुह अवगयं एहि ॥ पिय-सहि कामगइंदो एसो सो पाविओ घरं एहि । एयस्त कुणसु सयलं जे कायव्वं तयं सुयणु ॥ जो किंणरेहिँ गीओ पिय-सहि एस म्ह अच्छइ सहीणो । तुमए चिय पेसविया जस्स कए एस सो पत्तो॥ 12 भणतीमो मोहमुवगयाओ। तओ खग च मए णव-कयली-दल-मारुएण आसासियाओ पुणो भणिउं समाढत्ताओ। भवि य । 12 हा देव कत्थ संपइ किं काहं कत्थ वञ्चिमो कहय । को वा सरण होहिइ किमुत्तरं राइणो साहं ॥ ६३६८) एवं च भणमाणाओ पुणो पुणो से परामुसंति ते कोमल-मुणाल-सीयल अंगं । भणियं च ताहि । 10 कामगईद इमा सा जा तुह अम्हेहि साहिया बाला। एसा तुह विरहाणल-करालिया जीविय-विमुक्का ॥ 16 ता संपइ साह तुम का अम्ह गई कई व किं काहं । किंचुत्तरं व दाहं जणणी-जणयाण से एहि ॥ इमं दइए, सोऊण महं पि महंत उव्वेय-कारणं जाय । ण-याणामि किं करेमि, किं वा ण करेमि, किमुत्तरं देमि, किं वा 18 भणामि, विलक्खो विव भिमओ इव मोहिमओ विव परायत्तो इव, सब्बहा इंदयाल पिव मोहण पिव कुहयं पिव दिव्वं पिव 18 माया-रमणं पिव पडिहायइ ति । तह विमए भणियं ___ 'अवो -याणिमो चिय किं करणिज ति एत्थ अम्हेहिं । तुब्भे च्चिय तं जाणहु इमस्स कालस्स जं जोगं ।' जाव य एस एत्तिओ उल्लावो ताव य, अरुण-कर-भासुरंगो दस-दिसणासंत-तम-महामहिसो। णहयल-वणम्मि दइए सूर-मइंदो किलोइण्णो ॥ संच दट्टण पण?-राम-वंदं दिणयरं भणियं ताहिं बालियाहिं 'रायउत्त, पभाया रयणी, उग्गओ कमलिणी-रहंगणा-पिय24 पणइणी-पसंग-संसग्ग-पत्तटो सूरो, ताजं करेयध्वं तं करेमो' त्ति । मए भणियं किमेत्थ करणीयं ।' ताहिं भणिय 'मग्गि- 24 सकारो' ति । मए भणिय । ‘एवं होउ' त्ति भणिए आहरियाई चंदण-लवंग-सुरदारु-कप्पूर-रुक्खागुरु-सुक्खाई दारुयाई । रहया य महाचिती । पक्खित्ता य सा महागइंद-दंत-घडिय ब्व वाउल्लिया विजाहर-बालिया। दिण्णो य अभिणवुग्गय7 दिणयर-कर-पुंज-पिंजरो जलणो। डज्झिउं च समाढत्ता जलण-जालावली-करालिजंतावयवा सा बालिय त्ति । तओ तंच दहण 'हा पियसहि' ति भणतीओ मोहमुवगयाओ बालियाओ। अहं पिताओ समासासि पयसो । समासस्थामो य विलविउ पयत्ताओ । अवि य।। 30 हा पियसहि हा बाले हा मुद्धे हा वयंसि हा सोम्मे । हा विंदुमई सुहए हा पिउणो वलहे तं सि ॥ तुज्य ण जुज्जइ एयं अम्हे मोतूण जे गया एका । अम्हेहि विणा एका कत्थ व तं पवसिया भहे। बच्चामो कस्स घरं अहव गया णाम किं व पेच्छामो । किं उत्तरं च दाई बिंदुमई कत्थ पुच्छाए । 33 ता पियसहि अम्हाणं किमेत्थ जीएण दुक्ख-तविएण । तुमए च्चिय सह-गमणं जुजइ मुद्धे यासाण ॥ 30 1)P-पंकफलसंगी विणिमी, समलं or ससलं,J णिच्चलंगि वणिमीलियलोअणं णिच्चलं अंगोवंगं दंतविणि मिश्र, P वाउलिय त्ति. ३)P हा हा मइए हा हा. 4) Jom. ति, Pमोहमवगओ. 5) F नय for णेय, P किसोयरि, P-वेला कयं तेण 1. 7) तुह for ए, Pएस महिला, Pएको, परिहवं. 8) कामिणि, एआए णिहणं तु ॥. 9) Pणिज्जय, P खंम्मे ब्व. 10) Padds पियसहि कामगइंदो before एयस्स, P तए for तयं. 11) JP किण्ण्णरेहिं, Pज for जस्स. 12) कयलि, P आसासिओ समाढत्त. 13) वञ्चिमे, JP होहिति, Pom.से. 14) P पुरामुसति. 15) विरहानल. 16) Pगती, किं उत्तरं, ३ एहिं for एहि. 17) Pमहंतं पि महं उन्वेय, Jom. महंत, Jणयरेमि, Jom. वा. 18) Pइव for विव, परयत्तो, Pइंदजालं, P पिव देव्यं. 19) Jom. मायारमण पित्र, P पि for पिन, J पडिहायदि त्ति. 20) Pom. अब्बो ण-याणिमो etc. ताहिं बालियाहि, J कालस्स जो जगं. 24) Pतो for ता, किमत्थ. 25) झाहविझाई, P आहारयाई for आहरियाई (emended), J कप्परुक्खागुरु, P रुकवागभासुक्काइ दारुयाई. 26) Pमहा चिंता ।, J बाहुल्लिआ,Jom. विज्जाहर बालिया, " अहिणवुग्गय. 27) Pom. च, P जलणजावली, Pom. तंच. 28) Jom. बालियाओ, P समासथिओ. 29)P विलंबिउं. 30) Pहा सोमे।, P बिदुमती.31) Jआसि for भदे. 32) Jadds a before घर, Pणामं च पेच्छामो, किमुत्तर P किं वुत्तरं, Pबिंदुमई. 33) अम्हाहिं, P किमत्थ, 1 जुज्जइ मद्धए गयासाणं. Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० उज्जोयणसूरिविरइया [६३६८इमं च पलवंतीमो झत्ति तम्मि चेय चिताणलम्मि पविट्ठाओ। तं च दट्टण ससंभमो हं 'मा साहसं, मा साहसं' ति । भगतो पहाइओ जाव खर-पवण-जलण-जालावली-विलुट्ठाओ मटि-सेसाओ। तं च दहण अहं पिपहओ इव महामोह-मोग्गरेणं, ३ भिण्णो इव महासोय-कोंतेण, परद्धो इव महापाव-पव्वएण चिंतिउं समाढत्तो । 'अहो, पेच्छिहिसि मह विहि-विहियत्तणस्स, ३ जेण पेच्छ ममं चेय अणुराय-जलण-जालावली-विलुहा विवण्णा बिंदुमई, तीए चेय मरण-दुक्ख-संतत्त-मणामओ इमामो वि बालाओ जलणे पविट्ठाओ । ता मए वि किमेरिसेणं इत्थी-वज्झा-कलंक-कलुसेण जीविएण । इमम्मि चेय चियाणले अहं पि 6 पविसामि' ति चिंतयंतस्स तेण गयणंगण-पहेण विज्जाहर-जुवलयं वोलिडं पयत्तं । तमो भणियं तीए विज्जाहरीए 6 'पिययम, पेच्छ पेच्छ, मह एरिसा मणुस्सा णिक्करुणा राणिरासंसा। जेणं उज्झइ दइया एसो उण एस पासत्थो । ६३६९) विजाहरेण भणियं । 'दइए, मा एवं भण । मवि य । महिलाण एस धम्मो मयम्मि दहए मरंति ता वस्सं । जेण पढिजह सत्थे भत्तारो ताण देवो ति॥ एस पुरिसाण पुरिसो होइ वियड्डो य सत्त-संपण्णो। जो ण विमुचइ जीयं कायर-महिलाण चरिएण॥ 12 जुजह महिलाण इमं मयम्मि दइयम्मि मारिओ अप्पा । महिलरथे पुरिसाण अप्प-वहो णिदिओ सत्थे ।' त्ति भणतं वोलीणं तं विजाहर-जुवलयं । मए विचिंतियं 'अहो, संपयं चेय भणियं इमिणा विज्जाहरेण जहा | जुजह पुरिसस्स महिलस्थे अत्ताण परिचइडं। ता किंदिय इमं ण मए कायव्वं ति । दे इमाए सच्छच्छ-खीर-वारि-परिपुण्णाए 16 विसट्टमाणेदीवर-णयणाए धवल-मुणाल-वलमाण-वलय-रेहिराए वियसिय-सरस-सयवत्त-वयणाए तरल-जल-तरंग-रंगत- 16 भंग-भंगुर-मझाए वियड-कणय-तड-णियंब-वेढाए वावी-कामिणीए अवयरिऊण इमाणं जलंजली देमि' ति चिंतिऊण दइए, जाणामि अवइण्णो तं वार्वि णिबुड्डो महं, खणेण उव्वुड्डो ई उम्मिल्लिय-णयण-जुवलो पेच्छामि गयणगण-वलग्गे तरुयरे 18 महापमाणामओ ओसहीओ गिरिवर-सरिसे वसहे महल्लाई गोहणाई ऊसिय-देहे तुरंगमे पंच-धणु-सय-पमाणे पुरिसे महादेहे 18 पक्खिणो णाणाविह-समिद्ध-सफल-ओसहि-सणाहं धरणि-मण्डलं ति । भवि य । ___ इय तं पेच्छामि अहं अदिट्ठउव्वं अउव-दट्ठवं । गाम-पुर-णगर-खेडय-मडब-गोटुंगणाइण्णं ॥ सतंच तारिसं सव्वं पि महप्पमाण दट्ठण जाओ मह मणे संकप्पो । 'अहो, किं पुण एयं । पविय। किं होज इमो सग्गो किं व विदेहो णणुत्तरा-कुरवो। की विजाहर-लोगो किं वा जम्मतरं होज । सम्वहा ज होउ तं होउ ति । अम्हं दीवं ताव ण होइ, जेण तत्थ सत्त-हत्थप्पमाणा पुरिसा । एत्थं पुण पंच-धणु१५ सयप्पमाणा गयणंगण-पत्त ब्व लक्खिजंति । ण य इमे रक्खसा देवा वा संभावियंति, जेण सव्वं चिय महल-पमाण इर्म। 4 अण्णं च विविह-कुसुमामोओ रुणरुणेत-महु-मत्त-मुइय-महप्पमाण-भमर-गणा य तरुयरा । ता सव्वहा भण्णं किं पि इम होहिइत्ति चिंतिऊण उत्तिण्णो वावि-जलाओ जाव दइए, पेच्छामि तं वाविं। भवि य। 27 जल-जाय-फलिह-भित्ति विसह-कंदोह-दिण्ण-चचिकं । विमलं वावि-जलं तं जलकंत-विमाण-सच्छायं ॥ तं च दहण मए चिंतियं । 'अहो, अउज्वं किं पि वुत्तंतं, जेण पेच्छ जं तं वावि-जलं तं पि विमाणत्तर्ण पत्तं । ता एस्थ कंचि पुच्छामि माणुसं जहा को एस दीवो, किं वा इमस्स णाम, कत्थ वा अम्ह दीवो, को व अम्हाण वुत्तंतो' ति । इमं 30 च चिंतयंतो समुत्तिण्णो वावि-जल-विमाणाो परिभमिउमाढत्तो जाव पेच्छामि सग्ग-सरिसाई जयराई जयर-सरिस-30 1) विलवंतीओ, Jom. तम्मि चेय, चिसानलंमि, Pom. one मा साहस, Jom. ति. 2), om. पवण, Jom. जलण, P पिलुद्धाओ, dom. 'मोह. 3) भिण्णोविव, Pमहानोहकोतेण, कुंतेण, P पारद्धो, अपेच्छमह पेच्छिसिहि, Pom. मह. 4) मज्झं for ममं, P-पिलुद्धा, बिंदुमहF om. वि. 5) जलण, P कि for वि, वज्झ, जीवमाणेणं for जीविएण, चिताणले, Pom. अहं पि. 6)P बोलिउं. 8) Prepeats मणूसा for मणुस्सा, P एसो for एस. 9) F for मा एवं. 11) Pएसो पुण सप्पुरिसो होइ, .P विमुच्चइ. 12) मारिउ, P अत्थवहो. 13) Pom. त्ति, Jom. तं, Pom.वि. 14) P महिणाजत्थे, अत्ताणयं, Pणिदिलं, P कायव्यो ति । दो इमाए, खीरोअवारि, P वारिपुनाए. 15) Pom. विसदमाणेदीवरणयणाए, Pom. वलमाण, P सरससयवणाए, J adds भं before तरंग, I om. रगतभंग. 16) भंगुरंगुरमज्झाए, P भंगु for भंगुर, P तडं वियंब, P अवतरिऊण, र जलंजलि । जलंतंजली. 17) अवइण्णा तं वावीओ णिउडोई खणेण उब्वेडोह,णिउडो, Jom. हं, उन्वुडो अहं, P जुयलो, Jadds a before पेच्छामि, J तस्वरे. 18) " महप्पमाणाओ, १ अउब्वे for गिरिवर , सरिसे, Pमहलाई मोहणाई, देहतुरंगमे, सतप्पमाणे, P पमाणपुरिसे. 19) पक्खिणो णविहसमिदं सफलोसहि, " सफला. 20) गामणगरखेडकन्वडगोटुंगणणयरसोहिलं ॥. 22) मो for इमो, P किं व देहाण, om. atter विदेहो. 23) om. पंचधणुसयप्पमाणा. 24) Pगयणंगणं पत्ता । अन्नं च विविह. 25) कुसुमामोओ 5ट्टतमहु. 26)होहिति चिति'. 28) Pou. वाविजलं तं ( before पि), एत्थ किंचि वुच्छामि. 29) दीवं को व. 30) वाविपासायहोओ विमाणाओ परिभमिङ समाढत्तो. Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 -६३७१] कुवलयमाला २४१ । विहवाई गाम-ठाणाई, गाम-ठाण-समाइं गोहाई, गोटुंगणाउलाई सयल-सीमंताई, सीमंत-वसिमाई वर्णतराई, पुरंदर- 1 समप्पभावा राइणो, वेसमण-समा सेटिणो, कामदेव-सरिसो जुवाण-जणो, कप्पतरु-सरिसा तरुयरा, गिरिवर-संठाणाई ३ मंदिराई, विरूव-धरिणी-रूव-लायण्ण-वण्ण-विण्णाण-कला-कोसल्ला घवण-सरिसाओ महिलियाओ ति। अवि य। जं जं एत्थ महग्छ सुंदर-रूवं च अम्ह दीवस्स । तं तं तत्थ गणिज्जइ पक्कण-कुल-कयवर-सरिच्छं। ६३७०)ता संपयं किंचि पुच्छामि । 'को एस दीवो' त्ति चिंतयंतेण दिट्ठा दुवे दारया । केरिसा । अवि य । 6 बाला वि तुंग-देहा रुइरा कंदप्प-दप्प-सच्छाया। रयण-विभूसिय-देहा णज्जइ दइए सुर-कुमारा॥ द?ण मए चिंतियं । 'दे इमे णयण-मणहरे सोम्म-सहावे पुच्छामि ।' चिंतयंतेण भणिया मए 'भो भो दारया, किंचि . पुच्छिमो अम्हे, जह णोवरोह सोम्म-सहावाणं' ति । इमं च सई सोऊण धवल-विलोल-पम्हला पेसिया दिट्टी। कहं च तेहिं दिट्ठो। कीडो व्व संचरंतो किमि व्व कुंथू-पिवीलिया सरिसो । मुत्ताहल-छिटुं पिव दइए कह कह वि दिवो हं॥ तओ जाणामि पिए, तेहिं अहं कोउय-रहस-णिब्भरेहिं पुलइओ। भणियं च अवरोप्परं । 'वयंस, पेच्छ पेच्छ, केरिसं 12 किंपि माणुस-पला माणुसायारं च कीडयं ।' दुइगुण भणिय । 'सचं सच केरिसं जीव-विसेसं । अहो अच्छरीयं सयलं 12 माणुसायारं माणुस-पलावणं च । ता किं पुण इमं होज ।' पढमेण भणियं 'महो मए णायं इम'। दुइएण 'वयंस, किं'। तेण भणियं । अनि य। 18 'वण-सावयस्स लीवं छाउब्वायं सुदुक्खियं दीर्ण । माऊए विप्पणटुं उब्भंत-मणेरयं भमइ ॥' दुइएण भणियं 'वयंस, कत्तो पुरिसाइं एत्थ वणाई जत्थ एरिसाई वण-सावयाई उप्पजति ।' ___ 'सर-खेव-मेत्त-गाम गामंगण-संचरंत-जण-णिवहं । जण-णिवह-पूरमाण अवर-विदेहं वयंस इमं ॥' 18 इमं च सोऊण दइए मए चिंतियं । 'अहो, अवर विदेहो एस, सुंदर इमं पि दिलु होहि' त्ति चिंतयंतस्स भणियं पुणो 18 एक्केण दारएण 'वयंस, जइ एस वण-सावओ ता केण एसो कडय-कंठयादीहिं मंडिओ होज'त्ति । तेण भणियं 'वयंस, एसो माणुसाणं हेलिओ दीविय-मइ व्व मणुएहि मंडिओ' ति। अण्णेण भणिय 'सव्वहा कि वियारेण । इमं च गेण्हिऊण । सयल-सुरासुर-वंदिजमाण-चलणारविंदस्स सयल-संसार-सहाव-जीवादि-पदत्य-परिणाम-वियाणयस्स भगवंत-सीमंधर-सामि- 21 तित्थयरस्स समवसरणं वञ्चामो । तत्थ इमं दट्टण सयं चेय उप्पण्ण-कोउओ को वि भगवंतं पुच्छिहिइ जहा 'को एस माणुसागिई सावय-विसेसो' ति भणतेहिं दइए, चडओ विव गहिओ हं करयलेणं, पस्थिया गंतुं । अहं पि चिंतेमि । 24 'सुंदर इमं जं भगवओ सव्वण्णुस्स समवसरणं मम पावेहिंति । तं चेय भगवंतं पुच्छिहामि जहा को एस वुत्ततो' ति 24 चिंतेंतो चिय पाविओ तेहिं जाव पेच्छामि पुहइ-मंडल-णिविर्ट पिव सुरगिरि भगवंतं धम्म-देसयं सीहासणथं अणेय णर-णारी-संजुया सुरासुरिंद-प्पमुहा बहुए दिव्वा य रिद्धी जा सब-संसारीहिं सव्व-कालेणं पि सव्वहा णो वण्णेउं तीरइ त्ति । 27 ते य वंदिउण भगवंतं करयल-संगहियं काउं मम णिसण्णा एक्कम्मि पएसे। भणिय च तेहिं । 'वयंस, ण एस अवसरो 27 इमस्स कीडयस्स दंसियव्ये । भगवं गणहारी किं पि पुच्छं पुच्छइ, ता इमे णिसुणेमो' त्ति चिंतयंता णिसण्णा एक्कम्मि पएसंतरम्मि सोउं पयत्ता । 30 $३७१) भणियं च भगवया गणहारिणा । 'भगवं, जंतए णाणावरणीयाइ-पयडी-सलाया-घडियं कम्म-महापंजरं 30 साहियं इमस्स किं णिमित्तं अंगीकाउं उदओ खयं वा खओवसनो उवसमो जायइ' त्ति । इमम्मि पुच्छिए भणियं तेण बहु-मुणि-सय-वंद-वंदिजमाण-चलण-कमलेण सीमंधर-सामि-धम्म-तित्थयरेण । 'देवाणुप्पिया, णिसामेसु । 1) गामट्ठाणाई गामंगणसमाई, i om. गोढुंगणाउलाई, सयलसीमंताई सीमंतवसिमाई वर्णतराई. 2) सप्पभावा । समयप्पभावा, Pसे for सेट्ठिगो, संटागाई. 3) रूवलावण्णुवष्णुकलाकोमला, P रूयलोयण्ण, P वण for ववण. 4) P मणग्धं, P अम्हदीवंमि, P पक्केण-, J करिवर for कयवर. 5) J दुवे दो राया. 6) J विउंगदेहा. 7) P सोमसहावे, तेण for चिंतयंतेण. 8) P अम्ह पुछामि अहं for पुच्छिमो अम्हे जइ णोवरो सोम्मसहावाणं ति, P adds मह before दिट्ठी. 10) P ब कं), P पुरिसो for सरिसो, Pom. one कह. 11) P जाणामि पण, Jom. अहं, P रहसपूरेहिं पुलइय।, Pom. one पेच्छ. Pom. किं after केरिसं. 12) Pom. कीडयं, Pom. one सचं, P अच्छरियं. 13) Pom. (after सयलं माणुसा) यारं माणुसपलावणं etc. to भणियं । अवि य, पलाविणं. 15) P विधणयं. 16) Pदइएण for दुइएण, I repeats एरिसाई before एत्थ. 17) Pom. जणणिवह. 18) Pदईए, P om. अहो, Pविदेहे, होहिति त्ति, Pinter. पुणो & एकेण. 19) कंठयाहीहि, एस for एसो. 20) हेलिओ घाडेरव हहिति त्ति।, Pom. च. 21) Pबंदणिजमाण, P जीवाइपयस्थ, J विआणायस्स, P भगवयातो सीमंधरसामि वित्थयरस्स. 22) Pचेव, Pom. उप्पणकोउओ, Jom. को वि, J पुच्छीही P पुच्छिहि त्ति. 23) माणसगिती सावतविसेसो, माणुसागिति. Pom. चडओ, P विय, J करेणं P कारयलेणं. 24) भगवतो, P पावेंति ।, पुच्छीहामि. 25) Pचिंततो, om. तेहिं. 26) Jom. संजुया, P बहुवे दिवाए रिद्धीए संपण्णा जो सो सव्व-, सम्वहा ण विण्णेउ. 27) तेण for ते हिं, P adds ण before वयंस. 28) P कीडरस, Pom. पुच्छ, पुच्छति, इमं णिसुणेमि- 30) JP'वरणीयाति, P पयतीसलाय. 31) Jउपयो, Jखयोवसमो, P वसमो for उपसमो, जायति त्ति । इम च पुच्छिए. 320P चल for चलण,Jom. देवाणुप्पिया णिसामेसु. 31 Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ 1 3 6 12 15 18 उोषणसूरिविरइया एडि उदय-क्खय-क्खओवसमोवसमा जं च कम्मुणो भणिया । दब्धं खेत्तं कालं भवं च भायं च संपप्य ॥ कम्मरूप हो उदो कस्स चिया िदव-जोएण पहयस्स जह व विषणा वज्रेण व मोहणीयस्स ॥ णाणावरणीयरस व उदो जह होइ दिसि-विमूढस्स । पत्तस्स किंपि खेत- णिमित्तं वयं कम्म पित्तरसुदओ गिम्हे जह वा छहइ-वेयणीय कम्मस्स | कालम्मि होइ उदभो सुसमादीसुं सुहादिणं ॥ विहय- गइ - णाम- कम्मं होइ भवं पप्प जहा पक्खीणं । नत्थ भवो चिय हेऊ णरय-भवो वा वि वियणाए ॥ पढमे कसाय भावे दंसण-मोहस्स होइ जह उदभो । जिण-गुण-वण्णण-भावे दंसण-कम्मस्स जह उदओ ॥ पि कोच्छे तित्तव दग्वेण अह य भस्स होइ खो खमण व भाव-कम्मरस सुपसिद्धं ॥ खेत्ताणुबंधि-कम्मं एरिसयं होइ किं पि जीवस्स । जं पाविऊण खेत्तं एकं चिय होइ तं मरणं ॥ सुसमा काम खो जीवाणं छोइ कम्म-जालस्स दुसमाऍ ण होइ बिव कालो चिय कारणं तरथ ॥ णाणावरणं कम्मं मणुय-‍ -भवे चेय तं खयं जाइ। सेस-भवेसु ण वच्चइ कारणमित्थं भवो चेय ॥ भारम्मि सम्मि पियमा अध्यकरणस्मि वमान होइ खनो कम्मा भावे पिय कारणं एत्थ ॥ जह ओह दग्वे विणा-कम्मस्य काइ कहिं पि दोइ खभोक्समो वि टु अण्णो णवि होइ दरवेण ॥ आरिय-खेत्तम्मि जहा अविरइ-कम्मस्स होइ मणुए वा । खय उवसमाइँ एत्थं खेत्तं चिय कारणं भणियं ॥ सुम-समा-काले चारितावरण-कम्मास्त्र होंति भोवसमाई काले वह कारणं तत् ॥ देवाण णारयाण व अयही आवाण-कम्मकरस होंति खभोवसमाई होइ भयो पेय से हेऊ ॥ उद सिहोति भणुर मणुस्स भावम्मि माणस लय-उसमेहिं वह इंदिया अथवा मई-णा ॥ जेब से कार्ड भाव-भव-हेऊ उवसम-सेणी जीवो आरोहद होइ से हेऊ ॥ इय दव्व-खेत्त-काला भव-भावो चेय होंति कम्मस्स । उदय खय उवसमाणं उदयस्स व होंति सव्वे वि ॥ [ ६३७१ J 1) P उदओ Jक्खयोवसमो, P खओवसमो जं च कम्मुणा भणियं ।, J भणिता 1. 2 ) J उदयो, P करस व वज्रेण 3 ) P नाणावरणीयकंमरसवरणीयस्स व उदओ, कम्मि for किं पि. 4) जह वण्णुहवेदणीअस्स कम्मस्स । जहे सुहादीण, P सुहादीणि 5 ) गति, होइ, P होइ तवं जह पप्प पक्खीगं, उ जह, ए भवे चिय, हेतू, Pom. बि. उदयो ।. 7) चिंतय for तित्तय, P जह वसंतस्स ।. 8 ) P होइ कंपि, जीअस्स, P होति. 9) कालखयो यो जीवाणं हीउ कम्म, P दसमाए, P कालो चिय. 10 J भवं चेअP भवो चेय, P जायइ, कारणमत्थं. 11) P अउब्वकरणं निवट्ट P कम्माणं तावच्चिय, P तत्थ for एत्थ. 12 Jखयोवसमो, P अन्ना वि होइ. 13 ) P आयारिय, P वहो for जहा, अविरति-, P खउवसगाई 14 ) P दुस्समा, कालो, P होति, खयोवसमाई, P खओवसमाई होइ भवो चेय से होओ ॥. 15) Pom. the gāthā देवाण णारयाण etc., खयोत्रसमाई होइ भवे त्चिय तेर्सि हेतू ॥ . 16 ) P उदउत्ति होइ, Pom. four lines खयउबसमेहिं etc. to होंति कम्मस्स ॥ मतीणाणं. 17 ) हेतू J हेतू ॥ 19 ) Jसयल for सव्व, P तेलोक्केक, P गंमागंमा, समाट्ठो P20 P -मुर्णिदप्पमुहेहि महेहि भणियं 21 ) Pom. ति, P अत्यंतरंमि, 22 ) P करयंजलीपंजर, P विभोव for ठिओ, P चेव, भरमाणे. 25 ) Pom. देवि, P पयाहिणीउं, Jom. थुणिउं. 26 ) P जलोहजारिच्छा !, P विमुक्क जयाह तुमं. 25 > Pom. one जय, P पयावा, सया ॥. 26 ) P जय जसत्थाह, जिण सरणमहं P सणं for सरणं. 28 किं एस. 29 J पावितो, तिथ for त्ति, Pom. महं, P पसिय. 30 ) भणिउमादत्तो. 31) भरहं for भारई, P om. य aftor तत्थ, अरणाभं, P रणइदो, P तस्सेय 32 ) Pom. य, Pom. त्ति, Padds य after धारिहिं. · 1 3 ३७२) एवं च भगवया सम्व-तेलो के कल-बंधवेण सयल-गम्मागम्म-सीमंधरेण सीमंधर- सामिणा सभाइ कम्मपरिणाम विसेसे पविणं सचेहिं नि विषसिद गरिंदमुनि गर्निदमुहेहिं भणियं च 'अहो भगवया विद्वानो कम्म 21 पयडीओ, साहियं कम्मस्स उदयादीयं सयल वृत्तंतं' ति । एत्थंतरम्मि अवसरो त्ति कारण तेहिं कुमारेहिं मुको अहं 21 करपल-करंगुली-पंजर-विवराओ हिमो भगवओो विश्ववररस पुरओ एवंत्तरम्मि मर्म पेय भइ-कोय-रस-भरमाणणयण- मालाहिं दिट्टो है देव देवि-र-णारीयणेणं, अहं चपवाहिणीकाउं भगवंतं धुनि पत्तो अविव । 24 'जय सव-जीव-बंधन संसार- जलोड़-जाण सारिच्छ जय जम्म-जरा-वषि मरण-विमुक्त जयाहि तुमं ॥ मज्जेण for ससमादिसु 6) 12 15 जय पुरिस-सीह जय जय तेलोकेट-परिचय-ययाव जय मोह-महामूरण रण-विजिय-कम्म-सतु-सय ॥ जय सिद्धिपुरी गामिव जय-जिय-सत्वाद जयदि सम्बण्णू जय सम्यदसि जिनवर सरणं मद्द होमु सम्वत्थ ॥' 22 भितो विडिमो चलोसु, सिन्गो व जाइदूरे नर्म च णिसणं दण दह, एकेण आय-कर जला पुच्छिभ णरणाहेण भगवं सव्वण्णू । 'भगवं किमेस माणुसो किंवा ण माणुसो, कहं वा एत्थं संपत्तो, किं वा कारणं, केण या पाविनो कथ वा एस सि महंतं महं कोले, तापसीय साहेसुसि भनिन विडिओ चलने । , 30 ९ ३७३ ) एवं च पुच्छिओ भगवं मुणि-गण-त्रंदिय-चलण-जुवलो भणिउं समादत्तो । अवि य 'अस्थि इमम्मि 30 चैव जंतुदी भारदं णाम वासं तस्थ व मझिम-खंडे अरुणाने नाम णयरं रणगहंदो णाम राया । तस्सेस पुचो कामगहंदो णाम । इमो य इमेहिं देवेहिं महिला-लोलुओ त्ति काऊण महिला-वेस-धारीहिं भवहरिऊण वेयद्व-कुहरं पाविभो । 18 24 27 . Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३७४] कुवलयमाला २४३ 1 तत्थ अलिय-विउब्धिय-भवणे किर विजाहर-बालिया, सा उण मया, किर तुह विभोय-दुक्खेण एसा मय त्तिविलवमाणीहि । दड्डा, ते वि तत्थेय मारूढा । इमेणावि कवड-महिला-अवहरिय-माणसेण चिंतियं 'अहं पि जलणं पविसामि'त्ति । एवं३ मणसस्स विजाहर-जुवलय-रूवं दसिय अवरोप्पर-मंतण-वयण-विण्णाण-वयण-विण्णासेण णियत्तिओ इमाओ साहसाओ। पुणो दे एत्थ वावीए ण्हामि ति जाव णिउड्डो जाव जल-कंत-विमाणेणं इहं पाविओ। पुणो कुमार-रूवं काऊण इमेहिं भरण्ण-सावमओ त्ति काऊण भलिय-परिहास-हसिरेहिं इहाणीओ जेण किर सम्वण्णु-दंसपेण एत्थ सम्मत्तं पाविहिइ त्ति 6 अवसरेण विमुक्को'त्ति । णरवइणा भणिय 'भगवे, किं पुण कारणं एस अवहरिओ इमेहिं देवेहिं ।' भगवया आइटै 'पुव्वं 8 पंचहि जणेहिं अवरोप्परं मायाणं गहियं ता 'जत्थ ठिया तत्थ तए सम्मत्तं भम्ह दायब्वंति। एसो सो मोहदत्तो देवलोगाओ चविऊण पुहइसारो मासि । पुणो देवो, पुणो एस संपयं चरिम-सरीरो कामगइंदो त्ति समुप्पण्णो । ता भो भो १ कामगइंदा, पडिबुज्झसु एत्य मग्गे, जाणसु विसमा कम्म-गई, दुग्गमो मोक्खो, दुरंतो संसार-समुद्दो, चंचला इंदिय- १ तुरंगमा, कलि-कलंकिओ जीवो, दुजया कसाया, विरसा भोगा, दुल्लहं भव-सएहिं पि जिणयंद-वयणं ति । इमं च जाणिऊण पडिवजसु सम्मत्तं, गेण्हसु जहा-सत्तीए विरई' ति । इमम्मि भणिए मए भणियं 'जहा संदिससि भगवं, तह' 12 त्ति । एत्थंतरम्मि पुच्छियं णरवइणा 'भगवं, जह एस माणुसो, ता कीस भम्हे पंच-धणु-सयप्पमाणा, इमो पुण सत्त- 12 रयणिप्पमाणो।' भगवया भणियं । देवाणुप्पिया, णिसुणेसु । एस अवरविदेहो, सो उण भरहो । एत्थ सुह-कालो, तत्थं आसण्ण-दूसमा । एत्थ सासओ, तस्थ असासओ। एस्थ धम्मपरो जणो, तत्थ पावपरो। एत्थ दीहाउया, तत्थ 16 अप्पाउया। एस्थ बहु-पुण्णा, तत्थ थोव-पुण्णा। एत्थ सत्तवंता, तत्थ णीसत्ता । एत्थ थोव-दुजण-बहु-सज्जण-जणो, तत्थ 16 बहु-दुजणो थोव-सज्जणो । एत्थ एग-तिस्थिया, तत्थ बहु-कुतित्थिया। एस्थ उज्जय-पण्णा, तत्थ वंक-जडा । एत्थ सासओ मोक्ख-मग्गो, तस्थ असासओ। एत्थ सुह-रसाओ ओसहीभो, तत्थ दुह-रसाओ । सव्वहा एत्थ सासय-बहु-सुह-परिणाम18 पत्तट्ठा, तत्थ परिहीयमाण-सुह-परिणाम त्ति । तेणेत्थ महंता पुरिसा तत्थ पुण थोयप्पमाणा।' एवं च भगवया साहिए 18 किर मए चिंतियं देवि जहा 'अहो, एरिसो अम्हाण दीवो बहु-गुण-हीणो । एसो पुण सासय-सुह-परिणामो। एरिसो एस भगवं सब्वण्णू सव्व-दंसी सब्ब-जग-जीव-बंधवो सन्व-सुरिंद-वंदियो सन्व-मुणि-गण-गायगो सव्व-भासा-वियाणमो सव्व1 जीव-पडिबोहओ सब्व-लोग-चूडामणी सव्वुत्तिमो सव्व-रूवी सम्व-सत्त-संपण्णो सम्व-महुरो सम्व-पिय-दसणो सन्च-सुंदरो ! सम्व-वीरो सम्व-धीरो सम्वहा सत्र-तिहुयण-सब्वाइसय-सब्व-संदेहो ति । अवि य ।। जइ सम्वष्णु महायस जय णाण-दिवायरेक्क जय-णाह । जय मोक्ख-मग-णायग जय भव-तीरेक बोहित्य ॥ १५ ति भणतो णिवडियो हं चलणेसु । पायवडिओ चेय भत्ति-भरेक-चित्तत्तणेण विणिमीलमाण-लोल-लोयणो इमं चिंतिउ-24 माढत्तो । मवि य। दसण-मेत्तेण चिय भगवं बुद्धाण एत्थ लोगम्मि । मण्णे ह ते पुरिसा किं पुरिसा वण-मया वरइ ॥ 7त्ति भणिऊण जाच उण्णामिय मए सीसं ता पेच्छामि इमो भम्हं चिय कडय-संणिवेसो, एयं तं सगण, एसा तुम देवि' त्ति। 27 ६३७४) एवं च साहिए सयले णियय-वुत्तंते कामगईदेण देवीए भणिय । 'देव, जहाणवेसि, एक पुण विष्णवेमि "देव, जो एस तए वुत्तंतो साहिओ एत्थ उग्गमो दिवायरो, तओ दिट्ठा विभाया रयणी, महंतोवक्खेवो, बहुयं परिकहियं, 30 बहुयं णिसामियं, सव्वहा महतो एस वुर्ततो । ता ममं पुण जत्तो च्चिय तुमं ताहिं समं गओ, तप्पभूहं चेव जागरमाणीए 30 जाम-मेतं चेय वोलियं । तो विरुद्धं पिव लक्खिज्जए इमं । ता ण-याणीयइ किं एवं इंदयालं, उदाहु कुहर्ग, किं वा सुमिणं, होउ मइ-मोहो, किं णिमित्तं, कि अलियं, भादु सच्च' ति वियप्पयंतीए कि जायं । अवि य । 1)P त for तत्थ, I om. विउब्बिय, किल, सोऊण for सा उण, P विलवमाणेहिं. 2) Pom. आरूढा, Pइमिणा वि, P -वहरिय-, Pएवं माणस्स. 3)P विजाहजुवलय, जुवलरूवं, Pदेसियं for दंसियं, अवरोप्परा, मंतणा, P मंतणवेयणविन्नासेण. 4) निउत्तो for णिउड्डो, P जाव जाललकतं विमाणे इ. 5) पावेहि पाहिति. 6) दिव्वेहिं for देवेहिं. 7) जत्थ गया तस्थ गया संमत्त. 8) P चरम-- 9"पडिवज्ज for पडिबुज्झसु, Pकमगती, P मोखो. 10) तुरंगा, P कल for कलि, भोआ for भोगा, P दुलह, Pom. च. 11) J जहा दिससि. 12) J सतप्पमाणा ईसो पुण. 13) Pरयणिप्पमाणो, देवाणुपिया. 14) तत्थासण्ण-. 15) Pउपाइया for अप्पाउया, थोअपुण्णा, सत्तमंता, Pणीसंता, थोअदुजण. 16) दुजणा, थोअसजणो, बहुतित्थिया, P पत्थ उज्जपुण्णो तत्थ, एस सासओ. 17) Pदुरसाओ, I एस सासत- 18) पत्तत्था P पन्भट्टा, P परिहीयमाणासुपरिणाम, तत्थ उण, थोअपमाणा, Pथोयप्पमाणो त्ति. 19) एसो उण. 20) Pगय for गण. 21) लोअ for लोग, P सम्वत्तमो. 22)-सव्वातिसय--23)सवण्णू, Padds दिवाण after णाण, P भगवं एक-बोहित्थ, J बोहित्थे. 24) Pom. इं, भरेणक, P विणिवीलमाण, om. लोल, P चिंतिउं समाढत्तो. 26) भगवं जे तुह बुद्धणा एत्थ लोअम्मि, P वणमयावय 1. 27) Pउण्णामयं, ताव for ता, P अहं for अम्हं, करय for कडय, Pदेवि ति।.29) दिट्ठो विभाता, P महतो विक्खेवो. 30) ३ बहूयं णिसामियं,Jom. ता, समयं गओ, तप्पभूति चेअ. 31)ता for तो, लक्खिज्जइ, Jण याणीयति किं एतं, कुदाहु, कुयं. 32) JP मतिमोहो, Pom. किं णिमित्त, P आउ सचं पि, वियप्पयंतीय वियप्पंतीए. Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ उज्जोयणसूरिविरइया [६३७४1 कीरइ साक्खत्तणयं दिटु-वली-पलिय-पंडुरंगेण । सव्वं सर्च ति अहो भणियं गोसग्ग-संखेण ॥ ताव य पवजिय पाहाउय-मंगल-तूरं, पढियं बंदि-वंदेहि, उग्गीयं वारविलासिणीयणेण । इमं च णाऊण एरिसं पभाय3 समयं भणिय कामगइंदेण । 'सच्चं इमं मए दिलृ णिसुयं अणुभूयं च, णत्थि वियप्पो । जं पितए भणियं महंतो वुत्तो ३ एस थोवं कालंतरं । एत्थ वि देव-माया य । देवा ते भगवंतो अचिंत-सत्ति-जुत्ता जं हियएण किर चिंतिज्जइ तं सव्वं तक्खणं संपज्जइ त्ति । जेण भणियं 'मनसा देवानां वाचा पार्थिवानाम्' इति । जो सो भगवं सीमंधरसामि-तित्थयरो दिट्टो सो णजह 6 अहं पेच्छंतो चेय अज वि हियएण चिट्ठामि, मंतयंत पिव उपेक्खामि । अहवा किमेत्थ वियारेणं । एस भगवं सवण्णू 8 सव्व-दरिसी वीर-वढमाण-जिणयंदो विहरइ एयम्मि पएसंतरम्मि । संपयं पभाया रयणी । तेण तं चेय गंतूण भगवंत पुच्छिमो 'भगवं, किं सञ्चमिणं किंवा अलिय'ति । ता जइ भगवया समाइ8 'सच्चं', ता सञ्चं, अण्णहा इंदयालं ति भणमाणो पत्थिओ कामगइंदो ममंतिए । पस्थिओ य भणिओ महादेवीए । 'देव, जइ पुण भगवया सव्वण्णुणा भाइट्ट होज . जहा सच्च ता किं पुण कायव्वं देवेण' । कामगईदेण भणियं 'देवि, णणु सयल-संसार-दुक्ख-महासायर-तरणं ति किमण्णं कीरउ' । तीए भणियं 'देव, जइ एवं ता अवस्सं पसाओ कायब्वो, एकं वारं दसणं देज, जेण जे चेय देवो पडिवजह तं 12 चेव अम्हारिसीओ वि कह पि पडिवजिहिति' त्ति भणमाणी णिवडिया चलणेसु। तो पडिवणं च कामगइंदेण । 'एवं 12 होउ' त्ति भणंतो एस संपत्तो मम समवसरणं । वदिओ अयं पुच्छिओ इमिणा 'किं इंदजालं आउ सञ्च' ति। मए वि भणिय 'सच्चं' ति। 18६३७५) इम च णिसामिऊण कय-पव्वजा-परिणामो उप्पण्ण-वेरग्ग-मग्गो 'विसमा इमा कम्म-गई, असासया 16 भोगा, दुरंतो संसारो, दुलंघं सिणेह-बंधणं, विरसाई पिय-विओयाई, कडुय-फलो कामो, पयडो मोक्ख-मग्गो, सासयं मोक्ख-सुह, पडिबुद्धो अहं' ति चिंतयंतो कडय-णिवेसं गओ त्ति । एवं च भगवया वीर-मुणिणाहेण साहिए पुच्छियं गणहर18 सामिणा 'भगवं, इओ गएण किं तेण तत्थ कयं, किं वा संपइ कुणइ, कत्थ वा वट्टई' त्ति । भगवया आइटुं 'इओ गंतूण 18 साहियं महादेवीए जहा सव्वं सच्चं ति । तओ दिसागइंदं पढम-पुत्तं रजे अभिसिंचिऊण आउच्छिय-सयल-णरवइ-लोओ संमाणिय-बंधुयणो पूरमाण-मणोरहो पडिणियत्त-पणइयणो एस संपयं समवसरण-पढम-पागार-गोउर-दारे घट्टइ' त्ति भणA माणस्स चेय समागओ त्ति । पयाहिणं च काउं भणियं तेण 'भगवं, अवि य, मा अच्छसु वीसस्थं कुणसु पसायं करेसु मज्झ दयं । संसारोयहि-तरणे पवजा-जाणवत्तेण ॥ एवं च भणिए पव्वाविओ सपरियणो राया कामगइंदो, पुच्छिओ य 'भगवं, कत्थ ते पंच जणा वटुंति'। भगवया 84 भणियं "एको परं देवो, सो वि अप्पाऊ, सेसा उण मणुय-लोए । दाविमो य भगवया मणिरह-कुमारो महरिसी। अवि य। 24 एसो सो माणभडो तम्मि भये तं च मोहदत्तो ति । एसो उ पउमसारो बिइय-भवे पउमकेसरो तं सि ॥ एसो कुवलयचंदो पुहईसारो इमस्स तं पुत्तो। वेरुलियाभो एलो वेरुलियंगो तुम देवो ॥ भ मणिरहकुमार एसो कामगइंदो पुणो तुम एत्थ । भव-परिवाडी-हेउं एएण भवेण सिज्झिहिइ । ति मादिसंतो समुट्टिओ भव्व-कुमुद-मियंको भगवं ति । एवं च भगवं तिहुयण-घरोदरेक्क-पदीव-सरिसो विहरमाणो अण्णम्मि दियहे संपत्तो कायंदीए महाणयरीए बाहिरुजाणे। तत्थ वि तक्खणं चेय विरहो देवेहिं समवसरण-विहि30 वित्थरो। णिसण्णो भगवं सीहासणे । साहिओ जीव-पयत्थ-वित्थरो, संघिओ य जीव-सहावो, उप्फालिओ कम्मासव-विसेसो, 30 वजरिओ जीवस्स बंध-भावो, सिट्ठो पुण्ण-पाव-विहाओ, सूइओ सव्व-संवरप्पओगो, णिदरिसिओ णिज्जरा-पयारो, पर्यसिओ सयल-कम्म-महापंजर-मुसुमूरणेण मोक्खो त्ति । 1)P सक्खिणयं पिव दिट्ठ, J वलिअ for पलिय, J सच्चं सर्च. 2) Pताव पडिवज्जियं. 3) Pom. णिमयं. 4) थो, JP ए for य, P देवया ए for देवा ते, सत्ति-जुत्तो जो. 5) Pom. त्ति, पढियं for भणिय, वाचया पत्थिवानामिति, P पार्थिवानामिति ।, P'सामी, P दिट्ठा. 6) Jउवेक्खामि, P अहावा, Pom. सवण्णू after भगवं. 7) Pवद्धमाण, P विहरइ त्ति इमंमि, PF for तं. 8) Pom. सच्चं before ता. 9) P पुच्छिओ for पत्थिओ, पटिओ भणिो देवीए, Padds after भणिओ देवीए । देव जइ, some fourteen lines beginning with पि य साहइ लेसामेएण बंधए. कम्मं eto. to एकमि तरुवरंमि तं भतं दावियं तेहिं || which come again below, p. 245, lines 7-13. 10)P देवेण, दक्खसायर,J adds किमण्णं ति before किमण्णं. 11) तीअ Pतए, Pinter. देव जइ, तावस्सं, देज्जा, P पडिवज्जए. 12) चेअ, कहिं पि, कहं ति पडिवजहंति. 13) P वंदिउं, ३ उच्छयं for पुच्छिओ, P इंदयालं, P om. मए: वि भणियं सन्न ति. 15) I om. च, P कंमगती. 16) 'दुलंघ, पिव, P कंडुयप्फलो. 17) P कडुय for कडय,P 'मुणिणा साहिए, P गहर for गणहर. 18) J कत्थ for तत्थ, J संपर्य कुणइ, P वटूइ, Jइतो, Pइयं for ओ. 19) महादेवि, Padds देवि after जहा, णरवडणाओ. 20) P पूरमाणारहो, पणईअणो, ' पायारगोउरहारे. 21) काऊण for काउं. 24) परे for परं, उ for उण, P om. य after दाविओ,J कुमारमहारिसी. 25) माणहडो, JP बितियभवे, P adds a before पउम 26) वेरुलियभो तुमं. 27)P कुमारो, Pom. पुणो, P adds पुण before.एत्थ, परिवाडीए हंतुं, हेतुं एतेण, सिज्झिहहि त्ति P सिज्झिहि ति. 28) J अइटुंतो, Jadds भगवं after आदिसतो, P -कुमुयः, घरोअरेक, विरमाणो. 31)P सूइया, Iपयोगो णिहरि सिओ, Pणिज्जारापायारो पसांसिओ. 32) सयलमहापावपंजर. Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३७६] कुवलयमाला ३७६) एत्यंतरम्मि पुच्छियं भगवया गोदम-महामुणि-णायगेणं । अवि य।। भगवं पुरिसा बहुए वहृता एक्कयम्मि वावारे । थोय-बहु-भेय-भिण्णं किं कम्मं केइ बंधंति ॥ 3 भगवया वि सयल-कम्म-पयडी-पञ्चक्ख-सव्व-दब्व-सहावेण समाणत्तं । अवि य । ___ गोदम बहुए पुरिसा जोगे एकम्मि ते पुणो लग्गा । थोय-बहु-भेय-भिण्णं णियमा बंधति अघि पावं ॥ भणियं च गणहरेणं । अवि य। 8 केणटेणं भंते आइ8 तियसिंद-बद्ध-पुज्जेहिं । बहुए जीवा एकं कुणमाणा बंधिरे भिणं ॥ अह भगवं पि य साहइ लेस्सा-भेएण बंधिरे कम्मं । बंधइ विसुद्ध-लेस्लो थोवं बहुयं असुद्धाए । किण्हा णीला काऊ तेऊ पउमा य होइ सुक्का य । छच्चेय इमा भणिया संसारे जीव-लेस्साओ॥ जह फलिह-पत्थरम्मि य कसिणे णीले ध्व पीय-रत्ते व्ध । उवहाणे तं फडियं कसिणं णील व जाएजा ॥ अप्पा वि तह विसुद्धो फालिह-मइओ व्व गोधमा जाण । कसिणाइ-कम्म-पोग्गल-जोए कसिणत्तण जाइ॥ जारिसयं तं कम्मं कसिणं णीलं व पीय पउमं वा । तारिसओ से भावो जंबू-फल-भक्ख-दिहतो ॥ 12 ग्रामाओ छप्पुरिसा भत्तं घेत्तृण णिग्गया रणं । सब्वे वि परसु-हत्था किर दारु छिदिमो अम्हे ॥ गहणं च ते पचिट्ठा पेच्छंति य तरुवरे महाकाए । एक्कम्मि तरुवरम्मि तं भत्तं ठावियं तेहिं ॥ मह छिदिउं पयत्ता भमिउं रणम्मि ते महारुक्खे । ता तम्मि भत्त-रुक्खे वाणर-जूहं समारूढं ॥ 15 मह तेण ताण भत्तं सव्वं खइऊण भायणे भग्गे । अह लुंपिऊण सव्वं पडिबह-हुत्तं गया पवया ॥ वण-छिंदया वि पुरिसा मज्झण्हे तिसिय-भुक्खिया सव्वे । किर भुजिमो ति एम्हि तं भत्त-तरुं समल्लीणा । पेच्छति ण तं भत्त ण य भायण-कप्पडे य फालियए । अह णायं तेहि समं वाणर-जूहं समल्लीणं ॥ ता संपइ छायाणं का अम्हाणं गइ त्ति चिंतेमो । वण-पुप्फ-फले असिमो वणम्मि अण्णेसिमो सब्वे ।। एत्थंतरम्मि कालो दर-पचिर-जंबु-पिक्क-सहयारो । पढमोवुट्ठ-मही-रय-पसरिय-वर-गंध-गंधड्रो॥ अह एरिसम्मि काले तम्मि वणे तेहिँ अण्णिसंतेहिं । दिट्ठो जंबुय-रुक्खो णिरूविओ फलिय-दर-पिक्को । दद्वण छावि पुरिसा तुट्टा ते मंतिउ समाढत्ता । संपइ पत्ता जंबू भण पुरिसा कह वि खायामो ॥ एक्केण तत्थ भणियं फरसू सव्वाण अस्थि अम्हाणं । मा कुणह मालसं तो मूल (ओ छिदिमो सव्वं ॥ छिण्णो पडिहिइ एसो कडयड-रावं वणम्मि कुणमाणो । पडिएणं रकरण भक्खस्सं राय-जंबूणि ॥ १५ एवं च णिसामेउ भणियं दुइएण तत्थ पुरिसेण । छिण्णेण इमेण तुहं को व गुणो भणसु मूलाओ॥ छिजंतु इमाओं परं एयाओ चेय जाओं साहाओ। पडियाओ भक्खस्सं मा अलसा होह हो रिसा॥ तइय-पुरिसेण भणियं मा मूलं मा य छिंद साहाओ। छिंदह पडिसाहं से जा जा फलिया इहं होज्जा ॥ पुरिसो भणइ चउत्थो मा बहुयं भणह कुणह मह बुद्धी । थवए छिंदह सब्वे जे जे सफले य पेच्छेजा ॥ मह पंचमेण भणियं मा पलवह किंचि कुणह मह भणिय । लउडेण हणह एवं पक्कं आमं च पाडेह ॥ सोऊण इमे वयणे ईसी हेलाएँ हसिय-बयणेण । छट-पुरिसेण भणिया सब्बे वि णरा समं चेय॥ किं कटुं अण्णाणं अहो महारंभया अयाणत्तं । थोवा तुम्द बुद्वी एरिसयं जेण मंतेह ॥ किं एत्थ समाढत्तं जंबू-फल-भक्खणं तु तुब्भेहिं । जइ ता किं एएहिं मूलाइच्छेय-पावेहिं ॥ एए सहाव-पिक्का पडिया सुय-सारियाहि अण्णे वि । पिक-फल-जंबु-णितहा धरणियले रयण-णिवह व्व ॥ 39 वीसमिऊण णिवण्णा अहव णिसण्ण ट्ठिया व इच्छाए । घेत्तण साह सुब्भे वच्चह अहवा वि अण्णस्य । 18 1)Jom. भगवया, P गोयम. 2) P बहुए भगवंता एक्कमि 3) Pinter. सयल & कम्म, Pom. सहावेण. 4) P गोयम. 6)Pति असंवद्ध, I om. बद्ध.7) Jआह for अह, Pलेसा, P बंधए कम्म, P बंधइ य सुद्धलेसो, लेस्से थोडं.83 तेजा for तेऊ, P मा for इमा, P लेसाओ. 9) Pom, य, पीवरत्ते वा।, Pतं पडियं,J लीलं for णीलं. 10) कह for तह, P फालियमइउ व्व, J गोतमा, P जायइ. 12)वि फल्तहत्या, P दारं. 13) Pom.ते, तरुअरे, Pटावियं. 14) P भमिउं रुन्नंमि. 16) P वच्छिदिया, J मज्जण for माझाहे. 17) Pकप्पडेण फाय फलियप, अह णाओ. 18) 1 छायाणं, P गय त्ति, P -पुष्प-. 19) P काले दरपिच्चरजंबु, J वट्ट for वुह, P-महीएरयपसरियपवरसुगंधड्डो. 20) दिक्खो for दिट्ठो, रुक्खा. 21 मंतितुं. 22) परसू, मूलाउं. 23) छिण्णा पडिहिति एसा, कुणमाणा, पडिआए पक्खएणं, P एकेणं for रुक्खेणं, राजजंबूणि. 24) Pएवं निसामेत्त, छिण्णाए इमाए तुहं कोब्ध, J मूलातो. 25) छिज्जति इमाए इहं एआओ, J दो for हो. 26P साहा ।, P होज्ज. 27) Pमा यहुयं, Pकुण for कुणह, बुद्धि । चेवर छिंदह, P जो जरस फले. 28) Pएयं for भणियं, Pण एयं. 29) Jईस Pइसी. 30) अयाणंतं । थोआ. 31) तत्थ for एत्थ, एतेहि, P मूलाई छेय.32) P-पक्का पाडिया, P पक्क-- 33)P वीसविऊग निवण्णो, Jom. अहव निसण्ण, ठिआ, Jadds हि after तुभे. Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ उज्जोयणसूरिविरइया [६३७६ 1 इय ते भणिया सव्वे एवं होउ त्ति णवर भणमाणा । असिऊण समाढत्ता फलाई धरणीऍ पडियाई ॥ तित्ता तेहिं चिय ते धरणी-वडिएहिं णवर जंबूहिं । सरिसो से फल-भोओ पावं पुण बहु-विहं ताणं ॥ 3 जो सो मूलं छिंदइ थोवे कजम्मि बहु-विहारंभो। मरिऊण कण्ह-लेस्सो अवस्स सो जाइ णत्यम्मि । बिदिओ साल छिंदह वरयरओ सो वि णील-लेसिल्लो। मरिऊण पाव-चित्तो णरयं तिरियं व अल्लियइ ॥ तइओ वि पाव-पुरिसो भणइ पसाहाउ छिदिमो अम्हे । कावोय-लेस्स-भावो सो मरि जाइ तिरिएसु ॥ जो उण चउत्थ-पुरिसो थवए सव्वे वि एत्थ अवणेह । सो तेयस-लेस्साए पुरिसो वा होइ देवो वा ॥ जो उण पंचम-पुरिसो पके आमे ब्व गेण्हिमो सव्वे । सो पउम-लेस्स-भावो अवस्स देवत्तणं लहइ ॥ जो उण छट्ठो पुरिसो भूमिगए गेहिमो त्ति सदय-मणो । सो होइ सुद्ध-भावो मोक्खस्स वि भायणं पुरिसो॥ ता गोदम पेच्छ तुम कजे एक्कम्मि जंबु-भक्खणए । छह पि भिण्ण-भावो लेसा-मेओ य सव्वाणं ॥ भिण्णो य कम्म-बंधो भिण्णा य गई मई वि से भिण्णा । एक्कम्मि वि वावारे वटुंता ते जहा भिण्णा ॥ एवं जं जं कजं केण वि पुरिसेण काउमाढत्तं । कज्जम्मि तम्मि एया छलेसा होंति णायव्वा ॥ 12 हण छिंद भिंद मारे-चूरे-चमढेह लुपह जहिच्छं । जस्स ण दया ण धम्मो तं जाणह किण्ह-लेस्स ति ॥ जो कुणइ पंच-कजे अधम्म-जुत्ते व्व भणइ जो वयणे । थोवं पुण करुणयरं तं जाणह णील-लेस्सं तु॥ चत्तारि वियण-कजे कुणइ अकजे ब्व पाव-संजुत्तो । जो धम्म-दया-जुत्तो कवोय-लेस्सं पितं जाण ॥ 16 जो कुणइ तिणि पावे तिण्णि व वयणे स कक्कसे भणइ । धम्मम्मि कुणइ तिण्णि य तेउल्लेस्सो हु सो पुरिसो॥ 16 काऊण दोणि पावे चत्तारि पुणो करेइ पुण्णाई । जिंदइ पावारंभं तं जाणसु पउम-लेस्सं तु ॥ एक पावारंभ पंच य धम्मस्स कुणइ जो पुरिसो । सो होइ सुक-लेस्सो लेसातीओ जिणो होइ॥ 18६ ३७७) एवं च साहिए भगवया भन्वारविंद-संड-पडिबोहण-पडु-वयण-किरण-जालेण जिणवर-दिवायरेणं 18 __ भाबद्ध-करयलंजलिउडेहिं सन्वेहिं मि भणियं तियसिंदप्पमुहेहिं । 'भगवं, एवं एयं, सद्दहामो पत्तियामो, " अण्णहा जिणिद-वयणं' ति भणतेहिं पसंसियं ति । एत्यंतरम्मि पविट्ठो समवसरण एक्को रायउत्तो । सो य, 21 दीहर-भुओ सुणासो वच्छत्थल-घोलमाण-वणमालो । णिमिसंतो जाणिजइ अवो किर माणुसो एसो॥ तेण पयाहिणीकओ जय-जंतु-जम्मण-मरण-विणासणो वीरणाहो । भणियं च । जय मोह-मल्ल-मूरण णिस्सुंभण राय-रोस-चोराणं । जय विसय-संग-वजिय जयाहि पुजो तिहुयणम्मि॥ * पाय-पणाम-पञ्चुट्टिएण य भणियं । अवि य। ___ भगवं किं तं सच्चं जं तं दिग्वेण तत्थ मह पढियं । मंगलममंगलं पिव को वा सो किं व तं पढइ ॥ भगवया वि आइडें। 7 देवाणुपिया सवं सच्चं तं तारिसं चिय मुणेसु । सो दिवो तुझ हियं परलोए पढइ सव्वं पि॥ इमं च सोऊण 'जइ एवं ता तं चेय कीरउ' ति भणतो णिक्खंतो समवसरणाओ। णिग्गए य तम्मि भावद्ध-करयल जलिउडेण पुच्छिओ भगवं गोयम-गणहारिणा । अवि य । 'भगवं, 30 को एस दिव्व-पुरिसो किं वा एएण पुच्छिओ तं सि । किं पढियं मंगलवाढएण मह णिग्गओ कत्थ ॥' __ एवं च पुच्छिओ अणेय-भव्य-सत्त-पडिबोहणत्थं साहिउँ पयत्तो। ६३७८) अस्थि इमम्मि जंबुद्दीवे भरहद्ध-मज्झिम-खंडे उसभपुरं णाम जयरं । तं च 33 बहु-जण-कय-हलबोलं हलबोल-चिसट्टमाण-पडिसई । पडिसह-मिलिय-वज वजिर-तूरोघ-रमणिकं ॥ 1) भणमाणो, P समारूढो फलाई. 2) तेत्तिहिं चिअ तित्ता धरणी, P धरणिपडिगएहि, Pom. से, P बहुविहत्ता 1. 3)" किण्ह for कण्ह, लेसो, P जाय for जार. 4) P बीउ for विदिओ, Pणीय for णील, P च for व. 5) ततिओ, कावोत, Pलेसभावो, P मरिओ जाय तिरियं सो. 6) चेवए for थवए, J तेअसत्तलेस्सोए, P-लेसाए. 2) Pपउमो लेसभवो. 8) P छायण for भायणं. 9) तायम, P कज, P जंबुतक्खण ।, Jछण्णं पि, P लेसा तेउ य. 10) गती मती. 11) कम्मं केण, P पते for एया. 12) P लपह जरिच्छे, P-लेस त्ति. 13) Jछट्टं पुण धम्मिटुं तं जाणसु णीललेसं ति for थोवं पुण eto., P नीललेसं. 14) वयण for वियण, I अयज्जे, P व for sच, J -जुत्ते, P कावोतलेसं. 15) Pवि for 4, तेऊलेस्सो P तेउलेसो. 16) कोउण for काऊण, J पावाई for पुण्णाई,P लेसं. 17) Pपारंभ पंच, P सा for सो, P-लेसो लेसावीत, Jलेस्सावीतो. 18) संदः, पडुअ-. 19)P करकमलंजलेउडेहिं, Jom. सब्वेहि, P यदहामो for सदहामो. 20) समवसरणंमि एको. 21) अणासो P सुवेसो for सुणासो, P वलमालो । णिमिसेतो, ' जाणिज्जति. 22) पयाहिणीकओ, -जंममरण, विणासणारी (?) वीरणाहो. 23) J णिसुंभणारायः, J पुज्जा. 24) Pपचुहिएण भणियं. 27) Pदेवाणुपिया, ' सुणेसु for मुणेसु. 28) Pom. य. 29) J गोतम.. 30) P पुच्छिउँ, P अग्ग for अह. 31) Jadds य after पुच्छिओ, P सब for भव्व. 32) Pमज्झिमे. 33) P विसट्टमाणहमाणपडिसई, वज्जियतूरोह.. Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३७९] कुवलयमाला २४७ 16 1 तस्थ य राया सूरो धीरो परिमलिय-सत्तु-संगामो । णामेण चंदगुत्तो गुत्तो मंते ण उण णामे ॥ तस्स य पुत्तो एसो णामेण इमस्स वइरगुत्तो त्ति । संपइ इमस्स चरियं साहिप्पंतं णिसामेह ॥ ३ तस्स य चंदगुत्तस्स अण्णम्मि दियहे पायवडण-पञ्चुट्टियाए विण्णत्तं पडिहारीए 'देव, दुवारे सव्व-पुर-महलया देवस्स : चलण-दसण-सुहं पत्थेति, सोउं देवो पमाणं'। भणियं च ससंभम णरवइणा 'तुरियं पवेसेसु णयर-महलए' ति। णिग्गया पडिहारी, पविट्ठा महल्लया, उप्पियाणि दसणीयाणि । भणियं च णरवणा 'भणह, किं कजं तुम्हागमण' ति । तेहिं भणियं 6 'देव, उभय-वेलं चेय इट्ट-देवयं पिव दंसणीओ देवो, किंतु णस्थि प्रत्तिए पुण्ण-विसेसे, अजं पुण सविसेसं दसणीओ' 8 त्ति । राइणा भणिय 'किं तं कर्ज'। तेहिं भणियं 'देव, दुर्बलानां बलं राजा।' इति । ता अण्णिसावेउ देवो दिवाए दिट्ठीए उसमपुरं, जो को वि ण मुसिओ। देव, जं जं किंचि सोहणं तं तं राईए सव्वं हीरइ । जं पि माणुसं किंचि १ सुंदरं तं पि देव णस्थि । एवं ठिए देवो पमाण' ति । राइणा भणियं । 'बच्चह, अकाल-हीणं पावेमि' ति भणतेणं तेण , पेसिया णयर-महल्लया। आइटो पडिहारो 'तुरियं दंडवासियं सदावेह' । माएसाणतरं च संपत्तो दंडवासियो । भणिय च तेण 'आइसउ देवो' त्ति । राइणा भणियं 'अहो, णयरे कीस एरिसो चोर-उवद्दवो' त्ति । तेण भणियं । 'देव, 12 जय दीसइ हीरंतं चोरो वि ण दीसए भमतेहिं । एक्क-पए चिय सुब्बइ गोसे सयलं पुरं मुसियं ॥ __ता देव बहु-वियप्पं अम्हे अणुरक्खिओ ण उवलद्धो। अण्णस्स देउ देवो आएसं जो तयं लहइ॥' इमम्मि य भणिए राइणा पलोइयं सयलं अस्थाणि-मंडलं । तओ वइरगुत्तो समुडिओ, भणिओ य तेण चलण-पणाम16 पछुट्टिएण राया। 'देव, जह सत्त-रत्त-मज्झे चोरं ण लहामि एत्थ णयरम्म । ता जलितिधण-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि ॥ ता देव कुणसु एवं मज्झ पसायं ति देसु आदेसं । पढमो च्चिय मज्झ इमो मा भंगो होउ पणयस्स ॥' 18 विण्णत्ते वइरगुत्तेण राइणा चंदउत्तेण भणियं । 'एवं होउ' ति भणिय-मेत्ते 'महापसाओ' त्ति पडिवणं कुमारेण । वोलीणो 18 सो दियहो, संपत्तो पोस-समओ। तत्थ य णिम्मजियं परियरं जारिसं राईए परिभमणोइयं । तं च काउं जिग्गओ रायतणओ मंदिराओ। पूरियं च पउटे वसुणंदयं । करयल-संगहियं च कयं खग्ग-रयणं । तओ णिहुय-पय-संचारो परिभमिर्ड A समाढत्तो । केसु पुण पएसेसु । अवि य । 21 रच्छामुह-गोउर-चच्चरेसु आराम-तह-तलाएसु । देवउलेसु पवासु य वावीसु मढेसुणीसंकं ॥ एवं च वियरमाणस्स वोलीणा छट्ठा राई तह विण कोइ उवलद्धो दुट्ठ-पुरिसो। तो सत्तमए य दियसे चिंतियं 24 पइरगुत्तेण 'अहो, भमाणुसं किं पि दिव्वं कम्म, जेण पेच्छ एवं पि अणुरक्खिजंतो तह विण पाविजइ चोरो । ता 24 को एस्थ उपाओ होहि त्ति । पसे य मज्म पइण्णा पूरह । अवि य । जइ सत्त-रत्त-मज्झे चोरं ण लहामि एत्थ णगरम्मि । ता जलिणिधण-जालाउलम्मि जलणम्मि पविसामि.॥ शता भागमो मज्म मनू अपूर-पइण्णो ई। ता सन्वहा भज राईए मसाणं गंतूण महामंसं विकेऊण के पि वेयालं आराहिऊण 27 पुच्छामि जहा 'साहसु को एत्थ चोरों' त्ति, अण्णहा णीसंसयं मम मरणं' ति। वोलीणो सो दियहो । संपत्ता राई । जिग्गो रायतणमओ राईए णगरीए संपत्तो महामसाणं । 80 ६३७९) तत्थ य काऊण कायव्वं उक्कत्तियं असिधेणूए उरूसु, णिययं महामंसं गहिय हत्थेण, भणियं च तेणं। 30 'भो भो रक्ख-पिसाया भूया तह वंतरा य अण्णे य । विक्केमि महामंसं घेप्पउ जइ अस्थि ते मोल्लं ।' एवं च एक वारं दुइयं तइयं पि जाव वेलाए । उद्धाइओ य सहो भो भो मह गेण्हिमो मंसं ॥ 1) बीरो for धीरो, P परिमिलियसत्तुसंगामे, Pom. गुत्तो, भंतेण न उण. 2). वयरगुत्तो. 3)P-पभुट्टियाए. 4) नयरे महलए. 5) उपिआणि उप्पयाई, P दसणीयाई, om. च, P om. तेहिं भणियं. 6) Pउभयवेयं, P इत्तिओ पुन्नविसेसो. 7) Pom. तं before कज, J दुर्बलानां, P दुर्बलानामनाथानां बालवृद्धतपस्विनां । अनायें [:] परिभूतानां सर्वेषां पार्थिवो गतिः ।, Pom. इति. 8) कोइ ण, किंपि for किं चि, P किंपि सुंदर. 90P द्विए, Jom. तेण. 10)F आइद्धो. 11) आइससु ति, Pom. अहो, P om. देव. 12) Pहीरंतो, P भमतंमि, P गोस सयलं. 13) अम्हे आरक्खिओ, adds उण after ण, P आएसो. 14) Pom. राणा, सयलमत्थाणमंडवं, Jadds अत्थं atter सयलं, वेरगुत्तो, P समडिओ अ भणिओ, Pपणाममभुट्टिएण. 15) Jadds अवि य after देव. 16) Pom. रत्त, P ता जालिंधण, Pजलणे पविस्सामि. 17) एवं for एयं, ति देव आएसं. 18) Pom. राइणा चंदउत्तेण. 19) निम्मिजयपरियरं, राई परि' काऊण for काउं. 20) खयरयणं, P निहुयपयं. 22) तह लाएसु. 23) वोलीण, P रावी, P कोवि उवलद्धो, P om. दुपुरिसो, P सत्तमे य दिवसे. 24) Pअमाणुसो. 25) Jहोहिति, P अपूरमाणस्स for पूरइ. 26) P चोरो न, Jणयरंमि, P जालिंधणः, P जलणे पविस्सामि. 27) अपूरह, P अ for अज्ज, महामासं, न किंपि, ' वेअरं for वेयालं, P साहिऊण for आराहिऊण. 28) से for सो, P संपत्त. 29) Pरायतओ नगरीए, Jणयरीए, P जहामसाणं.. 30) Prepeats काऊण, Pउक्कित्तिय,णिअयमहामासं. 31) रक्खस, भूता, तध वंतरा व अण्णे वा ।, अत्थि सेम्मोलं. 32) एकं, महामंसं for मंस. Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ उज्जोयणसूरिविरड्या [$३७९ 1 पहाइओ रायतणओ तं दिसं 'को इहं गेण्हइ मसं'। वेयालेण भणियं 'पेच्छामि केरिसं मंसं'। कुमारेण भणियं । 'एयं मंसं गेण्डसु जिग्धसु चक्खसु सुरहिं मिटुं च । ता मह देजसु तुट्ठो जे दायचं इहं मोल्लं ।' 3 ति भणिए पसारिओ हत्थो वेयालेणं । णिक्खितं तस्स करयले मंसं कुमारेण । तओ तेण आसाइऊण भणियं । 'भो भो एयं आमं णिस्सत्तं विस्सगंधियं एयं । णाहं गेण्हामि इमं जइ पक्कं देसि अग्गीए॥' रायउत्तेण भणिय । 6 'पकं देमि जहिच्छं पयट्ट वच्चामु इह चिति जाव । उक्कत्तिय पक्क-रसं देमि अहं भुंज तं तत्थ ॥' वेयालेण भणियं 'एवं होउ' त्ति भयंता उवगया दोण्णि वि तक्खण-पलीविय-चिय-समीवं । तत्थ य 'णिसम्मसु मुंजसु' त्ति भणतेणं रायतणएणं उक्कत्तियं अण्णं महामंसं, पोइय-संठए पकं, पणामियं तस्स वेयालस्स । गहियं तेण भुत्तं च । ६३८.) एत्थंतरम्मि पुच्छिओ भगवं महावीर-जि.णिदो गोदम-सामि-गणहारिणा 'भगवं, किं पिसाया रक्खसा , वा देव-जोणिया इमे महामंसं अण्णं वा कावलियं आहारं आहारेति'। भगवया समाणत्तं 'गोदमा ण समाहारेति'। भणियं गोयमेण 'भगवं, जइ ण आहारेंति, ता कीस एवं महामंसं तेण असियं ति भण्णइ' । भगवया समाइ8 'पयईए 12 इमे वंतरा केलीगिल-सहावा बाल ब्व होति । तेण पुरिसेहि सह खेलंति, सत्तवंतं च दटूण परितोसं वञ्चति, बलियं पिव 12 मलं रायउत्तं, तस्स सत्तं णाणा-खेलावणाहिं परिक्खंति । तेण मंसं किर मए भुतं ति दसेंति, तं पुण पक्खिवति । तेण पक्खित्तं तं मासं । पुणो भणियं वेयालेण । अवि य । 16 भो भो एयं मासं णिरट्ठियं णेय सुंदर होइ । जइ देसि भट्ठि-सरिसं भुजं तं कडयडारावं ॥ कुमारेण भणिय। भुंजसु देमि जहिच्छं मंसं वा अट्ठिएहि समयं ति । एवं चेय भणतेण कप्पिया दाहिणा जंघा ॥ 18 छूढा चिताणले, पक्का उप्पिया वेयालस्स । पक्खित्ता तेण । भणियं पुणो । भो भो अलं इमेणं संपइ तिसिओ पियामि तुह रुहिरं । पियसु त्ति भाणिऊण कुमरेण वियारियं वच्छं। तं च रुहिरं पाऊण पुणो वि भणियं । लवि य ।। 1 'एयं जं तुज्झ सिरं छिण्णं करवत्त-कत्तिय-विरिकं । माणुस-वस-रुहिरासव-चसयं मह सुंदर होइ ।' कुमारेण भणियं । छेत्तण देमि तुझं जं पुण करवत्त-कत्तरण-कम्मं । तं भो सयं करेजसु एत्तिय-मत्तं महायत्तं ॥ 24 ति भणमाणेण कवलिओ कंत-कसिण-कोंतला-कलावो वाम-हत्थेण दाहिण-हत्थेण य छेत्तण पयत्तो असिधेणूए । ताव 4 हा-हा-रव-सह-मुहलो उद्धाइओ अदृष्ट्-हासो गयणगणे । भणियं च तेण वेयालेण । पविय। 'एएण तुज्झ तुट्ठो अणण्ण-सरिसेण वीर-सत्तेण । ता भणसु वरं तुरियं जं मग्गसि अज तं देमि ॥' 27 कुमारेण भणियं । 'जइ त सि मज्झ तुट्ठो देसि वरं णिच्छियं च ता साह । केण मुसिज्जइ जयरं चोरो भण कत्थ सो तुरियं ।' तेण भणिय। 30 'एसा महइ-महल्ला वीर तए पुच्छिया कहा हि । तुह सत्त-णिज्जिएणं साहेयव्वं मए वस्सं ॥ लद्धो वि णाम चोरो कुमार भण तस्स होज को मल्लो । दिट्ठो वि सो ज दीसह अह दिट्ठो केण गहियध्वो ॥' तओ कीस ण घेप्पद' त्ति चिंतयतेण पुलइयं अत्तणो देहं जाव सवंग-संपुण्णं अक्खयं सुंदरयरं ति। भणिय च कुमारेण । 33 'भो भो, पेच्छामि परं चोरं एत्तिय-मेत्तं सि पुच्छिमओ तं मे । घेप्पइ ण घेप्पइ व्वा एत्थ तुहं को व चावारो॥' तेण भणियं । 1) Pom. रायतणओ, केरिसं मासं. 2)J मार, P जिंघसु भक्खसुरभि मिट्ट च,Jadds जइ तुम पडिहाइ before सुरहि, P ता मेह. 3) मासं. 4) थोअं P एवं for एयं, P णिस्साय विस्सगंधेयं. 6) जदिच्छं, परिसं. 7) दो for दोण्णि, P om. य, J पलीविअं. 8) Pउकित्तियं, महामासं, ? पोश्यं सोउए पकं, P om. तस्स, J om. भुत्तं च. 9"P om. भगव, गोतम , P पिसाता रक्खरा वा. 10) Pइमं, J महामासं, P वा कालियं, Pom. आहारं, आहरेंति, गोयमा णो आहारैति.. 11) गोदमेण, P जइ णा, महामासं, Pom.ति. 12) P केलीकिल, P पुरिसेण सह. 13) मल्लरायउत्तं । मछं रायउत्ता, P तंच for तस्स, P परिक्खवंति, Pपरिक्खये for पक्खिवंति, P om. तेण पक्खित्तं तं मासं etc. to तं कडयडारावं ॥. 14) Jतम्मासं. 17) J मज्झं P तुज्झं for मंस, P मि for ति. 18) Jढा for छढा, Jinter.पुणो and भणियं and adds अवि य. 19) Jइमिणा संपइ, J भणिएण,J कुमारेण. 20) Pom. वि. 21)1-किरिक, P सुह for मह.23" देइ, तुम्हं for तुज्झं,J कत्तणं कम्मं, P को for भो, महापत्तं ॥. 24) Prepeats दाहिण, Pघेतूण for छेतूण, Pom. अवि य. 26) Pएतेण, P अणण्णसरिसेत्तेण. 28) Pनिच्छयं ति ता, P मुणिज्जइ. 30) महतिः, तु for तुह, साहेयवो. 31) P गहिरो ।।.32) Pom. तओ, Pचिंतिअंतेण पलोइउं, P सन्वंग, P अक्खरसुंदरयं ति. 34 पुच्छिउ, घेप्पई वा. 83 Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३८२] कुवलयमाला । 'णं बप्पो तस्सम्हे पुरओ ठाउं पिणेय चाएमो । जो पुण तस्सावासो त दूरत्था पयंसेमो ॥' कुमारेण भणियं । 3. 'जइ तं मज्झ ण साहसि आवासं मज्झ ते चिय कहेसु । खामि ताव त चियजा दिट्ठो सो वि तत्थेय ।' तेण भणियं 'जइ एवं ता णिसुणेसु । जो एस मसाण-वडो आरुहिउं एत्थ कोत्थरो अस्थि । तं चेय तस्स दारं चोरावासस्स हो वीर ॥' ६३८१) इमं च सोऊण पविरल-पयच्छोहो पहाइओत चेय दिसं रायतणओ, संपत्तो तं च वढ-पादव । अवि य। 6 ___ इय बहल-पत्तलं तं साह-पसाहा-लुलंत-घर-जालं । बहु-पसरिय-पारोहं मसाण-वड-पायवं पत्तो ॥ तं च दटूण आरूढो कुमारो, अण्णेसिउं पयत्तो तं च कुडिच्छं । कत्थ । 9 साहासु पसाहासु य मूल-पलंबेसु पत्त-णियरेसु । णिकट्टिय-करवालो बिलस्स वारं पलोएड ॥ कहं पुण पलोइडं पयत्तो । अवि य । परिमुसइ करयलेहिं पायं पक्खिवह जिंघए गंधं । खण-णिहुयंगो सई इच्छइ सोउं कुडिच्छेसु ॥ 12 एवं च पुलोएंतेण एक्कम्मि कुडिच्छ-समीवे उवणीयं वयणं, जाव जिम्महइ धूव-गंधो कुंकुम-कप्पूर-मासलुग्गारो । उच्छलइ तंति-सद्दो वर-कामिणि-गीय-संवलिओ ॥ तंच सोऊण अग्धाइऊण य चिंतियं राय-तणएण । अब्बो, 16 लद्धं जं लहियवं दिटुं चोरस्स मंदिरं तस्स । तस्स य महं च एम्हि जो बलियो तस्स रजमिणं ।। इमं च चिंतिऊण पविसि समाढत्तो । थोवंतरं च जाव गओ ताव ___बहु-णिज्जूहय-सुहयं आलय-धुपाल-वेइया-कलियं । धुव्वंत-धयवडायं वर-भवणं पेच्छए कुमरो॥ 18 तं च ददण रहस-वस-विसेस-पसरिय-गइ-पसरो पविट्ठो तं भवणं । केरिसं च तं पेच्छह । अवि य । फालिह-रयण-मयं पिव णाणा-मणि-चुण्ण-विरइयालेक्खं । कंचण-तोरण-तुंगं वर-जुवई-रेहिर-पयारं ॥ चिंतियं च तेण 'अहो महंतं इमं भवणं'। 'कत्थ दुरायार-कम्मो होदिइ चोरो' ति चिंतयतेण दिट्ठा एका जुवई। 21 केरिसा । अवि य । णीलुप्पल-दीहच्छी पिहुल-णियंबा रणत-रसणिला । अहिणव-तुंग-थणहरा देवाण वि मणहरा बाला ॥ तं च दहण चिंतियं रायतणएण । 'अहो एसा तुरिय-पय-णिक्खेवं तस्सेव भाएसेण पत्थिया, ण ममं पेच्छह, ता किंचि 24 सई करेमि जेण ममं पेच्छई' त्ति । भणियं तेणं । अवि य । 'गरुओ सिहिणाण भरो तणुयं ममं ति सुयणु चिंतेसु । मा गमण-वेय-पहया भरेण कणइ व्व भजिहिसि ॥' सं चिय सहसा सोऊण कह तीए पुलइयं । सुण । 7 संभम-विलास-मीसं वलिउं अइ-दीह-लोयण-तिभाय । तह तीएँ पुलइओ सो जह भिण्णो मयण-बाणेहिं ॥ ६३८२) तं च तहा दट्टण संभम-भयाणुराय-कोउय-रस-भिया इव ठिया। तं च तारिसं दहण चिंतियं रायतणएण । 'अहो, 30 जत्तो विलोल-पम्हल-धवलाई वलंति णवर णयणाई। मायण्ण-पूरिय-सरो तत्तो चिय धावइ भणंगो ॥' 30 किं च इमाए पुच्छामि किंचि पुच्छियव्वं' ति भणिया। ___ 'को य इमो आवासो का सि तुमं सुयणु को इह णाहो । कस्थ व सो किं व इमो गायइ महिलायणो एस्थ ॥' 24 1) Pण for j, P पुरउ हाउं पि णोय वाएमो, P for जो. 3) P दिट्ठा, P तत्थेवा. 6) पवित्योहो, P om. च. 7) P अइ for इय, P पत्तलंवं तं, ललंतघरयालं. 8) Pom. च before कुडिच्छं. 9) P बिलस्स दारं पलोएत्ति ॥, 12) पलोइपतेण, कुडिच्चय-- 13) Fणिस्सइ or णिम्महइ. 14) J अघाइऊण, Pom. य, P अघो for अबो. 15)" तस्स रज्जतु ॥. 16) Padds अवि य before थोवंतरं, JP add पेच्छइ after ताव. 17) Padds तु before आलय, P पालयगरुयवेइताकलियं ।. 18) वससविसेस, I inter. तं च after केरिसं. 19) I हालिय P फलिह for फालिह, . रयणामयं, रेहिर for तोरण. 21) Iom. च, होहिति ? होहि ति, चिंतियं तेण, P adds आए before दिवा, Pom. एक्का. 22) P नीलुप्पील, P वि महणरा. 23) P पयनिक्खेवो, J तस्सेअ. 24) भणिया. 25) Pसुयण, P trans. भरेण after कणइ ब, कणय व्व- 26) च for चिय, कय तीय पुल', सुयj for सुण. 27) P वलियं, । तीय for तीए. 28) भिय इव वट्टिया. 30) Pआइन्न, 31) किं वा इमा. 32) को व इमो, Jadds हो before कत्थ, P कत्थ वि सो. 32 Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० उज्जोयणसूरिविरइया [६३८२ 1 तीए भणियं । 'सुंदर, जो जं जाणइ थाणं अह सो पावेइ तं सकजेणं । कह तं अयणतो च्चिय एत्तिय-मेत्तं अइगओ सि ॥' ३ तेण भणियं । ___ अयणतो च्चिय मूढो कह वि तुलग्गेण पाविओ एत्थ । ता साहसु परमत्थो को एत्थ पहू कहिं सो वा ॥' तीए भणियं । 8 'जइ तं पंथ-विमूढो कत्तो जयराओ आगओ एत्थ ।' भणिय च तेण 'सुंदरि उसमपुरा आगओ अयं ॥ तीए भणियं। ___'जइ तं उसभपुरे श्चिय किं जाणसि चंदउत्त-णरणाहं । पुत्तं च बहरगुत्तं सुहयमणगं व रूवेणं ।' 9 तेण भणियं। सुंदरि कहं बियाणसि रूवं णामं च ताण दोण्हं पि।' तीए भणियं । 12 किं तेण बोलियं तं आसि गुलो खाइओ एहि ॥' तेण भणियं । _ 'सुंदरि साहेसु फुड ताणं किं होसि किंचि पुरिसाणं । कह व चियाणसि ते तं केण व हो पाविया एत्थं ॥' 16 तीय भणियं । 'सावत्थी-णरवइणो धूया हं वल्लहा सुरिंदस्स । बाल चिय तेणाई दिण्णा हो वइरगुत्तस्स ॥ एत्यंतरम्मि इमिणा विजासिद्धेण सुहय केणावि । हरिऊण एत्थ कत्थ वि पायालयलम्मि पक्खित्ता ॥ 18 जाणामि तेण ते हं णामं रूवं च ताण णिसुर्य मे । णाहं एका हरिया महिलाओ एस्थ बहुयामओ ॥' तेण चिंतियं । 'अहो, एसा सा चंपयमाला ममं दिण्णा भासि, पच्छा किर विजाहरेणावहरिया णिसुया अम्हेहिं, ता सुंदर जायं, दे साहिमो इमाए सम्भावं' । चिंतिऊण भणियं तेणं । A 'सो वइरगुत्त-णामो पुत्तो हं सुयणु चंदगुत्तस्स । एयं विजासिद्ध अण्णिसमाणो इहं पत्तो ॥ ता साह कत्थ संपइ विजासिद्धो कह व हतब्बो। मह किंचि साह मम्मं जइ णेहो भत्थि अम्हेसु ॥' तीए भणिय। 24६ ३८३) जइ तं सि वहरगुत्तो ता पिययर सुंदरं तए रइयं । साहामि तुझ सवं जह सो मारिजए पावो ॥ 24 जं जं परम-रहस्सं सिद्धं वसुणदयं च खग्गं च । एत्यं चिय देवहरे अच्छइ तं ताव तं गेण्ह ॥ गहिएहि तेहिं सुपुरिस अल-छिण्णो विशुओ व सो होही । अह तं पावइ हत्थे उप्पइओ केण दीसेण ॥ 7 रायउत्तेण भणियं 'ता सुंदरि, साहसु कहं पुण सो संपद वइ विजासिद्धो । तीए भणियं 'कुमार, राईए सो भमहा अथमिए महिलं वा अण्णं वा जं किंचि सुंदरं तं अक्खिवइ । दियहओ उण एत्थ बिल-भवणे महिला-वंद-मजा-गो अच्छह । ता संपइ णत्थि सो एत्थ । मह सो होइ ता अस्थि तुम अहं च एवं अवरोप्परं वीसत्या भालावं करेंता । तेण 30 भणियं 'जइ सो णत्थि ता कीस एयाओ महिलाओ गायति' । तीय भणियं। _ 'सुंदर तेणेय विणा इमाओ हरिसम्मि वट्टमाणीओ । गायति पढेति पुणो रुयति अण्णाओं णचंति ॥' तेण भणियं । 33 'सुंदरि साह फुडं चिय विज्जासिद्धस्स मज्झ दोण्हं पि । को होहिह एयाणं वेसो व पिओ ब्व हिययस्स ॥ 38 हसिऊण तीए भणिय। 'अइ मुद्ध किं ण-याणसि महिला-चरियं वियाणियं केण । गामेल्लो व्व पुच्छसि महिल चिय महिलिया-हिययं ॥ 2) तं तं for अह, पावर भ कज्जेण ।, P भह तं अयाणतो. 4) अयाणतो, P कह व, कव हि for कहि. 6)" आहयं ॥ 8) Pचि for च्चिय, च वेरगुत्तं संगमणंग व, १ वइरइगुत्तं सुहृयणंग. 11) तेण for तीप. 12) खइदओ for खाइओ. 13) Pom. तेण भणियं. 14) P वि for व, P inter. तं and ते, P केण वि हो. 15) : om. तीय भणियं. 17) विज्जो, P पायालवलंमि. 19) P विजाहरेण अवहरिया, णिसुअ, P सुरं for सुंदरं. 21) 'गुत्तनामा • सुयण चंद'. 22) F किंचि साहसु तुम. 24) P जं for जइ, सुंदर for पिययर, P पियय सुंदर, P रह for रइय, P om. साहामि तुज्झ सब्ध जह etc. to चंचलहिययपेम्माओ इमाओ. This passage is reproduced in the text with ya-sruli and minor corrections etc. from Jalone. 26) अलच्छिण्णो. Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५१ -६३८३] कुवलयमाला 1 घेप्पइ जलम्मि मच्छो पक्खी गयणम्मि भिजए राहा । गहियं पि विहडइ चिय दुग्गेझं महिलिया-हिययं । वेस्सं पि सिणेहेण वि रमति अइवल्लहं पि णिण्णेहा । कारण-वसेण णेहं करेंति णिक्कारणेणं पि॥ रामेति विरूवं पि हु रूवि पुण परिहरति दूरेण । स्व-विरूव-वियप्पो हियए कि होइ एयाण ॥ बीहंति पंडियाणं कुमार लज्जति रूवमंतस्स । वकं वचेति पुणो उजय-सीलं उवयरंति ॥ रजति अस्थवंते रत्तं पुण परिहरंति रोर ब्व । जाणंति गुणा पेम्मं करेंति ते णिग्गुणे तह वि ॥ सूरं जाणइ पुरिसं तहा वि तं कायरं समल्लियइ । जाणंति जे विरत घडेंति पेम्मं तहिं चेय ॥ गुण-रहिए वि हु पेम्म पेम्म-पराओ वि तं णिसुंभंति । हतूण तं सर्य चिय जलणे पविसंति तेणेय ॥ सम्वे जाणंति गई अत्तत्तणयाण सुहिह-हिययाण । महिला णिययस्स पुणो हिययस्स गई ण-याणति ॥ 9 इय विजु-विलसियं पिव खर-पवणुब्य-धयवडाचलणं । महिलाण हियय-पेम्म कुमार को जाणिर्ड तरइ ॥ तह वि एत्तियं लक्खेमि जइ तुम पेच्छंति ता अवस्स तुमम्मि हो जायइ । अण्णं च सव्वा इमाओ उसमपुर वस्थम्बाओ तुमं च दट्टण अवस्सं पञ्चभिजाणंति, तेण इमाणं दिजउ दसणं' ति । कुमारेण भणिय 'सुंदरि, तं वाव 12 सिद्ध-वसुणदयं खग्गं च समप्पेसु, ता पच्छा दसणं दाहामि' । तीए भणियं 'एवं होउ' त्ति । 'केवलं कुमारेण एयम्मि 12 चेय पएसे अच्छियन्वं जावाहं तं खग्ग-खेडयं घेत्तण इहागच्छामि' ति भणिडं गया। कुमारो वि तम्मि ठाणे मच्छिउँ पयत्तो। चिंतियं च तेण । 'अहो, संपयं चिय इमीय चेय साहियं खर-पवणुद्धय-धयवड-चंचल-हियय-पेम्मामो इमायो 16 महिलियामो होति, ता कयाह इमा गंतूण अपणं किं पि मंतं मंतिउण ममं चेय णिसुभणोवायं कुणइ । ता ण जुत्तं मम 15 इई मच्छिऊणे' ति चिंतयंतो अण्णत्थ संकतो, आयारिय-खग्ग-रयणो पूरिय-वसुगंदओ य अच्छिउं पयत्तो । थोव-वेलाए य भागया गहिय-वसुणंदया गहिय-खग्ग-रयणा य । पलोइए तम्मि पएसे, कुमारो ण दिट्ठो। तओ तरल-तार-पम्हल-वलंत18 लोयणा पलोइड पयत्ता । भणिया य कुमारेण । 'एहि एहि सुंदरि, एस अहं अच्छामि' भणिया संपत्ता । तीए भणियं 18 'रायउत्त, कीस इमाओ ठाणाओ तुमं एल्थ संपत्तो'। तेण भणियं। सुंदरि, जणु तुमए चेय साहियं जहा 'चंचलपेम्म-बंधामो होंति जुवईओ' । तेण मए चिंतियं 'कयाइ कह पि ण भिरुइओ होमि, ता णिहुयं होऊण पेच्छामि को 1 वुत्ततो त्ति तेण चलिओ हं' । तीए सहरिसुप्फुल्ल-लोयणाए भणियं । 'कुमार, जोग्गो पुहइ-रज्जस्स तुम जो महिलाणं 4 वीसंभसि' त्ति । सव्वहा, भुयगस्स व मुह-कुहरे पक्खिव ता अंगुली सुवीसत्थो । महिला-चंचल-भुयईण सुहय मा वञ्च वीसंभं ॥ 24 ता सुंदरं कयं, जं चलिओ सि । गेण्हसु एवं वसुणंदर्य खग्ग-रयणं च।' णिक्खित्तं वसुमईए । रायउत्तेणावि णिययं 24 विसजिऊण ति-पयाहिणं वंदिऊण गहियं तं वसुणंदयं दिव्वं खरग-रयणं च। तओ गहिय-खग्ग-रयणो केरिसो सो दीसिड पयत्तो। भवि य। 7 विजाहरो ब्व रेहद तक्खण-पडिवण्ण-खग्ग-विजाए । संपह उप्पडओ इव विजाहर-बालियाऍ समं ॥ 27 तो तीए भणियं 'विजयाय होउ कुमारस्स एवं खग्ग-रयणं' ति। कुमारेण भणियं 'सुंदरि, साहसु. संपय कृत्य सो दट्टब्वो विजासिद्धो' ति। तीए भणियं 'कुमार, तुम केण मग्गेणेत्थ पविट्ठो। तेण भणिण 'वड-पायव-बिलेण । तीए 30 भणिय 'णाहं किंचि जाणामि, परं एत्तियं पुण जेण दारेण तुमं आगओ तेणेय सो वि आगमिस्सइ त्ति । ता जाव इमिण्य 30 मग्गेण पढम उत्तिमंग पेसेइ, ता तं चेय छेत्तव्वं । अण्णहा दुस्सझो पुण होहिइ' त्ति । कुमारेण भणियं । ‘एवं होउ' त्ति भणिऊण आयरिय-खग्ग-पहारो ठिमओ बिल-दुवारे। 2) सिणेहेणं. 3) हिअयंमि for हियए. 15) कयाइ मा P कयावि मा, र कपि for किंपि, णिसुंभणावायं. 16) om. ति, P पायट्टिय for आयारिम, ३ य पुच्छिउं. 17) Pom. य before आगया, Porn. गहिय before खग्ग, २ रयणे य। पलोइओ, तओ तारतरलपंतलवलंत. 18) Pसंपत्ती. 19) Pट्ठाणाओ, Pएस for एत्य, I om. णणु, Pमए for तुमए. 20) पेम्माबंधाओ, P जुवतीउ, P कया वि कहिं पि, P om. ण भिरुइओ होमि, तेण for णिहुयं होऊण. 21) Pom. त्ति, ण for तेण, P सहरिसफुल्ल, P भणिउं, P om. पुहइरजस्स, P om. जो. 23) पक्खिवि, न य for ता, P भुयंगीण सुह मा. 24) वलिओ, P वसुणदणयं, P वसुमतीए. 25) Jom. ति:, Pom. दिव्वं, P रयणा before केरिसो, Pom. सो before दीसिउं. 26) तखण, P सम्म ।।. 28) Jतीय for तीए, ' विजाओ for विजयाय, Pom. एयं, Pom. साहसु, I om. सो. 29) J तीय, P केणे मग्गण पविट्ठो, र तीय. 30) P वार for परं, तेणय, P om. वि. 31) F पेसइ, P दुसज्जो, Pom, पुण, होइ त्ति P होहिति त्ति. 32) हिओ. Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 २५२ उज्जोयणसूरिविरड्या [६३८४8३८४) एरथंतरम्मि किंचि-सेसाए राईए वियलमाणेसु तारा-णियरेसु पलायंतेसुं तम-वंदेसु दूरीहयासु सयल- 1 दिसासु पहायं ति कलिऊण परिब्भमिऊण धवलहरोवर-अंतेउर-चच्चर-रच्छासु उसमपुरवरस्स समागमो । तस्लेव राय-तणयस्स एकल-पसुत्तं भारियं घेत्तूण पविट्ठो य तं बिलं । तं च पविसंत दहण धाहावियं राय-धूयाए । 'हा वइरगुत्त-सामिय एसा सा तुज्झ महिलिया अहयं । गहिया केण वि धावसु रक्खस-रूवेण रोडेणं ॥ चंपावइ-णामा हं महिला हा वइरगुत्त-णामस्स । एसा हीरामि अहं सरण-विहीणा वराइ व ॥' । 6 एवं च तीए विलवंतीय मणिया विजासिद्धेणं ।। 'को कस्स होह सरण कत्थ व सो किं व तेण करणिज्जं । जइ तं पावेमि अहं तुह दइयं तं चिय असामि॥' त्ति भणंतो णिसुओ कुमारेण । 'अहो, एस दुरायारो आगओ सो मह महादेवी घेत्तण । ता दे सुंदरं जाय सलोत्तो एस चोरो' ति चिंतयंतस्स णीहरियं उत्तिमंग बिलाओ सिद्धस्स । चिंतियं कुमारेणं 'एयं उत्तिमंग छिंदामि । अहवा णहि णहि। 9 किं जुजइ पुरिसाणं छल-घाओ सब्वहा ण जुत्तमिणं । पच्छामि ताव सत्ती इमस्स ता णवर सिद्धस्स ॥' चिंतयतो णिक्खंतो बिलाओ, भणिओ य कुमारेण । रे रे पुरिसाहम, अवि य, . 12 जइ तं विजासिद्धो वसु णाएण एत्थ लोगम्मि । जे पुण राय-विरुद्धं करेसि किं सुंदरं होई ॥ 12 ताजं चोरेसि तुम राय-विरुद्धाइँ कुणसि कम्माई । तेणेस णिग्गहिज्जसि अह सज्झो होसु सत्तीए ॥' __ एवं च राय-तणयं पेच्छिऊण चिंतियं विजासिद्धेण 'अहो, एस सो वइरगुत्तो, कहं एस सय पत्तो। विणटुं कज।। 16 ता किं इमिणा लेणं ।' चिंतियं तेण, भणिय च। केणेत्थ तुम छूढो कयंत-वयणे ब्व रोद्द-बिल-मज्झे । अव्वो सुंदर-रूवो कह णिहणं गच्छइ वराओ ॥ त्ति 'अरे अरे, खग्गं खग्गं' ति भणतो चलिओ तं देवहरयं । तेण गहियं च तं खग्गं वसुणंदयं च, जं रायउत्त-संतियं । 18 गहियं जाणियं च ण होइ तं सिद्ध-खग्गं । ता किं व इमिणा समत्थस्स' चिंतयंतो कुमार-मूलं पत्तो। भणियं च तेण। 18 'सुण्णम्मि मज्झ अंतेउरम्मि तं मूढ पेसिओ केण । अहवा कुविओ देवो लउडेणं हणउ किं पुरिसं ॥ ता तुज्य जमो कुविओ संपइ तुह णस्थि एत्थ णीहरणं । सूवार-सालवडिओ ससओ ब्व विणस्ससे एहि ॥ 21 कुमारेण भणियं । 'आलप्पालिय रे रे अच्छसि महिलायणं म्ह हरिऊण । जारो होऊण तुमं संपइ घर-सामिओ जाओ ॥ चोरो ति मम वज्झो अरहसि तं चेय पढम-दुब्धयणं । इय विवरीयं जायं ससएहिँ वि लउडया गहिया ॥' 24 भणमाणो पहाविओ कुमारो तस्स संमुह, पेसिओ खग्ग-पहारो। तेण वि बहु-कला-कोसल्ल-परिहत्थेणं वंचिऊण पडिपहारो 24 पेसिओ। सो वि कुमारेण वंचिओ। तओ पहर-पडिपहर-विसमं संपलग्गं महाजुद्धं । कह। दोणि वि ते सुसमत्था दोणि वि णिउणा कलासु सव्वासु। दोण्णि वि भणंग-सरिसा दोणि वि सत्ताहिया पुरिसा॥ 7 दोण्णि वि रोसाइट्ठा दोणि वि अवरोप्परेण मच्छरिणो । दोण्णि वि णिट्टर-पहरा दोण्हँ वि खग्गाई हत्थम्मि ॥ 27 दोणि वि फरम्मि णिउणा दोण्णि वि उकोट्ठ-मिउडि-भंगिल्ला । दो वि वलंति सहेलं दोषिण वि पहरे पडिच्छंति ॥ ६३८५) एवं च एक्केकमस्स पहरंता केरिसा दिट्ठा जुवइ-वंद्रेणं । अवि य। 30 विजाहर ब्व एए अहव समत्यत्तणेणं वण-महिसा । अह व दिसा-करि-सरिसा दोण्णि वि चालेंति महिवेढं ॥ 30 एवं च जाव ताणं एको वि ण छलिउं तीरइ ता चिंतियंतीए चंपावईए ताव 'एएण एस छलिउंण तीरइ विजासिन्दो। __ता दे कवडं किंचि चिंतेमि' त्ति भणियं तीए 'कुमार, सुमरसु इमं खग्ग-रयणं' ति । कुमारेण वि चिंतियं 'सुंदरं पलत्तं' । 33 ति । भणियं तेण । अवि य। तीहूयामुः आविसु. 5) Pार, वितय १. नीहार योध्या महिलाहर, १ चच्चरव 1) Pरावीए, Pदूतीहूयासु. 2) P परिभमिऊण, J धवलहरोअरंतेउरे चच्चर-, P चच्चरवच्छासु. 3) P एकल्लयसुत्तं भारि घेत्तण, रायधूताए. 4) वैर, P धाविसु. 5) चंपावणो धूया महिला हो वइर', वैरगुत्त, P सरणविहूण. 6) Pतीए पलोविउं सोऊण भणिया. 7) P किं कस्स. "नीहरिउ, चिंतयं. 11) चिंतयंतस्स for चिंतयंतो, P पुरेसाहम. 12) Jलोअंमि. 13) P चोरोसि, Pकुणस, P तेणेय, सत्तीय 1. 14) Ji for एवं, Pom. सो. Pएस संपत्तो. 15" om. किं, इमिणा बालेण. 16) सुंदर for रूवो, गच्छिहिति वराओ. 17) Iom. अरे अरे, Pom. तं, खम्गयं, रायउत्तरस संतियं. 18) Jinter. जाणियं & च, Pom. व, P मूलं संपत्तो. 19) P अन्नंमि for सुण्णम्मि, P देवो, P हणइ किं पुरिसो. 20) Pएत्पनीसरण, P सूतारसाल, प्रविणस्सए. 22) Jआलवालिअरे रे रे, P आलिप्पालिय, महिणम्म हरिऊण P होइ पुण for होऊण. 23) J वझे, " जीयं for जायं, P मि for वि. 24)P संमुहो, कलाकोमलपरिच्छेण वंदिऊण पडिप्पहा पणि वि सत्ताहिआ परिसा । दोणि विरोसाइट्ठा; thus Jhas omitted some portion here. 26) P दोणि मि in two places. 27) P मच्छरिणो।, Pदोणि मि निठुरद्वार, दोणि विदोणि मि for दोहँ वि (emended). 28) P दोणि मि फरंमि, Pउकेहभमरभंगिल्ला, J -भडिल्ला, P दो वि गिलति, P दोणि मि पहरे. 29) Pom. च. 30) Pएते, P -महिसे, P-सरिसे, P मि for वि, I चालति. 31) Pom. जाव, Pण विच्छलिलं, P on. चंपावईए ण for एएण, Jom. ण. 32) Jतीय for तीर, Pom. वि, Jom. चिंतियं, संबल for पलत्त. Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६३८७] कुवलयमाला २५३ 1 'जइ सिझसि चक्कीणं विजा-सिद्धाण सत्त-सिद्धाण । ता खग्ग-रगण एवं पहरसु मह करयलत्थो वि॥' जाव इमं भणइ ताव विजासिद्धेण चिंतियं 'अरे इमीए विलयाए इमं खग्ग-रयणं इमस्स समप्पियं' । 'आ पाये कत्थ ४ वच्चसि' ति पहाइओ तं चेय दिसं विजासिद्धो । अवि य । जा पावइ महिलाणं करणं मोत्तण जुज्झ-समयम्मि । ताव जाड त्ति लुइयं सीसं अह रायउत्तेण ॥ दिहो य धरणिवडिओ केरिसो । अवि य । 6 कसिणं रुक्ख-विवणं लहुयं सिरि-विरहियं व दीणं व । दिट्ट पडिय-कबंधं सीसं पुण अहिय-तेइलं ॥ इमं च चिंतयंतस्स भणियं चंपयमालाए । 'कुमार, वयणे इमस्स गुलिया अच्छइ, तं पि गेण्हर कुमारो' त्ति भणिएण वियारियं मुह-पुडं असिघेणूए । दिट्ठा य कणगप्पभा गुलिया । पक्खालिऊण पक्खित्ता वयणे कुमारेण । अवि य । . दिपंत-अहिय-सोहो णिव्वडिय-विसेस-रूव-सच्छाओ। वडिय-दप्पुच्छाहो सो कुमरो तीए गुलियाए । तओ जय जय त्ति अभिवाइय-ललिय-विलासिणी-चलण-खलण-मणि-णेउर-रणरणाराव-मुहलं पमक्खिओव्वत्तिय-पहाणिओ कओ णिसण्णो सीहासणे, अहिसित्तो तम्मि महिला-रजम्मि । महिलाहिं समं च विविहं च भोए भुंजिउं पयत्तो। 12 अवि य । 12 जुवईयण-मज्झ-गमो बिल-भवणे खग्ग-खेडय-सणाहो । गुलिया-सिद्वो सो वि हु णिस्संको भुंजए भोए॥ ६३८६) एवं च तस्स अणेय-महिला-णियंब-बिंबुत्तुंग-पओहर-सहरिस-समालिंगण-परिरहणा-फरिसामय-सुहेलि15 णिब्भरस्स परहुट्ठ-सयल-गुरु-धण-विहव-रजस्स णिय-सत्ति-विणिज्जिय-सिद्ध-लद्धाणेय-पणइणी-सणाहं पायाल-भवणम्मि 15 रज-सुहमणुहवंतस्स अइकंताई बारस संवच्छराई, बारसमे य संवच्छरे संपुण्णे पसुत्तस्स राईए पच्छिम-जामे सहसा उद्धाइमओ अदिस्समाणस्स कस्स वि बंदिगो सद्दो 'जय, महारायाहिराय वइरउत्त-परमेसर दरिय-रिउ-णिद्दलण-लद्ध18 माहप्प । अवि य। 18 उज्जोविय-भुवणयलो एसो गरणाह झिजए चंदो। अहवा उदयत्थमणं भण कस्स ण होइ भुवणम्मि ॥ णासइ तारायकं अरुण-करालिद्धयम्मि गयणम्मि । माणं मा वहउ जणो बलिययरा अस्थि लोगम्मि ॥ श एवं पि गलइ तिमिरं राई-विरमम्मि पेच्छ णरणाह । अहवा णियय-समाओ अहियं भण को व पावेइ ॥ उदय-गिरि-मत्थयत्थो अह सूरो उग्गओ सुतेइलो । मा वहह किंचि गवं पुण्णेहिँ जणस्स उग्गमणं ॥ इय एरिसम्मि काले पहाय-समयम्मि बुज्झ णरणाह । उज्झसु णिहा-मोहं परलोग-हियं पवज्जासु ॥ 24 इमं च सोऊण चिंतियं रायतणएण 'अहो, कत्थ एसो बंदि-सद्दा, अपुवं च इमं पढियं'। पुच्छिओ य परियणो 'केण 24 इमं पढियं' । तेण भणियं 'देव, ण-याणामो केणावि, ण दीसइ एत्थ एरिसो कोइ केवलं सद्दो चेय सद्दो सुब्वइ' ति । $३८७) एवं दुइय-दियहे तम्मि पभाय-समयम्मि पुणो पढिउमाढतं । अवि य । 7 रमसु जहिच्छं णरवर को णेच्छह तुज्य भोग-संपत्ती। किंतु विवत्ती वि धुवा चिंतिजउ सा पयत्तेण ॥ को णेच्छइ संजोगं गरुय-णियंबाहिं देव विलयाहिं । किंतु विओगो वस्सं होहिइ एयाहि चिंतेसु ॥ सच्चं हीरइ हिययं जुवईयण-णयण-बाण-पहरोहिं । किंतु दुरंतो कामो पावारंभेसु उज्जमइ ॥ 30 सव्वं भो हरइ मण लीलावस-मंथरं गयं ताण । किंतु ण णज्जइ एसो अप्पा अह कत्थ वञ्चिहिइ ॥ सचं हरति हियर्य लज्जा-भर-मंथराह हसियाई। किंतु इमो चिंतिजउ णरवर एयस्स परिणामो ॥ सचं हरति हिययं महिलाणं पेम्म-राय-वयणाई। किंतु दुरंत पेम्मं किंपाग-फलं व कडुयं तं ॥ 33 इय जाणिऊण णरवर मा मुज्झसु एत्थ भोग-गहणम्मि । संबुज्झसु वीर तुम विरई ता कुणसु हिययम्मि ॥ 1) Prepeats सत्तसिद्धाणं, P महं. 2) Pरे for अरे, Pता for आ. 3) P om. अवि य. 4) J उझण for ज्झट, Pत्ति पलुश्य, चिय for सीसं अह रायउत्तेण. ) धरणिवढे केरिसो. 6) JF for व before दीणं, J अविs for अहिय. 7) Pभणिए for भणिरण. 8) Pमुहयंदं असिधेणू किं दिट्ठा, P om. य, P वयगो. 9) सोहा. 10) रणरणारोवमुहलं पमक्खिओ उवत्तिअसुण्डाणिओ for "यण्डाणिभो. 11) J सीहासणेतु अभिसित्तो, P -रजिमि I, I om. समं च, P repeats विविहं च. 12) Pom. अवि य. 14) P नियंबउत्तुंग, P परिमरिमलफरिसा, हरिसामयसुहल्लि. 15) P-निज्झरस्स, J सत्त for सत्ति, भवणस्स P भुवर्णमि. 16) Jom. रज्जसुहमगुहवंतस्स, P°मणुहवंतो, Pबारस वच्छराई, Pom. य,P संपन्नो for संपुण्णे, रातीए. 17) अइस्स, Pom. "माणस्स, 3 om, जय महारायाहिराय eto. to लबमाहप्प, P बयरउत्त, P निद्दलण्णलद्धमाहप्पा. 19) Pउदयत्थवर्ण. 20) Pकरालिययंमि गणभिJलोअम्मि. 21) P राई for राई, अहवालियसमयाओ, को व्व. 22) Pतुज्झ for बुज्झ, P परलोअ-, P पवजयं ।।.24 adds आई before इर्म,J बंदी-, Pom. अपुर्व च इमं पढिय,J पच्छिमो परिअणो. 25) P पढिमं for पढिय, ताहि for तेण, Pन याणिमो, I तत्थ for एत्थ, को वि केवलो चिय. 26) Pom. तम्मि, P पहाय- 27) भो for को, P भोय, P पयत्ते 1. 28) संजोगो, देववामाहिं ।, Jहोहिति एताहि. 29) Pरइ for हीरइ, P जवईणं नयण, पहराहिं ।- 30) हो for भो, P कह for अह, वञ्चिहिति. 32) किंपाक-.33) Padds एसु before एत्थ, P संबज्झसु, P विरयं कुणसु. . Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ 1 3 в 9 12 15 18 21 24 27 30 उज्जोयणसूरिविरया ९ ३८८ ) एवं च तय-दिय हे पहाय-वेलाए पुणो वि भणिउं समाढतो । भवि य । कीरत भोग-पसंगो ज फिर देहम्मि जीवियं अचलं न उड़ण काम पडिद्दि जडवे ॥ पाव काऊण पुणो लगइ धम्मम्मि सुंदरो सो वि । सा वि सह शिय णरवर जा एद्द पहाय - समयम्मि ॥ मा अच्छ संसारे णिचिंतो वीर बीह मच्चुस्स । मयरेण सह विरोहो वासं च जलम्मि णो होइ ॥ भोग-तिसिओ वि जीवो पुण्णेहिं विणा ण चेय पावेइ । उट्ठो जइ परिओ चिय पंगुरिओ भणसु सो केण ॥ धम्मं ण कुणइ जीवो इच्छइ धम्मप्फलाइँ लोगम्मि । ण य तेल्लं ण य कलणी बुड्ढे तं पयसु वडयाई ॥ जो कुणइ त इह सो पर छोए सुहाई पावे। जो सिंह सहयारे सो साउ-फलाई चक्लेइ ॥ अह इच्छसि परलोगो हद्द धि मह णवर ण परं । दोतस् य णरवर अपरस फिर णास एकं ॥ जो अलसो गेहे श्चिय धम्मं अहिलसह एरिसो पुरिसो वडवड मुहम्मि पडिया भाजय- मज्झमि तं भणसु ॥ इय धीर पाव- भोए भोक्तुं णरयम्मि भुंजए दुक्खं । खासि करंबं णरवर विडंबणं कीस णो सहसि ॥ ३०९) एवं पुणो व्य-दिवह राईए पभाव समए णिसुर्य परिजमार्ग जय महारावाहिराय सेविय जाणामि कमल-मउषु चलने एवाण तुझ उपण सर न होंति नरए कुप्पेनसुतं च मा धीर ॥ कोमल-कदली- सरिसं ऊरू-जुयलं ति जाणिमो वीर । णरए ण होइ सरणं मा कुष्पसु तेण तं भणिमो ॥ एयाण नियंबडं पिहुलं कल-कणिर-कंचि दामिलं । णरए ण होइ सरणं वीरम्हे जूरिमो तेण ॥ पीर्ण पचल-तुंग द्वारावलि-सोहिये च यणव गरए ण होइ सरणं भणामि धम्मक्सरं तेण ॥ विवसिय सय-निर्भ मुहं जइ वि वीर जवईण गरए ण होइ सरणं तेन दिये तुझ तं भणिमो ॥ दीहर- पहल - धवलं णयण-जुयं जद्द वि वीर जुवईण । णरए ण होइ सरणं चिंता मह तेण हिययमि ॥ इय जाणिण णरवर ताणं सरणं च णत्थि जरयम्मि । तम्हा करेसु धम्मं जरयं चिय जेण णो जासि ॥ ६ ३९०) एवं च पुणो पंचम दिवद्द राईए पहाय-समय- वेलाए पुणो पटियं जय महारायाद्विराय, जय, समी गएण णस्वर तिवासंद विलासिणी सह रमिवं कंतार-बंभणस्स व पज्जत्ती णत्थि भोएस ॥ मणुपसणे वि र बहुसो भुतं चलंत चमरालं जीवस्स णत्थि तोखो रोरस्स व धन-णिहारण ॥ असुरतणे वि बहुसो बलवंतो देवि-परिगमो रमिनो तह विण जाय तोसो जणस्स व वीर कहिं ॥ जक्खत्तणम्मि बहुसो रमियं बहुयाहिँ जक्ख-जुबईहिं । तह वि तुह णत्थि तोसो गरिंद जलहिस्स व जलेहिं ॥ बहुसो जोइस वासे देवीयण परिगएण ते रमिये। वह विण भरियं चित्तं णरिंद गय व जीवहिं ॥ इय णरवर संसारे पत्ता सुहाई एत्थ बहुबाई जीवस्स ण होइ दिदी वह रामो तह व एहि ॥ ६ ३९१ ) एवं दिव-राईए पमाय-समय पुणो पढियं जय महारायाद्विराय, जय भवि य सूजारोवण-संभण-वेयरणी-को- पाण- दुखाई मा पन्हुस चित्तेनं मा होसु असंभलो पीर ॥ बंध हणेल त्यण-गुरु- भारारोवणाई तिरियते । पद्वाइँ खणेणं किं कर्म तुम्ह गरणाह ॥ जर खास सोस- वाही- दूसह दारिद्द- दुम्मणरसाई पत्ताई मणुयते मा पम्हुस वीर सच्चाई ॥ अभियोग पराणची चरण-पलावाएँ वीर देवते । दुक्खाई पम्हुतो कि अण्णं कुणसि हिययमि ॥ असुर-मल- रुदिर-कदम वमालिनो गम्भ-वास- मज्झम्मि यसिनो सि संपर्थ चिय धीर तुमे कीस पडु ॥ कोडियंगमंगो किमि ब्व जणणीए जोणि-दारेणं । संपइ णीहरिओ चिय पम्हुट्ठे केण कज्जेणं ॥ 1 [ ३८८ 1 6 12 15 18 21 24 P 1 ) 3 पुणो पढिउमाढतो. 2 ) P भोय, कीर for किर, P अयलं, JP पडिहिति, P नडवेयर्ड 3 ) पति पभाय-, P कार्ल मि for समयम्मि. 4) विब्भ for बी, वासो, Jom. च, P किं for गो. 5 ) P उद्धो वत्थविहिओ केण सो भणसु for the second line उट्ठो जइ eto. 6 ) लोअम्मि, P वयडाई. 7) जो किर धावर णरवर सो खायर मोरमंसाई for the second line जो सिंचइ eto., P से for सो, नरवेई for चबखेइ 8 ) 3 परलागो णत्थि अह इहं ण परं । दोलंतरस, P इह नवरं न य तेलं । 9 ) P अहिसर, पडया, मज्झं पि तं भणया ॥. 10 मोरिस for मुंजर, विलंब की जो सहसि. 11 ) 3 जय महाराजाहिराजसेविय. 12 ) P जुवईण, होइ for होंति, तंसि मा धीर. 13 ) कयली, P - जुवलं, P जाणि नो वीर, धीर for वीर 14 ) P किंचि for कंचि, P वीरम्हे झूरिमो. 16 Pinter. जइ वि & वीर, P जुवतीण, Pom. ण. 17) Jदीहरवम्हल, P -पंभल, P जुवतीण. 18 ) P नरयंति । 19 ) P रातीए, Pom. समय, P भणियं for पढियं. 20 ) P रमिडं धज्जती for पुज्जती 21 ) Padds ण before वि, P चत्तं for भुतं, P घणनिदाणेण 22 ) P परगओ, P सार for वीर. 23 ) P रमिओ, P adds डुं before नक्ख, P जुवतीहिं, P जलणरस व जलणेहिं. 24 ) जोतिस, परिगए ते, P रमिडं, गयणं जादेहिं . The letters on this folio (No. 227) in J are rubbed and not olearly readable. Padds, after जीवेहिं । three lines : इय नरवर संसारे पत्ताई सुहाई एत्थ बहुसो । जोइसवासे देवीयण परिगएण ते रमिउं ॥ तह वि न भरियं चित्तं नरिंद गयणं च जीवे हि 1. 25 ) P संसा for संसारे, P होइ दीही वट्टर, Padds before राओ 26 ) P -राती पहाय-, P पुवि for पुणो 27 ) P सूलारोयणेणं किं कज्जं तुम्ह, i. e., it omits a portion of about three lines ending with पम्हुट्टाई खणें. 29 ) P खासे, P दुमणरसाई 30 ) अहियोग, अभिगम पराणत्ती कंकणपलवाई वीर, P कुणसे. 31 J कमपमालिओ, Jom. वसिओसि. 32 ) जणणीय जोणिभारेणं. 27 80 . Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9 -३९३] कुवलयमाला 1 संपइ बालत्तणए कज्जाकजेसु मूढ-चित्तेसु । अवि असियं ते वच्चं पम्हटुं तुज्य ता कीस ॥ इय गरवर संसारो घोरो अह सयल-दुक्ख-दुत्तारो । बुज्झसु मा मुज्झ तुमं विरमसु मा रमसु जुवईहिं॥ ६३९२) एवं च पुणो सत्तम-राईए पच्छिम-जामे णिसुयं । जय महारायाहिराय, जय । अवि य । फरिसिंदियम्मि लुद्धो गरवर बहुसो वि पाविओ णिहणं । विरमसु शर्णिह बज्झसि वारी-बंधम्मि व गइंदो॥ रसणिदियम्मि लुद्धो णरवर बहुसो विडंबणं पत्तो । विरमसु हि णाससि गलेण मच्छो ब्व जल-मज्झे॥ घाणिदिय-गय-चित्तो मत्तो णरणाह पाविओ दुक्खं । विरमसु एम्हि घेप्पसि ओसहि-गंधेण भुयगो ब्व ॥ णयणिदिएण बहुसो रूवे गय-चेयणो विणटो सि । विरमसु एहि डज्झसि णरपर दीवे पयंगो व्य ।। सोइंदियम्मि लुद्धो मुद्धो बहुसो विणासिओ धीर । विरमसु एम्हि घेप्पसि वाहेण मओ व्व गीएहिं ॥ इय जरवर पंचेए एक्केकेएहि घायण पत्ता । तुह पुण पंच वि एए महारिणो एत्थ देहम्मि ॥ ता वीर फुड भणिमो पंचहि समिईहिं समियओ होउं । काय-मण-वाय-गुत्तो णीहरि कुण तवं घोरं ॥ ६३९३) एवं च अणुदिणं भणिजमाणस्स रायउत्तस्स तम्मि पायाल-भवणे अच्छमाणस्स चित्ते वियप्पो जाओ। 12 'अहो, को पुण एस दियहे दियहे जयकार-पुव्वं इमाई वेरग्गुष्पादयाई कुलयाई पढइ । ता जइ अज्ज एइ अवस्सं ता 12 पुच्छामि' त्ति चिंतयंतस्स, जय महारायाहिराय वहरगुत्त जय, अवि य, जाव पढिउं समाढत्तो ताव भणियं रायउत्तेण । 'भो भो दिवो सि तुमं केण व कजण एसि मह पासं । किं च इमं वेरगं अणुदियहं पढसि मह पुरो॥' 16 दिब्वेण भणियं । . 'तुज्झ हिययम्मि गरवर जइ किंचि कुऊहलं पिता अस्थि । णीहरिऊणं पुच्छसु पायाल-घराओ सम्वण्णू ॥' कुमारेण भणियं । 18 'किं पायाल-घरमिणं केत्तिय-कालं च मज्झ वोलीणं । कत्तो वच्चामि महं सवण्णू कत्थ दट्टब्यो ।' तेण भणियं । _ 'एयं पायाल-घरं बारस-वासाइँ तुज्झ एयम्मि । एएण णीहि दारेण पेच्छसे जेण सवण्णू ॥' 21 भणिए समुटिओ पास-परिवत्तमाण-विलासिणी-गुरु-णियंब-बिंबयड-मणि-मेहला-णिबद्ध-किंकिणी-जाल-माला-रवारद्ध-संगीय- 21 पूरिजमाण-पायाल-भवणोयरो वइरगुत्त-कुमारो पायवडणुट्ठियाहिं विण्णत्तो सवाहिं । 