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उज्जोषणसूरिविरहया
दुक्ख-सय-गीर - पूरिय-तरंग-संसार सागरे घोरे । भग्व जण जाणवत्तं चलण जुयं तुज्झ भल्लीणो ॥ जे पुण एवं कहिये मदत तर अपुण्णरस से वह सब बुतं ण एत्थ अलिये सण-समं पि ॥ सिय मुणिवर वरणा महायवेण दिष्यंत पाव-महापंक- जलोव हिम्म धारेसु खितं ' मणियं च गुरुणा धम्मद
'सम्मतं णाण तवो संजम सहियाइँ ताइँ चत्तारि । मोक्ख-पह-पवण्णाणं चत्तारि इमाई अंगाई ॥ पडिव सम्मत्तेण जह गुरु-जणेण उव कलाकले जाण णाण-पईवेण चिमणं ॥ जं पात्रं पुण्व कथं तवेण तावेइ त णिरवसेसं । अण् ण तास-पाव-कलिमल - कलेस-परिवजियो जिमो सुद्रो
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ण बंधइ संजम - जमिओ मुणी कम्मं ॥
जन्म न दुक्खं ण सुईण वाहिणो जाइ से सिद्धिं ॥
• इमं च सोडण भणिषं भागभदेणं 'भगवं, कुसु मे पसायं इमेहिं सम्मत-णाण-राय-संजमेहिं जइ जोग्गो' सि गुरुणा वि 9 णाणाइसएण उवसंत-कसाओ जाणिऊण पब्वाविभो जिग-वयण भणिय-विहीए माणभडो त्ति ॥ ४ ॥
११० ) भणियं च पुणो वि गुरुणा धम्मणंदणेण ।
12 'माया उच्चैरी सजण सत्यम्मि निंदिया माया माया पायुप्पणी बैंक विवेका भुरंगि य ॥
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माया- परिणाम परिणओ पुरियो अंधो इव बहिरो बिव पंगू इव पसुतो लिय अयाणो विष बालो विष उम्मतो विय भूय - गहिओ इव सव्वहा माइलो । किं च ।
-सरल-समागम वंषण-परिणाम-तग्गय-मणाए । माषाए तेग मुनिगो णरजाह ण अप्प देति ॥
माया- रक्खसि - गहिओ जस-धण-मित्ताण णासगं कुणइ । जीयं पि तुलग्गं मिव णरवर एसो जदा पुरिसो ॥ भणियं च णरवणा 'भगवं, ण याणिमो को वि एस पुरिसो, किंवा इमेण कथं ति भगियं च धम्मणंदणेण गुरुणा ।
"जो एस तुग्झ वामे पच्छा-भावम्मि संठिलो मज्झ सं-मद-देहो मंदो कण-यी पावो ॥ जल-य-सम-णय दिले जो कायरो तए छोड़
साह व कम-सलो मारो माया इव एस दीसए जो उ माया-ममेण एएण
गोग्य जो कुचिभो ॥ कथं से जिसामेहि ॥
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113)
भारत महाभोजो भोज-सग्गीय-जय ॥
बहु-गाम-कहिलो उज्जाण वर्णतराख- रमणिय जो य रेहइ निरंतर संठिएहिं गामेहिं, गामहं मि रेहति तुंग-संठिएहिं देव- कुलेहिं, देवउलई मि रेहति धवल -संठिएहिं तलाएहिं, तलायई मि रेहंति पिहुल-दलेहिं पउमिणी-संडेहिं, पडमिणि-संडई मि रेति वियसिय-दलेहिं अरविंदेहिं, 24 अरविंदई पि रेहंति महु- पाण-मत्त-मुइय-महुयर- जुवाणएहिं ति ।
इस एकम सोहा संपदिय परंपराए रिंडोली जन्मि ण समप्याह थिय सो कासी नाम देसो ति ॥