'देव, जं सुपुरिसाण हियए कह वि तुलग्गेण संठियं किंचि । तं तेहिं अवस्सं चिय वीर तह च्चेय कायव्वं ॥ 24 ता को तीरइ काउं आणा-भंग गरिंद देवस्स । होउ तुह कज-सिद्धी एवं अन्भत्थणं सुणसु ॥ जह पढम पडिवण्णो सुपुरिस पुरिसेहि जो जणो कह वि। सो तेहिं तह चिय आयरेण अंते वि दटुम्वो ॥ अण्णं च देव, किं ण णिसुयं तुम्हेहि णीदि-सस्थेसु । श सत्संगतमार्येषु अनायें नास्ति संगतम् । अनया सह राजेन्द्र एकरात्र्युषिता वयम् ॥ इति । ता देव, एत्तिय-मेत्तं कालं तुमए समय जहिच्छियं रमियं । एक-पए च्चिय गरवर कीस विरत्तो अउण्णाण ॥' 30 एवं च भणिओ कुमारो भणिउमाढत्तो। __ 'जं तुम्भेहि पलत्तं सच्चे सव्वं पि णत्थि संदेहो । पडिवणं सप्पुरिसा छेए वि ण मुंचिरे पच्छा ॥ किं मुंचह एक्कपए जं तुम्भे भणह चंदवयणाओ। तं तुम्भेहि मि णिसुओ सत्त-दिणे धम्मवयणोहो ।' 33 ताहि भणियं । 'देव, 1) यहियं (१) for असियं, तं for ता. 2) संसारे घोरमहासयल ,P दुत्तारे, Pमा बुज्झ, P जुवतीहिं. 3) एवं पुण सत्तमः, Pरातीए. 4) P बज्झ वारी, P वि for व. 5) Jom. णरवर, Jadds वि after बहुसो, P adds वि after पत्तो, विरमइसु, Pणासुसु गळेण. 6) Pom. मत्तों, भुअओ व. 8) सोर्तिदियम्भि. 9) पच्चों एकेकयरेहि, पत्तो, तुज्झ पुणं च एए, ' एते. 10) JP समितीहि, J समितओ होउ. 11) Padds रायस्स before रायउत्तस्स, I adds वि before वियप्पो. 12) F को उण, P वेरग्गपाययाई. 13) Pom.त्ति, P जा for जाव, P ता for ताव. 16) कुतूहलं । कुळहलं. 20) P एतेण, ? सव्वन्नू. 21) णियंबयड, Pरवाबद्ध. 22) P-पाणयाल-, " पायवडणोणयाहिं. 23), सुबुरिसाण, तव for तह. 24) भंगो, " तुम्हाण for देवस्स, P कुणसु for सुणसु. 25) P पुरिसेण जो, P आयरेहि. 26) Pतुम्मेहि नीरसत्थेसु. 27) १ एकरात्रोषिता वयमिति ।. 28) Jom. ता देव. 29)P समिय, P adds वर before कीस, अउत्ता tor विरत्तो. 31) सपुरिस छए, P मुंचए for मुंचिरे. 32) P मुंचवह, P tor तं, " निसुर्य, धम्मवियणोहो. Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५६ उज्जोयणसुरिविरया [६३९३1 जेणं चिय णिसुओ सो देवं अह विण्णवेमु तेणेय। संसार-सायरं तो अम्हे हि वितरिउमिच्छामो॥ तो हरिस-पुलइज्जमाण-सरीरेण कुमारेण भणियं । अवि य । 3 महुर-मिउ-मम्मणुल्लाविरीहिँ णाणा-विलास-लासाई । बारस-वासाइँ अहं तुम्हाहिं वासिओ एस्थ ॥ इह-परलोय-विसुद्धं सपक्ख-परपक्ख-रामयं वयणं । अम्हेहि असुय-पुवं भभणिय-पुत्वं च तुम्हाहिं। ता सुंदरीओं सुंदरमिणमो संपइ विचिंतियं कजं । जर-मरण-सोग-विसमो संसारो जुज्जए तरिडं ॥ किंतु, 6 पुच्छामि ताव गंतुं सव्वं सब्वण्णु हियमणहियं च । को एस किं च जंप किं काउं जुज्जए एवं ।' ति भणिए ताहिं भणियं । 'एस ___ तुह अंजली विरइओ अम्हं सव्वाहि सुणसु वेण्णप्पं । जं पडिजसि णरवर भम्हाहि वितं करेयम् ।' ७.ति भणिऊण णिवडिया चलणेसु । एवं 'पडिवणं' ति भणमाणो णिग्गओ वइरगुत्त-कुमारो तेणेय वर-पायव-कुडि-मग्गेण, . समागमो य इह समवसरणे । पुच्छिऊण संदेहं णीहरिओ समवसरणाओ ति। ३९४)ता भो गोयम, अंतए पुच्छियं जहा को एस पुरिसो। एस चंदगुत्त-पुत्तो वहरगुत्तो, इमिणा दिग्द12 पओगेण पडिबुद्धो त्ति । भणियं च भगवया गणहारिणा 'भगवं, संपर्य करथ सो उवगमो' सि । भगवया भणियं तं 12 सव्वं महिलायणं तम्हाभो पायाल-घराभो णिक्कासिऊण आणेहिह । एसो य संपर्य समवसरण-तइय-तोरणासपणे संपत्तो' त्ति, जाव एत्तियं साहइ भगवं सो संपत्तो, पयाहिणीकाऊण समं महिला-सत्थेण भगवं कुमारेण पणामिलो उवविठ्ठो। 16 सुहासणत्थेण य पुच्छिओ भगवं 'केण कजेण को वा एस दिव्वो मर्म पडिबोहेइ, कहिं वा सो संपर्य' ति । भगवया 15 वि साहिओ सयलो पंचण्ह वि जणाणं भव-परंपरा-वित्थरो ता जा मणिरह-कुमारो, कामगइंदो, तइयो सोचेय वहरगुत्तो। तत्थ देवलोग-चुओ तुम लोहदेव-जिमो एस्थ उववण्णो पमत्तो य । तओ मायाइच्च-चंडसोम-जीएहिं इमिणा पाहाय18 मंगल-पढणच्छलेण पडिबोहिओ त्ति । इमं च सोऊण भणियं । 'भगवं, किं संपयं विलंबसि, देसु मे दिक्खं ति भणिए 18 दिक्खिओ समं चेय विलासिणीहिं वइरगुत्तो ति।। मणहर-विलासिणीयण-करेणु-परियारिलो वणो ब्व । दिक्खा-वारी-बंधे सुहप्फले णवर सो बद्धो । ति। ६३९५) एवं च सयल-नेलोककल-सरोयर-सरस-पुंडरीय-सिरि-सोहिमो भगवं महावीरणाहो विहरमाणो पुणो । संपत्तो हत्थिणारं णाम जयरं । तत्थ य बाहिरुजाणे विरइयं देवेहिं से समवसरणं विहि-विस्थरा-बंधेण । तत्थ य भगवया साहियं जियाण अणेय-भव-लक्ख-परंपरा-कारणं । पुणो भावद्ध-करयलंजलिणा पुच्छिमो भगवं गोदम-गणहारिणा 24 धम्म-तित्थयरो त्ति । 'भगवं, लोगम्मि केह पुरिसा णरणाहं सेविरे सुसंतुट्ठा। दाहिह एसो भत्थं तेणम्हे भुजिमो भोए॥ अह ताण सो वि तुट्ठो देइ धणं हरइ सो च्चिय भतुहो। अह ताण तस्स सेवा जुज्जह सफला भवे जेण॥ 27 जो पुण एसो लोगो देवं भच्चेइ भत्ति-विणएण । तस्स दीसइ किंचि.वि इह लोए जं फलं हो।' __ एवं च पुच्छिएणं भगवया भणियं वीरणाहेण ।। 'गोदम जं मे पुच्छसि देवचणयम्मि कह फलं होइ । इह-लोए पर-लोए जे फलया ते य तं सुणसु । 30 देवाणुपिया दुविहा देवा एयम्मि होति लोगम्मि । एक्के होंति सरागा विरागिणो होति अण्णे वि॥ गोविंद-खंद-रुद्दा वंतर-देवा गणाहिवो दुग्गा । जक्खा रक्खस-भूया होंति पिसाया तहा मण्णे ॥ किंणरा य किंपुरिसा गंधव्वा महोरगा य चंद-तारया उडु-गहाइचा। 1) विन्नवेमि, Jहो for तो. 3) विलासलाई. 4) परलोयविरुद्धं, P अम्हाहि for तुम्हाहि. SP सुंदरिमिणिमो,' सोअ for सोग, P दुज्जए for जुज्जए. 6) JP om. सव्वं, सवण्णू P सव्वन्नू, हिअं अणहिअंच, कातुं, ए. 8)" विरओम्ह, P om. अम्हं, P adds अम्हाहिं before सुणसु, करेयवमिति भणि'. 9) om. भणिऊण,P om. पायव. 103 adds ति before समागओ, Pom. य, P om. त्ति. 11) J गोतमा, ' जधा, Padds ता after पुरिसो, चंदउत्त, P चंडगुत्तो गुत्तो. 12) पओएण, om. भगवया, I सोवगओ. 13)P महिलाणयं, पयालघराओ, Prepeata पायालघराओ, णिक्कोसिऊण, आणेहित्ति P अणेहाति।, एस संपयं. 14) Pom. त्ति, P ताओ for सो, कओ for काऊण, पणमिओ,. adds य after पणामिओ. 15) मुहासणत्थेण. 16) Pom. वि before साहिओ, P तव for भव, ताव जाव for ता जा. 17) चुतो, P देवेहिं for जीए हिं, P पभाओय for पाहाउय. 19) Pवयरगुत्तो, P om. ति. 200P करिकरेणुपरि. वारिओ वणगईदो ब्व ।, J बद्धे, P मुहफलेण. 21) तेल्लोककल्ल, P सरोअ, Jadds सरय before सरस, P विहारमाणो पत्तो. -22) विरहओ, Pom. से, P समवसरण, J बढेण, P बंधो for बंधेण. 23) साहिया, I om. कारण, करयंजलिणा, गोयम-. 24) Pभणियं च भगवया for भगवं. 25) लोअंमि, JP दाहिति. 26)विअ for चिय, सफला पभवे तेण. 27) अंचेइ, P दीसति. 29) Pगोयम, P होति. 30) देवाणप्पिया, P एवंमि होति, लोयंमि,P om. वि. 31) बुग्गा for दुग्गा, रक्खसभूता पिसाय तह किण्णरा etc. 32) गंधब्वमहोरयचंद, Pom. य. . Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -९३९६] कुवलयमाला नागा उदहि-सुवण्णा अग्गी विजू य जाव इंदता । एए सब्वे देवा सराइणो दोस-मोहिल्ला ॥ एयाण पूयणं अञ्चणं च जो कुणइ परम-भत्तीए । राय व्व तस्स तुट्ठा देंति धणादी य कल्लाणे ॥ भत्तीऍ जे उ तुट्ठा णियमा रूसंति ते अभत्तीए । सह-माविणो य मोहे रागद्दोसा इमे दोणि ॥ जह णरवइणो कुविया रज्जादी-दिग्णय पुण हरति । इय तह देवा एए सुहमसुहं वा फलं देंति ॥ अह पुच्छसि पुग्णेहिं सा रिद्धी ताण किं व देवेहिं । अह देवेहि मि कीरइ ता कम्मं णिप्फलं तत्थ ॥ जइ तस्स तारिसं चिय कम्मं ता किं व तत्थ देवेहिं । मह तस्स देवय ञ्चिय करेंति ता णिप्फलं कम्मं ॥ एसो तुज्झ वियप्पो गोदम चित्तम्मि वट्टए एस्थ । तं अबुह-बोहणत्थं साहिप्पंत णिसामेहि ॥ णणु भणियं उदयाई खय-उवसम-मिस्स-परिणए कम्मे । दवं खेत्तं कालं भवं च भावं च संपप्प ॥ तस्थेरिसय कम्मं किं पि भवे णमसिएण देवाण । वञ्चइ उदयं खय-उवसमं च खेत्तम्मि वा काले । ता तारिस-कम्मुदओ देवाणं णमसियं च सहभावी । तं खल्लि-बिल्ल-सरिसं कागागम-तालवडणं च ॥ जं णरवदी वि गोदम सेवा-कम्मेण तोसिओ देइ । कम्माण सो विवागो तह वि हु दिण्णं ति गरवइणा ॥ १ देवा य मंगलाई सउणा सुमिणा गहा य णक्खत्ता । तह तह करेंति पुरिसं जह दिढे पुब्व-कम्मेहिं ॥ इय एए राग-मणा संपइ णीरागिणो वि वोच्छामि । जाण पणामो वि कओ मोक्खस्स गई णिरूवेइ । तित्थयरा भगवंतो सिद्धा णिहव-कम्म-वण-गहणा । भव-केवलिणो एए रय-मय-मोहेहिं परिहरिया ॥ 16 ताणं वयणाभिरए आयरिउज्झाय-सव्वसाहू य । भावेण णमंसंतो गरुयं पुण्णप्फलं लहसि ॥ पुण्णण होइ सग्गो सग्गाओं सुमाणसेसु पुण जम्मं । सुकुलाओँ धम्म-बुद्धी सम्मत्तं जिणमए होइ ॥ तत्तो णाणं णाणाओं होइ चरणं पि तेण णिजरणं । णिजरणाओ मोक्खं मोक्खे सोक्खं अणाबाई ॥ 18 जो ताण कुणइ थवणं भयणं बिंबं च पूयणं अहवा । पारंपरेण सो वि हु मोक्ख-सुहं चेय पाई ॥ मह भणसि तुमं गोदम काय-मणो-बाय-विरहिया कह णु । कोव-पसाय-विमुक्का कुणंति कह मोक्ख-सोक्खाई॥ जिय-राग-दोस-मोहा कह ते तुट्ठा कुणंति वर-लावे । सावाणुग्गह-रहियं को किर सेवेज थाणु वा ॥ ६३९६) एत्थ णिसुणेसु गोदम रागदोसेहिँ वजिया जइ वि । सावाणुग्गह-हेऊ भवंति ते भावण-वसेण ॥ जह वणतो वण्णे सुवण्ण-वण्णे पुरम्मि चउरंसे । माहिंद-वज-चिंधे विचिंतिओ कुणइ विस-थंभं ॥ जह तजणीऍ सो च्चिय अट्ठमि-चंदम्मि अमिय-भरियम्मि । पउमञ्चण-जलदेवे हरइ विसं खत्तिय-फणिम्मि । जह मज्झिमाए सो च्चिय रत्तेत सेय-सोस्थिय पसत्थे। वइस फणिंदे छूढो विसस्स अह थोहणं कुणइ ॥ जह य अणामाएँ पुणो कसणो वट्टो य विद्वम-विचित्तो । सुद्ध-फणि-वाउ-देवे छूढो संकामण कुणइ ॥ सो श्चिय हंसो णह-मंडलम्मि रव-मेत्त-संठिओ सुहुमो। चिंतिय-मेत्तो एसो विसस्स णिवाहणं कुणइ ॥ 7 एवं गोदम पुहई आऊ तेऊ य पवणमायणता । पंच वि भूया पंचंगुलीसु पयरंति कम्माई ॥ एको चिय विण्णत्तो मंडल-भेदेण कुणइ कम्माई । ण य तस्स राग-दोसा हिय-अणहिय-चिंतणं णेय ॥ एएण चिंतिओ हं पीओ थंभं करेमि एयस्स । एएण अमय-वण्णो एयस्स विसं व गासेमि ॥ 30 एवं थोहो संकम-णिन्वाहा रत्त-कसिण-सामेहिं । ण य सो करेइ चिंत अणुग्गहं णिग्गई कुणइ ॥ एसो तुह दिटुंतो वणंतो गोदमा मए दिण्णो । जह एसो तह भगवं जाणेजसु वीयरागो वि ॥ ण य सो चिंतेइ इमं अणेण जह संथुओ अहं एसो। पावेमि सिद्धि-वसई ण कयाइ विचिंतए एवं ॥ अहवा, ५ 1) उवहि, एते, P होति for दोस. 2) Padds पडिमा before प्यणं, Pom. अच्चणं, धणाई. 3) Jom. उ, रुमंति ते य तुट्ठीए ।, P मोहोरागं दोसा इमे होति ॥. 4) Pजह नवरं नरवइणा कुविया, P रज्जादि-दिन्नय हरति । एते. 5)F अहं, किंचि for किंव, P अहवा देवेहिं मि, P तस्स for तत्थ. 6)P तस्स दिवय,Jadds ताणि before ता. 7) Pगोयम चित्तं पि वट्टए, जं for तं. 8) J उदयाती, Pom. उदयाई, मिस्सदि परिणदि कम्मे, P मिस्सादी- 9) P भवे नमंसिएण, देवेण, Prepeats उदयं, Pom. वा, P कालो. 10) कम्मुदयो, कंमुवओ देवाणमंसियं च सहभावी, तं खिल्लि विल्लि, कागागमलवडणं. 11) Pणरवई, P गोयम सेवामेण, तोसितो, P विवासो तह. 12) सउणा for सुमिणा, PM for second तह. 13) एदे. 14) उभयवंतो, सिद्ध निद्दद्ध, गिड्डू, एते. 15) P वयणा तिरए, P गरु for गरुयं. 17) Pसोखं. 18) भवर्ण for थवणं. 19) Pगोयम, कोय, तह for कह, सोक्खाती सोक्खाइ. 20) जित, जे वीतरागमोहा, P ब्व for वा. 21)Pगोयम,Jहेत, P भणंति ते. 22)वण्णा वन्नो for वण्णे, P चउरंसि, Pचिण्हे for चिंधे, विण्णतिओ for विचिंतिओ. P विसं. 23) Pजे for जह. तज्जणीय, J अभूमि, J अमय, P जलदेवा. 24)Jसे for सो, Pसो चि रत्ते तं चिय सोच्चिय पसत्थे, वेइसटाणढो, P अहवा कुणं हणइ ।।.25)J कसणवट्टो, पुणो वसणे व य बिंदुयविचित्ते। अहफणि, वायु- 26)J सामो for हंसो, P वर for रव, P चिंतिमेत्तो, चिय सो for एसो. 27) गोयम, Pपवणमयणे य, भूता पंचगुलिभा पयरेंति, P कंमाइ. 28) Jवण्णंतो for विण्णत्तो. एण वि for अणहिय, J अणहियं. 293 पीतो P पीठ, J adds देत्ता before भं, एतस्स, Jएतेण, पदरस विसं व णासंमि. 300 Padds च ।। after एवं रंत, Pसे करेश, अणुग्गओ णिग्गहे. 31) Jom. वणतो, P गोयमा, दिद्वाण्णो for दिण्णो, I वीतरागो. 32) जह for ण य सो, अण्णेण जद संथुतो, P.कयावि, P om. एवं. 33 Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उजोयणसूरिविरहया ॥ । 1 पण जिंदिल है इमरस पार्व करेमि ता बहुयं ण कमाइ बीयरागो भगवं सिंतेहि वियप्यं ॥ जेण ण मणो ण रागो ण य रोसो तस्स णेय सा इच्छा । णिक्कारणं णिरत्थं भ्रमण को चिंतितं तरह ॥ तो गोदम भुइ-फलमडलं तु पावर पुरिसोनंदतो जिंदा-फलमया अह णरयवडणाई ॥ सम्दा एको भगवं पुण्ण- फलो होइ पाव-हेऊ व विस-भणणिवा वह वर्णतो मए भणिमो ॥ मार्चिते विययं गोदम दम्बाई होति लोगग्मि अवरोप्यरं विरोहो जाणसु मद्द दीसए पयढो ॥ जह अम्मी पञ्चलिन सावण-उमोव च सो कुमइ भरहा वह व पयास पावस्य ताव कुछ ॥ गोदम जह व रसिदो अमिलो अमिग्झ-पक्लित्तो फुडिऊण तक्खणं चित्र दिसो दिसं बच अदि ॥ सहज-स-लगेण तावियो पाव-पारय-रसोहो एत्तिय सति विलिन नसतो संगम तस्स ॥ जद रविणा तिमिरोहो तिमिरेण वि चक्खु दंसणं सहसा । दंसण- मोहेण जहा णासिज्जइ कद्द वि सम्मतं ॥ तह गोदम जिण दंसण-जिण-चिंतण जिणवराण वयणेहिं । णासह पाघ-कलंकं जिण-वंदण-जिण-गुणेहिं च ॥ एवं व साहिए सयल-पुरिसिंद पुंडरीएण भगवया णाय कुलंबर- पुण्णयंदेण जिण-चंद्रेण पडिवण्णं सब्वेहि मि आबद्ध-कर12 कमल-मडल-सोहेहिं तियसिंदप्यमुदेहिं सयल-सत्तेहिं । २५८ 3 6 9 ६ ३९७) एथेतरम्मि पविद्धो को बंभण-दारको समवसरणम्मि केरियो। अवि य सामल-वच्छत्थल- घोलमाण- सिय-बम्ह-सुत्त सोहिल्लो । पवणंदोलिर-सोहिय-कंठद्ध - णिबद्ध-वसणिल्लो ॥ 16 तिगुणं पयाहिणीकओ गेण भगवं पायवडण- पबुट्टिएण य भणियं तेन भगवे, को सो वमम्मि पक्खी माणूस मासाएँ अपए किंवा जं तेण तत्थ भणियं तं वा किं सचयं सम्यं ॥ भगवया भणियं । [६३९६ 33 18 देवाणुपिया सुपर जो सो पक्खी वणम्मि सो दियो जं किंचि तेण भणियं सर्व सोम्म सर्व्वपि ॥ तेण भणिये । जड् भगवं जह से खयं वणम्मि जे परिक्षणा वहिं भणियं ता रचणाणि इमाई वा सामीण उपपेमि ॥ 21 भगवया आइ । देवाणुपिया जुज्जह पच्छायावो बुदाण काउं जे। दिट्टो बिय तम्मि वडे तुमए पक्खीण ववहारो ॥ एवं भणिय मे णिवंतो समवसरणाको सो भण-दारो तलो पुच्छिओ भगवं जाणमाणेणावि गोयम-गणहारिणा । 24 'भगर्व, 24 1 12 15 को एस दिवाह- सुनो किंवा एएन पुच्छिमो भगवं । को सो वणम्मि पक्खी किंवा सो तत्थ मेते ॥ एवं च पुच्छिओ भगवं महावीरो साहिउं पयत्तो । ' अस्थि णाइदूरे सरलपुरं णाम बंभणाणं अग्गाहारं । तत्थ जष्णदेवो 27 णाम महाधणो एको चउब्वेभो परिवसह । तस्स य जेट्ठउत्तो सयंभुदेवो णाम । सो य इमो । एवं च तस्स 27 18 बहु सयण- जण वेय-विजा-धण-परिवारियस्स वञ्चति दियहा । एवं च वर्षांचंतेसु दियहेसु, अवस्सं भावी सग्व-जंतॄण एस मधू, तेण य सो जण्णदेवो इमस्स जणभो संपुण्णणिय आउवप्यमाणो परलोग पाविनो । इओ व सम्यं भर्थ परिवमार्ण 30 हि पावियं सम्वहा तारिणं कम्म परिणामेण से ताज मत्थि जं एम दियह असणं तमो एवं च परिविय लिए 30 विवेण कीरति लोगयत्तानो, विसंवर्यति अतिहि सकाराई, सिडिलियान बंभण-किरियामो, 1 बहथियाई दि दाणाई ति । सव्वा, गुरु-गिद्ध भिन्द्य-बंधव-परियण-जण सामिणो य पुरयम्मि । ता मण्णिजह पुरिसो जा विवो अस्थि से तस्स ॥ 21 J 1 ) P कयावि, JP चिंतेहिति. 2 ) P तम्हा for अमणं. 3 ) P गोयम, JP थुति, J पावई, P निर्दितो, फल अहवा. 4 ) J हेतू, P थंभणे निव्वाहो जर, P भणियं ॥ 5 ) P गोयम, J लोभम्मि 7 ) P गोयम, P फडिऊण, P -दिसिं वञ्चर. 8 ) P असंतो संगमं. 9 ) Pom. वि. 10 ) P गोयम, Pom. दंसण, Pom. वंदणजिण, P adds सि after च. 11) भगवता J 14) P बंभ for बम्ह. 15) णिडणं पयाहिणिकओ, Pतिगुणीं, पायवडणणु, Pom. पायवडण etc. to भगवं. 16) P after तत्थ repeats भणितिगुणाहीको मग पावडर भणिदं तेण भग को for भणिदं तं वा किं elo to सुब्बउ जो. 18) Pom. पक्खी, P सोम सव्वं 20 ) P रयणाई, तंपि for ताणं, P सामाण उप्पेमि 21 P भणियं for आइहूं. 22 ) P दुहाण for बुहाग. 23 ) P भणियमेत्तो, om. तओ पुच्छिओ, गोदम. 25 ) P एतेन, P om. किं. 26 ) P अग्गहारं । जत्थ 27 ) P जेट्ठो उत्तो. 28 ) P वर for घण, व असब्वं भावी P अवस्सभावी 29 ) णिअयाउअ P नियआओय परलोअं, इतो, Pom. थ, P परिसयलमाणं. 30 ) P तारिसाणं, उता for तं, P ता for ताण, P असण्णं, P परियलिए 31 ) P फीरवंत, सोनी, सकार बंधु for 33 for कि अहत्विदानगिदाणा ) P निद्द 38 . Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -§ ३९९ ] कुवलयमाला 1 णिज्झीण-पुरुव-विहवा पुरिसा पुरओ ठिया ण दीसंति । दारिइंजण-जुत्ता पत्तिय-सिद्ध व्व दीसंति ॥ इमं च एरिसं भाऊनं सर्वमुदेवरस जणणीए भणिओ सर्वभुदेवो । अनि य 3 पुस पण-सार-रहिलो उवहसथिलो जणम्मि सम्बम्मि मय-किरियाऐं विणो जीवंत मयलको पुरिसो ॥ अम्हाण तुमं पुरिसो णिक्खित्तं तुह कुटुंब भारं ति । ता तह करेसु पुत्तय जह पिउ-सरिसं कुणसि अत्थं ॥ डिणो तुम पि पुचय पंडिय-पढिलो व सूर-चित्तो यता तह करेसु संप जह जिय कुवम | § ३९८) एवं च दीण-करुणं भणिओ जणणीए इमो सयंभुदेवो अहिय-संजाय-मण्णु-गग्गर-वयणो भणिउमादत्तो । 6 अवि य । 6 पुण्णेहिं होइ अन्यो अम्दे पुण्याई माएँ पढाई पेण विहव-किरणे रवि व्य सो चेय अत्यमिभो ॥ एक्कस्स होइ पुण्णं ण पोरुसं दोण्णि होंति अण्णस्स । अण्णो दोहिं पि विणा सपोरुसो पुष्ण-रहिओ य ॥ पुण्णेहिं होइ लच्छी भलसा महिल त्र णाम- मेत्तेण । पुण्ण-णियलेहिँ बद्धा अण्णमणा चेय बंदि व्व ॥ जो पुण्ण-पोरुसेहिं लच्छी पुरिसस्स होइ दोहिं पि । सुरय-वियङ्का पोढ व्व सहइ सा वंचियं साहुं ॥ जा पुण पुणे विणा एक्केणं पोरुसेण णिव्वडिया । अथिरा सा होइ पुणो णव- पाउस-विज्जु-रेह व्व ॥ पोरुस - पुण्ण-विहूणा लच्छी घेत्तुं ण तीरइ जणेण । चवलत्तण- दुल्ललिया माए जल-चंद -रेह व्व ॥ पुण्ण-रहियाण अम्हं अम्मो सत्तेण किं पि जइ होइ । तं तं करेमि एहि जं भणियं तं खमिजासु ॥ 15 चि भणतो विडियो चलणे, समुट्टियो व भणियं च तेण अवि य । भमिण सयल-पुहई छाउव्वाभो खुद ति पडिऊण । अवि णाम मरेज अहं भकयत्थो णो घरं एमि ॥ भितो नितो मंदिराम सो बंभण-दारभो । तप्यभूई च यर-पुर-सोहियं वसुंधरं भमिटमादो कविय वर-पुर-खेड-ड-गामागर-दीव तह-मईयेसु दोणमुहाडद्द - पट्टण-आराम पवा-विहारेषु ॥ एवं प tre परिमग्गिरो सो सन्वोवायाइँ णवरि काऊण । भमिऊण सयल-पुद्दई चंपा-णयरिं समणुपत्तो ॥ 9 12 18 २५९ 12 15 ६ ३९९ ) सत्य य अभंगए दिजवरे ठहय-दुवारे सव्वम्मि यरि-गणव चिंतियं तेण 'दे पुत्व जुण्णुजाणे 21 विसिय एकम्मि पायवे समारुहिऊण राइ-सेसं णेमि त्ति चिंतयंतो पविट्टो आरूढो य एक्कम्मि तमाल-पायवस्मि । 21 तत्थ य अच्छमाणो चिंतिउं पयत्तो । अवि य । 18 'जम्बो भवन्वानो उदर-दरी-भरण- वावडो दिवई । तरु-साहासु पसुतो पक्खा-रहिलो अहं काज ॥ 24 ता धिरथु इमस्स अम्ह जम्मस्स, ण संपत्तं किंचि मए अस्थं, जेण घरं पविसामि' चि चिंतयंतेण णिसुभो कस्स 24 अच्छिउं पयत्तो जाव एक्केण भणियं । दुवे वि वणिवत्ता निरुवियाको इमम्मि पदेसे' चि भणते तेण 27 वि सहो । तभो 'अहो, को एत्थ जुण्णुजाणे मंतेइ' त्ति जायासंको आयण्णयंतो 'एस रामास पायवो इसस्स अधे कीरड हमें कर्ज' ति भणता संपत्ता तमाल- पाय 27 तेहिं दस वि दिसाओ । तभो भणिवं । 'अहो, सुंदरं इमं ठाणं, ता दे णिण खनिउमाढतं तं पसंतरं । णिक्खित्तं च तत्थ तेहिं तंबमय-करंड, पूरियं धूलीए, वेलि-लयाहिं कथं साहिण्णाणं । ततो तेहिं भणियं । अवि य । 0 ' जो एत्थ को विरक्खो भूय-पिसानो व्व होज अण्णो वा । णासो तस्स णिहित्तो पालेज्जसु अद्द पसाएणं ॥ ति भणिरं जधायं पडिगया । चिंतियं च इमेण । अहो, जं जेण जहिं लइया जन्तियमेतं च वस्स पासानो तेण तर्हि तया पाविज तत्तियं चेय ॥ 33 जेण पेच्छ । 30 P 1) P णिज्जीण, ट्ठिआ ट्ठिया, 'जगसिद्धा पत्तिय. 2 ) P एरिसं नाऊणं भुदेवस्स 3 ) P सव्व for मय, P जीय व्व मयलओ. 4 ) P अम्हा तुमं, P तह कुटुंब, P पिओ सारिसं. 5 ) P पंडियओ सूर - 6 ) Padds स before दीण, P इमं for इमो, अहिअंजाय, adds माए after अवि य. 8 ) P करणे, P चेव. 9 ) P होई अत्थं पुन्नेहिं पोरुसेण दिनं पि । P दो for दोहिं, P विणा अपुरुसो. 10) मो. P 11) P होति, सुरयावियड्डू, P सव्वंगियं for सा वंचियं, P साहू for साहु. 12) जो पुन, एके पुरियेण निम्बरिया, विवरेह 13 विहीना, P, P रेहि- 14 > P होइ । ता तं भणिया तं खमेज्जासि. 16 ) P पुइ, JP खुड्डत्ति, P ति for त्ति, P मरेज्जाई. 17 ) तप्पभूई. 19 ) P अत्थि for अत्थ, Pom. भमिऊण, पुती, पं. 20 ) अत्यंगदे, P दिणयरट्ठविय, P घर for जयरि, P जिगुज्जाणे परिवसिय 21 ) Jom 22 ) P तत्थ माणो चिंतिउं. 23 ) J उअर for उदर, P तव for तरु. 24 ) P तो for ता, Padds जं before अम्ह, P संसतं किंपि गए. 25 ) P जिज्जाणे, P अण्णेण for एक्केण. 26 ) P अहो for अधे, Pom. ति, J adds à before तमाल, दुवे वियत्ता दुवे वणियउत्ता 27 ) P दसा दिसाओ, JP ततो for तओ, P इमं थाणं ता देहिंमि हणनु, P परसे, Jom. 30 ) १ वि रुक्खे भूय-, F 32 ) P जत्तिमेतं, P चेष . 28) खणिउमाढत्तो, Jom. तंत्रमय, Jom. धूलीए, P वल्लि for वेल्लि. 29 ) उ ततो. अण्णा वा अम्द पसरणं. 31 ) र जधागतं, P जहागया तहा पडिगया, Pom. च, Pom, अहो J for चेय. 33 . Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० उज्जोयणसूरिविरद्दया 1 सयलं भमिऊण इमं पुद्दई वण-सेल-काणण-सणाहं । अज्ज इहं संपत्तो देव्वेण पणामियं अस्थं ॥ वो पायवाओ। अयनीयं सयले कवारं । उप्पाडिया करंडिया । उग्धाडिऊण पुरुइया जाव पेच्छ पंच 3 अनपाई स्वणाई ते य दण हरिस-सूत-रोमंच-कंचुलो अंगे विमाइ पवतो 'दे, संपर्क घरं वच्चामि तिपय सव-पुरमाद्दाराभिमुदं अपहे व तस्य महादई तीए वद्यमाणस्स का उण बेला हिउं पयत्ता अवि य । कोडियर करो आयो अत्य-सेल-सिहरम्मि दीवंतर-कय-सनो रेहइ पवनो विय पर्यगो ॥ 3 6 इमम्मिय वेला - समए चिंतियं सयंभुदेवेण । अव्यो वण-मज्झगओ पत्तो रहसेण णत्थि इह वसिमं । ता किं करेमि संपइ कत्थ व रयणीऍ वच्चामि ॥ 'दे, इमम्मि अणेय - पादव- साहा समाउले वड-पारोहे आरुहिऊण णिसं भइवाइयामि । भारुको तम्मि वड- पाययस्मि एक-पएसे य बहु-विडव संकुले अणेव साहा-पत- गियरे 'अहो, विदिणा दिष्णं जं मह दायव्वं । संपयं गंतॄण घरं एवं विकेऊण रयणं पुणो काहामि त्ति इमं चिंतयंतस्स बदलो अंथयारो उत्परं पयतो दस-दिसं T चिंतयंतस्स बुद्धी समुप्पण्णा । 9 बहु-पचवरामो एस बणाभोगो' चि अच्छिउं पयत्तो । चिंतियं च णेण सल-कुटुंब-बंधवा जं करणीयं स 18 12 आवासीया सवे सठण- सावधणिवा बहुए य परिख कुले तर निवसति वढोयरे से य णाणाविद-पढ़ाये 13 णाणाविद-वण्णे बहुष्यमाणापेच्छतो ताल-सु-वितर-संभरचित महापर्वगो अच्छिदं पयतो सर्वमुदेवो ति । ६ ४०० ) एत्थंतरम्मि समागमो चि एको महापक्खी। सो य भागतूण एकस्स महापक्खि-संघ-मज्झरिस 10 महाकायरस चिर-जरा- तुष्ण पक्ख-वल-परिसडिय-पत-पेहुणरस पुरओ डाऊन पायवणुडियो विष्णवि पवतो अवि य 18 'ताय तुमे हं जाओ तुमए संवडिओ य तरुणो हं । कुणसु य मज्झ पसायं ता विष्णतिं णिसामेसु ॥ 1 यणे भज्ज कयत्थे मण्णे कण्णे वि अज मह जाए। एयं पि पक्ख-जुवलं भज्ज कयत्थं ति मण्णामि ॥ जानो बज य मण्णामि सफल जीवं गरुडा अवि बज व अप्पानं गरुपमे मन्ये ॥" भणियं च तेण गुण्ण-पक्खिणा । किं भज जोग-रनं णिनिखर्च भन तुज्या सगवणा । किं पुत पुत-लाहो पत्तं वा नक्त्रय-शिद्दाणं ॥' 21 तेण भणिणं । 'को ताय रज-लाभे तोसो को वा धण-पुत्त- विश्व -लाभेहिं । तं अज्ज मए लद्धं कत्तो खग-राइणो होज्ज ॥ शुष्ण- पवित्रणा भणियं । [ ३९९ 1 18 24 'दे पुत्त साह सव्वं दिहं व सुयं व अज्ज अणुभूयं । किं व तए संपत्तं कीस व हो हरिसिओ तं सि ॥' तेण भणियं । 'णिसुणेसु, अज अहं तुम्हाण सयासाओ उप्पइओ गयणयलं किंचि आहारं अण्णेसिउं बद्ध-लक्खो धरणियले परिभ्रमामि जाव दिई भए एकम्मि परसे पायास्परिवर्व महाजण समूई तस्थ व उप्पयंति देवा, णिवयंति 27 विजाहरा, परिसकंति मणुया, गायंति किंणरा, णञ्चंति अच्छूरा, वग्गंति वंतरा, थुणंति सुरवरा, जुज्झंति असुर-मल्लति । 27 तं च दट्ठूण जाओ ममं हियए वियप्पो 'अहो, किं पुण इमं' ति । 'दे पेच्छामि' त्ति चिंतयंतो उवइओ गयणयलाभो जाब पेच्छामि अण्णे वि बहुए पक्खिणो एकम्मि पायारंतरम्मि । तमो वार्ण मज्झनगो पेच्छामि कोमल-किसलय30 सिलिसित पियसमाण व कुसुम-गोच्छस्स रत्तासोय-पायवस्स हेटुलो महरिहे सीहासने मिसन्नो भगवं को वि 30 दिव्य-गाणी लोक-सुंदरावयवसवंग-सणीलो मणहरो सयल-जय-जंतु जण णिवाणं सदेवासुराए परिसाए मझ-गमो धमाधम्मं सातो च दडून चितिषं मए 'अहो, मए दिडं मए जं दबे एरिसं तियगच्छेत्वं पेच्खमाणेण' । 1 21 पंचग्धेयाएं J 1 ) J पुहई, Jom सेल, P सेण for सेल, इमं for इहं. 2 ) J अवणिअं, P कयव रुक्केरं, P पेच्छओ पंच, P पंच अग्वेयाई 3 ) P inter. माइउं & ण. 4 ) Pom. त्ति, P पयत्ता, पुरग्गाहा, P पुरग्गहादिमुहं, P महाडईए, तम्मि य वट्टमाणस्स for तीए eto. 5) कतसज्जो P कयसिज्जो, P पहविओ विय, इव for विय, पतंगो. 6) Pom. य, P वेलासए. 7) P व for वसिमं, P after इह व repeats सिहरंमि । दीवंतरकयसिज्जो ete. to रहसेण नत्थि इहत्थ and again सेल सिह रंमि । दीवंतर etc. to इह वसिमंतो, Pom. ता, adds कत्थ before वच्चामि . 8 ) पातव P पाठव for पादव, अतिवाहयामि 9 ) पतेसे, P विडवि-, P अण्णेय 10) Padds जह before जं, Pom. मह. 11) कुटुंब 12) आवासीमा P निहाया for विहा, P वहले for बहुए, P कुले स्थ विवसंति, J वडे य एतो for वडोयरे, P ते अन्न विपलावे, J -पलाव. 13) P बहुष्पमाणो, P सुलभ, संचरंतमहा, P अच्छिओ, P पवतो. 14 ) P एयरस for एकस्स, P rep. महापक्खिसंघ 15 J om. महाकायरस, P -जुयल-, P ट्ठाऊग. 16 ) P संडिओ य, P वा for ता. 17) Jom. मण्णे, अज्जमेव सह, P अजे, P एतं जुअलं, Padds अ before कयत्थं- 18 J सफलं, P जायं, P गरुडा य वि [ गरुडाण वि]. 20 ) पुत्तलाभो P पुत्तणाहो. 22 ) P - लाभो, P विहवलोमेहिं । जज्ज मए, P कत्ता. 23 ) Pom. जुण्णपक्खिणा भणियं. 24 ) P साह व्वं, om. अज्ञ, J अणुभूतं, P हरिसिउं 25 ) अण्णेसितुं 26 ) P धरणियलं, P परसो, P देवा नियवंति. 27 >किण्णरा P किन्नरा, P जुज्जंति. 28 0 हिअय. 29 ) P ताव for जाव, P पायारंतंमि, ततो, Pom. हं, P पेच्छाओ. 30 ) सिलिसिणेंत, P को for को विं. 31 ) P पसत्थ for सत्र्वंग, P सलसयजंतु 32 ) J धम्माहम्मं, P सार्हेता, Jom. अहो मए दिट्ठ जं दट्ठव्वं, P एरिसं तुहणयअच्छेरयं. 24 . Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४०१] कुवलयमाला २६१ 1 सजो ताय, तेण भगवया सवण्णा साहियो सबलो संसार-सहावो, पदंसिनो जीव-संसरणा- वित्वारो वित्थाओ 1 कम्म-पय-विसेस, विसिनो बंध-जिरा-भावो भाविनो संरासव- वियप्यो, विवपिनो उप्पाय-द्वि-भंग-विरो, 3 परुविमो जो मोक्ख-मग्गो चि । तो हमे च सोऊन सर्व उप्पण्ण-संवेय-सा-द-हिण पुच्छलो मए भगवं सव्वण्णू जहा 'भगवं अम्हारिसा उप्पण्ण-वेरणा वि किं कुतु तिरिय-जोणिया परायण करणा' तो इमे च क्खिण मह हिययत्थं भणियं भगवया । देवापिया सण्णी तिरिओ पंचिदिओ सि पज्जत्तो । सम्मत्तं तुह जायं होहिइ विरई वि देसेण ॥ 6 ४०१) त्यंवरम्मि पुच्छि भगवं गणहर-देवेण । अवि य । 'भगवं के पुण सत्ता णरयं वच्यंति एत्थ दुक्खत्ता । किंवा कम्मं काउं बंधइ णरयाउयं जीवो ॥' 9 भगवया भणियं । 12 1 'रयाउयस्स गोदम चत्तारि इदं हवंति ठाणाई । जे जीवा तेसु ठिया णरयं वञ्चति ते चेय ॥ पंचेंदियाण वहया पुणो पुणो जे इणंति जीव-गणं । केवट्टाई गोदम ते मरिउं जंति णरयस्मि ॥ कुणिमाहार-पपत्ता कुमिमं मंसं ति तं च आहारो । सावय पक्खीण वदो मरिकणं ते वि णरयम्मि ॥ सर-दर्द-ताय- सोसण-दल-जंगल-जंत बावडा पुरिसा मरिण महारंभा गोदम वर्धति णरयम्मि | गाम-नगर- खेड -कब्बड -आराम-तलाय विसय-पुहईसु । परिमाण विरइ रहिया मुच्छिय-चित्ता गया णरयं ॥ " 15 तनो इमे च सोऊण ताथ, मए चिंतियं 'अहो भगवया साहारिणो पंचेदिय वह कारिणो व परय-गामिणो नाइट्टा 15 ता अम्हे पंचिदिष वहया साहारिणो य गया णरयं ण एप संदेहो ण-वाणिमो अत्थि कोई संपर्क उपाओ न सि चिंतयंतस्स पुणो पुच्छिमो भगवं गणहारिणा 'भगवं, जह पदमं इमे ठाणे होऊन पच्छा उप्पण्ण-विवेगसणेन 18 णरय - दुक्ख भीरू कोइ विरमइ सन्च - पाव-ठाणाणं ता किं तस्स णरय - नियत्तणं हवइ किं वा ण हवइ' त्ति । भगवया 18 भणियं । 'गोयम, होइ जइ ण बढाउओ पढमं । बढाउओ पुणो सन्वोवाएहिं पि ण तीरइ णरय-गमणाओ वारेर्ड' ति । तभो ताय, इमं च सोऊण मए चिंतियं 'अहो, महादुक्ख-पउरो णरयावासो, पमाय-बहुला जीव-कला, विसमा कम्म-गई, 21 दुरंतो संसार-वासो, कढियो पेम्म-नियला-बंधो, दारुण-विवागो एस पंवेदिय वहो णरया-दूओ एस कुणिमाहारो, 21 जिंदिभो एस तिरियत्त-संभवो, पाव-परमं अम्हाणं जीवियं ति । एवं च ववस्थिए किं मए कायध्वं'ति । तभो एत्थंतरम्मि भणियं भगवया । अवि य । 24 जोविंद दिय-तुरए य संजमेऊण । विहिणा मुंह देई जहिरिये पावए सिद्धिं ॥ ति भणतो समुट्ठिओ भगवं सब्वण्णु ति । विहरिडं समाढतो । जहागयं पडिगया देव-दाणवा । अहं पि ताय, अहो भगवया अगोदरसेन दियो महं उपसो इमं चेय काहामि जविव । 27 छेत्तणणेह - णियले इंदिय-तुरए य संजमेऊण । कय-भत्त-णियत्तमणो मरिंडं सुगई पुण लहामि ॥ a ति । ता दे करेमि महवा नहि नहि गुरुवणं आटच्छामि भविव । 1 आउच्छिऊण गुरुणो सयणं बंधुं पियं च मित्तं च । जं करियव्वं पच्छा तं चेय पुणो अहं काई ॥ 30 तितितो न भकयाहारो एत्थ संपत्तो सि ता विष्णवेमि संपइ ताय तुमे एस पायवडणेण । देसु अणुजं खमसु य मह अजं सव्व-अवराहे ॥ त्ति भणिऊण णिवडिओ चलण-जुवलेसु । 1) सदामो सिनो for पदंसियो, सरावल्यारिओ 2 दिन om. नियणिओ J 7 14 ) P गामागर Pट्ठति - 3 ) J पन्नविओ for परूविओ, P मोक्खमग्गत्ति, Pom. सवं, P उप्पणसंवेसद्धा. 4) Prepeats किं, P कुणंति, P जोणीयपरायत्तकरुणा, परयत्त, ततो for तो 5 ) Pom. भणियं. 6 ) P देवाणुप्पिया, P adds पज्जत्तियाहिं before पज्जतो, JP होहिति, P ति for वि. एत्थंतरंति 10 ) P गोयम, Pट्ठाणाई, P हिया for ठिया. 11) P जीवाणं केवट्टाती गोयम. 12 ) P आअहारो 13 ) P सोसेण, जुत्त for जंत, P मरिक महारंभा, P गोयम, P नरयंति खेडमढंबआराम-, P पुहतीसु. 15 ततो P भाय for ताय, Jow. य. 16) P काई for कोइ 17 ) चितयंतस्स गणहारिणो, Pom. पढमं, P ऊण for होऊन, P विवेयत्तणेण नरय-P पाणट्ठाणाई ता, P तस्स रयगत्तणं हवइ. 19 ) 5 गोतम, P होइ जणइ बढाउयं, वाएहिं, P धारिउं for वारेउ. 20 ) Pom. च, Jय for मए, P णरयवासो, P एस त्रिदियवहो गरयग्गिदूओ. 24 ) P जहच्छियं पावसिद्धि किं तायवस्स for 18 ) P भएण for भीरू, विमरइ सञ्च, Jom. पढमं । बद्धाउओ, Pom. पुणो, सम्बं बहुलो जीवफली, कंमगती 21 ) Pकड्डिणो, किम्मए १ किं मयं. 23 ) Jom. अवि य. P ताह for ताय. P अण्णाव एसेण. P अड़वा for 32 ) Pति 22 ) संभववो, P पोव for पाव, Pom. च, सिद्धि त्ति 25 ) P सव्य, P जहा पडिगया, 27 ) P छेऊन, P - णियलो, P भत्तू for भत्त, Pom. पुणे, P लहीहा मि. 28 ) Pom. one नहि, P अउच्छामि, अवि य. 29 ) णिद्धं for मित्तं, P का हिंति. 30 ) P अज्ज कयाहारो for त्ति, चलणेसु । तओ, P वलय for चलण. 26 ) 31 ) विष्णवेसि (?), P अणज्जं 8 12 24 27 30 . Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૨ उज्जोयणसूरिविरइया [६४०२1 ६४०२) तओ पसरततर-सिणेह-पगलमाण-णयण-जुयलेग अंसु-किलिण्ण-वयणेण भणियं जुण्ण-पक्खिणामविय।। 'पुत्त ण कीरइ एसो ववसाओ दुत्तरो सुरेहिं पि। अण्णं चं अहं थेरो घच्छ ममं मुंचसे कहयं ।' 3 तेण भणियं 'ताय जे तए भणियं तं णिसामेसु । किं दुत्तरं तिलोए णरयावासाउ होज बहुयं पि । णियओ जो तुह जणओ ताय तुमे कस्स सो मुक्को ।' वुड्डेण भणियं। 8 'जह पायवस्स पुत्तय पारोहो होइ लग्गणक्खंभो । तह किर पुत्त तुम पि हु होहिसि मह पुत्तो सरणं ।' तेण भणियं । 'ताय, को कस्स होइ सरणं को वा किर कस्स लग्गणक्खंभो । णिय-कम्म-धम्म-वसमो जीवो अह भमइ संसारे ॥' बुढेण भणियं । 'अज वि तरुणो पुत्तय मा मर इह ताव भुंजसु सुहाई। पच्छा काहिसि धम्म बच्छय जा वुडओ जामो ॥ तेण भणियं। 12 किं मरइ णेय तरुणो वुत्तं ताय को ण पावेइ । तं अच्छसि चुड्यरो ण-यणसि धम्मस्स णाम पि॥' वुडेण भणियं । ___ 'अत्थो कामो धम्मो तरुणत्तण-मज्झ-चुड-भावेसु । कीरंति कमेणेवं पुत्तय मा तिक्कम कुणसु ॥ 16 तेण भणिय । 'को व ण इच्छइ एसा परिवाडी ताय जा तुमे रइया । जइ अंतरेण पडिङ मञ्च-गइंदो ण विहणेह॥' खुड्ड-पक्खिणा भणिय । 18 'जणिओ सि पुत्त दुक्खं दुक्खं संवडिओ य जणणीए । किर होहिसि आलंबो वुवृत्तणयम्मि अम्हाण ॥' तेण भणियं । 'सुरयासत्त-मगेणं जाओ संवदिओ य आसाए । इंधण-कजेण गओ ससयं जह पावए को वि॥' 21 वुद्ध-सउणेण भणियं । 'एस्थ वि तुज्म अधम्मो होइ चिय पुत्त ताव चिंतेसु । बुड्ढे मोत्तूण ममं कायर-पुरिसो ब्व तं जासि ॥' तेण भणियं । 24 'जइ तं वञ्चसि गरयं मए वि किं ताय तत्थ गंतव्वं । अयडे णिवडइ अंधो ता णिवडउ किं सचक्खू वि ॥' __ वुड-पक्खिणा भणियं। 'तह विपिओ मे पुत्तय तुह विरहे णेय धारिमो जीयं । पिइ-वज्झाए घेप्पसि एस अधम्मो तुहं गरुओ ॥' 27 तेण भणियं । 'ताय ण तुज्झं दहशो जेणं णरयम्मि खिवसि धोरम्मि । को कस्स मरइ चिरहे जाव ण खुद णियं कम्मं ॥' वुड्डेण भणियं। 30 'तुझ पिभो है पुज्जो पुत्तय ता कुणसु मज्झ वयणं ति । मुञ्चउ मरणासंसा पढमं पिव अच्छ णीसंको।' तेण भणियं । को कस्स होइ जणओ को व जणिजइ जणेण हो एत्थ । जणओ सो चिय एक्को धम्मुवदेसं तु जो देइ ।' 33 वुड्ड-पक्खिणा भणियं । ___ 'जइ पुत्त तुमे एवं अवस्स करणिज्जयं तु ता विसह । जा ते पेच्छामि सुहं दीह-पवासम्मि चलियस्स॥' तेण भणियं । 1) पसरंत सिणेहेण पगल, -जुअले आलिकिलण्ण, P जुगलो for जुयलेण. 2) P एसो ओ दुत्तारो, P अन्नं वाहं घोरा वच्छ, Jमए for मर्म, J कस्स for कहये, P adds थेरं after कड्यं. 3) P निसामेहि. 4) णरयावासो हु. 6) पुत्तस्स, लग्गणक्खंतो।. 8) Pinter. कस्स & होइ, P परि for अह. 11) Jadds य after तेण. 12) ताव को, को व for को ण, न य जाणसि धम्मनाम पि. 13) P बुढेण. 14) Jom. मज्झ, P वुढभावेण्णु, P काम णेयं for कमेणेवं, उज्जम for तिक्कम. 16) P पडियं, 'गईदे, हारेड for विहणेइ. 17) वुड्डेण for वुड्डपक्खिणा. 18) संठिमओसि जणणीए. 20) Jगओ संसयं. ३ कोइ ॥. 22) P तुज्झ न धम्मो, P तुम for बतं. 24) Pजइ सि तं, P अंधो जइ निवडिओ किं. 26) P पिय-, P एस अहंमो. 27) Jadds तओ before तेण. 28) P adds ति after खुद. 30) Pकुज्झ पियाई. 32) Jहो। सरणं को. 34) Pतए for तुमे, P ति for तु, Jy for ते. Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6 -६४०४] कुवलयमाला 1 'जंकायच्वं कीरउ को जाणइ दियह-पक्ख-मासाणं । किं होहिइ अहिययरं वयणं जेणम्ह दीसेज ॥' ता खमसु अहं वचामि' ति भणतो उवगओ माऊए समीवे । 3 ६४०३) तत्य य पायवडणुट्टिएण विण्णचिया माया । अवि य । तं धरणी सावित्ती सरस्सई तं भगीरही पुहई । धारणि-अम्मा देवी माया जणणी य जीयं च ॥ ता खमसु माए एम्हि कप-पुव्वं जं म्ह अविणयं किंचि । संपइ मरियव्वमिण उवट्टियं अम्ह संसारे ॥ 8 इमं च सोऊण जरा-जुण्ण-खुडिय-पक्खावली-वियलणा-पयड-पंडर-सरंडय-डंडावली-मेत्त-पक्ख-पडली-सणाहाए मणियं जुण्ण-पक्खिणीए । अवि य । 'हा हा पुत्त किमेयं वयणं अइ णिटुरं तए भणियं । थक्किय-पडिहयमेयं ण सुयं म्हण यावि ते भणियं ॥' 9 तेण भणियं । चिरजीविणीए मम्मो दिट्ठो ब्व सुओ व कोइ लोगम्मि । मरणाओ जो चुक्को मंगल-सय-लक्ख-वयणेहिं ।' थेरीए भणियं । 12 'पुत्त तहा वि ण जुजइ भणिऊणममंगल इमं वयणं । सोऊण इमं दुल्लह मह दुक्खं होइ हिययम्मि ॥' तेण भणियं । 'अम्मो वयणेण इमं दुक्खं जायं ति तुज्य दुत्तारं । जइ स चिय मरणं हवेज ता किं तुम भासि ॥' 15 थेरीए भणियं । 'पुत्त ण वह एयं भणिउं जे जइ पुणो कह वि होजा । ता पुत्त तुम्ह हेण तं चितिं चेय पविसेज्जा ॥' तेण भणियं । 18 'अम्मो मा भण अलियं एकेक अणुमरेज जइ तं सि । ता कह थेरी होती बाल श्चिय तं मुआ होती ॥' थेरीए भणिय। 'मा पुत्त भणसु एवं जीयाओ वि वल्लहो तुम मम । मा म मुंचसु एम्हि थेरत्तण-दुक्ख-संतत्तं ॥' 21 तेण भणिय । 'अम्मो को कस्स पिमो को वा जीवेज कस्स व वसेण । को वा मुञ्चइ केणं को थेरो किं व से दुक्खं ।' थेरीए भणियं । 24 'पुत्त इमो ते धम्मो अम्मा-तायाण कुणसि जं विणयं । बंधुयणस्स य पोसं पम्मुक्को होहिइ अहम्मो ॥' तेण भणियं । __ 'अम्मो सञ्चं एयं भणियं घर-वास-संठिय-जियस्स । जो पुण मुंचह सव्वं तस्स ण कजं इमेहिं पि ॥' 7 थेरीए इमं भणिय। कुच्छीऍ मए धरिओ णव-मासे पुत्त-भार-सुढियाए । उवयारस्स फलं ते पञ्चवयारो को को वा ॥' तेण भणियं । 30 'अम्मो कीस तए हं धरिओ गम्भम्मि केण कजेण । णियय-जणणीऍ तुमए उवयारो को कओ होज ॥ माए हं ते जणिओ तुमं पि जणिया मए भव-सएसु । बरहट्ट-घडि-समाणा अवरोप्परयं पिया-पुत्ता ॥' भणतो उवगओ जेट्ट-भाउणो समीवं । 33 ४ ०४) तत्थ वि पायवडणुटिओ विण्णविडं पयत्तो । अवि य । 'भाउय तं सि खमेजसु अम्हे उच्छंग-वविया तुम्ह । डिभत्तण-दुललिएहिं तुज्झ जो अविणओ रइओ ॥' भाउणा भणियं । 1) जाणो for जाणइ, JP होहिति, P दीसेज्जा. 2) P समीवं. 3) Pविणविय, Pom. माया, P adds after अवि य like the following which is partly repeated subsequently तं धरणी सतवती सरस्सीती तं भगीरही पुहती। धारअंगादेवी माय जण अहं वच्चामि त्ति भणतो उवगओ माऊए समीवं । तत्थ य पायवडणुट्टिएण विगविय. 4) P धरणी सत्तवती सरस्सीवी, P पुहती । धारणिअंगी, धरणीअम्मा, P जणणी अजीयं च.5) जम्ह जम्हं for जं म्ह, अम्हि for अम्ह. 6)Pखुडिया से सडिय पक्खावली वियडणापयडा, पम्हावली, सडंडय-,J-पडाली. 8) Jथुक्किय, Jण सुअम्हणयं अम्हे for ण सुर्य म्ह, ए P तं for ते. 10) चिरजीविणीय : चिरजीवणीए, P repeats सुओ व्व, लोअम्मि, P सलक्ख-. 12) भणिऊण अमैगलं, Pom, दुलह मह. 14) Pदुक्खं जीवं ति पइसेज्जाI, Pom. जइ सच्चं चिय मरणं eto. toचितिं चेय पविसेज्जा।. 18) Pोति in both places. 20) P पुत्त धणमएस जीयाउ वि. 22)J वा मंचइ. P केग व को. 23) थेरीय Pथोरीए. 243 ए for ते Pबंधुयणस्स पसायं पंमुके, JP होहिति. 26) P भणियं परवाससंठियस्स जीवस्स, Pउण for पुण, Pति for पि. 27) P has additional lines here beginning with थेरीए भणियं । कुच्छीए etc. धरिओ गम्भ ति which are repeated below, Pom. इम. 28) P भणिओ for धरिओ, सुट्टियाए. 32) Pजे? भायणो समीव तस्स. 33)P पीयवडणुट्टिओ विडं पयत्तो. 34) Fखमजसु, P तुम्हे for तुज्झ. Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ उज्जोयणसूरिविरइया [१४०४1 'हा कीस वच्छ मुंचसि केण व तं किंचि होज भणिओ सि । को णाम एत्थ धम्मो किंवा पावं भवे लोए॥' तेण भणियं । 3 'मा भाउय भण एवं धम्माधम्मेहि संठिओ लोओ। अह अस्थि को वि धम्मो विणयाप सुभो जहा राया।' भाउणा भणियं । ___ मुद्धो सि वच्छ बालो केण वि वेयारिओ वियद्रेण । सो को वि इंदयाली वेयारेतो भमइ लोयं ।' 8 तेण भणियं। 'भाउय विवेग-रहिओ तं मुद्धोज भणासि कावडिओ। मा हो तं भण एवं तियसिंद-णमंसियं वीरं ॥' भाउणा भणियं । ७ अच्छसु भुंज जहिच्छं परलोओ वच्छ केग सो दिवो । एकं हूयं अगं होहिइ का तम्मि ते सद्धा ।' तेण भणियं । ___“धम्मेण एत्थ भोगा भाउय धम्मेण होइ सगं पि । ता तं चेय करिस्सं णस्थि सुहं धम्म-रहियस्स ॥' 12 भणमाणो उवगओ कणियसं भाउयं, तं पि उत्तिमंगे चुंबिऊण भणिउं समाढत्तो । अवि य। 'उच्छंग-लालिओ मे वच्छ तुम पुत्तओ ब्व मह दइओ । खर-फरुसं सिक्खविओ अवराहं खमसु ता मज्झं ।' कणीयसेण भणिय। 16 'हा भाउय कत्थ तुम चलिओ होजा णु अम्ह मोत्तूण । अम्हाण तं सि सामी तुज्झायत्तं इमं सव्वं ॥' तेण भणियं। वच्छ चलिओ मि मरित्रं तुम्हे मोत्तुं पुणो वि गंतब्वं । को कस्स वच्छ सामी जम्मण-मरणेहिँ गहियम्मि॥ 18 ६४०५) इमं भणतो उवगओ जेहँ भइणिं, तीय पायवडणुट्टिएण भणियं ।। भइणी तं महदेवी सरस्सई तं सि पूणिजा सि । ता खमसु अविणयं मे डिंभ-सहावेण जं रइयं ॥ तीए वि वियलमाण-णयण-जल-पवाहाए भणियं । अवि य । 1 'वच्छम्हाग तुम चिय कुलम्मि किर भो कुमारओ आसि । पोमाय म्ह तुमे च्चिय तुमए चिय जीविमो अम्हे ॥ तेण भणिय । जीयइ कम्मेण जिओ पोमायइ सुंदरेण तेणेय । जइ ई कुले कुमारो माए ण य लजणं काहं ॥' । 24 तीए भणियं । ___'थेरं मुंचसि पियरं कस्स इमं मायरं च गइ-वियलं । सत्थेसु किर पढिजइ अयण्ण-परिपालणं काउं॥' तेण भणिय। 27 'किर वाहेण तओ हं बद्धो पासेण अहव ण य जाओ। मोत्तण ममं पुत्ता अण्णे वि हु अत्थि तायस्स ॥' ४०६) इमं भणतो उवगओ कणीयसं भइणि । ते पिसाणुणय उवसप्पिऊण भणिउमाढत्तो। अवि य । ___ 'खर-णिटुर-फरुसाइं वच्छे भणिया सि बाल-भावम्मि । ता ता. खमसु एहि होसु विणीया गुरूणं ति॥' 80 तं च सोऊण मंतु-गग्गरं तीए भणियं । अवि य। 'हा भाउय मं मोत्तुं दीणमणाहं च कत्थ तं चलिओ । ताओ वहइ थेरो तुज्झम्हे चिंतणीयाओ॥' तेण भणिय । 33 'अलिओ एस वियप्पो जं चिंतिजइ जणो जणेणं ति । वच्छे पुन्व-कएणं दुक्ख-सुहे पाविरे जीवा ॥' ६४.७) एवं च भणमाणो उवगओ भारियाए समीवं सो पक्खी । भणियं च तेण । अवि य । सुंदरि सुहय-विलासिणि तणुयंगे पम्हलच्छि घर-लच्छि । धणिए मह हियय-पिए वल्लह-दइए य सुण वयणं । ___3) Pएवं धमेहि, धम्माहम्मेहि, P लोए।. 5) सि बद्धबाला, P वेयारतो. 7) विवेय; P भणामि for भणासि. 9) जहच्छि, P om. वच्छ, P adds कत्थ before सो, JP होहिति, P ते सिद्धा. 11) J भोआ. 12) कण्णसे माउअंतेण तं पि, P भणिओ. 13) Pसे for मे, P तुह for मह. 14) कण्णसेण भणिअं. 17) Pमरिओ तुम्हे म्हेतुं पुणो, , मरणिहिं, J गहिअस्स ॥. 18) P भणिउ for भणतो, P जेटभगिणी, I adds तेण before तीय. 19) तमहं देवी, तं महादेवी, भो for मे. 20)तीय वि, Pom. णयण, P जलह- 21) Pतुच्छम्हाण, P पिय for चिय, P हो for भो, कुमासओ, पोमाय । पामाय. 23) P सुंदरे य तेणेय, JP कुमासो. 24) तीअ for तीए. 25) P अइo for अयण्ण. 27) P कर for किर, कओ हं [इओ हं? ], P बद्धो पोसेग अह वि न य, P अत्थे for अण्णे. 28) कण्णस्स for कणीयस, P भइणी. 29) फरिसाई, Pता माई खमसु. 30) मणु for मंतु, P मंतुयग्गरं. 31) Pघोरो (थोरो'). 33) " जीवो ॥. 34) गमो for उवगओ. 35) J वंभलच्छि, Pघरलच्छी ।, Pom. य, P सुवयणं. Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४०७] कुवलयमाला 1 सद्धाणि य पीयाणि य तुमए समयं बहूणि तणुयगि । गयणंगणम्मि भमियं रुक्खग्गे णिवसियं समय ।। सुरसरि-पुलिणेसु तए समयं तणुयंगि विलसियं बहुसो । माणस-सरस-सरोरुह-दलेसु सुइरं पसुत्ता मो॥ 3 किलिकिंचियं च बहुसो कय-कलयल-राव-मुइय-मणसेहिं । तं णस्थि जंण रइयं दइए ता खमसु तं सव्वं ॥ इमं च सोऊण गुरु-दुक्ख-भर-भार-सुढिया इव णिवडिया से मुच्छा-णीसहा दइया । तं च णिवडियं दद्रण तेण भणिय । 'भासस मुद्धे भासस सरल-सहावा ण-याणसे किंचि । किं ण सुयं ते सुंदरि संजोया विप्पोयंता॥ आसस मुद्धे आसस विहडइ अते सराय-घडियं पि । संपुषण-णियय-कालं पेम्मं चक्काय-जुवलं व ॥ आसस मुद्धे आसस चहुलं संकमइ अण्णमण्येसु । विशगिरि-सेल-सिहरे वाणर-लीलं वहइ पेम्मं ॥ आसस मुद्धे आसस चवलं परिसक्कए सराइलं । णव-पाउस-जलहर-विजु-विलसियं चेय हय-पेम्मं ॥ आसस मुद्धे आसस एयं चिंतेसु ताव लोगम्मि । खर-पवणुदुय-धयवड-चवलं छउबंगि हय-पेम्म । इय बुज्झिऊण सुंदरि मा मोहं वच्च भाससु मुहुत्तं । गय कलह-कण्ण-चंचल-चलाओं पेम्माण पयईओ' ति। इमं च भणमाणेण यासासिआ सा तेण पक्खिणी । तओ होंत-विओयाणल-जणिय-जालावली-पिलुट-हिययुत्तत्त-णयण12 भायणोयर-कढंतुव्वत्त-बाह-जल-पवाहाए भणियं सगग्गय तीए पक्खि-विलासिणीए । अवि य।। 'हा दइय णाह सामिय गुण-णिहि जियणाम णाह णाह ति । एक-पए च्चिय मुंचसि केण वि चेयारिओ अम्हं ॥ हा णाह विणा तुमए सरणं को होहिई अउण्णाण । कस्स पलोएमि मुहं सुण्णाओ दस दिसामओ वि।' 18 तेण भणियं । 'मा विलय किंचि सुंदरि एस पलावो णिरत्थओ. एम्हि । जंतो य मरंतो विय किं केणइ वारिओ को वि॥ जं जस्स किं पि विहियं सुहं व दुक्खं व पुन्व-जम्मम्मि । तं सो पावइ जीवो सरणं को कस्स लोगम्मि । 18 तीए भणिय। 'जइ एवं णिण्णेहो वजमओ तं सि मुच्चसे अम्हं । ता किं जाणसि डिंभे मह जणिए किं परिचयसि ॥' तेण भणियं । 1 'मोहंधेणं सुंदरि किंचि-सुहासाय-जणिय-राएण । एवं कयं अकजं दुक्खमणतं ण तं दिटुं॥ जइ काम-मोह-मूढो बद्धो वारीऐ कह वि वण-हत्थी । मुछे किं मरउ तहिं किं वा बंधं विमोएउ ।। ज कह वि मोह-मूढेण सेविओ किं मरेज तत्थेव । जो जाओ गोतीए किं जाउ खयं तहिं चेय ॥ १५ जइ सेवियम्हि कामो कह वि पमाएण तं च ईहामि । किं कह वि जो णिउद्दो सो पायालं समल्लियउ । तीए भणियं । 'जइ तं वञ्चसि सामिय अहं पि तत्थेय णवरि वच्चामि । भत्तार-देवयाओ णारीमो होति लोगम्नि ।' 7 तेण भणियं । __ 'सुंदरि पयट्ट वच्चसु पारत्त-हियं ण रोयए कस्स । पेच्छसु भव-जल-रासि जम्म-जरा-दुक्ख-भंगिलं ।' तीए भणिय। 30 'एयं बालाराम णिसंस-मुकं तए भह मरेज । किं मुच्चामि तुमे चिय जह अहयं मुचिमो एयं ॥' तेण भणियं । ‘णिय-कम्म-धम्म-जाया जियति णियएण चेय कम्मेण । बालाण किं मए किं तए ब्व मा कुसु मिसमेयं ।' 33 इमं च णिसामिऊण तीए भणिया ते डिंभरूवा । एसो य तुम्ह जणओ पुत्तय मरणम्मि दिण्ण-धवसाओ। ता लग्गह पायाहिं कम्मम्मि इमस्स गाढयरा ॥ 1) वीआणि for खद्धाणि, P बहुणि तणुयंगी, P भमि. 2) P पुलिले मु. 3) Pom. च, P om. ता. 4) Jom. भर, P सुठिया, P णिवडिय, Jadds अवि य after भणियं. 5) Pणयासे. 6) यंते for अंते, ' repeats पेम. 7) विझइरि, वाणरणी वय. 8) चलं च for चवलं. 9) P एवं, चितेसु आव लोअंमि, P लोगं ।, P धयधयडचंचलं. 10) Jआसस- 11) Jom. तेण, -विभोआलि-जलिअजाल वलीविलुट्ठ, P-पिलुद्धहियपुत्तत्तणयभायागढराकढंतुंबत्त. 12) , -प्पवाहाए, P सगग्गरं, तीय पक्खिविलासिणीय. 13) हे for हा, P जियनाहराह त्ति ।, P मुद्धय for मुंबसि, केणावि, वियारिओ. 14) JP होहिती, अण्णाए. 16) P किच सुंदारे, अणिरत्थयो, P केण व धारिओ, कहिमि for कोवि.' 17" J लोअम्मि. 18)J तीय. 19)P जद व णिणेदो, Pतं च से अम्ह।, Pजणेहि for जाणसि. Jadds पि after किं. 21) सुहासाए. 22) "कोव for मोह, वारीय कादव, बद्ध, । बंधं मिमाएउ. 23) Pजीवो for जाओ after जो, P कि for खयं, तहिं चिय. 24) सेविअम्हि ? सेविओसि, जो पिउद्धो, ? समल्लियइ. 25) : तीय. 26) ? देवताओ,' लोअमि. 29) तीय. 30) " निस्संसं, Pमरेजा, P adds अह before अयं, P मुंचमा. 33) तीय भणियं तेण ते, Pरिसुरूवा. 34) Jom. य, तुम्इं, ता लयद पायाहि, मा दाहिह for पायाहिं, कण्णम्मि, गाढयर. 34 Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ उज्जोयणसूरिविरइया [६४०८1 ६४०८) एवं च भणिया समाणा किं काउमाढत्ता । अवि य । उवाइया सरहसं सम्वे च्चिय मुख-मम्मणुलावा । खंधम्मि केइ कंठे अणणे पट्टि समारूढा ।। 3 'मोत्तण ताय अम्हे कत्थ तुमं पवससि त्ति णिण्णेहो । अंबं पेच्छ रुवंति भम्हे दि मरामु तुह विरहे ॥' तेण भणियं । 'पुत्त मए तुम्हाणं ण किंचि कर्ज ति जियउ ए अवा । स चिय दाही भत्तं होह समस्या सयं चेव ॥' तेहिं भणियं । ____ 'अंबाए ताय कहियं ताएण विणा मरामि हं पुत्त । तुम्हे विमए मुक्का मरिहिह मा देसु गंतु जे ॥' तेण भणियं । 9 'मा पत्तियाह पुत्तय एसा अह कुणइ तुम्ह परिहासं । को केणं जीविजह को. केणं मरद लोगम्मि । भव-रुक्ख-पाव-कुसुमप्फलाई एया डिंभ-रूवाइं। महिला णियलमलोह बंधण-पासं च बंधुयणो । त्ति चिंतयंतेण धुणिऊगं देहं तस्यरं पिव पिक्क-फलाई व पाडिऊग डिभ-रूवाई चलिओ ससुरंतेणं । भणियं च तेण । 12 'तुह ताय पायवडणं करेमि एसो म्ह खमसु जं भणियं । जारिसओ मह जणओ तारिसओ चेय तं पुजो ॥' तेण भणिय । ___'कल्लाणं ते पुत्तय जइ मरियम्वं अवस्स ता सुणसु । अज वि बालो सि तुम को कालो वच्छ मरणस्स ।' 15 तेण भणिय। बालो तरुणो वुड्डो ताय कयंतस्स णत्थि संकप्पो । जलगो व्व सम्व-भक्खो करेउ बालो वि तो धम्मं ॥' ति भणतो उवगो अत्तंतेण । भणियं च । 18 'भत्ता तुह पावडणं अम्हं जणणी तुर्म ण संदेहो । ता खमसु किंचि भणियं डिभत्तण-विलसियं अम्ह ॥' तीए भणियं । ___'अज चि पुत्तय बालो कुग्गाहो केण एरिसो रइयो । भुंजसु भोए पच्छा वुडो पुण काहिसी धम्म ॥' १ तेण भणियं । 'धम्मस्थ-काम-मोक्खा अत्ता चत्तारि तरुण-जण-जोग्गा । जोग्वण-गलियस्स पुणो होति समुदो ब्व दुत्तारो।' तीए भणियं । 4 'धूयं मोत्तूण इमं फुल्ल-फल-भरिययं सुरूवं च । मा मरसु पुत्त मुद्धो ण-याणसि अत्तणो सारं ॥' तेण भणियं । 'अत्ता फुल-फलेहिं किं वा स्वेण किं व तरुणीए । घोरं णरए दुक्खं इह जम्माणतरं होई ॥' भतीए भणियं । ' तुह कुलस्स सरिसं भणियं तं पुत्त भासि पढमम्मि । भिंदसि कुल-मज्जायं संपह तुह हो ण जुत्तमिणं ॥ तेण भणिय । 80 भत्तार-देवयाणं अत्सा जुत्तं ण एव णारीणं । अयं मरामि सा उण ण मरह जुत्तं कुरु तीय ॥' त्ति भणंतो चलिओ पिय-मित्तंतेणं । भणियं च तेण।। __ मित्तं ति णाम लोए वयंस अह केण णिम्मिय होज । वीसंभ-गम्भ-हरो पणय-दुमो दिण्ण-फल-णिवहो । 33 परिहास-मूल-पसरं रइ-खधं पेम्म-राय-साहिल्लं । घिइ-कुसुम-चिंतिय-फलं मिक्त-तरुं को ण संभरह ॥ ता मित्त तुमे समयं जयम्मि तं णस्थि जं तुहं गुज्झं । जइ किंचि अम्ह खलियं खम सम्वं पसिय ते सुयणु॥ मित्तेण भणियं । 'साहसु मह सब्भावं किं कर्ज मित्त पवससे तं सि । को जाम एस गरओ मुखो सि वियारिभो केण ॥' 2) P उद्धाइय सहरिसं, P को वि for केह. 3) पाव P ताव for ताय, P पवसस, पेच्छे, अति र रवंती, तह for तुह. 5) Pr for ति, Pinter. अंबा & ए, दाहिति for दाही, चेअ. 7) Pतुम्मे, 2 मरहिद, देसु गंतव्वं 1. 9) पत्तियाहि, ' कुणहइ, P । जा वाविजद केगं को केगं, लोअंमि. 10)-रूआई, पणिअलुमलोहं बंध व पासं. 11) Iom. पिव, P पिव पक, P ससुत्तणं. 12) चेव. 14) जर करिअव्वं. 16) Pतया for ताय, करेसु, P3 for वि. 17) Pअणेण for अत्तंतेण, Pom. च... 19)तीय. 20) P एरिसो वइओ. 22) मोक्खो अत्य चत्तारि. 23) -तीय. 24) धूतं, P रइयं for भरिययं, याणसी. 26) J repeats किं वा. 27) तीय. 28) vinter. पुत्त and तासि for आसि, मिंदिसि. 30) Pएय for एव. 31) rom. भणियं च तेण. 32) adds पिय before मित्त, P पित्तं त्ति णाम, J पोए for लोए, होजा, फगयदुमो दिण्णल. 33) F पेम्मराइ, चिति-, चिंतसफलं. 34) तुभ समयं, तुटुं गुज्झं, P खमियन्वं पसियं त सुयणु. 36) मुखो वेआरिओ. Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -8809] 1 तेण भणियं । 'एस्थ ण जुज्जइ भणिउं णवरि तु मित्त-वयणमेतं पि । गहियं जं तुह चित्तं तं सि अभव्वो भकल्लाणो ॥ 3 सेण भणियं । 'जइ अस्थि कोइ णरभो पावो य हवेज जीव-हिणेणं । किं एस सब्व-लोभो ण मरइ जह तं मरिउ कामो ॥' तेण भणिये । 6 'किं सग्दो थिय पेच्छ से वीरं सुलह किं व वयणाई जिसुए विकरस सती जो मुंबई सम्ब-पावाई ॥' मितेण भणियं । 'तं एक पंडियो मझे कि पक्सि सक्स-कोटीण गो-सय-माझे कुलो समसपुईि वह एको ।' 9 तेण भणियं । 'किं सम्वरस विवेो धम्मे बुद्धी व होह परखीण रुक्स समान विमझे चिर को बंद हो ।' भितो चलियो सामन्य सम्व-परिस-होतेण भणियं ते। 12 15 कुवलयमाला 1 'भो भो हो पक्लिगणा बलिया पुम्मि रुख-सिहरम्मि गयणम्मि समं भमिया सरिया पुलिस कीलियया ॥ 'ता समह किंचि भणियं भम्यो बासणेण दुव्वयणं सहवास-परिवो हो होइ थिय सब लोगग्मि ॥' इमं भणिया सच्चे सहरिस- दीन-कलुना हास-रस-भरिजमाण- माणसा भणिदं पचत्ता । wwwww 1 , 'एवं होउ खमेज्जसु जं तुद्द रुइयं करेसु तं धीर । सुहुं वि जइ विष्णप्पसि ण कुणसि भदं तुमं वयणं ॥ तेण भणियं । 'कीस न कीरइ वषर्ण भोसारिय-मच्छरस्स पुरिसस किं तु ण दीसह कर वि एवं मोजण तं बीरं ॥" 18 तो समुपइमो तमाल-दल- सामलं गयणयलं सो विहंगमो । एयंतरम्म सूरो कय-मेरु-पवाहिणो नियमिगो विचसाविय-कम-वणो जिणच कुणइ भतीए ॥ ताव व करवति सणया निंति पूषा, निसियति वग्बा, वियरंति सिंघा, विवसंति कमलायरा संकुर्वति कुमुपावरा, 21 कुसुमिय- सिय- कुसुमह-हास- हसिरा वणसिरि त्ति । अवि य । सिय- कुसुम-लोणोदर - णिविट्ठ- मूय लिएक- भमरेहिं । गोसग्गम्मि वण-सिरी पुलएद्द दिसीओ व विउद्धा ॥ ६ ४०९) तो तं च तारि पंढरं पदार्थ दहून उपमा सम्बे ते पक्खिणो सम्हालो बढ-पायवाओ ति । ते य 24 उप्पर दण निन्दियखित-हिषमो चिंति पयतो सर्वभु देवो 'लदो म अच्रीय पेच्छपणे पक्षिणो से वि 24 माणुस पक्षाविणो फुडसरं मंतयति, ते वि धम्मपरे ता कई आहार-भय- मेहुण-सण्णा मे हियय-विष्णुरंत विष्णाना, कई वा एरिसी धम्म- बुद्धि सि । ता ण होइ एवं पयइत्थं दिष्व-पक्खिणो त्थ एए । अहो तस्स पक्खिणो फुडक्खरालावसणं, 27 महो सतसारो, अहो पचसानो, अहो पिर्य वराणं, अहो मिट्टरसणं, अहो णिण्णेया, हो-गुरु-उरवो, अहो दह धम्मया, 7 महोबेरी, महो णरव-भीरुचणं अहो मरणाणुबंधो ति सम्बद्दा ण सुट्ट जागीयह किं पि इमं जे सो परी कुसम्बं परिक्षण असो दिवं धम्मं पडिवाइ सि अहवा पेच्छ, पक्खिणो वि धम्मपरा कुटुंब-पिण्णेा धम्म-गय30 चिसा । अहं पुण कीस पर संतियाई रयणाहं चोरिऊण इमं एरिसं दिट्ठ-सम्भावं विड-कवड- कुटुंबं जीवावेमि । ता संपयं 30 इमं एत्थ करणीयं । जस्स सयासे इमिणा धम्मो णिसुभो तं गंतूण पेच्छामि । पुच्छामि य जहा 'भगवं, के ते वर्णम्मि सो किंवा तेहिं मतियं किं कारणं' ति । इमे च सोकण पच्छा जं करिय से काहामि जे इमिणा पक्खिणा कर्ष'ति 33 चिंतिऊण भवद्दण्णो वड- पायवाओ, गंतुं पयतो इत्यिणपुराभिमुखं जाव 'भो भो गोदम, एस ममं समवसरणे पविट्टो, 88 J 2 ) P अभब्वा 4 ) J व्व for य, P मरिडंकामो 6 ) P सव्वो चिय, P व लोअंतेण P णोगंतेण, Pom. च तेण हरिज्जमाण-, Pom. माण. 153 ए 17 ) Pom. कीस ण, P उस्सरिय, P णियसंगो, करकमलो for कमलवणो, कुसुमपास, बणखिर सि. 22) सहायं for पहायं. 24 ) चित्त Po. ते वि. 25 ) P धम्मं परा ते वि कहूं, सण्ण, विफुडंत, P विण्णाण्णो. 26) एए, लावित्तणं. 27) पिअं वयत्तणं, Pom. अहो गिट्ठरसणं, गुरुगुरवो । अह दद ति, जाणीयति P जाणीयं. 29 ) P कुटुंबं, Pinter. कुटुंबं & सव्वं, P अहवा पच्छ, P कुटुंब om. इमं, Jom. यू. 32) p om. ज करियन्वं 10 ) P सम्बविविओ, Pom. को. 11 ) 13) P खमसु सव्वलोपसु. 14 ) P- करुणा, जर, जइ भण्णिप्पसि. 16 ) Jom. तेण भणियं. P भतो उप्परओ, P गणयलं. 19 ) P पयाहिणा, या विरंति सिंपा, संघति for संकुति 21 एल्लिअक्क, इव for व. 23 ) Pom. पंडरं, इत्थिणाउराभिभुई, P गोयमा, Pom. ममं. २६७ 1 12 15 for वि. 8 ) P -कोडी ।, P खुज्जर. 12 ) Jom हो, P समा for समं. for एवं P रुइउं, P repeats वि om. पुरिसस्स, किं तुहण. 18 ) भत्तीय. 20 ) P करयरंति, P से for सिप, लोणोअर for खित्त, P अच्छरियं, P पक्खिवणो, एवं for एयं, P खु एवं ते for स्थ 28 ) भीरुत्तणं । मरणानुबंध 30 ) P कुटुंब. 31 ) 18 21 . Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ उज्जोयणसूरिविरइया [१४०९ 10 पुच्छिमओ य भई इमिणा ‘को सो वणम्मि पक्खी'। साहिमो मए जहा 'दिग्दो' ति।' इमं च सोऊण उप्पण्ण-बेरग्गो । णिविष्ण-काम-भोगो उप्पण्ण-कुटुंब-णीसार-बुद्धी संजाय-विवेगो उद्दण्ण-चारित्तावरणीय-खोवसमत्तणेण चारित्त-वेदणीय3 सुह-कम्मो त्ति ताणं समप्पिऊण रयणाई आउच्छिऊण पक्खिणोवएस-सरिसुत्तर-पडिउत्तरालायेहिं ममं चेय सयासं एहिइ ति। 3 ६४१०) इमं च एत्तियं जाव भगवं वीरणाहो साहइ गोयमाईणं ताव संपत्तो सयंभुदेवो ति, पयाहिणं च काऊण पायवडणुटिओ भणिउं समाढत्तो । अवि य। 8 'जय संसार-महोयहि-जर-मरणावत्त-भंगुर-तरंगे । जय जीव-जाणवत्तो सिद्धि-पुरी-सामिओ तं सि ॥ भगवं पडिबुद्धो हं वणम्मि सोऊण पक्खिणो वयणं । ता देसु णियय-दिक्खं कुणसु पसाय सुदीणस्स ॥' इमं च वयणं सोऊण दिक्खिओ जहा-विहिणा भगवया गोदम-गणहारिणा चंडसोम-जीवो सयंभुदेवो ति॥ ६४११) एवं च भगवं भम्व-कुमुयागर-सहस्स-संबोहमओ विहरमाणो मगहा णाम देसो, तत्थ य रायगिई णाम . जयरं, तत्थ संपत्तो, देव-दाणव-गणेहिं विरइयं समवसरणं । तत्थ य सिरिसेणिओ णाम राया । सो य तं भगवंतं सोऊण समागयं जिणचंदं हरिस-वस-वियसमाण-मुह-पंको सयल-जण-हलबोल-वहमाण-कलयलो गंतुं पयत्तो । भगवंतं 12 वंदिऊण संपत्तो, समवसरणं पविट्ठो। ति-पयाहिणीकओ भगवं जिणयंदो, पायवडणुट्टिएण य भणियं तेण । भवि य। 12 _ 'जय दुज्जय-मोह-महा-गइंद-णिहारणम्मि पंचमुहा । जय विसम-कम्म-काणण-दहणेक-पयाव-जलण-समा ॥ जय कोवाणल-पसरिय-विवेय-जल-जलहरिंद-सारिच्छा । जय माणुधर-पन्वय-मुसुमूरण-पञ्चला कुलिसा ॥ जय माया-रुसिय-महाभुयंगि तं णाग-मणि-सारिछा । जय लोह-महारक्खस-णिण्णासण-सिद्ध-मंत-समा । जय अरई-रइ-णासण जय-णिजिय हास-वज्जिय जयाहि । जयहि जुगुच्छा-मुक्का असोय जय जयसु तं देव ॥ जयहि ण-पुरिस ण-महिला णोभय जय वेय-वजिय. जयाहि । सम्मत्त-मिच्छ-रहिया पंच-विहण्णाण-भय-मुका ॥ भजेव अहं जाओ अज य पेच्छामि अज्ज णिसुणेमि । मगहा-रजम्मि ठिभो दढं तुह वीर मुहयंद। तं पाहो तं सरणं तं माया बंधवो तुमं ताओ। सासय-सुहस्स मुणिवर जेण-तए देसिमो मग्गो ॥' त्ति भणतो णिवडिओ चल गेसु, णिसण्णो य णिययासगट्ठाणेसु । साहियं च भगवया अंगोवंग-पविटु सुत्त-णाणं मइ-णाणं च, परूवियं भव-पच्चयं कम्मक्खोवसमयं च णाणा-संठाणं ओहि-णाणं, सिटुं तु उजुय-विउल-मइ-मेयं मणुय-लोयब्भंतरं । मणपजव-णाणं, बजरियं च सयल-लोयब्भंतर-पयत्थ-सस्थ-जहावट्ठिय-सहाव-पयासयं केवल-दसणं केवल-णाणं च त्ति । ४१२) एत्थंतरम्मि आबद्ध-करयलंजलिउडेण पुच्छियं महारायाहिराइणा सिरिसेणिएण 'भगवं, केण उण 24 गाणेण एए मित्तिणो सुहासुहं तीयाणागय-पचुप्पण्ण वियाणता दीसंति, केण वा पयारेणं' ति। भगवया भणियं । अवि य । 24 'देवाणुपिया एयं सुय-णाणं जेण जाणए लोभो । केवलि-सुत्त-णिबद्धं केवलिणा केवली-सुसं ॥ जइ जाणिऊण इच्छसि सुणेसु णरणाह थोव-वित्थरियं । अप्पक्खरं महत्थं जह भणियं केवलि-रिसीहिं॥ 7 होति इमे अ-इ-क-च-ट-त-प-य-सक्खरा वि य सोहणा वण्णा । आ-ई-ख-छ-ठ-थ-फर-सा असोहणा ते पुणो भणिया ॥ श. ए-ज-ग-ज-ड-द-ब-ल-सा सुहया अह होति सम्व-कज्जेसु । ए-ओ-घ-स-ढ-ध-भ-व-हा ण सोहणा सम्व-कजेसु॥ हो होति ऑ-ओ-ण-न-मा मीस-सहावा हवंति कजेसु । संपइ फलं पि वोच्छं एयाणं सव्व-वण्णाणं ॥ सोहणमसोहणं वा सुह-दुक्खं संधि-विग्गहं चेय । एइ ण एइ व लाभो ण लाभ-जय-अजय-कज्जे य॥ 30 होइ ण होइ व कजं खेममखेमं च अस्थि गत्थी वा। संपत्ती व विवत्ती जीविद-मरणं व रिसमरिसं ॥ पढम-वयणम्मि पढमा सुह-वण्णा होति अहव बहुया वा। ता जाण कज-सिद्धी असुहेहि ण सिज्झए कजं ॥ 33 अहवा पुच्छय-वयणं पढम घेत्तूण तं णिरूवेसु । विहि-वयणे होइ सुई असुहं पडिसेह-वयणम्मि ॥ अहवा। 18 30 1) P अहो for अहं, P च सोऊप्पन्न- 2) Pनिच्छिन्नकामभोगा, P कुटुंवनीरसा बुद्धी, विवेओ, P उदिओय for उइण्ण, P वेयणीय. 3) Pसरिसमुत्तर, चेय सयासं एहिय त्ति. 7) P दिखे. 8) भगवओ, P गोयम. 9) Jom. य-- 10) P समवसवरणं,Jom तं, P भगवं. 11) जिणयंद, Pसयलसजलहरबोलबट्टमाण. 12) P पविट्ठा, P जिचंणयंदो, Pom. य. 13)P विधारणं मि, P विसय for विसम. 14) Pविवियजलहरिद, सारिच्छ, " जह माणुमहपब्वय, Pमुसुमूरणलिसा, कुलिस. 15) Pमोह for लोह, P विण्णासण. 16) अरतिरवीणासण, P -रयणासण जयनिक्खिय, P जहाहि ।, P जुगुंछा, " देवा. 17) वेत-, P तित्थय for मिच्छ, J विवण्णाण. 18) अजेय, J दिदं for दहः 19) पविट्ठो सुयनाणं. 21) Pभव for भव, खयोवसमयं, P सिद्धं उज्जय, JP मतिः, -भेदं. 22) Pom. च, जहावट्टिय, P दंसण. 23) P 'रायाहिरारण, I om. सिरिसेणिएण. 24) Pएते निमित्तिण्णो, J तीताणागत-- 25) " देवाणुप्पिया, एद. 26), वोष for थोव, P केवल-, -इसीहि. 27) P om. इमे, अ-ए-, Pom.इ, शक्खरा, चेअ for विय, ए for ई, Pढतप for Bथ, P फरया. 28) Jओ for ऊ, JP.अ for ओ- 29) P ओअहमणनमाः अं अः मीसा, Jadds जदा before ओण, Pति for पि, P वणाणं ॥. 30) सोहण असोहणं, एउ for second एई, J जय अजयं चेअ॥. 31) Pक्खेममक्खेमं. Pa tor वा, P विपत्ती जीविय, P मरणं वरिसं 1.32) वयणं पि, P पढमो सुहवणो होति, J adds जा before ता, सिज्झदी, P सिज्जए. Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६९ -४१३] कुवलयमाला । फल-कुसुमक्खय-पत्ते रूवय अणं च पुरिस-रूवं च । अट्ठ-विभत्ते लद्धं तेण फलं सुणसु तं एयं ॥ होइ झए सब्व-फलं धूमे फल-णिप्फलं च संतावो । सीहे विक्कम-लाभो साणे तुच्छाह-वदिवित्ती॥ ३ वसहे गउरव-लाभो खरम्मि कलहो य सोय-संतावो। होइ गए पुण पूया टंके णिचं परिब्भमणं ॥ अहवा। पुच्छाणंतर-पुलइय-दिखे णिसुए ब्व सोहणे अत्थे । कजस्स अस्थि सिद्धी विवरीए णत्थि सा भणसु ॥' त्ति साहिय-मेत्ते भगवया जिणयदेणं प्रत्यंतरम्मि सिरिसेणिय-रण्णो पुत्तो महारह-कुमारो णाम अट्ट-वरिस-मेत्तो तेण 6 चलण-पणाम-पञ्चट्ठिएण भणिय । अवि य । ___'जाणमि अज सुमिणे भगवं पेच्छामि कसिण-वण-वणं । कालायस-कंचण-मिसियं व एकं महापुंज। जाणामि मए धमियं जलियं जालोलि-तावियं गलियं । कालास-मीस-गलियं जय-सुवणं ठियं तत्थ । 9 एत्यंतरे विउद्धो भगवं पडु-पडह-संख-सद्देहिं । साहसु सुमिणस्स फलं संपइ किं एत्थ भवियव्वं ॥' भगवया भणिय। 'भद्दमुह एस सुमिणो साहइ सम्मत्त-चरण-दिक्खाए । केवल-णाणं सिद्धी सासय-सुह-संगम अंते ॥ 12 कालायसयं कम्मं जीयं कणयं च मीसियं तत्थ । झाणाणलेण धमिउं सुद्धो जीवो तए उविओ ॥ अण्णं च तुमं ऍरिसो चरिम-सरीरो य एत्थ उप्पण्णो। कुवलयमाला-जीवो देवो देवत्तणाओ तुम ॥ सव्वं च तस्स कहियं मायाइञ्चादि-देव-पजतं । सवे ते पबया तुम्ह सहाया इमे पेच्छ ।' 16 इमं च वुत्तंतं णिसामिऊण भणियं महारह-कुमारेण 'भगवं, जइ एवं तो बिसमो एस चित्त-तुरंगमो' । 'किं विलंबेसि' त्ति 18 भणिए भगवया गणहारिणा दिक्खिओ जहा-विहिणा महारह-कुमारो त्ति। मिलिया य ते पंच वि जणा अवरोप्परं जाणंति जहा 'कय-पुब्व-संकेया सम्मत्त-लमे अम्हे' ति । एवं च ताण भगवया जिणयंदेण समं विहरमाणाणं वोलीणाई बहुयाई 18 वासाई। 18 ६४१३) साहियं च भगवया सवण्णुणा मणिरह-कुमार-साहुणो जहा 'तुज्झ थोवं माउयं ति जाणिऊण जहासुई संलेहणा-कम्म पडिवजिऊण उत्तिम-ठाणाराहण'ति । तओ मणिरहकुमारो वि 'इच्छं' ति अणुमण्णमाणेण समाढत्ता चउ-खंधा 21 भाराहणा काउं । कय-संलेहणा-कम्मो दिण्णालोयण-वित्थरो णिसण्णो तक्कालप्पाओग्गे फासुय-संथारए, तत्य भणिडं 21 समाढत्तो । अवि य। 'पणमामि तिथणाई तित्थे तित्थाहिवं च उसभ-जिणं । भवसेसे तित्थयरे वीर-जिणिदं च णमिऊणं॥ १५ मिऊण गणहरिंदे मायरिए धम्मदायए सिरसा । णमिऊण सव्व-साधू चउब्विधाराहणं वोच्छं ॥ णाणे सण-चरणे विरिया भाराहणा चउत्थी उ । णाणे भट्ट वियप्पा तं चिय वोच्छामि ता णिउणं ॥ पढमं काले विणए बहुमाणुवहाण तह य णिण्हवणे । वंजण-अत्थ-तदुभए णाणस्साराहओ तेसु ॥ 7 जो काले सज्झामो सोण को जो कमओ मकालम्मि । जं जह-कालं ण कयं तं गिंदे तं ५ गरिहामि ॥ ___ अब्भुट्ठाण अंजलि आसण-णीयं च विणय-पडिवत्ती । जाण कयं म्ह गुरूणं तमहं जिंदामि भावेणं ॥ भावेण अणुदिणं चिय एस गुरू पंडिओ महप्पा य । ण कओ जो बहु-माणो मिच्छा हो दुकडं तस्स ॥ जं जत्थ तवञ्चरणं अंगोवंगेसु तह पइण्णेसु । ण कयं उवहाण मे एहि जिंदामि तं सव्वं ॥ असुयं पि सुयं भणियं सुर्य पिण सुयं ति कह वि मूढेण । अण्णाए णिण्हवियं तमहं जिंदामि भावेण ॥ मत्ता-बिंदु-वियप्पं काउं अण्णस्थ जोडियं अत्यं । वंजण-विवंजणेण य एम्हि जिंदामि तं पावं ॥ 1) पत्तो, P adds रूवयपत्ते before रूवय. 2) अए for झए, P धूमफल, P सिंघे for सीहे, P वनिवित्ती. 3) P गयवरलाभो, ढंके for टंके, I पडिकमणं ।।. 4) P पुच्छलइय, I -दिट्ठो, P णिसुणे, अत्थ for अस्थि. 6) Pपणाम. 7) पेच्छमि, P वर्ण ।, P मीसयं व एकपुंजं. 8) P मियजलियजलिय जालालि, कालायसमीसयं गलियं, Pom. कालासमीसगलियं (emended), P सुवणहियं तत्थ. 9) सुविणस्स. 11) सुविणो, P दिक्खाया, P नाणसिद्धी. 12) P कालाययं, J मेलिs for मीसियं, P सुद्धिय for धमिउं, P टुविओ. 13) Pचरिमो for एरिसो, P देवा देवत्तणाउ तुम. 14) Pom. ते, अपवइता, P पेच्छा. 15) Pत for च, वुत्तं for वुत्तंतं, P adds च after भणिय, ता tor तो, Pक विलंबसि. 16) 3 जहाविहाणं, Jom. य,P जणो, P जाणति. 17) ण for ताण. 19) थोअं, P जाणिऊण अम्हासुहं. 20) पब्धजिऊण, उत्तम, P-ट्ठारोहणं, P तब for तओ, मणिरह साहुणोवि, P अण्णुमण्ण, समाढत्तो. 21) आराधणा Pआराहणं, P कयसंमोहणाकंमो. P'लोयणाविलोयणा वित्थारो, P तकालपओगे, तत्थ य भणिउमाढतो. 23) तित्याइवं. 24) साहू चउविहे रोहणं, धाराहणा. 25) P विरिय. 26) JP बहुमाणं, वधाण, ' तदुभये. 27) Jom. जो, ' कतो, Pom. कओ after जो, P काले, कओतं. 28) णिअयP विण for विणय, P नाणकयं मि for जा eto., कयं म्ह. 29) Pजा बहु हो दुकडं for जो eto. 30) P तवतच्चकर. 31) अन्नाओ. 32) P॥ मित्ता, ' च for य. Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरया अमयप्पवाह-सरिसे जिण-वयणे जं कहा-विमूढेण । अत्थस्स विवज्जासो रद्द शिंदे तयं पावं ॥ सुत्तत्थाणं दोन्द वि मोहेण व अधव होज हासेण । जो कह वि विवजासो एहि जिंदामि तं पावं ॥ उस्तो उम्मग्गो उकरणिजो य एष जो जोग्गो मोहंषेण ण दिट्टो संपइ आराविमो णाणं ॥ एसो जाणायारो भगवं जइ खंडिनो मए कह विमिच्छामि दुक तं संप अह दंसणं बोच्छे | निस्संकिय- णिक्कंखिय- निव्वितिमिच्छा अमूढ-दिट्ठी य । उववूह थिरीकरणे वच्छल- पभावणे भट्ट ॥ सच्चे जिणाण वयणं एत्थ वियप्पो ण चेय कायव्वो । एयं होज्ज ण होज व जइ मह संका तयं शिंदे ॥ हामि इमं दिक्ख एवं लिंग इमो य परमत्थो । मूढेण कंखिभो मे मिच्छा हो दुक्कडं तत्थ ॥ मद दोन ण या मोक्खं मायरियादीण जा व वितिगिच्छा जह मे कह किया सा निंदामिह पाव ॥ दद्रण रिद्धि-पूर्व परवाणं कुतित्थ मोसु जइ मह दिट्ठी मूडा मण्दि जिंदामि तं पावे ॥ खमंगे देवावचं सम्झाए चैव बाबई साहुं । उबबूहणा व ण क्या एस माओ वर्ष शिंदे ॥ साधु-किरिया कासु वि बहुं सीयंतयं गुणिं ण कया। बहु दोसे माणुस्से थिरिकरणा मिंदिरे तमई ॥ । - ६ ण कथं मे महारादीहिं तं शिंदे ॥ 1 गुरु-या तपस्सीगं समान धम्माण वा वि सवाणं मेरु व निष्प जिणाण वयणं तदा वि सत्तीए ण कयं पभावणं मे एस माओ वयं जिंदे ॥ पाववणी धम्मदी बाई मिलियो तबस्सी व विजा-सिद्धो य कवी अट्टे व पभावया भणिया ॥ सत्राणं पि पसा कायव्वा सव्वहा विसुद्वेण । सा ण कया तं शिंदे सम्मत्ताराहणा सा हु ॥ पंच समिईओ सम्मे गुत्तीओ तिमि जानो भणियानो पचयण-मादीयाओ चारिताराहणा एसा ॥ इरिया पचतो जुगमेत णिहित्त-णयण-णिक्लेवो । अं ण ग ई तइया मिच्छामि द्द दुकढं तस्स ॥ जयंते व तया भासा समिएण जंण आळस तस्स पमायस्लाई पाय पचामि ॥ वरथे पाणे भत्तेसण- गहण घासमादीया । एसण-समिई ण कया तं आणा-खंडणं शिंदे ॥ मायाण-भंड-मेचे मिक्लेवमाहण-ठावणे जं च दुपमजिव पडिलेहा एस पमान तवं शिंदे ॥ उच्चारे पासवणे खेले सिंघाण - जल-समितीओ । दुप्पढिलेह - पमज्जिय उम्मग्गे जिंदिओ सो हु ॥ मंजतो सीलवर्ण मतो मण-कुंजरो विवरमाणो जिन-दय-वारि-बंचे जेण ण गुसो त निदे ॥ जो वषण-वण-दवग्गी पजटिनो टदह संगमारामं मोजले थिसिसो एस मानो वयं शिंदे ॥ अय-गोलओ व काओ जोग-फुलिंगेहिँ डहइ सब्व-जिए। तुंडेण सो ण गुत्तो संजम-मइएण तं शिंदे ॥ इय एत्थ अईयारो पंचसु समिईसु तिसु व गुत्तीसु । जो जो य महं जाओ तं शिंदे तं च गरिहामि ॥ बारस - विधम्मि वि तवे सभितर बाहिरे जिणक्खाए । संते विरियम्मि मए णिगूहियं जं तयं शिंदे ॥' 1 27 एवं च चक्खं भराहणं आराहिऊण मणिरहकुमारो साधू अउव्वकरणेणं खवग-सेडीए भगत- वर णाणदंसणं उप्पाडिऊण 27 तक्काले कालस्स वगताए अंतगड-केवली जाओ त्ति ॥ § ४१४ ) एवं च वच्चमाणेसु दियहेसु कामगईद-साधू वि णिय आउक्खयं जाणिऊण कय-संलेहणाइ - कप्पो णिसण्णो 30 संथारए । तत्थ भणिउमादत्तो । भवि य । २७० 1 3 6 12 15 18 21 24 ॥ णमिण तिछोय-गुरुं उस तेलोकमंगल पद अबसेसे य जिनवरे करेमि सामाइ एस करेमि व भंते सामाइय विविध जोग-करणेण । रायोस- विमुको दोह विमज्झमि बहामि ॥ [९ ४१३ 1 12 15 18 21 1) P सरिसो जिगं वयणं, P विवज्जो for विवज्जासो, Pom. रइओ शिंदे eto. to उक्करणिजो 3 ) P जोगो ।, P आराहणो नाणं. 5 ) P णीसंकिय, P णिव्वित्तिगिच्छा, दिट्ठीया 1 P पभावणो. 6) 3 एवं Ja for व, P जय मह. 7> J sa for यमो for मे. 8 ) P मोह for अह, आयरियातीण, P जा भवे कुच्छा. 9) P परवारणं. 10) गमगं for खमगं, वेतावचं, P चेय, P उब्वबूहा णेय कयाइस, कता एस पमातो. 11 ) साधु-, Pदढुं सीतंतयं, थिरिअवणा P थिरकरणे. 13 ) P व निष्पकं, P वि तत्तीए, उ om. मे. 14) धम्मकधी वाती Pवानीणोमित्तिओ, P व वंभावया. 15) सम्माण वि यासंसा, P या for कया. 16 ) JP समितीओ, मातीयाओ. 17) एरिसावt for इरियावई, P नय for णयण, J जण्णच उर्ह, जण्ण for जंण, P तस्सा. 19) पाणे भावेणेसणगहण, P गहणे, JP समिती, उकता. 20 > आताण, P मेरा क्विणगहण दणाणलं च उपमपविलेहा, पातो. 21) सिंहाण, डिले, साहू ॥ 22) P बंधो. 2.3 ) P 1 नाणजणेण निसिंत्ति 24 ) P अतमोलउच्चकाओ, P कूडेण for तुंडेण. 25 ) JP अहयारो, 3 समिती, ती गुत्तीसु, P जो कोइ महं. 26 ) P - बिहंमि, य for वि, जिणक्खाते, १ निग्ाहियं. 27 ) P कुमारसाहू, P खवसेढी, सेणी अनंतं, P उप्पडिऊग तक्कालो. 28 ) P खयंताए, P केवडी जाओ. 29 ) J वचमाणदियहेतु, P साहू वि, P संलेद्दणो कप्पो र संलेहणाउकम्मो 31 ) Pom. य, सामाइअं P सामाइयं. 32 ) P तिविहकंमजोएणं ।. P 24 30 . Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ४१४ ] कुवलयमाला जं सुहुम 1 1 1 | बायरं वा पाणवई लोड़-मोह जुत्तस्स । तित्रियेण कथं तिविधं तिविषेण वि वोसिरे सम्यं ॥ जं कह विमुखं भणियं हास-भय-कोष लोभ मोहिं विविध-काल-हुतं तिविषेण व वोसिरे तिविधं ॥ धोय कर द पारकयं अदिष्णं तु तं तिविधम्मि वि काले बोसिर तिविधं पि सिविणं ॥ जेर-तिरिक्त-दिवे मेहुण-संजोग भावियं चिर्स तिम्रिये वि काल-जोगे बोसिर तिविधं पि तिविषेण ॥ चित्ताचित्तो मीलो परिमाोक व भाव-संतो तिथिमि वितं काले विविधं तिविधेण वोसिरसु ॥ 6 राईए जं भुत्तं असणं पाणं व खाइमं अण्णं । तिविधम्मि वितं काले वोसिर तिविषेण तिविधं पि ॥ जो म पणे नमतो महिला व सुंदरासु तरुणीसु र स्व व तिविधं तिविषेण वोसिरियं ॥ बस्थे जो ममचो पते य दंडओक्षरणेसु सीसेसु जो ममत्तो सम्यो तिविषेण वोसिरियो ॥ पुत्तेसु जो ममत्तो धूयासु य सुंदरेसु भिचेसु । अहवा सहोदरेसु व सन्चो तिविहेण वोसिरिभो ॥ भद्दणीसु जो ममत्तो माया- वित्तेसु अहव मित्तेसु । सो सम्वो वि दुरंतो तिविधं तिविधेण वोसिरिओ ॥ सामिम्मि जो ममत्तो सवणे सुवणे व परिजणे जे वि भवणे व जो ममतो सध्यो तिविषेण बोसिरियो ॥ बंधुम्मि जो सिणेहो सेज्जा- संधार- फलदए वा वि । उवयरणम्मि ममत्तो सव्वे तिविषेण वोसिरिओ ॥ देहम जो ममतो मा मे सौदादि होज देहस्स । सो सन्चो वि दुरंतो तिविद्धं तिविषेण वोसिरियो ॥ सो सम्यो वि दुरंतो यो सिरिजो मज्झतिविधेण ॥ सद्देसु जो ममत्तो तिविहेणं वोसिरे सव्वं ॥ 1 यिय-सहाय-ममत्तो अम्द सावो वि सुंदरी एसो 1 । देसेसु जो ममत्तो अहं णगरो त्ति अम्ह देसो त्ति जो कोइ कओ कोवो कम्मि वि जीवम्मि मूढ-भावेण । वोसिरिओ सो सन्चो एहि सो खमउ मह सं ॥ जो कोइ कओ माणो कम्मि वि जीवम्मि मूढ-चित्तेण । सो खमउ ममं सग्वं वोसिरिओ सो मए माणो ॥ जा का कया माया कम्म वि जीवम्मि सूड-भावेण । सो समय मर्म सम्वोसिरिया सा मए पदि ॥ जो कोइ को छोड़ो परस्स दव्वम्मि मूढ-भावेण । सो खमड महं सम्बं वोसिरिजो सो मए लोभो ॥ जो कोइ मए विदिओो कम्मि वि कालम्मि राय-र तेण । सो मज्झ खमउ एहि मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ जो मे दुक्खावियओ ठाणाठाणं व संकर्म णीओ । सो खमउ मज्झ हि मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ पेसु जस्स को अलिए सबै व भाषिए दोसे रागेण व दोसेण व एहि सो खमड मह सर्व्व ॥ 1 3 12 15 18 21 24 27 80 33 निठुर-खर र-खर-फरुसं वा दुव्वयणं जस्स किंचि मे भणियं । विद्धं च मम्म-वेहं सो सव्वं खमउ मह एहि ॥ दाऊण ण दिष्णं चिय आसा-भंगो व्व जस्त मे रहो दिवंतं व विरुद्धं सोहि सम मह सम्बं ॥ जो दीणो परिभूओ गह गहिओ रोर वाहि-परिभूओ । हसिओ विडंबणाहिं एहि सो खमउ मह सम्बं ॥ असुं पि भवेसुं जो जं भणिओ अणिट्ठ-कडुयं वा । सो खमउ मज्झ एहि एसो मे खामणा - कालो || मित्तं पि समउ म खम अमित मित्थो मिताभित्त-विमुझे मज्झरथो एल मे जीवो ॥ खामि न मिले एस अमित्ते विहं खमावेमि खामेमि दोणि मग्गे मत्या होतु मे सब्वे ॥ मित्तो होइ अमिचो होति भमित्ता खचेण ते मित्ता मित्तमित्त विदेओ का नए एहि ॥ 1 या खमंतु म खामंतु वह परियणा वि खमेमि । सयणो परो न संपइ दोण्णि वि सरिसा मई होति ॥ देवम्मि देवा तिरियत्तणे व्व होंति जे केइ । दुक्खेण मए ठविया खमंतु सव्वे वि ते मज्झं ॥ णस्य सम्मि णरया मणुवा मणुयत्चणम्मि जे फेह दुक्खेण मए टविया समंतु ते मज्झ सच्चेवि ॥ छवि जीव णिकायाण जं मए किंचि मंगुळे रये से मे तु सच्चे एस समावेमि भावेण ॥ सम्वद्दा, २७१ 1 6 12 15 18 21 21 27 30 J 1 ) P बातरं, P - मोहजोतेणं । तिविहेण, P तिविह तिविहेण 2 ) P भयकोइलोह, P तिविह, P repeats काल, P तिविहेणं बोसिरे तिविद्द. 3 ) P कत्थ विदट्ठ पारकयं च जं गहियं । जं. तिविहंमि, J पारक्कमहि अयं अदिण्णं तु, P तिविदं पि तिविहेणं. 4) संजोअ, Pतिविहे, कालजोए, P तिविहं पि तिविहेण 5 ) om. तिविधम्मि वि तं काले, P तिविहं तिविहेण. 6 ) ‍खातिमं, Pतिविमि, P कालं वोसिर तिविदं पि तिविद्देण 7 ) P जा for जो, सुंदरातरुणी, तरुणासु, Pom. व, P तिविहं तिविहेण 8 ). ममत्तो वत्तेसु व वमरणेसु, J सिस्सेसु, तिविहेण 9 ) धूतानु, सुंदरेतु निच्चे, सहोअरेसु सव्वो 10 ) तिविहं तिनिडेज 11 ) P सोमिम्मि जो, P परजणो जो वि, P तिविहेण 12 ) P मत्तो for ममत्तो, सम्वो, P तिविद्देण. 13 ) P सीतादि, सब for तिविहं, Pतिविहेण 14 ) P एसा | P तिविण. 15 ) P सङ्केतु, P वोसिरं सव्वं. 16 ) P मूढमाढें माणे. 17 ) १ जो को वि कया, काय for कथा. 19) P कe for कओ, P ममं for महं. 20 ) P कोवि मए, P inter. मज्झ & खमउ. (21) P दुक्खवियओ. 22 ) 3 य for व, P सव्वो for सव्र्व. 23 ) P भणिउयं । बद्धं विद्वन्तमम्म- P सम्वो खमउ. 24 ) P जो मए for जस्स मे. 25 ) P रोरवा for रोर, Pom. मह सव्वं ॥ अण्णेसुं पि eto. to मित्तं पि खमउ मज्झं, Padds खमउ before मज्झत्थो. 27 Jom मझं, Pमित्तोमित्त. 28 ) P एस आमित्ते P मित्तवग्गे for दोणिमग्गे 29 ) P होतु ममित्ता, ममित्तो for अमित्तो, P repeats होति for होति, P मित्तविवेओ काऊन ण जुज्जए इहि ॥ सुयणा. 30 ) J परिजणा 31 ) Padds तिरिया after देवा, J तिरिअत्तणए ब्व, मज्झं. 32 ) P क्खमंतु मे मज्झ 33 ) J छण्दं पि जीवमणुआकायायां जं. ट्ठविया, J inter. सन्देवि & ते (मे) 33 . Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ 1 9 8 ४१५ ) एवं च वच्चमाणेसु दियहेसु वइरगुत्त-साधू वि णाऊण आउय-कम्मक्खयं दिष्णालोयणो उद्धरिय-भाव• सलोक काययो सिणो संधारण, वत्थ भणितमाहतो अवि य । 1 'एस करेमि पणा जिवर वियरस वारसंगस्स । विरथयराणं च नमो नमो नमो सच्च-सापूर्ण काउण णमोकार धम्मायरियस्स धम्म-जणयस्स । भावेण परिक्रमणं एसो काहामि समयस्मि ॥ I कप सामाइय-कम्मो सोहिय-इरियाजहोसमण-चित्तो इच्छिय गोयर-परिओ पगाम से जाए निविणो ॥ मह मंगलमरहंता सिद्धा साहू य णाण-विणय धणा । केवलिणा पण्णत्तो जो धम्मो मंगलं सो मे ॥ सरणं मद्द अरवा सिद्धा सानू य वंभ-वय-जुत्ता। केवलिणा पण्णत्तो धम्मो सरणं च वाणं च ॥ जिणधम्मो मह माया जणओ य गुरू सहोयरो साहू । अह धम्म-परा मह बंधवा य अण्णं पुणो जालं ॥ किं सारं जिणधम्मो किं सरणं साणो जए सयले किं सोक्खं सम्म को बंधो नाम मिच्छतं ॥ अस्संजम विरमो रामोसे व बंधणे शिंदे मण-वयण काय-डंडे विरल ति पि बंडा] ॥ गुत्तीहि तीहिं गुत्तो णीसल्लो तह य तीहिँ सल्लेहिं । माया णिदाण- सल्ले पडिक्कमे तह य मिच्छत्ते ॥ ड्ड - गारव - रहिओ सातरसा-गारवे पडिकंतो । णाण-विराहण-रहिओ संपुष्णो दंसणे चरणे ॥ तद कोह- माण- माया-लोभ कसायरस मे पडिकंतं । आहार-भय-परिग्गह- मेहुण-सण्णं परिहरामि ॥ इस-कह-भत-देखे राय-कहा चेष मे पडिता । अहं रोदे धम्मं सुकाणे पडिकमण ॥ सह-रस-रूप-गंधे फासे व परिक्रमामि काम-गुणे काइय-अहिगरजादी-पंचदि किरिवाहि संकष्ये ॥ पंच- महवय तो पंचदि समिदि समियनो मछलीवनिकायार्ण संरक्षण माणसे गुत्तो ॥ पडिकं तो ब्लेसा - सत्त-भयद्वाण-वजिओ अहयं । पम्हुट्ठ-इट्ठ-चेट्टो भट्ट-मयट्ठाण - पन्भट्ठो ॥ णव-श्रंभ-गुत्ति-गुत्तो दस-विह-धम्मम्मि सुठु भाउतो । समणोवासग पडिमा एगारसयं पडिको ॥ वारस-भिक्खु-पडिमा संजुतो तेरसाहि किरिचाहिं । चोइस भूयग्गामे पढिकने खंडि जं मे ॥ परमाहम्मिय - ठाणे पण्णरसं ते वि मे पडिकंते । गाहा-सोलसएहिं पडिक्कमे सोलसेहिं पि ॥ अस्संजमम्मि सत्तारसम्मि अट्ठारसे य भब्बंभे । एगूणवीस संखे पडिक्कमे णाम अज्झयणे ॥ जसमाहीडाणा बीखण्डं एकवीस-सबहिं बावीस- परीसद-वेयणम्मि पुयं परितो ॥ तेवीसं सूबगडे नाचणा ताण ई परियंतो चडवीसं अरिहंते अस्सहदणे परितो ।। वी पंच य सिद्धा समए जा भावणाने ताणं पिछम्दीसं दस कप्पे बवहारा सर ते वि ॥ अणयारय- कप्पाणं सत्तावीसा य सद्दहे अहयं । अट्ठावीस विधम्मि आयय-पगप्प- गहणम्मि ॥ पाव- सुय-पसंगाणं अउणत्तीसाण हं पडिकंतो । तीसं च मोहणिजे ठाणा जिंदामि ते सब्वे ॥ एकतोच गुणे सिद्धादी च सह ते वि बत्तीस-जोग-संग्रह-पडिकमे सव्य-ठाणे तेत्तीसाए आसायणाहिँ अरहंत-भाइगा एगा। अरहंताणं पढमं जिंदे भासायणा जाओ ॥ सिद्धाणायरियागं वद व उपाय सम्व-साहूणं समणीन सावयाण व साविय-वगस्स जा विकया ॥ 1 1 1 12 15 उज्जोयणसूरिविरइया से जागमजा वा रागदो लहब मोहे। जं दुक्खचिया जीवा खमंतु ते मज्झ सच्चे वि ॥ खामि सव्व-जीये सव्वे जीवा खमंतु मे । मेत्ती मे सव्व-भूएस बेरं मज्झ ण केणइ ॥' एवं पात्र जोग-वोसिरणो कप-पुण्य-कप-मय-तु-खामगा-परो चमाण-सुदामावसाय कंडलो भब्य करण- पडिवण्ण-सवग लेटि परिणामो उप्पण्ण-केवल-णाण-दंसण-धरो अंतगडो कामगद-मुनिवरो सि । 18 21 24 27 30 33 P सह for अह, J धम्मयरा, Pम for मह. 13 ) P जले for जए, P धंमो for बंधो 14 विरतो, 15) Pom. तहय, ए adds हियय before सल्लेहिं, उणियाण, Pमिच्छत्तो. 16 ) P संपुण्णदंसणे. पडिक्कतो. 18 ) P पडिकमणे ॥. 19 ) P फासेसु य, P काइह, रानो 21 P23 P पडतो, Pच for पि. 25 ) सत्तरसंमि. 26 ) J असणे. 28 ) P छव्वीदस, P ववहारो 29 ) 3 - गप्पाणं, P अणवीसाण, मोहणिज्जो P मोणिज्जे ट्ठाणा. P पढमा, J आसाणा, P साओ for जाओ. . मा असमाहिं, [ ४१४ 6 12 15 18 21 1) P रागदो सेण, P खमंति. 2) भूतेसु. 3 ) J वोसिरणा P वोसिरिणो, P पुञ्वयदुक्खय, वट्टमाण, P कंटओ. 4 ) J सेढी- 5 ) P एवं वट्टमाणदियहेसु, P साहू वि, दिण्णो. 6) संसारए तत्थ 7 ) P साहूणं. दुमिअ, P जंतक्खामणापरो 8 ) P जणियस्स. 10 ) P मंगलमरिहंता, P जं for जो. 11) साहू, P inter. सरणं च & ताणं च. 12 सोयरा P दंडे, P दंडानं. 17 > 3 लोह, P अधिगरणाती, P संतप्पो ॥ 20 ) समितीहि समित भूवनामे 24 ) परमादनिवाणे, पण्णारस ये, बीसम्ई एकत्रीस, P एत्थं च्छडिकतो. 27) सूतयडे, आयरपगप्प, P विहिमि आयारय कप्पगहणं ॥. 30 ) सुत, 31) P -ट्ठाणेसु. 32 ) आसातणाहि अरहंत आतिता एता !, P अरिहंत आश्गा, 33 ) P सिद्धाणायरिताण, P सव्व साधू य ।, P ए for य before सा विय. 24 27 30 33 . Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४१६] कुवलयमाला 1 देवाणं देवीणं इह-लोग-परे य साधु-वग्गस्स । लोगस्स य कालस्स य सुयस्स मासायणा जाओ। सुय-देवयाएँ जा वि य वायण-आयरिय-सव्व-जीवाणं । आसायणाउ रइया जा मे सा जिंदिया एहि ॥ हीणक्खर अच्चक्खर विचा-मेलिय तहा य वाइद्धं । पय-हीण-घोस-हीणं अकाल-सज्झाइयं जं च ॥ सब्वहा. छउमत्थो मोह-मणो केत्तिय-मेत्तं च संभरे जीवो। जं पिण सरामि तम्हा मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ सम्मत्त-संजमाई किरिया-कप्पं च बंभचेरं च । आराहेमि सणाणं विवरीए वोसिरामि त्ति ॥ अहवा । जंजिणवरेहिँ भणियं मोक्ख-पहे किंचि-सायं वयणं । आराहेमि तयं चिय मिच्छा-वयणं परिहरामि ।। णिग्गंथं पावयणं सच्चं तच्चं च सासयं कसिणं । सारं गुरु-सुंदरयं कल्लाणं मंगलं सेयं ।। पावारि-सल्लगत्तण-संसुद्धं सिद्ध-सुद्ध-सद्धम्मं । दुक्खारि-सिद्धि-मग्गं भवितह-णिन्वाण-मग्गं च ।। 9 एत्थं च ठिया जीवा सिझंति वि कम्मुणा विमुचंति । पालेमि इमं तम्हा फासेमि य सुद्ध-भावेण ॥ सम्मत्त-गुत्ति-जुत्तो विलुत्त-मिच्छत्त-अप्पमत्तो य । पंच समिईहि समिओ समणो हं संजओ एहि ॥ कायब्वाइं जाई भणियाइँ जिणेहिं मोक्ख-मग्गम्मि । जइ तह ताई ण तइया कयाइँ ताई पडिक्कमे तेण ॥ 12 पडिसिद्धाई जाई जिणेदि एयम्मि मोक्ख-मग्गम्मि । जइ मे ता िकयाइं पडिक्कमे ता इदं सब्वे ॥ दिटुंत-हेउ-जुत्तं तेहि विउत्तं च सहहेयवं । जइ किंचि ण सद्दहियं ता मिच्छा दुक्कडं तत्थ ।। जे जह भणिए भत्थे जिणिदयदेहिँ समिय-पावेहिं । विवरीए जइ भणिए मिच्छामि ह दुक्कडं तस्स ॥ उस्सुत्तो उम्मग्गो ओकप्पो जो कओ य भइयारो । तं जिंदण-गरहाहिं सुझड आलोयणेणं च ॥ मालोयणाए अरिहा जे दोसा ते इ समालोए । सुज्झति पडिक्कमणे दोसाओं पडिक्कमे ताई ॥ उभएण वि भइयारा केइ विसुज्झति ताई सोहेमि । पारिहावणिएणं अह सुद्धी तं चिय करेमि ॥ 18 काउस्सग्गेण अहो अइयारा केइ जे विसुज्झति । अहवा तवेण अण्णे करेमि अब्भुटिओ तं पि॥ छेदेण वि सुझंती मूलेण वि के चि ते पवण्णो है । अणवट्ठावण-जोग्गे पडिवण्णो जे वि पारंची ॥ दस-विह-पायच्छित्ते जे जह-जोग्गा कमेण ते सव्वे । सुझंतु मज्म संपइ भावेण पडिकमंतस्स ।' 21 एवं चालोइय-पडिकतो विसुज्झमाण-लेसो अउव्वकरणावण्णो खवग-सेढीए समुप्पण्ण-णाण-दसणो वीरिय-अंतराय उक्खीणो अंतगडो वइरगुत्त-मुणिवरो त्ति । ६४१६)एवं च सयंभुदेव-महारिसी वि जाणिऊण णिय-आउय-परिमाणं कय-दन्व-भावोभय-संलेहणो कय-कायस्व24 वावारो य णिसण्णो संथारए, भणिर्ड च समाढत्तो । अवि य । णमिऊण सम्व-सिद्धे गिद्धय-रए पसंत-सव्व-भए । वोच्छं मरण-विभात पंडिय-बालं समासेणं । णाऊण बाल-मरणं पंडिय-मरणेण णवरि मरियव्वं । बालं संसार-फलं पंडिय-मरणं च णेवाणं॥ 27 को बालो किं मरणं बालो णामेण राग-दोसत्तो। दोहिं चिय भागलिओ जं बद्धो तेण बालो त्ति ॥ मरणं पाणचाओ पाणा ऊसासमाइया भणिया । ताणं चाओ मरणं सुण एहि त कहिजतं ॥ कललावत्थासु मओ अवत्त-भावे वि कथइ विलीणो। गलिओ पेसी-समए गब्भे बहुयाण णारीणं ॥ पिंडी-मेत्तो कत्थह गलिओ खारेण गम्भ-वासाओ । अट्टिय-बंधे वि मओ अणटि-बंधे वि गलिओ हैं। खर-खार-मूल-डड्डो पंसुलि-समणी-कुमारिरंडाणं । गलिओ लोहिय-वाहो बहुसो है णवर संसारे ॥ करथइ भएण गलिओ कथाह आयास-खेय-वियणतो। कत्थइ जणणीऍ कह फालिय-पोहाए गय-चित्तो॥ 30 1) लोअ for लोग, परेसु साहु धम्मस्स । लोयस्स, सुतस्स आसातणा जातु ।।. 2) सुतदेवताय जा वि बायण, Pण for वायण, आसातणाउ. 3) F अच्चक्खरा, तहाय आइटुं। पतहीण, P चेय for जं च. 4) छत्तमत्थो, P समरह जीयो, P जं न सुमरामि तम्हा. 5) Pसंजमादी, Pसमागं for सगाणं. 6) P साहियं, तहिं चिय. 7सासतं सावियं for सासयं. 8) Pसलंगण, सुसुद्ध, P दुक्खाहिसुद्धिमगं, आणेवाण- 9) प्रथिता for ठिया, Jom.वि,P विमुचति । पालोमि. 10)-जुत्तिगुत्तोः, JP समितीहिं. J मित्तो for समिओ. 11) P जिणेह, P inter. तझ्या & न ( for ), ताहि for ताई (emended), P om. ताई. 12) पडिरुद्धाई, P पडिमे ता, ' अई for इहं. 13) P तस्स for तत्थ. 143 समित, ते तहा भण for समियपावेहि. 15) Pउम्मग्गो अकप्पो, -गरिहाहि. 16) ता for ते. 17) अतिआरा के वि. 18) वहो for अहो, केवि जे, Pगे for जे, २ अब्भुट्टिते, P तं मि. 19) छेतेण, वि को वि तं, जोये, : व for वि. 20) जो for जे. 21) लेस्सो, करणवणो खयगसेढीए उत्पन्ननाण, बीरिअंतराय. 23) Poin. च, P महरिसी, Pाउयप्पमाण, P सलेहणा. 25) मरणविहितं. 26) वर for णवरि. 27) रोसत्तो दोसत्ते, " आगणिओ. 28) ऊसासमातिआ ? ओसासमाईया, P ताण चामओ. 29) Pकललावतासु, अभुतभावे. 30) पिंडो मित्तो, " अणिबंध वि. 31) सीरमूलदड्डो पंसुणि-- 32) भायस, अवियणक्षो। 35 Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [६४१६ २७४ उज्जोयणसूरिविरइया 1 करथह दर-णीहरिओ जगणी-जोणीऍ है मुओ बहुसो। कत्थह णीहरिओ च्चिय गुरु-चियणा-वेंभलो गलिओ ॥ करचढ जणणाएँ अहं उइय-मुहो थण-मुहेण वहिओ हं । करथइ पक्वित्तो च्चिय सव-सयणे जीवमाणो वि॥ जायावहारिणीए कत्थइ हरिमो मि छठ्ठ-दियहम्मि । कत्थइ बलि चिय को जोइणि-समयम्मि जणणीए । कत्थह पूयण-गहिओ कथइ सउणी-गहेण गहिओ है । कत्थइ बिडाल-गहिओ हओ मि बालग्गह-गहेण ॥ कत्थई खासेण मओ कत्थइ सोसेण सोसिय-सरीरो । कत्थइ जरेण वहिओ करथइ उयरेण भग्गो हं॥ करथइ कुटेण अहं सडिओ सव्वेसु चेय अंगेसु । कत्थइ भगंदरेण दारिय-देहो गओ णिहणं ॥ दंत-वियणाएँ कत्थइ कत्थइ णिहओ मि कण्ण-सूलेण । अच्छी-दुक्खेण पुणो सिर-वियणाएँ गमओ णासं ॥ कत्थइ रुहिर-पवाहेण णवर णित्यामयं गयं जीये । कत्थइ पुरीस-वाहो ण संठिओ जाव वोलीणो॥ कत्थइ लूयाए हो कत्थइ फोडीए कह वि णिहो । कत्थइ मारीपुणो कथइ पडिआय-उक्कामे ॥ कत्थह विष्फोडेहिं कत्थ वि सूलेण णवर पोहस्स । कत्थ वि वजेण हओ कस्थ वि पडिभो मि टकस्स ॥ करथइ सूलारूढो कथइ उम्बद्धिऊण वहिओ है। कथइ कारिसि-सेवा कथइ मे गुग्गुलं धरियं ।। कत्थइ जलग-पविट्ठो कत्थइ सलिलम्मि आगया मचू । कत्यइ गरण मलिओ कथइ सीहेण गिलिओ हं। कस्थइ तण्हाए मओ कथइ सुक्को बुभुक्ख-वियणाए । करथइ सावय-खइओ कत्थइ सप्पेण डको है ॥ कस्थइ चोर-विलुत्तो कत्थई भुत्तो म्हि संणिवाएण । करथइ सेंमेण पुणो कत्थह हो वाय-पित्तेहिं ॥ 16 कत्थइ इट-विओए संपत्तीए मणि?-लोगस्स। कस्थइ सज्झस-भरिओ उब्वामो कत्थ वि मोहं॥ कत्थ वि चक्केण हओ भिण्णो कोंतेण लउड-पहराहिं । छिण्णो खम्गेण मओ कथइ सेल्लेण भिण्णो इं॥ कत्थइ असिधणूए कत्थ वि मंतेहि णवरि णिहमओ हैं । कत्थइ वञ्च-णिरोहे कथइ य अजिण्ण-दोसेण ॥ 18 कत्थइ सीएण मओ कस्थइ उन्हेण सोसिओ अहयं । अरईय कत्थइ मभो कस्थइ रोहेण सोत्ताणं॥ . करथइ कुंभी-पाए कस्थइ करवत्त-फालिमो णिहओ। कत्थइ कडाह-डड्डो कत्थइ कत्ती-समुकत्तो ॥ कत्थइ जलयर-गिलिओ कत्यइ पक्खी-विलुत्त-सव्वंगो। कस्थइ अवरोप्परयं कत्थ वि जंतम्मि छुढो है। 1 कत्थ वि सत्तहि हो कत्थ वि कप-घाय-जजरो पडिओ । साहस-बलेण कत्थ वि मच्च विस-भक्खणेणं च ॥ मणुयत्तणम्मि एवं बहुसो एकेकयं मए पत्तं । तिरियत्तणम्मि एहि साहिजतं णिसामेसु ॥ रे जीव तुम भणिमो कायर मा जूर मरण-कालम्मि । चिंतेसु इमाई खणं हियएणाणत-मरणाई॥ जया रे पुढवि-जिओ आसि तुम खणण-खारमादीहिं । अवरोप्पर-सत्येहि य अम्वो कह मारण पत्तो । किर जिणवरेहि भणियं दप्पिय-पुरिसेण आहओ थेरो । जा तस्स होइ वियणा पुढवि-जियाण तहकते ॥ रे जीय जल-जियते बहसो पीओ सि खोहिओ सुको । अवरोप्पर-सत्थेहिं सीउण्हेहिं च सोसविभो । 27 अगणि-जियते बहुसो जल-धूलि-कलिंच-वरिस-णिवहेणं | रे रे दुक्खं पत्तं तं भरमाणो सबसु एहि ॥ सीउण्ड-खलण-दुक्खे अवरोप्पर-संगमे य जं दुक्खं । वाउचाय-जियत्ते तं मरमाणो सहसु एहि ॥ छेयण-फालण-डाहण-मुसुमूरण-भंज गेण जं मरणं । वण-कायमुवगएणं तं बहुसो विसहियं जीव ॥ । तस-कायत्ते बहुसो खइओ जीवेण जीवमाणो है। मक्कतो पाएहिं ममो उ सीउण्ह-दुक्खेण ॥ सेलेहिँ हओ बहुसो सूयर-भावम्मि तं मओ रणे । हरिणतणे वि णिहओ खुरप्प सर-मिण्ण-पोहिल्लो॥ सिंघेण पुणो खइओ मुसुमूरिय-संधि-बंधणावयवो। एयाई चिंतयंतो विसहसु वियणामो पउराओ। 30 1) जगणीए है, गुरुवेश्रण, P-विम्भलो. 2) सयणो. 4) Pसउणिग्गहेण, विरालि for विडाल, Pon. हओ. 5) P कत्थई रोसेग गओ. 7) P सिरिवियणओ. 8) P मयं for गयं, J कत्थ पुरिसवाहो ण ढिओ ता जाव, चाहेण. " कत्थ वि, कत्थइ होडीए, P वि नीओ हं।, Pom. seven lines कथइ मारीए पुणो etc. to गिलिओहं 1. 13) Pगओ for मओ after तण्हाए. 14) कत्थ वि in both places, I भुत्तो मि, P संमेण, रहो वाउ.. 15) लोमस्स, तत्थर for कत्थइ, P adds स्थवि before मओ. 16) P सेलेण, P मंतेहि नवर, P वच्चनिरोहो. 18)P कत्थर उहण, भरतीय, । अरइय अत्थइ मओ. 19) P कत्थइ कीडेहिं डको कत्थइ सत्थी मत्ती समूकंतो।. 20) P कत्थी पक्खी, पक्खीहिं लुत्त, कत्थवि अवरो, जम्मि कूडो हं. 21) सामसबलेण P सामवलेणं. 22) P मम्ए मत्तं ।, P साहिप्पंतं. 23) Ft for इमाई, हियद एमाणंत. 24) पुढइ-, P खणेण खारमादीसु, खारमावीहि, P सत्येहि अन्वो. 25) P जिणवरेण, पुरिसेहि, थोरो for धेरो, P होति वियणा, पुब for पुढवि, P तहा कंतो. 26) जलजियेतो, P खाहिओ, सीतुण्हेहि. 27)" अगणिज्जियते, P-निवहेहि, पत्तो संभर. 28) सीतुण्हखणण, खखलण, radds पर before संगमे, १ वाउयचाय, जिअंते, सं for सं. 29) डाहे, दाहण, विसाहिमं जिअ. 30) तस्स कायन्थे, कायत्तो, खाओ जीएण, Pणु for उ. 31) Pअण्णेहि for सेडेहि, हरिणतणे, P सिर for सर, पोकिलो- 32) Pom.विसहस, घोरामो tor पउरामो. Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४१७] कुवलयमाला 1 तित्तिर-कवोय-सउणत्तणम्मि तह ससय-मोर-पसु-माये । पासत्थं चिय मरणं बहुसो पत्तं तए जीय ॥ पारद्धिएण पहओ गट्ठो सर-सल्ल-चेयणायल्लो । ण य तं मओ ण जीओ मुच्छा-मोहं उवगो सि॥ दहण पदीव-सिह किर एयं हिम्मलं महारयणं । गेण्हामि त्ति सयहं पयंग-भावम्मि उड्रोसि ॥ बडिसेण मच्छ-भावे गीएण मयत्तणे विवण्णो सि । गंधेण महुयरत्ते बहुसो रे पावियं मरणं ॥ ६ .) किं वा बहुएण भणिएण। जाई जाई जाओ अर्णतसो एकमेक-मेयाए । तत्थ य तत्थ मओ ई अब्बो बालेण मरणेण ॥ णरयम्मि जीव तुमए णाणा-दुक्खाई जाइँ सहियाई । एहि ताई सरंतो विसहेजसु वेयणं एवं ॥ करवत्त-कुंभि-रुक्खा-संबलि-वेयरणि-वालुया-पुलिणं । जइ सुमरसि एयाई विसहेजसु वेयण एवं ॥ तेत्तीस-सागराई णरए जा चेयणा सहिति । ता कीस खणं एकं विसहामि ण वेयणं एय॥ . देवत्तणम्मि बहुसो रणंत-रसणाओ गुरु-णियंबाओ । मुक्काओ जुवईओ मा रज्जसु असुइ-णारीस ॥ वजिंद-णील-मरगय-समप्पमं सासयं वरं भवणं । मुकं सम्गम्मि तए वोसिर जर-कडणि-कयमेयं । णाणा-मणि-मोत्तिय-संकुलाओं भाबद्ध-इंद-धणुयाओ । रयणाणं रासीओ मोत्तुं मा रज विहवेस॥ ते के वि देवदूसे देवंगे दिव्व-भोग-फरिसिले । मोत्तण तुमं तइया संपइ मा सुमर कंथडए॥ घर-रयण-णिम्मियं पिव कणय-मयं कुसुम-रेणु-सोमालं । चइऊण तत्थ देहं कुण जर-देहम्मि मा मुच्छं । मा तेस कुण णियाणं सग्गे किर एरिसीओ रिद्धीओ । मा चिंतेहिसि सुबुरिस होइ सयं चेव ज जोग। देहं असुइ-सगम्भं भरियं पुण मुत्त-पित्त-रुहिरेण । रे जीव इमस्स तुम मा उवरिं कुणसु अणुबंध ॥ पुण्ण पावं च दुवे वञ्चंति जिएण णवर सह एए। जं पुण इमं सरीर कत्तो तं चलइ ठाणाओ॥ मा मह सीयं होहिइ ठइओ विविहेहि वत्थ-पोत्तेहिं । वचते उण जीए खलस्स कण्णं पिणो सिण्ण। मा मह उण्इं होहिह इमस्स देहस्स छत्तयं धरियं । तं जीव-गमण-समए खलस्स सव्वं पिपम्हट। मा मह छुहा भवीहिद इमस्स देहस्स संबलं बूढं । तं जीव-गमण-काले कह व कयग्घेण णो भरियं ॥ मा मे तण्हा होहिइ मरुत्थलीसु पि पाणियं बूढं । तेण चिय देह तुम खल-गहिओ किं ण सुकएण ॥ तह लालियस्स तह पालियस्स तह गंध-मल्ल-सुरहिस्स । खल देह तुज्म जुत्तं पयं पिणो देसि गंतवे ॥ अन्वो जणस्स मोहो धम्मं मोत्तूण गमण-सुसहाय । देहस्स कुणइ पेच्छसु तड़ियहं सव-कजाई ॥ त्थि पुहईए अण्णो अविसेसो जारिसो इमो जीवो । देहस्स कुणइ एकं धम्मस्स ण गेण्हए णाम ॥ धम्मेण होइ सुगई देहो वि विलोहए मरण-काले । तह वि कयग्धो जीवो देहस्स सुहई चिंतेइ ॥ छारस्स होइ पुंजो अहवा किमियाण सिलिसिलेंताण । सुक्खइ रवि-किरणेहिँ वि होहिह पूयस्स व पवाहो ॥ भत्तं व सउणयाणं भक्खं वालाण कोल्हुयाईणं । होहिइ पत्थर-सरिसं अव्वो सुकं व कट्टे वा॥ वा एरिसेण संपइ असार-देहेण जइ तवो होइ । ल, जं लहियन्वं मा मुच्छं कुणसु देहम्मि॥ अविय, देहेण कुणह धम्मं अंतम्मि विलोट्टए पुणो एयं । फग्गुण-मासं खेलह परसंते णेय पिटे य ।। ताविजउ कुणह तवं भिण्णं देहाओं पुग्गलं देहं । कट्ठ-जलंर्तिगाले परहत्थेणेय ते जीव ।। देहेण कुणह धम्मं अंतम्मि विलोहए पुणो एयं । उस्स पामियंगस्स वाहियं जं तयं लद्धं ॥ पोग्गल-मइयं कम्म हम्मउ देहेण पोग्गल-मएण । रे जीव कुणसु एवं विल्लं विल्लेण फोडेसु॥ 27 30 1 कपोत, P कवोतसउगवरंमि तह, मासत्यं for पासत्थं, जा जीव. 3) पईवसिहं, Pत्ति यण् दद्रो सि. 4) पडिसेण for बडिसेण, P मयत्तेण, P महुरयत्ते, महुरयत्ते, Jए for रे, P पाविओ मरणे. 5) बहुभणिएण. 6) जाओ for the first जाई, Pom. जाओ, P एकमेकदाए. 7) P नरकमि भरतो, वेसहेज मु. 8) Pom. the verae करवत eto. to वेयर्ण एवं ॥. 9) तेत्तीस सगराई. 10) रसणा गुरु', P मारेजसु. 11) Pमरमयसमप्पयं, rom. जर, . कडकयनिकयमेयं. 12) P धनुया । णाणं रासीओ, Pमारेज. 13) P दिवंगे, P फरिसिलो, कंथरए, 14) सोमार।. 15) P सपुरिस, चेय. 16) P सगभंतरियं, P रुहिराण, P कुमणसु. 16) P बच्चति, P एते, P हाणाओ. 18) ? महं सीहं होही, कण्णं पि ना मिडं ॥. 19) Pदेह छत्तयं. 20) P भवीहइ, P संबलं मूद. 21) तेणं चिय, खण for खल. 22) यं for पयं. 24) पुहवीए अण्णो, P देह कुणद कजं धम्मस्स. 25) P सुगती. 26) मुकर, P वा for वि, होहिति पुत्तिरस व,P पूयस्स बाहो ॥. 27) कोल्हुआतीण । होहिति. 28) तओ होर, यवं मु मा मुच्छति कुणसु. 29) खेलह, P परसते, " परिसंतेणाय पिढे. 30) कत्थसुजलर्तिगालो पर पर , कजलंतंगारे परहत्येणाय. 31) वाहितं. 32) P हम्मं उ, P जीय कुण एयं, P फोलेडेसु. Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 २७६. उज्जोयणसूरिविरइया [६४१७अवस-वसएहि देहो मोत्तव्यो ता वरं सवसएहिं । जो हसिर-रोइरीए वि पाहुणो ता वरं हसिरी॥ इय जीव तुम भण्णसि णिसुणेतो मा करे गय-णिमीलं । देहस्स उवरि मुच्छं णिब्बुद्विय मा करेजासु॥ ४१८) किं च रे जीव तए चिंतणीय । अवि य। सो णत्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि एत्थ रे जीव । जो जो तए ण खइओ सो वि हु तुमए भमंतेण ।। सो णस्थि कोई जीवो जयम्मि सयलम्मि तुह भमंतस्स ! ण य आसि कोइ बंधू तुह जीव ण जस्स तं बहुसो॥ सो णत्थि कोइ जीवो जयम्मि सयलम्मि सुणसु ता जीव । जो णासि तुज्य मित्तं सत्तू वा तुज्झ जो णासि ॥ जे पेच्छसि धरणिहरे धरणि व्व वणं णई-तलाए वा । ते जाण मए सव्वे सय-हुत्तं भक्खिया भासि ॥ जे जे पेच्छसि एवं पोग्गल-रूवं जयस्मि हो जीव । तं तं तुमए भुत्तं अणंतसो तं च एएण ।।। तं णस्थि किं पिठागं चोदस-रजुम्मि एत्य लोयम्मि । जत्थ ण जाओ ण मओ अणंतसो सुणसु रे जीव ॥ गोसे मज्झण्हे वा पोस-कालम्मि अह व राईए । सो णत्थि कोइ कालो जाओ य मओ य णो जम्मि । जाओ जलम्मि णिहओ थलम्मि थल-वडिओ जले णिहो। ते णस्थि जल-थले वा जाओ य मओ य णो जत्थ ॥ 12 जाओ धरणी, तुम णिहओ गयणम्मि णिवडिओ धरणिं । गयण-धरणीण मज्झे जाओ य मओ य तं जीय ॥ जीवम्मि तुम जाओ णिहओ जीवेण पाडिओ जीवे । जीवेण य जीवंतो जीयत्थे लुप्पसे जीय ।। जीवेण य तं जाओ जीवावियओ य जीव जीवेणं । संवडिओ जिएणं जीवेहि य मारिओ बहुसो।। 16 ता जत्थ जत्थ जाओ सञ्चित्ताचित्त-मीस-जोणीसु । ता तत्थ तत्थ मरणं तुमए रे पावियं जीव ॥ मरणाई अणंताई तुमए पत्ताई जाई रे जीव । सव्वाइँ ताई जाणसु अयणु अहो बाल-मरणाई॥ किं तं पंडिय-मरणं पंडिय-बुद्धि त्ति तीय जो जुत्तो । सो पंडिओ त्ति भण्गइ तस्स हु मरणं इमं होइ॥ पायव-मरणं एक इंगिणि-मरणं लगड-मरणं च । संथारयम्मि मरणं सब्वाइ मिणियम-जुत्ताई।। छजीव-णिकायाणं रक्खा-परमं तु होइ जं मरणं । तं चिय पंडिय-मरणं विवरीय बाल-मरणं तु ॥ मालोइयम्मि मरणं जं होहिइ पंडियं तयं भणियं । होइ पडिकमगेण य विवरीयं जाण बालं ति ॥ 21 दसण-णाण-चरित्ते आराहेडं हवेज जं मरणं । तं हो पंडिय-मरणं विवरीय बाल-मरणं ति ॥ तिस्थयराइ-पणामे जिग-वय गेणावि वट्टमाणस्स । तं हो पंडिय-मरणं विवरीय होइ बालस्स ॥ किं वा बहुणा एत्थं पंडिय-मरणेण सग्ग-मोक्खाई। बाल-मरणेण एसो संसारो सासओ होइ । 24 ६ ४१९) एयं णाऊण तुमं रे जीव सुहाइँ णवर पत्थेतो। चइऊण बाल-मरणं पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ इठ्ठ-विभोओ गरुओ अणि?-संपत्ति-वयण-दुक्खाई । एमाई संभरंतो पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ छेयण-भेयण-ताडण-अवरोप्पर-घायणाई णरएसु । एया. संभरंतो पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ श णत्थि ण वाहण-बंधण-अवरोप्पर-भक्खणाई तिरिएसु । एयाई संभरंतो पंडिय-मरणं मरसु एहि ॥ जाइ-जरा-मरणाई रोगायंकेण णवर मणुएसु । जइ सुमरसि एयाई पंडिय-मरणं मरसु एपिह॥ रे जीव तुमे दिट्ठो अणुभूओ जो सुओ य संसारे । बाल-मरणेहि एसो पंडिय-मरणं मरसु तम्हा।। 30 भणियं च। एकं पंडिय-मरणं छिंदइ जाई-सयाई बहुयाइँ । तं मरणं मरियव्वं जेण मुओ सुम्मो होइ । सो सुम्मओ त्ति भण्णइ जो ण मरीहिइ पुणो वि संसारे। णिह-सव्व-कम्मो सो सिद्धो जइ परं मोक्खो ॥ 1) अवसवसेहं, १ मोत्तव्यं, P हुणो for पाहुणो, P हसिए ति ॥. 2) निपुणतो, ' उअरि. 3) जीम तर,. चिंतिणीयं. 4) एत्थ ए जीअ, P जो सो तेण न, P भवंतेण. 5) Prepeats सो, Pण आसि, ' जी. 6) जी, . जा for जो. 7) जो for ने, P ब वरणं नती तलाए, P सयउत्तं. 8) जीअ , P भुत्तुं, P च तेरण. 9) तं किं चि नत्थि हाणं, रज्जमि, J सुणसु ए जी. 10) Pरातीप, कोलो for कोइ कालो. 11) Pजोओ for जाओ, Prepeats थलंमि, Pव्य for य in both places. 12) Pनिदओ मयणमि, P तं जीवं. 13) P जीवेण तुम, P जीवो जीयत्थो लुपसे जीव. 14) जीवाविओ, P तं वढिओ, P मारिसो. 15) सचित्ता, P सचित्ताचिमीस, जी॥. 16)मित्तमए for तुमए, P पुत्ताई जीई, P अयाणु ता बाल. 17) पंडा बुद्धि, P भणइ, P सुहं for इमं. 18) Pपायवमरणे, P वि for मि. 19) रखा. 20) तिs for तयं, P वि for य, P बाल त्ति ॥. 21) चरित्ताण हेउं, for जं, Pom. three lines तं हो पंडिय etc. to होइ बालस्स. 22) तित्थयराति-. 23) Pतं चिय for किं वा बहुणा एत्थं, मोक्खाती. मोक्खाई. 24) Pनाउण, P पत्थेतो. 25) P अट्ठ for इट्ठ, P संभरेतो, " मर for मरसु, p om. पहि. 26) ताषण, P संभरेंतो पडिय॥. 27) P नत्थ ण, P भक्खाइं, संभरेंतो पं. 28) P जाई-, रोआतंकण, P सुमरएस एया.पं 129) जीअ, अणुहूओ, संसारो- 31) जाई जाती, जेण मओ, सुमुओ, P repeats सुम्मओ. 32) सुम्मतो Pसम्मओ, जेणं मरणेग for जो ण, मरीहिति P मरिहीति, P निद्दडा, मोक्ने. त्थयराति-250 मर for मरसु,P OMM, P सुमरएस या तो Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -४२१] कुवलयमाला 16 1 णस्थि मरणस्स णासो तित्थयराण पिमहव इंदाणं । तम्हा अवस्स मरणे पंडिय-मरणं मरसु एकं॥ जइ मरणेहि ण कर्ज खिण्णो मरणेण चयसि मरणाई। ता मरण-दुक्ख-मीरुय पंडिय-मरणं मरसु एक। 3 मह इच्छसि मरणाई मरणेहि य णस्थि तुज्झ णिन्वेओ । ता अच्छसु वीसत्थो जम्मण-मरणारहम्मि ॥ इय बाल-पंडियाणं मरणं णाऊण भावओ एहि । एसो पंडिय-मरण पडिवण्णो भव-सउत्तारं ॥' ति भणमाणस्स सयंभुदेवस्स महारिसिणो अउब्वकरण खवग-सेढीए अणंतरं केवल-वर-णाण-दंसणं समुप्पण्णं, समयं च। भाउय-कम्मक्खओ, तेण अंतगडो सयंभुदेव-महारिसि ति। ६४२०) एवं च वञ्चंतेसु दियहेसु महारह-साधू वि णाऊण थोव-सेसं आउयं दिण्ण-गुरुयणालोयणो परिवंतसव्व-पावट्ठाणो संलेहणा-संलिहियंगो सव्वहा कय-सम्व-कायब्वो उवविठ्ठो संथारए । तत्थ य णमोकार-परमो मच्छिउँ पयत्तो । अवि य। एस करेमि पणाम अरईताणं विसुद्ध-कम्माणं । सव्वातिसय-समग्गा अरहंता मंगलं मम ।। उसभाईए सब्वे चउवीसं जिणवरे णमंसामि । होहिंति जे वि संपइ ताणं पिकओ णमोकारो॥ 12 मोसप्पिणि तह भवसप्पिणीसु सन्वासु जे समुप्पण्णा । तीताणागय-भूया सम्वे वंदामि अरईते ॥ भरहे अवर-विदेहे पुब्व-विदेहे य तह य एरवए। पणमामि पुक्खरद्धे धायइ-संडे य अरहते ॥ अच्छंति जे वि अज वि गर-तिरिए देव-णरय-जोणीसु । एगाणेय-भवेसु य भविए वंदामि तित्थयरे। तित्थयर-णाम-गोत्तं वेएते वद्धमाण-बद्धे य । बंधिसु जे वि जीवा अजं चिय ते वि वंदामि। विहरति जे मुणिंदा छउमस्या अहव जे गिहत्था वा । उप्पण्ण-णाण-रयणा सब्वे तिविहेण वदामि ॥ जे संपइ परिसत्था अहवा जे समवसरण-मज्झत्था । देवच्छंद-गया वा जे वा विहरति धरणियले ॥ साहेति जे वि धम्म जेवण साहेति छिण्ण-मय-मोहा । वंदामि ते वि सम्वे तित्थयरे मोक्ख-मग्गस्स ॥ तित्थयरीमो तित्थंकरे य सामे य कसिण-गोरे य । मुत्ताहल-पउमाझे सब्वे तिविहेण वंदामि ॥ उज्झिय-रजे अहवा कुमारए दार-संगह-सणाहे । सावच्चे हिरवच्छे सम्वे तिविहेण वदामि ॥ भव्वाण भव-समुदे णिबुडमाणाण तरण-कजम्मि । तित्थं जेहि कयमिणं तित्थयराणं णमो ताण ॥ तिस्थयराण पणामो जीवं तारेइ दुक्ख-जलहीओ । तम्हा पणमह सम्वायरेण ते चेय तित्थयरे ॥ लोय-गुरूण ताणं तित्थयराणं च सन्व-दरिसीणं । सवण्णूर्ण एयं णमो णमो सव्व-भावेणं॥ भरइंत-णमोकारो जइ कीरइ भावो इह जगेणं । ता होइ सिद्धि-मग्गो भवे भवे बोहि-लाभाए ॥ अरहंत-णमोकारो तम्हा चिंतेमि सब्व-भावेण । दुक्ख-सहस्स-विमोक्खं अह मोक्खं जेण पावेमि ॥ ६४२१) सिद्धाण णमोकारो करेमु भावेण कम्म-सुद्धाण । भव-सय-सहस्स बद्धं धंतं कम्भिधणं जेहिं ॥ सिझंति जे वि संपइ सिद्धा सिझिंसु कम्म-खइयाए । ताणं सव्वाण णमो तिविहेणं करण-जोएण ॥ जे केइ तित्थ-सिद्धा अतिस्थ-सिद्धा व एक-सिद्धा वा । अहवा अणेग-सिद्धा ते सम्वे भावो वंदे ॥ जे वि सलिंगे सिद्धा गिहि-लिंगे कह वि जे कुलिंगे वा । तित्थयर-सिद्ध-सिद्धा सामण्णा जे वि ते वंदे॥ 30 इत्थी-लिंगे सिद्धा पुरिसेण णपुंसएण जे सिद्धा । पञ्चेय-बुद्ध-सिद्धा बुद्ध-सयंबुद्ध-सिद्धा य॥ जे वि णिसण्णा सिद्धा अहव णिवण्णा ठिया व उस्सम्गे । उत्ताणय-पासेल्ला सब्वे वंदामि तिविहेण ॥ णिसि-दियस-पदोसे वा सिद्धा मज्झण्ह-गोस-काले वा । काल-विवक्खा सिद्धा सब्वे वंदामि भावेण ॥ 24 1) Pएके. 2) भीरू, P adds after भीरुय. 3) P तो for ता. 4) भावतो, सयुत्तार. 5) .om. ति, अणतकेवल. 6) कम्मखयो P कंमखओ. 7) Jom. च, P साहुणा नाऊण, थोअ-, ' गुरुअणालोअणो गुरुआलोअणो. 8) . om. सब. 100 अरिहंताण. 11) JP उसभातीए, P सत्रो 12) P ओसप्पिणी तह, P समुप्पण्णो, Jणागतभूता. 13) Pom. पुषविदेहे, P पुखरद्धे, थातइसण्डे. 14) Pएयाणेयमवंतरभविए. 15) देतेंते । वेयंतो, बदिसु. 16) P adds वि before मुर्णिदा, छतुमत्था, जो for जे. 17) जो for जेमता, Pom. धरणि. 18) P सोहेति, वि for व, Pon. वि. 19) P मुत्ताफल, P वंदिमि. 20) Pom. सव्वे, १ वंदिमि. 21) णिउडमाणाण, " मरण for तरण. 23) P ताणं for एय, rom. one णमो. 24) भावतो, तो tor ता. 25) चिंतेण for चिंतेमि. 26) P करेतु ? कमसुम्वाण, १ दद्धं for धंतं. 27) Pom. संपइ, P सिद्धिसु, खयताए. 28) 1 भावतो. 29) Pom. कह वि जे कुलिंगे. 30) पुंसर for पुंसएण, Jom. जे, P जि, P पत्तय बुद्धसयंबुद्ध, बुदिसिया J सयंबुद्धि-- 31) महवि णिविण्ण, P ठिया, - ऊसग्गे. 32) दिवस, पतोसे, P गोसकालंमि । Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ 1 3 6 9 12 18 18 21 24 27 30 उज्जोयणसूरिविरहया 1 I जोब्बण- सिद्धा बाला घेरा तह मज्झिमा व जे सिद्धा दवण्णदीय-सिद्धा सन्ये तिमिहेण वंदामि ॥ दिव्याबहार- सिद्धा समुह-सिद्धा गिरी जे सिद्धा जे के भाव-सिद्धा सच्चे तिविहेण वंदामि ॥ जे जरथ के सिद्धा फाले खेते व दब-भावे वा ते सच्चे वंदेहं सिद्धे तिविद्वेण करणेण ॥ सिद्धाण णमोकारो जइ लब्भद्द आगए मरण-काले । ता होइ सुगइ-मग्गो अण्णो सिद्धिं पि पावेइ ॥ सिद्धाण णमोकारो जह कीरइ भावओ असंगेहिं । रुंभइ कुराई-मग्गं सग्गं सिद्धिं च पावेइ ॥ सिद्धाण णमोकारं तम्हा सव्वायरेण काहामि । छेतून मोह-जालं सिद्धि-पुरिं जेण पावेमि ॥ ६ ४२२ ) पणमामि गदरा विपणे जे मुत्त-बंधे बंवेण तह कर्म पत्तं अम्हारिसा जाय ॥ चोद-पुत्रीण नमो आयरियाणं सगुण-पुत्रीण यायचसहाग णमो णमो व एगारसंगीण ॥ एत्थ । 1 यार-धराण णमो धारिजइ जेहिँ पत्रयणं सयलं । णाण-धराणं ताणं आयरियाणं पणित्रयामि ॥ जाणायार घराणं दंसण-वरणे विसुद्ध भावानं तव विरिय घराण णमो आयरियाणं सुधीराणं ॥ जिण त्रयणं दष्यंत दवंति पुणो पुणो ससतीए फावण-पभासयाण आयरियाणं पणिवयामि ॥ गृई पत्रयण सारं अंगोगे समुद्र-सरिसम्म अम्हारिसेहिं कतो ते जइ घोष-बुद्धीहिं ॥ तं पुण मायरिहिं पारंपरगुणदीविवं एथ जइ होंति ण आयरियाने जागेज सारमिणं ॥ सूण-मे सुसूदन केवलं तहिं त्यो जे पुण से वक्खाणं तं भापयाति बुद्धी-सिणेह जुत्ता भागम-जण सुट्ट दियंता कह पेच्छड एस जणो सूरि-पईचा जहिं रथ ॥ । वारि-सील-किरणो अण्णाण तमोह-णासणो विमलो। चंद-समो आयरिओ भविए कुमुए स्व बोहेइ ॥ दंसण-विमल-पया इस दिस पसरं नानकिरगिलो जण रवि व सूरी मिच्छत्त-तमंचो देसो ॥ उलोपन व सूरो फहलो कप्पदुमो व आयरिओ चिंतामणि व सुहलो जंगम-तिरयं च पण जे जत्थ केइ खेत्ते काले भावे व सव्वहा अत्थि । तीताणागय-भूया ते आयरिए पणिवयामि ॥ जायरियणमोकारो जन्म मरण-काळ-वेळा भावेण कीरमाणो सो होहि बोहि-लाभाए ॥ आणिमोकारो जद कीरह तिविजोग-हिं ता जम्म-जरा-मरणे छिंदद्द बहुए ण संदेहो ॥ आयरिय- णमोकारो कीरंतो सल्लगत्तणं होइ । होइ णरामर सुहओ अक्खय-फल- दाण- दुल्ललिओ ॥ लग्दा करेमि सच्चावरेण सूरीन हो णमोकारं कम्म फलेक विमुको भट्टरा मोक्लं पि पावेस्सं ॥ 1 ६ ४२३) उवझायाणं च णमो संगोवंग सुर्य घता सिस्स-गण-हियद्वाए झरमाणाणं तवं चेय ॥ सुत्तस्स होइ अत्यो सुतं पाढेंति ते उवज्झाया । अज्झावयाण तम्हा पणमह परमेण भावेण ॥ सज्झाय-सलिल- णिवहं झरंति जे गिरियड ब्व तद्दियहं । भञ्झावयाण ताणं भत्तीऍ अहं पणिवयामि ॥ जे कम्म खट्ठाए सुत्तं पाढेंति सुद्ध-लेसिल्ला । ण गणेंति णियय-दुक्खं पणओ अज्झावए ते हं ॥ अझावयाण तेर्सि भई जे गाण-दंसण-समिदा बहु-भविवयोजन झरेति सुसवा-काले अज्झावयस्थपणमद वस्त्र पसाय सम्य सुचाणि गर्जति परिखेति व पदमं चित्र सध-सामूहिं ॥ उपाय- नमोकारो कीरंतो मरण-देस-कालम्मि कुमई भइ सहसा सोमाइ-मम्मि उवने ॥ उपाय - णमोकारो कीरतो कुणइ बोहि सा तु वम्हा पणमह सच्चारेगाव मुणिणो ॥ उवसाय- णमोकारी सुदा सम्मान होइ दुखच काउं जीयं ठावे मोक्समि ॥ 1 वायय 9 ) J पण तामि ॥ 10 ) P चरणेहि सुद्धभावे । तवकिरिय. 11) Pदिव्वंति पणिवतानि 12 ) J तण्णज्जउ, P थोव 13 ) P होति. 14 ) P अत्थे, P repeats से 16 ) P कुमुयवितो हे इ. 17 ) P विमलपलपयावोदय दिस. 18 ) उज्जतउ 19 ) 3 पणिवतामि. 20 ) होहि ति P सो हित्ति. 21) Pom. कीरइ, P जोय-. 23) P मोकं पि. याणं, अंगोगं सुतं सुतं, J हितट्ठाए, P भरमाणाणं. 25 ) पाढं ति, Pम्हा for तम्हा. भत्तीय, पणिवता मि. 27 ) P कंमक्खयं, P वज्झावए 28 ) P बोहयाणं सरंति सुतं. 30) JP उवज्झाय, P देसयालमि, P रुंभभइ 31 ) JP उवज्झाय 32 ) JP उवज्झाय, ठा. [ ४२१ 1 3 12 15 18 1) P दीवण्ण 2 ) P केवि for केर. 3) P कह वि for केर, P कालखेत्ते, P व्व for य. 4 ) P अण्णे, P पावेमि. 5 ) भावतो । संभइ कुगर, P पार्वेति 6 ) P सिद्धिं 7 ) P गहराणं, P जावा ॥. 8 ) P णवण्ह for तहूण, P P ससतीए, P पहासवाणं, 15 ) P पेच्छर, P पतीवा. for न, तीताणागतभूता, 24 उवयाणं P उवज्झा26) Jom. जे, P गिरि ग्व, 29) Pom.] पढिनंति, P साहूहिं. Pom. सव्वाण, जीवं, पावेद for 21 24 27 30 . Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - ४२६] कुवलयमाला 1 ६ ४२४) साहूण नमोकारं करेमि तिविद्देण करण- जोएण जेण भव-लक्ख-दर्द खगेण पावं विनामि ॥ पणमह ति-गुति-गुते विलुत्त-मिच्छत-पत्त-सम्मत्ते । कम्म- करवत्त- पत्ते उत्तम-सते पणिवयामि ॥ पंचसुसमिसु एति-सह-पडिपेलनि गुरु-महे । चङ- विकहा- यम्मुके मव-मोद-विवाद धीरे ॥ पणमामि सुद्ध-लेसे कसाय-परिवत्रिए जियान दिए जीव-काय रक्खण-परे व पारंपरं पत्ते ।। च-सण्णा-विप्यजडे वगुणे संतु उसम-सते पणमो अपमचे सम्य-कालं पि ॥ परिस-बल-परिमले उयसम्म सहे पम्मि मोक्खस्स समणे यगे सुमने समने व-पाव-पंकस्स सेवए साहू णमोकारो जइ लभ मरण-देस-कालम्मि साहूण णमोकारो कीरंतो अवरेज जं पावं साहूण णमोकारो कीरतो भावमेत-संसुदो तन्हा करेमि सम्वायरेण साहूण वं णमोकार 1 विरुद्दा- पमाव रहिए सहिए वंदामि समणे सबए सुहए समए व सच्चर साहु मह वंदे ॥ चिंतामणि पद्धं किं मग्गसि काय-मनियाई ॥ पावाण करथ हियए पिसह एसो अण्णा ॥ सचल-मुद्दाणं मूलं मोक्स्सस्स व कारण होइ ॥ वरिऊन भव-समुई मोक्खय- दीवं च पावेमि ॥ ४१५) ए जयम्मिसार पुरिसा पंचैव ताण जोकारो प्यान उचरि अण्णो को वा भरिहो पणामस्स ॥ सेयाण परं सेयं मंगलाणं च परम-मंगलं । पुण्णाण परं पुण्णं फलं फलाणं च जाणेजा ॥ 8 9 12 1 एवं होइ पवितं वरपर सास सहा परमं एवं भारा किंवा हि थ कज्जेहिं चारितं पण वह णाणं णो जस्स परिणयं किंचि । पंच- णमोकार - फलं अवस्स देवत्तणं तस्स ॥ एवं दुह-सय- जलयर-तरंग-रंगत भासुरावत्ते । संसार-समुहम्मि कयाइ रयणं व णो पत्तं ॥ एवं अब्दुलं एवं अप्पत्त- पत्तयं मज्झ । एयं परम-भयहरं चोजं कोडुं परं सारं ॥ विसराहा विकु उम्मूमि गिरी विमूलामो गम्म गयणवलेणं दुलो एसो णमोकारो ॥ जो होज सीमो परिवह-दू बहेन सुर-सरिया ण व नाम ण देख इमो मोल-फर्क जिन-नमो ॥ पूर्ण मलद्वउच्च संसार-महोयहिं भमंतेहिं । जिण-साहु-णमोकारो तेणज्ज वि जम्म-मरणाई ॥ जर पुण पुण्यं द्रो ता कीस ण होइ म कम्म-खो । दावाग्मि जलिए तण-रासी फेबिरं ठाउ ॥ महवा भावेण विणा दग्वेणं पाविओो मए आसि । जाव ण गहिओ चिंतामणि त्ति ता किं फलं देह ॥ ता संप पत्तो मे भाराम्बड मए पयवेगंज जम्मण मरणानं दुक्खाणं अंतमिच्छामि ॥ चिमणमाणो महारद साहू भव्य-करणे सवग-सेनिं समारुडो कह ६ ४२६) झोसेद्द महासत्तो सुकझाणाणलेण कम्म तरं । पढमं भणत-णामे चत्तारि वि चुण्णिए तेण ॥ अण्ण-समएण पच्छा मिच्छतं सो खवेद्द सन्धं पि । मीसं च पुणो सम्मं खवेद्द जं पुग्गलं मासि ॥ 16 18 21 24 27 सारं जीवं पारं पुब्वा चोइस पि ॥ पंच-नमोकार मनो अवस्स देवर्ण लहइ ॥ P 1 ) P नमोक्कारा, J om. करण, Pलब, P पावं पणासेमि- 2 ) Pom. गुत्ते, P -विच्छत्तपत्त, पणिदतामि. 3 ) JP समितीसु J जवे P जहे, J परिसोल गंमि, P परिमुके- 4 ) P पारंपरे पत्तो. 5) सण्णी, P विप्पजढो, P संजुत्तो, १ मि for पि. 6 ) P परिसबल, पवणे, उपसग्गग्गे सहे परम्मि 7 ) Pom. समणे सुवणे, Padds दुक्खदायस्स after पंकस्स, स एव for य सच्चए साडू साहू. 8) P. 9 Pom.] अनदरेज जं पावे ela to साहून गोकारो कीरतो. 10 ) १ मेत्तसमिद्धो (1) सोक्खं दी च P मोक्खपदीवं. 12) P पुरिसाण पंचेन, ता णमोकारो. 13 ) P सेय, होइ for परम, P परमं, 3 adds पर before पुण्. 14 ) 3 एवं, P वरवरथं, J अमयं for परमं, P सोयं for सारं सारं for पार्ट- 15 ) P परो for मणों. 16) मि for पि, P adds नोगं before नो. 17 ) P समुद्दम्मी अपत्तदब्वं च माणिकं ॥ कयाई रयणारं व. 18) P अमतुलं, P मज्ज. 19 ) P दुलझे सो. 20 ) P जलगा व्ब, १ सीलो परिवहजुतं, जिणे. 21) P महोयहं नमंतेहिं 122) P पुण्ण for पुण, P दावानलंमि, P जाओ for ठाउ 23 ) P दव्वेगं भाविओ, P जाव न हियओ. 24 ) P आराहेयम्वो, Jom. मए, पयत्तोगं, दुक्खाणं इच्छसे अंत ॥. 25 ) Pom. ति, P खवगसेढी, 3 adds अवि य after कह. 26) * सोसेर, सुकज्जालान लेण, P अनंतनामो 27 ) 3 तं for जं. २७९ 1 12 15 18 21 24 27 . Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८० उज्जोयणसूरिविरड्या [६४२६ 1 एयं णियट्टि-ठाणं खाइय-सम्मत्त-लाभ-दुल्ललियं । लंघेऊणं अट्ट वि कसाय-रिवु-डामरे हणह॥ झोसेइ णवुसतं इत्थी-वेयं च अण्ण-समएण । हास-रइ-छक्कमण्णं समएणं णिहहे वीरो॥ 3 णिय-जीय-वीरिएणं खग्गेण व कयलि-खंभ-सम-सारं । पच्छा णिय-युवेयं सूडेइ विसुद्ध-लेसाओ॥ कोधाई-संजलणे एकेक सो खवेइ लोभतं । पच्छा करेइ खंडे असंख-मेत्ते उ लोहस्स ॥ एकेक खवयंतो पावइ जा अंतिम तयं खंडं । तं भेतण करेई अर्णत-खडेहिँ किट्टीओ ॥ तं वेतो भण्णइ महामुणी सुहुम-संपराओ त्ति । अहवायं पुण पावइ चारित्तं तं पि लंघेउं ॥ पंचक्खर-उग्गिरण कालं जा वीसमित्तु सो धीरो। दोहि समएहि पावइ केवल-णाणं महासत्तो। पयल णि पढम पंच-विहं दसणं चउ-वियप्पं । पंच-विदमंतराय च खवेत्ता केवली जाओ ।। आउय-कम्मं च पुणो खवेइ गोत्तेण सह य णामेण । सेसं पि वेयणीय सेलेसीए विमुक्को सो ॥ मह पुच-पओएणं बंधण-खुडियत्तणेण उड्ड-गई । लाउय-एरंड-फले अग्गी-धूमे य दिटुंता ॥ ईसीपब्भाराए पुहईए उवरि होइ लोयंतो । गंतूण तत्थ पंच वि तणु-रहिया सासया जाया । णाणमणेतं ताणं दसण-चारित्त-वीरिय-सणाहं । सुहमा णिरंजणा ते अक्खय-सोक्खा परम-सुद्धा ॥ अच्छेज्जा अब्भेजा अव्वत्ता अक्खरा शिरालंबा । परमप्पाणो सिद्धा अणाय-सिद्धा य ते सब्वे ।। सा सिवपुरि ति भणिया अयला स चेय स चियापावा । से तं दीवं तच्चिय तं चिय हो बंभ-लोयं ति ॥ 15 खेमकरी य सुहया होइ अणाउ त्ति सिद्धि-ठाण च । अववग्गो ब्वागं मोक्खो सोक्खो य सो होइ। तत्थ ण जरा ण म ण वाहिणो णेय सम्ब-दुक्खाई । अञ्चत-सासयं चिय भुंजंति अगोवम सोक्खं ॥ एत्थ य कहा समप्पइ कुवलयमाल त्ति जा पुरा भणिया । दक्खिण्ण-इंध-बुद्धी-वित्थारिय-य-रयणिल्ला। ४२७) पणय-तियसिंद-सुंदरि-मंदर-मंदार-गलिय-मयरंदं । जिण-चलण-कमल-जुयलं पणमह मुहलालि-संगीयं ॥ 18 पढम चिय णयरी-वण्णणम्मि रिद्धीओ जा मए भणिया। धम्मस्स फलं अक्खेवणि त्ति मा तत्थ कुप्पज्जा ।। जं चंडसोम-आई-वुतंता पंच ते वि कोधाई । संसारे दुक्ख-फला तम्हा परिहरसु दूरेण ॥ 1 जाओ पच्छायावो जह ताणं संजमं च पडिवण्णा । तह अण्णो वि हु पावी पच्छा विरमेज उवएसो॥ जिण-बंदण-फलमेयं जक्खो जिणसेहरो तिजं कहिओ । साहम्मियाण हो जीयाण बलं वदीर्ण है। वहर-परंपर-भावो संवेगो तिरिय-धम्म-पडिवत्ती । विजाहराण सिद्धी अच्छरियं एणियक्खाणे ॥ सरणागयाण रक्खा धीरं साहम्मि-वच्छलतं च । अपमत्त-सुलभ-बोही संवेगो भिल्ल-वुर्ततो॥ कुवलयमाला-रूवं धम्म-फलं तस्थ जो य सिंगारो । तं कन्व-धम्म-अक्खेवणीय सम्मत्त-कजेण ॥ सम्मत्तस्स पसंसा घेप्पड वयणं जिणाण लोगम्मि । चित्तवडेण विचित्तो संसारो दंसिओ होइ॥ विण्णाण-सत्त-सारो होइ कुमारस्स दंसिओ तेण । जिण-णाम-मंत-सत्ती वुत्तंतेणं णरिदाण ॥ पर-तिस्थियाण-मेत्ती सरूव-जाणा-मण जिण-वयणं । होइ विसुद्ध-वरायं जुत्ति-पमाणेहि तं सारं ॥ जुय-समिला-दिटुंतो दुलई माणुस्सयं च चिंतेसु । दिय-लोए धम्म-फलं तम्हा तं चेय कायम्वं ॥ कम्मस्स गई णेहस्स परिणई बुज्झणा य थोएण । धम्म-पडिबोह-कुसलत्तणं च वीरेण णियय-भवे ।। भा 1) P नियड्विट्ठाणं खाइसम्मत्तलाह. 2) ' झोसइ णमंसत्तं इत्थीवेतं P सोसेइ नपुंसत्तं इत्थीनेयं, P हासाइछक्कमणं, - रतिः, निजिरे वीरो, ' धीरो for वीरो. 3) F कस्सयलि, ३ पुवेतं, ' लेस्साओ. 4) कोपाती संबलणा, P कोहाई, ' लोहंत, J करेति, ' मेते तु P मेतो उ. 5) Pणवs for पावइ, , करेती. 6) अहखातं. 7)" पंचखर, J सो kor जा, P वीसमीउ सो वीरो, केवलिनालं. 8) J पढमे, , om. च. " , आउएखम, . खवेत्ति, Ps for य, . वेतणीयं. 10) एरंडहलं. 11) F has संजया twice for सासया. 13) अच्छज्जा अकया निरालंबा ।, १ अणायसुद्धा. 14) Pस चिय अणाहा ।, तदीवं, P om. तचिय. 15) ' होउ for होर, ? अपवग्गो. 16) नेय दुक्खसबाई 1, J सासतं, Padds य after चिय. 17) दिक्खिण्ण', P बुधी-- 18) P पणयमरसिद्धसंदरि, P मंदारमलिय, जिणचयण. 19) चिय नगरी, वाणगंति, P वण्णाणमि. 20) UP आती tor आई, कोषावी कोहाती, संसार. 22) बलं च दीणत, वदीणतं. 23) विआहरणाण सिद्धि, अच्छयरं, १ एणियाखाणे. 24)रक्सी, सलह25) कम्म for कब. 26) लोअंमि चित्तपडे वि विचित्तो. 27) : कुमार, जिणे गाणं सम्मतसत्ती. 28). तित्थयाण मेली, P-मित्ती, P om. तं सारं. 300 गई नेयस्स, येवण ।. Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुवलयमाला 1 बुद्धी देव-भाषा पंचन-येता तु धम्म-पदिवसी अपर-विदेहे दंसण कामगईदस्य युते ॥ उच्छाद सत्त-सारो सिद्धी विजाए भोग-संपत्ती । सम्मन्त-दाण-कुसलत्तणं व तह वहरगुत्तम्मि ॥ दिव्याणं संलाबोबो सो सर्वभुदेवस्य मा कुण कुटुंब-कजे पावं एसा गई तस्स ॥ सुह-संबोधी-सुमिणं मद्दारहे जम्मि ताइँ भणियाइँ । भव्वाणं एस ठिई थोवेण वि जेण बुज्झति ॥ आराहणा य अंते आलोयण-जिंदणा य वोसिरणा । पंच- णमोक्कारो विय मोक्खस्स य साहूणो भणिभो ॥ केवल-नाप्पत्ती भणिवा सेटीए वग-गामाए। मोक्त्रे परमं सोक्खं संपता तस्य सम्बे वि ॥ 1 ६ ४२८ ) जं खल-पिसुणो अहं व मच्छरी रक्त मूढ-युग्गहिओ । भणिहिह अभाणियन्त्रं पि एत्थ भणिमो सर्व चेय रागो मूल्य विदो कि कीरह राम-बंधना एसा पडिवचणं तत्थ इमं जसु न राग-पित्तरस रागं णिसिकण व पडर्म मह तस्स होह वेरम्यं रागेण विया सादसु र करस किं दोउ | धम्मस्सफर्ड पूर्व भक्लेवनिकारणं सम्यं च रागाओं विरागो वि हु पढने रागो को तेण ॥ वसुदेव- धमिलाणं हिंडीसुं कीस णत्थि रागो ति । तत्थ ण किंचि वि जंपसि अम्हं मज्झे ण तुइ हो ॥ रागेण सुमं जालो पच्छा धम्मं करेसि वेरणी रागो युथ पसरथो विराग देऊ भवे जम्हा ॥ कीस पद्दण्णं राया दढवम्मो कुणद्द गुग्गुलाईयं । भज विमिच्छादिट्ठी जुजद्द सव्वं पि भणिडं जे ॥ किं सो राया णम्मं लच्छीऐं समं करेह देवीए । णणु होजा रज-सिरी अरहइ सिंगार-वयणाई ॥ पुरिसाइ-लक्खणेहिं किं कीरह एत्थ धम्म-उल्लावे । णणु धम्मो कव्वाणं अक्खेवणि-कारणं जम्दा || हरि - खंदरूद्द - कुसुमाउहेसु उवमाण णागरी-वण्णे । कालम्मि तम्मि कत्तो उवमाणं किं असंतेहिं ॥ भण्णए समए भणियाणव- शुक्ला पडि कामपाला व रुदा खंदा व पुणो भए विज-सिद्धति | दाणं रुदाणं गोविंदाणं च जेण अंगेसु । णामाइँ सुणिज्जंति वि सासय-रूवेसु सव्वे ॥ चोज ण होह एवं धम्मो कव्वस्स जेण उवमाणं । कीरइ अणसंते वि हु मच्छउ ता लोय-सिद्धेसु ॥ उ पिसुणाण इहं बोलीणो अवसरो ति णो भणियं । सम्ब न्विय धम्म-कहा सम्मत्तुप्पायणी जेण ॥ ६ ४२९) जो पढ भाव-तो महवा निसुणे महव वाएह जद सो मम्यो वस्त्रं सम्म जावर तस्स ॥ ल पि थिरं होहि होइ वियो कई य पत्तट्ठो । तम्हा कुवलयमालं वाएजसु हो पयतेण ॥ जो जाणइ देसीओो भासाओ लक्खणाइँ धाऊ य । वय-गय-गाहा-छेयं कुवलयमालं पि सो पढउ ॥ याहूँ जो जन्याणइ सो वि हु वाएउ पोत्थयं घेत्तुं । एत्थं चिय अह णाहि कद्दणो णिउणत्तण-गुणेण ॥ जो सज्जनो वियड्डो एसा रामेइ तं महालक्खं । जो पिसुण-दुव्वियङ्को रस-भावं तस्स णो देह ॥ जीऍ मद्द देवयाए अक्खाणं साहियं इमं सव्वं । तीए चिय णिम्मविया एसा अम्हे मिसं एत्थ ॥ दियइस्स पहर मेरो ग्रंथ-सर्व कुछ भणसु को पुरिसो हियब गया हिरि-देवी जड़ में लिक्रस णो दोइ ॥ परमाणम्मि पठमप्यनाए पठमेण व्य-पडमग्मि दिवय-पडमम्मि सा मे हिरि देवी दोट संगिहिया ॥ जह किंचि लिंग- भिण्णं विभत्ति-भिण्णं च कारय-विद्दीणं । रहसेण भए लिहियं को दोसो एत्थ देवीए ॥ 3 9 12 ४१९ 18 18 21 24 27 करोति स एय विरागदेतू 133 दमम्मो तीन मिच्छादि J 1) P देवनाण, कामदसतो. 2 ) विज्ञान सम्मच 3 ) बोहित्यं कुटुंब 4) संरोही. 5 for य after जिंदणा, P य हसाहणं भणिओ. 6 ) P adds नाग before णामाए, P मोक्खं, adds ते after तस्थ. 7) J बुग्गाहियं. 9 ) P रागं निद्द सिऊण पढमं रागो अहं तस्स वेरग्गं, P किह for किं, P होइउ. 10) Padds चि after फलं, P कब्वं for सम्यं राम को 12 adds इय before जुज्जर. 14 ) लच्छीय, P नणु भोजा रज्जसिरी- 15) पुरिसाति, P बचाणं for कन्दाणं. 16 ) P रुदसुमा उद्देसु, P वण्णो । 17) P भण्ण adds ए before समय, J -जवला चक्किकामवालाणं ।. 18 P रुंदाणं. सव्वं चिय, J सम्मत्तपायणी जम्हा ॥ 21 ) P पदम for पढर, Pom. जइ, P भस्सं for वस्सं. 22 ) 23 > P कञ्चाई for धाऊ य. 24) om. हु, P पोत्थय, णाहिति P नाई हद्द, करणो हिउ णिउणत्तण. नो देश. 26 ) P जाए for जीए. 27 > कुणउ, जर मि लिहूं", P जब संलिहियं तस्स, देश for होइ. for परमप्पभाए. 29 ) P विहत्ति, 36 20 P होहिति जोदिर. . 25 ) P नो होइ for 28) पउमंमि आए 1 8 12 18 18 21 24 27 . Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उज्जोयणसूरिविरइया -पय-मनिला सरलहावा व भूषण- विणा दुगाय बाल व मए दिष्णा युद्द सुवण-गेहेण ॥ गेहूं देख इमी खडिवं छाए वयणयं पुलए भद्दवा कुछस्स सरिसे करेज हो तुझ से सुवणा ॥ जं सिय-कला-कावा धम्म-कदा येव-दिविवय-गरिंदा इद लोए छोड़ घिरा एसा उसमस्त किति ॥ । ४३) व्य-सिदा दोणि पदा दोणि चैव देस सि तत्यस्थि पदं णामेण उतरा युद्द-जणा ॥ सुइ दिय- चारू-सोदा विवसिय कमलाणणा विमल-देहा । तत्थस्थि जलहि- दइया सरिया अह चंदभायति ॥ तीरम्मितीय पपडा पब्वया णाम स्यन सोहिला जत्य द्विरण भुत्ता पुदई सिरि-तोरण ॥ तस्स गुरू हरिउत्तो आयरिमो आसि गुत्त-वंसाओ । तीऍ णयरीऍ दिष्णो जेण जिवेसो तहिं काले तस्स । वि सिस्सो पवडो महाकई देव-नामो चि ......... सिवचंद-गणी अह महयरो ति ॥ ર 1 6 9 12 15 18 21 सो जिण-वंदण-हेउं कह वि भमतो कमेण संपत्तो । सिरि-भिल्लमाल-णयरम्मि संठिओ कप्परुक्खो ब्व ॥ तस्स खमासमण-गुणो णामेण य जक्खदत्त-गणि-णामो । सीसो मद्दइ-महप्पा मासि विलोए वि पयड-असो ॥ तस्स य बहुया सीसा तव वीरिय-वयण- छद्धि-संपण्णा । रम्मो गुज्जर-देसो जेहि कभी देवहरएहिं ॥ जागो विंदो मम्मड दुग्गो आयरिय अग्गिसम्मो य । छट्टो बडेसरो छम्मुहस्स वयण व ते मासि ॥ आगासवप्प-यरे जिनालयं तेण णिम्मविय रम्मं । तस्स मुह-दंसणे शिय अवि पसमह जो अहम्वो वि ।। तस्स वि सीसो अण्गो तसारियो वि णाम पयड-गुणो मासि तव तेय-निनिय -पाय-तमोड़ो दिणयरो ॥ जो दूसम-सलिल पवाह-वेग-हीरंत-गुण-सदस्साण सीडंग-विउ-सालो लक्खण ॥ 1 सीसेण तस्स एसा हिरिदेवी-द-स-मणेण रहया कुळयमाला विलसिय-दक्खिन-ईपेण ॥ दिव्य-जहि-फलमो बहु-किसी कुसुम-रेहिराभोनो मायरिव वीरभदो अधावरो कप्परस्यो य ॥ सो सिद्ध गुरु उत्ती-सत्येहि जस्स हरिभदो। बहु-सत्य-गंध-विरधर- पत्थरिय-पय- सम्वत्यो ॥ भासि किम्माभिरनो महादुचारम्मि खचियो पयको उज्योषणो चि णामं तश्चिय परिभुंजिरे तथा ॥ तस्स वि पुत्तो संपर णामेण वडेसरो चि पयड-गुणो । तस्सुजोयण-णामो वणओ भद्द विरइया तेण ॥ तुंगमकं जिण-भवण-मणहरं सावयाढलं विसमं । जावालिडरं भट्ठावयं व अह अस्थि पुहईए ॥ गंधव महारि-रयण- पसरंपच वाढोयं उसभ-निर्णिदाबवणं करावियं वीरभद्देण ॥ तत्थ टिपूर्ण मह चोदसीए तरस कन्द-परसम्म जिम्मविया बोहिकरी मध्वार्ण होड सम्वर्ण ॥ 1) Padds निरलंकारा य after गमणिला, १ सरलउलाबा, Pom. भूसण विहूणा, Pom. बाल ब्वं, P तुह सवण 3 ) P -कलावो धमक्खाणेय, P लोय, Pom. होइ. 4 ) Pom two verses 6 ) P अतिथ for वीरम्मि तीय, adds पुरीणं ("साणेग onn be read as माणेन ). 7 > P हरियचो, सिविक दक्खो आयरियदेवको जनविर The line is defeotive perhaps some syllables 2) P करेञ्ज जं तुज्झ हो सुयणु. अत्थि पुइई eto. to चंदभाय चि adds वहूं after उत्तराafter पयडा, J जत्थत्थि ठिए भुत्ता, तत्थ for जत्थ, P सिरितोरसाणेण ती वरीय दिनो जिनियस तो 8 कित्ती ॥ for the line तस्स वि सिस्सो eto. to देवउत्तणामो ति. like [तस्स वि सीसो सो ] are missing at the beginning, JP मयहरो. 9 ) P सो एत्थ आगओ देसा for the line सो जिगवंदण हेर्ड eto. to संपतो. 10 गुणा, Pom. य, J जक्खयत्त P जक्खदखत, P सिस्सो for सीसों 11 inter. बहुया & सीसा, Pom. वयग, Pलद्धचरणपण्णा. 12 ) Pom. & verse जागो विंदो eto. to ते आसि, बडेंसरो, स्स for ग्व. 13 ) 3 - for णयरे, P नयरे बडेसरो आसि जो ख़मासमणो, जिणाणयं, J अब्भत्यो for अव्वो 14 > Pथ आयारधरो for वि सीसो भन्यो मन्तो for अण्णो, सार for पयवणिजिय-पविगममोदो, om. दिणवरो ॥ eto. o हरितगुणसहसान15) P लग्गणखंभो व्व. 16 ) P कुवयमाला विलसिर. 17 ) अस्थावरो : अवावरो. 18 ) P सो सिद्धंतगुरू पमाणनाए जस्स, महु for बहु, P inter. गंथ & सत्थ उपत्थरिय 19 ) P सया खत्तियाणं वंसे जाओ वडेसरो नाम for the three lines भासि तिकम्मामिरओ eto. to त्ति पयडगुणो, आसी. 20) वर्डेसरो. 21) सारयाऊलं, विउ for विसमं, Pom. जावालिडर Pintere अह भत्थि & पुहईए. 22 ) जिर्णिदायतणं, P कारवियं. 23 > १ संमि for तत्थ, JP ट्ठिएणं, P किण्ड, १ बोहकरी. धयवहाडोयं वडाडोवं, P उस [ई ४२९ 1 12 15 18 21 Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -६४३१] कुवलयमाला । पर-भड-भिउडी-भंगो पणईयण-रोहिणी-कला-चंद्रो। सिरि-वच्छराय-णामो रण-हत्थी पस्थिवो जइया। को किर वच्चइ तीरं जिण-वयण-महोयहिस्स दुत्तारं । थोय-मइणा वि बद्धा एसा हिरिदेवि-वयणेण ॥ जिण-वयणामो ऊर्ण अहियं व विरुद्धयं व जे बद्धं । तं खमसु संठवेजसु मिच्छा मह दुकर्ड तस्स ॥ चंदकुलावयवेणं आयरिउज्जोयणेण रइया मे। सिव-संति-बोहि-मोक्खाण साहिया होउ भवियाण ॥ एयं कहं करेउं जं पुण्ण पावियं मए विउल । साहु-किरियासु चित्तं भवे भवे होउ मे तेण ॥ सग-काले वोलीगे वरिसाण सएहि सत्तहि गएहिं । एग-दिणेणूगेहिं रइया भवरह-वेलाए । ण कहत्तणाहिमाणो ण कव्व-बुद्धीऍ विरहया एसा । धम्मकह ति णिबद्धा मा दोसे काहिह इमीए॥ ३)भरहते णमिउगं सिद्धे मायरिय-सम्व-साहू य । पवयण-मंगल-सारं वोच्छामि अहं समासेण। . पढम णमह जिगाणं ओहि-जिणाणं च णमह सव्वाणं । परमोहि-जिणे पणमह अणंत-ओही जिणे णमह॥ बंदे सम्बोहि-जिणे पणमह भावेण केवलि-जिमे य । णमह य भवस्थ-केवलि-जिण-णाहे तिविह-जोएण ॥ णमह य उज्जुमईण विउलमईणं च णमह भत्तीए । पण्णा-समणे पणमह णमह य तह बीय-बुद्धीम्॥ 19 पणमह य कोट्ठ-बुद्धी पाणुसारीण णमह सब्वाण । पणमह य सुय-धराणं णमह य संमिण्णसोयाण ॥ वंदे चोइस-पुब्बी तह दस-पुग्वी य वायए वंदे। एयारसंग-सुत्तत्य-धारए णमह भायरिए । चारण-समणे पणमह तह जंघाचारणे य पणमामि । वंदे विबासिद्धे आगास-गमे य जिणकप्पे । 16 मामोसहिणो वंदे खेलोसहि-जल्लोसहिणो णमह । सम्वोसहिणो वंदे पणमह मासीविसे तह य॥ पणमह दिट्टी-विसिणो वयण-विसे णमह तेय-लेसिल्ले । वंदामि सीय-लेसे विप्पोसहिणो य पणमामि। खीरासविणो णमिमो महुस्सवाणं च वंदिमो चलणे । अमयस्सवाण पणमह अक्खीण-महाणसे वंदे ॥ 18 पणमामि विउघीण जलही-मणाण भूमि-सजीणं। पणमामि अणुय-रूए महल-रूवे य पणमामि ॥ मण-वेगिणो य पणमह गिरिराय-पडिच्छिरे य पणमामि । दिस्सादिस्से णमिमो णमह य सम्वहि-संपण्णे॥ . पणमह परिमावण्णे तवो-विहाणेसुचेय सव्येसु । पणमामि गणहराणं जिण-जणणीणं च पणमामि ॥ 1 केवल-णाणं पणमामि दसणं तह व सव्य-णाणाई । चारित पंच-विहं तेसु य जे साहुणो सम्बे ॥ पछत्तं रयणं झओ य चमराई दुंदुहीमो य । सीहासण-कंकेली पणमह वाणी जिणिदस्स ॥ www 1) P om. four verses परभडभिउडी etc. to होउ भवियाण ॥, रोहणो for रोहिणी. 3 om. व before जं. 4) आयरियउजो अणेण, . साहियाण होउ. ) P कर्ड for करेड, P विमलं for विउलं, P किरिया चित्तं. 6) ? पगविणेणणेहि एस समतावरण्डमि. 7) P om. the verses ण काचाहिमाणो eta to काहिह इमीए . For the Sections431 consisting of verses beginning with अरहते णमिळणं eto. to होर तं तं च || of J, the Ms. P has tby following verses which are reproduced with very minor oorrections, some of its orthographical traits like the initial etc. being retained: बुझंति जत्थ जीवा सिझंति विके विकम्म-मल-मुका। जच नमियं जिणेहिं तं तित्थं नमह भावेण| पणमामि उसह-नाई सेसे विजेणेज उत्तर (जिणे य उत्तरे) नमिमो । जणणि-जणए य ताणं गणहर देवे य पणमामि।। केवल-नाणं पणमामि दसर्ण तह य सव्व-नाणाइ । चारित्तं पंच-विहं भावेण नमामि संपन्नं ।। पणमामि धम्म-चकं जिणाण छत्तत्तियं रयण-चित्तं । धम्मज्झयं ति वंदे चेहय-रुक्खं पहा-जालं॥ पउमासणं च बंदे चामर-जवलं च चंद-किरणाम। सुमरामि दुंदुभि-रवं जिणस्स वाणिं च वंदामि ।। वंदामि सन्व-सिद्धे पंचाणुत्तर-निवासिणो ने य । लोयंतिए य देवे वंदे सब्वे मुरि य॥ आहारय देव(दोहरे वंदह परिहार-संठिए मुणिणो। उवसामग-सेणित्ये बंदह तह खवग-सेढित्थे। वंदे चउदस-पुम्वी ऊणे तह रायगे (वायगे) य पणमामि । एगारसम्मि आयार-धारए पंच-समिए य॥ अक्सीण-महाणसिप वंदे तह सीय-तेय-लेसिले। चारण-समणे वंदे तह जंघा-चारणे नमिमो ।। आसीविसे य वंदे जल्लोसहि-खेल-ओसहि-धरे य । आमोसही व विपोसही य सम्वोसहिं वंदे ।। वंदामि बीय-बुद्धि वंदे विउलं च कोट्ट-बुद्धिं च सव्वायरिए पणओ अज्झावय सम्ब-साहू य॥ ओहिण्णाणी पणओ मणपज्जव-नाणिणो य जे समणे । पणमामि अणंतेहि सन्वेहि वंदिमो अयं । बल केसवाण जुवणे (जुवले) सुमरामिह चकवट्टियोस [व्वे]। अण्णे वि वंदणिज्जे पवयण-सारिरि) [पणि] वयामि जिण-जम्मण-भूमीओ वंदे निव्वाण-नाण-मेरुं च । सम्मेय-सेल-सिहरे सिद्धाययणे पणिवयामि ॥ एवं जो पढइ नरो गोसग्गे अयल-भत्ति-संजुत्तो। सव्वं सिन्झइ कर्ज तदियहं तस्स विउलं पि॥छ। 9) अर्णतं ओहिजिणे. 10) सम्वोहि जिगो. 12)-बुद्धीणं पयाणु, om. य before सुय. 15) महोसदिणमह. 16) दिट्ठी विसणो, तब for तेय. 17) महुस्सराणं. Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ 1 8 B 9 उज्जोयणसूरिविरइया वंदामि सम्य-सिद्धे पंचाणुत्तर निवासियो ने व छोयंतिए व देवे दद्द सम्ये हुर्रिदेव ॥ आहारय- देह - घरे उवसामग-सेढि संठिए वंदे । सम्मद्दिद्विप्पभुई सब्वे गुणठाणए वंदे ॥ संत कुंथू य अरो एयाणं आसि णव महाणिहिओ । चोइस रयणाइँ पुणो छण्णउई गाम-कोडीओ बल-केसवाण जुयले पणमह अण्णे य भब्व-ठाणेसु । सब्वे वि वंदणिजे पवयण-सारे पणिवयामि ॥ ओ मे भवग्ग-वग्गू सुमणे सोमणस होंतु महु-महुरा । किलिकिलिय- घडी चक्का हिलिहिलि-देवीमो सम्वाओ ॥ इस पवयणस्स सारं मंगलमेवं च पूयं एत्थ एवं जो पउइ णरो सम्मट्टिी व गोसग्गे ॥ वद्दियसं तस्स भवे कलाण-परंपरा सुविहियस्स । जं जं सुई पसत्थं मंगलं होइ तं तं च ॥ ६ ४३२ ) इस एस गणिती तेरस कळणाएँ जइ सहस्साइ अण्णो वि को वि गणेही सो नाही जिच्या संचा इस एस समय बिय हिरिदेवीए वरप्पसाएण कणो होठ पसण्णा इन्डिय-फळया व संधस्स ॥ 卐 ॥ इति कुवलयमाला नाम संकीर्ण-कथा परिसमाप्ता ॥ ॥ मङ्गलं महाश्रीः ॥ [६४३१ 1 महाणिवहो, छण्णउद. 8) 3) घडिचका. 9) Jom two verses एय दस गणिती et P for एस. The colophon of P stands thus : समाप्तेयं कुवलयमाला नाम कथा ॥ छ ॥ ग्रंथ संख्या सहस्र ॥ १००००१ कृति श्रीश्वेतपटनाथमुनेदाक्षिण्यलांछनस्य उद्योतनसूरे ॥ छ ॥ ॥ छ ॥ The Ms. 3 adds something more after महाभीः, ॥ छ ॥ संवत् ११३९ फाल्गु वदि १ रवि दिने लिखितमिदं पुस्तकमिति ॥ 3 . Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिं घी जैन ग्रन्थ मा ला **********************[ ग्रन्थांक ४५-अ ]**************** श्रीमद् रत्नप्रभसूरिविरचित कुवलयमाला-कथा-संक्षेप ( प्राकृत भाषामय कुवलयमाला महाकथा वस्तुसार स्वरूप ) प्रथम भाग - परिशिष्टात्मक ग्रन्थ SRI DALCHAND JI SINGH 5 श्री. डालचंद्र जी सिंधी फ्र SINGHI JAIN SERIES **************[ NUMBER 45 A]********>**< KUVALAYAMÄLÄ-KATHA-SAMKSEPA OF RATNAPRABHA SŪRI (A. Stylistic Digest of the Prakṛta Kuvalayamālā Kathā of Uddyotana Sūri) Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SINGHI JAIN SERIES A COLLECTION OF CRITICAL EDITIONS OF IMPORTANT JAIN CANONICAL PHILOSOPHICAL, HISTORICAL, LITERARY, NARRATIVE AND OTHER WORKS IN PRAKRIT, SANSKRIT, APABHRAMSHA AND OLD RAJASTHANIGUJARATI LANGUAGES, AND OF NEW STUDIES BY COMPETENT RESEARCH SCHOLARS ESTABLISHED IN THE SACRED MEMORY OF THE SAINT-LIKE LATE SETH SRI DALCHANDJI SINGHI ŚRI OF CALCUTTA BY HIS LATE DEVOTED SON DANASILA-SAHITYARASIKA-SANSKRITIPRIYA ŚRI BAHADUR SINGH SINGHI DIRECTOR AND GENERAL EDITOR Padmashri, ACHARYA JINA VIJAYA MUNI ADHISTHATA, SINONT JAIN BASTRA SIKSNA FITHA (Retired Honorary Director, Bharatiya Vidya Bhavan, Bombay.) Honorary Founder-Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur; General Editor, Rajasthan Puratan Granthamala; eto. (Honorary Member of the German Oriental Society, Germany; Bhandarkar Oriental Research Institute, Poona; Vishveshvaranand Vaidio Research Institute, Hosiyarpur; and Gujarat Sahitya Sabha, Ahmedabad.) PUBLISHED UNDER THE PATRONAGE OF SRI RAJENDRA SINGH SINGHI AND SRI NARENDRA SINGH SINGHI BY THE ADHISTHĀTĀ SINGHI JAIN SHASTRA SHIKSHAPITH BHARATIYA VIDYA BHAVAN, BOMBAY Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रत्नप्रभसूरिविरचिता कुवल यमाला कथा [अथ प्रथमः प्रस्तावः] ॥ओं अहं ॥ ६१) आदित्यवर्ण तमसः परस्तादस्तान्यतेजप्रचयप्रभावम् । यमेकमाहुः पुरुषं पुराणं परात्मदेवाय नमोऽस्तु तस्मै ॥१ लोकालोकलसद्विचारविदुरा विस्पष्टनिःश्रेयसद्वारः स्फारगुणालयस्त्रिभुवनस्तुत्यांहिपङ्केरुहः । शश्वद्विश्वजनीनधर्मविभवो विस्तीर्णकल्याणभा आद्योऽन्ये ऽपि मुदं जनस्य ददतां श्रीतीर्थराजश्विरम् ॥२ गोभिर्वितन्वन् कुमुदं विमुद्रं तमासमूहं परितः क्षिपंश्च । ददातु नेत्रद्वितयप्रमोदं श्रीशान्तितीर्थाधिपतिर्मुगाङ्कः ॥ ३. शिवाय भूयादपुनर्भवाय शिवाङ्गजन्मा स शिवालयो वः। जन्मप्रभृत्येव न यस्य कस्य ब्रह्मव्रतं विश्रुतमेतदत्र ॥४. अष्टमूर्तिरिव भाति यो विभुनम्रनागमणिराजिबिम्बितः। दर्पकोपचितिविच्युतिक्षमः क्षेममेष तनुतां जिनः सपः॥५ यन्नाममन्त्रवशतोऽपि शरीरभाजां नश्यन्ति सामजघटा इव दुष्कृतौधाः। पादानलाञ्छनमृगेन्द्रभुवा मियेव देवः स वः शिवसुखानि तनोतु वीरः॥६ साभारती यच्छतु वाञ्छितानि यस्याः प्रसादात्कवयो वयन्ति । प्रबन्धवासः सुगुणाभिरामं न यस्य मूल्यं न च जीर्णता च ॥७ भास्वन्तमत्यन्तमुदा द्विधा तं गुरुं तमस्तोमहरं प्रणौमि । गोसंगतो यस्य भवत्यवश्यं विकस्वरं ज्ञानसरोजमेतत् ॥८ कुवलयमालेव कथा कुवलयमालाह्वया कुवलये ऽस्मिन् । अर्थप्रपञ्चपरिमलपरिमिलिताभिक्षरोलम्बा ॥९ दाक्षिण्यचिह्नमुनिपेन विनिर्मिता या प्राक् प्राकृता विबुधमानसराजहंसी। तां संस्कृतेन वचसा रचयामि चम्पू सद्यः प्रसद्य सुधियः प्रविलोकयन्तु ॥ १० The references 1), 2), eto. are to the numbers of the lines of the text, put on both the margins. 1) After the syubol of bhale, which looks like Devanagari ६०,P opens thas: आई। श्रीगीतमाय नमः॥ नमः श्रीहीदेवतायै॥ नमः श्रीबृहत्कुवलयमालाकथाविधायिने श्रीदाक्षिण्यचिहरिप्रवराय ।। ओं अर्ह ॥ आदित्यवर्ण eto.sa has its opening folios missing; o is made to open thus: | अहँ । न्यायाम्भोनिधिश्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वरपादपोम्यो नमः । श्रीमद्रसप्रभसूरिविरचिता कुवलयमालाकथा । आदित्यवर्ण etc. 12)P विभुनान (नम्न !). 13) विधुतिक्षमः. 16) tor देवः. 18) द्विधातुं गुरुं 19) P नाम for ज्ञान. 23) प्राग् प्राकृता. Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रत्नप्रभसूरिविरचिता [1. $2 : Verse 111 ६२) गतिचतुष्टयसंभूतप्रभूतदुष्कृतमयापारसंसारसागरे परिभ्रमता जन्तुना महता कष्टेन मनुष्य- 1 भवःप्राप्यते। तत्रापि दुर्लभप्राप्तपुरुषत्वेन सत्पुरुषेण पुरुषार्थेष्वादरः कर्तव्यः। ते पुनस्त्रिरूपाः। धर्मो ऽर्थः 3 कामः। केषांचिन्मोक्षश्चेति । एतैर्विरहितस्य पुरुषस्य महद्दर्शनाभिरामस्यापि केवलं निष्फल जन्मेति। 3 यतस्तेषु च विशेषत एव धर्मः श्रेयस्तरः। स पुनम्तावद्वहुविधो लोकप्रसिद्धश्च । सर्वेषां मणीनामिव कौस्तुभः, कुञ्जराणामिव सुरगजः, सागराणामिव क्षीरसागरः, नृणामिव चक्रवर्ती, शाखिनामिव 6 कल्पशाखी, शैलानामिव सुमेरुः, सुराणामिव देवेन्दः, तेषां धर्माणामुपरि विराजते जिनेन्द्रप्रणीतो धर्मः। स च चतुर्विधो दानशीलतपोभावनाभेदैः। तत्र प्रथममेव प्रथमतीर्थपेन प्रथितपृथुमहिना धनसार्थवाहभवे व्रतिभ्यः प्राज्यमाज्यं ददता रोपितो दानधर्मः। ततः सिद्धगन्धर्वादीनां प्रत्यक्ष प्रतिज्ञां समाश्रयता भगवता सर्वे मम पापमकरणीयमिति प्रकटीकृतः शीलधर्मः। वर्षोपवासस्थितेन 9 प्रकाशितो लोके तपोधर्मः। तथैकान्ताशरणत्वकर्मवर्गणाबन्धमोक्षनारकतिर्यग्गतिनरामरगमनागमन दुःखसुखधर्मशुक्लध्यानादिभावनां भावयता भगवता निवेदितो भावनाधर्मः। ततोऽस्मादृशस्तादृशैर्दा12 नादिभिस्त्रिभिर्दूरत एव परित्यक्ताः । यतः सत्त्वसंहननवर्जिताः। तस्मादेष संवेगकारको भावनाधर्म: 12 सुखकरणीय इति । यतः सदा सत्पुरुषालीकदोषप्रवृत्तिपराः प्रमादपरवशचेतसो दुर्जनपार्श्ववर्तिनः परमर्ममार्गानुसारिणस्तिष्ठामः, ततः श्रीमजिनेन्द्रश्रमणपुङ्गवसत्पुरुषगुणग्रामाभिरामोत्कीर्तनेन सफली16 क्रियते जन्मेति । अन्यच्च, ये च पूर्व पादलिप्त-शातवाहन-षट्कर्णक-विमलाङ्क-देवगुप्त-बन्दिक-प्रभञ्जन-15 श्रीहरिभद्रसूरि-प्रभृतयो महाकवयो बभूवुः । येषामकैको ऽपि प्रबन्धो ऽद्यापि सहृदयानां चेतांस्यनुहरति । ततः कथं तेषां महाकवीनां कवित्वतत्त्वपदवीमनुभवामः । यद्यूर्णनाभलालाभिर्मदोन्मत्ताः 18 करिणो बध्यन्ते, यदि वा तुच्छगुजाफलैरनुपमानां विद्रमाणां शोभा प्राप्यते, यदि वा काचशक-18 लैर्वर्यवैडूर्यमणिप्रभा प्रकाश्यते, यदि वा भुजाभ्यासुभाभ्यामम्भोधिस्तीर्यते, यदि वा काञ्चनगिरि स्तुलया तोल्यते, ततश्चतुरचेतसां चमत्कारिणी कथा मादृशैरपि समुद्गीर्यते । परमियं तु न कवि21 त्वमदेन, न च शब्दशास्त्रप्रावीण्येन, न च साहित्यसौहित्येन, न च कर्कशतर्ककौशलेन, किंत्वात्मनो 21 विनोदाय। सा च पञ्चधा सकल-खण्ड-उल्लाप-परिहास-चराख्यादिभिः कथाभिः । एताः कथाः सी अपि प्रसिद्धाः । एतासां लक्षणधरा संकीर्णकथा ज्ञातव्या । अथ संकीर्णकथैवोच्यते । सापि 24त्रिविधा धर्मार्थकामकथाभिः । ततो धर्मकथैव भण्यते । सा च धर्मकथा चतुर्विधा, आक्षेपिणी १24 विक्षेपिणी २ संवेगजननी ३ निर्वेदजननी ४ चेति । तत्राक्षेपिणी मनो ऽनुकूला १, विक्षेपिणी मन:प्रतिकृला २, संवेगजननी ज्ञानोत्पत्तिकारणम् ३, निर्वेदजननी वैराग्यजनका ४। ततःप्रस्तुतकथाशरीरमुच्यते । तच्च कीदृशम् । सम्यक्त्वलाभगुरुतर परस्परनियूंढसुहृत्कार्य निर्वाणगमनसारमेतद् 27 दाक्षिण्यचिह्नेन सूरिणा निर्मितम् । यथा स कथास्वामी कुवलयचन्द्रो जातः। यथा च प्राक्संगतेन देवेन हृतः । यथा च तेन सिंहो देवः साधुश्च दृष्टाः शून्ये कानने । यथा स पूर्वजन्म पश्चानामपि 30 जनानां मुनिमुखाच्छुश्राव । यथा स सिंहश्च सम्यक्त्वं प्रतिपन्नौ । यथा स्वर्गाच्युताः परे ऽपि स 30 कुमारश्च दुस्तपं तपो विधाय स्वर्गमार्गमगमन् । तत्र विविधान् भोगान् भुक्त्वा यथा पुनर्भरतक्षेत्रे समुत्पद्यान्योन्यमजानन्तः सन्तः सर्वे ऽपि केवलिना बोधिताः। श्रामण्यं च निरन्तरं प्रपाल्य संवि33 नास्तपस्तीवं निर्माय कर्म विनिर्मथ्य यथा मोक्षलक्षीमीयिवांसः । तत्सर्वमपि प्रसन्नाया हियो देव-33 ताया मुखतः श्रुत्वा कुवलयमालायां कथायां पूर्वकाविना निबद्धम् । तथात्राप्यसारवचसापि मया भण्यमानं महात्मभिः श्रोतव्यम् । यतः, 38 निस्तेजसो ऽपि माहात्म्यं महानर्पयति श्रितः। नर्गसंसर्गतः पश्य पावित्र्यं भस्मनो ऽपि ॥ ११ 36 सर्वथैव परित्याज्यः स दूरादुर्जनः सताम् । द्विधा स्वेनार्पितेनापि यः परं कुरुते द्विधा ॥ १२ तद्विहाय तयोश्चर्चा स्वस्वकार्यविहस्तयोः । अस्याः कथायाः संक्षेपः क्रियते स्वार्थसिद्धये ॥१३ 2) Pom. सत्पुरुषेण, पुनखिरूपा धर्मार्थकामाः ।। 3)"रास्यापि स्यैव के पली. 7) तपोभावभेदैः.89 धनसार्थभवे, P प्राज्यमाचं. 13) P परवशचेतसे पार्श्वदुर्जनपाश्ववर्तिनः. 15) P षट्कर्षर्णक. 18) P यदि तुच्छ. 20) P चमरिणी कथा. 28) P प्राग् संगतेन. 34) P तथा अत्रापि असारवचसापि. 36) c explains भर्गसंसर्गतः as शिवसंसर्गादित्यर्थः in a footnote. Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 3 12 -I. $5 : Verse 20] कुवलयमालाकथा १ 1 ३) तथाहि । जम्बूद्वीपे द्वीपे धर्मवारणसधर्मणि षट्खण्डभरतक्षेत्रस्य दक्षिणार्धे मध्यमदेशा-1 वनीमौलिमण्डनमणिविनीता नाम नगरी । या महापुरुषनाभिजन्मनो जिनेश्वरस्य समेतवासवकृतराज्याभिषेकानन्तरं संप्राप्तनलिनीदलनिक्षिप्तवारिव्यातकरमिथुनकपर्यस्तचरणयुगलाभिषेकदर्शनस-3 हर्षहरिप्रजल्पितसाधुविनीतपुरुषाङ्किता विनीतेति प्रसिद्धा तदाभवत् । यत्र च शक्रः स्वयं प्रमुदितचेता भक्तिभरनिभृतो वासनावासितान्तःकरणो ऽनन्तमहिमामेयगाङ्गेयच्छायकायश्रीनामेयस्य समुच्छितम6 पनीतहृदयावसादं प्रासादं कारयांचकार। या चानन्तप्रवरसुरभुवननिवहाग्रध्वजाञ्चलैः करैरिव मत्सदृशी 6 पुरी नापरास्ति [इति] निवेदयतीव । यत्र शुभ्रशरदभ्रविभ्रमधारिणि स्फुटस्फाटिकमयान्यभ्रंलिहाग्राणि हाणि मुरपथपथसंचरिष्णोरुष्णांशोरपि विरचयन्ति स्यन्दनस्खलनम् । यत्र द्विमुखो मृदङ्गः, तीक्ष्णो 9 मण्डलानः, भ्रमणशीलो मधुकरः, सकलङ्कश्चन्द्रः, प्रवासी राजहंसः, चित्रलो मयूरः, अविनयी बालः, 9 चपलः प्लवगः, परोपतापी ज्वलन एव न पुनर्जनः । यत्र च स्पर्श एव प्रस्तरः, पीयूषमेव जलम्, छायाद्रुम एव द्रुमः। वर्यते सा कथं देवैः किल शक्रनिदेशतः । या श्रीमन्नाभिपुत्रस्य निवासार्थ विनिर्ममे ॥ १४ 12 यां वीक्ष्य पथिका नैककौतुकानां निकेतनम् । प्रवासालापवैधुर्य स्वप्रियाणां विसस्मकः॥ १५ तद्वस्तु नास्ति यत्तत्र प्राप्यते प्राणिभिः सुखम् । यत्कथास्वपि वर्तेत तत्सर्वमपि वीक्ष्यते ॥ १६ 15 यत्र वक्राङ्गता हंसे मत्स्ये च स्वकुलक्षयः। अरिष्टं सूतिकागेहे जने नैव कदाचन ॥ १७ 15 राजन्ते यत्र कासारा नराश्च कमलाश्रिताः। सद्वृत्तशालिनः स्वच्छाः सच्छाया द्विजभूषिताः॥१८ यन्मृगाक्षीमुखाम्भोजलावण्येन विनिर्जिता । तपस्यतीव त्रपया सरोजालिः सरोजले ॥ १९ अनन्तवैभवोपेतनिकेतोन्नतकैतनैः । छन्नायां यत्र मार्तण्डमण्डलं न दृशां पथि ॥ २० 18 ६४) तत्र दृढवर्मा नाम राजा। यः सरलो दाक्षिण्यनिधिर्दानशौण्डो दयालुः शरणागतवत्सलः प्रियंवदः[च]। यस्तु दोर्गत्यशीतसंतापितानां दहनः, न पुनर्दहनः; सुजनवदनकमलाकराणां तपना, 21न पुनस्तपनः; घनसमयः स्वजनकदम्बानाम् , शरदागमः प्रणयिजनकुमुदवनस्य, हेमन्तः प्रतिपक्षलक्ष-21 कामिनीकमलिनीनाम्,शिशिरकाल:सौधयुवतीजनकुन्दलतानाम्, सुरभिर्मित्रकाननानाम् , ग्रीष्मः शत्रु जलाशयानाम् , कृतयुगावतारो निजक्षितिमण्डले, कलिकालो वैरिनरेन्द्रराज्येषु, संतुष्टः स्वकलत्रेषु, न 24 पुनः कीर्तिषु; लुब्धो गुणग्रामेषु, न पुनरर्थेषु; गृद्धः सुभाषितेषु, न पुनरकार्येषु; सुशिक्षितः कलासु, न 24 पुनरलीककपटचाटुवचनेषु । तस्य करालकरवालधाराविदारितवैरिवारणकुम्भस्थलीगलितमुक्ताफलवि भूषिताखिलक्षितितलस्य सर्वत्रास्खलितप्रसृतनिस्सीमप्रतापतपनशोषिताशेषविपक्षलक्षकीर्तिसरसीवि27 सरस्य शरच्चन्द्रचन्द्रिकावदातगुणसंघातस्य निरवधिसौभाग्यलक्ष्मीकटाक्षलहरीलक्षितसाभिलाषवपुर्वै-27 भवस्य नम्रानेकनरेश्वरशिरःश्रेणिमणिमुकुटतटोद्भवप्रभाजालपिञ्जरितपादारविन्दस्य प्रतापाक्रान्तदिक्चऋवालप्रान्तविश्रान्तशासनस्य मधुमथनस्येव कमला, कुमुदबन्धोरिव कौमुदी, निरुपमरूपतिरस्कृतसुर30सुन्दरीसार्था अनन्यसामान्यपुण्यलावण्योपचिता अविकलकलाकलापकलिता सदा सद्धर्मध्यानदत्ता-30 वधाना सर्वान्तःपुरप्रधाना समग्रगुणग्रामाभिरामा प्रियङ्गुश्यामा स्वयंवरपरिणीता कान्ता कान्ता बभूव । अथ तस्य तया साकं नाकेश्वरस्येव शच्या विषयसुखमनुभवतः कोऽपि कालो व्यतिचक्राम । 33५) अन्यदा चाभ्यन्तरसभासीनस्य तस्य भूपस्य कतिपयमन्त्रिजनपरिवृतस्य स्नेहवशप्रियाप्रति-33 ष्ठितवामपार्श्वस्य बाहुलतावलम्बितवेत्रलता प्रतीहारी समाययौ । तया विनतया भूपतेः पदपद्मयुग्मम युग्मभक्त्या विज्ञप्तम् । 'देव, एष शबरसंज्ञसेनापतिपुत्रः सुषेणाख्यस्तदा देवस्यैवाशया मालवनरेन्द्र36 विजयार्थ ययौ स सांप्रतं द्वारि स्वामिनश्चरणाम्बुजदर्शनमभिलषन्नस्ति'। राज्ञोक्तं 'प्रविशतु' इति । 'यदा-36 ज्ञापयति देवस्तत्प्रमाणम्' [इति] वदन्त्या तया प्रवेशितः सेनानीः। स च नृपं विलोक्य किंचिद्भूभागमुपसर्ग्य ननाम । राज्ञापि 'आसनमासनम्' इति जल्पता दक्षिणकरतलेनोत्तमाझं परिस्पृश्य संमानितः। 39 ततो विरचितदेवीप्रणामः स सकलसामवायकनायकगणानतिदूरे यथोचितविष्टरे निषसाद । अथ 39 पृथ्वीभृता तमासनासीनं सुषेणं निरीक्ष्य हृदयाभ्यन्तरप्रवर्तितप्रयोदामृतपूरितनिस्यन्दबिन्दुसंदोहमिव ___12) " निर्देशतः 13) " पथिकानेक. 16) P स्वच्छाया 19) PO दृढधर्मा. 20) P दहनो न, P तपनोन. 23) P कलिकाले. 24) लब्धो for लुब्धो. 28) P तटोद्भपाभा. 30) P अविकलाकलंककलाप. 31) o inter. स्वयंवरपरिणीता & प्रियङ्गुश्यामा. 33) 0g वृतस्य सप्रियस्य बाहु. 34) ० प्रतिहारी. 35) P शबरसंज्ञः- 36) द्वारिगौ स्वामिन'. 39) P प्रणामसकल. 40) Pom. पूरित, Cg 'न्तरे प्रमोदामृतपूरितेन हर्षाभूणि विमुञ्चता सुषेण. Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रत्नप्रभसूरिविरचिता [I. $5 : Verse 211मुञ्चता स्निग्धधवलपक्ष्मलचलन्नयनयुगलेन 'सुषेण, कुशलं तव' इत्यप्रच्छि। तेनोक्तं 'देवचरणयुगल- 1 दर्शनेनापि सांप्रतं मम क्षेमम्' इति । नृपेणोक्तं 'मालवनरेश्वरेण सह भवतां को वृत्तान्तः समभूत्। 3 ततः सुषेणः प्रोवाच । “देवपादानामादेशेन तदा चतुरङ्गबलेन मालवपतिना समं संग्रामः समजनि। 3 तावहेवप्रतापेन प्रसर्पता मत्सैन्येन रिपुबलं भग्नम् । सैनिकैस्तदीयं सर्वस्वमपि स्वीचके। तस्यान्तःस्थितो ऽबालचरितो बाल एकः पञ्चवर्षदेशीयस्तनृपतिसुतः स्वशक्त्या युध्यमानो ऽस्माभिर्गृहीतः। स एष 6 सांप्रतं द्वारदेशे ऽवतिष्ठते । ततो भूपतेरादेशलेशेन मालवनरेन्द्रनन्दनो महेन्द्रनामा स्फुरत्सौभाग्य-6 सुभगः पुण्यलावण्यावयवश्रीश्चम्पककुसुमतनुरतनुगुणग्राममन्दिरं भविष्यन्महागन्धगज इवादीनईष्टिपातैर्विलोकयन्नास्थानमुपनृपमाजगाम । ततो राज्ञा विलसत्स्नेहनिर्भरहदा दीर्घतरभुजादण्डाभ्यां गृहीत्वा निजोत्सङ्गे निवेशितः । भूपतिस्तं निरीक्ष्य प्रमुदितमनाः समुद्र इव चन्द्रमसं स्वयं परिरभ्य बभाषे। 9 'अहो, बज्रकठिनमानसो ऽस्य जनको यो ऽद्याप्यस्य वियोगे जीवति । देव्यपि कुमारं देवकुमारमिव पश्यन्ती पुत्रमिव स्नेहं बिभ्रती जल्पितवतीति । 'धन्या सा युवतिर्यस्याः कुक्षौ रोहणगिराविव गुणैरस12 पत्नं पुत्ररत्नम् । दारुणा सा या सुतविरहे आत्मानं बिभर्ति ।' सचिवेश्वरैरुक्तम् । 'किं करोत्वेषः, ईदृश 12 एव विधिपरिणामः । तव सुरुतविलसितं चैतत् ।' अपि च। भवेयुर्न भवेयुर्वा कस्य कस्यापि भूस्पृशः। अतीव स्युः पुनः पुण्यवशतः सर्वतः श्रियः ॥ २१ 18६) अत्रान्तरे स चाभ्यन्तरगुरुदुःखज्वलनज्वालावलीतप्तचित्तो बाष्पाश्रुभी रोदितुं प्रवृत्तः ।। ततस्तस्य महीभृतः ससंभ्रमजलतरणास्फालितशतपत्रमिव समुदितोदयाचलचूलावलम्बिमार्तण्डमण्ड लकिरणगणाहतदिवसधूसरशशधरविम्बमिव दीप्रप्रदीपप्रभापराभूतमालतिप्रसूनमिव बालस्यास्यं 18 पश्यतः किंचिच्चित्ते 'महदुःखम्' इति वदतः प्रसृतबाष्पजलाई नयनयुगमभृत् । प्रकृतिकरुणहृदयाया 18 देव्या अपि क्षणमश्रुबिन्दुसंदोहेन निपतता कुचकलशोत्सङ्गे हारलीलायितमलंचक्रे, मन्त्रिजनस्यापि पतितश्चाश्रुप्रसरः। 'अहो अतुच्छगुणवत्सल वत्स स्वच्छचित्त, मा विषादस्यावकाशी भव' इति जल्पता भूभृता स्वदुकूलाञ्चलेन बालस्य विमलीकृतं वदनकमलम् । ततः परिजनोपनीतशीतलजलेन कुमारस्य 21 स्वस्य च नयनानि प्रक्षालितानि देव्या मन्त्रिगणेन च । राज्ञा भणितम् । 'भो भोः सुरगुरुप्रमुखाः सचि वेश्वराः, भणत किं कुमारेण ममोत्सङ्गसंगिना रुदितम।' तत एकेनोक्तम् । 'किमत्र ज्ञेयम् । यत एष 24 खलु बालः पितृमातृवियुको विषण्णचित्तः, अत एतेन रुदितम् ।' अपरेणोक्तम् । 'देव, त्वां विलोक्य 24 निजपितरौ हृदि स्थितावित्यनेन रुदितम् ।' अन्येन च भणितम् । 'देव, तथा अस्मिन् समये सम्यग् न ज्ञायते यदस्य बालस्य पितरौ किमवस्थान्तरमनुभवतः, अतो ऽनेन दुःखेन रुदितम्। राजापि जजल्प। 27 किमत्र विचारेण, इममेव पृच्छामः।' भणितश्च भूपतिना । 'पुत्र महेन्द्रकुमार, कथय कथं त्वयाश्रुपात: 27 कृतः। ततः कुमारेण किंचित्सगद्गदं गम्भीरमधुराक्षरं भणितम् । 'पश्यत विधिविलसितम्, यत्तादृश स्यापि तातस्य पुरन्दरसमविक्रमस्य राज्यभ्रंशः समभवत्, तथाहं च शत्रुजनस्योत्सङ्गसंगतः शोचनीय30 तामगमम् , ततो मयानेन मन्युना बाष्पप्रसरो रोद्धं न शक्यते।' अथो भूभृता तद्वनिर्गतवाक्यविस्म-30 याबद्धरसाक्षिप्यमाणमनसा भणितम् । अहो बालस्यामानो ऽभिमानः, अहो सावष्टम्भत्वम् , अहो वचनविन्यासः, अहो स्फुटाक्षरालापत्वम् , अहो कार्याकार्यविचारणं चेति सर्वथा विस्मयनीयमेतत् । यदेत33 स्याप्मयवस्थायामीदश एव बुद्धिविभवः।' इति जल्पता भूभृता वीक्षितानि सचिवेशाननानि । मन्त्रिभि-33 रुक्तम् । 'देव, को ऽत्र विस्मयः। यथा गुजाफलप्रमाणोऽपि ज्वलनो दहनस्वभावः, सिद्धार्थमात्रोऽपि रत्नविशेषो गुरुरेव, तथैते महावंशप्रसूताराजपुत्राः सत्त्वपौरुषमानप्रभवर्गुणविभवैः सह संवर्धितदेहा एव 36 भवन्ति । अन्यत्, देव, नैते प्रकृतिपुरुषाः, किंतु देवत्वच्युताः सावशेषशुभकमाणो ऽत्र जायन्ते।' ततो 38 - महीभृता जल्पितम् । एवमेवैतत् , नात्र संदेहः' इति । भणितश्च सानुनयं कुमारः। 'वत्स, मा चिन्ता चान्तमना भव । यथाहं भवतां रिपुस्तत्सत्यम्, न पुनः सांप्रतम् । यदा त्वमस्मन्मन्दिरे समागतस्तदा. 39 प्रभृत्येव त्वदर्शनमात्रेणापि स त्वत्पिता नृपतिर्मित्रं जातः। भवान् मम पुत्र एव । एवं परिशायाधृति 39 मा कार्षीः । मुश्च प्रतिपक्षबुद्धिम् । अभिरमस्व वत्स, स्वेच्छयात्मनो निकेतने यथा, सर्वमेव भव्यं भावि' इति भणित्वा नृदेवेन कुमारस्य वक्षःस्थले स्वकण्ठकन्दलादुत्तार्य निर्मलमुक्ताफलहारो निक्षिप्तः, 42 दत्तानि च क्रमुकफलफालीकलितनागवल्लीदलानि । तेन 'महाप्रसादः' इति भगित्वा तत्सर्वे 42 11) Pविभ्रती तल्पित. 13) सुकृतं विलसितं. 17) Pमालतीप्रसून. 20) 0g स्वस्थचित्त. 22)P भो भो. 26) P 'मनुभवतोऽनेन. 28) P गद्गदगम्भीर. 35) P रनविशेषोऽपि गुरु', og गुणविशेवैः सह सवर्तित. 40) P वत्सेच्छयात्मनो निकेते यथा. 41) मुकीफल. Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -I. § 8 : Verse 22 ] कुवलयमालाकथा १ * 5 1 स्वीचक्रे । अर्पितश्च देवगुरोः सचिवाधीशस्य भणितश्च । 'तथा त्वयैष उपचरितव्यो यथा कदाचन 1 सौवपित्रोर्न स्मरति, सर्वथा तथा कर्तव्यं यथा ममापुत्रस्यैष पुत्रो भवति' इति । ततः किंचित्कालं 3 स्थित्वा राजा भद्रासनात्समुत्तस्थौ । कृत दिवसव्यापारस्य तस्यातिक्रान्तो वासरः । १७) अथान्यदिवसे बाह्यास्थानमण्डपमुपगतस्य दृप्तनरेन्द्रमण्डलीपरिगतस्य तस्य भूपतेः सुरगिरेरिव कुलशैलमध्यगतस्यागता धौतधवलदुकूलयुगलनिवसना मङ्गलग्रीवासूत्र मात्राभरणशोभमाना 6 सुमङ्गला नामान्तः पुरमहत्तरा, दृष्ट्रा च राक्षा प्रौढराजहंसीव ललितगतिमार्गा । सा च कचुकिनी 6 नृपतेर्दक्षिणकर्णे किंचिन्निवेद्य निर्गतवती । ततो भूधवः स्वयमनल्पविकल्प संकल्पदोलायमानहृदयः क्षणमास्थाने स्थित्वा विसर्जिताशेषसेवकलोकः कण्ठीरवपीठादुत्थितवान् । प्रियङ्गुश्यामाभवनं प्रति प्रच 'लताचलापतिना चिन्तितम् । 'अहो, सुमङ्गलया कथितं यदद्य देव्या बहुधा विविधभङ्गीभिर्भणितयापि 9 परिजनेनालङ्कारो ऽपि न कलयांचक्रे आहारो ऽपि न, केवलममानो मान एवावलम्बितः । किं पुनर्देव्याः कोपकारणम् । अथवा स्वयमेव चिन्तयामि, यतः स्त्रीणां स्वभावत एव पञ्चभिः कारणैः कोपः समुत्पद्यते । 12 तद्यथा प्रणय स्खलनेन १, गोत्रस्खलनेन २, अविनीतपरिजनेन ३, प्रतिपक्षकलहेन ४, श्वश्रूसंतर्जनेन ५ । 12 तत्र तावत् प्रणयस्खलनं न, येन मम जीवितस्याप्येषैव स्वामिनी तिष्ठत्वन्यस्येति । अथ गोत्रस्खलनमपि न, येनास्याश्चैवाहया सकलान्तःपुरपुरन्ध्रीजनमपि व्याहरामि । अथ परिजनो ऽपि कदाचन ममाशालोपी 15 भवति न पुनर्देव्याः । प्रतिपक्षस्खलनमपि न, येन सर्वो ऽप्यन्तःपुरजनो देवतामिव देवीं मन्यते । शेषं 15 श्वश्रूभण्डनं दूरत एव न येनास्माकं माता महामहीपतेरग्रे ऽग्निमाविश्य देवी भूतेति । ततः किं पुनरेतद्भवेत् । इति चिन्तयन् भूपतिर्देव्या वासवेश्म प्रविवेश । न पुनस्तस्य सा लोचनगोचरतां 18 जगाम । नृदेवेन पृष्टा चेटिका कापि 'कुत्र देवी' इति । तया निवेदितम् । 'देव, देवी कोपौकसि प्रविष्टा ।' 18 तत्र भूमीविभुर्ययौ । दृष्ट्रानेन देवी हस्तिनोन्मूलितेव कमलिनी, भग्नेव वनलता, प्रोत्क्षिप्तेव कुसुममञ्जरी । ततस्तां प्रेक्षमाणः क्षितिपतिस्तस्याः सविधवर्ती बभूव । तत आसनात्स विनयमलसायमाना चारुलोचना 21 समुत्तस्थौ निजमासन मदाच्च । उपविष्टो राजा देवी च । ततः पृथ्वीपतिरुवाच । 'प्रिये कोपने, किमे - 21 तदकारणे चैव शरत्समयवारिधाराहतसरोजमिवोद्वहसि वदनाम्बुजम् । नाहं किंचिदपराधं स्वस्यान्यस्य वा स्मरामीति । ततो मनः प्रसन्नतामानीय निवेदय । किं मया न तव संमानितो बन्धुजनः, किं वा न 24 पूजितो गुरुजनः, किं वा न संतोषितः प्रणयिवर्गः, अथवा न विनीतः परिजनः, अथ प्रतिकूलः सपत्नी- 24 सार्थः, येन कोपमवलम्ब्य स्थितासि ।' ततस्तद्वचः श्रुत्वा किंचित्सहास्यमास्यं निर्माय देवी सुधामुचं वाचमुवाच । 'देव, तव पदपद्मयुग्मप्रसादवशतः किंचिदपि न न्यूनमस्ति, किंत्वनेकभूमि नायकमौलि27 मुकुट माणिक्यकोटिनिघृष्टचरणयुगस्यापि तव प्रणयिनी भूत्वात्र वीक्षापन्ना जातास्मि । यादृशस्तस्यास्त- 27 रलदृशः पुण्यवत्यास्तनूद्भवः स्नेहभाजनं महेन्द्रकुमारस्तादृशो मम मन्दभाग्यायास्त्वयि नाथे सत्यपि नास्तीत्येतद्भावयन्त्याः स्वस्योपरि निर्वेदः, तवोपरि च मम कोपः समजायत' इति । ततो विस्मयस्मेर30 चेतसा नीतिप्रचेतसा विशामीशेन चिन्तितम् | 'पश्यताविवेकित्वं महिलाजनस्य यदलीकासंबद्धप्रल - 30 पितैर्हियन्ते कामिनीभिः कामुकजनस्य चेतांसि ।' ध्यात्वेत्युक्तम् । 'देवि, यदेतत्तव कोपकारणमत्र क उपायः । दैवायत्तमेतत्, नात्र पुरुषकारस्यावसरो नान्यस्य चेति । यतः, 33 अनुद्यमाय क्रुध्यन्ति स्वजनाय कुबुद्धयः । दैवायत्ताः पुनः सर्वाः सिद्धयो नेति जानते ॥ २२ 33 १८) तावदेवंविधे व्यवस्थिते कथमकारणे कोपमवलम्बसे ।' देव्या विशप्तम् । 'नाथ, नाहमकार्ये कुपिता, किंतु कार्य एव । किं यदि महीपतिरुद्यमं विधाय देवतामाराध्य संततिं याचते ततः कथं 36 मनोरथाः प्रमाणकोटिं नाटीकन्ते, अतः प्रसीदतु मम मन्दभागिन्याः स्वामी देवताराधनेन' इत्युक्त्वा 36 चरणकमलयुगले निपतन्ती राज्ञा भुजाभ्यां धृत्वा प्रोता । 'कान्ते, यत्खं वदसि तदवश्यं विधास्ये सर्वथैवाधृतिं मुञ्च । परित्यज संतापम् । कुरु भोजनम् । भज पञ्चगोचरसंभवं सुखम् । प्रिये, निशि39 तासिधारया त्रिनयनस्य पुरो हुत्वा स्वमांसं, कात्यायन्या अग्रतः शिरसा बलिं दत्त्वा वा, महाश्मशाने 39 भूतप्रेतपिशाचादिकं कमपि साधयित्वा, विद्यया वा पुरन्दरमपि समाराध्य मया तनुजो याचनीय एव ।' इति भूपवचनं समाकर्ण्य हर्षप्रकर्षप्रवृत्तसर्वाङ्गरोमोन्द्रमा प्रोत्फुल्लवदनाम्बुजा देवी समजनि । तत्तो 42 नृपतिरुत्थाय कृतमजनभोजनविधिर्विधिशं मन्त्रिगणं समादिदेश । 'भो भोः सुरगुरुप्रमुखाः सचिवाः, 42 1) P यदा कदाचन 3 ) P व्यापारस्यातिक्रान्तो. 13 ) P अथा गोत्र- 16 ) P माता महीपते 22 ) P धाराहतमिव सरोजमुद्रहसि, og स्वस्यापर स्व. 23 ) P सन्मानितो. 33 ) P प्यंति 35 ) P कार्य एव च । 39) og त्रिनेत्रस्य पुरो. 40 ) P पिशाचादिकं किमपि P inter. साधयित्वा & विद्यया, P मनुजो for तनुजो 42 ) P विपिर्विचितं, १ भो भो 3 Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 6 रत्नप्रभसूरिविरचिता [I. 8 8 : Verse 23 1 अद्येदृशो वृत्तान्तः समभूत्' । देव्याः कोपकारणमात्मनः प्रतिशारोहणं च कथयामास । मन्त्रिभि- 1 रुक्तम् । 'देव, यतः 3 अङ्गणवेदी वसुधा कुल्या जलधिः स्थली च पातालम् । वल्मीकश्च सुमेरुः कृतप्रतिज्ञस्य धीरस्य ॥ २३ ३ तथा, पराक्रमवतां नृणां पर्वतो ऽपि तृणायते । ओजोविवर्जितानां तु तृणमप्यचलायते ॥ २४ 6 ततो देव, यत्त्वया चिन्तितं तत्तथैव । सुन्दरश्चैष ईदृशो देवस्याध्यवसायः । यतो भणितं पूर्वमुनि - 6 भिर्लोकशास्त्रेषु । यथा, अपुत्रस्य गतिर्नास्ति स्वर्गो नैव च नैव च । तस्मात् पुत्रमुखं दृष्ट्वा पश्चाद्धर्म समाचरेत् ॥ २५ 9 अन्यच्च देव सर्वाण्यपि कार्याणि पिण्डपानीयप्रदानादीनि पुत्रं विना न संपद्यन्ते पुरुषाणाम् । भण्यते च । १ विद्यावतो ऽपि नो यस्य सूनुरन्यूनविक्रमः । वृथा तज्जन्म शाखीव पुष्पैराढ्यो ऽपि निष्फलः ॥ २६ तेन प्रधान एष स्वामिनः पराक्रमः । देव, तिष्ठन्तु सर्वे ऽप्येते शशिशेखरोपास्तिमहा मांस विक्रय12 कात्यायन्याराधनप्रमुखाः प्राणसंशयकारिणः सुतप्रात्युपायाः । समस्ति स्वस्तिकारिणी महाराजवंश - 12 प्रसूतपूर्व पुरुषसांनिध्याध्यासिनी राज्यलक्ष्मीर्भगवती कुलदेवता । तामाराध्यामाराध्य पुत्रवरं प्रार्थयस्व' इति । ततो राज्ञा जल्पितम् । 'साधु मन्त्रिपुङ्गवाः' इति प्रोच्य भूपतिरासनादुत्तस्थौ मन्त्रिगणश्च । 15 १९ ) अन्येद्युः स पार्थिवः स्वयं पुष्यनक्षत्रयुतायां भूतेष्टायामशेषत्रिकचतुष्कादिषु रुद्रादीन् 15 देवानभ्यर्च्य यक्षराक्षसादिभ्यो देवेभ्यो वलि दत्त्वा दुःस्थितान्धककार्प टिकादीननुकम्प्य निर्मितस्नानक्रियः प्रावृतधौतधवल दुकूलयुगलः श्रीखण्डद्रवचर्चिताङ्गः कण्ठकन्दलन्यस्त सुमनो मनोरममालः 18 परिजन घृतकुसुमव लिपट लिकोपचार सारः कमलादेव्यालयं प्रविश्य सपर्या विरचय्य दर्भ संदर्भितस्रस्तरे 18 निषण्णः कृताञ्जलिः स्तुतिं पपाठ । पद्मनाभविभोर्वक्षः पद्मभ्रमरवल्लभे । विधेहि पुत्रपद्मां मे पद्म पद्मासनस्थिते ॥ २७ 21 ततो नरेश्वरो भक्तिभर निर्भर हृदयस्त्रिरात्रं जितेन्द्रियः कुशमये स्त्रस्तरे स्थितवान् । तुरीय दिने च नृपो 21 ऽजातदेवतादर्शनामर्षवशः श्यामलकुटिलललाटपट्टघटित भ्रुकुटीभङ्गभीषणाननो वामेन भुजादण्डेन गृहीत्वा कुन्तलकलापं दक्षिणबाहुघृतखड्गरत्नेन कन्धरायां यावत्प्रहारं दातुमारब्धवान् तावदेवतया 24 हाहारववाक्य पुरःसरं तस्य स्तम्भितो भुजादण्डः । राजापि यावदुन्नमितास्यः पश्यति तावद्वदनविधु - 24 संनिधाने ऽपि विशेषविकचकरकमलपरिमलमिलदलिकुलझङ्कार मुखरितदिक्चक्रवाला कमलालया देवी राजकमला प्रत्यक्षीवभूव । १० ) तद्दर्शनसमुत्पन्नरोमाञ्चकवचो विस्मितवदनारविन्दः कृतप्रणतिः क्षितिपतिरासीत् 127 राजलक्ष्म्या भणितम् । 'भो नरेश्वरं विलक्षीकृतप्रतिपक्षलक्षवनिता वैधव्य स्थूललक्षं कृपाणरत्नं श्रीवायां किमित्यायास्यते ।' नृपेणोक्तम् । 'देवि, यत्त्वया त्रिरात्राभ्यन्तरे मम निराहारस्यापि न निजदर्शन30 मदायि । ततो राज्यश्रिया किंचिद्विहस्य प्रोक्तम् । 'वत्स, वद मया किं कार्य तव' इति । अथो 30 निगदितं मेदिनीशेन । 'देवि, प्रसादं विधाय सर्वकलाकलापनिलयः प्राज्यराज्यधुराधरणधौरेयः कुल मन्दिरावष्टम्भस्तम्भनिभः पुत्रः पवित्रगुणशाली दीयताम् ।' ततः स्थित्वा राज्यकमला समुवाच । 33 'महाराज, किं को ऽपि कदाचन मयि पुत्रो भवता न्यासीकृतो ऽस्ति, येन मां प्रार्थयसे ।' राशोक्तम् 133 'यद्यपि मया तनुजो न समर्पितस्तदवितथम् । परं कल्पलतासंनिधाने किमु को ऽपि बुभुक्षया विलक्षीक्रियते । स्वर्गापगा पुलिनावस्थाने ऽपि किं तृष्णया वाध्यते । असपत्न चिन्तारत्नप्रा36 तावपि किं दौस्थ्येन दूयते । त्वयि दृष्टायां किं को ऽप्याधिवाधामनुभवति ।' देव्या ऊचे । 'महाराज, 36 मया परिहासः कृतः । सर्वगुणसंपूर्णः पूर्णिमाचन्द्र इव कलाकलापनिलयस्तवैकः पुत्रो भावी' इति भणित्वा राज्यलक्ष्मीस्तिरोदधे । 27 39 $११ ) ततो नृपतिर्लब्धराज्यश्रीप्रसादः श्रीदेवीगृहान्निर्गत्य निर्मितस्नानभोजनः सभायामुपविश्य 39 मन्त्रिमण्डलमाकार्य च यथावृत्तं निवेदयामास । मन्त्रिभिर्जल्पितम् । 'देवगुरुप्रसादादेतद्भवतु ।' ततः 1) P देव्याश्च कोप- 5 ) ० नृणां, P सर्वतोऽपि for पर्वतोऽपि 6 ) P सुंदरश्च एष M सुंदरश्च । एष. 8) P B om. स्वर्गो नैव etc. to समाचरेत्. 9 ) ० संपद्यते 11 ) B शशिशेषरों 15 ) P स्वयं मनुष्यनक्षत्र. 17) 0 प्रावृत्तधौत, P 32 ) 0g कुलमन्दिरस्तम्भावष्टम्भः पुत्रः प्रदीयताम् । श्रीदेविग्रहा. 40 ) 0 प्रसादाद्भवतेतत् . चर्चितां कंठ ततः स्मिता. 18 ) Pom. कुसुम, P प्रस्तरे for स्रस्तरे- 30 ) P राजश्रिया. 35) og विलक्ष्मीक्रियते 37 ) PB स्तवैकपुत्रो 39 ) PB Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 7 -1. $ 13 : Verse 36] कुवलयमालाकथा १ 1 क्षमापरिवृढो दृढवर्मा दृढप्रतिक्ष आस्थानादुत्थाय देव्यै वृत्तान्तमचीकथत् । देव्यपि हृष्टमानसा समज- 1 निष्ट । राशा समग्रे ऽपि नगरे वर्धापनमहोत्सवश्चके। इतश्च धर्माशुरपि करनिकरप्रसरेण तमासमूह निराकृत्यास्तसमस्तकिरणदण्डो ऽस्ताचलचूलावलम्बी बभूव । सति प्रभापताव न प्रभा तनयस्य मे । इति ध्यात्वास्तदम्मेन रविघ्रस्तः सरस्वता ॥ २८ विना जीवितनाथं तं किमन्यैरवलोकितैः। इतीव नलिनी जज्ञे निद्राणनलिनेक्षणा ॥ २९ 6 तदन्धकारं समभृद्धैरवादपि भैरवम् । यत्र वर्णश्रियां लोपो ज्ञायते स्वः परश्चन ॥ ३० ततः शय्यागृहान्तधौतधवलपटप्रच्छादिते मन्दाकिनीपुलिनतलिने तलिनोदरी प्रियङ्गुश्यामा समाराधितदेवगुरुचरणकमला प्रमीलामीलितचारुलोचना पाश्चात्ययामिनीयामे स्वप्ने ज्योत्स्नाप्रवाहसंभृतदि चक्रममन्दकुमुदानन्दप्रदं कलङ्कविकलं बहलपरिमलाकर्षितालिकुलकलितया कुवलयमालया परिवृतं १ कलाभृतमद्राक्षीत् । तावत्प्राभातिकप्रहतमङ्गलमृदङ्गसंगतसंरावेण प्रबुद्धा । ततः स्वभावानुसहशस्वप्नदर्शनरसवशप्रहर्षसमुच्छलद्रोमाञ्चकवचितया देव्या विनयावनतोत्तमाङ्गया यथादृष्टः स्पष्टः स्वतः 12 क्षितिभर्तुः पुरोन्यवेदि । राजा तद्वाक्यमाकर्ण्य विस्मयस्सेरमनाः सुधासागरान्तस्थमिवात्मानं मन्य-12 मानःप्रोवाच । 'प्रिये, यो राज्यलक्ष्म्या पुत्रवरः प्रदत्तः स सांप्रतं फलिष्यति। ततो देवी 'देवताना मनुग्रहेण राज्यश्रियो वरप्रभावेन गुणगुरूणां गुरूणामाशीर्वादेन च वाञ्छितं भवतु' इति जल्पन्ती , 16 कवीनामप्यगोचरं प्रमोदं प्रतिपेदे । 16 ६१२) अथो महीनेता कृतावश्यकः समस्त सचिवाधीशैरलंकृतां स्वप्नपाठकैरन्वितां राजहंस इव सरसीं सभामलंकृत्य देव्या दृष्टं स्वप्नं निवेद्यति पप्रच्छ 'को ऽमुष्य फलविपाकः' । ततः 18 स्वमपाठकैरुक्तम् । 'यथा किल महाराज, महापुरुषजनन्यः शशिसूर्यवृषभहरिगजप्रभृतीन् स्वमान् 18 पश्यन्ति । तेन तस्येशस्य सकलकलाभूदर्शनस्य प्रधान पुरुषजन्म सूच्यते।' राज्ञा भणितम् । 'देव्याः पुत्रजन्मफलं राज्यश्रिया वरेणैव निवेदितम् । यः पुनः शशी कुवलयमालया कलितस्तद्वयं पृच्छामः।' ततो गदितं स्वप्रकोविदः । 'देव, नूनमेषा तव दुहिता भविष्यति' इति । अथ देवगुरुणा मन्त्रिणा21 भणितम् । 'देव, युज्यत एतत् । यदि कुवलयमालैव चन्द्रतो विभिन्ना भवति ततः संभाव्यत एतत् । एषा पुनस्तमेव मृगाङ्कमवगृह्य स्थिता । तेनैषा काप्येतस्य राजपुत्रस्य पूर्वजन्मस्नेहप्रतिबद्धा कुवलयमालेव 24 सर्वजनमनोहरा प्रियतमा भाविनी' इति । भणितं भूपेन 'संगतमेतत्। ततः किंचित्कालं विद्वगोष्ठ्या-24 मुपविश्य विशांपतिर्दिवसकृत्यकृते कृत्यवेदी समुदतिष्ठत् । अथ देवी तद्दिनमारभ्य लावण्यपुण्यावयवा परिजनस्य बहुमता साधुजनस्यानुकूला सर्वप्राणिगणे सानुकम्पा संपूरितदोहदसौहृदा सामोदा गर्भ 27 द्यौरिवोद्वहन्ती विरराज। 27 १३) अथ कियति काले व्यतीते तिथिकरणनक्षत्रसुन्दरे वासरे शुभे लग्ने होरायामूर्ध्वमुख्यामुश्चस्थानस्थिते ग्रहचके वृद्धाङ्गनामिरनेकाभिः सततं रक्षाभिरुपचर्यमाणा, ताम्रपर्णीव मौक्तिकम् , रोहण30 भूरिव रत्नम्, वैडूर्यभूमिरिव वैडूर्यम्, प्राचीव चित्रभानुम्, मलयाचलाचलेव चन्दनपादपम्, वारि-30 धिवेलेव विधम्, राजहंसीव विशदच्छदम्, प्रभापहतप्रदीपप्रभम् , विकस्वरवदनकमलम् , कुवलयदल लोचनयुगलम् , सा पवित्रं पुत्रमसूत। 33 ततो देव्यनुजीविन्यो हर्षोत्फुल्लदृशो भृशम् । अहंपूर्विकया श्रीमदृढवान्तिकं ययुः ॥ ३१ 33 वर्ध्यसे सुतरत्नस्य जन्मना देव संप्रति । इत्युक्त्वा भूपतिस्तासामभूत् प्रमोदमेदुरः ॥ ३२ हढवर्मा महीपालस्तदा दानमदान्मुदा। तथा ताभ्यो यथा तासां दारिद्ये ऽभूद्दरिद्रता ॥३३ 36 यथा प्राप्य निधि को ऽपि भवेद्धर्षप्रकर्षभाक। तथा तदा तनूजन्मजन्म भूपतिरप्यभूत् ॥ ३४ 36 भूपः प्रवर्तयामास निःसामान्यं महोत्सवम् । महाामर्हतामहाँ कारयामास च स्वयम् ॥ ३५ तन्मात्रा युवतीजातिस्तथोत्कर्षमनीयत । यथा दूर्वां नरेशो ऽपि शिरसा तृणमप्यधात् ॥ ३६ 1) Balso दृढधर्मा. 2) B महोत्सवश्च चक्रे. 4) B प्रभापतावत्र न. 6) Bhas a marginal note (on भैरवादपि) thus: ईश्वरादपि । ईश्वरपक्षे वर्णा माझगादयस्तेषां श्रियस्तासां लोपः । अंधकारपक्षे वर्णा नीलपीतादयः ।.7) P पप्रच्छादिते, P पुलिनवदतलिने, o adds देवी after प्रियजुश्यामा. 9) B बहुल. 14) P गुणगुरूणां आशी. 16) 0 कृतावश्यकः प्रभाते सचिवैः समं सभामुपविश्य स्वप्नपाठकानाडूय तेभ्यः स्वप्नफलं पप्रच्छ कोऽमुष्य. 19)0g ततोऽनेन स्वभेन प्रधान for तेन ete. 21) 08 देवगुरुमन्त्रिगा. 22) Pकुवलयमाला चैव चंद्रतो, Budds on the margin कदाचित् between कुबलयमाला and चन्द्रतो. 23) Pमृगांगकमवगदा स्थिता. 25) B has a marginal gloss कार्यस्थानं on कृत्यवेदी. 26) P संपूरितदेहसोहदा, B has .gloss मे गर्भ on गर्भ. 34) og वय॑ते, Bइत्युक्त्वा नृपति. 35) PB 0 दृढधर्मा or दृढधर्मा, but the spelling ढवर्मा is uniformly adopted here. 36) P भवेदर्षः प्रकर्षभाक Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 -I. $ 18 : Verse 60] कुवलयमालाकथा १ 1सकलाभिः कलाभिश्चिरादुत्कण्ठितचेतोभिर्वधूभिरिव वल्लभः प्रावृषि नदीभिरिवादीनाभिनंदीनः स्वयं 1 स्वीकृतः।' अथ नृपेणोपाध्यायं विधिना संभूष्य प्रोक्तम् । 'वत्स, तवातुच्छदुःसहविरहदहनसमुत्थ3चिन्ताधूमध्यामा यथार्थाभिधाना प्रियङ्गुश्यामा समजनि जननी ते, तत्तां प्रणम ।' एवं समादिष्टः 3 पुत्रः 'देवो यथा समादिशति' इति वदन् भूपतेरुत्संगात्समुत्थाय जननीं तदात्वविलोकनामन्दानन्दबाष्पभरप्लुतलोचनां समीपीभूय सविनयमाननाम । निःशेषमङ्गालोपचारं कृत्वा सुतं शिरसि चुम्बित्वा 6 तेहेन देवगुरूणां सतीनां मातृणां प्रभावेन पितरमनुहरस्व' इति जल्पितवती यावद्देवी तावत्वरित- 6 मागत्य प्रणिपत्य च जनयित्रीं प्रतीहारी प्रोवाच । 'देवि, स्वामी स्वयमद्य वाहकेलिं कर्तेत्यतःप्रेष्यतां कुमारः। ततो मात्रा स विसर्जितः क्षितिपसमीपमुपाजगाम | वसुधाधवेनोक्तम् । 'भो महासाधनिक, गरुडवाहनं तुरङ्गममुपनय महेन्द्रकुमारस्य । तथा यथार्हमुत्तमाँस्तुरगानपरेषां राजपुत्राणां नियोजय । 9 ममापि पवनावर्त तुरङ्गममर्पयेति । अपि च । रत्ननिर्मितपर्याणं सौवर्णमुखयन्त्रणम् । अर्पयोदधिकल्लोलं हयं कुवलयेन्दवे ॥' ५३। 12१६) तावदादेशानन्तरं तेन कुवलयचन्द्रस्य पुरतस्तुरङ्गमः समुपस्थापितः । यश्च कीदृशः।12 वायुरिव गमनकदत्तचित्तः, मनोभाव इव क्षणप्राप्तदूरदेशान्तरः, युवतिखभाव इव चपला, विपणिश्रेणिरिव मानयुतः, पण्याङ्गनाप्रेमप्रकर्ष इवानवस्थितचरणचतुष्कः । तं विलोक्य नृपेणोक्तम् । “कुमार, 10 किंचित्तुरङ्गलक्षणविचक्षणोऽप्यसि ।' कुमारेण विज्ञप्तम्। 'गुरुचरणकमलाराधनेन किंचित्परिज्ञातमस्ति। 15 भणितं भूपेन । 'वाजिनां कति जातयः, किं प्रमाणम् , किं लक्षणमपलक्षणं च' इति । कुमारेणाभ्यधायि । 'नाथ, अवधार्यताम् । यदश्वानामष्टादश जातयः, वोल्लाह-सेराह-कियाहादयः । ते वर्णलान्छनविशेषण 18 भण्यन्ते । अश्वस्योत्कृष्टवयसः प्रमाणम् । नरामुलानि द्वात्रिंशन्मुखं भालं त्रयोदश । अपाङ्गुलं शिरः कर्णौ षडङ्गुलमितौ मतौ ॥ ५४ चतुर्विंशत्यङ्गुलानि हयस्य हृदयं तथा । अशीतिश्च समुच्छ्राये परिधिस्त्रिगुणो भवेत् ॥ ५५ एतत्प्रमाणसंयुक्ता ये भवन्ति तुरङ्गमाः । राज्यवृद्धिं महीपस्य कुर्वन्त्यन्यस्य वाञ्छितम् ॥ ५६ 21 एकः प्रपाणे भाले च द्वौ द्वौ रन्ध्रापरन्ध्रयोः द्वौ द्वौ वक्षसि शीर्षे च ध्रुवावर्ता हये दश ॥ ५७ अत ऊ गुणैयूंनानन्यूनान् वा हयानिह । दुःखातिदुःखदान् प्रोचुरश्वलक्षणदक्षिणाः॥ ५८ 24यावदेतत् कुमारो निवेदयति तावद्भपेन निगदितम् । 'वत्स, पुनः प्रस्तावान्तरे श्रोप्यामः' इति वदन्ना-24 रूढः क्षमापरिवृढः पवनावर्ते तुरङ्गे, कुमारोऽप्युदधिकल्लोले, महेन्द्रो ऽपि गरुडवाहने, अपरा अपि राजपुत्रा अपरेपु तुरङ्गेषु। अपि च । 27 गजैस्तुरङ्रुत्तुङ्गैरनेकैः पदिकैस्तथा। विस्तीर्णमपि संकीर्ण राजद्वारं तदाभवत् ॥ ५९ 27 ____६१७) ततो धृतसितातपत्रश्चलञ्चारुचामरयुगलोपवीज्यमानश्चतुरङ्गचमूचक्रपरिवृतः क्षितिपतिः श्रीपथमवतीर्य च वर्यधैर्यगुणशाली कौतुकायातलोकलोचनप्रमोदमाद्धानः क्षणेन पुरीपरिसरमवाप्य 30सकलमपि बलं दुरतो विधाय वाहकेलिं कर्त प्रवृत्तः। कुमारोऽपि धौरितकादिपश्चगतिक्रमनिरीक्षणाय 30 स्वमश्वं वाहकेलौ मुमोच । यावजयजयारवं जनः करोति तावत्सर्वेषां राजपुत्राणां पश्यतामेव तत्क्षणं बहलतमालदलश्यामलं गगनतलमुदधिकल्लोलः समुत्पपात । ततस्तस्य वाजिनो जवेन दक्षिणां दिशं 33 प्रति धावतो ऽनुधावन्तीव शाखिनः । यदग्रे निकटीभूताः पदार्थास्ते ऽप्यनिकटीभूताः। तत एवं 33 ह्रियमाणेन कुमारेण चिन्तितम् । 'अहो, यदि तावत्तुरगस्ततः कथं नभस्तलमुत्पतितः । अथ यदि देवः को ऽपि ततः कथं तुरङ्गत्वं न मुञ्चति ।' एवं चिन्तयता कुमारेण परीक्षाकृते यमजिह्वाकरालया क्षुरिकया 36 निर्दयं तार्क्ष्यः कुक्षिप्रदेशे हतः। ततः पतच्छोणितनिवहो वाहः शिथिलसर्वाङ्गसंधिर्मू निमीलिताक्ष:38 क्षितौ पतितमात्रः 'कुमारापहारात पापी' इति भणित्वा तत्कालमेव जीवितव्येन तत्यजे। ततस्तं गतासुं निरीक्ष्य कुमारेण चिन्तितम् । 'अहो, विस्मापनीयमेतत । 39 यद्यश्वस्तत्कथं देवमार्गगामी न चैष चेत् । तुरगस्तदयं किं वा प्रहारेण हतो मृतः॥ ६०39 ६१८) अथ तपात्ययसमयसजलजलदगर्जिगम्भीरधीरः कस्यापि शब्दः समभूत् । “भो निर्मलशशिवंशविभूषण कुवलयचन्द्रकुमार, समाकर्णय मम वचनम् । 'गन्तव्यमस्ति तवाद्यापि गव्यूतिमात्र 42 दक्षिणदिग्विभागे, द्रष्टव्यं चादृष्टपूर्वमिव किमपि।" इदं च श्रुत्वा चिन्तितं कुमारेण । 'अहो, कथं 3) PR inter. जननी & समजनि, Pom. ते. 4) B तदास्यविलोक. 6) 0 इति यावदाशीर्वाद दत्ते देवी ताव. 7)0. प्रतिहारी. 13) मनोभव इव. 15) 0g गुरुप्रसादेन किं. 19) Pलाभ for भालं. 23) P दक्षणः, B दक्षणा:- 28) P*पत्रावरच्चार, Bom. चमूचक्र. 30) धारितादि. 35) P inter. न तुरङ्गवं. 36) okh'ताक्षः 'पापी' इति भणन् क्षिती पतितमात्रो मृतः । ततस्तं. 40) ० गम्भीरः कस्यापि. 41) B वंशभूषण, ० गव्यूतमति. न तुरकर. 366.23) " दक्षणा दिक्षणेदते देवी ताव' । Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 10 रसप्रभसूरिविरचिता [1. F 18 : Verse 611 पुनरेतत्, कोऽपि मम गोत्रं नाम च जानाति । अथवा कोऽप्येष दिव्यो मम शुभायतये दक्षिणाशामि- 1 मुखं मां प्रेरयति निष्कारणकरुणापरत्वेन । अतीन्द्रियज्ञानगोचरतया चालङ्घनीयवचनाः किल देवा मुनयश्च भवन्ति।' इति ध्यात्वा दक्षिणाभिमुखं गच्छन् गव्यूतिमतिक्रम्य कुमारोऽशेषान् दिग्विभागान् । यावद्विलोकयति तावदग्रतो ऽनेकपर्वतपादपश्वापदलतागुल्मगहनां महाविन्ध्याटवीं ददर्श। या च पाण्डवसेनेवार्जुनालंकृता, श्रीरिव महागजेन्द्रसनाथा, महापुरीव तुङ्गशालकलिता। चिन्तितं कुमारेण । 6'अवश्यं वशीकृतेन्द्रियग्रामः को ऽप्यत्र महर्षिर्महात्मा दिव्यज्ञानावलोकिताखिलपदार्थसार्थः परिव- 6 सति । यत्तस्य भगवत उपशमवतः प्रभावेन विरुद्धानामपि जन्तूनां परस्परमकृत्रिमं प्रेम संजातम् ।' एतश्चेतसि चिन्तयन् कुमारः कुवलयचन्द्रो यावत्किचिद्भूभागमुपसर्पति तावदनतिदूरे ऽतिस्निग्धबहलकिसलयविराजमान बहुद्विजकृतकोलाहलमसंख्यशाखासंकुलं वटपादपमपश्यत् । तं वीक्ष्य तामेव . दिशं प्रति चलितोऽचलापतिपुत्रः, क्रमेण च स वटवृक्षतलमलंचकार । ततो यावत्तत्र कुमारोऽस्ति तावत्तस्य तपोनियमशोषिताङ्गस्तेजसा ज्वलनिव, मूर्तिमानिव धर्मः, उपशमरसराजधानीव, निवास 12 इव चारित्रलक्ष्म्याः , केलिवनमिव सौम्यतायाः, मुनिः कोऽपि महात्मा दिव्यपुरुषमृगेन्द्रयोर्मध्य-12 स्थितश्चक्षुष्पथमायातः। ततस्तेन कुमारेण चिन्तितम् । 'यदिम साधुं सकलत्रैलोक्यवन्दनीयचरणारविन्दयुगलं प्रणिपत्य स्वस्याश्वापहारं पृच्छामि। केन हेतुनाहमपहृतः, को वैष तुरङ्गः।' इति चिन्तयन् 16 संप्राप्तः पृथुलशिलापट्टस्थितस्य महर्षेः संनिकर्षम् । मुनिना प्रोतम् । 'भो शशिवंशविभुषण कुवलय-15 चन्द्रकुमार, स्वागतं तव । वत्स, आगच्छ' इति । अथ तेन स्वनामगोत्रकीर्तनविस्मितमानसेन महता विनयेन प्रणतं मुनिपतेः क्रमकमलयुगलम् । भगवता सकलभवभयहारिणा सिद्धिसुखकारिणा धर्म18 लाभाशीर्वाद लम्भितः कुमारः। ततो मुनिसमीपस्थदिव्यपुरुषेण प्रसारितः ससंभ्रमं सुरपादपकि-18 सलयकोमलो माणिक्यकटकाभरणभूषितो वामेतरःकरः। ततो नृपतनुजेन करद्धयेन तस्य पाणितलं गृहीत्वेषद्विनतोत्तमाङ्गेन कृता प्रणतिः। मृगेन्द्रेण च बहलशिथिलकेसरधारिणा उद्वेल्लदीर्घतरला. 21लेन प्रशान्तश्रवणद्वयेन स्तोकमुकुलिताणानुमानितो राजतनयः । कुमारेण हर्षवशविकसन्मुदितान्त-21 स्निग्धधवलया दृशा हरिददृशे । उपविष्टश्च नातिदूरे मुनिपस्य । भगवता निगदितम् । 'कुमार, त्वयेति चिन्तितम् । 24 पृच्छाम्यहं साधुममुं कृतो मे केनापहारः क इवात्र हेतुः। को वायमश्वस्तदिदं निवेद्यमानं मया विस्तरतः शृणु त्वम् ॥' ६१ इति श्रीपरमानन्दसूरिशिष्यश्रीरत्नप्रभसूरिविरचिते कुवलयमालाकथासंक्षेपे श्रीप्रधुम्रसूरिशोधिते कुवलयचन्द्रोत्पत्तितुरगापहारसाधुदर्शनकीर्तनो नाम प्रथमा प्रस्तावः ॥१॥ [अथ द्वितीयः प्रस्तावः] ६१) ततश्च दन्तद्युतिभिर्मुनीन्द्रस्तमासमूहं विदधविष्ठम् । 30 उवाच तत्संशयभेददम्भात् तद्बोधनार्थ वचनं सुधाभम् ॥१ जीवितं यौवनं लक्ष्मीलावण्यं प्रियसंगमः। सर्वेचलाचलं लोके कुशाग्रजलबिन्दुवत ॥२ दुहृदः सुहृदो ऽपि स्युः सुहृदो ऽप्यसुहृत्तमाः। मनीषी तेषु सर्वेषु ममतां कः करोति तत् ॥३ एक एव भवेज्जीवः सुखी दुःखी च जायते । एक एवानुते मृत्युं शिवं यात्येक एव हि ॥४ 33 अय॑ते कर्मणा राज्य हार्यते ऽपि च कर्मणा । विद्वान् विना न को ऽप्यस्ति कर्मणो हन्ति मर्म यः॥५ अभाग्यादर्जितापि श्रीः क्षयं याति क्षणादपि । घनाघना घनालीव दुर्दान्तमरुता हता॥६ 36 अविषह्याणि सह्यन्ते नरके ऽत्र शरीरिभिः । दुःखान्युद्धषितं देहं येषां श्रवणतो भवेत् ।।७ 36 कशापाशाङ्कशादीनामाबाधाःस्वस्वकर्मणा । सहन्ते नित्यशो हन्त तिर्यक्त्वे ऽपि हि देहिनः ॥८ वियोगरोगसंतापभूपकोपादिवेदनाः। भवे भवन्ति भविनां मानवे ऽपि नवा नवाः ॥९ 1) 0 उपशमप्रभावेन. 9) PB किशलय. 10) Pinter. स & च. 11) og चारित्रलक्ष्मीनिवासमिव for निवास इव चारित्रलक्ष्म्याः - 12) P केवलीवनमिव B केलीवन. 14) P वस्याऽपहार, og इति विचिन्त्य संप्राप्तः पृथुलशिलातलस्पस्य महर्षेः समीपम् ।। 16) P अथ तेन नामगोत्रः की. 18) B कुमारः । तेन दिव्यपुरुषेण. 27)PB कीर्तननाम. 29) PB add ओं अई ।। before ततश्च eto., B on मुनीन्दुस्तमः . 30) PB तच्छंशय. 32) सुहृदो tor दुईद:- 33) og. भो जीवः. 34) Bog सिद्धान् for विद्यान्: Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II.54 : Verse 20] कुवलयमालाकथा २ * 11 1 मायासूयाभयोद्वेगविषादाकुलचेतसाम् । त्रिदशत्वे ऽपि सत्त्वानामभिमानभवं सुखम् ॥ १० 1 इत्थं चतुर्गतावत्रासुमता भ्रमता भवे । कर्मनिर्मथनोपायः प्रापि धर्मः कदापि न ॥ ११ 8 कल्पहूँ दुर्लभं प्राप्य प्रार्थयेत्स वराटिकाम् । स्वायत्ते मोक्षसौख्ये ऽपि यो भवेद्विषयी नरः ॥ १२ ॥ संसारमरकान्तारसमुत्तारं यदीहसे । सम्यक्त्वं सलिलं चित्तहतिस्थं तत्सदोह्यताम् ॥ १३ ततः कुमारकुवलयचन्द्र एतस्मिन्नीडशे ऽसारे संसारे क्रोधमानमायालोभमोहमूढमानसैरात्मभिर्यदनु6 भूतं तत्त्वया तुरगापहरणपर्यन्तमेकमनसा कथ्यमानं निशम्यतामिति । तथा हि, अस्ति समस्तविशङ्कटयज्ञवाटहुताशसमुत्थबहलधुमध्यामलितातुलविपुलनभस्तलः सर्वदेशलक्ष्मीवक्षःस्थलालंकारतारहारो निखिलदेशान्तरसमागच्छदनेकवस्तुसङ्केतभूभाग इव वत्साख्यो विषयः । यत्र कम्पाङ्ककम्पितपुण्ड्रेक्षुपत्रनिचयशब्दवित्रस्तमिव प्रविशति काननभुवं कुरङ्गयूथम् । तदीयपूर्णतरलाक्षिनिरीक्षणेन स्वकीयकान्ताकर्णान्तविश्रान्तलोचनसंस्मृतिपरो लेप्यमय इव दृषनिर्मितस्तम्भ इव निश्चलः पथि पथिकजनश्चिरं तिष्ठति। तत्र प्रोत्तुङ्गशृङ्गसंगतसुरमन्दिरोपशोभमाना गम्भीर12नीरपरिखालंकृतप्राकारा लवणाम्बुधिवज्रवेदिकाकलिता जम्बूद्वीपलक्ष्मीरिव, सुरपुरीव सदृषाश्रया, 12 अलकेव पुण्यजनान्विता, लङ्केच कल्याणमयी, कौशाम्बी नाम नगरी समस्ति। तस्या एकत्र विलसजगत्रयरमाजुषः। किं ब्रूमो वर्णने यस्या न गीष्पतिरपि क्षमः ॥१४ 16तां प्रियप्रणयिनीमिव भुते पुरन्दरपराक्रमः पुरन्दरदत्ताभिधो वसुधाधीशः। यस्तु प्रालेयाचल इव 15 कीर्तिमन्दाकिन्याः, विश्रामविटपीव गुणशकुनानाम्, कल्पपादप इव यथाचिन्तितदत्तवित्तः। अत्यवदातेन जिता हंसाः कंसारिमेचका हरयः । सवितुः सिता बभूवुर्यद्यशसा प्रसरता गगने ॥ १५ 18 तत्रैक एव दोषो ऽस्ति समृद्धे ऽपि गुणश्रिया। यजैनवचने सौख्यवृक्षमूले न वासना ॥ १६ 18 ६३) तस्य भूवासवस्य वासवस्येव सुरगुरुश्चतुर्विधवुद्धिनिधानं वासवाभिधः सचिवेश्वरः । स नृपतिः सहोदरमिव सहचरमिव पितरमिव देवतामिव तं मन्त्रिणं मनुते । स मन्त्री कौस्तुभमणिमिव पुरुषोत्तमो दुर्वारवैरिवारणनिवारणवारणारितुल्यं श्रीजिनेश्वरप्रणीतं सम्यक्त्वं हृदि धारयति । तस्य । मन्त्रिणो वासवस्यान्यदा कृतप्राभातिकावश्यकस्य भगवतामहतां महार्हाणामहणानिमित्तं जिनायतनं प्रवि शतो द्वारदेशे ऽनेकविधप्रभूतपरिमलपरिमिलितमधुकरनिनादमनोहरेण पुष्पकरण्डकेन समं बाह्योद्यान24पालका स्थावराख्यः समाययौ। तेन तञ्चरणयुगं प्रणम्य 'देव, वय॑से । सकलकामिजनलोचनप्रमोदप्रदः24 प्राप्तस्तावद्वसन्तावतारः' इति जल्पता पुष्पाण्युपदीकृत्य महामन्त्रिणःकरतले सहकारमारी ततः समार्पता। अन्यच्च 'तत्रोद्याने चन्द्र इव तारकानिकरेण शिष्यगणेन परिवृतः क्षमारामाललामश्चारित्ररत्नरत्नाकरः सर्वमुनिशिरोरत्नं निहतदुर्जेयकषायसंचयः सद्धर्मनन्दनः श्रीधर्मनन्दनो नाम यतीश्वरः समवातरत्' 124 ६४) तदाकर्ण्य मन्त्रिणा भृकुटीभङ्गभीमाननेन 'हा अनार्य' इति वदता सहकारमञ्जरी निजसहचरहस्ते समर्प्य साक्षेपमिति जल्पितम् । रे रे दुराचार विवेकविकल स्थावरक, प्रथम प्रधानं सादरं 30 वसन्तं कथयसि पश्चाद् धर्मनन्दनाचार्यम् । 30 क वल्मीकः क वा मेरुः क्वालसः क च नागराट् । क वसन्तः क भगवान् सूरिः श्रीधर्मनन्दनः ॥ १७ ऋतुराट्र तनुते चित्तं कामार्ते स च साधुराट् । तदेव विपरीतं तु वीक्ष्यतामन्तरं द्वयोः ॥ १८ 33 तद्वच्छतस्यात्मनो दुर्बुद्धिविलसितस्य फलं भुव' इति । 'रे प्रतीहार,' अमुष्य वनरक्षकस्य केदाराण33 लक्षार्धं त्वरितं दापय, येन तत्कर्षणायासविवशः पुनरपीदृशं निर्विवेकं न वदति' इत्युक्त्वा मन्त्री विहितदेवतार्चनः प्राप्य राजसौध तामेव मञ्जरी नृपतिकरतलसंगिनी चके । राज्ञा भणितम् । 'किं 36 बहिरुद्याने पुष्पकालो ऽवततार। ततो मन्त्रिणा जल्पितम् । 'वसन्तलक्ष्मीवीक्षायै देवपादमवधार-36 यस्वेति।' इति श्रुत्वा सुरेश्वर इव चतुर्दन्तं नृपतिरुत्तुङ्ग मतङ्गजमारुह्य चतुरङ्गवलेन वनावनीमीयिवान् । मन्त्री नृपं प्रोवाच । 'देव, अवधार्यताम् ।। 39 अमन्दानन्दसंदोहस्फुरन्मधुकरस्वरैः । स्थलाम्भोजानि ते सौवागतिकत्वं वदन्ति हि ॥ १९9 अमी वृक्षा निरीक्ष्यन्ते नम्राः फलकदम्बकैः । त्वय्यागच्छति भूनाथे कः कुर्यान नर्ति क्षिती ॥ २० 4) B सम्यक्त्वसलिलं. 7) B विसंकट. 17) Pहारयः for हरयः- 22) Pमहार्हाणानिमित्तं. 23) परिमलित B मिलित for परिमिलित. 25) P adds हार and B adds हारि (but later soored) before मजरी- 29) PB 'मञ्जरी for 'मजरी. 33) B दुर्बुद्धे बुद्धिविलसितस्य. 35) Pराज्ञसौध. 37) रत्तंगं मतम. 39) P अमंदामंदसंदोह B अमंदामोदसंदोह. Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 12 रत्नप्रभमूरिविरचिता [IL.84 : Verse 211 भ्रमरैर्गीतमेकान्तमधुरैस्ताण्डवं दलैः । तूर्यत्रिकं वितन्वन्ति द्रमा देव नवाग्रतः ॥ २१ कुर्वन्तीव द्रुमा देव भवतश्चरणार्चनम् । कुसुमेरसमभृङ्गरणितैश्च गुणस्तुतिम् ॥ २२ ५) एवं निवेदयन् महामन्त्री परितो वने दृष्टिं व्यापारयन् ध्यायति स्म । 'तावदत्रोद्याने धर्म- 3 नन्दनो विभुर्न वीक्ष्यते, तमेव हृदि धृत्वा मयात्र विभुरानीतो विनाप्यर्थमेव, तन्मन्ये ऽन्यत्र कुत्र वा वनस्पतिकुन्थुपिपीलिकाप्रभृतिवाहुल्यात्प्रासुकत्वं विभाव्य सिन्दुरकुट्टिमनले सशिष्यः स्थितो भगवान् भविष्यति' इति चिन्तयित्वा राजानमवादीत् । 'देव, यत्त्वया कुमारत्वे सिन्दरकुट्टिमासन्ने ऽशोकतरुरा- 6 रोपितः स कुसुमितो न वा, इति न ज्ञायते ।' राज्ञोक्तम् । 'चारूदितं भवता' इति वदन् मन्त्रिणः करं करेण गृहीत्वा गतेन तेन तत्र मुनयो दृष्टाः । केचिद्धर्मध्यानदत्तावधानाः, केचित्प्रतिमापालन9 लालसमानसाः, केचिच्छुद्धसिद्धान्तपठनप्रवीणान्तःकरणाः, केचिद्विविधासनाध्यासीनाश्च । तेषां च 9 मध्यगतं ताराणामिव ताराधिपम्, सागराणामिव क्षीरसागरम्, सुराणामिव सुरेश्वरम्, चतुर्शानिनं तं महामुनि वीक्ष्य मनाक प्रमुदितः क्षितीशः सचिवमुवाच । 'क एते पुरुषाः, कश्चैष नृप इवैषां 12 मध्यगतः' इत्युक्ते वासवसचिवः प्रोवाच । 'देव, तावदयं मुनिपतिर्भवाटव्यां कुतीर्थिककथितकापथ-12 पतितानां जन्तूनां मुक्तिपुरीमार्गोपदेशको भगवान् श्रीधर्मनन्दनाचार्यो देवानामपि वन्द्यपादारविन्दः, तथास्यैव शिष्या महात्मानो ऽमी मुनयः, तदुपसृत्याचार्यस्य समीपे धर्माधर्म प्रष्टमुचितम् ।' 'अथ 15 भवत्वेवम्' इति वदन् मन्त्रिकरतले लग्न एव भूपतिर्गुरुसमीपमुपेयिवान् । अथ मन्त्री स्तुतिपूर्व प्रदत्त-13 प्रदक्षिणात्रयः सुगुरुचरणाम्भोज ननाम तथा वसुधाधिपो ऽपि । भगवाँश्च धर्मलाभं दत्त्वा 'स्वागतं भवताम्, उपाविशत' इत्युवाच । ततो 'यदादिशति भगवान्' इति वदन्नृपस्तत्रैव कुट्टिमतले न्यविक्षत, 18 मन्त्री च गुरुजनमनुज्ञाप्य, तदा चान्ये ऽपि नृपमार्गमनुवर्तमानाः पान्थकार्पटिकादयो नत्वा भगवन्त-18 मुपविष्टाः। भगवता सुखदुःखे जानतापि लोकाचार इति शरीरकुशलतावृत्तान्तं ते पृष्टाः।तैरुक्तम् । 'सममद्य तत्रभवद्भवदर्शनेन' इति । ततश्च चिन्तितमवनीपेन । 'भगवतो ऽमुष्यासामान्य रूपम्, अगण्य 21 लावण्यम्, अमेया कान्तिः, अपूर्वकरुणारसः प्रशस्तः, तथा चायं सेतुबन्धः संसारसिन्धोः, 21 परशुस्तृष्णालतावनस्य, अशनिर्मानशिलोच्चयस्य, मूलं क्षमापादपस्य, आकरः सर्वविद्यानाम, कुलमन्दिरमाचाराणाम् , महामन्त्रः क्रोधादिकषायचतुष्टयभुजङ्गमस्य, दिवसकरो मोहान्धकारस्य, दावानलः 24 स्फूर्जद्रागशाखिनः, अर्गलाबन्धो नरकद्वाराणाम्, कथकः सत्पथानाम्, निधिः सातिशयशा-24 नमणीनाम्। सर्वथा सर्वगुणालिङ्गितसफलसंप्राप्तमनुष्यजन्मनो ऽस्य किं वैराग्यकारणं बभूव, येन भगवता यौवनलक्ष्मीभाजापि सर्वदा सर्वदुःखसमुच्चयशय्या प्रव्रज्याङ्गीचके तत्पृच्छामि।' इति अचिन्तयन् महीपतिर्मुनिना ज्ञानिना स्वयमेव प्रोक्तः। 'चतुर्गतिके ऽपि भवे सुलभं वैराग्यकारणम् । 27 यदन्ये ऽपि विषयसुखास्वादमोहिता जीवाः पापं कुर्वते तदेव ज्ञानिनां वैराग्यहेतुः। तत्र नरकगतो तावत्रिविधा विबाधा, क्षेत्रजाऽन्योन्यमुदीरिता परमाधार्मिकसुरकृता च। ततस्तदुःखानि घर्षकोट्या30 प्याख्यातुं न शक्यन्ते, एवं तिर्यडमनुष्यदेवगतिष्वपि । इह लोक एतदेव जिननाथवचनं क्रियमाणं 30 धर्मार्थकामदम्। परत्र च मोक्षपुरुषार्थसाधकम् । ततःप्रथमं श्रावकधर्म समाश्रित्य पश्चाच्छ्रमणधर्मपालने मनो नियोजय' इति । 33६६) अत्रान्तरे प्रस्तावं परिज्ञाय कृताञ्जलिना वासवमहामन्त्रिणा भगवन्तं धर्मनन्दनं मुनिपं 33 नत्वा सविनयमूचे । 'नाथ, य एष त्वयाशेषदुःखनिलयश्चतुर्गतिलक्षणः संसारः प्रणीतः, एतस्य पूर्व किं निमित्तम् , येन जीवा भवे परिभ्रमन्ति ।' श्रीधर्मनन्दनगुरुणा भणितम् । 'भो मन्त्रीश, नरेन्द्र 36 पुरन्दरदत्त' तच्छणु संसारपरिभ्रमणे जीवस्य यत्कारणं जिनेश्वरैरुक्तम् । तथा च । 36 क्रोधो मानश्च माया च लोभश्चाप्यनियन्त्रिताः । अमी कषायाः संसारदुःखसागरहेतवः ॥२३ अन्तर्दहन गुणग्राममिद्धः क्रोधधनञ्जयः । बहिर्वस्तुपरिप्लोषकृतः पावकतो ऽधिकः ॥२४ 39 कदाचन सुधीर्दत्ते स्थानं न स्वान्तवेश्मनि । क्रोधस्य दन्दशूकस्य निःशूकस्य जनक्षये ॥ २५ 39 केवलं सर्पदटस्य प्रतीकारो ऽत्र विद्यते । दुर्दान्तक्रोधसपेण दष्टस्य तुन सर्वथा ॥ २६ 1)। भ्रमरैगीतकंठाचं शाखामिस्तांडवं दलै:. 3) B परितस्तत्र दृष्टिं. 4) आध्यात्वा for धृत्वा, । मयाऽत्र विहरणीयं विनाप्यर्थमेव. 6) B कुंथुपपीलिका. 6)csuggests यस्त्वया for यत्त्वया. 10)P तारागणमिव, सागराणामि मरेश्वरम्. 12)P कतीथिककथितमुवाच । क एते पुरुषाः eto. repeated (as above) ending with कुतीर्थिककथित. 18) मन्त्रीश्वरोऽपि गुरु. 20) PH ततश्चितित'. 29) वर्षकोट्योऽप्यातुं. 33) P भगवं धर्म'. 37) 0g कषायाः संसारे चत्वारो दुःखहेतवः। 39) P दंशशूकस्य. Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *13 -II. $ 8 : Verse 37] कुवलयमालाकथा २ मातङ्गस्पर्शने शुद्धिः सुवर्णपयसा नृणाम् । न पुनः कोपचाण्डालसांगत्ये स्यात्कथंचन ॥ २७ 1 नितान्तं स्तिमितं यस्य स्वान्तं शान्तरसार्णमा । न कदापि स्फुरेत्तस्य कोपाटोपहुताशनः ॥२८ जिनाम्बुदसमुद्भुतप्रशमामृतयोगतः। यः क्रोधाग्निं शमयति तस्य धर्मवनं स्थिरम् ॥ २९ यदि क्रोधो भवेन्नैष कदाचन शरीरिणाम् । तदवश्यं कराम्भोजवासिन्यः स्युः शिवधियः॥ ३० अत्यन्तकोपमहातमःप्रसरान्धीकृतस्वान्तो भ्रातरं भगिनीमपि हन्ति, यथायं पुरो निविष्टः पुरुषः।' नृपेणोक्तम् । 'प्रभो, वयं न जानीमः को ऽप्येष पुरुषः, कीदृक्षा, किं चैतेन कृतम्' इति । ततो गुरुणा-6 भाणि । 'य एष तव वामो मम दक्षिणपाचे स्थितस्त्रिनयनगलगवलकजलाभो गुलाफलरक्तनयनो भ्रकुटीमनभीषणास्यो रोषस्फुरदधरोष्ठपुटो दृढकठिननिष्ठुराको मूर्तिमान् कोप इव संप्राप्तः। एतेन कोपवशवचसा यनिर्मितं तदाकर्ण्यतामिति । ७) अस्ति वसुधावामाक्ष्या एकं कुण्डलमिवोत्तप्तकनकमयप्राकारगम्भीरपरिखापरिवृता काञ्ची नगरी । तस्याः पूर्वदक्षिणदिग्विभागे त्रिगष्यतिमात्रे रगडानाम संनिवेशो ऽस्ति । तत्र सुशर्मदेवो 12 द्विजः परिवसति । पत्नी सुशर्मा । तस्य च रुद्रसोमाभिधो ज्येष्ठपुत्रः । तस्य लघुभ्राता सोमदेवः । 12 तयोः स्वसा श्रीसोमा च । स तु रुद्रसोमो बाल्यादेव चण्डश्चपलो ऽसहनो गर्वोद्धरकन्धरः स्तब्धोऽतिकर्कशवचाः सर्वदा सर्वडिम्भान्निरागसो ऽपि रथ्यासु परिताडयति । तस्य तादृशस्य स्वभावं 16 वीक्ष्य डिम्भैरेव चण्डसोम इति नाम गुण्यं कृतम्, तावरेश, स एषः । स कियद्रिासरै-16 रतिक्रान्तैः पित्रा ब्राह्मणकुलबालिकया नन्दिन्या सह पार्णि माहितः। तत्र पितरौ कुटुम्बभारमारोप्य मन्दाकिनीतीर्थयात्राकृते निर्गतौ। चण्डसोमः क्रमेण यौवनश्रियमलंचके । ततः सा नन्दिनी च 18 यद्यप्यखण्डितशीलवता तथापि तां तारुण्यपुण्यावयवरमणीयां वीक्षमाणश्चण्डसोमः स्वमनसि न 18 विश्वसिति । ततो नरनाथ, तस्या उपरि किंचिद्रागमुद्वहतस्तस्य कोऽपि कालो व्यतिचक्राम । अथान्यदा तत्र शरलक्ष्मीरवततार। 21 अभवन् सर्वतो यस्यां दिशः सर्वा विकस्वराः। कुमुदिन्यः प्रमोदिन्यः सदाकाशा विकासिनः ॥ ३१३१ अतुच्छस्वच्छतापात्रमाद्रियेत जनैर्जनः। यस्यामितीव जातानि निर्मलानि जलान्यपि ॥ ३२ यत्र स्वागतमप्रच्छि मरालानामुपेयुषाम् । सरोभिनलिनीगन्धलब्धालिकुलनिःस्वनैः॥३३ 34 सप्तच्छदेषु चिक्रीडुर्विमुच्य करिणां कटान् । मधुपा यत्र नैकत्र स्थायिनो मलिना यतः ॥ ३४ 24 यत्र चञ्चलकल्लोलभुजाभिरभिवादनम् । घनात्ययश्रियःप्रीत्या तन्वन्तीव जलाशयाः॥ ३५ निष्पुण्यानामिव धनं सरितां नीरमत्रुटत् । यत्र धान्यान्यवर्धन्त कार्याणीवार्यचेतसाम् ।। ३६ 27६८) अन्यदा तत्र ग्रामे नटपेटकमेकं ग्रामानुग्रामं परिभ्रमत् समाजगाम । तेन सर्वोऽपि ग्राम 27 प्रेक्षावीक्षार्थमभ्यर्थितः। ततस्ते च ग्राम्या रजन्याः प्रथमे यामे व्यतीते प्रशान्ते कलकले मृदङ्गध्वनिमाकण्ये गन्तुं प्रवृत्ताः। एष चण्डसोमः 'खकलत्रपरित्राणं कथं करोमि' इति व्यचिन्तय 30 तावन्नटं द्रष्टुं गच्छामि ततः कथं जायायाः परित्राणम, यदि वल्लभाया रक्षणं तदा मम न प्रेक्षण-30 क्षणनिरीक्षणम्, 'इतस्तटी इतो व्याघ्रः' इति न्यायादनल्पविकल्पमालाकुलितमनाः किं रचयामि, भार्यात्मना सह नेतुं न युज्यते, तस्सिन् रङ्गे युवशतसंकुलो ग्रामः । सो ऽपि मम भ्राता तत्र गतो 33 भविष्यति । तावद् यद्भवति तद्भवतु । एतस्याः श्रीसोमाया भगिन्या एतां समर्प्य व्रजामि।' इति 33 विचार्य समय॑ च कोटिप्रहरणधरश्चण्डसोमः प्रययौ। चिरं तस्मिनिर्गते भगिन्या भणितम्। 'हले नन्दिनि, तावन्नटनाट्यवीक्षायै गच्छावः।' नान्दिन्या भणितम् । 'हले श्रीसोमे, किं न जानासि 36 निजसोदरचेष्टितं येनैवं भणसि, न स्वजीवितस्य निर्विण्णास्मि, त्वं पुनर्ययुक्तं तत्कुरु' इति जल्पन्ती 38 स्थिता । श्रीसोमा पुनस्तत्र नाट्यं द्रष्टुं गता। तस्य चण्डसोमस्य तत्र रङ्गे प्रेक्षमाणस्य पृष्ठतः किंचिन्मिथुनं मन्त्रयितुं प्रवृत्तम् । इति जल्पितं तरुणेन । 'भद्रे, हृदये स्वप्ने ऽपि च त्वं दृश्यसे । अद्य मनोरथशतेन 39 प्रत्यक्षं दृष्टासि। 39 त्वद्वियोगानलज्वालामालाज्वलितविग्रहम् । सांप्रतं सौयसंयोगसुधासारेण सिञ्च माम् ॥ ३७ 2)P B स्तीमितं. 6)0क एष for कोऽप्येष. 11)0 गव्यत. 12) Pom. पली सुशर्मा, P Bom. च after तस्य, BP लघुोता. 16) FB सैषः, Bom. स before कियद्भि. 10) कियानपि for कोऽपि. 21) PB विकाशिनः. 24) सप्तच्छेदेषु. 29) B एष सोमचंडः स्वकलत्र. 30)P B inter न & मम. 36) B निजसहोदर. 40) Pमाल्य for माला. Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रत्नप्रभसूरिविरचिता [II. § 9 : Verse 38 1 १९) एतत्संलपत्तदाकर्णितं चण्डसोमेन । अत्रान्तरे स प्रतिभणितस्तया तरुण्या । 'परिज्ञातं मया 1 यत्त्वं दक्षो दाक्षिण्यशिरोमणिस्त्यागी भोगी प्रियंवदः कृतज्ञः परं प्रकृत्यैव मम पतिश्चण्डः । एतच्च 3 श्रुत्वा चण्डशब्दाकर्णन जाताशङ्केन चिन्तितं चण्डसोमेन । 'नूनं सैषा दुराचारा मम भार्या मामिहागतं 8 परिशायैतेन संकेतितविटेन समं मन्त्रयन्ती मां न पश्यति ।' युवा प्राह पतिस्तेऽस्तु चण्डः सोमो ऽथवा यमः । इन्द्रो वाद्य मया सार्धं त्वया संगम्यमेव च ॥ ३८ 6 भणितं तरुण्या | 'यद्येवं तव निश्चयस्तयावन्मम पतिरिह स्थितः कस्मिन्नपि प्रदेशे प्रेक्षां वीक्षते तावदहं 6 निजगृहं व्रजामि । पुनस्त्वया मम मार्गलग्नेन समागन्तव्यम्' इति भणित्वा सा तरुणी रङ्गतो निर्गता । चिन्तितं चण्डसोमेन । 'अये, सैवैषा दुष्टप्रकृतिर्येन भणितमेतया मम पतिश्चण्डः । यावदेतश्चण्ड9 सोमश्चिन्तयति तावदिदं नव्या गीतम् । इष्टं यन्मानुषं यस्य तदन्येन रमेत चेत् । स जाननेवमीर्ष्यालुरादत्ते तस्य जीवितम् ॥ ३९ एवं च निशम्येर्ष्यालुना चण्डसोमेन परिस्फुरदधरेण चिन्तितम् । कस्मिन् स दुराचारः सा च 12 दुःशीला व्रजति । अवश्यं तच्छिरो लुनामि ।' इति चिन्तयन् स समुत्थाय क्रोधाध्मातहृदयः स्ववेश्म 12 प्रविश्य बहलतम साच्छादिते भूभागे गृहफलहकस्य पाश्चात्यपक्षे कोटिप्रहरणसज्जः स्थितः । 27 (१०) इतच प्रेक्षणे निवृत्ते गृहफलहकद्वारे लघुभ्राता स्वसा च प्रविशन्तौ चण्डसोमो वीक्षांचक्रे । 16 तेन च कोपान्धतमसाच्छादितविवेकचक्षुषाविचार्य परलोकमवगणय्य लोकापवादं परित्यज्य नीति 10 कोटिशस्त्रेण लघुसोदरः स्वसा च निहतौ । द्वावपि धरातले पतितौ । सैषा मम प्रियाप्रियकारिणी सैष पुरुषो दुःशील इति यावत्तस्य शिरच्छिनीति चिन्तयन् कोटिप्रहरणमुद्गीर्य चण्डसोमः प्रधावितस्ता18 वत्कोटि फलहके रणन्ती लग्ना, तच्छब्दाकर्णनमात्रेणास्य प्रतिबुद्धा भार्या नन्दिनी । भणितं ससंभ्रमया 18 तया । 'हा निर्धर्म, किमेतस्याध्यवसितमिति । हतः कनीयान् भ्राता भगिनी च ।' एतन्निशम्य ससंभ्रमं यावद्विलोकयति तावद्वन्धुर्भगिनी च मृर्ति प्रापतुः । ततः संजातगुरुपश्चात्तापेन तेन चिन्तितम् । 'हा हा, 21 मया अकार्य कृतं कोपवशतः ।' इति चिरं विलप्य मूर्च्छा निमीलिताक्षः पृथ्वीपीठे लुलोठ । नन्दिन्यपि 21 'देवरं ननान्दरं च' इति भणित्वास्तोकशोकशङ्कुव्यथितहृदया बहुधा रुरोद । ततः क्षणमात्रलब्धचैतन्यश्चण्डसोमः 'हा बन्धुरगुणग्रामाभिराम सदाचार, हा श्रीसोमे भगिनि, युवां विना सदाधारमपि 24 निराधारं जगत्समभूत्' इति चिरं विललाप | 14 36 39 42 असावकृत्य कारीत्यद्रष्टव्यवदनो द्विजः । हियेव द्विजराजो ऽस्ताचलात्पतितुमुद्यतः ॥ ४० तत्तदाक्रन्दमाकर्ण्य स्त्रीत्वान्मृदुलमानसा । रजनी तारकव्याजादिवाश्रूणि विमुञ्चति ॥ ४१ ततः क्रोधादिवा ताम्रस्तमः शत्रुं क्षयं नयन् । प्रपातयन् कराँश्चण्डान् सूर्यो नृप इवोदितः ॥ ४२ ११) अथ स जल्पितो जनेन 'भो चण्डसोम, एवं विलापं मा कार्षीः' । ततः स विलपन्नेव 'हा बान्धव, हा भगिनि' इति निःसृत्य श्मशानभूमौ चिताज्वलनज्वालावलीं कृत्वा प्रवेष्टुं यावश्चण्डसोमः प्रारेमे 30 ताषड्रामजने 'गृहीत गृहीत द्विजं पतन्तम्' इति वदति चण्डसोमो बलिभिर्नरैर्धृतः । अथ द्विजैरुक्तः 'किं 30 प्राणान् वृथा त्यजसि, प्रायश्चित्तं विरचय' । चण्डसोम उवाच । विप्राः, तद्दीयतां मे ।' प्राहैको ऽधमकामेन कृतं तेनैव शुद्ध्यति । परः प्राह जिघांसन्तं निघ्नन्न ब्रह्महा भवेत् ॥ ४३ 33 ऊचे ऽभ्यः कृते पापे क्रोध एवापराध्यति । परो ऽवदद्भवेच्छुद्धो ब्राह्मणानां निवेदिते ॥ ४४ कश्चिदूचे कृतं पापमज्ञानान्न हि दोषकृत् । प्राहान्यो देहि सर्वस्वं द्विजानां स्वस्य शुद्धये ॥ ४५ मुण्डयित्वा ततो मुण्डतुण्डे भिक्षां भ्रमन् सदा । करपात्रीं करे बिभ्रद् गच्छ त्रिदशदीर्घिकाम् ॥ ४६ इत्थं मिथो विरुद्धानि श्रुत्वा तेषां वचांस्ययम् । मां चतुर्ज्ञानिनं मत्वा तान् विहाय समागमत् ॥ ४७36 ततोऽत्र चिन्त्यतां तीर्थस्नानैः शुद्धिः कथं भवेत् । जलेनाङ्गमलो याति न लग्नं पापमात्मनि ॥ ४८ यदि स्नानात्स्मृतेर्वापि गङ्गा हरति कल्मषम् । जायते जलजन्तूनां तत्कदापि न कल्मषम् ॥ ४९ यदि स्मरणमात्रेण जगत्पूतं भवेदिदम् । अहो तन्मोह एवायं यज्जलेनात्मशोधनम् ॥ ५० इदं वाक्यं विचारं न सहते हि महात्मनाम् । परं जनेन मूढेन प्रसिद्धिं गमितं परम् ॥ ५१ रागद्वेषविहीनेन यदुक्तं सर्ववेदिना । मनःशुद्ध्या कृतं तद्धि पापप्रक्षालनक्षमम् ॥ ५२ श्रुत्वेति चण्डसोमः स्वं वृत्तान्तं प्राञ्जलिः प्रभुम् । प्रणम्य प्राह सत्यं तद् यदाख्यातं विभो त्वया ॥ ५३ 42 2 ) ० परं मम पतिः प्रकृत्यैव चण्ड:- 17 ) PB प्रहरणमुद्भूर्य 28 ) Po 'भोश्वण्डसोम, B ततः स विलापावलिप्त चेतागृहमथ सनि:सुत्य 29 ) P स्मशान - 30 ) B बलिभिनीं 40 ) Pom. 2nd परम् 9 24 27 33 39 Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. 13 : Verse 66] कुवलयमालाकथा २ .15 सर्वशवाक्यस्य विशुद्धिदस्य योग्यो ऽस्यहं यद्यधभाजनो ऽपि । दीक्षां ततो देहि ममेति तेन प्रोक्ते व्रतं तस्य ददौ मुनीन्दुः ॥ ५४ । इति कोपे चण्डसोमकथा। ६१२) गुरुणा श्रीधर्मनन्दनेन पुनरप्युक्तम् । 'दुर्दमो मानमातङ्गो धर्माराम भनक्ति यः। स्वशक्तिव्यक्तितो यत्नः क्रियतां तस्य रक्षणे॥ ५५ परित्यजन्नपि क्रोधं मानवो मानवर्जितः। भवेद्भवे यदि श्रेयाश्रिया संश्रियते ततः॥५६ हिताभिलाषी यः स्वस्य तेन मानमहीधरः । मेदनीयः सदाप्युद्यन्मृदुताभिधधारया ॥ ५७ अहंकारो नदीपूर इव पुंसः कुलद्वयम् । भिनत्ति कुलद्वयवत् पद्मोच्छेदनलालसः॥ ५८ दष्टो दर्पभुजङ्गेन नरश्चैतन्यशून्यधीः । नमस्यति गुरून् कापि पुरतो न स्थितानपि ॥ ५९ मानान्धलोचनो देही चारुमार्ग न पश्यति । अतः संसारकूपान्तर्निपतत्युचितं हि तत् ॥ ६० मातरं पितरं भार्यामपि म्रियमाणामुपेक्षते मानमहागजेन्द्रपरवशः, यथैष पुरुषः।' राक्षा 12 परिजल्पितम् । 'भगवन् , अस्थां सभायामनेकलोकाकुलायां सैष पुरुष इति कथं शायते।' भणितं 12 श्रीभगवता। 'य एष मम वामस्तवदक्षिणपार्श्वे स्थितःप्रोन्नामितभ्रयुगः पृथुलवक्षस्थलो गर्वभरमुकुलितदृष्टिरुत्तप्तकनकवर्णतनुराताम्रलोचन एतेन रूपेण मूर्तो मान इव समागतः। यदेतेनामानमानमूढचेतसा 15 कृतं तदाकर्ण्यताम् । तथा हि, 15 अस्त्यवन्तीजनपदे नगरी श्रीगरीयसी। विशाला सुमनःशाला विशाला शालशालिता ॥ ६१ सुप्रापं यत्र सिप्रायाः पयः पीयूषसोदरम् । निपीय लोको न सुधापायिनो ऽपि प्रशंसति ॥ ६२ 18 यत्राभ्रंलिहहाग्रचन्द्रशालासु योषितः। राजन्ते वीक्षितुं लक्ष्मी स्वर्गवध्व इवागताः॥६३ 18 धनिनां यत्र हर्येषु सदनेषु मनीषिणाम् । वर्धते श्रीसरस्वत्योर्मिथः प्रीतिर्गतागतैः ॥ ६४ तस्या नगर्याः पूर्वोत्तरदिग्विभागे योजनमात्रप्रदेशे कूपपद्राभिधानो ग्रामः। तत्रैका पूर्व राजवंशप्रसूतो भागधेयपरिहीनः क्षत्रभटो नाम जीर्णठक्करः परिवसति। तस्य चैक एव वीरभटाख्य: 21 पुत्रो निजजीवितादप्यधिकवल्लभो ऽस्ति । अन्यदा स तं तनुजं परिगृह्योजयिन्यां प्रद्योतननृपस्य सेवाहेषाकपरो बभूव । दत्तः क्षितिपतिना तस्य स एव कूपपद्रो ग्रामः । कालेन च स क्षत्रभटो ऽनेकसमीप24 संपर्कवैरिषीरवारविदारितावयचो जराजीर्णतया चरणचडुमणाक्षमस्तमेव पुत्र वीरभर्ट भूपस्यार्पयित्वा 24 गृह एव स्थितः। तस्यापि शान्तिभटाभिधः सूनुरस्ति। सच क्रमतः क्षितिपस्य सेवां कर्तुं प्रवृत्तः। तस्य स्वभावतः स्तब्धस्यात्यन्तमानिनो यौवनगर्वितस्य प्रद्योतनराशा राजपुत्रवर्गेण च शान्तिभट इति 27 नामधेयस्य मानभट इति नाम विदधे। नरेश्वर, स एष मानभटः।' 27 ६१३) अन्यदा सदसि सर्वेषु स्वस्वस्थाननिविष्टेषु मानभटः समागमत् । ततः स्वस्वामिनः सचिवपुङ्गववर्गस्य कृतनमस्कारो निजस्थाने राजपुत्रं पुलिन्दाण्यमुपविष्टं दृष्ट्वा प्रोचिवान् । 'भोः पुलिन्द, 30 मदीयमिदमासनस्थानं समुत्तिष्ठ त्वम्' इति । पुलिन्देन भणितम् । 'अहमजाननेवेहोपविष्टस्तावत् 30 क्षमस्व ममागः, न पुनरुपविक्ष्ये । ततः 'तव मानभटस्य स्थाने पुलिन्दो निविष्टः' इति वदद्धिरपरैः स उत्तेजितः। तद्यथा। 'त्यजन्ति मानिनः सर्वे तृणवजीवितं धनम् । उज्झन्ति मानं न क्वापि मान एव महद्धनम् ॥ ६५ 33 लध्वर्कमूलवाव्यं मानं मन्दरवहरु । त्यजन्ति मानिनः पूर्व परंचन कथंचन ॥ ६६ एतज्जनवचनमाकर्ण्य क्रोधाध्मातहृदयो मानभटो निर्दयः कार्याकार्यमविचार्यानार्य व स्वमृति36 मवगणय्य कृपाण्या वक्षस्थले पुलिन्दं जघान । तं निपात्य सच सदसो निःसृत्य पुलिन्दपाक्षिकराजपुत्रेषु 36 पृष्ठिलग्नेष्वपि वेगवत्तरया गत्या स्वग्राममागम्य कृतापराधो भुजङ्गम इव स्ववेश्म प्रविश्य पितुःपुरतो पुरतो यथावृत्तं कथयामास। तनिशम्य पितृपित्रा जल्पितम्। 'पुत्र, यत्कृतं तत्कृतमेव । अत्र पुनः 39 सांप्रतं सांप्रतं विदेशगमनम्, तदनुप्रवेशो वा । तत्र तदनुप्रवेशोन घटते, तावद्विदेश एव गम्यम् । 39 अन्यथा जीवितव्यं न। ततस्त्वरितमेव वत्स, सज्जीकुरु वाहनम् । तत्रारोप्य सकलमपि गृहसारं mammmmmmmmmmmmmmmmmm 2)P मुनींद्र:-7)P B'न्मृदुताभिदुधारया. 16) Pसुमनसःशाला. 21) एकवीरभटाख्यः. 27) नाभाऽवतस्य । नामावनम्य for नामधेयस्य, P : सैष मान. 31) Fadd:& ते before ततः. 23) उज्झते. 35) Badds पूर्व द्रव्यं परमानं before क्रोधाध्मात. 370 'मागत्य. 40) Badds on the margin the following (to come after वादनम् ।) येन तदाभिल रेवावीरे गम्यते। तेन च मानभटेन मानाध्मातमनसापि किमपि दाक्षिण्यं दधता वाहनं सज्जीकृतम्।। Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 16 रत्नप्रभसूरिविरचिता [II. $ 13 : Verse 671रेवातीरं प्रति प्रेषितौ क्षत्रभटवीरभटौ। परं स्वर व्याधुट्य मानभटः कतिभिरपि स्वपुरुषैः परिवृतः 1 पित्रा वार्यमाणोऽपि पौरुषाभिमानितया स्थितः । 3 'द्विधापि लाभः संग्रामे शूरो मृतिमवैति चेत । स्वर्गशर्माथवा जीवेत्ततः श्रेयः श्रियः पदम् ॥' ६७ 3 इति स यावञ्चिन्तयन्नस्ति तावत्तत्र पुलिन्दस्य बलं प्राप्तमेव । ततस्तत्र तयोयुद्धं प्रवृत्तं, मानभटेन। मानवाहारूढेनाकर्षितखड्गरत्नेन तदलं सकलमप्यमञ्जि । ततः स गुरुप्रहारातॊ नियूंढपराक्रमः स्वपुरुषैः 6सह पितुः पथि गच्छतो मिलितः। अथ तो कमेण यान्ती नर्मदोपकण्ठे पर्यन्तग्राममेकमाश्रित्य दुर्गमं 6 तस्थतुः । सो ऽपि मानभटः कियद्भिर्दिनै रूढवणः संजज्ञे । १४) तत्र तयोस्तस्थुषोः कियानपि कालोन्यतिचक्राम । तत्रान्यदा वसन्तश्रीर्वनावन्यामवादरत् । सपल्लवश्रियो ऽभूवन् यस्याः संगान्महीरुहः॥ ६८ अशोका अपि कुर्वन्ति सशोका विरहिस्त्रियः । स्मरन्त इव चित्तान्तस्तत्तत्पादतलाहतीः॥ ६९ अनको.ऽपि हि यत्संगाद्धन्त हन्ति वियोगिनः । पुष्पत्रियव सर्वत्र तत्र मित्रबलं महत् ॥७० 12 किल माध्वीकगण्डूषोक्षितेन भृशरोषितः । स्पैगं विरहितं हन्ति केशरः केशरश्रिया ॥ ७१ 12 पलाशास्तु पलाशाढ्या: पलाशा इव रेजिरे । वियोगाकान्तनारीणामरीणाः प्राणितच्छिदे ॥ ७२ कङ्केल्लिशाखिनां शाखा नवपल्लववेल्लनैः । अञ्चलोत्तारणानीव पुष्पकालस्य तन्वते ॥७३ 15६१५) अथ स मानभटो ग्रामतरुणनरैः सह दोलायाधिरूढवान् । ग्रामजनेनोदितं 'यो यस्य 15 हृदयंगमस्तस्य तेन नाम गेयमेव ।' प्रतिपन्नं ग्राम्यपु षैः। एवं भणिते निजनिजप्रियाणां पुरस्तरुणपुरुषवर्गो गीतं गातुं प्रारमे। ततः को ऽपि गौरागी कोऽपि श्यामलाङ्गों को ऽपि तन्वङ्गी को ऽपि नीलोत्पलाक्षी 18 गायति। ततोदोलाधिरूढेन मानभटेन निजा जाया गौराङ्गयपि श्यामाङ्गीनामोच्चारेण गीता।एवं च श्यामाया 18 नाम गीयमानं श्रुत्वा तस्य प्रिया गौराङ्गी समधिकं धुकोप। ततोऽपराभिर्युवतिभिःसाहसितेति । 'सखि, तव रूपमप्रमाणं सौभाग्यभङ्गी च यत्तव पतिरन्यायाः श्यामाझ्या मनोवल्लभाया नामोत्कीर्तनमातनोति ।' ततः सा सौभाग्यवती गौरागी निक्षिप्तहृदयशल्येव क्षणं चिन्तयामास । 'अहो, मम प्रियेण सखीजन-21 स्यापि पुरतो मानोऽपि न रक्षितः। अहो, अस्य निर्दाक्षिण्यम् । अहो, निर्लजता । अहो, निःस्नेहता। येन प्रतिपक्षगोत्रग्रहणं कुर्वता महदुःखं प्रापितास्मि, ततो ममापमानितसौभाग्यलक्ष्म्या न समीचीनं 24 प्राणितम्' इति विचिन्त्य सा गौराङ्गी महिलावृन्दस्य मध्यान्निर्गमनोपायमिच्छति, परं न तदृष्टिवश्च-24 नावसरं प्राप्नोति । इतश्च, स्वप्रियागोत्रस्खलनश्रुतिसंतप्तचेतसः। तस्या दुःखमिव प्रेक्ष्य द्वीपमन्यं रविर्ययौ ॥ ७४ 27 कमलानि परित्यज्य मधुपाः कुमुदावलिम् । भेजुः प्रायेण नैका मधुपानां रतिर्भवेत् ॥ ७५ अस्तं गते दिनस्यान्तात् खगे विश्वप्रकाशके। कोशन्ति स खगानामसौहृदादिव दुःखिता ।। ७६ पर्यपूरि तथा विश्वमपि विश्वं तमोभरैः । यथा न लक्ष्यते लोकैस्तदा पाणिनिजो ऽपि हि ॥ ७७ सर्वा अपि क्षणादेव प्रस्यन्ते तमसा दिशः । इनाद्विना सपत्नेन को नाम न हि दुयते ॥७८ 30 अभूत्तमोमयं भूमितलं निखिलमप्यथ । राज्यं तमसि कुर्वाणे यथा राजा तथा प्रजा ॥ ७९ न जलं न स्थल नोच्चं न नीचं नयनाध्वनि । न समं नासमं सर्व तमसैकीकृत जगत् ।। ८० 33 तत ईहक्षे समये सा युवतिः सार्थमध्यतः कथंचिन्निर्गत्य मरणोपायं चिन्तयन्ती गृहमाजगाम । तत्र 33 सा श्वश्र्वा पृष्टा 'वत्ले, कुत्र ते पतिः। भणितं तया । एष आगत एव मम पृष्ठे लग्नः' इति वदन्ती सावशा वासवेश्म प्रविवेश । ततो ऽसावतिगुरुदुःसहप्रतिपक्षगोत्रवज्रप्रहारदलितेव जजल्पेदम् । 36 'आकर्णयत भो लोकपालका नीतिपालकाः। विना प्रियं निजं नान्यो मया चित्ते विचिन्तितः ॥ ८१ 36 परं न कृतमेतेन वरं प्राणप्रियेण यत् । यदसम्यन्तर्वयस्थानामपमानपदं कृता ॥ ८२ . इत्युदीर्य तयात्यन्तकोपया कण्ठकन्दले । अक्षेपि पाशकः प्राणान् विधृत्य तृणवद्रुतम् ॥ ८३ 39१६) इतश्च स मानभटस्तां रमणीगणमध्यस्थामप्रेक्षमाणो जाताशङ्कः स्वभवनमाजग्मिवान् । 39 तेन मातुः पार्श्वे पृष्टं 'यद्भवद्वधूः समागता किंवा नेति' । मात्रा जल्पितम् । 'यदत्र समागत्य वासभवने प्रविष्टा' इति समाकर्ण्य मानभटस्तत्रागम्य त्वरितमेव पाशं तस्याश्चिच्छेद । अथो सा जलेन संसिच्यमाना 42क्षणेन स्वस्थचित्ता समभवत् । भणितमनेन । 'प्रिये, किं केनापराद्ध, कथं कुपिता, किमिदं त्वया निर्नि-42 6) com. पर्यन्त. 12) माध्वीगण्डू'. 36) Pooni line स्वप्रिया etc. to चेतसः, P om. तस्या, B अस्या for तस्या. 31) FB प्रजाः. 33) 0 ईदृशे. 36) चितेऽतिचिंतितः । चिपि वितित:.39) B स्वभुवन 40) . वासभुको 41) 'स्तत्रागल्य, जलजेन 30 Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 -II. F17 : Verse 90] कुवलयमालाकथा २ * 17 1 मित्तं स्वकीयं जीवितं ममापि च संशयदोलामारोपितम्' इत्याकर्ण्य गौराङ्गी प्रियं प्रति वाक्यमाह स्म 1 'यत्र सा सौभाग्यवती कमलदलदीर्घलोचना श्यामागी निवसति तत्र त्वमपि गच्छ' इति । मानभटे3 नोक्तम्। 'प्रिये, सर्वथैवास्य वृत्तान्तस्यानभिज्ञः। का श्यामाङ्गी, केन कदा दृष्टा, केन तव पुरो निवेदितम्, 3 इति कथय।' एतन्निशम्य सा रोषानलदह्यमानमानसा बभाण। 'अधुना त्वमनभिज्ञोऽसि यदा त्वया दोलाधिरूढेन सखीजनपुरतस्तस्याः श्यामाझ्या गीतमुद्गीतमेतत्कथं विस्मृतम् । एवमुक्त्वा तया 6 महापुण्यारण्यस्थमुनिनेव मौनमवलम्ब्य स्थितम् । मानभटेन चिन्तितम् । 'यदसावकारणे ऽपि कोप- 6 पर्वतमारुरोह'। ततस्तेन प्रसाद्यमानापि सा पुनःपुनर्न किंचिजल्पितवती। केवलममानं मानमेवाश्रित्य स्थितवती। मानभटेन चिन्तितम् । 'यदेतस्या रोषपोषितचित्ताया अनुनये पादपतनमेव हितम्' इति विचिन्त्य तेन तदेव कृतम् । परं तेन कृतेनापि प्राज्याज्यसंसिक्तज्वलनज्वालेव साधिकतरं क्रोधदुर्धरा 9 बभूव, न पुनश्चेतसि शमरसं पुपोष। ततःस मानभटश्चिन्तयति स्म। 'युक्तमेषा मृगाक्षी प्रसाद्यमानापि नाम न प्रसीदति स्म । यत ईदृश्य एव स्त्रियो भवन्ति । प्रत्यासन्ना भवेन्मोक्षलक्ष्मीर्मोक्षाभिलाषिणाम् । न जायते ऽन्तरा नाम दुस्तरा स्त्रीनदी यदि ॥ ८४ 12 सेवन्ते कामुकाः कामतापच्छेदाय कामिनीः। परं प्रत्युत जायन्ते महासंतापभाजनम् ॥ ८५ सौदामिनीव संध्येव निम्नगेव नितम्बिनी। चञ्चलप्रकृतिदृष्टनष्टरागातिनीचगा ॥ ८६ विवेकपङ्कजं हन्ति मानसे महतामपि । कामिनीयं हिमानीव कस्तामिच्छति तत्सुधीः ॥ ८७ 16 विवेकपर्वतारूढान् गुणप्रौढानपि द्रुतम् । हेलयापि महेलासौ वीक्षितेनापि पातयेत् ॥ ८८ । नवीना कापि दृश्येत शस्त्रीव स्त्री शरीरिणाम् । आदीयन्ते यया प्राणा बाह्या आभ्यन्तरा अपि ॥ 18 १७) इति चिरं विचिन्त्य वासभवनान्निामृतो मानभटो जनयित्र्याप्रच्छि 'पुत्र, कथय किमेतत् 118 ततः स तस्या अदत्तस्वप्रतिवचनो बहिर्निर्गतः। कान्तया चिन्तितम् । 'अहो, वज्रकठिनहृदयास्मि येन भर्तुः स्वयं पादपतितस्यापि न प्रसन्नामवं ततो नवरं कृतम्, पुनः पुनः पदपतनाप्रसादवीक्षापन्नो 21मम प्राणेशः कुत्र जगाम, इति न सम्यग् जानामि, तस्मादमुष्य पृष्ठलग्ना बजामि' इति चिन्तयित्वा 21 वासवेश्मतो निर्गता। 'पुत्रि, क्व चलितासि' इति श्वश्रूपृष्टा 'मातः, तव पुत्रः क्वापि प्रस्थितः' इति बदन्ती सा त्वरितपदं प्रधाविता ससंभ्रमं, पृष्ठे श्वश्ररपि । चिन्तितं च तत्पित्रा वीरभटेन । 'सर्वमेव 24 कुटुम्ब क्वापि प्रस्थितम्' इति चिन्तयन् सोऽपि तेषां मार्गे लग्नः। ततःस मानभटो घनतिमिराच्छादिते 24 कूपनिगमे वजन् तया कथमप्युपलक्षितः। स च बहुपादपशाखासहस्रसंजातान्धतमसस्य कूपस्य तटमाजगाम । तत्र च तेनोपलक्षिता पृष्ठतः समायान्ती निजजायेति । तामवलोक्य 'एतस्याः परीक्षां 27 करोमि' इति विचिन्त्य तेन कृपान्तः शिला निक्षिप्ता। तच्छिलापतनसंजातशब्दमाकर्ण्य 'मम पतिः27 पतितः' इति मत्वा तद्भार्या दुःखावटे.त्वरितमात्मानं मुमोच। ततः श्वश्रूरपि तदुखदुःखिता स्वं मुक्तयती, ततस्तस्या दुःखेन महता पृष्ठलग्नः श्वशुरोऽपि । ततत्रितयमपि विनष्टं दृष्ट्वा स चेतसि चिन्तितवान् । 30'मयात्र किं कर्तव्यम्, एतेन दुःखेनात्मानं किं कृपे क्षिपामि, अथवा न' इति विचार्य तेन प्राप्तकालमेतेषां 30 मृतानां निवापक्रियामातन्य परमवैराग्यमागतेन विषयान्तरं परिभ्रम्य परिभ्रम्य लोकेन निवेदितानि भैरवपातगङ्गास्नानप्रभृतीनि समाचरताभार्यामातृपितृवधप्रभूतसंभूतदुरन्तदुरितजातोपशान्तये कौशाम्बी 33 नगरी भेजे। भो नरेश, तदयं वराको ऽनभिज्ञो मूढमना लोकोतया तीर्थानि करोति । यदि तावञ्चित्त- 33 शुद्धिस्तदा पुरुषो गृहे ऽपि तिष्ठन् पापं क्षिणोति । ततः सर्वथैव मनःशुद्धिरेव विधेया। चित्तशुद्धि विना दत्तं वित्तं पात्रे ऽपि सर्वथा । तथा क्रियाकलापश्च भस्मनीव हुतं वृथा ॥' ९० 36 एवं निशम्य गुरूदितं मानभटो मानमपनीय भगवतो धर्मनन्दनस्य चरणमूलमाश्रितः। ततः प्रतिबुद्धेन 36 मानभटेन प्रवज्या याचिता। सूरिणा समादिष्टम् । 'वत्स, अतुच्छस्वच्छतानिधे, सर्वदैव निरतिचारं चारित्रप्रतिपालनं दुष्करमेव । यत्र कर्तव्यं केशोत्पाटनम् । नित्यमेव प्राणातिपातविरत्यादीनि व्रतानि 39 निरतिचाराणि धारणीयानि । वोढव्यो ऽष्टादशसहस्रशीलाभारः। भोक्तव्यमरसविरसं रूक्षं भैक्षम् । 39 पातव्यं प्रासुकैषणीयं निःस्वादु जलम् । शयितव्यं भूमौ । दुस्सहपरीषहोपसर्गवर्गसंसर्गे ऽपि न मना 1) B इत्याकर्ण्य कर्णशूचिक्षेपादिव । दूनोवाच । तव मानसे कमलदलदीर्घलोचना. 2) P सौभाग्यभा for सौभाग्यवती. 4) B त्वमझोसि. 18) PH वासभुवना. 19) B अदत्तप्रतिवचनो. 20) स्वयं पट (६१) पति. 23) 0 मातुस्तव, ०क्व for क्वापि. 26) B निजा जायेति. 32) inter, प्रभूत & संभूत. 37) Bवच्छ स्वच्छगुणातुच्छ सर्वदैव. 39) Bादशशीलांगसहयभारः, B विरसरक्षं. 3 Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 18 रत्नप्रभसूरिविरचिता [ II. $18: Verse 91 1 गपि शैथिल्यमाधेयम् । यन्मदनदन्तैर्लोहचणकभक्षणं सुकरं न पुनर्जिनप्रणीतव्रतप्रतिपालनम् ।' ततः 1 श्री धर्मनन्दनगुरोरुपदेशवचः पीयूपं मानमहाविषमविपद्प निर्दलन समर्थ माकण्ठमुत्कण्ठया निपीय 3 मानभटः प्रव्रज्यां जग्राह । । इति माने मानभटकथानकम् । १८) पुनरपि गुरुराह । 'ध्ये यदि कल्याणमात्मनो भव्यजन्तवः । तदार्जवकृपाणेन च्छेद्या माया प्रतानिनी ॥ ९१ मायानदी महापूरं यद्यमूर्ख तितीर्षसि । ऋजुत्वाख्यतरीं तृर्ण ततः सजय यत्नतः ॥ ९२ माया रात्रिचरी ज्ञेया जगज्जन्तुभयंकरी । अवक्रचित्तसद्भावस्फूर्जन्मन्त्रप्रभावतः ॥ ९३ मायानृतखनिर्येन कृता स्यात्तस्य दुर्गतिः । न कृता येन तस्येह श्रेयः श्रीर्वशवर्तिनी ॥ ९४ माया दुर्नयभूपालकेलिभूमिरियं वरा । जननी विश्वदुःखानां काननं पापभूरुहाम् ॥ ९५ माया क्रियमाणा यशोधनं मित्रवर्गे च नाशयति । जीवितव्यं च संशयतुलामारोपयति । भो नरेश्वर, 12 यथैष पुरुषः ।' भूभृता प्रोक्तम् । 'भगवन्, न जानीमो वयं कः स पुरुषः, किमेतेन कृतम् ।' श्रीधर्मनन्दनः 12 प्रोचे । य एष तव संमुखः पाश्चात्यभूभागे मम स्थितः संकुचित देहभागः कृष्णकायकान्तिः पापीयान् दृश्यते स मायावी । अनेन मायाविना यत्पूर्व कृतं तदाकर्ण्यताम् । तथा हि, 6 9 15 15 18 जम्बूद्वीपाभिधे द्वीपे क्षेत्रे भरतनामने । काश्यदेशे ऽस्ति विख्याता पुरी वाराणसी वरा ॥ ९६ स्फुटं स्फाटिकयद्भित्तौ यत्रेक्षन्ते मृगीदृशः । चरन्त्यो ऽपि निकेतान्तः स्व आदर्श इवानिशम् ॥ ९७ दुःखं तु त्यागिनामेव सर्वैश्वर्यविराजिनाम् । कदाचनापि प्राप्यन्ते याचनाय न याचकाः ॥ ९८ यत्र कामानलो यूनामदीपिट कुतूहलम् । संध्यासमीरणैः सिद्धसिन्धुसीकरहारिभिः ॥ ९९ या चतुर्दशस्वमजन्ममहिस्रः अमूर्तमूर्तिरमणीयता तिरस्कृतानल्पकन्दर्पस्य उत्पन्नविमलकेवलज्ञानावलोकिता शेष पदार्थ सार्थस्य संसारोदरविवरसंचरिष्णुस कलजन तात्राणदानोद्धत विशुद्धसद्धर्म देशनासिंह21 नाद विधुरितसकलकुमतकरिवरस्य सुरासुरनरेश्वर संसेव्यमान चरणारविन्दयुगलस्य तीर्थकृतो भगवत- 21 त्रिजगदानन्दनस्य श्रीवामानन्दनस्य जन्मभूमिः । तस्या नगर्याः पश्चिमोत्तर दिग्विभागे शालिग्रामो नाम ग्रामः । 33 3 1) PB माधेयं । यलोहचणकक्षक्षणं न पुनर्जिन- 4 ) BCom. इति. 12 ) । वयं कोपि पुरुषः वयं कोपि स पुरुषः- 13) P B पाश्चात्य भागे. 14 ) PB "विना पूर्वं यत्कृतं. 15) P B का देश- 19) Bonit या, B तिरस्कृताऽनल्पकंदर्पदस्थ 25 ) P° गंगादेव्याख्यः. 34 ) B दुर्जनयोः चंदनतरुपिचुमंदयोरिव 37 ) Builds नदी after गिरि, om. पुरन तिष्ठं eto. ending with द्रव्य. 6 24 24 अन्धुभिर्बन्धुरोऽगाधैः संकटो विकटैर्वटैः । मञ्जुलो वञ्जुलश्रेण्या चित्तप्रीत्यै न कस्य यः ॥ १०० ६१९ ) तत्र चैको वैश्यजातिर्गङ्गा दित्याख्यः पॅरिवसति । तत्र ग्रामे धनधान्यसमृद्धे ऽपि स वैको दारिद्रयमुद्राविद्रुतः । कुसुमशरसमानरूपेऽपि जने स एवैको वैरूप्यधारी । किं बहुना, स 27 एवैको दुर्वचनपरो निखिलजनोद्वेजनीयदर्शनः कृतघ्नः कर्णेजपः सर्वागुणगणमन्दिरं च । तस्य ग्रामजनेन 27 मायाशीलस्य पूर्वनाम गङ्गादित्य इत्यवमत्य मायादित्य इत्यभिधा विदधे । भो नरेन्द्र, स चायं गायादित्यः । तत्र ग्रामे वणिक्पुत्र एकः पूर्वसुकृतसंचयक्षयपरिक्षीणद्रविणः स्थाणुरित्याख्यः । तस्य 30 तेन मायादित्येन समं प्रीतिरुत्पन्ना । स च स्वभावेन सरलः कृतशः प्रियवादी दयालुरवञ्चनपरः सदा 30 दीनवत्सल नादीनवश्चेति । तेन स्थाणुना ग्रामवृद्धजनेन प्रतिषिध्यमानेनापि सौवचित्तप्रविशुद्धतया मायादित्यस्य समीपं [ सामिप्यं ] न कदापि मुच्यते । साधुवाणि दुर्जनानां मनांसि न । आर्जवेनार्पयत्येव स्वकीयं मानसं परम् ॥ १०१ ततस्तयोः सज्जनदुर्जनयोः प्राज्ञमन्दयोरिव मरालवकयोरिव भद्रगजबर्बरकृलगजयोरिव स्वभावेन स्थाणोः कैतवेन मायादित्यस्य तु मिथः प्रीतिरवर्धत । अन्यदा विश्वस्तचेतसावन्योन्यं विविधान् 36 धनोपार्जानोपायान् परिकल्प्य स्वजनवर्ग परिपृच्छय कृतमङ्गलोपचारौ गृहीतपाथेयौ दक्षिणदिशाभिमुखं 36 जग्मतुः । तत्र ताभ्यामनेकगिरि सरिच्छा खिश्वापदसंकुलं वनं दुर्लङ्घ्यमुल्लङ्य स्वर्गपुरप्रतिष्ठं प्रतिष्ठानपुरमवाप्य विविधवाणिज्यादि कर्म कुर्वाणाभ्यां कथंचित्प्रत्येकं पञ्च काञ्चनसहस्त्री समुपार्जिता । ततस्तौ 39 'द्रव्यमेतचौरभिल्लजनेभ्यः परित्रातुं दुष्करम्' इति विचिन्त्य स्वदेशं प्रति गमनसमुत्सुकमनसौ दश 39 सुवर्णसहरुमा दश रन स्वीकृत्य जरवीराञ्चले बद्धा मुण्डितमस्तकौ प्रावृतधातुरक्तवाससी विरचितदूरतीर्थयात्रिलोकवेषौ भिक्षां याचमानौ क्वापि मूल्येन कापि सत्रागारेष्वनती कमपि संनिवेशमीयतुः । 9 18 33 Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. F 21 : Verse 104] कुवलयमालाकथा २ * 19 1 तत्रोक्तं स्थाणुना। 'भो मित्र, मार्गश्रमखिन्नदेहो भिक्षायै गन्तुं न शक्नोमीति तदद्य निरवद्या मण्डका 1 पव भक्ष्यन्ते।' तच्छुत्वा मायादित्यः प्रोचे । 'त्वमेव पत्तनान्तःप्रविश्य मण्डकान् कारय, नास्मिन्नर्थ निपुणो ऽस्मि, परं त्वरितमागन्तव्यम्।' स्थाणुना भणितम् । 'भवत्वेवं कथमयं रत्नग्रन्थिः क्रियताम् ।' 3 मायादित्यो जगाद । 'कस्तावजानाति नगरव्यवहारं तस्मात्को ऽप्यपायो भविष्यति तव प्रविष्टस्येति ममैव पार्श्वे रत्नग्रन्थिस्तिष्ठतु ।' स्थाणुस्तस्य करे रत्नग्रन्थिमर्पयित्वा पुरं प्रविवेश। चिन्तितं च 6मायादित्येन । 'यदि केनाप्युपायेन रत्नग्रन्थिरसौ ममैव भवति तत्कृतार्थपरिश्रमः स्याम्' इति विचिन्त्य 6 प्रत्युत्पन्नपापमतिना तेन मायिना सत्यरत्नग्रन्थिप्रतिरूपो द्वितीयः पाषाणशकलग्रन्थिः कृतः। तदाच 'कान्दविकापणेष्वनुद्घाटः' इत्यकारितमण्डक एव स्थाणुरायातः । भणितं स्थाणुना। मित्र, कथमद्य भय9 भ्रान्तविलोचन इव भवान् लक्ष्यते ।' मायादित्येन निवेदितम् । 'मया त्वं सम्यक समागच्छन्नत्र नावगतः 9 किंतु चौर इति ज्ञातमतो बिभ्यदस्मि, न कार्यममुना रत्नग्रन्थिना ।' एवं वदता तेन मायाविना गमनाकुलितचेतसा पुनर्विरचितं सत्यरत्नग्रन्थि तस्य समर्प्य स्वयमसत्यरत्नग्रन्थि स्वीकृत्य 'अहं भिक्षायै 12 गच्छामि' इति कपटेन भणित्वाहोरात्रेण द्वादश योजनान्यतिक्रम्य यावद्रत्नग्रन्थिर्विलोकितस्तावत्केवलं 12 पाषाणखण्डान्येव दृष्टानि । तन्निरीक्षणे वञ्चित इव मुषित इव स बभूव । ततस्तस्य पार्श्वतः सत्यरत्न प्रन्थिग्रहणाय पुनरपि कूटकपटधारी चिरं सर्वत्र बभ्राम । स स्थाणुर्मित्रमार्गान्वेषणं चिरं चकार, परं स 16न मिलितः। ततो ऽनेकधा विलप्य मित्रगुणं संस्मृत्य तेन दिनः समतिक्रमितः। रात्रौ पुनः कुत्रापि 16 देवकुलान्तः सुप्तः। २०) पाश्चात्ययामे केनापि गूर्जरपथिकेन गीतम। 18'धवल इव योऽत्र विधुरे स्वजनोनोभारकर्षणे प्रवणः। स च गोष्ठाङ्गणभूतलविभूषण केवलं भवति॥ १०२ 18 इति सूक्तं श्रुत्वा स्थाणोरपि श्लोक एकः स्मृतिमायातवान् । 'अथ क्षितौ विपत्तौ च दुःसहे विरहे ऽपि च । ये ऽत्यन्तधीरताभाजस्ते नरा इतरे स्त्रियः॥ १०३ 21 तां रात्रिमतिक्रम्य तेन चिन्तितम् । 'यदि मृतं मम मित्रं भवति तदास्य मानुषाणां रत्नानि पञ्च 21 समर्पयामि' इति पुनः कृतमतिः स्थाणुः स्वनगरं प्रति चचाल । व्रजतस्तस्य स्थाणोः क्रमेण नर्मदातीरे स मायादित्यो विलक्ष्यास्यो निःश्रीकशरीरो लोचनगोचरमुपाजगाम । ततस्तेन स्थाणुं मित्रं वीक्ष्य 24 गाढमवगृह्य च कपटेनालीकवृत्तान्तो निवेदितुमारेमे । 'मित्र, तदा तव सकाशादहं निर्गत्य गेहं गेहं 24 परिभ्रममाणो धनिनः कस्यापि वेश्मनि प्रविष्टः, तत्र मयालब्धायां भिक्षायां किंचित्कालं यावस्थित तावत्तत्पदातिभिः क्रोधान्धैः साक्षाद् यमदूतैरिव चौर इति भणद्भिर्विविधैः प्रहारैर्मार्यमाणो ऽहं 7 गृहस्वामिनः सकाशे नीतः। तेन समादिष्टम् । 'भव्यं कृतमेष धृतो यदनेनास्माकं कुण्डलमपहृतम् । 27 तावत्सर्वथाय यत्नेन ध्रियतां यावद्राजकुले निवेदये।' ततो मया चिन्तितम् । 'भुजङ्गगतिवद्धकचित्तेन विधिनत नृणाम् । अन्यथा चिन्तितं कार्यमन्यथैव विधीयते ॥' १०४ 30२१) ततो ऽकृतापराधो विलपन वेश्मनः कोणे तैनिक्षिप्तः। तत्र स्थितस्य दुःखार्तस्य मे दिवसो 30 व्यतीतः। संप्राप्ता रात्रिः। सा तु स्वप्नसंजातभवत्समागमसंभूतमुखपरम्परासु स्थितस्य मम त्वरितमेव निष्पुण्यकस्य लक्ष्मीरिव क्षणदा क्षयमाप । संप्राप्तो ऽपरो दिवसः। तत्र मध्याह्नसमये कापि नायिका 33 अनुकम्पया मम योग्यमाहारमानिनाय । सापि मां रमणीयरूपं विलोक्यानुरागवती संजाता। 33 विजनीभूते च तत्र सामया पृष्टा 'भद्रे, त्वां पृच्छामि यदि स्फुटं सर्वमपि निवेदयसि । तयोक्तं 'वरेण्य, निखिलमपि निवेदयिष्ये। मयोचे 'किमहं निर्मन्तुः पदातिभिर्गृहीतः' । तया जल्पितम् । 'सुभग, एतस्यां 36 नवम्यां मद्भर्ता देवताराधननिमित्तं मलिम्लुचोऽयमिति च्छद्मना स्वीकृतं त्वां देव्यै बलिं दास्यति ।' 38 ततो मयाधिकजातजीवितान्तभयेन पुनः पृष्टा 'कथय मम कोऽपि जीवनोपायोऽस्ति ।' तया कथितम् । 'नास्ति तव जीवनोपायः, न पुनः स्वस्वामिनो द्रोहं करोमि, परं तथापि त्वयि मम महान् नेहः, ततो 39 वचः शृणु। अथ नवम्यां सकलो ऽपि परिच्छदो मत्स्वामिना सह तीर्थभुवि सातुं यास्यति तदा तव 39 रक्षपालोऽप्येको द्वौ वा भाविनौ।' इत्याकर्ण्य प्रस्तावं परिलभ्य गृहादहं निःसृत्य केनाप्यवीक्ष्यमाणः स्थाने स्थाने त्वां विलोकयन् सरलबहलवानीरे रेवातीरे यावदायातस्तावत्वं दृष्टः। मित्र, तव 42 दुस्सहवियोगे एतन्मयानुभूतम्।' एतदृत्तान्तं निशम्य सम्यग्बाष्पजलप्लुतलोचनः स्थाणुः समजनि । 42 8) R"णेषु तद्धोट इत्यकारित. 10) B चौर इति ज्ञातः । अतो. 11) Hom. सत्यरत्नग्रान्थि तस्स समर्थ स्वय,मं P स्वीकृत्याह । भिक्षायै. 12) Pom. "विलोकितस्तावत्के etc. ending with सत्यरत्नग्रन्थि. 22) B व्रजतस्तन स्थाणोः. 23) P निःश्रीकशरीरलोचन. 28) P धृयतां. 30) Pom. 'स्य दुःखार्तस्य etc. ending with दिवसः। तत्र.33) Bom. मम.37) o inter. पुनः & पृष्टा. 38) P परं तं पि. 41) Pा दृष्टः । एतद् दुःसहविरहवियोगे मित्र मयानुभूतं । तद् वृत्तांतं (twice in P) निशम्य. Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 20 रत्नप्रभसूरिविरचिता [ II. § 21 : Verse 1051 ततो द्वावपि धौतवदनौ कृताहारक्रियौ प्रचलितौ । ततो मार्गभ्रष्टौ दिड्यो हितचित्तौ भयभ्रान्तदृशौ च 1 संसार इव दुस्तरे कान्तारे विविशतुः । ' कुत्रागतौ, कुत्र गमिष्यावः' इति तौ न जानीतः । स्थाणुना भणितम् । 'क्षुधाधिकं मां वाघते तत्त्वं रत्नग्रन्थिं गृहाण, कदाचिन्मम पार्श्वात्पतिष्यतीति समर्पितो ऽनेन 3 रत्नग्रन्थिः ।' चिन्तितं च मायादित्येन । 'अहो, यन्मम कर्तव्यमस्ति तदमुना स्वयमेव कृतम् । ततो मध्याह्ने ललाटं तपतप तीयतृष्णातरलितौ पानीयं सर्वत्र पश्यन्तौ वटपादपाधस्तादवर्ट ददृशतुः । 6 ततश्चिन्तितं तेन दुबुद्धिना 'सांप्रतमस्यैव कृपपाननमेवानपाय उपायः । भणितं मायादित्येन । 'स्थाणो, 6 कूपे कियत्प्रमाणं पयः, विलोक्य कथ्यताम्, यथा तदनुमानेन ढंढां वल्लीतन्तुभिर्दृढां रज्जुं करोमि ।' स तु महानुभावो ऽवहृदयः पयःप्रमाणवीक्षाकृते प्रवृत्तः । ततस्तेन मोहमोहितचेतनेन मायाविनानपेक्ष्य 9 लज्जामवमत्य प्रीतिगनालोच्य दाक्षिण्यमविचार्य परलोकमविचिन्त्य सज्जनमार्ग स्थाणुनीरं निरीक्षमाणः 9 कूपे न्यक्षेपि । स च कूपे दलतृणचयचिते जम्बालान्तः पतितो ऽपि तथाविधां बाधां देहे न सेहे । ततस्तेन विश्वस्तचेतसा चिन्तितम् । 'अहो, पूर्व दारिद्र्यम्, ततः कान्तारान्तः परिभ्रमणम्, तत्रापि 12 प्रिय मित्रवियोगः, एतत्रितयमपि पापिना विधिना विरचितमेव । अहमत्र केन निर्दयहृदयेन क्षिप्तः । 12 अत्र मायादित्य एव समीपवर्ती नान्यः । कथमेतेनास्मि पातितः । अथवा नैतत् संवादि, दुष्टं मया खलु चिन्तितम् । 15 कदाचिद्वायुना स्वर्णशैलचूलापि कम्पते । उदेत्यंशुः प्रतीच्यां च न मित्रं तनुते त्विदम् ॥ १०५ 15 घिगहो, ममापि हृदयस्यानल्प विकल्पसंकल्पः । ततः केनापि राक्षसेन वा पिशाचेन वा पूर्ववैरिणा क्षिप्तो ऽस्मि ।' स्थाणुरेवं विचिन्त्य स्वस्थ चित्तस्तस्यामप्यवस्थायां तस्थौ । प्रकृतिरेवेदृशी सज्जनानाम् । 18 चिन्तितं मायादित्येन । 'अहो, यत्कर्तव्यं तत्कृतमेव । सांप्रतं दशानां रत्नानां फलं गृह्णामि' इति 18 चिन्तयन् मायादित्यो वनान्तः परिभ्रमन् चौरसेनापतिना वीक्षितो धृतश्च रत्नानि च गृहीतानि । $ २२ ) अथ चौरपतिः कथंचिद्भवितव्यतयानन्ययोदन्यया बाधितस्तमेव विशङ्कटावटतटमवाप । 21 समादिष्टं पल्लीस्वामिना 'भो भोः, कूपात्पयः कर्षत' । इत्याकर्ण्य तैः कूपे पयःकर्षणाय वल्लीवरत्रया 21 ग्रावगर्भः पलाशदलपुटकः क्षिप्तः । कूपान्तःस्थेन स्थाणुना तं वीक्ष्य महता शब्देन गदितम् । 'केनापि दैवदुर्योगतः कूपे ऽत्र क्षिप्तः, ततो मामप्युत्तारयत ।' तैः सेनानायकस्य पुरो विज्ञप्तम् । यत्केनाप्यत्र 24 जीर्णकूपे पुमानेकः पातितो ऽस्ति ।' सेनापतिना जगदे ।' 'भो भोः, अलमलं जलाकर्षेण, प्रथमं तमेव 24 वराकं कर्षत ।' ततस्तदा देश वशंवदैस्त्वरितमेव स्थाणुः कूपतः कर्षितः । सेनापतिस्तं बभाषे 'भद्र कुत्रत्यस्त्वं, कुतः समायातः, किमभिधानः, कथं जीर्णावटे निपातितः । भणितं चानेन । 'देव, पूर्वदेशत 27 आवां द्वौ जनौ दक्षिणाशामाश्रित्य कियता कालेन पञ्च रत्नान्युपाये मुदितमानसौ स्वगृहं प्रतिगच्छन्तौ 27 मार्गपरिभ्रष्टौ तृषातरलितचित्तावेतस्यामटव्यां प्रविष्टौ । तत आवाभ्यां तृषातुराभ्यां जीर्णकूपो दृष्टः । अतः परं देव, न किमपि सम्यग् जाने, यदस्मि केनापि पातित इत्यवैमि । परं यद्भवता कृपावता कूपात्संसारा30 दिव गुरुणा प्राणी सद्धर्मवचनोपदेशेनाकर्षितः ।' पतदाकर्ण्य सेनापतिनोक्तम् । 'केवलं तेन दुराचारेण 30 भवानिक्षितः ।' स्थाणुना भणितम् । 'नहि नहि शान्तं पापम् । स कथं मयि जीवितादप्यधिकः प्रियो वयस्यः श्वपच इव दुश्चरितमाचरति ।' सेनापतिना जल्पितं 'स तावत्कुत्रास्ते' । स्थाणुना जगदे 'सांप्रतं 33 नावगच्छामि' । अथ सर्वैरपि परिमोषिभिः परस्परं सहास्यमास्यं निर्माय भणितम् । 'यदयं वराकः 33 सर्वदैवावक्रचित्तः सद्भावः किमपि न जानाति स्वस्य शुद्धचित्ततया ।' ततः पल्लीपतिरुवाच । 'सांप्रतमिदं स एवास्य वयस्यो भविष्यति, यस्यामूर्ध्नि रत्नान्यस्माभिर्गृहीतानि ।' चौरैरुक्तं 'देव, संभाव्यत एतत्' । 36 अथ स पृष्टः 'कथय स कीदृशस्तव वयस्यः' । स्थाणुना भणितम् । 'देव, कृष्णवर्णः पिङ्गललोचनः 36 कृशाङ्गो मम वयस्यः ।' सेनाधिपेनोक्तम् । 'भद्र, त्वया लक्षणसंपूर्णः सुहृलब्धो येन कृपे भवान् पातितः । त्वं प्रत्यभिजानासि स्वानि रत्नानि दृष्टानि ।' तेनोक्तं 'उपलक्षयामि । ततस्तेन तस्य 39 रनानि दर्शितानि । तेन तान्यात्मीयानि परिशाय जल्पितम् । 'कुत्र कदा वा रतानि प्राप्तानि कथं 39 मन्मित्रं व्यापाद्याङ्गीकृतानि ।' तैरुक्तम् । भवन्मित्रं न विनाशितम्, केवलं रत्नानि स्वीकृत्य नियन्त्रय च 1) Pom. च. 5) PB सर्वत्रैव 7 ) PB यधासि तदयमानेन 12 ) एपापिना- 13 ) P अथवा न तमेतदुत्ता संवादि दष्टुं गया, " अथवा नूनमेतदृताऽसंवादि. 16) 0 संकल्पनू. 20) Mo. सट. 29 ) Pom. न, om. कृपावता. 31) प्रिये वयस्ये श्वपच 36 ) Boin. स after कथय 37 P सेनाधिपत्ये नोक्तम्. Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. § 24: Verse 116] कुवलयमालाकथा २ 1स मुक्तः ।' तेन सेनापतिना सदयेन स्थाणोः पञ्च रत्नान्यर्पयांचक्रे । तेन मित्रं विलोकमानेनैकस्मिन् 1 वनगहने दवलीसंदानितबाहुलतो नियमितचरणयुगः पोट्टल इव निबद्धो ऽधोमुखो वीक्षितः । तं 3 विगतबन्धं विधाय हाहारवं कुर्वाणः स्थाणुः सानुकम्पः प्रोवाच । 'मया रत्ननि पञ्च व्यानृत्य लब्धानि । 3 तव सार्ध रत्नद्वयं ममापि च । त्वं पुनर्मनसि विषादं मा विदधीथाः ।' इति भणित्वा स्थाणुना कान्तारपर्यन्तग्रामसीमां स समानिन्ये । तत्र तावदुपचारवृत्त्या स मायादित्यः कियद्भिरपि दिनैर्निर्व्यूढवणः 6 समजनि । चिन्तितं च मायादित्येन । 'यदयं ममेदृशचेष्टितस्यापि परोपकारीति । ततो मया किं 6 कर्तव्यम्, यन्मया मायाविना प्रथमं रत्नस्वीकारेण ततः कूपान्तर्नि क्षेपेणालीकवचोभिश्च वयस्यो विप्रतारितः, ततो मम नरके ऽपि न निवासः, तस्माद् ज्वलनं प्रविश्यात्मानं काञ्चनमिवाशुशुक्षणौ विमली9 करिष्ये ।' ततो ऽतीवमित्रवञ्चनालक्षणचिन्तासंतापपरायणश्चितानलं प्रवेष्टुं स्थाणुना ग्रामजनेन च 9 निवार्यमाणो ऽपि मायादित्यः समीहिवान् । ततो ग्राममहत्तरैरनेकैर्वाक्यैः प्रतिबोधितः । ततः स्वमित्रवचनसमुद्भूतपापनिराकरणाय स्थाणुना मित्रेणानुगम्यमानः सर्वाणि तीर्थानि लोकप्रसिद्ध्या समाराधयन् 12 स मायादित्यः समागत्येह समुपविष्टोऽस्ति । ततो मायादित्यः श्रीधर्मनन्दनगुरोर्मुखतः स्वं वृत्तान्त - 12 मवगम्य वभाण | ' यन्मया मायामोहितचेतसा स्वमित्रद्रोहिता कृता तद्पगमनाय प्रसादं विधाय प्रभो, प्रभो दयावास, सिद्धिनिवासभुवं प्रव्रज्यां मह्यं देहि ।' ततो भगवता धर्मनन्दनेन ज्ञानातिशयेन 15 विलोक्योपशान्तमायाकषायप्रचारः स मायादित्यः श्रीतीर्थनाथप्रणीतप्रतीतयथोक्तविधिना प्रवाजितः ।15 । इति मायायां मायादित्यकथा | 18 (२३) चारुचारित्रमलयाचलचन्दनेन गुरुणा श्रीधर्मनन्दनेन पुनरूचे । न वर्जयति लोभं यः क्रोधादिरहितो ऽपि हि । निमज्जति भवाम्भोधौ स कालायसगोलवत् ॥ १०६ 18 जीवाः संसारकान्तारे विवेकप्राणहारिणा । स्पष्टं लोभाहिना दष्टा जानते न हिताहितम् ॥ १०७ सलोमे मानवे सद्यो निर्मलापि गुणावली । विलीयते ऽग्निसंतप्ते लोहे तोयच्छटा यथा ॥ १०८ प्रचुरैर्नीरधिनीरैरिन्धनैर्धूमकेतनः । न तुष्यति यथा जन्तुर्घनैरपि धनैस्तथा ॥ १०९ लोभपरवशः प्राणी द्रव्यं नाशयति, मित्रं च हन्ति, दुःखाम्बुधौ निपतति च । पार्थिव, यथैष राशा विज्ञप्तं 'भगवन्, स कः पुरुषः, किमेतेन कृतम्' । समादिष्टं भगवता । 'यस्तव पृष्ठिभागे वामे 24 वास बस्योपविष्टोऽतिकृशशरीरः केवलमस्थिपञ्जर इव रूपेण मूर्ती लोभ इव । नरेश्वर, अमुना लोभा- 24 भिभूतेन यत्कृतं तदेकचित्ततया श्रूयताम् । तथा हि । इहैव जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतक्षेत्रे मध्यमखण्डे '' 'पुरुषः 21 27 30 30 समस्ति नगरी सौवरामणीयकसंपदा । स्वः पुरस्तन्वती तक्षशिला मनसि लाघवम् ॥ ११० कपि शीर्षावली म्रवप्रव्याजेन भोगिराट्। सहस्रशीर्षः सौन्दर्य यस्या द्रष्टुमुपागतः ॥ १११ प्राकारः स्फाटिको यत्र परिखाम्बुनि बिम्बितः । भोगावतीनिरीक्षायै विशतीव रसातलम् ॥ ११२ सुजातिरम्याः सुशिवाः सदारम्भा वृषाश्रयाः । स्वभयाः स्वशना यत्रोद्याना इव जना बभुः ॥ ११३ प्रासादा यत्र राजन्ते महाराजतनिर्मिताः । क्रीडानिमित्तमायाता मेरोरिव कुमारकाः ॥ ११४ असंख्यात हरिख्यातां सदा जयविराजिताम् । यां पुरीं स्वःपुरी वीक्ष्य हियेवादृश्यतामगात् ॥ ११५ श्रीनाभेयपदस्थाने धर्मचक्रं मणीमयम् । श्रीबाहुबलिना यत्र सहस्रारं विनिर्ममे ॥ ११६ 33 यत्र शोभन्ते परमस्नेहलालसचेतसो जना अनगाराश्च सदा परमदारं सदारागपरं सदाहारसारं 33 विभविवृन्दं मुनिमण्डलं चेति । तस्याः पुर्याः पश्चिमदक्षिणयोरन्तराले दिग्विभागे समुच्चधान्यकूटाभिराम उच्चलाख्यो ग्रामः । तस्मिन् शुद्धवंशभवो धनदेवाभिधः सार्थपतिपुत्रः परिवसति । परैः सार्थ36 पतिपुत्रैः सह तस्य क्रीडां कुर्वतः क्रियानपि कालो व्यतिचक्राम । 36 २४) स धनदेवः स्वभावत एव लोभदत्तचित्तः सततभेव वञ्चक शिरोमणिरलीकवचनभाषी परद्रव्यापहारी । ततस्तस्येदृशस्य तैः सार्थनाथतनुजैर्धनदेव इति नाम निराकृत्य लोभदेव इत्यभिधा विदधे । * 21 21 10 ) PB om. तत: 11 ) PB गम्यमानस्तीर्था सर्व्वाणि लोक 17 ) PB omit गुरुणा श्री. 26 ) D तक्षसिला 28 ) B has (on भोगावती) amarginal gloss, नागपुरी 29 ) On. सुजाति ete. B has & marginal gloss: जातिगत्र मालती च । सुष्ठु शिवं कल्याणं येषां द्वि० शोभनाः शिवाः पुण्डरीका वृक्षाः सहकारा यत्र । सत्प्रधान आरंभो येषां ते तथा । सदारंभाः कदल्यो येषु ॥ सुष्ठु निर्भयाः शोभना हरीतक्यो यत्र । शोभनं अशनं भोजनं द्वि० ऽशना वृक्षविशेषा यत्र ॥ 31 ) B has a marginal gloss on असंख्यात etc. असंख्यातैर्हरिभिरचैः प्रसिद्धां - जय इंद्रपुत्रः सकसत्चिह्नवति कदापिनेत्यर्थः [?] 33 ) PB om. यत्र B has a gloss (on परं): परं केवलं अस्नेहमुनयः 38 ) Prepeats ( after गुरुजनमनुज्ञाप्य ) लोभदेव इत्यभिधा eto. ending with गुरुजनमनुज्ञाप्य 27 Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न तुरङ्गान् विक्रीयाजाणश्रष्टिनो रुद्राभिधानावतापतिरिव विमोहया *22 रक्षप्रमसुरिविरचिता [II. 625 : Verse 1171 ततस्तस्य तारुण्यपुण्यावयवस्य मानसमतीव लोभाभिभूतमभूत् । अन्यदा द्रव्योपार्जनप्रगुणितचित्तो 1 गुरुजनमनुशाप्य लोभदेवस्तुरङ्गानुत्तुङ्गान् सजीकृत्य वाहनानि च स्वीकृत्य पाथेयं संगृह्य मित्रवर्गमा 3 पृच्छय तिथिकरणनक्षत्रपवित्रे मुहूते चन्द्रबले बरलग्ने स्वामिना वीक्षिते स्नानं विधाय देवतार्चनं निर्माय 3 च वहन्नाडिकादत्तपदः स्वजनेनानुगम्यमानः प्रमुदितवदनो दक्षिणाशां प्रति प्रचलितः। जनकेनोक्तम् । 'वत्स, तवाधीतसर्वशास्त्रस्य माणिक्यस्य घटनमिव भारत्याः पाठनमिव मौक्तिकानामुत्तेजनमिव सर्वथा 6 शिक्षावचः कीदर, तथापि नेहमोहितचेतसा मया त्वां प्रति किंचिदुच्यते । 'पुत्र, दवीयो देशान्तरं, 6 विषमा मार्गाः, कुटिलहृदया लोकाः, वञ्चनप्रगुणाः कामिन्यः, घनतरा दुर्जनाः, विरलाः सजनाः, दुष्परिपाल्यं ऋयाणकम् , दुर्धरं यौवनम्, विषमा कार्यगतिः, तावत्वया सर्वथैव क्वचन पण्डितेन, वचन 9मूर्खण, क्वचन दयालुना, वचन निष्कृपेण, क्वचन सूरेण, वचन कातरेण मार्गों निर्गमनीयः ।' इति 9 शिक्षावचोभिः सुतममन्दानन्दसंदोहमुग्धदुग्धाब्धिमध्यस्थं परिगलन्नयनयुगलजलं पिता विदधे । लोभदेवः कतिपयैरप्यनवरतप्रयाणकैदक्षिणापथमाश्रित्य कियतापि कालेन सोपारकपत्तनं प्राप्तवान् । 12 यत्रोत्पातः पतङ्गेषु वक्रता भ्रषु योषिताम् । प्रकम्पश्च पताकानां जनानां न कदाचन ॥११७ 12 प्रामाणिकेषु संवादः कन्यासु करपीडनम् । मथनं च दधिष्वेव भङ्गः पूगीफलेषु च ॥ ११८ सम्यग्भवोच्छित्तिविधौ नितान्तं सद्धर्मकर्माहितचेतसो ऽपि। शिवार्थिनो यत्र जना यतन्ते कुर्मः स्तुति कां नगरस्य तस्य ॥११९ यत्र विश्वोल्लासियशोद्यापरिगतो जनार्दन इव जनः सर्वमङ्गलोपचारचारश्च, पार्वतीपतिरिव विमोहयति । संगतो गणिकागणो धार्मिकलोकश्च । तत्र जीर्णश्रेष्ठिनो रुद्राभिधानस्य गुणश्रेणिनिधानस्य वेश्मनि वसता 18कियतापि कालेन तुरङ्गान् विक्रीयाधिकं धनमुपायं लोभदेवेन स्वगृहागमनोत्सुकमनसा बभूवे । तत्रा-18 यमाचारः। 'ये केचिद्वणिजस्तत्रत्या देशान्तरागता वा सायं ते सर्वे मिलित्या परस्परप्रीतिपूर्वकं क्रयविक्रयादिकेन किमुपार्जितम् , किं किं पण्यमद्य देशान्तरादागतम्' इति वार्ता वितन्वते । गन्धताम्बूलमाल्यादि परस्परं प्रयच्छन्ति । 21 ६२५) अन्यदा सलोभदेवस्तत्रैवोपविष्टस्तदा केनापि 'क्वापि देशान्तरे किमप्यल्पमूल्येन वस्तुनानल्पमूल्यं वस्तु प्राप्यते' इत्याचचक्षे । अथ केनचिद्वणिजा गोष्टयन्तःस्थेन प्रोक्तम् । 'यदहं दुस्तरं वारिधिमु24 लय रत्नद्वीपमगमम् । तत्र मया पिचुमन्दपत्राणि दत्त्वा रत्नानि स्वीचक्रिरे । एवं विक्रयक्रर्य विरचय्य 24 ध्यावृत्य क्षेमतयात्राहमागतः।' इमां वार्ता श्रुत्वा लोभतत्त्वाहितमनसा लोभदेवेन स्ववेश्मगमनाभिप्राय विमुच्य पुनर्नवीनद्रविणार्जनहेतवे चेतश्चके । ततो निजवेश्मागत्य निर्मितस्नानभोजनो यथाश्रुतं लोभदेवः अश्रेष्ठिरुद्रस्य पुरः कथयामास । 'तात रुद्र, तत्र रत्नद्वीपे गतानां महाँल्लाभ उत्पद्यते, यत्र निम्बपत्र रतान्ये-27 तानि प्राप्यन्ते । ततः किं मया न तत्र समुद्यमः क्रियते।' रुद्रष्टिनादिष्टम् 'वत्स, यावन्मात्री मनोरथो ऽर्थकामयोर्विधीयते तावन्मात्र एवं प्रसरति, 'लाभाल्लोभो हि वर्धते' इति न्यायात् । अग्रेतनमर्थसंचयं 30 स्वीकृत्य स्वदेशं गच्छ । किं च बहुलापाय जलधेरुल्लञ्चनम् । ततो ऽधिकलोमे मनो मा विधेहि । एतदेव 30 द्रविणं यथेच्छं भुख। दीनादीनां दानं ददस्व । दुर्गतं जातिसंबद्धं च समुद्धर । सर्वथैव धनस्य फलं गृहाण । निगृहाण च समधिकद्रव्यार्जनलक्षणं लोभराक्षसम् ।' एतदाकर्ण्य लोभदेवेन जल्पितम्। 33 'यः कार्ये दुर्गमे धीरः कार्यारम्भ न मुञ्चति । वक्षो ऽभिसारिकेव श्रीस्तस्य संश्रयते मुदा ॥ १२० 33 तथा तात, प्रारब्धकार्यनिर्वाहिमनसा पुंसा भवितव्यम् । त्वमपि मया सह रत्नद्वीपमागच्छ ।' श्रेष्ठिना भणितं 'ममागमनं न भावि केवलं त्वमेव व्रज'। लोभदेवेनोक्तम् 'कथं भवतस्तत्र गमनं न संपद्यते 36 तन्निवेदया' रुद्र श्रेष्ठी प्रोवाच । 'यदहं सप्तकृत्वः समुद्रान्तर्यानपात्रेण प्रविष्टः, परं सप्तकृत्वोऽपि मम वाहनं 36 भग्नम् , तावदहं नार्थस्यैतस्य भाजनम् ।' लोभदेवेन जल्पितम्। 'धर्माशोरपि प्रतिदिनमुदयाधिरोहप्रताप पतनानि किं पुनर्नान्यस्य इति परिभाव्य सर्वथैव कमलायाः समुपार्जने सावधानमनसा भाव्यम् । त्वया 39 रत्नद्वीपे मया सह समागन्तव्यमेव ।' श्रेष्ठी जगाद पुनः । 'वत्स, त्वां प्रति सांप्रतं किंचिद्वदामि, अत्र 39 यानपात्रे त्वमेव ऋयाणकनेता, अहं पुनर्मन्दभाग्यः' इति । ततस्तेन तदेवाङ्गीकृतम्।। 4)P दिशि for प्रति. 8)0 अतस्त्वया for तावत्वयः- 9) मर्पण for भूईण. 15) Bhas a marginal gloss 00 शिवार्थिनो etc. thus: विरोधोयं शिवार्थिन ईश्वरभक्तास्ते भवस्येश्वरस्योच्छेदविधौ कथं यत्नं कुर्वति विरोध (जंग) श्वेत्य शिवार्थिनो मोक्षार्थिनः । संसारोच्छेदविधी. 17)R bas a marginal gloss (on विमोहयति) thus : मोहमूद कारयति पक्षे विगतमोह करोति । संगमात् पक्षे संगतो मिलितः। 18) स्वगृहगमनों'. 19) Pतत्राधमाचा, देशांतरानागता, B देशांतरादागता, Pnom. सर्वे, ० परस्परं. 23) । यदसि दुस्तरवारिधि B यदस्मि दुत्तरवारिधि, P एनं विक्रयं यं. 26) स्ववेश्मगमनं विमुच्य, ० ततो विजोत्तारके समागत्य निर्मित. 28) Padds न before समुनमः.34) सम for सह. Jain Education Interational Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. $ 27 : Verse 127] कुवलयमालाकथा २ *23 1 ६२६) अथ सजीकृतं यानपात्रम् । गृह्यन्ते क्रयाणकानि । उपचर्यन्ते निर्यामकाः। निर्णीयते 1 निमित्तविद्भिर्यात्रादिवसः। स्थाप्यते लग्नम् । निरूप्यन्ते निमित्तानि । विलोक्यन्ते उपश्रुतयः। संमान्यन्ते विशिष्टजनाः । अय॑न्ते देवताः। सज्जीक्रियते सितपटः। ऊर्द्धः क्रियते कूपस्तम्भः। संगृह्यते काष्ठसंचयः। 3 स्थाप्यते परिग्रहः। आरोप्यते भक्तम् । भ्रियन्ते जलभाजनानि । एवं कुर्वतस्तस्य समागतो यात्रादिनः। तत्र च तौ कृतमजनौ मुदितचेतसौ सुमनोमालाविलेपनवासो ऽलङ्कारालंकृतौ द्वावपि सपरिजनौ यान6 पात्रमारुरुहतुः। चलितं यानपात्रम् । वादितानि तूर्याणि । चालितान्यरित्राणि । ततः प्रावर्तत गन्तुं 6 जलधौ यानपात्रम् । अनुकूलो वायुर्ववौ । कियतापि कालेन वहन रत्नद्वीपं ययौ । तस्मात्तावुत्तीर्यातीव रम्यतमं प्राभृतं गृहीत्वा भूपचरणयुगलमभिगम्य लब्धप्रसादविशदमानसौक्रयविक्रयं विरचय्य व्यावृत्य निजकुलाभिमुखमुत्सुको प्रचेलतुः। अनुकूलवायुना वहनं प्रेर्यमाणं समुद्रान्तः परिवीक्ष्य लोमदेवेन 9 व्यचिन्ति । 'अहो, प्राप्तो मनोरथादधिकतरो लाभः। संभृतं च रत्नैर्यानपात्रम् । तावत्तटं प्राप्तस्य वहन स्यैष मम भागी भावीति न सुन्दरमेतत् ।' इति चितयन् लोभदेवो ऽवगणय्य दाक्षिण्यं समवलम्ब्य 12 निष्करुणत्वं शरीरचिन्तायां समुपविष्टं रुद्रवेष्ठिनं जलधौ पातयामास । तस्मिन् यानपात्रे योजनत्रयमति-12 क्रान्ते लोभदेवेन महता शब्देन पूच्चके 'अये, धावत धावत, मम वयस्यो दुरुत्तारे प्रचुरमकरधोरे सागरे पपातेति।' इत्याकर्ण्य निर्यामकलोकः परिजनश्च वीक्षितुं प्रवृत्तः। तैरुक्तं 'कुत्र पपात'। तेन निगदितम् । 15 'अत्रैव पतितो मन्ये मकरेण गिलितश्च । मया जीवतापि किम् । अहमपि तद्वियोग दुस्सहमसहमान:15 प्राणत्यागं विधास्ये।' एतन्निशम्य सत्यं विमर्य.कर्णधारकैः परिजनेन च प्रबोध्य स्थापितः। यानपात्रमपि प्रचलितम् । स रुद्रश्रेष्ठी अकामनिर्जरया जलधौ महामकरवदनकुहरदंष्ट्राक्रकचगोचरीभृतोऽवसानं प्राप्य 18 रत्नप्रभापृथ्याःप्रथमे योजनसहने व्यन्तरभवने ऽल्पैश्वर्यपरोराक्षस उत्पेदे। तत्र तेन विभङ्गज्ञानवशतो 18 मकरण गिलितमात्मकायं गच्छद्यानपात्रं च विलोक्य चिन्तितम् । 'अरे, एतेन पापिना लोभदेवेनाहमत्र प्रक्षिप्तः। अहो, दुराचारस्यास्य साहसम् । न गणितः स्नेहसंबन्धः । न धृतश्चित्ते परोपकारः। न कृतं 21सौजन्यम्।' इति चिन्तयतस्तस्यानल्पः कोपानलो जज्वाल। पतेनेति चिन्तितम् । 'यद व्यापाद्य सद्य: 21 सर्वस्यार्थस्य भाजनं भविष्यामि । तत्तथा करिष्ये यथैतस्यापि नान्यस्य वा भवति। इति चिन्तयित्वा राक्षसो मध्ये समुद्रमाययौ। तत्र बहित्रं विलोक्य कौणपःप्रतिकूलमुपसर्ग कर्तुमारब्धवान् । $२७) अथाभूच्छयामलं मेघमण्डलं मरुदध्वनि । रुद्राभिधानं वीक्ष्येव श्रेष्टिनं गतजीवितम् ॥ १२१24 भ्राम्यन्ति परितोऽप्यभ्रं घना विद्युद्विलोचनाः पश्यन्तःश्रेष्ठिनमिव साः स्नेहिस्वभावतः॥१२२ वर्षन्त्यमोघधाराभिः खैरं धाराभृतो ऽम्बुधौ । निशातशरराजीभिरिव वीरा रणाङ्गणे ॥ १२३ विश्वमन्धीकृतं विश्वमुदितै—मयोनिभिः। पुत्रा अनुहरन्ते हि पितरं नितरामिह ॥ १२४ लोलकल्लोलमालाभिःप्रेर्यमाणं मुहर्महुः । प्रचण्डपवनोद्धतं प्राणिप्राणभयावहम् ॥ १२५ तद्रोषवशतः पारावारान्तर्वहनं वहत् । अगण्यपण्यसंकीर्ण त्वरितं स्फुटमस्फुटत् ॥ युग्मम् ॥ १२६ 30 लोभदेवो ऽम्बुधौ द्वीपमिव नीरं मराविव । भवितव्यतया प्राप फलकं तत्र चालगत् ॥ १२७ 30 सप्तभिरहोरात्रैस्ताराद्वीपमायातवान् । स तत्र समुद्रवेलावनपवनेन शीतलेन प्रत्युजीवित इव क्षणम् । ततस्तत्तीरवासिभिःकृष्णकायकान्तिभिः शोणलोचनर्यमदूतैरिव पुरुषैर्जगृहे । ततो लोभदेवो जगाद 'भव33 द्भिरहं कथं गृह्ये।' तैः कैतवेनोक्तम् । 'भद्र धीरो भव, मा विषादं भज, यदस्माकमेष नियोगः पोतवणिजो 33 ऽवस्थां पतितस्य स्वागतं विधीयते' इति । एवंविधं जल्पद्भिस्तैलोभदेवो गृहमानीय विनयवामनैर्विष्टरे निवेश्य सवनस्त्रानं भोजनाच्छादनविधि विधाय जल्पितः। 'भद्र, चेतसि विश्वासं समाधय, मा भयस्य 36भाजनं भव।' तत इत्याकर्ण्य चिन्तितमनेन । 'अहो, अयं कीदृगकारणवत्सलो लोकः। स यावदिति 36 चिन्तयन्नस्ति तावत्तनिष्कृपस्तं बद्धा बाढं शस्त्रेण मांसलप्रदेशं विदार्य मांसमुस्कर्तितं शोणितं च जगृहे। स पुनरौषधयोगेन विलिप्ताङ्गोऽक्षतशरीरो जज्ञे । पुनरपि षद्भिर्मासैरतीतैस्तस्य तदेव कृतम् । पुनरपिस 39 पटुतरशरीरः कृतः। एवमनया रीत्या तस्यास्थिपञ्जरावशेषस्य समुद्रान्तःस्थस्य द्वादशवत्सरी व्यतीयाय । 39 27 . 2) PB निमित्तवद्भिर्या'. 3) 05 सितपट B has a marginal gloss thus: सिढ इति प्रसिद्धः. b) Pा वासोलकारपरिवृतौ दावपि. 6) 0 अरित्राणि B has a marginal gloss आउला. 8) ० "भिगम्य नमश्चक्रतुः । (ततः) लब्ध, ० रत्नान्युपायं for व्यावृत्त्य, ० निजकुला'. 12) जलधौ घातयामास. 13) Pn inter. प्रचुरमकरधोरे & सागरे. 14) परजनश्च. 16) FB एतनिशम्य सम्यकर्णधारकैः. 19) P.B एतेन लोभदेवेन पापिना अहमन्त्र-29) B अगण्यपुष्य. 34) Pom.ति. 