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तम्मिय जयरी भइ-लुंग गोरा कणय-पडिय-वर-भवणा। सुर-भवन-निरंतर-साल-सोहिया सायरि ॥ 27 जहिं च यरिहिं जणो देवणनो अव्य-संग्रह-परो य, कुर्मति विलासिनीको मंडई अमय-वियाई च ण सिक्सविति 27 कुडपण-लनिय गुरुपण भतिजो य, सिक्खविनंति वाणा कहा- कलाई चाणक-सत्थई च। अविव । जा हरस-गय-सुखइ-मउड-महा-रवण-रड्य-चढणस्स वम्मा-सुवस्स जनवरी वाणारसी नाम ॥
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१२) तीय व महाणवरीए बाणारसीए पच्छिम-दक्खिने दिसा-विभाए सालिग्गामं णान गार्म । वहिं च एको 30 वइस्स-जाई परिवस गंगाइच्चो णाम । तम्मि य गामे अगेय-धण-घण्ण हिरण्ण-सुवण्ण-समिद्ध-जगे वि सो वय एको जम्म दरिदो कुमाउ सरिसमसरिस- रुव-पुरिसायने वि सो य एको विरूओ महु-महुर-वयण गाहिरे व जन
सो चेय
33 [एको दुबवण-विसो सरब-समय- संपुष्ण-ससि-सिरी- सरिस दंसण-सुहस्स वि जगस्स सो पेय एको उम्मेयणिन-दंसणो | 33
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1 ) P भवजलहि for भव्वजण 2 ) P अउण्णस्स, P वत्तं for वृत्तं. 3) Pom. मद्दा, जलोयहिअअम्मि, P सुप्पैतं. (5) संजमस मिया 6 ) JP जहा, P गुरुयणेग, P कज्जाकज्शं. 8) सयलकलि किलेस, जीउ, तत्थ for जत्थ, P सुक्ख for दुक्ख 9 ) P भणियं for भगवं, Jom. मे, P नाणसतव, उ जोगो, ए इ for वि. 10) णाणाईसरणं पवाविओ, P माणभडो ति । प्रवजितो माणभट । भणियं 11 ) Pom. च, Pom. गुरुणा 12 ) ऊश्वेवयरी, पावुष्पत्ति 13 ) J अंधो इवा बहिरो विवा पंगू इवा, P बहिरो इव पसू विय पत्तो, P इव for विय thrice, P उम्मत्तओ. 14 ) P भूयगहिलो, P माइलओ किंचि. 16 ) P जीयं च तुलगंमी नरवर. 17) भयवं, P इमे for इमेज. 18 ) JP वामो, P कसिणच्छवी. 19 ) P जिट्ठो for दिट्ठो, 1 पेच्छंतो, P कुंचियग्गीवो 20 ) P मायामरण, P निसामेह. 21) भोजसयागीय, P गोजइणो. 22 ) गामहम्मि, P गामाईमि चिय रहिंति, Jom. रेहंति, P देवउलेहि देवलई चिय रेहति तलसिंठिएवं तलाएहिं तलाई विय रेहति. 23) P संडई वि, P अरवंदेहिं. 24 ) P मध्य for मुझ्य, उ जुवाणेहिं. 26 J रीए P नयरीए for णयरी, गोपुरा. 27 ) P जेहं चिय for जहिं च, P मंढणवं मयणवियारियं च सिक्खति कुल 28 ) P भत्तिउष्व सिक्ख, P जुवाणकला ं, P माणिक for चाणक, Pom. अवि य. 29 ) P नरवर for सुरवर, 3 नामा. 30 ) Pom. य, P दिसाभाए. 31 ) P व सजाई, Pom. य, P अण्णेय, Jom. सुवण्ण, P समिद्धे जिणे सो. P 'गहिरे, P व for वि, Pom. जणम्मि, P सो चिय. 33 ) J सरयसमय सण, P सो चिय 32) P कुसुमसरिस, Jom. "मसरिस, P पुरिसयणो, चेय एको,
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