35) B सविनयस्नानभोजना", " विश्वासमाश्रय. 37) PP मांसमुत्कीर्तितं. www.jainelibrary in Education International Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *24 रत्नप्रभसूरिविरचिता [II. $ 28 : Verse 1281६२८) अन्यदा लोभदेवस्तत्क्षणोत्कर्तितमांसखण्डः प्रवहछोणितलिप्ततनु रण्डपक्षिणोत्क्षिप्तः। 1 तस्य व्योम्नि गच्छतः समुद्रोपरि परेण भारण्डपक्षिणा सह युध्यमानस्य भवितव्यतया चऋपुटस्थितो 3लोभदेवः सागरान्तः पपात । तज्जलेन निर्मितवेदनःसजन इव दुर्जनवचसा बहलतरकल्लोलमालाप्रेयमाणः 3 समुदेणापि मित्रविनाशमहापापकलुषितहृदय इव निष्कासितः। किमपि कूलं संप्राप्य तत्र क्षणमात्र शीतलमरुता समाश्वासितः काननान्तः संचरन् चटपादपतलं ददर्श। तत्र मरकतमणिकुट्टिमं सुगन्धनाना6 विधकुसुमसंचयचितं निरीक्ष्य लोभदेवो व्यचिन्तयत् । 'अहो, किल शास्त्रेषु श्रूयते, यथा देवाः स्वर्गे 6 वसन्ति तन्न ते रम्या रम्यविशेषज्ञाः । अन्यथा कथं लोकत्रयाह्लादकरमिमं प्रदेशं परित्यज्य त्रिदशास्त्रिदशालयमाश्रयन्ते । ध्यात्वेति स तत्र न्यग्रोधपादपाधस्तादुपविश्यातीवतीनवेदनातश्चिरं दध्यौ ।'स को धर्मः, येन देवा दिव्यभोगधारिणो देवलोके सुखमनुभवन्ति । तत्किं पापमस्ति, येन नरके नैरयिका 9 मदुखतो ऽप्यधिक दुःखमुद्वहन्ति । ततो मया किं पुनः पापमाचरितं यदेवंविधं दु:खनिकेतनम भवम् ।' इति चिन्तयतो लोभदेवस्य चेतसि सहसैव तीक्ष्णशरशल्यमिव रुद्रश्रेष्ठी स्थितः। ततः स 12चिन्तयामासेति। 12 ६२९) 'अहो, अस्मादृशां किं जीवितेन । __हतो वयस्यः सर्वस्य प्रियकारी कलानिधिः। श्रेष्ठी रुद्रो मया येन पापिना द्रव्यलोभतः ॥ १२८ 15 तावत्सांप्रतमपि तत्किमपि तादृशमाचरामि येन प्रियमित्रवधकलुषितमात्मानं तीर्थभुवि व्यापाद्य सर्व-15 पापविमुक्तो भवामि ।' इति चिन्तयन् लोभदेवः क्षणं सुप्तः, प्रबुद्धश्च एकस्यां दिशि कस्यापि मधुराक्षरां गिरमाकर्ण्य चिन्तितमनेन । 'अये न संस्कृतं प्राकृतमपभ्रंशं च । इयं तावश्चतुर्थी पैशाचिकी भाषा, 18 तावदाकर्णयामि ।' ततस्तेषां पिशाचानामिति परस्परमुल्लापःप्रवर्तते, तावदेकेनोक्तम् । 'यदिदं पापा-18 पनोदाय तपस्यतां पवनाभोगस्थानं रमणीयम् ।' अपरेणोक्तम् । 'इतोऽपि चारुश्चामीकराचलः।' अन्येन भणितम् । 'अस्मादपि तुहिनशिशिरशिलातलस्तुहिनगिरिरेव रमणीयः।' इतरेणोक्तम् । 'एवं मा मा 21वदत, सर्वपापापहारिणी सुरनिर्झरणी प्रधाना।' इति निशम्य तां प्रति प्रचलितो लोभदेवः परित्यक्त-21 लोभसंगः समुपागताभङ्गवैराग्यरङ्गः । क्रमेण च नरेश्वर, समागत्यात्रैव निविष्टः ।' एनं वृत्तान्तं भग वता कथितमाकर्ण्य व्रीडाप्रमोदविषादपरवशः श्रीधर्मनन्दनगुरुचरणमूलमवाप्य लोभदेवः प्रोवाच । 24 'यद्वन्धचरणारविन्दैरावेदितं तदवितथमेव । किमत्र मया कर्तव्यम् । ततः श्रीधर्मनन्दनमुनिपेन प्रोक्तम् । 24 'वत्स, सर्वथा मित्रवधसंभूतपापजातक्षयाय लोभमहानिशाचरमनीहाहेत्या पञ्चत्वमानीय विनयवामनो भूयसा तपसा पुराकृतकर्ममर्मनिर्मथनाय जैनतपस्यासरस्यां राजहंसलीलामलं कुरु । क्षान्तिकान्तासेवाअहेवाकितामाश्रय । कायोत्सर्गमुग्रमाचर। पापमहाराजप्राकृतीर्विकृतीः परिहर । यत्र न जरा न मृत्युन 27 व्याधिन चाधिन च दुःखं तच्छाश्वतं महोदयपदं विशदं ततः प्राप्स्यसि ।' तदाकर्ण्य लोभदेवेनोक्तम् । 'भगवन् , यदि तावदेतस्य चारित्रस्य योग्यो ऽस्मि ततो मम प्रवज्यादानप्रसादं विधेहि ।' भगवता 30 श्रीधर्मनन्दनेन गुरुणा पादपतितस्य तस्य बाष्पजलप्लतलोचनस्य प्रशान्तलोभस्य लोभदेवस्य प्रतमदायि । 30 ।इति लोभे लोभदेवकथा । ६३०) पुनरपि गुरुरुवाच । 'हन्ति हन्त महामोहस्तुहिनौघ इवोदितः। पढेरुहं विवेकाख्यं यशःपरिमलोर्जितम् ॥ १२९ सर्वदुःखमयो भूप भव एष जिनैर्मतः। तस्य स्वभावं जानन्ति महामोहहता नहि ॥ १३० भुषो ऽवतंसः संजज्ञे स एवागण्यपुण्यभाक् । सद्ध्वनौ न यः कापि ह्रियते मोहवाजिना ॥ १३१ 36 । अनेन मोहराजेन दुर्धरेण जगत्रयी। जिग्ये जिनमुनीन् मुक्त्वा तीवव्रतधुरंधरान् ॥ १३२ 36 सर्वदायमहो मोहो महासागरसंनिभः। न यस्य प्राप्यते स्ताघो महावंशरपि कचित् ॥ १३३ महामोहमोहितमनाः पुमान् गम्यागम्यमपि न विचारयति । स्वसारमप्यभिसरति । जनकमपि 39 मारयति । नरेश, यथेष पुरुषः।' विज्ञप्तं नृपतिना । 'स्वामिन् , अनेकलोकसंकुलायां सभायां कः पुरुषः, 39 इति नामि ।' तदवगम्य गुरुणा भणितम् । 'य एष तव दूरे दक्षिणदेशे वासवस्य लेप्यमय इव कार्याकार्यविचारविमुखो दृश्यमानसुन्दरावयवः स्थाणुरिव स्थितः। एतेन महामोहमोहितचेतनेन यत्कृतं 42 तच्छ्रयतामिति । 42 10) दुःखनिकेतनमिति. 12) Pom. किं. 18) PB प्रवर्तते । एकेनोक्तं. 29)inter. भगवन & यदि. 31) PP om. इति. 36) अन्येन for अनेन. 41) 0 वासवस्य वाभो लेप्यमय, P Bom. महा. Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. 833 : Verse 149 ] कुवलयमालाकथा २ 1 (३१) अस्ति समस्त कुशल जनावृतग्रामाभिरामः कोशलाभिधो जनपदः । तत्र परचक्रदुर्लङ्घया 1 कामिनीमुखचन्द्रचन्द्रिकात्यन्तधौतधवलगृहा कोशलाख्या नगरी । 3 6 9 12 15 27 स्वर्नदीसंगतैर्यत्र मरुल्लोलैर्ध्वजाञ्चलैः । मार्जयन्तीव शशिनः कलङ्कममरालयाः ॥ १३४ रमारामाभिरखिलैः सुभगंभावुकैर्गुणैः । मात्राधिकतया यत्र पराभूयन्त भूरिशः ॥ १३५ वातावधूतप्रासादधवलध्वजवेलनैः । यत्र त्रिपथगा व्योति सहस्रपथगाभवत् ॥ १३६ तत्र क्षत्रशिरोरनं पवित्रमतिभाजनम् । कोशलः कुशलः क्षोणीपालः प्रत्यर्थिकोशलः ॥ १३७ वाहिनी प्रसरविस्फुरद्रजोमण्डलेन रविरस्तदीधितिः । 33 * 25 ३२) अथ तस्य महीशक्रस्य मूर्त्या जयन्त इव परं नाकुलीनः सिंह इव विक्रमी न नखरायुधः, 15 सवितेव प्रकाशकरो न कठोरः, चन्द्र इव सर्वाह्लादकरो न कलङ्कितः, तोसलाख्यः संख्यावतां मुख्यस्तनूभवः समभवत् । एवंविधविविधगुणसंपूर्णेन तेनानिवारितप्रसरेण निजनगर्यां परिभ्रमता कदाचि 18 त्कस्यापि महतो नगरश्रेष्ठिनो हर्म्यरम्यगवाक्षविवरविनिर्गतं धाराधर पटलप्रकटीभूतपूर्णिमा कुमुदबा- 18 Fusfer बालिकाया वदनकमलं कुवलयदलदीर्घलोचनयुगलं ददृशे । सापि तमालोक्य साक्षादिव मनोभवमुद्दामानुरागसागरान्तर्निमग्नमानसा तदात्वमेव समजायत । तद्दर्शनेन तस्यापि चेतः पञ्चशरेण 21 परदारावलोकनेन जनितकोपेनेव तितउरिव पञ्चभिः शरैः शतच्छिद्रं व्यधायि । ततस्तेन निर्दयविषम- 21 शरप्रहार प्रसूतिवेदनाविवशेनेव दक्षिणकरेण वक्षःस्थलं पस्पृशे, वामेन नाभिपार्श्वे तर्जन्यङ्गुली चोर्डीकृता, तया च तन्निरीक्षणपरवशया वामेतरपाणिना कृपाणप्रतिकृतिः प्रकटिता । ततः कुमारस्तश्चेष्टित24 मालोक्य स्वावासं प्रति प्रचलितो व्यचिन्तयदिति । यस्य विक्रमगुणैकवर्णने न क्षमः फणभृतामपीश्वरः ॥ १३८ यदश्वीक्षुण्णक्षितिविततरेण्वा रविरपि क्षतज्योतिर्यत्सिन्धुरनिकरदानोदकभरैः । प्रर्वाहिन्यः प्रतिपथममन्दैः प्रतिरवैरहो निःश्वासनामजनि किल गर्जिर्जलभृताम् ॥ १३९ यस्य प्रयाणे पृथिवीश्वरस्य निःश्वासनादाः किल ये प्रसखुः । तएव विद्वेषि महीपतीनां पलायनोत्साहकरा बभूवुः ॥ १४० यद्यात्रास्वपि दुर्गलङ्घनलसन्निःश्वासनादैः स्फुरत्सैन्योद्भूतरजो भरैरविरतं प्रत्यर्थिपृथ्वीभृताम् । बाधिर्य श्रवणेष्वथान्ध्यमभवन्नेत्रेषु तस्य स्तुतिं कर्तुं न क्षमते सहस्ररसनो ऽप्युर्वीभृतो विक्रमे ॥ १४१ 36 यतः, 3 'यस्या मुखेन लावण्य पुण्येन द्विजनायकः । न्यक्कृतो ऽङ्कच्छलात्तुन्दे चिक्षेप क्षुरिकां निजे ॥ १४२ यदास्येन्दुदयादुललास लावण्यवारिधिः । यत्रामृतायितं वाचा दृष्टिभ्यां शफरीयितम् ॥ १४३ प्रवालायितमोष्ठाभ्यां मुक्तापङ्कीयितं द्विजैः । कूर्मायितं कुचाभ्यां च दोर्भ्यां वेत्रलतायितम् ॥ १४४ 27 इयं शृङ्गारसर्वस्वं राजधानी मनोभुवः । उद्दामयौवनप्राग्रहरा लावण्यदीर्घिका ॥ १४५ ret अस्या बालिकायाः सर्वरूपातिशायिरूपं, अहो अद्भुता कापि सौभाग्यभङ्गी, अहो विदग्धत्वम्, 30 अहो निरुपमा लावण्यलक्ष्मीः' इति ध्यायन्नेव निजावासमासदत् । साथ क्रमेण नयनपथातीते ऽपि 30 तस्मिन्नराधीश्वरनन्दने इभ्यतनया विषमबाणबाणप्रहार प्रसरजर्जरशरीरसर्वावयवा मुक्तदीर्घोष्णनिःश्वासधूमध्यामलीकृतशय्यागृहविचित्रचित्तभित्तिः शयनीये लुलोठ । दृष्टं मन्त्रमिव स्वान्ते स्मरन्ती तं नृपात्मजम् । सा तस्थौ सुकुमाराङ्गी कुरङ्गीनयना चिरम् || १४६ 33 न शय्यायां न च ज्यायां न जने न वने रतिः । तस्या न चन्द्रे नो चन्द्रे वियोगिन्याः कदाप्यभूत् ॥ १४७ शीतांशुरपि धर्माशुश्चन्दनं च हुताशनः । निशापि वासरस्तस्या वैपरीत्यं तदाभवत् ॥ १४८ 6 12 12 ) पलायिनोत्साह. 15 ) = bas & marginal gloss (on नखरायुधः) thus : नखरा नखा एवायुधं स्यादस्य स नखरायुधः कुमारः पुनर्न नखरायुधः कोऽर्थः खरायुध तीक्ष्णायुधः । तेन प्रकृत्यर्थवाचकौ ।. 16) B adds करः after कठोर :20) P सागरांतर निर्मग्न. 21 ) P लोकनजनित. 26 ) P यदास्येहृदयादु 38 ) PB दहनतप्त. 24 'योगिनां चन्दनाद्यैर्यैः शीतैः प्रीतिः प्रजायते । तनुज्र्ज्वलति तैरेव सततं विप्रयोगिणाम् ॥ १४९ ३३) स कुमारो यावदन्यदा तस्या हृदयहारिण्याः संगमोपायतोयेन दुस्सहविरहदहनोत्ततदेहू99 निर्वापणमभिलषन्नस्ति तावत्पर्यस्त किरणदण्डश्चण्डकिरणः पश्चिमाचलचूलिकावलम्बी बभूव । तदा- 39 ऽतिप्रसृते संतमसे कुसुमशरशर प्रसरव्यथितो 'दुःखेन विना सौख्यं नास्ति' इत्यवगम्य कुमारः समुद्तिष्ठत् । ततस्तोसलो निजं वसनं गाढं नियनय कुवलयदलश्यामलां यमजिह्वाकरालां क्षुरिकां कटीतटे 36 Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *26 रतप्रभत्रिविरचिता [II. $ 83 : Verse 1491बद्धा दक्षिणकरे वैरित्रीरवारनिशुम्भनं कृपाणरत्नमंसावलम्बितं वसुनन्दकं च कृत्वा रचितनीलपट-1 प्रावरणस्तत्सदनान्तिकमागत्य वियदुत्क्षिप्तकरणं दत्त्वा वातायनमाससाद । निर्मलप्रज्वलद्यष्टिप्रदीपप्रद्योतितावयवां पराङ्मुखीं शयनतले विनिविष्ठां तामेणलोचनामालोकत । कुमारेण पृथिव्यां वसुनन्द-3 कोपरि कृपाणं मुक्त्वा निभृतपदसंचारमुपगम्य तस्याः सुदृशो लोचने पाणिभ्यां पिहिते । ततस्तया सर्वाङ्गरोमाञ्चकचकमुद्वहन्त्या चिन्तितम् । यदद्य सर्वतो ममाझं पुलकितं बालमृणालिनीदलकोमलं कर6 किशलयं तज्जाने सैष मत्स्वान्तसर्वस्वतस्करः।' इति विमृश्य तयाभाणि 'अहो सौभाग्यनिधे,मां मुञ्च'। 6 कुमारेण हसता तन्नयनद्वयी शिथिलीचके। तया तस्य गृहागतस्य विनयवृत्त्याभ्युत्थानं विदधे। तया दत्ते प्रधाने [विष्टरे] कुमारः समुपाविशत् । कुमारेणोक्तं 'तव संगममिच्छामि । तयोदितम् । 'देव युक्तमेतत्परं कुलाङ्गनानां केवलं शीलपालनमेव हितम् ।' इत्याकर्ण्य कुमारेण जल्पितं 'यद्येवं भवती शील-9 वती ततो व्रजामि' । इत्युक्त्वा खगरत्नं वसुनन्दकं च स्वीकृत्य ससंभ्रममुत्तस्थौ । तया तं वखाञ्चले धृत्वा प्रोक्तम् । 'भद्र पारिपन्थिक इव मम हृदयं मुषित्वा कुत्र व्रजसि । यतस्त्वां बाहुलतापाशनियमित 12 करिष्ये।' इत्याकर्ण्य कुमारः स्थितः । तयोक्तम् । राजपुत्र, यदत्र परमार्थस्तं तावदाकर्णय पश्चा-12 द्यधुक्तं तत्कुर्याः। ___६३४) अस्त्येतस्यामेव कोशलायां श्रेष्ठी नन्दनाभिधः । तस्य पत्नी रत्नरेखाख्या । तत्कुक्षिसंभषा 15 सुवर्णदेवाभिधाना पित्रोरतीववल्लभा कन्यकास्मि । ततः पितृभ्यामहं विष्णुदत्तपुत्रस्य हरिदत्तस्य पाणि-15 पीडनाय प्रदत्ता । स च मामुपयम्य वाणिज्याय यानपात्रमारुह्य लङ्कापुरीमभिजग्मिवान् । तस्य प्रोषितस्याद्य द्वादशो वत्सरः सातिरेकः। विपन्नो जीवति वेति न ज्ञायते । एतं यौवनमहासागरमपारं काम18महावर्तगर्तदुस्तरं विषयमत्स्यकच्छपोत्कटमतिगहनं निरपवादमुल्लवन्यन्त्या ममेयन्ति दिनानि जातानि । 18 दुर्जेयतया विषयाणां चञ्चलतया चेन्द्रियग्रामस्यैकदा मम मानसे इति विकल्पसंकल्पमाला बभूव 'अहो जरामृत्युरोगशोकक्लेशप्रचुरे संसारे प्रियसंगमादपरं न किंचिच्छर्मास्ति, तच्च न विद्यते । ततो जागलस्तन इवारण्यमालतीकुसुममिव बधिरकर्णजाप इव निरर्थक मे जीवितम् । इति विचिन्त्य चिरं मरण-21 कृताध्यवसाया 'सुदृष्टं जीवलोकमद्य करोमि' इति यावद्वाक्षमारूढा तावत्तत्र भवितव्यतया भवान्मम लोचनगोचरं गतः। त्वां दृष्ट्वा रागपरवशा तत्कालमेव जातास्मि । त्वया च परामृष्टं हृदयम् , एकाङ्गुलि24 रुकृता । मया तदवगतं यदेतेन राजपुत्रेण मम संज्ञा कृता । हृदयपरिस्पर्शनेनेति कथितम् । 'यत्त्वं मम 24 हृदयस्याभीष्टतमा' । अङ्गल्या ऊकृतया चेति कथितं यदेकदा संगम ददस्व' इति । ततो मया तव खड्गानुकारी निजकर इति प्रदर्शितः, 'यदा किल त्वं खगबलेनैव समागच्छसि तदा तव संगमो नान्यथा' 27 इति । तदाप्रभृति राजपुत्र, तव संगमाशाबद्धमानसा को ऽपि मा शासीत्' इति वेपमाना कृतमरणनिश्चया यावदसि तावद्भवान् समायातवान् । ततः सांप्रतं विनष्टं विज्ञानम् , गलितो गुरुजनविनयः, परिमुषितं विवेकरत्नम्, विस्मृतो धर्मोपदेशो भवत्संगमेन । किंच यदि तावत्त्वया सह संगति करोमि 30 ततो मम कुलमन्दिरे दुशीलेत्येषा पराभवः स्वजनानां गुरुतरोऽपवादश्चेति । यदि लोकापवादः सह्यते 30 तदा तव ममापीप्सितं, अन्यथा मृत्युर्वरम्' इति जल्पन्ती सुदती निशाकरेणैव निशा गाढतरं कुमारेण समालिङ्गिता सफलीकृतयौवना च । प्रीत्या च दिवसे भाविस्वविरहविनोदचिह्नं निजनामाङ्कां मुद्रिका33 मेकां तस्यै स तदा ददौ । ततोऽलङ्कतदिग्विभागे संध्यारागे कुमारः सहसा तन्मन्दिरात्तेनैव प्रयोगेण 33 तद्यधागतं गतः। एवं च तस्यानुदिन प्रतिवसतस्तत्र तया सहाष्टमो मासो व्यतीयाय । तत्र च तथाविध. कर्मसंयोगेन भवितव्यतया नियोगेन सा गर्भवती बभूव । तत्सखीजननिवेदितवृत्तान्ताया रत्नरेखाया 36 मुखात् नन्दधेष्ठिना समवगत्य संजातकोपेन कोशलनरेश्वरस्य पुरो न्यवेदि । राशादिष्टम् । 'गच्छ 36 गृहेऽन्वेषयामि लग्नः । ततोराजादेशमवाप्य मन्त्रिणा सर्वत्र विलोकमानेन तोसलकुमारःप्राप्तः, विज्ञप्तं च राक्षे । ततो गुरुतरकोपस्फुरदधरेण धराधरेणादिष्टम् । सचिव, नाहमन्यायिनं पुत्रमपि सेहे, तदेनं 39 द्रुतमेव निगृहाण । सचिवो 'यदाज्ञापयति स्वामी' इति भणित्वा कुमारं केनापि व्याजेन श्मशानभूमि-39 मानिनाय । तत्र कार्याकार्यदक्षिणेन मन्त्रिणोक्तम् । 'कुमार, तव दुर्वृत्तेन तवोपरि कुपितस्ते पिता, भवान् वध्य आज्ञप्तोऽस्ति, स्वामिसुतत्वेन त्वमपि मम प्रभुः कथं त्वां व्यापादयामि । सदैवास्मि तव वंशसेवकः, 42 ततस्त्वं तथा व्रज यथा तव प्रवृत्तिरपि न श्रूयते । त्वया कापि न कथ्यं यदस्मि तोसलः।' इति भणित्वा 42 2) FB प्रज्वलयष्टि. 8) Pa om. विष्टरे. 14) B कोसलाय. 26) B inter. किलं त्वं. 30) P मत्कुलमंदिरे. 31) B निशाकरेणेव. 37)P B गृहमन्वेषयामि. 40) PB कुपितः पिता. 41) PB आज्ञप्तोसि, Prepeats (after यदस्मि) तव वैशसेवकः eto. to न कयं यदमि. Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. $ 37 : Verse 154] कुवलयमालाकथा २ *27 1मन्त्रिणा कुमारो विसर्जितः। कुमारोऽपि तदैव निर्गत्य प्रचुराणि पुराण्युल्लङ्घय क्रमेण पाटलीपुत्रमग-1 च्छत् । तदा तत्र च राजा जयवर्मा राज्यं पालयति स्म । स कुमारस्तत्र तस्य सेवापरोऽभवत् । ६३५) इतश्च तस्यां कोशलायां सा सुवर्णदेवा ज्ञातदुःशीलत्वेन बन्धुजनेन निन्द्यमाना जनेन 3 च कुमारविरहोद्विग्नमानसा गर्भभवदुःखभरबाधिता व्यचिन्तयदिति । ‘स कुत्र राजपुत्रो यो मां परित्यज्य ययौ' इति चिन्तयन्ती सा कस्याश्चित्सखीमुखात् 'तव दोषेण राजादेशतः सचिवेन कुमारो 6हतः' इति श्रुत्वा सगर्भत्वेनाकृततदनुमरणा निशीथे केनापि छद्मना गेहतो निर्गत्य भवितव्यतायोगेन 6 पाटलीपुत्रपुरं प्रति प्रचलता केनचित्सार्थेन सह चचाल । सा सुदती मन्दं मन्दं गच्छन्ती गर्भवेदनार्ता चरणचमणाप्रवीणा पश्चात्सात्परिभ्रथा तालहिन्तालतमालकदम्बजम्बूजम्बीरादिफलदलशतसंकुले 9महाकानने मूढदिग्विभागा अपरिक्षातनिगमा तृष्णातरलितचेतोवृत्तिः क्षुधार्ता श्यामचदना पथधान्ता 9 सिंहनिनादविद्रता व्याघ्रदर्शनवेपमानहृदया दुरध्वपतिता विलापानकार्षीदिति । 'हा तात, अहमभीष्ट तमापि त्वया परित्राणं न कृतम् । हा मातः, ममापि त्वया रक्षणं न कृतम् । हा प्रियतम, यस्य तव कृते 12 मया हेलयापि शीलं कुलं यशस्त्रपा सखीजनश्च पटप्रान्तलग्नतृणवद् वेश्मप्रमार्जनोद्धतावस्करवत् सर्वमपि 12 तत्यजे, स त्वमपि मामुपेक्षसे।' इति विलपन्ती मूञ्छिता धरायां पपात । अत्रान्तरे कुमुदिनीविभुस्तां मृतामिवावगत्य दुःखार्तो विश्रस्तकरः प्रतीचीजलनिधेरन्तः परिममन्ज । ततो महागजेन्द्रयूथमलिने 16 विन्ध्यगिरिशिखरमालानीले समन्ततः प्रस्ते संतमससमूहे शीतलेन वायुना जातानुकम्पेनेव समाश्वा-16 सिता सा । ततस्तस्मिन्महाभीमे वने एकाकिनी अशरणा सुवर्णदेवा प्रसूता एकं दारकं द्वितीयां दारिकां च। ततश्च । 18 सुतजन्ममुदारण्ये वासार्त्या तन्मनः क्षणम् । जनसे ऽहर्मुखमिव भासा भूच्छाययापि च ॥ १५०18 । सा च प्रलपितुमारेमे । पित्रा मात्रा च भर्चा च स्वजनेन च वर्जितावत्स त्वमेव शरणं त्वं गतिस्त्वं मतिर्मम ॥ १५१ 21 पिता पाति च कौमारे यौवने रक्षति प्रियः। स्थविरत्वे तनूजस्तु निर्माथा स्त्री कदापि न ॥ १५२ 21 इतश्चाहर्पतिःप्राप पूर्वपर्वतमस्तकम । तस्या दुष्टमहाकष्टतिरस्कारकृताविव ॥१५३ उदितस्तेजसामीशः कोपाटोपादिवारुणः । वर्णलोपकृतो ध्वान्तसंघातस्य विघातने ॥ १५४ 24 ६३६) एवंविधे प्रत्यूषप्रस्तावे चिन्तितमनया। 'किमधुना मया कार्य तावन्मरणं न वरम् , यतो 24 बालयुगलं मयि मृतायां मृतमेव, तदस्य पालनमेव संप्रति श्रेयः' । इति ध्यात्वा गता कस्यापि ग्रामस्य परिसरम् । ततस्तोसलराजपुत्रनामाङ्कां मुद्रां बालस्य कण्ठे निक्षिप्य निजनामाङ्कितमुद्रां बालिकायाश्च 27 निजोत्तरीयप्रान्तद्वयेन दारकं दारिकां च पृथग्ग्रन्थी बबन्ध । तद्वालयुगलं तत्र मुफ्त्वा स्वयं सुवर्णदेवा 27 शरीरचैवर्ण्यनिराकरणाय विन्ध्याचलोपत्यकानिर्झरणमुपाजगाम । अत्रान्तरे नवप्रसूता व्याघ्री स्वशि शोभेक्ष्यार्थ भ्रमन्ती नवशोणितगन्धहतचित्ता चीवरोभयप्रान्तबद्धं बालयुगलं जग्राह । तस्या वजन्त्या 30 वसनान्तबद्धादारिका पथिपपात,नच तया गलितापि दारिकाशायि । तदा च पाटलीपुत्रेशश्रीजयवर्मनृप-30 स्थागतः सभायेस्तत्र दुतः। स तां दारिकां दृष्ट्रा गृहीत्वा च निरपत्यायाः स्वभार्यायाः समर्पयामास । ती व दम्पतीक्रमेण तां पुत्रीमङ्गीकृत्य पाटलीपुत्रमायातौ । ताभ्यां तस्या बालिकाया वनदत्तेति नाम विदघे। 38 ६३७) इतश्च व्याघ्री स्तोकं भूभागमुपेता कुतोऽपि कार्यान्तरात्तत्रायातेन राज्ञः श्रीजयवर्मणो राज-33 पुत्रशबरशीलेन व्याघ्र इतिकृत्वा गुरुतरशल्यप्रहारेण हता मृताच । तं च बालकं कोमलमृणालदेहं रतोत्पलसमक्रमयुगलं विकस्वरेन्दीवरनयनं पार्वणचन्द्राननं स ददर्श । ततस्तं शबरशील:प्रमुदितचेतानिज36 प्रियतमायै 'तव पुत्रः' इति वितीर्णवान् । तत्कान्तया 'प्रसादः' इति भणितम् । वर्धापनकमहोत्सवं 36 विधाय द्वादशे दिवसे पित्रा तस्य पुत्रस्य व्याघ्रदत्त इति नामधेयं गुण्यं ददे। सर्वत्र च नगरान्तस्तदास्य प्रच्छन्नगर्भा पत्नी प्रसूतेति विदितमभवत् । शबरशीलस्तेन बालकेन साकं पाटलीपुत्रमवाप । तत्र च 39 समानशीलराजपुत्रैः सार्ध क्रीडां कुर्वतस्तस्य महामोहमोहितचेतसो लोकेन मोहदत्त इति संशा कृता । 39 एवं मोहदत्तः सह कलाकलापेन वयसा गुणगणेन च वर्धितुमारेभे। इतश्च सुवर्णदेवा गात्रपावित्र्यं निर्माय समागता बालकयुग्ममप्रेक्षमाणा मूर्छिता । पुनरपि वायुना लब्धचैतन्या चिरं विललाप । ततः 42 स्वयमेव सा स्वं संबोध्य ततः स्थानात् प्रचलिता। पुरतो व्याघ्रीपदानि दृष्ट्वा व्याध्या बालकयुगलं 42 7) प्रतिचलता. 10) Bहा ताताहमभीष्टतमापि त्वया परित्यक्ता । हा. 1) Pom. हा मातः eto. कृतम् ।, B परित्राणं for रक्षण. 12) o inter. शील & कुलं. 14) PB वावगम्य। 15)PP गिरिशिषरशिषरिमाला. 25) B तद for तदस्य. 27) दारकं च दारिका, सुवर्णदेवी. 30) P जयवर्मानृपस्या'.32) PBokkh तया for ताभ्यां 37) om. पुत्रस्य. 40) PB सकल for सह, B सुवर्णदेवी. 42)P Bom. सा. wwwww. Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 28 रत्नप्रभसूरिविरचिता [II.838 : Verse 1551भक्षितमिति चिन्तयन्ती तदनुमार्गमनुसरन्ती कस्मिन्नपि गोष्ठे कस्याश्चिदाभीर्या वेश्मनि समागता । तया 1 'दुहिता' इति स्थापिता। तत्र कियन्ति दिनानि स्थित्वा ग्रामानुग्रामं परिभ्रमन्ती पाटलीपुत्रं साप्या3 याता । तत्र कर्मसंयोगेन तस्मिन्नेव दूतगृहे सा प्रविष्टा । तत्र च दूतकान्तया तहुहिता तस्या एव प्रति- 3 पालनार्थमर्पिता । सुवर्णदेवा तामात्मीयां सुतामजानन्ती केवलं तत्सुतामेव हृदि भावयन्ती तां वर्धयितुमारभत । सा सुता क्रमेणोदग्रयौवनप्राग्रहरा लावण्यातिशायिनी सौभाग्यभूमिका चातुर्यधुर्या जाता। 6. ३८) इतश्च जनमनःप्रमोदभरदायिनि मधुरमधुकरनिकरध्वनिताकुले वसन्तकाले मदनत्रयोदश्यां 6 बायोद्याने कामदेवस्य यात्रां वीक्षितुं मातृसखीपरिवृता गता वनदत्ता । स्वैरं परिभ्रमन्ती च तत्रागतेन मोहदत्तेन विलोकिता, तया च सः । तयोः परस्परं विलोकनेन प्रीतिः समभूत् । तत्रान्योन्यदर्शननीरसंसिक्तस्नेहमहीरुहं मिथुनं महती वेलां यावत्तस्थौ, तावत्सुवर्णदेवया स्वदुहितरि गाढतरं मोहदत्तानुराग 9 विभाव्य जल्पितम्। 'वत्से, तवेहागताया गुर्वी वेलाजाता, तव पितापि दुःखाकुलितमानसो भविष्यतीति तावत्प्रवर्तस्व गृहं व्रजामः । यदि तावत्तव कौतुकं ततो वत्से, मदनोत्सवे निवृत्ते निर्जने कानने समागत्य 12 पुनर्निजेच्छया भगवन्तमनझं विलोकयेः' इति जल्पन्ती तया समं वनान्निर्गता । चिन्तितं च मोहदत्तेन । 12 'अहो, एतस्या ममोपरिसमस्ति स्नेहः' इति सुवर्णदेवावचोऽवश्यं संकेतजनक परिभावयन्मोहदत्तः काननानिःससार । सा वनदत्ता काममहापिशाचग्रस्तेन देहेन निकेतनमायाता न पुनश्चेतसा । तत्रापि 16 गुरुविरहज्वलनज्वालावलीकरालदेहा ___16 कडेल्लिपल्लवाकीर्णशयनीयतलस्थिता । वितीर्णास्थानहुंकारा कामज्वरभरातुरा ॥ १५५ मृणालवलया रम्भादलावरणसंवृता । चन्दनद्वसंसर्गसर्वाङ्गलतिका तदा ॥ १५६ निर्गच्छदुष्णनिःश्वासशुष्यमाणाधरावनी। परित्यक्तकलाभ्यासपुष्पताम्बूलभूषणा॥ १५७ 18 विच्छायवदनाम्भोजा दिवा चन्द्रकलेव या । न पत्यके न वा भूमितले प्राप्तसुखाभवत् ॥१५८ चतुर्भिः कलापकम् ॥ 21 ६३९) वनदत्तान्यदा मदनोत्सवे ध्यतीते तस्मिन्नेवोद्याने गन्तुकामा जननीसखीजनान्विता राज-21 मार्गे तोसलराजपुत्रेण वीक्षिता । देशान्तरपरावर्तितरूपयौवनलावण्यवर्णस्तोसलस्तया सुवर्णदेवया न प्रत्यभिशातः । तेन सापि दूरदेशान्तरासंभावनीयसमागमा नावगता । केवलं तस्य तोसल24 राजपुत्रस्य वनदत्ताया उपरि महती प्रीतिरुत्पन्ना। चिन्तितं च तेन । 'एतां चारुलोचनां द्रध्यदानेन 24 विक्रमेण बापरेण वाप्युपायेन परिणेष्यामि । सुन्दरमभवद्योषा बाह्योद्यानभुवं प्राप्ता । ततोऽहमपि तदनुमार्गलग्नो यास्यामि' इति विचिन्तयन् गन्तुं प्रवृत्तः । सा च वनदत्ता करिणीव सुललितगमना अक्रमेण वनान्तर्विचचार । इतश्च गुरुतरानुरागदत्तहृदयेन तोसलेन लोकापवादमनपेक्ष्य दूरतो वीडां 27 विमुच्य जीविताशामपि परित्यज्य भयमवगणय्य चिन्तितम् 'अयमत्रावसर इति। ततः कर्षितकराल करवालो महामोहमूढमानसस्तोसलो बभाण । 'भद्रे, यदि जीवितेन ते कार्य तदा मयैव समं रमखेति । 30 अन्यथा कृपाणलतयानया भवती कथाशेषां करिष्ये।' तत्तादृशं वृत्तं वीक्ष्य हाहारवमुखरे सखीजने 30 सुवर्णदेवया च पूश्चक्रे । 'भो भो जनाः, त्वरितं प्रधावत प्रधावत, अनेन मम पुत्री निरपराधैव कानने व्याधेन हरिणीव विनाश्यते।' 33 ६४०) इतश्च सहसा मोहदत्तः कदलीगेहतः कर्षितनिस्त्रिंशो निःसृत्य प्रोवाच । 'रे रे पुरुषाधम 33 अग्राह्यनामधेय निरप, स्त्रीषु प्रहरसि । अहमस्या रक्षकस्तन्मम संमुखो भव।' इति श्रुत्वा तोसलस्तदमिमुखं प्रत्यधावत । तोसलेन मोहदत्तस्य कृपाणप्रहारः प्रदत्तः । तेन च मोहदत्तेन करणकौशलेन 36 तस्य प्रहारं वञ्चयित्वा प्रतिप्रहारेण तोसलराजपुत्रः कृतान्तदन्तक्रकचगोचरीकृतः। ततो मोहदत्तो वन-36 दत्ताभिमुखं चलितः । तया स जीवितदातेति प्रियः प्रतिपन्नः । सुता जीवितेति हृष्टमानसा सुवर्णदेवा समभवत् । मोहदत्तेन भणितम् । 'भद्रे, विश्वस्ता भव, कम्पं मुञ्च, भयं मा कार्षीः।' ततस्तेन मोहितेन 39 मोहदत्तेनालिन्य यावत्तया सह रंस्यते तावदकस्मादेव दीर्घमधुरः स्वरस्तस्य कर्णातिथित्वं भेजे। 39 _ 'जनकं मारयित्वापि जनन्याः पुरतोऽपि च । अरे रिरंससे मूढ स्वसारमपि संप्रति ॥' १५९ ततो मोहदत्तेन विलोकितो ऽपि क्वापि को ऽपि न दृष्टः । एवं वारत्रयाकर्णनजातशङ्कः कोपकौतृहला42 बद्धचित्तः खगरत्नव्यग्रपाणिर्मोहदत्तः सर्वतः काननान्तर्विलोकितुं प्रारेमे । तावद्भगवान् साक्षादिव धर्म 42 निर्वते. 13) मस्तस्नेछ 4) सुवर्णदेवी, PB on. ता. 7)P परिभृता. 8) PB om. तया च सः। 11) 26) Pom. च. 30) 0"मुखरेण सखीजनेन. 41) Bom. विलोकितोऽपि, 'जाताशंक: Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -II. 42 : Verse 177] कुवलयमालाकथा २ *29 1एको ऽनगारचूडामणिस्तस्य दृग्गोचरमागतः । 'अमुना मुनिपतिना जल्पितम्' इति चिन्तयन्मोहदत्तः 1 श्रमणक्रमणयुगलमभिनम्य नातिदूरे निविष्टः सुवर्णदेवा वनदत्ता सखीजनश्च । ततो मोहदत्तन विज्ञप्तम् । 'भगवन् , यत्त्वं कथयसि मातुःपुरतः पितरं व्यापार स्वसारमभिरमसे तत्कथं ममायं पिता, कथमियं 3 माता, कथं चेयं स्वसा, इति ।' ततः स मुनिपतिः कोशलाया आरभ्य वृत्तं तोसलमृति यावत्तत्पुरः स्पष्टमाचष्टे । एकं तावदकृत्यं कृतं यत्त्वया पूर्व जनकस्तोसलो व्यापादितः, इदं तावद्वितीयं यत्त्वं भगिनी6 मभिवाञ्छसि । ततः सर्वथा धिर महामोहविलसितम् ।' एतन्निशम्य सुवर्णदेवा वनदत्ताप्यघोमुखी 6 बभूव। ४१) मोहदत्तोऽपि निविण्णकामभोगो महाशुचिसमं मानुषत्वं मन्यमानः प्रचुरतरवैराग्यमार्ग9 मनुलग्नो जजल्पेदम्। 'अनन्तदुःखवृक्षाणां मूलमशानमेव च । अज्ञानमेव वृजिनं भयमशानमेव च ॥ १६० ततो मुनीश, मम कथय मया सर्वथैवाधन्येन किमाचरणीयम्, येन सकलमपि पापं मूलादेव 12 विनश्यति ।' भगवता समाख्यातम् । 12 'कलत्रपुत्रमित्रादि सर्वमुत्सृज्य सर्वथा । दीक्षां भज भवाम्भोधिमङ्गिनीमङ्गिनीमिव ॥ १६१ मोहदत्तेनेति जल्पितं 'भगवन् , मां प्रव्रज्यासंगतं तर्हि तनु । मुनिनादिष्टम् । 'यदहं चारणश्रमणो न 15 गच्छप्रतिबद्धस्तेन तव व्रतं दातुमनीशः।' तथा 16 दशाट यस्य पञ्चाशद योजनानि यथाक्रमम् । विस्तारे शिखरे मूले प्रोचुः सिद्धान्तवेदिनः॥१६२ श्रीनाभिनन्दनो यत्र पवित्रितजगत्रयः। अवस्थिति स्वयं चक्रे स शैलेषु शिरोमणिः ॥ १६३ कर्माण्यपि विजृम्भन्ते यत्र तावद्वपुष्मताम् । श्रीनाभिसूनुर्नाभ्येति यावल्लोचनगोचरम् ॥ १६४ 18 कर्मभपुण्डरीकश्रीः पुण्डरीकमहामुनिः। यत्रावृतः शिवं प्राप पञ्चभिर्मुनिकोटिभिः॥ १६५ यस्मिन्नमिविनम्याख्यो विद्याधरपती तथा। मुनिकोटिद्वयीयुक्तौ परमं पदमीयतुः॥ १६६ श्रीरामभरतौ वालिखिल्यानां दशकोटयः । प्रद्युम्नादिकुमाराणां सार्धास्तिस्रश्च कोटयः॥ १६७ 21 नारदः पाण्डवाः पञ्च परे ऽपि मुनिपुङ्गवाः। यत्रापुः क्षीणकर्माणः सर्वदुःखक्षयं पदम् ॥ युग्मम् ॥ यौकस्यापि सिद्धिः स्यात् तत्तीर्थ जगदुत्तमम् । अस्य किं प्रोच्यते यत्र निर्वृता मुनिकोटयः ॥ १६९ यत्र भूमीरुहश्रेणीरमणीयसमुच्छलात् । जिनाधिस्पर्शरहितान् हसत्यन्यमहीधरान् ॥ १७० 24 स्फुरनिर्झरझात्कारैर्य एवमिव जल्पति । जनाः किमन्यतीर्थेषु भ्रमन्ते हा विहाय माम् ॥ १७१ अतीवगुप्ता यत्रास्ति शङ्के वश्यार्थमोषधी । तद्वणोति स्वयं सिद्धिःप्रकामं कामवर्जिता ॥ १७२ 27६४२) तत्र श्रीशत्रुञ्जये महातीर्थ मया गच्छना गगनतलेनावधिज्ञानतः परिक्षातं त्वया निहतं 27 जनकं, चिन्तितम् 'एकमकार्य कृतमनेन यावद्वितीयं नाचरति तावत्संबोधयाम्येनम्। 'अयं तावद्भव्यः परमनेन मोहमोहितचेतसा विहितमहितम् ।। 30 लक्षयोजनमानेन कलितं काञ्चनाचलम् । निवेशयन्ति दण्डस्य पदे ये चैकहेलया ॥ १७३ 30 स्वयंभूरमणाभिख्यं सागरं ये जिनेश्वराः। तरन्ति दुस्तरं बाहुदण्डाभ्यामपि लीलया ॥ १७४ एकेन भुजदण्डेन धरामपि सभूधराम् । आतपत्रसिव क्षिप्रं लीलयैव धरन्ति ये॥१७५ 33 त्रिलोकीतिलकास्ते ऽपि कर्मादेशवशंवदाः। किमुच्यते वराकस्य भवतो मोहदत्त ही॥ १७६ 33 __ अतो मया संप्रति वियतः समुत्तीर्य त्वं प्रतिबोधितः।' विज्ञप्तं मोहदत्तेन 'भगवन् , कथं पुनः प्रव्रज्या प्राप्या' इति । मुनिना भणितम् । 'वज त्वं कौशाम्ब्यां दक्षिणे पार्श्वे भूपतेः पुरन्दरदत्तस्योद्याने 36 समवसृतं श्रीधर्मनन्दनं मुनिप्रधान गणाधिपं द्रक्ष्यसि । तत्र स गणभृत्तमः स्वयमेव तव वृत्तान्तमवगत्य 36 दीक्षां दास्यति ।' इति वदन् कुवलयदलश्यामलं गगनतलमुत्पतितः। भोः पुरन्दरदत्तमहाराज, सैष तद्वचनं श्रुत्वा गृहवासं परित्यज्य मामन्वेषयनिहागत इति।' एवं च तदाकर्ण्य मोहदत्तेन भणितम् । 39'भगवन् , इदमित्थमेव किमपि नालीकं तावन्मां प्रवज्याभाजनं विधेहि।' श्रीधर्मनन्दमगुरुर्गुरुगीरवा) मोहव्यपोहविशदीकृतचित्तवृत्तौ । दीक्षां जिनेशगदितामथ मोहदत्ते दत्ते स्म सर्वसुखसिद्धिपदस्य बीजम् ॥ १७७ 24 39 2) PBom. ततो. 3)P Bom. कथयसि. 4) PB कोसलाया. 8) समान for सम. 10) Bom. च । भझानमेव eto. ending with च. 23) स्यात्तत्तीर्थ. 26) B'मौषधी. 27) B परिज्ञाय त्वया, PB निहित. 29) Prepeats चेतसा विहितं. 30) P om. लक्षयोजनमाने. 33) Padds लक्षयोजनमानेन कलित का before त्रिलोकीति 34) महा for मया. 37) B भो.41) PB सिद्धपदस्थ. Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 30 रत्नप्रभसूरिविरचिता [ II. § 42 : Verse 177 - 1 पुनरपि श्रीधर्मनन्दनेन भणितम् । 'भो वासव मन्त्रिवासव, यत्त्वया पृष्टं यथैतस्य चतुर्गतिलक्षणस्य 1 संसारस्य किं प्रथमं कारणम् । तत्रामी महामलाः पञ्च क्रोधमान माया लोभमोहाः प्रवृत्ता जीवं 3 दौर्गत्यपथमुपनयन्ति ।' इत्याचार्यश्री परमानन्दसूरिशिष्य श्रीरत्नप्रभ सूरिविरचिते कुवलयमालाकथासंक्षेपे श्रीप्रद्युम्न सूरिशोधिते क्रोधमानादिकषाय च तुष्टयतथा मोहस्वरूपवर्णनो नाम प्रस्तावो द्वितीयः ॥ २ ॥ 6 [ अथ तृतीयः प्रस्तावः ] ११) ततः स नृपतिः प्रमुदितचेताः सदामन्दानन्दकन्द कन्दलनाम्बुदस्य श्रीधर्मनन्दनस्य मुखतः कषायादिविपाक फललक्षणदेशनावचनामृतं तृष्णातरलित इव निपीय सदसः समुत्थाय निजं धाम समा9 जगाम । इतश्च दिवसाधीश्वरे ऽस्तगिरिशिखरमुपागते सायन्तनविधिं विधिवद्विधाय वसुधाधिपतिरचि- 9 न्तयत् । ' अस्मिन् मदनसित्रे महोत्सवे ईदृशे प्रदोषे ते साधवः किं कुर्वन्ति, किं यथावादिनस्तथाविधायिनः, किं वान्यथा, त्रिलोकयामि' इति विचिन्त्यालक्षितः सर्वत्र प्रसृते तमोभरे कटीतटनिबद्धरिकः कृपाण12 पाणिरे काकी भूपतिः सौधान्निर्गत्य नगरान्तररथ्यासु मिथुनानां दूतीनामभिसारिकाणां च प्रभूतान्परस्प- 12 रालापानाकर्णयन् कस्मिँश्विचत्वरे सान्धकारे स्तम्भमिव वृषभेणोद्धृष्यमाणमूर्द्धदमं कमपि मुनिं प्रतिमास्थं कृशाङ्गं दवदग्धस्थाणुसदृशं मन्दाराचलवन्निश्चलं वीक्ष्य दिवा स्तम्भो ऽत्र नाभूत् 'किं को ऽपि धर्मनन्द15 नसंबन्धी व्रती, अथवान्यः कोऽपि दुष्टः पुमान्, अनेन रूपेण तावत्परीक्षामस्य रचयामि' इति ध्यात्वाकृष्ट- 10 रिष्टित हतेति वदन्नासन्नमागतः । तमक्षुब्धं मुनिं वीक्ष्य निश्चित्य स्तुतिं कुर्वन् प्रदक्षिणात्रयं पूर्वं दत्त्वा प्रणिपत्य पुरतो ऽगच्छद्विद्युदुत्क्षिप्त करणेन । ततो ऽसौ दुर्लङ्घयं प्राकारमुल्लङ्घयोद्यानासन्न सिन्दूरकुट्टिमतलमाज18 गाम । तत्र च तेन भूभुजा श्रीधर्मनन्दनाचार्यस्य केचित्साधवो मधुरस्वरेण स्वाध्यायं विरचयन्तः केचिद्धर्म- 18 शास्त्राणि पठन्तः केचित्पदस्थ पिण्डस्थरूपस्थरूपातीत ध्यान दत्तावधानाः केचिदुरुचरणशुश्रूषापरायणाः केचिद्विचाराचारपरा विलोकिताः । ततो नृपतिर्दध्याविति । 'अहो यथाभिधायी तथाविधायी' । 'भगवान् 21 क पुनः, स स्वयं किं करोति ।' इति विमृशंस्तद्दिन दीक्षितानां तेषां पञ्चानामपि मुनीनां पुरो धर्ममुपदि - 21 शन्तं निशम्य किं कथयत्येषामथे ।' इति विचिन्त्य नरेश्वरस्तमालतरुमूले निषण्ण इत्यश्रौषीत् । 'भो भो देवानांप्रियाः, कथमपि जीवा इमे पृथिव्यप्तेजोवायुवनस्पतिष्वनन्तकालं भ्रान्त्वा द्वीन्द्रियत्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रि24 यतामवाप्य तिर्यक्पञ्चेन्द्रियत्वं च ततश्चातीवदुर्लभं मनुष्यजन्म लभन्ते । तत्राप्यार्यदेशप्रशस्य जाति सुकुल- 24 सर्वेन्द्रियपटुत्वनीरोगताजीवितव्यमनोवासनासद्गुरुसमायोगतद्वचःश्रवणानि दुष्प्रापाणि । इयत्यां सामग्र्यां संपन्नायामपि जिनप्रणीतबोधिरत्नमतीव दुर्लभम् । तच्च लब्ध्वा धर्म प्रति संशयेन अन्यान्यधर्माभिला27 पेण फलं प्रति संदेहेन कुतीर्थिकप्रशंसया तत्परिचयेन चतुर्भिः कषायैः पञ्चभिर्विषयैर्व्यामूढा वृथा 27 निर्गमयन्ति सम्यक्त्वम् । एके च 'ज्ञानमेव प्रधानम्' इति वदन्तः क्रियाहीनाः पङ्गवत् । अपरे च 'क्रियैव प्रशस्या' इति मन्यमाना अन्धवद्भवदवान्तर्विनश्यन्ति मोहमोहिताः ।' इति कथयति भगवति 30 नृपतिर्थ्यातवान् । 'तावत्सर्वमपि सत्यमेतत् । किं पुनरिदं दुर्लभं राज्यं महिलाप्रभवं शर्म परिजनसुखं 30 चानुपाय पश्चाद्धर्ममाचरिष्यामि, इति चिन्तयतस्तस्य महीभृतः श्रीधर्मनन्दनगुरुणा ज्ञानेन भावमुपलक्ष्य तेषामेव पञ्चानां पुरः प्रोचे । 'यदेतद्राज्य सौख्यं स्त्रियश्च लोके सर्वमेतदनित्यं तुच्छं चेति । पुनः सिद्धि33 भवं सुखमनन्तमक्षयमव्याबाधं चेति ।' 7) B adds on the margin गुरो befor मुखत:. 8) B puts No. 1 on फल and No. 2 on विपाक, B adds on the margin चेता after तरलित 10 ) B मित्रमहोत्सवे. 14 ) PB om. कोऽपि after किं. 15 ) P रूपे तावत्. 16) PB om. दत्त्वा 19 ) o inter. पदस्थ and पिण्डस्थ. 21 ) Pom. तेषां B trans. तेषां after मुनीनां 25 ) P " तद्वचनश्रवणानि 33 ) Pनंतक्षयम 37 ) B adds मरुपांध: शाखिनमिव after वैश्वानरमिव, B तृष्टा for तृषा. 3 ( २ ) अस्ति समस्त पुरवरं पाटलीपुत्रं पुरम् । तत्र धनो धनेन धनद इव वणिगुत्तमः । सो ऽन्यदा यानपात्रेण रत्नद्वीपं प्रति प्रचलितः । तस्य संचरतः समुद्रान्तः प्रचण्डेन वायुना समुल्लसताभ्रंलिह96 कल्लोलमालाभिः प्रेर्यमाणं यानपात्रं पुस्फोट । स धनस्तदा क्षुधाक्षामकुक्षिराहारमिव, हिमार्तो वैश्वानर- 36 मित्र, तृषाकान्तस्तोयमिव फलकमेकं प्राप्य सप्तभिर्वासरैः कटुकफलसमाकुलपादपशतसंकुलं संसारमिवालब्धपारं विषमिव महाविषमं कुडङ्गद्वीपमाशिश्राय । तत्र तेन स्वैरं परिभ्रमता सहसापरः पुरुषो 39 दहशे । धनस्तं निरीक्ष्य हर्षितवदनो भव्यजीव इव जैनधर्म स्वच्छमनाः पप्रच्छ । 'कुत्रत्यः केन हेतुनात्र 39 6 33 Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III.84 : Verse 161 कुवलयमालाकथा ३ * 31 1 द्वीपं समायातः। तेन तदवगम्य भणितम् । 'सुवर्णद्वीपं प्रति प्रचलतो मम भीषणे जलधावगाधे पूर्व- 1 भवार्जितदुष्कृतेनेव वायुना प्रेरितं त्वरितमेवागण्यपण्यसंभृतं पोतमस्फुटत् । ततोऽहं फलकमेकं प्राप्य 3 कुडङ्गद्वीपमाश्रितः। ततो धनेनेति भणितं 'सममेवात्र परिभ्रमावः। अथ तत्रैव ताभ्यां परिभ्रमद्भ्यां 3 कदाचित्तृतीयं पुरुषं मिलितं विलोक्य पृष्टम् । 'भद्र, कुतः पुरादत्र द्वीपे समायातवान् ।' तेनेति जल्पितम् । मम वजतो लङ्कापुरी वाहनं भग्नं फलकप्राप्त्यात्र संप्राप्तः।' ताभ्यां निगदितम् । 'अतीव रम्यतरम6 भूत् , यदस्माकं त्रयाणामपि समदुःखानां महती मैत्री समजनि । तावदत्र कस्मिन्नपि समुन्नते पादपे भिन्न- 6 यानपात्रचिह्नमूर्तीक्रियते।' तथेति प्रतिपद्य तैवल्कलमेकं तरुशिखरे निबद्धम् । ततस्तृष्णाक्षुधाक्लान्ताः सर्वत्र परिभ्रमन्तस्तं कमपि तारशं शाखिनं न पश्यन्ति । एवं किल भक्ष्यतरुफलोद्गमः। एवं तैः सर्वत्र द्वीपे स्वैरं विचरद्भिर्दुःखशतसमाकुलैः कथमपि वेश्माकाराणि त्रीणि कुडङ्गानि दृष्टानि । ते एकैकं 9 कुडङ्गमाश्रित्य स्थिताः । तेषु च काकोदुम्बरिकामेकैकां निरीक्ष्य चातीवोच्छ्रसितहदयैर्भणितम् । 'अहो, सांप्रतं प्राप्तव्यं प्राप्तम् , वयं निर्वृतचेतसः संजाता एतदर्शनमात्रेणापि ।' तैः कुडनेषु प्रविश्य 12 काकोदुम्बरिकाफलानि विलोकितानि, परमेकमपि फलं न ददृशे । ततस्त्रयो ऽप्यतीवदुर्मनसो बभूवुः । 12 कैश्चिदपि दिवसैस्तेषां मनोरथशतैः काकोदुम्बरिकाः फलाकुलास्तत्र जज्ञिरे । ते काकाद्युपद्रवेभ्यो रक्षन्तस्तिष्ठन्ति । इतश्च केनापि सांयात्रिकेण करुणावता भिन्नवहनचिह्नमालोक्य कर्णधारद्वयं प्रैषि। 15 ततस्ताभ्यां सर्वत्रान्वेषयद्यां पुरुषत्रयं कुडङ्गस्थं काकोदुम्बरिकाफलबद्धजीविताशयं निरीक्ष्य भणितम् । 10 आवां पोतवणिजा प्रेषितौ भवतामानयनाय । अत्र द्वीपे दुःखशतप्रचुरे किं तिष्ठथ ।' तत्रैकेन नरेणेत्युक्तम् । 'किमत्र द्वीपे कष्टम्, एतत् कुडङ्गं गृहतुल्यम्, एषा च काकोदुम्बरिका फलिता 18 भूयोऽपि फलिष्यति, अहं महता सुखेनात्र तिष्ठामि, कथमपि परतटं नागच्छामि । इति भणिस्वा तत्र-18 वैकः पुरुषः स्थितः । ततस्ताभ्यां निर्यामकाभ्यां द्वितीयो भणितः। त्वमपि परतटमागच्छ ।' तदाकर्ण्य तेन भणितम् । 'अहं काकोदुम्बरिकापक्कफलमेकमुपभुज्य यः कोऽपि पश्चान्नाविकः समेष्यति तेन 21 सहागमिष्यामि' । इति भणित्वा द्वितीयोऽपि तत्र तस्थिवान् । ततस्ताभ्यां तृतीयो भणितः । भोभद्र,21 किमत्र करोषि सांप्रतं परतीरमागच्छ।' 'भवतां स्वागतम्' इति भणित्वा तृतीयः पुमान् ताभ्यां समं गत्वासमप्रीत्या तरण्यामारुरोह । कियद्भिरपि दिनैर्वहनं तटं प्राप । तत्र पुत्रमित्रकलाधनधान्यादि24भिर्वस्तभिर्मिलितः सततमेव स सुखमनुभवन्नास्ते । 24 24 भिर्वस्तु) अथास्योपनयः श्रूयतास दुरुत्तरः । यू: कुडारी भवेयुस्ते जीवाः र य यष जलधिोरः संसारः स दुरुत्तरः । यः कुडङ्गो महाद्वीपः समानुष्यभवः स्मृतः॥१ 27 ये कुडल्ला निवासास्ते ये तत्र पुरुषास्त्रयः । त्रिःप्रकारा भवेयुस्ते जीवाः संसारवर्तिनः ॥२ 7 काकोदुम्बरिका यास्तु कान्तास्तास्तारलोचनाः। फलानि यानि तत्र स्युस्तान्यपत्यानि भूरिशः॥३ वृथाकृताशापाशास्ते या एवात्यन्तकोविदाः । दारिग्यदुःखरोगौघशकुनेभ्यो निरन्तरम् ॥ ४ यत्परत्र हितं स्वस्य तदेवायाति विस्मृतिम् । वैधेयानां गृहानेककार्यव्यापृतचेतसाम् ॥ ५ 30 यः पोतेशः स च गुरुर्निर्यामौ धर्मयोर्युगम् । या तरी तत्र दीक्षा सा यत्तीरं सा च निवृतिः॥६ संसारदुःखसंतप्तान जीवानुत्तारयन्ति ये । सर्वदैव महासत्त्वाः सर्वतत्त्वावलोकिनः ॥७ निन्धं मनुष्यजन्मेदं शोचनीयमनेकधा । मोक्षसौख्यं भजस्वेति ते वदन्ति यतीश्वराः॥ ८ 33 अभध्यजीवस्तत्रैको द्वीपेऽत्र नृभवे वदेत् । यत्सौख्यं स च मे मोक्षस्तत्तेन मम किं पुनः॥९ ब्रूते द्वितीयः संसारी दूरभव्यो मुनीश्वर । पुत्रमित्रकलत्रादिममत्वं त्यक्तुमक्षमः ॥ १० भव्यस्तृतीयो वदति श्रुत्वा सद्धर्मदेशनाम् । मनुष्यलोके कस्तिष्ठेद्गरिष्ठे दुःखबाधया ।। ११ 36 सप्ताङ्गराजि यदाज्यं प्राज्यं रम्या च संततिः। भवे भवे भवत्येव जैनदीक्षा कदापि न ॥ १२ ततो ममालमेतेन जन्मना दुःखजन्मना । समुद्यमं करोम्येष महोदयपदश्रिये ॥ १३ भूयो ऽप्यूचे कथामेतामुक्त्वा श्रीधर्मनन्दनः । भो वत्सा व्रतदृष्टान्तमाकर्णयत संप्रति ॥ १४ 39 ६४) तथाहि जम्बूद्वीपे ऽत्र क्षेत्रे भरतनामनि । देशो ऽस्ति मगधाभिख्यो वसुधामुखमण्डनम् ॥ १५ अनेकदेशविख्यातं श्रियामकः समाश्रयः। अस्ति राजगृहं तत्र नगरं नगराजितम् ॥ १६ 1) दीपे समायातस्तेन, B प्रचलितो. 2) 'भवार्जितविगतदुःकृते । भवार्जिताभितदुःकृते', Promit प्रेरितं. 3) Bom. ततो. 8) B सर्वतः for सर्वत्र,oom. एवं किल...फलोद्गमः ।. 13) ततोऽजीवत्रयोपि दुर्भनसो B ततोतीव त्रयोपि दुर्मनसो. 14)PB सोयात्रिकेन. 17) PB एतं or एन for एतत् , P एका च. 21) PB inter. भणित्वा or द्वितीयोऽपि. 24) Pom. स. 26)0 'घोरसंसारः 37) Pom. second ये, त्रिप्रकारा. 32)P जीवानुत्तीरयति । जीवानुत्तरयति. 33) After वदन्ति य P repeata सर्व देव महासत्त्वाः eto. to ते वदन्ति. 34 P leaves wome space after द्वीपेत्र नृभ and then continues with म मोक्षस्तरीन41)P "देशतिख्याती श्रेयामेक: Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *32 रत्नप्रभसूरिविराचेता [III. $ 4 : Verse 171 तस्मिन् परंतपो नाम्ना कर्मणा च महीपतिः । विख्यातकीर्तिविस्फूर्तिर्दिशासु चतसृष्वपि ॥ १७ 1 शश्वद्विवस्वतस्तुल्यो यः कैलासौकसः समः। वचस्पतेः समानश्च प्रतापेन श्रिया धिगा ।। १८ 3वीतरागपदाम्भोजभृङ्गः सम्यक्त्वधारकः।प्रतापशोषिताशेषारातिभूमीरुहोऽभवद ॥ विशेषकम॥3 वशीकृतनतानेकभूपमौलिविलासिभिः। मणीनां किरणैर्यस्य पादपीठं समर्चितम् ॥ २० यस्तु कण्ठीरव इव प्रदरैर्नखरैः खरैः। विपक्षान् जलक्षाणि क्षणुते स्म क्षमापतिः॥ २१ 6 तस्यानेकपुरन्ध्रीणां श्रेष्ठा ज्येष्ठा गुणश्रिया । समस्त शशिकान्तास्या शशिकान्ताभिधा प्रिया॥२२ 8 तत्र चास्ति महादक्षःशुद्धबुद्धिर्धनाभिधः । श्रेष्ठी गरिष्ठः सुगुणैः पुण्यसंभारभाजनम् ॥ २३ धारिणीति शुभारम्भा रम्भारूपसरूपरुक् । प्रभुते व सदाचारस्यास्य लोकंपृणा प्रिया ॥ २४ धनपालो धनदेवो धनगोपस्तथा परः । धनरक्षितनामाथ चत्वारस्तनयास्तयोः॥२५ सर्वे ऽपि पाठिताः पुत्राः पित्रोपाध्यायसंनिधौ । अल्पैरपि दिनैर्विद्यास्वनवद्याश्च ते ऽभवन् ॥ २६ मनोभवनृपोद्यानं शृङ्गारदुमजीवनम् । ततस्तेन [: स्त्रैण] जनानन्ददायि यौवनमाययुः ॥ २७ 12 तत्रैव स धनः पुत्रान् महेभ्यानां समश्रियाम् । कन्यकाभिः नुरूपाभिः क्रमशः पर्यणाययत् ॥ २८ 12 प्रथमस्योज्झिका जाया भक्षिकाख्या परस्य च । रक्षकाथ तृतीयस्य चतुर्थस्य तु रोहिणी ॥ २९ सुखं विषयजं ताभिः सेवमानाः सुता गतम् । भूयिष्ठमपि ते कालं देवा इव न जानते ॥ ३० 16 स कदाचिद्धनः श्रेष्ठी जजागार निशाञ्चले । धर्मानुध्यानमाधाय गृहचिन्तां चकार च ॥ ३१ स्त्रिया गृहस्य निर्वाहो नरि यन्तरि सत्यपि। धुरगेव शताङ्गस्य भृतस्यानेकवस्तुभिः ॥ ३२ पुत्रपौत्रवधूभृत्यैराकीर्णमपि मन्दिरम् । भार्याहीनं गृहस्थस्य शुन्यमेव विभाव्यते ॥ ३३ 18 भुक्त प्रियतमे भुङ्क सुप्ते च स्वापिति स्वयम् । तस्य पूर्व च जागर्ति सा श्रीरेव न गेहिनी॥३४ 18 करोति सारा सर्वस्मिन् द्विपदे च चतुष्पदे । सर्वस्यौचित्यमाधत्ते सा लक्ष्मीहिणीमिषात् ॥ ३५ एतासां तु वधूटीनां मध्यान्मम निकेतने । गृहभारसमुद्धारकारिणी का भविष्यति ॥ ३६ ततः स प्रातरुत्थाय प्रातःकृत्यं विधाय च। सूपकारैः कलासारैर्धान्यपाकमकारयत ॥ ३७ पितृवर्ग चतसृणां वधूटीनां निमन्य सः । अपरं पारलोकं च भोजयामास सादरम् ॥ ३८ भोजनान्ते ततः श्रेष्ठी बान्धवान् स न्यवेशयत् । सश्चकार च ताम्बूलस्रग्दुकूलविलेपनैः॥ ३९ 24६५) समक्षमथ सर्वेषां वधूमाकार्य चोझिकाम् । पञ्च शालिकणास्तस्याः समार्पयदखण्डितान् ॥४० 24 गत्वैकान्ते तया चित्ते चिन्तितं मन्दमेधसा। अभदुद्धत्वसंबन्धात् श्वशरो विपरीतधीः॥४१ महान्तमुत्सवं कृत्वा जनानाहूय सर्वतः। पञ्च शालिकणानेष पाणौ मम यदार्पयत् ॥ ४२ 27 त्यजामि किं कणैरेतैर्यदा याचिष्यते ऽसकौ । तदान्यानर्पयिष्यामि ध्यात्वेत्युज्झांचकार तान् ॥ ४३ 27 अथ वध्वै द्वितीयस्यै पञ्च शालिकणान् ददौ । धनः श्रेष्ठी गृहीत्वा सा विजने ऽचिन्तयञ्चिरम् ॥४४ हेतुना श्वशुरः केन भ्रान्तो बुद्धियुतोऽप्यसौ । य: कार्येण विना गेहे तनुते द्रविणव्ययम् ॥ ४५ 30 प्रयच्छति कणान् पश्च लोकस्य पुरतः करे। त्यजामि तान् कथं दत्ता ये तातेन मम स्वयम् ॥४६ 30 सा सुषा निस्तुपानेतान् कृत्वा क्षिप्रमभक्षयत् । आकारयदथ श्रेष्ठी तृतीयां रक्षिका वधूम् ॥ ४७ व्यश्राणयत्कणान् पञ्च तस्याः सा च व्यचिन्तयत् । मन्ये किंचिन्महत्कार्य कणैरेतैर्भविष्यति ॥ ४८ सर्षानेतान् प्रयत्नेन रक्षामि महता यदा। याचिष्यते गुरुस्तूर्णमर्पयिष्ये तदा कणान् ॥ ४९ 33 हृदये चिन्तयित्वेति स्वालङ्कारकरण्डके । शुद्धवस्त्रं नियन्येति क्षित्वा रक्षिकया तया ॥ ५० वीक्षामास त्रिसंध्यं सा देवतामिव तान् कणान् । आकारिता ततस्तेन चतुर्थी रोहिणी वधूः ॥ ५१ 36 तेन प्रजल्पिता दत्त्वा पञ्च शालिकणान् करे । त्वतो वत्से यदा याचे देया एते तदा त्वया ॥ ५२ 36 विजने रोहिणी गत्वाचिन्तयद्बुद्धिशालिनी । मत्य मे श्वशुरो वाचस्पतिप्रतिकृतिः कृती ॥ ५३ महाजनप्रधानो ऽसौ नानाशास्त्रविशारदः । वर्धशामि तदेतेन प्रदत्तं कणपञ्चकम् ।। युग्मम् ।। ५४ 39 तयैवं हृद्यनुध्याय प्रेषितास्ते पितुर्गृहे । भ्रातृणामिति चादिष्टं निजा इव कणा अमी ॥ ५५ 8 वर्षे वर्षे च वर्षासु वापं वापं स्वहालिकैः। तथा कथंचनाधेयं यान्ति वृद्धिं यथा पराम् ॥ युग्मम् ॥ ५६ ततस्तैर्बन्धुभिस्तस्या गिरा प्राप्ते घनागमे । उप्ताः शालिकणाः पञ्च ते वप्रे वारिहारिणि ॥ ५७ 42 स्तम्बीभूय गता वृद्धि शालयः कणशालिनः। प्रस्थस्तेषामभूदेका प्रथमे वत्सरे ततः॥ ५८ 11) PB ततस्तेन. 18) B स्वप्ते for सुप्ते. 25) PB स्वसुरो -34) क्षिप्ता. 36) P पन शाखाकणान्. 41) बने कारिहारिणि. Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - III. 8 6 : Verse 961 कुवलयमालाकथा ३ 6 15 द्वितीये त्वाढको के द्रोणा वर्षे तृतीयके । खारीशतानि तुर्ये तु पल्यलक्षाणि पञ्चमे ॥ ५९ अथान्यस्मिन् दिने श्रेष्ठी निमन्त्र्य स्वजनान् बहून् । महान्तमुत्सवं चक्रे पूर्वरीत्या निकेतने ॥ ६० समायोज्झिकां ज्येष्ठां वधूमर्थयति स्म सः । वत्से समर्पय मम तच्छालिकणपञ्चकम् ॥ ६१ तदाकर्ण्य गृहस्यान्तः सहसापि प्रविश्य सा । पञ्च शालीनथानीय तस्य हस्ते समार्पयत् ॥ ६२ तेनापि जल्पिता सर्वप्रत्यक्षं शपथैर्निजैः । त एव शालयो वत्से न वा सत्यं वदाधुना ॥ ६३ तयाथ जल्पितं तात प्रोज्झितास्ते मया कणाः । श्रुत्वेति लोकपुरतः श्रेष्ठी रुष्टः स जल्पति ॥ ६४ अयुक्तं कृतमेतेन यूयमेतद्भणिष्यथ । अन्यथा पापया त्यक्ताः शालयस्ते मदर्पिताः ॥ ६५ तस्मादस्याः करिष्यामि फलं तत्यागसंभवम् । छगणादिपरित्यागकारिणी भवतूज्झिका ॥ ६६ द्वितीयां तामथाय श्रेष्ठयूचे पुत्रि तान् कणान् । समर्पय ममेदानीं साब्रवीद्भक्षिता मया ॥ ६७ स श्रेष्ठपुङ्गवो वोचत् स्वजनानां पुरस्ततः । पचनादिषु कार्येषु भवताद्भक्षिका वधूः ॥ ६८ तृतीया श्वशुरेणोक्ता सा शालिकणरक्षणम् । निजं न्यवेदयत्तुष्टः श्रेष्ठिश्रेष्ठस्ततो ऽनदत् ॥ ६९ मदीयमन्दिरे लोकाः कोशे सर्वाधिकारिणी । वधूटी रक्षिकानाम्नी भवत्वेषा ममाशया ॥ ७० आकार्य जल्पितानेन चतुर्थी रोहिणी ततः । समानय कणान् पञ्च वत्से त्वमपि सांप्रतम् ॥ ७१ प्रजल्पितं तया तात शकटानि बहूनि मे । अर्व्यन्तां वृषभाः प्राज्याः शालिरानीयते यथा ॥ ७२ अभाणि श्रेष्ठिना तेन वत्से पञ्च कणाः कथम् । जज्ञिरे यानवाह्यास्ते स हेतुः कथ्यतां मम ॥ ७३ यत्कृतं मूलतो वध्वा कथितं तत्पुरस्तथा । मुदितस्तत्तदाकर्ण्य स श्रेष्ठी समजायत ॥ ७४ स्नुषायाः सो ऽर्पयामास शकटान् वृषभांस्तथा । अथानीतस्तया वध्वा शालिः सर्वः पितुर्गृहात् ॥ ७५ प्राहाथ स्वजनो धन्यो धनो यस्येदृशी वधूः । निन्यिरे कीडश वृद्धिं पञ्च शालिकणा यया ॥ ७६ 18 ऊचे तया ततस्तात गृह्यन्तां पञ्च ते कणाः । इति श्रुत्वा तदा श्रेष्ठी जनप्रत्यक्षमब्रवीत् ॥ ७७ सर्वस्वस्वामिनी गेहे वधूर्मम भवत्वसौ । अस्या एव समादेशः कर्तव्यः सर्वमानुषैः ॥ ७८ अस्या यः खण्डयत्याशां स्थातव्यं तेन नो गृहे । सर्वैरपि जनैः शीर्षे तद्वचः शेखरीकृतम् ॥ ७९ उद्यदानन्दसंदोहमेदुरः स धनः क्रमात् । निश्चिन्तचित्तः सद्धर्मालङ्कमणस्ततो ऽभवत् ॥ ८० एतदाख्यानकं शैक्षाः कथितं भवतां मया । सिद्धान्तोदितमेतस्य भावार्थ शृणुताधुना ॥ ८१ यथा राजगृहं लोके मानुषत्वमिदं तथा । यथा धनस्तथाचार्यो विचारचतुराननः ॥ ८२ यथा वध्वस्तथा ज्ञेया विनेयाश्च चतुर्विधाः । पञ्च शालिकणा ये सा ज्ञेया पञ्चमहाव्रती ॥ ८३ यथा स्वजनवर्गो ऽसौ तथा संघश्चतुर्विधः । दानं शालिकणानां यत्तन्महाव्रतरोपणम् ॥ ८४ उज्झित्र शालिकणानुज्झेत्पञ्च महाव्रतीम् । यः स्यादत्र परत्रापि स दुःखौघस्य भाजनम् ॥ ८५ निशङ्कमुपभुक्तास्ते यथा भक्षिकया तथा । व्रतमाजीविकाहेतोर्न विधेयं तथा बुधैः ॥ ८६ ररक्ष रक्षिका यद्वत् तच्छालिकणपञ्चकम् । तद्वहूतिजनै रक्ष्यं तन्महाव्रतपञ्चकम् ॥ ८७ महाव्रतानि संप्राप्य वृद्धिं नेयानि धीमता । रोहिण्या गुरुणा दत्ताः पञ्च शालिकणा यथा ॥ ८८ । इति तदृष्टान्तः । 1 3 6 9 12 15 18 21 24 27 30 33 36 39 यतः, * 33 1 3 तथाहि । जम्बूद्वीपाभिधे द्वीपे क्षेत्रे भरतनामनि । क्षमापुरी क्षमारम्या समस्ति स्वस्तिकारिणी ॥ ९६ 1 ) B स्वाढकानेके 5 ) B नो वा for न वा 16 ) P तत्पुरस्तया 18 ) P प्राहाथ स जनो. 27 ) P कणानुज्झेव पंच (31) PB इति व्रतदृष्टांतः ॥ १४२७ ॥ छ ॥ छ ॥ ( P has the symbol of bhale instead of छ ॥ छ ॥ ) नमः श्री सर्वज्ञाय ॥. 35 ) P किंचिनिनगः, Pom. कुम्भ: 36 ) P निर्मूलनं दि 5 9 12 21 24 १६) विनयः शासने मूलं विनीतः संयतो भवेत् । विनयाद्विप्रमुक्तस्य कुतो धर्मः कुतस्तपः ॥ ८९ विनीतः श्रियमाप्नोति विनीतस्तूज्वलं यशः । कदापि दुर्विनीतेन नैव स्वार्थः प्रसाध्यते ॥ ९० 33 27 36 गुणवानपि नामोति नूनं स्तब्धः परां श्रियम् । किंचिन्नम्रः पिवन्नम्भः कुम्भः प्राप्नोति पूर्णताम् ॥ ९१ अपराधतमः स्तोम निर्मूलनदिनेश्वरः । स्वर्गापवर्गसंसर्गकारणं विनयः सदा ॥ ९२ विनयः सर्वथा कार्यः कुलीनेन वपुष्मता । गुरूणां गुणवृद्धानां तथा बालतपस्विनाम् ॥ ९३ गुणेषु विनयः श्लाध्यस्तेजस्विषु यथा रविः । येन कर्मग्रहाः सर्वे प्रच्छाद्यन्ते निजोदयात् ॥ ९४ विनयात्संपदः सर्वा मेघादिव जलर्द्धयः । केवलज्ञानलाभश्च विनीतस्येव जायते ॥ ९५ 30 39 Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यथाभूदासत्सालयामाश्रय .84 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. $6: Verse on___ यस्या उन्नत[रम्य] राजसदनश्रेण्याः पुरो मेनकाप्राणेशोऽपि बभूव हीनमहिमा वन्यश्रियामप्रतः।1 निःस्वानन्दनकाननस्य सुषमा क्षीराशयानां पुरः पंपादीनि सरांसि हन्त नितरांमञ्चन्त्यहंकारिताम ॥९७ तत्र क्षमापतिरभूत् क्षमापतिकृतस्तुतिः। नभस्तले भानुरिव श्रीमान् हर्षाभिधः सुधीः॥९८ 3 गुणीचे विद्यमाने ऽपि लोभो यस्याधिको ऽभवत् । अभिरामं गुणग्राम ग्रहीतुं गुणशालिनाम् ॥ ९९ समुद्रकन्दर्पधनाघनानां सारं समादाय विधिय॑धाद्यम्। न चेदिदं तत्कथमन्यथाभूदसौ गभीरः सुभगःप्रदाता ॥ १०० यश्चानूनगुणप्रसूनपटलप्रत्युल्लसत्सौरभव्याप्ताशेषमहीतलः शुभकलःश्रेयः श्रियामाश्रयः। स्फर्जत्कीर्तिलतावितानविलसत्कन्दः सदानन्दभूः प्रोन्मीलत्सुकृतोन्मुखो न विमुखो याच्आकृतां कुत्रचित् ॥ १०१ माद्यच्छात्रवकोटिकोटिकाटिप्रस्फोटकण्ठीरवस्ताम्यनीतिलतावलीकिशलनप्रोद्दामधाराधरः। यत्कीर्त्या च शुचीकृते त्रिभुवने ऽश्रान्तं स्फरन्त्याभितः सर्वशोऽपि वसन्न वेत्ति नियतं कैलासशैलं निजम् ॥ १०२ कल्पद्रुमाद्या ददतीप्सितं यत् सा शास्त्रवार्ता किल तेन दृश्या। प्रत्यक्षमेतं वसुधाधिनाथं तत्तन्मयं निर्मितवान् विधाता ॥ १०३ तत्र श्रेष्ठिपदभ्रष्टः श्रेष्ठी दौर्मुख्यदोषतः । विषवाक्य इति ख्यातो विद्यते कृषिजीवनः ॥ १०४ अन्यदा भक्तमादाय स्वयं कर्मकृतां कृते । गच्छन् शून्ये ददर्शष रुदन्तं बालमेककम् ॥१०५ 18 प्रोद्यत्कृपाभरभ्राजिहृदयः शिशुमाशु तम् । लात्वा स्वपाणिनारोप्य कटीतटमभोजयम् ॥ १०६ त्यक्तः केनाप्ययं पाको वराकस्तद्विपत्स्यते । स्वीकृतेनैव तेनेति श्रेष्ठी क्षेत्र ययौ निजम् ॥ १०७ स स्ववेश्म समागत्यापत्याभावादितस्ततः । दीनास्यायै कुटुम्बिन्यै तं मुदा डिम्भमार्पयत् ॥ १०८ 21 लाल्यमानस्तया नित्यमात्मनात्मेव बालकः । कलाभिः कलितः प्राप कलाभूदिव यौवनम् ॥ १०९ दग्धं पितृगिरा लोकं स्ववाक्यैरमृतैरिव । निर्वापयत्रभूत्ख्यातः संख्यावान् सर्वतोऽपि सः॥ ११० विनीत इति नाम्नाथ सर्वत्र प्रथितोऽभवत् । श्रेष्ठित्वं नृपतिस्तुष्टोऽदात्तस्मै तत्पितुः पदम् ॥ १११ 24 जिनशासनमाहात्म्यसमुल्लासनवासनः। अभिरामगुणग्रामद्रुमारामो ऽवनीतले ।। ११२ यो ऽभवन्नयनानन्ददायी यायी सदध्वनि । अवदातयशोजातसंपूरितदिगन्तरः ॥ ११३ श्रमणक्रमणाम्भोजसेवाहेवापरः सदा । अर्थसंप्रीणितात्यर्थावनीतलवनीपकः ॥ ११४ पैतृकं च पदं प्राप्य प्रसन्नमनसो नृपात् । स विनीतः श्रियां पात्रं भाग्यसौभाग्यभूरभूत् ॥ ११५ । ६७) अथ तत्रैव दुर्मिक्षं भीषण समुपस्थितम् । यत्र धर्मक्रियालोपो भव्यानामपि संभवेत् ॥ ११६ कुतोऽपि स्थानतोऽभ्येत्य नित्यदुर्भिक्षदुःखितावृद्धोवृद्धा युवा चैकोऽभवस्तदनुजीविनः॥११७५० अथ वैरिदत्तकम्पा चम्पा नाम महापुरी । तत्रास्ति पृथिवीनाथो जितारिरिति संशया ॥ ११८ प्रतापी कमलोलासी नृपस्तपनसंनिभः।न कर्कशकरश्चित्रं न गोमण्डलतापकृत् ॥ ११९ श्यामास्यो हि घनो वर्षन् तमोप्रस्तपनस्तपन् । यःप्रभस्त्वर्थिनो ऽत्यर्थमर्थःप्रीणन तादृशः॥ १२० 33 श्रीदर्पः कृतहर्षश्रीर्जिघृक्षुस्तमधीश्वरम् । प्रचचाल विनीतेन सार्धं प्रेष्ययुतेन सः ॥ १२१ तदागर्म परिशाय चम्पेशः संमुखोऽचलत् । ततः परस्परं युद्धं सैन्ययोरुभयोरभूत् ॥ १२२ अरुधत्सादिनं सादी निषादी च निषादिनम् । रथिको रथिकं पत्तिः पत्तिं च स्फूर्तिमूर्तिभृत् ॥ १२३ 36 निशातशरधोरण्या भटैर्दर्पसमुद्भवैः । अकालवृष्टिविहिता कालरात्रिरिवापरा ॥ १२४ रणे निपेतुर्मातङ्गास्तीवं प्रदरजर्जराः। शतकोटिक्षताः साक्षात् पर्वता इव सर्वतः ॥ १२५ . शितकुन्ताहताङ्गाचोच्छलच्छोणितदम्भतः। कोसुम्भवसनेवाभूदम्भोधिवसना युधि ॥ १२६ 39 निजस्वामिप्रसादस्याभूम भूना ऽनृणा वयम् । इति वीरकबन्धास्ते नृत्यन्तस्तत्र रेजिरे ॥ १२७ उल्ललल्लोहिताम्भोभिर्भीमा सङ्कामभूमिका । कबन्धानि वहत्याशु काष्ठानीव तरङ्गिणी ॥ १२८ 27 1) उत्तरराज B उन्नतराज.3) Pक्षमापतिः कृत. 4) B'को भवेत् ।। 5) Pधनाधनीना. 15) PB दृश्याः - P'द्विपश्यति. 25) B'द्रुमारामेवनीतल:. 26) P यशोयातः. 28) P विनीतश्रियः पात्रं B विनीतः श्रियः पात्रं. 30) पद्धीमुवाचैको. 33) प्रभुस्त्वथिने. 39) P 'हितांगाच्छोछलत् शोणित' 20) खो Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III $ 9: Verse 168 ] कुवलयमालाकथा ३ दैवाच्चम्पेश सैन्यस्य सुभटैः करटैरिव । दिवान्धसैन्यवद्धर्षसैन्यं दैन्यमनीयत ॥ १२९ पताकिन्यपि निःशेषा तस्य हर्षमहीपतेः । ननाश काकनाशं सा जीवमादाय सत्वरम् ॥ १३० नश्यद्भिः पदिकैस्त्यक्तो विनीतो ऽपि गते विभौ । परं प्रेष्यैर्न तैर्मुक्तश्चेतनः सुकृतैरिव ॥ १३१ पलायमानः प्रैक्षिष्ट स विनीतः सरस्वतीम् । तत्र स्नात्वा पयः पीत्वा तीरवृक्षमशिश्रयत् ॥ १३२ १८) अत्रान्तरे कान्दिशीकमेकमायुधपाणिना । केनचित्सादिना हन्यमानं मृगमवैक्षत ॥ १३३ कृपा संपूरितस्वान्तः स तयोरन्तरा स्थितः । यतः प्राणिपरित्राणं स्वप्राणैः केऽपि कुर्वते ॥ १३४ तस्मिन् सरङ्गे सारङ्गे गते दूरं निरीक्ष्य सः । जगाद सादिनं रोषपोषिणं मृगरक्षणात् ॥ १३५ सर्वप्राणिशरण्यानामुन्नतानां महात्मनाम् । त्वादृशां न समीचीनं दीनजन्तुविनाशनम् ॥ १३६ मन्ये त्वं लक्षणैरेभिः को ऽप्यसि क्षत्रियोत्तमः । शस्त्रघातो गृहीतास्त्रे क्षत्रियाणां प्रशस्यते ॥ १३७१ इत्यादिवाक्यैः पीयूषपेशलैस्तस्य तन्वतः । स भूपः पृथिवीचन्द्रः प्रबुद्धः कोपमत्यजत् ॥ १३८ धर्मोपदेशदातासौ ममाभूदिति तं समम् । उपकारचिकीः क्ष्मापः पुरे क्ष्मातिलके ऽनयत् ॥ १३९ तं विनीतं महीनाथः स्वपुरे सचिवं व्यधात् । सर्वाधिकारिणं यस्माद्गुणैः कस्को न रज्यते ॥ १४० एतस्यानुपदं ते ऽथ त्रयो ऽपि प्राच्य किंकराः । तामेव नगरीं प्राप्य सेवाहेवाकिनो ऽभवन् ॥ १४१ रक्षता सततं तेन न्यायेन नगरीजनम् । ऊर्जितोपार्जिता कीर्तिरात्मीयो ऽर्थस्तु साधितः ॥ १४२ तेनेत्युक्ताः कर्मकृतः स्नेहात्किमपि याचत । ते ऽवदन्निति निर्लोभा भाग्यैर्लभ्या हि किंकराः ॥ १४३ 15 ६९) अथ क्षमापुरी भग्ना क्षणादेव जितारिणा । चम्पापुरीमहीपेन सर्वसैन्यजुषा रुषा ॥ १४४ स्वपुरी स्वपुरीस्वामिभङ्गतो वित्तहानितः । विषवाक्यो विनीतात्मा प्रववाज विरागवान् ॥ १४५ तप्यमानस्तपस्तीव्रं सहमानः परीषहान् । आधीयानः स सिद्धान्तं तन्वन्नाराधनां गुरौ ॥ १४६ 18 पापकर्मसु तन्द्रालुः श्रद्धालुर्धर्मकर्मसु । दयालुः सर्वभूतेषु स्पृहयालुः शिवाध्वनि ॥ १४७ सासहिश्वोपसर्गाणां शीलाङ्गानां च वावहिः । चाचलिः श्रमणाचारे सिद्धान्ताध्वनि पापतिः ॥ १४८ आजगाम समं स्वेन गुरुणा करुणानिधिः । तत्र क्ष्मातिलकपुरे विषवाक्यमुनिः क्रमात् ॥ १४९ 21 चतुर्भिः कलापकम् ॥ 12 अनुज्ञाप्य गुरून् सो ऽथ मासक्षपणपारणे । प्रविवेश परिभ्राम्यन् विनीतसचिवौकसि ॥ १५० कथमेवंविधो भूत्वास्माकीन स्वामिनः पिता । उच्चनीचादिगेहेषु पर्यटत्येष दुर्बलः ॥ १५१ ततस्तमघसंघातघातिनं व्रतिनं मुदा । कर्ममर्मच्छिदं कर्मकृतः सर्वे ववन्दिरे ॥ १५२ तद्दत्तमनपानाद्यमकल्प्य मिति चेतसि । विचिन्त्य नाग्रहीत्साधुर्व्यावृत्योपाश्रयं गतः ॥ १५३ आगतस्य नृपावासाद्विनीतस्य च तस्य ते । प्रमोदमेदुराः कर्मकरास्तच्च न्यवेदयन् ॥ १५४ तथैव सुविनीतात्मा विनीतो मन्त्रिपुङ्गवः । तपःपात्रस्य शिश्राय मुनेः पितुरुपाश्रयम् ॥ १५५ निरीक्ष्य विषवाक्यस्य मुनेरास्यसितद्युतिम् । विनीतसचिवाधीश चित्ताम्भोधिरवर्धत ॥ १५६ शुशोच च स्वं यदयं मम वेश्मागतो ऽपि हि । अगृहीतान्नपानीयो मुनिर्व्यावृत्य जग्मिवान् ॥ १५७ 30 स विनीतस्ततः शुद्धश्रद्धासंभारसंभृतः । अवन्दत गुरून् पूर्व तथा च जनकं निजम् ॥ १५८ ततो गुरुरभाषिष्ट स्पष्टवाग्मम्प्रनायक । शृणु धर्मवचश्चारु क्षिप क्षिप्रमघवजम् ॥ १५९ मा मुहस्त्वं मुधा हे ऽमुष्मिन् संसारका रिणि । आदरं कुरु सद्धर्मे ध्रुवं संसारहारिणि ॥ १६० 33 धर्मः पितेव मातेव हितं यद्विदधात्ययम् । क्रियते तन्न केनापि शिशूनामिव देहिनाम् ॥ १६९ स च धर्मस्तितिक्षादिर्भिक्षूणां दशधा मतः । सम्यक्त्वमूलो गृहिणां ज्ञेयो द्वादशधा पुनः ॥ १६२ देवे ऽर्हति गुरौ साधौ धर्मे च जिनभाषिते । या स्थिरा वासना सम्यक् सम्यक्त्वमिदमाश्रय ॥ १६३ 36 स्थूला हिंसादीनि पञ्चाणुव्रतानि गुणत्रिकम् । शिक्षाव्रतचतुष्कं च स्वीकुरुष्व शिवश्रिये ॥ १६४ विविधिना मन्त्रिन् त्रिसंध्यं देवतार्चनम् । चिरं चारुयशः कुन्दधवलं प्राप्नुहि स्फुटम् ॥ १६५ दीनादीनां श्रियं देहि विधेहि विशदं मनः । न्यायाध्वनि भवाध्वन्यो भिद्धि क्रोधादिशात्रवम् ॥ १६६ 39 जिनेन्द्रमुखसंभूतं सिद्धान्तं सादरं शृणु । सिद्धिसीमन्तिनीं शर्मदायिनीं तत्क्षणादृणु ॥ १६७ सर्वसौख्यमयं स्थानं कापि मोक्षं विना न यत् । विद्यते देहिभिर्भाव्यं तत्तदर्थं समुत्सुकैः ॥ १६८ I 1 3 6 9 12 15 18 21 24 27 30 33 36 39 * 35 1 3 12 ) P सर्वाधिकारण. 15) P तेवदन्नतिनिर्लोभा B तेवदन्नेति 25 ) P संयात 26 ) B तद्दत्तमन्नपानीयमकल्पमिति. 33 ) P ध्रुवसंसार 41 ) 0 समुत्सकै: 6 24 27 Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [III. 810: Verse 1681 १०) तथा च । जीवाजीव पुण्यपापाश्रवसंवर निर्जराबन्धमोक्षानि नव तत्त्वानि । दानशीलतपो- 1 भावनामयश्चतुर्विधो धर्मः । आश्रवपञ्चकाद्विरतिः पञ्चेन्द्रियाणां निग्रहः क्रोधमानमायालो भलक्षणदुर्जेय3 कषायजयः मनोदण्डवचनदण्डकायदण्डयविरमणं चेति सप्तदशधा संयमः । नरकगति - तिर्यग्गति- 3 मनुष्य गति - देवगतिलक्षणाश्चतस्त्रो गतयः । मतिज्ञानं श्रुतज्ञानमवधिज्ञानं मनःपर्ययज्ञानं केवलज्ञानमिति पञ्च [शानानि ] । अनित्यता १ अशरण २ भव ३ एकत्व ४ अन्यता ५ अशौच ६ आनव ७ संवर ८ 6 निर्जरा ९ धर्मस्वाख्यातता १० लोक ११ बोधि १२ प्रमुखा भावना द्वादश । नमस्कारसहित १ पौरुषी २ पुरिमार्ध ३ एकासनक ४ एकस्थानक ५ आचामाम्ल ६ उपवास ७ चरिम ८ अभिग्रह ९ विकृति १० प्रभृतिदशविधं प्रत्याख्यानम् । अथवा 'अनागतमतिक्रान्तं, कोटीसहितं नियन्त्रितं चैव । साकारमनाकारं 9 परिमाणकृतं निरवशेषम् ॥ संकेतमद्धा' चैतदपि दशविधम् । क्षुधा १ पिपासा २ शीत ३ उष्ण ४१ देश ५ अचेल ६ अरति ७ स्त्री ८ चर्या ९ निषीधिका १० शय्या ११ आक्रोश १२ वध १३ याचना १४ अलाभ १५ रोग १६ तनुस्पर्श १७ मल १८ सत्कारपुरस्कार १९ प्रशा २० अज्ञान २१ सम्यक्त्व 12 २२ [ लक्षणाः ] द्वाविंशति परीबहाः । स्पर्शन- रसन-प्राण-चक्षुः श्रोत्राणीन्द्रियपञ्चकम् । औत्पत्तिकी 12 १ वैनयिकी २ फार्मजा ३ पारिणामिकी ४ चेति चतस्रो बुद्धयः । आर्तध्यानं रौद्रध्यानं धर्मध्यानं शुक्लध्यानं चेति चतुर्विधं ध्यानम् । पदस्थं पिण्डस्थं रूपस्थं रूपातीतमेतदपि चतुर्धा । ज्ञानं दर्शनं चारित्रं 15 वेति रत्नत्रयम् । कृष्णलेश्या १ नीललेश्या २ कापोत लेश्या ३ तेजोलेश्या ४ पद्मलेश्या ५ शुक्ललेश्या ६ 15 चेति [ लेश्या ] षट्कम् । सामायिकं १ चतुर्विंशतिस्तवो २ वन्दनकं ३ प्रतिक्रमणं ४ कायोत्सर्गः ५ प्रत्याख्यानं ६ [ चेति ] षड्विधमावश्यकम् । पृथ्वी कायो ऽकायस्तेजस्कायो वायुकायो वनस्पतिकायस्त्र सकाय18 वेति प जीवनिकायाः । मनोयोगो वचनयोगः काययोगश्चेति योगत्रयी । ईर्यासमिति - भाषासमिति - 18 पपणासमिति - आदाननिक्षेपसमिति - उत्सर्गसमिति [ लक्षणाः ] पञ्च समितयः । इन्द्रियपञ्चकं मनोबलं वचनबलं कायबलं चेति बलत्रयम् उच्छ्वासो निःश्वास आयुश्चेति दशविधाः प्राणाः । मद्यं विषयाः 21 कषाया निद्रा विकथाश्चेति प्रमादपञ्चकम् । अनशनमूनोदरता वृत्तिसंक्षेपो रसत्यागस्तनुक्लेशः संलीनता 21 चेति षड्विधं वाह्यं तपः । प्रायश्चित्तं वैयावृत्यं स्वाध्यायो विनयो व्युत्सर्गः शुभध्यानं चेत्याभ्यन्तरं षड्विधं तपः । आहारसंज्ञा १ भयसंज्ञा २ मैथुनसंज्ञा ३ परिग्रहसंज्ञा ४ [ रूपाः ] चतस्रः संज्ञाः । ज्ञानावरणीयं १ 24 दर्शनावरणीयं २ वेदनीयं ३ मोहनीयम् ४ आयुष्कं ५ नाम ६ गोत्रम् ७ अन्तरायं ८ चेत्यष्टधा कर्म । मनो- 24 गुप्तिर्वचन गुप्तिः काय गुप्तिरिति गुप्तित्रयम् । अपायापगमातिशयः ज्ञानातिशयः पूजातिशयो वचनातिशयश्चेति चत्वारो ऽतिशयाः । * 36 27 ११) तथा च श्रीजिनेश्वराणां चतुस्त्रिंशदतिशया यथा । देहोऽद्भुतरूपगन्धो निरामयः स्वेदमल- 27 विवर्जित इति प्रथमः । उच्छ्वासनिःश्वासौ कमलपरिमलोपमा विति द्वितीयः । रुधिरामिषे तु गोक्षीरधाराधवले अनामगन्धिके चेति तृतीयः । आहारनीहारविधी अदृश्यौ चेति चतुर्थः । अदृश्ये इति 90 मांसचक्षुषां न पुनरवध्यादिलोचनेन पुंसा । यदाहुः, 30 'पच्छने आहारे अदिस्से मंसचक्खुणो ।' एष चतुर्थः । एते चत्वारो ऽपि जगतो ऽप्यतिशेरते तीर्थकरा एभिरित्यतिशयाः, सहोत्थाः सहजन्मानः । अथ कर्मक्षयजा 33 अतिशयाः। योजनाप्रमाणे ऽपि क्षेत्रे समवसरणभुवि नृणां देवानां तिरश्चां च कोटिकोटिसंख्यमवस्थानमिति 33 प्रथमः कर्मक्षयजो ऽतिशयः । वाणी अर्धमागधी नरतिर्यक्कु सुरलोकभाषया संवदति तद्भावाभावेन परिणमतीत्येवं शीला, योजनमेकं गच्छति व्याप्नोत्येवंशीला योजनगामी चेति द्वितीयः । भानां प्रभाणां मण्डलं 36 भामण्डलं मौलिपृष्ठे शिरःपश्चिमभागे तथ्य विडम्बितदिनकरबिम्बलक्ष्मीमनोहरमिति तृतीयः । साग्रे 36 पञ्चविंशतियोजनाधिके गव्यूतिः क्रोशद्वये गव्यूतीनां शतद्वये योजनशत इत्यर्थः, रोगो ज्वरादिर्न स्यादिति चतुर्थः । तथा वैरं परस्परविरोधो न स्यादिति पञ्चमः । तथा ईतिर्धान्योपद्रवकारी प्रचुरो मुषिकादि39 प्राणिगणो न स्यादिति षष्ठः । तथा मारिरौत्पातिकं सर्वगतं मरणं न स्यादिति सप्तमः । तथा अतिवृष्टिनिंर- 39 न्तरं वर्षणं न स्यादित्यष्टमः । तथा अवृष्टिः सर्वथा वृष्ट्यभावो न स्यादिति नवमः । दुर्भिक्षं भिक्षायाम रत्नप्रभसूरिविरचिता 4 ) P मनःपर्याय B मन:पर्यय 5) PB put serial nos. for अनित्यता eto. 6 ) Po put serial nos. in. some of these lists, and here and there they are separately written with terminations. o is not quite particular in putting these nos. 7) P वरिस for चरिम 11 ) oom. अज्ञान. 17 ) P २ तेउकाय ३ वाउकाय ४ वनस्पति. 24 ) P मोहनीयं च ३ आयुचतुष्कं 25 ) P गुप्तिरिति श्रयम्- 27 > 0 adds च after श्री जिनेश्वराणां33) B कोटिकोटिसंख्यानामवस्थानमिति 35 ) P योजनगामिनो योजनगामिनां 37 ) PB कोशइयं. Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *87 -III. $ 18 : Verse 168 ] कुषलयमालाकथा ३ 1भावो न स्यादिति दशमः। तथा स्वराष्ट्रात्परराष्ट्राश्च भयं न स्यादित्येकादशः। एवमेकादशातिशयाः कर्मणां 1 शानावरणीयादीनां चतुर्णा घातात् क्षयाजायन्ते इति । तथा देवकृता अतिशयाः। खे आकाशे धर्मप्रकाशकं चक्रं भवतीति देवकृतःप्रथमोऽतिशयः।तथा खे चमरा इति द्वितीयः। तथाखे पादपीठेन सह 3 मृगेन्द्रासनं सिंहासनमुज्वलं निर्मलमाकाशस्फटिकमयत्वादिति तृतीयः। तथा खे छत्रत्रयमिति चतुर्थः। तथा खे रत्नमयो ध्वज इति पञ्चमः। तथा पादन्यासनिमित्तं सुवर्णकमलानि नव भवन्तीति षष्ठः तथा 6 समवसरणे रत्नसुवर्णरूप्यमयं प्राकारत्रयं मनोज्ञ भवतीति सप्तमः। तथा चत्वारि मुखान्यङ्गानि गात्राणि 6 च यस्य स तथा तद्भावश्चतुर्मुखाङ्गता भवतीत्यष्टमः। तथा चैत्याभिधानो द्रुमोऽशोकवृक्षः स्यादिति नवमः। तथा अधोमुखाः कण्टका भवन्तीति दशमः। द्रुमाणां नम्रता स्यादित्येकादशः । तथा उच्चैर्भुवनध्यापी 9 दुन्दुभिध्वानः स्यादिति द्वादशः। तथा वातः सुखत्वादनुकूलो भवतीति त्रयोदशः। तथा पक्षिणःप्रद-9 क्षिणगतयः स्युरिति चतुर्दशः। तथा गन्धोदकवृष्टिरिति पञ्चदशः। बहुवर्णानां पञ्चवर्णानां जानूत्सेधप्रमाणानां मणीचकानां वृष्टिः स्यादिति षोडशः। तथा कचानामुपलक्षणत्वाल्लोम्नां च कूर्चस्य नखानां 12 पाणिपादजानामवस्थितत्वस्वभावत्वमिति सप्तदशः। तथा भुवनपत्यादिचतुर्विधदेवनिकायानां जघन्य-12 तोऽपि समीपे कोटिर्भवतीत्यष्टादशः। तथा ऋतूनां वसन्तादीनां सर्वदा पुष्पादिसामग्रीभिरिन्द्रियार्थानां स्पर्शनरसगन्धरूपशब्दानाममनोज्ञानामपकर्षेण मनोशानां च प्रादुर्भावेनानुकूलत्वं भवतीत्येकोनविंशः। 15 इति देवैः कृता एकोनविंशतिस्तीर्थकृतामतिशयाः। एते च यदन्यथापि दृश्यन्ते तन्मतान्तरमवगम्यमिति। 16 ते च सहजैश्च चतुर्भिः कर्मक्षयजैरेकादशभिः सह मीलिताश्चतुत्रिंशद्भवन्तीति । ६१२) अथ वचनातिशया।संस्कारवत्त्वं-संस्कृतलक्षणयुक्तत्वम् १,औदात्यम्-उच्चैवत्तिता २, उप18 चारपरीतता-अग्राम्यत्वम् ३, मेघगम्भीरघोषत्वं-सेघस्येव गम्भीरशब्दत्वम् ४, प्रतिनादविधायिता-प्रति- 18 रवोपेतत्वम् ५, दक्षिणत्वं सरलत्वम् ६, उपनीतरागत्वं-मालवकैशिक्यादिग्रामरागयुक्तता ७, एते च सप्त शब्दापेक्षयातिशयाः। अन्ये त्वातिशयाः। तत्र महार्थता-बृहदभिधेयता ८, अव्याहतत्वं-पूर्वापरवाक्या21 विरोधः ९, शिष्टत्वम्-अभिमतसिद्धान्तोक्तार्थता वक्तुः शिष्टतासूचकत्वं वा १०, संशयानानसंभवः- 21 असंदिग्धत्वम् ११, निराकृतान्योत्तरत्वं-परदूषणाविषयता १२, हृदयंगमता-हृदयग्राह्यत्वम् १३, मिथः साकाङ्कता-परस्परेण पदानां वाक्यानां वा सापेक्षता १४, प्रस्तावौचित्यं-देशकालाव्यतीतत्वम् १५, तत्त्व24 निष्ठता-विवक्षितवस्तुस्वरूपानुसारिता १६,अप्रकीर्णप्रसृतत्वं-सुसंबद्धस्य सतःप्रसरणम्,अथवाअसंबद्धा- 24 धिकारित्वातिविस्तरणाभावः १७, अस्वश्लाघान्यनिन्दिता-आत्मोत्कर्षपरनिन्दाविप्रयुक्तत्वम् १८, आमि जात्यं-वक्तुः प्रतिपाद्यस्य वा भूमिकानुसारिता १९, अतिस्निग्धमधुरत्वं-घृतगुडादिवत्सुखकारित्वम् २०, 27 प्रशस्यता-उक्तगुणयोगात्प्राप्तश्लाघता २१, अमर्मवेधिता-परमर्मानुट्टनस्वरूपत्वम् २२, औदार्यम्-अमि-27 घेयार्थस्यातुच्छत्वम् २३, धर्मार्थप्रतिबद्धता-धर्मार्थाभ्यामुपेतत्वम् २४, कारकाद्यविपर्यासः-कारककालवचनलिङ्गादिव्यत्ययवचनदोषापेतता २५, विभ्रमादिवियुक्तता-विभ्रमो वक्तृमनसोभ्रान्ततास आदिर्यषां 30 विक्षेपादीनांस विभ्रमादिर्मनोदोषस्तेन वियुक्तत्वम् २६,चित्रकृत्त्वम्-उत्पादिताविच्छिन्नकुतूहलत्वम् २७, 30 अद्भुतत्वं-प्रतीतत्वम् २८, तथानतिविलम्बिता-प्रतीता २९, अनेकजातिवैचित्र्यं-जातयो वर्णनीयवस्तुस्वरूपवर्णनानि तत्संश्रयाद्विचित्रत्वम् ३०, आरोपितविशेषता-वचनान्तरापेक्षयाहितविशेषणत्वम् ३१, 33 सत्त्वप्रधानता-साहसोपेतता ३२, वर्णपदवाक्यविविक्तता-वर्णादीनां विच्छिन्नत्वम् ३३, अव्युच्छित्ति:विवक्षितार्थसम्यसिद्धिं यावदव्यवच्छिन्नवचनप्रमेयता ३४, अखेदित्वम्-अनायाससंभवः ३५, इत्येवमहतां पञ्चत्रिंशद्वाचां गुणातिशया भवन्तीति । 38 :१३) दानगतो ऽन्तराय इत्येको दोषः, लाभगतोऽन्तराय इति द्वितीयः, वीर्यगतोऽन्तराय इति । तृतीयः, भुज्यत [इति] भोगः स्रगादिस्तगतो ऽन्तराय इति चतुर्थः, उपभुज्यत [इति] उपभोगो उजनादि तद्गतोऽन्तराय इति पञ्चमः, हासः-हास्यमिति षष्ठः, रतिः-पदार्थानामुपरि प्रीतिरिति सप्तमः, 39 अरतिः रतेरविषय इत्यष्टमः, भीतिः-भयमिति नवमः, जुगुप्सा-घृणेति दशमः, शोकः-चित्तवैधुर्यमि-3 त्येकादशः, काम:-मन्मथ इति द्वादशः, मिथ्यात्वं-दर्शनमोह इति त्रयोदशः, अशानं-मौख्यमिति 8) B तथा कंटका अधोमुखा भवंतीति दशमः तथा द्रुमा वृक्षा नमंतीति एकादशः खे दुंदुभिनाद उच्चरतिशयेनेति द्वादशः। 9) read त्रयोदश eto. without. 10) om. पञ्चवर्णानां. 12) BP मवस्थितस्वभा, सप्तदश is made सप्तदशमः with the addition of म: on the line. 14) B स्पर्शरसगंध, 'मपाकर्षण. 25) अभिजात्य. 28) PB'भ्यामनपेतत्वम्. 30)० 'दोषत्वेन कियुक्तत्वं. The printed text puts hyphens which are not found in the Mss. In the Mea, tho words stand separate or joined in Samdbi. Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 438 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. F 13 : Verse 1691 चतुर्दशः, निद्रा-स्वाप इति पञ्चदशः, अविरतिः-अप्रत्याख्यानमिति षोडशः, रागः-सुखामिक्षस्य सुखानु-1 स्मृतिपूर्वदुःखे तत्साधने ऽप्यभिमते विषये गर्धत इति सप्तदशः, द्वेषः-दुःखाभिशस्य दुःखानुस्मृति3 पूर्वदुःखे तत्साधने वा क्रोध इत्यष्टादशः, इत्यष्टादशदोषास्तेषामृषभादीनामहतां न भवन्तीति । अतीता-3 नागतवर्तमानलक्षणं कालत्रयम् । धर्मास्तिकायोऽधर्मास्तिकायः पुद्गलास्तिकायो जीवास्तिकाय आकाशा स्तिकाय पते पञ्चास्तिकायाः। एतत्सर्वमपि श्रीजैनशासनरहस्यं विवेकिना परिज्ञेयम् । 6 १४) विनीतो देशनामेनां श्रुत्वा तत्त्वानुगामिनीम्। . ___नमस्कृत्य गुरुन् गेहं गुणग्रामगुरुनगात् ॥ १६९ एवं स नित्यमभ्येति हित्वा व्यापारमात्मनः। धर्मामृतं पिबत्येष तृषाक्रान्त इव स्वयम् ॥ १७० 9 सोऽन्यदा चलितान् शात्वा प्रभून विनयतोऽवदत्। जनकोऽस्त्वत्र मे येन प्रीतिरुत्पद्यते ऽमुतः ॥१७१७ ततस्ते सूरयो ऽघोचन शात्वा मानेन तत्त्वतः । नायं ते जनको मन्त्रिन् किंतु ते पोषकः पिता ॥ १७२ विनीतः प्राह निर्माय निर्मायः वं शिरोनतम् । कस्तर्हि ते ततःप्रोचुः सूरयस्तत्त्वकोविदाः ॥ १७३ 12 पिता कर्मकरो वृद्धो माता कर्मकरी च ते । युवा च कर्मकृद्भातेत्यवगच्छ कुटुम्बकम् ॥ १७४ 12 अन्यथाभाषिणो नामी निश्चित्येति प्रणम्य तान् । स जगाम निजं धाम बाष्पाविलविलोचनः॥१७५ मषीमलिनवस्त्राया धूमध्यामलचक्षुषः । कौतुकात्पश्यति जने स किङ्काः पदे ऽपतत् ॥ १७६ 15 त्वमत्रस्थापि न शाता हतकेन मया हहा । मातः सिद्धिरिवेदानीं गुरुभिः कथितासि मे ॥ १७७ त्वयाई पुत्रवन्नित्यमजानत्यापि लालितः । कृतघ्नेन मया कर्मकृत्वे हासि नियोजिता ॥ १७८ दुर्भिक्षे पोषितं हा धिक पिक्येव त्वामशक्तया। पापयासि मया मार्गे त्यक्तो धिग्मां कुमातरम् ॥ १७९ लब्धपक्षःस्वभाग्येन वचोमिरमृतोपमैः । पिकवत्प्रीणयन् लोकं परां श्रियमशिश्रियः ॥१८० 18 पितुभ्रोतुश्च चलनी नमस्यन् विनयादयम् । विनीतो वक्षसा ताभ्यामाश्लिष्टः प्राप संमदम् ॥ १८१ वक्रेतरमतिश्चक्रे सञ्चके प्रथमस्ततः। सर्वत्राधिकृतानेतान् विनीतः स्वनिकेतने ॥ १८२ 21 यथोचितां वितन्वानो ऽन्येषामप्येष माननाम् । सुवचोभिः क्रियाभिश्च सर्वत्र प्रथितोऽभवत्॥१८३ 21 श्रीमजैनपदाम्भोजे भजतश्चश्वरीकताम् । कदाचनास्य न स्वान्ते क्रूरत्वं लभते स्थितिम् ॥ १८४ प्रवेष्टुं मानसे यस्य शमसारिराजिते । न क्षमाः प्राणभीत्येव कषायाः पन्नगा इव ॥ १८५ 24 सर्वदा प्राज्यराज्यश्रीचिन्ताचान्तमना अपि । गार्हस्थ्ये वर्तमानो ऽपि सदाचार ततान यः॥१५ 24 __ कदापि श्रमणस्थाने वन्दनार्थ स यातवान् । मुनिमेकमतिग्लानं वीक्ष्य श्रद्धोद्रो ऽब्रवीत् ॥१८७ औषधं मदहे सम्यगस्ति रोगनिवर्तकम् । प्रासुकं चेति साधुभ्यामानाययत सत्वरम् ॥ १८८ 27 इत्युक्त्वा स ययौ गेहे साधुभ्यां सह धीसखः। तस्थतुस्तौ बहिः साधू स तु वेश्मान्तराविशत्॥१८९ 27 अथ च। श्रेष्ठिकन्यामुना कापि वृतास्ति गुणशालिनी । दत्तो मौहूर्त्तिकैः सैव दिवसस्तद्विवाहने ॥ १९० तद्विहस्ततया मन्त्री विसस्मार तदौषधम् । किंचित्तत्र मुनी स्थित्वा जग्मतुर्निजमाश्रयम् ॥ १९१ 30 पाणिग्रहणसामग्री समग्रामप्यकारयत् । लग्नक्षणस्य प्राप्तौ स सस्मार च तदौषधम् ॥ १९२ स विधायोत्तरं तत्र किंचिन्मित्रेण संगतः। पश्चात्तापकृदादायौषधं वसतिमागमत् ॥ १९३ रोगातोंऽपि मुनिग्लानो विदधे नान्यदौषधम् । ततः कष्टमुपारुढो बभूवातीव निस्सहः ॥ १९४ 33 तं तथाविधमालोक्य विनीतः साश्रुलोचनः आत्मानमात्मना निन्दन् पतितस्तस्य पादयोः॥ १९५ त्रिधा क्षमयतस्तस्य विनीतस्य च तं मुनिम् । समलङ्कतवीवाहोचितमण्डनशालिनः॥ १९६ ध्यायतो भावनां तस्य भविनां भवनाशिनीम् । केवलशानमुत्पेदे घातिकर्मक्षयात् क्षणात् ॥ १९७ 36 शानेन तेन विदितेन समुजवलेन संपश्यतस्त्रिजगतीजनतामनन्ताम् । चारित्रचिह्नमथ तस्य मुनीश्वरस्य क्षिप्रं समर्पितवती ननु जैनदेवी ॥ १९८ नारी नितम्बजघनस्तनभूरिभारां हित्वा भवोदधिनिमज्जनहेतुमेताम् । तत्रैव लग्नसमये प्रवरे वराङ्गीं व्यूहे तपस्विषु वरः स चरित्रलक्ष्मीम् ॥ १९९ 2) B सुखे for दुःखे. 6) P धर्मास्तिकायाः। एतत्सर्वमपि etc. 11) P निर्माय निमेयि स्व ० निर्माय (यः) निर्माय स्वं, १ मतः for ततः. 15) 0 सिद्धिरेवेदानी. 16) B has an additional verse (after नियोजिता) like this-इति सामे [सास] बदतास्मिन् संजातप्रश्न [-स्न वाथ सा [1]चिरात् ज्ञातासि वत्सत्वमित्युक्त्वा दत्तवक्षसा ॥. 34) B साश्रलोचनः. 36) B भवनाशनी. Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. 16 : Verse 2001 कुवलयमालाकथा ३ * 89 एनां कथामवितथा विनयप्रधानां सम्यग निधाय हृदि मन्त्रिमुनीश्वरस्य । यूयं यतध्वमधुना विनये निकायं यस्मादयं दिशति निर्वृतिशर्मलक्ष्मीम् ॥ २०० । इति विनये विनीतस्य कथा । ६१५) अत्रान्तरे चण्डसोमप्रमुखैः पञ्चभिर्मुनिभिर्विशप्तम् । 'यद्भगवानाज्ञापयति तत्सर्वमपि प्रपत्स्यामहे । यत् पुनर्दुश्चरित्रं तच्छल्यमिव हृदये प्रतिभाति । ततो भगवता श्रीधर्मनन्दनेन समादिष्टम् । 6 एतत् कदापि चेतसि न चिन्तनीयं यत्किलास्माभिः पापकर्म समाचरितम् । स केवलं पापकर्मा यः 6 पश्चात्तापपरोन भवेत्।' इति श्रुत्वा भूपतिर्मनसैव श्रीधर्मनन्दनाचार्य प्रणिपत्योद्यानान्निर्गत्य विद्युद्धत्क्षिप्तकरणेन प्राकारमुल्लड्य वासवेश्म प्रविवेश, निर्विष्णः शयने सुष्वाप च । साधवो ऽपि स्वाध्याय9 दत्तावधानाः कृतावश्यकाः क्षणं निद्रामुपलभ्य प्राभातिककालग्रहणप्रवणा बभूवुः । अत्रावसरे ऽरुणप्र-9 भापाटलिते गगनतले क्रमेण विरोचने पूर्वाचलचूलावलम्बिनि प्राभातिकतूर्यारवाडम्बरं बन्दिजनमुखवर्णितं प्रभातावसरं च समाकर्ण्य निद्राघूर्णितताम्रनयनयुगलः पृथ्वीपालः शयनीयादुत्तस्थौ । ततः स 12 कृतावश्यककर्मा भूमिवासवः प्रभातकृत्यं विधाय च सचिववासवसमेतश्चतुरङ्गबलकलितः शक्र इव 12 चतुर्दन्तं कुञ्जरमारुह्योद्यानं समागम्य भगवन्तं श्रीधर्मनन्दनविभुं साधूश्च प्रणनाम । ततो भूपतिना जल्पितम् । 'भगवन् , सर्वथैव पुत्रमित्रकलत्रादिममत्वं त्यक्तुं न क्षमः, परं गृहस्थावस्थस्यैव मम किंचि15 संसारसागरतरण्डकं देहि ।' भगवता निवेदितम् । 'यद्येवं तावदेतानि पश्चाणुव्रतानि त्रीणि गुणवतानि 15 चत्वारि शिक्षावतानीति सम्यक्त्वमूलं द्वादशविधं श्रावकधर्म प्रतिपालय' इति । तेन नरेश्वरेण 'यदाज्ञापयति प्रभुः' इति वदता सम्यक्त्वमूलानि द्वादशवतान्यङ्गीकृतानि । ततः सचिववासवःसमुवाच । 18'भगवन् , किमपि भवतां पूर्ववृत्तान्तं वयं न जानीमः।' भगवता जल्पितम् । 'अयमेव कथयिष्यति । 18 अस्माकं सूत्रपौरुषीव्यतिक्रमो भवति । अद्य तावदस्माभिर्विहारः कार्य एव।' एतदाकर्ण्य भूपतिर्वासव सचिवान्वितो भगवच्चरणारविन्दयुगलमभिनम्य निजधवलधाम समुपाजगाम । भगवान् सूत्रपौरुषीं 21 निर्माय प्रधानेषु क्षेत्रेषु विहाराय प्रचचाल । ते ऽपिचण्डसोमप्रमुखाः स्तोकेनापि कालेनाधीतशास्त्रार्था 21 द्विविधशिक्षाविचक्षणा जज्ञिरे । तेषां चैकदिवससमवसृतिप्रवजितानां महान् धर्मानुरागो मिथः समजनि । अन्यदा तेषां पञ्चानामपि परस्परं संलापः समभूत्। 'भो, दुर्लभो जिनप्रणीतो धर्मः कथं 24 पुनरन्यभवे प्राप्यत इति, तावत्सर्वथा किमत्राचरणीयम्'। इति भणित्वा परस्परं तैः पञ्चभिरप्यग्रेत-24 नभवोपरि प्रतिवोधसंकेतश्चके । एवं च तेषां मुनीनां सिद्धान्ताभ्यासलालसानां कालो व्यतिक्रमति । किंतु चण्डसोमः स्वभावेन कोपनो मायादित्यो ऽपि मनाए मायावी वर्तते । अपरे पुनः संयमिनः 27 प्रतिभन्नदुर्जयकषायप्रसराः प्रव्रज्यामनुपालयन्तः सन्ति । कालेन च स लोभदेवो निजमायुः प्रपाल्य 27 कृतसंलेखनादिविधिनिदर्शनचारित्रतपोविहिताराधनः पूर्वबद्धदेवायुर्विपद्य सद्यो ऽनवद्यलक्ष्मीः सौधर्मदेवलोके पद्मविमाने समयेनकेन देवत्वमशिश्रियत् । स च पद्मप्रभनामा तत्र त्रिदशः स्वैरं 30 चिक्रीड । एवं मानभटो ऽपि स्वायुपि क्षयमीयुषि संसारलतालवित्री सुखसंपदा धरित्री पञ्चपरमेष्ठि- 30 नमस्कृतिं स्मरस्तेनैव क्रमेण तस्मिन्नव विमाने ऽनेकयोजनविस्तृते पद्मसारनामेति देवः समुदपद्यत । एवं मायादित्यचण्डसोममोहदत्तात्रयो ऽपि कृतचतुर्विधाहारपरीहाराः एञ्चपरमेष्टिनमस्कारपरायणा 33 आराधनविधानाबद्धचेतसश्चतुःशरणशरणाः परिहृताष्टादशपापस्थाना यथासंयमविधिना प्राणितान्ते 33 यथाक्रमेण पद्मवर-पद्मचन्द्र-पद्मकेसराभिधानास्तस्मिन्नव विमाने सुमनसः समभवन् । तत एवं तेषां पद्मविमाने समुत्पन्नानां समविभवपरिवारबलप्रभावपौरुषायषामन्योन्यस्नेहलालितमनसां मिथः 36 कृतसंकेतानां कालो व्यतिक्रामति । 36 १६) अत्रान्तरे सुरसेनापतिताडितघण्टानिनादे समुच्छलिते सहसैव तैर्वृन्दारकै 'किमिति घण्टानादः।' इति परिजनोऽप्रच्छि । ततः प्रतीहारो व्यजिज्ञपत् । 'देव, जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे मध्यमखण्डे 39 श्रीमतो धर्मतीर्थकृतः समुत्पन्नविमलकेवलज्ञानभ्य समवस्तौ त्रिदशवृन्दसहितेन सुरेश्वरेण गन्तव्य- 39 मस्ति । तदा तदाकर्ण्य तैः सुरैस्तत्रस्थैरेव भक्तिभरावनतोत्तमाङ्कः श्रीधर्मनाथस्य भगवतः प्रणतिश्चके। 1) B सम्यग् विधाय. 3) PB om. इति. 10) " पाटलिगगनतले. 13) 'योद्यानमागम्य. 14) P कलादिभित्रं. 15) 0 तरण्डं P तरवं. 20) PR'चरणयुगल. 21)। धीतशास्त्रा. 24) ० प्रापयिष्यते इति. Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *40 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. F 16 : Verse 2011 अथ ते सुराः पनसारप्रमुखास्त्रिदशाधिपेन सार्ध भावनामावितान्तःकरणाश्चम्पापुर्या श्रीधर्मजिनेश्वरस्य 1 समवसरणमवायुः । पद्मसारेण सुमनसा सुमनःपतिरभाणि । 'यदि यूयं ममाज्ञां ददत ततो ऽद्याहमेक ३ एव गोस्वामिनः श्रीधर्मजिनेन्द्रस्य समवसृर्ति रचयामि' इति । वज्रिणा तथा' इति प्रतिपेदे । तथा हि,3 योजनोन्मानमेदिन्यां पद्मसारःशुभाशयः। प्रमार्जयन् रजो बाह्य स्वस्यान्तस्तदपाहरत् ॥ २०१ ततः स एव गीर्वाणः सुगन्धोदकवृष्टिभिः । सिषिचे पुण्यबीजस्य वापायेव महीतलम् ।। २०२ सुवर्णमणिमाणिक्यश्रेणिभिर्भक्तिभासुरः । हर्षतः परितः पद्मसार: पृथ्वी बबन्ध सः ॥ २०३० जानुदग्नरधोवृन्तैः पञ्चवर्णमणीचकैः । भाविधर्माधिसंस्पर्शा पृथिवीमार्चयन् स च ॥२०४ द्विधा सुमनसा तेन काष्ठासु चतसृष्वपि । अकारि सुमनोहारि तोरणानां चतुष्टयम् ॥ २०५ तस्याप्रतिमशोभस्य वीक्षणार्थमिवागताः । साक्षादिव बभुर्देव्यो विविधा शालभञ्जिकाः ॥ २०६ रेजे ध्वजवजो यत्र चञ्चलस्तोरणोपरि । आकारयन् भव्यलोकमिव धर्मजिनान्तिके ॥ २०७ अधस्तले तोरणानां भूमिपीठेषु तेषु सः । प्रत्येकं रचयांचके मङ्गलान्यष्ट निर्जरः ॥२०८ चले वैमानिकसुरः पद्मसारः प्रमोदभाक् । व रात्नं पञ्चवर्णमण्याढ्यकपिशीर्षकैः ॥२०९ रेजे रत्नमयो वप्रः पताकाराजिराजितः ।खं संक्षिप्य वपुर्भक्त्या रोहणाद्रिरिवागतः ॥२१० जातरूपमयं वप्रं द्वितीयं तद्वहिः सुरः । स्वज्योतिषेव विदधे भक्तिसंभारभाजनम् ॥ २११ कपिशीर्षतती रेजे तत्र रात्नी विनिर्मिता । राजीवबन्धुराजीव बहुद्वीपेभ्य आगता ॥ २१२ तृतीयः पद्मसारेण प्राकारस्तद्वहिः कृतः । राजतः श्रीजिनं नन्तुं वैताढ्याद्रिरिवागमत् ॥ २१३ तत्रोच्चैर्जात्यरजतकपिशीर्षावलिर्दधौ । स्वर्गापगाम्भसि स्वर्णमयनीरजविभ्रमम् ॥ २१४ रेजे वप्रत्रयी पृथ्व्यास्निपट्टवलयाकृतिः। प्राकाराग्रावली नानाविधिविच्छित्तिसंगता ॥२१५ तोरणास्तत्र भान्ति स्म नीलाश्मदलनिर्मिताः । प्रतिवप्रं चतुर्दारे चतुर्दारे शिवश्रियः ॥२१६ शारदाभ्रमहाशुभ्रास्तोरणेषु ध्वजवजाः। रेजुः पुण्यश्रियः शस्ता हस्ता विस्तारिता इव ॥ २१७ दह्यमानागुरुक्षोदधूपधूमसमाकुलाः । धूपघट्यः प्रतिद्वारं राजन्ते तत्पुरस्सराः ॥ २१८ रेजुर्वाप्यः प्रतिद्वारं स्वर्णाम्बुजमनोहराः। कीडनार्थमिव स्फूर्जद्वहिधर्मवतश्रियाम् ॥२१९ प्रारद्वारे मणिवप्रस्य स्वर्णवर्णविराजितौ। प्रतीहारौ स्फुरद्वक्षस्तारहारौ स निर्ममे ॥ २२० यतिश्रावकयोधर्माविव मूर्तित्वमागतौ । याम्यद्वारे द्वारपती सिताङ्गौ स चकार च ॥ २२१ 24 चित्तोद्धतेन सर्वज्ञरागेणेवारुणधुती। निर्मितावपरद्वारे द्वारपालो सुपर्वणा ॥ २२२ उदग्द्वारे ऽत्र दोषघ्ननीलिकास्थासकाविवा । कृतौ कृष्णाङ्गको तेन द्वारपौ दानवारिणा ॥२२३ स निर्ममे ऽप्रतिच्छन्दं देवच्छन्दं जिनेशितुः। विधामाय सुरः स्वर्णवप्रान्तर्मणिराशिभिः ॥ २२४ 27 अन्तर्माणिक्यवप्रस्य त्रिदशश्चैत्यपादपम् । चकार चत्वारिंशामधनुष्पञ्चशतीमितम् ॥ २२५ पद्मसारः स तस्याधो मणिपीठोपरि व्यधात् । साडिपीठं रत्नमयं सिंहासनमनुत्तरम् ॥ २२६ नवहेमाम्बुजन्यस्तपदस्त्रिदशकोटियुक् । विभुः समवसरणं प्राच्यद्वारे विवेश सः॥२२७ ततः प्रदक्षिणीकृत्य चैत्यद्रं प्रामुखः प्रभुः । नमस्तीर्थायेति वदन्निविष्टः सिंहविष्टरे ॥ २२८ अपरास्वपि काष्ठासु त्रिदशस्तिसृषु व्यधात् । रूपत्रयं प्रभोस्तुल्यं स तस्यैव प्रभावतः ॥२२९ चतुर्गतिगतान जन्तूनुद्धत् निखिलानपि । चतुष्ककुम्मुखस्थायि हतु मोहमहावलम् ॥ २३० चतुष्टयं कषायाणां निराकतुं विरोधिनाम् । कर्तु चतुर्विधं संघमघसंघातघातिनम् ।। २३१ दानशीलतपोभावभेदैर्धर्म चतुर्विधम् । व्यक्तं निवेदितुं तच्च ध्यानमार्गचतुष्टयम् ॥ २३२ प्रपश्चितचतुर्गात्रः पवित्रितजगत्रयः । व्याख्याक्षणे प्रभुः श्रीमान् धर्मनाथस्तदाशुभत् ॥ २३३ चतुर्भिः कलापकम् ॥ जगतीत्रितयैश्वर्यसूचकं भुवनप्रभोः। छत्रत्रयं सुरश्चके वक्रेतरमतिः स्वयम् ॥ २३४ ६१७) एतस्यां समवसृतौ विभावसुदिशि क्रमात् ।। प्रविश्य पूर्वद्वारेण दत्त्वा तिस्रःप्रदक्षिणाः॥२३५ 99 9) शालिभलिकाः. 12) कपिशीर्षकं. 16) B राजतश्रीजिनं. 21) B दशमानागरु. 24) B याम्यद्वारि. 25) Br चित्तोवृत्तेन, ०°वपरद्वारि. 26) On दोषन्न P has a marginal gloss like this : दृष्टयादिदोषनिवारको नीलिकाहस्तकाविव । 28) Pपंचाशतीमितं. 29) सांक्षिपीठ. 37) P चतुर्भिः कु०. 38) P जगती विनयैश्वर्य. Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. § 18 : Verse 264] कुवलयमालाकथा ३ 1 निविप्राः साधवः साध्यो जिनं नत्वा तदन्तरे । प्रमोदमेदुरास्तस्थुरुर्द्धा वैमानिकाः स्त्रियः ॥ २३६ शुग्मम् ॥ 6 3 प्रविश्य याम्यद्वारेण नैर्ऋते विधिना क्रमात् । ज्योतिष्कभुवनाधीशव्यन्तराणां स्त्रियः स्थिताः ॥ २३७ ३ आगत्य पश्चिमद्वारा वायव्यां भुवनेश्वराः । ज्योतिष्का व्यन्तराश्चैवमादधुर्विधिना स्थितिम् ॥ २३८ प्रविश्याथोत्तरद्वारा प्रणम्यानुत्तरं जिनम् । वैमानिकनरा नार्य ईशान्यां क्रमतः स्थिताः ॥ २३९ न भीस्तत्र न मात्सर्य न बाधा न च दुष्कधा । नासीनियन्त्रणा नाहंकृतिः स्वामिप्रभावतः ॥ २४० तत्र द्वितीयवप्रान्तः कण्ठीरवगजादयः । वैरिणो ऽपि मिथः प्रेमलालसाः स्थितिमादधुः || २४१ तस्थुस्तृतीयवप्रान्तर्वाहनानि क्षमाभृताम् । सुराणामसुराणां च विमानानि यथाक्रमम् ॥ २४२ 9 क्षेत्रे योजनमात्रे ऽत्र प्राणिनः कोटिकोटिशः । संमान्ति यदनावाधं प्रभावः प्राभवो हि सः ॥ २४३ धर्मनाथ जगन्नाथमथानम्य जिनेश्वरम् । स्तुतिं कर्तुं समारेभे पद्मसारः सुधाशनः ॥ २४४ raar सद्यो ऽपि क्षीणं मे क्षीणकल्मष । त्वदाननविलोकेन वायुनेव घनाघनः ॥ २४५ 12. देव त्वदङ्घ्रिकल्पद्रुसेवा हेवाकिनो ऽत्र ये । भजन्ते ते न दारिद्र्यमुद्रामुद्रितमाश्रयम् ॥ २४६ नीरागं तब चित्तं तन्मिथ्या नाथ कथ्यते । मुक्तिनारीपरीरम्भलोलुभं कथमन्यथा ॥ २४७ गुणैस्तवातिनीरन्धैर्धर्मनाथ मनो मम । तथा बद्धं यथा गन्तुं नोत्सहत्यन्यदैवते ॥ २४८ श्रीधर्मनाथ भगवन् भविता स क्षणः कदा | भवितास्वो यदा त्वं चाहं चैकत्राव्यये पदे ॥ २४९ तनोति न तथोत्कण्ठां मानसं मे शिवश्रिये । यथा तव पदाम्भोजवरिवस्याविधौ विभो ॥ २५० वल्पमतिः स्वामिन् ध्रुवमल्पमतिस्त्वहम् । अतो नहि मया कर्तुं शक्यस्तव गुणस्तवः ॥ २५१ 18 जामेकां श्रुती नेत्रे द्वे द्वे नाथ विधिर्व्यधात् । क्षमः कीर्तिं गुणान् रूपं वक्तुं श्रोतुं किमीक्षितुम् ॥२५२ 18 एतमेवार्थयेऽत्यर्थमर्थमर्थीत्र तीर्थव । वीतराग परं वीतरागं मम मनः कुरु ॥ २५३ ऋभुप्रभुप्रतीक्ष्यं तं स्तुत्वा तत्त्वावलोकटक् । निवसाद यथास्थानं पद्मसारः प्रमोदतः ॥ २५४ अथ सुधारसमुचं समाचारप्रचारिकाम् । विधातुं देशनां धर्मचक्रवर्ती प्रचक्रमे ।। २५५ असार एव संसारः सर्वदा दुःखमन्दिरम् । धर्म एव प्रशस्यः स्यात् तत्र स्वर्गापवर्गः ॥ २५६ संसारसागरे पारे भ्रमद्भिः प्राणिभिश्चिरात् । नृजन्म लभ्यते पुण्यैर्वसुधान्तर्निधानवत् ॥ २५७ नृभवं दुर्लभं प्राप्य यः प्राणी तनुते तनु । न हितं प्रान्तकाले हि शोचत्यात्मानमेव सः ॥ २५८ करालज्वलनज्वालावलीढे मन्दिरे यथा । स्थातुं न युज्यते पुंसस्तथा दुःखाकुले भवे ॥ २५९ मानुष्यं दुर्लभं प्राप्य चिन्तारत्नसहोदरम् । विवेकिभिर्विधातव्यः प्रमादो न कदाचन ॥ २६० गृह्णाति का किर्णी को sपि मूढः कोटिं यथोज्झति । तथा पुमान् विषयजं शर्म धर्म जिनोदितम् ॥ २६१ 27 सागरान्त र कल्लोलमालालोलाः श्रियो नृणाम् । कुशाग्रस्थ स्तुषाराम्बुविन्दुकम्पं हि जीवितम् ॥ २६२ रूपलक्ष्मीस्तडिद्दण्ड सादृश्यं भजते ऽनिशम् । स्वाम्यं स्वप्तोपमं संध्यामेत्रलेखासखं सुखम् ॥ २६३ 30 देशनाविरते श्रीमद्धर्मनाथजिनेश्वरे । कृताञ्जलिस्ततो वाचमुवाच गणभृत्तमः ॥ २६४ 15 21 24 27 41 8 ) च वैमानानि 20 ) P प्रतीक्षं तं. 31 ) Pr. om. पर्पदि. 37 ) Bow. ततो 39 ) PB निवृत्ति 41 ) Before महादेवी P adds लोचना aud B adds सुलोचना (सु being added later ). 6 1 6 9 12 16 30 'भगवन्, एतस्यां सुरासुरनरतिर्यकोटिनिभृतायां पर्पदि कः प्रथमं महोदयपदं गामी' इति । ततो भगवता निवेदितम् । 'भो देवानुप्रिय, यस्तव सविधे वृपलोचनः स्मृतपूर्वभवः संविग्नमानसो 33 निर्भयप्रचारो मदर्शनसंतुष्टः प्रमोदभरप्रविगलदश्रुलोचनयुगलस्ताण्डवित कर्णयामलः समागच्छन्नस्ति 33 सर्वेषामपीहस्थजन्तूनां पूर्वमेवैष पापविनिर्मुकः सिद्धिपदं गमिष्यति' इति । एवं भगवतो भणितानन्तरमेव समकालं सकलनरेन्द्रवृन्दत्रिदशेन्द्रलोचनानि कौतुकरभसविकाशवन्ति मूषकोपरि निपतितानि । 36 स चागत्य भक्तिभरनिर्भराङ्गो भगवतः श्रीधर्मनाथस्य पादपीठे लुलोठ । महीतलनमितोत्तमाङ्गः सर्वाङ्ग- 36 रोमोम संगम आखुः स्वभाषया भषितुं प्रवृत्तः । ततो भणितं त्रिदशपतिना । 'भगवन्, मम मनसि महकौतुकसिदं यदेष मूषकः सर्वाधमस्तुच्छजातिः काननान्तरसंचारी सर्वेषामेवास्माकं मध्ये प्रथमं 39 30 निर्वृतिश्रियमाश्रयिष्यति । ततः श्रीमद्भगवान् स्वयमवादीत् । 21 ९ १८ ) अस्ति विन्ध्यो नाम महीधरः । तस्योपत्यकायां विन्ध्यावासाभिधानो महान् संनिवेशः, स चातीय विषमः । तत्र महेन्द्रः पृथिवीपतिः । तस्य ताराभिधाना महादेवी । तत्कुक्षिसंभवः सुत42 स्ताराचन्द्रो वर्षदेशीयः । अत्रावसरे छिद्रान्वेषिणा बद्धवैरातिशयेन कोशलेन भूमिपतिनावस्कन्दं 42 24 Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -42 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. $18 : Verse 2651दत्त्वा सकलो ऽपि संनिवेशो ऽभाजि । महेन्द्रो युध्यमानस्तेन वैरिणा विनाशितः । ततो हतं सैन्यमना- 1 यकमिति सकलमपि यलं पलायितुं प्रवृत्तम् । तत्र तारामहादेवी तं पुत्रं ताराचन्द्रमङ्गल्यां विलग्य जनेन 3 सह नष्टा । सापि नश्यन्ती क्रमेण शिवमिव दुर्गान्वितं, कामिनीकुचतटमिव विहारालंकतं, सरोघर- 3 मिव कमलालयं, गान्धिकापणमिव सचन्द्र,स्वर्गमण्डलमिव [विबुधालङ्कतम् ], वाटिकास्थानमिव वृषास्पदं सदारम्भं सशिवं च लाटदेशलक्ष्मीललाटललामश्रीभृगुकच्छमियाय । 6 आस्यान्यास्योपमामेव लभन्ते यत्र सुभ्रवाम् । राकाशशाङ्कपद्मानि तेषां दास्यं तु विभ्रति ॥२६५ 8 प्राकारो ऽभ्रंलिहो यत्र संक्रान्तः परिखाम्बुनि । पातालनगरीशालमलं जेतुमना इव ॥२६६ रत्नान्याददिरे ऽनेन मद्नेहादिति मत्सरात । अम्बुधिः परिखाव्याजाद यत्र शालमवेष्टत ॥ २६७ 9 नमेति लक्षणे लोकैर्यत्र पेठे ऽक्षरद्वयम् । याचके तु समायाते स्वभ्यस्तमपि विस्मृतम् ॥ २६८० ६१९) तत्र च सा किंकर्तव्यमूढचित्ता 'कथं वा भवितव्यम्' इति चिन्तयन्ती यूथभ्रष्टा हरिणीव चश्वरमहेश्वरमण्डपं प्रविवेश । तदैव तया गोचरचयाँ निर्गतं साध्वीयुगलमदर्शि। तहष्टा 'महानुभावे 12 प्रधाने क्रियाकलापनिरते एते साध्व्यौ' इति चिन्तयन्त्या तया समुत्थाय वन्दिते । ताभ्यां धर्मलामं12 दत्त्वा 'कुतस्त्वम्' इति पृष्टा । तया 'विन्ध्यपुरादागता' इति विज्ञप्तम् । ततस्तस्या रूपलावण्यलक्षणानि निरीक्ष्य तञ्च तादृशगद्गदस्वरभाषितं च श्रुत्वा साध्योरनुकम्पा महती जाता । यतः, 15 "महतामापदं वीक्ष्य मोदन्ते नीचचेतसः । महाशया विषीदन्ति परं प्रत्युत सर्वदा ॥ २६९॥" 16 ताभ्यां भणितम् । 'यदि भद्रे, तव पुराभ्यन्तरे को ऽप्युपलक्षितो नास्ति तत आवाभ्यां सह समा गच्छ।' ततो 'महाननुग्रहः' इति तया वदन्त्या ताभ्यां सहागत्य महत्या भक्त्या प्रवर्तिनी प्रणता।तां दृष्ट्रा 18 18चिन्तितं प्रवर्तिन्या। 'अहो, एतस्या अतिकमनीयाकृतिः पुनरीदृश्यवस्था, तन्मन्ये कापीयं राजवंश्या राजकलत्रं वा, असावत्यन्तसुन्दरः सल्लक्षणशाली पार्श्वे सुतश्च ।' ततः प्रवर्तिनी तां तारां सुतसहितां सवात्सल्यमूचे । 'वत्से, समागच्छ मह्या सहेत्यादि।' तया प्रवर्तिन्या सा शय्यातरगृहे स्थापिता। शय्यातरेण च सा दुहितेव प्रतिपन्ना । स राजसूनुर्नित्यं विविधान्नवस्नपानादिभिरूपचर्यते । अन्यदा कियद्भि- 21 दिनैर्गतैस्तारा विगतश्रमा सुखोपविष्टा प्रवर्तिन्या भणिता । 'वत्से, सांप्रतं त्वया किं कर्तव्यम्' इति । तारया जल्पितम् । 'भगवति, यो मम प्रियतमः स समराङ्गणे विपन्नः । विन्ध्यावासपुरं कोशलराजेन 24 भग्नम् । समग्रो ऽपि परिजनः सर्वासु दिक्षु काकनाशं ननाश। सांप्रतं कोशलनरेश्वरो मम पत्यरी 24 प्रबलबलकलितो मम पुत्रस्तु बलरहितः, अतो मम नास्ति कापि स्वराज्यलक्ष्मीप्रत्याशा । अहमत्र पुनः प्राप्तकालं तत्करिष्ये येन भूयोऽपि न ममेहक्षा आपदः संपद्यन्ते । यद्भगवती मम समादेशं दास्यति 27 तदेवावश्यं करिष्ये।' प्रवर्तिन्योक्तम् । 'वत्से, यधेवं तव निश्चयस्ततस्ताराचन्द्रं सुतं प्रव्रज्यार्थमस्मदा-27 चार्याणां समीपे समर्पय । त्वं पुनरस्माकमन्तिके दीक्षां गृहाण । निगृहाण च निजं दुष्कर्म । एचं कृते सर्वस्यापि जनस्य नमस्या भाविनी। संसारवासदुःखस्यापि पर्यन्तो भविष्यति' इति तदाकर्ण्य तयापि 30 'तथा' इति प्रतिपन्नम् । तया तारया निर्मायया ताराचन्द्रस्तनुजः श्रीअनन्तजिननाथतीर्थे विचरतो 30 धर्मनन्दनाचार्यस्य व्रतायार्पितः । तेनापि यथाविधिना स प्रवाजितः । ततः कियति काले व्यतीते यौवनमाश्रितो राजसूनुमुनिः कर्मवशतोऽध्ययनालसो नित्यमेव कृपाणधनुर्गन्धर्वनृत्यतूर्यकृतचित्तप्रव33 त्तिरेव समभवत् । ततः स स्वयमेवाचार्यः पेशलवचोभिः सिद्धान्तानुयायिभिस्तथोपाध्यायेन साधुजने- 33 नापरैः श्रावकैश्च शिक्षितो ऽपि शैक्षो विलक्षमना बभूवन पुनस्ततः प्रत्यावृत्तः । यतः, स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुशिक्षितो ऽपि कापेयं कपिस्त्यजति नो यतः ॥२७० 36 ६२०) अत्रान्तरे धर्मनन्दनसूरयो बाह्यभूमिकामुपाजग्मुः। स च ताराचन्द्रोऽन्तेवासी गुरुमार्गा-38 नुगामी वनस्थल्यां स्वैरं मूषकान् क्रीडां कुर्वतो विलोक्य व्यचिन्तयदिति । 'क्रीडन्ति खेच्छया कस्यापि हि कुर्वन्ति नो नतिम् । न दुर्जनवचः शृण्वन्त्यहो धन्यतमा अमी ॥ २७१ ॥ 39 39 2) B विलगय्य. 4) Bhas a marginal gloss on सचन्द्र eto. like this : सह चन्द्रेण कर्पूरेण वर्तते सचन्द्रम् । नगरपक्षे सह सुवर्णेन वर्तते । वृषो देवेन्द्रः पुण्यं वृषभश्च । सदारम्भाऽप्सरा यन पक्षे सदा कदलीसहितम्, प्रधाना आरम्भा यत्र । शिव ईश्वरः, शिवो वृक्षविशेषः शिवं कल्याणम् ।; PB omit [विबुधालंकृतम्]; PDवाटिकास्थानकमिव; P सदृधाश्रय सदा वृषाश्रय सदारंभ; B ललामं श्री' 13) PB विध्यावासपुरा. 17) Bom. तां दृष्टा. 19) Pस्तसहितां शय्यातरगृहे स्थापिता,oom. प्रवर्तिनी etc. to तया and adds तारा ससुता between सा and शय्यतरगृहे: B however adds on the margin सवात्सल्य eto. to सा. 28) PB inter. निजं दुःकर्म and निगृहाण च. 30) P तया तयेति. 3) o inter. सिद्धान्तानुयायिमिः & पेशलवचोमिः, 36) नोवतः. Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. $ 22 : Verse 277] कुवलयमालाकथा ३ * 43 1 अस्माकं पुनः परायत्तानां सदैव निबिडनिगडवर्जितो बन्धनविधिः । अपर्वतपादपं पतनम् । सजीवं 1 मरणम् । एकस्तावदिति वदति 'यदिदं विधेहि' । अन्यो जल्पति 'यदिदं समाचरे:' । परः 'चरणौ 3 'क्षालय' । अन्यो 'वाराभूमिं प्रमार्जय' । इतरो 'विश्रामणां कुरु' । एको 'वन्दनकं ददस्व, प्रतिक्रमणं विरचय' । इत्यादिविविधवचनैरनारतं प्राजनैरिव प्रेर्यमाणस्य मम नास्ति निमेषमात्रमपि नारकस्येव सुखावकाशः । तदेते ऽस्मत्तः प्रधानाः' इति चिन्तयन् गुरुभिः सह वसतिमायातवान् । स च कियन्त6 मपि कालं श्रामण्यमनुपालय तद् दुश्चिन्तितशल्यं गुरूणां पुरतो ऽनालोच्याकालमृत्युना ज्योतिष्केषु 6 किंचिदूनपत्यायुः सुपर्वा बभूव । तत्र भोगान् भुक्त्वा च्युत्वास्या एव नगर्याः पूर्वोत्तर दिग्विभागे स काननान्तरस्थल्या मुन्दरत्वं प्राप्य यौवनमितो ऽनेकमूषिकाभिः समं क्रीडन् कदाचिद्विवराद्वहिरुपेतः सुर'भिगन्धोदककुसुमवृष्टिगन्धमाघ्राय तदनुमार्गानुसारेणात्र समवसृतौ समागत्य धर्म श्रोतुं प्रावर्तत । अथा- 9 मुष्य मद्रचः शृण्वतो जातिस्मृतिरुदपद्यत । 'यदहं पूर्वभवे सशल्यं व्रतमापाल्य ज्योतिष्केषु देवत्वमवाप्य कान्तारान्तर चारी मूषकः संजातः । एतत्स्मृत्वा 'अहो, कीदृशः कर्मपरिणामः, धिग्विलसितं संसारस्य 12 यद्देवत्वमुपलभ्य तिर्यग्जातौ मूषकः समुत्पन्नः । अधुना तदासनं श्रीभगवतः पादमूलमुपागत्य प्रणिपत्य 12 च पृच्छामि किमहं मूषकभवादनन्तरं प्राप्स्यामि' इति चिन्तयन् मम समीपमुपससर्प | भक्तिभरनिभृतस्वान्तः सुचेतसा स्तोतुमारेभे । 15 ' तवाज्ञालोपिनो ये ऽत्र लोकत्रयशिरोमणे । जायन्ते जन्तवो दूरं दुर्गतौ ते भ्रमन्ति हि ॥ २७२ 15 २१) ततो जानता गणभृता लोकबोधार्थ प्रभुः पृष्टः । 'भगवन्, किमनेन निर्ममे, यदनुभावेनेदृश एष जातो ऽस्ति' इति । प्रभुः प्राह । 'प्राग्भवे ऽनेन व्रतिना सता गच्छवासनियन्त्रणा निर्विण्णचेतसा 18 बहिर्भूमिं गतेन स्वैरं विहारिणो मूषकान् दृष्ट्वेति चिन्तितं यथा 'अरण्यमूषका धन्यतमाः । इति दुश्चिन्त - 18 नशल्य युतव्रतपालनानुभावेन देवत्वमूषकत्वयोग्यमायुर्निबद्धम् । अथ भूयो ऽपि पृष्टं भगवतः पार्श्वे गरे । 'नाथ, किं सम्यग्दृष्टिजीवो ऽपि तिर्यगायुर्बध्नाति न वा' इति । स्वामिनोक्तम् । 'सम्यग्द21 ष्टिजीवस्तिर्यगायुरनुभवति, न पुनर्वभाति । यतः, भवद्वैमानिको ऽवश्यं जन्तुः सम्यक्त्ववासितः । यदि नोद्वान्तसम्यक्त्वो बज्रायुर्न पुराथवा ॥ २७३ तावदेतेन देवत्वे सम्यक्त्वं वान्त्वायुस्तिर्यक्त्वे निबद्धम्' इति । ततस्त्रिदशेशेन जल्पितम् । 'भगवन्, 24 अयं संप्रति शीघ्रं कथं सिद्धिगामी' इति । निवेदितं च भगवता । 'इतश्चैष स्ववनस्थल्यां व्रजन् चिन्तयि- 24 यति । 'अहो दुरन्तः संसारः, कुशाग्रविन्दुवञ्चञ्चलं जीवितव्यं, चपला विषयतार्थ्याः, न वरेण्यं निदानादिशल्यम्, अधमा मूषकजातिः, दुष्प्रापः श्रीजिनप्रणीतः पन्थाः, ततो वरमंत्र नमस्कारपरायणो म्रिये, 27 यथा विरतिप्रधानं जन्म लभेयम्' । इति चिन्तयन् तस्मिन्नेव स्थाने भक्तं प्रत्याख्यायैतदेव मद्वचो ऽतीव 27 दुष्टं भवस्वरूपं च निरूपयनमस्कारपरो भावी । तत्रैतस्य तिष्ठतो मूषिकास्तन्दुलकोद्रवादिकं तत्पुरो मोक्ष्यन्ति । ततस्तन्निरीक्ष्य मूषकश्चिन्तयिष्यति । 90 'मेरोरधिकमाहारं पयोधेरधिकं पयः । अनारतं भवं भ्राम्यन्नेव जन्तुरुपाददे ॥ २७४ 21 30 1 तत्तेन चेन्न तृप्तो ऽयं भक्षितैस्तदिमैः कणैः । का नाम प्राप्स्यते तृप्तिः स्थास्यती 'ति विचिन्तयन् ॥ २७५ २२) ततस्तदभिमुखमीषदपि मूषको न विलोकयिष्यते तच्च तादृशं वीक्ष्य ता मूषिकाश्चिन्त 33 यिष्यन्ति । 'कुतो हेतोरयमस्मत्पतिः कुपितस्तदेनं प्रसादयामः' इति चिन्तयन्त्य एतत्समीपमुपेष्यन्ति । 33 ततः काचिदुत्तमाङ्ग कण्डूयन्ति, अपरा अङ्गं परिस्पृशन्ति । एवमुपचर्यमाणस्ताभिरभित एष चिन्तयिता 'सदैव नरकनिगमा इमा रामाः संसारदुःखमूलम् ।' ततस्ताभिरेतन्मनो न कथमपि समाधितः स्वर्णाद्रि36 शृङ्गवत्सशब्द वातोत्कलिकाभिः क्षोभयिष्यते, तत्कृतं सर्वथैव वृथा भावि एतस्मिन् वज्रे नख विलेखनमिव । 36 ततस्तृतीयदिन एष धाक्षामकुक्षिर्विपद्य मिथिलानगर्यां मिथिलस्य राशचित्राभिधाया महादेव्या उदरसरसि राजहंसलीलामलंकरिष्यति । तेन च गर्भस्थेन जनन्याः सर्वसत्त्वानामुपरि मैत्रीवासनावासितम99 न्तःकरणं भविता । स च भूपस्तस्य जातस्य 'मित्रकुमारः' इति नाम दास्यति । तस्य कौतूहलिनः कुमारस्य 39 ताम्रचूड कपि पशुसम्बर हरिणमूषकादिभिर्नियन्त्रितैरेव क्रीडां कुर्वतो ऽष्टवर्षाणि यास्यन्ति । अन्यदा मेघमालाभिः पिहितव्योममण्डलः । विप्रलम्भभृतां कालः प्रावृट्कालः समागमत् ॥ २७६ 42 सरितः प्राप्य यत्रापः पातयन्ति तटद्रुमान् । पीडयन्ति न कं नीचाः श्रियं प्राप्य महीभृताम् ॥ २७७ 42 3) B विश्रामणं कुरु. 14 ) 0 B स्वच्चेतसा. 15) 0 ते for हि. 21) com. न पुनर्बंध्नाति 29 ) PB मूषकश्चितयति. 1) B. 32 ) P B मिमुखमीषन्मूषको विलोकयिष्यते 37 ) B मिधानाया. Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *44 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III.822 : Verse 278 1 यथा यथावनीपीठे मुश्चन्ति स्म घना वनम् । ऐच्छत्तथा तथा कान्ता मन्मथव्यथिता वनम् ॥ २७८ 1 द्योतन्ते दिवि खद्योतास्तमस्विन्यां निरन्तरम् । संजातयुवतिजातविरहाग्निकणा इव ॥ २७९ 3 अतीवोत्कम्पते यत्र योगिनामपि मानसम् । किं पुनर्दूरसंस्थानामध्वगानां निगद्यते ॥ २८० सर्वेषामपि पर्जन्यः समभूदतिवल्लभः । प्रोषितप्रेयसीवर्गमनगेलशुचं विना ॥२८१ शुक्लापाङ्गाः प्रनृत्यन्ति गर्जन्ति च धनाधनाः। अन्तरिक्षे चतुर्दिक्षु क्षणिका लक्ष्यते क्षणम् ॥ २८२ 6 प्रपा मयि समायाते कथमद्यापि मण्डिताः । वर्षते ऽतिघनेनाशु सर्वास्ताश्चक्रिरे वृथा ॥ २८३ $२३ ) ईदृशे समये स मित्रकुमारः पुरबाटोदेशं निर्गतस्तैः शकुनश्वापदगणैर्वन्धनबद्धैः क्रीडयिष्यति। तेन च प्रदेशेनावधिज्ञानी मुनिर्गमिष्यति । स च व्यावृत्तस्तत्कुमारक्रीडां निरीक्ष्योपयोगं दास्यति । 'अहो, 9 अस्य कीदृशी प्रकृतिस्तत् किमत्र कारणम्' इत्युपयुक्तावधिशानेन करतलकलितकुवलयस्पष्टदृष्टान्तवत् 9 पूर्वभवे तस्य ताराचन्द्रस्य साधुत्वं ज्योतिष्कदेवत्वं मूषकत्वं राजसुतत्वं च द्रक्ष्यते । 'अयं बोधयोग्यः' इति चिन्तयन् स भणिष्यति । 12 'श्रमणत्वं सुपर्वत्वमाखुत्वं स्मृतिमेति ते । स्वजनातुष्टः किं जीवान् कदर्थयसि भो वद' ॥२८४ 12 तदाकर्ण्य कुमारश्चिन्तयिष्यति । अहो, किं पुनरेतेन साधुना भणितोऽस्मि । 'साधुर्योतिष्कदेवो वृषलोचनः' इति । तावत् श्रुतपूर्वमिव मे । एवमूहापोहमात्रमुपागतस्य तस्य तथाविधकर्मणः प्रशान्त्या 15 जातिस्मृतिरुत्पत्स्यते । ततः संसारं दुःखसागरं परिज्ञाय तस्यैव मुनेः पार्श्वे प्रवज्य नानाविधाभिग्रह-16 साग्रहः समाधिना विविधं तपो विधाय क्षपकश्रेण्यान्तकृत्केवली भविष्यति' इति । तेन भणामो यदेष सर्वेषामप्यस्माकं पूर्व महोदयपदं गमिष्यति । अस्माकं पुनर्दशवर्षसहस्रशेषमद्याप्यायुः । एतदृष18लोचनाख्यानकं निशम्य त्रिदशेन्द्रादीनां मनुजानां च मनसि महत्कौतुकमुत्पेदे । अथो भक्तिभरनिभृत-18 चेतसा मघवता तं मूषकं स्वपाणिक्रोडमारोप्याभाणि । 'अहो धन्यस्त्वमेवैको वन्द्यस्त्वमसि नाकिनाम् । सिद्धिगामी पुरास्माकं यरत्वमुक्तः स्वयंभुवा ॥ २८५ 21 सुराः पश्यत कीदृक्षः स्वभावः श्रीजिनाध्वनः। लभन्ते निवृति येन तिर्यञ्चोऽपि भवान्तरे ॥ २८६ 21 एवं वासव इवान्यैरपि त्रिदशेश्वरैर्दनुजनाथैर्नृपशतः करात्करतलं संचार्यमाणः क्षितिपतिकुमारवदालिनयमानः स्नेहपरवशया दृशा 'अयमस्माकमप्यधिको योऽनन्तरजन्मनि निःश्रेयसभाजनं न वृथाश्रीजिन24 प्रणीतं वचः' इति स श्लाघितः। 24 ६२४) ततो विरचिताञ्जलिना पद्मप्रभदेवेन पृष्टम् । 'भगवन् , वयं भव्याः किमभव्याः' इति । भगवानभ्यधात् । 'भवन्तो भव्याः सुलभबोधयः।' पद्मप्रमेण विज्ञप्तं पुनः। 'वयं पञ्चापि जनाः कति27 पयभवसिद्धिगाः ।' निगदितं श्रीमता धर्मतीर्थकृता । 'इतश्चतुर्थे जन्मनि यूयं पञ्चापि सर्वदुःखक्षय-27 गामिनो भविष्यथ ।' पद्मप्रभः समुवाच । 'स्वामिन्, इतो मृतानामस्माकं कुत्रोत्पत्ति विनी।' स्वामिना जगदे । 'इतश्युत्वा त्वं वणिक्पुत्रः, पद्मवरस्तु राजसुता, पद्मसारस्तु नृपतितनयः पद्मचन्द्रः, पुनर्विन्ध्य30 गिरी नखरायुधः, पद्मकेसरः पुना राजपुत्रः।' इति निवेद्य स्वयं भगवान् श्रीधर्मनाथस्तस्थौ । देवा अपि 30 समवसरणं संहृत्य स्वर्गमार्गमगमन् । भगवानपि पीयूषरोचिरिव भव्यजनकुमुदप्रमोदसंपादनाय विहाँ प्रवृत्तः। ततस्ते पञ्चापि संलापं कर्तुं प्रावर्तन्त । एकेनैकस्य संमुखं भणितम् । 'यत् स्वयं भगवता गदितं 33 तदाकर्णितम्, ततो ऽत्रात्मभिः किं करणीयं सम्यक्त्वलाभार्थम् ।' परेण मन्त्रयित्वा प्रोचे । 'यदिदं 39 विषमं कार्यमुपस्थितम् । एको वणिगजन्मा । अन्यो राजतनुजा । अपरः पारीन्द्रः । अपरौ राजपुत्राविति । ततो न ज्ञायते कथं पुनरस्माकं बोधिलाभः । क पुनः संगमो भावी। तदहो पद्मकेसर, इति भग36 वतादिष्टं यत्तव पश्चाच्युतिर्भाविनी । त्वया त्ववधिना ज्ञात्वास्माकं यत्र तत्रोत्पन्नानां सम्यक्त्वं दातव्य-36 मिति । न पुनः स्वर्गसुन्दरीवक्षोजस्पर्शसुखलालसेन विस्मृतसकलपूर्वजल्पितेन भवितव्यम्।' तेनोक्तम् । 'अहं सम्यक्त्वं दास्यामि, परं मोहोपहतचेतसां भवतां मद्वचःप्रत्ययो न भविष्यति ततः क उपाय: 39 कर्तव्यः।' तैश्चतुर्मिरुक्तम् । 'भव्य निवेदितम् । तत एतदधुनैव क्रियते, यदात्मीयात्मीयानि रत्नमयानि 39 प्राग्भवमनुष्यरूपाणि कृत्वैकस्मिन् स्थाने निक्षिप्यन्ते, तानि कालेन दर्शनीयानि यथा परस्परं दृष्ट्वा कदा 8) Bom. कुमारकी डॉ eto. to प्रकृतिस्तत्. 14) B मात्रामागतस्य. 15) B विधाभिग्रहः समाधिना. 20) B पुरोस्माकं. 22) B क्षितिपकुमार. 26) 0 बोधयः (श्च), B भगवन् for पुनः. 30) B has a marginal correction 'नाथ समुत्तस्था. 40) PB क्षिप्यते for निक्षिप्यन्ते. Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 -III.126: Verse 297] कुवलयमालाकथा ३ * 45 |चित्पूर्वजन्मस्मरणसाभिज्ञानेन धर्मप्रतिपत्तिरस्माकं भवेत् ।' इति भणद्भिस्तैर्भुवमागत्य तानि तत्र निक्षि- 1 प्रानि यत्र वने तस्य कण्ठीरवस्योत्पत्तिः। विवरद्वारेच महती शिला प्रदत्तेति । ततस्ते सर्वेऽपि स्वविमानलक्ष्मीमलंचकुः। तत्र ते दिव्यसुखमनुभवन्तस्तिष्ठन्ति । 3 ६२५) ततः कुमारकुवलयचन्द्र, तेषु पद्मप्रभदेवो विगलच्छरीरकान्तिः परिम्लानवदनः सुदीनमनाः पवनाहतप्रदीप इव झटिति विध्यातः । ततो जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतक्षेत्र 6 प्रत्यर्थिपार्थिवप्रत्तकम्पा चम्पाभिधा पुरी। चम्पकैदृश्यते यत्र दैवतोद्यानसौरभम् ॥ २८७ धनदत्ताभिधस्तत्र पवित्रमतिशेखरः । श्रेष्ठी यस्तु श्रिया श्रीदलीलामालम्बते किल ॥ २८८ तस्य श्रीपतेरिव लक्ष्मीर्लक्ष्मी ना प्रियतमा । स पद्मप्रभजीवस्तत्कुक्षिसंभवः सागरदत्ताभिधसूनुर्जातः । पञ्चभिर्धात्रीभिः प्रतिपाल्यमानः स कान्त्या गुणैः कलाकलापेन च प्रवर्धमानः क्रमतो 9 यौवनश्रियमाश्रितः । पित्रा समानसमाचारशीलस्य कस्यचिद्वाणिजस्य कन्यकां स श्रीसंज्ञां परिणायितः। सुखं वैषयिकं साकं श्रेष्ठिसूनोस्तयानिशम् । तस्यानुभवतः स्वैरं शरल्लक्ष्मीरवातरत् ॥ २८९ 13 फलप्राग्भारमासाद्य सद्यः कलमशालयः । भजन्त्येव नतिं यत्र नयवन्त इव श्रियम् ॥ २९० मेजर्जलानि नैर्मल्यं हृदयानि सतामिव । अयुगच्छदसौगन्ध्यवासिता हरितो ऽभवन् ॥ २९१ यत्र तीवकरस्तीनैः करैश्च समतापयत् । कुभूपतिरिव खैरमखिलं भूमिमण्डलम् ॥ २९२ 15 अभूजनः सुराशीव यत्र सन्मार्गजाचिकः । सरोवतंसाः क्रीडन्ति राजहंसाश्च सश्रियः ॥२९३ । एवंविधायां शरदि स सागरदत्तः स्निग्धमुग्धबन्धुजनान्वितः पुरीबाह्योद्देशमुपागतः। कौमुदीमहोत्सव इष्टा कस्मिंश्चिञ्चच्चरे नटपेटकान्तः केनापि पठ्यमानं कस्यापि कवेः काव्यमशृणोत् । 'यो धीमान् कुलजःक्षमी विनयवान् वीरः कृतशः कृती रूपैश्वर्ययुतो दयालुरशठो दाता शुचिः सत्रपः। सद्भोगी दृढसौहृदो ऽतिसरलः सत्यवतो नीतिमान् बन्धूनां निलयो नृजन्म सफलं तस्येह चामुत्र च ॥ २९४ २६) ततस्तेन सुभाषितरसपूरितचेतसा भणितम् । 'भो भो भरतपुत्राः इदं लिखत यत्सागरदत्तनामुष्य सुभाषितस्य लक्षं देयम् ।' ततः कैश्चिन्नागरैरुपश्लोकितः। 'यदयं सागरदत्तो महारसिको 24 विदग्धो दाता प्रस्तावविदहो सत्त्वश्च' इति । अपरैश्च जल्पितम् । 'अमुष्य किं स्तूयते यः पूर्वोपार्जितं 24 वित्तजातमर्थिभ्यो ददाति स कथं प्रशस्यः। यःपुनर्निजभुजसमर्जितमर्थ व्ययति स एव प्रशंसाभाजनम्।' अहो, 'पतैर्ममोपहासः कृतः' इति चिन्तयतस्तस्य तद्वचश्चेतसि शल्यमिव लग्नम् । ततो ऽपत्रपापरो 27 वीक्षापन्न इव गृहमागत्य स शय्यायां निविष्टः । यतः, 27 विज्ञानामप्यविज्ञानां मुदे मिथ्यापि हि स्तुतिः। निन्दा सत्यापि विज्ञानामपि दुखाय जायते ॥ २९५ ततः श्रिया चेष्टिताकारपरिज्ञानकुशलया चिन्तितम् । 'अद्य कथं मम पतिरुद्विग्न इव लक्ष्यते । यतः, जानन्ति जल्पितादपि निःश्वसितादपि विलोकितादपि च । त परमनांसि येषां मनस्सु वैदग्ध्यमधिवसति ॥२९६ ततस्तया भणितम्। 'अद्य नाथ, कथं भवान् विलक्ष इव । तेन चाकारसंवरणं कुर्वताभ्यधायि । 33 'प्रियतमे नहि नहि, किंतु शरत्पूर्णिमायां कौमुदीमहोत्सव प्रेक्ष्यमाणस्य मम महान् परिश्रमः समजन्यत 33 ईदृशः, न पुनरन्यो हेतुः' इत्युक्त्वा स स्थितः। ततो रजन्यां शय्यागृहे ऽलीकं प्रसुप्तः क्षणं किमपि दध्यौ च। ततः सागरदत्तस्तां श्रियं कान्तां प्रसुप्तां परिशाय मन्दं मन्दमुत्थाय वसनखण्डं परिधाय 36 द्वितीयखण्डं च स्कन्धे क्षित्वा खटिकाखण्डेन वासभुवनान्तरे स्वेनैव विरचितं श्लोकमेत भारपट्टे लिलेख 136 'वर्षान्तरे न यद्यस्मि सप्तकोटीः समर्जये। विशासि ज्वलने ऽवश्यं ज्वालामालाकुले ततः॥ २९७ इदं लिखित्वा वासवेश्मतो निःसृत्य नगरनीरनिर्गमद्वारेण दक्षिणाशां प्रति चचाल । स च क्रमतः 39 सर्वत्र जनपदस्वरूपं निरूपयन् दक्षिणाम्बुधितीरविराजिनीं जयश्रीनगरीमवाप। स तत्पूरीबायोदेशे 39 एकस्मिन् जीर्णोद्याने ऽशोकानोकहतले दूरमार्गश्रमव्यपगमाय निषण्णश्चिन्तयामासेति । 'किमतुच्छमत्स्यकच्छपसंकीर्णिततुङ्गतरङ्गसंगते सागरे यानपात्रमारुह्य परतीरं व्रजामि, किं वा चामुण्डायाः 42 पुरस्तीक्ष्णक्षुरिकाविदारितोरुयुगलसमुच्छलल्लोहितपङ्किलभूतलं मांसखण्डबलिं ददामि, किं वा रात्रिंदिवं 42 बन्ना 12) भजंतेवनति. 18) Pshowa blank space for नयवान. 20) B साहृदोजलमनाः सत्यव्रतो. 24) B'विन्महासत्वश्वेति- 32) B तया for ततस्तया. 35) B inter. कांता & श्रियं. 36) B द्वितीयं च. 41) B संकीर्णः तुंग. Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 46 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. $ 26 : Verse 298 1 अपहस्तिताशेषव्यापारो रोहणपर्वतभुवं खनामि, किं वा व्यपगतभयप्रचारः मत्पुरुषसंगतो धातुवादं 1 वितनोमि ।' इत्यनल्पविकल्पसंकल्पमालाकुलिनस्वान्त एकस्मिन् स्थाने सागरदत्तः श्रीपालपादपस्य 3 प्रसृतं प्ररोहमेकं ददर्श । तं च विलोक्य संस्मृताभिनवशिक्षितखन्यवादेन तेन 'नमो धरणेन्द्राय नमो 3 धनाय नमो धनपालाय' इति मन्त्रं पठता भूमितलं खनित्वा निधिलोचनगोचरमानीतः । यावता स तं निधि गृहीतुं चिन्तयति स्म तावता व्योम्नि इति वाणी प्रससार । 'वत्स, यद्यपि त्वया सकलो ऽपि 6निधिर्वीक्षितः परं स्तोकमञ्जलिमात्रं मूलद्रव्यकृते गृहाण' इत्येवं श्रुत्वा तेन श्रेष्ठिमनुना एक एवाञ्जली 6 रूपकाणां जगृहे । निधिरपि तदैवादृश्यतामगमञ्च । तद्धनं निबद्धं चानेन स्कन्धनिक्षितद्वितीय वाससः प्रान्ते । 9 ६२७) ततो वणिगुत्तमेन चिन्तितम् । 'अहो, चापल्यं दैवस्य । पूर्व दत्तो निधिदेव कथं पश्चाद्धतः कथम् । तव वृत्त्या परिज्ञातं सर्वथा ते गतिश्चला ॥ २९८ तथाप्येतावतापि वित्तेन द्रविणस्य सप्तकोटीरर्जयित्वात्मीयं प्रतिज्ञातमवितथं करिष्ये यदि देव स्वयं 12 माध्यस्थ्यवृत्तिमङ्गीकरिष्यते।' इति चिन्तयन् परितुष्टमनास्तस्यामेव नगर्यां विपणिमार्गे कमपि वणिज 12 परिणतवयसं मार्दवादिगुणोपेतं स्वभावतो ऽपि सुशीलमद्राक्षीत् । तं च निरीक्ष्य चिन्तितमनेन । 'अहो, रमणीयतमाकृतिायान् वणिक्पुङ्गवो ऽयं दृश्यते, ततो ऽमुष्प पादपतनं न्याय्यम्' इति ध्यात्वा तं 15 नत्वा च सागरदत्तः पुरतो निविष्टः। तेन श्रेष्ठिना महता संभ्रमेण 'स्वागतं भद्राय' इति भाषितः सः। 15 तदा च तस्मिन्नगरे कस्मिन्नपि महोत्सवे प्रवृत्ते तस्य श्रेष्टिनो हट्टे प्रत्यासन्नग्रामीणजनो ऽतीवसमुत्सक चेताः समस्तपण्यग्रहणार्थमभ्येति, तं च श्रेष्ठिनं जराजर्जरिततर्नु पण्यानि दातुमक्षममवगम्य सागरदत्तः 18 प्रोवाच 'तात, त्वं विपणिमध्यतः ऋयाणकान्यानीय मम समर्पय यथैतानि तोलयित्वा युक्त्यास्मै जनाय 18 ददामि' इत्युक्त्वा दातुं प्रवृत्तः । तत एषः 'क्षिप्रं ददाति' इत्यवगत्य सर्वोऽपि जनस्तदापणमायातवान् । तेन तत्क्षणमात्रेणापि पण्यान्यर्पयित्वा समग्रो ऽपि जनःप्रेषितः । ऋयाणकैर्विक्रीतैर्महत्यर्थलामे श्रेष्ठिना 21चिन्तितम् । 'यदयं कोऽपि महाकुलसंभवः पुण्यवान् दारको यद्ययं मम निलयमलङ्करोति तदतीव सुन्दरं 21 भवति' इति चिन्तयता जल्पितम् । 'भो वत्स, त्वं कुतः स्थानादागतो ऽसि ।' तेनोक्तम् । 'तात, चम्पापुरीतः।' श्रेष्ठिना जगदे। 'वत्स, त्वया भम गृहमलङ्करणीयम् ।' स सागरदत्तः श्रेष्ठिना समं निकेत24 मुपागतः। प्रीत्या स्वपुत्रवदौशीरकशिपुक्रियया संमानितः। कियद्दिनानन्तरं तेन प्रवयसा तद्रूपगुण-24 ग्रामरञ्जितचेतसाभिनवोद्भिन्नयौवना निर्मलमुखमृगाङ्ककान्तिकलापकलिता विकस्वरकुवलयदलदीर्घलोचना कुसुमबाणप्रणयिनीनिभा कनी सागरदत्ताय प्रदत्ता, परं तेन तत्परिणयनं न मानितम् । 27 तेनोक्तम् । 'तात, किंचिद्वक्तव्यमस्ति । केनापि हेतुना स्ववेश्मतो निःसृतोऽस्मि, यदि तत्कार्य प्रमाण-27 कोटिमध्यारुढं ततो यद यूयं भणिष्यथ तदवश्यं करिष्ये। यदि तन्न निष्पन्नं ततो मम केवलं ज्वलन एव शरणमतो ऽस्मिन्नर्थे सांप्रतं तात, प्रतिबन्धं मा कार्षीः।' श्रेष्ठिना निगदितम् । एवं व्यवस्थिते मया 30 भवतः किं कर्तव्यम् । तेनोदितम् । 'यदि त्वं मम सत्य एव तातस्तदा मद्धनेन क्रयाणकं परतीरयोग्यं 30 गृहाण भाटकेन यानपात्रं च । मया परतीरं गन्तव्यम् ।' श्रेष्ठिना जल्पितम् । 'एवं भवतु' इति तद्दिनादेव श्रेष्ठिना पुरोभूय प्रतिपादितम् । सागरोऽगण्यपण्यं संगृह्य निमित्तविद्दत्ते मुहर्ते समुद्रदेवतामभ्यर्थ्य 33 तपश्चरणगुरुं गुरुं प्रणिपत्याहतामहणां कृत्वा तं वणिजमभिवाद्यापृच्छय च स्मृतपञ्चपरमेष्ठिनमस्कार: 33 प्रवहणमारूढः, पूरितः सितपटः, लब्धो ऽनुकूलः पवनः, ततो नदीशमुल्लङ्घय क्रमेण यानपात्रं यवन द्वीपमवाप । तत्र क्रयविक्रयेण समर्जितसप्तकोटिः सागरदत्तस्तुएमना व्यावृत्य स्वदेशं प्रति प्रचलितः। 36६२८) अथो तद्वोहित्थं सागरान्तः कर्मपरिणत्या संजाताकालकजलश्यामलसजलजलदान्धकार-36 च्छादितव्योमतलादृश्यमाननक्षत्रतया निर्यामरुत्पथप्रेरितं कस्यापि गिरेर्दान्तके आस्फाल्य कामिनीनिवेदितरहस्यमिव त्वरितं प्रपुस्फोट । तत्र च निखिले ऽपि जने विपन्ने केवलं सागरदत्तः प्राप्तफलकः 39 कथमपि तुङ्गतरङ्गमालाभिः प्रेर्यमाणः पञ्चभिरहोरात्रैश्चन्द्रद्वीपमवाप्य मूर्छानिमीलितलोचनस्तीर 39 पादपाधोभागे क्षणमेकं पवनस्पर्शलब्धचेतन तृषातरलितचेतोवृत्तिः क्षुधातः सर्वत्र परिभ्रग्य वचन प्रदेशे नालिकेरनारङ्गमातुलिङ्गपनसदाडिमीप्रमुखद्रुमफलः कृतप्राणाधारश्चन्दनलवलीलवङ्गलतागृहं 1) प्रचारः पुरुष. 3) On खन्यवाद n has i. marginal gloss like this : भूमिगतनिधानखननविधि:.7) रूपकानां. 10) तत्व for तब. 12)। मध्यस्थवृत्ति'. 13) तेन नितित for निन्तितमनेन. 21) 0 दारकोऽपि यचय. 24) B has a marginal gloss: कुशीरं शयनासने कसि भोजनाच्छादो 27) 0 तात यत्किविद्वक्तव्यमस्ति [यदहं].29) B has a murginal gloss प्रतिबंध आग्रह ।.32) Pगण्य पर्य. 37) गिरेतके. 38) स्वरित पुस्फोट. 40) रतृष्णातरलिन. 41) has a marginal gloss on लवली thus: लताविशेष: Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. $ 31 : Verse 307] कुवलयमालाकथा ३ 1वीक्ष्य संजातचित्तकौतुकस्तमुद्देशं यावदाजगाम तावत्सहसा कस्यापि स्वर इव श्रवणातिथित्वं मेजे। । तमाकर्ण्य चिन्तितमनेन । 'अत्र तावत्पूर्व मनुष्यप्रचारोऽपि न कथं वालाया इव शब्दः । अहो, अहमपि 3 कुत्र प्राप्तोऽस्मि यन्न कथास्वपि श्रूयते यत् स्वप्ने ऽपि न दृश्यते तदैव देवेन घट्यते' इति चिन्तयना 3 यावन्निरूपितं तावत्कदलीतरुनिकुरुम्बान्तरे रक्ताशोकतरुतले ऽसामान्यरूपातिशया गुणग्रामाभिरामा काचित्प्रत्यक्षा वनदेवतेव वनिता दत्तकण्ठपाशा दृष्टा । ततस्तया प्रजल्पितम् । 'श्रूयतां वनदेव्यः, परस्मि 6न्नपि जन्मान्तरे ममेदृशं मा भूयात्' इति भणन्त्या तयात्मोद्वबन्धे । अत्रान्तरे तेन करुणाशरणेन सहसा- 6 गत्य तस्याः पाशश्चिच्छिदे, पतिता सा धरायां वायुनाश्वासिता च । चन्दनकिशलयरसेन विलिप्तं वक्षःस्थलम् । तया लब्धसंज्ञया सागरदत्तो ददृशे। तं वीक्ष्य ससाध्वसहृदया स्ववासः संवरीतुमारेमे । तेन भणिता। 9 'पुष्पबाणप्रिया किं त्वं वनलक्ष्मी किमत्र वा। किमात्मारोपितो दुःखे निवेदय कृशोदरि॥' २९९ उवाच सा 'रति व नास्मि लक्ष्मीर्वनस्य च । समाकर्णय मत्तं त्वमेकाग्रमनाः पुनः॥ ३०० 12६२९) अस्ति दक्षिणमकराकरतीरे जयतुङ्गा नाम नगरी । तत्रोत्तुङ्कश्रिया वैश्रमण इव वैश्रमण:12 श्रेष्ठी। तस्याहं दुहितात्यन्तप्राणप्रिया। अन्यदादिवसे स्वभवनकुट्टिमतले शय्यायां प्रसुप्तानेकशकुनिश्वापदकलकलरवेण विबुद्धा यावञ्चिन्तयामि तावदनन्तपादपशतदलावलि निरुद्धतरणिकिरणजालं कान्तार15 मेव पश्यामि । तच्च वीक्ष्य भयावेशकम्पिततनुलता विलपितुं प्रवृत्ता। 15 भविष्यामि कथं तात निराशा हा त्वयोज्झिता । इदानीं कानने भीमे शरणं भावि कुत्र मे ॥ ३०१ अत्रान्तरे 'तव शरणमस्मि' इति जल्पन् दिव्यरूपधारी कोऽपि पुमान् लतानिकेतनतः समुत्तस्थौ। 18 तमालोक्य द्विगुणतरं समुपजातक्षोभा रोदितुमारेमे, स च मत्समीपमुपागत्य वक्तुं प्रावर्तत। 18 'मुश्च माश्रूणि तन्वङ्गि न करोमि तवावमम् । त्वद्रूपाक्षिप्तचित्तेनापहृतासि मयाधुना ॥ ३०२ बाला जगाद सा 'कस्त्वं केन ते कथितास्मि च। तन्निशम्य ततोऽवोचन्नरः शृणु शुभानने ॥ ३०३ 21६३०) अस्ति वैताठ्यपर्वतः । तच्छिखरनिवासिना मया विद्याधरेण महाबलवता त्रिदशवनिता- 21 नामपि मानसे क्षोभकारिणा निखिलमपि क्षोणीतलं कलयतोपरितनकुट्टिमतले तलिने प्रसुप्ता तलिनोदरी त्रिभुवनाधिकशालिनी इतिकृत्वा भवती मम मनसि प्रवेशं चके। 24 प्रेमोलसति कस्यापि कापि दैववशात्तथा। विनेतुं शक्यते यन्न विलग्नं वज्रलेपवत ॥३०४ 24 ततो 'नापरो ऽत्रोपायो ऽस्ति' इति विचिन्त्याहं सुप्तां त्वामपहृत्य निजगुरुशङ्कितो निजनगरं न गतः, किन्त्वत्र द्वीपे विजने समागतो ऽस्मि, अतो मया सह भोगान् भुव, दुःखं मा धेहि ।' अतो मया 27 चिन्तितम् । 'तावदहं कन्या न कस्यापि दत्ता, अन्येनापि वणिजा परिणेतव्या, ततो वरमयं सुन्दराकृति-27 विद्याधरः त्रिजगतीयुवतिजनवल्लभः स्नेहमोहितमना यदि मत्करग्रहं करोति तदा मया किं न लब्धम्' इति चिन्तयन्त्या मयोक्तम् । 'अहं त्वयात्र कानने आनीता यत्तुभ्यं रोचते तत्समाचरेः । ततः सहर्ष30 संभृतचेताः समजायत । अत्रान्तरे कर्षितकरालकरवालभैरवो विद्याधर एकः रे रे अनार्य, कुत्र व्रजसि' 30 इति जल्पन् प्रहर्तुमायातवान् । ततो मे दयितः समाकृष्टरिष्टी 'रे रे दुष्ट, मत्कलत्रापहारं कर्ता' इति वदन् तेन समं योद्धमारेमे । ततस्तौ युध्यमानौ निशितासिघातैः परस्परं लूनशीर्षों क्षितौ निपतितौ 33 विलोक्य महहःखाक्षिप्तचित्ता विलपितुं प्रवृत्ता। 33 'हा सौभाग्यनिधे नाथ रूपश्रीजितमन्मथ । मामेकका परित्यज्य वने कुत्र गतो भवान् ॥ ३०५ गृहादानीय मुक्त्वात्र मामेकां काननान्तरे । जीवेश मा व्रज काप्यथवा नय निकेतने ।' ३०६ 36 ६३१) तत एवं विलप्य मरणकृताध्यवसायया मया 'यथा भूयो भवदुःखानां पदं न भवामि' 36 इति चिन्तयन्त्या लतावेश्मनि लतापाशं विरचय्य खं च शोचन्ती स्त्रीजन्म गहमाणा कुलदेवी संस्मर्य मातापितरौ प्रणम्य चात्मा बबन्धे । अतो न जाने किं वृत्तम् , केवलं भवान् वीज्यमानो दृष्टः। 'कुतस्त्वं 39 कुत्रत्या, कथमत्र दुर्गमे द्वीपे। ततः सागरदत्तः स्ववृत्तान्तं प्रतिक्षारोहणाचं यानपात्रविघटनान्तं निवे-39 दयामास । ततस्तयोक्तम् । एवंविधे विषमे कार्य संप्रति त्वया किं करणीयम्।' सागरदत्तेनोक्तम् । 'सत्पुरुषाःप्राणान्ते ऽपि न प्रतिज्ञाभनं विदधति।' तया जल्पितम् । 'दैवायत्ते प्रतिज्ञानिर्वाहे न किमपि 42 भद्र, तव दूषणम्, तत्किं त्वया संप्रति विधेयम् ।' स भूयोऽप्युवाच 'ममैवं समुद्रान्तभ्रंमत एकादश 42 3) B तदेव for तदैव. 5) P Bom. वनिता. 6)P भणत्या. 7) वलिप्त for विलितं. 12) FB 'करप्रतीरे, B नगरी उगश्रिया. 13) B प्रसुप्ता । अनेक. 17) Pom. इति, B दिव्यधारी, Bom. पुमान्. 22) प्रसुप्ता। मलिनोदरी प्रसुप्तामलिनोदरी. 26) PB दीपे निर्विजने. 40) Bom. त्वया. Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .48 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III.$ 31 : Verse 307 1मासाः संजाताः। संप्रत्येष द्वादशो मासः प्रवृत्तः । अनेनैकेन मासेन कथमहं सप्तकोटीः समपार्जयामि। 1 अथो समुपार्जिता अपि सप्तकोटीः कथं गृहं नेष्यामि । तेनाहं सुन्दरि, भ्रष्टप्रतिज्ञो ऽभवम् । नम भ्रष्ट3 प्रतिशस्य जीवितुं युक्तम् । ततो ज्वलनं प्रविशामि।' [तयोचे ।] 'यद्येवं प्रतिज्ञाभङ्गे भवान् हुताशने 3 प्रविशति तत्राहमपि भर्तृवियुक्ता त्वमिव कृशानुं साधयिष्ये, अतो ऽन्वेष्यतां कुतो ऽपि पावकः। तेन भणितम् । 'भद्रे, न युक्तमेतत्तव। ततस्तयापि भणितम्।] मया किमत्र वने कर्तव्यम्' इति । ततस्तेन 6चित्यां विरचय्यारणिकाष्ठान्निर्माय ज्वलनःप्रज्वालितः। ततस्तेनोक्तम् । 'भो लोकपालाः श्रूयतां, मम 6 प्रतिज्ञा संवत्सरेणापि न पूर्णा, इति भ्रष्टप्रतिज्ञस्य मम ज्वलनः शरणमिति ज्वलनं विशामि' इति यावश्चित्यां गवेषयति तावञ्चिता शतपत्रतां प्राप । ततो [सागर-] दत्तः कौतुकाक्षिप्तहृदयो व्यचिन्तयदिति । 9 'किमन्यजननं किं वा स्वप्नः किं मनसो भ्रमः । किमिन्द्रजालं यञ्चित्या जगाम शतपत्रताम् ॥' ३०७ 9 अत्रान्तरे पद्मरागघटितं व्योममण्डले । मुक्तावचूलपालम्ब विमानं समुपस्थितम् ॥ ३०८ चारुकाञ्चनकोटीरधरस्तत्र सुरः स्फुरन् । तेजसा भूयसा चञ्चदखण्डश्रुतिकुण्डलः ॥ ३०९ 12 ईषदास्यहास्यविकस्वराधरतया दशनस्फुरत्किरणधोरणिसमुद्दीपितदिगङ्गनाननेन तेनोक्तम् । 'अहो12 सागरदत्त, किं त्वया पामरजननिषेवितो विवुधनिन्दितः स्ववधःप्रारब्धः। यतः, प्राणेश दुःखसंतप्ता वनिता साहसाञ्चिता । तनोति तद्वरं भद्र सांप्रतं सांप्रतं न ते ॥३१० 15 एतच्च कथं विस्मृतम्, यत्त्वं सौधर्मविमाने ऽस्माभिः सममुत्पन्नः। तत्र तावत्त्वया कर्केतनेन्द्रनील-16 पद्मरागराशयः प्रमुक्ताः, अतः किमेताभिः सप्तधनकोटीभिः। तत्त्वं गृहाण सम्यक्त्वं निशाभुक्तिनिवर्तनम् । महाव्रतानि पञ्चैव ता एताः सप्त कोटयः ॥ ३११। 18३२) अथ द्रव्याभिलाषी भवांस्तदा त्रिगुणाः सप्तकोटीः स्वीकुरु । मम विमानमारोह यथा 18 महाय निलयं नयामि ।' एतदाकर्ण्य देवर्द्धि वीक्षमाणस्य तस्य सम्यगृहापोहं कुर्वतः पूर्वजातिस्मृतिरुत्पेदे। शातं च यथा 'अहं स पद्मप्रभभ्युत्वात्र समुत्पन्नः । एष पुनः पद्मकेसराभिधानो ऽनिमेषः। 21 तत्र मया पूर्वजन्मनि भणित आसीत् , यथा 'त्वयास्मि श्रीप्रतो जिनेश्वरस्य शासने संबोध्यः' तत्स्मरता- 21 नेनामुतो मृत्युतो रक्षितो ऽस्मि । अहो दृढप्रतिज्ञः, अहो परोपकारी, अहो स्नेहपरः, अहो मित्र वात्सल्यम् । यतः, 24 मानुष्ये जीवितं सारं ततोऽपि प्रेम सुन्दरम् । उपकारः परं प्रेम्णि तत्रैवावसरोवरः॥' ३१२ 24 इति चिन्तयतानेन सुरः प्रणतः । तेन भणितम् । 'सुष्टु स्मृतस्त्वया पूर्वभवः।' सागरदत्तेनोक्तम् । 'अहो, त्वया परित्रातः संसारपतनात् । तावत्त्वया वरेण्यं कृतम् । समादिश किं कर्तव्यम्' इति । सुरेण 27 जल्पितम् । 'अद्यापि ते चारित्रावरणीयं कर्म समस्ति, तद्भोगान् भुक्त्वा सप्तदशभेदभिन्नः संयमो 27 विधेयः' इति । ततस्तेनास्मि विमाने समारोपितः । गृहीता च मया सा समं बाला । क्षणेनैव जयश्रीनगरी प्राप्तः । तत्र जीर्णश्रेष्ठिवेश्मनि समवतीर्णेन मया सा कन्या श्रेष्ठसुता च परिणिन्ये। ततो विमानारूढ30 श्चम्पापुर्यामगमम् । वन्दितो महाभक्त्या गुरुजनः। ततो देवेनोक्तम् । 'भद्र, तव दशवर्षसहस्राण्यायुः,30 ततस्त्रीणि गतानि, पञ्च सहस्राणि भोगान् भुवेति, सहस्रद्वयं श्रामण्यं पालनीयम्' इत्युक्त्वैकविंशति धनकोटीस्तहाङ्गणे ऽभिवृष्ट्य गतः स सुरः । सो ऽथ चिरविरहखिन्नां पूर्वनियां संभाव्य ताभिरम्भोज33 दृग्भिः सह क्रीडां रचयन् प्रणयिजनं मानयन् क्रमेण निर्विणकामभोगो ऽवगतपरमार्थः स्मृतपूर्वभव- 33 देववाक्यः क्षीणभोगफलका वैराग्यमार्गमुपगतः । ततश्चैत्यवाहिका निर्माय कृतकृत्यः पुण्यवतां स्थविराणामन्तिके ऽन्तेवासी जातः । भोः कुवलयचन्द्र, सो ऽहं सागरदत्तः। तत्र चाधीतसर्वशास्त्रस्य 36 गृहीतद्विविधशिक्षस्याङ्गीकृतैकाकित्वविहारप्रतिमस्य ममावधिज्ञान प्रादुरभूत् । 'अधो यावद्रत्नप्रभायाः 36 सर्वप्रस्तरान् ऊ यावत्सौधर्मविमानचूलिकां तिर्यग् मानुषोत्तरशिखरम्' एतत्प्रमाणे [अवधौ] जाते मया 'लोभदेवपद्मप्रभदेवौं' इति निजं प्राच्यं भवद्वयं ददृशे । एतद्विलोक्य चिन्तितं मया । 'अहो, ये 39 पुनस्तत्र चत्वारस्ते कथं संप्रति' इति चिन्तयन् यावदुपयुक्तोऽस्मि तावत्तान् दृष्टवान् तथा यश्चण्डसोमः। 39 2) P अथोपार्जितसप्तकोटीः । अथोपार्जिता अपि 0 अथो समुपार्जिताऽपि. 3) PB om. [तयोचे]. 4) P भर्तृप्रयुक्ता. 5) PB om. [ततस्तयापि भणितम् ।]. 6)चित्या B चित्तां, 'काष्ठान्यानिर्माय B'काष्ठान्यानीय्य, B प्रडवालितः। तेनोक्तं, Pom. ततस्तेनोक्तम्. 7)Pसंवत्सरेणापि न पूर्णादत्तः । कौतुकाक्षिप्त etc : obviously P has missed some portion between पूर्णा and दत्तः. Originally s also read like r, but by an additional line it is inade to read thus: संवत्सरेणापि न पर्णा इति भ्रष्टप्रतिज्ञस्य मम ज्वलनः शरणमिति ज्वलनं विशामीति यावञ्चित्यां गवेषयति तावञ्चिता शतपत्रता प्राप ततो दत्तः कौतकाक्षिप्त etc. o reads thus संवत्सरेणापि न पूर्णा तेन सम्प्रति स्वप्रतिज्ञापूमैं प्राणान् त्यजन्नस्मि' इति यावत्प्राणान्मुऋति [तावत्सा चिता पङ्कजायमाना जाता। तां दृदा सागर] दत्तः कौतुकाक्षिप्त eto. 15) B एतत्कथ. 16) Bom. अतः, P कोटिभिः. 18)PB विमानमारह. 20) Bधानोनिमिषः 21) ततः स्मरता. 22) B दृढप्रतिज्ञा. 36) B सर्वशास्त्रगृहीत. 37) adds [अवधी] before जाते. Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *49 -III.834 : Verse 3161 कुवलयमालाकथा ३ 1 स स्वर्गे पद्मचन्द्रस्ततश्युत्वा विन्ध्याटव्यां कण्टीरवः। पुनर्मानभटो ऽपि विपद्य पद्मसारः स्वर्गी, ततो 1 ऽयोध्यापुर्या भूपतेई ढवर्मणः सूनुः कुवलयचन्द्र इति । तथा मायादित्यश्युत्वा त्रिदिवे पद्मवराभिख्यो 3ऽनिमेषो भूत्वा दक्षिणस्यां दिशि विजयाभिधायां पुर्या भूधनश्रीमहा(विजय)सेनस्य दुहिता कुवलयमाला। 3 एतत्परिशाय मया चिन्तितम् । 'तदा तपस्विभवे मम संमुखमेतैर्भणितमासीत् यथा 'यत्र तत्रोत्पन्नानामस्माकं भवता सम्यक्त्वं दातव्यम्' इति सा यावन्मम प्रार्थना स्मृतिपथमागता तावदेष पद्मकेसर6स्त्रिदशः समागत्य मां प्रति स्तुतिमाततान । 6 "समुत्पन्नावधिज्ञान शातजन्तुभवान्तर । जय त्वं श्रमणाधीश धर्माचार्यस्त्वमेव मे ॥ ३१३ ६३३) तदाकर्ण्य तं निरीक्ष्य च मया जल्पितम् । 'भद्र, कथय किं क्रियताम् ।' ततो जल्पितं नाकिना । 'भगवन, पूर्व मया प्रतिपन्नमिति, यथा सम्यक्त्वदानेन पद्मसारपद्मवरपद्मचन्द्रजीवा अनु- 9 ग्राह्याः । एते शुद्धौ मिथ्यादृष्टिकुललब्धजन्मानौ, एकः सिंहश्च । तदेते ऽतिदुर्लभे श्रीजिनेन्द्रनिगमे प्रतिबोधनीयाः। ततः समागच्छ यथा गच्छावस्तस्यामयोध्यापुयाँ कुमारं कुवलयचन्द्र प्रतिबोधयावः।' 12 मयादिष्टम् । 'न त्वयोपायः सुन्दरः समुपदिष्टः। 12 यतः सुखनिमग्नानां रतिधर्मे न जायते । नीरुजामौषधे न स्यादादरस्य लवो ऽपि हि ॥३१४ तत्तस्य कुमारस्य राज्यदिग्धावितस्य पितृमातृभ्रातृभगिनीस्वजनवयस्यादिभ्यो ऽनतिदरीकृतस्य च 15 कुतो बोधावसरः । यदुक्तम् । 16 "जननीजनकभ्रातृवियोगेनातिदुःखिताः। यावन्न देहिनस्तावद्धर्मकर्म न तन्वते ॥" ३१५ कुमारानयनाय त्वं भद्र गच्छाधुना त्वहम् । चण्डसोमो हरियंत्र तत्र गच्छामि कानने ॥३१६ 18३४) तत्रैकान्ते कुमारः पितृवान्धववियोगकलितः सुखं सम्यक्त्वं ग्रहीष्यते' तदुक्त्वाहमिहा-18 गतः । पद्मकेसरः संप्राप्तो ऽयोध्यायाम् । तत्र च तत्क्षणनिर्गतस्त्वमश्वारूढो वाहकेलिगतो दृष्टः पद्मकेसरेण । स तुरङ्गं प्रविष्टः । त्वां गृहीत्वा तुरग उत्पतितः । त्वया च तुरगः प्रहतः । पद्मकेसरेण च 21 मायया मृतो दर्शितो न पुनर्मतश्च, केवलं तवाशाभङ्गः कृतः। ततः कुमार, सम्यक्त्वलाभार्थमनेना-21 श्वेनाक्षिप्य त्वमानायितः । एतानि तानि रत्नरूपाणि विलोकयेति । ततः कुवलयचन्द्रः स्वं प्राच्यरूपं तथा कुवलयमालायाश्चापरेषामपि पूर्वजन्मस्मृतिनिमित्तानि तान्यपश्यत् । उत्पन्नं च तदर्शनेन कुमा-: 24रस्य सिंहस्य च जातिस्मरणम् । मुनिना समादिष्टम् । 'कुमार, ततस्त्वं विचारय। 'असारः संसारः,24 तीक्ष्णा नरकव्यथा, दुर्लभः श्रीजिनप्रणीतो धर्मः, दुष्प्रतिपाल्यः संयमभारः, बन्धनसदृशः सदननिवासः, निबिडनिगडप्राया दाराः, महाभयमज्ञानम्, न सुलभा धर्माचार्याः, महाभाग्यलभ्यं मनुष्य. 27 जन्म' इत्येवं च विज्ञाय 'सम्यक्त्वं गृहाण, द्वादशव्रतान्यङ्गीकुरु, परिहर पापस्थानानि ।' इदमात्मना 27 पूर्वजन्मवृत्तमथाश्वापहृतिं च निशम्य भक्तिभरप्रणतोत्तमाङ्गः कुवलयचन्द्रो वक्तुं प्रवृत्तः। 'अहो, अनु- गृहीतो भगवता सम्यक्त्वदानप्रसादेनेति तावन्मम ददस्व जिनराजदीक्षानुग्रहम् ।' मुनिना प्रोक्तम् । 30 'त्वमुत्सुकमनामा भव, तवाद्यापि भोगफलं कर्म समस्ति, अतःप्रव्रज्या न ग्राह्या । सांप्रतं पुनदशविधं 30 श्रावकधर्म प्रतिपालय ।' एतदाकर्ण्य कुमारेणोक्तम् । 'भगवन् श्रूयताम्, अतः परं श्रीजिनान् साधूंश्च विना नान्यं नमामि, श्राद्धधर्म च पालयिष्ये।' भगवता भणितं भवतु' इति । ततो मुनिना पुनरप्युक्तम् । 33 'भो मृगराज, त्वया पूर्वजन्मवृत्तं श्रुतम् । वयमपि तद्वचः संस्मर्य समागताः। तावदगीकुरु सम्यक्त्वम् । 33 गृहाण देशविरतिम् । मुञ्च निस्त्रिंशत्वम् । परिहर प्राणिवधम् । त्यज सर्वथा क्रोधम् । अनेन दुरात्मना क्रोधेनावस्थामिमामुपनीतोऽसि।' इदं वचो निशम्य मृगाधिपःसर्वाङ्गरोमाञ्चितश्चलबीर्घलाङ्गलः समुत्थाय 36 मुनि प्रणम्य प्रत्याख्यानं ययाचे । भगवता झानेनादिष्टम् । 'कुमार, एष केसरीदं जल्पति, यथा ममानशनं 36 देहि, यदस्माकमपुण्यवतां नास्ति प्रासुकाहारः। सदैव वयं मांसाशिनः, अतो मम न श्रेष्ठं जीवितम् ।' ततो मुनिना तस्य प्रपत्रप्रतिबोधस्य निरागारमशनमदायि। स च तदङ्गीकृत्य त्रसस्थावरजन्तुजातविरहिते 39 स्थण्डिले संसारासारतां चिन्तयन् पश्चनमस्कारपरायणः परित्यजन् स्वजातिदुःशीलत्वमुपाविशत् ।' 39 माया दानप्रणीतोयम् । कम 2) B मायादित्यो इति च्युत्वा, B'भिख्योनिमिषो. 3) PB दिशि जयाभिधायां, PB श्रीमहासेनस्य. 11) D'मयोध्यायां पुयो. 14) B राज्योदयश्रिया लालितस्य (this is a correction on the original reading something like the one adopted in the text), B'भ्यो दूरीकृतस्य. 17) B तत्रागच्छामि. 18) B तदुक्त्वाहमिहागतः पश्भकेसर: स्त्वामानेतुं गतः तत्र. 19) F om. संप्राप्तोऽयोध्यायाम् , shown by blank space; PB वाहकेलिगतो दर्शितो न पुनर्मूतश्च केवलं तवाशयाशाभगः. 26) B निवड B for निबिड. 27) Bइदमात्मनः- 36) B यथा मम मांसाहार एव ततोसाकमपुण्यवतां. Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 21 .50 रसप्रभत्रिविरचिता [III. F34 : Verse 3171कुमारेणोक्तम्। 'भगवन् , सा कुवलयमाला कथं वोध्या।' भगवतादिष्टम् । 'सापि तत्र विजयपयों 1 चारणश्रमणकथानकेन स्मृतपूर्वजन्मवृत्तान्ता गाथाचतुर्थपादं राजद्वारे सर्वजनदृष्टं करिष्यति । तत्र गत्वा गाथापूरणतस्त्वमेव तां परिणेष्यसि । सा पुनस्तव महादेवी भविष्यति । ततस्तत्कुक्षिभूरेष पाकसर- 3 त्रिदशः प्रथमः पुत्रो भावीति । तत्वमपाचीमभिगम्य कुवलयमालां प्रबोधय' इति निवेद्य सद्यः श्रमणेश्वरः ससार। सुपर्वापि 'अहं संबोध्यस्त्वया' इत्युक्त्वा गगने समुत्पपात । कुमारः 'भगवतादिष्टं कर्तव्यम्' 6 इति चिन्तयन् दक्षिणाभिमुखं चलितः पञ्चास्यं विलोक्य चिन्तयामासेति । 'यदयं साधर्मिको ऽथवा 6 पूर्वसंगतः स्निग्धबन्धुरेकगुरुदीक्षितश्चानशनी च, अतो मयायमुपचर्यः । यद्यस्य कायपरित्राणं न करिष्ये तदायं केनापि व्याधेन शरैनिहतो रौद्रध्यानवशमानसः श्वभ्रतिर्यग्दुःखभाजनं भावी' इति विचार्य 9 भव्यरीत्या तेन प्रतिजागरितो भणितश्चेति । 'जनौ जनौ मृगेन्द्र त्वमबोधिर्बहुधा मृतः । तथा म्रियस्वेति यथा भूयः स्यान मृतिस्तव ॥' ३१७ ६३५) एवं धर्मकथां श्रुत्वा तृतीय दिने हर्यक्षःक्षुधाक्षामकुक्षिनमस्कारपरायणः समाधिना मृत्वा 12 सौधर्मे द्विसागरोपमायुस्थितिः सुमनाः समुदपद्यत । ततः केसरिशरीरसंस्कारमाधाय कुमारः कुव-12 लयचन्द्रो दक्षिणाभिमुखमचालीत् । ततश्च गिरिनिर्झरझात्कारैर्वाचालितदिगन्तरम् । त्रिपत्रं सप्तपत्राढ्यं नवबाणद्रबन्धुरम् ॥३१८ शाखिसूनस्फुरद्गन्धलसद्भमरविभ्रमम् । स्थाने स्थाने श्रूयमाणकेकिझंकारनिःस्वनम् ॥ ३१९ । दारुणश्वापदवातसंकुलं केतनं वनम् । कुमारः क्रमयन् प्राप विन्ध्यपर्वतकाननम् ॥ ३२० त्रिभिर्विशेषकम् ॥ 18 तदा तत्र नखंपचवालुकानिवहे ज्वलद्वहलदावानलनिर्गच्छबूमध्यामलितककुम्मण्डले सर्वतः शुष्यमाण-18 शाखिनि वात्यावियद्विवर्तितरजःसंचये च प्रचण्डमार्तण्डकिरणदण्डसंशोषितक्षितितले भीष्मग्रीष्मभरे उदग्रतृषासंशुष्यद्गलतालुकः कुमारः सलिलावलोकनाय कंचिद्भुभागं बभ्राम। ततस्तदन्तर्वसुधायोषिद्भाले विशेषकः । नृत्यन्त्रिदशसुन्दर्या अवि सस्तं तु कुण्डलम् ॥ ३२१ 21 मुक्तावदातसद्वारि हारिवारिजराजितम् । वातावधूतकिल्कलिप्तकाष्ठाननामुखम् ॥ ३२२ क्रीडत्स्वर्गालनापीनवक्षोजक्षोभितोर्मिकम् । पालिद्रमालिस्लीनकिंनरीगीतसंगतम् ॥ ३२३ 24 आवर्तमिव गङ्गायाः क्षीराम्भोधेरिवानुजम् । सुधाकुण्डमिवोद्भुतं कासारं स व्यलोकत ॥ ३२४ 24 चतुर्भिः कलापकम् ॥ तमालोक्योच्छसितमिव हृदयेन, प्रत्यागतमिव बुद्ध्या सर्वथा प्राप्तमनोरथ इव कुमारः समभूत् । 27 तत्तीरस्थितेन कुमारेण चिन्तितम् । 'आयुर्वेदशास्त्रमध्ये मया श्रुतमासीत्, यत्किल दुस्सहासषापरि-27 श्रमभागिनापि देहिना तत्क्षणं पयो न पेयमिति । यस्मादेते सप्तापि धातवःप्रकुप्यन्ति, वातपित्तश्लेष्मा दयो दोषा उत्पद्यन्ते, अतो मम श्रान्तस्य सद्यः शरीरप्रक्षालनपानादिकं नैवोचितम्' इति विचिन्त्य तत्ती30 रतरोरेकस्य तले क्षणमेकं विश्रम्य ततः कुमारः सरःसलिलावगाहनं पयःपानं च विदधे । ततः पुष्प-30 फलस्पृहयालुः सर्वतः परिभ्रमन् कस्मिन्नपि प्रदेशे लतानिकेतने प्रतिमां यक्षप्रतिमां यावनिरूपयति तावत्तत्र यक्षशिरोदेशे सकलत्रैलोक्यबन्धोर्भगवतो ऽहंतो मूर्तिर्मुक्तामयी तल्लोचनगोचरमागता। 33 कुमारस्तामालोक्य हर्षवशविकसल्लोचनः स्तुतिमाततान। 33 जय त्रिभुवनाधीश जय निर्माय निर्मम । जय कारुण्यपाथोधे जय श्रेयाश्रियोनिधे ॥ ३२५ ६३६) ततः कुमारस्तां प्रतिमा जलेन प्रक्षाल्याहिमचिमरीचिवीचिपरिचयपेशलैः कमलैरभ्यर्य 36 भक्तिभृतस्वान्तः पर्यष्टौदिति । संसाराम्बुधिपापनीरलहरीमध्ये भृशं मजत खाता त्वं भुवनैकभूषणमणे त्वं नायकस्त्वं गुरुः । 39 किंचान्यजनकस्त्वमेव जननी दीनत्वभाजो मम 39 त्वं बन्धुस्त्वमिह त्वमेव शरणं त्वं जीवितं त्वं गतिः॥ ३२६ अत्रान्तरे निर्मितातुलजलक्षोभा सरोवरोदरतः कापि कामिनी दिव्यरूपधारिणी निःससार । तां। 42च दृष्ट्वा चिन्तितं कुमारेण । 14) Pत्रिपत्रिसप्त. 15) काक for केकि. 18) ककुमडले. 21) B शेषकं for विशेषकः and R has a marginal gloss: तस्य वनस्य मध्ये । भूखीभालतिलक। 27) PF दुःसहतृषाक्षुधापरिश्रमभाजिनापि. 29) , पामारिक for पानादिक- 30) पयः पाने च बंधाय blank space स्पृहयालुः, B च विधाय भोजनविषये स्पृड्यालु: Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. 38: Verse 997] कुवलयमालाकथा ३ # 51 1 'समुद्रनन्दिनी किं वा किं वा विद्याधरी वरा । किं वा सिद्धाङ्गना किं वा देव्यसौ व्यन्तरी किमु ॥ ३२७ 1 तां चानु करकमलकृतजलभृत कनक कलशा दिव्यसरोजा दिपूजोपकरणपूर्ण पटलिका विहस्तहस्ता कुनिका ३ च निर्गता । ते च विलोक्य कुमारश्चिन्तयामास । 'ननु दिव्ये इमे, न ज्ञायते केन हेतुनात्रागते ।' ततो 3 res प्रदेशे स्थास्यामि तदेतयोर्मनसि महान् क्षोभो भविष्यति, अतो ऽस्यैव यक्षस्य पृष्ठिभागे तिष्ठामि क्षणमेकम् 'यथैते किं निमित्तमागते, किमत्र कुते' इति परिज्ञानाय तद्यक्षपृष्ठावतिष्ठत् । ततः सा मृदङ्गी भगवत्प्रतिमां सरोजैरर्चितां विलोक्य जल्पितवती । 'हे कुब्जिके, यदियमन्येनापि भगवतः 6 श्रीमदादिनाथस्य प्रतिमा केनाप्यचिंता, परमिति न ज्ञायते यद्देवेन मानुषेण वा ।' कुब्जिकयोक्तम् । 'अत्र वने शबरैरभ्यर्चिता भविष्यति ।' तयोक्तम् । 'नहि नहि विलोकय पदपद्धतिम्, यदस्यां वालुकाप्रति'बिम्बितायां पद्मशङ्खाङ्कुशादीनि लक्षणानि लक्ष्यन्ते, ततो मन्ये को ऽप्युत्तमः पुमान्' इति वदन्ती 9 सुदती पूर्वपूजा कमलान्युत्सार्य भगवन्मूर्ति कनककलशगन्धोदकेन संखाप्य विकचैरम्भोजैरभ्यर्च्य स्तुतिमातन्य ततो यक्षं संपूज्य गीतं गातुं प्रवृत्ता । तस्या गेयं लय-ताल-तान-श्रुति-स्वर - मूर्छना12 ग्राम सुन्दरम मेयगुणमाकर्ण्य कुतमनाः कुमारः 'अहो गीतम्, अहो गीतम्' इति वदन्नात्मानं प्रकटीचक्रे । 12 सा च मृगलोचना रूपगुणकलाकलापकलिताय कुमारायाभ्युत्थानं विदधे । कुमारेणापि 'साधर्मिकवत्सलत्वम्' इति चिन्तयता प्रथममेव साभिवन्दिता । तया साध्वसत्रपाभ रोत्कम्प कम्पमान स्तनभरया 15 सविनयं भणितम् । 'देव कस्त्वम्, विद्याधरश्चक्रवर्ती सुरो वा कुतः समागतः क्व यास्यसि' इति । अथ 15 भणितं कुमारेण । 'मनुष्यो ऽहं कार्यार्थी दक्षिणापथं प्रत्ययोध्यातश्चलितः । एष मम परमार्थः । 18 ( ३७ ) 'हे कुमार, श्रूयताम् । समस्तीह भुवि ख्याता पुरी स्वर्गपुरीनिभा । माकन्दी भूरिमाकन्दा सदादीनजनस्थितिः ॥ ३३० अरिष्टशब्दो निम्बे स्यात् कलिर्यत्र विभीतके । पलंकषो गुग्गुलैौ च जने नैव कदाचन ॥ ३३१ 21 तत्रास्ति यशदत्ताभिधः सूत्रकण्ठः श्रोत्रियः । स च कृष्णाङ्गः कृशशरीरः खरस्पर्शः प्रदृश्यद्धमनिजालः सदा दारिद्र्यमुद्राविद्रुतः । तस्य सावित्री प्राणप्रिया । तत्कुक्षिभवान्यपत्यानि त्रयोदश । तेषु चरमः 24 सोमनामा तनूजः । तस्मिन् जातमात्र एव संवत्सराणामधमा विंशिका प्रविष्टा । तदनुभावेन द्वादश - 24 वत्सरीमवृष्टिरजायत । यत्रषयो न जायन्ते न फलन्ति महीरुहः । निष्पद्यते न वा सस्यं तृण्या नैव प्ररोहति ॥ ३३२ 21 27 अतो देवार्चनं नैव नैवातिथिषु सत्क्रिया । वितरन्ति न वा दानं नार्चयन्ति जना गुरून् ॥ ३३३ 27 एवंविधे महादुर्भिक्षे यज्ञदत्तकुटुम्बं समस्तमपि क्षयमियाय । केवलं स बटुः सोमः कनिष्ठपुत्रः कथमपि कर्मवशतः क्षुधाभारोपरतसमग्रबन्धुवर्गः कदाचिद्राजमार्गे विपणिश्रेणिपतितैर्धान्यकणैः 50 कदाचिद्भोजनक्षणदत्तबलिपिण्डेन महता कष्टेन महद्दुष्कालकान्तारं व्यतीयाय । तदनन्तरं ग्रहगत्या 30 प्रजानां भाग्यवशतः प्रभूतं तोयं निपतितं सर्वत्र प्रमुदितानि जनमनांसि सर्वत्रैवोत्सवः प्रवृतः । तस्मिन्नीदृशे सुभिक्षे प्रवृत्ते सोमबटोः षोडशवर्षदेशीयस्य दरिद्र इति पदे पदे जनेन हस्यमानस्य 33 वेतसीदृशी चिन्ता संजाता । एतस्मिन् [हि ] महारण्ये का त्वं यक्षः क एष वै । एतस्य हेतुना केन शीर्षे मूर्तिर्जिनेशितुः ॥ ३२८ एतच्चित्रं महश्चित्ते मम संप्रति वर्तते । कुरङ्गनयने तावदेतदाशु निवेदय ॥ ३२९ 18 36 39 'के sपि मर्त्यसहस्राणामुदरंभरयो नराः । प्राकृतादुष्कृतादात्मंभरयो ऽपि न मादृशाः ॥ ३३४ तत्कृतं सुकृतं किंचिनैव पूर्वभवे मया । येन मे न भवत्येव दुस्थावस्था कदाचन ॥ ३३५ सर्वदापि सुखेच्छा स्याल्लोकस्यामुष्य मानसे । न करोति परं किंचित् श्रेयो येन सुखी भवेत् ॥ ३३६ 6 ३८) तत्सर्वथैव धर्मार्थ काम पुरुषार्थत्रयशून्यस्यास्मादृशजनस्य जीवितत्यजनमेव श्रेयस्तरम्, अथवा न युक्तमेतत्, यत आत्मनो वध उचितो न । ये त्यक्ता द्रव्यमानाभ्यां भवेयुर्भविनो भुवि । श्रेयांस्तेषां वने वासो ऽथवान्यविषयान्तरे ॥ ३३७ 39 33 3) B यामास । अथ मया किं कर्तव्यमिति यद् अन्न प्रदेशे P bas blank space for ननु दिव्ये etc. to ततो. 4) B पृष्टिविभागे. 5 ) P अति for इति. 13 ) 8 कलितस्य कुमारस्याभ्युत्थानं. 15 ) P has a gap shown by blank space for सविनय eto, to एतस्मिन् [हि ], D° भरया भाणि भो कुमार भवान् कुतः कुत्र किमर्थं याति । कुमारोऽप्यश्वापहारमारभ्य कुवलयमालाबोधं यावनिवेयतां मी भद्रे महारण्ये. 17 ) B वा for वै. 21 ) s has & marginal gloss : ऽरिष्टशब्दो लिंबे वाचकः । न लोकेऽरिष्टशब्दप्रयोगः । कलिः कलहः । बिभीतकवृक्षश्च । पलंकषो गुग्गुलुः । पलं मांसं कषति विनाशयति पलंकष ः 1. 22 ) B भिदः कठः श्रोत्रियः, प्रदृश्यमानधमनिआल: (मान added on the margin). 26) 0 तृणान्येव प्ररोहति but suggests an emendation thus: 'रोहन्ति वृष्णान्वी'. Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 52 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. § 38: Verse 338 1 ततो विदेशगमनमेव समीचीनम्' इति ध्यायन् सोमबटुर्माकन्दीपुरीतो निर्गत्य दक्षिणां दिशमा- 1 श्रित्य चलितः । क्रमेणानवरतप्रयाणेन कृतभिक्षावृत्तिर्विन्ध्यगिरेर्महाटवीमाटिवान् । तत्र तदातिमहा3 निदाघे तृषाक्षुधार्तः प्रभ्रष्टमार्गः सिंहव्याघ्रदर्शनवेपमानमानसः कस्मिंश्चित्सरसि पयः पीत्वा वनफलान्य- 3 भक्षयत् । तत्र तेन परिभ्रमता चन्दनैलालवङ्गलतागृहे भगवतः प्रथमतीर्थनाथस्य प्रतिमां निरीक्ष्य चिन्तितम् । 'अहो, पुरापि माकन्दीपुर्या मयेदृशी मूर्तिर्दृष्टश' इति विमृश्य तीर्थकृतः सपर्या विरचय्य पुरो " बटुर्जजल्प | 'भगवन्, तव नामगोत्रगुणकलादिकं न जाने, किंतु भक्त्या त्वद्दर्शनेन भवच्चरणार्चनेन च 6 यत्किचिद्भवति तद्भवतु' इति प्रार्थ्य रम्यो ऽयं वनाभोगः, प्रधानः सरोवरोद्देशः, कमनीयं लतागृहम्, फलिताः पादपाः, सौम्य एष देवः, मया च तद्दृस्सहदारिद्रयापमानकलङ्कितात्मना विदेशमपि गत्वा 'परप्रेष्येणैव भाव्यम् । का ऽन्या गतिरस्मादृशामकृतपूर्वतपश्चरणानाम् । यतः, दूरं गतो ऽपि नो मर्त्यस्त्यज्यते पूर्वकर्मभिः । रोहणाद्रौ व्रजेद्यद्वा दारिद्र्यं तत्तथैव च ॥ ३३८ सर्वथापि नास्ति पूर्वविहितस्य नाशः । ततो वरमिहैव जले स्नानं कुर्वनेतान्येव जलकमलानि गृहीत्वा 12 कमप्यमुं देवताविशेषमर्चयन् सुखेन वनतपस्वीव किं न तिष्ठामि' इति ध्यात्वा तत्रैव सोमस्तस्थिवान् । 12 ३१ ) एवं कालान्तरेण कृतभूरिफलाहारस्य तस्य विसूचिकया भगवन्मूर्ति हृदि चिन्तयतः समाधिना मृतिर्बभूव । ततो रत्नप्रभायाः प्रथमे योजनशते व्यन्तराणामष्टौ निकाया ये ऽल्पर्द्धयः सन्ति, 15 तेषां यक्ष १ राक्षस २ भूत ३ पिशाच ४ किंनर ५ किंपुरुष ६ महोरग ७ गन्धर्वाणां ८ मध्ये प्रथम- 15 निकाये महैश्वर्ययुतो यक्षराजो रत्नशेखराख्यः स समुत्पेदे । तत्रस्थेन तेन चिन्तितम् । 'कस्य सुकृतस्य वशतः प्रभूतवैभवभाजनमभवम्' इत्यनुध्याय प्रयुक्तावधिज्ञानेन यक्षराजेन तस्मिन्नेव लतागृहे जगत्पतेः 18 पुरः स्वं शरीरं निरीक्ष्य श्रीयुगादिजिनप्रतिमामभ्यर्च्य प्रोचे । 'यदहं सर्वपुरुषार्थबहिष्कृतो ऽपि सर्वत्र 18 लोके हस्यमानो ऽप्येवंविधैश्वर्यभाजनं यक्षराजः समभवं स केवलं तव प्रसाद एव । अतो युक्ता मम शीर्षे जिनेश्वरस्थापना । एकं तावदयं सुरासुरनरेश्वराणामप्यभ्यर्च्यः, द्वितीयं यदुपकारकारि मे, तृतीयं 21 यत्सिद्धिसुखनिदानं च' इति परिवारपुरस्सरमुक्त्वा तेन यक्षेण तत्र वने स्वस्य मूर्तिं महतीं मुक्तामयीं 21 निर्माय तस्या मुकुटोपरि श्रीमदादिनाथस्य प्रतिमा विदधे । तदाप्रभृति तत्र यक्षलोकेन रत्नशेखर इत्यभिधानमवगणय्य तस्य जिनशेखर इत्याख्या पप्रथे । तेनाहं चेति भणिता । 'यत्कनकप्रभे, त्वया 24 प्रतिदिनं भगवान् दिव्यमणीच कैरभ्यर्चनीयः । मया पुनरष्टम्यां चतुर्दश्यां च परिबर्हेण समं सपर्या - 24 निमित्तं भगवतः समागन्तव्यम् ।' इत्युदित्वा यक्षः स्वस्थानमगात् । ततो भद्र, यत्त्वया पृष्टं क एष यक्ष, किं चामुष्य मुकुटे जिनप्रतिमा, त्वमपि कासि, सैव यक्षराजः सेयं जिनप्रतिमा तस्य चाहं कर्म27 करी । इह प्रतिदिनं मया समागन्तव्यमेव ।' इति भणिते भणितं कुमारेण । 'अहो, महदाश्चर्य, महत्म- 27 भावो भगवान्, भक्तिभरनिभृतो यक्षराजः, विनीता भवती, रम्यः प्रदेशः, सर्वथा पर्याप्तं मम दशां श्रुतीनां च फलम् ।' ततस्तया भूयी ऽपि जगदे । 'भो भद्र, सफलं देवदर्शनम्, अतः किमपि प्रार्थय, 30 यथा तव हृदयेप्सितं ददामि इति । कुमारेणोक्तम् । 'न किमपि मम प्रार्थनीयमस्ति ।' तथा जगदे | 30 कस्यापि किमपीप्सितं स्यादतो याचस्व किमपि ।' कुमारेण जल्पितम् । 'भद्रे, एष भगवान् जिनभक्ति करो यक्षराजो भवती चेति सर्वमप्येतदवलोकितं यतः परमपि किं प्रार्थनीयम्' इत्युदित्वा 83 कुमारः समुत्तस्थौ । ततस्तयोक्तम् । 'भो भद्र, भवता दूरे गन्तव्यं यदरण्यमार्गो विषमो ऽनेकप्रत्यूहव्यूह - 33 निदानम्' इति भणित्वा तया स्वकरादुत्तार्य वर्यवीर्यनिलयमौषधीवलयमेकमर्पयामासे । कुमारस्तदङ्गीकृत्यापाचीं प्रति चचाल । 36 ४०) ततः क्रमेण कुमारेण प्रचण्डपवनहत कल्लोल मालाप्रेर्यमाणतीरपक्षिगणा करिकराघातसमु- 36 छलकल्लोला कुपितमत्तवन महिषटङ्गोच्छलज्जलच्छटा सिच्यमानतीरतरुनिकरा मीनपृष्ठोल्लसदतुच्छफेनपटलालंकृता प्रमत्तदुर्दान्तमज्जन्मातङ्गमण्डली गण्डस्थ लगलितमदजलबिन्दुसंदोह सुरभितजला 39 नर्मदा समुत्तीर्णा । तत्तीरे कुमारः परिभ्रमन् तमालतरुराजीविराजितं प्राङ्गणकुसुमितकेसरशिखरिणं 39 प्रत्यासन्न विकसत्पुष्पजातिमकरन्दमधु [ लुब्ध ] मुग्धमधुपध्वनिमनोहरमुटजं प्रविश्य रुद्राक्षमालावलयं 9 कस्मिंश्च सरसि 5 ) B adds तस्य before तीर्थकृत: 6 ) Bom. न before जाने 8) मया तावदुःसह 9 ) B परप्रेष्येण (P प्रेक्षेण) भाव्यं 10 ) ० दारिद्र 14) मष्टनिकाया 16 ) Bom. तेन. 18 ) Bom. श्री PB यदस्मि for यदहं. 24 ) B परिवारेण समं. 26 ) P किं वाऽमुष्य. 31) किमीप्सितं, B यदतो for स्यादतो, B om. किमपि. 39) The passage तत्तीरे कुमारः eto....गरीयः पयोधरा is adopted from B in which too it is written in a different style Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. F 42 : Verse 388]| कुवलयमालाकया ३ *53 1कमण्डलु चालोक्य 'महामुनिरत्र कोऽपि निवसति' इति चिन्तयस्तदने पांसुले भूमिप्रदेशे पदप्रतिकृति 1 ददर्श। तां च दृष्टा चिन्तितं तेन 'नूनमयं कस्याश्चिन्महेलायाश्चरणप्रतिबिम्बो, न पुनरन्यस्य । ततो गच्छता तेन वल्कलपिहितगरीयःपयोधरा जरत्तापसीपृष्ठगामिनी त्रैलोक्यातिशायिरूपा नवयौवना 3 कामिनी दृष्टा । तयोः पुरस्सर एको राजकीरश्च । तस्यानुपदीन: शुकसारिकानिकरश्च । एतद्विलोक्य कुमारेण चिन्तितम् । 'अहो, अस्या महानुपशमः, यदरण्यनिवासिनः पक्षिणोऽपि पार्श्वमस्या नोज्झन्ति' 6इति चिन्तापरस्तया तरुण्या कुमारो ऽभ्युत्तिष्ठत् । ततस्तं वीक्ष्य निर्मानुषवनजन्मतया भयेन चश्चलदृशं 8 तां पलायमानां चारुवदनां निरीक्ष्य राजकीरो बभाषे। 'स्वामिन्येणिके, किं पलायनं भवती कृतवती ।' तयोक्तम् । 'अयं पुनः क एतस्मिन् ममोटजे वनश्वापदः। तेनोक्तम् । 'एणिके, मा भयभ्रान्तं मनः कुरु, यदयं पथिकः पथश्रान्तः समागतः । ततः समागत्यामुष्य पुरुषोत्तमस्य स्वागतं पृच्छ' इति निगदिते नृपशुकेन सा सवीई कम्पमानवक्षोरुहा पथिकस्य स्वागतमुक्तवती । तथा 'कुतस्तवागमः, कुत्र वा प्रचलितः, किं कार्यम् इति शिक्षितं प्रोचे । स प्राह । 'अयोध्यातः समागतो ऽस्मि, कार्यार्थी दक्षिणां दिश12 माश्रितः। शुकः प्रोवाच । 'स्वागतं महानुभावस्य, क्षणमेकमत्र पल्लवस्त्रस्तरे समुपविश' इति निशम्य 12 कुमारः समुपाविशत् । एणिका विविधतरुपकसुस्वादुसुरभीणि फलानि कुमारस्य पुरो मुक्त्वा निषसाद। कुमारोऽप्यचिन्तयदिति । 'न ज्ञायते काप्येषा केनापि कारणेन वैराग्येण वा कुत्र वागतेह तपस्यति, 16 तत्पृच्छामि इति ध्यात्वा प्राह । 'भद्रे, कथय का त्वं, कथं वात्र वने स्थिता, 'किं वैराग्यकारणं तपसे 15 इति भणिता तेन सा न्यग्मुखी तस्थौ । कुमारस्तु तस्याः प्रतिवचनमुपेक्षमाणः क्षणं विलक्षास्यः सम भूदिति । तदृष्ट्वा राजकीरेण जल्पितम् । 'भो भो महानुभाव, मनागेषा लज्जते । भवतः प्रार्थना मा वृथा 18भवतु' इत्यहं कथयिष्ये। 18 ४१) 'अत्रैव नर्मदाया नद्या दक्षिणकूले देवाटवी नाम महाटवी । तदन्तर्महान् पत्रलः सच्छायो वटपादपः। तस्मिन् सदैव कीरकुलं निवसति । तत्र चैको मणिमयाख्यः सर्वशकवृन्दराजो राजकीरो 1ऽस्ति । तस्य राजकीरिकासंभवः क्रमेण स्फुरदिन्द्रनीलमणिसंनिभपक्षावलीविराजमानो मनोहरकान्तिः। शुका समजायत।स चान्यदा भीष्मग्रीष्मखरकिरणकिरणधोरणीतापिततनुस्तृषाशुष्यद्गलतालुकस्तमालतरुतले क्षणमेकमुपाविशत् । तत्रस्थस्य तस्य व्याध एका समागमत् । स च राजकीरसुतं तं भयेन पलाय24मानं बलात्कारेण गृहीत्वा पल्लीपतेः प्राभृते ऽर्पयामास । तेन राजकीर इति पञ्जरे न्यक्षेपि । तत्र स्थित- 24 स्तेन स वृद्धिमानीतः, महापुरुष, सोऽहं शुकः । अन्यदा श्रियः कच्छे श्रीभृगुकच्छे भृगुभूपतेः पल्ली. पतिनाहमुपदीकृतः । तेन नरेन्द्रेण संतुष्टचेतसा मदनमार्यै सुतायै क्रीडार्थमर्पितो ऽस्मि । तयाल्पदिअनैरप्यहं स्थावरजङ्गमविषचिकित्सागजताम्रचूडतुरङ्गपुरुषस्त्रीलक्षणप्रभृतिसमस्तशास्त्रपारदृश्वा कृतः 27 जिनप्रणीतवचननिश्चितमतिश्च । तत्रान्येधुरतिदारुणे निदाघे कस्यचिन्मुनेरनित्यतादिभावनाभाजिनः केवलक्षानमुल्ललास । तदा तत्रत्यलोकेन केवलमहिमायै देवानां गतागतं वीक्ष्य भृगुभूपस्य पुरोन्यवेदि। 30'देव, यत्तव पिता घातिकर्मचतुष्टयक्षये केवलशाली बभूव' इत्यवगम्य भृगुभूपः स परिच्छदः केवलिने 30 जनकाय नमस्करणार्थमायातः। मदनमअहमपि तत्रानीतः। ६४२) अत्रान्तरे नीलपीतवाससौ विस्फूर्जन्मणिकनकभासुरालङ्कारसारौ द्वौ विद्याधरौ केवलिनं on a pasted slip of paper, possibly a correction on the basis of some older codex. The corresponding passage in P runs thus: तत्तीरे कुमारः परिभ्रमन् तमालतरुमधुपध्वनिमनोहरमुटजं प्रविश्य रुद्राक्षमालावलयं कमंडलु चालोक्य राजीपराजित प्रांगणकुसुमितकेसरशिपरिण प्रत्यासन्नविकसतपुष्पज़ातिमकरंदमधुलुब्धमुग्धचिंतितं तेन । नूनमय कस्याश्चिन्महेलायाश्चरणप्रतिबिबो न पुनरन्यस्य । महामुनिरत्र कोपि निवसतीति चिंतयंस्तदने पांशुलभूमिप्रदेशे प्रतिकृति ददर्श तां च दृष्ट्वा यू पिहितगरीयः पयोधरा. This obviously represents disturbed version of the text adopted above. c reads thus: तत्तीरे परिभ्रमन कुमारी [बहलस्निग्धतरुवरनिकरसंकुले एकस्मिन् प्रदेशे एक भव्यमुटजं दृष्ट्वाऽत्र 'कोपि महर्षेराश्रमो भविष्यति' इति मन्यमानस्त दिशाभिमुख यावच्चलितस्तावत्तरुणतमालपादपपशिपरम्परापरिकलितं समन्ततः कुसुमितबहुजातिजातिकुसुमकरन्दलुन्धभ्रमरनिकररणरणशब्दसङ्गीतमनोहरं राजीवराजितमुटजाङ्गण ददर्श । तत्र च रुद्राक्षमालावलयं कमण्डलु चावलोक्य चिन्तितमनेन राजतनयेन-नूनमत्र कश्चिन्महर्षिःप्रतिवसति' इति । ततस्तदने पांसुले भूमिप्रदेशे प्रतिबिम्बितां सुलक्षणलक्षितां पदपद्धति विलोक्य चिन्तितमनेन-'नूनमय कस्यश्चिद्विलासिन्याश्चरणप्रतिबिम्बो न पुनः पुरुषस्य' इति । ततस्तदनु यावदग्रे गम्यते] तावत्तेनोत्तरीयपिहितगरीयःपयोधरा. As portion of this is put in square braoketa, the ms.-basis is not olear. 3)P नवयौवनकामिनी. 8) B कुमारोभ्यत्तिष्ठन् ददर्श (ददर्श added on the margin) ततस्त. 1!) Pom. किं कार्यम् oto. to दिशमाश्रितः 13) Cadds [उपदीकृत्य] before पुरो, Pom. मुक्त्वा , B has a marginal gloss: ढोकि for मुक्त्वा . 16) 'वचनमपेक्षमाणः- 25) B श्रीभृगुकत्से. 28) Oadds (महिम्ने) before देवानां. 30) B घातिचतुष्टयकर्मक्षये. Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. 42 : Verse 3391 प्रणिपत्य प्रोचतुः 'भगवन् , निवेदय सा का।' इत्याकर्ण्य भृगुभूपेन जनैश्च विक्षप्तम् । 'भो विद्याधरौ, सा 1 पुनः का ।' ततस्ताभ्यामुक्तम् । 'कदाचिद्वैताढ्यपर्वतात् सम्मेतशैलशिखरोपरि तीर्थकृतः प्रणिपत्य धीशत्रुञ्जयपर्वतमहातीर्थे प्रति गच्छद्भ्यामावाभ्यां विन्ध्यगिरिविनिर्गतनर्मदादक्षिणे तटे मृगयूथमार्गानु-3 गामिनीमेकां कामिनीमालोक्य चिन्तितम् । 'अहो, महदाश्चर्य मृगयूथेन सह कामिनी भ्रमति। तत्र कौतुकेनावामवतीर्णी, आवाभ्यामाभाषिता च सा । 'हे बालिके, भीमे ऽरण्ये निर्मानुषे कथमेकाकिनी 6भवती, कुतो वा समागता।' सा किंचिन्न जल्पति, प्रत्युताधिकतरमपससार । तत आवयोः पश्यतोरेव 8 तन्मृगयथं सा चारुलोचना च दर्शनादर्शनत्वमियाय । आवाभ्यां तदाश्चर्यमालोक्य को ऽप्यतिशयशाली मुनिः प्रष्टव्यः' इति ध्यायया भवानेवात्र दृष्टः। ततः पृष्टम् । 'मुनीश्वर, का पुनः सा। ततः स स्वयं 9 केवलज्ञानशाली जल्पितुमारेमे।। 'अस्त्यवन्तीपुरी रम्या सदा नाकविराजिता । पुरी गरीयसी लक्ष्म्या सदाना कविराजिता ॥ ३३९ बभूव भूपतिस्तत्र प्रजापालनलालसः। श्रीमान् वत्साभिधः कान्त्या प्रजापालनलोपमः ॥ ३४० यस्य प्रतापवशतोऽरिनरेश्वराणां दन्तीन्द्रगण्डविगलन्मदवारिशोषः। कामं तदीयवनितानयनाम्वुपूरपोषः समं समभवञ्च तदत्र चित्रम् ॥ ३४१ अभूत्तनूभवस्तस्यानूनसंवित्तिवैभवः । पुरंदरसमस्थामा नाम्ना श्रीवर्धनाभिधः॥ ३४२ तथा श्रीमतीति तत्सुता च । तां विजयपुरस्वामिनो विजयनराधिपस्य तनुजः सिंहः पर्यणैषीत् । 15 सच यौवनप्राप्तः 'सर्वदैवानयाध्वनीनो ऽसद्ययी' इति परिक्षाय राज्ञा निर्विषयीचके । ततः सिंहः स्वां प्रियां गृहीत्वैकस्मिन् पर्यन्तग्रामे ऽतिष्ठत् ।। 18६४३) इतश्च कालान्तरेण स श्रीवर्धनराजपुत्रो धर्मरुचिमुनेरन्तिके ऽन्तेवासी भूत्वा कियतापि 18 कालेनाधिगतश्रुतः स्वीकृतैकाकिविहारिप्रतिमस्तत्र विहारमकरोद्यत्र स भावुको भगिनी च । अन्यदा स भगवान् मासक्षपणपारणायां क्षामतनुरतनुतपोनिधिस्तस्या एव स्वसुर्वेश्मनि भिक्षार्थ प्रविवेश । तया 21 दूरत एव भ्रातरमुपलक्ष्य चिन्तितम् । 'यदयं केनापि पापण्डिना विप्रतार्य प्रवाजितः। ततस्तया स्नेहभर-21 निर्भरहृदयया चिरभ्रातृदर्शनोत्कण्ठया मुनिरालिलिङ्गे । ततस्तत्पतिना तदात्वं बाह्यागतेन तच्चेष्टित मालोक्य कोपपरवशमनसा मुनिनिहतः। तया तत्पल्या 'भ्राता मम हतो ऽनेन पापिना' इति ध्यात्वा 24 पतिरपि काष्ठखण्डेन विनाशितः। तेन म्रियमाणेन तेनैव काष्ठखण्डेन प्रियापि भिन्नशीर्षा व्यधायि। 24 स च सिंहः स्वभावत एव क्रोधनो महामुनिघातसंजाताघसंघातेन रत्नप्रभायां रौरवे नरकावासे सागरोपमस्थिति:रयिकः समुत्पेदे । सापि तस्य मुनेः स्वसा भ्रातृस्नेहमूर्च्छिता तत्क्षणोत्पन्नक्रोधा 27 निहतपतिजातप्रभूतपापा तत्रैव नरकप्रस्तरे समजनिष्ट । स पुनर्यतिनिर्दयं कृपाणप्रहारव्यथितो ऽपि27 समाधिना विपद्य सद्यः सागरोपमस्थितिः सौधर्म त्रिदशः समभवत् । ततश्चयुत्वात्र भृगुकच्छे नृपति र्जातः सोऽहं दृष्पश्च भवन्यामुत्पन्नकेवलः। स च सिंहो नरकादुद्धत्य नन्दिपुरे पुरे ब्राह्मणत्वमुपलभ्य 30 वैराग्यादेकदण्डीभूयाश्रमानुरूपं तपः प्रपाल्यायुषः क्षये ज्योतिप्केषु देवत्वं प्राप । तेन च को ऽपि30 केवली पृष्टः स्वपूर्वभवम् । तेन च तस्य ज्योतिष्कदेवस्य प्राग्भव उक्तः । तं श्रुत्वा समुत्पन्नातुच्छमत्सरप्रस्तमतिरिति व्यचिन्तयदिति । 'अहं तया निजप्रियतमया मारितः । सा च दुराचारा कुत्र' इति 33चिन्तयता तेन सा ततो नरकादुद्धत्य पद्मपुरे पद्मस्य भूपतेः कन्यका जातमात्रा दृष्टा । तदालोकनतस्त-33 दात्वपरिस्फुरदमर्षकम्पमानाधरेण तेन तत्रागत्य विन्ध्यगिरिवनान्तराले सा बालिका जातमात्रा समुज्झिता। सा च कर्मवशतः कोमलकिसलयव्याप्तप्रदेशे पतिता पवनेनाश्वासिता च । तदानीं च 38 भवितव्यतया तत्रैव गर्भभरवेदनार्ता वनमृगी समागता प्रसूता च। प्रसववेदनाविरामे तया मृग्या 38 निरूपितं चिन्तितं च । 'किं ममाधुना युगलकमभवत् । तत आर्जवतया स्वापत्यमिति तस्या मुखे स्तन्यं नवन्ती तामवर्धयत् ।' ततश्च सा बाला मृगयूथेन रममाणा निर्मानुषे ऽरण्ये क्रमेण यौवनमाससाद । .39 तत्र च तस्यास्तिष्ठन्त्या वननिकुञ्जानि गृहाणि, पक्षिणो बान्धवाः, वानरशिशवो मित्राणि, अशनं 39 वनफलानि, सलिलं निर्झरजलं, शयनं विशालशिलातलानि, विनयः सारङ्गकुलस्य पृष्ठिशीष कण्ड्रयनमिति । ततः सा मृगयूथसंगता मानुषं निरीक्ष्य मृगीव प्रोत्फुल्ललोचना पलायते । यद्भवस्यां पृष्टं यथा 3) r bas blank space between विन्ध्यगिरि and नर्मदा. b) PB om. आवाभ्यामाभाषिता च सा. 10) P नाकविराजिनी B has a marginal gloss thus: सह दानेन वर्त्तते सदाना । तथा कविभिः पंडितैः राजिता । पुनः किंविशिष्टा । सदा सर्वदा स्वर्गवत् शोभिता । ऽथवा सदानअकविराजिता दुःखविराजिता किंतु सदासुखिता इत्यर्थः. 17) PB गृहीत्वा कस्मिन्. 24) adds सा before प्रियापि, Pom. भिन्न. 25) B नरकवासे. 36) गर्भभार',40) B विनय सारङ्ग Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 55 -III.5 44 : Verse 348] कुवलयमालाकथा ३ 1 'का पुनरेषा वने परिभ्रमति' सेयं मम पूर्वभवीयस्वसुर्जीवः । यदेतया कदाचिन्मानुषो ऽपि न वीक्षित 1 इति युवां दृष्ट्रा पलायिता ।' ताभ्यां विद्याधराभ्यां विशप्तम् । “किं सा भव्या, किमभव्या' इति । भगवतादिष्टम् । 'भव्या'। ताभ्यामुक्तम् । 'कथं तस्याः सम्यक्त्वप्राप्तिः'। भगवतोक्तम् । 'अस्मिन्नेव 3 भवे ऽस्याः सम्यक्त्वलाभा' । ताभ्यामुक्तम् । 'कस्तस्या धर्माचार्यों भावी' । भगवता भणितं मामुद्दिश्य । 'एष राजकीरः । ततोऽहं भगवद्भणितेन मदनमञ्जर्याः 'पितामहवाक्यमलङ्घनीयम्' इति चिन्तयन्त्या 6 तस्याः प्रबोधकृते विसर्जितो ऽम्बरतलमुत्पत्यात्र वनान्तः समागतः। मया च परिभ्रमता सेयं बालिका 6 दृष्टा । ततः कियद्भिरपि दिनैर्भक्ष्याभक्ष्ये कार्याकार्य तथा जिनप्रणीते धर्म समग्रे ऽपि मनुष्यव्यवहारे च विचक्षणा कृता । कथितश्चास्यै केवलिप्रणीतः पूर्वभवः। यथा 'भवती पद्मभूपस्य दुहिता वैरिणात्र समानीता न वने जाता, तदरण्यं परित्यज्य मया समं वसन्ती भुवं समागच्छ । तत्र भोगान् भुक्ष्व 9 परलोककृत्यमाचरेः। एतया भणितम्। 'यदिदं वनं ममावनमिति । येन दुर्लक्ष्यो लोकाचारः1 विषमाश्वपलाः पश्चापि विषयतााः । बहवः खलाः। अतोऽत्रैव मन्मनसि समाधिर्न पुनरन्यत्र लोकाचारे।' 12 तदनन्तरं सा तत्रैव वने पतितप्रासुककुसुमकन्दफलमूलपत्राशना दुश्वरं चिरं तपश्चरन्ती स्थितवती ।12 ततो यत्त्वया पृष्टम् 'का त्वं, कुत आगता, किं वनवासे बैराग्यहेतुः' इत्यादिकमियं पृष्टा तत्तव भोः कुमार, मयोदितम् । ततः कुमारेण सविनयमुत्थाय 'राजकीर, त्वां साधर्मिकमभिवादये' इत्युक्तम् । 15 एणिकया जल्पितम् । 'फलितं ममाद्य वनवासेन, दृष्टो यद्भवान् सम्यक्त्वधारकः श्रावकः' इति । 16 अतिक्रान्तो मध्याह्नसमयः, तत्त्वरितमुत्तिष्ठ यथा स्नानार्थे गच्छावः । ततः सा तस्याश्रमस्य प्रत्यासन्नजलाशयोद्धृतगलितजलैः कृताङ्गप्रक्षालना प्रावृतधौतकोमलधवलवल्कला कस्मिंश्चिनिगरिकन्दराभोगे 18 पूर्व जलेन संस्त्रप्य भगवतः प्रथमतीर्थपतेःप्रतिमा जलस्थलजकुसुमैरभ्यर्च्य च प्रणतिं चकारमारेण 18 च स्नात्वा कृतपूजाविधानेन स्तुतिः कर्तुं समारेभे । 'गुणैरमेय नामेय भवच्छेदविधायक । अतो भव भवभ्रान्तिभीतिसंहृतये मम ॥ ३४३ श्रीवृषाङ्क जगन्नाथ देवदेव मनोभवः। मम प्रहर्ता संहर्ता तस्य त्वं तत्त्ववृत्तितः ॥३४४ ६४४) अथो कुमार एणिकया शुकेन च साकं तत्रैवोटजे समागत्य सुस्वादुसुरभिसुपक्कानि फलान्यघसत् । तत्रस्थस्य कुमारस्य विविधशास्त्रकलाकलापदेशभाषाख्यायिकाख्यानकभाषणप्रमोदि24 तैणिकाराजकीरस्य एकदा श्यामलकायच्छायं शिखिपिच्छविनिर्मितकर्णावतंसं नानाविधतरुराजीप्रसूना-24 पूर्णधम्मिल्लं शबरमिथुनमेकं समाजगाम । तछाग्रतो भूत्वा राजपुत्रस्य बालिकाया राजकीरस्य च प्रणाम निर्माय दूरशिलातले ऽध्युवास । एणिकया तस्य निरपायकायकिंवदन्ती पृष्टा । तेन च प्रणतोत्तमाङ्गतयैव स सर्वमपि प्रत्युक्तं न पुनर्वचनेन । शबरेण च मुक्तं धनुर्धरण्याम् । कुमारेण तद्रूपशोभाविरुद्धशबराचार-27 कौतुकाक्षिप्तचेतसा चिन्तितम् । 'अहो, धिग् रूपं न कार्य लक्षणैः, अप्रमाणानि शास्त्राणि, असाराः सर्वे गुणाः, अकारणं वेषाचारी, सर्वमपि प्रतीपम् । अन्यथा कथमेतद्रूपं लक्षणव्यञ्जनविभूषितम् । कुत्र 30 वा इदम् । प्राकृतपुरुषसंवादि शबरवेषत्वम्' इति चिन्तयता कुमारेण भणितम् । 'एणिके, किं पुनरे- 30 तत् ।' तयोक्तम् । 'कुमार, सर्वदैवात्र बने परिभ्रमदिदं पश्यामि, परमार्थवृत्त्या न जाने ।' कुमारेण भणितम् । 'एणिके, इदं न शबरयुगलम्, किंतु कृतशबरवेषमेतन्मिथुनं न सामान्यम् ।' एणिकया 33 भणितम् । 'कथं लक्ष्यते' । कुमारेण जल्पितम् । 'सामुद्रिकलक्षणैः' । तयोक्तम् "किं सामुद्रिकशास्त्रं 33 कुमारस्य परिचितम् । एतत्प्राप्तशबरवेषं युगलं तावत्तिष्ठतु, प्रथम पुरुषलक्षणं निवेदय ।' कुमारेण जल्पितम् । 'किं विस्तरतः कथयामि, किं वा संक्षेपतः ।' तया भणितम् । 'क्वापि विस्तरतः क्वापि 36 संक्षेपतश्च ।' कुमारेणोकम् । 'विस्तरतो लक्षप्रमाणं संक्षेपतः परिक्षीयमाणं यावत्सहस्रं शतं श्लोकानां 36 च। ततस्त्वं पूर्वे किंचिद्विस्तरतः शृणु। यथा। 'पद्मवज्राकुशच्छत्रशङ्खमत्स्यादयस्तले । पाणिपादेषु दृश्यन्ते यस्यासौ श्रीपतिः पुमान् ॥ ३४५ 39 उन्नताः पृथुलास्ताम्राः स्निग्धा दर्पणसंनिभाः। नखा भवन्ति धन्यानां धनहेतुसुखप्रदाः ॥ ३४६ 39 सितैः श्रमणता शेया रूप्यपुष्पितिकैः पुनः। जायते किल दुःशीलो नखैलाके ऽत्र मानवः॥ ३४७ शुद्धाः समाः शिखरिणो दन्ताः स्निग्धा घनाःशुभाः। विपरीताः पुनर्शया नराणां दुःखहेतवः ।। ३४८ 2) Pom. विद्याधराभ्यां. 8) B trans. च after कृता (written on the margin). 9) B भुक्त्वा for भुक्ष्व. 10) B कृत्यमाचर, विषमा [विषयाश्चपलाः पञ्चापि विषय (इन्द्रिय) ताक्ष्योः . 20) P मनः । नमः for मम. 21) मनोभव B मनोमवं. 24) P B om. एकदा, PP श्यामलच्छाकार्य. 25) PB मिथुनकमेकमाजगाम..27) धनुर्द्धरियां, , शवरवेषकौतुका. 30) Bom. किं पुनरेतत् etc.......भणितम् एणिके- 31) कुमारेणोक्तं for कुमारेण भणितम्.39) PB धनहेतुः 40) P रूक्ष B रूष्यं for रूप्य on which B has a marginal gloss thus: कपर्दिकाकारपुष्पकसहितः।, o has amarginal note: रूप्यशब्दस्य सुवर्णवाचकत्वादत्र पीतवर्णत्वं ग्राथम् ।। Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .56 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. $ 44 : Verse 3491 द्वात्रिंशद्दशनो राजा भोगी स्यादेकहीनतः । त्रिंशता मध्यमो ज्ञेयस्ततोऽधस्तान सुन्दरः॥ ३४९ ___स्तोकदन्ता अतिदन्ता ये नरा गर्भदन्तजाः । मूषकैः समदन्ताश्च ते च पापाः प्रकीर्तिताः ॥ ३५० अङ्गाष्ठयवैरायाः सुतवन्तो ऽष्ठमूलजैश्च यथैः। ऊर्दाकारा रेखा पाणितले भवति धनहेतुः॥ ३५१ । वामावों भवेद्यस्य वामायां दिशि मस्तके । निर्लक्षणः क्षुधाक्षामो भिक्षामटति रुक्षिकाम् ॥ ३५२ दक्षिणो दक्षिणे भागे यस्यावर्तस्तु मस्तके । तस्य नित्यं प्रजायेत कमला करवर्तिनी ॥ ३५३ 8 यदि स्याइक्षिणे वामो दक्षिणो वामपार्श्वके । पश्चात्काले भवेत्तस्य भोगो नास्त्यत्र संशयः॥ ३५४ संक्षेपतस्तु श्लोकेनैकेनाकर्णितव्यम् । गतेर्धन्यतरो वर्णो वर्णाद्धन्यतरः स्वरः । स्वराद्धन्यतरं सत्त्वं सर्व सत्त्वे प्रतिष्ठितम् ॥ ३५५ ७ ६४५) इति श्रुत्वा तया भणितम् । रम्यमेतत् , परं किं त्वयामुष्य शबरस्य सुलक्षणं ज्ञातम् ।' 9 तेनोक्तम् । 'एणिके, यानि मयोक्तानि तानि सीण्यप्यस्य पुरुषस्य तनौ शुभानि लक्षणानि दृश्यन्ते । तज्जाने को ऽप्येष महासत्त्वः केनापि हेतुनायं कृतशबरवेषः प्रच्छादितस्वाभाविकरूपो विन्ध्यगिरि12 वनान्तः स्थितः । एतदाकर्ण्य शवरेण चिन्तितम् । 'अहो, पुरुषलक्षणपरिज्ञानदक्षिणः पुमानयम् ।13 तावन्न युक्तमत्र स्थातुं किन्त्वपसरणमेव श्रेष्ठम् , यावदस्मानेष न जानाति' [इति]। ततोऽभ्युत्थाय शबरः शबरी च स्वस्थानं जग्मतुः। एणिकया भणितम् । 'कुमार, तव महती दक्षता यदेष प्राप्तशबर15 वेषो ऽप्युपलक्षितः। तेनोक्तम् । 'प्रथममेव परिज्ञातः । पुनर्विशेषतो ज्ञातुमिच्छामि स्फुटं प्रकटय। 15 भणितमेणिकया। 'कुमार, विद्याधरावेतौ।' तेनोक्तम् 'तर्हि कथमेतद्वेषधारिणौ।' तयोक्तम् । एतयोर्विद्याधरयोर्भवानपि परिज्ञाता। भगवतःप्रथमतीर्थनाथस्य सेवाहेवाकिनोमिविनम्योर्धरणेन्द्रेण बह्वयो विद्या 18 दत्ताः। कियत्यो विद्याः कयापि रीत्या साध्यन्ते । सर्वासामपि पृथक् पृथक् साधनोपायः। काश्चित्पानीयमध्ये ऽमूः काश्चित् पर्वतमस्तके । काश्चित् श्मशानमेदिन्यां विद्या साध्या जितेन्द्रियैः ॥ ३५६ ततः कुमार, एतावनेन वन्येन वेषेण शाबरी विद्यां साधयन्तौ तिष्ठतः। तथैष विद्याधरः सपत्नीको 21 . वनान्तः स्वेच्छया परिभ्रमनस्ति ।' कुमारेणोक्तम् । 'कथं त्वं पुनर्जानासि, यथैष विद्याधरः।' तया भणितम् । 'न जानामि' [किंतु] मयैकदा कीरमुखतः श्रुतमेतत् । एकस्मिन् दिने स्वीकृतदुरितौषधपौष24धाहं भगवतो नाभिभवस्य पूजार्थ फलपत्रकुसुमानां ग्रहणाय वनान्तरं न गता, कीरः पुनर्गतः । स च24 मध्याह्नसमये व्यतिक्रान्ते समायातः सन् मया पृष्टः 'अद्य कथमेतावतीं वेलामतिक्रम्य भवान् समायातः । तेन निगदितम् । 'अद्य त्वं वञ्चितासि, यल्लोचनानामाश्चर्यभूतं न किमपि दृष्टिपथमवतीर्ण ते, 27 यतो द्रष्टव्यफलानि हि लोचनानि ।' ततो मयोक्तम् । 'राजकीर, त्वं कथय किं तदाश्चर्यम् ।' 27 ४६) ततस्तेन ममाने निगदितम् । 'यथाद्याहं वनान्तर्गतः। तत्र च सहसा शहतूर्यभेरीमृदङ्गभयो महानिनदः श्रुतः। ततो मया सहर्षोद्धान्तचेतसा कर्णः प्रदत्तः । कतरस्यां दिशि ध्वनिविशेषः। 30 ततस्तदनुसारेण यावद्गच्छामि तावद्भगवतो नाभिसूनोः प्रतिमायाः पुरो दिव्यं नरनारीजनं प्रणाम-30 मादधानं, तथाहार्य वाचिकमाङ्गिक सात्त्विकं चेति चतुर्विधमभिनयं वितन्वन्तं विलोक्य मया चिन्तितम् । 'पते न तावद्देवा अवश्यम्, यतो मयैकदा भगवतः केवलिनः केवलमहिमायै समेतानां देवानां 33 चरणा भूमितले न लगन्ति, लोचनान्यनिमिषाणि चैतदृष्टमासीत् । एतेषां पुनश्चरणा महीपृष्ठे लग्ना 33 लक्ष्यन्ते, सनिमिषाणि नयनानि च । तेन जाने नैते त्रिदशाः, अतिसश्रीकतया न मानुषा अपि, किंतु गगनाङ्गणचारिणो विद्याधरा इगे। 'तावत्पृच्छामि किमेतैः प्रारब्धम्' इति चिन्तयंश्चतपादपाधः क्षणं 36 निषण्णः । अत्रान्तरे यथास्थानमासीना विद्याधरनरा विद्याधर्यश्च । ततस्तेषामन्तःस्थितेनैकेन विद्याधर- 36 तरुणेनानेकरत्ननिर्मितो विमलदिव्यजलपूर्णकलशो जगृहे, तादृश एव द्वितीयो विद्याधरीणां मध्ये ऽत्यन्तरूपशोभया विद्याधबँकया च । ताभ्यां प्रमुदितचित्ताभ्यां भगवतः श्रीयुगादिभर्तुः स्नात्रं विधाय 39 समनोभिः पञ्चवर्णार्जलस्थलभवैरर्चा रचयांचके । ततस्तौ स्तुत्वा भगवन्तं धरणेन्द्रस्य नागभूपतेरा-39 राधनाविधी कायोत्सर्गमेकं द्वितीयं तदनमहिष्यास्तृतीयं शाबरविद्यया विरचय्य शरीराद्विभूषणान्युत्तार्य 4) B रूक्षिकां. 6) P स्यादक्षिणो वामपार्श्वके, B originally स्याइक्षिणे वाभो दक्षिणो वामपावके, but it is improved thus (with some marginal. addition: स्याइक्षिणे वा मस्तके वा वामपावके ।. 8) B inter. सर्व & सत्त्वे. 19) P अंब tcr अमूः, Poom. काश्चित् पर्वतमस्तके- 21) PB om. वन्येन. 23) P Bom.[किंतु], PB पौषधा भगवतो. 24) B adds गता before फलपत्र', B om. न गता, B om. स च. 26) Pom. ते. 32) केवलिमहिमायैः 35) Pom. इमे. 36) 1'नरवरा for 'नरा. 40) B शाबरविद्याया. Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .57 -III. 4g : Verse 361] कुवलपमालाकथा 1च शबरवेषमङ्गीचक्रतुः । तयोर्महाधिराजेन शबरेण महाशाबरी विद्या न्यवेदि । ताभ्यां मौनवतं प्रतिपद्य 1 सद्यः श्रीभगवान्नाभिभवो गुरुवर्गः साधर्मिकलोकश्च ववन्दे । विद्याधराणां मध्ये कृताञ्जलिनैकेन विद्याघरेणोक्तम् । 'भो लोकपाला विद्याधराश्च श्रूयताम् । पूर्व शबरशीलो विद्याधरशेखरः सर्पसिद्धशाबर- 3 विद्याकोशः सप्रभावश्चिरं राज्यं परिपाल्य समुत्पन्नवैराग्यरङ्गितः प्रतिपन्नश्रीजिनधर्मः सर्वसंगं परिस्यज्यात्रैव गिरिकुहरे स्थितः। तस्य पुत्रेण शबरसेनापतिना पितृभक्त्यात्रैव स्फाटिकमयी भगवत्प्रतिमा 6निवेशिता, तदाप्रभृत्येतद्विद्यासिद्धक्षेत्रम् । ततो ऽमुष्य प्राप्तशबरवेषस्य भगवन्नाभिभवप्रभावतो धरणे- 6 मद्रस्याभिधानेन चैषा निष्प्रत्यूह सिद्धिमेतु । ततः सर्वेऽपि विद्याधरा 'अस्य शीघ्र विद्या सिध्यत्' इति प्रोच्य तमालदलश्यामलंगगनतलमुत्पेतुः। ततस्तौ द्वावप्यङ्गीकृतशबरवेषौ तत्रैव तिष्ठतः। ततः कुमार एतेन कीरकथनेन जाने कृतशबरवेषौ विद्याधराविमौ ।' इत्याकर्ण्य कुमारेणोक्तम् । 'एणिके, तन्ममैकं 9 बचः कर्णकटुकं श्रूयताम् 'तयोक्तम् । 'ममादेशं देहि।' कुमारेण जल्पितम् । 'अत्रागतस्य मम कालक्षेपः समजनि, स्वस्ति भवतु भवत्यै, मया पुनरवश्य दक्षिणापथे गन्तव्यम् ।' एणिकया भणितम् । 'कुमार, "सत्यमेतद्यत्कदापि प्राघूर्णकैामा न वसन्ति । पुनर्निजवृत्तान्तनिवेदनप्रसादेन मम मनाप्रमोदो विधीय-13 ताम् । ततः कुमारेण मूलादारभ्य वनप्रदेशं यावच्चरितं निजं निगदितम् । पणिकयोक्तम् । 'कुमार, स्वद्वियोगेन जनकजनन्यौ विविधाबाधाभाजनं भविष्यतः, अतो यदिभवते रोचते तदा तव कायकौशलकथनार्थ कीरं प्रेषयामि ।' 'एतद्भवतु'इति प्रोच्य समुत्थाय कुमारश्वचाल । ततस्तत्संगतिविरहजात-16 मन्युभरसंभूतबाष्पजललवप्रतिरुद्धनयनालोकप्रचारा एणिका कीरेण समं कियती भुवमनुगम्य कुमार मापृच्छय व्यावर्तत । कुमारोऽपि क्रमेण कामन् विन्ध्याटवीं सह्यगिरि निकषा कस्यचित्सरसस्तीरे 18सार्थमेकमावासितं समीक्ष्य पुरुषमेकं पप्रच्छ । 'भद्र, निवेदय कुतः सार्थः समागतः, कुत्र वा गमी। 18 तेनोक्तम् । 'विन्ध्यपुरादायातः, काश्चीपुरी गमिष्यति ।' कुमारेण भणितम् । 'विजयापुरी कियहरे, इति जानासि त्वम् ।' तेनोक्तम् । 'देव, दूरे विजयापुरी परं दक्षिणमकराकरतीरस्था भवतीति श्रूयते।' 21कुमारेण चिन्तितम् । 'सार्थेनतेन समं मम गमनं कमनीयम्।' ततः कुमारः सार्थपतिं वैश्रवणदत्ता-1 भिधमुपगम्य बभाषे। 'हे सार्थपते, त्वया सह समेष्यामि।' तेनोक्तम् । भवत्विति महाननुग्रहः कृतः।' ततः सार्थपतिना प्रयाणकं चके।। 4 ६४७) अत्रान्तरे सहस्रकरः पश्चिमाचलचूलामाललम्बे । सर्वत्र तमःप्रसरः प्रससार । ततः24 कस्मिंश्चित्प्रदेशे स सार्थ आवासं रचयांचके । ततो भवितव्यतया संनद्धैर्भिल्लैः समाकृष्टनिष्कृपकृपाणैरा रोपितचापदण्डैः 'गृहाण गृहाण' इति वदद्भिः सार्थः सकलोऽपि लुण्टितः। तदसमञ्जसमालोक्य लोकः आपलायनं चकार । इतश्च सार्थपतिदुहिता धनवती प्रनष्टे परिजने व्यापादिते पादातिकजने पलायिते या सार्थपती किरातैर्गृह्यमाणा भयभ्रान्तलोचना निःश्वासधोरणी मुञ्चमाना वेपमानपीनपयोधराशरणा 'शरणं शरणम्' इति प्रार्थयमाना कुमारकुवलयचन्द्रमुपससर्प। 80 ततस्तयोचे 'शौर्येण दृश्यसे सिंहसंनिभः। रक्ष भिल्लुजनस्तामस्ताशङ्कत्वमद्य माम् ॥' ३५७ 30 सेनोदितं 'भयभ्रान्तलोचने चारुलोचने । मा तनु स्वतनुत्यागादपि त्रातास्मि ते ऽधुना ॥ ३५८ इति प्रोच्य, 33 कुतोऽपि भिल्लादाच्छिद्य सशरं स शरासनम् । शरैर्षितुमारेमे धाराभिरिव वारिदः ॥ ३५९ 33 जर्जरं तत्प्रहारौघैर्बलं नष्टं दिशोदिशि । वीक्ष्य पल्लीपतियोद्धमुद्धतः समुपस्थितः॥ ३६० निशातशरधोरण्या तदा ताभ्यां परस्परम् । अकालवृष्टिविहिता कालरात्रिरिवापरा ॥ ३६१ 36६४८) ततः कुमारेण रोषारुणेक्षणेन स्तम्भनमन्त्रः प्रयुक्तः। भिल्लेशेनापि कुमारे स एव मन्त्रः 36 प्रयुक्तः, परं तेन कुमारस्य न किमपि जातम् । ततो मिल्लपतिना चिन्तितम् । 'अहो, कोऽप्येष महा सस्वः सर्वकलासु कुशलो मया हन्तुं न शक्यते, किंतु प्रत्युतामुष्य हस्ततो मया मृत्युः प्राप्यः, तदलं 39 संप्रहारेण, सर्वसंगपरित्याग एव मम श्रेयान् संप्रति' इति चिन्तयन् भिल्लस्वामी रणधरण्या हस्तशतम-39 पसृत्य करालं करवालमुत्सृज्य प्रलम्बमानभुजपरिधः परित्यक्तदुष्पणिधानः स्वीकृतसाकारनियमः पचनमस्कारं समुधरन् समशत्रुमित्रः कायोत्सर्गमनीचकार । तादृशवृत्तं वीक्ष्य पञ्चनमस्कारवचः श्रुत्वा 1) B महाशावरविधा. 8) कृतशाबरवेधी. 12) B प्रावृणिकै. 13) Pom. बन, Bom. निज. 16) 1 कियंती 210 om.मम. 22) Bom.हे. 31) Bधुनु for तनु. 32) Bom. इति प्रोच्य. 41) B पंचनमस्कारमुचरन् Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .58 रनप्रभसूरिविरचिता [11I.848: Verse 3621सहसा संभ्रान्तः कुवलयचन्द्रः 'साधर्मिको ऽयम्' इति तत्समीपमुपागत्य प्रोवाच । 'किं त्वया सहसा 1 साहसमनीदृशं प्रारब्धम्, मुञ्च कायोत्सर्गम् । ममापि पूर्वकृतपापस्यापराधं सहस्व ।' ततः गल्लीपतिना चिन्तितम् । 'यदसावपि साधर्षिकस्ततो मम मिथ्यादुष्कृतं दातुमुचितम् ।' इति चिन्तयन् कायोत्सर्ग 3 प्रोज्य कुमाराय वन्दनकं विदधे, कुमारेणापि तस्य च । एवं तौ परस्परं दर्शितधर्मरागौ प्रीतिस्यूत चेतसौ प्रसद्वाष्पबिन्दुदृष्टी बभूवतुः। कुमारेणोक्तम् । यद्यतत्कथमेतत्, अथैतत्किमपरेण।' पतदाकर्ण्य 6मिल्लपतिरूचे । सर्वमपि जाने परं दुष्टैः कर्मवैरिभिर्लोभपरवशः कृतः, परं त्वत्संगत्या संप्रति तपोनिय- 6 मध्यानयोगैरात्मानं साधयिष्ये ।' कुमारेणोक्तम् । 'न सामान्यं तव चरित्रम् । ततः कथय कोऽसि ।' स पल्लीपतिर्जगाद । 'नास्मि भिल्लाधिपः, एतत्तव विस्तरेण कथयिष्ये । सांप्रतं पुनः सार्थ भिल्लजनैलण्ठ्यमानं निवारयामि ।' ततः पल्लीपतिना सार्थः सर्वोऽपि भिल्लेभ्यो रक्षितः। भिल्लाः सर्वे पल्लीपति-9 भयतो दूरं नेशुः । यद्यस्य संबन्धि वस्तुगतमासीत् तत्तस्य पल्लीपतिरर्पयामास । भिल्लैः सार्थपतिनश्यन् धत्वा सेनापतये ऽर्पितः । तेनोक्तं च । 'सार्थपते, मा भयं भज, निजं पण्यं गृहाण' इति वदन् सेना12 पतिरुत्थाय कुमारेण समं सह्यशिखरिशिखरसंश्रयां महापल्लीमाटिवान् । 12 ४२) कुमारेण च पल्लीं नगरीसमानश्रियं तथा तन्मध्यस्थप्रासादं विशदं विलोक्य पृष्टम् । 'यदमुष्य संनिवेशस्य किमभिधानम् । तेनोक्तम् । 'एतस्याः पल्याश्चिन्तामणिरित्याख्या।' एवमन्यान्य15 प्रश्नपरः कुमारस्तेन समं राजमन्दिरमाससाद । ततो द्वावपि मणिमयेषु भद्रासनेषु संनिविष्टौ। ततश्च 16 सानपीठमलंकृत्य विकसन्मालतीगन्धसनाथं लक्षपाकं तैलमुत्तमाङ्गे प्रक्षिप्य संवाहकैः कमलकोमलकरतलैः सुखेन संवाहिती। ततस्तौ कोष्णैर्जलैरङ्गं प्रक्षाल्य शुचिभूय चन्द्रांशुनिचयव्यते इव श्वेतवाससी 18परिधाय ततस्तदन्तर्वर्तिनि देवतायतने कनकमयकपाटसंपुटमुद्धाट्य शिवश्रियो द्वारमिव भगवतां 18 जिनानां कनकरत्तनिर्मिताःप्रतिमाः समभ्यर्च्य जिनस्तुतिचतुर्विशिकां परामृश्य प्रणिपत्य च भोजनमण्डपमुपाजग्मतुः। ततश्च यथासुखं भोजनं निर्माय खैरं परस्परं यावद्वातां कुर्वन्तौ तिष्ठतस्तावदकस्मात् प्रावृतसितधौतनिवसनो लोहदण्डव्यापृतकर एकः पुरुषः समागत्य सेनापतेः पुरोभूय इदं पपाठ । 'जानास्यपारसंसारमसारं सागरोपमम् । वचश्व वेत्सि श्रीजनं शिवशर्मकदेशकम् ॥ ३६२ एतदद्ध्यवसायात्तु विरतिं न करिष्यसि । अतस्त्वां लोहदण्डेन ताडयिष्यामि निष्कृपम् ॥ ३६३ 24 इति वदता तेन सेनापतिरुत्तमाङ्गे मनाक् ताडितः। ततो महागारुडमन्त्राभिमन्त्रितसिद्धार्थप्रहतो भुजंगम 24 इवाधोमुखः स्थितः सेनापतिरित्यचिन्तयत् । 'अहो, कौतुकं यदनेन निर्दयमनसा सुपुरुषस्येशस्य पश्यतो ऽहं प्रहतः कर्कशं भणितश्च । अथवा मम प्रमादिन एतेन रम्यमेव विरचितम् । जरामृत्युमहारोगदुःखतप्ता भ्रमन्ति हि । संसारघोरकान्तारप्रान्तरान्तस्तनूभृतः॥ ३६४ 27 तदन्तः कोऽपि यो भव्यः कर्मग्रन्धि विभिद्य सः। सम्यक्त्वरनं दुष्प्रापममूल्यं स्वीकरोति च ॥ ३६५ तदेव फलकं प्राप्य भवाम्भोधी प्रमादाति । यः शरीरी स सद्यः स्वं तनुते ऽतनुदुःखभूः॥ ३६६ 30 इति चिन्ताचान्तमनसं सेनापति बाष्पजललवप्लतनयनयुगलं प्रमुक्तदीर्धनिःश्वासं दीनास्यं निरीक्ष्य 30 कुमारःप्रोवाच । भद्र, कथय क एष वृत्तान्तः। ततो दीर्घ निःश्वस्य सेनापतिर्जजल्प । 'कुमार, श्रूयताम् । ६५०) लोकंपृणगुणग्रामाभिरामास्ति गतावमा । धरारामाललामश्री पुरी रत्नपुरी वरा ॥ ३६७ 33 स्वःपुरीवोग्रधन्वाच्या व्योमश्रीवत्समङ्गला । अलकावत्सधनदा या लङ्केव सदा वरा ॥ ३६८ वनावनीव सन्नेत्रा कलिता ललिताशना । सपुन्नागा सनारङ्गा श्रीफलैः सुमनोरमा ॥ ३६९ तत्र रत्नमुकुटाबः प्रबविश्वमहीपतिः । समस्ति पृथिवीपालः पालिताखिलभूतलः ॥ ३७० 36 तदङ्गजी दर्पफलिको भुजफलिकश्च । एवं च तस्य राज्यं पालयत एकस्मिन्नमावास्या दिने प्रदोषे वासवेश्म 36 । प्रविष्टस्य किमपि चिन्तयतः प्रदीपे पतङ्ग एकः समागतः।राशा प्रकृत्यनुकम्पितहृदा चिन्तितम् 'अयं पराको मर्तुकामस्तस्मादमुष्य परित्राणं करोमि' । इति चिन्तयता तेन करेण गृहीत्वा चारत्रय 39 कपाटविवरेण बहिः प्रक्षिप्तः । स पुनरपि दीपान्तिकमायातः ।राशा चिन्तितम् । 'उपायरक्षितो जन्तु: 39 21 37 जरामृत्युम 93 5) तदाकर्ण्य for एतदाकर्ण्य. 7) PO साम्य तव. 8) Pभिलाभिध:. 9) B सर्वेपि for सर्वे. 11) Bom. च. 16) B'समान for सनार्थ- 210 "निवसिनो. 22) P जानाम्यपार B जानास्यपारं. 33) B has some marginal glosses on these verses: इंद्रानेन आख्या, गक्षे उग्राणि धषि येगा ते उग्रधन्वानो धनुर्धरास्तैराढ्या ॥ धनदा दानेश्वरास्तैः सहिताः॥ दावं संताप राति यच्छंति दावरा राक्षसास्तैः सहिता पुरी सदावरा प्रधाना ॥ नेत्रैर्वृक्षविशेषैराकलिता संबद्धा, पुरी पक्षे सतां नेत्रा स्वामिना सहिता ।' ललिता मनोहरा असना प्रियं[गु]वृक्षा यत्र, पुरी पक्षे ललितानि आसनानि यस्यां ॥ नारंगवृक्षसहिता पुरी सह नारंगै निभिर्वर्त्तते स नारंगा ।। बिल्वफलैः ।. Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. 859: Verse 889] कुवलयमालाकथा ३ * 59 1 सुचिरं कालं जीवति' । इति ध्यात्वा प्रागुद्धाटिते समुद्रके राक्षा पतङ्गं प्रक्षिप्य पिधानं च दत्त्वा स उपधाने 1 मुमुचे । अथ भूपतिर्निद्रासुखमवाप्य प्रगे समुद्रकं यावन्निरूपयति तावत्तत्र गृहोलिकामद्राक्षीत् । तेन समुद्रकं च पतङ्गशून्यं निरीक्ष्य चिन्तितम् । 'यदसौ निश्चितं कुड्यमत्स्येन भक्षितः । नास्ति कुत्रापि मोक्षो विहितस्य कर्मणः । पूर्वजन्मार्जितं कर्म यावन्मात्रं शरीरिणा । शुभं वाप्यशुभं वापि तावन्मात्रमवाप्यते ॥ ३७१ " इति महीपतेः सहसा वैराग्यमार्गजाङ्घिकस्य जातिस्मृत्या पूर्वभवः प्रकटीबभूव । यथा पालितचारित्रः स्वर्गलोकं गतः पुरा । सुखं भुक्त्वा ततभ्युत्वात्रैव भूपो भवं भुवि ॥ ३७२ $ ५१ ) अथ तस्य तत्रावसरे संनिहितया कयाचिदेवतया रजोहरणवदनवस्त्रिकापात्रादिनवविधोपधिसमर्पणं चक्रे । ततः स राजर्षिर्यावत्कचांलुञ्चितुं प्रवृत्तस्तावद्विभाता विभावरी । पेठुर्मङ्गलपाठकाः । 'पूर्वमेष मुनेर्धर्मे जागरां प्रत्यपद्यत । ततो दिनमुखे चित्रं वयं सूर्यपरायणात् ॥ ३७३ उदयाचलचूलायामारुरोह दिवाकरः । पद्मालयेषु पद्मान्यवापन भुवि विनिद्रताम् ॥ ३७४ प्रससार च सर्वत्र पत्रिकोलाहलो ऽतुलः । ववैौ वायू रतोद्भूतश्रमबिन्दुतर्ति हरन् ॥ ३७५ अन्धकारं करोति स्म क्लीबवत्प्रपलायनम् । अन्धकाररिपुक्रूकराघातभयादिव ॥ ३७६ इन्दीवरं परित्यज्य षडंहिर्भजते ऽम्बुजम् । कुसेवक इवाश्रीकं सश्रीकं स्वामिनं नवम् ॥ ३७७ स्वरैर्निवेदयन्तीव पक्षिणो जगतो ऽप्यहो । श्रियः प्रयान्ति चायान्ति चित्रभानुनिदर्शनम् ॥ ३७८ नभलक्ष्मीरूदयिने सूर्याय ददते मुदा । तारापुष्पच्छलादर्घ्य पाद्यं वेन्दुकराम्भसा ॥ ३७९ एवंविधे प्रभाते ऽत्र भूप मोहं परित्यज । केवलं परलोकस्य हितमर्थ समाचर ॥ ३८० 18 तच्च तादृशं स्तुतिव्रातं पठितं श्रुत्वा भगवान् महर्षिः कपाटसंपुटमुद्धाट्य वासवेश्मतो गिरिवरकन्दरा- 18 कण्ठीरव इव निर्गतः । कृतकेशलुञ्चनः पात्ररजोहृतिमुखवस्त्रिको पशोभितकरतलः पूर्वमेव शय्यापालिकाभिर्ददृशे । पूञ्च चेति । 'भो भोः परिजनाः, एतैत त्वरितमस्माकं स्वामी कामपि विडम्बनां प्राप्तः 21 प्रयाति । तदेवमाकर्ण्य ससंभ्रमवशस्खलन पुररसनारवमुखर स्त्वरितमेवान्तःपुरपुरन्ध्रीजनो वाराङ्गना- 21 लोकः परिजनश्च तदा तत्रागतः प्रोवाचेति । 'नाथ, कथमस्मान्निरपराधांस्त्यक्त्वात्मानं विडम्ब्य प्रच लितः । अनाथास्त्वां विना वयम् । एवमन्तःपुर्यादिजनस्य च विलपतोऽप्यदत्तसंलापो भगवान् 24 गन्तुमारेभे । 12 15 30 33 श्रुत्वा विलपनं तस्य प्रोचिवान् मन्त्रिपुङ्गवः । 'किमेतदेव ते वृत्तं मुनिवेषसधर्मणः ॥ ३८१ ९५२) एवं सचिवान्तः पुरीपरिजनेन पृष्ठलग्नेन समं भगवान् राजर्षिः पुरीबाह्योद्यानं संप्राप । तत्र 27 च_ त्रसस्थावरजन्तुविरहिते स्थाने प्रबोधाय प्रत्येकबुद्धः समुपाविशत् । ततो मन्त्रिवर्गो ऽन्तःपुरीजनश्च 27 निविष्टः । तौ च द्वावपि दर्पफलिक भुज फलिकावत्र त्यौ पितुः समीपमुपविष्टौ । 36 ततो बोधविधानाय भगवान् मुनिसत्तमः । पापा हिजाङ्गुलिविद्यां प्रारेभे धर्मदेशनाम् ॥ ३८२ भयावहभवापाराकूपारान्तः परिभ्रमन् । चिरान्नद्वीपमाप्नोति बहित्रभ्रष्टवद्भवी ॥ ३८३ सदध्वनि सदाध्वन्यभावं भजत देहिनः । विद्ध्यन्ति चरणं येन न तीक्ष्णा दुःखकण्टकाः ॥ ३८४ एकैकस्मिन् सप्त लक्षा भूजलानलवायुषु । प्रत्येकानन्तभेदे च वने दश चतुर्दश ॥ ३८५ [ द्वे द्वे लक्षे समाख्याते प्रत्येकं विकलेन्द्रिये । देवतासु चतुर्लक्षी नारकेषु तथैव च ॥ ३८६ तिर्यक्पञ्चेन्द्रियेष्वेवं मनुष्येषु चतुर्दश । ] लक्षाश्चतुरशीतिः स्युर्जीवानामिति योनयः ॥ ३८७ एतदुत्पत्तितो जीवा बहुशो दुःखभाजिनः । भवन्ति यावत् सम्यक्त्वं नामुवन्ति शिवप्रदम् ॥ ३८८ प्रत्येकबुद्धो भगवान् देशनां क्लेशनाशिनीम् । अमायः स विनिर्माय विचचार धरातले ॥ ३८९ 36 ५३) तस्य राज्ञ [ आवा ] मुभौ पुत्रौ । अहं ज्येष्ठो दर्पफलिकनामा, अपरो भुजफलिकः । ततः प्रभृत्यावां सम्यक्त्वमात्रश्रावकौ जातौ । तत्र मन्त्रिभिरयोध्यायामस्मत्पितृव्यस्य रढवर्मणो भूपतेर्दूतप्रेषण39 पूर्वे तद्विशापितम् । तेनेत्यादिष्टम् । 'यथा प्रथमसूनुर्दर्पफलिको राज्ये निवेश्य इति' तथैव राजलोकेन 99 6 12 15 24 5 ) शरीरिणां. 8 ) P has some blank space between वस्त्रिका & धोप, B पात्रविधोपधि, ० वस्त्रिका [ पात्रादिनव बि] घोष 10 ) B सूर्यपरायणा: 11 ) PO पद्मालयानि P has blank space between पद्यान्य and भुविनिद्रतां ० पच्चान्य[नुबभ्रुवु ] विनिद्रताम् 14 ) Pom. सभी 15 ) B निदर्शनम् 18 ) P स्तुतिव्रतपठितं, संपुट समुद्घाट्य. 20 ) P विडंबनं. (21) P खमुखरितमंतःपुरपुरंभी 22 ) B परिजनस्य, P B तदागतः for तदा तत्रागतः. 27 ) P inter स्थाने & प्रबोधाय. 28) B द्वावपि मुजफलिकदपफलिकौ तत्र पितुः 33 ) PB om. द्वे द्वे eto. to चतुर्दश put in square braokets. 37 ) B adds, after the line ending with घरातले, a line like this : ततः सर्व्वेषि लोकोसौ स्वस्वस्थानकमाययौ, PB om. तस्य राज्ञ [ आवा ] मुभी पुत्रौ । अई 38 ) B write generally दृढधर्मं, but now and then s reads दृढब में as well, P "तः पूर्व. 30 38 Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ☐ 60 रत्नप्रभसूरिविरचिता [ III. 853: Verse 8891 प्रतिपन्नम्, परमेको मन्त्री तथैकश्चिकित्सक एका भुजकलिकजननी तद्वचो नामन्यन्त । ततस्त्रिभिरेक- 1 त्यानपेक्ष्य परलोकमवगणय्य विमानं मम किमपि तदौषधमदायि, येन तदैव मम ग्रहिलत्वमुत्पेदे । अहं च कदाचिदिग्वासाः कदाचित्प्रावृताङ्गः कदाचिद्धूलीधवलित देहः कदाचिद्गृहीतकर कर्परखण्डः सर्वत्र 3 परिभ्रममाणो ऽत्र विन्ध्य गिरिशिखरि कुहरान्तराले क्षुधातृषाकान्तः पर्वतनदीषु सल्लकी हरीतकी तमालामलकदलफलप्राग्भारकषायितं तोयं वारत्रयं पीत्वा सर्वत्र दोषविप्रमुक्तः क्रमेण सावधानो ऽभवमिति । 6 ततः स्वस्थ वेतसा मया क्षुधार्तेन पुष्पफलेभ्यः स्पृहयालुनानेकभिल्लजनान्तस्थः प्रवररूपः पुरुष एको 6 दद्दशे । तेनाहमिमां पल्लीमानीतः । ततो वारवनिताजनेनावां स्नानं कारितौ । अथो देवतायतने मया तेन समं भगवान् जिनः प्रणतः । तथा भोजनमण्डपे यथारुचि आवाभ्यां भोजनं विदधे । ततः सुखासीनेन 9 तेन जल्पितम् । 'भो भद्र, निवेदय केन हेतुनामुष्यामटव्यां निर्मानुषायां भवत्समागमः, कुतो जिनवचन- 9 प्राप्तिः' इति । मयोक्तम् । 'रत्नपुर्या रत्नमुकुट नरेन्द्रस्य सूनुर्दर्पफलिकनामाहम् । स च मम पिता प्रत्येकबुद्धो ऽभवदिति । ततः स्वीकृतजिनधर्मो ऽहमपि कर्मवशत एतस्यां पल्यामागतः । तेनोक्तम् । 'यदि 12 भवान् सोमवंशसंभवो रत्नमुकुटनरेन्द्र पुत्रस्ततः सुन्दरमजायत, यत आवयोरेक एव वंशः । ततस्त्वं 12 राज्यं स्वीकुरु ।' ततस्तेन पल्लीपतिना सर्वपल्लीपतिप्रत्यक्षं सिंहासने ऽहं निवेशितः । सर्वे ऽपि पल्लीपतयो भणिताः । यद्भवतामयमेव नरेश्वरः । अहं पुनर्यन्मनो ऽभिमतं तत्करिष्यामि' इति भणित्वा पल्लीपतिर्नि15 र्गतः । तस्यानुगमनं विधाय सेवकाः पल्लीपतयो निवर्तिताः । अहं पुनः स्तोकमपि भूमिभागमग्रतो 15 ऽगमम् । व्याघुटमानस्य मे तेन शिक्षा प्रदत्ता । 'यद् वत्स, जीववधो न विधेयः । भव्यरीत्या प्रजाः पालनीयाः । प्राणान्ते ऽव्यकृत्यं नाचरणीयम् । श्रीजिनधर्मे कदाचन न प्रमादः कार्यः' इत्युदित्वा पल्ली18 पतिः कुत्रापि गत इति न ज्ञायते । अहमिति मन्ये कस्यचिहरोरन्तिके प्रव्रज्यामभ्युपपन्नः । तहिनादार- 18 याच कुमार, न को ऽप्यस्मद्राज्ये ऽनीतिविधाता । ५४) अहमपि पुनः कियता कालेन कर्मवशतो महामोहग्रस्त चित्तो विस्मृततत्सर्वशिक्षः सर्षा21 न्यायपरः समभवमिति जर्जरितकलशप्रक्षिप्तपयोवजिनवचनरहस्यं सर्वमपि मम गलितम् । शिक्षा - 21 शेषापि दुर्जनप्रीतिरिव विलयं गता । अतो मयैष पुरुषो निदेशितः, यल्लोभेनाहमीदृशीमवस्थामानीतस्तस्वया लोहदण्डेनाहं स्मरणार्थ ताडनीयः । ततो ऽयमपि प्रतिदिनं मां लोहदण्डेन ताडयति ।' ततः 24 कुमारेणोक्तम् । 'अमुं वृत्तान्तमाकर्ण्य कस्य चेतो न चित्रीयते । महासत्त्वो रत्नमुकुटः प्रत्येकबुद्धो 24 ऽजनि । दुर्लभो जिनप्रणीतः पन्थाः । दुर्जयो लोभपिशाचः । तद् भो महाशय, किं खेदमुद्रहसि यन्मया तच्छिक्षा विस्मृता [इति] अनुशयवतस्तव साद्यापि तथैवास्ते, तस्मात्त्यजावद्यं किं तेन ।' एवं कुमारेणोक्ते 27 तेन जगदे | 'एवमेतन्न संदेहः, परं भवान् विज्ञानरूपकलाकलापविनय दाक्ष्यदाक्षिण्य मुख्यैर्गुणैर्ज्ञायते 27 यथा महाकुलप्रसूतो महासाहसिकः । पुनरिदं न जाने यत्कुमारस्य कीदृक्कुलम्, किमभिधानं, तन्निवेदय ।' कुमारेणोक्तम् । 'अयोध्यानायकस्य दृढवर्मणस्तव पितृव्यस्य पुत्रः को ऽप्यस्ति किं वा न । तेन दीर्घ 80 निःश्वस्योक्तम् । 'कदाचिन्मया पथिकस्यैकस्य पार्श्वे श्रुतं यथा दृढवर्मणो महीपतेर्लक्ष्मीप्रसादतः पुत्र- 30 प्राप्तिरभूत् । पुनर्न जाने पश्चात् किं तत्र वृत्तम् ।' कुमारेण भणितम् । अहं स एव दृढवर्मनरेन्द्रस्य कमलाप्रसादलब्धः कुवलयचन्द्राभिधस्तनूजः ।' एवं निशम्य तेनोक्तम् । अये, मम भ्राता भवान्' इति । 35 ततो गलन्नयनयुगलजलविन्दुर्दर्पफलिकः पप्रच्छ । 'कथय कथं कुमार, एवंविधे तपात्यये जलदजल- 93 धाराभिपूरितधरातले सर्वजनाल्हाद विधायिनि राजहंसप्रवास दायिनि वियुक्तयौवनमनोवनावनीवन वही सकल कमलवन शमनशमने मुदितमत्तमयूरसमुच्चरितकेकारवे कलिकाल इव संचरद्विरसनमण्डले कुभू36 पताविव प्रन सन्मार्गे जंबालजालजटिलमार्गल कण्टक कोटिदुःसंच रे पयःपूरवाहेण पतितगर्ताशतसंकुले 36 प्रचण्डपवनोच्छालिताभ्रंलिहलहरिदुरुत्तरगिरिसरिन्निकरे स्वं स्थानं विमुच्य क्व चलितो ऽसि ।' कुमा रेण सर्वमपि निवेदितम् । 'यत्पुनः संप्रति मया विजयापुर्यां कुवलयमाला प्रबोध्या' इति । 39 ५५) एवं दिनत्रयं तत्र प्रीत्या स्थित्वा कुमारेणोक्तम् । 'यदि तवादेशो भवति तदाहं व्रजामि' 39 इति । नृपेण भणितम् । 'त्वयावश्यमेव गन्तव्यं यद्येवं ततो ऽहं स्वत्कायकौशलहेतवे विजयापुरीं यावरस्वसैन्यकलितः समायामि, यतो भवानेकाकी मार्गपरिज्ञानानिपुणः ।' कुमारेणोक्तम् । 'यतो ऽनुबद्धवैरा 42 भवन्तः, स्तोकं बलम्, अतो भवतामागन्तुं नोचितम्' इत्याकर्ण्य तर्हि 'भवतु भवते स्वस्ति' इत्युदित्वा 42 2 ) [ विमाननां] for विमानं. 5 ) B क्रमेण समभवमति. s adds गम for it on the margin 18 ) B दारभ्य कुमार Pom. क. 38 ) P B बोध्या for प्रबोध्या, Bom इति ( this portion added on the margin ). 8 ) B यथारुच्या 10 ) Bom इति. 16 ) Pom. मे, 26 ) PH om. [ इति ]. 34 ) 8 राजहंसप्रदायिनि 37 ) Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. § 57: Verse 396] कुवलयमालाकथा रे * 61 पल्लीनृपतिः कुमारस्य दक्षिणापथं प्रचलतो ऽनुगन्तुं प्रवृत्तः । ततः कुमारं तरुणतरवनलतागुल्मान्तरि- 1 तमवगम्य भूमिपः सदनमागत्य माननीयान् संमान्यापृच्छ्य प्रकृतिजनं राज्यव्यवस्थां च कृत्वा दीनेभ्यो दानं वितीर्यात्यन्तदुस्सहत द्विरहदहन दन्दह्यमानतनुना वारविलासिनीजनेन दीनवदनं विलोक्यमानो अ व्रताय निःससार । कुमारो ऽपि क्रमेणानेक गिरिसरिन्महाट वीमुल्लङ्घयन्ननेकग्रामाकरपुरेषु कौतुकानि प्रेक्षमाणो मकराकरतटस्थितां विजयापुरीमवाप । 6 9 [ सुजातयः कुलीनाश्च स्निग्धमुग्धालिसेविताः । सदारामा बहिश्चान्तर्यत्र सन्ति विराजिताः ॥ ३९० 1] वापीतटमणिमयागारविद्योतिताम्भसि ॥ ३९१ स्त्रीणां स्तनाधरेषु स्यात्करपीडनखण्डने । स्नेहहानिः प्रदीपेषु यदन्तर्न पुनर्जने ॥ ३९२ उत्तुङ्गाः कुम्भिनः स्फूर्जद्भद्रजातिसमाश्रिताः । मर्त्याश्च यत्र विद्यन्ते भद्रजातिमनोहराः ॥ ३९३ 9 नरा विरेजिरे यत्र द्विधा विक्रमशालिनः । द्विधा सुवर्णसश्रीका कलाकेलिप्रिया द्विधा ॥ ३९४ यत्र जन्यमजन्यं च जनानां न कदाचन । अतस्तु मार्गणः कोऽपि न वारे न च मन्दिरे ॥ ३९५ 12 ९५६ ) ततः कुमारस्तदुत्तरदिग्विभागे चरणचङ्क्रमणाक्षमः क्षणं विश्रम्य व्यचिन्तयदिति । 'एषा 12 सा विजयापुरी या साधुना निवेदिता, परं पुनः केनोपायेनात्र कुवलयमाला द्रष्टव्या' इति विचिन्त्य कुमारः समुत्थाय नानाविधवर्णरत्नविन्यासोश्च चारुकाञ्चनघटितप्राकारवलयोपशोभमान विद्रुममयगो15 पुरकपाट संपुटां पुरीं स यावत्कियद्भूभागं व्रजति स्म तावत्पयोहारिणीनामनेकशो वार्ताः शुश्रावेति । 15 कयाचिदुक्तम् । एषा कुवलयमाला कुमारिकैव क्षयं यास्यति न च को ऽपि परिणेष्यति । अन्यया भणितम् । 'विधिना विवाहरात्रिस्तस्या न विहिता, यतो नाम रूपयौवनविलास सौभाग्यगर्विता कुलरूप18 विभवलावण्यसंपूर्णानपि नरनाथपुत्रान्नेच्छति ।' तथानेकदेशसमायातव्यवसायिनां विचित्रा भाषाः 18 get विपणिश्रेणिमार्गे वणिजां विविधानुल्लापानाकर्णयन् नागरवनिताधवल विमललोचनमालाभिरभ्य मानः शिखण्डिपतत्र निर्मितातपवारणशतसंकुलद्वारप्रदेशम् अनेकसेवकलोकानवर तयातायातपाणिध21 मनिगम रङ्गत्तुङ्गतुरङ्ग निष्ठुरखुरक्षुण्णक्षोणितलं बन्दिवृन्दपठ्यमाननृपगुणग्राम स्तुतिशतमुखरितदिगन्तरं 21 वैरिवार निवारणवारण संचरणकपोलपालिविगलद्दानजलजम्बालजटिलं विजयसेननरेश्वरस्य राजाङ्गणमा - जगाम । तत्र च राजलोकं सर्वमपि चिन्तापरं कर्तलन्यस्तमुख कमलं विलोक्य कुमारेण को ऽपि राजपुरुष24 चिन्ताकारणं पृष्टः । तेनोक्तम् । 'भो महासत्त्व, नैषा दुःखचिन्ता, किन्त्वत्र भूपतिपुत्र्या कुवलयमालया 24 पुरुषद्वेषिण्या राजद्वारे पत्रे लिखित्वा गाथायाः पाद एको ऽवलम्बितो ऽस्ति । यः को ऽप्येनां गाथा संपूर्णां करोति स मां परिणयति न कश्चिदन्यः । ततस्तां सर्वो ऽपि नृपतिलोकः स्वस्वमत्यनुसारेण 27 चिन्तयन्नस्ति ।' कुमारेणोक्तम् । 'कीदृशः स पादः ।' तेनोक्तम् 'एष ईदृशः' । यथा “पंच वि पउमे 27 विमाणम्मि ।” कुमारेण भणितम् । 'यदि तावदेनां गाथां को ऽपि पूरयति ततस्तस्याः पूरितायाः किमभिज्ञानम् |' तेनोक्तम् । 'सा चैव कुवलयमाला तदभिज्ञानाभिशा । यतः पूर्वमेवैतथा पादत्रयं गाथायाः 30 पत्रके लिखित्वा गोलके निक्षिप्य तदुपरि राजमुद्रां दत्त्वा कोशवेश्मनि निचिक्षिपे " कुमारेण 90 चिन्तितम् । अहो, प्रकटीभूता मायादित्यस्य माया ।' 36 ****** ९५७ ) अत्रान्तरे राजद्वारे जनस्य जलधिजलगम्भीरः कलकलो ऽभवत् । तत्र सर्वमपि लोकं 33 प्रलयकालवत्क्षुब्धहृदयं वीक्ष्य कुमारेण चिन्तितम् । क एषो ऽकाण्डोत्पातः' तत्सत्यमभूद्यत् 'शान्ति 33 कुर्वतां वेतालोत्थानम्' इति यावत्कुमारो निरूपयति तावजयवारणवारण: प्रोन्मूलितालान स्तम्भ श्छेदितनिबिडनिगड : प्रोद्यन्मद्दुर्दमः संमुखमायातः । शिलोच्चय इव प्रोच्चैः सतः प्रालेयशैलवत् । कम्पाङ्कमपि वेगेन यो जिगाय मतङ्गजः ॥ ३९६ 36 4 ) Bटवीर्गमुलंध 6 ) P leaves blank space विराजिताः and नयागार, B विराजिताः । वापीतटमणि ( णौ १) मयागारविद्योतितांभसि, o leaves blank space between विराजिताः and नयागार ( standing for मयागार of the text ). On these verses B has some marginal glosses: यस्यां नगर्यां सत्प्रधाना आरामा बहिर्भागे तथाऽतमध्ये सदा रामाः स्त्रियः संति । सुमालतीसहिता पक्षे सुगोत्रा ॥ ऽलिभिः भ्रमरैः सखीभिः सेविताः ॥ शकुनैः विशेषेण राजिताः शोभिताः । मंदो भद्रो मृगो मिश्रश्वतखो गजजातयः ॥ प्रधानपराक्रमेण शालिनः । विशिष्टः क्रमो विक्रमः सदाचारस्तेन शालिनः || कांचनवत्सश्रीकाः यशसा च ॥ कलानां गीतनृत्यादीनां या केलिर्विलासः तया वल्लभाः अथवा स्मरवन्मनोहराः ॥ विरोधभंग इत्थं । जन्यं संग्रामः । ऽजन्यमुत्पात [ : ] यत्र नास्तीत्यर्थः । तत्कारणात् मार्गगो बाणो याचको वा न कस्यापि द्वारे न कस्यापि मंदिरे कः परामर्षः संग्रामाभावात् बाणो न । ईतेरभावात् याचको न ॥. 20) P शतसंकुलद्वारं, B 'नवरतयापा 22 ) P दानजंबाल 29 ) Bom. तेनोक्तम्. 34 ) Bom. इति. Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *62 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. $57: Verse 3971तं तादृशं कुपितं साक्षात्कृतान्तमिवायान्तं राजा कुवलयमालया सम विलोकितुं शिरोगृहमारुरोह। 1 कुमारस्य च पुरो गजं सविध एव वीक्ष्य नृपतिना समादेशितम् । 'भो भद्र, सत्वरमपसर यतस्त्वं बालः ।' इति नृपवचो निशम्य रोषारुणलोचनः कुमारः सहसा भूयसा तेजसा ज्वलन् जयकुञ्जर 3 वशीकृत्य दशनयोः पदद्वयं दत्त्वा कुम्भस्थलमलंचकार । तत्रस्थेन तेन पठितम् ।। 'कोसंबिधम्मनंदणमूले दिक्खा तवं च काऊण । कयसंकेया जाया पंच वि पउमे विमाणम्मि तदाकर्ण्य पूरितेयममुना 'समस्या' इति वदन्त्या कुवलयमालया मकरन्दगन्धलुब्ध्यागतालिमालारव- 6 मुखरितासितकुसुमवरमाला कुमारस्य योग्या प्रेषिता । तेन च कण्ठकन्दले समारोपिता। रोमाञ्चकवचितेन नृपेणोक्तम् । 'वत्से कुवलयमाले, साधु साधु वृतम्।' तावत्तत्र पूरितायां समस्यायां राजलोकेन 9 जयजयारावश्चक्रे । अहो, मनुजोऽपि कोऽप्येष दिव्यप्रभावः । ततश्च, तदुपरि परितः सुरैरदृश्यैः सुरपथतो मुमुचे प्रसूनवृष्टिः। असमगुणगणप्रमोदपूर्णैर्भवति हि भाग्यभृतां किमूनमत्र ॥ ३९७ 12९५८) अथ पूर्वोदितो दृढवर्मराजप्रतिपन्नसूनुर्मालवराजपुत्रो महेन्द्रकुमारः सहसागत्य जयकुअर-13 करिणो ऽन्तिके प्रोवाचेति । 'श्रीदृढवर्मनरेन्द्रनन्दन शशिवंशमुक्ताफल कलाकुलगृह दानशौण्ड प्रणतजनवत्सल कुमार कुवलयचन्द्र, जय जय' इति । ततः कुमारः समुपलक्ष्य महेन्द्रकुमार ज्येष्ठ 16सहोदरमिव मन्यमानः प्रीतिप्रमुदितमना जयकुञ्जरगजवरस्कन्धमारोप्य पितुर्देव्याश्च कुशलं पप्रच्छ ।15 भवानपि कुशलशाली । अथ नृपस्तत्रागतःप्रोचे 'अहो, कियन्ति चित्राणि । एकं तावदसौ सुरूपसुभगः कुम्भी द्वितीयं वशीचके दिव्यसुमप्रकामपतनं व्योम्नस्तृतीयं तथा। 18 तुर्य यत्पदपूरणं स्वदुहितुःप्रीतिः पुनः पञ्चमं षष्ठं श्रीदृढवर्मजो निखिलमप्येतञ्चमत्कारि मे ॥ ३९८ 18 यस्प्राप्यं तत्प्राप्तमेव वत्सया कुवलयमालया अस्य पुरुषसिंहस्य प्राप्त्या। पुत्रि, त्वया कृत्रिममेव पुरुषदेषित्वं प्रकटीचके। 'इयं परिणेष्यति' इति जैनवचनमपि तथ्यमासीत् । वत्स, त्वं कुञ्जरं समर्पय गजराजारोहकाणाम् । त्वं च सौधमध्यमागच्छ।' इत्याकर्ण्य कुमारो महेन्द्रकुमारेण कुमारेण समं मध्ये 21 गत्वा सिंहासनस्थं नृपं नत्वा यथोचितासने निषसाद । ततः पितुरादेशेन कुवलयमाला कुमारं सोहया दशा पश्यन्ती शुद्धान्तमध्ये गतवती।राशादिष्टम्। 'वत्स, कथ्यतां कथं भवानेकाकी कार्पटिकवेषधारी 24दरदेशान्तरमायातः।' कुमारेण प्रोचे । 'देव एव जानाति । परमद्यैव कर्मवशतः परिभ्रमन्नत्र समा-24 यातः।' राज्ञोक्तम् । 'महेन्द्रकुमार, सैष दृढवर्मतनुजो यस्यात्रागमनं त्वयास्माकं पार्श्वे पृष्टम् ।' ततः सविनयं महेन्द्रेण विज्ञप्तम् । 'देव, सत्यमेवैतत् ।' कुवलयचन्द्रेण बभाषे। 'भवतः कुतः समागमः। 27 "महेन्द्रेणोक्तम् । 'देव, श्रूयताम् । तदा भवान् वाहकेलिप्रवृत्तः समुद्रकल्लोलवाजिनापज।। 27 पश्यतो राजलोकस्य समुत्पत्य नभस्तलम् । तुरङ्गमः क्षणेनैवादृश्यमार्गमुपागतः॥ ३९९ ६५९) ततो नृपतिना सेक्कलोकेन साकं त्वत्पृष्ठतो ऽतिदूरं गतेनापि कापि भवतः प्रवृत्तिन 30 श्रुता । तत्रस्थपुरप्रदेशे तुरङ्गः पवनावर्तः पतितो मृतश्च । राजापि त्वद्वियोगेन पवनावर्तमृत्युतः । अत्यन्तं दुःखितः क्षिप्रं मूर्छितः पतितः क्षितौ ॥ ४०० अस्माभिः कदलीपत्रवातैराश्वासितो नृपः। विपाकं कर्मणो जानन्नपि व्यलपदज्ञवत् ॥ ४०१ 33 'कुमार विक्रमाधार स्फाराकार गुणाकर । अनाथं मां परित्यज्य गतस्त्वं केन कर्मणा ।' ४०२ 33 एवं बहुधा विलपन् मन्त्रिजनेन नृपतिर्बोधित इति । यथा 'पूर्व सगरचक्रवर्तिनः षष्टिसहस्रमिताः पुत्रा ज्वलनप्रभजातकोपविसर्पद्विषज्वलनज्वालावलीभिः क्षणमात्रेणापि भस्मसात्कृताः परं तेनापि 38'चेतसि शोकस्य नावकाशो ऽदायि । तन्नाथ, कुमारः केनापि देवेनापहृतो ऽस्ति, तस्यावश्यं प्रवृत्ति-36 रेष्यति । ततो देव, कातरत्वमुत्सृज्य सर्वथा धीरमार्गमवलम्बस्व' इति । ततो व्यावृत्य तत्प्रतिबोधितः क्षितिपतिःप्रासादमासदत् । 39 प्रवासो यहिनादेव कुमार भवतोऽभवत् । तदैव योगपद्येन सौख्यस्यापि वपुष्मताम् ॥ ४८३ 39 त्वद्वियोगे महादुखाजनन्यापि निरन्तरम् । गलनेत्रजलैर्भूमिर्निर्ममे पहिलाखिला ॥४०४ त्वहुस्सहवियोगाग्निज्वलज्ज्वालाभयादिव । प्रपलायितुमिच्छन्ति प्राणा देवानुजीविनाम् ॥ ४०५ 30 प ॥४०१ 1) "मिवायातं. 2) com. च. 7) Pom. कण्ठ. 20) परिणेष्यते, B inter. कु.जर & समर्पय, B गजराजमारोहकारण सौध'. 21) PB om. कुमारेण, B'मध्यं. 28) 0 नभःस्थल. 30) । ततः स्वपुरप्रदेशे 40) त्वद्वियोगे महादुखादरोदीनगरीजन:- some lines are skipped over through haplographieal mistake, the copyist's eye being led astray by a similar word, Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. $61: Verse 413] कुवलयमालाकथा ३ *68 1 अनुभूतं न केनापि दुःखं देव त्वया सह । अकृतज्ञानिव शास्वा प्रतस्थे श्रीः शरीरिणाम् ॥ ४०६ 1 तथा कथंचित्त्वदुःखादरोदीनगरीजनः । अपि स्तनन्धया येन स्तन्यपाने निरादराः॥ ४०७ यं विना क्षणमात्रं न स्थीयते बालकैरपि । आहारस्तत्यजे तैः स त्वद्वियोगातिदुःखितः ॥ ४०८ 3 सारिकाशुकशिष्यारिपक्षिभिर्भुक्तिरुज्झिता । वहुस्सहवियोगातेरपरेषां तु का कथा ॥ ४०९ सजीवमपि निर्जीवं सचैतन्यमपि स्फुटम् । चैतन्यरहितं चक्रे त्वद्वियोगः पुरीजनम् ॥ ४१० 6 . स प्रदेशो न कोऽप्यस्ति यत्र त्वं न गवेषितः । पुरुषैः पौरुषाधीनैर्न लेमे किंवदन्त्यपि ॥ ४११ 6 राजापि त्वद्वियोगेन जातः कान्त्या भृशं कृशः। भीष्मग्रीष्मनियोगेन साकार इव वारिणा॥४१२ ६६०) ततः कुमार, एवंविधे काले कियत्यपि व्यतीते प्रतीहार्या विज्ञप्तम् । 'यदेव, कीर एको भवदर्शनाभिलाषी ।' राज्ञोक्तम् । 'कथं कीरो ऽपि तत्प्रवृत्त्यभिज्ञः । ततो राजादेशेन प्रतीहार्या समं 9 शुकः क्षमापतिपदान्तिके समागत्य विज्ञापयामास । 'देव अवधारय,कुमारः कुवलयचन्द्रः कुशलशाली।' ततो नृपतिः कीरं निजतनूजमिव कोडमारोप्य जगाद । 'वत्स, कुमारनिर्विशेषदर्शनो भवान् । कुत्र 12 त्वया दृष्टः, कियत्कालान्तरं कुमारस्य दृष्टस्य समजनिष्ट ।' ततः कीरेण तेन स्पष्टाक्षरं संदेशहारकेणेव 12 'हयापहारादारभ्य कुवलयमालालंकृतविजयापुरीगमनान्तस्तव वृत्तान्तो भूपस्य पुरो न्यवेदि।' इत्याकर्ण्य महीपतिः परिलसद्रोमाञ्चवर्माश्चितः प्रोल्लासिप्रमदाब्धिमध्यपतितं खं मन्यमानस्ततः। प्रोचे हास्तिकराजकावनिवहै प्रीतस्तथा नो यथा कीरोद्गीर्णतनूजकायकुशलथुत्या तया संप्रति ॥४१३ 18 ततो लब्धस्वादुसहकारादिफलाहारप्रसादः शुको गतो निजमेव निवासवनं राज्ञा समादिष्टः, मां प्रति 18 च प्रोचे । 'महेन्द्र, विजयापुरी प्रति संप्रति गन्तुमिच्छामि।' ततो मया विज्ञप्तम् । 'देव, ममैवादेशं ददव, न पुनस्तत्र मार्गवैषम्यतस्तत्रभवतां भवतां गमनं सांप्रतम्। ततो देवेन तव प्रवृत्तिनिमित्तमपरै राजपुत्रैः समं प्रेषितस्य ममात्र ग्रीष्मकालस्यैको मासस्त्रयो वर्षाकालस्य च समभवन् । एकदा विभुं1 विजयसेनमेव प्रणम्य मया विज्ञप्तम् । 'देव, नरेन्द्रदृढवर्मपुत्रः कुवलयचन्द्रो भवत्समीपमुपागतः किं वा न ।' ततो ऽनेन स्वामिनादिष्टम् । 'सम्यग् न जानीमः, परं महेन्द्र, तवात्रैव तिष्ठतः कियद्भिर्दिनैर्यदि 24पुनः कुवलयचन्द्रो मिलति । ततो भूपवचो ऽङ्गीकृत्य त्रिकचतुष्कचत्वरदेवकुलमठप्रपारामविहारेषु 24 भवतः शुद्धिं गवेषयन्त्रहं यावस्थितस्तावदद्य दक्षिणलोचनेन स्फुरता वामेतरभुजेन च भवदर्शनं सन्द्रियप्रीतिकारि समजायत ।' राज्ञोक्तम् । 'सुन्दरमेतज्जातं यदत्र प्राप्तः कुमारकुवलयचन्द्रो भवता। सर्वथा धन्यानामुपरि वयमेव स्थिताः । अधुना यूयमावासं व्रजत, यथा दैवज्ञमाकार्य कुवलयमालायाः 27 पाणिपीडनलग्नं निर्णीय भवदन्तिके प्रेषयामि' इति वदन्नराधिपतिरुत्तस्थौ । ततः कुमारो महेन्द्रेण समं भूपतिसमर्पितनिकेतनमुपाजगाम । ततस्तो विहितस्नानभोजनौ यावत्सुखासीनौ तिष्ठतस्तावन्महाराज50 प्रेषिता राजप्रतिहारिका समागत्य जगाद । 'यद्देवः स्वयं भवन्तमित्यादिशति, अद्य कुवलयमालाया: 30 पाणिग्रहणकृते गणकेन लग्नशुद्धिर्विलोकिता, परं सर्वग्रहबलोपेताद्यापिन वर्तते, अतः कुमारेणात्यन्तोत्सुकमनसा न भाव्यम्, सांप्रतं स्वमन्दिर इवात्रैव क्रीडासुखमनुभवतु कुमारः' इति निवेद्य सा निर्ययो । 33 महेन्द्रेणोक्तम् । 'अद्यापि लग्नं दूरतरम्, ततः श्रीदृढवर्ममहीपतेः पुरस्तवात्रागमप्रवृत्तिर्विशप्तिकया 33 शाप्यते' इति भणित्वा निष्क्रान्तो महेन्द्रः। ६६१) ततश्च कुमारो व्यचिन्तयदिति । 'यदि विषमं मार्गमुल्लज्जयात्रायातेन मया मुनिनिवेदितं 36 गाथापूरणं चक्रे, परं तथापि विधिवशस्तस्याः संगमः। इयन्ति भाग्यानि न मे सन्ति, यैरिमां परिणे-38 ष्यामि । भूयोऽपि केनोपायेन तदर्शनं भविष्यति । यदि स्त्रिया वेषं विरचय्य कन्यान्तःपुरे कयाचिद्वे श्यया सह यामि, ततः सत्पुरुषचरितविमुख राजविरुद्धं च । यस्योद्दण्डभुजप्रकाण्डे ऽतिशायिनी 39 शक्तिव्यक्तिः स कथं लोकनिन्द्यं महिलावेषमातनोति । अथवा तस्याः सखीजनस्य सङ्केतं वितीर्य तामप-39 हत्य गच्छामि, तदपि कुलीनस्यानुचितम्' इति चिन्तयतस्तस्य बहिरागतो महेन्द्रो बभाण । 'अद्य मया त्वदिहावस्थानोदन्तः सर्वो ऽपि तातस्य विज्ञापितो ऽस्ति । कुमार, तत्किमस्वस्थचित्त इव लक्ष्यते 42 भवान् ।' कुमारेणोक्तम् । 'सुन्दरतरमाचरितमेतद्भवता । वयमेतावती भुवमागता, परं भूपतिर्निजां 42 13) Pom. पुरी- 18) B'प्रसादे गते ( B मते) निजमेव, समादिष्ट, B om. मां प्रति च प्रोचे. 19) B गंतुमिच्छामः24) ० मिलिष्यति. 25) P has blank space between शुद्धिं and याव', ०वितन्वन्नियत्कालं for गवेषयन्नई, PB om. च. 26) B कुमारः कुवलय 33) पुरस्तत्रागम: ० पुरस्तवागम'. 39) B अथ for अथवा. Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 .64 रत्नप्रभसूरिविरचिता [III. $61 : Verse 4141तनुजां दास्यति न वा, इत्यतो मे मनसि विषादः।' महेन्द्रेणोक्तम् । 'त्वया यदनुध्यातं तन्मिथ्या, कुल- 1 शौर्यलावण्यनिरुपमरूपयौवनविज्ञानकलाकलापेन न यतः कोऽपि तव समः पुमान् यस्येमां दास्यति । असो ऽमण्यास्त्वमेव परिणेता ।' यावदित्यनल्पविकल्पोर्मिमालाकुलहृदम्बुधिं कुमारं स धीरयति । तावदागत्य चेटिकया विक्षप्तम् । यदद्य कुमार, मत्स्वामिन्या कुवलयमालया स्वकरतलगुम्फिता कुसुममाला प्रेषितास्ति, एष कृत्रिमसुकर्णपूरः। ततः कुमारो ऽपि सुखसंदोहमहोदधिमन्थनोद्गतं पीयूषमिव 6 तच जग्राह । ततः कुमारेण कर्णपूरानाले प्रियोत्कण्ठितामिव राजमरालिकामेकां विलोक्य तस्या विज्ञान- 6 प्रशंसनेन सुचिरं स्थित्वा सा भणिता । 'भद्रे, इदानीं घौशुरयमस्ताचलचूलावलम्बी जातस्तद्वयं सांध्यं विधि विदध्मः। त्वमपि गत्वा तत्पुरः सर्वमपि सुन्दरं निवेदयेः, यतस्त्वमुचितभाषणे स्वयमपि निपुजासि।' तदङ्गीकृत्य सा निःसृता । कुमारस्तु कृतसांध्यसवनः प्रावृतधीतसितवसनः समुश्चरितजिन-9 नमस्कारचतुर्विशिकः समवसरणस्थं जगजीवबान्धवं श्रीनाभिसंभवमवन्दत । अथ महेन्द्रेण समं निद्रासुखमनुभूय शयनीयादुत्तस्थे । ततश्च पूर्वपर्वतमस्तकमहर्पतिरारोह । अथो एका महिला मध्यम12वया भोगवत्यभिधेयया वृद्धयानुचर्यया समं तत्रागमत् । सा वृद्धा किंचिदग्रतो भूत्वा तं व्यजिशपत । 12 'कुमार कुवलयचन्द्र, कुवलयमालाया एषा जननी । ततः कुमारेण ससंभ्रममासनदानप्रतिपत्त्याभि नन्दिता। ततः सा वृद्धा योषित्तया प्रतिपत्त्या रजिताभ्यधादिति 'वत्स कुमार, तव परपीडाभित्रस्य 15 पुरः किंचिन्निवेद्यते, आकर्ण्यताम् ।। ६६२) अस्त्यमुष्यामेव विजयापुर्या विजयसेनो नामायं नरेश्वरः । इयमेव तस्य सहचरी रूपेणोपहसितत्रिदशयुवती भानुमती महादेवी । न चास्याः संततिः। ततो ऽस्या निरपत्यायाः संजातमहा18 दुखाया अनेकदैवताराधनैरनन्तर्मनोरथशतैः स्वमदृष्टकुवलयमालानुसारेण कुवलयमालाभिधानासामा-18 न्यगुणकलावनी कनी समजनि । सा च मया प्रतिपञ्चन्द्रलेखेव वृद्धिमानीता यौवनश्रियमाशिश्राय । पित्रैतदर्थमनेकरूपलावण्यगुणशालिनो नृपपुत्रा विलोकिताः परमेषा पुरुषद्वेषिणी न कमप्यभिलषति । 21मया पुनर्बहुधा शिक्षिताप्यसौ मनागपि पुरुषेषु प्रीति न दधाति । अतः पितरौ व्यथितचेतसावभूतां 21 मन्त्रिजनो राजलोकश्च । अन्यदा प्रतीहारेण निवेदितम् । 'देव, बाह्योद्याने कोऽपि दिव्यज्ञानी विद्याधरः श्रमणः समायातः' इत्याकर्ण्य नरेश्वरः कुवलयमालया समं सपरिच्छदः समागत्य तस्मै मुनये नमश्चके। 4 सच प्रदत्तधर्मलाभाशीर्वादः सकलमपि संसारस्वरूपमनित्यतादिकं देशनाद्वारेण प्रकटीचकार । तन्निशम्य 24 मणिपत्य च भूपत्तिः पप्रच्छ । भगवन् , मम दुहिता कुवलयमाला कथमेषा परिणेतव्या, केन वा, कस्मिन् वा कालान्तरे, यदियं पुरुषद्वेषिणी।' ततः स भगवान् शानातिशयेन कौशाम्ब्यां पूर्वभवकृतमायादित्यमाया27 बोधसङ्केतकुवलयमालाजन्मराजद्वारावलम्बितगाथापूरणाभिमानजयकुञ्जरवशीकरणकुवलयचन्द्रपाणि-27 ग्रहणप्रभृति सर्वमपि निवेद्य नभस्तलमुत्पपात । ततो भूपतिः प्रमोदमाससाद । त्वयापि जयकुञ्जराधिपं वशीकृत्य गाथां प्रर्यात्मा प्रकटीकृतः। तहिनादारभ्य कुमार, कुवलयमालया भवदुःसहविरहतप्तया 30 कुसुमशरजर्जरिताझ्या वचनागोचरा नवमीमवस्थामनुभवन्त्या भवदन्तिके देव्या समं प्रेषितास्मि ।' 30 कुमारेणोक्तम्। 'समादिश किं कृत्यम्' इति । तयोक्तम् । 'यदि कुमार, मां पृन्छसि तदतिक्रान्तः सर्वोऽपि वाचामवसरः । यदि पुन!यं नृपभुवनोयानमागच्छथ तदा केनवोपायेन भवदर्शनपाथसा बालिकायाः 13 कुवलयमालायाः क्षण मेकं विरहतापोपशान्तिर्जायेत।' महेन्द्रेणोक्तम् । कोऽत्र दोषो,भवत्वेवम्' एवमभि-33 धाय भोगवती भानुमत्या समं निर्गतवती। ततः कुमारो महेन्द्रेण समं नृपाक्रीडकोडं विचचार । महेन्द्रेणोक्तम् । 'यथा मञ्जमञ्जीररवः श्रूयते तथा मन्ये ऽभिनवमदनमहाज्वरविनाशमूलिका कुवलयमाला समा36 गतव मन्यते । कुमारेण भणितम् । 'न सन्तीयन्ति भाग्यानि ।' महेन्द्रेण निगदितम् । 'कुमार, धीरो 36 भव।' ततः क्षणान्तरेण कुमारेण बहललतान्तरितेन सखीनां मध्यगतां हंसीनामिव राजमरालिका तारकाणामिव मृगाङ्करेखामप्सरसामिव रम्भां कुवलयमालामायान्तीमालोक्य भणितम् । 'सर्वथैव धन्यो विधिर्येनैषा त्रिभुवनजनाश्चर्यदायिनी विदधे' तथोक्तम् । 39 ___ 'विधे यदि त्वं तुष्टोऽसि तथैव तथा कुरु । तं नवं येन पश्यामि स च पश्यतु मामिह ॥ ४१४ ६६३) इति निशम्य कुमारेणोक्तम् । 'महेन्द्र, अग्रतो भूत्वा चेष्टितमस्या निरीक्षे' इत्यभिधाय 42कुमारो लतागृहं प्रविवेश । महेन्द्रस्तु क्रीडार्थमितस्ततो ऽभ्रमत् । [इतः] भोगवत्योदितम् । 'वत्से, 43 5) P मथनोगतपीयूष'. 6) B कर्णपूरनाले, P has blank space for ना. 20) " परमेषा पुरुषद्वेषिणी । ततः स भगवान्- thus between you feoft and ra: it loses a few lines because the copyist's eye bas wandered a few lines ahead where the same word ocours. 26) B कालांतरेण. 37) क्षणांतरे. 40) Pवं पुष्ो. 42) PB om. [इतः]. पाष. 6) B कर्णपूरनाले, Patew lines because the.cs.10) Pवं पुटो. Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -III. F65 : Verse 415] कुवलयमालाकथा ३ *65 विषादपरवशं मानसं मा कुरु । स युवात्र समागत एव विभाव्यते यथा शङ्खचक्राङ्किता चरणप्रतिकृतिः। 1 ततस्तदादेशवचनान्ते सर्वा अपि चेटिकास्तद्वीक्षायै प्रसनुः, परं कुत्रापि तामिर्न दृष्टः। भोगवत्या भणितम् । 'स्वयं गत्वाहं विलोकयिष्ये, त्वया पुनरत्र स्थातव्यम्' इति वदन्ती भोगवती गता। कुवलयमालया 3 चिन्तितम् । एतत्सर्वमपि कपटं मन्ये यत्तेन यूनात्रोद्याने सङ्केतः प्रदत्तः । अन्यस्य कस्यचिदयं चरणप्रतिबिम्बः । स युवा देवानामपि दुर्लभो मया कथं प्राप्यः । यावता कालेन तातो मां परिणायिष्यति 6 तावन्तं को जीविष्यति, सांप्रतं तत्करोमि यथा दुःखानां भाजनं न भवामि' इति विचिन्त्य कुवलयमाला 6 पाशरचनायकं लवलीलतागृहं प्रति चलिता यत्र कुमारः स्वयमेवास्ते । तेन च सा समागच्छन्ती वीक्षिता । ततः क्षणं कुमारो लजित इव भीत इव विलक्ष इव जीवित इव सर्वथैवानाख्येयमवस्थान्तरमवाप । सा च तं समीक्ष्य 'एकाकिनी' इति भीता, 'स एवायम्' इति प्रमुदिता, 'स्वयमागता' 9 इति लजिता. 'मया पूर्वमेष वृतः' इति विश्वस्ता चतुर्दिा प्रेषिततरलतरतारकदृष्टिः ससाध्वसा सस्तम्मा सविस्मया सस्वेदा सरोमाचा समभवत् । तदा तयोः परस्परं निरीक्षणेनापि तत्सुखमजायत यत्कवि12वाचामप्यगोचरम् , दिव्यशानिभिरप्यनुपलक्ष्यम् । ततः कुमारेण साहसमवलम्ब्य धीरत्वमङ्गीकृत्य 12 कामशास्त्रोपदेशं स्मृत्वा समुत्सृज्य लज्जा परित्यज्य साध्वसं 'सुन्दरि, भवत्यै स्वागतम्' इति वदता प्रसारितोभयभुजादण्डेनासस्थलयोः कुवलयमाला जगृहे । ततः सा प्रोवाच । 'कुमार, मां मुश्च मुश्च 16 सर्वथा न कार्यमनेन जनेन ।' कुमारः प्रोवाच । 'सुतनु, प्रसीद मा कुप्यस्व त्वदर्थमेवाहमेतावतीं 15 भुषमायातः, परमेतदपि त्वं न जानासि ।' तयोक्तम् । 'जानामि यद्भवान् पृथिवीमण्डलदर्शनकौतुकी।' कुमारेण प्रोचे । 'एवं मा वादीः, किं तत्स्मरसि न सुतनो, मायादित्यस्य जन्मनि भवत्योक्तं 'यन्मम भवता 18दातव्यं बोधिरत्नम् [इति स्मृत्वा तन्मुनिवचसा प्राप्तो ऽहं लोभदेवजीवस्त्वाम् । मुग्धे, बुद्धस्व ततो 18 मम वाचा मोहमुत्सृज्य' कुमारो यावदिदं जल्पन्नस्ति तावद्भोगवती समागत्य प्रोचे । 'वत्से, वक्षुलाख्यः कन्याम्तःपुररक्षक इति वदन्नस्ति यद् राजा कथयति यदद्य कुवलयमाला दृढमस्वस्थशरीरा कानसनान्तःपरिभ्रमन्ती त्वया त्वरितमेवैषा समानेया। ततः सा सकलककुम्मण्डलदसतरललोचना कथमपि 21 चलितुमारेमे । कुमारःप्रोवाच । 'उक्तेन बहुना किं वा किं कृतैः शपथैर्धनैः । वदामि सत्यमेवैतत्त्वमेव मम जीवितम् ॥' ४१५ 4 ६६४) कुवलयमालापि 'महाप्रसादः' इति वदन्ती लवलीलतागृहतो निःसृता । कथुकी जगाद । 24 'वत्से, भवतीयतीमत्र वेलां कथं स्थिता, केनात्राकारिता, अत्र तव दनान्तश्चिरं स्थातुं नो युक्तं सत्वरं त्वमप्रतो भव' इति । ततः सा तद्वचः कर्कशमाकर्ण्य तेन कवकिना सह पथि गच्छन्ती चिन्तयति स्म । 'अहो, अस्य कुमारस्य प्रतिपन्नवत्सलता, अहो, अस्य सत्यप्रतिशता, अहो, उपकारिता, यदेष शिरीष-27 कुसुमगात्रो ऽपि चरणचार्येव पथि क्षुत्तृषाधवगणय्य प्रीत्या दूरस्थामपि मां प्रष्टुं बोधयितुमिहागतः। भूयो ऽपि कदा संगस्यते' इति ध्यायन्ती कन्या कन्यान्तःपुरमाययो। कुमारस्तु तस्याः प्रेमकोपपिशुनं 30 वचनं स्मरनेकस्मिन् पादपे कुसुमावचयं विरचयन्तं महेन्द्र निरीक्ष्य जगाद । 'वयस्य, समेहि यथावासं 30 बजावः । यद् द्रष्टव्यं तदृष्टमेव ।' ततो द्वावपि निकेतनमाजग्मतुः। तत्र च महाराजप्रेषितेन चारवनिताजनेन नानं कारिती । ततः कृतभोजनौ यावदासनस्थौ तिष्ठतस्तावदेकया कामिन्या समागत्य कुमारस्य करे 33 ताम्बूलमदायि । कुमारेणोक्तम् । 'केनेदं प्रेषितम्' । तयोदितम । 'केनापि जनेन' इति । एवं सा 39 कदाचिद्भोज्यं कदाचित्ताम्बूलं कदाचित्पत्रच्छेद्यं कदाचिदालेख्यं परमपि स्नेहरसविशेषपोषकं कुमारस्य योग्यं प्रतिदिनं प्रेषयति । एवं च तयोर्निजराज्य इव सुखेन तिष्ठतो कियन्तः पुण्यभासुरावासरा व्यतीयुः। 36६६५) अथ हेमन्ते भूमिभृता निमित्तमिदमाकार्य पुत्र्याः पाणिग्रहणलग्नं पृष्टम् । तेन सर्वाण्यपि 36 ज्योतिशास्त्राण्यवलोक्य प्रोचे । 'फाल्गुनसितपञ्चम्यां बुधे स्वातिनक्षत्रे यामिन्याः प्रथमे यामे व्यतीते प्रधानं गतदोषमुपयामलग्नमस्तीत्यवधार्यतां देवेन।' राज्ञापि 'तथा' इत्यङ्गीकृत्य कुमारस्याग्रे शापितम् । 39 'कुमार वत्स, भवद्विज्ञानसत्त्वसाहसप्राग्भवस्नेहवश्यायाः कुवलयमालाया वियोगश्चिराय भवतो 39 ऽस्माभिः कृतः । अतः सांप्रतममुष्यां पञ्चम्यां कुमारोऽमुष्या वेदिकामध्यमध्यासीनायाः पाणिग्रहण करोतु ।' कुमारेणोक्तम् । 'यदादिशति देवस्तत्तथा' इति । ततः कुवलयमाला पाणिग्रहणाकर्णनस्मेर42 वदनाम्बुजा प्रमोदभरभासुरा सर्वाङ्गरोमोद्गमसंगमा चिरसंचितपर्यमाणमनोरथपथा न देहे न गेहे न42 2) B'दादेशवचनेन सर्वा. 6). परिणाययिष्यति. 10) B om. तर before तारक. 18) PB om. [इति], B मानमट for लोभदेव. 19) B वंजुलाख्यकन्यांतःपुररक्ष इति. 20) B om. यद् राजा कथयति. 27) Bom. अस्य before सत्यप्रतिज्ञता. 31) Bनिकेत for निकेतन. 33) Bom. सा after एवं. 39) ० वशीकृतायाः for वश्यायाः. Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *66 रत्नप्रभसूरिविरचिता _ [III. $ 65 : Verse 4161त्रिभुवने ऽपि माति स्म । तत्र राजकुले विवाहभोजनार्थे धान्यान्यानीयन्ते । क्रियन्ते विविधानि 1 पक्कान्नानि । विरच्यन्ते सर्वत्र मण्डपमञ्चप्रपञ्चाः । रच्यन्ते वेदिकाः । प्रेष्यन्ते लेखवाहाः सर्वेषां स्वजनराजन्यानाम् । निमन्यते सर्वत्र बन्धुवर्गः । भूष्यन्ते भवनानि । घट्यन्ते नानाविधान्याभरणानि । 3 शोध्यन्ते नगरीरथ्याः। ६६६) एवं विवाहारम्भकृत्यप्रवृत्तस्य जनस्य निधिलाभक्षण इव सौभाग्यनिर्मित इवोपयमदिवसः 6 समागमत् । तस्मिन् दिने ऽविद्धमौक्तिकचारुचतुष्कस्थापितप्रामुखासने निवेश्य कुमारं कुलवृद्धा मङ्गल- 8 सानमकारयत् । ततः स गोशीर्षचन्दनविलिप्ताङ्गःप्रावतकारकश्वेतसदृशवसनः सिद्धार्थगोरोचनातिलका कण्ठावलम्बितसुरभिकुसुमदामा महेन्द्रेण राजलोकेन चानुगम्यमानो जयकुञ्जरकुञ्जराधिरूढः प्रौढजनाशन्वितो दक्षिणकरकमलाबद्धकौतुकमदनफलः स्तुतिवातस्तूयमानगुणग्रामः प्रचुरमृदङ्गशङ्खपणववेणु- 9 वीणास्वरमुखरितदिकचक्रवालो धृतसितातपत्रः पुरः प्रवर्तमानप्रेक्षणक्षणः क्षणेनोद्वाहमण्डपमलंचकार । ततश्च स प्रावृतसितचीवराया माङ्गल्याभरणभूषितायाः कुवलयमालाया लग्नवेलायां द्विजवरेणोपढौकितं 12करं करेण जग्राह । ततो ऽविधवा गीतं गातुं प्रवृत्ताः । वादितानि तूर्याणि । निःस्वानस्वनाः प्रसनुः।12 पूरिताः शङ्खाः । आहता झलर्थः। वेदोच्चारपरायणा द्विजन्मानो मङ्गलपाठकाः पठन्ति । जयजयारवपरो लोकश्च । ततःप्रवर्तितं मङ्गलचतुष्टयम् । ततो निर्वृत्ते पाणिग्रहणमहोत्सवे पूजिते गुरुजने कृते समस्त16करणीये स्वस्थाने समेत्य विविधरत्नविद्रमनिर्मिततलिने गङ्गापुलिन इव राजहंसयुगलं कृतमङ्गलोपचारं 16 तन्मिथनमुपविष्टं दृष्टा परिवारः सखीजनश्च मन्दं मन्दं निस्ससार। तत्रस्थस्य तस्य निद्रासुखमनुभवतः क्षणदा क्षणमिव क्षयमियाय । ततः प्राभातिकतर्यरवप्रतिबोधितः कुमारः कृतदेवाधिदेवनमस्कृतिनित्य18 कृत्यमकरोत् । तत्रान्यदा कुमारो हिमगिरिशिखरसमानं स्वसौधमारुह्य दक्षिणपक्षप्राकारप्रत्यासन्नं रत्ना-18 कर निरीक्ष्य क्षणं व्यावयन् मात्राक्षरबिन्दुच्युतकप्रश्नोत्तरक्रियागुप्तककाव्यकथाविनोदैश्च कुवलयमालया समं प्रीतिपरस्तस्थौ। अत्रान्तरे कुवलयमालया विज्ञप्तम्। 'देव, त्वया मवृत्तान्तः कथं परिज्ञातः।' 21 ततः कुमारेण सविस्तरमयोध्यातो यापहाराचं मुनिनिवेदितचण्डसोममानभटमायादित्यलोभदेवमोह-21 दत्तपञ्चजनपूर्वभवगाथापूरणपरिणयनपर्यन्तं सर्वमपि प्रोचे। प्रिये, ऐहिकसुखमूलं विवाहकर्म वृत्तम् । संप्रति पारत्रिकसौख्यप्रदं सम्यक्त्वमाद्रियस्य । यतः, चिन्तामणिः श्रितःप्राणिस्वान्तचिन्तितमात्रदः सम्यक्त्वं सर्वजन्तूनां चिन्तातीतार्थदं पुनः॥४१६4 तावदेव तमस्तोमः समस्तो ऽपि विजृम्भते । यावत्सम्यक्त्वतिग्मांशुरुदेति न हृदम्बरे ॥४१७ सदृष्टिदृष्टिहीनोऽपि यः सम्यक्त्वविलोचनः । श्रुतिविश्रान्तनेत्रोऽपि सो ऽन्धो यस्तद्विवर्जितः॥४१८ यदि ते स्मृतिमेति सांप्रतं दयिते पूर्वभवः स्वचेतसि । तदवश्यमिदं जिनेशितुर्वचनं निवृतिशर्मदं श्रय ॥४१९ श्रुत्वेति तस्य वचनं किल सा जगाद नाथ त्वमेव शरणं सुगुरुस्त्वमेव । देव त्वयाखिलपुरातनजन्मजल्पात् सम्यक्त्वभाजनमहं घिहिता यदद्य ॥४२० इत्याचार्यश्रीपरमानन्दसूरिशिष्यश्रीरत्नप्रभसूरिविरचिते श्रीकुवलयमालाकथासंक्षेपे श्रीप्रद्युम्नसूरिशोधिते कुवलयचन्द्रकुमारवनपरिभ्रमणविजयापुरीगमनजयकुञ्जरहस्तिवशीकरणसमस्यापूरण कुवलयमालापरिणयनसम्यक्त्वोपदेशप्रभृतिवर्णनस्तृतीयः प्रस्तावः ॥ ३॥ [अथ चतुर्थः प्रस्तावः ] 36_ १) अथ श्रीदृढवर्मणो नृपतेर्लेखवाहः प्रतीहारनिवेदितः प्रविश्य कुमार प्रणिपत्य लेखं पुरो38 विमुच्य विज्ञपयामासेति । 'देव, श्रीतातपादा भवन्तमाकारयन्ति ।' ततः कुमारः पूर्वं लेखं प्रणम्योन्मुन्य च स्वयं वाचयामास । 'स्वस्त्ययोध्यापुरीतो महाराजाधिराजश्रीदृढवर्मदेवो विजयापुर्यां पुत्रं दीर्घायुषं 99 कुवलयचन्द्रकुमार महेन्द्रसमन्वितं साञ्जसंगाढमालिङ्ग्य समादिशति, यथा 'अत्र तावत्तव दुःसहविर- 39 2) P रच्यते वेदिका. 7) P ततः स विलिप्तांग:- 9) स्तुतेिवत'. ll) 'भूषिताया वेदिकामध्यमध्यासीनायाः कुवलय. 14) P निवृत्ते. 15) P B om. स्वस्थाने समेत्य. 16) FB om. निद्रासुखमनुभवतः. 17) Binter. क्षणदा क्षणमिव. 18) B दक्षिणपक्षे. . 38) Bom, पुत्रं. Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV. 4 : Verse 151 कुवलयमालाकया ४ .67 पहेण मम जलबहिःक्षिप्तमत्स्यस्येव क्षणमात्रमपिन सुखावकाशः, तथा तव मातुःपुरीजनस्य च । अतस्त्वया 1 स्वरितमागत्य निजदर्शनपाथसापाथोदेनेव पादपोवियोगतप्तोऽहं निर्वाप्यः' इति । कुमारेण जगदे। 'प्रिये, अस्माकमेष गुरुनियोगस्तत् किं कर्तव्यम् ।' तथोक्तम् । 'यत्तुभ्यं रोचते तदाचरणीयमेव ।' ततः कुमार: 3 समुत्थाय महेन्द्रण साकं श्रीविजयसेनमिति विशपयामास । 'देव, ममायातस्य बहवो दिवसा अभवन् , उत्कण्ठितौ च पितरौ, अतःप्रसादं विधाय मां प्रेषयत ।' ततो नृपतिना विसृष्टः सांवत्सरेण निवेदिते माहुते कुमारः कृतमाङ्गल्यविधिर्वहन्नासिकादत्तानपादो निर्मितजिननमस्कृतिर्जयकुञ्जरं गजमारुह्यानेकसे- 6 वकलोकपरिकलितो महेन्द्रेण सह प्रमुदितचित्तःपुरीतो निर्गत्य बाह्यभुवि प्रस्थानमङ्गलं विदधे। ६२) साप्यथो मातरं नत्वा तत्त्वालोकनबद्धधीपूर्णा हर्षविषादाभ्यां प्रोवाच नृपतेः सुता ॥१॥ देहच्छायेव देहेन पत्या यास्याम्यहं सह । मातस्त्वदंहिसेवाया वियोगस्तु सुदुःसहः॥२॥ मद्रोपिता लता मातर्विना जलनिषेचनम् । पाण्डिमानमुपेष्यन्ति यथा प्रोषितयोषितः॥३॥ मातर्मदीयविरहे कलापकलितः किल । कलापी तालसुभगं केनायं नर्तयिष्यते ॥ ४॥ जनन्युवाच किं वत्से धत्से खेदं स्वचेतसि । नरेश्वरसुता यत्त्वं दृढवर्मसुतप्रिया ॥ ५॥ 12 तत्पुत्रि मा कृथाः खेदं हर्षस्थाने ऽस्य का क्षणः। स्वधुनीस्तानसंप्राप्ती को हि पङ्के निमज्जति ॥६॥ इत्युक्त्वा तनुजां कोडं स्वमारोप्य सबाष्पडक । चुम्बित्वा च शिरोदेशे जनन्येवमशिक्षयत् ॥७॥ वत्से चेत्त्वं गुणश्रेणिमीहसे स्वस्य सर्वदा। तद्भर्तृमन्दिरप्राप्ता ब्रूयाः प्रियमसंशयम् ॥ ८॥ 16 कार्य श्वश्रूप्रभृतिषु गौरवाहेषु गौरवम् । त्वयानुकूलया भाव्यं सपत्नीष्वपि संततम् ॥९॥ तदपत्यानि दृश्यानि निजानीवाश्रितेषु च । कृपा कार्या न तु क्वापि गर्वः सर्वप्रतीपकः ॥ १०॥ भुक्ते भर्तरि भोक्तव्यं स्वयं च शयिते सति । नीचैलोचनया स्थेयं नीरङ्गीस्थगितास्यया ॥ ११ ॥ 18 दुखिते दु:खिता पत्यो सुखिते मुखिता भवेः। कोपवत्यपि मा कोपं विदधीथाः कदाचन ॥ १२॥ कदापि पतिपादारविन्दद्वयविलोकनम् । न हेयं सर्वदा सर्वसतीमार्गो ऽयमद्भुतः॥१३॥ 21 ६३) इति शिक्षा शिरसि चारोप्य पितरौ प्रणम्य परिजनमभिपृच्छय कुवलयमाला ततः कुमारान्ति-21 कमागताततोऽन्यदिने कुमारः कुवलयमालया समं प्रचलितःसन् जातानुकुलपवन:श्रुतवामखरस्वरः सब्यसमुत्तीर्णकवर्णशुनकः सर्वत्र समुच्चारितचारुवचनो व्यचिन्तयदिति । 'भगवति प्रवचनदेवते, यदि 24 तातं निरामयं पश्यामि राज्यं च प्राप्नोमि परिवर्धते सम्यक्त्वं [तदा] कुवलयमालया समं प्रवज्यामा-34 भयामि, तद्दिव्यज्ञानेन परिज्ञाय तादृशमुत्तमं शकुनं देहि, येन मे निर्वृतिः स्यात् ।' इति यावञ्चिन्तयअस्ति तावत्पुरस्तस्य मणिकनकनिर्मितं प्रलम्बितमुक्तावचूलमातपत्रं केनाप्युपनीय विज्ञप्तम् । 'देव, अस्य भूपस्य जयन्तीपुरीपतिज्येष्ठो भ्राता जयन्ताभिधो वसुधाधवः । तेन त्वद्धतवे देवताकृताधिष्ठानं छत्ररत 27 प्रेषितम्' इति । कुमारेण चिन्तितम् । 'अहो, प्रवचनदेव्याःप्रभावः, येन प्रथममेव प्रधानं शकुनम्' इति ध्यात्वा तच्च स्वीकृत्य कुमारो राज्ञा पौरजनेन चानुगम्यमानो महता सैन्येन परिवृतः कियती भुवं परि30गतः प्रोवाच । 'महाराज, व्यावृत्य धवलगृहमलंक्रियताम् । पौरजनाश्च निवर्तध्वम् , यतो दूरे भवति 30 विजयापुरी। ततस्तेषु व्यावृत्तेषु कुमारः सपरीवारोगन्छन् कतिपयैरपि प्रयाणकैः सह्यशैलसमीपं संप्राप। अत्रान्तरे केनाप्यागत्य विक्षप्तम्। 'नाथ, अत्र सरस्तीरे देवायतने महामुनिरेको ऽस्ति'। इत्याकय कुमारः 33 कुवलयमालया समं तत्र गत्वा मुनि नत्वा सविनयं जगाद । 'भगवन् ,भवन्तः स्वीकृतनवव्रता इव विभाव-33 यामस्तत्र को हेतुः। ततो मुनिमतल्लिका निवेदितुमारेमे । समस्ति लाटदेशान्तः पारापुर्या नरेश्वरः । सिंहः प्राज्यतमस्थामा भानुनामास्ति तत्सुतः ॥ १४ ॥ चित्रकर्मप्रियः प्रायः सोऽहं क्रीडनकौतुकी । अन्यदा तत्पुरीबाह्योद्यानभूमिमुपागतः ॥ १५॥ 36 ६४) तत्र च विचरता मया कलाचार्य एको दृष्टः। तेनोक्तम्। 'कुमार, चित्रपटममुं मल्लिखितं निरीक्ष्य निवेद्यतां यदयं रम्यो न वा' इति । ततस्तदालोकनेन मया चिन्तितम् । 'तत्किमपि पृथिव्यां नास्ति यदा 39न लिखितमस्ति' इति विस्मयस्मेरमानसं मा निरीक्ष्य तेनोक्तम् । 'कुमार, मयात्र सकलमपि संसार-39 विस्तारस्वरूपं चित्रितमस्ति, यन्मनुष्यजन्मनि यत्तिर्यग्भवे यन्नरके यत्रिदिवे विविधं दुःखं सुखं चानुभूतं तत्सर्वमप्यस्ति, अत्र तावन्मोक्षोऽपि, यत्र न जरान मृत्युन व्याधिन चाधिः।' एवं कुमार, तेन निवेदिते 26) 3) Bom. इति. 6) -निवृति:. 29) कियंती श्रुतप्रसाद for अतः साद. 16) B मंदिरं प्राप्ता. 24) Pom. च, PB om. [तदा) 33) Badds इति (on the margin) after इव. Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *68 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. F4 : Verse 161 तस्मिंस्तादृशे संसारचक्रचित्रपटे प्रत्यक्षीकृते मया चिन्तितम् । 'अहो, कष्टं संसारवासः । दुर्गमो मोक्ष- 1 मार्गः। अत्यन्तदुःखिताःप्राणिनः। विषमा कर्मगतिःस्नेहनिबिडनिगडसंदानितो मूढजनः। अशचिमयः कायः । विषमिव विषयसुखम् । साक्षादेवैष जीवसार्थो महासागरनिमग्नः ।' इति चिन्तयता मया 3 भणितम् । 'अहो, त्वयायं यदि चित्रपटो लिखितस्ततो न मनुष्यस्त्वम् , अनेन दिव्यचित्रपटप्रकारेण किमपि कारणान्तरं चिन्तयन् त्वं देवो देवलोकतः समागतः।' इति च वदता मया तस्यैकस्मिन् पार्श्वे 6 ऽपरं चित्रपटं दृष्टा प्रोक्तम्। 'अहो उपाध्याय, पुनरेव ततः संसारचक्रतो व्यतिरिक्तश्चित्रपटो ऽयम्, ततो 6 ममायमपि प्रत्यक्षीक्रियताम् ।' इदमाकर्ण्य कलाचार्येण भणितम् । 'कुमार, मयैव लिखितमेतद्वयोर्वणिजोश्चरितं विभक्तस्वरूपं पश्यतु भवान् । एषा चम्पापुरीति लिखिता। अत्रैष महाराजो महारथः । अत्र 9 च धनी धनमित्रो नाम वणिम्। तस्य भार्या देवीति । तयोस्तनुजौ द्वौ धन मित्रकुलमित्रौ।तजन्मानन्तरं 9 तदात्वमेव पिता पञ्चत्वमुपागतः। सर्वो ऽप्यों निधनमियाय । ततस्तौ मात्रा कष्टेन वृद्धिमानीतो यौवन मवापतुः । जनन्या निगदितम् । 'भवन्तौ व्यवसायं कुरुताम् ।' ततस्तौ वाणिज्यकृषिपरमन्दिरकर्मकर12 वृत्तिप्रतिगृहप्रार्थनारत्नाकरसमुल्लङ्घनरोहणपर्वतारोहणानवरतखानिखननधातुवादद्यूतक्रीडनस्वामिसे- 12 वाप्रवृत्तिविवरयक्षिणीसमाराधनगुरूपदिष्टमन्त्रसाधनप्रभृतिभिः प्रकारैर्धनोपार्जनार्थ ताम्यतः.परंवराटि काया अपि नोत्पत्तिः। 18 $५) ततो ऽतीवदुःखितौ ताविति संकल्पपरौ बभूवतुः। 'धिर धिर जीवितमस्माकम् । यः को 15 ऽप्युपायः प्रारभ्यते स सर्वो ऽपि पूर्वकृतदुष्कृतवशेन वालुकापिण्डकलनमिव खलप्रीतिप्राग्भार इवाजलिकृतजलसंघात इव समीरप्रेरितजीमूतपद्धतिरिव विलयमायाति । कथमनेन दैवेनावामेवाभाग्यभाजनं 18 विहितौ । इदमपि दैवं सर्वेषामप्यन्येषामनवमम् , परमावयोरवममेव । तावत्सर्वथैवालममुना जीवितेन18 सर्वथा दुःखनिकरमन्दिरेण । अथ कस्मिंश्चिदुच्चशिलोचयशिखरमारुह्यात्मानं मुश्चावः' इत्यालोच्य तो तच्छिखरमारुह्येवं प्रोचतुः। 'भोः पर्वत, तव शिखरपतनसाहसेनावामनेतनभवे दारिद्यदुःखभाजनं न भवावः।' इत्युदित्वा तौ युगपदेव यावदात्मानं मुञ्चतस्तावत्तयोः 'मा साहसं मा साहसं' इति ध्वनिः21 श्रवणाध्वनि पपात । तं निशम्य ताभ्यां सर्वतो दिशः पश्यस्यां साधुं कायोत्सर्गस्थितं निरीक्ष्य भक्त्या प्रणिपत्य प्रोचे । 'परमेश्वर मुनीश्वर, भवतावां मृत्युतः कथं निषेधितौ।' मुनिनापि ततः प्रोक्तम् । 24"युवयोः किं वैराग्यकारणम् ।' ताभ्यामुक्तम् । 'भगवन्, आवयोर्दरिद्रतैव वैराग्यहेतुर्नान्यत् ।' साधुना-24 प्यभ्यधायि । 'भो पण्याजीवौ, भवन्तौ निर्वेदं कृत्वा मा प्राणत्यागं तनुताम् ।' ताभ्यामुदितम् । 'भो यतीश, कथय कथं जन्मान्तरेऽपि न दारिद्यं पुनरावयो।' भगवता भणितम् । 'यदि भवन्तौ दीक्षाम27 जीकृत्य तपः समाचरतस्तदेवंविधदुःखभाजनं भूयो ऽपि न भवतः। ताभ्यामुक्तम् । 'एवं प्रसादः क्रिय-27 ताम् । ततस्तेन मुनिना जैनविधिना कुमार, तयोः प्रवज्या दत्ता । इमौ तौ प्रवजितौ मया चित्रपटे लिखितौ। ततस्तो दुश्चरितं तपस्तत्वा समाधिना मृत्वा देवभवमुपाजग्मतुः । तयोः पुनरेक आयुषि क्षय30 मीयुषि स्वर्गतश्युत्वा पारापुयाँ सिंहभूपतेः सुतो भानुनामा संजातः । स चात्रोद्याने त्वम् । यः पुन- 30 द्धितीयो वणिग्जीवः स चाहम् । इमं चित्रपटं समालिख्य भवतः प्रतिबोधार्थमिहागतः । तावद्भो भानु कुमार, प्रतिबुद्ध्यस्व मा मुहः, भीम एष भवाम्बुधिः, तरला कमला, हस्तप्राप्या विपत्तयः, दुःसहं दारिद्यम्' 33 इदमाकर्ण्य ऊहापोहं कुर्वाणः सहसैव मूञ्छितो भानुकुमारः। स्मृता जातिः। परिजनेन वयस्यैश्च शीतल- 33 जलकदलीदलपवनादिभिः समाश्वासितः । ततः संजातस्वस्थचेतसा भानुनानुभूतं पूर्ववृत्तं विलोक्य भणितम् । 36 'सर्वथा त्वं गरुर्नाथ त्वमेव शरणं मम । येन त्वयाधना जैनाध्वनि प्रीन्यास्मि रोपितः॥१६॥ 36 ६) एवं वदस्तच्चरणशुश्रूषापरायणः क्षणमेकं यावदभवं तावदुपाध्यायः पताकाराजिगजिते विविधासपत्नरत्ननिर्मिते विमाने मणिकुण्डलगलस्थलसमुच्छलदतुच्छ देहदीया दश दिशः प्रकाशयन्तं 39 वरमुकुटविराजमानं विमानसंस्थितमात्मानं प्रकटीकृत्य जगाद । 'भो भानु कुमार, दृष्टस्त्वयष संसार- 39 महीचऋविस्तारः। ततो मया तन्निरीक्षणसंजातवैराग्येण स्मृतपूर्वभवेन देवस्य पुरस्तत्क्षणमेवाभरणानि विमुच्य स्वयं विनिर्मितोत्तमाङ्गपञ्चमुष्टिकलोचस्तहेवार्पितरजोहरणमुखवस्त्रिकाप्रतिग्रहायपधिर 6) पुनरेतत्संसार. 16) 0 पिण्डक[व]लनमिव. 40) B संसारमहाचक'. ) । 'खरभारूढा एवं. 31 ) : Gi, tv, Mom दश. Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV. § 8 : Verse 19 ] कुवलयमालाकथा ४ ☐ 69 1 थानतो निष्क्रान्तः । ततो हाहारवमुखरो वयस्यवर्गः परिजनश्च सिंहनरेश सकाशमुपागमत् । तेन देवेन 1 ततः प्रदेशतोपहृत्यात्र निर्जने वने मुक्तो ऽस्मि । सांप्रतं पुनः कमप्याचार्य मृगयासि यदन्तिके तपस्त'नोमि । इदं निशम्य कुमारेणोक्तम् 'अहो, महाविस्मयकारी वृत्तान्तः । ततो महेन्द्रेण सम्यक्त्वं गृहीतम् । कुमारो ऽपि महेन्द्रकुवलयमालाभ्यां सममावासमागत्य कृतकृत्यः शर्वर्यामस्वाप्सीत् । ततः पुनरपि निर्मले गगनाङ्गणे तिरोहितेषु तारानिकरेषु समुदिते दिनेशे कुमारः प्रदत्तप्रयाणकः क्रमेण 6 विन्ध्यगिरिकान्तारासन्नं समावासितः । तत्र स कुमारः कृतदिवसरात्रिककृत्यः कुवलयमालया समं 6 पल्यङ्के प्रसुप्तः । ६७) ततो निशीथे यावजागर्ति तावद्विन्ध्यगिरिशिखरकन्दरान्तरे ज्वलनं ज्वलन्तं विलोक्य 'विकल्पमालाकुलः समजनि । 'अहो किमेतत् किं तावदेष वनदवः, किमुतान्यत् । अत्र च पार्श्वेषु 9 परिभ्रमन्तः केऽपि पुरुषा दृश्यन्ते । किं वा राक्षसाः, पिशाचा वा । ततो ऽग्रतो भूत्वा सम्यग् निभालयामि किमेतज्वलति के पते पुरुषाः ।' इति विचिन्त्य सुचिरं निभृतपदं समुत्थितः कुमारः कुवलय12 मालां तलिने सुप्तां विमुच्य स्वीकृतखङ्गरतव सुनन्दकः कटीतट निबद्धथुरिकः प्राहरिकान् वञ्चयित्वा गन्तुं 12 प्रवृत्तः । ततस्तेन ज्वलनान्तिके धातुवादवाती वितन्वतः पुरुषान् विलोक्य चिन्तितम् । 'यदमी धातुषादिनः किमेतेषामात्मानं प्रकटीकरोमि किं वा न कदाचिदेते वराकाः कातरहृदो ऽमी दिव्य इति मां 15 संभाव्य भयभीता नक्ष्यन्ति विपत्स्यन्ते वा, तदिह स्थित एव तेषां वाचः श्रोष्यामि' इति । तदा तत्र 15 तैरपीत्युक्तम् । 'यदद्य कल्कः सर्वो ऽपि विघटितस्तावदिदानीं करणीयं किम् इति । किमत्रापरः कार्यः' इति वदन्तश्चलिताः । कुमारेण भणिताः 'भो भो नरेन्द्राः, किं व्रजत ।' तैरित्युक्तम् । 'भवतो भयेन ।' 18 कुमारेण भणितम् । 'कथं भवतां भयम्, अहमपि भवन्मध्यवर्ती नरेन्द्रः, ततः सर्वमपि निवेद्यताम् ।'18 ततस्तैर्जल्पितम् । 'अहोरात्रं यावदस्माभिः सुवर्णभ्रान्त्याध्यातं परं सर्वमेव भस्मीभूतम् ।' ततः साहसमवलम्ब्य कुमारेण देवगुरुचरणस्मरण प्रवीणान्तःकरणेन तेषां पुरस्तेनैवोषधयोगेन सुवर्ण निरमायि । 21 सर्वैरपि तैः प्रमुदितैर्विशप्तम् । 'देव, अद्यप्रभृति भवानेवास्माकं गुरुः । वयं तु तव शिष्या एवातो विद्या- 21 दानप्रसादो विधेयः ।' कुमारेण तत्प्रणीतभक्तिपरीतचेतसा योनिप्राभृतग्रन्थप्रयोगाः कत्यपि कथिता - स्तेषाम् । कुमारेण प्रोक्तम् । 'व्रजाम्यहं स्वस्ति भवद्भ्यः । यदा कदाचिद्यूयमयोध्यायां कुवलयचन्द्र भूपर्ति 24 शृणुत तदा सत्वरमेव समागन्तव्यम्' इति वदन् कुमारः कटकसंनिवेशे कुवलयमालाया विबुद्धायाः 24 कुमारादर्शनेन महद्दुःखं दधत्याः पुरः संप्राप्त एव । ततस्तया प्रमुदितया प्रोक्तम् । 'देव, कुत्र गता भवन्तः । ततः कुमारेण धातुवादिवृत्तान्तं सर्वमपि निवेदितम् । ततो निःश्वासनिःस्वनपटुपटहरवम27 पाठक पठितादीनि विभातविभावरी चिह्नानि मत्वा कुमारेण भणितम् । 'अये प्रिये, प्रभातप्राया रजनि - अ रजनि । क्षपापतिरपि क्षपित किरणगणः । चरणायुधसंहतिरपि मन्दं मन्दं रौति च । सांप्रतं देवगुरुबान्धवकार्याणि क्रियन्ते' इति वदन् कुमारो निर्मलजलक्षालितवदनकमलः श्रीमति गृहचैत्ये प्रविश्य 30 देवाधिदेवमेवं स्तोतुमारेभे । 'सुप्रभातं जिनेन्द्राणां धर्मबोधविधायिनाम् । सुप्रभातं च सिद्धानां कर्मैघघनघातिनाम् ॥ १७ ॥ सुप्रभातं गुरूणां तु धर्मव्याख्याविधायिनाम् । सुप्रभातं पुनस्तेषां जिनस्तवप्रदर्शिनाम् ॥ १८ ॥ 38 सुप्रभातं तु सर्वेषां साधूनां साधुसंमतम् । सुप्रभातं पुनस्तेषां येषां हृदि जिनोत्तमः ॥ १९ ॥ 33 (१८) एवंविधां स्तुतिं विधाय कुमारः करिवरारूढः सुखासनाधिरूढया कुवलयमालया सम विविधतुरगखुरखुराविदारितमहीतलसमुच्छलद तुच्छरे णुनि कर परिपूर्यमाणसकल दिग्मण्डलमुखनिरुद्ध38 दिनकर प्रसरजात दुर्दिन शङ्कासहर्ष शिखण्डिताण्डवितकलाप भ्राजमानेन वनान्तरेण संचचार । ततो 98 ऽनवरतदत्तप्रयाणकः कुमारो ऽयोध्यापुरीपरिसरमलं चकार । तमायान्तं श्रुत्वा तदात्वाधिकप्रमोदवशसमुल्लसद्रोमाञ्चकवचितः क्षितिपतिः सपरिजनः सान्तःपुरः कुमारसम्मुखमाजगाम । ततः स्वदर्शन99 मात्रेणैव दृढवर्म महीपतिः कमलबन्धुरिव कमलाकरं कैरवबन्धुरिव कैरवसंचयं घनाघन इव घनसुहृत्सं- 99 मधुर पिकनिकरं तं कुमारं भृशं प्रमुदितमानसमातत । ततो द्वावपि स्नेहभरपरवशमानसौ बाष्पाविललोचनौ बभूवतुः । ततः कुमारेण महाविनयशालिना पितृमातृचरणद्वन्द्वमद्वन्द्रभक्त्या 30 10 ) B क एते for केऽपि. 12 ) B adds प्राहरिक: before प्राहरिकान् 92 ) Pom the verse सुप्रभात गुरूणां etoy B. om. जिनस्तव eto., to पुनरतेषां in the next line obviously a haplographical skipping over by the copyist. Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 *70 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV.88 : Verse 201 प्रणतम् । ताभ्यामुक्तम् । 'वत्स, अतीव दृढकठिनहृदयो भवान् बभूव । आवां पुनस्त्वस्नेहनिर्भरप्रसृतदु:- 1 सहविरहज्वालावलीदुःखितौ सजीवमप्यात्मानं मृतमिव मन्यमानौ स्थितौ । ततो वत्स, चिरं जीवास्माकं जीवितेन ।' राज्ञा पृष्टम् । तदा तुरगेणापहृतः कुत्र गतः, कुत्र स्थितः, इत्येतत्सर्वमपि स्वरूपमावेदय। 3 एतदाकर्ण्य कुमारेण यत्र यत्र भ्रान्तं यत्र यत्र यद्यदृष्टमनुभूतं च तदखिलमपि विज्ञप्तम् । इतश्च मध्याहाघसरे मागधेन निवेदिते तत्रैव विहितमजनभोजनौ दृढवर्मकुवलयचन्द्रौ सुखं समासीनौ क्षणं 6 स्थितौ । ततः, दृढवर्मसुतः शस्ते मुहूर्ते गणकोदिते । गजपृष्ठप्रतिष्टेन भूमिभ ग्रयायिना ॥ २०॥ दुर्वारैर्वारणैरश्ववारैर्वारितवैरिभिः । मनोरमैः स्यन्दनौधैः संनद्धैः सुभटैः समम् ॥२१॥ प्रवाद्यमाननिःस्वानस्वानडम्बरिताम्बरः । विधीयमानमाङ्गल्योपचारश्चतुरानिमः॥२२॥ आकर्णयन्नुभाकर्णिबन्दिवृन्दभवां स्तुतिम् । वनीपकानां दीनानां ददद्दानं पदे पदे ॥२३॥ जयकुञ्जरमारूढः पश्यन् मश्वान् प्रपञ्चितान् । मुक्तावचूलसश्रीकविचित्रोल्लोचरोचितान् ॥२४॥ वृद्धाङ्गनाशिषो गृह्णन् प्रतीच्छन्नक्षताक्षतान् । समाससाद प्रासादं विशदं सप्तभूमिकम् ॥ २५ ॥ 12 षभिः कुलकम् ॥ ६९) तस्मिन्नेव मुहर्ते श्रीदृढवर्मणा कनकमयासने निवेश्य कुमारस्य जयजयशब्दपूर्यमाणनभस्तलं चारुचामीकरविरचितैः कलशैः सत्तीर्थसमानीतोदकसंभृतैः सर्वलोकप्रत्यक्ष युवराजपदाभिषेकश्चके। 15 ततस्तेन राजलोकेन नमस्कृतः कुमारः । राज्ञा प्रोक्तम् । 'वत्स कुमार, पुण्यवानस्मि, यस्य भवादृशस्तजुजः। अद्यैव चिरसंचितो मनोरथरथः परां प्रमाणकोटिमधिरूढः। अतः प्रभृति त्वमेव राज्यभारधौरेयः। ततः प्रीतिप्रकर्षेण रोमहर्षयुतो नृपः। राज्यप्रधानप्रत्यक्षं तनूजं समशिक्षयत् ॥२६॥ 18 राज्यभारधुराधुर्ये वर्ये वत्स गुणैस्त्वयि । अद्यापि न परं लोकं साधये तेन मेत्रपा ॥२७॥ विश्वम्भरायास्त्वय्यद्यावनं कलितयौवने । मयि वत्स पुनर्युक्तं वनं गलितयौवने ॥ २८॥ 21 परं भोगफलस्यास्य कर्मणः शेषमस्ति से । यावत्तावत्त्वया राज्ये भूयतां सहकारिणा' ॥२९॥ 21 कुमारोऽपि पादौ प्रणम्य प्रोवाच । 'यत्किचित्तातः स्वयमादिशति तदवश्यं मया विधेयम्' इति । ततः कुवलयमालया गुरुजनस्य प्रणतिश्चक्रे । गुरुजनेनाप्यभिनन्दिताशीर्वचोभिः । कुमारो ऽथ यौवराज्यपदं 24 पालयन् स्वगुणैः सर्वसंमतो बभूव । अपि च । . 24 सितैर्निरीक्षितैस्तस्य चरितैर्जल्पितैरयम् । राजलोकः समग्रो ऽपि सर्वदानन्दभूरभूत् ॥ ३०॥ धिनोत्यखण्डधाराभिर्धरां धाराधरो यथा । तथायमर्थसंघातैरत्यर्थ सार्थमर्थिनाम् ॥ ३१ ॥ 57 १०) ततश्च कियत्यपि गते काले सुखसंदर्भमये व्यतीते राज्ञा भणितम् । 'वत्स कुवलयचन्द्र, एष कालो मम धर्मस्याराधने ततस्तं करोमि ।' कुमारेण प्रोक्तम् । 'महाराज, युक्तमुक्तम्, परमेकं पुनविज्ञपये धर्मः कुलोचित एव कर्तव्यः।' राज्ञोक्तम् । 'बहवो धर्मोपायाः, कोऽयं कुलोचितः।' कुमारणो30 क्तम् । 'य इक्ष्वाकुवंश्यैः पूर्वजैः कृतः स एवोचितः। तदाकर्ण्य राजा धर्मपरीक्षार्थ देवतागृहे कुलदेवतां 30 श्रियमाराधयामास । ततस्तस्य राज्ञः कुसुमनस्तरे स्थितस्य षड् यामा व्यतीताः । अथ निशीथे गगन तले वाणी समुल्ललास । 'भो नरेश, यदि भवतो धर्मसारेण कार्य तत इक्ष्वाकुवंश्यकुलधर्म गृहाण ।' 33 इति वदन्त्या कुलदेवतया श्रिया प्रत्यक्षीभूय हेमपट्टिकाखण्डं ब्राह्मीलिपिसनाथं समान्तर्धानं विदधे । 33 तन्निरीक्ष्य नरेश्वरः प्रमुदितः प्रगे कुमारमाकार्य सर्वमपि निशावृत्तं निवेदयामास । ततः कुमारः पित्रादेशेन तत्र लिपि वाचयितुं प्रवृत्त इति । 'शानदर्शनचारित्ररत्नत्रयमनुत्तरम् । साधनं मोक्षमार्गस्य निधानं शिवशर्मणाम् ॥ ३२॥ न हिंसा यत्र नासत्यं न स्तेयं ब्रह्मपालनम् । परिग्रहप्रमाणं च रात्रिभोजननिवृतिः ॥ ३३ ॥ सर्वदोपविनिर्मुको यत्र देवो जिनेश्वरः। महाव्रतधरो धीरो गुरुर्धर्मोपदेशकः ॥ ३४॥ 99 पूर्वापराविरुद्धश्चागमः श्रीशिवसंगमः । मुक्तये धर्म एवायं प्रतीपस्तु भवभ्रमौ ॥ ३५ ॥ ६११) एवं वाचिते धर्मस्वरूपे राज्ञोक्तम् । 'अहो, अनुगृहीता वयं भगवत्या कुलदेवतया । एतत्पुनर्न ज्ञायते, के ते धर्मपुरुषाः, येषामेष धर्मः।' कुमारेणोक्तम् । 'दर्शनान्याकार्य धर्मपृच्छा विधीयते, 42 यस्य कस्यचिद्धर्म एतल्लिपिसंवादी भवति स एव साध्यते । ततो भूपतिर्दर्शनप्रधानपुरुषानाकार्य यथा-42 RA 39 1B वत्स तवातीव (on the margin). 8) B दुर्वारिवारण'. Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV.$13 : Verse 54] कुवलयमालाकथा ४ * 71 स्थानं निवेश्य धर्म पप्रच्छ । सधैरपि निजनिजागमानुसारेण धर्मो निवेदितः परं तस्य चेतसि स्थिति न । बबन्ध । ततो राशा जैनमुनयः पृष्टाः । 'यूयं निजं धर्म निवेदयत । ततो गुरुणा 'यो धर्मः कुलदेवतया 3 निवेदितः स एव धर्मो धर्मसारः' इति प्ररूपितः। ततोभूपः कुमारं विलोक्य बभाषे । 'सम्यगेवैष मोक्ष- 3 मार्गक्षम इति । सर्वेषामपि धर्माणामेष एव मुख्यः । एष एव कुलदेवतया दत्तः । इक्ष्वाकूणामयमेव कुलधर्मः।' कुमारेण विशप्तम् । 'यदाहं तुरङ्गमाविष्टस्तदैतस्यैव धर्मस्य बोधार्थ देवेनापहृतः। मयारण्ये 6 मुनिसिंहदेवा विलोकिताः पूर्वभवसंगताः पूर्वभवे ऽप्यमुमेव धर्ममाराध्य ते खर्ग गतवन्तः। तैरप्येनं 6 धर्म निवेद्य कुवलयमालाबोधार्थमस्मि प्रेषितः । येन च शुकेन तं देशं गतानामस्माकं प्रवृत्तिर्भवतां पुरो निवेदिता तेनाप्ययमेव सार्वज्ञो धर्मो दृष्टः। 9 रजोहृतिः कराम्भोज भेजे यस्य नरेश्वरः । पुरन्दरो ऽपि तं स्तौति सादरं विगतादरम् ॥ ३६॥ ५ स्वयं स्वामी जगन्नाथ पाथोनाथः कृपाम्बुनः । सभायामादिशधर्मममुमेव जिनेश्वरः ॥ ३७॥ साधवो ऽपि मया दृष्टा धर्मे ऽत्र स्थितिशालिनः । उत्पाद्य केवलज्ञानं महोदयपदं ययुः॥३८॥ तेन विज्ञप्यसे तात जैनधर्मः सुशर्मदः । सर्वेषामेव धर्माणामयमेव मनोरमः ॥ ३९॥ 12 दुर्वारवारणाकीर्ण रङ्गतुङ्गतुरङ्गमम् । भवेद्राज्यमपि प्राज्यं न धर्मस्तु जिनोदितः ॥४०॥ ६१२) तावद्देव भवता भवतापहारी दुर्लभो जिनधर्मः प्राप्तस्ततो निपुणेन त्वयायं विधेयः।' राजा 16 तथा' इति प्रतिपद्य प्रोवाच । 'अहो, सत्यमेतद्यदेष धर्ममार्गो दुर्लभः। तथा वयं पलितकलितशिरसः15 संजाताः परं धर्माणामन्तरं नावगतम्। 'भोस्तपोधनाः, तत्रभवतां भवतां स्थानं न वयं जानीमः। गुरु णोक्तम् । 'राजन्, बाह्योद्याने कुसुमगृहचैत्ये ऽस्ति ।' राज्ञोक्तम् । 'व्रजत यूयं स्थानं कुरुत कर्तव्यानि, 18 प्रभाते समेष्यामि' इति वदन् कुमारमहेन्द्राभ्यां समं क्षमापतिरुत्तस्थौ साधवोऽपि स्वं स्थानमलंचक्रुः।18 ततो दृढवर्मावशेषमपि भवस्वरूपं मायागोलकमिव, इन्द्रजालमिव, आदर्शप्रतिबिम्बमिव नेत्ररोगिविभावरीवरयुगलावलोकनमिव, मरुमरीचिकानिचयाघभासनमिव गन्धर्वपुरनिरूपणमिव, अविचारितरामणीयकमिवा किंचित्करमनुपादेयं विचिन्त्य संजातवैराग्यः कुवलयचन्द्राय सप्ताङ्गं राज्यं ददी, इति 21 च शिक्षां तं प्रति जगाद । 'वत्स कुवलयचन्द्र, शातयुक्तायुक्तस्य पठितसर्चशास्त्रसार्थस्य तव धवलितघषलनमिव पिष्टपेषणमिव विभूषितविभूषणमिव शिक्षाप्रदानं, परं पुत्रप्रीतिौ मुखरयति । दुरन्तदुरितोपायाश्चपलाचपलास्तथा। स्त्रियः श्रियश्च तत् क्वापि मा भूयास्तद्वशंवदः॥४१॥ 24 उच्चस्तरं पदं प्राप्य त्वया कार्यविदा सदा । गुरवो न लधुत्वेन दर्शनीयाः कदाचन ॥४२॥ त्वया बद्धानुरागेण पालनीया निजाः प्रजाः। यतः प्रजालता नीतिनीरसिक्ताः फलन्त्यमूः ॥ ४३ ॥ अन्तरङ्गारिषद्धगंजयाय भवतादरः । शास्त्रे शस्त्रे च कर्तव्यो बहिरङ्गारिशान्तये ॥४४॥ 27 आराध्या सर्वदा विद्यानवद्याः स्थविरास्त्वया । मजतां ध्यसनाम्भोधी वृद्धसेवा हि मङ्गिनी ॥४५॥ राज्यश्रीः काममाहेयी न्यायगोभक्तपोषिता। निकामं कामदुग्धानि प्रसूते वसुधाभुजाम् ॥ ४६॥ 30६१३) इति शिक्षां दत्त्वा दत्तदीनजनदानः संमानितस्वजनः कृतचैत्याष्टाहिकामहः सुतकारितां 30 शिबिकामारुह्य नृपो गत्वा कुसुमगृहचैत्ये तस्यैव गुरोरन्तिके प्रावाजीत् । तदने करुणावता गुरुणा मनुष्यभवोपरि युगसमिलापरमाणुदृष्टान्तौ प्ररूपितौ । तथा हि । समग्रद्वीपवा(नां पर्यन्ते ऽस्ति महोदधिः । स्वयंभरमणो नाम वलयाकारतां गतः॥४७॥ 33 देवः कोऽपि युगं प्राच्या प्रतीच्यां समिलां पुनःस्थापयेदथ सा भ्रष्टा जले तत्रातलस्पृशि ॥४८॥ अपारे चानिवारे च परितोऽपि चलाचला। युगे चलाचले योगं लभते न कथंचन ॥ ४९ ।। युग्मम् ॥ प्रचण्डवातवीचीभिः प्रेरिता सा कथंचन । युगे न लभते योगं जन्तुर्न तु जनु णाम् ॥ ५०॥ 36 [युगसमिलादृशान्तः।] तथाहि त्रिदृशः कश्चिदारासनहषन्मयम् । स्तम्भं महान्तमाचूर्य दृग्निक्षेपनिभं व्यधात् ॥ ५१ ॥ तपूर्ण स समादाय तूर्ण गत्वा सुराचले । चूलिकायामवस्थाय नलिकां स्वकरे ऽकरोत् ॥ ५२ ॥ 39 तत्रस्थितेन फूत्कृत्य तया ते प्रचुरोजसा । ते ऽणवः पातिताः सर्वे दिशासु चतसृष्वपि ॥ ५३॥ कल्पान्तकालप्रोन्मीलदुद्दाममरुता हताः। सर्वे ऽपि पश्यतस्तस्यादृश्यास्ते जज्ञिरे क्षणात् ॥ ५४॥ 6) PB तुरंगमाविश्य एतस्यैव. 8) P सर्वशो धर्मः, 9) B नरेश्वर, B विन (ने?) यादरं for विगतादरं. 10) B जगन्नाथ:19) B नेत्ररोगिणा (णा added above the line) विभावरी. 21) सप्तांगराज्य. 30) 'चैत्याष्टाहिकस्तत्कारिता. 36)0 adda here [युगसमिलावृष्टान्तः] at the end of verse No 50.39) Pom. स. 40) Fपृत्कृत्य, । ति for . Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -72 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. 13 : Verse 551 सुपर्वपर्वतभ्रष्टैस्तैरेव परमाणुभिः । स सुपर्वापि नो कर्तुं समर्थस्तं पुनर्यथा ॥ ५५॥ दुष्कर्मवशतो भ्रष्टस्तथा मानुषजन्मनि । निस्तुषं मानुषं जन्म जन्मी न लभते पुनः ॥ ५६ ॥ परमाणुदृष्टान्तः। 3 ततः स राजर्षिर्द्विविधशिक्षाविचक्षणः चारुचारित्रं समाचरन् गुरुणा सह विजहार । कुवलयचन्द्रस्यापि निखिलभूपालमण्डलीमुकुटकोटिनिघृष्टचरणारविन्दस्य विपुलामासमुद्रमेखलां पालयतः प्रभूता वासरा ध्यतीयुः। ६१४) अत्रान्तरे पद्मकेसरसुरः स्वानि च्यवनचिह्नानि परिज्ञाय दुर्मनाश्चिन्तयामास । 'खेदं मा व्रज जीव त्वं दीनत्वं हृदि मा व्यधाः । तावदेव हि भुज्येत यावदायुरुपार्जितम् ॥ ५७॥ 9 ततः संप्रति कालोचितं क्रियत इत्यागत्यायोध्यायां सुरः कुवलयचन्द्र-कुवलयमालयोः पुरः कथ- 9 यामासेति । 'यथामुकमासे ऽमुकदिवसे युवयोः सूनुभविष्यामि तावदिमानि पद्मकेसरनामाङ्कितानि कटककुण्डलहारार्धहारादीनि भूषणानि स्वीक्रियन्ताम् । तानि च प्रसृतवुद्धिविस्तरस्य मम तनौ 12निवेश्यानि, येनैतानि चिरपरिचितानि प्रेक्षमाणस्य मम जातिस्मृतिरुत्पद्यते' इत्युदित्वार्पयित्वा च12 त्रिदशः स्वस्थानमागतः। ततः कियद्भिदिनैः सुरश्युत्वा कुवलयमालाया गर्ने सुतत्वेनोदपद्यत । ततः सापि समये पवित्रं पुत्रं प्रासूत । पित्रा मध्ये पुरं विरचय्य वर्धापनकमहोत्सवे संजाते द्वादशे दिवसे 15 तस्य मुनिना पूर्वमुदितमभिधानं 'पृथ्वीसारः' इति विदधे । स कुमारः कलाकलापेन यौवनेन च16 स्वीचके । तस्य पितृभ्यां तान्याभरणानि समर्पितानि । तानि पश्यत एव तस्य प्रागपि कापि दृष्टान्येतानीत्यहापोहवतो मूर्खाजनि, जातिं च सस्मार। ततः शीतेन तोयेन वायुना चाश्वासितो लब्धचैतन्यो 18 भ्याविति । 'अहो, तत्र तानि सुखान्यनुभूय पुनरीहशानि तुच्छानि मनुजजन्मजातानि जीवोऽभिलषति, 18 इति धिर मोहं धिकच संसारावासं यत्र निरन्तरमाधिव्याधिव्यथितो जनः, तदहं संसारदुःखपरंपरापराभवविधायिनी प्रव्रज्यां गृहीत्वात्मानं साधयिष्ये' इति चिन्तयन् स वयस्यैर्भणितः । 'कुमार, तव स्वस्थशरीरस्य किमेतदत्याहितम् । तेनोक्तम् । 'ममाजीर्णविकारेणैषा भ्रमिरत्पन्ना, तेन न पुनरात्म-21 स्वभावो निवेदितः।' एवं व्रजत्सु दिनेषु कुवलयचन्द्रेणोक्तम् । 'कुमार, राज्यं गृहाण, अहं प्रव्रज्यां ग्रहीष्ये । कुमारेणोक्तम् । 'महाराज, त्वमेव राज्यं प्रतिपालय, अहं पुनर्दीक्षां स्वीकरिष्ये ।' राज्ञादिष्टम् । 34 'अद्यापि बालस्त्वं राज्यसुखमनुभव, वयं पुनर्भुक्तभोगा दीक्षा ग्रहीष्यामः' इति कुमारं प्रतिबोध्य 34 भूपतिर्निर्विण्णकामभोगः प्रव्रज्याग्रहणमनाः कस्यापि गुरोरागमनमभिलषस्तस्थौ। अन्यदिने दत्तमहादानः संमानिताशेषपरिजनः कुवलयमालया समं धर्मवार्ता वितन्वानः क्षमाधनः सुत्वा पाश्चात्यया27 मिनीयामे प्रथममेव प्रबुद्धश्चिन्तयामासेति । ६१५) 'दुष्प्रापं प्राप्य मानुष्यं दक्षिणावर्तशववत् । विचारचतुरैश्चिन्त्या हेयोपादेयहेतवः।। ५८॥ मानुषत्वमतिश्रेष्ठं कुले जन्म विशेषतः। धर्मः कृपामयो जैनत्रयमेतद्धि दुर्लभम् ॥ ५९॥ धन्यास्ते पुण्यभाजस्ते निस्तीर्णस्तैर्भवार्णवः। ये संगमपरित्यागनिगमाध्वगतां ययः ॥ ६॥ 30 त एव कृतिनो ऽभूवन् भुवनश्रीविशेषकाः। जिनेन्द्रजल्पिता सर्वविरतियैरलंकृता ॥१॥ धन्यानि तानि क्षेत्राणि यत्र जैनमुनीश्वराः । भ्रमन्ति विभ्रमत्यक्ता मुक्ताहाराः शुभाशयाः ॥ ६२ ॥ पुण्यतिथिस्तिथिः सा का सा वा वारोऽपि का सच। तन्मुहूर्ते च किं भावि ममामोदप्रमोदकृत् ॥६३।। 33 यस्मिन् पवित्रचारित्रचित्रभानुप्रभोदयात् । मन्मनःसरसीजन्म स्मेरतामुपयास्यति ॥ ६४॥ युग्मम् ॥ प्रधानधान्यतो येन दीक्षाशिक्षाशिलोपरिक्षालयिष्ये मनोवासः कुवासमलिनं कदा॥६५॥ 86 इति चिन्तयतस्तस्य भूपतेःप्राभातिकमङ्गलपाठकः पपाठ । 36 _ 'हतसंतमसानीकः पातितनक्षत्रसुभटसंघातः । प्रसृतप्रतापनिकरः शूरः पृथिवीपतिरुदेति' ॥६६॥ एतदाकर्ण्य राशा चिन्तितम् । 'अहो, सुन्दरोपश्रुतिः सुतराज्याय। 39 नमस्ते लोकनिर्मुक्त नमस्ते द्वेषवर्जित । नमस्ते जितमोहेन्द्र नमस्ते शानभास्कर' ॥ ६७ ॥ १० इति वदन भूपतिः शयनीयादुत्तत्स्थौ । ततो 'नमो जिनेन्द्रेभ्यः' इति वदन्ती संभ्रमपरा त्रिदशतटिनी 30 2) B मानुषजन्मनः (partly on the margin). 5) 0 चरणार वृन्दस्य, B.adds समुद्र before समुद्र मेखला, P चालयतः for पालवतः. 13) B inter. पवित्रं * पुत्रं. 14) B महोत्सवं. 24) PB om. दीक्षा ग्रहीष्यामः. 25) महादानसन्मानिताशेष, P वितन्वत for वितन्वावः, B adds सुष्वाप before सुप्तवा, 33) POस for सा बा. Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV. § 17 : Verse 67 ] कुवलयमालाकथा ४ * 73 1 पुलिनकल्पात्तल्पादुत्थाय कुवलयमाला पतिं प्रति प्रोवाच । 'एतावतीं वेलां यावद्गोस्वामिना किं चिन्ति- 1 तम् ।' राशा जल्पितम् । 'पृथ्वीसारं कुमारं राज्ये निवेश्य प्रव्रज्याग्रहणेनात्मानं साधयिष्ये' इति । तया 3 प्रोक्तम् । 'यदा विजयापुर्या आवां निःसृतौ तदा प्रियेण प्रवचनदेवता विशप्ता, यदि भगवति जीवन्तं तातं 3 परिपश्यामि राज्याभिषेकं च प्राप्नोमि ततः पश्चात्तनुजं राज्ये निवेश्य व्रतं गृह्णामि, ततो देवि शकुनोत्तमं विधेहि' इत्युदिते केनचिन्नरेणातपत्रमुपढौकितम् । ततः स्वामिना जल्पितम् । 'दयिते, प्रकृष्टमेतच्छकुनं 6 सर्वापि संपत्तिः संततिश्चास्माकं भाविनी' इति तत्सत्यं जातम् । सांप्रतं प्रव्रज्यापालनस्यानुध्यानं ततो 6 युक्तमेव । ततस्तयाभ्यधायि । 'धर्मस्य त्वरिता गतिः', अतो देव, कथं विलम्बः, त्वरित मेवात्महितं वितन्यते ' । राक्षोक्तम् । 'देवि, यद्येवं ततः कुत्रचिडुरवो विलोक्या येन यथा चिन्तितं प्रमाणपदवीमध्यारोहति ।' 9 ९ १६ ) ततः प्राभातिकं कृत्यं विधाय भूनायकस्तत्रैव दिने पृथ्वीसारं कुमारं राज्ये ऽभिषिच्य द्वितीय- 9 दिवसे शिरोगृहासनस्थौ नभोमध्यमध्यासीने नभोमणौ साधुयुगलं भिक्षार्थे भ्रमन्तं रथ्यामुखे वीक्ष्य प्रासादादुत्तीर्य सुखासनाधिरूढः कियजनावृतो गत्वा प्रणिपत्य प्रोवाच । युवयोर्निरामयः कायः ।’ 12 साधुभ्यामुक्तम् । 'कुशलमावयोर्गुरूणां चरणस्मरणप्रवीणान्तःकरणयोः' । राज्ञोक्तम् । 'गुरूणां किमभि- 12 धानम् ।' ताभ्यामुक्तम् । 'इक्ष्वाकुवंश्यः प्राप्तगुरुविनयस कलशास्त्रार्थः कन्दर्पदर्पसर्पस परिर्दर्पफलिकाख्यो गुरुः ।' राशोक्तम् । 'भगवान्, किमु स अस्मत्संबन्धी रत्नमुकुटस्य राजर्षेः पुत्रो दर्पफलिकः, किं 15 वापरः' इति । साधुभ्यामुक्तम् । स एव' । राज्ञा भणितम् । 'कस्मिन् स्थाने तिष्ठन्ति' । ताभ्यामुक्तम् 115 'राजन्, संसारमरुतरवस्ते गुरवः प्रधाने मनोरमोद्याने समवसृताः सन्ति' इत्युदित्वा मुनियुगलं विचर्य स्वस्थानमाजगाम । नृपतिरपि प्रासादमासाद्य कुवलयमाला महेन्द्रस्य च पुरो वृत्तान्तं सर्वमपि 18 निवेदयामास । अथ स चैवास्मद्धाता दर्पफलिकः संपन्नाचार्यपदः समवसृतः । ततः कुवलय चन्द्रः कुवलयमालया महेन्द्रेण च समं मनोरमोद्याने समागत्य भगवन्तं दर्पफलिकं प्रणिपत्य पप्रच्छ । 'तदा भगवन्, भवन्तश्चिन्तामणिपल्लीतो निःसृत्य कस्य गुरोरन्तिके प्रत्रजिताः । ततो भगवानु21 वाच | 'महाराज, तदा ततो निर्गत्य मया श्रीभृगुकच्छं गतेन मुनिरेको दहशे' । तेन 21 मुनिना प्रोक्तम् । 'भो दर्पफलिक राजपुत्र, मामभिजानासि ।' मयोक्तम् । 'भवन्तं सम्यग् नोपलक्षये ।' तेनोक्तम् । 'केन तव तच्चिन्तामणिपल्लीराज्यं दत्तम् ।' मयोक्तम् । 'भगवन् किं भवान् सः ।' तेनोक्तम् 24 'एवमेव' । मयोक्तम् । 'यथा तदा त्वया राज्यं दत्तं तथा संप्रति संयमराज्यदानेन प्रसादं तनु | 24 तेनोक्तम् । 'यद्येवं ततः कथं विलम्बः ।' तदा तेन मुनिना व्रतं दत्तम् । तेन सह विहारं कुर्वाणो ऽयोध्यायामागतवान् । तत्र च तव पिता दृढवर्मा तदन्तिके निष्क्रान्तः । स च मम गुरुस्तव जनकश्चोत्पन्न27 केवलशानौ सम्मेतशैलोपरि द्वावपि सिद्धिपदमीयतुः । अहं पुनर्भवत्प्रतिबोधाय समागमम् ।' तत एवं 7 पिशुनसंगतिमिव लीलावती लोचनप्रान्तमिव महाबलान्दोलितकदलीदलमिव शरत्समयघनाघनपटलमिव सुरेश्वरशरासनमिव चपलस्वभावं पदार्थजातं परिज्ञाय तत्पदान्ते कुवलयचन्द्रः कुवलयमालया 30 महेन्द्रेण च समं वतं जग्राह । कुवलयमालाप्यागमानुसारेण तपस्तत्वा सौधर्मे नाके सागरोपमद्वय - 30 स्थित्यायुस्त्रिदशः समभवत् । कुवलयचन्द्रो ऽपि समाधिना विषद्य तत्रैव विमाने तत्प्रमाणायुः समुदपद्यत । सिंहोऽप्यनशनकर्मणा तत्रैव देवो जातो ऽस्ति । स च भगवानवधिज्ञानी सागरदत्तमुनिॐ मृत्वा तस्मिन्नेव स्थाने सुरः समजायत । 18 § १७) अथ पृथ्वीसारः कियत्कालान्तरं राज्य सुखमनुभूय विरचितमनोरथादित्यनामतनुजराज्याभिषेकः संसारमहाराक्षसभयभ्रान्तस्वान्तः परिज्ञाय भोगान् भोगिभोगोपमान् गुरूणां चरणमूले प्रव्रज्य 36 कृतधामण्यः प्रदत्तमिथ्यादुष्कृतः पञ्चत्वमवाप्य तत्रैव विमाने सुधाशनो ऽजनिष्ट । एवं ते पञ्चापि तत्रैव 36 वर विमाने कृतसुकृताः समुत्पन्नाः । परस्परं ते विज्ञातपूर्व निर्मितसङ्केता जल्पितुं प्रवृत्ताः । 'दुस्तरं संसारrana पूर्व तथाधुनापि सकलसुरासुरनरसिद्धि सुखदायिनि भगवत्प्रणीते सम्यक्त्वे यत्न 39 एव कार्यः । इतोऽपि च्युतैरात्मभिः पूर्ववत्प्रतिबोधपरैः परस्परमेव भाव्यम् ।' तथेति प्रतिपन्ने तैस्तेषां 39 कालो व्यतिक्रामति । 33 अथ जम्बूद्वीपे दक्षिणभरते ऽस्यामेवावसर्पिण्यां युगादिजिनादितीर्थनाथेषु मोक्षं गतेषु सत्सु 42 ततः समुत्पन्ने चरमजिने श्रीमहावीरे पूर्व कुवलयचन्द्रदेवः स्वमायुः परिपाल्य स्वर्गतयुत्वा काकन्दी - 42 2 ) B पृथ्वीसारकुमारं 4 ) B पश्यामि for परिपश्यामि P प्राप्नोति for प्राप्नोमि . 5 ) P यदि ते for दयिते. 18 ) P B जगाद for निवेदयामास 36 ) P मिथ्यादुः कृतः संसारमहाराक्षसभयत्रांतस्वांतः परिज्ञाय भोगोपमान । गुरूणां चरणमूले पंचत्वमवाप्य तत्रैव वरविमाने कृताः समुत्पन्नाः। 37 ) B दुरुत्तरं दुस्तरं. 1) PB om. पतिं प्रति 10 Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *74 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. 8 17 : Verse 681 पुर्या प्रणतजनकुमुदामन्दप्रमोदकौमुदीशस्य शत्रुजनकुञ्जरकण्ठीरवस्य सत्पथजातिकस्य काञ्चनरथस्य 1 पृथ्वीपतेरिन्दीवरलोचनाभिधानप्रणयिनीकुक्षिभवो मणिरथकुमारस्तनयः समभवत् । स च क्रमेण 3 प्राप्तयौवनो गुरुजनैः प्रतिषिद्धो ऽपि वयस्यैर्निवारितो ऽपि सद्धिर्निन्द्यमानो ऽपि कर्मोदयेन नक्कंदिवा 3 पापद्धिं कुर्वन्न विरमति । अन्यदाच तस्यारण्ये प्रविष्टस्य श्रीवर्धमानजिनः केवलज्ञानशाली जगत्रयपतिः पवित्रितत्रिभुवनतलः काकन्द्यां समवसृतः । ततश्चतुर्विधदेवनिकायः समवसरणं चके । तत्र च श्रीमहा6वीरः स्वयं गौतमादीनां गणभृतां सौधर्माधिपतेरपरस्य च सुरासुरनिकरस्य सपरिजनस्य काञ्चनरथस्य 6 नरेशितुः पुरः सम्यक्त्वमूलं धर्म द्विविधं निवेदितुमारेभे। शङ्कादिदोषरहितं स्थैर्यादिगुणभूषितम् । पञ्चभिलक्षणैर्लक्ष्य सम्यक्त्वं शिवशर्मणे॥६८ आर्जवं मार्दवं क्षान्तिः सत्यं शौचं तपो यमः । ब्रह्माकिञ्चनता मुक्तियतिधर्मः प्रकीर्तितः॥ ६९ अहिंसादीनि पञ्चाणुवतानि च गुणत्रयम् । शिक्षापदानि चत्वारि गृहिधर्मः कुकर्महृत् ॥ ७० ६१८) इतश्चावसरं मत्वा तत्त्वानुगामिना प्रभूतजन्तुवधजातपातकाशङ्किना कृताञ्जलिना काञ्चनरथेन 12 राक्षा पृटम् । 'नाथ, मणिरथकुमारोभव्यः किमभव्यश्च' इति । भगवतादिष्टम् । 'अयं भव्यश्चरमशरीरश्च' 12 इति। नृपेण विज्ञप्तम् । 'भगवन् , यद्ययमन्तिमतनुस्ततः कथमनेकधा निषिध्यमानो ऽप्याखेटकव्यसनतो न निवर्तते, कदा पुनस्तस्य जिनधर्मे बोधिः।' तीर्थकृतोक्तम् । 'भद्र, त्वत्सूनुः प्रबुद्धःप्राप्तसंवेगरङ्ग इहैव 15 प्रस्थितः' इति । नृपेणोक्तम् । 'नाथ, केन वृत्तान्तेन तस्य वैराग्यमजायत।' जगन्नाथेन समादिष्टम् । 15 'इतो ऽस्ति योजनप्रमाणे भूमिभागे कौशाम्बं नाम वनम् । तत्र च बहवः कुरङ्गशूकरशशकसंघाताः परिवसन्तीति मत्वा कुमारः पापर्द्धिनिमित्तमागतः । तत्र च तेन भ्रमता एकस्मिन् प्रदेशे सारयूथमा18 लोक्य कोदण्डमारोप्य यावच्छरः सजीकृतस्तावत्सर्यमपि मृगकुलं काकनाशं ननाश । परं तदैकाकिनी18 मृगी कुमारं चिरममिवीक्ष्य दीर्घ निःश्वस्य निष्पन्दलोचना संजातहृदयविश्रम्भा निःशङ्का स्थिता । तां च तथावस्थितां दृष्या कुमारेण चिन्तितम् । 'अहो, महत्कौतुकम्, एतस्मिन् हरिणयुथे प्रनष्टे ऽपि 21 परमियं मृगी मदभिमुखं पश्यन्ती तथैव तिष्ठति' इति चिन्तयतस्तस्याभ्यासं सा समुपेयुषी। ततः21 सानेकश्वापदजीवान्तकरमर्धचन्द्रमालोक्यापि स्नेहनिर्भरहृदयेव स्थिता । ततः कुमारेण शरासनं शरश्चाभाञ्जि। 'यो ऽपराधरहितान् जन्तूनिहन्ति स महापापी' इत्येवं चिन्तयता प्रादुर्भूतजन्तुजात24 कारुण्यमैत्रीपूरितचेतसा तेन सा हरिणी सहर्षे करतलेन पस्पृशे । 34 यथा यथा तदनं स सरङ्गं स्पृशति स्फुटम् । तथा तथासौ जायेत बाष्पाविलविलोचना ॥ ७१ ततस्तस्या विलोकनेन कुमारस्य दग्भ्यां विकसितं सर्वाङ्गं रोमाञ्चकञ्चकः प्रससार । चेतसि परमः प्रमोदः आप्रवृत्तः । ज्ञातं यथा काप्येषा मम पूर्वसंबन्धिनीति । ज्ञानं मन्ये दृशोरेव नापरस्य च कस्यचित् । प्रमोदेते प्रिये दृष्टे दृष्टे संकुचतो ऽप्रिये ॥ ७२ 'जन्मान्तरे का ममैषासीत्' इति ध्यायतस्तस्य हृदि स्थितम् । अथैव तातः काकन्दी चम्पापुर्या 30 आयातः। अत्र च किल भगवान् श्रीमहावीरः समवसृतः । 'तस्य वन्दनानिमित्तं तत्राहमपि गमिष्यामि,30 येनैतद्वत्तान्तं पृच्छामि, कैषा मृगवधूः, अस्माकं जन्मान्तरे कीदृशि संबन्धे आसीत्' इति ध्यायंश्चलितः। 'स मृगी च सांप्रतं समवसरणवाह्यप्राकारगोपुरान्तरे द्वावपि वर्तेते' इति वदतस्तीर्थकृतः पुरो 33 मणिरथकुमारः समागतश्च प्रदक्षिणात्रयं दत्वा भगवन्तं नत्वा प्रपच्छेति च । भगवान् , निवेदय कैषा 33 कुरङ्गी ममोपरि परमप्रेमधारिणी।' ततो भगवान् ज्ञातकुलतिलकः सकलजन्तुसंघातबोधाय पूर्वभचं तं तयोराख्यातुमारेभे। 36९१९) अत्रैव भरते साकेतपुरम् । तत्र नाना कान्त्या च मदनो नृपः। तत्सूनुरनङ्गः कुमारः। तत्राढयो 36 वैश्रमण इव वैश्रमणः श्रेष्ठी । तदङ्गजः प्रियंकराख्यः, स च सीम्यः सुजनः कुशलस्त्यागी दयालु: श्रद्धालुः। अन्यदा वैश्रमणेन प्रातिवेश्मिकप्रिय मित्रपुच्या सुन्दर्या सह तनयस्य पाणिग्रहणमकार्यत । 39 द्वयोरपि प्रीतिमहती जाता। परस्परं स्तोके ऽपि विरहे तन्मिथुनं सोत्सुकचित्तं भवति । अन्यदा च 39 भवितव्यतयापटुतरशरीरे प्रियंकरे सा सुन्दरी बहुतरशोकशङ्कव्यथिता न भुनकिन नाति न जल्पति न गृहकृत्यं करोति, केवलं संभावितदयितपञ्चताधिकाभ्यन्तरतापलोचनप्रवर्तमानबाष्पजललवा विषीदन्ती 42 स्थिता । ततस्तथाविधकर्मसंयोगेन क्षीणे प्राणिते प्रियंकरः परलोकमियाय । ततस्तं मृतं विलोक्य 42 27 11) तत्त्वातत्त्वानुगामिना. 14) F सबुद्धः for प्रबुद्धः 21) Pतिष्ठत इति. 22) स्नेहमरनिर्भर (भर added on the margin). 23) PB शरश्वाभाजि. 31) om. अस्माकं 37) B inter. वैश्रमणः & श्रेष्ठी. Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - IV. § 21 : Verse 74] 1 परिजनो ऽतीवविषण्णमनाः । पिता प्रलपितुमारेभे । 'हा वत्स हा गुणावास हा सौभाग्यनिधे भवान् । प्रियंकर गतः कुत्र देहि प्रतिवचो मम' ॥ ७३ 3 स्वनैस्तच्छवं संस्कारार्थ गृहान्निष्कासितुमारेभे परं सा सुन्दरी स्नेहमोहितमानसा तत्संस्कारं 3 कर्ते न ददाति । ततः सा पित्रा मात्रा स्वजनेन च वयस्याभिर्विविधाभिः शिक्षाभिः शिक्षितापि तत्कुणपं न मुञ्चति । केवलं विलपन्ती अराजकमिति वदन्ती सुन्दरी तन्मृतकलेवर मालिङ्ग्य स्थिता । 6 पतिं पश्यति निर्जीवमपि जीवन्तमेव सा । स्नेहे नैव विचारः स्यान्मोहान्धितदृशां यतः ॥ ७४ 6 २०) ततो विषण्णमनसा स्वजनेन मान्त्रिकास्तान्त्रिकाश्च समाकारिताः । तैरपि विशेषः कोऽपि न समजनि । स्वजन 'इयमयोग्या' इति विचिन्त्य मुक्तास्तथैव तद्दिनं स्थिता । द्वितीयदिवसे तद्देहं 'श्वयथुना व्याप्तं ततो विगन्धः प्रससार । तथापि सा प्रेमपरवशा मृतकमालिङ्गन्ती परिजनेन निन्द्यमानापि 9 सखीभिर्वार्यमाणाप्येवं चिन्तयामास । 'अयं स्वजन इति जल्पति, 'यदयं मृत इयं च ग्रहिला', ततस्तत्र गन्तव्यं यत्र न कोऽपि स्वजनः' इति ध्यात्वा तच्छवं शिरसि समारोप्य मन्दिरतो निःसृत्य सुन्दरी 12 विस्मय करुणाबीभत्सहास्यरसवशेन जनेन दृश्यमाना श्मशानमुपाजगाम । तत्र प्रावृतजरचीवरगात्रा 12 रेणुधूसरितशरीराकृतोर्द्धकेशा महाभैरवव्रतमिवाचरन्ती भिक्षामानीय यत्किंचित्सुन्दरं तत्तदग्रे मुक्तत्वा, इति वदति । 'प्रियतम, यत्किंचिद्रम्यतरं तत्त्वं गृहाण पाश्चात्यं यत्किंचिद्विरूपतरं तन्मम देहि' इति प्रोच्य 15 भुङ्क्ते । एवं सा दिने दिने कृताहारा कापालिकबालिकेव राक्षसीव पिशाचीव स्थिता । तदा तत्पित्रा 15 प्रियमित्रेण पुरस्वामी विज्ञप्तः । 'यद्देव, मम सुता ग्रहगृहीतेव वर्तते । तत्तां यदि कोऽपि सकलीकरोति तस्य यथाप्रार्थितमहं ददामि' इति दाप्यतां मध्ये पुरं पटहः । एतत्तेन विज्ञप्यमानं कुमारेण श्रुतं चिन्तित 18 च । 'अहो, मूढा वराकी ग्रस्ता प्रेमपिशाचेन न पुनरन्येन तदहं बुद्ध्या एतां प्रतिबोधयामि' इति 18 चिन्तयता तेन विज्ञप्तो राजा । 'तात, त्वं यदि समादिशसि तदेतां वणिजः सुतां संबोधयामि ।' एवं विज्ञप्ते नृपेण भणितम् । 'वत्स, यदि स्वस्थां कर्तुं शक्नोषि ततो युक्तमेतत्क्रियतामस्य वणिज उपकारः । ' 21 ततो राजपुत्रः कमपि नार्याः शवं समानीय तस्याः समीपे मुमुचे । न च सा तेन जल्पिता न च तया 21 सः | यत्किचित्सा शवस्य करोति तदयमपि करोति । अन्यदा तया भणितम् । क एष वृत्तान्तः ।' तेनोक्तम् | 'एषा मम प्रियतमा सुरूपा सुभगा किंचिदस्वस्थशरीरा जाता ।' ततो लोको वदति । 'यद्रियं 24 मृता संस्काराही ।' मया चिन्तितम् । 'यदयं लोके ऽलीकभाषी ततो मया ततः समानीयास्मिन् श्मशाने 24 मुक्ता ।' तयोक्तम् | 'सुन्दरं कृतम्, आवयोः समानस्वभावयोर्मैत्री समभवत् ।' यतः "समानशीलव्यसनेषु सख्यम् ।” तेन भणितम् । 'त्वं मम स्वसा, एष मम भावुकः । किमभिधानममुष्य ।' तया 27 जल्पितम् । 'मम पतिः प्रियंकराभिधः । तयोक्तम् । 'तव प्रियायाः किं नाम' । तेन निवेदितम् । 'मम 27 प्रिया मायादेवी ति नाम ।' एवं परस्परसमुत्पन्नसंबन्धौ तौ वर्तते । यदा सावश्यककृत्यकृते प्रयाति तदा तदभिमुखं वदति । 'यदयं मद्दयितो द्रष्टव्यः ।' कुवलयमालाकथा ४ 10 ) 1 सखीभिर्वार्यमाणापि जल्पितुमारभत अय (11) 32 ) P हे मज्जीवेश. 33 ) B दिने 37 ) " लब्धचेतनेन, B तेन निर्दिष्ट 30) प्रयाति for याति 36 ) Binter. तत्र & तौ. 30 २१) यदा स कुत्रापि याति तदा तस्यास्तं शवं समर्प्य याति । अन्यदा तेनोक्तम् । 'भगिनि, तव 30 पत्या मम प्रिया किंचिद्भणिता तन्मया सम्यग् नावगतम् ।' तयोक्तम् । 'हे जीवेश, स्वत्कृते मया सर्वमपि कुलगृहपितृमातृप्रभृतिकं तृणवत्परित्यक्तं त्वं पुनरीदृशः, यदन्यामङ्गनामभिलपसि' इत्युक्तत्वा 33 किंचित्कोपपरा संजाता । पुनरन्यदिवसे सा शवं तस्य समर्प्य नित्यकृते गता । तत्पुनस्तेन शवद्वयमपि 33 कूपे निक्षिप्तम् । ततस्तदनुमार्गमनुसरन्नयं तथा भाषितः । 'कस्य त्वया तन्मानुषद्वयमर्पितम् ।' तेनापि गदितम् । 'मायादेवी प्रियंकरस्य रक्षानिमित्तमर्पिता, प्रियंकरो मायादेव्याध । तदावामपि तत्रैव 36 वजावः' इत्युदित्वा तत्र तौ समागतौ प्रियंकरं मायादेवीं च न ददृशतुः । ततः सा दुःखमुपागता । 36 सोऽपि च्छद्मना मूर्च्छितः । ततो लब्धचैतन्येन तेनादिष्टम् । 'भगिनि, किं कर्तव्यम्, यत्तव प्रियो मम महेलामादाय कुत्रापि गतः, तत्सुन्दरं तेन नाचरितम् । मदीयमिदमाचरितम् ।' ततः सुन्दरी 39; मुग्धस्वभावा चिरं चिन्तयति स्म 'यत्किल तेन मम स्वामिनामुष्य प्रिया हृतान्यत्र नीता च । तत 39 ईदृशोऽनार्यो निष्कृपणे निर्घृणः कृतघ्नश्च, येनेदृशमाचरितम् ।' ततस्तेन भणितम् । 'भद्रे, एवंविधे विधेये किं विधेयम् ।' तयोक्तम् । नास्मि जानामि, भवानेव जानाति किमत्र कर्तव्यम् ।' तेनोक्तम् । 'भद्रे, सत्यं * 75 वती for ध्यात्वा तत्सर्वशिरसि 14 ) Bom प्रोच्यमुझे. for दिवसे, B नित्यकृयकृते 35 ) B तेनापि निगदितं तत्रैव41 ) एवं विधेये तयोक्तं, P सत्यं शृगु. 1 Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 76 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. 21 : Verse 75 1 ततः शृणु । सर्वदैक एव जीवः संसारे परिभ्रमन्नस्ति, कः प्रियः, का प्रिया च, सर्वमपि संसारस्वरूपं । सौदामिनीव क्षणष्टनम् । सर्वथैवानित्यतादिभावनाः समाश्रय । वियोगान्ताः संयोगाः । पतनान्ताः समुच्छ्रयाः। महारोगा इव भोगाः । एष जीवः संसारे चतुरशीतिलक्षसंख्ययोनिषु नट इव विविधरूप- 3 भाग्भवतीति ज्ञात्वा सम्यक्त्वमङ्गीकुरु ' एवं च भो मणिरथकुमार, या सुन्दरी प्रबोधिता तेन गृहमुपागता च । तत्पित्रा महोत्सवो रचयांचके । सर्वत्र मध्ये पुरं प्रवृत्तः साधुवादो यदियं सुन्दरी 6 कुमारेण बोधिता। तावद्भो मणिरथकुमार, यः सुन्दरीजीवः स त्वं तदा कृतसम्यक्त्वरत्नयत्नः पञ्चत्व- 6 मवाप्य मानभटः संजातः। ततः पद्मसारनामा। ततः कुवलयचन्द्रः। ततो वैडूर्यनामा देवः। ततस्त्वं मणिरथकुमार इति । यः पुनर्वणिक्तनूजः स संसारं परिभ्रम्यास्मिन् वने मृगी समुदपद्यत । त्वां 9 दृष्ट्रोहापोहवत्या अस्याः प्राग्भवस्मरणेन त्वयि स्नेहः समुल्ललास ।' एवं च भगवता निवेदिते मणिरथ- 9 कुमारेण विज्ञप्तम् । 'एवं ममानेन दुःखावासेन संसारवासेनालं, भगवन् , प्रसादं विधाय मयि प्रवज्यारत्नं देहि' इति वदन कुमारः श्रीभगवता दीक्षितः। 12 २२) अत्रान्तरे गौतमेन गणभृता विज्ञप्तम् । 'भगवन् , अस्मिन् संसारे जीवानांमध्ये को जीवो 12 दुःखितः' इति । भगवता समादिष्टम् । 'सम्यग्दृष्टिीवो ऽविरतो नित्यं दु:खित एव ।' गौतमेन भणितम् । 'केन हेतुना ।' भगवता निवेदितम् । 'यः सम्यग्दृष्टिर्भवति स नरकतिर्यग्मनुष्यवेदनां 15 जानाति । ततः पुरतः संसारभावं प्रेक्षते । न च विरतिभावं करोति । अनुभवति वर्धमानसंतापो नरक-15 दुःखमिति । अत एव स दुःखितानामपि दुःखी।' पुनर्गोतमेन पृष्टम् । 'स्वामिन् , कः सुखी।' भगवतादिष्टम् । 'सम्यग्दृष्टिीवो विरतः स एव सुखितः । यतः, 18 देवलोकसमं सौख्यं दुःखं च नरकोपमम् । रतानामरतानां च महानरकसंनिभम् ॥ ७५ 18 एवमनेकधा भगवान् विविधजनपृष्ठसंदेहसंदोहभङ्ग वितत्य समुत्तस्थौ। ततस्त्रिदशवृन्दमपि स्वस्वस्थानं जगाम | भगवानपि श्रावस्ती पुरी प्रति जगाम । सुरैः समवसरणे कृते त्रैलोक्याधिपतिः सिंहासन21 मलंचकार । गौतमादयो गणभृतो यथास्थानं निविष्टाः । तत्रत्यो नृपती रत्नाङ्गदो भगवन्तं प्रणिपत्य 21 निषसाद । भगवता संसाराशर्मनाशिनी देशना निर्ममे । अत्रान्तरे गौतमस्वामिना सर्वमपि जानताप्ययोधजनबोधार्थ तीर्थनाथः प्रपच्छे । 'नाथ, जीवस्वरूपं निवेदय ।' ततो भगवता यथावस्थं सर्वमपि 24जीवस्वरूपं प्ररूपितम् । अथ तत्र बालमृणालकोमलभुजो भुजान्तरराजमानहारसारः कपोलपालिविल-24 सन्मणिकुण्डलः कोऽपि नरस्त्रिदशकुमार इव प्रविश्य जय जयेति वदन् त्रिजगदभिवन्द्यमभिवन्द्य बभाणेति । 'नाथ, यन्मया दृष्टं श्रुतमनुभूतं रजनीमध्ये तदधुना निवेदय, किमिन्द्रजालम् , किं स्वप्नः, सत्यं अवा।' भगवता भणितम् । 'देवानुप्रिय, यत्वया दृष्टं तदवितथमेव ।' एतदाकर्ण्य तत्क्षणमेव त्वरितपदं 7 समवसरणान्निःसृतः। ततो गौतमेन पृटम् । 'स्वामिन् , किमेतत्, अस्माकमपि महत्कौतुकम्। ततस्तीर्थकृतादिष्टम् । 'इतो ऽस्ति नातिदूरे ऽरुणाभं नाम नगरम् । तत्र रत्नगजेन्द्रो नाम नृपतिः। तत्तनुजः 30 कामगजेन्द्रः। स चान्यदा प्रियङ्गमत्या प्रियया सह मत्तवारणे निविष्टः। ततो नगरगतविभवविलासान् 30 प्रेक्षितुं प्रवृत्तः। ततः कस्मिंश्चिदणिग्मन्दिरोपरि कुट्टिमतले कन्यकामेकां कन्दुककेलिं कुर्वतीमद्राक्षीत् । तस्य तदुपरि महानुरागः समुत्पन्नः। सुरूपेऽपि कुरूपे ऽपि भवति प्रेम कुत्रचित् । रूपं स्नेहस्य नो हेतुर्वृथा रूपं ततोऽङ्गिषु ॥ ७६ 33 ६२३) तेन पार्श्वस्थितायाः कान्ताया भयेनाकारसंवरणमेव चके । तया तु तत्सर्वमपि लक्षितम् । तस्य राजपुत्रस्य तामेव ध्यायतो महत्युद्वेगे जाते तया चिन्तितम् । 'किं पुनरस्योद्वेगकारणम्, अथवा 36 शातं सैव वणिकपुत्री मत्पत्युश्चेतसि स्थिता। ततस्तया तां याचयित्वा प्रियः परिणायितः। ततस्तुष्टेन 36 तेनोक्तम् । 'प्रिये, साधु त्वया तदा मम मनोभाव उपलक्षितः । ततस्त्वं ब्रूहि कान्ते, कं ते वरं ददामि।' तयोक्तम्। 39 यत्किचित्त्वं पश्यसि शृणोषि यद्वानुभवसि यद्दयित । तत्सर्वमपि निवेद्यं मह्यं देयस्त्वयैष वरः ॥७७ 39 तेनोक्तम् । 'भवत्वेवम् ।' ततोऽन्यदा तत्र चित्रकृता तस्मै कुमाराय चित्रपटः समर्पितः । तत्र च चित्ताहादविधायिनी चित्रितां कनीमेकां विलोक्य विस्मयस्मरमनाः कुमारः पप्रच्छ । 'भोश्चित्रकर, 1.)P सर्वदा वैक एव. 3) Bom. संसारे. 4) Bom. या. 10) Pएवं मानेन B एवमनेन. 16) PB om. ततः पुरतः ete. to नरकदुःखमिति. 25)०त्रिजगदमिवद्य. 29) 0 नाम भूपतिः 31) PB प्रेषितुं for प्रेक्षितु. 32) B महाननुरागः 36) P ततस्तुष्टेनोक्त. 41) B भो चित्रकर. Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 77 मांप्रतं तु विधिप्रज्ञाप्रकषकाराय दुहिता दत्ता।... स्तपर्यस्त-12 -IV. 25 : Verse 77] कुवलयमालाकथा ४ 1कुमारीरूपं प्रतिकृत्याः कस्याश्चित्त्वया लिखितम्, किमुत स्वमत्या ।' तेन विज्ञप्तम् । 'देव, उज्जयिन्यां 1 महापुर्यामवन्तीनृपतेः सुताया:प्रतिच्छन्दः।' ततः कुमारः सादरं तां निद्रामिष नयनमनोहारिणी, शक्तिमिव हृदयदारणनिपुणां, शुद्धपक्षेन्दुकलामिव भृशं विमलां, महाराजराज्यस्थितिमिव सुविभक्त- 3 वर्णोपशोभितां, जिनश्रुतिमिव सुप्रतिष्ठिताङ्गोपाङ्गसुभगां विलोक्य क्षणं स्तम्भित इव, ध्यानगत इव, दृषनिर्मित इव, लेप्यमय इव स्थितः। ततः कृतकृत्य इव कुमारस्तं चित्रपटं देव्यै प्रदर्य जजल्पेति । 6'देवि, सुन्दरमुत्पद्यते यद्यषा कन्या लभ्यते।' तया प्रत्युक्तम् । 'देवि, निजरूपं चित्रपटे लेखयित्वायमेव 6 व्यावृत्त्य प्रेष्यतां, यथावन्तीपतिस्तद्दष्टा स्वयमेव दुहितरं ददाति ।' कुमारेणोक्तम् । 'प्रमाणमेतत।' ततस्तेन चित्रकृता चित्रपटः कामगजेन्द्ररूपसमन्वितोऽवन्तीभर्तुः पुरो दर्शितः तेनापि सुतायै दर्शितः। तमालोक्य जातानुरागां तां विज्ञाय राजा जगाद । 'युक्तमेतद्य दियं पुरुषद्वेषिणी ततोऽन्यं कुमारं 9 नाभ्यलषत् । सांप्रतं तु विधिप्रज्ञाप्रकर्षकशपट्टायमाने ऽस्मिन् कुमाररूपे भृशमनुरक्ता । ततो ऽस्या अयमेव वरो युक्तः।' इति ध्यात्वा राज्ञा तस्मै कुमाराय दुहिता दत्ता। 12६२४) ततः पित्रादेशेन कुमारो वल्लभया समं स्कन्धावारेण च चलितः। ततो ऽस्तपर्यस्त-12 किरणदण्डे चण्डरोचिषि निशाप्रथमयामार्धे प्रियया समं सुष्वाप । एवं द्वितीये यामे कस्याप्यपूर्व कोमलकरतलस्पर्शन विबुद्धः सन् कुमारो व्यचिन्तयदिति । 'यदीदृशः स्पर्शो नानुभूतपूर्व इति । 15 सर्वथायं मनुष्यस्पर्शी न भवति' इति चिन्तयता कुमारेण पुरस्त्रिभुवनाश्चर्यकारि रूपहारि कन्याद्वयं 15 निरीक्ष्य भणितम् । 'यद्भवत्यो मानुष्यो, किंवा देव्यो, ममात्र महत्कौतुकम् ।' ताभ्यामुक्तम् । 'आवां विद्याधी भवतः पार्श्वे केनापि हेतुना समायाते स्वः, परमावयोर्भवता परोपकारिणा प्रार्थना वृथा न . 18 कार्या।' कुमारेणोक्तम् । 'निवेद्यतामहं दुस्साध्यमपि भवत्कार्य साधयिष्ये ।' ताभ्यामुक्तम् । 'देव, 18 शृणु । अस्ति कुबेरदिग्भागे वैताढ्यः पर्वतः। तत्रोत्तरदक्षिणश्रेण्यौ विद्यते । उत्तरश्रेण्यां सुन्दरमानन्दमन्दिरं नाम नगरम् । यत्कीदृशं, बहुसौवर्णमन्दिरं बहुपुरुषसेवितं बहुजलाशयपरिगतं बहुकुमुदोप21वनम् । तत्र पृथ्वीसुन्दरः क्षमानेता। तस्य देवी मेखलाभिधा। तत्कुक्षिसंभवा बिन्दुमती कन्या। सारी च सुन्दरावयवाभङ्गभाग्यसौभाग्यभूमिका चारुचातुर्यकरण्डिका पुरुषद्वेषिणी। सा च वयोविभवकलाकलापपरिकलितेभ्यो ऽपि विद्याधरकुमारेभ्यः कदापि न स्पृहयति । ततः सा यौवनस्था गुरुजनेन 24 जल्पितेति । 'वत्से, स्वयंवरं वरं गृहाण।' तदाकये तयावां भणिते । 'यदि, सख्यौ युवा भणथस्तदैकदा 24 दक्षिणश्रेण्यां भवतीभ्यां सह परिभ्रमामि' इति । आवाभ्यामप्युक्तम् । 'एवं भवतु' इत्युदित्वा गगनतलमुत्पत्य गिरिवरकाननान्तरे वयमवतीर्णाः । तत्र क्रीडन्तीभिरस्माभिः किंनरमिथुनमेकं कामगजेन्द्र37 कुमारस्य गुणग्रामगानं कुर्वाणं समाकर्णितम् । प्रियसख्योक्तम् । 'सखि, पवनवेगे, अग्रतो भूत्वेदं पृच्छ,27 क एष कुत्रत्यो वा कामगजेन्द्रकुमारः, यस्याधुना गीतमुद्गीतम् । ततस्तया किंनर्या निवेदितम् । 'विद्याधरबाले, कामगजेन्द्रः स कदापि न दृष्टः श्रुतश्च न । तर्हि यदि तेन कार्य तदमुं किंनरं पृच्छ ।' 30 तेन भववृत्तान्तः सर्वोऽपि कथितः। तदिदं श्रुत्वा तया बिन्दुमत्याः पुरो गदितम् । तदाकर्णनेन 30 तदिनादारभ्य बिन्दुमती तुहिनक्लिष्टा कमलिनीव प्रियवियुक्ता राजहंसिकेव मन्त्राहता भुजङ्गीव नि:श्रीका निर्वचना निःप्रसरा तनोत्यालेख्यम्, न शृणोति गीतं न वादयति वीणां, केवलं मत्तेव ग्रहगृहीतेव 33 मृतेव जाता। सखीभिर्भाषितापि सा किमपि नोत्तरं ददाति । मया ज्ञातं यदेतस्याः कामगजेन्द्र एव 33 ध्याधिनिदानम् । अतोऽमुष्यास्तत्संगम एव महौषधम् । यतोऽग्निदग्धानामग्निरेवौषधं विषक्लान्तानां विषमेव । इति विचिन्तयन्त्या मया भणिता मानवेगा। 'वयस्ये अमुष्याः कामगजेन्द्र एव चिकित्सकः।' 36 तत आवाभ्यां भणितम् । 'प्रियसखि, विश्वस्ता भव' तथा करिष्यावः, यथा तं कुमारमानीय तव 38 व्याधिमपनेष्यावः।' तयोक्तम् ।' 'तदानयनाय युवां वजथः।' २५) तयेत्यावां प्रतिपद्य तस्मिन्नपि गिरिकुहरशिलातले कमलकोमलदलविरचिते सस्तरे तां 39 बिन्दुमती विषादं कुर्वन्तीं निवेश्य प्रचलिते, परं न जानीवः कुत्र सा पुरी यत्र त्वं भवसि, कुत्र भवान् 39 प्राप्य इति । एतदर्थपरिशानाय भगवती प्राप्ती समाराधिता। ततस्तया प्ररूपितम् । 'यथैष कुमार उज्जयिन्यां गच्छन् वनान्तरे रचितशिबिरसंनिवेशः सांप्रतं तिष्ठति ।' एतन्मत्वावां भवदन्तिके समा42 याते। अतः परं सांप्रतं देव, तवायत्तं प्रियसख्या जीवितमिति मा विलम्बस्व त्वरितमेवोत्तिष्ठ यदि 42 3) मुविभक्तिवर्णोप. 12).B has a marginal note on अस्तपर्यस्त etc. : अस्तस्थाने पर्यस्तः पतितः किरणदंडो यस्य स तथा 1. 13) Pom. चण्ड, P प्रियासमं. 27) P सखे पवन. 32) Badds न after निःप्रसरा. 34) PB औषधं for महौषध. Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * 78 13 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. 25 : Verse 781जीवन्ती बिन्दुमती कथंचिदृश्यते ।' कुमारेणोक्तम् । 'यद्यप्यवश्यं गन्तव्यं तथापि देव्याः पुरो निवेद- 1 यिष्ये ।' ताभ्यामुक्तम् । 'त्वमीदशः स्वामी सर्वनीतिपरायणः कथं स्त्रीणां रहस्यं कथयसि, किं न श्रुतस्त्वया जनैर्वक्ष्यमाणः श्लोकः। - 'नीयमानः सुपर्णेन नागराजोऽब्रवीदिदम् । यः स्त्रीणां गुह्यमाख्याति तदन्तं तस्य जीवितम् ॥ ७८ ततो न कथ्यं नारीणां रहस्यम् ।' कुमारेणोक्तम् । 'किमपि कारणमत्रास्ते, एकदा मया तस्या वरो 6 दायि, यत्किचिच्छ्रतं दृष्टमनुभूतं तत्सर्वमपि निवेदयिष्ये ।' ततः कुमारःप्रोवाच । 'प्रिये, संप्रति 6 वजामि।' तयोदितम् । 'यत्किंचिद्देवाय रोचते देवस्तत्तनोतु ।' ततो देव्या विहिताञ्जलिपुटया विद्याधौँ विज्ञप्ते । 'अयं पतिर्मया भवत्योासीकृत इत्यहाय इहानीय मोक्तव्यः। ततस्ते तं कुमार विमानमारोप्य गगनतलमुत्पतिते । ततस्तस्य प्रिया 'माया काप्यत्र, किं स्वमो वा, हृत एताभ्यां मम पतिरेष्य-9 तीति किं वान' इति ध्यायन्ती यावद्विषण्णा तिष्ठति तावत्स्तोकावशेषक्षणदायां विमानं प्राप्तमेव । ततस्तहष्टा तद्भार्या नलिनीवनविलोकनेनेव मरालिकाभिनवजलददर्शनेनेव शिखण्डिनी प्रमुदिता जाता। 19 ततस्तया दृष्टे विद्याधी कामगजेन्द्रोऽपि। ६२६) अथ विमानादवतीर्य वीर्यशाली शयनीये निविष्टः । प्रोचतुस्ते । 'भद्रे, स्वपतिासीकृतस्त्वयावयोर्यः स चेदानीं समानीय समर्पितोऽस्ति' इत्युदित्वा ते समुत्पत्य गते । ततोऽसौ पादपतन15 मातत्य पप्रच्छ । 'देव, भवान् क गतः, कुतो वा प्राप्तः, किं त्वया दृष्टम्, किमनुभूतम्, किमवस्था सा15 विद्याधरी प्राप्ता । एतत्प्रसद्य सद्यः कथयस्व ।' कुमारः समाख्यातुं प्रववृते । 'इतो विमानाधिरूढेन मया योनि वैताठ्यपर्वतकन्दरोदरे मणिप्रदीपप्रज्वलनप्रद्योतितदिक्चक्रं नवीनं भुवनमेकमदर्शि तत्र नलिनी18 दलास्तरे विद्याधरकुमारी च । ततस्ते मृणालकोमलवलयां चन्दनकपूररेणुधवलां कुरङ्गीशमिमां 18 कुमारी जीवन्तीमभिवीक्ष्य प्रमुदिते ऊचतुः। 'प्रियसखि, प्रमोदं भज, एष तव मनो ऽभिरुचितो दयितः प्राप्तः, यत्कृत्यं तदाचर' इति वदन्तीभ्यां सखीभ्यां तदङ्गतो नलिनीदलान्यपनीतानि । इति यावत्ते सम्यक्पश्यतस्तावत्तस्याङ्गोपाङ्गानि शिथिलीभूतानि । ततो दयिते, ताभ्यां तदृष्ट्वा पूत्कृतं 'यदियमावयोः। स्वामिनी मरिष्यति ततोऽहमपि ।' 'किमेतत्' इति ध्यायन् विलोकितुं प्रवृत्तो-यावत्तावत्सा विनिमीलितलोचना निश्चलाङ्गोपाङ्गा पश्चतामुपागता। मया भणितम्। 24 'भवतो न देव रचितुं युक्तमिदं गगनगामितनुजा यत् । मम विरहदुःसहानलसंतप्ता मृत्युमुपनीता ॥ ७९ इति जल्पनाह मोहमुपागतः क्षणेन विबुद्धस्तयोःप्रलापान् शृणोमि। 27 प्रियसखि कुपिता किं त्वं प्रतिवचनं नो ददासि को हेतुः। किं कृतमप्रियमेतत् यदयं दयितः समानीतः॥ ८० ६२७) मयोक्तम् । 'यदस्यै कालयोग्यं तत्कार्यम् ।' ततस्ताभ्यामुद्याचलचूलावलम्बिनि किरण30 मालिनि चन्दनदारूण्यानीय प्रपञ्चितायां चितायां तदनं निक्षिप्तम् । तद्दत्तो हुताशनः प्रसृतः । 'एतां 30 विनावयोर्जीवितेन किम्' इति गदित्वा चिरं विलप्य च तत्रैव ते ऽपि प्रविष्टे । एवं त्रितये ऽप्यस्थिशेषी भूते क्षणमेकमहमपि मुद्गरेण प्रहत इव महाशोककुन्तेन प्रभिन्न इव व्यचिन्तयमिति । 'पश्य विधि33 विलसितम् , यदियं विन्दुमती मदनुरागेण विपन्ना तहःखेन एते च । ततः किं ममैतेन स्त्रीवधकलङ्क- 33 कलुषितेन जीवितेन । ततो ऽमुमेव चितानलं प्रविश्य स्वस्य कलङ्कमुत्तारयामि' यावदिति प्रिये, चिन्तयन्नस्मि तावद्विद्याधरमिथुनमध्ये विद्याधर्योक्तम् । 'विलोकय यदयं कीदृशो निर्दयः कुमारः, इयं 36 वराकी मृता, अयं पुनरद्यापि जीवति ।' विद्याधरेणोक्तम् । 'मैवं वादीः, यतः स्त्रियः पत्यो मृते चितायां 38 प्रविशन्ति पुनः सत्पुरुषेण महिलाविनाशे स्ववधो न विधेयः। एतदाकर्ण्य मया चिन्तितम् । 'यदनेन युक्तमुक्तम् । तत एतस्यां विन्दुमत्यनुकारिण्यां वाप्यां नीरलावण्यपूर्णायां विकसितनीलेन्दीवरलोचनायां 39 चलद्धवलमृणालवलयकलितायां विकसितशतपत्रवरवायां तरलजलतरङ्गरगद्भङ्गिकटाक्षच्छटायां 39 विकटकनकतटनितम्बफलकायामहमवतीर्यतासां तिसृणां जलाआलं ददामि' इति चिन्तयित्वावतीर्णो दयिते, तां वापी यावन्मजनोन्मजनं कृत्वा निर्गतस्तावत्तत्र सर्वमप्यपूर्व पश्यामि । व्योमतलस्पर्शिनः 42 शाखिनः। महाप्रमाणा औषध्यः। उच्छूिताङ्गास्तुरङ्गाः। पञ्चचापशतमाना मानुषाः । महादेहाः पक्षिणः। 42 ____4) वीदिति. 9) एव ताभ्यां for एताभ्यां. 11) B नलिनवन. 15) पादपतनमातन्य. 16) Bom. सधः. 19) Bom. कुमारी, B वीक्ष्य सप्रमुदितमूचतुः. 21) B inter. ताभ्यां तहट्टा. 29) कालस्य योग्य. 31) B ते for तेऽपि. 36) Badds एतत्कृते before मृता. Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV.5 28 : Verse 80] कुवलयमालाकथा ४ *79 1 ६२८) मया चिन्तितम् । 'सर्वथा नास्माकीनं स्थानम् , तत्र सप्तहस्तवपुषः पुरुषः, सर्वथायमन्यो 1 द्वीपः' इति यावद्विचिन्तयामि तावदयिते, सा वापी विमानत्वमभजत् । 'तदहं कमपि पुरुषं पृच्छामि 3क एष द्वीपः' इति चिन्तयता मया दारकयुगलं विलोक्य पृष्टम् । 'कोऽयं द्वीपः । ततो मां कृमिमिव 3 कुन्थुमिव पिपीलिकापोतमिव विलोक्य ताभ्यां विस्मयस्सेरमनोभ्यां निवेदितम् । 'वयस्य, तदिदमपूर्व विदेहमहाक्षेत्रम्। मया चिन्तितम् । 'अहो, अतिश्रेष्ठं संजातं, इदमपि द्रष्टव्यमभूत् ।' यावदिति 6चिन्तयन्नस्मि तावत्ताभ्यामहं कृमिरिव कौतुकात्करतलेन संगृहीतः । ततः श्रीसीमंधरस्वामिसमव- 6 सरणान्तर्मुक्तः। ततो मया भगवान् सिंहासनस्थः प्रणतः। ततस्तत्रत्येन केनचिन्नपेण प्रस्तावमासाद्य पृटम् ।' 'क एषः।' ततो भगवता निवेदितुमारेभे । 'अस्ति जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे मध्यमखण्डे ऽरुणाभं नाम नगरम् । तत्र रत्नगजेन्द्रो नाम राजा। तदङ्गजः कामगजेन्द्र एष कुमारः। एताभ्यां देवाभ्यां 9 'स्त्रीलम्पटः' इति मत्वा स्त्रीवेषं विधायापहृत्य वैताढ्यकन्दरान्तरानीतः। तत्रालीकभवने 'विद्याधर बालिका तव वियोगेन मृता' इति ते उक्त्वा तां चितामारोप्य तामनु विलपन्त्यो खेनापि प्रविऐ तत्रैव 12 दग्धे च । सापि माया विद्याधरमिथुनता। प्रवुद्धो वाप्यां समागतः। ततो वापीव्याजेन जलकान्त- 12 यानेनात्राभ्यामानीयैष मदन्तिके सम्यक्त्वलाभार्थमवसरे मुक्तः।' राज्ञेति पृष्टम् । 'भगवन् , एतयोरेतस्थानयने किं कारणम् ।' भगवतादिष्टम् । 'पञ्चभिर्जनः पूर्वभवे सङ्केतः कृतो यदेकेनैकस्य परस्परं 15 सम्यक्त्वं दातव्यमिति । पूर्व मोहदत्तः १ ततः स्वर्गी २ ततः पृथ्वीसारः ३ पुनः स्वर्गी ४ पुनरेष 15 चरमदेहः कामगजेन्द्रः ५ समुत्पन्नः। तत्त्वं बुध्यस्व मा मुद्य, यथाशक्त्या विरतिं गृहाण' इति स्वामिनोक्तम् । ततः प्रिये, राज्ञा पुनः पृष्टम् । प्रभो, अयं लघुः कथं वयमुच्चैस्तराः ।' भगवता भणितम् । 18 इदमपूर्वमहाविदेहक्षेत्र, अत्र तु सुपमा कालः सैष शाश्वतः, महादेहा देहिनः। तत्र पुनर्भरतक्षेत्रं, दुःषमा 18 समयः, स अशाश्वतः, अतस्तुच्छतनवो जनाः। ततो ऽपि राज्ञा पृष्टम् । कावेतौ देवौ ।' जिनेनोचे । 'यैः पञ्चभिः सङ्केतः कृतः, तेषां मध्ये एतौ द्वौ देवौ।' २९) एवं भगवता निवेदिते यावन्मया मस्तकमुशामितं तावदहं स्वमिहेव कटके पश्यामि, 21 एतदेव शयन, एषा भवती देवी' इति । तया भणितम् । 'देवो यदाज्ञापयति तदवितथमेच, परं किमपि विज्ञपयामि, एतद्वृत्तं त्वया कथितम् , अत्रोद्तो ऽरुणोपि महद्वृत्तं निवेदितं परमेष कालः स्तोकः।' 24 कुमारेण भणितम् । 'यतो मनसा देवानां वाचा पार्थिवानां, यो मया भगवान् श्रीसीमंधरस्वामी दृष्टः 24 सोऽद्यापि मम हृदयाग्रत एवावतिष्ठते । अथवा किमत्र विचारेण, भगवान् श्रीमहावीर एतस्मिन् प्रदेशे समवसृतः श्रूयते तमेव गत्वा पृच्छामि सत्यमसत्यं वैतत् । यदि भगवान् समादेष्यति तत्सत्यमन्यथा 7 माया' इति वदन् समुत्थाय कामगजेन्द्रः प्रस्थितः। प्रियया पृष्टम् । 'यदिदं सत्यं तदा किं कर्तव्यम् ।' 27 तेनोक्तम् । 'सत्ये जाते व्रतं ग्राह्यम् ।' तयोक्तम् । 'यदि देवो दीक्षा ग्रहीष्यते तदाहमपि' । 'एवं भवतु' इति वदन् कुमार एष प्राप्तो मम समवसरणम् । अमुना प्रणम्य पृष्टो ऽहम् । 'किमिन्द्रजालं, किमु 30 सत्यम् ।' मयोक्तम् । 'सत्यमेतत् ।' एतन्निशम्य समुत्पन्नवैराग्यः कटकनिवेशं गतः।' गौतमस्वामिना 30 पृटम् । 'भगवन् , इतो गतेन तेन किं कृतम्, संप्रति च किं तनोति, कुत्र वा वर्तते।' भगवतादिष्टम् । 'इतो गत्वा देव्याःपुरः सत्यमिदमिति निवेद्य पितरौ दिग्गजेन्द्राख्यं खं सुतं चापृच्छय संमानितबन्धुजन 33 एष संप्रति समवसरणबाह्यप्राकारगोपुरस्याग्रमागतो वर्तते' इति भगवति वदत्येव सत्वरं समागतः। 33 ततो भगवता कामगजेन्द्रकुमारो वालुकाकवलनमिव निस्वाद, क्षुद्रबीजकोशाभक्षणमिवातृप्तिजनकं, क्षारनीरपानमिव तृष्णावर्धकं, बन्धनहेतुः(?) मिथ्यात्वमिव भववर्धक, उपहासपदं, विद्वजननिन्दनीयं, 36 विषयसुखसेवनं मन्यमानो वल्लभया तया परिजनेन च समं प्रवाजितः। तेनान्यदा भगवान् पृष्टः । 'कुत्र ते 36 । पञ्च जनाः प्रवर्तन्ते। भगवतोदितम् । 'द्वौ देवी स्तः, तावप्यल्पायुषी। शेषाः पुनर्मनुष्यलोके । ततो दर्शितो भगवता मणिरथकुमारमहर्षिः । एष मानभटजीवः। तत्रभवे भवान् मोहदत्त इति, तस्य जीवो 39 भगवान् कामगजेन्द्रः। एको लोभदेवजीवः, सोऽपि मर्त्यभवे ऽवीणों ऽस्ति, तस्य चैरिगुप्त इति नाम । 39 सर्वेषामस्मिन् भवे सिद्धिः' इत्यादिशन् भगवान् श्रीमहावीरः समुत्थितवान् । अन्यदिने भव्यकुमुदमृगाङ्कत्रिभुवनभवनप्रदीपः श्रीवर्धमानः काकन्दीपुर्या बाह्योद्याने समवसृतः । सदसि जीवाजीवपुण्य 2)" इति विचितयामि. 10) Padds च befor वैतान्य. 18) B इदं पूर्वमहा, PB दुःखमा. 19) B भूयोपि for ततोऽपि. 27) 3 ततः for तदा. 31) Bom. भगवन्. Jain Education Interational Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3 *80 रसप्रभसूरिविरचिता [IV. 29 : Verse 801पापानवरनिर्जराबन्धमोक्षस्वरूपमाचख्यौ। ततो गौतमेन पृष्टम् । 'भगवन्' कथं जीवाः कर्म बध्नन्ति ।' 1 भगवतोक्तम् । 'लेश्याभेदैर्जीवाः शुभाशुभं कर्मार्जयन्ति । अत्र जम्बूफलभक्षणदृष्टान्तः । ३०) एकदा कस्माद्रामात् षट् पुरुषाः परशुविहस्तहस्ताः समुन्नततरुच्छेदाय काननान्तः 3 प्रविष्टाः। तैरेकस्मिन् शाखिनि भक्तं स्थापितम् । तत्र भक्तपादपे समारुह्य केचिद्वानरास्तत्स भक्षयित्वा तद्भाजनमपि भङ्क्त्वा प्रतिनिवृत्ताः। ते वनच्छेदका अपि मध्याह्ने बुभुक्षाक्षामकुक्षयस्त6षातरलितचेतसस्तत्र तद्भक्तं न पश्यन्ति, भाजनमपि भग्नमालोकयन्ति । ततस्तैरिति परिज्ञातम् । 'यल- 6 वगयूथेन सर्वमपि भक्तमास्वादितम्, तावदस्माकं बुभुक्षितानां का गतिः' इति ध्यात्वा समुत्थाय फलान्वेषणाय प्रवृत्तास्ते एकं जम्बूपादपं फलितं दृष्ट्वा परस्परं मन्त्रयन्ति 'कथयत, कथं जम्बूफलभक्षणं करिष्यामः।' ततो जम्बूफलानि दृष्ट्वा तत्र तेषां मध्यादेकेनोक्तम्। 'सर्वेषामपि पञ्चशाखाः परश्वधायुधव्यग्रा 9 वर्तन्ते, ततो मूलादप्येनं छित्त्वा फलभक्षणं कुर्मः।' तन्निशम्य द्वितीयेनोक्तम् । 'अस्मिन् पादपे मूलादपि च्छेदिते भवतां को गुणो भविष्यति, केवलमस्य शाखा एव च्छिद्यन्ते ।' तृतीयेन भणितम् । 'न शाखा 12 केवलं फलिता एक प्रतिशाखा गृह्यन्ते।' चतुर्थेनोक्तम् । 'न प्रतिशाखाः, केवलं स्तबका एव पात्यन्ते । 12 पञ्चमेनोक्तम् । 'ममैव बुद्धिरिह विधीयताम, लकुटेनाहत्य पक्कजम्बूफलानि पातयत ।' ततः किंचिद्विहस्य षष्ठेनोक्तम् । 'भो नराः, भवतां महदज्ञानम्, महान् पापारम्भः, स्तोको लाभः, किमत्र 15 प्रारब्धम्, यदि जम्बूफलभक्षणेन वः कार्य तदैतानि पक्कानि शुकसारिकादिभिः पातितानि स्वभावत: 15 पतितानि जम्बूफलानि स्वैरं भक्षयत, नो वान्यत्र व्रजत' इति ते सर्वे ऽपि तैर्धरापतितैरेव फलैः सौहित्यसुखिता जज्ञिरे। सर्वेषामपि फलोपभोगः सदृश एव, परं पुनस्तत्र बहुविधं पापं येनेत्युक्तम् । 18'अयं पादपो मूलादपि च्छिद्यते स मृत्वा कृष्णलेश्ययावश्यं नरकातिथिरेव । द्वितीयेनोक्तम् । 'यच्छाखा 18 एव च्छेद्या' स नीललेश्यया विपद्य नरकं तिर्यक्त्वं वा प्राप्नोति । तृतीयेनोक्तम् । 'यत्प्रतिशाखा एव ग्राह्याः' स कापोतलेश्यया तिर्यग्योनावुत्पद्यते । चतुर्थेनोक्तम् । 'यत्केवलं स्तबका एव संगृह्यन्ते स तेजोलेश्यया नरो भवति ।' पञ्चमेनोक्तम् । 'यत्पकानि पकानि फलानि पात्यन्ते स पद्मलेश्यया देवत्वं 21 लभते।' षष्ठेनोक्तम् । 'यत्केवलं भूमिपतितान्येवास्वाद्यन्ते' स शुकलेश्यया सिद्धिसुखभाग् । ततो गौतम पश्य त्वं, यदेकस्मिन् भक्षणकार्य षण्णामपि लेश्याभेदः पृथग भिन्नश्च कर्मबन्धः। यश्छिन्द्धि भिन्द्धी24त्यादिकं कर्कशं वचो जल्पति, यस्य न दया न सत्य स कृष्णलेश्यः । यः पञ्चकार्याण्यनार्याणि समाचरति 24 षष्ठं पुनर्धर्मार्थ स नीललेश्यः। यश्चत्वारि कार्याणि पापमयानि तनोति द्वयं धर्सनिमित्तं स कापोतलेश्यः। यस्त्रीणि कार्याणि पापार्थ त्रीणि च धर्महेतवे स तेजोलेश्यः। यः कार्यद्वयं पापार्थ चत्वारि 27 धर्मकारणे स पद्मलेश्यः। य एक कार्य पापहेतवे पञ्च धर्मार्थ च स शुक्कुलेश्यः। तया जिनत्वमाप्नोति ।' 27 तद्भगवतो भणितं सर्वैरपि सुरासुरनरेश्वरैस्तथेति प्रतिपन्नम्। ३१) अत्रान्तरे राजपुत्र एकः प्रलम्बभुजदण्डः सुवेषो वक्षःस्थलविलसद्वनमालः समवसरणे 30 भगवन्तं प्रणिपत्य प्रोवाच । 'भगवन् , किं तत्सत्यम्, यदिव्येन बन्दिना तत्र मम निवेदितं तन्मङ्गलम-30 मङ्गलं वा।' भगवतोक्तम् । 'भद्र, सत्सर्वमपि तथ्यमेव ।' तदाकर्ण्य 'भगवदादेशः प्रमाणम्' इति गदित्वा समवसरणतस्तस्मिन्निर्गते गौतमेनाभ्यधायि । 'नाथ, को ऽयं पुमान् , किमेतेन पृष्टम् ।' 33 ततो भगवतानेकलोकप्रतिबोधाय समाचचक्षे । 'समस्ति जम्बूद्वीपे भरतक्षेत्रे मध्यमखण्डे 33 ऋषभपुरं नाम नगरम् । तत्र चन्द्रमण्डलकरनिकरनिर्मलकीर्तिस्फूर्तिशाली चन्द्रगुप्तः क्षितिपतिः । तत्सुनुरनूनविक्रमो वैरिगुप्तः । तस्यान्यदिने मेदिनीस्वामिनः सभासीनस्य समागत्य प्रणिपत्य च 36 प्रतीहारी व्यजिज्ञपदिति । 'देव, द्वारे नगरप्रधाननरा भवच्चरणदर्शनमभिलषन्ति ।' तदाकर्ण्य 36 राज्ञोक्तम् । 'त्वरितमेव प्रेष्यन्ताम् ।' ततस्तया सह तैर्नरः प्रविश्य किमप्यपूर्व च वस्तु प्राभृतीकृत्य राजानं प्रणम्य विज्ञप्तम् । “दुर्बलानां बलं.राजा" इति परिभावयतु देवः । सर्वमपि नगरं केनापि मुषितम् । 39 यत्किंचिच्चारु तदखिलमपि निशि हियते।' राशोक्तम् । 'यूयं व्रजत स परिमोषी विलोक्यते लग्नः। 39 ततो राज्ञा पुरारक्षमाकार्य समादिष्टम् । 'अहो, मध्ये पुरं महांश्चौगेपद्रवः' इति । तेनापि विज्ञप्तम् । 'न 12) om. न. 14)vadds (above the line)संतु before केवलं. 16)s repeats स्वैर (below the line). 17) B adds तस्य (above the line) after पापं. 21) Bअप त्वानि for second पक्वानि, PB add वा before फलानि. 22) Badds भवति after भाग्. 37) B om. च. 40) B acids देव before न दृश्यन्ते. Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *81 -IV.833 : Verse 85] कुवलयमालाकथा ४ 1दृश्यन्ते ह्रियमाणाः पदार्थाः, न चौरोऽपि लोचनगोचरः। केवलमेतदेव सर्वत्रापि प्रातः परिश्रूयते यत्पुरं 1 मुषितम् । अहं देवादेशेन पुरपरित्राणं करोमि. परं केनाप्युपायेन न मलिम्लुचोपलब्धिः। ततः स्वामी ३ कस्याप्यन्यस्यादेशं ददातु।' तस्मिन्नेवमुक्तवति नरेश्वरेण सकलमप्यास्थानमण्डलमालुलोके । ६३२) ततो वैरिगुप्तेन विरचिताञ्जलिना विज्ञप्तम् । 'यदि देव, सप्तरात्रमध्ये तं स्तेनं देवान्तिक नानयामि ततोऽहं ज्वालाकुलं ज्वलनमाविशामि' इति । ततो राजादेशमासाद्य वैरिगुप्तस्य सुगुप्तविधिना 6 प्रकोष्ठनिक्षिप्तखेटकस्य करतलकलितकरालकरवालस्य चत्वररथ्यामुखगोपुरारामसरोवरवापीदेवकुल- 6 पानीयशालामठेषु विचरतः षड् दिवसा व्यतिचक्रमुः, न पुनस्तेन स चौरपुमानुपलब्धः । ततः सप्तमे दिवसे वैरिगुप्तेन चिन्तितम् । 'सर्वत्र मयान्वेषितं पुरं परं न चौरः प्राप्तः, तदत्र को ऽयमुपायो विधेयः, 9 मम च प्रत्यूषे प्रतिज्ञा परिपूर्णा तावदागता ममापूर्णसंधस्य पश्चता, तदद्य क्षणदायां श्मशाने महामांसं . विक्रीय कमपि वेताल साधयित्वा चौरवृत्तान्तं पृच्छामि' इति विचिन्त्य वैरिगुप्तः श्मशानभुवं संप्राप्तः। तत्र च तेन महासाहसिना क्षुरिकया जङ्घयोर्महामांसमुत्कृत्य हस्ते विधाय वारत्रयं भणितम् । 'भो भो 12 राक्षसाः, पिशाचा वा श्रूयताम् , यदि भवतां महामांसेन कार्य तदेतद्गृहीत्वा चौरवृत्तान्तं निवेदयत ।' 12 वेतालेनोक्तम् । 'महामांसमहं प्रहीष्ये।' कुमारेण भणितम् । 'प्रमाणमेतत् , परं चौरप्रचारः परिकथनीयः।' कुमारेणार्पिते महामांसे तेनोकम् । 'भद्र, मांसमिदं स्तोक विस्त्रं च, यद्यग्निना पक्कं भवान् ददाति तदा 16 गृहामि ।' कुमारेण भणितम् । 'चितासमीपमागच्छ यथा खेच्छयाग्निपक्कं स्वमांसं भवते ददामि। 15 वेतालाप्रोवाच । भवत्वेवम्।' ततस्तौ चितासमीपमाजग्मतुः। कुमारेणापरं स्वमहामांसं पक्कं तस्मै प्रदत्तम्। तेन च खेच्छया भुक्तं च । अत्रान्तरे गौतमेन पृष्टम् । 'भगवद, किमु पिशाचा राक्षसाश्च कावलिक18 माहारं कुर्वन्ति किंवा न।' भगवताशप्तम् । 'गौतम, न कुर्वन्ति ।' गौतमेनोक्तम् । 'यद्यमी नाश्नन्ति 18 ततः कथमनेन महामांसमशितम्।' भगवतादिष्टम् । 'प्रकृत्या व्यन्तरा अमी बाला इव क्रीडां कुर्वन्ति । 'महामांसं भुक्तम्' इति लोकस्य मायां दर्शयन्ति ।' वेतालेन भणितम् । 'एतन्महामांसं निरस्थि मां न 21 रोचते, यद्यस्थिवत्कटकटारावकरं परं ददासि तद्देहि ।' तदाकर्ण्य कुमारो दक्षिणजङ्घामुत्कृत्य चितानले 21 पक्त्वा वेतालस्यार्पयामास ।' पुनस्तेनोक्तम् । 'भो भद्र, अमुनाधुना पूर्ण, संप्रत्यतीव तृषितोऽस्मि, ततस्तव शोणितं पातुमिच्छामि ।' 'पिब' इति वदता कुमारेण यावदेका स्नसा विदारिता तावत् हाहारवमुखरे24 ऽट्टहासे गगनाङ्गणं प्रसृते, 24 'साहसेनामुना तुष्टो ऽस्म्यनन्यसदृशेन ते । यत्किंचिद्याचसे वीर तदेव वितराम्यहम्' ॥ ८१ ६३३) ततः कुमारः प्रोवाच तुष्टस्त्वं यदि संप्रति । मत्पुरं मुषितं येन तमेव कथयस्व मे ॥ ८२ । 27 वेतालोऽप्यब्रवीद्देव तस्य चौरस्य को ऽपि न । प्रतिमल्लः स दृष्टो ऽपि न हि केनापि गृह्यते ॥ ८३ 21 तन्निशम्य कुमारेणाक्षतं वीक्ष्य क्षतं दृशा। प्रोचे वेताल चौरस्य स्थानमेव निवेदय ॥ ८४ जगाद स च वेतालो यद्येवं शृणु तत्त्वतः। श्मशानान्तःस्थन्यग्रोधे ऽमुष्य स्तेनस्य संश्रयः॥ ८५ 30 तत्र वटे छिद्रमेव द्वारम् । तच्छ्रुत्वा कुमारस्त्वरितं विकटं प्रेतवनवटं समारुह्य शाखासु प्रति-30 शाखासु मूले पत्रनिकरान्तरे च कृपाणपाणिर्विलोकितुं प्रवृत्तः। ततः कोटरस्थच्छिद्रसमीपे राजपुत्रो यावदधोवकं करोति तावत्ततो धूपगन्धः कस्सीरजघनसारमृगमदपरिमलमांसिलो निस्सरति । वेणु33 वीणारवं कामिनीजनजनितगीतसंवलितं श्रुत्वा. राजस्नुना चिन्तितम् । 'दृष्टममुष्य परिमोषिणो 33 मन्दिरम् । अधुना यो बलवांस्तस्यैव राज्यम्' इति विचिन्त्य तत्रैव विवरे किंचिद्भूभागमुपसर्प्य मणिमय भवनं चारुकाञ्चनतोरणं वरयुवतिजनप्रचारं विलोक्य व्यचिन्तयत् । 'स तावदुष्टाचारः कुत्र भावी' इति 36 चिन्तयता तेन कापि लोललोचना निस्तन्द्रचन्द्रवदना ततो निसरन्ती दृष्टा पृष्टा च । 'कस्यायमावासः, 36 कासि त्वम् , कुत्र वा स परास्कन्दी, स्त्रीजनश्च किं गायति । तयोक्तम् । 'भद्र, कथमेतावती भुवमागतः, स्वमतीव साहसिकः, कुतः स्थानादागतः। तेनोक्तम् । 'ऋषभपुरात् ।' तयोक्तम् । 'यदि त्वं ऋषभपुर39 वास्तव्यः [तत् ] किं जानासि चन्द्रगुप्तनरेश्वरं, वैरिगुप्तं पुत्रं च। तेनोचे । 'भद्रे, त्वं कथं जानासि 39 तयोर्द्वयोरप्यभिधे। तयोक्तम् । 'गतास्ते दिवसाः। तेन भणितम् । 'कथय स्फुटं तयोः किं भवसि, कथमभिजानासि तौ, केन पथात्र प्राप्तासि ।' 4) Bरात्रि for रात्र. 5) Bom. इति. 7) B चौरः पुमा'. 11) B तेन साहसिना. 24) प्रवृते for प्रसते. 28) B बीक्षा क्षत. 31) पाणिबिलं विलोकितु. 34) B मणिमयं भुवनं. 35) वरयुवतिजातप्रचारं. 39) Bom. [तत्]. 11 Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *82 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. F34 : Verse 861 ६३४) तया भणितम् । 'श्रावस्तीपुर्या सुरेन्द्रस्य भूपतेर्दुहिता पाल्यादेव तेन पित्रा तस्य चैरिगुप्तस्य 1 परिणेतुं प्रदत्ताभूवम् । अत्रान्तरे विद्यासिद्धनामुनापहृतात्र पातालतले प्रक्षिप्ता च । जानामि तेन 3 तन्नानी । केवलं नाहमेकापहृता अत्र बहुतरा महेला अन्या अपि ।' तेन चिन्तितम् । 'अहो, ममैषा 3 चम्पकमाला प्रदत्तासीत् , ततः पश्चाद्विद्याधरणामुना समानीता। तेनोक्तम् । 'भद्रे, कथय स कुत्र विद्याधराधमः, कथं हन्तव्यः स मया । अहं स एव वैरिगुप्तः, यदि ममोपरि महान् स्नेहः ।' तयोक्तम् । 6 'यदि भवान् वैरिगुप्तस्तद्वरेण्यमजनि ।' तया निवेदितम् । 'कुमार, रहस्यं शृणु यथा पापी मार्यते । अत्र 6 देवतायतने ऽस्य खेटकं सिद्धकृपाणरत्नं चास्ति तगृहाण।' राजपुत्रेणोक्तम् । तावद्भद्रे, कथय कथं कथं वर्तते स विद्यासिद्धः।' तयोक्तम् । 'अयमस्तमिते दिनपतो बहुलान्धकारायां निशायां खेच्छया परि9 भ्रमति, महिलादिकं यत्किचित्सारं सारं वस्तु प्राप्नोति तत्सर्व समानयति । दिवसे तु महेलावृन्द-9 परिवृतोऽत्रैव तिष्ठति । तथास्यानेन कृपाणेनानेन खेटकेन च सर्वकार्यसिद्धिः। कुमारेणोक्तम् । 'अधुना कुत्रास्ते स निष्कृपचक्रवर्ती।' तयोक्तम् । 'सर्वदैव सर्वत्रीजनमध्यगतो भवति, सांप्रतं यदि स भवति 12 ततो नाहं न त्वं च।' तेनोक्तम् । 'यदि स नास्ति तत एताः कथं गायन्ति।' ततस्तया प्रोचे । 'भद्र,12 एतास्तेन विना प्रमुदिताः पठन्ति गायन्ति च । पुनरन्या रुदन्ति च ।' ६३५) कुमारेणोक्तम् । 'भद्रे, मम तस्य च द्वयोर्मध्ये एतासां हृदयंगमः को भावी' इति । 15 स्मित्वा तया प्रोचे । यतः 10 'त्यजन्ति शूरमप्येताः सस्नेहमपि योषितः । कातरं विगतस्नेहं चापि गृह्णन्ति काश्चन ॥ ८६ वातोद्भुतध्वजपट इव विद्युदिवास्थिरम् । मनो मनस्विनीनां हि कः परिच्छेत्तुमर्हति ॥ ८७ 18 तधाप्येतावन्मात्रं जानामि यद्येता भवन्तं विलोकयिष्यन्ति ततो ऽवश्यमेवैतासां त्वयि नेहो18 भावीति । एताः सर्वा अपि भवत्पुरसंबन्धिन्य एव भवन्तं दृष्ट्वा प्रत्यभिज्ञास्यन्ति । ततो दर्शनमेतासां देयमेव ।' कुमारेणोक्तम् । 'तावदस्य विद्यासिद्धस्य सिद्धकृपाणं खेटकं च समानय, पश्चादपि 21 तासां दर्शनं दास्यामि ।' तयोचे । 'अत्रैव कुमार, तावत् स्थातव्यं त्वया यावदस्मि सिद्धखेटकं सिद्धखरं 21 च समानयामि' इत्युदित्वा सा गता। ततः कुमारश्चिन्तितवान् । 'कदाचिदियं मम मृत्युहेतवे कम युपायमन्यं चिन्तयति ततोन युक्तं स्थातुमत्रैव' इति कुमारः प्रविचार्य गृहीतखेटकः स्वीकृतखङ्गरत्नः 24 पश्चाध्याघुट्य स्थितः। ततः सा स्वीकृतखङ्गखेटका तत्र प्रदेशे कुमारमपश्यन्ती विषण्णमानसा कुमारेण 24 भणिता । 'भद्रे, त्वरितं समागच्छ अत्राहमवतिष्ठामि ।' इति समाकर्ण्य तया प्रोक्तम् । 'अतः स्थानात्क थमन्यत्र भवान् संप्राप्तः। तेनोक्तम् । 'यतो धीमतां'स्त्रीणां कदापि न विश्वसनीयम्' इति शास्त्रोक्तिः। 27 ततः पश्चाध्याघुट्य स्थितः।' 'कुमार, राज्यपदवीयोग्यस्त्वमसि, यो महेलानां न विश्वसिति' इत्युदित्वा 27 सा तत्पुरो भूमौ कौक्षेयकं खेटकं च मुमोच । राजतनयः सौवं निस्त्रिंश खेटकं च तत्करे ऽर्पयामास । कुमारेण प्रदक्षिणीकृत्य तद्वयमद्वयरूपं खीचके। तयोक्तम् । 'कुमारस्य विजयाय भवत्विदं खङ्गरत्नम्।' 30कुमारेणोक्तम् । 'भद्रे, कथय कुत्र संप्रति स दुष्टविद्यासिद्धः। तयोक्तम् । 'कुमार, केन निगमेनात्र 30 प्रविष्टो भवान् ।' तेन प्रोक्तम् । 'वटपादपकोटरच्छिद्रेण ।' तयोक्तम् । 'नाहं द्वारं जानामि, एतत्पुनर्जाने येन द्वारेण त्वमागतः, सो ऽपि तेनैव समागमिष्यति ततस्त्वया सजीभूयामुना दिव्यखड्ड्रेन शिरश्छेद33 नीयं तस्य । अन्यथा स पुनस्तव दुःसाध्यः' इत्यवगम्य कुमारः कृपाणपाणिश्छिद्रद्वारि स्थितः। 33 ६३६) अत्रान्तरे स विद्याधराधमः प्रभातकालमाकलय्य धवलगृहोपरि शयनीयप्रसुप्तामेकाकिनी तस्यैव राजसूनो पत्नीमपहत्यागतः। तत्रैव बिले तं प्रविशन्तं निरीक्ष्य राजपुच्या पूच्चके। 36 हा वैरिगुप्त हा वीर त्वत्प्रियास्मि हृतामुना। चम्पावत्यभिधानेन तस्मात्त्रायस्व मामिह ॥ ८८ 36 एवं तत्प्रलपितमाकर्ण्य विद्यासिद्धेनोक्तम् । 'तेन तव किं कार्यम् , यदि तं दयितं प्राप्नोमि तदा तमेवाश्नामि' इति श्रुत्वा कुमारेण चिन्तितम् । 'अहो, दुराचारः समागत एवं परं मम प्राणप्रियां गृहीत्वा, 39 तदेतत्सुन्दरं जातमिति यत्सलोप्तोऽयं चौरः' इति चिन्तयता कुमारेण बिलद्वारे विद्यासिद्धस्योत्तमाङ्गं 39 प्रविशष्टम् । ततः कुमारेण चिन्तितम् । 'एतस्य शिरश्छिनधि, अथवा नहि नहि किं सत्पुरुषाश्छलान्वेषिणः, सर्वथा न युक्तमेतत्तावदस्य शक्तिमालोकयामि' इति ध्यायतः कुमारस्य विद्यासिद्धश्छिद्रेण 42 प्रविष्टः। ततो भणितः कुमारेण । 'अरे, विद्यासिद्धो यदि भवान् तन्नीतिपथे व्रज, यदन्यायं कुरुषे 42 b) Bहंतव्यो यदि ममोपरि. 21) c om. तावत्. 22) B कदाचिदर्य. 26) u inter. धीमतां स्त्री & कदापि. 27) B विश्वसति.. 33)PB om. तस्य.34) प्रभातमाकलय्य. 38) कुमारेणोक्तं for कुमारेण चिन्तितम्. 39) B 'सुंदरं संजातं. Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . 6 -IV. F39 : Verse 103] कुवलयमालाकथा ४ * 83 1तन्नोचितम् । यदि सत्येन चौरो ऽसि तेन निग्रहयोग्यस्त्वं तत्सजीभव युद्धाय ।' तं राजतनयं प्रेक्ष्य 'अहो, 1 कथमेष वैरिगुप्तः संप्राप्तः, तद्विनष्टं कार्यम् , तावत्किमनेन बालेन' इति चिन्तयता विद्यासिद्धेन प्रोचे। 3 'कृतान्तवदनप्राये क्षिप्तः केन बिले भवान् । कथं वा रूपसौभाग्यशाली निधनमिच्छसि ॥८९३ ततः 'कृपाणः कृपाणः' इति वदन् स देवायतने राजतनयसंबन्धिनं खङ्गं खेटकं च गृहीत्वा दध्यौ। 'अहो, मदीयं न खगरतं न च खेटकमपि' इति बिन्तयन् कुमारमूलमागत्य बभाण । 'मदीयान्तःपुरे केन प्रेषितो मातृशासितः। ज्ञातं वा कुपितः प्रेतपतिरेव तवोपरि ॥९० इदानीं ते न निस्सारो विद्यते बिलतो ऽमुतः । सूपकारकरायातः शशवत्त्वं विनंक्ष्यसि ॥९१ प्रोचे कुमारः 'किं रेरे, स्वैरचारी मम प्रियाम् । हृत्वाद्य माद्यसि प्राप्त एवासि त्वं यमान्तिकम् ॥९२ ६३७) इति वदता कुमारेण तदभिमुखं खड्गप्रहारः प्रदत्तः । तेनापि कलाकौशलशालिना 9 वञ्चयित्वा तं प्रहारं कुमार प्रति प्रहारो मुक्तः। कुमारेणापि स वञ्चितः । ततस्तयोर्वनमहिषयोरिव महानाहवः प्रवृत्तः, परमेतयोर्मध्ये न कस्यापि जयो ऽभूत् , तथाप्ययं विद्यासिद्धः 'कैतवी' इति विचिन्त्य 12 चम्पकमालया प्रोचे । 'कुमार, खड्गरत्नमिदं स्मर'। रम्यमुक्तमनया' इति विचिन्त्य कुमारो निजगाद ।12 _ 'यदि सिद्ध्यसि सिद्धानां चक्रिणां वासिरत्न मोः। तत्त्वं मम कराग्रस्थं लुनीह्यस्य शिरोऽधुना' ॥९३ अथ विद्यासिद्धेन चिन्तितम् । 'अये, अनयैव वनितया खङ्गरत्नमिदमस्यार्पितम् , आः पापे, कुत्र व्रजसि' 16 इति वदन् तामेव दिशं विद्यासिद्धःप्रत्यधावत । 16 यावन्नामोति वनितामिमामेष नराधमः । तायत्त्वरितमेवास्य शिरश्चिच्छेद राजसूः ॥ ९४ उकं चम्पकमालया। 18 'कुमारैतस्य वक्रान्तः समस्ति गुटिका किल । विदार्यास्य मुखं तत्त्वं तां गृहाण महाशय ॥९५ 18 स श्रुत्वेति मुखात्तस्य दारिताहुटिकां ततः। लात्वा प्रक्षाल्य चात्मीयमुखे चिक्षेप तत्क्षणम् ॥ ९६ कुमारः सुगुणाधार: पारावारस्तरोर्णसः। तयाधिकं समुद्दीप्य दर्पभूः समभूत्तदा ॥९७ ६३८) ततस्तस्य कुमारस्य तेनैव ललितविलासिनीजनेन सह विषयसुखमनुभवतो विस्मृतसकल-21 गुरुवचनस्य निजशक्तिविजितसिद्धलब्धार्थानेकप्रणयिनीजनसनाथपातालभुवनस्य तत्रैव वसत एकदिनमिव द्वादश वत्सराणि व्यतीयुः। द्वादशसंवत्सरप्रान्ते ऽस्य प्रसुप्तस्य तस्य निशायाः पश्चिमे यामे 24ऽदृश्यमानो मङ्गलपाठकः पपाठ। 'प्रभातसमये निद्रामोहं त्यज नरेश्वर । अवलम्बस्व सद्धर्म कर्मनिर्मूलनक्षमम् ॥९८ संसारसागरं घोरमवगम्य दुरुत्तरम् । त्यक्त्वा स्त्रीसंगतिं धर्मपोतमेतमलं कुरु ॥ ९९ 27 एतदाकर्ण्य राजसू नुना चिन्तितम् । 'अहो, कुत्रैष बन्दिध्वनिः।' ताभिर्भणितम् । 'देव, न जानीमः,27 स च न दृश्यते, केवलं शब्द एव श्रूयते।' एवं बन्दिना सप्त दिनानि यावजय जयेति शब्दपूर्व संसारवैराग्यजननानि वचांस्युच्चरता तस्य चेतो विस्मयस्मेरमतन्यत । ततो राजपुत्रेणोक्तम् । 'अयं तावद30वश्यमेति तदेनमेव पृच्छामि' इति वदतस्तस्य कुमारस्य स दिव्यबन्दी प्रत्यक्षीभूय 'कुमार, जय जय' 30 इत्युवाच । कुमारेणोचे । 'भो दिव्य कथय क्षिप्रमायातः केन हेतुना । प्रत्यहं किमु वैराग्यवचो जल्पसि मत्पुरः ॥ १०० 33 दिव्येनोचे 'तव स्वान्ते, किंचित्कौतुकमस्ति चेत् । पृच्छ तद्वत्स निर्गत्यामुतः पातालवेश्मनः ॥१०१ 33 स प्रोचे 'किंतु पातालमिदं कालः कियान् गतः । वसतो मे ऽत्र केनेतो निर्गच्छामि पथा ननु' ॥१०२ सो ऽप्यूचे 'श्वभ्रमेवेदं, द्वादशात्र समाः स्थितः। त्वं ततो विवरद्वारानया निर्गच्छ सत्वरम् ॥१०३ 368३९) एवमाकर्ण्य कुमारः समुत्थितः । तिरोहितो बन्दी । ताभिः स्त्रीभिर्नत्वा ततो विक्षप्त: 36 कुमारः। 'अतः परं देवः किं कर्तुकामः।' कुमारेणोक्तम् । 'अहं भगवन्तं दिव्यज्ञानिनं कथमपि गत्वा प्रक्ष्यामि यदेष किंचिजल्पति तत्सत्यं तक्रियते न वा' इति । ततस्ताभिर्भणितम् । 'यं मार्ग त्वमङ्गी 39 करिष्यसि वयमपि तमेवानुसरिष्यामः ।' एवं प्रतिपद्य सद्यः कुमारः समुत्थाय तेनैव विवरद्वारेण 39 निर्गत्येह स्थितानस्मान् मत्वागत्य संदेहं पप्रच्छ, निर्गतश्च सो ऽयं चन्द्रगुप्तपुत्रो वैरिगुप्तः, प्राग्भवसंबन्धिसङ्केतितदेवकृतबन्दिप्रयोगेण प्रतिबुद्धः। ततो गौतमगणधारिणा विक्षप्तम् । 'भगवन्, सांप्रत 2) तावत् अथवा किमनेन. 4) Bom. ततः. 8) 0 कुमारः प्रोचे for प्रोचे कुमारः. 10) प्रतिहारो for प्रति प्रहारो. 12) B'मनया विचितेति कुमारो. 21) Pom. कुमारस्य, B adds च before सह. 22) Bom. तत्रैव वसत, Bएक दिनमिव. 25)P कर्म निम्मैलक्षमम् , 'निमैलन' 30) तदेतमेव पृच्छामि. 37) । किमपि for कथमपि. 38) Bय वं मार्गमगी. 24 Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *84 रनप्रभसूरि रचिता [IV. 8 89 : Verse 104सि कुत्रोपगतः' इति । भगवता निवेदितम् । 'तं का नीजनं पातालादाकृष्य संप्रति समवसरणतृतीय- 1 तोरणासन्न एष संप्राप्तः' यावद्भगवानिति कथयति त उदागत्य कुमारःौणेन समं भगवन्तं प्रदक्षिणीकृत्य 3 प्रणिपत्य च सुखासनस्थः पप्रच्छ । 'भगवन् , केन तुना क एष दिव्यः स्तुतिव्रतः प्रतिबोधयति, कुत्र 3 वा स सांप्रतम्' इति । ततो भगवता पश्चानां जनान भवपरंपरा विस्तारिता तावद्यावन्मणिरथकुमारः कामगजेन्द्रः स च तृतीयो वैरिगुप्तः स्वर्गतश्च्युत्वा र मान लोभदेवजीवो ऽत्र समुत्पन्नः प्रमत्तश्च । ततो 6 मायादित्यचण्डसोमाभ्यामनेकप्राभातिकमङ्गलपठन द्मना प्रतिबोधितः' इति । तन्निशम्य कुमा- 6 रेणोक्तम् । 'भगवन् , संप्रति किं विलम्बं करोषि दीदानेन प्रसद्यताम् ।' ततो भगवता युवतीजनेन सह वैरिगुप्तः प्रवाजितः । ततः सकल त्रैलो: यसरोवरालङ्कारपुण्डरीकः पुण्डरीकधवलमहिमा श्रीवर्धमानी हस्तिनापुरमागत्य समवसृतः। भगवत पि स्वयं सरागनीरागदेवतास्वरूपं व्याख्यातम्। " स्कन्दरुद्रचतुर्मुखव्यन्तरगणाधिपप्रभृतयो देवाः सर वाः समाराध्यमाना जनानां जनाधिपा इव संतुश राज्यश्रियं यच्छन्ति । रुटाः सन्तो ऽपहरन्ति च । नस्तीर्थकराः सिद्धा निर्दग्धकर्मेन्धनाः केवलिनो 13 रजोमदमोहारिहता एते नीरागाः स्वर्गापवर्गश्रियं दते। 12 ४०) अत्रान्तरे ब्राह्मणदारकः श्यामलवक्षःसलविलसब्रह्मसूत्रस्त्रिःप्रदक्षिणीकृत्य भगवन्तं प्रणम्य पत्रच्छ। 'भगवन् , क एष पक्षी मनुष्यभाषया में यते, यत्तेनोक्तं तद्युक्तमयुक्तं वा ।' भगवतादिष्टम् । 15'भद्र, स पक्षी बने दिव्यो यत्तेनोक्तं तत्सर्वमपि युक्त व।' एतदवगम्य समवसरणतः स निष्क्रान्तः। 15 ततो ज्ञानवतापि श्रीगौतमेन पृष्टम्। 'भगवन् , क 01 सुखसंभवो दारकः, किमेतेन पृष्टम् ।' एवं पृष्टो भगवानिवेदयामास । 18 'अस्ति नातिदूरे सरलपुरं ब्राह्मणानां स्थानम् । तत्र यज्ञदेवो महेभ्यः सूत्रकण्ठः । तत्सूनुः स्वयंभु-18 देवः । स च यज्ञदेवः कालक्रमेण परलोकमियाय । वास्तमिते द्विजपतो सर्वमपि वसुजालं विलिल्ये। पूर्वकर्मपरिणामेन दिनयोग्यमप्यस्य नास्त्यशनम् । त पवं क्षीणे विभवे न भवन्ति लोकयात्राः, विसंवदन्त्यतिथिसत्कागः, बभूवुः शिथिला बन्धुक्रियाः, लहस्तितानि दानानि । 21 गुरूणां वान्धवानां च महिमाभाजनं जनः । ता देव प्रजायेत मन्दिरे यावदिन्दिरा ॥१०४ पुरः स्थिताः समुत्तुङ्गा अपि लक्ष्मीवतां नराःनजन्ति न दृगातिथ्यं दारिद्याअनभाजिनः ॥ १०५ मानवानां भवेदान्ध्यं बाधिर्यं च थ्रिया सह । तो दीनं न पश्यन्ति न शृण्वन्ति च तद्वचः॥१०६24 तत्परिज्ञाय जनभ्या स्वयंभुदेवो भणितः । 'सर्वो ऽपि शोभते लक्ष्म्या वत्स वत्सलमान ! तया विना भवानत्र जीवन्नपि मृतायते ॥१०७ 27६४१) स पिता तव पुण्यवानस्तमितो ऽतः टुम्बपोषणं त्वदायत्तमेघ' इति श्रुत्वा स्वयंभुदेवो 27 मातुश्चरणनमस्करणपूर्व रचिताञ्जलिः प्रोवाच । 'जनि, खेदपरं मनो न विधेयम्, अहं बहुभिरपि दिनैरनुपार्जितार्थी गृहं न विशामि' इत्युक्त्वा मदरतो निःमृत्य विप्रसनुमाकरनगरखेटाकुलां 30 विपुलां विलोकयन सधैरप्युपायैरर्थमन्वेषयन् चम्पापुरीमवाप । तत्र चास्तंगते दिनपती स्वयंभुदेवः 30 पुर्यन्तःप्रवेशमलभमानो जीर्णोद्याने प्रविश्य कया रीश विभावरी निर्गमनोपायं करोमीति विचिन्तयन् तमालपादपमामा व्यचिन्तयदिति 'धिग जन्मेदं येन ममैतावतां दिनानां मध्ये सर्वत्र परिभ्रमतः करे 33 चराटिकापिन चटिता । कथं गृहं प्रविशामि' इ िचिन्तयन्नस्ति । ततस्तमालपादपस्याधो जनद्वयं 33 समागतम् । एकेनोक्तम् । एतत्कार्यमस्य तमालस्या कार्यम् ।' द्वितीयेनोक्तम् । 'भवत्वेवम् ।' ततो द्वावपि दशापि दिशो विलोक्य सुन्दरमिति स्थानं चतुः । स्वयंभुदेवस्तयोर्वचो निशम्य स्थितः। 36 ततस्तायां खनित्रेण भुवं खनित्वाभिज्ञानपूर्वकं करण के निक्षिप्य प्रोक्तम । 36 यः कोऽपि भूतोवा पिशाचो वापरोऽपि ।। अयं न्यासीकृतस्तेन पालनीयो निधिः सदा ॥१०८ इत्युदि तौ यथास्थानं गतौ विलोक्यामुना चिन्ति । 39 'यत्र येन यदा यच्च यावल्लभ्यं यतो जनात् । ततेन तदा तच्च तावदस्मादवाप्यते ॥ १०९ 39 इति ध्यात्वा स च पादपादयतीर्य करण्डकस्थानि च रत्नानि निरीक्ष्य रोमाञ्चकवचिताङ्गश्चिन्त यामासति । एतानि स्वीकृत्य संप्रति स्ववेश्म प्रति जामि' इति ध्यात्वा गृहीत्वा च स्वयंभुदेवः पथि 42 गच्छन्महारवीमाप्तवान् । इतश्च दिनकरोऽप्यस्तरो रजनि । 42 4)। गोती . 5) भगवान् for भवान्. 6) , “सोमाभ्यां प्राभातिक. 7) यौवनेन ॥ यौवतेन for युवता जाने )। om. पुण्डरीकः 19) lus a margis. gloss on द्विजपती And वस्जाल in this way: अर्थातरं द्विजपतो तस्तमिते सति वसु किरण जाल विलयं गच्छति । ) ॥ समुत्तुंगापि. 26) ॥'मानस: 33) 'न घटिता. 4) इति दिनकरो 24 Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV. 48 : Verse 110] कुवलयमालाकथा ४ *85 1 ६४२) सोऽपि बहुलविटपसंकुले कस्मिन्नपि प्रदेशे ऽनल्पश्यामलदलनिचितं न्यग्रोधमारुहोति 1 ध्यातवान् । 'अहो, विधिना प्रदत्तं यदातव्यम् । ततो ऽधुना गृहं गतो रत्नमेकं विक्रीय सकलकुटुम्बबान्धवानां यत्कृत्यं तत्करिष्यामि ।' ततः प्रवृत्ते ऽवतमसे सूचीमेये तत्र विधिधवर्णा बहवः पक्षिणः 3 समुच्छिततनवः स्वयंभुदेवाध्यासितमेव वटमाश्रितवन्तः। अथ तत्र समागत्यैकः पक्षी पक्षिसंघातमध्यस्थं जराजीर्णाकं पक्षिणमेकं प्रणम्य व्यजिज्ञपदिति । 'तात, त्वयाहं जातस्त्वयाहं संवर्धितस्त6रुणीभूतो नयने ममाद्य सफलीभूते, कर्णावपि कृतार्थों जाती, एतत्पक्षियुगलमपि सार्थ जातम् । अद्या-6 त्मानं गरुत्मतोऽपि गुरुतरं मन्ये ।' पतदाकर्ण्य जीर्णपक्षिणा भणितम् । 'संप्रति भवानतीवामन्दानन्दसंदोहमेदुरमना इव लक्ष्यते, [अतो] वत्स, भवता भ्रमता किमपि यदृष्टं श्रुतमनुभूतं वा तत्सर्वमपि निवेदय । तेनोक्तम् । 'तात शृणु, अद्याहं भवत्समीपतः समुत्पत्य गगनतलं 'किंचिदाहारमन्वेषयन् । यावद्गगनतले भ्रमामि तावदहं हस्तिनापुरे प्राकारत्रितयमध्यगतं मनुष्यलोकं विलोक्य 'अहो, किं पुनरे तत्पश्यामि' इति ध्यात्वा द्वितीयप्राकारान्तरे पक्षिगणमध्ये गत्वाहमुपविष्टः सन् शोणाशोकपादपस्याधः 12 सिंहासनासीनं भगवन्तं कमपि दिव्यज्ञानिनं ज्ञात्वा ध्यचिन्तयमिति । 'अहो, दृष्ट यद्रष्टव्यं मया त्रिभुव-12 नाश्चर्यकारि ततस्तात, तेन भगवता सकलसंसारस्वरूपं प्ररूपितम्। तथा हि, 'प्रदर्शितःप्राणिगणविचारः। विस्तारितः कर्मप्रकृतिविशेषः। विशेषितो बन्धनिर्जराभावः।भावितः संसाराश्रवविकल्पः। विकल्पित 16 उत्पत्तिस्थितिविपत्तिविशेषविस्तरः। प्ररूपितो यथास्थितो मोक्षमार्गः' इति । ततो मया भगवान् पृष्टः । 15 'हेनाथ, अस्मादृशः पक्षिणःप्राप्तवैराग्या अपि तिर्यग्योनित्वात्परायत्ताः किं कुर्वन्तु ।' ततो भगवता ममाभिप्राय परिशाय समाख्यातम् । 'हे देवानुप्रिय, भवान् संशी पश्चेन्द्रियः पर्याप्तस्तिर्यग्योनिरपि 18 सम्यक्त्वं लभते ।' गणधारिणोदितम् । 'के प्राणिनो नरकगामिनः।' भगवता निवेदितम् ।'ये पञ्चेन्द्रिय-18 वधकारिणो मांसाहारिणश्च ते सर्वेऽपि देहिनः श्वभ्रयायिनः। ये च सम्यक्त्वं भजन्ते ते नरकतिर्यग्गतिद्वारपिधायिनः।' मयोक्तम् । 'देव, पक्षिणः पञ्चेन्द्रियवधकारिणो मांसाहारिणश्च कथं सम्यक्त्वधारिणः, अस्माकं जीवितं पापपरमेव । एवं व्यवस्थिते मया किं कर्तव्यम् । ततो भगवानिजगाद । 21 'किल यः स्नेहं छित्त्वा नियन्य सौवं तथा च करणगणम् । विधिना मुञ्चति देहं स प्राणी सुगतिमुपयाति ॥११० 24 पक्षिणो ऽपि शुद्धमनसः सम्यक्त्वं दधति' इति निवेद्य समुत्थाय भगवानन्यत्र विजहार। अहमपि 24 तं भगवदुपदेशं निशम्य जातवैराग्यो ऽकृताहारस्तात, तव समीपमुपागतः । अघुना प्रसाद विधाय मां प्रेषय । ममापराधं सर्वमपि क्षमखेति यथा स्वार्थपरो भवामि ।' ततः स पक्षी स्नेहनिगडान् छित्त्वा 27 स्पर्शनेन्द्रियादितुरगवृन्दमिदं नियन्य च मातरं ज्येष्ठं कनिष्ठं च भ्रातरं तथा महतीं लध्वीं स्वसारं 27 भार्या शिशून् मित्राणि चापृच्छय गगनतलमुत्पपात । ४३) इतश्च विभातायां विभावर्या सर्वो ऽपि पक्षिगणो चटपादपतः प्रययौ । तं विहङ्गगणं 30 समुत्पतितं निरीक्ष्य स्वयंभुदेवो ऽपि विस्मयस्मेरमनाश्चिन्तितुं प्रवृत्तः । 'अहो, महदाश्चर्य यदत्र वने 30 पक्षिणो ऽपि मनुष्यभाषाभाषिणः सद्धर्मपरायणाश्चेति । अवश्यमेते दिव्यपक्षिणः। स च पक्षी कुटुम्बं परित्यज्यात्मनो हितं धर्ममेवाङ्गीचकार । यदि पक्षिणोऽपि धर्ममार्गमनुसरन्ति तदहं परस्य रत्नानि 33 गृहीत्वा कुटुम्बपोषणं कथं करोमि । ततः सांप्रतमेतदेव मे करणीयं यस्य समीपे ऽमुना धर्मः श्रुतस्तमेव 33 गत्वा पृच्छामि । 'यद्भगवन् के पक्षिणः, किं वा तैमन्त्रितम्' इत्यापृच्छय यत्कृत्यं तत्पश्चादाचरिष्यामि । यदमुना पक्षिणा कृतम्' इति ध्यात्वा वटपादपादवतीर्य हस्तिनापुरमिदं समागतः । भो गौतम, मम 36 समवसरणे सैष प्रविष्टः, पृष्टश्चाहमेतेन, स पक्षी वने कः, कथितो मया यथैष दिव्यपक्षी । इदं निशम्य 36 समुत्पन्नवैराग्यो निर्गतः । ततो निर्विण्णकामभोगः संजातविवेको विगलितचारित्रावरणीयकर्मा तयो रत्नानि प्रत्यर्पा ममैव सकाशमधुना समागच्छन्नस्ति' इति । यावदिदं स भगवान् महावीरो निवेदयति 39 गौतमादीनां पुरस्तावत्प्रातः स्वयंभुदेवः प्रदक्षिणीकृत्य भगवन्तं प्रोवाच च । 'देव, प्रबुद्धो ऽहं वने पक्षि-39 वचनमाकर्ण्य ततो मम दीक्षां देहि। ततो भगवता यथाविधि स्वयंभुदेवो दीक्षितः। चण्डसोमजीवः स्वयंभुदेवः पूर्वभवसङ्केतितदेवेन पक्षिप्रयोगेण प्रतिबोधितः। ततो भगवान् सर्वज्ञः श्रीमहावीरदेवो मगध42 देशमण्डले श्रियोगृहं राजगृहं जगाम । तत्र रचिते सर्वदेवैः समवसरणे श्रीश्रेणिका क्षोणिनायकः सपरि- 42 1) B पादप for विटप. 3) B has a marginal gloss on सूचीमेधे thus: लक्षणशब्दोय महानिवडे. 8) P Bom. [अतो). 19) Badds च after ये. 24) adds भगवतोक्तं before पक्षिणोऽपि. 30) P मदने B यदने for यदत्र वने. 41) P संकेतिदेवेन. Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *86 रत्नप्रभसूरिविरचिता [IV. $ 43 : Verse 1111वारः परया भक्त्या भगवन्तं नत्वा यथास्थानसमासीनः सादरं प्रपच्छ । भगवन् , श्रुतशानं किम्।' 1 ६४४) ततो भगवता श्रुतज्ञानं साङ्गोपाङ्गं समादिष्टं विशिष्टम् । तथा च । अ-इ-क-च-ट-त-प-य-श-एते शोभनवर्णा विशेयाः। आ-ई-ख-छ-ठ-घ-फ-र-ष-अशोभनास्ते पुनर्भणिताः ॥ १११ ए-उ-ग-ज-ड-द-ब-ल-स-सुभगाः संभवन्ति सर्वकार्येषु । ऐ-औ-थ-झ-ढ-ध-व-ह-न सुन्दराः क्वचन कार्येषु ॥ ११२ ओ-औ-ङ-अ-ण-न-म-अं-अः मिश्रस्वरूपा भवन्ति कार्येषु । संप्रति फलमपि वक्ष्ये वर्णानामीदृशां सर्वम् ॥ ११३ शोभनमशोभनं वा सुखदुःखं संधिविग्रहे चैव । एति च नैतिच लाभालाभौ न जयस्तथा च जयः॥११४ भवति च न भवति कार्य क्षेमं न क्षेममस्ति नैवास्ति। संपत्तिश्च विपत्तिवृष्टिश्च जीवितं मृत्युः ॥ ११५ प्रथमवचने ऽपि प्रथमाः शुभवर्णाः संभवेयुरथ बहवः। जानीहि कार्यसिद्धि सिध्यति कार्य न चाप्यशुभः॥ ११६ अथवा पृच्छावचनं प्रथमं लात्वा च तन्निरीक्षेत । विधिवचने भवति शुभं न शुभं प्रतिपेधवाक्ये च ॥ ११७ अथवा फलकुसुमाक्षतपत्रं रूपकमन्यच्च पुरुषरूपं च । अष्टविधभागलब्धं तेन फलं विद्धि चैतद्धि ॥ ११८ ध्वजे तु सफलं सर्व धूम उद्वेगकारकः । राज्यं श्रीविजय सिंहे स्वल्पलाभश्च मण्डले ॥ ११९ वृषे तुष्टिश्च पुष्टिश्च खरे तु गमनं कलिः । पूजा गजे भवत्येव ध्वांक्षे नित्यं परिभ्रमः ॥ १२० 21अत्रान्तरे श्रेणिकभूपस्य तनयो ऽष्टवर्षदेशीयो महारथकुमारः स्वामिनमानम्य व्यजिशपत् । 'अध21 भगवन, मया स्वमान्तः कालायसं सुवर्णमिश्रितं दृष्टम् । ततो ज्वलनज्वालावलीपरितप्तं तद्भिरिसारं परि क्षीणं, तश्च सुवर्णमेव केवलं स्थितम् , तस्य कोऽयं फलविशेषः।' भगवताशप्तम् । 'भद्र, शोभन: स्वप्न 24 एषः, सम्यक्त्वचारित्रकेवलज्ञानसमृद्धि प्रान्ते शाश्वतसुखसंगमंच निवेदयति । शिलासारसदृशं कर्म | 24 जीवस्तु कनकसमानः । तत्र ध्यानानलेन तद्दग्ध्वा त्वयात्मा निर्मलीकृतः । अन्यश्च चरमदेहः संजातस्त्वमसि भद्र, नृपगेहे कुवलयमालाजीवो देवः स्वर्गतश्श्युत्वा । सर्वमपि तस्य कथितं मायादित्या. 27 दिदेवपर्यन्तम् । ते सर्वे प्रव्रजिताः, पश्यैतान सुकृतिनस्त्वम् ।' 27 ४५) तदेतदाकर्ण्य महारथकुमारेण भणितम् । 'भगवन् , यद्येवं तावद्विषमश्चित्ततुरङ्गमः, किं विलम्बसे, मम दीक्षां ददस्व' इति भणिते तेन भगवता श्रीवर्धमानेन यथाविधि महारथकुमारो 30 दीक्षितः।' इति ते पञ्चापि जना मिलिताः परस्परं जानते, यथा 'कृतपूर्वसङ्केताः सम्यक्त्वलामे वयम्' 30 इति । एवं तेषां भगवता श्रीवर्धमानजिनस्वामिना साकं विचरतां बहूनि वर्षाणि व्यतीयुः। कथितं च श्रीजिनेश्वरेण मणिरथकुमारादिसाधनाम, यथा 'स्तोकमायुर्भवताम्' इति परिशाय ते पश्चापि यतयो 33 ऽनशनं प्रपद्य रागद्वेषबन्धनद्वयरहिताः शल्यत्रयदण्डत्रितयविवर्जिताः क्षीणकषायचतुष्काः चतुःसंज्ञा-33 रहिताः विकथाचतुष्टयपरित्यक्ताः चतुर्विधधर्मकर्मपरायणाः पञ्चसु व्रतेषु समुद्युक्ताः पञ्चसु विषयाभिलाषेषु द्वेषिणः पञ्चप्रकारस्वाध्यायप्रसक्तचेतसः पञ्चसमितीर्बिभ्राणाः पञ्चेन्द्रियशत्रूणां जेतारः षड्36 जीवनिकायपरिपालकाः सप्तभयस्थानप्रमुक्ताः अष्टविधमदस्थानविवर्जिता नवसु ब्रह्मगुप्तिषु रताः दश-36 विधसाधुधर्मप्रतिपालनोद्यता एकादशाङ्गधारिणो द्वादशविधं दुस्तपं तपस्तप्यमानाः प्रतिमाद्वादशकबद्ध रुचयो दुस्सहपरिषहसहिष्णवः स्वदेहे ऽपि निरीहा आमूलतोऽपि श्रामण्यं निष्कलङ्क प्रतिपालयन्तः 39 पर्यन्तसमये समाधिनाराधनां व्यधुरिति । 39 ४६) तथा हि ज्ञानाचारोऽष्टधा कालविनयादिका, दर्शनाचारोऽष्टधा निःशङ्कितादिकस्तत्र यः कोऽप्यतिचारः सर्वथैव तं त्यजामः । एकेन्द्रियाणां भूम्यतेजोवायुवनस्पत्यादीनां द्वीन्द्रियाणां कृमि 1) परभक्त्या B परमभक्या for परया भक्त्या. 15) 0लात्या च. 25) 38) P आमूरतोपि, P निःकल प्रति. अन्यच्चरमदेहः-37) B दशविधधर्म, Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -IV. 46 : Verse 121] कुवलयमालाकथा ४ *87 1शशुक्तिगण्ड्रपदजलौकप्रभृतीनां श्रीन्द्रियाणां यूकामत्कुणमत्कोटिलिक्षादीनां चतुरिन्द्रियाणां पतङ्क- 1 मक्षिकाभृङ्गदंशादीनां पञ्चेन्द्रियाणां जलचरस्थलचरखचरमानवादीनामस्माभिर्या हिंसा कृता सूक्ष्मा बादरा वा मोहतो लोभतो वा तां व्युत्सृजामः । हास्येन भयेन क्रोधेन लोभेन वा यत्किमपि वृथा प्रोकं 3 तत्सर्वमपि निन्दामः प्रायश्चित्तं च चरामः। यदल्पं घनमपि क्वापि परस्य द्रव्यमदत्तं गृहीतं रागतो द्वेषतो वा तत्सर्वमपि त्यजामः । तैरथ्यं मानुषं दिव्यं मैथुनं यत्पुरास्माभिः कृतं तत्रिविधं त्रिविधेनापि परित्यजामः । यस्तु धनधान्यपश्वादीनां परिग्रहो लोभतः कृतस्तं परिहरामः । पुत्रकलत्रमित्रवान्धवधनधान्य- 6 गृहादिष्वन्येष्वपि यन्ममत्वं कृतं तत्सर्वमपि निन्दामः । इन्द्रियपक्षे पराभूतैरस्माभिश्चतुर्विधो ऽप्याहारो रात्रौ भुक्तस्तं त्रिधापि निन्दामः । क्रोधमानमायालोभरागद्वेषकलहपैशून्यपरपरिवादाभ्याख्यानादिभिश्चारित्रविषये यदुष्टमाचरितं तत्रिविधेन व्युत्सृजामः। षड्डिधबाह्याभ्यन्तरे तपसि यः कोऽप्यति- " चारस्तं निन्दामः । वन्दनकप्रतिक्रमणकायोत्सर्गनमस्कारपरिवर्तनादिषु वीर्याचारे यद्वीये गोपितं तत्रिधा निन्दामः। यत्कस्यापि किंचन वस्त्वपहृतं प्रहारः प्रदत्तो वा कर्कशं वचो जल्पितं चापराधश्च कृतो 12 भवति सोऽखिलो ऽप्यस्माकं साम्यतु । यच्च मित्रममित्रं वा स्वजनोऽप्यरिजनोऽपि च स सर्वोऽप्य-12 स्माकं क्षाम्यतु तेषु सर्वेष्वपि समा एव। तिर्यक्त्वे तिर्यश्चो नारकत्वे नारकाः स्वर्गित्वे स्वर्गिणो मानुषत्वे मानुषा ये ऽस्माभिर्दुःखे स्थापितास्ते सर्वे ऽपि क्षाम्यन्तु वयमपि तान् क्षामयामः। तेषु सर्वेष्वस्माकं 15 मैत्री भवतु । जीवितं यौवनं लक्ष्मीलावण्यं प्रियसंगमा एतत्सर्वमपि वात्या नर्तितसमुद्रकल्लोलवल्लोलं 15 व्याधिजन्मजरामृत्युग्रस्तानां देहिनां जिनप्रणीतं धर्म विनान को ऽप्यपरशरणम् । एते सर्वेऽपि जीवा: स्वजनाः परजनाश्च जातास्तेषुमनागपिवयं सुधियः कथंप्रतिबन्धं विदध्मः। एकएव जन्तुरुत्पद्यते, एक एव 18 विपत्तिमाप्नोति, एक एव सुखान्यनुभवति, एक एव दुःखान्यपि । अन्यच्छरीरमपरं धनधान्यादिकमन्ये 18 बान्धवो ऽन्यो जीवस्तेषु कथं वृथा मुह्यामः । रसासृग्मांसमेदोऽस्थिमज्जाशुक्रयकृच्छकृतादिभिः पूरिते ऽशुचिनिलये वपुषि मूछौं न कुर्मः। इदं देहं नित्यशः पालितं लालितमप्यवक्रयगृहीतगृहमिवास्थिरम21 चिरेणापि मोक्तव्यमेवेति । धीरा अपि कातरा अपि खल देहिनो मृत्युमामुवन्ति । वयं तथा मरिष्यामो21 यथा न पुनरस्माकं मृत्युकदर्थना । सांप्रतमहन्तः सिद्धाः साधवः केवलिभाषितो धर्मः शरणमस्माकमिति । जिनोपदिष्टः कृपामयो धर्मो माता धर्माचार्यस्तातः सोदरः साधर्मिको बन्धुश्च । अन्यत्सर्वम24 पीन्द्रजालमिव । भरतैरावतमहाविदेहेषु श्रीवृषभनाथादीन् जिनान् सिद्धानाचार्यानुपाध्यायान् साधून 4 नमामः । सावद्ययोगमुपधि तथा बाह्यमाभ्यन्तरं यावजीवं त्रिविधं त्रिविधेन व्युत्सृजामः । यावज्जीवं चतुर्विधाहारमप्युच्छासे चरमे च देहमपि त्यजामः । दुष्कर्मगर्हणा १ जन्तुजातक्षामणा २ तथा भावना 27३ चतुःशरणं ४ नमस्कारः ५ तथानशनं च ६ एवमाराधना षोढा विहिता। ततः दग्ध्वा ध्यानधनंजयेन निखिलं कर्मेन्धनौघं क्षणादुन्मीलत्कलकेवलोदयपरिक्षातत्रिलोकीतलाः। ते पश्चापि मुनीश्वराः समभवन् व्युत्सृष्टदेहास्ततः। श्रीमन्मुक्तिनितम्बिनीस्तनतटालङ्कारहारश्रियः॥ १२१ इत्याचार्यश्रीपरमानन्दसूरिशिष्यश्रीरत्नप्रभसूरिविरचिते श्रीकुवलयमालाकथासंक्षेपे श्रीप्रधुमसूरिशोधिते कुवलयचन्द्रपितृसंगमराज्यनिवेशपृथ्वीसारकुमार समुत्पत्तिव्रतग्रहणप्रभृतिकश्चतुर्थः प्रस्तावः॥४॥ ॥ इति कुवलयमालाकथा समाप्ता॥ 2) Poin. खचर. 7) Bom. इन्द्रियपक्षे eto. to निन्दामः- 8) PO द्वेषकालोपशून्य. 11) Bच । अपकारश्च19) P यकृतसकृतादिभिः- 21) Pमुक्तव्यमिति B मोक्तव्यमिति. 22) PB शरणमिति. 24) P साधूननाम. 29) " उन्मीलत्केवलोदय. 31) 'हारः श्रिय. 33) कुवलयचंद्रराज्यनिवेश. 35) PB omit इति, PB श्रीमस्कुवलय', PB समाप्ताः ॥ छ II. P at the close एवं प्रेथसंख्या ॥ ३९९४ ॥ शुभं भवतु ॥ छ । संवत् १४८९ वर्षे आपाढ शुदि १४ चतुर्दश्यां युधे कुवलयमाला कथा लिखिता ।। छ । चिरं नंदतात् । Bat the close एवं ग्रंथागसंख्या ३८०४ ॥ सं०१४४५ वर्षे मार्गसिर शुदि ६ गुरुदिने पुस्तिका लिखिता ।। छ । यादृशं पुस्तके दृष्टं तादृशं लिखितं मया । यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोषो न दीयते । १ भमपृष्टिकटिग्रीवा अधोवृष्टिरधोमुखं [1] कष्टेन लिखितं शाखें यत्नेन परिपालयेत् । २ शुभं भवतु मंगलमस्तु लेखकपाठकयोः॥छ॥ उदकानलचोरेभ्यो मूखकेभ्यो [भ्य ] स्तथैव च । परहस्तगता रक्ष एवं वदति पुस्तिकाः[का॥छ । श्रीः ॥ श्रीः॥ श्रीः ॥ श्रीः ।। छ | at the close ॥ एवं ग्रन्थसया ३८९४ ।। Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * * श्रीरतप्रभसूरिविरचितः कुवलयमालाकथासंक्षेपः समाप्तः। आ.श्री. नगर मदिर श्री महावीर जेन अराजकद्रवेशवा Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________